July 02, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

मुख्यमंत्री संविधान हत्या दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हुए शामिल: आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित प्रदर्शनी का किया अवलोकन
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित संविधान हत्या दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह अत्यंत आवश्यक है कि लोकतंत्र की हत्या के उस काले दिन को हमारी भावी पीढ़ी भी जाने, समझे और उससे सीख ले। आपातकाल के दौर को याद करते हुए भावुक हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह कालखंड मेरे जीवन से गहराई से जुड़ा है। यह मेरे लिए मात्र एक घटना नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत पीड़ा है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि उनके बड़े पिताजी स्वर्गीय श्री नरहरि प्रसाद साय आपातकाल के दौरान 19 माह तक जेल में रहे। उस समय लोकतंत्र सेनानियों के घरों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी—कई बार घर में चूल्हा तक नहीं जलता था। ऐसे अनेक परिवारों को मैंने स्वयं देखा है। उन्होंने कहा कि निरंकुश सत्ता ने उस समय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचल दिया था, नागरिक अधिकार छीन लिए गए थे। वास्तव में, वह लोकतंत्र का काला दिन था, जिसका दंश हमारे परिवार ने झेला है और जिसे मैंने स्वयं जिया है।
मुख्यमंत्री साय ने कार्यक्रम के दौरान लोकतंत्र सेनानी परिवारों के सदस्यों से भेंट कर उन्हें सम्मानित किया तथा शॉल, श्रीफल एवं प्रतीक चिन्ह भेंट किए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार लोकतंत्र सेनानी परिवारों को सम्मान देने का कार्य कर रही है। इन परिवारों को प्रतिमाह 10 हजार से 25 हजार रुपए तक की सम्मान राशि दी जा रही है—यह उनके संघर्ष और बलिदान को नमन करने का एक विनम्र प्रयास है।
कार्यक्रम में उपस्थित छात्र-छात्राओं और युवाओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान की रक्षा हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे आपातकाल के इतिहास को जानें, पढ़ें और समझें कि किस प्रकार उस कालखंड में संविधान को कुचला गया था। लोकतंत्र को जीवित रखने और सशक्त करने के लिए जन-जागरूकता और सक्रिय भागीदारी अनिवार्य है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारत के संविधान और लोकतंत्र पर आपातकाल एक ऐसा कलंक है, जिसे इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज किया गया है। आपातकाल थोपकर न केवल संविधान को निष्क्रिय कर दिया गया, बल्कि मौलिक अधिकारों को समाप्त कर लोकतंत्र की आत्मा को कुचल दिया गया।
उन्होंने कहा कि उस समय देश को एक खुली जेल में बदल दिया गया था, जिसमें भय और आतंक का वातावरण था। एक लाख से अधिक लोगों को बिना न्यायिक प्रक्रिया के जेलों में बंद कर दिया गया, और उन्हें यातनाएं दी गईं। यह केवल राजनीतिक दमन का दौर नहीं था, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक चेतना को समाप्त करने का सुनियोजित प्रयास था।
डॉ. सिंह ने युवाओं से आह्वान किया कि वे आपातकाल के विषय में शोध करें, पढ़ें और समझें कि लोकतंत्र की रक्षा हेतु कितने लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। भविष्य में लोकतंत्र को सुरक्षित बनाए रखने के लिए हमें सदैव जागरूक और सजग रहना होगा।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि 25 जून 1975 भारतीय लोकतंत्र का सबसे शर्मनाक और काला दिन था। इस दिन संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को जिस तरह से कुचला गया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में नहीं मिलता। संविधान में मनमाने ढंग से संशोधन किए गए, जिससे देश की आत्मचेतना और नागरिक अधिकारों का दमन हुआ।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित जनजागरूकता रैली में भी भाग लिया।
मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष ने आपातकाल पर आयोजित विशेष प्रदर्शनी का किया अवलोकन
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आधारित विशेष प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
इस प्रदर्शनी में आपातकाल के दौरान की दमनकारी नीतियों, मानवाधिकारों के उल्लंघन और लोकतंत्र के हनन को चित्रों एवं दस्तावेजों के माध्यम से दर्शाया गया।
मुख्यमंत्री  साय ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय है, जिसे विस्मृत नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी प्रदर्शनी नई पीढ़ी को लोकतंत्र और संविधान के महत्व को समझाने में सहायक सिद्ध होगी।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रदर्शनी लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वालों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
इस  अवसर पर उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगन, विधायकगण श्री पुरंदर मिश्रा, गुरु खुशवंत साहेब,  मोतीलाल साहू, सीएसआईडीसी के अध्यक्ष श्री राजीव अग्रवाल, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष श्री नीलू शर्मा, लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सच्चिदानंद उपासने, प्रदेश अध्यक्ष श्री दिवाकर तिवारी, छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री शशांक शर्मा तथा संचालक संस्कृति श्री विवेक आचार्य सहित बड़ी संख्या में विद्वान, लोकतंत्र सेनानी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

निवेश और औद्योगिक विकास को गति मिलने की संभावना
  रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ में उपलब्ध सामरिक एवं रणनीतिक महत्व के खनिजों के सुव्यवस्थित अन्वेषण एवं दोहन के संबंध में राजधानी रायपुर स्थित न्यू सर्किट हाउस के कन्वेंशन हॉल में एकदिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
  कार्यशाला के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री के सचिव एवं खनिज संसाधन विभाग के सचिव पी. दयानंद ने कहा कि छत्तीसगढ़ खनिज संपदा से परिपूर्ण एक समृद्ध राज्य है, जहाँ 28 प्रकार के प्रमुख खनिज जैसे—कोयला, चूना पत्थर, डोलोमाइट, लौह अयस्क, बाक्साइट, टिन अयस्क के साथ-साथ लीथियम, कोबाल्ट तथा रेयर अर्थ एलिमेंट्स जैसे सामरिक एवं परमाणु महत्व के खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि नेशनल प्रोग्राम ऑन एक्सप्लोरेशन स्ट्रैटेजी तथा नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट (हृरूश्वञ्ज) के अंतर्गत संचालित प्रयासों को और अधिक गति प्रदान करने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इसका लक्ष्य राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना तथा राज्य में रणनीतिक खनिज परियोजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन की दिशा में ठोस कदम उठाना है।
  इस कार्यशाला का आयोजन खनिज संसाधन विभाग तथा छत्तीसगढ़ भूविज्ञान एवं खनन संचालनालय द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इसका उद्देश्य भारत की क्रिटिकल मिनरल्स क्षमता के समुचित दोहन हेतु वैज्ञानिक अन्वेषण तकनीकों को प्रोत्साहित करना, प्रस्ताव प्रस्तुतिकरण प्रणाली को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना तथा राष्ट्रीय स्तर की रणनीतिक अन्वेषण नीतियों में राज्य की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करना था।
  कार्यशाला के तकनीकी सत्रों में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के रविकांत गुप्ता ने छत्तीसगढ़ की भूवैज्ञानिक विशेषताओं एवं ओजीपी क्षेत्रों की संभावनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड के भुवनेश्वर कुमार ने लीथियम, कोबाल्ट, ग्रेफाइट, निकल, टंगस्टन, फॉस्फेट जैसे खनिजों की खोज हेतु आधुनिक भू-भौतिकीय एवं भू-रासायनिक तकनीकों पर आधारित प्रस्तुति दी, जिससे अधिकारियों को नवीनतम विधियों की जानकारी प्राप्त हुई। एनएमईटी से  अक्षय वर्मा ने प्रस्ताव तैयार करने की प्रक्रिया, वित्तीय सहायता एवं अनुदान नीतियों की जानकारी साझा करते हुए एनएमईटी के अंतर्गत उपलब्ध अवसरों को रेखांकित किया और राज्य की अधिक सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया।

वैश्विक खनिज आपूर्ति श्रृंखला में छत्तीसगढ़ की भूमिका पर बल

कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया कि छत्तीसगढ़ की खनिज विविधता और गुणवत्ता इसे वैश्विक खनिज आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण कड़ी बना सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि खनिज उत्पादन, बाज़ार मांग और भविष्य की संभावनाओं के बीच संतुलन स्थापित कर राज्य खनिज आधारित औद्योगिक विकास का नेतृत्व कर सकता है।
 समापन सत्र में राज्य में अब तक किए गए खनिज सर्वेक्षणों, उनके निष्कर्षों एवं प्रस्तावित परियोजनाओं की समीक्षा की गई। अधिकारियों ने तकनीकी दक्षता तथा अंतर-विभागीय समन्वय को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया। भूविज्ञान एवं खनन संचालनालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि खनिज संसाधन किसी भी राज्य की आर्थिक प्रगति का मूल आधार होते हैं। कार्यशाला ने यह स्पष्ट किया कि पारदर्शी, तकनीकी रूप से सक्षम एवं समयबद्ध प्रक्रियाएं अपनाकर छत्तीसगढ़ न केवल निजी एवं सार्वजनिक निवेश को आकर्षित कर सकता है, बल्कि राष्ट्रीय रणनीतिक खनिज नीति में भी अग्रणी भूमिका निभा सकता है। सभी प्रतिभागियों ने खनिज आधारित सतत औद्योगिक विकास हेतु संयुक्त प्रयास और दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।
  इस अवसर पर कार्यशाला में आईआईटी धनबाद के प्रो. साहेंद्र सिंह, आईबीएम के प्रेम प्रकाश, संचालक रजत बंसल, संयुक्त संचालक अनुराग दीवान एवं  संजय कनकाने सहित विभिन्न केंद्रीय एवं राज्य स्तरीय एजेंसियों, अनुसंधान संस्थानों, नीति सलाहकारों एवं तकनीकी विशेषज्ञों ने सहभागिता की।

दुर्ग। शौर्यपथ। दुर्ग नगर निगम में वर्तमान शहरी सरकार ने अभी मात्र 100 दिन पूरे किए हैं, लेकिन इन सौ दिनों में निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली को लेकर कर्मचारियों से…

दुर्ग / शौर्यपथ न्यूज /

   विद्यालयों और कॉलेजों के आसपास नशीले और तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और कोटपा अधिनियम 2003 (ष्टह्रञ्जक्क्र) की धारा 6(ड्ढ) के प्रावधानों के तहत नगर निगम दुर्ग द्वारा लगातार सख्त कार्रवाई की जा रही है। इसी क्रम में बुधवार को निगम की संयुक्त टीम ने शहर के विभिन्न स्कूल-कॉलेजों के आसपास औचक जांच अभियान चलाया, जिसमें बीड़ी, सिगरेट, गुटखा और तंबाकू जैसे प्रतिबंधित पदार्थ जब्त किए गए तथा  7000 से अधिक का जुर्माना वसूला गया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पृष्ठभूमि
  भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न आदेशों में स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि विद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज (लगभग 91 मीटर) के दायरे में किसी भी प्रकार के तंबाकू उत्पादों की बिक्री पूर्णत: प्रतिबंधित है। यह गाइडलाइन देशभर में लागू है और सभी राज्य सरकारों व नगर निकायों को इसके पालन का निर्देश है। इसके उल्लंघन को बाल अधिकारों के हनन के रूप में देखा जाता है।

निगम की कार्रवाई - प्रतिबंधित वस्तुएं जब्त
 होटल-बेकरी पर भी कार्रवाई
  नगर निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल के निर्देश पर गठित विशेष दल ने अतिक्रमण अधिकारी परमेश्वर यादव के नेतृत्व में बाजार निरीक्षण अधिकारी ईश्वर वर्मा, शशिकांत यादव तथा निगम अमले के साथ बोरसी वार्ड क्रमांक 52, शासकीय स्कूल, विश्वदीप स्कूल और आसपास के क्षेत्र में व्यापक जांच अभियान चलाया।
  टीम ने मौके पर मौजूद दुकानों और ठेलों से बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, तंबाकू उत्पादों को जब्त किया और संबंधित दुकानदारों पर जुर्माना ठोका। इसके साथ ही भिलाई बेकरी और एक नॉनवेज होटल से डिस्पोजल आइटम और झिल्ली के उपयोग पर भी कानूनी कार्यवाही की गई और जुर्माना वसूला गया।

क़ानूनी पृष्ठभूमि: कोटपा अधिनियम 2003
  यह अभियान ष्टह्रञ्जक्क्र ्रष्ह्ल, 2003 के तहत संचालित किया गया, जिसमें धारा 6(ड्ढ) के अंतर्गत शैक्षणिक संस्थानों से 100 गज की परिधि में तंबाकू उत्पादों की बिक्री प्रतिबंधित है। उल्लंघन करने वालों पर  200 से  5000 तक का जुर्माना तथा आगे कठोर कार्रवाई का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त, धारा 4 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान वर्जित है।

  भिलाई / शौर्यपथ / भिलाई इस्पात संयंत्र की परिवहन व्यवस्था को और अधिक सुरक्षित, सुव्यवस्थित एवं अनुशासित बनाने के उद्देश्य से आज दिनांक 25 जून 2025 को संयंत्र भवन में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक संयंत्र के ईडी वक्र्स श्री राकेश कुमार के आमंत्रण पर आयोजित हुई, जिसमें ट्रांसपोर्ट से जुड़े विविध विषयों पर गंभीरता से विचार-विमर्श हुआ।
 बैठक में संयंत्र प्रबंधन की ओर से ईडी वक्र्स श्री राकेश कुमार तथा जीएम सर्विसेस श्री तुषार कांत उपस्थित रहे। वहीं, भिलाई ट्रक ट्रेलर ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन की ओर से कार्यकारी अध्यक्ष अनिल चौधरी, कोषाध्यक्ष जोगा राव, एवं सदस्यगण मुन्ना सिंह, ललित मोहन, संतोष सिंह, शहनवाज कुरैशी, प्रेम सिंह, सुनील यादव, मनोज अग्रवाल, पंकज शर्मा, रोशन वर्मा एवं जगजीत सिंह ने भाग लिया।
 बैठक में संयंत्र परिसर के भीतर ट्रांसपोर्ट संचालन को नियमबद्ध, सुरक्षित और पारदर्शी रूप में संचालित करने पर सहमति बनी। संयंत्र प्रबंधन ने स्पष्ट रूप से निर्देशित किया कि परिवहन नियमों का सख्ती से पालन अनिवार्य होगा। इस पर एसोसिएशन की ओर से संयंत्र को हरसंभव सहयोग देने का भरोसा दिया गया।बैठक सौहाद्र्रपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुई और दोनों पक्षों ने संयंत्र की कार्यप्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए समन्वय,संवाद बनाए रखने का संकल्प लिया।

दुर्ग / शौर्यपथ विशेष रिपोर्ट दुर्ग जिले के ग्राम कोनारी स्थित अवैध गुटखा फैक्ट्री पर 10 दिनों में तीन बार कार्रवाई हुई, लेकिन हर बार सामने आई लापरवाही, आधी-अधूरी कार्रवाई…

रायपुर/ शौर्यपथ विशेष रिपोर्ट
  प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने छत्तीसगढ़ सरकार की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए तीखा हमला बोला है। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति ज़ारी करते हुए  कहा कि रायपुर जिले और नगर निगम क्षेत्र के स्कूलों में व्याख्याताओं के 250 से अधिक पद रिक्त हैं, इसके बावजूद स्थानीय शिक्षकों को जबरिया दूसरे जिलों में भेजा जा रहा है। उन्होंने इस प्रक्रिया को शिक्षकों के खिलाफ षड्यंत्र करार देते हुए कहा कि यह एक प्रकार का "शासकीय अन्याय" है।

वर्मा ने आरोप लगाया कि काउंसलिंग प्रक्रिया में रायपुर और आसपास के स्कूलों की रिक्तियों को जानबूझकर छुपाया जा रहा है ताकि शिक्षकों को विकल्प न मिल सके और उन्हें जबरदस्ती अन्य जिलों में भेजा जा सके। “ये शिक्षक हैं, अपराधी नहीं। लेकिन सरकार उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है,” उन्होंने कहा।
कांग्रेस प्रवक्ता ने सरकार की नीयत पर भी सवाल उठाए और कहा कि शिक्षा विभाग में एक संगठित लूट का गिरोह काम कर रहा है। नियम केवल दिखावे के लिए हैं, जिनका पालन खुद विभागीय अधिकारी नहीं करते। वरिष्ठता और कनिष्ठता के नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।

वर्मा ने मांग की है कि अतिशेष शिक्षकों और स्कूलों की जिलेवार सूची, विषयवार और वरिष्ठता क्रम के अनुसार तुरंत सार्वजनिक की जाए। उन्होंने कहा कि चक्रीय क्रम और संकायवार पदस्थापना के नियमों को सरकार अपनी सुविधानुसार परिभाषित कर शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।
  उन्होंने स्पष्ट किया कि “काउंसलिंग और कमेटियां केवल औपचारिकता भर हैं, न तो शिक्षकों की बात सुनी जा रही है और न ही उनकी समस्याओं का समाधान हो रहा है।”

शिक्षकों के खिलाफ हो रहे अन्याय की गूंज अब अदालतों तक पहुँच चुकी है। वर्मा ने बताया कि युक्तियुक्तकरण के विरुद्ध सैकड़ों याचिकाएं उच्च न्यायालय में लंबित हैं, जिस पर अदालत ने विभाग से जवाब भी मांगा है, लेकिन सरकार राहत के बजाय टालमटोल और शिक्षकों में भय का वातावरण बना रही है।
  उन्होंने यह भी पूछा कि जब नगर निगम के स्कूल शिक्षा विभाग में मर्ज हो चुके हैं और उनका वेतन भी शिक्षा विभाग से ही दिया जा रहा है, तो फिर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में उन्हें शामिल क्यों नहीं किया गया?

मीसा बंदियों का किया गया सम्मान, तिरंगा रैली निकालकर किया गया कार्यक्रम का समापन
बालोद/शौर्यपथ /संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा आज जिला मुख्यालय बालोद के टाउन हाॅल मे देश में 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगाँठ पूरा होने पर संविधान हत्या दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती तारणी पुष्पेन्द्र चन्द्राकर, नगर पालिका बालोद की अध्यक्ष श्रीमती प्रतिभा चैधरी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री तोमन साहू, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य श्री यशवंत जैन, वरिष्ठ जनप्रतिनिधि श्री चेमन देशमुख, जनपद पंचायत बालोद की अध्यक्ष श्रीमती सरस्वती टेमरिया, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष श्री यज्ञदत्त शर्मा, श्री पवन साहू, श्री केसी पवार, जनपद पंचायत गुरूर के उपाध्यक्ष श्री दुर्गानंद साहू, श्री राकेश यादव छोटू एवं नगर पालिका परिषद बालोद के पार्षदों के अलावा अन्य जनप्रतिनिधियों के अलावा अपर कलेक्टर श्री अजय किशोर लकरा, एसडीएम श्री नूतन कंवर, डिप्टी कलेक्टर श्रीमती प्राची ठाकुर, तहसीलदार श्री आशुतोष शर्मा सहित जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, मुख्य नगर पालिका अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक, अधिकारी-कर्मचारी, छात्र-छात्राओं सहित समाज के सभी वर्ग के लोग कार्यक्रम में शामिल हुए।
इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती प्रतिभा चैधरी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री तोमन साहू, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य श्री यशवंत जैन, वरिष्ठ जनप्रतिनिधि श्री पवन साहू एवं श्री केसी पवार के द्वारा आपातकाल तथा 25 जून 1975 को आपातकाल लगने के बाद देश में उत्पन्न परिस्थिति के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। समारोह में अतिथियांे के द्वारा आपातकाल के दौरान जेल में सजा काटने वाले मीसा बंदी श्री नेमसिंह साहू के अलावा मीसा बंदी स्व. शंकर गुहा नियोगी की धर्मपत्नी श्रीमती आशादेवी गुहा नियोगी, स्व. लोचन प्रसाद की धर्मपत्नी श्रीमती कमला देवी एवं स्व. केजूराम की धर्मपत्नी श्रीमती शैलदेवी को शाॅल, श्रीफल भेंटकर सम्मान किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों, छात्र-छात्राओं एवं आम नागरिकों के द्वारा देश के लोकतंत्र के प्रति अटूट आस्था व्यक्त करते हुए उनके समर्थन में तिरंगा रैली भी निकाली गई।

मीसाबंदियों की 50वीं वर्षगांठ पर भावपूर्ण सम्मान, छायाचित्र प्रदर्शनी एवं फिल्म प्रदर्शन
मुंगेली/शौर्यपथ / आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज जिला मुख्यालय स्थित सामुदायिक भवन में आयोजित विविध कार्यक्रमों के माध्यम से लोकतंत्र के लिए संघर्षरत मीसाबंदियों को नमन किया गया। इस अवसर पर छायाचित्र प्रदर्शनी, प्रेरणादायक फिल्म प्रदर्शन एवं मीसाबंदियों का सार्वजनिक सम्मान किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मां भारती के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुई। इसके पश्चात आपातकाल लोकतंत्र की हत्या विषय पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया, जिसमें आपातकाल की विभीषिका, आंदोलनों और मीसाबंदियों के संघर्षों को चित्रों के माध्यम से जीवंत किया गया। बड़ी संख्या में नागरिकों, विद्यार्थियों एवं युवाओं ने प्रदर्शनी का अवलोकन कर इतिहास को समझने का प्रयास किया।
         इस अवसर पर मीसाबंदी श्री द्वारिका जायसवाल एवं श्री कृष्ण कुमार सोनी ने आपातकाल के दौरान अपने अनुभव साझा किए। श्री जायसवाल ने कहा कि आपातकाल के दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए अत्यंत पीड़ादायक थे। नागरिक अधिकारों पर रोक लगाई गई और आवाज उठाने वालों को जेल में डाला गया। वहीं श्री सोनी ने जेल में हुए अमानवीय व्यवहार और मीसाबंदियों के साहसिक संघर्ष की बात कही। मुख्य अतिथि विधायक श्री पुन्नूलाल मोहले ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय था। उस समय मौलिक अधिकारों और संविधान की खुलेआम अवहेलना की गई। उन्होंने कहा कि 25 जून हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों की महत्ता की याद दिलाता है। मीसाबंदियों का बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।
        जिला पंचायत अध्यक्ष श्री श्रीकांत पांडेय ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी को आपातकाल के उस दौर से सीख लेकर लोकतंत्र की मजबूती में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे संविधान और लोकतंत्र की रक्षा हेतु सदैव सजग रहें। कार्यक्रम के दौरान मीसाबंदियों एवं उनके परिवारजनों को शाल व श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया गया। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री प्रभाकर पांडेय ने अंत में सभी अतिथियों और नागरिकों के प्रति आभार प्रकट किया। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्रीमती निष्ठा पांडेय तिवारी एवं श्रीमती मेनका प्रधान, गणमान्य नागरिक श्री दीनानाथ केशरवानी, स्थानीय जनप्रतिनिधिगण, मीडिया प्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

रायपुर/शौर्यपथ /संस्कृति विभाग द्वारा राज्य के अर्थाभावग्रस्त होनहार कलाकारों-छात्रों से अर्थाभावग्रस्त होनहार कलाकार छात्रवृत्ति प्रोत्साहन के लिए आवेदन डाक के माध्यम से आमंत्रित की गई है। आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 अगस्त 2025 निर्धारित है।
गौरतलब है कि राज्य शासन द्वारा प्रदेश के होनहार किन्तु अर्थाभावग्रस्त युवा कलाकारों को उच्च प्रशिक्षण, शिक्षा के लिए ऐसे छात्र-छात्राएं जो संगीत, नृत्य, प्रदर्शनकारी कला विधा में शिक्षा, उच्च शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्था में अध्ययनरत, गुरूशिष्य परंपरा के तहत पारंपरिक लोक कलाएं सीखने वाले बच्चों तथा बच्चों को संस्कृति विभाग द्वारा महत्वपूर्ण विधा के अनुरूप मासिक छात्रवृत्ति प्रोत्साहन प्रदान करने के उद्देश्य से ‘अर्थाभावग्रस्त होनहार’ युवा कलाकारों, छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना स्थापित किया गया है।
प्रदर्शनकारी कला/विधा एवं उप विधाओं में छत्तीसगढ़ के लोक/पारंपरिक जनजातीय कलाएं (छत्तीसगढ़ की समस्त पारंपरिक जनजातीय और लोक नाट्य, नृत्य, गीत-संगीत, खेल, चंदैनी, भरथरी, गोपी-चंदा, पंडवानी, घोटुलपाटा, धनकुल, जगार तथा छत्तीसगढ़ की अन्य पारंपरिक लोक जनजातीय गाथाएं, वाद्य, पाक कला, सौन्दर्यकला, गायन, वादन आदि), शास्त्रीय संगीत (हिन्दुस्तानी एवं कर्नाटिक गायन-वादन), शास्त्रीय नृत्य तथा नृत्य संगीत (भरत नाट्यम, कत्थक, कुचिपुड़ी, मोहनी अट्टम, ओडिशी, मनिपुरी, कथककली, ओडिशी नृत्य और संगीत), रंग मंच (हिन्दी और छत्तीसगढ़ी नाट्य मंचन, नाचा, भतरा नाट्य तथा अन्य लोक जनजातीय नाट्य विधा सहित), दृश्य कला (ग्राफिक्स, मूर्तिकला, पेंटिंग, फोटोग्राफी, मृदभांड तथा मृणकला, छत्तीसगढ़ के विविध लोक जनजातीय परंपराओं के चित्रांकन की विधा) और सुगम शास्त्रीय संगीत (ठुमरी, दादरा, टप्पा आदि कव्वाली, गजल) शामिल हैं।
आवेदन के लिए पात्रता एवं सामान्य शर्तें निर्धारित की गई है। इसके तहत छत्तीसगढ़ के वास्तविक निवासी हो, आवेदक की आयु 15 वर्ष से कम तथा 30 वर्ष से अधिक न हो, आवेदक अथवा उनके परिवार की वार्षिक आय 72000 रूपए से अधिक न हो, संस्कृति विभाग के चिन्हारी पोर्टल में पंजीयन अनिवार्य रूप से किया गया हो। इन आवेदकों को विभाग द्वारा निर्धारित वार्षिक प्रोत्साहन राशि न्यूनतम पांच हजार रूपए से अधिकतम दस हजार रूपए होगी। प्रोत्साहन की राशि डिमांड ड्राफ अथवा ई-पेमेंट के माध्यम से देय होगा। प्रोत्साहन योजना से संबंधित जानकारी विभागीय वेबसाईट http://www.cgculture.in/ पर भी देखी जा सकती है।

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