August 03, 2025
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अन्य खबर /शौर्यपथ/

इस साल बॉलीवुड के कई कपल पैरेंट्स बनने वाले हैं। अब इस लिस्ट में सिंगर आदित्य नारायण और श्वेता का भी नाम जुड़ गया है। आदित्य ने इस बात की जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर कर दी है। इस फोटो में श्वेता अपने बेबी बंप को फ्लॉन्ट करती नजर आ रही हैं।

हम अपने पहले बच्चे का स्वागत करने को तैयार हैं: आदित्य

आदित्य नारायण ने अपने अकाउंट से मैटेरनिटी शूट की एक फोटो शेयर की है। इस फोटो में वह अपनी पत्नी श्वेता को हग करके बैठे हैं। इसके साथ कैप्शन में उन्होंने लिखा, 'श्वेता और मैं यह बताते हुए बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं कि हम अपने पहले बच्चे का स्वागत करने को तैयार हैं। इसके साथ ही उनकी पोस्ट पर कई लोगों ने बधाई दी।' सिंगर श्रेया घोषाल ने कमेंट करते हुए लिखा, वाह क्या खबर सुनाई है। बहुत-बहुत बधाई। वहीं सिंगर अदिति सिंह शर्मा ने लिखा, ओह माय गॉड बेबी श्वाद जल्दी आने वाला है।

रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि डीआरडीओ की पहली झांकी में, चौथी पीढ़ी के एलसीए तेजस की क्षमता बढ़ाने वाले, स्वदेश में निर्मित उन्नत इलेक्ट्रॉनिक स्कैन ऐरे रडार ‘उत्तम', आसमान से निशाना साधे जा सकने वाले पांच विभिन्न हथियारों और एक इलेक्ट्रॉनिक युद्धक जैमर को प्रदर्शित किया जाएगा.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/

गणतंत्र दिवस परेड में इस साल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की दो झांकियां शामिल की जाएंगी. इनमें हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस के लिए स्वदेश में विकसित सेंसर, हथियार और इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणालियों तथा भारतीय पनडुब्बियों के लिए ‘एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन' (AIP) प्रणालियों को प्रदर्शित किया जाएगा. इस साल विभिन्न राज्यों, विभागों और सशस्त्र बलों की 25 झांकियां 26 जनवरी पर परेड का हिस्सा होंगी.

रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि डीआरडीओ की पहली झांकी में, चौथी पीढ़ी के एलसीए तेजस की क्षमता बढ़ाने वाले, स्वदेश में निर्मित उन्नत इलेक्ट्रॉनिक स्कैन ऐरे रडार ‘उत्तम', आसमान से निशाना साधे जा सकने वाले पांच विभिन्न हथियारों और एक इलेक्ट्रॉनिक युद्धक जैमर को प्रदर्शित किया जाएगा.

दूसरी झांकी में भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों के लिए स्वदेश में विकसित एआईपी प्रणाली को प्रदर्शित किया जाएगा. बयान में कहा गया कि एआईपी की मदद से, पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की अपेक्षा आधुनिक पनडुब्बी लंबे समय तक पानी के भीतर रह सकती है. यह प्रणाली समुद्र के भीतर पनडुब्बी को नाभिकीय पनडुब्बी से भी अधिक ‘शांत' बना सकती है.

 

शिक्षा /शौर्यपथ/

सोशल मीडिया हो या किसी बैंक का लॉग-इन, सुरक्षित पासवर्ड होना बहुत ज़रूरी है। विशेषज्ञ भी कहते हैं कि पासवर्ड ऐसा होना चाहिए जिसे आसानी से तोड़ा ना जा सके। पासवर्ड कठिन होना चाहिए और नाम या नंबर का इस्तेमाल पासवर्ड के तौर पर नहीं करना चाहिए। फिर भी सवाल यही उठता है कि आख़िर कैसा पासवर्ड रखें जो मज़बूत हो और याद भी रहे। ऐसी ही चंद तरक़ीबें पढ़िए हर पृष्ठ पर…

नंबर, चिह्न और शब्द मिलाएं

यहां आपको नंबर, चिह्न और अक्षर को मिलाकर पासवर्ड तैयार करना है। उदाहरण के तौर पर आप पासवर्ड में जिस स्थान पर ‘a’ का उपयोग कर रहे हैं, उसकी जगह ‘@’ लगा सकते हैं। इसी तरह ‘i’ के लिए ‘!’, ‘o या O’ के स्थान पर शून्य ‘0’ रखा जा सकता है। अगर ‘M' है तो इसे उल्टा लगा सकते हैं यानी कि ‘M’ को 'W' और ‘W’ को ‘M’ से बदल सकते हैं। इनके इस्तेमाल के पासवर्ड कुछ इस तरह बनेगा- p@ssM0rd।

वाक्य का उपयोग करें

अगर कोई कथन, गाना या वाक्य आपको पसंद है, तो उसे भी पासवर्ड की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। मान लीजिए कोई अंग्रेज़ी का वाक्य है जैसे कि ‘I love tea’, तो पासवर्ड बनेगा ‘ilovTe@’ और साथ में कोई अंक जोड़ें जैसे कि अगर आप किसी दुकान पर 6 रुपए की चाय पीते हैं, तो उसे पासवर्ड में इस तरह जोड़ेंगे जैसे कि ‘ilovTe@6’। इसी तरह पसंदीदा कथन जैसे कि ‘wake me up before you go’ को ‘WkMeUpB4UGo!’ लिख सकते हैं जिसमें कुछ शब्दों को बड़ा भी किया जा सकता है।

की-बोर्ड के साथ खेलें

आपके नाम का एक अक्षर या पसंदीदा अक्षर चुनिए। अब अपने की-बोर्ड का कोई एक भाग चुनें और उस अक्षर की आकृति की कल्पना करें। बटनों से आकार बनाएं। हमने P अक्षर चुना है, जो की-बोर्ड की बटन c से शुरू होता है और g पर पूरा होता है। ध्यान रहे कि शब्द बनाते वक़्त नंबर की भी आनी चाहिए। इससे पासवर्ड ‘cft67uhg’ बनेगा। इसी तरह अपनी सूझबूझ से की-बोर्ड के किसी भी हिस्से पर अक्षर बनाकर पासवर्ड तैयार कर सकते हैं।

दो शब्दों और अंकों को जोड़ें

ये दो शब्द कोई भी हो सकते हैं जैसे कि पसंदीदा व्यंजन, रंग, खेल आदि। दफ्तर या किसी सोशल मीडिया से संबंधित दो शब्दों को मिलाकर भी मज़बूत पासवर्ड बना सकते हैं। मान लीजिए शब्द हैं- काला और नीला यानी कि ‘black और blue’, तो पासवर्ड ‘bbllaucek’ बनेगा। इसमें कोई अंक या चिह्न नहीं है लेकिन इसे तोड़ना भी आसान नहीं होगा। अगर किसी वेबसाइट में अंक और चिह्न अनिवार्य है, तो इसमें ‘a’ को ‘@’ लिख सकते हैं या पसंदीदा अंक को दो भागों में बांट कर जोड़ सकते हैं, जैसे कि 20bbll@ucek21। अगर डिज़ाइनर हैं, तो दो शब्द 'वर्क और डिज़ाइन' को मिलाकर पासवर्ड बना सकते हैं।

परवरिश /शौर्यपथ/

बच्चा दिनभर मोबाइल चलाता है’ ये शिक़ायत आज हर माता-पिता की है, लेकिन बच्चे के हाथ में मोबाइल थमाया किसने था ये सोचेंगे तो समस्या की जड़ मिल जाएगी।
अगर अभिभावक अपनी ग़लती सुधारना चाहते हैं तो चंद सुझाव आज़माकर देख सकते हैं।

आ जकल लगभग हर माता-पिता बच्चों की मोबाइल की लत से परेशान हैं। मोबाइल से बच्चों की सिर्फ़ आंखें ही ख़राब नहीं हो रहीं बल्कि वे मोटापे के शिकार भी हो रहे हैं, साथ ही जि़द्दी, गु़स्सैल, चिड़चिड़े बन रहे हैं और उनकी रचनात्मकता भी कम हो रही है। इस लत से निजात ज़रूरी है। क्या आ पने कभी सोचा है कि बच्चों को ये लत लगती कैसे है? कैसे 2-3 साल के बच्चे को सोशल मीडिया पर कार्टून या गेम लगाना आने लगता है? आपको ये जानकर आश्चर्य तो नहीं होगा कि माता-पिता या परिवार के सदस्य ही उसे मोबाइल चलाना सिखा देते हैं?

 बच्चा देखकर सीखता है

हम बच्चे को तो मोबाइल के लिए मना करते हैं, लेकिन ख़ुद दिनभर मोबाइल चलाते रहते हैं। हमें मोबाइल पर देखकर बच्चे को लगता है कि मोबाइल मनोरंजन का सबसे अच्छा साधन है।
देखिए, बच्चा आपकी बातों को नहीं, आपको फॉलो करता है। बच्चा आपके सिखाने से कहीं ज़्यादा आपको देखकर सीखता है। इसलिए जब बच्चा आपके पास हो तब जहां तक संभव हो मोबाइल का इस्तेमाल कम कीजिए। जब बच्चा सो रहा हो, स्कूल गया हो या खेल रहा हो तब आप मोबाइल का उपयोग करें। बाक़ी समय सिर्फ़ कॉल्स ही लें।

 बच्चों की सेहत का ख़्याल हो

जब बच्चा छोटा होता है और खाना खाने में आनाकानी करता है तब बहुत-सी मांएं बच्चा जल्दी से खाना खा ले, इसलिए ख़ुद ही बच्चे को मोबाइल दिखाकर खाना खिलाती हैं। उस वक़्त तो उनको लगता है इस तरह बच्चे को खाना खिलाने का काम जल्दी हो गया। लेकिन वे यह भूल जाती हैं कि अपना थोड़ा-सा वक़्त बचाने के चक्कर में वे अपने बच्चे का और ख़ुद का भी कितना बड़ा नुकसान कर रही हैं। छोटे बच्चों की आंखें मोबाइल की रोशनी से ख़राब होती हैं। इसी तरह धीरे-धीरे बच्चे को मोबाइल की आदत हो जाती है।

 मोबाइल का लालच ना दें

कुछ अभिभावक बच्चा होमवर्क जल्दी पूरा कर ले या खाना जल्दी खा ले इसलिए उनको मोबाइल का लालच देते हैं। लेकिन इस तरह से बच्चों को मोबाइल की आदत पड़ जाती है। मोबाइल का लालच ना दें बल्कि उन्हें समझाएं कि होमवर्क करना, खाना खाना उनके लिए ही बेहतर है। ख़ुद भी बच्चे के सामने बैठकर खाना खाएं और उस समय फोन ना चलाएं। उसके सामने किताब पढ़ें, इससे बच्चे को भी पता चलेगा कि ये सब ख़ुद करना ज़रूरी है और ये सब करने के दौरान फोन की बात ही नहीं आएगी।

 ‘नहीं’ पर कायम रहें

बच्चे ने थोड़ी-सी ज़िद की नहीं, थोड़ा-सा रोया नहीं कि कई अभिभावक झट से उसे मोबाइल पकड़ा देते हैं। बच्चे के जि़द करने पर उसे मोबाइल बिल्कुल मत दीजिए, क्योंकि इससे बच्चे को लगता है कि थोड़ी-सी जि़द करने से या रोने से उसकी मांग पूरी की जाती है तो यही उसका अंदाज़ बन जाएगा। इसलिए मना करने के बाद अपनी बात पर कायम रहें।

 छीनकर ना लें

बच्चे को मोबाइल चलाते हुए देर हो गई हो तो ऐसे में एकदम से बच्चे से मोबाइल ना छीनें। ऐसा करने से बच्चे के मन में ग़ुस्सा भर जाएगा। कल्पना कीजिए कि मोबाइल पर आप गेम खेल रहे हों और अचानक कोई मोबाइल छीन ले तो आपको कैसा लगेगा? बच्चे से कहिए कि वो जो भी कार्टून देख रहा है वो देखकर मोबाइल दे दे। ऐसा करने से बच्चा ख़ुद ही आपको फोन दे देगा।
 अच्छा समय बिताएं

बच्चों को माता-पिता के प्यार और देखभाल की ज़रूरत होती है। लेकिन आजकल माता-पिता के पास वक़्त की कमी रहती है। समय की कमी को वे मोबाइल पकड़ाकर पूरी करना चाहते हैं। लेकिन याद रखिए कि मोबाइल या कोई भी उपकरण आपकी जगह नहीं ले सकता। यदि आप बच्चे के साथ अच्छा समय बिताएंगे तो आपका बच्चा धीरे-धीरे मोबाइल का इस्तेमाल कम कर देगा।

 रचनात्मकता सिखाएं

रुचि अनुसार बच्चे का पेंटिंग, नृत्य, संगीत आदि की क्लास में दाखिला करवा सकते हैं। यहां वो कुछ नया तो सीखेगा ही, साथ ही उसके नए दोस्त भी बनेंगे। इससे उसका व्यावहारिक ज्ञान भी बढ़ेगा। लोगों के साथ उठना-बैठना, कैसे पेश आना है वो बख़ूबी सीख जाएगा।

 क्षमतानुसार काम कराएं

खाली समय में बच्चे की क्षमतानुसार घरेलू कार्यों में उसका सहयोग लें। इससे उसे मोबाइल की याद नहीं आएगी, वो आत्मनिर्भर बनेगा और कुछ व्यावहारिक बातें भी सीखेगा।

प्यार का मतलब मोबाइल नहीं है
कई अभिभावकों का कहना होता है कि वे बच्चे से बहुत प्यार करते हैं इसलिए उसे ना नहीं कह सकते, बच्चे को रोते हुए नहीं देख सकते। इसलिए बच्चे जब भी मोबाइल मांगते है, वो दे देते हैं! यदि आप सही मायने में अपने बच्चे से प्यार करते हैं तो बच्चे पर मोबाइल से होने वाले नुकसान को देखते हुए कम से कम समय के लिए मोबाइल देंगे।

आज ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से बच्चों को छोटी उम्र में ही मोबाइल देना मजबूरी है। लेकिन क्लास के अलावा बच्चा ज़्यादा देर तक मोबाइल का उपयोग ना करे इसके लिए यहां दिए सुझाव आपके काम ज़रूर आएंगे।

अन्य खबर /शौर्यपथ/

जब कुछ चीज़ें हमारे मन या सहूलियत के मुताबिक़ नहीं चलती हैं, तो उन्हें अपनाना हमारे लिए मुश्किल हो जाता है। उन्हें अनदेखा करने के लिए कई बार बहानों का सहारा लेते हैं। इन बहानों से थोड़े समय के लिए राहत ज़रूर मिलती है, लेकिन ये आपको आगे बढ़ने से रोकते हैं। इसे नज़रअंदाज़ करने के बजाय पूरा करना सीखें।

पर बहाने बनाते क्यों हैं?

सहूलियत से ही सारे कारण जुड़े हुए हैं, जैसे कि वो काम जो कभी किया नहीं उसे पूरा करने का डर। मन की शंका कि अगर काम पूरा नहीं कर सके, तो छवि प्रभावित होगी। जीवन में अगर कोई उद्देश्य ना हो, दूसरों के काम से ख़ुद की तुलना करने की आदत के चलते हीनता का भाव और आत्मविश्वास की कमी तथा सीखने और आगे बढ़ने की लगन का अभाव भी कारण हो सकते हैं।

ऐसे दूर कर सकते हैं बहाने...

दूसरों से तुलना ना करें

दूसरों से अपनी तुलना ना करें। इससे आपका ध्यान अपनी ताक़त नहीं कमज़ोरियों पर केंद्रित होगा। जिनसे तुलना कर रहे हैं, वे भी कभी उस पड़ाव पर थे, जहां इस वक़्त आप हैं। उनकी ताक़त से तुलना करने के बजाय उनकी मेहनत पर ध्यान केंद्रित करें और सीखें।

ग़लतियों से सीखें

अगर ग़लती करने से डरते हैं तो यह भी जान लें कि जिस तरह सफलता-असफलता महज़ नतीजों का नाम है, वैसे ही काम करने की प्रक्रिया में ग़लती प्रयास करने का ही दूसरा रूप है। अगर आपने कोई ग़लती की है, तो उस काम को छोड़ने के बजाय उससे सीखें।

प्लान ‘बी’ भी रखें

हमेशा दो विकल्प साथ लेकर चलें। मान लीजिए कि आपको किसी विषय पर योजना बनाने की ज़िम्मेदारी दी गई है। ऐसे में एक योजना बनाने के बजाय हमेशा दो-तीन योजनाएं तैयार रखें। अगर एक योजना रद्द होती है, तो आपके पास अतिरिक्त योजनाएं हैं। अगर पहले से तैयारी रहेगी, तो आत्मविश्वास बना रहेगा।

काम से मुंह ना मोड़ें

‘ये मुझ से नहीं होगा या मुझ से होता ही नहीं’, ये बहाने यथास्थिति बनाए रखेंगे, जो आपको कुछ नया पाने से रोकेंगे। अगर कोई ज़िम्मेदारी मिलती है, तो उसे आज़माए बिना इंकार ना करें। अपने ज्ञान और क्षमता अनुसार काम पूरा करने की कोशिश करें।

हेल्थ टिप्स /शौर्यपथ/

योगा शरीर को बाहरी और आंतरिक दोनों रूपों में लाभ पहुंचाती है. आप ध्यानमग्न होकर योगा करते हैं तो अपने अंदर गहरे बदलाव देख पाते हैं. इसमें तो कोई दोहराए नहीं कि योगा हमें तंदरुस्त और स्वस्थ भी रखती है. शवासन भी एक ऐसा ही योगा है जो हमारे शरीर के लिए बेहद लाभकारी है. मजे की बात तो यह है कि इसे करने में कोई मेहनत नहीं लगती और कोई भी इसे बड़ी आसानी से कर सकता है. शवासन का अर्थ ही है मृत देह वाला आसन. आइये जानें कि सेहत पर इसके कौन-कौन से सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं.


शवासना करने के फायदे |

इसे करने से शरीर की थकान दूर होती है.

अच्छी नींद देने में लाभकारी.

मांसपेशियों की जकड़न से राहत पहुंचाता है.

फोकस करने में सहायता होती है क्योंकि इसे करने पर आसपास क्या हो रहा है इससे आपका ध्यान हट जाता है.

शरीर को रिलेक्स महसूस होता है.

एक बड़ा फायदा तो यह है कि आप बेहद थके होने पर भी इसे कर सकते हैं और आपको अपना बचा हुआ काम करने की ऊर्जा मिलेती है.

ये आसन शरीर को डीप मेडिटेशन की स्टेज पर ले जाता है.

तनाव से राहत मिलती है.

जिन्हें एंजाइटी की समस्या हो उन्हें शवासन जरूर करना चाहिए.

इस आसन को करने पर पाचन संबंधी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है.

कैसे करें शवासन

आंखें बंद करके लेट जाएं और शरीर को रिलेक्स करते हुए दोनों पैरों को एकदूसरे से दूर फैलाएं.

आपके दोनों पंजे एकदूसरे से विपरीत दिशा में होने चाहिए.

हाथों को शरीर के दोनों तरफ रखकर पंजो को ऊपर की तरफ रखें.

शरीर के हर हिस्से पर ध्यान केन्द्रित करें. ऐसा करते हुए धीरे-धीरे गहरी सांस लेते रहें.

जब-जब सांस लेंगे तो शरीर में ऊर्जा और सांस छोड़ते हुए आराम महसूस करेंगे.

शवासन कब करें

अगर आप योगा के और भी आसन कर रहे हैं तो शवासन को आखिर में करें. इसे खाली पेट करें. इसे सुबह-सुबह या शाम के समय करना सबसे ज्यादा फायदेमंद है.

अन्य खबर /शौर्यपथ/

सुभाष चंद्र बोस के विचार आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देते हैं. सुभाष चंद्र बोस ने कहा था ''याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है.''


 नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज जयंती  हैं. सुभाष चंद्र बोस  स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे. सुभाष चंद्र बोस का जन्म  23 जनवरी 1897 को उड़ीसा में कटक में हुआ था. नेताजी ने देश की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज का गठन किया था. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा..! का नारा बुलंद करने वाले सुभाष चंद्र बोस आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं. सुभाष चंद्र बोस 24 साल की उम्र में इंडियन नेशनल कांग्रेस से जुड़ गए थे. राजनीति में कुछ वर्ष सक्रिय रहने के बाद उन्होंने महात्मा गांधी से अलग अपना एक दल बनाया. उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया. सुभाष चंद्र बोस के क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित होकर कई युवा आजाद हिंद फौज में शामिल हुए और देश की आजादी में अपना योगदान दिया. नेता जी के विचार आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर हम आपको उनके विचारों  के बारे में बता रहे हैं.


सुभाष चंद्र बोस के विचार 


''तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा.


''ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिले, हमारे अंदर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए.''


''एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा: सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान. जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है. अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो.''


''मेरा अनुभव है कि हमेशा आशा की कोई न कोई किरण आती है, जो हमें जीवन से दूर भटकने नहीं देती.''

 

''जिस व्यक्ति के अंदर 'सनक' नहीं होती वो कभी महान नहीं बन सकता. लेकिन उसके अंदर, इसके आलावा भी कुछ और होना चाहिए.''


''जो अपनी ताकत पर भरोसा करते हैं, वो आगे बढ़ते हैं और उधार की ताकत वाले घायल हो जाते हैं.''

 

 

 

 

ईश्वर चन्द्र विद्यासागर बंगाल के प्रसिद्ध दार्शनिक, शिक्षाविद, समाज सुधारक, लेखक, अनुवादक, मुद्रक, प्रकाशक, उद्यमी और परोपकारी थे। बंगाल के पुनर्जागरण के स्तंभों में से एक थे।

शिक्षा /शौर्यपथ/

 

1. विद्या सबसे अनमोल धन है। इसके आने मात्र से ही सिर्फ अपना ही नहीं अपितु पूरे समाज का कल्याण होता है।

2. संसार में सफल और सुखी वही लोग हैं जिनके अंदर विनय हो और विनय विद्या से ही आती है।

3. जो व्यक्ति दूसरों के काम ना आए वास्तव में वह मनुष्य नहीं है।

4. समस्त जीवों में मनुष्य सर्वश्रेष्ठ बताया गया है, क्योंकि उसके पास आत्मविवेक और आत्मज्ञान है।

5. कोई मनुष्य अगर बड़ा बनना चाहता है, तो वह छोटे से छोटा काम करे क्योंकि स्वावलंबी ही श्रेष्ठ होते हैं।

6. बिना कष्ट के ये जीवन बिना नाविक की नाव जैसा है, जिसमें खुद का कोई विवेक नहीं।

7. अगर सफल और प्रतिष्ठित बनना है, तो झुकना सीखो। क्योंकि जो झुकते नहीं, समय की हवा उन्हें झुका देती है।

8. एक मनुष्य का सबसे बड़ा कर्म दूसरों की भलाई और सहयोग होना चाहिए जो एक संपन्न राष्ट्र का निर्माण करता है।

9. मनुष्य कितना भी बड़ा क्यों न बन जाए, उसे हमेशा अपना अतीत याद करते रहना चाहिए।

10. अपने हित से पहले, समाज और देश के हित को देखना एक विवेक युक्त सच्चे नागरिक का धर्म होता है।

11. संयम विवेक देता है, ध्यान एकाग्रता प्रदान करता है। शांति, संतुष्टि और परोपकार मनुष्यता देती है। 12. दूसरों के कल्याण से बढ़कर, दूसरा और कोई नेक काम और धर्म नहीं होता।

13. जो नास्तिक हैं उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ईश्वर में विश्वास करना चाहिए। इसी में उनका हित है।

हेल्थ केयर /शौर्यपथ/

इन दिनों घुटना और हिप बदलने सहित हडि्डयों की कई तकलीफों में सर्जरी कराने का चलन सामान्य हो गया है। इनमें खर्च ज्यादा होता है। जोखिम भी अधिक है। कई बार पूरी तरह स्वस्थ में हफ्तों या महीनों तक लगते हैं। एक रिव्यू में पाया गया है कि इनमें से कई तरह की सर्जरी कामयाब होने के सबूत ट्रायल में नहीं मिले हैं।

यहां तक कि जब सर्जरी प्रभावी नजर आई तो समीक्षा से सामने आया कि यह बिना सर्जरी के इलाज से बहुत अधिक बेहतर नहीं है। कई मामलों में सर्जरी एक्सरसाइज, फिजियोथैरेपी और दवाइयों के इलाज जैसे विकल्पों से अधिक असरकारी नहीं रही। ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने घुटने, हिप, कंधे, स्पाइन और कलाई सहित दस आम आर्थोपेडिक ऑपरेशनों के अध्ययनों पर गौर किया है। उन्होंने पाया कि घुटना बदलने सहित अन्य सर्जरी से अधिक फायदेमंद दूसरे इलाज हैं।

छह अन्य किस्म की आम सर्जरी की स्टडी में सामने आया कि एक्सरसाइज, वजन नियंत्रित करने, फिजियो थैरेपी और दवाइयों से उपचार ज्यादा कारगर है।

ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी, इंग्लैंड में आर्थोपेडिक सर्जरी के प्रोफेसर डॉ. एशले ब्लोम कहते हैं, हमारी स्टडी नहीं दर्शाती हैं कि इन ऑपरेशनों से मरीज बेहतर होते हैं। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, सैनफ्रांसिस्को में आर्थोपेडिक सर्जरी के प्रोफेसर डॉ. साम मोर्शेद का कहना है, हमें स्वयं को आइना दिखाना चाहिए और कुछ ऑपरेशनों के असर की जांच-पड़ताल करनी चाहिए। इसके साथ समझना जरूरी है कि किसी इलाज को सही ठहराने वाले ट्रायल का अर्थ नहीं है कि वह इलाज प्रभावी नहीं है। वे कहते हैं, हिप सर्जरी एक अच्छा उदाहरण है।

हिप सर्जरी पर कोई ट्रायल नहीं हुआ है लेकिन गैर सर्जिकल उपचारों की तुलना में उसके प्रभावी होने के सबूत मिले हैं।

सर्जरी और दूसरे उपायों से राहत लगभग एकसमान रही

अमेरिका में घुटने के अंदरूनी लिगामेंट या एसीएल के इलाज का आर्थोस्कोपिक ऑपरेशन बहुत सामान्य है। इस तरह की चोट खिलाड़ियों को अधिक लगती है। कुछ अध्ययनों में इनकी सफलता की दर 97 प्रतिशत पाई गई है। लेकिन जब गैर सर्जिकल उपचारों से ऑपरेशन की तुलना की गई तो दोनों तरह के इलाज में दर्द में बहुत कम अंतर मिला।

कंधे के जोड़ से लगी मांसपेशियों के रोटेटर कफ ऑपरेशनों की समीक्षा में शोधकर्ताओं ने पाया कि एक्सरसाइज, स्टेरॉयड इंजेक्शनों के इलाज और सर्जरी से दर्द, कंधे की हलचल या मरीज को राहत के मामले में कोई अंतर नहीं है। रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में डिस्क की समस्या के ऑपरेशनों के तीन विश्लेषणों में सामने आया कि सर्जरी और गैर सर्जिकल इलाज से एकसमान सुधार हुआ है।

 

हेल्थ /शौर्यपथ/

को जल्द कंट्रोल करने के लिए अपनाएं ये 7 कारगर तरीके फिर और कुछ करने की जरूरत ही नहीं

 अपने कोलेस्ट्रॉल को वापस पटरी पर लाने के लिए आपको अभी भी दवा लेने की जरूरत हो सकती है, लेकिन अगर आप बस कुछ छोटे बदलाव करते हैं, तो आप नेचुरल तरीके से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद पा सकते हैं. यहां ऐसे ही कुछ उपायों की लिस्ट है.

 अगर आप हाई कोलेस्ट्रॉल से परेशान हैं, तो आपको हृदय रोग की समस्याएं भी हो सकती है. अच्छी खबर यह है कि इस जोखिम है जिसे आप कंट्रोल कर सकते हैं. आप अपने "खराब" एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं और अपने "अच्छे" एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं. आपको बस कुछ साधारण बदलाव करने हैं. अगर आप अपने कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करना चाहते हैं तो कुछ घरेलू उपाय हैं जो आप अपना सकते हैं. हालांकि ये उपाय कोलेस्ट्रॉल का इलाज नहीं हो सकते हैं, लेकिन आपको इसे मैनेज करने में मदद कर सकते हैं. अपने कोलेस्ट्रॉल को वापस पटरी पर लाने के लिए आपको अभी भी दवा लेने की जरूरत हो सकती है, लेकिन अगर आप बस कुछ छोटे बदलाव करते हैं, तो आप नेचुरल तरीके से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद पा सकते हैं. यहां ऐसे ही कुछ उपायों की लिस्ट है.


1. ट्रांस वसा का सेवन बिल्कुल बंद कर दें

ट्रांस फैट आपके एलडीएल को बढ़ाते हैं, आपके एचडीएल को कम करते हैं. साथ ही ये हृदय रोग और स्ट्रोक के विकास के जोखिम को बढ़ाते हैं. ट्रांस फैट तले हुए फूड्स, बेक किए गए सामान (केक, पाई क्रस्ट, फ्रोजन पिज्जा, और कुकीज) और स्टिक मार्जरीन में पाए जाते हैं. आप उनसे कैसे बच सकते हैं? जब आप खरीदारी करने जाएं तो लेबल पढ़ें.

2. हेल्दी वेट बनाए रखें

अपने कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए आपको बहुत अधिक वजन कम करने की जरूरत नहीं है. वेबएमडी के अनुसार केवल 10 पाउंड कम करने से आप अपने एलडीएल को 8% तक कम कर देंगे.


3. एक्सरसाइज करें

हफ्ते में कम से कम 1/2 से 2 घंटे व्यायाम करना एचडीएल बढ़ाने और एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड्स में सुधार करने के लिए पर्याप्त है. अगर आप पहले से सक्रिय नहीं हैं, तो धीरे-धीरे शुरू करें. वह व्यायाम चुनें जिसे आप पसंद करते हैं.

4. फाइबर पर भरपूर डाइट खाएं

दलिया, सेब, आलूबुखारा और बीन्स जैसे फूड्स घुलनशील फाइबर से भरपूर होते हैं, जो आपके शरीर को कोलेस्ट्रॉल को अवशोषित करने से रोकते हैं. अधिक फाइबर खाने से भी आपका पेट भरा हुआ महसूस होता है, इसलिए आप स्नैक्स के लिए ज्यादा तरसते नहीं हैं.

5. जैतून का तेल चुनें

वेबएमडी के अनुसार बटर की बजाय जैतून का तेल इस्तेमाल करने से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल 15% तक कम हो सकता है. जैतून के तेल में मौजूद "अच्छे" वसा आपके दिल को फायदा पहुंचाते हैं. एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून का तेल चुनें. यह कम संसाधित होता है और इसमें अधिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो बीमारी को रोकने में मदद करते हैं.

6. तनाव बिल्कुल न लें

क्या आप जानते हैं कि जब आप तनाव में होते हैं, तो आपका कोलेस्ट्रॉल आसमान छूं सकते है? तनाव से दूर रहने के लिए एक अच्छी किताब में खो जाएं, कॉफी के लिए एक दोस्त से मिलें, या योग करें. यह आपके कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखने में मदद करेगा.

7. कुछ मसाले भी फायदेमंद हैं

लहसुन, करक्यूमिन, अदरक, काली मिर्च, धनिया और दालचीनी जैसे मसाले आपके भोजन का स्वाद ही नहीं बढ़ाते हैं बल्कि वे कोलेस्ट्रॉल में भी सुधार कर सकते हैं.

 

 

 

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