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*- नाबार्ड के अधिकारियों के साथ जिला प्रशासन की बैठक में बनाई गई रणनीति* *- एफपीओ के प्रमोशन के लिए क्रेडिट गारंटी मिलेगी, इसके माध्यम से एफपीओ खर्च कर पाएगा, इसका उद्देश्य सीमांत और छोटे किसानों को सामूहिकता की ताकत देना ताकि आधुनिक तकनीक और बड़े बाजार तक अपनी पकड़ बना सकें*
दुर्ग । शौर्यपथ । देश भर में सीमांत और छोटे किसानों को जोड़कर एफपीओ बनाने के लिए प्रेरित करने की दिशा में पहल की जा रही है। दुर्ग जिले में इस संबंध में कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे की अध्यक्षता में जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ नाबार्ड के अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में किसानों की कंपनी की संभावनाओं के संबंध में विस्तृत चर्चा की गई। कलेक्टर डाॅ. भुरे ने कहा कि हार्टिकल्चर और मत्स्यपालन में जिले में बड़ी संभावनाएं हैं। उद्यानिकी में केला, पपीता और ड्रैगन फ्रूट जैसी फसल किसान बड़ी मात्रा में लेते हैं। अगर किसानों को एफपीओ के माध्यम से संगठित किया जाए तो उन्हें एफपीओ को मिलने वाली सरकारी मदद मिल सकती है ताकि वे अपनी खेती को भी बेहतर तरीके से कर सकें और अपने उत्पादों के लिए भी बेहतर बाजार तय कर सकें। बैठक में नाबार्ड के प्रबंधक श्री बारा ने विस्तार से इस संबंध में जानकारी दी। बैठक में जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक, डीडीए श्री अश्विनी बंजारा, डीडी वेटरनरी श्री एमके चावला सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। *हार्टिकल्चर और मत्स्यपालन पर दें विशेष ध्यान-* कलेक्टर ने कहा कि हार्टिकल्चर से जुड़े किसान यदि कंपनी के माध्यम से जुड़ जाते हैं तो उनके लिए काफी अच्छी संभावनाएं बनेंगी। इस तरह के उत्पाद के एक जगह मिल जाने से इनकी प्रोसेसिंग से जुड़ी कंपनियां बल्क में खरीदी कर सकेंगी। चूंकि सरकार द्वारा एफपीओ को स्थापित करने में बड़ा सहयोग दिया जाएगा अतः किसानों के लिए भी यह अच्छा अवसर रहेगा। इस दिशा में काम करें। उन्होंने कहा कि मत्स्यपालन में जिले में बड़ी संभावनाएं हैं जहां कहीं भी वाटर बाडी है वहां इस तरह का काम होना चाहिए। साथ ही एफपीओ में जोड़ने की कोशिश होनी चाहिए। *क्या फायदा होगा एफपीओ से-* कोई सीमांत किसान यदि खेती करता है तो कुछ सीमाएं हैं जिसकी वजह से उसे पूरा लाभ नहीं मिल पाता। इसके लिए उसे कल्टीवेटर चाहिए, कंबाइन हार्वेस्टर चाहिए, टिलर चाहिए। उद्यानिकी फसलों के लिए उसे स्प्रिंकलर सेट की जरूरत पड़ेगी। अकेले इसका खर्च वहन करना कठिन होता है। अब मान लीजिए कि वो किसी फार्मर प्रोड्यूसिंग कंपनी का हिस्सा बन जाता है तो यह कंपनी उसे तकनीकी साधन मुहैया कराएगी। चूंकि इसके लिए शासन द्वारा कंपनी को क्रेडिट गारंटी मिलती है अतएव कंपनी स्वयं अपने खर्च से यह तकनीकी साधन क्रय कर सकती है। दूसरा बड़ा सहयोग किसान को यह मिलेगा कि कंपनी उसके लाजिस्टिक का कुछ खर्च भी वहन कर सकती है क्योंकि कंपनी द्वारा बहुत से किसानों के उत्पाद को बल्क मात्रा में मार्केट में पहुंचाया जा रहा है। तीसरा बड़ा सहयोग बाजार को लेकर मिल पाएगा। कंपनी बाजार का चिन्हांकन करेगी तथा अधिक मात्रा में सप्लाई होने की वजह से किसान को अच्छा रेट भी मिल पाएगा जो चिल्हर की वजह से नहीं मिल पाता है।
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग निगम क्षेत्र में इन दिनों कई वार्ड ऐसे है जहा पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है और सत्ता पक्ष पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर आरोप लगा रही है वही विपक्ष द्वारा सत्ता पक्ष कांग्रेस पर अनुभवहीनता का आरोप लगा कर मामले को राजनीती रंग देने की कोशिश कर रही है . जबकि इन सबके बीच में जिम्मेदार अधिकारी मौज में है , अमृत मिशन के अधिकारी मौन है और हो भी क्यों ना क्योकि असली जिम्मेदार अधिकारी सत्ता और विपक्ष की राजनीती में अपनी नाकामी छुपाने में सफल हो रहे है .
किसी भी जनप्रतिनिधि का कार्य ये नहीं होता कि विभाग के संसाधनों को दुरुस्त करे आपत्ति पर आपातकाल व्यवस्था करे , शहर की व्यवस्थाओ का जमीनी स्तर पर निरिक्षण करे . जनप्रतिनिधि जब आम जनता को कोई परेशानी होती है तो उस बात को संज्ञान में लेकर विभागीय अधिकारियो को अवगत कराये और व्यवस्था को सुचारू रूप से निर्वहन करने के लिए निर्देश दे किन्तु दुर्ग निगम के जल विभाग के अधिकारी हो या अमृत मिशन के अधिकारी जिनकी लापरवाही का नतीजा अज पुरे दुर्ग की जनता भुगत रही है और जनप्रतिनिधि एक दुसरे पर आरोप लगा रहे है जबकि इस अव्यवस्था की सारी जिम्मेदारी विभागीय अधिकारियो के ऊपर है किन्तु राजनितिक वर पलटवार का पूरा मजा अधिकारियो द्वारा उठाया जा रहा है और अव्यवस्था के असली जिम्मेदार विभागीय अधिकारी इस राजनीतिक समीकरण का पूरा लाभ उठाकर अपनी नाकामी छुपाने में सफल भी हो रहे है .
वैसे निगम के हर कार्य में वर्तमान में शहर के विधायक की मंशा और अनुशंषा ही कार्य कर रही है किन्तु जिस तरह वर्तमान में शहर के विधायक द्वारा कई बार निगम की कार्य पद्दति पर सवाल भी खड़े किये किन्तु इसे जनप्रतिनिधि के निर्देशों की अवहेलना कहे या अधिकारियो द्वारा वर्तमान के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों के निर्देश को हलके में लेने की प्रक्रिया क्योकि जिस तरह सत्ता में रहने के बाद भी जनप्रतिनिधि अपनी ही सरकार पर आरोप लगा रहे है कार्य में लापरवाही की उससे यही प्रतीत होता है कि निगम के अधिकारियों को न तो शहर की आम जनता की सुविधाओ का ख्याल है और ना ही किसी प्रशासनिक दबाव से फर्क पड़ रहा है .
भिलाई नगर / शौर्यपथ / वार्ड-28 छावनी स्थित दर्री तालाब की रौनक फिर लौटेगी। इस दिशा में नगर पालिक निगम प्रशासन कार्य कर रही है और दर्री तालाब में साफ पानी भरने और उनके किनारे को हरियाली को बढ़ाने के लिए चारो तरफ रिटेनिंग वाॅल का निर्माण कराया जा रहा है। इन कार्यों के पूरा होते ही क्षेत्र के रहवासियों को निस्तारी के लिए पहले की तरह तालाब में साफ पानी मिलेगा। तालाब में पाथवे और रिटेनिंग वाॅल पर बनाई जाने वाली बस्तर कलाकृतियां लोगों के लिए मनोरंजन का केन्द्र साबित होगी।
40 लाख की लागत निर्माणाधीन हैं कार्य
महापौर व भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव के निर्देशानुसार निगम प्रशासन ने दर्री तालाब के सौंदर्यीकरण के साथ महिलाओं की सुविधाओं का विशेष ख्याल रखा गया है। अधोसंरचना मद से प्रस्तावित 40 लाख रूपए की लागत से निर्माणाधीन विकास कार्य में महिलाओं के लिए निर्मला घाट और चेंजिंग रूम बनाया जाएगा। तालाब में मवेशियों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए चारो तरफ कांक्रीट से बाउंडीवाल बनाई गई है। हरियाली को बढ़ावा देने के लिए किनारे से लोहे की रेलिंग से ट्रू वाॅल बनाया जा रहा है। जहां पर फूल पौधे के साथ फलदार और पत्तीदार पौधे रोपे जाएंगे। कारपेट ग्रास लगाया जाएगा। तटबंध (पार) पर पेवर ब्लाॅक लगाने के साथ चैनलिंग फेसिंग किया गया है। प्रकाश व्यवस्था के लिए चारो तरफ ट्यूबलर पोल लगाई गई हैै।
ऐसे रखा जाएगा पानी को स्वच्छ तालाब का पानी स्वच्छ रहे इसके लिए निगम प्रशासन ने तालाब के बाजू में अलग से एक पैठू (छोटा तालाब) बनाई है। जहां पशुपालक अपने मवेशियों को नहला सकेंगे। वहीं तालाब में बारिश के पानी को भरने के लिए इन लेट और तालाब का पानी गंदा होने की स्थिति में निकासी के लिए आउट लेट नाली बनाई गई है। इस तरह की व्यवस्था से जल संरक्षण के साथ क्षेत्र में हरियाली को बढ़ावा दिया जाएगा।
मुुफ्त में हो गया गहरीकरण
आयुक्त रघुवंशी के निर्देशानुसार सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है। जोन-4 के आयुक्त अमिताभ शर्मा ने बताया कि निगम प्रशासन ने तालाब के गहरीकरण पर राशि खर्च नहीं किया है। पीपीपी माॅडल पर तालाब की सफाई और गहरीकरण कराया गया। सौंदर्यीकरण का लगभग 65 फीसद कार्य पूर्ण हो चुका है।
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग निगम क्षेत्र में इन दिनों कई वार्ड ऐसे है जहा पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है और सत्ता पक्ष पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर आरोप लगा रही है वही विपक्ष द्वारा सत्ता पक्ष कांग्रेस पर अनुभवहीनता का आरोप लगा कर मामले को राजनीती रंग देने की कोशिश कर रही है . जबकि इन सबके बीच में जिम्मेदार अधिकारी मौज में है , अमृत मिशन के अधिकारी मौन है और हो भी क्यों ना क्योकि असली जिम्मेदार अधिकारी सत्ता और विपक्ष की राजनीती में अपनी नाकामी छुपाने में सफल हो रहे है .
किसी भी जनप्रतिनिधि का कार्य ये नहीं होता कि विभाग के संसाधनों को दुरुस्त करे आपत्ति पर आपातकाल व्यवस्था करे , शहर की व्यवस्थाओ का जमीनी स्तर पर निरिक्षण करे . जनप्रतिनिधि जब आम जनता को कोई परेशानी होती है तो उस बात को संज्ञान में लेकर विभागीय अधिकारियो को अवगत कराये और व्यवस्था को सुचारू रूप से निर्वहन करने के लिए निर्देश दे किन्तु दुर्ग निगम के जल विभाग के अधिकारी हो या अमृत मिशन के अधिकारी जिनकी लापरवाही का नतीजा अज पुरे दुर्ग की जनता भुगत रही है और जनप्रतिनिधि एक दुसरे पर आरोप लगा रहे है जबकि इस अव्यवस्था की सारी जिम्मेदारी विभागीय अधिकारियो के ऊपर है किन्तु राजनितिक वर पलटवार का पूरा मजा अधिकारियो द्वारा उठाया जा रहा है और अव्यवस्था के असली जिम्मेदार विभागीय अधिकारी इस राजनीतिक समीकरण का पूरा लाभ उठाकर अपनी नाकामी छुपाने में सफल भी हो रहे है .
वैसे निगम के हर कार्य में वर्तमान में शहर के विधायक की मंशा और अनुशंषा ही कार्य कर रही है किन्तु जिस तरह वर्तमान में शहर के विधायक द्वारा कई बार निगम की कार्य पद्दति पर सवाल भी खड़े किये किन्तु इसे जनप्रतिनिधि के निर्देशों की अवहेलना कहे या अधिकारियो द्वारा वर्तमान के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों के निर्देश को हलके में लेने की प्रक्रिया क्योकि जिस तरह सत्ता में रहने के बाद भी जनप्रतिनिधि अपनी ही सरकार पर आरोप लगा रहे है कार्य में लापरवाही की उससे यही प्रतीत होता है कि निगम के अधिकारियों को न तो शहर की आम जनता की सुविधाओ का ख्याल है और ना ही किसी प्रशासनिक दबाव से फर्क पड़ रहा है .
दुर्ग । शौर्यपथ । जब जनप्रतिनिधि ही दोहरा मापदंड अपनाने लगे तो अधिकारियों की बल्ले बल्ले ही होगी और आम जनता परेशान कुछ ऐसा ही हाल दुर्ग निगम में चल रहा है । जो कार्य वार्ड प्रतिनिधि को साल भर पहले जो कार्य गलत लग रहा था वही कार्य अब जनहित का लगने लगा और सारे नियम ताक पर रख दिया गया और निगम के जल विभाग के इंजीनियर भी इस कार्य मे सहभागी बन रहे है वैसे भी निगम के इंजीनियर जनहित की कम स्वहित के कार्यो में ज्यादा ध्यान देते है ऐसा प्रतीत होता है जनहित के कार्य मे ध्यान देते तो जो निर्माण अब हुआ वह पहले हो जाता । मामला है इंदिरा मार्केट स्थित वाटर एटीएम का जिसका निर्माण कार्य पिछले साल हुआ था किंतु तब विपक्ष में रही कॉन्ग्रेस के पार्षद द्वारा कार्य को रुकवा दिया गया थ किन्तु साल भर बाद उसी स्थान पर वाटर एटीएम बन गया और अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब सत्ता में रही कांग्रेस और पार्षद की सहमति बन गयी ऐसा क्या हुआ कि एक साल पहले जो निर्माण गलत था अब जनहित का हो गया । वैसे भी व्यस्तम मार्केट में जनहित के कार्य मे कई तरह की खामियां है किंतु निगम प्रशासन की यह खामियां उसके स्वयम के लिए ठीक है । अगर आम जनता नाली के ऊपर को निर्माण कर तो निगम के ईमानदार इंजीनियर तोड़ फोड़ करने पहुंच जाते है किंतु स्वयम निर्माण करे तो तो यह विधि सम्मत हो जाता है । क्या निगम प्रशासन अपने बनाये नियम पर कभी चलेगा ? क्या जनप्रतिनिधि अपनी राय पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के कारण राय बदलते रहेंगे । क्या ऐसे ही धारणा वाले जनप्रतिनिधि को जनता चुनती रहेगी ? क्या ऐसे ही सुशासन की बात करती है कांग्रेस ?
रिसाली / शौर्यपथ / रिसाली निगम क्षेत्र की सफाई व्यवस्था देखने अपर कलेक्टर व निगम आयुक्त प्रकाश कुमार सर्वे अल सुबह रिसाली क्षेत्रांतर्गत वार्डो में पहुंचे। कामगारों, सुपर वाइजर और अधिकारियों की मैदानी उपस्थिति देखने आयुक्त 10 किलोमिटर से भी अधिक साइकिलिंग की। इस दौरान कई स्थानों पर अपनी उपस्थिति में सफाई कराया।
इस दौरान निगम आयुक्त सर्वे सुबह-सुबह साइकिलिंग करते हुए घर से सीधे रिसाली क्षेत्र के कृष्णा टाकिज रोड पहुंचे और सफाई कार्य का अवलोकन करने लगे। लगभग दो घंटे से अधिक समय तक आयुक्त ने रिसाली बस्ती, आशीष नगर पूर्व, आजाद मार्केट, कृष्णा टाकिज रोड होते प्रगति नगर का भ्रमण किया। निरीक्षण के दौरान प्रभारी स्वच्छता निरीक्षक बृजेन्द्र परिहार, सफाई सुपरवाइजर सतीश देवांगन, वीरेन्द्र देशमुख उपस्थित थे।
सफाई कामगारों को दी समझाईश
निरीक्षण के दौरान आयुक्त डोर टू डोर कचरा कलेक्शन कार्य देखा। नागरिकों से समय पर कचरा कलेक्शन गाड़ी न पहुंचने की शिकायतों के बारे में मातहतों से जानकारी ली एवं उचित दिशा निर्देश दिए। इस दौरान आयुक्त ने गीला व सूखा कचरा को अलग-अलग रखने को कहां। कचरा कलेक्शन करने वाले कामगारों को भी निर्देश दिए कि गीला व सूखा कचरा अलग-अलग रखे।
हड़बड़ाए सफाई कामगार
आयुक्त के अचानक दबिश से निगम के अधिकारी व कर्मचारी हड़बड़ा गए थे। शुरूवात में कामगार टी शर्ट बरमूड़ा में अपने अधिकारी को नही पहंचान पाए। बाद में कामगारों की नजर निगम आयुक्त पर पड़ते ही हड़बड़ा गए। बाजार में आयुक्त ने अपनी उपस्थिति में सफाई कार्य को पूरा कराया।
संडे लॉकडाउन का किया अवलोकन
दुर्ग कलेक्टर डॅा. सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे ने रविवार को लॉकडाउन अनिवार्य किया है। फुटकर व्यवसाय से लेकर छोटी बड़ी दुकानों को बंद रखने और अन्य दिनों में व्यवसाय संचालित करने समय सीमा निर्धारित किया है। निगम आयुक्त ने इस दौरान व्यापारिक केन्द्र का निरीक्षण किया। क्षेत्र के व्यापारी संघ अध्यक्ष विपीन सिंह से चर्चा की। हालांकि सुबह 10 बजे के बाद कुछ दुकान खुले पाए गए जिस पर राजस्व निरीक्षक अनिल मेश्राम की टीम ने दिलीप कुंडू सायकल दुकान मोहारी मरोदा से 1000 व श्रीकांत जायसवाल कबाड़ी दुकान से 2000, संजीव देवांगन पोल्ट्री सेंटर नेवई से 1000, राजू वर्मा साई ट्रेडर्स नेवई बस्ती से 1500, लीलेश्वर सेन लक्ष्मी नगर रिसाली से मास्क नही पहनने व अनावश्यक रूप से घुमते पाए जाने पर 500 रू. दाण्डिक शुल्क वसूल किया गया। इसके अलावा मास्क नही लगाने पर टंकी मरोदा निवासी भूपेश कश्यप व दिनेश से 200-200 अर्थदण्ड वसूला। उडऩदस्ता टीम द्वारा कुल मिलाकर 6400रूपये की दाण्डिक शुल्क वसूल किया गया।
भिलाई नगर / शौर्यपथ / रविवार को पूर्णत: लाॅकडाउन होने के कारण इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ निगम प्रशासन की टीम ने छापामार कार्रवाई की। लाकडाउन में दुकान का आधा शटर खोलकर व्यावसाय करने वाले छोटे-बड़े 11 व्यापारियों से कुल 3800 रूपए जुर्माना वसूल किया गया। वैशाली नगर जोन आयुक्त पूजा पिल्ले के निर्देश पर सहायक राजस्व अधिकारी संजय वर्मा की टीम ने कुरूद, रामनगर, ओम शांति ओम चौक और वैशाली नगर गौरवपथ के मार्केट और गली मोहल्ले के दुकानों का निरीक्षण किया। इस दौरान दुकान का आधा शटर खुला पाए जाने पर व्यापारियों के खिलाफ 200 से 300 रूपए तक अर्थदंड की कार्रवाई की गई और कुल 10 लोगों से 3100 रुपए जुर्माना वसूल किया। जोन-5 की टीम ने मास्क का उपयोग नहीं करने पर मेडिकल संचालक पर 700 रूपए जुर्माना लगाया !
भिलाई नगर / शौर्यपथ / नगर पालिक निगम की टीम ने वार्ड 12 कांट्रेक्टर काॅलोनी में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की। निर्माणाधीन कमरे को तोड़ कर बिजली के खंभे को कब्जा मुक्त कराया गया। कब्जाधारी व्यक्ति को अपने पट्टे के अतिरिक्त जमीन के अलावा निगम और शासकीय संपत्ति पर किसी भी प्रकार से कब्जा नहीं करने की हिदायत दी गई। कब्जा की शिकायत मिलने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई। जोन -1 के सहायक राजस्व अधिकारी दुबे ने बताया कि कांट्रेक्टर काॅलोनी चौक के पास एक व्यक्ति पट्टे की जमीन के अलावा अतिरिक्त जमीन पर कमरा बना रहा था। जिसकी शिकायत वार्ड के लोगों ने जोन आयुक्त सुनील अग्रहरि से की थी।
जोन आयुक्त के निर्देशानुसार जोन -1 के राजस्व विभाग की टीम ने बेदखली और तोड़फोड़ की कार्रवाई की। कब्जाधारी व्यक्ति ने अपने पट्टे की जमीन के अलावा खाली जमीन पर भी कब्जा करने की नीयत से नींव की खुदाई करवाकर छड़ से काॅलम खड़े कर लिया था। बिजली के पोल को भी अपने कब्जे में ले लिया था। इस वजह से चौक पर अंधा मोड़ बन गया था। वहां से गुजरने वाले राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ता था। जिसे तोड़कर बिजली के पोल को कब्जा मुक्त कराया गया। तोड़फोड़ टीम में जोन-1 राजस्व विभाग के राजेश गुप्ता, कन्हैया, मंगल, राजेन्द्र शामिल थे।
दुर्ग / शौर्यपथ / महापौर धीरज बाकलीवाल द्वारा माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जन्म दिवस के अवसर पर यह निर्णय लिया कि दुर्ग निगम का दूसरा गौठान उरला वार्ड में जल्द बनाया जाएगा इस संबंध में उन्होंने गौठान निर्माण के लिए स्थल का चयन और अन्य व्यवस्थाओं के लिए निगम अधिकारियों को प्रस्ताव प्रस्तुत करने निर्देश दिए हैं ।
उल्लेखनीय है कि नगर पालिक निगम दुर्ग द्वारा पुलगांव वार्ड में गौठान का निर्माण किया गया है । जहां गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी करने के अलावा गौठान के गायों की सेवा एवं चिकित्सा स्व सहायता समूह के माध्यम से किया जा रहा है । इस कड़ी में महापौर ने कहा माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गोधन न्याय योजना क्रियान्वयन नगर पालिक निगम दुर्ग द्वारा अक्षर: किया जाएगा । इसकी शुरुआत पुलगांव वार्ड के गौठान से किया गया है ।
इस दिशा में उरला वार्ड में जल्द ही शहर का दूसरा गौठान बनाकर गोधन न्याय योजना का क्रियान्वयन कर पशु पालको को समृद्ध बनायेगें और दूसरी तरफ शहर को मवेशियों से मुक्त रखने का प्रयास करेंगे । उन्होंने बताया महापौर परिषद के द्वारा शहर में 4 स्थानों पर उनका गौठान बनाने का निर्णय लिया गया है ।