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नई दिल्ली /शौर्यपथ/ बलिया जिले के फेफना थाना क्षेत्र के माल्देपुर ग्राम में गंगा नदी के तट पर पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में टायर व पेट्रोल का सहारा लेकर नदी से मिले एक शव का अंतिम संस्कार करने का वीडियो सोशल मीडिया पर आने के बाद पुलिस अधीक्षक ने संवेदनहीनता बरतने के आरोपी पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित कर प्रकरण की जांच के आदेश दिए हैं. पुलिस अधीक्षक डॉ विपिन ताडा ने मंगलवार को बताया कि सोमवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो आया था, जिसमें पुलिस कर्मी एक शव का अंतिम संस्कार करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों ने अंतिम संस्कार में संवेदनहीनता बरती है, इस मामले में दोषी पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है तथा प्रकरण की जांच के आदेश दिए गये हैं.
उन्होंने बताया कि अपर पुलिस अधीक्षक संजय यादव इस मामले की पूरी जांच कर अपनी रिपोर्ट देंगे. पुलिस विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार फेफना थाना के पांच पुलिस कर्मियों जय सिंह, उमेश प्रजापति , वीरेंद्र यादव, पुनीत पाल व जय सिंह चौहान को निलंबित किया गया है. फेफना थाना के प्रभारी संजय त्रिपाठी ने बताया कि फेफना थाना क्षेत्र के माल्देपुर ग्राम में गंगा नदी से मिले एक शव का गत 15 मई को अंतिम संस्कार किया गया था.
अंतिम संस्कार करते समय डोम (अंतिम संस्कार करने वाले व्यक्ति) ने शव पर टायर रख दिया तथा पेट्रोल डाल दिया. सोशल मीडिया पर सोमवार को आए वीडियो में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में टायर व पेट्रोल का सहारा लेकर शव का अंतिम संस्कार किया जाता दिखाई दे रहा है. वीडियो में एक व्यक्ति शव पर टायर रखते व बोतल से कुछ शव पर डालते हुए दिखाई दे रहा है.
खेल /शौर्यपथ / इंग्लैंड क्रिकेट टीम के स्टार विकेटकीपर बल्लेबाज जोस बटलर की लोकप्रियता भारत में भी कम नहीं है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में जोस बटलर राजस्थान रॉयल्स फ्रेंचाइजी टीम का हिस्सा हैं। महेंद्र सिंह धोनी के फैन बटलर ने बताया कि कैसे उनके क्रिकेटर बनने के पीछे राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली का बड़ा हाथ रहा है। 1999 वर्ल्ड कप जब इंग्लैंड में खेला गया था, उस समय बटलर की उम्र 9 साल थी। उन्होंने तब इन दोनों को वर्ल्ड कप में बल्लेबाजी करते हुए देखा था।
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30 वर्षीय बटलर ने भारत और श्रीलंका के बीच वर्ल्ड कप का वह मैच याद किया, जिसमें राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली दोनों ने सेंचुरी ठोकी थी। मैच टॉन्टन के काउंटी ग्राउंड पर खेला गया था। भारत ने उस मैच में अर्जुन रणतुंगा की कप्तानी वाली श्रीलंकाई टीम को 157 रनों के बड़े अंतर से हराया था। क्रिकबज पर बटलर ने कहा, 'वो मेरे पसंदीदा साल थे। उस मैच में द्रविड़ और गांगुली के शतक का मेरे ऊपर बहुत प्रभाव पड़ा था। उस मैच में मैंने पहली बार भारतीय फैन्स में क्रिकेट को लेकर पैशन देखा था। तब मुझे लगा था कि भारत में वर्ल्ड कप खेलना कितना शानदार रहेगा।'
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उस मैच की बात करें तो गांगुली और द्रविड़ ने मिलकर 318 रनों की साझेदारी निभाई थी। गांगुली ने 183 और द्रविड़ ने 145 रनों की पारी खेली थी। भारत ने श्रीलंका के खिलाफ 373 रन बनाए। जवाब में श्रीलंकाई टीम 42.3 ओवर में 216 रनों पर ही सिमट गई थी।
मनोरंजन /शौर्यपथ चक्रवाती तूफान ताउते का असर सोमवार को महाराष्ट्र के अलग-अलग जगहों पर देखने को मिला। अरब सागर में बना यह चक्रवात अपने साथ भारी बारिश और हवाओं को साथ लेकर आया है। मुंबई के कई इलाकों में बारिश और तेज हवाओं की वजह से लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। अमिताभ बच्चन का ऑफिस भी इसकी चपेट में आ गया।
ऑफिस को हुआ नुकसान
अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में बताया कि उनके ऑफिस जनक में पानी भर गया। इस दौरान उनके ऑफिस स्टाफ के शेल्टर भी उड़ गए। उन्होंने लिखा कि ‘यहां चक्रवात के बीच एक गहरा सन्नाटा है। पूरे दिन भारी बारिश, पेड़ गिर गए, चारों तरफ पानी की लीकेज, जनक ऑफिस में पानी भर गया, भारी बारिश के लिए प्लास्टिक कवर शीट.. फट गया है। कुछ स्टाफ के लिए बने शेड्स और शेल्टर्स उड़ गए हैं। लेकिन लड़ाई की भावना बरकरार है। सभी तैयार हैं, बाहर निकलना, ठीक करना, भीगने वाली स्थिति में भी काम जारी है।‘
स्टाफ की तारीफ की
अमिताभ ने आगे लिखा कि ‘सच कहूं तो कमाल का स्टाफ.. उनका यूनिफॉर्म गीला है और लगातार पानी टपक रहा है लेकिन वो जुटे हुए हैं। मैंने खुद अपने वार्डरोब से उन्हें तुरंत बदलने के लिए कपड़े दिए। और अब वे गर्व से चेल्सिया और जयपुर पिंक पैंथर के समर्थकों के रूप में आगे बढ़ते हैं। कुछ पर वो ढीले हैं तो कुछ टाइट हैं।‘ यहां अमिताभ बच्चन, अभिषेक की कबड्डी टीम पिंक पैंथर के टीशर्ट कलेक्शन की बात कर रहे हैं।
इन प्रोजक्ट्स में व्यस्त
बता दें कि अमिताभ बच्चन इन दिनों ‘कौन बनेगा करोड़पति’ सीजन 13 में व्यस्त हैं। शो के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसे में वो हर दिन एक सवाल दर्शकों के लिए दे रहे हैं जिसका सही जवाब देकर हॉटसीट पर बैठने का मौका मिल सकता है।
फिल्मों की बात करें तो आने वाले दिनों में अमिताभ बच्चन फिल्म ‘गुडबाय’ की शूटिंग करेंगे। पहली बार पर्दे पर वो नीना गुप्ता के अपोजिट नजर आएंगे। इसके अलावा अमिताभ बच्चन की आने वाली फिल्म ‘चेहरे’, ‘ब्रह्मास्त्र’, ‘झुंड’ और ‘द इंटर्न’ है।
शौर्यपथ / खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने फाइजर-बायोएनटेक द्वारा बनाए गए कोविड-19 टीके का इस्तेमाल 12-15 साल के किशोरों पर करने के लिए इसके आपातकालीन प्रयोग का दायरा बढ़ा दिया है।
'रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र ने 12 मई को उनकी सलाहकार समूह की बैठक के बाद इस आयु समूह पर इस्तेमाल करने की सिफारिश का अनुसरण किया है। द अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियर्टिक्स इस फैसला का समर्थन करती है। डॉ डेबी-एन शर्लेी वर्जीनिया विश्वविद्यालय में बाल चिकित्सा की एसोसिएट प्रोफेसर हैं और बाल संक्रमण रोग में विशेषज्ञ हैं। यहां वह बच्चों को कोविड-19 का टीका लगवाने को लेकर अभिभावकों की चिंताओं का जवाब दे रही हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही 7 सवालों के जवाब।
1.क्या किशोरों में ये टीका काम करता है?
जवाब- बिल्कुल काम करता है। फाइजर-बायोएनटेक की ओर से हाल में जारी आंकड़ें दिखाते हैं कि कोविड-19 टीका इस आयु समूह में वाकई में अच्छी तरह से काम करता हुआ दिखता है।
कोविड-19 टीका अमेरिका में 12-15 साल के किशोरों पर चल रहे क्लीनिकल ट्रायल में कोविड-19 लक्षणों को रोकने में 100 फीसदी कारगर पाया गया है। किशोरों ने टीके की प्रतिक्रिया में बड़ी संख्या एंटी बॉडी बनाई और उनका रोग प्रतिरोधक उतना ही मजबूत था जिनता 16-25 साल के नौजवानों में देखा गया है।
2.मुझे कैसे पता चलेगा कि टीका मेरे बच्चे के लिए सुरक्षित है या नहीं?
जवाब- अब तक कोविड-19 टीका किशोरों में सुरक्षित प्रतीत हुआ है। अमेरिका में जितने टीकों को इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है, उनपर सब पर गहन अध्ययन किया गया है लेकिन हम यह मान लेना नहीं चाहते हैं कि बच्चे छोटे वयस्क होते हैं। यही कारण है कि स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा उपयोग की सिफारिश करने से पहले बच्चों में इन टीकों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। मौजूदा अध्ययन बच्चों पर टीकाकरण को लेकर बारीक नजर रखना जारी रखेंगे और मजबूत सुरक्षा निगरानी से दुर्लभ या अप्रत्याशित चिंताओं को उभरने पर उन्हें तेजी से पहचानने में मदद मिलेगी।
3. मुझे लगा था कि बच्चों को कम खतरा है- क्या उन्हें अब भी टीका लगवाने की जरूरत है?
जवाब- फिलहाल, अमेरिका में सामने आ रहे साप्ताहिक कोविड-19 मामलों में बच्चों की संख्या करीब एक चौथाई है। बच्चों में कोविड-19 के कारण गंभीर बीमारी होना दुलर्भ है पर यह होती है और हजारों बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है और अमेरिका में कम से कम 351 बच्चों की मौत हुई है। टीकाकरण बच्चों में संक्रमण को गंभीर रूप लेने से रोकेगा।
4. मेरे बच्चे को क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं?
जवाब- टीकाकरण के बाद मामूली दुष्प्रभाव हो सकते हैं। सबसे सामान्य दुष्प्रभाव इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द और सूजन हो सकती है। अन्य सामान्य दुष्प्रभाव में थकान और सिर में दर्द शामिल है। युवाओं की तरह ही, कुछ किशोरों को बुखार, सर्दी लगना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द हो सकता है और ये टीके की दूसरी खुराक के बाद बहुत सामान्य है। ये दुष्प्रभाव कम समय के लिए होते हैं और ज्यादातर लोगों में एक-दो दिन में चले जाते हैं।
5. क्या बच्चों में गंभीर प्रतिक्रिया हुई है?
जवाब- फाइजर-बायोएनटेक के क्लीनिकल ट्रायल में टीके से संबंधित कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव रिपोर्ट नहीं हुए हैं। बुजुर्गों में गंभीर एर्लेजिक प्रतिक्रिया दुलर्भ रूप से रिपोर्ट हुई है। अगर किसी को टीके से या टीके में शामिल किसी तत्व से एलर्जी के बारे में जानकारी है तो उसे टीका नहीं लेना चाहिए। अगर आपके बच्चे को ऐसा कुछ है तो आप टीका देने वाले शख्स को इस बारे में बताएं ताकि टीकाकरण के बाद आपके बच्चे को 30 मिनट तक निगरानी में रखा जा सके।
6. कोविड-19 टीका 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कब उपलब्ध होगा?
जवाब- कोविड-19 टीका निर्माताओं ने बच्चों पर टीके का परीक्षण शुरू कर दिया है या शुरू करने की योजना बना रहे हैं। जब और सूचना उपलब्ध होगी तो टीका उपयोग करने की सिफारिशें बदल सकती हैं। 2-11 साल उम्र के बच्चों को इस साल के अंत तक टीका लगवाने की इजाजत मिल सकती है।
7. अगर मैंने टीका लगवा लिया है और मेरे बच्चे का टीकाकरण नहीं हुआ है तो क्या उन्हें मुझसे वायरस लग सकता है?
जवाब- कोविड-19 टीके में कोविड-19 का जीवित वायरस नहीं होता है, लिहाजा इससे कोविड-19 नहीं हो सकता है। टीकाकरण आपको और आपके बच्चे, दोनों को कोविड-19 से बचाएगा। अध्ययन से पता चला है कि टीका लगवा चुकी गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली मांएं अपने नवजात को सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा दे सकती है। यह टीकाकरण का एक और फायदा है।
लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /बुजुर्गों को डिमेंशिया से बचाने में मददगार है वीडियो कॉल, शोध में दावा कोरोना महामारी की वजह से लोगों में बहुत ज्यादा दूरियां आ गई हैं। रिश्तों की इन दूरियों को कम करने में वीडियो कॉल मददगार साबित हो रही है। वृद्धों पर इसका बड़ा ही सकारात्मक असर पड़ा है। एक शोध में दावा किया गया है कि जूम एप पर हर रोज बात करने वाले डिमेंशिया से जूझ रहे बुजुर्गों की हालत में सुधार आया है।
शोधकर्ताओं ने पाया है कि नियमित संचार से वृद्धों की स्मृति को लंबा बनाए रखने में मददगार साबित होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट लंदन के गेलर इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग एंड मेमोरी द्वारा किए गए अध्ययन में 50 वर्ष से अधिक आयु के 11,418 पुरुषों और महिलाओं के संचार का अध्ययन किया गया। इस दौरान उनसे पूछा गया कि वो कैसे फोन पर और आमने-सामने कैसे अपने परिवार और दोस्तों से ऑनलाइन बातचीत करते हैं। इसके बाद इन लोगों का एक स्मृति टेस्ट भी किया गया।
इसमें एक लिस्ट थी जिसमें इन लोगों को दस शब्दों को याद करके लिखना था। ऐसे प्रतिभागी जो आमने-सामने ज्यादा रहने हैं उनकी स्मृति कमजोर पाई गई उनके तुलना में जो रोज तकनीक का इस्तेमाल कर अपने परिवार और दोस्तों से बातचीत किया करते थे।
शोध के प्रमुख स्नोरी रैफसन कहते हैं कि इस लॉकडाउन के दौरान ज्यादा से ज्यादा लोग तकनीक का इस्तेमाल कर एक दूसरे के करीब आ रहे हैं। ये प्रमाणित करता है कि किस तरह से तकनीक रिश्तों को बनाए रखने में तथा सामाजिक अलगाव को दूर करने में मदद कर सकती है। ये हमारे मस्तिष्क की बीमारियों को भी दूर करने में लाभदायक है।
खाना खजाना / शौर्यपथ /कोरोनाकाल के चलते लोग बाजार से कुछ भी मंगवाने से डर रहे हैं। ऐसे में शाम को अगर आपका कुछ चटपटा खाने का मन करें तो आप घर पर ही ट्राई कर सकती हैं स्ट्रीट स्टाइल कटोरी चाट रेसिपी। यह रेसिपी न सिर्फ शाम को लगी छोटी-मोटी भूख को शांत करती हैं बल्कि आपकी चटपटा खाने की क्रेविंग भी पूरी हो जाती है। तो आइए जान लेते हैं कैसे बनाई जाती है स्ट्रीट स्टाइल कटोरी चाट।
कटोरी चाट बनाने के लिए समाग्री-
-250 ग्राम मैदा
-4 से 5 उबले आलू
-आधा कप सफेद मटर (उबली हुई)
-2 से 3 कप दही
-3 से 4 बड़े प्याज
-2 से 3 बारीक कटी हरी मिर्च
-बारीक कटी हरी धनिया
-15 से 20 पापड़ी (बारीक तोड़ लें)
-2 छोटे चम्मच लाल मिर्च
-1 इंच कद्दूकस किया अदरक का टुकड़ा
-1 छोटा चम्मच हल्दी
-3 से 4 चुटकी भुना-पिसा जीरा
-150 ग्राम इमली
-50 ग्राम गुड़
-500 ग्राम मोयन
-फ्राई के लिए तेल
-स्वादानुसार नमक
कटोरी चाट बनाने की विधि-
कटोरी चाट बनाने के लिए सबसे पहले मैदे की कटोरी बना लें। इसके लिए मैदे में तेल (मोयन) डालकर थोड़े-थोड़े पानी से आटे की तरह गूंद लें। फिर मैदे के आटे की लोई बनाकर बेल लें। अब बेली हुई मैदे की पूरियों को एक उल्टी कटोरी पर रखकर कटोरी का आकार दें। एक कढ़ाई में तेल गर्म करें, फिर पूरियों को कटोरी के साथ तेल में फ्राई कर लें, फ्राई होते समय पूरी कटोरी से अपने आप अलग हो जाएगी।
अब चटनी के लिए इमली और गुड़ को एक घंटे के लिए पानी में डाल दें और उसका अर्क निकालकर इमली और गुड़ में काला नमक, जीरा, लाल मिर्च अच्छे से मिलाकर खट्टी-मीठी चटनी बना लें। एक तरफ कढ़ाई में तेल गर्म करें उसमें अदरक, उबले आलुओं को मसलकर डालें, फिर आलुओं में बारीक कटी हरी मिर्च, हल्दी, उबली सफेद मटर, लाल मिर्च, नमक, भुना-पिसा जीरा डालकर अच्छी तरह भून लें। फिर आलू के मसाले को मैदे की कटोरियों में डालें ऊपर से पापड़ी, दही और इमली की चटनी डालकर एक प्लेट में रखकर सबके लिए परोसें और बारीक कटे प्याज, सेव नमकीन और धनिया की पत्तियों से चाट को सजाएं और फिर गर्मा गर्म ही खाएं और खिलाएं।
आस्था /शौर्यपथ /बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु के राजा शुद्धोदन के यहां वैशाख पूर्णिमा को हुआ था। इस पूर्णिमा का बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। उनकी माता का नाम महामाया देवी था। इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार उनका जन्मोत्सव 26 मई 2021 बुधवार को मनाया जा रहा है। आओ जानते हैं उनके संबंध में 10 रोचक बातें।
1. गौतम बुद्ध का जन्म नाम सिद्धार्थ था। सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने उनका लालन-पालन किया क्योंकि सिद्धार्थ के जन्म के सात दिन बाद ही उनकी मां का देहांत हो गया था।
2. गौतम बुद्ध शाक्यवंशी छत्रिय थे। इसीलिए उन्हें शाक्यमुनि भी कहा जाता था। एक मान्यता के आधार पर शाक्यों की वंशावली के अनुसार गौतम बुद्ध श्रीराम के पुत्र कुश के वंश में जन्में थे। महाभारत में शल्य कुशवंशी थे और इन्हीं शल्य की लगभग 25वीं पीढ़ी में ही गौतम बुद्ध हुए थे।
3. शोध बताते हैं कि दुनिया में सर्वाधिक प्रवचन बुद्ध के ही रहे हैं। यह रिकॉर्ड है कि बुद्ध ने जितना कहा और जितना समझाया उतना किसी और ने नहीं। धरती पर अभी तक ऐसा कोई नहीं हुआ जो बुद्ध के बराबर कह गया। सैकड़ों ग्रंथ है जो उनके प्रवचनों से भरे पड़े हैं और आश्चर्य कि उनमें कहीं भी दोहराव नहीं है। बुद्ध ने अपने जीवन में सर्वाधिक उप देश कौशल देश की राजधानी श्रावस्ती में दिए। उन्होंने मगध को भी अपना प्रचार केंद्र बनाया। महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश पाली भाषा( मूल रूप में मागधी) में दिए थे। ऐसा कहा जाता है कि वह नियमित रूप से उपवास करते थे और सामान्यतः वह मीलों तक का पैदल ही सफर तय करते थे, जिससे वह चारों तरफ ज्ञान फैला सकें।
4. अंगुत्तर निकाय धम्मपद अठ्ठकथा के अनुसार वैशाली राज्य में तीव्र महामारी फैली हुए थी। मृत्यु का तांडव नृत्य चल रहा था। लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि इससे कैसे बचा जाए। हर तरफ मौत थी। लिच्छवी राजा भी चिंतित था। कोई उस नगर में कदम नहीं रखना चाहता था। दूर दूर तक डर फैला था। भगवान बुद्ध ने यहां रतन सुत्त का उपदेश दिया जिससे लोगों के रोग दूर हो गए।
5. कहते हैं कि एक बार बुद्ध को मारने के लिए एक पागल हाथी छोड़ा गया था लेकिन वह हाथी बुद्ध के पास आकर उनके चरणों में बैठ गया था। यह भी कहा जाता है कि एक बार उन्होंने एक नदी पर पैदल चलकर उसे पार किया था। इस तरह से उनके कई चमत्कारों के बारे में जानकारी मिलती है।
6. गौतम बुद्ध को अपने कई जन्मों की स्मृतियां थीं और यह भी वे अपने भिक्षुओं के भी कई जन्मों को जानते थे। यही नहीं वे अपने आसपास के पशु, पक्षी और पेड़-पौधे आदि के पूर्वजन्मों के बारे में भी भिक्षुओं को बता देते थे। जातक कथाओं में बुद्ध के लगभग 549 पूर्व जन्मों का वर्णन है।
7. वारणसीके निकट सारनाथ में महात्मा बुद्द ने अपना पहला उपदेश पांच पंडितों, साधुओं को दिया, जो बौद्ध परंपरा में धर्मचक्रप्रवर्तन के नाम से विख्यात हैं। महात्मा बुद्ध ने तपस्स एवं मल्लक नाम के दो लोगों को बौद्ध धर्म का सर्वप्रथम अनुयायी बनाया, जिन्हें शूद्र माना जाता था। बौद्ध धर्म ने वर्ण व्यवस्था एवं जाति प्रथा का विरोध करता है।
8. 'मेरा जन्म दो शाल वृक्षों के मध्य हुआ था, अत: अन्त भी दो शाल वृक्षों के बीच में ही होगा। अब मेरा अंतिम समय आ गया है।' आनंद को बहुत दु:ख हुआ। वे रोने लगे। बुद्ध को पता लगा तो उन्होंने उन्हें बुलवाया और कहा, 'मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि जो चीज उत्पन्न हुई है, वह मरती है। निर्वाण अनिवार्य और स्वाभाविक है। अत: रोते क्यों हो? बुद्ध ने आनंद से कहा कि मेरे मरने के बाद मुझे गुरु मानकर मत चलना।
9. गौतम बुद्ध के निर्वाण के बाद 6 दिनों तक लोग दर्शनों के लिए आते रहे। सातवें दिन मृत देह को जलाया गया। फिर उनके अवशेषों पर मगध के राजा अजातशत्रु, कपिलवस्तु के शाक्यों और वैशाली के विच्छवियों आदि में भयंकर झगड़ा हुआ। जब झगड़ा शांत नहीं हुआ तो द्रोण नामक ब्राह्मण ने समझौता कराया कि अवशेष आठ भागों में बांट लिये जाएं। ऐसा ही हुआ। आठ स्तूप आठ राज्यों में बनाकर अवशेष रखे गये। बताया जाता है कि बाद में अशोक ने उन्हें निकलवा कर 84000 स्तूपों में बांट दिया था। गौतम बुद्ध के अस्थि अवशेषो पर भट्टि (द.भारत) में निर्मित प्रचीनतम स्तूप को महास्तूप की संज्ञा दी गई है।
10. भगवान बुद्ध ने भिक्षुओं के आग्रह पर उन्हें वचन दिया था कि मैं 'मैत्रेय' से पुन: जन्म लूंगा। तब से अब तक 2500 साल से अधिक समय बीत गया। कहते हैं कि बुद्ध ने इस बीच कई बार जन्म लेने का प्रयास किया लेकिन कुछ कारण ऐसे बने कि वे जन्म नहीं ले पाए। अंतत: थियोसॉफिकल सोसाइटी ने जे. कृष्णमूर्ति के भीतर उन्हें अवतरित होने के लिए सारे इंतजाम किए थे, लेकिन वह प्रयास भी असफल सिद्ध हुआ। अंतत: ओशो रजनीश ने उन्हें अपने शरीर में अवतरित होने की अनुमति दे दी थी। उस दौरान जोरबा दी बुद्धा नाम से प्रवचन माला ओशो ने कही।
यह संयोग है या कि प्लानिंग कि वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी वन में ईसा पूर्व 563 को हुआ। उनकी माता अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान के पास उस काल में लुम्बिनी वन हुआ करता था वहीं पुत्र को जन्म दिया। इसी दिन (पूर्णिमा) 528 ईसा पूर्व उन्होंने बोधगया में एक वृक्ष के नीचे जाना कि सत्य क्या है और इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में दुनिया को कुशीनगर में अलविदा कह गए।
धर्म संसार / शौर्यपथ /भगवान चित्रगुप्त को भगवान यमराज के साथ बताया जाता है। भगवान चित्रगुप्त की कार्तिक शुक्ल द्वितीया अर्थात भाईदूज के दिन पूजा करते हैं। भाईदूज के दिन कलम, स्याही, पुस्तक, बहिखाता आदि की पूजा करते हैं। वैशाख शुक्ल षष्ठी को उनका प्रकटोत्सव मनाया जाता है। आओ जानते हैं भगवान चित्रगुप्त के बारे में 10 रोचक बातें।
1. पुराणों अनुसार भगवान चित्रगुप्त की उत्पत्ति ब्रह्माजी की काया से हुई है। ब्रह्मा के 18 मानस संतानों में से एक चित्रगुप्त को महाकाल भी कहा गया है।
2. सनातनी श्राद्ध में पितरों की मुक्ति हेतु इनका पूजन किया जाता है और गुरूढ़ पुराण इन्हीं को प्रसन्न करने के लिए पढ़ा जाता है।
3. यमराज तो ब्रह्मा के दशांश हैं जबकि चित्रगुप्त तो ब्रह्मा के पुत्र ही है और अपनी कठिन तपस्या से वह ब्रह्मा के समान ही हैं। वे यमराज से 10 गुना अधिक शक्ति के हैं। भगवान चित्रगुप्त तो यमराज के स्वामी हैं मुंशी नहीं।
4. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त ही हैं।
5. भगवान चित्रगुप्त की बही 'अग्रसन्धानी' में प्रत्येक जीव के पाप-पुण्य का हिसाब लिखा हुआ है।
6. कहते हैं कि ब्रह्माजी ने चित्रगुप्तजी का विवाह वैवस्वत मनु (कश्यप ऋषि के पौत्र) की 4 कन्याओं से और नागों की 8 कन्याओं से कर दिया। उक्त बारह कन्याओं से उनके 12 पुत्र उत्पन्न हुए। तत्पश्चायत ब्रह्माजी ने उन्हें सभी प्राणियों का भाग्य लिखने का जिम्मा सौंपा और ब्रह्माजी की आज्ञा से यमलोक में विराजमान होकर दण्डदाता कहलाने लगे।
7. भगवान चित्रगुप्त ने ही अनुशासन और दण्डविधान को बनाया है। उनके बनाए दण्ड विधान का पालन ही उनकी आज्ञा से यमराज और उनके यमदूत कराते हैं। चित्रगुप्त को सभी प्राणियों के 'न्याय ब्रह्म एवं धर्माधिकारी' हैं। भगवान चित्रगुप्त ही लोगों को उनके पाप का दंड देते या पुण्य का फल देते हैं।
8. पुराणों के अनुसार चित्रगुप्त पूजा करने से विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।
9. भगवान चित्रगुप्त ही ऋषि, देव, दानवों का भाग्य निर्धारित करते हैं। लेखनी धारक भगवान चित्रगुप्त ही है। भगवान चित्रगुप्त ही यमलोक में धर्माधिकारी नामक यम है।
10. अन्य मान्यता अनुसार ऐसा कहा जाता है कि चित्रगुप्त के अम्बष्ट, माथुर तथा गौड़ आदि नाम से कुल 12 पुत्र माने गए हैं। कायस्थों को मूलत: 12 उपवर्गों में विभाजित किया गया है। यह 12 वर्ग श्री चित्रगुप्त की पत्नियों देवी शोभावती और देवी नंदिनी के 12 सुपुत्रों के वंश के आधार पर है। भानु, विभानु, विश्वभानु, वीर्यभानु, चारु, सुचारु, चित्र (चित्राख्य), मतिभान (हस्तीवर्ण), हिमवान (हिमवर्ण), चित्रचारु, चित्रचरण और अतीन्द्रिय (जितेंद्रिय)। श्री चित्रगुप्तजी के 12 पुत्रों का विवाह नागराज वासुकि की 12 कन्याओं से हुआ जिससे कि कायस्थों की ननिहाल नागवंशी मानी जाती है। माता नंदिनी के 4 पुत्र कश्मीर में जाकर बसे तथा ऐरावती एवं शोभावती के 8 पुत्र गौड़ देश के आसपास बिहार, ओडिशा तथा बंगाल में जा बसे। बंगाल उस समय गौड़ देश कहलाता था। उपरोक्त पुत्रों के वंश अनुसार कायस्थ की 12 शाखाएं हो गईं- श्रीवास्तव, सूर्यध्वज, वाल्मीकि, अष्ठाना, माथुर, गौड़, भटनागर, सक्सेना, अम्बष्ठ, निगम, कर्ण और कुलश्रेष्ठ। जय चित्रगुप्त भगवान की जय।
दुर्ग / शौर्यपथ / पिछले दिनों एक समाचार को संज्ञान में लेकर दुर्ग निगम आयुक्त हरेश मंडावी ने बाज़ार प्रभारी के उपर त्वरित कार्यवाही करते हुए ये बताने की कोशिश की है कि उनकी प्रशासनिक पकड़ कितनी उम्दा है किन्तु अब जब दुर्ग निगम के एक अधिकारी जिन्हें दुर्ग निगम आयुक्त मंडावी द्वारा अधिकतर कार्यो की जिम्मेदारी दे रखी है भले ही वो कार्य समय पर पूरा हो या ना हो किन्तु कार्यो का प्रभार बराबर बढ़ता जा रहा है ऐसे अधिकारी ईई मोहन पूरी गोस्वामी द्वारा महिला कालेज के कर्मचारी को ११ मई को उनके ही केम्पस में जाकर किसी बात में थप्पड़ मार दिया क्या ऐसे अधिकारी जो संविधान को भूल कर देश के कानून को अपने हाँथ में लेकर एक संविदा कर्मी पर हिंसात्मक रुख अख्तियार कर लिए ऐसे अधिकारी पर आयुक्त हरेश मंडावी किसी तरह की कार्यवाही करेंगे या उनका जोर सिर्फ कर्मचारियों पर कार्यवाही कर सिमित हो जायेगा .
यु तो पीड़ित कर्मचारी ने विधायक वोरा से न्याय की उम्मीद की थी किन्तु अधिकतर समय जनप्रतिनिधियों के साथ संपर्क में रहने वाले ईई गोस्वामी को शायद विधायक वोरा द्वारा समाधी स्थल में उद्यान बनाने , जगह जगह साल भर बाद टूटने वाले प्रतीक्षालय बना कर विधायक वोरा की निधि से बड़े बड़े फोटो लगाने , पीडब्ल्यूडी के कार्य को विधायक निधि से महंगे में करवाने का लाभ शायद मिल रहा है तभी तो ११ मई की घटना को दबा दिया गया किन्तु पीड़ित की टिस समय समय पर सामने आ ही जाती है एक बार फिर पीड़ित कर्मचारी ने इस मामले की शिकायत करने की पहल की किन्तु चंद घंटो बाद ही फिर किसी अदृश्य शक्ति शायद सत्ता और पद की ताकत से अपने साथ हुए अन्याय को सहने का सोंच लिया किन्तु क्या मामला सामने आने के बाद आयुक्त हरेश मंडावी ईई गोस्वामी के द्वारा पीड़ित को थप्पड़ मरने की घटना की निष्पक्ष जाँच कर कार्यवाही करेंगे या मौन रहकर मामले को दबा दिया जाएगा .
भारत का संविधान किसी भी को ये इजाजत नहीं देता कि वो हिंसा करे ऐसे में एक अधिकारी द्वारा कर्मचारी को थप्पड़ मरने की घटना का समर्थन क्या शहर के विधायक अरुण वोरा करेंगे , क्या महापौर धीरज बाकलीवाल की सरकार में ईई गोस्वामी की इस घटना को स्थान दिया जाएगा क्या अब दुर्ग निगम आयुक्त मामले को संज्ञान में लेंगे या फिर भविष्य में हिंसा की ये कड़ी और विकराल रूप लेगी ?
मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनेटाइजिंग का पालन करते रहना होगा
अपनी बारी आने पर टीका जरूर लगवाएं, जिनकों पहला डोज लग गया है वो निर्धारित समय पर दूसरा लगवाएं
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों से कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का सतत रूप से पालन करते रहने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि हम सभी ने बहुत मुश्किलें झेलकर कोरोना की दूसरी लहर को नियंत्रित किया है, हमें हर हाल में तीसरी लहर की आशंका को समाप्त करना है। इस दूसरी लहर में न केवल हमें बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचाया, बल्कि बहुत से करीबियों को भी हमसे छीन लिया है।
उन्होंने कहा कि सभी के सम्मिलित प्रयासों से कोरोना संक्रमण दर को हम 30 प्रतिशत से 9 प्रतिशत तक लाने में कामयाब हुए हैं। कोरोना की स्थिति में तेजी से हो रहे सुधार को देखते हुए राज्य शासन ने लाकडाउन के प्रतिबंधों में थोड़ी छूट देने का निर्णय लिया है। यह छूट जन-सामान्य की मुश्किलों को थोड़ा आसान करने के लिए दी जा रही है।
इस छूट के दौरान भी बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता है। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनेटाइजिंग का पालन करते रहना होगा, अन्यथा निकट भविष्य में हमें और भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। मुख्यमंत्री नेे लोगों से यह भी अपील की है कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए अपनी बारी आने पर टीका जरूर लगवाएं, जिन लोगों को टीका का पहला डोज लग गया है वो निर्धारित समय अवधि के बार टीका का दूसरा डोज अवश्य लगवाए तभी हम इस महामारी पर विजय प्राप्त कर सकेंगे।