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रायपुर / SHOURYAPATH NEWS /
जो विपत्ति के समय में मदद करता है, वही जीवन का सच्चा साथी होता है। आज यह कहावत राज्य के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के लिए चरितार्थ साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर किसानों के लिए राज्य की महत्वाकांक्षी योजना ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना‘ शुरू की गई है। वह निश्चित ही आज अपने उद्देश्य की ओर बढ़ रहा है। इस विषम परिस्थिति मंे धान के अंतरिम राशि का मिलना किसानों को एक बड़ी राहत प्रदान कर रहा है।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत बलौदाबाजार जिले के अंतर्गत ग्राम गैतरा के किसान श्री दिलेश्वर वर्मा को पहली किश्त की राशि 16 हजार 6 सौ 86 रूपए मिलने पर उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रति आभार जताया है। श्री वर्मा ने बताया कि वर्ष 2019-20 में धान उपार्जन केन्द्र में 90 क्विंटल धान बेचा था और ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना‘ के तहत् लगभग 63 हजार रूपए की सहायता राशि चार किश्तों में मिलेगी।
उन्होंने बताया कि प्रथम किश्त की अंतरिम राशि बैंक खाते में आ जाने से उन्हें आगामी खरीफ सीजन में खेती-किसानी की तैयारी करने में बड़ी मद्दगार साबित होगी और खाद-बीज आदि की व्यवस्था करने में अब आसानी होगी और इस राशि से ट्रैक्टर मालिक और कृषि केन्द्र की बकाया राशि को चुकाउंगा। इस आगामी फसल के दौरान अपने खेतों के मेड़ांे में अरहर लगा कर अतिरिक्त आय अर्जित करूंगा। श्री वर्मा ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य शासन ने किसानों की समस्याओं को समझा और लॉकडाउन की इस संकट की घड़ी में ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना‘ ने एक सच्चे साथी की महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
राज्य सरकार द्वारा 39 ट्रेनों के लिए रेल मण्डलों को 3.74 करोड़ रूपए भुगतान
रायपुर / SHOURYAPATH NEWS /
नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों तथा अन्य लोगों को मुख्यमंत्री बघेल की पहल पर वापस लाने का सिलसिला लगातार जारी है। अब तक 53 ट्रेनों के माध्यम से लगभग 71 हजार 712 श्रमिकों को एवं 453 अन्य यात्रियों को वापस लाया गया है। राज्य सरकार द्वारा अन्य प्रदेशों से श्रमिकों की सुरक्षित वापसी के लिए कुल 59 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की सहमति दी गई है, इनमें से 39 श्रमिक स्पेशल ट्रेन के लिए 3 करोड़ 74 लाख 31 हजार 330 रूपए की राशि रेल मण्डलों को भुगतान की गई है।
श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने बताया कि भवन एवं अन्य सन्ननिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा प्रवासी श्रमिकों को छत्तीसगढ़ वापस लाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन के लिए विभिन्न रेल मण्डलों को श्रमिकों के यात्रा व्यय के लिए आवश्यक राशि का भुगतान किया जा रहा है। डॉ. डहरिया ने बताया कि लॉकडाउन के कारण श्रमिक जो छत्तीसगढ़ राज्य की सीमाओं पर पहुंच रहे है एवं राज्य से होकर गुजरने वाले सभी श्रमिकों के लिए भोजन, पेयजल, स्वास्थ्य परीक्षण, चरण पादुका वितरण एवं परिवहन की निःशुल्क व्यवस्था से श्रमिकों कोे काफी राहत मिली है। छत्तीसगढ़ की सीमाओं पर पहुंचने वाले प्रवासी श्रमिकों को, चाहे वो किसी भी राज्य के हो, उन्हें छत्तीसगढ़ का मेहमान मान कर शासन-प्रशासन के लोग उनकी हरसंभव मदद कर रहे है।
उन्होंने बताया कि श्रम विभाग के अधिकारियों का दल गठित कर विभिन्न औद्योगिक संस्थाओं, नियोजकों एवं प्रबंधकों से समन्वय कर श्रमिकों के लिए राशन एवं नगद आदि की व्यवस्था भी की जा रही है। प्रदेश के 26 हजार 205 श्रमिकों को 38 करोड़ 26 लाख रूपए बकाया वेतन का भुगतान भी कराया गया है। वहीं लॉकडाउन के द्वितीय चरण में 21 अप्रैल से शासन द्वारा छूट प्रदत्त गतिविधियों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में लगभग 1 लाख 4 हजार श्रमिकों को पुनः रोजगार उपलब्ध कराया गया है और छोटे-बड़े 1390 से अधिक कारखानों में पुनः कार्य प्रारंभ हो गया है।
मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को सी.एस.आई.डी.सी. से जल्द ‘रेट कांट्रेक्ट‘ निर्धारित करने के दिए निर्देश
रायपुर / shouryapath news /
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के लघु उद्योगों में उत्पादित सामग्रियों के विपणन को प्रोत्साहन देने के लिए सभी विभागों को सी.एस.आई.डी.सी. के माध्यम से जल्द से जल्द रेट कांट्रेक्ट निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने विभागों द्वारा क्रय की जाने वाली सामग्रियों की सूची उद्योग विभाग-सी.एस.आई.डी.सी. को तत्काल उपलब्ध कराने तथा सी.एस.आई.डी.सी. को शीघ्र अतिशीघ्र समस्त वस्तुओं की दरें निर्धारित करने की कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा पूर्व में राज्य के लघु उद्योगों द्वारा उत्पादित सामग्रियों के लिए सी.एस.आई.डी.सी. के माध्यम से ‘रेट कांट्रेक्ट‘ निर्धारित करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अभी भी अनेक विभागों द्वारा नियमित रूप से क्रय की जाने वाली विभिन्न सामग्रियों का ‘रेट कांट्रेक्ट‘ निर्धारित नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जिन वस्तुओं का राज्य में निर्माण नहीं होता है तथा विभागों द्वारा उनका नियमित क्रय किया जाता है, उन सभी वस्तुओं की आपूर्ति राज्य में निर्माता कंपनियों के अधिकृत वितरकों के माध्यम से ही की जाए, जिससे राज्य में व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिले और राज्य को जी.एस.टी. की क्षति भी नहीं हो।
दुर्ग । शौर्यपथ । छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय अंतर्गत संचालित पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय अंजोरा, दुर्ग की पीएच.डी. अध्ययनरत् छात्रा रश्मि एस. कश्यप को मिनिस्ट्री ऑफ ट्रायबल, भारत सरकार की तरफ से नेशनल फैलोशिप (कैटेगरी-एस.टी.) के लिए चयन किया गया है। डाॅ. रश्मि एस. कश्यप महाविद्यालय के मेडिसीन विभाग में पी.एच.डी. प्रथम वर्ष की छात्रा है। प्रदेश से डाॅ.रश्मि एकमात्र छात्रा है जिनका चयन इस राष्ट्रीय स्तर के स्काॅलरशिप के लिए हुआ है। वे पशु औषधि के क्षेत्र में शोध करेंगी जिससे प्रदेश के दुरांचल में स्थित किसान एवं पशुपालक लाभान्वित होंगे। केन्द्र शासन द्वारा प्रतिभाशाली छात्राओं का राष्ट्रीय स्तर पर चयन किया जाता है जिससे आदिवासी छात्रों को उच्च शिक्षा हेतु प्रेरित किया जा सके। विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ.एन.पी.दक्षिणकर, अधिष्ठाता डाॅ.एस.के.तिवारी एवं कुलसचिव डाॅ.पी.के.मरकाम ने डाॅ.रश्मि का अभिनंदन किया है एवं उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाऐं दी।
सेहत / शौर्यपथ / पुदीना एक ऐसा पौधा है, जिसका उपयोग भारतीय रसोईघरों में मुख्य रूप से चटनी के रूप में किया जाता है। इसकी अनेक खूबियां हैं। यह भोजन को पचाने में तो कारगर है ही, पेट में होने वाले काफी रोगों के उपचार में भी उपयोगी साबित होता है। इसके अधिकतम लाभ के लिए कब, कैसे और कितने पुदीने का इस्तेमाल करना चाहिए, बता रही हैं प्राची गुप्ता
पुदीने में मेंथोल, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-ए, रिबोफ्लेविन, कॉपर, आयरन आदि पाये जाते हैं। पुदीना के पत्तों का सेवन कर उल्टी को रोका जा सकता है और पेट की गैस को दूर किया जा सकता है। यह जमे हुए कफ को बाहर निकालता है। इसकी तासीर गर्म होने के कारण यह शरीर से पसीना निकालकर बुखार को दूर करता है। इसमें शरीर में किसी कीड़े के काटे जाने पर उसके जहर को नष्ट करने का भी गुण होता है।
बड़े काम की है पुदीने की चटनी
पुदीने की चटनी बड़े काम की होती है। पुदीने के साथ अनारदाना, हरा कच्चा टमाटर, नीबू, अदरक, हरी मिर्च, सेंधा नामक, काली मिर्च, अजवाइन को मिलाकर इसकी चटनी बनाई जाती है। इसका सेवन पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है।
पेट के रोगों को करे दूर
पेट से जुड़ी सभी तरह की समस्या को दूर करने के लिए पुदीने को सबसे अच्छा माना गया है। आजकल खान-पान की वजह से पेट में तरह-तरह की तकलीफें हो जाती हैं। एक चम्मच पुदीने के रस में एक कप गुनगुना पानी और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से पेट के रोगों में आराम मिलता है। जंक फूड खाने या मसालेदार खाना खाने से बदहजमी हो जाती है और पेट में दर्द होने लगता है। पुदीने को उबालकर इसमें शहद मिलाकर सेवन करने से पेट की समस्या दूर होती है।
उल्टी से राहत दिलाए
उल्टी रोकने के लिए पुदीना का सेवन लाभकारी साबित होता है। इसके लिए पुदीने के पत्तों में दो बूंद शहद मिलाकर पीना चाहिए।
’पुदीने के पत्तों की लुग्दी बनाकर इसे हल्का गर्म करके किसी भी तरह के जख्म या किसी कीड़े के काटने वाले स्थान पर रखने से जख्म व कीड़े का काटा ठीक होता है, साथ ही उसका दर्द और सूजन भी ठीक हो जाती है।
’पुदीने का रस काली मिर्च और काले नमक के साथ चाय की तरह उबालकर पीने से जुकाम, खांसी और बुखार में राहत मिलती है। सिर दर्द में ताजी पत्तियों का लेप माथे पर लगाने से आराम
मिलता है।
’हैजा रोग से पीड़ित व्यक्ति को पुदीना के रस के साथ प्याज के रस में नीबू और सेंधा नमक मिलाकर सेवन करना चाहिए, लाभ होता है।
’पुदीने की पत्ती और तुलसी की पत्ती के रस में दो बूंद शहद मिलाकर पीने से लगातार आ रही हिचकियां तुरंत बंद हो जाती हैं।
’पुदीने की पत्तियों को सुखाकर बनाए गए चूर्ण को मंजन की तरह प्रयोग करने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है और मसूढ़े मजबूत होते हैं।
’पुदीने के रस को नमक के पानी के साथ मिलाकर कुल्ला करने से गले का भारीपन दूर होता है और आवाज साफ होती है।
’प्यास अधिक लगने पर नीबू का शर्बत बनाकर इसमें पुदीने के पत्तों का रस मिलाकर पीने से प्यास बार-बार नहीं लगती, शरीर में पानी की कमी भी नहीं
हो पाती।
बरतें सावधानी
पुदीने के पत्तों का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसका अधिक सेवन गुर्दे और आंतों के लिए नुकसानदेह साबित होता है। अगर इसका अधिक सेवन किया गया है, तो उसे ठीक करने के लिए मुलेठी का सत्व और गोंद कतीरा मिलाकर सेवन करना चाहिए।
सेहत / शौर्यपथ / पुदीना एक ऐसा पौधा है, जिसका उपयोग भारतीय रसोईघरों में मुख्य रूप से चटनी के रूप में किया जाता है। इसकी अनेक खूबियां हैं। यह भोजन को पचाने में तो कारगर है ही, पेट में होने वाले काफी रोगों के उपचार में भी उपयोगी साबित होता है। इसके अधिकतम लाभ के लिए कब, कैसे और कितने पुदीने का इस्तेमाल करना चाहिए, बता रही हैं प्राची गुप्ता
पुदीने में मेंथोल, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-ए, रिबोफ्लेविन, कॉपर, आयरन आदि पाये जाते हैं। पुदीना के पत्तों का सेवन कर उल्टी को रोका जा सकता है और पेट की गैस को दूर किया जा सकता है। यह जमे हुए कफ को बाहर निकालता है। इसकी तासीर गर्म होने के कारण यह शरीर से पसीना निकालकर बुखार को दूर करता है। इसमें शरीर में किसी कीड़े के काटे जाने पर उसके जहर को नष्ट करने का भी गुण होता है।
बड़े काम की है पुदीने की चटनी
पुदीने की चटनी बड़े काम की होती है। पुदीने के साथ अनारदाना, हरा कच्चा टमाटर, नीबू, अदरक, हरी मिर्च, सेंधा नामक, काली मिर्च, अजवाइन को मिलाकर इसकी चटनी बनाई जाती है। इसका सेवन पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है।
पेट के रोगों को करे दूर
पेट से जुड़ी सभी तरह की समस्या को दूर करने के लिए पुदीने को सबसे अच्छा माना गया है। आजकल खान-पान की वजह से पेट में तरह-तरह की तकलीफें हो जाती हैं। एक चम्मच पुदीने के रस में एक कप गुनगुना पानी और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से पेट के रोगों में आराम मिलता है। जंक फूड खाने या मसालेदार खाना खाने से बदहजमी हो जाती है और पेट में दर्द होने लगता है। पुदीने को उबालकर इसमें शहद मिलाकर सेवन करने से पेट की समस्या दूर होती है।
उल्टी से राहत दिलाए
उल्टी रोकने के लिए पुदीना का सेवन लाभकारी साबित होता है। इसके लिए पुदीने के पत्तों में दो बूंद शहद मिलाकर पीना चाहिए।
’पुदीने के पत्तों की लुग्दी बनाकर इसे हल्का गर्म करके किसी भी तरह के जख्म या किसी कीड़े के काटने वाले स्थान पर रखने से जख्म व कीड़े का काटा ठीक होता है, साथ ही उसका दर्द और सूजन भी ठीक हो जाती है।
’पुदीने का रस काली मिर्च और काले नमक के साथ चाय की तरह उबालकर पीने से जुकाम, खांसी और बुखार में राहत मिलती है। सिर दर्द में ताजी पत्तियों का लेप माथे पर लगाने से आराम
मिलता है।
’हैजा रोग से पीड़ित व्यक्ति को पुदीना के रस के साथ प्याज के रस में नीबू और सेंधा नमक मिलाकर सेवन करना चाहिए, लाभ होता है।
’पुदीने की पत्ती और तुलसी की पत्ती के रस में दो बूंद शहद मिलाकर पीने से लगातार आ रही हिचकियां तुरंत बंद हो जाती हैं।
’पुदीने की पत्तियों को सुखाकर बनाए गए चूर्ण को मंजन की तरह प्रयोग करने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है और मसूढ़े मजबूत होते हैं।
’पुदीने के रस को नमक के पानी के साथ मिलाकर कुल्ला करने से गले का भारीपन दूर होता है और आवाज साफ होती है।
’प्यास अधिक लगने पर नीबू का शर्बत बनाकर इसमें पुदीने के पत्तों का रस मिलाकर पीने से प्यास बार-बार नहीं लगती, शरीर में पानी की कमी भी नहीं
हो पाती।
बरतें सावधानी
पुदीने के पत्तों का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसका अधिक सेवन गुर्दे और आंतों के लिए नुकसानदेह साबित होता है। अगर इसका अधिक सेवन किया गया है, तो उसे ठीक करने के लिए मुलेठी का सत्व और गोंद कतीरा मिलाकर सेवन करना चाहिए।
सेहत / शौर्यपथ / भारत में लगातार कोरोना वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में विशेषज्ञों द्वारा सलाह दी जा रही है कि कोरोना वायरस से लड़ने में हमारी इम्यूनिटी यानी बीमारियों से लड़ने की ताकत मजबूत होगी, तभी इस वायरस से बच पाएंगे। गौर करने वाली बात यह है कि घर में रखी हुई कई चीजों में विटामिन 'सी' पाया जाता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सक्षम होता है। वैसे भी खट्टी चीजों में भरपूर विटामिन 'सी' होता है और घर में रखी खट्टी-मीठी इमली तो सभी को पसंद है। इमली कई गुणों से भरपूर भी होती है।
डॉ. लक्ष्मीदत्ता शुक्ला के अनुसार, इसमे विटामिन 'सी' के अलावा विटामिन ए, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, पोटेशियम, मैंग्नीज और फायबर जैसे कई तत्व मौजूद होते हैं, जो शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। अक्सर बड़े बुजुर्ग भी इमली खाने की सलाह देते हैं। तो आइए जानते हैं इमली खाने के क्या-क्या फायदे होते हैं -
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है इमली
इमली में विटामिन 'सी' के अलावा यह एंटीऑक्सिडेंट तत्वों से भरपूर होती है। इमली प्रतिरक्षा प्रणाली को तो मजबूत बनाती ही है, साथ ही यह किसी भी प्रकार के संक्रमण को विकसित होने से रोकती है। एंटीसेप्टिक गुण घाव को जल्द ठीक करते हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली इमली काफी मददगार साबित हो सकती है।
किडनी और लिवर के लिए फायदेमंद
इमली में मौजूद पॉलीफेनोल्स में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण लिवर के लिए फायदेमंद होते हैं। इमली के बीज का अर्क पीने से लिवर की बीमारियां ठीक होती हैं। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण लिवर खराब होने से बचाते हैं। इसके सेवन से वजन भी कम होता है।
सर्दी जुकाम की समस्या से छुटकारा
इमली में थियामिन और राइबोफ्लेविन तत्व पाया जाता है, जो सर्दी-जुकाम को ठीक करने में मदद करता है। इसके लिए एक बर्तन में एक गिलास पानी उबालें और ताजी कटी हुई आधा कप इमली की पत्तियां डालें, अब यदि चाहें तो स्वाद के लिए थोड़ा सा नींबू, थोड़ा शहद और इलाइची भी डाल सकते हैं। इस मिश्रण को पीने से खांसी, जुकाम और गले की समस्या ठीक हो जाती है। डॉ. अजय मोहन के अनुसार, सर्दी, जुकाम और खांसी ही कोरोना वायरस के प्रमुख लक्षण हैं।
दिल के रोगियों के लिए फायदेमंद
इमली के एंटीऑक्सीडेंट गुण दिल के लिए फायदेमंद होते हैं। इमली में मौजूद फ्लेवोनोइड जैसे पॉलीफेनोल्स गुण दिल को सभी बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। इसके नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी नियंत्रित होता है। इमली में कुछ ऐसे यौगिक तत्व होते हैं, जो दिल की कोशिकाओं को मजबूत बनाते हैं।
आंखों के लिए भी गुणकारी है इमली
इमली में विटामिन 'ए' भी काफी मात्रा में पाया जाता है, जो आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। विटामिन ए का अधिक सेवन करने से आंखों का कार्निया सुरक्षित रहता है। इसके अलावा यह मैक्यूलर डिजनरेशन के विकास के जोखिम को भी कम करने में सहायक होता है। इमली के रस में पाए जाने वाले कई पोषक तत्व आंखों में होने वाले संक्रमण से बचाने में भी मदद करते हैं।
पाचन की मजबूती में सहायक
इमली में फाइबर भी भरपूर होता है, जिससे पाचन तंत्र ठीक होता है। यदि रोज एक इमली का सेवन किया जाए तो पाचन तंत्र मजबूत होगा और पेट की छोटी व बड़ी दोनों आंतें साफ रहेंगी। साथ ही इससे कब्ज, अपच, गैस, एसिडिटी जैसी पेट से संबंधित बीमारियां भी नहीं होगी।
सेहत / शौर्यपथ / वर्कआउट रूटीन में शरीर के बड़े मांसपेशी समूहों के लिए कई व्यायाम हैं। पर छोटी मांसपेशियां जैसे कि पैरों से जुड़े व्यायामों की अक्सर अनदेखी हो जाती है। हम तलवे की सेहत के बारे में तब तक गंभीरता से नहीं सोचते, जब तक इसमें दर्द न होने लगे। ये तीन व्यायाम करके आप पैर के तलवे के वक्रभाग को मजबूत बना सकते हैं और लिगमंट में सुधार ला सकते हैं।
गोल्फ बाल रोल
यह व्यायाम करने के लिए कुर्सी पर सीधे बैठ जाएं। फर्श पर गोल्फ गेंद रखें और तलवे का मध्यभाग उस गेंद पर रख दें। अब दो मिनट तक गेंद के ऊपर तलवे को चारों ओर घुमाएं। तलवे को इस तरह घुमाना है कि गेंद से उसकी मसाज होती रहे। इस दौरान सांस की गति सामान्य रखें। इसी व्यायाम को दूसरे पैर से भी दोहराएं।
लाभ: तलवे के लिगमंट में ताकत और खिंचाव लाने के लिए इस व्यायाम को रोज किया जा सकता है। इससे तलवे के वक्र भाग के दर्द में राहत मिलती है। हर दिन इसे करना लाभकारी होगा।
टिप-टो वॉक
उंगली और अंगूठे के बल चलने से तलवा मजबूत होता है और सपाट तलबे का असर भी कम करता है। पहली बार यह व्यायाम करने वाले लोग तीस से साठ सेकंड तक पंजे की उंगलियों के बल खड़े होने की कोशिश करें। फिर धीरे-धीरे आगे, पीछे और साइड में चलने की कोशिश करें। धीरे-धीरे उंगलियों और अंगूठे से चलने की क्षमता बढ़ाएं। जब तक आपके पैरों की ताकत नहीं बढ़ जाती, तब तक वर्कआउट के बीच एक दिन का अंतर रखें।
लाभ: पैर की उंगलियों, टखनों, घुटनों और जांघों के लचीलेपन में सुधार लाता है और मसल को मजबूत करता है।
रेंज ऑफ मोशन
जोर देकर अपने पैर और टखने को गति में घुमाने से तलवे मजबूत बनते हैं। यह व्यायाम करने के लिए अपने पैरों को लटकाकर ऊंची कुर्सी पर बैठ जाएं। अपने पैर की उंगलियों को नीचे की ओर इंगित करें और इस तरह घुमाएं कि आप अंग्रेजी वर्णमाला का हर अक्षर उनसे बना रहे हों। यह व्यायाम तेजी से करना है पर ध्यान रहे कि पैर लयबद्ध हो ताकि मांसपेशियों में अनावश्यक खिंचाव न आए। प्रत्येक पैर के साथ वर्णमाला के दो सेट करें।
लाभ: यह व्यायाम करने से आप टखने और पैर को उसकी अधिकतम गति से घुमा पाएंगे।
सेहत / शौर्यपथ / अपने नियमित कामकाज के लिए सदस्य देशों की मदद पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की निर्भरता समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डब्ल्यूएचओ फाउंडेशन के नाम से बुधवार को एक नये संगठन की स्थापना की गयी। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. तेद्रोस गेब्रियेसस और डब्ल्यूएचओ फाउंडेशन के संस्थापक प्रो. थॉमस जेल्टनर ने कोविड-19 पर आयोजित नियमित प्रेस वातार् में इसकी घोषणा की। दोनों संगठनों के प्रमुखों ने एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये।
डॉ. तेद्रोस ने बताया कि कानूनी रूप से डब्ल्यूएचओ फाउंडेशन विश्व स्वास्थ्य संगठन से अलग संस्था है जो स्विटजरलैंड में पंजीकृत है। यहीं जिनेवा में डब्ल्यूएचओ का मुख्यालय भी है। वह डब्ल्यूएचओ के कामकाज के लिए गैर-पारंपरिक स्रोतों से पैसे जुटायेगा। ये पैसे आम लोगों और बड़े दानदाताओं से जुटाये जाएंगे। सहमति पत्र के जरिये दोनों संगठन एक-दूसरे से संबद्ध होंगे।
अमेरिका द्वारा पिछले दिनों डब्ल्यूएचओ को दी जाने वाली मदद रोकने के परिप्रेक्ष्य में डब्ल्यूएचओ फाउंडेशन की स्थापना महत्वपूर्ण है। इससे संयुक्त राष्ट्र के तहत काम करने वाला वैश्विक स्वास्थ्य संगठन अपने खर्चे और परियोजनाओं के लिए सदस्य देशों की मदद पर निर्भर नहीं रहेगा हालाँकि एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. तेद्रोस ने नये फाउंडेशन की स्थापना और अमेरिकी मदद रोके जाने की घटना के बीच कोई संबंध होने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इसकी अवधारणा दो साल पहले तैयार हुई थी तथा इस दिशा में पिछले साल मार्च में ही काम शुरू हो गया था। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि फाउंडेशन से मिलने वाली राशि सदस्य देशों से मिलने वाली मदद के अतिरिक्त होगी। इससे नयी परियोजनाओं पर काम शुरू करने में मदद मिलेगी और इस प्रकार डब्ल्यूएचओ के कामकाज का दायरा बढ़ सकेगा। शुरुआत में फाउंडेशन द्वारा जुटाई गयी राशि का इस्तेमाल कोविड-19 महामारी से लड़ने में किया जायेगा।
खाना खजाना / शौर्यपथ / मूंग दाल प्रोटीन से भरपूर होती है. ऐसे में आपको मूंग दाल का किसी न किसी रूप में सेवन जरूर करना चाहिए। आज हम आपको बता रहे हैं मूंग दाल के कबाब बनाने की रेसिपी-
सामग्री :
धुली मूंग दाल- 1 कप
दही- 1 कप
घी- 2 चम्मच
जीरा- 1 चम्मच
नमक- 1 चम्मच
लाल मिर्च पाउडर- 1 चम्मच
गरम मसाला- 1/2 चम्मच
लहसुन पेस्ट- 1 चम्मच
घी- आवश्यकतानुसार
विधि :
दाल को तीन से चार घंटे के लिए पानी में भिगोएं। पानी से निकालकर एक ओर रख दें। कड़ाही में दो चम्मच घी गर्म करें और उसमें जीरा डालें। जब जीरा पक जाए तो कड़ाही में दाल डालें और उसे धीमी आंच पर लगभग पांच मिनट पकाएं। गैस ऑफ करें और दाल को ठंडा होने दें। दाल को ग्राइंडर में बिना पानी डालें पीस लें। उसमें नमक, लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला और लहसुन डालकर मिलाएं। अब इस मिश्रण में दही मिलाकर गूंद लें। इस मिश्रण को 12 हिस्सों में बांटें और कबाब का आकार दें। पैन में घी गर्म करें और धीमी आंच पर कबाब को पकाएं। जरूरत के मुताबिक घी डालते हुए कबाब को पकाएं। धनिया पत्ती से सजा कर पेश करें।
खाना खजाना / शौर्यपथ / आपका मन अगर रोजाना गेंहू की रोटी खाने से भर गया है और किसी दूसरे ऑप्शन की तलाश में हैं, तो आप रुमाली रोटी ट्राई कर सकते हैं। इसे बनाना बहुत ही आसान है।
सामग्री :
1 कप गेहूं का आटा
आधा कप मैदा
2 चुटकी बेकिंग सोडा
आटा गूंथने के लिए दूध
मैदा
तेल रिफाइंड
विधि :
रुमाली रोटी बनाने के लिए सबसे पहले आटा में मैदा, नमक और एक चम्मच तेल या घी डालकर उसे दूध से गूथ लें। इसके बाद आटे को गीले कपड़े में रखकर 15 से 20 मिनट तक रखकर छोड़ दें। इसके बाद आटे की लोई बना लें और इसे बेलें इसे बेलने के बाद एक परत पर तेल लगाएं। इसके बाद इसमें मैदा छिड़कें इसके बाद एक और बनाई हुई पूड़ी उसके ऊपर रख दें और दोनों को मिलाकर बेलें। तवें पर हल्की आंच पर इन्हें सेकें। गरमागरम रोटियां तैयार हैं।
धर्म संसार / शौर्यपथ / भगवान श्रीकृष्ण को पूर्णावतार माना जाता है। 64 कलाओं में दक्ष श्रीकृष्ण ने हर क्षेत्र में अपने व्यक्तित्व की छाप छोड़ी है। वैसे तो भगवान श्रीकृष्ण के सैकड़ों रूप और रंग हैं लेकिन आओ हम जानते हैं कि उनके 13 रूप-
1. बाल कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अद्भुत परिस्थितियों में हुआ और उनकी बाल लीलाओं पर हजारों किताबें लिखी जा चुकी हैं। श्रीमद्भागवत पुराण में उनकी बाल लीलाओं का वर्णन मिलता है। श्रीकृष्ण का बचपन गोकुल और वृंदावन में बीता। श्रीकृष्ण ने ताड़का, पूतना, शकटासुर आदि का बचपन में ही वध कर डाला था। बाल कृष्ण को 'माखन चोर' भी कहा जाता है।
2. गोपाल कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण एक ग्वाले थे और वे गाय चराने जाते थे इसीलिए उन्हें 'गोपाल' भी कहा जाता है। ग्वाले को गोप और गवालन को गोपी कहा जाता है। हालांकि यह शब्द अनेकार्थी है। पुराणों में गोपी-कृष्ण लीला का वर्णन मिलता है। इसमें गोप और गोपिकाएं डांडिया रास करते हैं।
3. रक्षक कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण ने किशोरावस्था में ही चाणूर और मुष्टिक जैसे खतरनाक मल्लों का वध किया था, साथ ही उन्होंने इंद्र के प्रकोप के चलते जब वृंदावन आदि ब्रज क्षेत्र में जलप्रलय हो चली थी, तब गोवर्धन पर्वत अपनी अंगुली पर उठाकर सभी ग्रामवासियों की रक्षा की थी।
4. शिष्य कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण के गुरु सांदीपनी थे। उनका आश्रम अवंतिका (उज्जैन) में था। कहते हैं कि उन्होंने जैन धर्म में 22वें तीर्थंकर नेमीनाथजी से भी ज्ञान ग्रहण किया था। श्रीकृष्ण गुरु दीक्षा में सांदीपनी के मृत पुत्र को यमराज से मुक्ति कराकर ले आए थे।
5. सखा कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण के हजारों सखा थे। सखा मतलब मित्र या दोस्त। श्रीकृष्ण के सखा सुदामा, श्रीदामा, मधुमंगल, सुबाहु, सुबल, भद्र, सुभद्र, मणिभद्र, भोज, तोककृष्ण, वरूथप, मधुकंड, विशाल, रसाल, मकरन्द, सदानन्द, चन्द्रहास, बकुल, शारद, बुद्धिप्रकाश, अर्जुन आदि थे। श्रीकृष्ण की सखियां भी हजारों थीं। राधा, ललिता आदि सहित कृष्ण की 8 सखियां थीं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार सखियों के नाम इस तरह हैं- चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या, राधा, ललिता, विशाखा तथा भद्रा। कुछ जगह ये नाम इस प्रकार हैं- चित्रा, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चम्पकलता, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रंगदेवी और सुदेवी। कुछ जगह पर ललिता, विशाखा, चम्पकलता, चित्रादेवी, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रंगदेवी और कृत्रिमा (मनेली)। इनमें से कुछ नामों में अंतर है। इसके अलावा भौमासुर से मुक्त कराई गईं सभी महिलाएं कृष्ण की सखियां थीं। द्रौपदी भी श्रीकृष्ण की सखी थीं।
6. प्रेमी कृष्ण : कृष्ण को चाहने वाली अनेक गोपियां और प्रेमिकाएं थीं। कृष्ण-भक्त कवियों ने अपने काव्य में गोपी-कृष्ण की रासलीला को प्रमुख स्थान दिया है। पुराणों में गोपी-कृष्ण के प्रेम संबंधों को आध्यात्मिक और अति श्रांगारिक रूप दिया गया है। महाभारत में यह आध्यात्मिक रूप नहीं मिलता, लेकिन पुराणों में मिलता है। उनकी प्रेमिका राधा, रुक्मिणी और ललिता की ज्यादा चर्चा होती है।
7. कर्मयोगी कृष्ण : गीता में कर्मयोग का बहुत महत्व है। कृष्ण ने जो भी कार्य किया, उसे अपना कर्म समझा, अपने कार्य की सिद्धि के लिए उन्होंने साम-दाम-दंड-भेद सभी का उपयोग किया, क्योंकि वे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्ण जीते थे और पूरी जिम्मेदारी के साथ उसका पालन करते थे। न अतीत में और न भविष्य में, जहां हैं वहीं पूरी सघनता से जीना ही उनका उद्देश्य रहा।
8. धर्मयोगी कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण ने ऋषि वेदव्यास के साथ मिलकर धर्म के लिए बहुत कार्य किया। गीता में उन्होंने कहा भी है कि जब-जब धर्म की हानि होगी, तब-तब मैं अवतार लूंगा। श्रीकृष्ण ने नए सिरे से उनके कार्य में सनातन धर्म की स्थापना की थी।
9. वीर कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत में युद्ध नहीं लड़ा था। वे अर्जुन के सारथी थे। लेकिन उन्होंने कम से कम 10 युद्धों में भाग लिया था। उन्होंने चाणूर, मुष्टिक, कंस, जरासंध, कालयवन, अर्जुन, शंकर, नरकासुर, पौंड्रक और जाम्बवंत से भयंकर युद्ध किया था।
महाभारत के युद्ध में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस युद्ध में वे अर्जुन के सारथी थे। हालांकि उन्हें 'रणछोड़ कृष्ण' भी कहा जाता है। इसलिए कि वे अपने सभी बंधु-बांधवों की रक्षा के लिए मथुरा छोड़कर द्वारिका चले गए थे। वे नहीं चाहते थे कि जरासंध से मेरी शत्रुता के कारण मेरे कुल के लोग भी व्यर्थ का युद्ध करें।
10. योगेश्वर कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण एक महायोगी थे। उनका शरीर बहुत ही लचीला था लेकिन वे अपनी इच्छानुसार उसे वज्र के समान बना लेते थे, साथ ही उनमें कई तरह की यौगिक शक्तियां थीं। योग के बल पर ही उन्होंने मृत्युपर्यंत तक खुद को जवान बनाए रखा था।
11. अवतारी कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण विष्णु के अवतार थे। उन्हें पूर्णावतार माना जाता है। महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन को उन्होंने अपना विराट स्वरूप दिखाकर यह सिद्ध कर दिया था कि वे ही परमेश्वर हैं।
12. राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण ने अपने संपूर्ण जीवन में कूटनीति के बल पर परिस्थितियों को अपने अनुसार ढालकर भविष्य का निर्माण किया था। उन्होंने जहां कर्ण के कवच और कुंडल दान में दिलवा दिए, वहीं उन्होंने दुर्योधन के संपूर्ण शरीर को वज्र के समान होने से रोक दिया। सबसे शक्तिशाली बर्बरीक का शीश मांग लिया तो दूसरी ओर उन्होंने घटोत्कच को सही समय पर युद्ध में उतारा। ऐसी सैकड़ों बातें हैं जिससे पता चलता है कि किस चालाकी से उन्होंने संपूर्ण महाभारत की रचना की और पांडवों को जीत दिलाई।
13. रिश्तों में खरे कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण की 8 पत्नियां थीं- रुक्मिणी, जाम्बवंती, सत्यभामा, मित्रवंदा, सत्या, लक्ष्मणा, भद्रा और कालिंदी। इनसे श्रीकृष्ण को लगभग 80 पुत्र हुए थे। कृष्ण की 3 बहनें थीं- एकानंगा (यह यशोदा की पुत्री थीं), सुभद्रा और द्रौपदी (मानस भगिनी)। कृष्ण के भाइयों में नेमिनाथ, बलराम और गद थे। सुभद्रा का विवाह कृष्ण ने अपनी बुआ कुंती के पुत्र अर्जुन से किया था। उसी तरह श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र साम्ब का विवाह दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा से किया था। श्रीकृष्ण के रिश्तों की बात करें तो वे बहुत ही उलझे हुए थे।
नजरिया / शौर्यपथ / अक्सर कहा जाता है कि भारतीयों की घरेलू बचत ने देश को वर्ष 2008 की वैश्विक मंदी से बचाया था। एक बार फिर 2020 में कोविड-19 से जंग में घरेलू बचत भारत का विश्वसनीय हथियार दिखाई दे रही है। अब जब कमाई पर असर पड़ा है, तब आम लोगों के लिए उनकी छोटी-छोटी बचत आर्थिक सहारा बन गई है। चूंकि हमारे देश में विकसित देशों की तरह सामाजिक सुरक्षा का उपयुक्त ताना-बाना नहीं है, इसलिए छोटी बचत योजनाएं ही देश के अधिकांश लोगों की सामाजिक सुरक्षा का आधार हैं।
नेशनल सेविंग्स इंस्टीट्यूट (एनएसआई) द्वारा भारत में निवेश की प्रवृत्ति से संबंधित रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां देश के लोगों के लिए छोटी बचत योजनाएं लाभप्रद हैं, वहीं इनका बड़ा निवेश अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभप्रद है। वर्ष 2011-12 में जहां छोटी बचत योजनाओं के समूह राष्ट्रीय लघु बचत निधि (एनएसएसएफ) में कुल निवेश महज 31 अरब रुपये था, वहीं यह 2018-19 में बढ़ते हुए 1,600 अरब रुपये से अधिक हो गया है। हालांकि देश में छोटी बचत योजनाओं में ब्याज दर के घटने से उनका आकर्षण कुछ कम हुआ है। वर्ष 2012-13 के बाद सकल घरेलू बचत दर (ग्रास डोमेस्टिक सेविंग रेट) लगातार घटती गई है, लेकिन अभी भी दुनिया के कई विकासशील देशों की तुलना में भारत की सकल घरेलू बचत दर अधिक है। देश में वित्त वर्ष 2007-08 के दौरान जो सकल घरेलू बचत दर 36.80 फीसदी थी, वह घटते हुए वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 32.10 फीसदी तथा 2018-19 में 30.14 फीसदी रह गई है। चाहे देश में बचत दर घटी हो, लेकिन छोटी बचत योजनाएं अपनी विशेषताओं के कारण निम्न और मध्यमवर्गीय परिवारों के विश्वास व निवेश का माध्यम बनी हुई हैं।
यह साफ दिखाई दे रहा है कि लॉकडाउन और ठप हुए उद्योग-कारोबार ने मध्यमवर्ग की मुस्कराहट छीन ली है। देश के लाखों दफ्तरों में दिन-रात पसीना बहाकर देश को नई पहचान और नई ताकत देने वाला भारतीय मध्यमवर्ग कोविड-19 के दौर में अपनी छोटी बचतों से अपने परिवार की गाड़ी आगे बढ़ा रहा है, लेकिन इस वर्ग के लोगों की आर्थिक चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं। कोविड-19 के बीच मध्यमवर्ग के करोड़ों लोगों के चेहरे पर हाउसिंग लोन, ऑटो लोन, कंज्यूमर लोन आदि की किस्तें देने की चिंताएं, बच्चों की शिक्षा और कर्ज पर बढ़ते ब्याज जैसी कई चिंताएं बढ़ गई हैं।
देश में छोटी बचत करने वाले करोड़ों लोगों के सामने नई चिंता 1 अप्रैल, 2020 से सरकार द्वारा छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में की गई कटौती से भी संबंधित है। पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) पर ब्याज दर अब 7.1 फीसदी है, जबकि पहले यह 7.9 फीसदी थी। नेशनल सेविंग्स स्कीम्स (एनएससी) में अब 6.8 फीसदी ब्याज मिलेगा, जबकि पहले इस पर 7.9 फीसदी का ब्याज मिल रहा था। सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश पर ब्याज दर 8.4 फीसदी से घटाकर 7.6 फीसदी कर दी गई है। कम ब्याज दर के बावजूद बचत योजनाओं को मध्यमवर्ग लाभप्रद मान रहा है। खासतौर से पीपीएफ, एनएससी, डाकघर सावधि जमा जैसी छोटी बचत योजनाएं निश्चित प्रतिफल देती हैं। दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्य हासिल करने के लिहाज से इन योजनाओं में निवेश अहम है। इतना ही नहीं, पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना पर मिलने वाली रकम पूरी तरह कर मुक्त भी है।
साफ दिखाई दे रहा है कि जैसे-जैसे लॉकडाउन की अवधि बढ़ती गई है, वैसे-वैसे छोटी बचत करने वाले, नौकरी-पेशा वर्ग एवं मध्यमवर्ग के करोड़ों लोगों की मुश्किलें बढ़ती गई हैं। ऐसे में, सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के तहत आर्थिक पैकेज की घोषणा करते समय मध्यमवर्ग को भी कुछ राहत दी है। आवास कर्ज से जुड़ी सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) को एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है। यह योजना 31 मार्च, 2020 को समाप्त हो गई थी। सरकार के आर्थिक पैकेज और कर रियायतों से निश्चित ही आम लोगों को फायदा होगा। ज्यादा से ज्यादा आम लोगों को फिर काम-धंधे में लगाना होगा, ताकि उनकी कमाई लौटे। कमाई लौटेगी, तो बचत भी लौटेगी। जितने ज्यादा लोगों की बचत लौटेगी, अर्थव्यवस्था को उतना ही लाभ होगा। बेशक, छोटी बचतों का संरक्षण, संवद्र्धन सरकार को भी करना होगा।
(ये लेखक के अपने विचार हैं) जयंतीलाल भंडारी, अर्थशास्त्री
सम्पादकीय लेख / शौर्यपथ / प्रकृति के कोप का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। यह न केवल दुखद, बल्कि चिंताजनक है कि तमाम आफतों के बीच टिड्डियों ने भी भारत में पांच से ज्यादा राज्यों में कहर बरपा दिया है। ये दल तपती धरती पर बची हुई फसल को चट करने में लगे हैं। यह तो भला हो कि देश के ज्यादातर खेतों से गेहूं की फसल कट चुकी है, लेकिन ऐसे किसानों की संख्या लाखों में है, जो साल भर कुछ न कुछ अपने खेतों में लगाते ही रहते हैं। विशेष रूप से फल उत्पादकों पर मानो मुसीबत ही टूट पड़ी है। महाराष्ट्र के नारंगी उत्पादकों की चिंता का कोई ठिकाना नहीं है। विदर्भ में पड़ने वाले 11 जिलों में अलर्ट जारी है। पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा में भी किसानों को चेताया गया है। प्रभावित राज्यों में गन्ने, आम, सरसों, सौंफ, जीरा, आलू, रतनजोत जैसी नकदी फसलें टिड्डियों के निशाने पर हैं। बताया जा रहा है कि ऐसा हमला इन्होंने लगभग दो दशक बाद किया है।
इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना की त्रासदी ने भी टिड्डियों को मौका दिया है। आम तौर पर ईरान, पाकिस्तान की ओर से भारत में आने वाली इन करोड़ों टिड्डियों को पंजाब, राजस्थान इत्यादि राज्यों में रोक लिया जाता है और उससे पहले ईरान और पाकिस्तान में भी किसान व सरकारें मुकाबला करती हैं। इस बार इन सरकारों ने कोरोना के खिलाफ जंग में लगे होने के कारण टिड्डियों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया है। नतीजा यह कि भारत में एक बड़ी आबादी है, जिसने ऐसा टिड्डी हमला पहले कभी नहीं देखा था। यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि टिड्डियों की ओर से ऐसे हमले की आशंका पहले से ही जताई जा रही थी, लेकिन हमारे यहां भी सरकारें कोरोना से जंग में लगी हैं, तो टिड्डियों को मौका मिल गया। केंद्र सरकार इसी सप्ताह सक्रिय हुई है और उन राज्य सरकारों की मदद की जा रही है, जो नुकसान झेल रही हैं। अपनी फसल को लेकर चिंतित हर किसान अपनी-अपनी तरह से इनसे जूझ ही रहा है, लेकिन यह किसी एक या दो किसानों के लड़ने योग्य लड़ाई नहीं है। ये पतंगे करोड़ों की तादाद में होते हैं। अनुमान है कि एक दल में एक समय में इनकी संख्या आठ करोड़ तक हो सकती है।
बहरहाल, इस साल के भयावह हमले से हमें हमेशा के लिए कुछ सबक सीखने चाहिए। जो 20 से ज्यादा देश टिड्डियों से हर साल परेशान होते हैं, उन्हें एक समूह या संगठन बनाना चाहिए। इस संगठन में अफ्रीका के गरीब देश भी शामिल हों और एशिया के विकासशील देश भी। टिड्डयों को उनके मूल प्रजनन स्थलों पर ही रोकना होगा। जो रेगिस्तानी इलाके या देश अब नमी से लैस हो गए हैं, उनकी जिम्मेदारी ज्यादा है। इधर भारत में हरसंभव कोशिश करनी चाहिए कि जल्द से जल्द इन टिड्डियों को खत्म किया जाए। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने चेताया है कि जुलाई महीने तक यह हमला जारी रहेगा। बताया जा रहा है कि टिड्डियों की एक विशाल आबादी दक्षिणी ईरान और दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान में तैयार हो रही है। अत: यह जरूरी है कि भावी हमलावरों को उनके मूल स्थान पर ही जवाब दिया जाए। यह तभी होगा, जब हमारी सरकार आगे बढ़कर ईरान व पाकिस्तान को प्रेरित करेगी। साथ ही, हमें यह भी तैयारी रखनी होगी कि हम इन टिड्डियों को सीमा पर ही रोक दें।