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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
रायपुर / शौर्यपथ / भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान ने दुर्गम इलाकों में भी रफ्तार पकड़ ली है। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी के नेतृत्व में प्रशासनिक टीमें और बीएलओ सुदूर पहाड़ी अंचलों, घने जंगलों और नदी-नालों से होकर हर घर तक पहुँच रही हैं, ताकि कोई भी नागरिक मतदाता सूची से वंचित न रहे।
ज्ञात हो कि जिले में वर्तमान में 92,637 मतदाता पंजीकृत हैं। वर्ष 2025 की मतदाता सूची को आधार मानकर बीएलओ लगातार घर-घर गणना पत्रक वितरित कर रहे हैं। इन पत्रकों को भरना सभी मतदाताओं के लिए अनिवार्य है। अब तक 47.02 प्रतिशत गणना पत्रक प्राप्त कर उनके डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है।
विशेष पुनरीक्षण के इस चरण में वर्ष 2025 के पंजीकृत मतदाताओं का मिलान वर्ष 2003 की मतदाता सूची से किया जा रहा है। मतदाता सूची का प्रारंभिक प्रकाशन 9 दिसंबर 2025 को निर्धारित है। सूची में उसी मतदाता का नाम शामिल किया जाएगा, जिसका गणना पत्रक बीएलओ को प्राप्त हो गया हो या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से जमा किया गया हो।
प्रारंभिक प्रकाशन के बाद दावे और आपत्तियाँ 8 जनवरी 2026 तक स्वीकार की जाएंगी। इसके पश्चात सभी प्रकरणों के निराकरण के बाद अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी।
इसी क्रम में बीएलओ और प्रशासनिक टीमें दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों, जंगलों और दूरस्थ बसे गांवों तक पैदल मीलों चलकर, नदी-नालों को पार करते हुए लगातार पहुँच रही हैं। उनका लक्ष्य है कि “हर मतदाता महत्वपूर्ण” केवल एक नारा न रहकर जमीनी हकीकत बने। सुदूर अंचलों में चल रहा यह व्यापक जुड़ाव अभियान लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाते हुए मतदाता जागरूकता और सहभागिता को नए आयाम दे रहा है।
लोक कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुति में भारत मंडपम में दिखी छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक छटा
रायपुर / शौर्यपथ / राजधानी दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आज छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और परंपराओं का अद्भुत संगम दिखाई दिया। 44वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में छत्तीसगढ़ रजत जयंती वर्ष के अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने अपनी पारंपरिक नृत्य-शैली और विविध लोक-सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से पूरे वातावरण में उत्साह, ऊर्जा और आनंद भर दिया।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के उद्योग मंत्री श्री लखनलाल देवांगन, रायपुर लोकसभा सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल, जांजगीर-चांपा लोकसभा सांसद श्रीमती कमलेश जांगड़े, कांकेर लोकसभा सांसद श्री भोजराज नाग सहित अनेक जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने दीप प्रज्वलन कर की। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ पवेलियन का अवलोकन किया तथा विभिन्न स्टॉलों में प्रदर्शित कला-कृतियों, हस्तशिल्प और उत्पादों को देखा। उन्होंने कलाकारों और उद्यमियों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की तथा उन्हें निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
अपने उद्बोधन में मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि देश की राजधानी में “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” की गूंज सुनकर प्रत्येक छत्तीसगढ़ वासी गर्व से भर उठता है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा रायपुर में देश के पहले डिजिटल जनजातीय संग्रहालय के लोकार्पण का उल्लेख करते हुए इसे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर स्थापित करने वाला ऐतिहासिक कदम बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ कला, संस्कृति और परंपराओं की समृद्ध भूमि है, जहाँ तीज-त्योहार, लोक-नृत्य और पारंपरिक कलाएँ आज भी उसी उत्साह और गरिमा के साथ संरक्षित हैं। उन्होंने मिलेट्स उत्पादन, स्थानीय हस्तशिल्प और जनजातीय परंपराओं को राज्य की असीम संभावनाओं का प्रतीक बताया तथा कहा कि राज्य सरकार कलाकारों के संरक्षण, आर्थिक सहयोग और बस्तर पंडुम जैसे आयोजनों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को और सशक्त बना रही है। मुख्यमंत्री ने देशवासियों को छत्तीसगढ़ आने तथा इसकी सादगी, सांस्कृतिक संपन्नता और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव करने के लिए आमंत्रित किया।
सांस्कृतिक संध्या में कलाकारों ने छत्तीसगढ़ की पारंपरिक लोक-कलाओं की एक से बढ़कर एक झलक प्रस्तुत की।गौरा-गौरी, भोजली, राउत नाचा, सुआ नृत्य, पंथी और करमा नृत्य जैसी लोक-शैली की सजीव प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मोहित कर लिया। सुआ नृत्य की गीतमय अभिव्यक्ति, राउत नाचा की जोशीली लय, पंथी की आध्यात्मिक छटा और करमा की मनभावन प्रस्तुति ने छत्तीसगढ़ की विविधता और लोक परंपराओं की गहराई को प्रभावी रूप से सामने रखा। पूरे कार्यक्रम के दौरान दर्शक तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का उत्साहवर्धन करते रहे।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राकेश पाण्डेय, छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष श्री राजीव अग्रवाल, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष श्री नीलू शर्मा, छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री शशांक शर्मा, विधायक श्री संपत अग्रवाल, श्री प्रबोध मिंज, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार श्री पंकज झा, मुख्य सचिव श्री विकास शील, पर्यटन, संस्कृति एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव श्री रोहित यादव, सीएसआईडीसी के महाप्रबंधक श्री विश्वेश कुमार, संस्कृति विभाग के संचालक श्री विवेक आचार्य, खादी ग्रामोद्योग सचिव श्री श्याम धावड़े, इन्वेस्टमेंट कमिश्नर श्रीमती ऋतु सैन, आवासीय आयुक्त श्रीमती श्रुति सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर / शौर्यपथ / बालोद जिले में अवैध धान विक्रय, परिवहन और संग्रहण करने वालों के खिलाफ मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में अभियान चलाकर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जा रहा है। जिसके तहत आज कलेक्टर श्रीमती दिव्या उमेश मिश्रा ने डौण्डी विकासखण्ड के ग्राम गुजरा के फुटकर धान व्यापारी श्री पन्नू लाल के घर में पहुँचकर खाद्य विभाग एवं कृषि उपज मंडी की जाँच टीम द्वारा जप्त किए गए अवैध धान का अवलोकन किया।
इस दौरान उन्होंने कृषि उपज मंडी के अधिकारियों को जप्त किए गए सभी धान बोरे में अनिवार्य रूप से जप्ती के सील लगाने के निर्देश भी दिए। उल्लेखनीय है कि खाद्य विभाग एवं कृषि उपज मंडी के जाँच दल के अधिकारियों के द्वारा फुटकर धान व्यापारी श्री पन्नूलाल के घर में जाँच के दौरान उनके पास कृषि उपज मंडी द्वारा उन्हें जारी किए गए अनुज्ञप्ति के आधार पर 10 क्विंटल से बहुत अधिक मात्रा में धान पाया गया। जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए जाँच दल के अधिकारियों द्वारा 75 कट्टा अतिरिक्त धान की जप्ती की कार्रवाई की गई है।
जाँच दल के अधिकारियों के द्वारा जब्त किए गए कुल 75 कट्टा धान बोरियों में सील आदि लगाने की सभी कार्रवाई सुनिश्चित कर फुटकर व्यापारी श्री पन्नूलाल कोरेटिया के सुपुर्दगी में दी गई है। इस दौरान जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री सुनील चंद्रवंशी, संयुक्त कलेक्टर श्रीमती मधुहर्ष, एसडीएम श्री सुरेश साहू सहित जिला पंजीयक सहकारी संस्थाएं श्री आरके राठिया, जिला खाद्य अधिकारी एवं जिला विपणन अधिकारी सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।
रायपुर / शौर्यपथ / मोहला मानपुर अम्बागढ़ चौकी में धान खरीदी लगातार की जा रही है। जहां ग्राम भर्रीटोला में धान उपार्जन केंद्र में अपने धान का विक्रय हेतु आये युवा किसान जितेंद्र पांडे ने धान बेचा। इस दौरान उन्होंने केंद्र में जाकर टोकन प्राप्त किया था और ऑफलाइन जाकर टोकन प्राप्त कर अपना धान विक्रय करना बहुत आसान रहा। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया ऑनलाइन की तरह बेहद सरल और सहज रही जहां केंद्र के कर्मचारियों से भी उन्हें पूरा सहयोग प्राप्त हुआ। टोकन मिलने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई। जिससे उनका समय बचा और काम बड़ी आसानी से पूरा हो गया।
किसान जितेंद्र पांडे ने धान खरीदी केंद्र की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि केंद्र में पेयजल, छांव, बैठने की सुविधा बिजली और धान रखने के लिए पर्याप्त बारदाना की पूरी व्यवस्था की गई हैं। धान तौलने की प्रक्रिया तेज, पारदर्शी और व्यवस्थित रही। किसान ने कर्मचारियों के सहयोग और सुव्यवस्थित व्यवस्था के लिए शासन-प्रशासन का धन्यवाद किया।
उन्होंने कहा कि अब किसानों के लिए धान बेचना पहले से कहीं अधिक आसान हो गया है। उन्होने बताया कि बेहतर व्यवस्थाओं और सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं ने उनका कृषि के प्रति विश्वास बढ़ाया है। इससे उन्हें न सिर्फ वर्तमान फसल में बल्कि भविष्य में भी उन्नत खेती के नए अवसर दिखाई दे रहे हैं।
रायपुर / शौर्यपथ / इस वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा धान समर्थन मूल्य में वृद्धि तथा उपार्जन केन्द्रों में बुनियादी सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण का सीधा लाभ किसानों को मिलता दिख रहा है। दुर्ग जिले के ग्राम जंजगिरी के किसान श्री गौकरण साहू ने बताया कि उन्होंने इस खरीफ विपणन वर्ष में लगभग 139 क्विंटल धान का विक्रय किया और पूरी प्रक्रिया पहले की तुलना में अधिक सरल और व्यवस्थित रही।
श्री साहू ने बताया कि इस बार उपार्जन केंद्र में सुगठित भंडारण व्यवस्था, तेज़ तौल प्रक्रिया तथा पर्याप्त मजदूर उपलब्धता से धान की खरीदी बिना किसी बाधा के संपन्न हुई। उन्होंने बताया कि तुंहर टोकन ऐप के माध्यम से घर बैठे टोकन जारी हो गया, जिससे अनावश्यक भीड़ और प्रतीक्षा दोनों से राहत मिली। खरीदी केंद्र में निरंतर बिजली आपूर्ति और संचार सुविधा भी बेहतर रही, जिससे कार्य में गति आई।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष शासन द्वारा किए गए कई बुनियादी सुधार जैसे मजबूत पावर सप्लाई, साफ-सुथरा प्लेटफ़ॉर्म, व्यवस्थित बोरा प्रबंधन, और पूर्णत: डिजिटल टोकन व्यवस्था से किसानों का समय, श्रम और लागत तीनों की बचत हुई है। इससे किसानों को अपनी उपज सुरक्षित रखने के साथ-साथ आगे की खेती की तैयारियाँ भी समय पर करने में सुविधा मिली है। श्री गौकरण साहू ने कहा कि वे शासन के आभारी हैं, जिसने धान खरीदी मूल्य बढ़ाकर और खरीदी प्रक्रिया को तेज़, पारदर्शी और किसान हितैषी बनाकर किसानों की वास्तविक आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी है।
रायपुर / शौर्यपथ / दुर्ग जिले की नंदिनीखुर्दनी ग्राम पंचायत निवासी श्रीमती तारा साहू को ग्रामीण स्तर पर बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध कराने के उत्कृष्ट कार्य के लिए 'उत्कृष्ट बीसी सखी अवार्ड' से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें रायपुर के न्यू सर्किट हाउस, सिविल लाइन में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला में मिशन संचालक, छत्तीसगढ़ एसआरएलएम द्वारा प्रदान किया गया। उनकी अनुपस्थिति में यह सम्मान एमीन दीदी ने ग्रहण किया।
श्रीमती साहू ने वर्ष 2018 में बिहान स्वसहायता समूह से जुड़कर बीसी (बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट) सखी के रूप में काम शुरू किया था। शुरुआत में संसाधनों की कमी और तकनीकी चुनौतियों के बावजूद उन्होंने प्रशिक्षण लेकर काम को आगे बढ़ाया। आजीविका मिशन से मिली सहायता राशि से उन्होंने लैपटॉप खरीदा और बैंक ऑफ इंडिया, शाखा पथरिया से जुड़कर नियमित रूप से सेवा देने लगीं।
वर्तमान में श्रीमती तारा साहू 4500 से अधिक बैंक खाते खोल चुकी हैं और नंदिनीखुर्दनी सहित आसपास के छह गांवों में घर-घर जाकर नकद जमा-निकासी, नए खाते खोलने, बिजली बिल भुगतान, फसल बीमा आवेदन तथा अन्य सरकारी योजनाओं से संबंधित सेवाएँ उपलब्ध करा रही हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ बैंक शाखाएँ सीमित हैं, वहाँ श्रीमती साहू ने लोगों को बैंकिंग सुविधाएँ उनके घर तक पहुँचाकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बीसी सखी के रूप में किए गए ट्रांज़ैक्शन पर मिलने वाले कमीशन से उन्हें प्रतिमाह 10 से 11 हजार रुपये की आय होती है, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। श्रीमती तारा साहू का सफर यह दिखाता है कि प्रशिक्षण, लगन और निरंतरता से ग्रामीण महिलाएँ न सिर्फ स्वयं को, बल्कि पूरे समुदाय को आर्थिक रूप से सक्षम बना सकती हैं।
वित्त मंत्री ने सौ से अधिक बच्चों को 5-5 हजार रुपये स्वेच्छानुदान देने की घोषणा की
रायगढ़ में सुपर 30 के संस्थापक पद्मश्री आनंद कुमार ने युवाओं को दिया सफलता का मंत्र
रायपुर / शौर्यपथ / युवाओं के सुनियोजित करियर निर्माण और उज्ज्वल भविष्य के लक्ष्य को लेकर आज रायगढ़ के रामलीला मैदान में भव्य एवं प्रेरणादायी करियर मार्गदर्शन कार्यक्रम आयोजन किया गया। यह आयोजन प्रदेश के वित्त मंत्री एवं रायगढ़ विधायक श्री ओ.पी. चौधरी की विशेष पहल पर आयोजित हुआ, जिसमें सुपर 30 के संस्थापक और प्रख्यात गणितज्ञ पद्मश्री आनंद कुमार ने हजारों विद्यार्थियों को सफलता, संघर्ष, लक्ष्य और मेहनत का प्रेरक मंत्र दिया।
युवाओं करियर निर्माण के लिए योजनाबद्ध तरीके से आगे बढें
वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि करियर निर्माण में स्पष्ट लक्ष्य, सही मार्गदर्शन और कठोर परिश्रम तीन सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में कठिनाइयाँ अक्सर सफलता की ऊँची छलांग का आधार बनती हैं। उन्होंने युवाओं से करियर संबंधी पुस्तकें पढ़ने, परीक्षा संबंधी जानकारी रखने और योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ने की अपील की। उन्होंने घोषणा की कि जिले के सौ से अधिक मेधावी विद्यार्थियों को 5-5 हजार रुपये स्वेच्छानुदान दिया जाएगा, जिसका उपस्थित युवाओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया।
कठिन परिस्थितियों में आत्मविश्वास के साथ शिखर तक पहुंचे
पद्मश्री आनंद कुमार ने कहा कि उन्हें रायगढ़ आकर जितनी खुशी मिली है, उतनी ही प्रेरणा वे यहां के युवाओं से लेकर जा रहे हैं। उन्होंने युवाओं से ईमानदार मेहनत, आत्मविश्वास और धैर्य बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि युवा जब सपने देखेंगे, तभी उनके हौसले ऊंची उड़ान भरेंगे। आनंद कुमार ने अपने संघर्ष की कहानियों से छात्रों को परिचित कराते हुए बताया कि पिता के निधन के बाद उन्होंने पापड़ बेचना शुरू किया। आर्थिक तंगी के कारण कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय नहीं जा सके, लेकिन इसी संघर्ष ने उन्हें मजबूत बनाया और सुपर 30 की शुरुआत की। उन्होंने अभिषेक राज, शशि नारायण और निधि झा जैसे छात्रों की प्रेरक कहानियाँ साझा कीं, जो कठिन परिस्थितियों के बावजूद सफलता के शिखर तक पहुंचे।
संघर्ष जितना कठिन होगा, सफलता उतनी ही चमकेगी
श्री कुमार ने कहा कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले या सीमित संसाधनों वाले विद्यार्थी कभी खुद को कमजोर न समझें। संघर्ष करने वाले विद्यार्थियों का मुकाबला कोई नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कृ “जो भी काम करो, बेहतरीन करो। बहाने मत बनाओ, मेहनत में कमी मत आने दो। संघर्ष जितना कठिन होगा, सफलता उतनी ही चमकेगी।” उन्होंने बताया कि सुपर 30 के 17 बैचों के 510 छात्रों की सफलता के पीछे उनकी मेहनत, संघर्ष और आत्मविश्वास ही सबसे बड़ी ताकत रही है।
रायगढ़ में आयोजित इस विशाल युवा सम्मेलन में विद्यार्थियों ने मोबाइल फ्लैशलाइट जलाकर उत्साहपूर्वक स्वागत किया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग में चयनित, गोल्ड मेडलिस्ट, उत्कृष्ट छात्र-छात्राओं और आईआईटी में चयनित आर. बालाजी यादव सहित कई प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में महापौर जीवर्धन चौहान, सभापति डिग्रीलाल साहू, पूर्व विधायक, जनप्रतिनिधि, पार्षदगण और बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे। प्रशासनिक अधिकारियों में कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी, एसपी दिव्यांग पटेल, जिला पंचायत सीईओ अभिजीत पठारे सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
25 नवम्बर को पुसौर और सरिया में होगा भव्य आयोजन
युवा करियर मार्गदर्शन कार्यक्रम का दूसरा चरण 25 नवंबर की सुबह 8.30 बजे पुसौर के इंद्रप्रस्थ स्टेडियम में आयोजित होगा, जिसमें पुसौर और खरसिया क्षेत्र के 40 स्कूलों और 3 महाविद्यालयों के विद्यार्थी शामिल होंगे। इसी दिन शाम 3.30 बजे सरिया में भी विशाल करियर मार्गदर्शन सत्र आयोजित किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में विद्यार्थी सीधे पद्मश्री आनंद कुमार से संवाद कर सकेंगे और लक्ष्य निर्धारण, समय प्रबंधन, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी तथा आत्मविश्वास के विकास पर प्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे।
विशेष लेख
दुर्ग। शौर्यपथ।
आज के समय में प्रतिष्ठा, पद और प्रोटोकॉल अक्सर व्यक्ति को आम जनजीवन से दूर ले जाते हैं। लेकिन जब कोई व्यक्तित्व अपने उच्च पदों, सत्ता-संबंधों और सामाजिक प्रतिष्ठा से ऊपर उठकर सरलता, सादगी और मानवीयता को अपनाए — तो वह केवल सम्मान ही नहीं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत बन जाता है।
ऐसी ही एक प्रेरणादायी मुलाकात बीती रात दुर्ग सर्किट हाउस में हुई, जब ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन की टीम का सामना देश की एक अत्यंत विशिष्ट, परंतु उतनी ही विनम्र और सरल शख्सियत से हुआ —
डॉ. कमल रामकृष्ण गंवई,जिन्हें देश पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) की माता, तथा पूर्व राज्यपाल (बिहार और सिक्किम) आर. एस. गवई की धर्मपत्नी होने के नाते जानते हैं।उनका व्यक्तित्व पद से बड़ा है — और उनका व्यवहार हर पद से ऊँचा।
परिवार स्वयं न्यायपालिका का शिखर—फिर भी जमीन से जुड़े लोग
डॉ. कमल गंवई का परिवार देश की न्यायपालिका और प्रशासनिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है—
उनके पति आर. एस. गवई, भारत के बिहार व सिक्किम के राज्यपाल रह चुके हैं।
उनका बेटा भूषण रामकृष्ण गंवई, देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे।
उनकी बेटी बॉम्बे हाई कोर्ट में न्यायाधीश हैं।
इतने उच्च और प्रभावशाली पदों से जुड़े परिवार की माता का व्यवहार यदि एक साधारण गृहिणी की तरह सरल, सहज और सत्संगी हो — तो यह आज के समाज के लिए एक मूल्यवान सीख है।सर्किट हाउस में किसी प्रकार का प्रोटोकॉल, सुरक्षा या विशेष व्यवस्था न देखकर ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन की पूरी टीम भावुक हो उठी।वे एक सामान्य नागरिक की तरह बैठीं, सुना, समझा और मुस्कराकर हर बात का उत्तर दिया—यही उनकी महानता है।
ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन की टीम ने किया सम्मान
संगठन के विस्तार और जनसेवा से जुड़े कार्यों पर उनसे सार्थक चर्चा हुई । हल्की मुस्कान और सहज व्यवहार में उन्होंने टीम को दिशा-निर्देश भी दिए। संगठन ने उन्हें शाल और मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया,और सभी सदस्यों ने उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।इस अवसर पर उपस्थित थे—अध्यक्ष जितेंद्र हासवानी,उपाध्यक्ष जे. सूफी रूमी,महासचिवडी. मोहन राव,सचिव मनोज राय,जावेद भाई, पीयूष वासनिक और संदीप बामबूढ़े।
समाज को बड़ा संदेश: पद बड़ा नहीं, व्यक्तित्व बड़ा होता है
आज जब छोटे-से पद पर आसीन लोग भी भारी-भरकम प्रोटोकॉल, विशेष सुरक्षा और लाइमलाइट की चाह में रहते हैं । वहीं न्यायपालिका के सर्वोच्च पद से जुड़े परिवार की माता का इतना सहज, सादगीपूर्ण और निर्व्याज व्यवहार समाज को यह याद दिलाता है कि—
“अहंकार पद से आता है, परंतु सम्मान व्यवहार से।”
“असर ओहदों का नहीं होता, व्यक्तित्व का होता है।”
एक ऐसी माता, जिसने राष्ट्र को उच्चतम स्तर की न्यायिक सेवा देने वाले पुत्र का संस्कार दिया —उनकी विनम्रता ही बताती है कि महानता कैसी दिखती है।
दुर्ग सर्किट हाउस में डॉ. कमल रामकृष्ण गंवई से हुई यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात नहीं थी बल्कि सरलता, सादगी और मानवता की जीवंत पाठशाला थी।
उनके शांत व्यक्तित्व और विनम्र व्यवहार ने यह सिद्ध किया कि—"प्रोटोकॉल से नहीं, व्यवहार से मन जीते जाते हैं।”ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन की टीम के लिए यह निस्संदेह एक अविस्मरणीय क्षण रहा —और समाज के लिए एक प्रेरक संदेश।
चार दशक से बदलती राजनीति नहीं, बल्कि स्थिरता की कड़वी सच्चाई — कार्यकर्ताओं का समर्पण सलाम-योग्य, पर पार्टी में उनके लिए उन्नति का रास्ता कहीं खो गया।
दुर्ग / शौर्यपथ / जिस शहर ने कभी कांग्रेस को स्थानीय कांग्रेसियों के दम पर नई राह दिखाई थी, वही शहर आज 40 साल से उसी राजनीतिक ठहराव की गूँज सुनाता है। जहां एक ओर नित नए चेहरे, परंपरागत परिवारों के साये और पार्टी के भीतर सीमित अवसरों की वजह से तमाम कामकाजी कांग्रेसी वही पुराने ओहदे-संरचना में जमे हुए हैं — और जनता अब मुखर होकर पूछने लगी है: क्या दुर्ग कांग्रेस का भविष्य हमेशा केवल कार्यकर्ता स्तर तक ही सीमित रहेगा?
चार दशक की कहानी को समझने के लिए हमें जमीनी हकीकत देखनी होगी। 40 साल पहले अरुण वोरा ने दुर्ग शहर से विधायक के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया — और आज वही नाम, वही शख्स संगठन में जिलाध्यक्ष जैसी जगहों के लिए फिर से उभर रहा है। यही संकेत देता है कि संगठन में नेताओं का चक्र लगभग लगातार वही पुरानी राह पकड़ता आया है। जबकि पार्षद, ब्लॉक अध्यक्ष, और बुनियादी स्तर के कार्यकर्ता दशकों से अपनी भूमिकाएँ बखूबी निभा रहे हैं, पर उनमें से बहुत से लोग संगठन के उच्च ओहदों तक नहीं पहुँच पाए — क्योंकि जो नियंत्रण और निर्णय शक्ति है, वह अक्सर कुछ सीमित हाथों में ही केंद्रित रहती है।
यह कोई सनक या अतिशयोक्ति नहीं कि पिछले 40 सालों में दुर्ग कांग्रेस का संगठन एक स्थिर जल की तरह रहा — ऊपर से हल्की हलचल दिखती रही पर भीतर कोई गहरा परिवर्तन नहीं हुआ। पार्षद वही रहे, कार्यकर्ता वही रहे, और कुछ अपवादों को छोड़ कर कोई नेता विधायक या उससे ऊपर के पायदान तक नहीं पहुंच पाया। ब्लॉक स्तर पर समय-समय पर थोड़े बहुत बदलाव दिखाई देते हैं, पर अधिकतर बार वे भी “रिमोट कंट्रोल” जैसा ठहराव लिए हुए होते हैं — परिवर्तन का नहीं, केवल पदों का नामांतरण लगता है।
इसी ठहराव का परिणाम ये होता है कि चुनाव की मोहब्बत और संगठन के प्रति निष्ठा रखने वाले हजारों कांग्रेसी जिनका जज़्बा और समर्पण असली है, वे भी बार-बार वही भूमिका निभाते रहे — झंडा उठाना, रैलियों में हिस्सा लेना, विरोध-आंदोलन की अगुवाई करना — पर सत्ता के ठीक फायदे, शक्तियों और निर्णायक भूमिकाओं का लाभ चंद लोगों तक ही सिमटा रहता है। जनता भी अब इस असंतुलन को देख रही है और सवाल उठा रही है कि क्या परिवारवाद और पुराने किले ही संगठन के भविष्य का निर्धारण करेंगे?
अरुण वोरा का फिर से जिला अध्यक्ष पद के लिए आवेदन चर्चा की आग में घी डालने जैसा हुआ — न केवल इसलिए कि एक पुराना नाम वापस आया है, बल्कि इसलिए कि यह पुरानी परंपरा का प्रतीक बन चुका है: वही नेता, वही पथ। यही वजह है कि कार्यकर्ता समुदाय में बेचैनी और असंतोष बढ़ रहा है — वे पूछते हैं: क्या पूरी जिंदगी सिर्फ कार्यकर्ता बने रहने के लिए ही है? क्या किसी को संगठन के अंदर आगे बढ़ना है तो उसे किस ‘एनिवर्सरी पास’ या ‘परिवार के नाम’ की मोहर चाहिए?
दुर्ग की सियासत में यह ठहराव केवल कांग्रेस तक सीमित नहीं है; परन्तु विशेष रूप से दुर्ग कांग्रेस के लिए यह चिंताजनक है क्योंकि एक मजबूत स्थानीय पार्टी का मतलब ही होता है—तन-मन से जुड़े कार्यकर्ता जिनमें नेतृत्व कौशल विकसित होने पर वे पार्टी को नए ऊँचाई पर ले जा सकें। पर जब नेतृत्व और निर्णय सीमित तब प्रतिभा दबकर रह जाती है, नए विचारों का मार्ग बंद होता है और युवा/नवोदित कार्यकर्ता निराश होते हैं।
क्या है विकल्प?
यहाँ कुछ आवश्यक कदम हैं जिन्हें लागू कर के दुर्ग कांग्रेस अपने संगठनात्मक स्वास्थ्य और जनता के भरोसे को फिर से हासिल कर सकती है — (निम्न सुझाव जरूरी हैं पर उपयुक्त नीति-रूप देने का काम संगठन पर निर्भर करेगा):
पदोन्नति व संसाधन आवंटन में पारदर्शिता: स्थानीय स्तर पर सक्रिय कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन व सेवा को मापकर उन्हें आगे बढ़ाने का स्पष्ट मार्ग बनाना।
युवा और नए चेहरों के लिए आरक्षण/प्रोत्साहन: ताकि पार्टी में नयापन आए और परिवारवाद के आरोप कम हों।
समय-सीमित नेतृत्व और रोटेशन पॉलिसी: लंबे समय तक एक ही नामों का प्रभुत्व खत्म करके नए नेतृत्व को मौका।
कार्यकर्ता-केन्द्रित प्रशिक्षण और राजनीतिक विकास कार्यक्रम: ताकि पार्षद, ब्लॉक अध्यक्ष व अन्य कार्यकर्ता नेतृत्व की योग्यता विकसित कर सकें।
स्थानीय जनभागीदारी और संवाद: जनता व कार्यकर्ताओं की आशाओं को सुनने और नीति में शामिल करने का सशक्त मंच।
दुर्ग कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का हौसला और समर्पण काबिले-तारीफ है — वे 40 साल से जिन जिम्मेदारियों के साथ पार्टी के प्रति वफादार रहे, वे शहर की राजनीतिक संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। पर सवाल यह है कि क्या पार्टी उन पर भी भरोसा कर सकेगी कि वे संगठन का भविष्य हों? या फिर वही पुराना सिलसिला चलता रहेगा — कुछ नाम ऊपर, बाकियों के लिए वही कार्यकर्ता जीवन? जनता और पार्टी के अंदर के लोग दोनों अब जवाब की मांग कर रहे हैं। यदि दुर्ग कांग्रेस सचमुच रचनात्मक बदलाव चाहती है तो उसे इन वर्षों की असंतुलता को पहचान कर उसकी जड़ में जाकर परिवर्तन लागू करना होगा—वरना 40 साल का यह ठहराव और भी लंबा चल सकता है।
पुल-कोट: “यदि केवल कुछ ही नेता सत्ता के लाभ उठा सकें और बाकी जीवनभर ‘कार्यकर्ता’ बने रहें — तो लोकतंत्र की जड़ें कमजोर पड़ती हैं; दुर्ग को अब जमीनी बदलाव चाहिए, न कि केवल नामों का फेर।”
“दुर्ग में विपक्ष गायब! नेता प्रतिपक्ष को बस शासकीय सुविधा चाहिए, जनता की आवाज़ नहीं”
“इतना शांत विपक्ष कभी नहीं देखा—संजय कोहले की चुप्पी ने कांग्रेस संगठन की पोल खोल दी”
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर निगम में विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस आजकल एक सवाल से घिरी हुई है—क्या उनका नेता प्रतिपक्ष जनता की आवाज़ उठाने के लिए चुना गया था या सिर्फ शासकीय कक्ष पाने के लिए?
शहर में आज यही चर्चा है कि बीते छह महीने में विपक्ष के नेता संजय कोहले की आवाज़ सिर्फ एक ही मुद्दे पर सुनाई दी—अपने लिए कक्ष का आवंटन।
जहाँ दुर्ग में बदबूदार मोहल्लों की समस्या,मुख्य मार्गों पर जानवरों की फौज,गड्ढों से पटी सड़कें,अंधेरी गलियाँ,शनिवार बाजार का अवैध संचालन,नलघर हादसा,और अतिक्रमण पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाइयाँ
लगातार जनता को परेशान कर रही थीं वहीं दूसरी ओर विपक्ष के नेता को इन मुद्दों पर न किसी आंदोलन की ज़रूरत महसूस हुई, न किसी सशक्त विरोध की।
कक्ष मिला… और विपक्ष मौन
संजय कोहले ने छह महीनों तक आयुक्त कार्यालय के नीचे जमीन पर बैठकर अपना “कार्यालय” बनाकर विरोध जताया। पर जैसे ही निगम ने कक्ष का आवंटन कर दिया—विरोध भी समाप्त, आवाज़ भी समाप्त, और विपक्ष भी समाप्त।इस खामोशी ने विपक्ष की विश्वसनीयता पर जोरदार सवाल खड़े कर दिए हैं।
जनता तंज कसते हुए कह रही है—
“कोहले जी की आवाज़ जनता के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ कक्ष के लिए निकलती है!”
इतिहास में इतना कमजोर विपक्ष कभी नहीं दिखा
दुर्ग के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इतना निष्क्रिय विपक्ष शहर ने दशक भर में पहली बार देखा है।जबकि पिछली परिषद में, तब कम संख्या बल के बावजूद BJP नेता प्रतिपक्ष अजय वर्मा
लगातार—आंदोलन,धरना,तीखे विरोध,और हर नीति-विरुद्ध निर्णय पर सख्त बयान देकर जनता की आवाज़ बनते थे। मगर वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष संजय कोहले के कामों का मूल्यांकन जनता यूँ कर रही है—
“10% भी विपक्ष की भूमिका निभा लेते तो बड़ी बात होती।”
क्या परदे के पीछे कोई ‘सेटिंग’?
शहर में यह सवाल अब खुलेआम उठ रहा है कि “क्या शहरी सरकार और विपक्ष के बीच कोई बड़ी सेटिंग है, जिसके कारण कोहले हर मामले में मौन हैं?”कई कांग्रेसी पार्षद भी निजी बातचीत में इस बात पर हैरानी जताते हैं कि इतने बड़े मुद्दों पर संजय कोहले की चुप्पी ने संगठन की छवि को गंभीर नुकसान पहुँचाया है।
पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल की छवि पर भी सवाल
नेता प्रतिपक्ष के चयन में जो महत्वपूर्ण भूमिका पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल की थी,उस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि—“क्या ऐसे निर्जीव नेतृत्व को विपक्ष की बागडोर देना सही निर्णय था?”
कांग्रेस की स्थिति—अस्तित्व संकट?
शहर की राजनीतिक हवा कह रही है कि अगर विपक्ष की यही स्थिति रही तो आने वाले वर्षों में दुर्ग में कांग्रेस का रहा-सहा अस्तित्व भी गायब हो सकता है।आज की स्थिति यह है कि नेता प्रतिपक्ष संजय कोहले अपनी भूमिका का निर्वहन बस कुछ ज्ञापन देकर और कागजी बयान जारी कर कर रहे हैं—
और शहर की जनता पूछ रही है—
“क्या यही है दुर्ग का विपक्ष? या फिर यह विपक्ष सिर्फ सुविधा पाने वाली संस्था बन चुका है?”
“दुनिया से मिलने का समय — जनता से नहीं।”
दुर्ग / शौर्यपथ / जनता के समस्या-समाधान के लिए बने लगभग हर सरकारी द्वार पर आज आम नागरिकों को इंतज़ार, धक्का-मुक्की और निराशा ही हाथ लग रही है। दुर्ग निगम क्षेत्र के दो सबसे बड़े जिम्मेदार — महापौर श्रीमती अलका बाघमार और आयुक्त सुमित अग्रवाल — बड़े-बड़े कार्यक्रमों, संगठनों और आयुक्त मीटिंगों में व्यस्त दिखते हैं; वहीं जो लोग जीवन-यापन, सड़क-नालियों, स्वच्छता, कब्जा, पेंशन या राहत के लिए इन अधिकारियों से मिलने आते हैं, उन्हें महापुरुषों के कक्षों के सामने बस एक ही चीज़ देखने को मिलती है — इंतज़ार।
नागरिकों के मुताबिक़ निगम कक्ष और महापौर कार्यालय के बाहर घंटों पापड़ बेलने के बावजूद भी मिलने का समय नहीं मिलता। शिकायतकर्ता, बुजुर्ग, माँ-बच्चे और छोटे व्यापारी—सब अपने मसलों के साथ प्रशासनिक दरवाज़ों पर भटकते हुए नजर आते हैं।
क्या है समस्या — सीधे शब्दों में
किसी तय ‘जनसुबिधा-समय’ (public hour) का अभाव: आयुक्त व महापौर द्वारा आम जनता से मिलने के लिए कोई सार्वजनिक, नियमित समय निर्धारित नहीं है।
पहुँच आसान, पर मिलने का रास्ता मुश्किल: कुछ खास लोगों और पदाधिकारियों से मुलाकात सहजता से हो जाती है; सामान्य नागरिकों के लिए वही विभाग अक्सर ‘सुलभ’ नहीं बन पाते।
शिकायतों का फ़ॉलो-अप गायब: शिकायत दर्ज कराने के बाद भी आवेदक को आगे की जानकारी या समाधान नहीं मिलता; बार-बार निगम चक्कर काटने की नौबत आती है।
आचरण में पक्षपात के आरोप: शिकायतकर्ता कहते हैं कि मामलों में पक्षपात या अनियमित प्राथमिकता दिए जाने की छवि बन रही है — और यही प्रशासनिक भरोसे को चोट पहुंचा रहा है।
धरातल पर असर — जनता की तकलीफें
जो लोग सीधे मिलकर समस्याएँ बताना चाहते हैं, जैसे कि सड़क की दिक्कत, अवैध कब्जा, पेंशन का मुद्दा या सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी शिकायत — उन्हें कई बार लंबा इंतज़ार, अनदेखा किया जाना या प्राथमिकता न मिलना पड़ता है। इससे छोटे-व्यापारी, बुज़ुर्ग और कमजोर तबके के लोग सबसे अधिक प्रभावित हैं। शहरी शासन पर विश्वास कम होना शुरू हो गया है — यही सबसे बड़ा प्रश्न है।
प्रशासनिक जवाबदेही — क्या चाहिए?
नागरिकों की लगातार बढ़ती नाराज़गी को देखते हुए कुछ त्वरित और व्यावहारिक सुझावः
1. साप्ताहिक ‘जनसुनवाई-घंटे’ तय करें — उसी समय पर हर सप्ताह महापौर/आयुक्त आम नागरिक मिलें।
2. ऑनलाइन अपॉइंटमेंट व ट्रैकिंग — शिकायत-रिकॉर्ड और फॉलो-अप के लिए डिजिटल सिस्टम (टोकन/अपॉइंटमेंट) सार्वजनिक करें।
3. नोडल अधिकारी व शिकायत समाधान टीम — हर वार्ड के लिए जिम्मेदार अधिकारी/नोडल प्वाइंट घोषित हों।
4. पारदर्शिता रिपोर्ट — हर महीने सार्वजनिक करें कि कितनी शिकायतें मिली, कितनी निस्तारित हुईं और किनसे निपटा गया।
5. खुले दरवाज़े की नीति — ‘विशेष मुलाक़ात’ और ‘सार्वजनिक मुलाक़ात’ में स्पष्ट अंतर रखें; विशेष मुलाक़ात के निर्णय का रेकॉर्ड भी सार्वजनिक हो।
“जब समय है बाहर कार्यक्रमों के लिए, पर जनता के लिए नहीं”
नागरिकों का तर्क है कि महापौर और आयुक्त सार्वजनिक-कार्यक्रमों, बैठकों और निजी मुलाकातों में समय दे देते हैं पर वही समय सीधे मिलने के लिए जनता को नहीं मिल पाता। सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग अक्सर ‘सुलभता’ के वादे करते हैं — पर जमीन पर वह वादा खोखला दिखता है। यह कटाक्ष केवल नाराज़गी नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है कि अगर प्रशासन ने समयबद्धता और सार्वजनिक पहुँच सुनिश्चित नहीं की, तो जनता का भरोसा और घटेगा — और यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।
दुर्ग के नागरिक आज भी उम्मीद करते हैं कि उनके चुने हुए जनप्रतिनिधि और सौंपे गए प्रशासक कम से कम मिलने का समय दें। महापौर अलका बाघमार और आयुक्त सुमित अग्रवाल के पास बड़े-बड़े एजेंडे और कार्यक्रम हों, यह स्वीकार्य है — पर जनता की आवाज़ सुनना और समस्याओं का समय पर निस्तारण करना ही सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। प्रशासनिक व्यस्तता को जनता की पहुँच से ऊपर नहीं रखा जा सकता — वरना ‘सुलभ सरकार’ का नार बनकर रह जाएगा।
दुर्ग / शौर्यपथ / सोमवार 25 नवंबर को दुर्ग जिले में तकनीकी विकास, प्रशासनिक निर्णय, सुरक्षा व्यवस्था, आगजनी, राजनीतिक गर्माहट और कानून-व्यवस्था से जुड़े कई अहम घटनाक्रम सामने आए। जिले में पूरे दिन एक के बाद एक घटनाएं चर्चाओं में रहीं। प्रस्तुत है दिनभर की प्रमुख गतिविधियों का संपूर्ण विशेष समाचार—
दुर्ग में आईटी पार्क की शुरुआत — युवाओं के लिए बड़े अवसरों का दौर शुरू
दुर्ग शहर के लिए गर्व की बात है कि तकनीकी नवाचार का नया अध्याय शुरू हो चुका है। जिले में प्रस्तावित आईटी पार्क में एआई आधारित परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। यह पार्क डिजिटल प्रगति को गति देगा और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार, प्रशिक्षण और स्टार्टअप के नए अवसर खोलेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि आईटी पार्क दुर्ग को मध्य भारत के प्रमुख तकनीकी केंद्रों में शामिल कर सकता है।
धान खरीदी शुरू—150 में से 70 मिलर इस बार अपात्र, शासन के सामने नई चुनौती
सहकारी समितियों की हड़ताल के बीच शासन ने तय समय पर धान खरीदी शुरू की, परन्तु दुर्ग में एक बड़ा बदलाव देखा गया।
पिछले वर्ष 150 राइस मिलर धन उठाव के लिए पात्र थे, जबकि इस वर्ष केवल 80 मिलर्स को पात्रता मिली है।
70 मिलर्स अपात्र पाए गए— इसका प्रमुख कारण यह है कि उन्होंने पिछले वर्ष का चावल एफसीआई में जमा नहीं किया।
यह स्थिति अब शासन के लिए नई चुनौती बनकर सामने आई है।
अवैध कब्जे को हटाने पहुंची निगम टीम पर विवाद, मामला थाने पहुंचा
भिलाई निगम की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान जोन-1 नेहरू नगर में महिला और निगम टीम के बीच विवाद हो गया।
महिला का आरोप — बिना नोटिस कार्रवाई।
निगम का आरोप — आबंटित भूमि से अधिक हिस्से पर अवैध निर्माण।
दोनों पक्षों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई, फिलहाल एफआईआर नहीं, जांच जारी है।
फोम फैक्ट्री में भीषण आग—6 दमकलों की मदद से नियंत्रण
कुम्हारी के मुरमुंडा क्षेत्र स्थित फोम मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में अचानक भीषण आग लग गई।
आग की लपटों से क्षेत्र के लोग घबरा गए और भारी भीड़ जमा हो गई।
6 दमकलें पहुंचीं और आग पर काबू पाया गया।
प्लांट के अंदर रखा सारा सामान जलकर खाक हो गया।
फैक्ट्री मालिक व कर्मचारी मौके पर पहुंचकर नुकसान का जायजा लेते रहे।
महिला पार्षद और बेटी पर मारपीट का आरोप — वीडियो वायरल
भिलाई चरौदा में वार्ड की महिला पार्षद माया यादव और उनकी बेटी पर निवासी संध्या सिंह के साथ डंडों से मारपीट का आरोप लगा है।
पुराने विवाद के चलते यह घटना होने का दावा।
दोनों पक्षों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल, पुलिस जांच में जुटी।
तांत्रिक आरोपी थाने से फरार — तीन पुलिसकर्मी लाइन अटैच
जामुल पुलिस द्वारा पकड़े गए तांत्रिक आरोपी हेमंत अग्रवाल के भिलाई-3 थाने से फरार होने पर एसएसपी ने बड़ी कार्रवाई की है।
रोजनामचा में दर्ज नहीं, थाने के बाहर बैठा छोड़ दिया गया— ऐसी गंभीर लापरवाही सामने आई।
तीन पुलिसकर्मी—
प्रधान आरक्षक दिनेश कुमार,आरक्षक रत्नेश शुक्ला,आरक्षक चेतराम को लाइन अटैच कर दिया गया।
गाइडलाइन शुल्क बढ़ोतरी के विरोध में हंगामा — भाजपा अध्यक्ष का वाहन रोका गया
कलेक्ट्रेट के सामने जमीन व्यवसायियों का पंजीयन शुल्क बढ़ोतरी के विरोध में चल रहा प्रदर्शन सोमवार को अचानक गरमा गया।
इसी दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव के वाहन को प्रदर्शनकारियों ने रोकने की कोशिश की।
भाजपा कार्यकर्ताओं और व्यापारियों में धक्का-मुक्की हुई।
पुलिस की सक्रियता से स्थिति संभली।
यह घटना पूरे दिन जिले और सोशल मीडिया पर चर्चा में रही।
संस्थानों में आवारा कुत्तों से सुरक्षा कड़ी — सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर निगम सक्रिय
सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में दुर्ग निगम ने विभिन्न संस्थानों में आवारा कुत्तों से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए हैं।
नागरिकों, बच्चों और मरीजों की सुरक्षा के उद्देश्य से यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
निगम ने आम जनता से स्वच्छता एवं जनहित में सहयोग की अपील की है।
वार्ड 15 सिकोला बस्ती के सामाजिक भवन का शिक्षा मंत्री ने निरीक्षण किया
दुर्ग नगर निगम के वार्ड 15 में निर्माणाधीन सामाजिक भवन का स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव ने निरीक्षण किया।
उन्होंने निर्माण की गुणवत्ता, प्रगति और उपयोगिता की समीक्षा की तथा अधिकारियों को समय पर गुणवत्तापूर्ण निर्माण करने के निर्देश दिए।
यह भवन क्षेत्र के लिए सांस्कृतिक, सामाजिक तथा सार्वजनिक गतिविधियों का केंद्र बनेगा।
धान खरीदी में तकनीकी सुधार से किसान खुश — तेज प्रक्रिया, बेहतर सुविधा
राज्य में धान खरीदी के पहले ही दिन किसानों ने इस बार तेज प्रक्रिया और बेहतर सुविधा का अनुभव बताया।
ग्राम जजगीर के किसान गौकरण साहू ने 139 क्विंटल धान बेचकर बताया कि—
तुंहर टोकन तुंहर ऐप से घर में बैठकर टोकन मिल गया
केंद्रों में बिजली, संचार और भंडारण की व्यवस्था बेहतर
किसान लगातार शासन की नई तकनीकी व्यवस्थाओं से संतुष्टि जाहिर कर रहे हैं।
समापन
सोमवार को दुर्ग जिले में तकनीकी विकास, राजनीतिक टकराव, कानून-व्यवस्था, सामाजिक सुरक्षा और कृषि प्रबंधन से जुड़े बड़े और महत्वपूर्ण घटनाक्रमों ने पूरे जिले को चर्चा में बनाए रखा।
दुर्ग के आईटी पार्क की घोषणा जहां भविष्य की उम्मीद जगाती है, वहीं पुलिस लापरवाही, आगजनी और राजनीतिक हंगामे ने कई गंभीर सवाल भी खड़े किए।
पोषण तत्वों के साथ ही रोजगार के अवसरों की दी जानकारी
रायपुर / शौर्यपथ / एनआईएफ़टीईएम के छात्रों ने मोटे अनाज में पाए जाने वाले फ़ाइबर, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट्स के महत्व के साथ ही इनके नियमित उपयोग से होने वाले स्वास्थ्य लाभों पर विस्तार से जानकारी दी। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागी महिलाओं को मोटे अनाज आधारित उत्पादों से होने वाली आमदनी और बाज़ार संभावनाओं के बारे में भी बताया गया।
प्रशिक्षण में स्व-सहायता समूह की 25 महिलाओं की रही सहभागिता
हरियाणा के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फ़ूड टेक्नोलॉजी, एंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट द्वारा महुआ पर स्थापित सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस में विगत दिवस मोटे अनाज के पोषण तत्वों और इनके उपयोग से बेकरी उत्पाद बनाने संबंधी हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग आयोजित की गई। इस प्रशिक्षण में स्व सहायता समूह की 25 महिलाओं ने सहभागिता की।
मोटे अनाज का उपयोग बढ़ाकर पोषण स्तर में करना है वृद्धि
कार्यक्रम का उद्देश्य नान खटाई, न्यूट्रीबार, कुकीज़ जैसे बेकरी आइटम्स में मोटे अनाज का उपयोग बढ़ाकर इनके पोषण स्तर में वृद्धि करना और ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर तैयार करना है। यह प्रशिक्षण जिला प्रशासन के सहयोग से संचालित किया जा रहा है।
स्थानीय समुदायों को खाद्य प्रसंस्करण आधारित उद्यमिता से है जोड़ना
जशपुर में एनआईएफ़टीईएम टीम वैल्यू-एडेड फ़ूड प्रोडक्ट्स के उत्पादन के साथ-साथ पैकेजिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए तकनीकी सहायता प्रदान कर रही है। यह पूरी पहल स्थानीय समुदायों को खाद्य प्रसंस्करण आधारित उद्यमिता से जोड़ने के उद्देश्य से चलाए जा रहे ग्राम अंगीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत की जा रही है। इस कार्यक्रम का नेतृत्व प्रो. प्रसन्ना कुमार जी.वी. और अभिमन्यु गौर कर रहे हैं, जबकि यह कार्यक्रम एनआईएफ़टीईएम के डायरेक्टर डॉ. हरिंदर सिंह ओबेरॉय के निर्देशन में संचालित हो रहा है। कार्यक्रम के संचालन और विभिन्न गतिविधियों के समन्वय में मिशन मैनेजर श्री विजय शरण प्रसाद और जय जंगल एफपीसी जशपुर के डायरेक्टर समर्थ जैन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
Feb 09, 2021 Rate: 4.00
