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By - नरेश देवांगन
जगदलपुर, शौर्यपथ। पुलिस अधीक्षक शलभ कुमार सिन्हा के निर्देश एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग के मार्गदर्शन में बस्तर पुलिस ने यातायात सुरक्षा को लेकर एक सराहनीय कदम उठाया है।
नवरात्र पर्व के दौरान दंतेश्वरी माता जी के दर्शन हेतु दंतेवाड़ा जा रहे पदयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनके बैग पर सड़क सुरक्षा के मद्देनज़र रेडियम रिफ्लेक्टर स्टीकर लगाए जा रहे हैं। यह पहल 22 सितंबर 2025 से निरंतर जारी है।
प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु जगदलपुर मार्ग से होते हुए दंतेवाड़ा पहुँच रहे हैं और अनुमान है कि पूरे नौ दिनों में लगभग एक लाख से अधिक श्रद्धालु इस मार्ग से गुजरेंगे। ऐसे में पुलिस द्वारा की गई यह पहल दुर्घटनाओं से बचाव में महत्वपूर्ण साबित हो रही है।
बस्तर पुलिस की इस पहल की हर ओर प्रशंसा हो रही है। श्रद्धालुओं ने भी पुलिस विभाग का आभार जताया है और कहा कि इस व्यवस्था से उन्हें रात के समय यात्रा करने में विशेष रूप से सुरक्षा का एहसास हो रहा है।
By- नरेश देवांगन
जगदलपुर, शौर्यपथ। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत के साथ, एक सदियों पुरानी और अनूठी परंपरा 'जोगी बिठाई' भी सम्पन्न हो गई है। यहां बड़े आमाबाल के रघुनाथ नाग जोगी बनकर नौ दिन की कठोर तपस्या पर बैठे। मंगलवार को सिरहासार में आयोजित जोगी बिठाई रस्म के अवसर पर जगदलपुर के विधायक किरण देव, बस्तर दशहरा समिति के उपाध्यक्ष बलराम मांझी, नगर निगम अध्यक्ष खेमसिंह देवांगन सहित मांझी, चालकी, नाइक, पाइक, मेंबर, मेंबरिन तथा जनप्रतिनिधि व बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
यह रस्म बस्तर दशहरा को बिना किसी बाधा के शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के उद्देश्य से निभाई जाती है। इस वर्ष भी, हल्बा समुदाय का एक युवक नौ दिनों के उपवास और योग की मुद्रा में जगदलपुर के सिरहासार भवन में बैठ गया है।
क्या है 'जोगी बिठाई' की रस्म?
यह रस्म हल्बा जाति के एक पुरुष द्वारा लगभग 600 सालों से निभाई जा रही है। जोगी पितृमोक्ष अमावस्या के दिन सिरहासार भवन पहुंचता है और दशहरा की शुरुआत से लेकर नौ दिनों तक उपवास पर रहता है। इस दौरान वह केवल फल और दूध का सेवन करता है। इस तपस्या का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बस्तर दशहरा का भव्य आयोजन बिना किसी विघ्न के सफलतापूर्वक पूरा हो।
कैसे निभाई जाती है यह रस्म?
जोगी के रूप में बैठने वाले व्यक्ति को कई विशेष प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। सबसे पहले, वह अपने पितरों का श्राद्ध करता है। इसके बाद, उसे नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और मावली माता मंदिर ले जाया जाता है, जहां तलवार की पूजा होती है। पूजा के बाद, जोगी तलवार लेकर सिरहासार भवन लौटता है और एक कुंड में योगासन की मुद्रा में बैठ जाता है। इस दौरान उसे बुरी नजर से बचाने के लिए चारों ओर कपड़े का पर्दा लगाया जाता है। नौ दिनों तक जोगी इसी अवस्था में रहकर बस्तर की शांति के लिए तपस्या करता है।
पौराणिक कथा: महाराजा का सम्मान
इस रस्म से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि बहुत साल पहले, दशहरा के दौरान एक हल्बा युवक ने निर्जल उपवास रखकर तपस्या शुरू कर दी थी। जब तत्कालीन महाराजा को इस बात का पता चला, तो वह स्वयं युवक से मिलने गए। युवक ने महाराजा को बताया कि उसने यह तपस्या दशहरा को निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए की है। इससे प्रसन्न होकर, महाराजा ने उसके लिए सिरहासार भवन का निर्माण करवाया और इस परंपरा को हमेशा के लिए जारी रखने का आदेश दिया।
आज भी यह रस्म उसी सम्मान और श्रद्धा के साथ निभाई जाती है, जो बस्तर दशहरा को न केवल एक पर्व, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत बनाती है।
बस्तर ओलंपिक के लिए पंजीयन आज से शुरू
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने दंतेवाड़ा से की पंजीयन की शुरूआत
दंतेवाड़ा में विकास कार्यों के लिए 5 करोड़ देने की घोषणा की
रायपुर / शौर्यपथ / बस्तर संभाग में आगामी अक्टूबर-नवम्बर में होने वाले बस्तर ओलंपिक के लिए आज से पंजीयन प्रारंभ हो गया। उप मुख्यमंत्री तथा खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री अरुण साव ने आज दंतेवाड़ा में आयोजित कार्यक्रम में इसकी औपचारिक शुरूआत की। बस्तर ओलंपिक के दौरान आयोजित होने वाले खेलों में भाग लेने के लिए खिलाड़ी 20 अक्टूबर तक अपना पंजीयन करा सकते हैं। बस्तर ओलंपिक का विकासखंड स्तर पर आयोजन 25 अक्टूबर से 5 नवम्बर तक, जिला स्तरीय आयोजन 5 नवम्बर से 15 नवम्बर तक तथा संभाग स्तरीय आयोजन 24 नवम्बर से 30 नवम्बर तक किया जाएगा। वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा दंतेवाड़ा जिले के प्रभारी मंत्री श्री केदार कश्यप और विधायक श्री चैतराम अटामी भी पंजीयन के शुभारंभ कार्यक्रम में शामिल हुए।
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने बस्तर ओलंपिक के लिए पंजीयन की शुरूआत करते हुए कहा कि पिछले वर्ष आयोजित बस्तर ओलंपिक से बस्तर की दशा और दिशा बदली है। आने वाले समय में बस्तर विश्व के मानचित्र पर अपनी अलग पहचान स्थापित करेगा। यहां की प्रतिभाएं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी चमक बिखेरेंगे। उन्होंने बताया कि पिछले बस्तर ओलंपिक में एक लाख 62 हजार खिलाड़ियों ने अपना पंजीयन कराया था। इस वर्ष दो लाख खिलाड़ियों के पंजीयन का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी बस्तर ओलंपिक की प्रशंसा की थी। इस आयोजन को पूरे देश में लोकप्रिय बनाना है। बस्तर के हर गांव के हर बच्चे और युवा की भागीदारी इसमें सुनिश्चित करना है। श्री साव ने कार्यक्रम में दंतेवाड़ा जिले में मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए पांच करोड़ रुपए देने की घोषणा की।
वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा दंतेवाड़ा जिले के प्रभारी मंत्री केदार कश्यप ने अपने संबोधन में कहा कि नवरात्रि के पावन अवसर पर आज बस्तर ओलंपिक के लिए पंजीयन का शुभारंभ किया जा रहा है। बस्तर अनेक मामलों में समृद्ध है, चाहे वह खेल हो, संस्कृति हो या अन्य कोई क्षेत्र... बस्तर ने हमेशा अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। बस्तर अपनी अनूठी परंपराओं और रीति-रिवाजों के कारण विशेष महत्व रखता है, जिन्हें हमारे पूर्वज आदिकाल से निभाते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बस्तर में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। बस्तर ओलंपिक से इन प्रतिभाओं को पहचान और प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने लोगों से अधिक से अधिक संख्या में बस्तर ओलंपिक में भाग लेने की अपील की।
विधायक चैतराम अटामी और खेल एवं युवा कल्याण विभाग के सचिव यशवंत कुमार ने भी पंजीयन के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित किया। राज्य महिला आयोग की सदस्य श्रीमती ओजस्वी मंडावी, दंतेवाड़ा जिला पंचायत के अध्यक्ष नंदलाल मुड़ामी, उपाध्यक्ष अरविन्द कुंजाम, दंतेवाड़ा नगर पालिका की अध्यक्ष श्रीमती पायल गुप्ता, खेल एवं युवा कल्याण विभाग की संचालक श्रीमती तनुजा सलाम, डीआईजी कमलोचन कश्यप, पुलिस अधीक्षक गौरव राय, जिला पंचायत के सीईओ जयंत नाहटा और डीएफओ सागर जाधव सहित अनेक जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में कार्यक्रम में मौजूद थे।
नारायणपुर के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों की बड़ी सफलता : दो इनामी नक्सली ढेर
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नारायणपुर ज़िले के अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षाबलों की ओर से चलाए गए सफल अभियान की सराहना करते हुए कहा कि यह छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक निर्णायक उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 2 नक्सली न्यूट्रलाइज किए गए हैं। दोनों पर 40-40 लाख रुपये का इनाम घोषित था। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सफलता केवल नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक निर्णायक पड़ाव ही नहीं है, बल्कि छत्तीसगढ़ में शांति, सुरक्षा और विकास की प्रक्रिया को और भी गति प्रदान करती है।
मुख्यमंत्री ने इस अभियान में शामिल सुरक्षाकर्मियों को बधाई देते हुए कहा कि उनकी बहादुरी और समर्पण से ही प्रदेश आज शांति और विकास की राह पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के विज़न और माननीय केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में नक्सलवाद का अंत अब पहले से कहीं अधिक निकट और निश्चित होता दिखाई दे रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मार्च 2026 तक नक्सलमुक्त भारत का संकल्प अवश्य साकार होगा।
‘स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार’ अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की जांच और परामर्श
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ में जब बस्तर के दूरस्थ अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाने की बात होती है तो सबसे पहले दुर्गम जंगलों और उफनती इंद्रावती नदी का ख्याल आता है। बरसात के मौसम में दुर्गम गाँवों तक पहुँचना बेहद जोखिमपूर्ण माना जाता है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के मार्गदर्शन में प्रदेश का प्रत्येक स्वास्थ्यकर्मी अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखते हुए लोगों की जान बचाने की प्राथमिकता के साथ कार्य कर रहा है।
नक्सल प्रभावित जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल रहा है। कांकेर, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जैसे क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ अब आमजन तक पहुँच रहा है। यह मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन का परिणाम है, जिसने बस्तर संभाग में स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया है।
स्वास्थ्य विभाग के सचिव अमित कटारिया और आयुक्त-सह-संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार हेतु प्रतिबद्ध हैं। इसी क्रम में प्रदेशव्यापी “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” अभियान ने बीजापुर जिले के सबसे दुर्गम क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित की है। बीते शनिवार को स्वास्थ्य दल ने स्वयं नाव चलाकर उफनती इंद्रावती नदी पार की और अबूझमाड़ से लगे ग्राम कोंडे में शिविर लगाया। इस शिविर में कुल 132 मरीजों की जांच की गई, जिनमें मलेरिया, सर्दी-खाँसी और त्वचा रोग से पीड़ित रोगी प्रमुख रहे। विशेष रूप से 10 गर्भवती महिलाओं की संपूर्ण स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण और परामर्श प्रदान किया गया। मातृ स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत महिलाओं को पोषण, एनीमिया से बचाव और सुरक्षित मातृत्व संबंधी विस्तृत जानकारी भी दी गई।
बीजापुर जिले में बीते तीन दिनों के दौरान अभियान की गति उल्लेखनीय रही है। इस अवधि में हजारों लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई, जिनमें उच्च रक्तचाप के 3,177 मामले सामने आए। इसके अतिरिक्त, महिलाओं में मुख, स्तन और सर्वाइकल कैंसर की 2,823 स्क्रीनिंग की गई तथा उन्हें आवश्यक परामर्श उपलब्ध कराया गया। साथ ही 314 गर्भवती महिलाओं को जांच, टीकाकरण और परामर्श का लाभ मिला। अभियान के अंतर्गत दूरस्थ अंचलों में आयोजित शिविरों के माध्यम से अब तक 1,200 से अधिक लोगों की टीबी स्क्रीनिंग और 800 से अधिक व्यक्तियों की सिकल सेल जांच भी की जा चुकी है।
ये आँकड़े केवल संख्याएँ नहीं, बल्कि उस संकल्प का प्रमाण हैं जिसके तहत प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि बीजापुर जिले के दूरस्थ और दुर्गम अंचलों में भी मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बाधित न हो। यही कारण है कि स्वास्थ्य कर्मी नदी, पहाड़ और जंगल पार करके महिलाओं और बच्चों तक जीवन रक्षक सेवाएँ पहुँचा रहे हैं। प्रदेश सरकार का यह प्रयास इस विचार को सशक्त करता है कि “स्वस्थ नारी ही सशक्त परिवार की आधारशिला है।” इसी दिशा में स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतर पहुँच इस अभियान की सबसे बड़ी सफलता है।
बस्तर संभाग में स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहे ये सुधार न केवल स्थानीय निवासियों के जीवन स्तर को ऊँचा उठा रहे हैं, बल्कि यह भी प्रमाणित कर रहे हैं कि सुशासन और समर्पित प्रयासों से सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में भी सकारात्मक बदलाव संभव है।
By- नरेश देवांगन
जगदलपुर, शौर्यपथ। विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व का एक महत्वपूर्ण काछनगादी पूजा विधान रविवार को सम्पन्न हुई। जिसमें स्थानीय मिरगान समाज की कुंवारी कन्या काछनदेवी कांटे की झूले पर सवार होकर बस्तर दशहरा पर्व को निर्विघ्न सम्पन्न होने के साथ अपनी अनुमति प्रदान करती हैं।
काछनदेवी ने कांटों के झूले में झूलकर दी निर्विघ्न आयोजन की अनुमति
विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व का प्रमुख विधान काछनगादी रस्म में काछनदेवी ने मिरगान समाज की एक कुमारी कन्या पर सवार होकर, बेल के कांटों से बने झूले में झूलकर दशहरे के निर्विघ्न आयोजन की अनुमति और आशीर्वाद प्रदान किया। काछनदेवी से बस्तर के माटी पुजारी कमलचंद भंजदेव ने बस्तर दशहरा के निर्विघ्न आयोजन की अनुमति मांगी। इस अवसर पर वन मंत्री केदार कश्यप, सांसद एवं अध्यक्ष बस्तर दशहरा समिति महेश कश्यप, जगदलपुर विधायक किरण देव, महापौर संजय पांडे, अन्य जनप्रतिनिधियों सहित बस्तर दशहरा पर्व के परम्परागत सदस्य मांझी-चालकी, नाइक-पाइक, मेंबर-मेंबरिन सहित कलेक्टर हरिस एस, पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा, अपर कलेक्टर सीपी बघेल और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
काछनगादी रस्म का महत्व
बस्तर दशहरे में यह रस्म अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके बिना बस्तर दशहरे की शुरुआत नहीं होती। मान्यता है किरण की देवी काछनदेवी, आश्विन अमावस्या के दिन पनका जाति की एक कुंवारी कन्या के शरीर में प्रवेश करती हैं। यह कन्या, जिसे देवी का स्वरूप माना जाता है, भंगाराम चौक स्थित काछनगुड़ी में बेल के कांटों से बने एक विशेष झूले पर लेटकर दशहरे के सफल आयोजन की अनुमति देती है। इस वर्ष भी, 10 साल की बच्ची पीहू दास पर सवार देवी ने यह आशीर्वाद दिया। ज्ञात हो कि बस्तर दशहरा पर्व यहां पर सामाजिक समरसता का एक अनुपम उदाहरण है और बस्तर के स्थानीय विभिन्न समाजों के लिए बस्तर दशहरा पर्व में पृथक-पृथक दायित्व बंटे हुए हैं जिसे सभी समाजों के सदस्यों द्वारा पूरी तरह से सहकार की भावना के साथ निर्वहन किया जाता है।
परंपराओं का पालन
काछनगादी पूजा विधान के लिए रविवार को सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। काछनगुड़ी को फूलों और रोशनी से सजाया गया था। पुजारी और राज परिवार के सदस्य परंपरानुसार देवी से अनुमति लेने पहुंचे। जैसे ही काछनदेवी ने झूले पर लेटकर अनुमति दी, पूरा क्षेत्र बस्तर की आराध्य देवी मां दन्तेश्वरी के जयकारों और आतिशबाजी से गूंज उठा। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण इस अद्भुत दृश्य के साक्षी बने।
गोल बाजार में की गई रैला देवी की पूजा
काछनगादी पूजा विधान के पश्चात रविवार शाम जगदलपुर के गोल बाजार में रैला देवी की पारंपरिक पूजा विधिवत संपन्न हुई। जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित बस्तर दशहरा पर्व के परम्परागत सदस्य मांझी-चालकी, नाइक-पाइक, मेंबर-मेंबरिन सहित जिला प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी, गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
जगदलपुर, शौर्यपथ। धुरवा समाज के नुआखाई मिलन समारोह में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का आत्मीय और वात्सल्यपूर्ण रूप सभी ने देखा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने धुरवा समाज की नन्हीं बच्ची भूमिका बघेल को स्नेहपूर्वक अपने गोद में बिठाकर दुलार किया और उसे महुआ लड्डू खिलाया।
जगदलपुर विकासखंड के उलनार निवासी भूमिका बघेल अपने दादा सोनसारी बघेल के साथ कार्यक्रम में पहुंची थी। पारंपरिक पोशाक में सजी-धजी भूमिका ने सभी का मन मोह लिया। मुख्यमंत्री श्री साय ने स्नेहपूर्वक उसका नाम पूछते हुए कहा—"बिटिया, किस कक्षा में पढ़ाई कर रही हो?" मासूम मुस्कान के साथ भूमिका ने उत्तर दिया—"मैं दीप्ति कान्वेंट स्कूल में एलकेजी में पढ़ती हूँ।"
यह स्नेहिल दृश्य समारोह में उपस्थित सभी लोगों के मन को गहराई तक छू गया। एलकेजी में पढ़ रही भूमिका की निश्छल मुस्कान, पारंपरिक परिधान और मासूम नज़रों की चमक में बस्तर की संस्कृति और उसकी खुशियाँ झलक रही थी।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि समाज ने पिछले वर्ष ही अपने बच्चों के लिए कक्षा 12वीं तक की शिक्षा अनिवार्य करने का सराहनीय निर्णय लिया। यही शिक्षा और संस्कार हमारी आने वाली पीढ़ी का भविष्य संवारेंगे। उन्होंने कहा कि मैं यही कामना करता हूँ कि भूमिका और छत्तीसगढ़ की हर बेटी खूब पढ़े, आगे बढ़े, उड़ान भरे और अपनी संस्कृति से यूँ ही जुड़ी रहे।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जिस आत्मीयता और वात्सल्य से नन्हीं भूमिका बघेल से स्नेहपूर्ण वार्तालाप किया, उसने पूरे समारोह का वातावरण स्नेह और आत्मीयता से परिपूर्ण कर दिया।
मुख्यमंत्री श्री साय का आत्मीय व्यवहार जनजातीय समाज के साथ उनके गहरे जुड़ाव और बच्चों के प्रति स्नेहपूर्ण हृदय का प्रमाण है। उनकी यह सरलता और अपनापन न केवल लोगों को विश्वास से भरता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि सरकार का नेतृत्व समाज के हर वर्ग और हर बच्चे के सुख-दुख में सहभागी है।
बस्तर जिला पत्रकार संघ में आयोजित हुआ श्रद्धांजलि सभा का कार्यक्रम
जगदलपुर, शौर्यपथ । बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार स्व. राजेंद्र बाजपेयी के निधन के उपरांत रविवार को नयापारा स्थित बस्तर जिला पत्रकार संघ भवन में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत स्व. बाजपेयी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इसके पश्चात उपस्थित पत्रकारों ने उनके साथ बिताए संस्मरणों को साझा किया और पत्रकारिता क्षेत्र में उनके योगदान को अनुकरणीय बताया।
श्रद्धांजलि सभा में अध्यक्ष मनीष गुप्ता, सचिव धर्मेंद्र महापात्र, वरिष्ठ उपाध्यक्ष शिव प्रकाश सीजी, कनिष्ठ उपाध्यक्ष निरंजन दास, कोषाध्यक्ष सुब्बा राव, संयुक्त सचिव बादशाह खान सहित वरिष्ठ पत्रकार हेमंत कश्यप, गुप्तेश्वर सोनी, अनिल सामंत, संजीव पचौरी, सुनील मिश्रा समेत अनेक पत्रकार शामिल हुए।
इस अवसर पर अध्यक्ष मनीष गुप्ता ने कहा कि "बस्तर की पत्रकारिता में स्व. राजेंद्र बाजपेयी का योगदान अविस्मरणीय है। संघ इस दुख की घड़ी में बाजपेयी परिवार के साथ खड़ा है।"
कार्यक्रम के अंत में सचिव धर्मेंद्र महापात्र ने जानकारी दी कि स्व. राजेंद्र बाजपेयी की तेरहवीं एवं शांतिभोज का आयोजन आगामी 1 अक्टूबर को पत्रकार संघ भवन परिसर में किया जाएगा।
दीपक वैष्णव की खास रिपोर्ट
कोंडागांव, शौर्यपथ। कोंडागांव जिला मुख्यालय में एक ऐसे अधिकारी भी मौजूद है, जो हर छोटे से छोटे त्यौहार कहे या बड़े त्यौहार हमेशा जिले के हर खाद्य दुकान चाहे वो किराना हो फल या फिर होटल हो वहाँ पहुँच जाते है और खाद्य सामग्रियों का सेंपल तो जरूर लेते है पर सेम्पल ले जाने के पश्चात कभी वापस यह नहीं बताते की आप की सामग्री अच्छी है या बुरी या इन खाने के चीजों में यह कमियां पाई गई है ।
कोंडागांव के फ़ूड सेफ्टी खाद्य सुरक्षा अधिकारी डी के देवांगन अब चर्चा का विषय बन के रह गए है एक वर्ष होने होने को है दीपों का त्यौहार दीपावली पुनः आने वाली है। आपको बता दें कि खाद्य अधिकारी डी के देवांगन के द्वारा रक्षा बंधन पर भी औचक निरक्षण कर सभी दूकानों का सेम्पल लिया गया था मगर किसी भी दुकानदार को अब तक यह नहीं बताया गया कि आप की खाद्य में अनियमितता प्राप्त हुआ है या नहीं।
चर्चा में क्यों है फ़ूडसेफ्टी ऑफिसर
सुत्रो की माने तो हर त्यौहार में इनके द्वारा सेम्पल लिया जाता है एक साल बीतने वाला है फिर 30 दिनों बाद दीपावली का त्यौहार आने को है मगर अब तक महोदय द्वारा सेफ्टी कैप व सेफ्टी दस्ताना पहनवाने में असफलता हासिल किया है एक साल पहले से कई जगहों का निरीक्षण करते हुए सेम्पल लिया गया मगर अब तक किसी के ऊपर कार्यवाही न किया गया न ही किसी को नहीं बताया गया कि कितनी अनियमितता हासिल हुई है जिससे उनके कार्यशैली पर सवाल खड़े होते नजर आ रहे है ।
कुछ समय पहले भी शौर्यपथ की टीम के द्वारा उनसे रिकार्डडेट सवाल कैमरा चालू कर पूछा गया था कि कितने प्रतिष्ठानो को नोटिस जारी किया गया सेफ़्टी के नाम पे और कितने पर कार्यवाही की गई। पर जनाब ने बातों को काटा और दिखाता हु कह कर कैमरा बंद करा दिया गया । मगर अंत तक नोटिस नहीं दिखाया गया ।
क्या है सवाल
फ़ूडसेफ्टी ऑफिसर दीपक कुमार देवांगन के ऊपर अब सवाल खड़े हो रहे है कि एक साल बीत जाने के पश्चात भी अब तक असफलता क्यों हाथ लगी।
क्यों बीच बीच मे दुकानदारों से सेंपल लेने के पश्चात भी परिणाम सामने नही आया, क्यों उन्हें अवगत नही कराया गया। या सिर्फ खाना पूर्ति कर दिखावे की कार्यवाही कर औचक निरीक्षण करते धौस जमाते घूमने का कार्य ही होता रहा है।
Feb 09, 2021 Rate: 4.00
