October 23, 2025
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बस्तर

बस्तर (1049)

नियमों की उड़ रही धज्जियाँ, आदेश की शर्तें टूटीं — फिर भी अधिकारी मौन, ऐसे में कार्यवाही करेगा कौन?

 

By- नरेश देवांगन 

जगदलपुर, शौर्यपथ। लगातार समाचारों के माध्यम से मीना बाजार की अनियमितता, लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी को उजागर किया जा रहा है। फिर भी विभागीय जिम्मेदार अधिकारी आज भी कार्रवाई से बचते दिख रहे हैं। प्रशासन की यह चुप्पी अब सवालों के घेरे में है — क्या मीना बाजार वाकई विभागीय संरक्षण में चल रहा है?

 

नगर दण्डाधिकारी कार्यालय, जगदलपुर द्वारा जारी आदेश पत्र 11/09/2025 में स्पष्ट उल्लेख है कि —

“मीना बाजार / प्रदर्शनी में आयोजन के दौरान यदि किसी प्रकार की दुर्घटना होती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी आयोजन संचालक की होगी।”

 साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि —

“उपरोक्त शर्तों के उल्लंघन पाये जाने की स्थिति में अनुमति स्वयंमेव निरस्त मानी जावेगी एवं संचालक के ऊपर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।”

 

लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

आदेश की लगभग हर शर्त का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है — फिर भी न अनुमति निरस्त हुई, न किसी संचालक पर कार्रवाई हुई। यानी आदेश अब बस कागज़ों पर ज़िंदा है, जबकि मैदान में उसकी कोई औकात नहीं बची? यह स्थिति यह दर्शाती है कि न तो संचालक प्रशासनिक आदेशों को गंभीरता से ले रहे हैं, और न ही निगरानी करने वाले अधिकारी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानो आदेश सिर्फ फाइलों और नोटिस बोर्डों तक सीमित रह गया है, जबकि मैदान में जिम्मेदारी से बचने का खेल खुलकर खेला जा रहा है। 

 

मीना बाजार परिसर में लगे हर झूले, और मनोरंजन साधनों पर संचालकों ने पोस्टर चस्पा कर रखे हैं —

“किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने पर कम्पनी जिम्मेवार नहीं होगी।”

 

यह वही संचालक हैं जिन्हें आदेश के अनुसार जनता की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी उठानी थी। मगर वे पहले ही अपने हाथ खड़े कर चुके हैं — और प्रशासन सब देखकर भी मूकदर्शक बना हुआ है।ऐसे मे अगर कोई हादसा होता है तो आखिर जनता न्याय के लिए किसके दरवाजे पर दस्तक देगी? क्या संचालक यह कहकर बच जाएंगे कि झूला कंपनी जिम्मेदार है, या कंपनी यह कहकर कि हमने पहले ही लिखा था कि हम जिम्मेदार नहीं हैं?

 

अब सवाल उठना लाजिमी है

जब आदेश में साफ लिखा है कि उल्लंघन पर अनुमति स्वतः निरस्त मानी जाएगी, तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं?

क्या प्रशासन किसी दबाव में है?

क्या मीना बाजार को विभागीय संरक्षण प्राप्त है?

 

स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों का कहना है कि अगर यही स्थिति किसी छोटे व्यापारी या स्थानीय आयोजन में होती, तो अगले ही दिन नोटिस और सीलिंग की कार्यवाही शुरू हो जाती। लेकिन यहाँ अधिकारी खुद मौन हैं — जैसे सब कुछ किसी “सेटिंग सिस्टम” के तहत चल रहा हो? मीना बाजार में जारी यह अव्यवस्था अब केवल लापरवाही नहीं, बल्कि प्रशासनिक आदेशों का मखौल बन चुकी है।कानून और नियमों की खुली अवहेलना के बीच सवाल यही उठता है कि — क्या बस्तर प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी कुर्सी की छाया में कहीं खो दी है? अब वक्त आ गया है कि बस्तर प्रशासन जागे और अपने ही आदेश का सम्मान करे। वरना जनता यह मानने को मजबूर होगी कि यह पूरा खेल विभागीय संरक्षण की छाया में चल रहा है?

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की गति तेज करने के लिए सरकार सतत प्रयासरत – मुख्यमंत्री साय

रायपुर / शौर्यपथ / बस्तर अंचल को महाराष्ट्र से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 130-डी के निर्माण को नई गति मिली है। छत्तीसगढ़ शासन ने कुतुल से नीलांगुर (महाराष्ट्र सीमा) तक 21.5 किलोमीटर हिस्से के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। इस सड़क के निर्माण के लिए न्यूनतम टेंडर देने वाले ठेकेदार से अनुबंध की प्रक्रिया शर्तों सहित पूरी करने के निर्देश लोक निर्माण विभाग मंत्रालय द्वारा प्रमुख अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग परिक्षेत्र रायपुर को दिए गए हैं। कुल तीन खंडों में निर्मित होने वाले 21.5 किलोमीटर सड़क के निर्माण हेतु लगभग 152 करोड़ रुपए न्यूनतम टेंडर दर प्राप्त हुई है, जिसे छत्तीसगढ़ शासन ने मंजूरी प्रदान कर दी है।

यह उल्लेखनीय है कि कुतुल, नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में स्थित है और कुतुल से महाराष्ट्र सीमा पर स्थित नीलांगुर की दूरी 21.5 किलोमीटर है। यह नेशनल हाईवे 130-डी का हिस्सा है। इस सड़क का निर्माण टू-लेन पेव्ड शोल्डर सहित किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि एनएच-130डी राष्ट्रीय राजमार्ग है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 195 किलोमीटर है। यह एनएच-30 का शाखा मार्ग (स्पर रूट) है। यह कोण्डागांव से शुरू होकर नारायणपुर, कुतुल होते हुए नीलांगुर (महाराष्ट्र सीमा) तक जाता है। आगे महाराष्ट्र में यह बिंगुंडा, लहरे, धोदराज, भमरगढ़, हेमा, लकासा होते हुए आलापल्ली तक पहुँचता है, जहाँ यह एनएच-353डी से जुड़ जाता है। इस मार्ग के विकसित होने से बस्तर क्षेत्र सीधे राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क से जुड़ जाएगा और व्यापार, पर्यटन एवं सुरक्षा को बड़ी मजबूती प्राप्त होगी।

नेशनल हाईवे 130-डी का कोण्डागांव से नारायणपुर तक का लगभग 50 किमी हिस्सा निर्माणाधीन है। नारायणपुर से कुतुल की दूरी 50 किमी है और वहाँ से महाराष्ट्र सीमा स्थित नीलांगुर तक 21.5 किमी की दूरी है। इस राष्ट्रीय राजमार्ग की कुल लंबाई 195 किमी है, जिसमें से लगभग 122 किमी का हिस्सा कोण्डागांव-नारायणपुर से कुतुल होते हुए नीलांगुर तक छत्तीसगढ़ राज्य में आता है। इस सड़क के बन जाने से बस्तर अंचल को महाराष्ट्र से सीधा और मजबूत सड़क संपर्क मिलेगा तथा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षित एवं सुगम यातायात सुविधा सुलभ हो सकेगी।

 प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सहयोग से इस नेशनल हाईवे के अबूझमाड़ इलाके में स्थित हिस्से के लिए फॉरेस्ट क्लियरेंस और निर्माण की अनुमति प्राप्त हुई, जिससे इस महत्वाकांक्षी परियोजना के निर्माण का रास्ता खुल गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग 130-डी केवल सड़क नहीं बल्कि बस्तर अंचल की प्रगति का मार्ग है। हमारी सरकार ने इस परियोजना को तेजी देने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। इस सड़क से बस्तर के लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। यह सड़क न केवल छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र को जोड़ेगी, बल्कि बस्तर अंचल के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाएगी। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की गति तेज करने के लिए यह परियोजना मील का पत्थर साबित होगी।

 - मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय

By- नरेश देवांगन 

जगदलपुर, शौर्यपथ। जगदलपुर के राजमहल परिसर के मीना बाजार में चल रहे मौत के कुएँ की जांच अब जनता के बीच चर्चा का विषय बन गई है। हमारी पूर्व प्रकाशित खबर के बाद RTO विभाग की उड़नदस्ता टीम ने भौतिक निरीक्षण तो किया, लेकिन जांच का हाल ऐसा रहा मानो सुरक्षा नहीं, औपचारिकता की जांच की गई हो।

टीम ने रिपोर्ट में बताया कि “सभी दस्तावेज वैध पाए गए”, पर सवाल यह है कि जिन पुरानी गाड़ियों से यह जोखिम भरा खेल चल रहा है, क्या वे तकनीकी रूप से चलने योग्य हैं? क्या किसी विशेषज्ञ ने वाहनों की फिटनेस, ब्रेकिंग सिस्टम या सुरक्षा संरचना की जांच की? रिपोर्ट में इसका कोई ज़िक्र नहीं — क्योंकि यहाँ मामला किसी आम नागरिक का नहीं, मेला प्रबंधन और रसूखदारों का है।

 

दोहरी नीति पर सवाल:

हैरानी की बात यह है कि सड़क पर अगर कोई गरीब मजदूर या आम व्यक्ति अपनी पुरानी मोटरसाइकिल या बिना कागज़ की गाड़ी लेकर निकल जाए, तो यही विभाग पूरा कानून सिर पर उठाकर चलानी काट देता है। उसे रोकने, डराने और वसूली करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती। लेकिन जब वही कानून मौत के कुएँ के अंदर टूटता है, तब सबकी आँखें मूँद ली जाती हैं — क्योंकि वहाँ बड़े लोगों का परिचय और रसूख काम आता है। यही विभाग जो सड़क पर आम जनता से नियम पालन की दुहाई देता है, अब खामोश है जब नियमों की धज्जियाँ उनके सामने उड़ाई जा रही हैं। क्या कानून सिर्फ गरीबों के लिए बना है? क्या विभाग की सख्ती सिर्फ उन पर दिखती है जिनका कोई सियासी या अफसरशाही परिचय नहीं होता?

 

स्थानीय नागरिकों की नाराज़गी:

नागरिकों ने कहा कि अगर यही लापरवाही किसी आम व्यक्ति के मामले में हुई होती तो RTO का पूरा अमला उसके पीछे पड़ गया होता। पर यहाँ विभाग ने न फिटनेस जाँची, न सुरक्षा का ब्यौरा लिया — बस फाइलें पलट कर “सब वैध है” का ठप्पा लगा दिया।

 

निष्कर्ष:

जिले में नियमों की परिभाषा अब चेहरों से तय होने लगी है। मौत के कुएँ में जहाँ जनता की जान दांव पर है, वहाँ प्रशासन कागज़ों में फिटनेस और रसूख में इंसाफ ढूँढ रहा है।

सवाल अब जनता पूछ रही है —

क्या कानून सिर्फ गरीबों के लिए है और सुरक्षा सिर्फ रसूख वालों की सुविधा के लिए? क्यूंकि RTO उड़नदस्ता की यह जांच साबित करती है कि विभागीय कार्यवाई अब भी कागज़ों में ही सक्रिय है। मौत का कुआँ आज भी घूम रहा है — फर्क बस इतना है कि अब यह कानून की आंखों के सामने घूम रहा है।

श्रद्धालुओं ने भावुकता के साथ माता मावली को किया विदा

By - नरेश देवांगन 

जगदलपुर, शौर्यपथ। विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व का एक अत्यंत भावुक और गरिमामय अध्याय मंगलवार को समाप्त हुआ। लगभग 75 दिनों तक चलने वाले इस अद्वितीय और अद्भुत सांस्कृतिक महापर्व की अंतिम रस्म मावली विदाई के साथ इसका समापन हो गया। हजारों की संख्या में जुटे भक्तों द्वारा अपार श्रद्धा के बीच आराध्य देवी मावली माता की डोली और छत्र को ससम्मान विदा किया गया। परंपरा के निर्वहन में माता की डोली को जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर से गाजे-बाजे और भव्य शोभायात्रा के साथ साथ जिया डेरा तक ले जाया गया। इस अवसर पर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप, महापौर संजय पांडे और अन्य जनप्रतिनिधियों सहित बस्तर दशहरा समिति के उपाध्यक्ष बलराम मांझी, बस्तर दशहरा समिति के पारम्परिक सदस्य मांझी-चालकी, मेम्बर-मेम्बरीन, नाईक-पाईक और कमिश्नर डोमन सिंह, पुलिस महानिरीक्षक सुन्दर राज पी, कलेक्टर हरिस एस, पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा तथा अन्य अधिकारी मौजूद थे।

 

गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुई ’माई जी’ की विदाई

मां दंतेश्वरी मंदिर के समीप निर्मित आकर्षक मंच पर माई जी की डोली को रखा गया, जिसे श्रद्धालुओं ने दर्शन किया और बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव द्वारा परंपरा के अनुसार माई जी की आरती की गई। पुलिस जवानों द्वारा हर्ष फायर कर सलामी दिए जाने के बाद कमलचंद्र भंजदेव ने माई जी की डोली को अपने कंधे पर धारण किया और जिया डेरा के लिए रवाना हुए। विदाई समारोह को बेहद गरिमामय बनाया गया। राज परिवार के सदस्यों ने स्वयं मावली माता की डोली को अपने कंधों पर उठाकर इस प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया। भक्तों ने पूरे रास्ते फूलों की वर्षा कर और जयकारे लगाकर अपनी माई जी को भावभीनी विदाई दी। डोली विदाई की यह रस्म बस्तर दशहरा पर्व की समाप्ति का प्रतीक है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि 600 वर्ष से अधिक पुरानी बस्तर की समृद्ध आदिवासी संस्कृति और परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन भी है। इस विदाई के साथ भक्तों ने अगले वर्ष फिर से उत्सव की शुरुआत की उम्मीद लिए देवी से क्षेत्र की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद माँगा।

 

श्रद्धा और सम्मान से सजी विदाई यात्रा

शोभायात्रा के दौरान पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूँज थी, वहीं माता मावली की डोली के सामने उनके साज-श्रृंगार के सामान कांवरिया कावड़ में लेकर चल रहे थे। पारंपरिक वेशभूषा में सिर पर कलश धारण किए महिलाएं, इस विदाई यात्रा की शोभा बढ़ा रही थीं। पूरे मार्ग पर श्रद्धालुओं ने जगह-जगह माई जी का स्वागत किया, पूजा-अर्चना की और भावुकता के साथ उन्हें विदाई दी। जिया डेरा से माता मावली की डोली एवं छत्र को एक सुसज्जित वाहन से दंतेवाड़ा के लिए रवाना किया गया।

जगदलपुर, शौर्यपथ। जन अधिकार सामाजिक कल्याण संघ छत्तीसगढ़ की बस्तर संभाग स्तरीय प्रथम बैठक एवं कार्यशाला का आयोजन 5 अक्टूबर को बोधघाट, जगदलपुर में किया गया। बैठक का मुख्य उद्देश्य संगठन को जमीनी स्तर पर सशक्त बनाना और सामाजिक सरोकारों को लेकर कार्ययोजना तैयार करना रहा।

इस संबंध में प्रदेश महासचिव विपिन कुमार तिवारी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मीडिया को अवगत कराया कि बैठक का आयोजन प्रदेश अध्यक्ष दादा चंद्रिका सिंह के नेतृत्व में किया गया, जिसमें बस्तर संभाग के सातों जिलों के सभी पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता बीजापुर जिला संरक्षक श्री तेलैया ने की, जबकि संचालन श्री के.के. भटनागर, जिला अध्यक्ष बस्तर ने किया।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रदेश अध्यक्ष दादा चंद्रिका सिंह ने संगठन की कार्यप्रणाली पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि संगठन जनता की आवाज़ है, जिसे शासन-प्रशासन तक पहुँचाना हमारा दायित्व है। उन्होंने सभी पदाधिकारियों से अपील की कि वे संगठन के 31 बिंदुओं पर समाजहित में निरंतर कार्य करते रहें और जनता की समस्याओं को पत्राचार, मुलाकात एवं संवाद के माध्यम से संबंधित विभागों तक पहुँचाएं।

बैठक में प्रदेश प्रभारी कर्मवीर सिंह जादौन, प्रदेश महासचिव कृष्ण कुमार साहू, विपिन तिवारी, सत्यभान सिंह जादौन, लाला लहरे, अनिल ठाकुर, प्रदेश उपाध्यक्ष कोटेश्वर राव चापडी, राजेश माने, महेंद्र कुमार साहू, श्रीमती सत्यशीला मेश्राम, जिलाध्यक्ष राजेंद्र पांडे, ए. सुधाकर, श्रीमती जयंती परते,श्रीमती राव, श्रीमती माधवी सरकार, श्रीमती सुनीता शोरी, श्रीमती हेमलता नेताम, अशोक जयसवाल, चंद्रिका देवांगन, तुलसीराम बघेल, जितेंद्र सेठिया, शंकरलाल श्रीवास्तव, विनय मंडल, शिवा स्वर्णकार, ईश्वर लाल कश्यप सहित बस्तर संभाग के सातों जिलों के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

बैठक के समापन पर सभी पदाधिकारियों ने निस्वार्थ भाव से जनसेवा करने एवं संगठन को मजबूत बनाने का संकल्प लिया।

कोंडागांव, शौर्यपथ। कोंडागांव शहर मंडल अध्यक्ष कुलवंत चहल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि कोंडागांव लोकप्रिय विधायक सुश्री लता उसेंडी निरंतर क्षेत्र की जनता के लिए कार्य कर रही है नवीन कार्य के साथ ही उनकी मांगों को पूरा करने में लगी है। और करे भी क्यो नहीं जब प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय ने विकास की रोशनी फैलाने का जो संकल्प लिया है उसे पूरा भी कर रहे हैं। शहर मंडल अध्यक्ष कुलवंत सिंह चहल ने कहा कि भाजपा सरकार आने के बाद कोंडागांव में जिस गति से विकास कार्य आगे बढ़ रहे हैं, उसे देखकर कांग्रेस बुरी तरह तिलमिला उठी है। प्रदेश में जब से भाजपा की सरकार बनी है, विकास की गंगा बह रही है, मगर कोंडागांव के कांग्रेसियों को यह सब पच नहीं रहा। उन्हें तो बस आमजन को बस सब्ज बाग दिखाना आता है, धरातल में सब शून्य है। 

श्री चहल ने कहा कि कांग्रेसियों की स्थिति अब ऐसी हो गई है कि जिले में हो रहे हर विकास कार्य से उनका पेट दर्द करने लगता है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने अपने शासन में केवल दिखावा किया, ढिंढोरा पीटती रही कि विकास हो रहा है, जबकि धरातल पर कुछ नहीं था। अब जब हमारी सरकार ने कार्यों की गति तेज़ की है, तो कांग्रेसियों का खाना तक हजम नहीं हो रहा।”

उन्होंने बताया कि हाल ही में कोंडागांव की लोकप्रिय विधायक एवं भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुश्री लता उसेंडी द्वारा कई नए विकास कार्यों का भूमि पूजन किया गया, जिसे देखकर कांग्रेस के पेट में मरोड़ शुरू हो गई। बौखलाए कांग्रेसी अब प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव के 2 माह पूर्व कुछ कागजो में कुछ मंचो द्वारा तो खुद ही नारियल फोड़ लोगो को गुमराह करने का प्रपंच रचा था, यहाँ तक ये भी देखने को आया है कि कांग्रेस के पूर्व विधायक ने एक ही कार्य का पांच बार से ज्यादा एक ही कार्य का भूमिपूजन किया था। पर स्वीकृति नही ला पाए। 

श्री चहल ने कहा कि कांग्रेस का दावा कि “पहले ही भूमि पूजन किया गया था” पूरी तरह भ्रामक और तथ्यहीन है। कांग्रेस शासन में यह कार्य केवल कागज़ों पर रह गया था। अब भाजपा सरकार ने उसी मार्ग का वास्तविक निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया है।

श्री चहल ने व्यंग्य करते हुए कहा, लगता है विपक्ष में बैठने का ग़म अभी तक कांग्रेस के सर से उतरा नहीं, तभी उनकी याददाश्त भी कमजोर हो गई है। कांग्रेसियों ने आज फिर ओछी हरकत की उन्होंने कलेक्टर को सौपे ज्ञापन में कहा हैं कि भाजपा स्थानीय जनप्रतिनिधियों को नही पूछती। कभी मौके पर जाकर देखे की वहां के जनप्रतिनिधि का नाम शिलान्यास के पत्थरों पर अंकित है ।उन्होंने अपनी उपस्थित दी या नही ये उनकी जवाबदारी। इससे बेहतर होता, वे प्रेस विज्ञप्ति जारी करने से पहले पुराने स्वीकृति पत्र को एक बार पढ़ लेते की कितने कामो को स्वीकृति मिली है और कितने काम कागजो में है, जिनकी स्वीकृति विधायक महोदय के द्वारा करवाया जा रहा है।ये पब्लिक है ये सब जानती है।

By - नरेश देवांगन 

जगदलपुर, शौर्यपथ। अपनी अनूठी परंपराओं और रस्मों के लिए विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की एक और महत्वपूर्ण रस्म, 'कुटुंब जात्रा', रविवार को स्थानीय महात्मा गांधी स्कूल परिसर के गुड़ी में संपन्न हुई। इस रस्म के तहत पूरे बस्तर संभाग एवं पड़ोसी राज्य ओडिशा व महाराष्ट्र के समीपवर्ती गांव से पर्व में शामिल हुए हजारों देवी-देवताओं के छत्र और डोली को बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर ससम्मान विदा किया। यह रस्म 75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरा पर्व की समाप्ति की ओर इशारा करती है। 

 

600 साल से अधिक पुरानी परंपरा

बस्तर दशहरा की सबसे खास बात यह है कि केवल इसी पर्व में इतनी बड़ी संख्या में एक-एक गांव के देवी-देवताओं के छत्र और डोली शामिल होते हैं। रियासत काल से चली आ रही यह परंपरा आज भी कायम है, जिसमें राजा-महाराजाओं की तरह राजपरिवार के सदस्य और दशहरा समिति गांव-गांव से आए देवी-देवताओं और उनके पुजारियों को ससम्मान विदा करते हैं।

 

रूसूम' देकर दी गई विदाई

परंपरानुसार, दशहरा पर्व में शामिल होने आए संभाग के सभी ग्राम के देवी-देवताओं को 'रूसूम' (दक्षिणा/भेंट) भी दी गई। राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव और दशहरा समिति ने देवी-देवताओं के छत्र और डोली लेकर पहुंचे पुजारियों को कपड़े, पैसे और मिठाइयां देकर उनकी ससम्मान विदाई की।

शहर के गंगामुण्डा वार्ड में स्थित देवगुड़ी में श्रद्धालुओं ने अपनी मनोकामना अनुसार देवी देवताओं को भेंट भी अर्पित किया। बस्तर राजपरिवार और दशहरा समिति की अगुवाई में संपन्न हुई इस कुंटुब जात्रा रस्म के साथ ही, 600 साल से अधिक पुरानी बस्तर दशहरा पर्व की परंपराएं विधि विधान से पूरी की गईं। इस दौरान पूरे परिसर में उपस्थित देवी देवता का आपस में मेल मिलाप देखते ही बन रहा था। देवी देवताओं के लाठ, डोली के साथ झुमते सिरहा और विभिन्न क्षेत्रों के आंगादेव का खेल माहौल को आकर्षक एवं अचम्म्भित किया। इस अवसर पर स्थानीय एवं आसपास के गांव से पहुंचे श्रद्धालुओं ने भी देवी देवताओं का अपने परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना कर उनका आशीर्वाद लिया। सारा माहौल भक्ति भावना में डूबा नजर आया।

जगदलपुर / शौर्यपथ।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह शनिवार को बस्तर दशहरा महोत्सव में शामिल हुए। आगमन से पूर्व उन्होंने माँ दंतेश्वरी मंदिर में दर्शन-पूजन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री डॉ. विजय शर्मा सहित अनेक जनप्रतिनिधि और अधिकारी उपस्थित थे।

अपने संबोधन में श्री शाह ने कहा कि 75 दिनों तक चलने वाला बस्तर दशहरा विश्व का सबसे बड़ा और अनूठा सांस्कृतिक आयोजन है, जो न केवल बस्तर बल्कि सम्पूर्ण भारत की परंपरा और गौरव का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि माँ दंतेश्वरी से उन्होंने यह प्रार्थना की है कि हमारे सुरक्षा बलों को ऐसी शक्ति दें जिससे 31 मार्च 2026 तक बस्तर लाल आतंक से मुक्त हो जाए।

श्री शाह ने कहा कि वर्षों तक दिल्ली में बैठे लोगों ने यह भ्रांति फैलाई कि नक्सलवाद विकास की लड़ाई है, जबकि सच्चाई यह है कि नक्सलवाद ही विकास में सबसे बड़ी बाधा रहा है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की सरेंडर नीति देश की सर्वश्रेष्ठ नीतियों में से एक है — पिछले एक महीने में ही 500 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।

गृह मंत्री ने कहा कि जो भी गाँव नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त होगा, वहाँ 1 करोड़ रुपए का विशेष विकास अनुदान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दस वर्षों में छत्तीसगढ़ को 4 लाख 40 हजार करोड़ रुपए की सहायता राशि प्रदान की है। उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और लघु उद्योगों में प्रदेश तेजी से प्रगति कर रहा है।

श्री शाह ने कहा कि इस बार के बस्तर ओलंपिक में देशभर के आदिवासी समुदाय हिस्सा लेंगे। उन्होंने बताया कि बस्तर का पंडुम उत्सव, खान-पान, वेशभूषा, कला और वाद्य यंत्र अब विश्व स्तर पर आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं।

स्वदेशी जागरण मंच के मेले का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि स्वदेशी ही आत्मनिर्भर भारत का मार्ग है। उन्होंने सभी से अपील की कि विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर स्वदेशी उत्पादों को अपनाएँ, ताकि भारत विश्व की सर्वोच्च आर्थिक शक्ति बन सके।

श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने हाल ही में 395 वस्तुओं पर जीएसटी में बड़ी राहत दी है, जिससे देशभर की माताओं-बहनों को लाभ हुआ है। साथ ही, बस्तर दशहरा अवसर पर “महतारी वंदन योजना” की 20वीं किस्त के रूप में 70 लाख महिलाओं को 607 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं।
इसी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना का शुभारंभ भी किया गया, जिसके तहत 250 गाँवों को जोड़ा गया है।

अंत में उन्होंने कहा कि मोदी सरकार आदिवासी समाज के गौरव और विकास के लिए समर्पित है। आदिवासी समाज की बेटी द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना, और भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ घोषित करना इसी सम्मान का प्रतीक है।

  JAGDALPUR / SHOURYAPATH /   केन्द्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह एवं मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज जगदलपुर के लालबाग मैदान में बस्तर दशहरा पर्व से जुड़े मांझी-चालकी, मेम्बर एवं मेम्बरीन के सम्मान में आयोजित अभिनंदन भोज में शामिल हुए।  केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने अभिनंदन भोज में परोसे गए आदिवासी समाज के पारम्परिक व्यंजनों की सराहना करते हुए कहा कि ये पारम्परिक व्यंजन बस्तर की संस्कृति, परंपरा और आदिवासी जीवन मूल्यों का अनूठा स्वाद प्रस्तुत करते हैं।
  मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बस्तर की आदिवासी परंपरा में मांझी-चालकी, मेंबर और मेंबरीन के साथ अभिनंदन भोज केवल एक सत्कार नहीं है, बल्कि यह भाईचारे, सामुदायिक मेल-जोल और सांस्कृतिक समरसता का जीवंत प्रतीक है। यह अवसर न केवल बस्तर की समृद्ध और जीवंत आदिवासी संस्कृति का उत्सव है, बल्कि हमारी सामाजिक एकता और स्थानीय परंपराओं के प्रति सम्मान की भी अभिव्यक्ति है।
  अभिनंदन भोज में उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम, वन मंत्री श्री केदार कश्यप, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, पर्यटन मंत्री श्री राजेश अग्रवाल, सांसद श्री महेश कश्यप एवं श्री भोजराज नाग, विधायक सर्वश्री किरण सिंह देव, विनायक गोयल, चैतराम अटामी, नीलकंठ टेकाम, आशाराम नेताम तथा सुश्री लता उसेंडी सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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