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रायपुर / शौर्यपथ /
छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है। राज्य में संक्रमण-दर में तेज गिरवाट दर्ज की जा रही है। 16 मई को यह आंकड़ा 9 प्रतिशत दर्ज किया गया, जबकि अप्रैल माह में संक्रमण की दर 30 प्रतिशत तक जा पहुंची थी। इसी तरह दैनिक औसत टेस्टिंग जनवरी माह के 22 हजार 761 की तुलना में मई माह में 64 हजार 338 हो चुकी है। प्रदेश में टीकाकरण का काम भी तेज गति से जारी है। 16 मई तक राज्य में कुल 65 लाख 38 हजार लोगों लोगों को वैक्सीन के डोजेस दिए जा चुके थे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि अपनी ठोस रणनीति से छत्तीसगढ़ ने न केवल कोरोना की दूसरी लहर पर शीघ्रता से काबू पा लिया है, बल्कि तीसरी लहर की आशंका को समाप्त करने व्यापक स्तर पर तैयारी कर रही है। यदि तीसरी लहर आती भी है तो उससे और भी कुशलता के साथ निपटा जा सकेगा। उन्होंने कहा है कि इस समय हमारा पूरा जोर ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण को रोकने तथा वहां टेस्टिंग, ट्रेसिंग और उपचार की सुविधाओं के विस्तार पर है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा की जा रही सतत् मॉनिटंरिग और निर्देशन से अब 39 लैबों में ट्रूनाट और 15 में आरटीपीसीआर टेस्ट की सुविधा मुहैया करायी जा ही है। इसके साथ ही आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए बलौदाबजार, दुर्ग, दंतेवाड़ा, जांजगीर-चांपा, जशपुर और कोरबा में 6 नये शासकीय लैब और तैयार हो रहे है। एंटिजन टेस्ट राज्य के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों स्तर तक उपलब्ध है जबकि प्रत्येक जिले में अतिरिक्त मशीन प्रदाय कर टूऊनाअ लैब की जांच क्षमता भी बढ़ाई जा रही है।
कोरोना संक्रमण के लिए राज्य में किए जा रहे प्रयासों से संक्रमण दर में तेज गिरावट आयी है, अप्रैल में जो संक्रमण दर 30 प्रतिशत के करीब थी वह उतरकर अब 9 प्रतिशत हो गई है। पिछले साल जहां कोविड संक्रमित मरीज पर औसत 4 से 5 कॉंटेक्ट्स को ही टेऊक किया जा रहा था वहीं अब हर कोविड मरीज के 7 संपर्को की तलाश और उनकी जांच सुनिश्चित की जा रही है जिससे संक्रमण को रोकने में काफी मदद मिली है।
प्रदेश में वर्तमान में 1019 कॉटेन्मेंट क्षेत्र घोषित किये गए हैं जहां घर-घर जाकर टेस्टिंग की जा रही है। राज्य में 6 मेडिकल कॉलेज और एम्स रायपुर सहित 37 डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल तथा कुल 154 कोविड केयर सेण्टर बनाए गए हैं इसके साथ ही राज्य के प्रत्येक जिले में डेडिकेटेड कोविड अस्पताल भी बनाए गए है। शासकीय डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल में 5294 बेड तथा कोविड केयर सेण्टर में 16405 बेड की सुविधा उपलब्ध करायी गई है। निजी कोविड अस्पतालों में 9 हजार 596 बेड उपलब्ध कराए गए है। इसके साथ ही कुल 1151 वेटिंलेटर उपलब्ध कराए गए है जिसमें 526 शासकीय और 625 निजी अस्पतालों में है।
ऑक्सीजेनेटेड बेड की संख्या बढ़ाये के लिए राज्य में 18 नए ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट्स स्थापित किये गए हैं इसके अतिरिक्त 6 प्लांट्स प्रक्रियाधीन हैं इनमे से 3 प्लांट अगले एक सप्ताह में स्थापित हो जायेंगे। रायपुर मेडिकल कॉलेज में एक विशेष टेलीकंसल्टेशन हब स्थापित किया गया है जिसके माध्यम से मई 2020 से कॉलेज के विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रत्येक दिन सभी शासकीय डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संपर्क स्थापित कर उन्हें टेलीकंसल्टेशन प्रदान किया जा रहा है। आवश्यकता पडऩे पर टेली राउंड भी लिए जाते हैं।
छत्तीसगढ़ में अब तक 7.97 लाख से अधिक लोगों ने कोरोना को दी मात
वर्तमान में सामान्य मरीजों की सुविधा के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर में वर्चुअल ओ.पी.डी. की सुविधा भी प्रारंभ की गई है। यह सुविधा प्रतिदिन सुबह 10:30 बजे से 11:30 बजे तक उपलब्ध है। इस दौरान मेडिसिन विभाग, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग एवं मनोरोग विभाग के विशेषज्ञों द्वारा चिकित्सकीय परामर्श दिया जाएगा। भविष्य में मरीजों की संख्या बढऩे पर अन्य विभागों के चिकित्सक भी उपलब्ध रहेंगे। लिंक के माध्यम से वर्चुअल ओ.पी.डी. ज्वाइन की जा सकती है। छत्तीसगढ़ में अब तक 7.97 लाख से अधिक लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं जिसमें से 1.40 लाख अस्पताल से डिस्चार्ज हुए तथा 6.57 लाख मरीजों ने होम आइसोलेशन की अवधि पूरी की है। होम आइसोलेटेड मरीजों की निगरानी के लिए प्रत्येक जिले में कण्ट्रोल रूम की स्थापना भी की गई है।
Ó18-44 वर्ष के आयु वर्ग के 4.77 लाख लोगों का टीकाकरणÓ
बीते 11 मई को भारत सरकार की वीडियो कांफ्रेंसिंग के अनुसार 45 वर्ष से अधिक आयु समूह को कोविड-19 वैक्सीन की प्रथम डोज देने में छत्तीसगढ़ राज्य का स्थान पूरे देश में छठा है। पूरे देश में सिर्फ लद्दाख, सिक्किम, त्रिपुरा, लक्षद्वीप और हिमाचल प्रदेशही छत्तीसगढ़ से आगे हैं। यदि हेल्थ केयर वर्कर्स की प्रथम डोज की कवरेज की बात करें तो छत्तीसगढ़ (99 प्रतिशत) के साथ देश में तीसरे नंबर पर है।
प्रदेश में 2 अप्रैल 2021 को सर्वाधिक 3.26 लाख व्यक्तियों का तथा 3 अप्रैल को 2.92 लाख व्यक्तियों का टीकाकरण किया गया। 16 मई तक राज्य में कुल 65.38 लाख हितग्राहियों को वैक्सीन डोजेज दी गई हैं। जिसमें 18-44 वर्ष के आयु वर्ग वाले कुल 4,77,044 हितग्राहियों का टीकाकरण किया गया। 16 मई 2021 के टीकाकरण के पश्चात् केंद्र सरकार के चैनल में से 6,48,810 डोज तथा राज्य सरकार के चैनल में से 3,36,754 शेष हैं।
Óसार्वजनिक स्थल पर मास्क नही लगाने वाले लोगों से 3.44 करोड़ रूपए की वसूलीÓ
कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए सार्वजनिक स्थलों में मास्क न पहनने की स्थिति में राज्य सरकार द्वारा 500 रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है। 25 फरवरी 2021 से 10 मई 2021 तक सभी जिलों के 2.22 लाख लोगों से 3 करोड़ 44 लाख रुपये की वसूली की गई।
मुख्यमंत्री बघेल ने केन्द्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री गोयल को अनुमति के लिए भेेजा प्रस्ताव
वीडियो कांफ्रेंस और दूरभाष पर चर्चा के दौरान श्री बघेल के अनुरोध पर प्रधानमंत्री ने दिया था विचार का आश्वासन
ऑक्सीजन की कमी के कारण राज्य की सभी स्टील निर्माता इकाईयां बंद पड़ी है, लाखों मजदूर हो गये बेरोजगार
किसी भी समय अतिरिक्त मेडिकल ऑक्सीजन की मांग पर स्टील निर्माता उद्योगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति रोकी जा सकती है
रायपुर / शौर्यपथ /
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कल 16 मई को दूरभाष पर हुई चर्चा और इसके पहले प्रधानमंत्री द्वारा मुख्यमंत्रियों के साथ ली गई वीडियो कांफ्रेसिंग में कोरोना की स्थिति में सुधार तथा आक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता को दृष्टिगत रखते हुए स्टील उद्योगों को 20 फीसदी आक्सीजन के उपयोग की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर विचार का आश्वासन दिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री बघेल से फोन पर हुई चर्चा में केन्द्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर भेजने को कहा था।
जिस पर मुख्यमंत्री बघेल ने आज केन्द्रीय मंत्री गोयल को पत्र लिखकर स्टील उद्योगों को छत्तीसगढ़ में उत्पादित आक्सीजन की 20 प्रतिशत मात्रा के उपयोग की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल को भेेजे पत्र में लिखा है कि - छत्तीसगढ़ राज्य की विभिन्न इकाईयों की कुल दैनिक ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता 462 मीट्रिक टन है। सामान्य परिस्तिथियों में राज्य की स्टील निर्माता कम्पनियों को ऑक्सीजन निर्माताओं द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है।
कोरोना महामारी के इस बढ़ते प्रकोप के कारण केंद्र सरकार ने देश में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु उत्पादित ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग पर रोक लगा दी थी। राज्य सरकार द्वारा यह सुनिश्चित किया गया कि राष्ट्रीय आपदा की घड़ी में राज्य के सभी ऑक्सीजन उत्पादकों द्वारा अनेक राज्यों को उनकी आवश्यकता एवं माँग के अनुरूप ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाए।
15 मई 2021 की स्थिति में राज्य के कोरोना मरीजों के उपचार हेतु 114.93 मीट्रिक टन तथा अन्य राज्यों को 175.27 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की गयी। जबकि 28 अप्रैल 2021 की स्थिति में राज्य की ऑक्सीजन की कुल आवश्यकता 149.83 मीट्रिक टन तथा अन्य राज्यों की कुल आवश्यकता 340.18 मीट्रिक टन की आपूर्ति राज्य के ऑक्सीजन निर्माताओं द्वारा की गयी।
मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया है कि कोरोना महामारी की स्थिति में निरन्तर सुधार हो रहा है। ऑक्सीजन उत्पादक इकाईयों को ऑक्सीजन की मांग के अभाव में क्षति हो रही है तथा ऑक्सीजन की कमी के कारण राज्य की सभी स्टील निर्माता इकाईयां बंद पडी है, जिसके कारण लाखों मजदूर बेरोजगार हो गये है। इन परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए अनुरोध है कि राज्य की स्टील निर्माता इकाईयों को राज्य में उत्पादित 20 प्रतिशत मात्रा (92 मीट्रिक टन) के उपयोग की अनुमति प्रदान करने का कष्ट करें। भविष्य में किसी भी समय अतिरिक्त मेडिकल ऑक्सीजन की मांग यदि उत्पन्न भी होती है, तो स्टील निर्माता इकाईयों को ऑक्सीजन की आपूर्ति रोकी जा सकती है।
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिक निगम में जब से ईई के पद में मोहन पूरी गोस्वामी ने पद संभाला है तब से वर्तमान तक उनके द्वारा किया गया हर कार्य विवादित ही रहा है . जनप्रतिनिधियों के जयादा संपर्क में रहने के आदि मोहन पूरी गोस्वामी प्रधान मंत्री आवास योजना से अपने कार्य की शुरुवात की किन्तु लापरवाही के चलते उन्हें यहाँ से हटा दिया गया . पूर्व के आयुक्त इन्द्रजीत बर्मन के कार्यकाल में प्रथम के एक दो माह निगम के सर्वेसर्वा बनने की कोशिश ईई गोस्वामी द्वारा की गयी किन्तु अधिकतर कार्य में लापरवाही . कार्यो के कार्यादेश देने में देरी , कार्यो को पूर्ण करवाने में देरी , ठेकेदारों को भुगतान के लिए गुमाने जैसे कई कारणों से तात्कालिक आयुक्त बर्मन द्वारा उन्हें नोटिस भी दिया गया एवं कई महत्तवपूर्ण कार्य के प्रभार से हटा दिया गया . दुर्ग विधायक के करीबी होने का शायद ईई मोहन पूरी गोस्वामी को अभी तक फायदा मिलता रहा किन्तु वर्तमान में मोहन पूरी गोस्वामी द्वारा पिछले दिनों महिला कालेज के एक स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार करने एवं थप्पड़ मारने का मामला सामने आया है .
दो तीन दिनों से ऐसी सुगबुगाहट थी की ईई गोस्वामी ने किसी कर्मचारी को थप्पड़ मारा है किन्तु अपने पद की ताकत के आगे मामले को दबाने की कोशिश भी की गयी .
शौर्यपथ समाचार ने जब मामले की बारीकी से जाँच की तो ज्ञात हुआ कि १२ तारीख को वेक्सिनेशन के एक दिन पहले महिला कालेज के एक कर्मचारी को ईई गोस्वामी ने थप्पड़ मार दिया था . उस कर्मचारी का कुसूर इतना था कि उसने सिर्फ ये पूछा आप कौन है इतनी सी बात पर ईई गोस्वामी द्वारा थप्पड़ मरना आखिर संविधान के किस किताब में लिखा है . एक अनजान व्यक्ति जब कर्मचारी के कार्यालय में प्रवेश कर रहा है तो कर्मचारी ने अगर परिचय पूछ लिया तो कौन सा गुनाह कर दिया जिसमे उसे थप्पड़ मारने की नौबत आ गयी .
पीड़ित कर्मचारी से जब इस मामले में बात की गयी तो उसके द्वारा बताया गया कि ११ तारीख को एक व्यक्ति कार्यालय के अन्दर आया जो हमारे स्टाफ का नहीं था इसलिए मैंने सविनय परिचय जानना चाहा इतने में अधिकारी द्वारा मुझे जानते नहीं मई कौन हूँ कहकर थप्पड़ मार दिया गया . इस बात की शिकायत जब पीड़ित द्वारा शहर के विधायक को की गयी तो विधायक द्वारा अधिकारी को समझा देने की बात कह कर बात खत्म करने की बात कही गयी .
शहर विधायक द्वारा इस तरह आश्वासन के बाद ये उम्मीद जगी कि अधिकारी को अपनी गलती का अहसास होगा किन्तु दुसरे दिन सिर्फ यही पता चला कि अधिकारी ने माफ़ी मांगी किन्तु यह जमीनी सच्चाई नहीं अधिकारी द्वारा इस बारे में कोई बात पीड़ित से नहीं की गयी ऐसा पीड़ित का कहना है .
पीड़ित से जब शौर्यपथ समाचार पत्र ने बात की तो पीड़ित द्वारा इस बात की शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री से करने की बात कही किन्तु चंद घंटो में ऐसा क्या हुआ कि पीड़ित के सुर कुछ घबराहट से भरे हुए थे और वो डरे हुए शब्दों में अपरोक्ष रूप से यह कहने की कोशिश कर रहा था कि अगर शिकायत करूँगा तो सब बड़े अधिकारी और ऊँची पहुँच वाले लोग मिलकर मुझे नौकरी से निकाल देंगे जिससे मेरा भविष्य खराब हो जाएगा .
बड़ा सवाल यह है कि आखिर किस अधिकार से पीड़ित को एक अधिकारी थप्पड़ मार सकता है .
विधायक वोरा को जानकारी होने के बाद भी उनके द्वारा मामले को आयुक्त दुर्ग निगम के संज्ञान में क्यों नहीं लाया गया .
क्या दुर्ग निगम आयुक्त अपने अधिकारी के इस तरह के व्यवहार पर कोई कड़ी कार्यवाही करेंगे या मौन समर्थन देंगे .
क्या मामले को जिलाधीश संज्ञान में लेकर निष्पक्ष जाँच कर एक चतुर्थ ग्रेड के कर्मचारी को न्याय दिलाएंगे ?
जांजगीर-चांपा / शौर्यपथ / कोरोना वायरस से सुरक्षा एवं बचाव तथा रोकथाम को ध्यान में रखते हुए जिले के सम्पूर्ण क्षेत्र को 31 मई तक कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है। अतिआवश्यक अनुमति प्राप्त सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की गतिविधियां प्रतिबंधित है। कंटेनमेंन्ट जोन के निर्देशों का पालन करवाने के लिए जिला दंडाधिकारी श्री यशवंत कुमार के मार्ग निर्देशन में पुलिस, राजस्व और स्थानीय निकाय का संयुक्त दल बनाया गया है। कंटेनमेंट जोन के उल्लघन के प्रकरणों पर सतत कार्यवाही की जा रही है।
आज जांजगीर तहसीलदार नायब तहसीलदार अतुल वैष्णव, , पुलिस, राजस्व निरीक्षक, राजस्व, नगर पालिका जांजगीर-नैला के संयुक्त दल द्वारा जांजगीर-नैला नगर पालिका क्षेत्र का निरीक्षण किया गया। तहसीलदार, नायब तहसीलदार वैष्णव ने बताया कि निरीक्षण के दौरान राजू किराना स्टोर्स, मारुति किराना स्टोर्स, श्याम किराना स्टोर्स, महाजन रवि किराना स्टोर्स, बद्री प्रसाद अनिल कुमार गल्ला किराना में ग्राहकों को सामान बेचते पाया गया। सचिन अग्रवाल के गोदाम नैला, सत्यनारायण शिव कुमार गल्ला किराना दुकान में अवैधानिक समय पर लोडिंग/अनलोडिंग किया जा रहा था। दल द्वारा सभी 7 प्रतिष्ठानों को सीलबंद किये जाने की कार्यवाही की गई। इसी प्रकार गांधी चौक में स्थायी रूप से बैठ कर सब्जी बेचने वालों के 7 ठेले/गुमटी पर जब्ती/चालानी कार्यवाही की गई। कलेक्टोरेट चौक, नेताजी चैक, कचहरी चैक, बीटीआई चैक, नहर पार में अनावश्यक घूमने वालों पर कुल- 3,800 रूपये की चालानी कार्यवाही की गई है। शासकीय उचित मूल्य की दुकान, वेक्सिनेशन सेंटर का निरीक्षण किया गया। संचालक व उपस्थित लोगों को कोविड प्रोटोकॉल व जारी दिशा निर्देशों का पालन करने की समझाइश दी गयी।
नई दिल्ली /शौर्यपथ / वैक्सीनेशन के दौरान खून निकलने व थक्के जमने की चर्चाओं के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसके अनुसार भारत में इस तरह के मामले बेहद कम आए हैं. भारत मे वैक्सीनेशन की शुरुआत से लेकर अब तक 23000 से ज्यादा एडवर्स इवेंट के मामले रिपोर्ट हुए हैं. ये मामले देश के 684 जिलों से हैं. जिनमे से 700 मामले सीरियस और सीवियर हैं. 498 सीरियस और सीवियर मामलों की जांच जब AEFI कमेटी ने की तो उसमें 26 मामले ब्लड क्लॉटिंग के मिले. ये मामले 0.61 % केस प्रति मिलियन हैं. ब्लड क्लॉटिंग के सभी मामले कोविशील्ड टीका देने के बाद के हैं. कोवैक्सीन को लेकर AEFI कमेटी को एक भी ब्लड क्लॉटिंग की शिकायत नही मिली है.
अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हेल्थ केयर वर्कर और वैक्सीन और खासकर कोविशील्ड लेने वाले लोगों को एडवाइजरी जारी की है कि टीका लेने के 20 दिन तक AEFI की शिकायत आ सकती है और अगर शिकायत आए तो जहां टीका लिया है वहां सम्पर्क करें.
ब्लड क्लॉटिंग के अलावा कई दूसरी समस्या हो सकती है जिमसें सीने में दर्द,सांस की तकलीफ,पेट मे दर्द,कमजोरी,देखने मे दिक्कत जैसी समस्याएं.
नई दिल्ली / शौर्यपथ/ YSR कांग्रेस नेता रघुराम कृष्णम राजू की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. आंध्र सरकार को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राजू को सिकंदराबाद के सेना अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने तीन डॉक्टरों के पैनल से राजू की मेडिकल जांच कराने के निर्देश दिए हैं. अदालत ने कहा कि राजू का वहां पर तब तक इलाज होगा जब तक पैनल कहे. मेडिकल जांच की वीडियोग्राफी भी होगी और जांच रिपोर्ट अदालत को सौंपी जाएगी.
जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने मामले की सुनवाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजू को जांच के लिए सेना के अस्पताल सिकंदराबाद ले जाया जाएगा. इसे न्यायिक हिरासत माना जाएगा. तेलंगाना हाईकोर्ट एक न्यायिक अधिकारी को नामित करेगा, जो जांच के दौरान राजू के साथ रहेगा. आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को इस आदेश को लागू करने का निर्देश दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आदेश का अनुपालन तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा भी सुनिश्चित किया जाना है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजू के स्वास्थ्य की जांच की वीडियोग्राफी की जाएगी और मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट को एक सीलबंद लिफाफे में दी जाए. जमानत पर अगली सुनवाई के लिए 21 मई को होगी.
आंध्र प्रदेश के सांसद रघुराम कृष्णम राजू को आंध्र प्रदेश CID ने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था. उच्च न्यायालय ने 15 मई को उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था. राजू के खिलाफ विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दिए गए बयानों के आधार पर राज्य सीआईडी द्वारा FIR दर्ज की गई थी. पुलिस ने दावा किया था कि जातियों और धर्मों के बीच दुश्मनी पैदा करने के लिए ये हेट स्पीच दी गई थी.
वहीं राजू ने आरोप लगाया कि पुलिस ने हिरासत में उन्हें टॉर्चर किया क्योंकि वो मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की आलोचना कर रहे थे. राजू ने कुछ दिनों पहले सीबीआई की स्पेशल कोर्ट से आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीएम जगन मोहन रेड्डी की जमानत रद्द करने की मांग की थी.
नई दिल्ली / शौर्यपथ / लखनऊ उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक ने अपनी ही पार्टी की सरकार पर हमला बोला है. विधायक ने कहा कि उनके जैसे विधायकों की राज्य में कोई हैसियत नहीं है और मीडिया के सामने बहुत बयानबाजी करने पर उनके खिलाफ देशद्रोह का केस हो जाएगा.
विधायक राकेश राठौर से सीतापुर में सरकारी ट्रॉमा सेंटर को शुरू किए जाने को लेकर सवाल पूछा गया था. यह बिल्डिंग काफी सालों से तैयार है, लेकिन चालू नहीं हो पाई है. सवाल पर उनका जवाब था, 'मैंने बहुत से कदम उठाए हैं, लेकिन विधायकों की हैसियत ही क्या है? अगर मैं ज्यादा बोलूंगा तो मेरे खिलाफ देशद्रोह की धारा लग जाएगी.'
इसपर जब उनसे पूछा गया कि क्या वो यह संकेत दे रहे हैं कि वो एक विधायक के तौर पर अपनी सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते हैं? तो इसपर उन्होंने कहा कि 'क्या आपको लगता है कि विधायक अपने मन की बात कह सकते हैं? आप जानते हैं कि मैंने पहले भी सवाल उठाए हैं.'
राकेश राठौर पहली बार विधायक बने हैं. उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनावों के पहले बीजेपी जॉइन किया था. उसके पहले वो निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ चुके थे और बहुजन समाज पार्टी से भी जुड़े रहे थे.
पिछले साल एक घटना के चलते उनसे बीजेपी के प्रदेश आलाकमान ने सफाई मांग ली थी. सोशल मीडिया पर कथित रूप से उनकी एक ऑडियो क्लिप वायरल हो गई थी, जिसमें वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना कर रहे थे. इस क्लिप में वो कथित रूप से एक अन्य बीजेपी नेता ने बात कर रहे थे, जिसमें वो कोविड-19 महामारी की शुरुआत में लोगों से ताली, थाली बजवाने की पीएम की अपील को गलत बता रहे थे.
इस क्लिप में कथित रुप से विधायक ने कहा था कि 'आप ताली बजाकर कोरोना को खत्म कर देंगे? मूर्खता का रिकॉर्ड तोड़ा जा रहा है. शंख बजाने से कोरोना चला जाएगा? आप जैसे लोग मूर्ख होते है...वो आपकी नौकरी ले लेंगे.'
नई दिल्ली / शौर्यपथ / सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर फिलहाल रोक लगाने की मांग का मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. HC में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि परियोजना को लेकर कई चुनौतियां हैं, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर विचार किया. कई दिनों लंबी सुनवाई के बादसुप्रीम कोर्ट ने इस परियोजना को मंजूरी दी. यह निर्माण लंबे समय से चल रहा है, लेकिन जिन लोगों को प्रोजेक्ट पसंद नहीं है वो लोग अदालत के सामने दूसरे तरीके की दलीलें अपनाकर रोकने की मांग कर रहे हैं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अप्रैल की अधिसूचना के बारे में कोर्ट को बताया कि इसमें किसी भी निर्माण गतिविधि को प्रतिबंधित नहीं किया गया था, तब रेस्तरां और कई अन्य गतिविधियों की अनुमति थी. निर्माण को लेकर सीमित प्रतिबंध 19 अप्रैल, 2021 को आया, लेकिन यह केवल उन निर्माण पर था जहां ऑनसाइट श्रमिक नहीं रहते थे. उन्होंने कहा कि किसी न किसी बहाने से कुछ लोग इस निर्माण का विरोध कर रहे हैं इसके लिए किसी बहाने से जनहित याचिका का सहारा लिया जा रहा है.जो तस्वीरें कोर्ट को दिखाई गई हैं उसमें याचिकाकर्ता ने तथ्यों को छिपाने का काम किया है. कंस्ट्रक्शन साइट पर चिकित्सा सुविधा है और श्रमिकों को चिकित्सा सुविधा हमेशा मिल रही है.
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस मामले में जनहित याचिका को बहुत सीमित रखा गया है. याचिका में 2 या 3 किमी दूर अन्य श्रमिको की परवाह नहीं की गई है. याचिकाकर्ता ने कुछ अन्य परियोजनाओं पर आपत्ति नहीं की है. दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले को एक सप्ताह के लिए स्थगित किया तो सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी ये असामान्य घटना है जबकि उन्हें दूसरे प्रोजेक्ट में लगे अन्य कामगारों की परवाह नहीं है.
नई दिल्ली /शौर्यपथ /अरविंद केजरीवाल सरकार ने कहा है कि दिल्ली में 18 से 44 वर्ष के लिए केवल तीन दिन की वैक्सीन ही शेष रह गई है और केंद्र सरकार ने इस माह वैक्सीन का और स्टॉक देने से इनकार कर दिया है.दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार से मिली चिट्ठी के हवाले से यह जानकारी दी. सिसोदिया ने डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में वैक्सीन को लेकर बताया कि भारत सरकार की चिट्ठी कल हमारे पास आई है. केंद्र सरकार का कहना है कि दिल्ली को अब मई के महीने में 45+ वालों के लिए 3,83,000 डोज़ मिलने वाली है लेकिन मई में 18 से 44 साल के लोगों के लिए और कोई वैक्सीन नहीं मिलेगी.
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने केंद्र सरकार से निवेदन करके कहा है कि दिल्ली में 45 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम बहुत तेजी से चलाया है और 45 वर्ष से नीचे के लोगों के लिए भी टीकाकरण कार्यक्रम बहुत तेजी से चलाया गया है. आज से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 45 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए भी इंतजाम किया गया है जो अभी तक अस्पतालों और डिस्पेंसरी में चल रहा था.इन जगहों पर वॉक इन टीका लगा रहे हैं यानी जिसका कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है, उसका भी रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं. हमारा टीकाकरण कार्यक्रम बहुत स्मूथ चल रहा है और हमें इसमें आगे भी केंद्र सरकार का सहयोग चाहिए. अभी हमारे पास 45 साल से ऊपर के लोगों के लिए 4 दिन की वैक्सीन है जबकि 18-44 उम्र के लोगों के लिए आज के बाद केवल 3 दिन की वैक्सीन बचेगी.
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, 'मैंने आज भारत सरकार को चिट्ठी लिखकर तीन निवेदन किए हैं
1. 18-45 वर्ष के लोगों के लिए भी हमको और वैक्सीन उपलब्ध कराएं वरना 3 दिन बाद टीकाकरण केंद्र बंद करने होंगे.
2. दोनों कंपनियां मिलकर जितनी भी वैक्सीन देश में बना रही हैं इनका आवंटन का डाटा सार्वजनिक किया जाए ताकि पता चल सके कि 18 से 44 साल के लोगों के लिए कितनी वैक्सीन दी गई है और 45 से ऊपर के लिए कितनी वैक्सीन दी गई है. दिल्ली के लिए यह जाना भी जरूरी है कि सरकारी सिस्टम में कितनी व्यक्ति जा रही हैं और प्राइवेट अस्पताल के पास कितनी जा रही हैं. पूरे देश के बारे में ये डेटा होना चाहिए जैसे ऑक्सीजन के बारे में था.
3. जिस तरह से आपने बताया है कि मई महीने में 45 वर्ष के ऊपर के लोगों के लिए आपको इतनी वैक्सीन देंगे उसी तरह से जून और जुलाई का भी बता दीजिए ताकि हम आगे का अपना कार्यक्रम उसी हिसाब से बनाएं.
नई दिल्ली / शौर्यपथ / भारत में पिछले कुछ सालों में कई चक्रवाती तूफानों ने कहर बरपाया है और अब साइक्लोन ताउते ने भयानक रूप धारण कर लिया है. लेकिन क्या आपको पता है कि भूकंप की तरह साइक्लोन का भी एक केंद्र होता है. इसे साइक्लोन्स आईयानी चक्रवात की आंख कहते हैं. सबसे कम वायुमंडलीय दबाव वाला क्षेत्र चक्रवात का केंद्र होता है. इसे उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में चक्रवाती आंख के रूप में भी जाना जाता है.साइक्लोन के केंद्र को चक्रवात की आंख कहते हैं. साइक्लोन्स आई का दायरा 15 से 30 किलोमीटर तक हो सकता है. इस दायरे में साइक्लोन की तीव्रता जबरदस्त होती है. चक्रवात की आंख का निर्माण तभी होता है, जब चक्रवाती तूफान गंभीर या अत्यंत गंभीर रूप धारण करता है.
कम दबाव वाले क्षेत्र के आसपास गोल-गोल घूमने वाले तूफ़ान को चक्रवात के नाम से जाना जाता है. इसके केंद्र में कम दबाव होता है, उसे चक्रवात की आंख कहा जाता है. यह तूफान की धुरी की तरह होता है, लेकिन बाहरी हिस्से के मुकाबले में यह शांत और कम रफ्तार की हवाओं का क्षेत्र होता है. इसके बाहरी क्षेत्र में तेज हवाओं से तूफान, आंधी, बारिश, बिजली से भयानक नुकसान देखने को मिलता है.
इस चक्रवाती आंख के बाहरी दायरे में बादलों की तेज गड़गड़ाहट, जोरदार कड़कड़ाहट के साथ बिजली गिरने और बारिश देखने को मिलती है. सामान्य स्तर के चक्रवात में भी ये आंख बनती है, लेकिन हवाओं का रुख तेज होने के साथ यह ज्यादा घुमावदार नहीं हो पाती है औऱ तूफान के केंद्र में सही मायने में आंख का रूप धारण नहीं हो पाता है.
साइक्लोन आई, चक्रवात का का सबसे अंदरूनी भाग होता है, जहां वहां वायु दाब निम्न होता है. यहां वायु शांत रहती या बहुत धीमी गति से बहती है. इसके निर्माण का कारण यह है कि चक्रवात में अंदर की ओर हवाएं बहुत तीव्र गति से केंद्र के चारों और तो घूमती हैं परंतु बाहर नहीं निकल पातीं. जैसे कोई सैटेलाइट गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण पृथ्वी के चारों घूमने को बाध्य होता है.
चक्रवात की सूक्ष्म आंख----
सूक्ष्म आंख चक्रवात की सूक्ष्म आंख का घेरा 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में होता है. इस आंख के चारों ओर बादलों की दीवार छोटी-बड़ी होती रहती है. इसके चारों और वायुमंडलीय दबाव की तीव्रता से कई तरह की बादलों की दीवारें बनकर तैयार हो जाती हैं. इस क्षेत्र में हवा की रफ्तार 40 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है.
मध्यम आंखें.......
ऐसे चक्रवाती तूफानों की आंख का व्यास या वृत्तीय दायरा 60 से 80 किलोमीटर का होता है. ऐसे तूफान भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देशों में देखने को मिलती हैं. हालांकि इनमें हवाओं की रफ्तार 80-90 से बढ़कर 110 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है.
क्यों बनती है ऐसे साइक्लोन आई
वैज्ञानिकों का कहना है कि चक्रवाती तूफान का स्तर वायुमंडलीय दबाव, तापमान, बादलों की गति और समुद्री इलाके की परिस्थितियों जैसे तमाम कारकों पर निर्भर करता है. इसी के हिसाब से साइक्लोन की आंख का दायरा भी छोटा-बड़ा होता है.