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सेहत /शौर्यपथ / कोरोना संक्रमण को हरा चुके लोग अब हार्ट अटैक की जद में आ रहे हैं। अगर आपका कोई अपना अभी-अभी कोरोना को मात देकर लौटा है तो बेहद जरूरी है कि आप विशेष ख्याल रखें ताकि हार्ट अटैक का जोखिम घट सके। हाल में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के किए एक शोध से पता लगा है कि ठीक होने के एक महीने के अंदर ही 50% मरीजों को हृदयाघात का सामना करना पड़ रहा है। आइए जानते हैं क्या हैं इसके बचाव के उपाय।
क्या है कारण-
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कोरोना संक्रमित हो चुके व्यक्ति के हृदय पर भी असर पड़ा है तो उसको हृदयाघात की आशंका रहती है। कई बार रिकवर मरीजों में रक्तचाप की समस्या उभरती है जिसमें ब्लड प्रेशर के अचानक बढ़ने या घटने जैसी दिक्कतें हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड-19 का संक्रमण शरीर में इंफ्लेमेशन को ट्रिगर करता है, जिससे दिल की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। साथ ही धड़कन की गति भी प्रभावित होती है। इससे खून का थक्का जमने आदि की समस्या हो जाती है। उन्होंने कहा कि दरअसल कोरोना से हृदय की मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं। हार्ट में इंफ्लेमेशन बढ़ने से ऐसा होता है। इससे हार्ट फेलियर, ब्लड प्रेशर की दिक्कत और धड़कन की गति तेज या धीमी होने लगती है। इसके अलावा फेफड़ों में खून के थक्के जमने की वजह से हार्ट पर बुरा असर पड़ता है। युवाओं में ये परेशानी ज्यादा देखने को मिल रही है।
कब करवाएं जांच-
विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के बाद अगर आपकी छाती में दर्द की शिकायत है या फिर आपको पहले से कोई हृदय रोग है तो आपको इसकी इमेजिंग जरूर करवानी चाहिए। इससे पता चल जाएगा कि वायरस ने हार्ट की मांसपेशियों को कितना नुकसान पहुंचाया है। हल्के लक्षण वाले मरीज भी ये करवा सकते हैं।
लक्षण-
इसमें मरीज को सांस लेनें में तकलीफ होती है। दिल की धड़कन तेज और अनियमित हो जाती है। बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होने लगती है। इसके साथ ही पंजे, एड़ी या पैर में सूजन भी आ जाती है। इसके अलावा लगातार खांसी, भूख न लगना और बार-बार पेशाब आना भी इसके मुख्य लक्षण हैं। अगर किसी को ये सारे लक्षण महसूस हो रहे हैं तो उसे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
बचाव एवं उपाय-
प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट हेलेन ग्लासबर्ग ने कोविड-19 के दौरान हृदय को स्वस्थ्य रखने के कुछ तरीके सुझाएं हैं जो इस प्रकार हैं-
-सामाजिक दूरी बनाए रखें।
-मास्क जरूर लगाएं।
-स्वस्थ जीवन शैली की आदतें बनाए रखें।
-नियमित दिनचर्या का पालन करें।
-टेलीमेडिसिन का लाभ उठाएं।
-अपनी दवाएं लेना जारी रखें।
-योग, प्राणायाम और व्यायाम करें।
-सतर्क और चौकन्ने रहें।
-समय समय पर जांच कराते रहें।
-मिर्च या मसालों से रहित सादा भोजन करें।
-तरल पदार्थों का अधिक सेवन करें।
-सिगरेट और शराब से दूर रहें।
-नींद पर्याप्त लें।
खेल /शौर्यपथ /ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट कप्तान टिम पेन ने संकेत दिया है कि अगर उनकी टीम इस साल एशेज क्रिकेट सीरीज में इंग्लैंड को हरा देती है तो वह कप्तानी से विदा ले लेंगे। उन्होंने स्टीव स्मिथ को अगला कप्तान बनाये जाने की भी हिमायत की। सत्र की शुरूआत में सितारों के बिना खेल रही भारतीय टीम के खिलाफ घरेलू सीरीज में आस्ट्रेलिया की हार के बाद से 36 वर्ष के पेन पर कप्तानी से हटने का दबाव है। वहीं स्मिथ 2018 के गेंद से छेड़खानी प्रकरण से पहले आस्ट्रेलिया के कप्तान थे।
पेन ने न्यूज डॉट कॉम डॉट एयू से कहा, "निश्चित तौर पर मैं फैसले नहीं लेता लेकिन मैने जितना समय स्टीव की कप्तानी में खेला, वह शानदार था। वह तकनीक का धनी है। वह बहुत कुछ मेरी तरह ही है। उसे काफी कम उम्र में कप्तानी सौंप दी गई जिसके लिये वह तैयार नहीं था। लेकिन जब तक मैं आया , वह परिपक्व हो गया था। उसके बाद दक्षिण अफ्रीका वाली घटना (गेंद से छेड़खानी) हो गई । लेकिन मैं उसे अगला कप्तान बनाये जाने का समर्थक हूं।"
पेन ने संकेत दिया कि आस्ट्रेलियाई टीम अगर इस साल एशेज में इंग्लैंड को हरा देती है तो वह पद छोड़ देंगे। उन्होंने कहा, "कम से कम अगले छह टेस्ट तक तो हूं । मुझे लगेगा कि समय सही है और हम एशेज में आस्ट्रेलिया का सफाया कर देते हैं तो वह जाने का सही समय होगा। भारत के खिलाफ सीरीजके बारे में उन्होंने कहा कि वे आपका ध्यान हटाने में माहिर हैं। हम उसी में फंस गए। जैसे उन्होंने कहा कि वे गाबा नहीं जायेंगे तो हमें पता ही नहीं था कि हम कहां खेलेंगे। इससे हमारा फोकस हट गया। ऐसी अटकलें थी कि भारतीय टीम उस दौरे पर ब्रिसबेन में नहीं खेलना चाहती थी लेकिन भारत ने खेला और आखिरी दिन मैच जीतकर इतिहास रच दिया।
ओपिनियन /शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ में बैशाख शुक्ल की तृतीया को अक्षय तृतीया (अक्ती) का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 14 मई को पड़ रहा है। इस पर्व पर मिट्टी के घड़े अथवा सुराही दान में देने की प्रथा प्रचलित है। इस पर्व पर मटके, सुराही दान देने का उद्देश्य यहीं है कि दीन हीन निर्धनजनों का परिवार ग्रीष्मकाल में सहजता से शीतल जल से प्यास बुझा सके। इस पर्व पर दो चार सुराही पक्षियों के बसेरा बनाने के लिये पेड़-पौधों, घरों की मुंडेर पर लटकाने की एक नई परंपरा छत्तीसगढ़ राज्य पाॅवर कंपनी के अतिरिक्त महाप्रबंधक श्री विजय मिश्रा ‘‘अमित’’ ने की है। उनका कहना है कि गर्मी बीत जाने के बाद प्रायः सुराही मटके को अनुपयोगी मानकर फेक दिया जाता है। इन्हे भी सुरक्षित स्थान पर लटका देने से यह भी पक्षियों का बसेरा बन सकते है।
सृष्टि की रचना के साथ ही मनुष्य का अटूट रिश्ता पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं और पशु-पक्षियों के साथ जुड़ा हुआ है। मानव समुदाय की जिंदगी को खुशनुमा बनाने में पक्षियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसलिये विद्वानों का कहना है कि ‘‘परिंदे जिनके करीब होते हैं, वे बड़े खुशनसीब होते हैं’’। मानव मित्र ये पक्षी फसलों के कीड़ों को खाकर न केवल फसलों की रक्षा करते हैं। फूलों के परागकण को एक फूल से दूसरे फूल में पहुंचाने का भी कार्य करते हैं। इससे अनभिज्ञ अनेक लोग खुबसूरत पक्षियों को पिंजरे में कैद करके रखते है।
मनुष्य के तन-मन-धन सब को संवारने में पक्षी परिवार का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसीलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि पक्षियों को पिंजरे में कैद करके रखने के बजाय आंगन में दाना पानी रखना आरंभ करें। साथ ही साथ घर आंगन आस-पास उगे वृक्षों में सुराही को बांधकर लटका दे। ऐसे लटके हुये सुराही में गौरेया, गिलहरी, उल्लू, पहाड़ी मैना, जैसे अनेक प्राणी बड़ी सहजता से अपना बसेरा बना लेते हैं। ऐसे में बिना कैद किये हुये भी आसपास चहकते हुए पक्षी आपके परिवार के सदस्य बन जाते हैं। श्री विजय मिश्रा अब तक सैकड़ों सुराही, मटके से पक्षियों का बसेरा बनाकर पेड़ों पर लटकायें हैं साथ ही सुराही बांटने, घोसला बनाने के तरीके भी वे रूचि लेकर सिखाते हैं।
उनका कहना है कि पक्षियों से दूर होते इंसान की जिंदगी आज नीरस हो चली है। कोयल, कौआ, फाक्ता, बुलबुल, कबूतर जैसे पक्षियों से बढ़ती दूरी मानव समुदाय के लिए अनेक अर्थों में हानिकारक सिद्ध हो रही है। लुप्त होते पक्षियों को बचाने का उत्तम उपाय यही है कि उन्हें पिजरें में कैद करना तत्काल बंद कर दें और अपने करीब रखने के लिए घर आंगन के पेड़ पौधे, मुंडेर पर सुराही, मटकी बांधने के साथ ही हर सुबह दाना-पानी देना आंरभ करें। इससे बारहों महीना चैबीस घण्टे पक्षियों के कलरव से आपका मन आनंदित होगा और पक्षियाॅ भी आपको आशीष देते हुये कहेंगे- समाज उसे ही पूजता है जो अपने लिए ही नहीं दूसरों के लिए भी जीता है।
लेखक विजय मिश्रा
अति.महाप्रबंधक(जनसम्पर्क)
छ.रा.पाॅवर होल्डिंग कंपनी रायपुर
(छ.ग.)
मनोरंजन /शौर्यपथ / बॉलीवुड में अपनी अदाओं से लाखों लोगों को दीवाना बनाने वाली सनी लियोन आज अपना 40वां जन्मदिन मना रही हैं। सनी लियोनी नाम बेबाक एक्ट्रेसेस की लिस्ट में शुमार है। चाहे जो भी हो सनी अक्सर अपनी अपने पास्ट और निजी जिंदगी से जुड़े सवालों का बेबाकी से जवाब देती हैं।
सनी का यही अंदाज उनके फैंस को भी काफी पसंद है। कुछ ऐसा ही सनी का अंदाज अरबाज खान के चैट शो पिंच बाय में देखने को मिला था। हालांकि इस शो में सनी अरबाज द्वारा पूछे गए एक सवाल से इतनी दुखी हुईं कि वह वह शो में फूट-फूटकर रोने लगी थीं। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर आज वायरल होता रहता है और इसकी खूब चर्चा होती है। तो चलिए जाने...
दरअसल, साल 2019 में चैट शो 'पिंच बाय' में सनी बतौर गेस्ट के तौर पर शामिल हुई थीं। शो के दौरान दौरान जब अरबाज ने सनी की एक पुरानी पोस्ट पर किए गए कमेंट का जिक्र करते हुए उनसे सवाल किया था कि सनी ने एक पोस्ट के जरिए प्रभाकर नाम के एक व्यक्ति के मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए उन्होंने मदद मांगी थीं। सनी लियॉन का यह पोस्ट खूब वायरल हुआ था और लोगों ने उन्हें खूब ट्रोल किया था
अरबाज के सवाल का जवाब देते हुए रो पड़ी थीं सनी लियोन
हालांकि इस पूरे वाकिए को लेकर सनी जब बताने लगी तो वह फफक कर रो पड़ी। सनी ने कहा हम उसे बचा नहीं पाए इसका बहुत दुख है। बता दें कि प्रभाकर नाम के सख्स को सनी की बेटी निशा मामा कहकर बुलाती थी, और इस रिश्ते से वह सनी का मुंहबोला भाई लगता था। प्रभाकर एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे उनकी किडनी खराब हो चुकी थी और डॉक्टर ने किडनी ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी थी। सनी को पोस्ट इसी से संबंधित था।
पंजाबी सिख परिवार में हुआ था सनी का जन्म
सनी का जन्म 13 मई साल 1981 को सर्निया ओंटारियो, कनाडा में पंजाबी सिख परिवार में हुआ था। उनका असली नाम करनजीत कौर वोहरा है। करियर के शुरुआती दौर में सनी को भी काफी कुछ सहना पड़ा था।
बॉलीवुड की हॉट और हसीन बालाओं में से एक हैं सनी
सनी बॉलीवुड में आने से पहले पोर्न स्टार थी, लेकिन सनी लियोन ने 2013 में ही पोर्न इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया था। आज सनी बॉलीवुड की हॉट और हसीन बालाओं में गिनी जाती हैं। उनकी खूबसूरती और बोल्डनेस का हर कोई दीवाना हैं।
बिग बॉस का हिस्सा बनीं
सनी लियोनी आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। एडल्ड फिल्म इंडस्ट्री से बॉलीवुड तक का उनका सफर काफी लंबा रहा है। सनी लियोनी ने रियलिटी टीवी शो बिग बॉस में बतौर कंटेस्टेंट एंट्री मारी। इस दौरान वह एडल्ट स्टार के टैग के साथ काफी चर्चा में आ गई थीं।
सनी लियोनी डेब्यू फिल्म
डायरेक्टर महेश भट्ट को सनी लियोनी भा गई और उन्होंने बिग बॉस शो में जाकर अपनी फिल्म जिस्म 2 का प्रस्ताव रखा। इस ऑफर को सनी लियोनी ने स्वीकार कर लिया। सनी ने इस फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की। इस फिल्म में बोल्ड सीन देकर सनी जबरदस्त चर्चा में आ गईं। इस फिल्म में सनी ने एक्टर रणदीप हुड्डा के साथ काम किया था।
सेहत /शौर्यपथ / गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का कोविड-19 रोधी टीके की खुराक लेना सुरक्षित रहेगा और इससे गर्भनाल को नुकसान पहुंचने का कोई प्रमाण नहीं है। पत्रिका ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी में मंगलवार को प्रकाशित अपनी तरह के पहले अध्ययन में कहा गया कि इस तरह के कई लेख आए हैं कि गर्भावस्था में कोविड-19 टीका लेना सुरक्षित है। अमेरिका स्थित नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के फेनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर जेफ्री गोल्डस्टीन ने कहा कि गर्भनाल विमान में ब्लैक बॉक्स की तरह होती है।
अगर गर्भावस्था के दौरान कुछ भी गड़बड़ी आती है तो हम गर्भनाल (प्लैसेंटा) में बदलाव देख सकते हैं जिससे पता चल सकता है कि क्या हुआ। गोल्डस्टीन ने कहा कि इससे हम कह सकते हैं कि कोविड-19 रोधी टीका लेने से गर्भनाल को कोई नुकसान नहीं होता। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा है कि टीके को लेकर खासकर गर्भवती महिलाओं के बीच हिचक का भाव है।
नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर एवं अध्ययन की सह लेखक एमिली मिलर ने कहा, ''ये आरंभिक आंकड़े हैं, लेकिन हमारी टीम को उम्मीद है कि इससे गर्भावस्था के दौरान टीके लेने के खतरे को लेकर चिंताएं घट सकती हैं।
अध्ययन के लेखकों ने अमेरिका के शिकागो में टीका लेने वाली 84 और टीका नहीं लेने वाली 116 गर्भवती महिलाओं में गर्भनाल का परीक्षण किया। ज्यादातर को गर्भावस्था के सातवें से नौवें महीने के दौरान मॉडर्ना और फाइजर के टीके की खुराक दी गयी थीं। मिलर ने कहा कि संक्रमण से बचाव के लिए टीके की खुराक लेने वाली गर्भवती महिलाओं को इसे सुरक्षित समझना चाहिए।
शौर्यपथ / लोहे की कड़ाही में खाना बनाना पुरानी परम्परा रही है। इसे शुभ भी माना जाता है लेकिन बदलते वक्त में नॉन स्टिक कहाड़ी और कई नई तरह की कहाड़ियों ने किचन में खास जगह बना ली है। सेहत के लिहाज से आज भी लोहे की कहाड़ी में बने खाने को सबसे अच्छा माना जाता है लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें लोहे की कड़ाही में नहीं बनाना चाहिए। साथ ही लोहे की कड़ाही में खाना बनाते हुए कुछ बातों का ध्यान भी रखना चाहिए।
इन चीजों को न पकाएं
लोहे की कड़ाही में खट्टी चीजें भूलकर भी न पकाएं।
कढ़ी, रसम, टमाटर की चटनी, सांभर लोहे की कड़ाही में बनाने का तो सोचे भी नहीं।
लोहे की कड़ाही में बने खाने में कालापन आ जाता है।
खाने में कड़वाहट आने का भी खतरा रहता है।
लोहे की कड़ाही हमेशा माइल्ड डिटर्जेंट से ही धोएं और इसे तुरंत ही पोंछ लें।
कड़ाही पर हल्का-सा तेल लगाकर रखने से इसमें जंग नहीं लगेगी।
इन सावधानियों को रखें
लोहे के बर्तनों में पकाए गए खाने को जल्द से जल्द किसी दूसरे बर्तन खासकर कांच या स्टेनलेस स्टील के बर्तन में डाल दें। दरअसल, लोहे की कड़ाही में सब्जी पकाने से उसमें जल्द ही कालापन आ जाता है। ऐसा सब्जी में मौजूद आयरन तत्व के कारण होता है, जिसे खाना आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा सब्जियां दो वजह से काली होती है। पहली तो यह कि बर्तन ठीक से धुले नहीं है और दूसरी खाना बनाने के बाद सब्जी को कड़ाही में ही छोड़ दिया गया।
लोहे की कड़ाही को ऐसे जंग से बचाएं
लोहे के बर्तन में पानी मिलने से जंग लगने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है, ऐसे में इन्हें एक जगह रखने से पहले सरसों के तेल की हल्की परत लगा दें। ऐसा करने से बर्तनों को जंग लगने से बचाया जा सकता है। हमेशा ध्यान रखें कि बर्तनों को साफ-सुथरी और ऐसी जगह पर रखा जाए, जहां पानी की मौजूदगी न हो। पानी की नमी के कारण भी इन बर्तनों में जंग लगने का खतरा बना रहेगा।
लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /कोरोना संक्रमण काल में मरीजों को ई-संजीवनी एप के माध्यम से घर बैठे स्वास्थ्य परामर्श देने की सेवा शुरू की गई है। प्रदेश सरकार ने भी इसे अपनाया है। बुधवार से हैलट अस्पताल में यह सेवा शुरू हो गई है। इस सेवा से प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज जुड़ गए हैं। हाल ही में डॉक्टरों को इस सेवा की ट्रेनिंग भी दी गई थी। इस एप के माध्यम से घर बैठे लगभग हर मर्ज के डॉक्टर से इलाज मिल सकेगा।
कोरोना के बढ़ते मामलों ने जिस तरह कहर बरपाया है लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर पहले से ज्यादा सजग हो गए हैं। हल्की खांसी और जुकाम होने पर भी लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं। वहीं संक्रमण के चलते सरकारी और निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं भी बंद हैं। इसीलिए सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए हर विधा के डॉक्टरों से ई-संजीवनी एप के माध्यम से घर बैठे चिकित्सकीय सलाह देने की व्यवस्था की है। हैलट अस्पताल के बालरोग विभाग की सीनियर डॉक्टर रूपा डालमिया सिंह को इसका प्रभारी बनाया गया है। उन्होंने बताया कि बुधवार से इसकी शुरुआत हो गई है। ई-संजीवनी एप के माध्यम से बुधवार को बालरोग विभाग से जुड़ी समस्या पर स्वास्थ्य परामर्श भी दिया गया।
ऐसे काम करेगा ई-संजीवनी एप
एंड्रायड मोबाइल फोन में प्लेस्टोर पर जाकर ई-संजीवनी एप डाउनलोड करना होगा। इसके बाद इस एप पर खुद को रजिस्टर्ड करवाना होगा, वेरीफिकेशन के लिए वन टाइम पॉसवर्ड (ओटीपी) भी आएगा जाएगा। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद मरीज को विकल्प मिलेगा जिसमें वह फिजीशियन, आर्थोपेडिक, स्किन , डेंटल, गॉयनी, न्यूरो में किस डाक्टर से सलाह लेना चाहता है। जैसे ही इस एप के जरिये वीडियो कॉल किया जाएगा तो वह सीधे उसी मर्ज के डाक्टर को पहुंच जाएगी जिसे उसने चुना है। इस एप से डाक्टर मरीज से बातचीत कर उसे दवा का प्रिस्क्रिप्शन देगा जो डिजिटल साइन के साथ मरीज तक भी पहुंच जाएगा। ई-संजीवनी पर डॉक्टर से सुबह 9 से दोपहर 2 बजे के बीच परामर्श लिया जा सकता है।
भारत सरकार द्वारा शुरू की गए ई-संजीवनी एप के जरिए मरीज घर बैठे डॉक्टरों से परामर्श ले सकते हैं। यह उन्हें न केवल संक्रमण के खतरे से बचाएगा बल्कि उन्हें ऐसी महामारी में घर पर चिकित्सकीय परामर्श मुहैया कराएगा। एप से जुड़ी कुछ खामियां भी हैं जिन्हें जल्द ही दूर कर लिया जाएगा।
इन विभागों के डॉक्टरों से मिलेगा परामर्श
ई-संजीवनी एप के लिए जीएसवीएम के मेडिसिन,सर्जरी, न्यूरो मेडिसिन, गॉयनी, डेंटल, स्किन, नाक कान व गला, बालरोग, कैंसर व हृदय रोग विभाग के डॉक्टरों को ट्रेनिंग हुई है जो मरीजों को वीडियो कॉल के जरिए घर बैठे इलाज देंगे।
धृम संसार /शौर्यपथ /सनातन धर्म में गरुड़ पुराण का विशेष महत्व है। इसमें भगवान विष्णु और पक्षी गरुड़ के बीच हुए संवाद का वर्णन है। गरुड़ पुराण के जरिए नर्क, पाप, मृत्यु और धर्म आदि से जुड़ी कई बातों का ज्ञान प्राप्त होता है। गरुड़ पुराण में वर्णित बातों का अनुसरण करके जीवन को सुख-शांति से व्यतीत किया जा सकता है। इसी अलावा गरुड़ पुराम में ऐसे 10 घरों का जिक्र किया गया है, जहां भोजन करने से व्यक्ति पाप का भागीदार बनता है।
मान्यता है कि भोजन के जरिए व्यक्ति के विचार और उसके घर की ऊर्जा शरीर में जाती है। अगर ऊर्जा और विचार नकारात्मक विचार होंगे तो इसका असर व्यक्ति पर भी पड़ेगा। जानिए किन घरों में भोजन करना गरुड़ पुराण में माना जाता है वर्जित-
1. जो राजा अत्याचारी हो और अपनी प्रजा पर अत्याचार करता हो, उसके घर पर भोजन कभी नहीं करना चाहिए।
2. जिन लोगों को बेहद गुस्सा आता हो, उनके घर पर भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि वरना ये गुण आप में भी आ सकता है।
3. किन्नरों हर तरह के लोगों से दान लेते हैं। ऐसे में उनके घर पर हर तरह का धन आता है। इसलिए गरुड़ पुराण में वर्णित है कि किन्नर के घर भोजन नहीं करना चाहिए।
4. किसी चोर या अपराधी के घर पर भोजन करने से नकारात्मक ऊर्जा शरीर में प्रवेश करती है। इससे विचार भी दूषित होते हैं। ऐसे में इन लोगों के घर पर भोजन नहीं करना चाहिए।
5. गरुड़ पुराण के अनुसार, चरित्र हीन स्त्री या पुरुष के घर भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसा भोजन आपको पाप का भागीदार बनाता है।
ये तीन राशि वाले आमतौर पर पाते हैं सरकारी नौकरी, मिलता है उच्च पद
6. जो लोग दूसरों को परेशानी में डालते हों और बुराई करते हों, ऐसे लोगों के घर पर भोजन करने से बचना चाहिए।
7. जिन लोगों के घर में बीमारी हो, उनके घर पर बैक्टीरिया आदि हो सकते हैं। ऐसे लोगों के घरों में भोजन नहीं करना चाहिए।
8. गरुड़ पुराण के अनुसार, जिन लोगों में दया का भाव नहीं हो और वह दूसरों पर अत्याचार करते हों, ऐसे लोगों के घर पर भोजन करने से व्यक्ति पाप का भागीदार बनता है।
9. जो लोग रिश्वत आदि लेते हों, उनके घर पर भोजन करना गरुड़ पुराण में अच्छा नहीं माना गया है। ऐसी कमाई को पाप की कमाई कहा जाता है। ऐसे लोगों के घर भोजन करने से बचना चाहिए।
10. गरुड़ पुराण के अनुसार नशीली चीजों का सेवन करने वालों के घर पर भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसे लोग खुद के साथ दूसरों का घर भी बर्बाद कर देते हैं।
आस्था /शौर्यपथ / 14 मई 2021, दिन शुक्रवार को अक्षय तृतीया है। हर साल अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम विष्णु जी के छठवें अवतार हैं। परशुराम जी से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें एक ये है कि भगवान परशुराम ने क्षत्रिय कुल का 21 बार सर्वनाश किया था। लेकिन यह बात पूरी तरह से सत्य नहीं है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, परशुराम जी ने क्षत्रिय कुल का नहीं बल्कि हैहय वंश का विनाश किया था।
भगवान परशुराम ने क्यों किया था हैहय वंश का सर्वनाश-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, हैहय वंश के राजा सहस्त्रार्जुन लगातार अपने बल और अहंकार के चलते ऋषियों और ब्राह्मणों पर अत्याचार कर रहा था। एक बार सहस्त्रार्जुन अपनी सेना के साथ परशुराम जी के पिता जमदग्रि मुनि के आश्रम पहुंचा। वहां जमदग्रि मुनि ने राजा का आदर-सत्कार कर चमत्कारी कामधेनु गाय के दूध से राजा समेत सभी सैनिकों की भूख शांत की।
कब मनाया जाता है भगवान परशुराम का जन्मोत्सव ? जानें डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
कथा के अनुसार, कामधेनु के चमत्कार से प्रभावित होकर राजा सहस्त्रार्जुन को लालच आ गया और उसने भगवान परशुराम के पिता से उनकी गाय बलपूर्वक छीन ली। जब इस बात का पता भगवान परशुराम को पता चला तो उन्होंने राजा का वध कर दिया।
कहा जाता है कि राजा सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने अपने पिता के वध का बदला लेने के लिए भगवान परशुराम के पिता का वध कर दिया। पति के वियोग में भगवान परशुराम की माता सती हो गईं। माना जाता है कि पिता के शरीर पर 21 घाव को देखकर भगवान परशुराम ने प्रतिज्ञा ली कि वह इस वंश का सर्वनाश करेंगे। ऐसे में उन्होंने 21 बार हैहय वंश का अंत किया।
आस्था /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखने का विधान है। इस दिन भगवान शंकर व माता गौरी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त फलाहार या निर्जला रहकर उपवास करते हैं।
मई का दूसरा प्रदोष व्रत कब है?
हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत आता है। ऐसे में हर माह दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं, जबकि सालभर में कुल 24 व्रत पड़ते हैं। इस माह का दूसरा प्रदोष व्रत 24 मई 2021, दिन सोमवार को है। सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है।
प्रदोष व्रत पूजा-विधि-
प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है। इसे प्रदोष काल कहा जाता है। इस दौरान स्नान के बाद पूजा के लिए बैठें। भगवान शिव और माता पार्वती को चंदन, पुष्प, अक्षत, धूप, दक्षिणा और नैवेद्य अर्पित करें। महिलाएं मां पार्वती को लाल चुनरी और सुहाग का सामान चढ़ाएं। मां पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करना शुभ माना जाता है।
प्रदोष व्रत नियम-
प्रदोष व्रत यूं तो निर्जला रखा जाता है इसलिए इस व्रत में फलाहार का विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत को पूरे दिन रखा जाता है। सुबह नित्य कर्म के बाद स्नान करें। व्रत संकल्प लें। फिर दूध का सेवन करें और पूरे दिन उपवास धारण करें।
प्रदोष में क्या नहीं करना चाहिए-
प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। प्रदोष व्रत में अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के समय एक बार ही फलाहार ग्रहण करना चाहिए।