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शौर्यपथ / पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भारी तबाही मचाता हुआ अम्फान तूफान भारत से गुजर चुका है। जब हवा 195 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही हो और तेज बारिश का उसे साथ मिले, तो उसकी राह में आने वाली हर चीज का नुकसान स्वाभाविक है। मगर अम्फान में अच्छी बात यह रही कि इसमें मौत की संख्या थामने में हम बहुत हद तक सफल रहे। हां, सार्वजनिक और निजी संपत्ति को क्षति जरूर पहुंची है, पर कुछ जरूरी मानकों का पालन किया गया होता, तो इसे भी सीमित रखना संभव था। फिलहाल, अम्फान से हुई तबाही का ठीक-ठीक आकलन लगाया जा रहा है।
किसी भी तूफान से लड़ने के लिए पूर्व-सूचना सबसे कारगर हथियार मानी जाती है। इसका अर्थ है कि संकट के आने का अंदेशा कब लगाया गया, और इस बाबत संबंधित शासन-प्रशासन को सूचना कब जारी की गई? यह सूचना जितनी सटीक होती है, जान-माल का नुकसान कम करने में शासन-प्रशासन को उतनी ही ज्यादा मदद मिलती है। भारतीय मौसम विभाग इस पहलू पर पिछले काफी समय से गंभीरता से काम कर रहा है, जिसके अच्छे नतीजे आए हैं। अक्तूबर 2013 में ही ओडिशा में आए फैलिन तूफान की पूर्व-सूचना से हमें काफी फायदा मिला था और संकट आने से पहले ही लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाकर उनकी जान बचाई गई थी, जबकि उस वक्त अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने बड़ी संख्या में लोगों की मौत का अंदेशा जताया था।
आज भीषण तूफान जैसी आपदा से यदि लोगों की जान बचाई जा रही है, तो इसका श्रेय काफी हद तक राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को दिया जा सकता है। इसकी स्थापना से पहले कुदरती आपदाओं को सिर्फ इस रूप में देखा जाता था कि आपदा के बाद बचाव और राहत के काम किस तरह किए जाएं। अब इस सोच में बदलाव आया है। अब आपदा से पहले बचाव के तरीके, उससे निपटने की तैयारी और नुकसान कम करने संबंधी उपायों पर ध्यान दिया जाता है, साथ ही आपदा के बीत जाने के बाद राहत और पुनर्निर्माण के कामों पर। एक समग्र रणनीति का ही नतीजा है कि अब आपदा में एक पूरा तंत्र सक्रिय हो जाता है, जो न सिर्फ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को बाहर निकालता है, बल्कि उनके ठहरने और खाने-पीने का भी पूरा इंतजाम करता है। इसी कारण अम्फान तूफान गुजर जाने के तुरंत बाद ओडिशा में जनजीवन सामान्य होने लगा।
यह सही है कि कोरोना-संक्रमण के काल में अम्फान जैसे संकट से लोगों को बचाना कम जोखिम भरा नहीं है। प्रभावित क्षेत्रों से लाखों लोगों को बाहर निकालना और उन्हें किसी सुरक्षित स्थान पर एक साथ रखने से कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा है। जब पीने का पानी ही सीमित मात्रा में हो, तब यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि लोग बार-बार साबुन से हाथ धोएंगे। मगर, पिछले दो महीने के जागरूकता अभियान ने लोगों को इतना सजग तो बना ही दिया है कि वे स्वयं सावधानी बरतने लगे हैं। संभव है, उन्हें मास्क, सैनिटाइजर वगैरह भी उपलब्ध कराए गए हों। लिहाजा, उनकी हालत उन प्रवासी मजदूरों जैसी नहीं होगी, जो बिना किसी तूफान के ही मुश्किलों से लड़ रहे हैं।
बहरहाल, किसी आपदा के दौरान दो बातों का खास ध्यान रखा जाता है। पहली बात, जान की रक्षा करना, और दूसरी, सरकारी और निजी संपत्ति का कम से कम नुकसान। चक्रवाती तूफान में इस तरह के नुकसानों को रोकना इसलिए मुश्किल होता है, क्योंकि हवा की तेज गति, समुद्र की ऊंची लहरें और मूसलाधार बारिश आपस में मिलकर संकट को भयावह बना देती हैं। हालांकि, पूर्व सूचना के साथ-साथ राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए कई कदम भी अब मददगार साबित होने लगे हैं। जैसे, वे अब आधुनिक जीपीएस का इस्तेमाल करने लगे हैं। वे हवा की गति, समुद्री लहरों की ऊंचाई और बारिश की तीव्रता का आकलन करके प्रभावित इलाकों की पहचान करने लगे हैं और वहां से लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लेते हैं। अपने यहां 2008 में ही चक्रवाती तूफान संबंधी दिशा-निर्देश तैयार कर लिए गए थे। उससे पहले 2006 से ही चक्रवाती तूफान और अन्य आपदाओं के मद्देनजर मॉक ड्रिल का काम सभी राज्यों में शुरू हो गया था। इससे भी राज्यों को काफी फायदा मिला है।
दिक्कत तब आती है, जब ऐसे दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज किया जाता है। पश्चिम बंगाल में साल 2009 के आइला तूफान में जब काफी नुकसान हुआ था, तब प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर मैं प्रभावित इलाकों में गया था। हमारी टीम का प्रस्ताव था कि पश्चिम बंगाल में भी ओडिशा या आंध्र प्रदेश की तरह तूफान राहत केंद्र बनाए जाएं। इन वर्षों में इस पर कितना काम हुआ है, यह तो मुझे पता नहीं, लेकिन वहां इसके लिए जगह का मिलना मुश्किल था, और फिर उसके डिजाइन को बदलने की जरूरत थी, क्योंकि वहां मिट्टी भुरभुरी थी। इससे लागत भी बढ़ रही थी।
हर आपदा से हमें सीखने का मौका मिलता है। अम्फान भी हमारे लिए ऐसा ही सबक लेकर आया है। इस तूफान का डॉक्यूमेंटेशन यानी दस्तावेजीकरण होना चाहिए। आमतौर पर हम यह तो ध्यान रखते हैं कि किस काम से हमें कितना फायदा मिला, मगर यह भूल जाते हैं कि किस काम को न करने से कितना ज्यादा नुकसान हुआ। इसके साथ-साथ यह आकलन भी किया जाना चाहिए कि किसी काम को गलत तरीके से करने से हमें नुकसान तो नहीं हुआ? हमें अपनी सफलता और विफलता, सब कुछ बतौर रिकॉर्ड दर्ज करना चाहिए और अगली आपदा से निपटने की रणनीति बनाने में उसका इस्तेमाल करना चाहिए।
इसी तरह, एक अध्ययन यह भी होना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन का इन तूफानों पर कितना असर हुआ है। बेशक पिछले कुछ वर्षों में चक्रवाती तूफान की बारंबारता बढ़ गई है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसकी वजह जलवायु परिवर्तन है। हां, जलवायु परिवर्तन से कम समय में तेज बारिश की आशंका जरूर बढ़ गई है, जिससे काफी नुकसान होता है। रही बात भौतिक संपत्तियों के नुकसान की, तो इसे लेकर जो दिशा-निर्देश हैं, उनमें कहा गया है कि उसी आपदा को मानक बनाकर निर्माण-कार्य होने चाहिए, जिससे सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान हुआ है। इससे अगली बार उस तीव्रता की आपदा उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाती। परेशानी की बात यह है कि इस पर अमल नहीं हो रहा, जबकि इसमें तुलनात्मक रूप से बहुत ज्यादा खर्च भी नहीं होता।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
दुर्ग / शौर्यपथ खास खबर /नगर निगम के क्षेत्र के विद्यत नगर में निगम ने नाली से अतिक्रमण तो हटा लिया जिस पर हेमलता साहू द्वारा बाउण्ड्रीवाल का निर्माण किया जा रहा था . अतिक्रमण हटाने के लिए निगम का पूरा अमला अगया और अतिक्रमण हटा लिया गया . अतिक्रमण हटाने के बाद निगम प्रशासन द्वारा अपनी पीठ थपथपाने के लिए बाकायदा प्रेस विग्यप्ति ज़ारी कर शहर की जनता से अपील की गयी कि किसी भी तरह के अतिक्रमण की शिकायत पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी . देखने और सुनने में बहुत अच्छा लगता है कि निगम प्रशासन द्वारा जनता के हितो का खयाला रखा जा रहा है और सुशासन की पहचान बन रही है जबकि हकीकत ठीक इसके उलट है दुर्ग निगम आयुक्त की अपील सिर्फ एक कोरा दिखावा प्रतीत होती है .
शौर्यपथ समाचार पत्र द्वारा ऐसे कई अतिक्रमण की जानकारी निगम आयुक्त को दी गयी किन्तु किसी भी मौखिक शिकायत पर आयुक्त द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी . प्राप्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि निगम प्रशासन निदान में की गयी शिकायत पर भी कार्यवाही में कई मामलो में निष्क्रिय है . दुर्ग निगम में सब इंजिनियर व्ही.पी. मिश्रा के सड़क पर सड़क के भ्रष्टाचार की शिकायत दस्तावेजो में दब गयी किन्तु मामले की पूर्ण जानकारी होते हुए भी निगम आयुक्त मौन है . फ्लेक्स घोटाला जो लाखो का हुआ है पर भी अभी तक निगम आयुक्त मौन ही है कार्यवाही कब होगी ये भी जाँच का विषय बनता जा रहा है . स्थिति यहाँ तक आ गयी है कि अतिक्रमण की कार्यवाही के लिए अब सत्ता पक्ष के पार्षद भी निदान की सहायता ले रहे है . अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों को गाली गलौच से बात की जाती है किन्तु जानकारी के बाद भी निगम आयुक्त का मौन रहना प्रशासन की कार्यप्रणाली को दर्शाता है .
निगम प्रशासन की कार्यवाही नाली में कचरा फेकने वाले आम जनता पर जुर्माना लगा कर , नाली पर कचरा मिलने पर कर्मचारियों का वेतन काट कर , सड़क पर मोटर साइकल रोक कर मास्क न पहनने वालो पर जुर्माना लागाने जैसे बड़े बड़े कार्य तो कर रही है किन्तु शहर के मुख्य्बाजऱ में व्यापारियों द्वारा सड़क तक सामान फैला कर व्यापार कर रहे बड़े व्यापारियों की तरफ निगम आयुक्त का ध्यान क्यों नहीं जाता है क्या सिर्फ शहर की निगम क्षेत्र की जनता को कमजोरो पर कार्यवाही कर वाहवाही लुटने के लिए ही निगम प्रशासन ?
भिलाई / शौर्यपथ / आगजनी के चलते हुई मजदूर की मौत के मामले में भिलाई-3 पुलिस ने जांच के बाद श्री श्याम केमिकल फैक्ट्री के मालिक कमल सेन उर्फ कमल चौहान के खिलाफ अपराध कायम कर लिया है। पुलिस जांच में असुरक्षा और लापरवाहीपूर्वक मजदूरों से काम लिए जाने की बात ही साबित हुई है। इस मामले में अग्रदूत ने खबरों के जरिए फैक्ट्री मालिक की लापवाही को उजागर किया था।
हथखोज के भारी औद्योगिक क्षेत्र स्थित श्री श्याम केमिकल में 28 अप्रैल को भीषण आगजनी हुई थी। इस घटना में पचपेड़ी भिलाई तीन निवासी गोपेन्द्र देशलहरे पिता ईश्वरलाल (33 वर्ष) एवं मुकेश निषाद फैक्ट्री में काम करते समय बुरी तरीके से झुलस गए। दोनों को सेक्टर 9 अस्पताल के बर्न यूनिट में भर्ती कराया गया। जहां 3 मई को गोपेन्द्र देशलहरे की इलाज के दौरान मौत हो गई।
इस मामले में भिलाई-3 पुलिस ने जो जांच की उसमें पाया गया कि जब फैक्ट्री में आग लगी तो मालिक कमल सेन उर्फ कमल चौहान मृतक गोपेन्द्र देशलहरे व घायल मुकेश निषाद से बिना किसी सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराये काम करा रहा था। इसी आधार पर कमल सेन के खिलाफ धारा 287, 304 ए के तहत अपराध कायम किया गया है। गौरतलब रहे कि श्री श्याम केमिकल में 28 अप्रैल को हुई आगजनी में 3 मई को गोपेन्द्र देशलहरे की मौत के बाद अग्रदूत ने क्रमश: खबर प्रकाशित कर फैक्ट्री मालिक की लापरवाही की ओर शासन प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराया था। 15 साल पहले बनी इस फैक्ट्री में समय के साथ पुराने मशीनरी को नहीं बदलने के चलते आगजनी की संभावना को बल मिला था। वहीं आगजनी के बाद उस पर काबू पाने आधनिकतम तकनीक विकसित करने के प्रति भी फैक्ट्री मालिक की अनदेखी मजदूर की मौत का कारण बन गई। मृतक मजदूर का ईएसआई में पंजीयन नहीं था। जबकि ऐसा किया जाना फैक्ट्री मालिक के लिए श्रम कानून के तहत जरुरी था। ईएसआई में पंजीकृत नहीं होने से मृतक गोपेन्द्र देशलहरे के परिजनों को लगभग 10 लाख रुपए मुआवजे से वंचित होना पड़ा। वहीं पत्नी को आजीवन तथा दोनों पुत्रों को 25 साल की उम्र तक पेंशन की पात्रता से भी हाथ धोना पड़ गया।
भिलाई / शौर्यपथ / छावनी थानांतर्गत बैकुण्ठ धाम के पास कल देर शाम हुए पुलिस कर्मियेंा और पुलिस वाहन की 112 गाउ़ी सीजी 03-7082 पर पथराव करने वाले पांच लोगों पर छावनी पुलिस ने धारा 353, 186, 174, 148 लोकसंपत्ति क्षति निवारण अधिनियत 1984 की धारा 3 के तहत आरोपी विशाल मनीष गुप्ता,उदय प्रताप, करण साव, कृष्णा राय के विरूद्ध प्रार्थी सुनिल त्रिपाठी की रिपोर्ट पर इन पांचो आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया।
छावनी थाना टीआई विनय सिंह ने बताया कि पांच लोग जो इस मामले में पकड़े गये हैं, वे लॉकडाउन का उल्लंघन कर मोहल्ले में घूमने से बाज नही आ रही थे, इसी मामले को लेकर जब 112 की टीम द्वारा इनको पहले भी कई बार समझाईश दी गई लेकिन ये नही मानते थीे इसी तरह कल शाम को भी जब 112 पुलिस की टीम थाना समझाईश देने े बााद सख्ती बरती गई तो मनीश सहित उसके साथियों को नागवार गुजरा और इसके कारण ये मनीष और उसके साथियों सहित मोहल्ले वालों द्वारा पुलिस वालों के साथ मारपीट कर पुलिस वाहन में तोडफ़ोड़ किया गया।
इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीखक अजय यादव ने इस मामले की जांच की जिम्मेारी सीएसपी छावनी को करने की सौंपी है, इसकी जांच रिपोर्ट सीएसपी द्वारा पांच दिनों में एसपी को दी जायेगी।
राजनांदगांव / शौर्यपथ / लॉकडाउन में अप्रवासी मजदूरों की बदहाल हालत को दुरूस्त करने के लिए बाघनदी बार्डर में तैनात आईटीबीपी की 38वीं वाहिनी ने सेवाभाव दिखाते हुए मजदूरों की सुध ली है। बार्डर में बड़े पैमाने पर थके-प्यासे पहुंच रहे मजदूरों के प्रति उदारता का परिचय देते हुए आईटीबीपी के जवान पूरी शिद्दत के साथ मदद के लिए सामने आ रहे हैं। आईटीबीपी के मददगार रूख ने मजदूरों की भूख और प्यास को दूर करने का काम किया है। सिविक एक्शन प्लान के तहत 38वीं वाहिनी की ओर से भोजन के पैकेट के साथ-साथ मठा भी मजदूरों को दिया जा रहा है। आईटीबीपी की ओर से मजदूरों को बार्डर में प्रवेश करते ही भोजन भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
इसके अलावा शारीरिक परेशानी से त्रस्त मजदूरों को चिकित्सकों की सलाह के पश्चात दवाई भी दी जा रही है। इस संबंध में डिप्टी कमांडेंट रंजन कुमार ने कहा कि कमांडेंट नरेन्द्र सिंह के दिशा-निर्देश पर सिविक एक्शन प्लान के तहत मजदूरों को मदद की जा रही है। आईटीबीपी सामाजिक सरोकार से जुड़ते हुए यह प्रयास कर रहा है। इधर बाघनदी बार्डर में आईटीबीपी की ओर से सूखे खाद्य पदार्थ भी दिए जा रहे हैं। मजदूरों की तकलीफ को दूर करने की कोशिश में जुटे आईटीबीपी के आलाधिकारी और अन्य जवान हरसंभव मजदूरों की दशा को सुधारने में मदद कर रहे हैं। आईटीबीपी के इस प्रयास की जमकर सराहना हो रही है। आईटीबीपी 24 घंटे बार्डर में मजदूरों की देखभाल के लिए डटा हुआ है।
राजनांदगांव / शौर्यपथ / करोना संक्रमण काल के इस वैश्विक संकट में मजदूर साथियों को अपने कार्य क्षेत्र को छोड़कर घर आने की आपाधापी में भूखे-प्यासे मजदूरों की सेवा करने के लिए जिला भाजपा द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह एवं सांसद संतोष पांडे के आवाहन पर जिला भाजपा अध्यक्ष मधुसूदन यादव के नेतृत्व में जिला भाजपा द्वारा खाद्यान्न सामग्री के पैकेट प्रवासी मजदूरों को बांटे गए।
महाराष्ट्र सीमा एवं अन्य राज्यों से आने वाले कई मजदूर बसों के द्वारा अन्य जिलों की ओर जा रहे थे, उन्हें रोककर रायपुर नाका के पास राम दरबार के समीप तथा ठाकुरटोला टोल प्लाजा के पास 600 पैकेट का वितरण किया गया। वितरण कार्यक्रम में वरिष्ठ भाजपा नेता खूबचंद पारख, संतोष अग्रवाल, सचिन बघेल, रमेश पटेल, भरत वर्मा, रेखा मेश्राम, शोभा सोनी, सावन वर्मा, हीरेन्द्र साहू, रविन्द्र सिंह, शिव वर्मा, राजेश श्यामकर, तरूण लहरबानी, किशुन यदु, सुमित भाटिया, दिनेश गुप्ता, योगेश खत्री, प्रखर श्रीवास्तव, रघुवीर वाधवा, दिनेश गुप्ता, बंटी भाटिया, सुनील साहू, नागेश यादव, चंद्रभान जंघेल, आकाश चोपड़ा, आशुतोष सिंह, जय शर्मा, अरुण शुक्ला, बलवंत साहू, शेखर यादव, मनीष जैन, सरस्वती यादव, अकरम कुरैशी, हकीम खान आदि प्रमुख रुप से उपस्थित थे।
जिला भाजपा अध्यक्ष मधुसूदन यादव ने बताया कि पैकेट वितरण का यह कार्यक्रम अनवरत रूप से मजदूरों के प्रवास तक जारी रहेगा।
कुम्हारी / शौर्यपथ / पाटन विधानसभा के विधायक एवं भिलाई तीन निवासी भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद पाटन का उसमें भी खासकर अब कुम्हारी नगर पालिका क्षेत्र का विकास अब जोर पकडने लगा है। इससे पहले यह क्षेत्र घोर उपेक्षा का शिकार हुआ करता था लेकिन अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्वाचन क्षेत्र की गरिमा के अनुरुप रफ्तार पकडऩे लगा है। इसी कड़ी कुम्हारी बस्ती के लोगों को शीघ्र ही एक भव्य सामुदायिक भवन की सौगात मिलने वाली है। इसके लिए मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरुप शासन के नगरीय प्रशासन विकास विभाग ने अधोसंरचना मद से 30 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान किया है। मुख्यमंत्री के ओएसडी मनीष बंछोर की विशेष पहल पर नगर पालिका का यह प्रस्ताव स्वीकृत हुआ है।
कुम्हारी नगर पाालिका के वार्ड क्रमांक 3 पटेल पारा में आने वाले दिनों में 30 लाख रुपए की लागत से सर्वसुविधायुक्त सामुदायिक भवन आकार रूप लेगा। इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्व में अपने कुम्हारी प्रवास के दौरान घोषणा किया था। नगर पालिका अध्यक्ष राजेश्वर सोनकर के नेतृत्व में जनभावना के अनुरुप पटेल पारा में सामुदायिक भवन निर्माण का प्रस्ताव तैयार कर शासन को प्रेषित किया गया। मुख्यमंत्री के ओएसडी मनीष बंछोर की इस सामुदायिक भवन निर्माण को लेकर खास दिलचश्पी रही। उन्होंने नगरीय प्रशासन विकास विभाग में पहल करते हुए प्रस्ताव को स्वीकृति दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
इस सामुदायिक भवन के बनने पर कुम्हारी बस्ती क्षेत्र के नौ वार्डों की जनता को लाभ मिलेगा। शादी विवाह से लेकर अन्य सामाजिक व रचनात्मक गतिविधियों के लिए लोगों को एक सर्वसुविधायुक्त भवन सुलभ हो सकेगा। इस बात को लेकर बस्ती के लोगों में हर्ष देखा जा रहा है।
गौरतलब रहे कि कुम्हारी में नगर पालिका कार्यालय से पीछे निजी व सार्वजनिक आयोजनों के लिए एक मंगल भवन बना हुआ है। लेकिन इस मंगल भवन का लाभ शहरी परिवेश वाले वार्डों के बजाए ग्रामीण परिवेश में रची बसी कुम्हारी बस्ती के लोगों को कम मिल पाता है।
होगा हर एक का सपना साकार: मनीष बंछोर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ओएसडी मनीष बंछोर ने कहा कि आने वाले दिनों में कुम्हारी नगर पालिका क्षेत्र विकास के मामले में मॉडल के रूप में दिखेगा। यहां के हर नागरिक का विकास को लेकर देखा गया सपना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में साकार होगा। उन्होंने बताया कि 24 साल से अस्तित्वहीन हो चुकी तांदुला शाखा नहर को फिर से अस्तित्व में लाकर मुख्यमंत्री की सोंच के अनुरुप नरवा योजना को साकार किया गया। कुम्हारी के तालाबों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। कुम्हारी पालिका मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र है और उसकी अपनी एक अलग गरिमा होती है उसी गरिमा के अनुरुप विकास के सपनों को साकार करने कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
इसमें कुछ हद तक कुम्हारी बस्ती से हाईस्कूल के पास बने मंगल भवन की दूरी को एक वजह माना जाता है। इसी वजह से कुम्हारी बस्ती के लोगों ने पिछले दिनों पालिका के एक कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से एक सर्वसुविधायुक्त सामुदायिक भवन की सौगात मांगी थी।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि कुम्हारी नगर पालिका मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्वाचन क्षेत्र पाटन विधानसभा की अहम हिस्सा है। इस क्षेत्र का श्री बघेल लंबे समय से नेतृत्व कर रहे हैं और उनके मुख्यमंत्री बनने पर कुम्हारी के लोगों में विकास की बहुप्रतीक्षित मांगों के साकार होने की उम्मीदें पहले से भी अधिक बढ़ गई है।
इसका असर नगर पालिका के चुनाव में भी साफ नजर आया। लोगों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में विश्वास व्यक्त करते हुए पालिका की सत्ता पुन: पूर्ण बहुमत के साथ कांग्रेस के हाथों सौंप दी। मुख्यमंत्री के ओएसडी मनीष बंछोर, पालिका अध्यक्ष राजेश्वर सोनकर और उपाध्यक्ष के रविकुमार की जुगलबंदी में कुम्हारी पालिका क्षेत्र मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र की गरिमा के अनुरुप विकास की राह में तेजी से अग्रसर हो चला है।
होगा हर एक का सपना साकार: मनीष बंछोर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ओएसडी मनीष बंछोर ने कहा कि आने वाले दिनों में कुम्हारी नगर पालिका क्षेत्र विकास के मामले में मॉडल के रूप में दिखेगा। यहां के हर नागरिक का विकास को लेकर देखा गया सपना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में साकार होगा। उन्होंने बताया कि 24 साल से अस्तित्वहीन हो चुकी तांदुला शाखा नहर को फिर से अस्तित्व में लाकर मुख्यमंत्री की सोंच के अनुरुप नरवा योजना को साकार किया गया। कुम्हारी के तालाबों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। कुम्हारी पालिका मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र है और उसकी अपनी एक अलग गरिमा होती है उसी गरिमा के अनुरुप विकास के सपनों को साकार करने कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
आम जनता को मिलेगा इसका लाभ पालिका अध्यक्ष सोनकर
नगर पालिका अध्यक्ष राजेश्वर सोनकर ने कहा कि कुम्हारी बस्ती के लोगों की एक सर्वसुविधायुक्त सामुदायिक भवन बनाने की मांग काफी पुरानी थी। पिछली बार मुख्यमंत्री के आगमन पर इस मांग की ओर उनका ध्यानाकर्षण कराया गया तो उन्होंने उसी वक्त इसकी घोषणा कर दी थी। शासन ने इसके लिए 30 लाख रुपए स्वीकृत किया है। इसमें मुख्यमंत्री श्री बघेल के साथ ही ओएसडी मनीष बंछोर का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने बताया कि कुम्हारी बस्ती के नौ वार्ड की आम जनता को पटेल पारा में बनने वाला सामुदायिक भवन से लाभ मिलेगा। लोगों को शादी विवाह से लेकर अन्य निजी व सार्वजनिक कार्यों को संपन्न कराने में सामान्य दर पर भवन की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
भिलाई / शौर्यपथ / भिलाई इस्पात संयंत्र के अत्याधुनिक इकाई स्टील मेल्टिंग शॉप-3 ने कोविड के इस संकटकाल में भी अपनी उत्कृष्टता दिखाई है। एसएमएस-3 के कन्टीन्यूअस कास्ट बिलेट ने विश्व के सबसे बड़े इस्पात उत्पादक देश चीन में आज अच्छी माँग है। विगत माह से भारी मात्रा में सेल-बीएसपी के एसएमएस-3 द्वारा निर्मित बिलेट का निर्यात चीन को किया जा रहा है। कोविड के वर्तमान संकटकाल को अवसर में बदलते हुए सेल-बीएसपी ने भिलाई में निर्मित 150 बाई 150 तथा 105 बाई 105 बिलेट का निर्यात करने में सफलता हासिल की है।
चालीस हजार टन बिलेट का निर्यात आर्डर पूर्ण
विगत दिनों सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के स्टील मेल्टिंग शॉप-3 द्वारा 150 बाई 150 बिलेट के बीस-बीस हजार टन के दो खेप का निर्यात चीन को किया गया। अब तक इस साईज में 40,000 टन बिलेट का निर्यात आर्डर पूर्ण किया जा चुका है।
बीस हजार टन बिलेट का अतिरिक्त आर्डर प्राप्त
बीएसपी को वर्तमान में पुन: 150 ग् 150 बिलेट के 20,000 टन का अतिरिक्त आर्डर प्राप्त हुआ है, जिसकी आपूर्ति 15 जून, 2020 तक पूर्ण किया जाना है। इस आर्डर के तहत सेल-बीएसपी के एसएमएस-3 द्वारा अब तक सात रैक बिलेट की आपूर्ति की जा चुकी है। यह सम्पूर्ण निर्यात विशाखापट्टनम पोर्ट के माध्यम से किया जा रहा है।
105 बाई 105 बिलेट का नया निर्यात आर्डर
अब हाल ही में सेल-बीएसपी को चीन से 105 बाई 105 बिलेट का नया निर्यात आर्डर प्राप्त हुआ है। इसके तहत इस बिलेट साईज में दस-दस हजार टन के दो एक्सपोर्ट आर्डर की आपूर्ति की जानी है, जिसमें से आज दिनाँक 21 मई, 2020 को बिलेट के पहले खेप को चीन के लिए रवाना किया गया।
विशेष पैकेजिंग की मांँग
चीन से 105 बाई 105 बिलेट के लिए प्राप्त नये निर्यात आर्डर में ग्राहक द्वारा बिलेट के बंडलिंग व पैकेजिंग की विशेष मांँग रखी गई थी। इसके तहत उक्त साईज के छ: बिलेटों को एक साथ बंडलिंग कर पैकेट बनाकर भेजना आवश्यक है। ज्ञात हो कि एसएमएस-3 के पास इस तरह की बंडलिंग की सुविधा नहीं थी। एसएमएस-3 बिरादरी अपने हाथ से इस निर्यात आर्डर को खोना नहीं चाहती थी। अत: इसे बंडल बनाकर भेजने हेतु कांट्रेक्ट देने का त्वरित निर्णय लिया गया।
कांट्रेक्ट हेेतु फास्ट टैऊक प्रक्रिया
विदित हो कि सामान्यत: कांट्रेक्ट की प्रक्रिया में दो से तीन महीने का समय लगता है, परन्तु निर्यात आर्डर को तत्काल पूर्ण करने हेतु इस बंडलिंग कांट्रेक्ट को फास्ट टैऊक में प्रोसेस करते हुए दस दिन में ही कांट्रेक्ट अवार्ड कर दिया गया। इसमें परचेस रिक्विजिशन से लेकर परचेस आर्डर प्लेस करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया मात्र दस दिन में पूरी कर ली गई। इसमें एसएमएस-3 के साथ-साथ कांट्रेक्ट सेल (वक्र्स) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संयंत्र द्वारा लिए गए इस त्वरित निर्णय व कार्रवाई के चलते इस नये निर्यात आर्डर को तेजी से पूरा करने की ओर अग्रसर हो सके।
ऊर्जावान टीम के सदस्य
इस अहम् एक्सपोर्ट आर्डर्स को एसएमएस-3 के मुख्य महाप्रबंधक के भट्टाचार्जी के नेतृत्व में उनकी ऊर्जावान टीम ने पूर्ण करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा। इस टीम के कर्मठ सदस्य हैं महाप्रबंधक प्रभारी (एसएमएस-3) प्रकाश भंगाले, महाप्रबंधक (ऑपरेशन) द्वय श्री अरविन्द कुमार व डी विजिथ, वरिष्ठ प्रबंधक ए के सिंह, उप प्रबंधक विक्रांत, कनिष्ठ अधिकारी बी एस चंदेल तथा डिस्पैच के पाली प्रभारी, वरिष्ठ प्रबंधक एन गिलहरे, कनिष्ठ अधिकारी ए के चौकीकार तथा मास्टर तकनीशियन एस फिलिप्स आदि।
विगत वित्त वर्ष में भी किया निर्यात
उल्लेखनीय है कि भिलाई इस्पात संयंत्र ने पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में एसएमएस-3 में उत्पादित कास्ट बिलेट्स का निर्यात प्रारम्भ किया था। एसएमएस-3 द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष में 8100 टन कास्ट बिलेट्स का निर्यात फिलीपींस को तथा लगभग 800 टन कास्ट बिलेट्स का निर्यात नेपाल को किया गया।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना लोगों के जीवन में लाएगी बदलाव: श्रीमती सोनिया गांधी
छत्तीसगढ़ के किसानों के जीवन में खुशहाली का नया दौर शुरू: श्री भूपेश बघेल
राजीव गांधी किसान न्याय योजना की हुई शुरूआत
5750 करोड़ की राशि चार किश्तों में किसानों को मिलेगी: पहली किश्त 1500 करोड़ रूपए किसानों के खातों में ऑनलाईन अंतरित
वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए योजना का हुआ शुभारंभ
रायपुर /शौर्यपथ / पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व.श्री राजीव गांधी के शहादत दिवस पर श्रीमती सोनिया गांधी और श्री राहुल गांधी की विशेष उपस्थिति में छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना - राजीव गांधी किसान न्याय योजना का शुभारंभ वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए हुआ। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में अपने मंत्रिमण्डल के सहयोगियों के साथ इस योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली 5750 करोड़ रूपए की राशि में से प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ रूपए की राशि अंतरित की। इस कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए वरिष्ठ नेता श्री मोतीलाल वोरा, सांसद श्री पी.एल. पुनिया, श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला सहित प्रदेश के जिलों से सांसद, विधायक और हितग्राही कृषक शामिल हुए।
शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकसभा संासद श्री राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना संकट की स्थिति को देखते हुए मैंने प्रधानमंत्री जी से आग्रह किया था कि गरीबों को इस वक्त कर्ज की नहीं बल्कि नगद राशि की जरूरत है। इसका बढिय़ा रास्ता छत्तीसगढ़ सरकार ने निकाला है। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने किसानों को मदद पहुंचाने के लिए उनके खाते में सीधे राशि दी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ सरकार संकट के समय में, लोगों की मदद कैसे की जा सकती है, इसका देश को रास्ता दिखाया है। चाहे कोरोना संकट हो और कोई भी विपत्ति हम गरीबों का हाथ कभी नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हमें गरीबों की मदद करने के लिये उनके साथ खड़ा होना पड़ेगा। हमें मामूल है कि राज्य की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, इस हालत में भी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किसानों को राहत पहुंचाने हेतु लिया गया यह निर्णय, कोई छोटा काम नहीं है। उन्होंने कहा कि किसानों एवं गरीबों की मदद करने का निर्णय हमने सोच-समझकर लिया है। यह किसी व्यक्ति विशेष का निर्णय नहीं है। यह छत्तीसगढ़ की आवाज है। यह रास्ता छत्तीसगढ़ के लोगों ने ही हमें बताया है। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके मंत्रिमण्डल के सभी सहयागियों और छत्तीसगढ़ की जनता को बधाई और शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने कहा-राजीव जी की भावना के अनुरूप छत्तीसगढ़ सरकार ने गरीब आदिवासी किसानों की मदद के लिए बड़ा कदम उठाया है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से किसानों को सीधे उनके खाते में राशि देने की शुरूआत की गई है। इस योजना के दूसरे चरण में ग्रामीण भूमिहीन मजदूरों को शामिल करने का निर्णय अपने आप में अनोखा है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गरीब किसानों को मदद पहुंचाने की अनुकरणीय योजना है। इससे आदिवासियों, ग्रामीणों एवं गरीबों के जीवन में बदलाव आएगा, खुशहाली आएगी। ऐसी योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू कर जन-जन तक लाभ पहुंचाना राजीव जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि राजीव जी का यह मानना था कि खेती विकास की पूंजी है। भारत के विकास के लिये किसानों एवं गरीबों को मदद पहुुंचाना जरूरी है। उन्होंने इस क्रांतिकारी योजना के लिये मुख्यमंत्री बघेल की सरकार के साथ ही प्रदेश के गरीबों, किसानों एवं मजदूरों को शुभकामनाएं दी।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना की मूलभावना हमारे लिये मार्गदर्शिका है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसके माध्यम से हम किसानों एवं कमजोर वर्ग के लोगों को न सिर्फ सम्मान से जीने का अवसर उपलब्ध कराएंगे बल्कि गरीबी का कलंक मिटाने में भी सफल होंगे। राजीव गांधी किसान न्याय योजना से राज्य के किसानों के जीवन में खुशहाली का नया दौर शुरू होगा। उन्होंने कहा कि इस योजना से लाभान्वित होने वालों में 90 प्रतिशत लघु-सीमांत किसान अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं गरीब तबके के हैं। इस योजना की प्रथम किश्त की राशि 1500 करोड़ रूपये हम सीधे किसानों के खाते में अंतरित कर रहे हैं। योजना के तहत राज्य के 19 लाख किसानों को इस वर्ष 5750 करोड़ रूपये दिए जाएंगे। इसके अंतर्गत धान की खेती के लिये किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार रूपये तथा गन्ना की खेती के लिये प्रति एकड़ 13000 रूपये आदान सहायता दी जाएगी। मुख्यमंत्री बघेल ने आगे कहा कि हमनें अब तक धान खरीदी, कर्जमाफी, फसल बीमा, सिंचाई कर की माफी और प्रोत्साहन राशि को मिलाकर किसानों को 40 हजार 700 करोड़ रूपये उनके खातों में सीधे अंतरित किए है।
उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। आज हम पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी जी का पुण्य स्मरण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के आधुनिक भारत निर्माण के स्वप्न दृष्टा राजीव जी यह दृष्टिकोण था कि- 'भारत में गरीबी उन्मूलन तथा आत्मनिर्भर भारत' निर्माण के लक्ष्य की प्राप्ति किसानों की आर्थिक दशा में सुधार के बिना संभव नहीं है। श्री राहुल गांधी की न्याय की वृहद अवधारणा के क्रियान्वयन की दिशा में और उनक मार्गदर्शन में प्रथम कदम है '' राजीव गांधी किसान न्याय योजना'' । मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि सोनिया जी और राहुल जी के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ देश के प्रथम राज्यों में से है जो कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के पालन करने में दृढ़ संकल्पित है।
रायपुर / शौर्यपथ / पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्री राजीव गांधी की पुण्य तिथि 21 मई पर आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में विधान सभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत और मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ स्वर्गीय राजीव गांधी के तैलचित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर विनम्र श्रद्धांजलि दी। आज आतंकवाद विरोधी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री बघेल सहित मंत्रिगणों और उपस्थित सभी लोगों ने देश की अहिंसा एवं सहनशीलता की परंपरा के प्रति अपना दृढ़ विश्वास प्रकट करते हुए आतंकवाद और हिंसा का डटकर विरोध करने, मानव जाति के सभी वर्गों के बीच शांति, सामाजिक सद्भाव तथा सूझबूझ कायम करने और मानव जीवन मूल्यों को खतरा पहुंचाने वाली और विघटनकारी शक्तियों से लडऩे की शपथ ली।