November 22, 2024
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

राजनांदगांव / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बागनदी बार्डर पर आकस्मिक एवं अनपेक्षित रूप से अन्य राज्यों से श्रमिकों को आवाजाही बढऩे पर श्रमिकों को उनके गंतव्य स्थल तक पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ राज्य सीमा के अंदर प्रवेश करने वाले प्रत्येक श्रमिक चाहे वह राज्य का निवासी हो या नहीं परिवहन, भोजन की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।  कलेक्टर मौर्य ने आज बागनदी चेक पोस्ट में लगी हुई बसों का निरीक्षण किया। इस अवसर पर उनके साथ मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार  विनोद वर्मा एवं  रूचिर गर्ग उपस्थित थे। चेक पोस्ट में श्रमिकों को पानी एवं सूखा भोजन दिया जा रहा है और उनके स्वास्थ्य परीक्षण के लिए काउंटर बनाया गया है। पुलिस सहायता केन्द्र में उन्हें मदद दी जा रही है। अन्य राज्यों के प्रवासी श्रमिकों को उनके राज्य तक एवं छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को उनके जिलों तक पहुंचाने के लिए लगभग 100 बसे लगी हुई है। 
  राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 53 में स्थित बागनदी बार्डर में प्रतिदिन लगभग 10 से 15 हजार श्रमिक सीमा में प्रवेश कर रहे है। महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, मध्यप्रदेश से आने वाले यात्री लगातार आ रहे है। महाराष्ट्र एवं गुजरात परिवहन विभाग की बसों एवं उन राज्यों से आने वाले ट्रकों के माध्यम से बढ़ी संख्या में यात्रियों को बागनदी चेक पोस्ट के समीप उतार दिया जाता है। जिससे बागनदी चेक पोस्ट पर हजारों लोगों की भीड़ एकत्र हो रही है। सीमा पर आने वाले यात्री छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, ओडि़सा, पश्चिम बंगाल के निवासी है।
   यात्रियों के लिए उनके गंतव्य स्थल तक पहुंचाने के लिए बस रूट चार्ट बनाया गया है। जिसके अनुसार बागनदी से बलरामपुर बार्डर रूट में सरगुजा, बलरामपुर तथा पश्चिमी झारखंड जिले के निवासी जाएंगे। बागनदी से लोदाम बार्डर रूट से होते हुए जशपुर तथा पूर्वी झारखंड जिले के निवासी  जाएंगे। बागनदी से सराईपाली बार्डर रूट से होते हुए ओडि़सा, रायगढ़, महासमुंद के निवासी तथा बागनदी से रायपुर जोन के लिए गरियाबंद एवं रायपुर के निवासी, बागनदी से बिलासपुर जोन के लिए मुंगेली, पेंड्रा एवं बिलासपुर के निवासी जाएंगे। बागनदी से बलौदाबाजार रूट से होते हुए बलौदाबाजार के निवासी जाएंगे। बागनदी से जांजगीर की रूट में जांजगीर एवं कोरबा के निवासी, रैन बसेरा राजनांदगांव से कवर्धा, बेमेतरा एवं बालोद के निवासी, रैन बसेरा से कांकेर जोन के रूट में धमतरी, कांकेर, कोण्डागांव, नारायणपुर, जगदलपुर के निवासी जाएंगे। 
     झारखंड तथा बिहार के प्रवासी बलरामपुर बार्डर तक जाएंगे। बिहार जाने वाले सभी यात्री बलरामपुर बार्डर जाएंगे इसके अलावा झारखंड के गड़वा, पलामू, लातेहार, चतरा, हजारी बाग एवं कोडरमा जिले के यात्री भी बलरामपुर बार्डर जाएंगे। झारखंड के प्रवासी लोदाम सीमा तक जाएंगे। ऊपर लिखे जिलों को छोड़कर झारखंड राज्य के शेष यात्री लोदाम बार्डर जाएंगे। बिहार का कोई यात्री लोदाम बार्डर नहीं जाएगा।
    बस से रायपुर जाने वाले श्रमिक  ओमप्रकाश पटेल ने मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल को धन्यवाद देते हुए कहा कि आज हम राहत महसूस कर रहे है और अब अपने घर रायपुर जा रहे है। सपरिवार रोजी-मजदूरी के लिए पुणे चले गए थे और वहां कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन में फंस गए थे। पुणे से आ रहे श्री गेंदराम वर्मा ने बताया कि वे कमाने-खाने के लिए पूना गए थे और वहां लॉकडाउन में फंस गए थे। छत्तीसगढ़ शासन की मदद से वे अब अपने घर ओडि़सा भवानीपटना चले जाएंगे। श्री जोगिंदर ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताया कि नागपुर से आए है और अब बस से रायपुर के लिए रवाना हो जाएंगे। 

राजनांदगांव / शौर्यपथ / कलेक्टर  जयप्रकाश मौर्य के निर्देशानुसार जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. अरविन्द मरावी ने 18 से 31 मई 2020 तक जिले के विभिन्न आयुर्वेद चिकित्सकों की ड्यूटी बागनदी चेक पोस्ट पर लगाई है। चिकित्सकों द्वारा बागनदी चेक पोस्ट में कोरोना वायरस के रोकथाम एवं स्क्रीनिंग का कार्य किया जाएगा। इस संबंध में जारी आदेश के अनुसार 18, 23 एवं 28 मई 2020 को प्रात: 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक डॉ. हर्षा दुबे, दोपहर 2 बजे से रात्रि 8 बजे तक डॉ. हर्षा चौरसिया तथा रात्रि 8 बजे से प्रात: 8 बजे तक डॉ. तपेश्वर सिंह की ड्यूटी लगाई गई है। 19, 24 एवं 29 मई 2020 को प्रात: 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक डॉ. आरती कावले, दोपहर 2 बजे से रात्रि 8 बजे तक डॉ. योगेश्वरी ठाकुर, रात्रि 8 बजे से प्रात: 8 बजे तक डॉ. हरीशशरण साहू की ड्यूटी लगाई गई है।
    इसी तरह 20, 25 एवं 30 मई 2020 को प्रात:8 बजे से दोपहर 2 बजे तक डॉ. प्रज्ञा सक्सेना, दोपहर 2 बजे से रात्रि 8 बजे तक डॉ. अन्नपूर्णा मिश्रा, रात्रि 8 बजे से प्रात: 8 बजे तक डॉ. सुरेन्द्र कुमार मेश्राम एवं 21, 26 एवं 31 मई 2020 को प्रात: 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक डॉ: हर्षा बरैया, दोपहर 2 बजे से रात्रि 8 बजे तक डॉ. यामिनी शर्मा, रात्रि 8 बजे से प्रात: 8 बजे तक डॉ. नरोत्तम राम नेताम तथा 22 एवं 27 मई 2020 को प्रात: 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक डॉ. वैशाली महाकालकर, दोपहर 2 बजे से रात्रि 8 बजे तक डॉ. रूबिना शाहिन अंसारी, रात्रि 8 बजे से प्रात: 8 बजे तक डॉ. दिनेश कुमार सोनी की ड्यटी लगाई गई है।

*टाटीबंध चौक और रेलवे स्टेशन में मज़दूरों से मिलकर जाना उनका हाल

मजदूरों की हर संभव सहायता करने अधिकारियों को निर्देश

   रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल के निर्देशानुसार  कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए शनिवार और रविवार को पूर्ण लॉक डाउन का निर्णय लिया गया है। राजधानी रायपुर में कानून व्यवस्था का जायजा लेने  गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने आज प्रमुख चौक चौराहों का निरीक्षण किया। उनके साथ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री आरिफ शेख भी मौजूद थे। गृहमंत्री श्री साहू ने टाटीबंध चौक और रेलवे स्टेशन पर दूसरे राज्यों के छत्तीसगढ़ में फंसे मज़दूरों से उनका हाल चाल जाना और उनके किए गए व्यवस्था के बारे में  जानाकरी ली।  झारखंड और उत्तर प्रदेश के मज़दूरों ने बताया कि यहाँ की व्यवस्था ठीक है। हमारे लिए  खाने-पीने आदि की व्यवस्था की गई  है। मजदूरों ने बताया कि उन्हें उनके गृह राज्य भेजने की व्यवस्था की जा रही है। 

   मंत्री  साहू ने पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों से कहा कि दूसरे राज्य के मजदूर हमारे मेहमान हैं। उन्होंने ने मजदूरों की हर सम्भव मदद करने   अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। गृह मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री के मंशा के अनुरूप कोई भी मज़दूर को परेशानी न हो। सभी के लिए उचित व्यवस्था करने का आदेश है विभिन्न विभागों के अधिकारियों को दिया गया है। इसीलिए आज मज़दूरों का हाल चाल जानने आया था। श्री साहू ने  और मज़दूरों से बात की और उसके लिए की गई  व्यवस्था से संतुष्ट हुवे। गृहमंत्री ने चौक चौराहों में सुरक्षा व्यवस्था में लगे जवानों से भी बात की और उनकी समस्याओं के बारे में भी पूछ की। उन्होंने ड्यूटी में तैनात जवानों का हौसला अफजाई किया।

    रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ में व्यापक स्तर पर शुरू किए गए मनरेगा कार्यों से ग्रामीण श्रमिक राहत में हैं। लॉक-डाउन के मौजूदा दौर में इसने न केवल उनकी रोजगार की चिंता दूर की है, बल्कि विपरीत परिस्थितियों में परिवार के भरण-पोषण के लिए आर्थिक संबल भी प्रदान किया है। सामुदायिक और व्यक्तिमूलक आजीवन संवर्धन के कार्यों के तहत जल संरक्षण, कृषि, उद्यानिकी और पशुपालन को मजबूत करने विविध परिसंपत्तियों का निर्माण किया जा रहा है। इन कार्यों में अभी सीधे रोजगार के साथ ही मनरेगा के तहत निर्मित हो रही परिसंपत्तियों से भविष्य में जीविकोपार्जन के बेहतर संसाधन मिलेंगे।
बस्तर जिले में भी मनरेगा कार्य जोरों पर है। वहां संचालित विभिन्न कार्यों में अभी 31 हजार 397 श्रमिक काम कर रहे हैं। कार्यस्थलों पर सवेरे पांच बजे से ही श्रमिकों की चहल-पहल शुरू हो जाती है। सुबह पांच से आठ बजे के बीच ये अपने-अपने हिस्से का काम खत्म कर धूप तेज होने के पहले ही घर लौट आते हैं। कोविड-19 से बचाव के लिए मजदूर मुंह ढंकने के लिए मास्क या गमछा का इस्तेमाल कर रहे हैं। परस्पर शारीरिक दूरी बनाए रखने के दिशा-निर्देशों के पालन के साथ ही सभी कार्यस्थलों पर साबुन से हाथ धुलाई की व्यवस्था की गई है।
बस्तर जिले में करीब छह हजार प्रवासी मजदूरों की घर वापसी की संभावना है। इनकी क्वारेंटाइन अवधि पूरी होने के बाद काम की मांग करने वालों को भी तत्काल रोजगार उपलब्ध कराने की तैयारी है। जिनके पास मनरेगा जॉब-कॉर्ड नहीं हैं, उनके नए जॉब-कॉर्ड बनाए जाएंगे। चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में बस्तर जिले में मनरेगा के लिए 94 करोड़ रूपए का लेबर बजट प्रावधानित है। पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में वहां मनरेगा कार्यों में 61 करोड़ रूपए से अधिक की राशि खर्च की गई है।

 

    मनरेगा के तहत गांवों में जल संरक्षण और आजीविका संवर्धन के कार्य प्राथमिकता से स्वीकृत किए जा रहे हैं। सभी विकासखण्डों में निजी डबरी, कुआं, भूमि सुधार, मेढ़ बंधान, तालाब निर्माण, पशु शेड निर्माण, गौठान निर्माण, चारागाह निर्माण, शासकीय भूमि पर वृक्षारोपण, व्यक्तिमूलक फलदार वृक्षारोपण, आंगनबाड़ी भवन निर्माण, हितग्राहियों के लिए बकरी शेड, मुर्गी शेड, महिला समूह के माध्यम से नर्सरी में पौध निर्माण, सिंचाई के लिए नाली निर्माण, गांव से जल निकास के लिए नाली निर्माण, बोल्डर डेम, चेक डेम, गेबियन निर्माण तथा महिला समूह के लिए वर्क-शेड निर्माण जैसे काम कराए जा रहे हैं।

   रायपुर / शौर्यपथ / ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए अब इसमें कोई संदेह नहीं कि यह कार्यक्रम भविष्य में शिक्षा का सशक्त माध्यम बनेगा। इस कार्यक्रम ने कोरोना संक्रमण जैसी संकटपूर्ण और लॉकडाउन की स्थिति में विद्यार्थियों को बेहद सहज तरीके से घर बैठे अध्ययन-अध्यापन की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही उनके सर्वांगीण विकास में भी मददगार साबित हुआ है। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को इस पोर्टल के माध्यम से अपनी कला एवं रूचि को संवारने का अवसर मिला है। छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित ऑनलाइन शिक्षा पोर्टल ‘पढ़ई तुहर दुआर’ कार्यक्रम के तहत राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) में संचालित भूगोल, सामाजिक विज्ञान, गणित की ऑनलाइन कक्षाओं में 3242 छात्र छात्राएं सम्मिलित हुए।
कक्षा 10वीं के सामाजिक विज्ञान विषय की ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान एससीईआरटी के संचालक श्री जीतेन्द्र कुमार शुक्ला ने कक्षा से जुड़े छात्र-छात्राओं के साथ ऑनलाइन शिक्षा पोर्टल ‘पढ़ई तुहर दुआर’ कार्यक्रम व ऑनलाइन कक्षा के अनुभव के बारे में चर्चा की। उपस्थित छात्र-छात्राआंे ने इसे एक नया रोचक अनुभव बताया।
आज वैश्विक बीमारी के चलते स्कूली बच्चों की पढ़ाई पर भी अब असर दिखने लगा है, क्योंकि ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का समय निकल चुका है और आने वाले सत्र की तैयारी शुरू नहीं हो पा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों की पढ़ाई की रूकावट को दूर करने के लिए एक ऐतिहासिक पहल की है। यूं तो बहुत से ऑनलाइन शिक्षा के कार्यक्रम अनेक सोशल मीडिया साइट पर उपलब्ध हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के पाठ्यक्रम अनुसार ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध होना एक अभिनव पहल है। जिसके अंतर्गत एक वेब पोर्टल का निर्माण किया गया है। जिसमें बच्चे अपनी कक्षा के विषयों का चयन कर उसका घर बैठे आसानी से अध्ययन कर रहे हैं।
‘पढ़ई तुहर दुआर’ के इस पोर्टल का विधिवत उद्घाटन मुख्यमंत्री बघेल द्वारा विगत माह 7 अप्रैल को किया गया था। आज एक माह बाद ही इसकी सफलता का आंकड़ा 27 करोड़ पेज व्यूव छू चुका है। जिसमें लगभग 20 लाख विद्यार्थी पंजीयन करवाकर एक लाख 70 हजार से अधिक शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस ऑनलाइन शिक्षा का लाभ सरकारी स्कूल और प्राइवेट स्कूल दोनों ही के छात्र ले रहे हैं। ‘पढ़ई तुहर दुआर’ का यह पोर्टल सीजीस्कूलडॉटइन पर उपलब्ध है। छात्र इस साइट के द्वारा अपनी सुविधानुसार मोबाइल लैपटॉप या टैब पर पढ़ाई कर रहे हैं। इस वेब पोर्टल पर ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन आकर्षक तरीके से किया जा रहा है जिसमें छात्र अपनी कक्षा और विषय चयनित कर उस ऑनलाइन कक्षा से जुड़ते हैं और शिक्षकों के साथ परस्पर संवाद भी करते है एक तरह से वास्तविक कक्षा का स्वरूप है।
जिस तरह वास्तविक कक्षाओं में बच्चों को होमवर्क दिया जाता हैं, उसी तरह से इसमें भी होमवर्क दिया जाता है। जिसे बच्चे पीडीएफ फॉर्मेट में अपना होमवर्क पोर्टल पर अपलोड कर लेते हैं और शिक्षक उसे जाँच कर फीडबैक देते है। बिना किसी खर्च के तैयार की गई ये बेबसाइट बच्चों को भी निःशुल्क उपलब्ध हैं।

रायपुर / शौर्यपथ / राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कोविड-19 के बचाव में एनसीसी कैडेट्स द्वारा किए जा रहे सहयोग की सराहना की है। उन्होंने कहा है कि इस समय देश-प्रदेश कोरोना संकट का सामना कर रहा है। इन परिस्थितियों में एनसीसी कैडेट्स द्वारा लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जा रहा है। आम लोगों को सोशल डिस्टेसिंग का पालन कराया जा रहा है। उनके द्वारा यातायात व्यवस्था संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है।
राज्यपाल ने कहा कि एनसीसी युवाओं में राष्ट्रभक्ति का भाव पैदा करता है तथा उन्हें संकटापन्न स्थितियों का सामना करने के लिए प्रशिक्षण भी देता है। ऐसा प्रशिक्षण का ही प्रभाव है कि आज एनसीसी कैडेट्स अंतर्राष्ट्रीय आपदा के समय कंधा से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी कोरोना से लंबी लड़ाई लड़ना है। एनसीसी कैडेट्स अपना स्वयं का ध्यान रखें और आम जनता को कोरोना के प्रति जागरूक करें।

जंगल में अब ऐसे पेड़ लगाए जाएंगे जो पर्यावरण के अनुकूल और आदिवासियों के पोषण व जीविकोपार्जन में होंगे सहायक
मुख्यमंत्री ने की वन विभाग के काम-काज की समीक्षा
वृक्षारोपण अभियान: प्रदेश में पांच करोड़ पौधे लगाए जाएंगे: पौधों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने के निर्देश
गौठानों में लघु वनोपजों के 50 लाख पौधों का होगा रोपण
स्व-सहायता समूह तैयार करेंगे बांस के 4 लाख ट्री गार्ड: लगभग 16 करोड़ रूपए की होगी आमदनी
वन प्रबंधन समितियों की महिलाओं ने 4 करोड़ की लागत से तैयार किए 50 लाख मास्क
वन अधिकार पट्टा प्राप्त हितग्राहियों को वृक्षारोपण से जोड़ने के निर्देश

  रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि आदिवासियों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रदेश के जंगलों का विकास किया जाएगा। जंगलों में ऐसे पेड़ लगाए जाएंगे जो पर्यावरण के अनुकूल होंगे, आदिवासियों के पोषण और जीविकोपार्जन में सहायक होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पौध रोपण के दौरान इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए। वन क्षेत्रों के विकास में इस कार्य को प्राथमिकता से शामिल किया जाए जिससे वनवासियों के जीवन में सुधार और उनके जीवकोपार्जन में मदद मिले। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह बातें आज अपने निवास कार्यालय में आयोजित वन विभाग के कामकाज की समीक्षा बैठक में कही। मुख्यमंत्री ने वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत रोपित पौधों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। प्रदेश में वन विभाग द्वारा इस वर्ष विभिन्न मदों के अंतर्गत पांच करोड़ एक लाख पौधे के रोपण का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक में वनमंत्री मोहम्मद अकबर, मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, वन विभाग के सचिव जयसिंह म्हस्के तथा मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सुश्री सौम्या चौरसिया और वरिष्ठ विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बैठक में कहा कि जिन हितग्राहियों को वन अधिकार पट्टे दिए जा रहे हैं उन्हें वृक्षारोपण के साथ जोड़ा जाना चाहिए और इन हितग्राहियों की जमीन पर मनरेगा और वन विभाग की योजनाओं के तहत अभियान चलाकर महुआ, हर्रा, बहेरा, आंवला, आम, इमली, चिरौंजी जैसे अलग-अलग प्रजातियों के फलदार वृक्ष लगाए जाएं, इससे भी जंगल बचेगा और हितग्राही को आमदनी भी होगी। श्री बघेल ने कहा कि इन हितग्राहियों को तत्काल आय का साधन उपलब्ध कराने के लिए उनकी जमीन पर तीखुर, हल्दी और जिमीकांदा भी लगाया जाना चाहिए, जिससे उन्हें इन उत्पादों के जरिए जल्द आय का साधन मिल सके। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि आज आदिवासी जंगलों से विमुख हो रहे हैं क्योंकि जंगल उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। हमें जंगलों को वनवासियों के लिए रोजगार और आय का जरिया बनाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि फलदार वृक्ष लगाने के साथ-साथ लघु वनोपजों के संग्रहण और उनकी मार्केटिंग तथा वैल्यू एडिशन का भी एक सिस्टम तैयार किया जाना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सके। जंगलों, सड़कों के किनारे और राम वन गमन पथ के किनारे आम, बरगद, पीपल, नीम जैसी प्रजातियों के पौधे भी लगाए जाएं।
मुख्यमंत्री बघेल ने बैठक में निर्देश दिए कि वृक्षारोपण कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए स्थानीय लोगों और वनवासियों को अधिकाधिक जोड़ा जाए। राज्य में चालू वर्ष में रायपुर से जगदलपुर तक 300 किलो मीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग में दोनों ओर वृक्षारोपण किया जाएगा। साथ ही प्रदेश में 1300 किलो मीटर लम्बाई के राम वन गमन पथ के 75 विभिन्न स्थलों में आम, बरगद, पीपल, नीम तथा आंवला आदि फलदार प्रजाति के पौधों का रोपण किया जाएगा। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि प्रदेश में बनाए जा रहे गौठानों में अभियान चलाकर जुलाई माह में लघु वनोपजों के 50 लाख पौधों का रोपण किया जाए। उन्होंने बैठक में वृक्षारोपण के तहत रोपित पौधों की सुरक्षा के लिए प्रदेश में स्व-सहायता समूहों द्वारा बांस ट्री गार्ड के निर्माण की प्रशंसा की और इसे बढ़ावा देने के लिए आवश्यक निर्देश दिए। वर्तमान में समूहों द्वारा एक लाख बांस ट्री गार्ड का निर्माण हो चुका हैै तथा तीन लाख और बांस ट्री गार्ड का निर्माण जारी है। इससे समूहों को 16 करोड़ रूपए की आमदनी होगी।
मुख्यमंत्री बघेल ने आवर्ती चराई योजना के तहत वन क्षेत्रों में पशुओं के लिए चारागाह घेरने, शेड निर्माण और वहां वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के साथ-साथ देशी मुर्गी पालन तथा बतख और सूकर पालन जैसे गतिविधियों को बढ़ावा देने के निर्देश दिए। इसके तहत वर्तमान में स्वीकृत 590 कार्याें में से 324 कार्य प्रगति पर है। नरवा विकास कार्यक्रम के तहत वन विभाग द्वारा चालू वर्ष में 210 करोड़ रूपए की राशि के 302 नालों में जल संवर्धन संबंधित कार्य कराए जा रहे हैं। इसके अलावा वनांचल में 137 बड़े-बड़े तालाबों के निर्माण के लिए प्रस्ताव स्वीकृति की कार्यवाही प्रगति पर है। बैठक में बताया गया कि कोरोना संक्रमण के बचाव के लिए वन प्रबंधन समितियों और महिला स्व सहायता समूहों की लगभग एक हजार महिलाओं द्वारा 50 लाख मास्क का निर्माण किया जा चुका है। इससे इन महिलाओं को डेढ करोड़ रूपए की आमदनी होगी।
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बैठक में बताया कि इस वर्ष तेंदूपत्ता तोड़ाई के पारिश्रमिक का भुगतान सीधे हितग्राहियों के खाते में करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश में चालू वर्ष के दौरान तेंदूपत्ता संग्रहण से 12 लाख 53 हजार परिवारों को लगभग 649 करोड़ रूपए का पारिश्रमिक मिलेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में होने वाली वनोपजों की जानकारी से संबंधित डाटा एकत्र करने के लिए सर्वे कराया जा रहा है अगले तीन से 4 वर्षों में लघु वनोपजों की ऑनलाइन खरीदी की व्यवस्था तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है।
बैठक में बताया गया कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान वन विभाग द्वारा अब तक 80 करोड़ रूपए के विकास कार्याें के माध्यम से जरूरतमंदों को तत्परता पूर्वक रोजगार उपलब्ध कराया गया है। इसी तरह देश में सर्वाधिक 26 करोड़ रूपए की राशि के लघु वनोपजों का संग्रहण कर बड़ी तादाद में लाभ दिलाया गया है। राज्य में अब तक लगभग 165 करोड़ रूपए की राशि के 4 लाख 11 हजार 222 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्र्रहण हो चुका है। इसके माध्यम से लोगों को रोजगार के साथ-साथ आय का लाभ मिल रहा है। इसी तरह वनों में अग्नि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग अंतर्गत कुल 3 हजार 506 बीटों में अग्नि रक्षक लगाकर रोजगार उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा 241 नर्सरियों में पौधा तैयार करने तथा संयुक्त वन प्रबंधक के अंतर्गत वर्मी कम्पोस्ट, मशरूम उत्पादन, मछली पालन, तालाब गहरीकरण, बांस ट्री गार्ड निर्माण, लाख चूड़ी उत्पादन और भू-जल संरक्षण कार्य तथा नरवा विकास कार्याें के माध्यम से काफी तादाद में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। बैठक में बताया गया कि बस्तर में इमली की प्रोसेसिंग के माध्यम से लगभग 12 हजार महिलाएं जुड़ी हैं इन्हें हर माह ढाई हजार से 3 हजार रूपए की आय हो रही है। चिरौंजी, रंगीली लाख, कुसमी लाख, शहद, महुआ बीज संग्रहण और प्रोसेसिंग के माध्यम से 8580 महिलाओं को काम मिला है। जशपुर में महुआ से सेनेटाइजर बनाया जा रहा है।

रायपुर / shouryapath / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आज यहां उनके निवास कार्यालय में वन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम द्वारा वर्ष 2018-19 के लाभांश की राशि 2 करोड़ 25 लाख रूपए का चेक सौंपा गया। इस अवसर पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर, मुख्य सचिव  आर.पी. मण्डल, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, वन विभाग के प्रमुख सचिव  मनोज कुमार पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक  राकेश चतुर्वेदी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राज्य वन विकास निगम  आर. गोवर्धन, वन विभाग के सचिव जयसिंह म्हस्के तथा मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सुश्री सौम्या चौरसिया और वरिष्ठ विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
    छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम को भारत सरकार द्वारा स्वीकृत कार्य आयोजना के अंतर्गत रोपित किए गए सागौन वृक्षारोपण के विरलन से प्राप्त वनोपज के विक्रय तथा अन्य आय से वित्तीय वर्ष 2018-19 में 56 करोड़ 41 लाख रूपए की आय प्राप्त हुई। निगम द्वारा इस दौरान विभिन्न कार्यों पर 30 करोड़ 49 लाख रूपए की राशि व्यय हुई। इस तरह वर्ष 2018-19 के दौरान निगम को 25 करोड़ 92 लाख रूपए की राशि का लाभ प्राप्त हुआ। निगम द्वारा वर्ष 2018-19 में राज्य के 3 हजार 594 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 60 लाख पौधे का रोपण किया गया। इसके अलावा पर्यावरण सुधार के लिए खदानी तथा औद्योगिक क्षेत्रों में मिश्रित प्रजाति के 8 लाख 10 हजार पौधों का वृक्षारोपण किया गया। निगम द्वारा वानिकी वर्ष 2018-19 में 23 हजार 367 घनमीटर ईमारती काष्ठ, 14 हजार 16 नग जलाऊ चट्टा और एक हजार 521 नोशनल टन बांस का उत्पादन किया गया है।

अवधेश टंडन की रिपोर्ट -

 मालखरौदा / शौर्यपथ / विदित हो कि मालखरौदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का विवादों से हमेशा नाता रहा है यही कारण है कि आज भी यहां विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है मामला है मालखरोदा उप स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत आने वाले फगुरम प्राथमिक स्वस्थ केंद्र क्या जहा डॉक्टर सेट स्टाफ की मनमानी चरम सीमा पर है यहां के डॉक्टर स्टाफ लगातार नदारद रहते थे जिसकी सूचना मीडिया कर्मियों को मिलने पर लगातार पिछले कई दिनों से इस पर खबर चलाई , मामला था फागूराम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी द्वारा स्वास्थ्य केंद्र को अनाथ छोड़ कर लंच पर जाने का जिस पर हमने लगातार चिरनिंद्रा में सोए उच्चाधिकारियों को जगाने कई खबरों का प्रकाशन किया जिसके भी उच्चाधिकारियों को सांप सूंघ गया था या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों पर कार्रवाई करने हाथ-पैर फूल रहे थे या यूं कहें कि आपको मालखरौदा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि या उनके आकाओं का डर था,कि फगुरम में कार्रवाई से आपकी नौकरी पर खतरा न पड़ जाये। यही वहज ही नजर आता है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रोग्राम के लापरवाह डॉक्टरों को अभयदान देते रहे, मामला जांजगीर सी एम एच ओ के संज्ञान में लाने के बाद उन्होंने ने भी 3 दिन में कार्रवाई करने का भरोसा दिया, पर कोरोना महामारी के इस दौर में साहब गांधी की इतनी किल्लत की टेबल के नीचे कुछ भी आये। और एक दिन अचानक खबर आई कि मालखरौदा बीएमओ ने अपने लावलश्कर के साथ औचक निरीक्षण किया और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी व कर्मचारियों को क्लीन चिट दे दी।
औचिक निरीक्षण, बात कुछ हजम नही होती,ऐसे में सवाल उठता है साहब ?
लगातार मीडिया में खबर प्रकाशन के बाद क्या फगुरम स्वास्थ्य केंद्र से अधिकारी और कर्मचारी क्या गायब रहेंगे जो आप औचिक निरीक्षण पर पहुंचे। क्या यह नही हुआ होगा कि आपके वहा पहुँचने से पहले किसी ने अंदुरूनी सूचना नही दी होगी क्योंकि साहब भी तो डॉक्टर है।
कार्रवाई से बचाने औचक निरीक्षण का ड्रामा क्यों?
इस पूरे मामले में देखा गया है कि अधिकारियों से लेकर मालखरौदा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों तक ने फगुरम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों का काफी समर्थन किया है और यही वजह है कि औचक निरीक्षण कर उन्हें अभयदान दे दिया गया क्या उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को भगवान भरोसे छोड़ कर खांना खाने एक साथ जाने के लिए जवाब तलब नही करना चाहिए था।
जनप्रतिनिधियों के समर्थन पर हौसले है बुलंद
बता दे कि मीडिया में लगातार खबर प्रकाशन के बाद मालखरौदा क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधियों का भी फोन मालखरौदा क्षेत्र के रिपोर्टरों तक पहुंची है और उन्हें फगुरम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की खबर रोकने तक की बात कही गई परंतु साहब सवाल है जनता की जिंदगी का और यही वजह है कि लगातार इस पर खबर प्रकाशन की गई।

 शौर्यपथ लेख / मैं देख रहा हूं की आज युवा बहुत बुझा बुझा सा नजर आ रहा है। ये हताशा ठीक नहीं आक्रमकता जरुरी है। उस आक्रमकता की दिशा राजनीतिक नहीं बल्कि स्वयं से जुड़े मुद्दों के लिए होना चाहिए। आक्रमकता का हमें अपने हितों व समस्याओं के ध्यानाकर्षण के लिये उपयोग करना चाहिए।
    यह आक्रामकता हम में तभी आ पाएगी जब हम उस अवसर वादियों के संदेश वाहक की भूमिका को छोड़ देंगे। और अपने जीवन की खुशियों का आधार रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोटी, कपड़ा और मकान जैसी है जरूरी बातों के संदेश वाहक बन जाऐंगे। आपको अब जनसंवाद के हर प्लेटफार्म से सिर्फ अपनी और अपनों की बात करने का संकल्प लेना होगा। राजनैतिक, नफरत फैलाती, एक दूसरे को छोटा आंकती व गैर जरुरी बातों का कैरियर बनना बंद करना होगा। अगर आपने यह बंद नहीं किया तो अततः सिर्फ हताशा हाथ लगेगी। युवाओं में हताशा अर्थात एक पूरी पीढ़ी का हार जाना होता है। जबकि युवा प्रतीक होता है प्रतिकूल परिस्थितियों से नौका को बाहर निकाल कर लाने का। तूफान के सामने चट्टान बन खड़े हो जाने का। इस भावना को जीवित रखियेगा। संपूर्ण समाज आपको बहुत आशा भरी नजरों से देख रहा है।
   चुनौती हमेशा प्रसन्नचित्त स्फूर्तिवान युवा ही दे सकता है। हताश युवा कभी भी चुनौती नहीं बन सकता। अवसरवादी यही चाहते हैं कि उनके सामने कोई चुनौती ना हो। इसलिए वह कभी नहीं चाहेंगे कि आप हताशा से बाहर आयें। इतिहास गवाह है कि नफरत की भट्ठी के ईंधन हमेशा युवा ही रहे हैं। अवसर वादियों के एजेंडे का बोझ हमाल बनकर सदा युवा ही उठाते रहे हैं। वक्त आ गया है कि जवाबदारों को यह बात समझा दी जाये कि उनने अगर आपके जीवन को सच्चा व अच्छा करने के लिये ठोस कदम नहीं उठाये तो आपकी नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।
   जिस दिन आप व्यवस्था के जवाबदारों को यह संदेश देने में सफल हो जायेंगे की आप अब उसी के साथ खड़े होंगे जो आपकी बातों के प्रति गंभीर है। तो यकीन मानिये नफरत, दूसरे को नीचा दिखाने, भारत पाकिस्तान चीन का तुलनात्मक अध्ययन करने जैसे मुद्दों को आगे कर आपका ध्यान बांटने, आपका समर्थन लेने की उनकी रणनीति में भी सार्थक परिवर्तन आ जायेगा। अब वे रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी जरुरी बातें करने लगेंगे। हमें जवाबदारों को मजबूर करना होगा है कि वे आपके लिये रोजगार, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था करें। उस दिशा में गंभीरता से सोचना शुरू करें। अगर ये तीन बातें पूरी हो गयी तो रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था करने में आप स्वयं ही सक्षम हो जायेंगे। स्वामी विवेकानंद जी का यह संदेश "उठो जागो और जब तक आप अपने अंतिम ध्येय तक नहीं पहुंच जाते हो तब तक चैन मत लो" आज हर युवा को आत्म सात करने की जरुरत है। इससे निरंतर आगे बढ़ने की व परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति मिलेगी।

व्यवस्थाएं हम से ही बनती हैं। हमारे कारण ही बिगड़ती हैं। हम ही उसके बिगड़े स्वरूप सुधार सकते हैं। इस बात को गांठ बांध लीजिए।

जय हिंद ....

राजेश बिस्सा की कलम से (लेखक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत स्वतंत्र विचारक )

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