
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /प्रतिदिन आपके द्वारा खाए जाने वाले कैलोरी की संख्या को कम करना वजन घटाने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है. हालांकि, यह पता लगाना कि आपको कितनी कैलोरी खानी चाहिए, मुश्किल हो सकता है, क्योंकि यह आपकी उम्र, जेंडर, वजन और गतिविधि पर निर्भर करता है. ऐसे में चलिए आपको बताते हैं वेट लॉस के लिए कितनी कैलोरी हर रोज खाना सुरक्षित है वेट लॉस के लिए.
वजन कम करने के लिए रोज खाएं इतनी कैलोरी
- यदि आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो आमतौर पर प्रतिदिन 1200 कैलोरी का सेवन करना कैलोरी की कमी माना जाता है. सुरक्षित तरीके से वजन घटाने के लिए, सप्ताह में 1 से 2 पाउंड वजन कम करने का लक्ष्य रखना सही है.
- वजन बनाए रखने के लिए, 26-50 वर्ष की आयु के बीच एक मध्यम रूप से सक्रिय महिला को हर दिन लगभग 2,000 कैलोरी की जरूरत होती है.
- जो महिलाएं शारीरिक रूप से बहुत सक्रिय हैं और प्रतिदिन 3 मील से अधिक चलती हैं, उन्हें वजन बनाए रखने के लिए प्रति दिन कम से कम 2,200 कैलोरी की आवश्यकता होती है.
- 50 से अधिक महिलाओं को कम कैलोरी की आवश्यकता होती है. 50 वर्ष से अधिक की मध्यम रूप से सक्रिय महिला को वजन बनाए रखने के लिए प्रति दिन 1,800 कैलोरी की जरूरत होती है.
आस्था /शौर्यपथ /सदियों से हिन्दू धर्म में साधु संन्यासियों का विशेष आदर और सम्मान किया जाता रहा है. ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों को साधु संतों का आशीर्वाद मिलता है उनके घर में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. साथ ही यह भी कहते हैं कि कभी साधु संतों को द्वार से नहीं लौटाना चाहिए. उनका नाराज होना अच्छा नहीं माना जाता है. आपको बता दें कि साधु संन्यासी सबसे ज्यादा कुंभ मेले में देखने को मिलते हैं. जिन्हें देखने के बाद एक बात मन में आती है कि ये आखिर भगवा, काला और सफेद रंग ही क्यों पहनते हैं? तो आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह.
भगवा काला, सफेद और भगवा रंग क्यों पहनते हैं
शैव और शाक्य साधु भगवा रंग पहनते हैं. यह रंग ऊर्जा और त्याग का प्रतीक चिन्ह माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवा रंग के कपड़े धारण करने से मन नियंत्रिंत रहता है और दिमाग में नकारात्मक ख्याल नहीं आते और शांत रहता है मन.
सफेद रंग साधु
वहीं,जैन धर्म को मानने वाले साधु संत हमेशा सफेद रंग के वस्त्र पहने नजर आते हैं. आपको बता दें कि जैन मुनियों में दो तरह के साधु होते हैं, पहले दिगंबर और दूसरे श्वेतांबर. दिगंबर जैन साधु अपना पूरा जीवन निर्वस्त्र व्यतीत करते हैं, जबकि श्वेतांबर सफेद कपड़े में जीवन बिताते हैं.
काले रंग साधु
इसके अलावा काले रंग का वस्त्र धारण करने वाले साधु को तांत्रिक की संज्ञा दी जाती है. इस रंग के कपड़े पहनने वाले साधु तंत्र-मंत्र विद्या में पारंगत होते हैं. ये साधु काले कपड़ों के अलावा, रुद्राक्ष की माला भी धारण करते हैं.
आस्था /शौर्यपथ /ओम को अनंत शक्ति का प्रतीक और ब्रह्माण्ड का सार माना गया है. ओम को ब्रह्माण्ड की सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी ध्वनियों में शामिल किया गया है. इसमें ब्रह्माण्ड का रहस्य छिपा है. ओम के उच्चारण व जाप से धर्म, कर्म, अर्थ ओर मोक्ष की प्राप्ति होती है. ओम की ध्वनि शाश्वत है इसे किसी ने बनाया नहीं है इसीलिए इसे अनहद नाद भी कहते हैं. मान्यता है कि ओम में 'अ' से आदि कर्ता ब्रह्मा, उ से विष्णु और म से महेश यानि शिव का बोध होता है. ओम के उच्चारण से गले में स्थित थायराइड ग्रंथि में कंपन होता है जिसका सकारात्मक असर पड़ता है. आइए जानते हैं ओम का रहस्य और इसका महत्व….
शास्त्रों में ओम
जब हम ओम का उच्चारण करते हैं तो तीन अक्षरों की ध्वनि निकलती है. ये तीन अक्षर अ,उ और म हैं. इन तीनों अक्षरों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना गया है. मांडूण्य उपनिषद में कहा गया है कि ब्रह्माण्ड में वर्तमान, भविष्य और भूतकाल से परे जो हमेशा मौजूद रहता है वह ओम है. खगोलविदों के अनुसार ब्रह्माण्ड में ओम की ध्वनि निरंतर सुनाई पड़ती है. ओम में ही ब्रह्माण्ड रहस्य निहित है.
ओम में निहित है तन्मात्रा
सनातन धर्म में प्रकृति को पंचभूतों की श्रृंखला की संज्ञा दी गई है. ये पंच महाभूत अग्नि, वायु, आकाश, जल और धरती हैं. मांडूक्य उपनिषद में तन्मात्रा का महत्व बताया गया है. तन्मात्रा को चेतना का पूंज बताया गया है जिसके माध्यम से प्रकृति, प्राणी ओर जीवन ऊर्जावान हैं. तन्मात्रा ओम में निहित है.
ओम ही ब्रह्म
यजुर्वेद में कहा गया है ओम ब्रह्म है और ओम सर्वत्र व्याप्त है. ओंकार तीन गुणों का प्रतिनिधित्व करता है 1 इनमें सात्विक, राजसी और तामसी गुण शामल हैं. ओम को इत्येत् अक्षर यानि अविनाशी, अव्यय और क्षरण रहित बताया गया है. ओम के उच्चारण से मन से चिंता और तनाव दूर होते हैं. इसके उच्चारण से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है. गीता में बताया गया है कि किसी भी मंत्र के पहले ओम के उच्चारण से पुण्य प्राप्त होता है.
आस्था /शौर्यपथ /भीषण गर्मी का दौर नौतपा जारी है. अयोध्या में भी तापमान लगातार ऊपर चल रहा है. राम मंदिर में विराजमान प्रभु श्रीराम के बाल स्वरूप रामलला को भीषण गर्मी से बचाने के लिए कई व्यवस्थाएं की गई हैं. यहां तक कि उनके भोग में भी बदलाव किया गया है. प्रभु को विशेष रूप से गर्मी केअनुकूल सूती वस्त्र पहनाएं जा रहे हैं और भोग में शीतल प्रकृति की चीजें चढ़ाई जा रही हैं. आइए जानते हैं अयोध्या में रामलला को आजकल भोग में क्या चढ़ाया जा रहा है.
भीषण गर्मी में शीतल भोग
अयोध्या में जनवरी के माह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी और उस समय सर्दी का मौसम था. अब मई और जून में अयोध्या में भीषण गर्मी पड़ रही है. यहां तापमान लगातार 42 डिग्री से ऊपर चल रहा है. ऐसे में प्रभु को हर दिन जलाभिषेक के बाद सूती वस्त्र पहनाएं जा रहे हैं. इसके साथ ही सुबह शाम लस्सी का भोग लगाया जा रहा है. भोग में मौसमी और रसीले फल शामल किए जा रहे हैं. पहले प्रभु को खीर पूड़ी का भोग लगाया जाता था.
चल रहा है नौतपा
गर्मी में मौसम में नौ दिन धरती सबसे ज्यादा तपती है और इसे नौतपा कहते हैं. 25 से शुरू हुआ नौतपा 2 जून तक जारी रहेगा. पंचांग के अनुसार सूर्य के रोहिणी नक्षत्र मे प्रवेश करने पर नौतपा शुरू होता है. मान्यता है कि इन नौ दिनों में अगर बारिश नहीं होती है, तो उस वर्ष अच्छी बारिश होती है लेकिन नौतपा के दौरान बारिश होने से अच्छी बारिश नहीं होने के संकेत मिलते हैं.
भक्तों को ओआरएस दिया गया
इतनी गर्मी के बावजूद अयोध्या पहुंचने वाले भक्तों की संख्या में कमी नहीं आई है. श्रद्धालुओं को भीषण गर्मी से बचाने के लिए अयोध्या की पुलिस ओआरएस का घोल, छाछ, सत्तु का शरबत बांट रही है. प्रशासन की ओर से बच्चों और बुजुर्गों को खाली पेट नहीं रहने और अपने साथ पानी रखने की सलाह दी गई है.
शौर्यपथ /संसार में घटने वाली घटनाओं का जिक्र पुराणों में किसी न किसी रूप में किया गया है. विष्णु पुराण में जीवन मृत्यु से लेकर युगों के शुरू और समाप्त होने के बारे में बताया गया है. इस पुराण में प्रकृति और मौसम के संबंध और प्रलय में दुनिया में समाप्त होने के बारे में भी बताया गया है. मौसम संबंधी भीषण बदलाव जैसे अत्यधिक गर्मी, बारिश या ठंड प्रलय का कारण बन सकते हैं. विष्णु पुराण में भीषण गर्मी का भी जिक्र किया गया है. आइए जानते हैं विष्णु पुराण के अनुसार लगातार बढ़ती गर्मी किस बात का संकेत है...
गर्मी के टूटे रिकार्ड
मई में माह में पूरे उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार गर्मी जून माह में भी जारी रहने वाली है. राजस्थान, दिल्ली और मध्यप्रदेश में पारा 45 डिग्री के पार गया है और हीटवेव के अभी जारी रहने की आशंका है. ऐसे में विष्णु पुराण में गर्मी के बढ़ने के बारे में की गई भविष्यवाणी सच होती नजर आ रही है.
देवलोक के चतुर्युग के बाद परिवर्तन
देवलोक और भूलोक के समय का चक्र अलग-अलग है. जहां धरती पर 12 माह का एक वर्ष होता है वहीं देवलोक में एक दिन ही धरती के एक वर्ष के बराबर होता है. धरती के तीन सौ साठ वर्षों के बराबर देवलोक का एक वर्ष होता है. ऐसे 1 हजार दिव्य वर्षों का एक चतुर्युग होता है और चतुर्युग के बाद परिवर्तन आता है. प्रलय जैसी घटनाएं इस परिवर्तन का कारण हो सकती है.
भीषण गर्मी और घोर ठंड प्रलय का संकेत
विष्णु पुराण के अनुसार एक चतुर्युग बीतने के बाद धरती क्षीण होने लगती है और उसकी उर्वरता समाप्त होने लगती है. इससे प्राणी जगत भी निर्जीव होने लगता है. इस समय भीषण गर्मी, बारिण या ठंड प्रलय का कारण बन सकती है. गर्मी बढ़ने पर भगवान विष्णु सूर्य की किरणों में स्थित हो धरती से सारा जल सोख लेते हैं और जिससे जीवन समाप्त हो जाता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है. मान्यता है कि ज्येष्ठ माह में भगवान श्रीराम से हनुमाह जी की मुलाकात हुई थी इसलिए इस माह के मंगलवार को हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है. इस वर्ष बड़ा मंगल 28 मई से शुरू हो चुका है और आने वाले बड़ा मंगल 4 जून, 11 जून और 18 जून को है. बड़ा मंगल को विधि विधान से भगवान हनुमान की पूजा करने से जीव के दुख व परेशानियां समाप्त हो जाती है. मान्यता है कि बड़ा मंगल को हनुमान जी की प्रिय कुछ खास चीजें घर लाने से भगवान हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं बड़ा मंगल का हनुमान जी प्रिय कौन सी चीजें घर लाने से जाग जाता है भाग्य
बड़ा मंगल को घर में जरूर लाएं ये चीजें
सिदूंर
भगवान राम के परम भक्त बजरंगबली को सिंदूर अत्यंत प्रिय है. बड़ा मंगल को घर में सिंदूर लाना शुभ होता है. इस दिन सिंदूर घर लाने से परिवार पर भगवान हनुमान की कृपा बनी रहती है.
गदा
हनुमान जी का प्रिय अस्त्र गदा है और वे हमेया गदा धारण कए रहते हैं. बड़ा मंगल को घर में गदा लाना शुभ होता है. इससे घर में सुख-शांति आती है. गदा को घर के पूर्व दिशा में रखना चाहिए.
केसर
हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए बड़ा मंगल को घर में केसर लाएं। मान्यता है कि सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और हनुमान जी प्रसन्न होते हैं.
छत पर लगाए केसरिया झंडा
बड़ा मंगल पर केसरियां झंडा लाएं और उसे अपन घर के छत पर लगा दें. मान्यता है कि इससे नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश नहीं करती है और बजरंग बली की कृपा से परिवार पर कोई संकट नहीं आता है.
कब कब है बड़ा मंगल
ज्येष्ठ माह के मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है इस वर्ष चार बड़ा मंगल है.
पहला बड़ा मंगल- 28 मई 2024
दूसरा बड़ा मंगल - 4 जून 2024
तीसरा बड़ा मंगल - 11 जून 2024
चौथा बड़ा मंगल - 18 जून 2024
आस्था /शौर्यपथ /सनातन धर्म में मां लक्ष्मी को धन, सुख संपत्ति और ऐश्वर्य की देवी कहा गया है. कहा जाता है कि जिस घर में नियमित तौर पर मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, मां लक्ष्मी वहां सदैव निवास करती हैं. मान्यता है कि मां लक्ष्मी की नियमित आराधना करने पर धन और वैभव की कमी नहीं होती और जातक के परिवार में धन धान्य के भंडार खुले रहते हैं. आप चाहें तो मां लक्ष्मी की पूजा करके धन और वैभव का वरदान पा सकते हैं. इसके लिए मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनकी खास पूजा करनी चाहिए. चलिए आपको बताते हैं मां लक्ष्मी को उनकी कौन सी पसंदीदा चीज अर्पित करके उनकी कृपा पा सकते हैं.
धनिया है मां लक्ष्मी को प्रिय
साबुत धनिया मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय है. ऐसे में आपको मां लक्ष्मी को शुक्रवार के दिन साबुत धनिया अर्पित करना चाहिए, इससे आपके ऊपर मां लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहेगी. मान्यता है कि अगर आप मां लक्ष्मी की पूजा में एक कटोरे में भरकर धनिया रखेंगे तो आपके घर में सुख सुविधाओं की कभी कमी नहीं रहेगी.
मां लक्ष्मी की पूजा में धनिया रखें और पूजा के बाद इस धनिए को घर की तिजोरी में किसी लाल कपड़े में बांधकर रख दीजिए. अगर आपके घर में तिजोरी नहीं है तो आप जहां पैसे रखते हैं, वहां इसे रख दीजिए. कहा जाता है कि इस उपाय को करने के बाद आपको कभी भी धन की कमी नहीं होगी और आपके घर की तिजोरी में हमेशा धन भरा रहेगा. जिन लोगों के सिर पर कर्जा चढ़ा है, उनको भी मां लक्ष्मी को धनिया अर्पित करना चाहिए, जिससे कर्ज जल्दी उतर सकता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हिंदू पंचांग में साल की 24 एकादशियों को सभी तिथियों में श्रेष्ठ माना गया है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखा जाता है. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष के दिन आने वाली एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि अपरा एकादशी जाने-अनजाने किए गए पापों को धोने के साथ-साथ अपार धन और धान्य देती है. मान्यतानुसार इस दिन किया गया व्रत समस्त पापों से मुक्ति दिलाता है और जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है. चलिए जानते हैं कि इस साल अपरा एकादशी कब है और क्या है इस व्रत की पौराणिक कथा.
कब है अपरा एकादशी |
ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी अपरा एकादशी के नाम से जानी जाती है. इस साल अपरा एकादशी 2 जून को पड़ रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 2 जून यानी रविवार को सुबह 5 बजकर 4 मिनट पर आरंभ हो रही है और इसका समापन 3 जून को सुबह 2 बजकर 41 मिनट पर हो जाएगा. उदया तिथि के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत 2 जून को रखा जाएगा.
अपरा एकादशी का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि झूठ, निन्दा, क्रोध, धोखा देने वालों को नर्क में स्थान मिलता है. इसके साथ ही अनजाने में किए गए पाप भी नरक का भागी बनाते हैं. ऐसे में अपरा एकादशी का व्रत करने वाले लोग अनजाने में किए गए पापों से मुक्त हो जाते हैं और स्वर्ग के भागी बनते हैं. मान्यता है कि अपरा एकादशी पर व्रत करने पर गाय, सोना और जमीन का दान करने का पुण्य प्राप्त होता है. जो लोग इस व्रत को करते हैं उन्हें जीवन में सुख-समृद्धि, धन और धान्य से भरपूर घर-परिवार मिलता है.
अपरा एकादशी की व्रत कथा
अपरा एकादशी पर इस कथा को जरूर सुनाया जाता है. पौराणिक काल में एक राजा था जिसका नाम था महीध्वज. यह राजा बहुत ही नेक और न्यायप्रिय था. लेकिन इसका छोटा भाई वज्रध्व पापी, क्रूर,अधर्मी और अन्याय करने वाला था. छोटा भाई राजा से बहुत बैर रखता था. उसने साजिश रखकर राजा की हत्या कर दी और उसके शव को जंगल में एक पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया. अकाल मृत्यु होने के कारण राजा महीध्वज की आत्मा आजाद नहीं हो पाई और वो प्रेत बन गया. प्रेत बना राजा पीपल के नीच काफी उत्पात करता और लोगों को परेशान करता. एक बार धौम्य ऋषि वहां से गुजर रहे थे और उन्होंने पेड़ पर राजा महीध्वज का प्रेत देखा. राजा के प्रेत बनने की कहानी जानकर उन्होंने उसे पीपल के पेड़ से उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया. ऋषि राजा को सलाह दी कि वो अपरा एकादशी का व्रत करें. इससे उसे प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाएगी. राजा ने ऐसा ही किया और उसके पश्चात अपरा एकादशी के व्रत के चलते राजा दिव्य देह धारण करके स्वर्ग का भागी बना.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना लेकर ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री का व्रत रखती हैं. इस बार वट सावित्री का व्रत 6 जून दिन गुरुवार को रखा जाएगा. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा कर देवी सावित्री के पतिव्रता धर्म का स्मरण कर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. आपको बता दें कि वट वृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं, इस बार यह महत्वपूर्ण व्रत किस तिथि , मुहूर्त में रखा जाएगा.
वट सावित्री व्रत की तिथि -
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 5 जून की शाम 7 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और 6 जून की शाम 6 बजकर 7 मिनट तक रहेगी. उदय तिथि के अनुसार वट सावित्री व्रत 6 जून को रखा जाएगा. इस बार वट सावित्री व्रत के तीन मुहूर्त खास बताए गए हैं.
पूजन मुहूर्त : गुली काल : सुबह 8.24 बजे से 10.06 बजे तक
अभिजीत मुर्हूत : सुबह 11.21 बजे से दोपहर 12.16 बजे तक
चर लाभ अमृत मुर्हूत : सुबह 10.06 बजे से दोपहर 3.13 बजे तक
वट वृक्ष की पूजा -
पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सावित्री ने पति को संकट से उबारने के लिए ने घोर तप किया जिससे प्रसन्न होकर यमराज ने पति सत्यवान के प्राण वट वृक्ष के नीचे ही लौटाए थे और वरदान भी दिया था कि जो सुहागिन वट वृक्ष की पूजा करेंगी उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद मिलेगा.
कैसे करें वट वृक्ष की पूजा -
वट सावित्री व्रत में सुहागिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेती हैं. महिलाएं सोलह शृंगार कर दो टोकरी में पूजा का समान लेकर वट वृक्ष के नीचे बैठकर वट सावित्री की कथा सुनती हैं और वट वृक्ष को जल से सींचती हैं. इसके बाद वट वृक्ष को रोली,चंदन का टीका लगाती हैं और हाथ में कच्चा सूत लेकर वृक्ष में लपेटते हुए परिक्रमा करके पूजा संपन्न करती हैं.
लाइफस्टाइल /शौर्यपथ / क्या शादी के कुछ समय बाद आपकी लाइफ में भी बोरियत महसूस होने लगी है या पार्टनर के साथ आपका बॉन्ड उतना स्ट्रांग नहीं रहा, तो हो सकता है कि आपकी लाइफ में स्पार्क की कमी हो. इस स्पार्क को और पार्टनर के साथ रिलेशनशिप को बेहतर करने के लिए आप यह दो योगासन कर सकते हैं. यह योगासन न सिर्फ हेल्थ के लिए फायदेमंद है, बल्कि आपके पार्टनर के साथ आपके बॉन्ड को भी स्ट्रांग कर सकते हैं. तो चलिए लाइफ में रोमांस की वापसी के लिए और खुशहाल मैरिड लाइफ के लिए आज से आप भी यह दो योगासन अपनी रूटीन में शामिल करें.
बद्ध कोणासन करें ट्राई
अपने पार्टनर के साथ रिलेशनशिप को स्ट्रांग करने के लिए आप बद्ध कोणासन ट्राई कर सकती हैं. यह मसल्स को रिलैक्स करने के साथ ही दिमाग को भी शांत करता है, इसे तितली आसन के नाम से भी जाना जाता है. महिलाओं के लिए खासकर ये आसान बहुत फायदेमंद होता है. इसे करने के लिए सबसे पहले एक योगा मैट पर तलवों को एक साथ जोड़कर बैठे, अब अपने पैर से ऐसा पोज बनाएं जैसे तितली उड़ रही है. इससे पेल्विक एरिया स्ट्रांग होता है और खिंचाव पैदा होता है, इस दौरान धीरे-धीरे सांस अंदर लें और फिर बाहर छोड़ते जाएं.
भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम भी आपकी मैरिड लाइफ को बेहतर बना सकता है. जी हां, एक्सपर्ट्स का मानना है कि जो कपल प्रेगनेंसी प्लान कर रहे हैं उन्हें भ्रामरी प्राणायाम जरूर करना चाहिए. खासकर इससे महिलाओं में फर्टिलिटी हार्मोन बूस्ट होते हैं और इनफर्टिलिटी की समस्या भी कम होती है. इस आसन को करने के लिए जमीन पर सीधे बैठकर आंखों को बंद करें, अंगूठे से दोनों कानों को बंद करें, दोनों हाथों की पहली उंगली को आइब्रो के ऊपर रखें और बाकी तीन उंगलियां को आंखों पर रखें. मुंह को बंद रखें और नाक से सामान्य गति से सांस लेते हुए मधुमक्खी की तरह गुंजन करें.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /प्रदूषण, बढ़ती उम्र, तेज धूप और कई अन्य कारणों से स्किन खराब होने लगती है. इनके कारण डार्क स्पॉट्स, एक्ने, रैशेज की समस्या होने लगती है. ऐसे में स्किन केयर के लिए फेशियल बहुत कारगर उपाय है. फेशियल के लिए आइस क्यूब का भी यूज किया जा सकता है. बर्फ के पानी में चेहरे को थोड़ी देर के लिए डुबोना या 2-4 बर्फ के टुकड़ों को किसी कॉटन के कपड़े में लपेटकर चेहरे पर मसाज करना आइस फेशियल कहलाता है. यह स्किन की पफीनेस को कम करने और ब्लड सर्कुलेशन का बेहतर करता है. आइए जानते हैं ऐसे आइए फेशियल जिससे घर बैठे ही चेहरे को ग्लोइंग बनाने में मिल सकती है मदद….
नीम आइस फेशियल
नीम की पत्तियों के पानी में उबालें और पानी छान लें. इस पानी में ऐलोवेरा जेल मिलाकर आइस क्यूब के रूप में जमा लें. इन आइस क्यूब की मदद से फेस क्लीन करने के बाद पांच मिनट तक फेशियल करें.
राइस आइस फेशियल
चावल को धोकर उसका पानी छाल लें अब उसमें गुलाब जल मिलाकर आइस जमा लें. नहाने के बाद इस आइस की मदद से चेहरे पर फेशियल करें.
टैमटो आइस फेशियल
टमाटर में मौजूद विटामन सी कोलेजन बढ़ाने में मददगार होता है. टमाटर के रस को आइस ट्रे में जमा लें और इससे चेहरे पर फेशियल करें.
लेमन आइस फेशियल
खीरे, आलू और नींबू के रस को मिलाकर आइस ट्रे में जमा लें. इस आइस क्यूब से वीक में एक बार फेशियल करें. इससे चेहरे की रंगत में सुधार आ जाएगा.
रोज वाटर फेशियल
गुलाब की पत्तियों का उबाल कर छान लें. इस पानी में को आइस ट्रे में जमा लें. सोने से पहले इस आइस से फेशियल करें. यह स्किन पर तुरंत ग्लो लाने वाला फेशियल है.
मिंट आइस फेशियल
अगर पिंपल से परेशान हैं तो मिंट आइस फेशियल फायदेमंद होगा. इसके लिए पुदीने की पत्तियों बो उबालकर छान लें और इस पानी को आइस ट्रे में जमा लें. हर दिन नहाने से पहले इस आइस क्यूब से फेशियल करें.
कोकोनट आइस फेशियल
स्किन को अंदर तक मॉश्चराइज करने के लिए कोकोनट आइस फेशियल करना चाहिए. इसके लिए नारियल पानी को आइस ट्रे में जमाकर यूज करें.
सेहत /शौर्यपथ /अक्सर ही बढ़ते वजन से परेशान लोग वेट लॉस करने की कोशिश में लगे रहते हैं. वजन कम करने के लिए एक्सरसाइज या वर्कआउट के अलावा खानपान पर ध्यान देना बेहद जरूरी है. वजन घटाने के लिए जरूरी नहीं है कि अपनी पूरी ही डाइट को बदल दिया जाए, लेकिन खानपान में छोटे-मोटे बदलाव करके भी बड़े फायदे पाए जा सकते हैं. ऐसे ही कुछ फूड्स का जिक्र यहां किया जा रहा है. खानपान की ये चीजें फाइबर से भरपूर होती हैं. फाइबर पाचन को दुरुस्त रखता है और फाइबर के सेवन से वजन कम होने में असर दिखने लगता है. फाइबर से पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस करता है और इससे एक्सेस फूड इंटेक भी कम होता है. फाइबर ग्लूकोज के कंस्पशन पर भी असर डालता है. ऐसे में यहां जानिए फाइबर से भरपूर कौनसे फूड्स हैं जिन्हें आप अपनी रोजमर्रा की डाइट का हिस्सा बनाकर वजन घटा सकते हैं और फिट रह सकते हैं.
वजन घटाने के लिए फाइबर से भरपूर फूड्स |
पालक - विटामिन ए, सी, के, फोलेट, मेंग्नीज, मैग्नीशियम, आयरन और फाइबर से भरपूर पालक वजन घटाने में असरदार होता है. इसे सब्जी, साग, सलाद, स्मूदी और सूप में डालकर खाया जा सकता है. पालक से सेहत के लिए फायदेमंद ग्रीन जूस बनाकर भी पिया जा सकता है.
राजमा - लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला राजमा हाई कार्ब और फाइबर से भरपूर फूड की गिनती में आता है. राजमा खाने पर शरीर को मैग्नीशियम, कैल्शियम और पौटेशियम की भी अच्छी मात्रा पाई जाती है. हालांकि, अगर आप राजमा चावल खा रहे हैं तो इसकी मात्रा का खास ख्याल रखें.
ओट्स - सोल्यूबल फाइबर से भरपूर ओट्स को अक्सर ही वेट लॉस डाइट का हिस्सा बनाया जाता है. इससे ना सिर्फ वजन घटाने में मदद मिलती है बल्कि ब्लड शुगर लेवल्स कंट्रोल में रहते हैं कॉलेस्ट्रोल लेवल्स कम होने में असर दिखता है सो अलग.
ब्रोकोली - हरी सब्जियों में ब्रोकोली फाइबर से भरपूर होती है. इसमें विटामिन सी, विटामिन के और विटामिन बी के साथ-साथ एंटी-ऑक्सीडेंट्स की भी अच्छी मात्रा पाई जाती है. एक कप ब्रोकोली में तकरीबन 5 ग्राम तक फाइबर होता है जो हेल्दी बैक्टीरियो को बढ़ाने में असरदार होता है.
गाजर - बीटा कैरोटीन से भरपूर गाजर फाइबर के भी कमाल के स्त्रोत होते हैं. गाजर को अलग-अलग तरह से खाया जा सकता है. इसे सलाद बनाकर खा सकते हैं या फिर गाजर की सब्जी, सूप या स्मूदी वगैरह बनाई जा सकती है.
सेब - फाइबर से भरपूर फलों में सेब को गिना जाता है. सेब में सोल्यूबल फाइबर पेक्टिन होता है जो सेहत को दुरुस्त रखता है. रोजाना सेब खाया जाए तो वजन घटाने में तो मदद मिलती ही है, साथ ही इससे बैड कॉलेस्ट्रोल लेवल्स भी कम होने लगते हैं. सेब को मिड मील या शाम के नाश्ते में खाया जा सकता है.
बादाम - बादाम एक ऐसा सुपरफूड है जिसमें हेल्दी फैट्स, फाइबर और विटामिन ई की अच्छी मात्रा होती है. बादाम को स्नैक्स की तरह खाया जा सकता है. हालांकि, बादाम की मात्रा पर खासा ध्यान देना ज्यादा जरूरी है. एक बार में जरूरत से ज्यादा बादाम खाना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है.
आस्था /शौर्यपथ /सनातन धर्म में श्रीहरि के नाम से पहचाने जाने वाले भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार कहे गए हैं. हिंदू धर्म में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है. मान्यता है कि भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना करने पर घर में सुख शांति और समृद्धि का वास होता है. साल में आने वाली एकादशी तिथि पर भी भगवान विष्णु की पूजा के साथ साथ व्रत किया जाता है. भगवान विष्णु की पूजा के लिए सप्ताह में गुरुवार यानी बृहस्पतिवार का दिन विशेष होता है. भगवान विष्णु की विधिवत पूजा के बाद उनकी आरती करने के पश्चात ही पूजा पूरी मानी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु की पूजा के उपरांत कौन सी आरती करनी जरूरी मानी जाती है. चलिए यहां जानते हैं.
भगवान विष्णु की पूजा के दौरान करें ये काम
कहा जाता है कि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ साथ व्रत करना चाहिए. पूजा के दौरान भगवान विष्णु को उनका पसंदीदा भोग जरूर लगाना चाहिए और उसके उपरांत आरती करनी चाहिए. तभी पूजा पूर्ण और सफल मानी जाती है. पूजा सफल होने पर भगवान विष्णु जातक को भाग्यशाली होने का आशीर्वाद देते हैं और इससे घर परिवार में धन संपत्ति का आगमन होता है.भगवान विष्णु को पूजा के दौरान पंचामृत का भोग जरूर लगाना चाहिए. उनको पूजा के दौरान तुलसी दल जरूर अर्पित करना चाहिए. इससे भगवान बेहद प्रसन्न हो जाते हैं और जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.कहा जाता है कि बिना तुलसी दल के भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है और भगवान ऐसी पूजा स्वीकार नहीं करते हैं.
भगवान विष्णु की आरती
अगर आप भी भगवान विष्णु के लिए हर गुरुवार व्रत और पूजा करते हैं तो आपको उनकी आरती जरूर करनी चाहिए. भगवान विष्णु की आरती इस प्रकार है- ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ मास का काफी महत्व माना गया है. इसी मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन गंगा दशहरा का महापर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा. हिन्दू धर्म में गंगा नदी का पूजन-अर्चन देवी के रूप में किया जाता है. गंगा दशहरा के दिन लोग गंगा नदी में स्नान करके पूजा-अर्चना करते हैं. पंचांग के अनुसार इस बार गंगा दशहरा पर दशमी तिथि कब से शुरू होकर कब समाप्त होगी आइए जानते हैं.
गंगा दशहरा की तिथि और पूजा-विधि
पंचांग के अनुसार, इस साल गंगा दशहरा पर ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 16 जून को रात्रि 02 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगी, जिसका समापन 17 जून को सुबह 04 बजकर 40 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार गंगा दशहरा का महापर्व 16 जून, रविवार को मनाया जाएगा. बता दें कि गंगा दशहरा के इस दिन पर हस्त नक्षत्र सुबह 11 बजकर 13 मिनट तक ही रहेगा. इसके बाद चित्रा नक्षत्र की शुरुआत हो जाएगी.
शुभ संयोग
इस साल पंचांग के अनुसार गंगा दशहरा पर ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर कई शुभ योग बन रहे हैं. इस खास दिन पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहा है. इस योग को पूजा-अर्चना के लिए सबसे उत्तम माना जा रहा है. इन योगों में पूजन-अर्चन व दान करना काफी शुभ फल देने वाला माना जाता है.
पूजन विधि
गंगा दशहरा पर विधि-विधान से पूजन-अर्चन करना आपके लिए मंगलकारी हो सकता है. इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर गंगा में स्नान करें. अगर आपके लिए गंगा जी में स्नान करना संभव न हो तो आप नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं. इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की चौकी लगाएं और उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां गंगा व भगवान शिव का फल, फूल, धूप-दीप आदि से विधि-विधान के साथ पूजन और आरती करें. गंगा दशहरा के दिन गंगा स्रोत का पाठ करना भी आपके लिए मंगलकारी होगा.
