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धमतरी/नगरी शौर्यपथ*
गुरुवार 14 मई के दिन, ग्राम गोरेगांव निवासी कृष्ण कुमार मण्डावी की कृषि ऋण पुस्तिका गुम हो जाने की शिकायत नगरी थाने में की गई है ।
कृष्ण कुमार मंडावी कृषि संबंधी अवश्यक कार्य से नगरी तहसील कार्यालय पहुंचकर, बाईक में रखा थैला को खोला तो उनकी तीनों ऋण पुस्तिका गायब थी।
नगरी में जिन स्थानों पर गए थे वहाँ खोजबीन करने के पश्चात। नगरी थाना में शिकायत दर्ज कराई*
तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्रों में सोशल डिस्टेंसींग नही रखा जा रहा है ध्यान
धमतरी/नगरी शौर्य पथ
दीपेश निषाद की रिपेर्ट
तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्रों में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखा जा रहा है । मास्क का प्रयोग भी नही कर रहे हैं।
ग्राम पंचायत अमाली के तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्र में बड़ी लापरवाही देखी गई।
अमाली सेंटर में तेंदूपत्ता लेकर आये ग्रामीण न तो सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रख रहे हैं, न ही मास्क का प्रयोग कर रहे हैं ।
हद तो तब हो गई जब केंद्र के प्रबंधक भी इन नियमों की नियमों का पालन नही कर रहें है।
प्रबंधक ने स्वयं मास्क लगाना जरूरी नहीं समझा ।
ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी लोग कोरोना महामारी की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं ।
Covid 19 pandemic के खतरे के प्रति जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है।
रायपुर / शौर्यपथ लेख / डॉ रमन सिंह छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री जिन्होंने १५ साल छत्तीसगढ़ पर राज किया . छत्तीसगढ़ में चाउर वाले बाबा से लेकर दारु वाले बाबा तक का सफ़र किया . छत्तीसगढ़ में खनिज का अकूत भण्डार है , छत्तीसगढ़ देश के पिछड़े राज्यों की गिनती में आने का श्री अगर डॉ सिंह को दे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी १५ साल सत्ता में रहने के बाद भी डॉ साहब ने छत्तीसगढ़ में रोजगार के कोई बड़े कार्य किये हो ऐसा प्रतीत नहीं होता . अगर छत्तीसगढ़ में बड़े स्तर पर रोजगार होता तो छत्तीसगढ़ राज्य से इतने मजदुर पलायन नहीं करते . छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ के मूल निवासी अपनी बोली को खुले रूप में कहने पर भी शर्म करते थे डॉ रमन के राज में छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी , धान के बोनस का वादा , स्तरहीन मोबाइल वितरण , टेबलेट वितरण , नान घोटाला जैसे कई घोटाले उजागर हुए . प्रदेश में असली मायने में देखा जाए तो छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों का राज २०१८ के बाद आया जब छत्तीसगढ़ी बोली बड़े शान से कही जाने लगी .
वर्तमान में कोरोना संकट सिर्फ छत्तीसगढ़ पर ही नहीं पुरे विश्व पर आया हुआ है और प्रदेश के साथ देश के मुखिया भी इस संकट से निपटने के लिए प्रयासरत है . प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली का ही असर है कि छत्तीसगढ़ में लॉक डाउन के लगभग ५० दिनों बाद जिन्दगी पत्री पर दौड़ने लगी है छोटे बड़े सरे व्यापार खुल रहे है बाहर से आने वालो पर कड़ी नजर राखी जा रही है संदेह की स्थिति में तुरंत इलाज मुहैय्या कराई जा रही है अधिकारी कर्मचारी लगातार क्षेत्र पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है प्रदेश में ऐसी कोई दुर्घटना नहीं हुई जो चर्चा का विषय बने भूख से छत्तीसगढ़ में किसी की मौत हुई हो वर्तमान संकट में ऐसा भी नहीं हुआ , संक्रमण से किसी की मौत हुई हो ऐसा भी नहीं हुआ , प्रवासी राज्यों के परिवारों को भी कोई तकलीफ हुई हो ऐसा भी कही नहीं दिखा . प्रदेश सरकार की निरंतर कोशिश है कि प्रदेश के मूल निवासी ही नहीं अन्य राज्यों के निवासी जो छत्तीसगढ़ में है उनकी भी फ़िक्र है छत्तीसगढ़ से पलायन करने वाले कम ही नजर आ रहे है एवं छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों से आने वाले निरंतर आ रहे है . प्रदेश सर्कार अन्य प्रदेशो में फसे हुए श्रमिको को लाने का निरंतर प्रयास कर रही है जो लगातार सफल भी हो रही है साथ ही छत्तीसगढ़ से गुजरने वालो श्रमिको के लिए भी भोजन की व्यवस्था जगह जगह की जा रही है इसके लिए राजमार्ग पर विभिन्न स्थानों में केम्प लगाए गए है .
देश में छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य है जहा कोरोना के मरीज की संख्या ५९ है और स्वस्थ होने वालो की संख्या ५५ एवं कुल मौते की संख्या नगण्य . छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों से आने वाले श्रमिको के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है ऐसे में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को संकट के समय छत्तीसगढ़ के श्रमिक जो अन्य राज्यों में फसे है उन्हें लागे की पहल करनी चाहिए और केंद्र की भाजपा सरकार से निवेदन करना चाहिए कि गुजरात , उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में लाखो की संख्या में फसे श्रमिको का ख्याल रखे व उन्हें सकुशल छत्तीसगढ़ जल्द से जल्द भेजने की व्यवस्था करे . ऐसा करके डॉ सिंह छत्तीसगढ़ के श्रमिको का हित करते हुए एक नेक कार्य करने के लिए पहचाने जा सकते है . वर्तमान स्थिति में छत्तीसगढ़ के हर जनप्रतिनिधि का कर्तव्य है कि छत्तीसगढ़ में संकट से जंग लड़ना और जीतना इसमें सभी के सहयोग की ही अपेक्षा है ना कि राजनीती करण की .
प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने राज्य सरकार मजदूरों, किसानों और आदिवासियों की जेब में पैसे डाल रही है
मुख्यमंत्री ने केन्द्र से किया मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ने का आग्रह
मनरेगा के कृषि से जोड़ने से लोगों को बारिश में भी मिलेगा रोजगार,
कृषि उत्पादन लागत होगी कम और उत्पादन भी बढ़ेगा
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गतिशील और मजबूत बनाने के लिए लॉकडाउन जैसे संकट के समय में श्रमिकों को मनरेगा, आदिवासियों को लघु वनोपज संग्रहण तथा किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से उनकी जेब में पैसा डालने का काम कर रही है। हमारा प्रदेश धीरे धीरे सामान्य कामकाज की ओर अग्रसर हो रहा हैं। कल की कैबिनेट की बैठक में ऐसे कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं जो राज्य में आर्थिक गतिविधियों को और तेज करेंगे।
बैठक में हमने एक निर्णय लिया जिसका क्रियान्वयन हम अपने स्वप्न दृष्टा नेता पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी की पुण्य तिथि के दिन 21 मई से प्रारंभ करेंगे। राजीव गांधी किसान न्याय योजना बहुत ही दूरगामी निर्णय है और छत्तीसगढ़ के किसानों को इस संकट की घड़ी में संजीवनी प्रदान करने वाला निर्णय है। पूरे देश में कहीं भी किसानों के हित में इतना महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया गया है। हमने राज्य के किसानों से वादा किया था कि उन्हें उनकी उपज का पूरा दाम मिलेगा। लोगों ने इसमें कई अड़चने लगाई, अवरोध पैदा किये लेकिन हमने जो कहा था वो निभाया है।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत हम राज्य में फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करने और कृषि आदान सहायता हेतु खरीफ 2019 में पंजीकृत एवं उपार्जित रकबे के आधार पर धान, मक्का और गन्ना फसल के लिए 10 हजार रूपये प्रति एकड़ की दर से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से अनुदान राशि सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर करेंगे। इसके लिए हमने बजट में 5100 करोड़ रूपए का प्रावधान भी किया है। इस योजना के तहत राज्य के 18 लाख 75 हजार किसानों को लाभ मिलेगा। यहीं नही खरीफ 2020 से आगामी वर्षो में दलहन और तिलहन फसलों के पंजीकृत और अधिसूचित रकबे के आधार पर निर्धारित राशि प्रति एकड़ की दर से किसानों को आदान सहायता अनुदान के रूप में देंगे। अनुदान लेने वाला किसान यदि गत वर्ष धान की फसल लगाया हो और इस साल धान के स्थान पर योजना के तहत शामिल अन्य फसल लगाता हैं तो ऐसी स्थिति में किसानों को प्रति एकड़ अतिरिक्त सहायता दी जायेगी ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार मजदूरों, किसानों और आदिवासियों की जेब में पैसे डालने का काम कर रही है। लोगों की जेब में पैसा आने से इसका असर व्यापार और व्यवसाय पर पड़ेगा और अर्थव्यवस्था बराबर संचालित होती रहेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने केन्द्र सरकार से मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ने का आग्रह किया है। मनरेगा के काम बारिश तक चलेंगे। यदि मनरेगा को कृषि से जोड़ा जाता है तो लोगों को इससे निरंतर रोजगार मिलेगा, कृषि की लागत कम होगी और कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा। श्री बघेल ने कहा कि आम जनता, सामाजिक संगठनों और सेवा भाव से काम कर रहे अधिकारी-कर्मचारियों के सहयोग से कोविड-19 संक्रमण को रोकने में प्रदेश में काफी हदतक सफलता मिली है।
इसके साथ ही हमने उत्कृष्ठ हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम के शालाओं का संचालन पंजीकृत सोसायटी के माध्यम से करने का निर्णय लिया है। लगभग 40 उत्कृष्ट शालाएं प्रारंभ की जाएंगी। विकासखण्ड मुख्यालयों में 10वीं के बाद 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों के लिए आईटीआई का रोजगारपरक सर्टिफिकेट कोर्स आरंभ करने का निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना वायरस (कोविड-19) से बचाव के उपायों के तहत छत्तीसगढ़ राज्य में संपूर्ण लॉकडाउन के फलस्वरूप बसों के दो माह और ट्रकों के एक माह के टैक्स की राशि माफ कर दिया गया है। राज्य सरकार सभी शहरी परिवारों को दो कमरों का पक्का आवास देने के लिए 40 हजार अतिरिक्त आवास बनाएगी। इसके साथ ही अब किराएदारों को भी योजना में समाहित करते हुए न्यूनतम दर पर आवास उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि लॉकडाउन की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश के सामान्य परिवारों (ए.पी.एल.) को भी रिफाइन्ड आयोडाईज्ड नमक पीडीएस की दुकानों से 10 रूपए प्रति किलो की दर से अधिकतम दो किलो नमक प्रति राशनकार्ड प्रति माह एक जून से प्रदान किया जाएगा। इससे राज्य के 9.04 लाख परिवार लाभान्वित होंगे। राज्य सरकार द्वारा जमीनों की खरीदी-बिक्री की शासकीय गाइडलाईन की दरों में 30 प्रतिशत की छूट को पूरे साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
छत्तीसगढ़ में वर्तमान में केवल 4 एक्टिव कोरोना पाजीटिव मरीज हैं। कुल 59 पाजीटिव मरीजों में से 55 स्वस्थ होकर अपने घरों को लौट चुके हैं। कोरोना से किसी की भी मृत्यु नहीं हुई हैं। छत्तीसगढ़ में ठीक होने वाले मरीजों का प्रतिशत 93 प्रतिशत से अधिक हैं। राज्य में अभी तक कुल 27 हजार 339 सैम्पल टेस्ट किए गए हैं। राज्य में 28 हजार 759 व्यक्तियों को क्वारेंटाइन में रखा गया है। अन्य राज्यों से लौटने वाले मजदूरों के लिए गांवों में ही 16,499 क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए है। सीमावर्ती क्षेत्रों में कुल 623 क्वारेंटाइन सेंटर बनाये गये हैं ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के प्रसार की जानकारी मिलते ही बचाव की तैयारियां प्रारंभ कर दी थी। 27 जनवरी को हमने सभी जिलों में रैपिड रिस्पांस टीम गठित कर दी थी। 28 जनवरी से एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग प्रारंभ कर दी थी और एक फरवरी को पहले आइसोलेशन अस्पताल ने काम करना प्रारंभ कर दिया था। हमने स्वस्फूर्त निर्णय लेते हुए किसी भी राज्य से पहले 21 मार्च को छत्तीसगढ़ राज्य की सीमाएं सील कर दी और 22 मार्च को राज्य में लाकडाउन की घोषणा की। वर्तमान में प्रतिदिन जांच क्षमता 1200 सैंपल प्रतिदिन हो गयी हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि जब कोटा से छात्रों को लाने की बात चल रही थी तभी मैंने श्रमिकों को वापस लाने की केन्द्र सरकार से मांग की थी और कहा था कि ट्रेनों की व्यवस्था की जाए अब ट्रेनें आना शुरू हो गई है। श्रमिकों की वापसी के लिए मई का महीना काफी महत्वपूर्ण है। अगले महीने से बारिश शुरू हो जाएगी तब आने वाले श्रमिकों के क्वारेंटीन में बाहर रखने के इंतजाम में दिक्कत आएगी क्योकि संसाधन सीमित है। बाहर से आने वाले श्रमिकों की बड़ी संख्या की तुलना में स्कूलों और आंगनबाड़ियों की संख्या कम है।
लॉक-डाउन में मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीणों को रोजगार देने में छत्तीसगढ़ अभी पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। देशभर में मनरेगा कार्यों में लगे कुल मजदूरों में से करीब 24 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से हैं। यह संख्या देश में सर्वाधिक है। प्रदेश की 9883 ग्राम पंचायतों में चल रहे विभिन्न मनरेगा कार्यों में औसतन लगभग 23 लाख मजदूूर काम कर रहे हैं। लॉकडाउन में वनोपज संग्रहण में भी छत्तीसगढ़ देश में पहले स्थान पर हैं। देश के कुल वनोपज संग्रहण का 99 प्रतिशत अकेले छत्तीसगढ़ ने ही किया हैं। श्री बघेल ने कहा कि राज्य के 56.48 लाख गरीब परिवारो को अप्रैल, मई और जून, तीन माह का राशन, प्रति परिवार एक क्विंटल पांच किलोग्राम निःशुल्क प्रदान किया गया हैं। स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए ‘पढ़ाई तुंहर दुआर‘ वेबपोर्टल प्रारंभ। अब तक 21 लाख 26 हजार छात्र और 1.88 लाख शिक्षक पंजीकृत है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राज्य में जरूरततंद परिवारों के लिए राहत और कल्याणकारी योजनाओं के संचालन तथा सामान्य कामकाज को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 30 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता दी जाये। उन्होंने मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि औद्योगिक नीति में इमेचवाम चवसपबल के तहत बायो एथेनॉल उत्पादन इकाईयों के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज देने का निर्णय लिया गया है। छत्तीसगढ़ में धान का उत्पादन आने वाले वर्षों में बढ़ेगा। सरप्लस धान हर वर्ष बढ़ेगा। इसका उपयोग बायो एथेनॉल के उत्पादन में किया जा सकेगा।
दुर्ग / शौर्यपथ / भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित देश की विकास को गति प्रदान करने वाले 20 लाख करोड़ रुपए के विशेष आर्थिक पैकेज में आज वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी ने देश के गरीबों, प्रवासी मजदूरों व किसानों के लिए बड़ी राहत देने वाला घोषणा किया है। मोदी सरकार का यह ऐलान गांव, गरीब, किसान, मजदूरों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कारगर साबित होगा।
सांसद सरोज पाण्डेय ने कहा कि किसानों के लिए मार्च-अप्रैल में 63 लाख कृषि कर्ज दिए गए। ये 86 हजार 600 करोड़ के थे। इससे किसानों को फायदा हुआ। किसानों के लिए इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम को 31 मई तक जारी रहेगी यानी छोटे किसानों के लिए कर्ज पर ब्याज में छूट की स्कीम 31 मई तक बढ़ा दी गई है।
छोटे किसानों के लिए 30,000 करोड़ का अतिरिक्त फंड नाबार्ड के जरिए तुरंत रिलीज किया जाएगा। ताकि रबी की फसलों की बुवाई का काम तेजी से हो सके। इससे 3 करोड़ किसानों को फायदा होगा।
2.5 करोड़ किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड नहीं हैं। किसान क्रेडिट कार्ड योजना का विस्तार किया जाएगा। इसमें फिशरीज और एनिमल हस्बैंडरी किसान को भी शामिल किया जाएगा। उन्हें रियायती दरों पर 2 लाख करोड़ के कर्ज दिए जाएंगे।
प्रवासी मजदूरों के लिए भी बहुत बड़ी राहत का एलान किया गया है 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों के लिए फ्री राशन की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए 3500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया हैं। प्रति व्यक्ति 5-5 किलो गेहूं या चावल और एक किलो चना प्रति परिवार दिया जाएगा।
प्रवासी किसी भी राशन कार्ड कार्ड से किसी भी राज्य की किसी भी दुकान से खाद्य सामग्री ले सकेंगे। वन नेशन वन राशन कार्ड अगस्त से लागू किया जाएगा। जो अप्रवासी मजदूर अपने राज्यों में लौटे हैं, उनके लिए भी योजनाएं हैं। केंद्र सरकार इस पर अब तक 10 हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुकी हैं। इसके तहत 1.87 हजार ग्राम पंचायतों में काम हुआ है। जो मजदूर अपने घरों में लौटे हैं, वे वहीं रजिस्टर कर काम ले सकते हैं।
मनरेगा के तहत मजदूरी 182 रुपए से बढ़ाकर 200 रुपए कर दी गई है। प्रवासी मजदूरों और शहरी गरीबों को सस्ते किराए पर मकान दिलवाने की योजना लागू की जाएगी। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इसे शामिल किया जाएगा। इस वैश्विक महामारी कोरोना में लॉकडाउन के चलते रोजाना रेहड़ी लगाने वालों को सबसे ज्यादा नुकसान तथा परेशानी हुई है 50 लाख स्ट्रीट वेंडरों को 05 हजार करोड़ की स्पेशल क्रेडिट सुविधा मिलेगी। इस योजना के तहत स्ट्रीट वेंडरों को 10 हजार रुपए तक का तत्काल लोन दिया जाएगा।
छोटे व्यवसायियों को राहत पहुंचाने के लिए मुद्रा शिशु लोन के तहत 50 हजार तक के लोन पर 2% इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम का लाभ 12 महीने दिया जाएगा। 3 करोड़ लोगों को सबवेंशन स्कीम का फायदा होगा। आदिवासी इलाकों, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़े, इसके लिए 6000 करोड़ के कैम्पा फंड का इस्तेमाल किया जाएगा।
मोदी सरकार की इस घोषणा से देश के सबसे मेहनतकश गरीब मजदूरों एवं किसानों को एक बहुत बड़ी राहत मिलेगी। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान होगी।
केंद्र की मोदी सरकार के बाद भाजपा की राज्य सरकारों का मजदूर विरोधी रवैया सामने आया
दरअसल भाजपा का ही चरित्र मजदूर विरोधी किसान विरोधी और गरीब विरोधी है
रायपुर / शौर्यपथ / पूरे देश से लॉक-डाउन के दौरान मज़दूरों की मौत की ख़बरों का सिलसिला चल रहा है. सड़कों से लेकर रेल की पटरियों तक ख़ून बिखरा हुआ है और ख़ून के छींटे केंद्र की भाजपा और भाजपा शासित राज्य सरकारों पर बदनुमा दाग़ की तरह हैं. प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि अभी तो श्रमिकों के लौटने का सिलसिला चल रहा है. अभी पता नहीं कि अभी कितने दाग़ लगने बाक़ी हैं और यह भी नहीं पता कि ये धब्बे कब और कैसे धुलेंगे.
महाराष्ट्र में औरंगाबाद की रेल दुर्घटना में 14 मजदूरों के मौत के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और मध्य प्रदेश के गुना में अपने घर गांव लौट रहे 14 मजदूरों के मारे जाने और 71 मजदूरों के घायल होने के दुखद समाचार मिले हैं। इससे पहले लखनऊ में छत्तीसगढ़ के मज़दूर दंपत्ति की सड़क दुर्घटना में मौत की ख़बर आ चुकी है.
प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि केवल चार घंटे के नोटिस पर आनन-फानन में लगाए गए लॉक-डाउन के बाद प्रवासी मजदूरों की हुई दुर्दशा एवं उनके साथ किए गए अमानवीय व्यवहार का खौफनाक मंजर को पूरा देश देख रहा है। पूरे देश में लाखों प्रवासी मजदूर खाने, रहने की जगह इलाज दवाई या किसी भी सहयोग के बिना हजारों किलोमीटर दूर स्थित अपने गांवों को लौटने को मजबूर हो गए, ताकि उन्हें सरकार की बेपरवाही एवं सौतेले व्यवहार का शिकार न होना पड़े।
उन्होंने कहा है कि अभी कहना संभव नहीं कि पूरे देश में कितने मज़दूरों और उनके परिवारों को अपनी जान गंवानी पड़ी है क्योंकि दूर दराज़ से और दूसरे प्रदेशों से ख़बरें अभी व्यापक स्तर पर पहुंच नहीं रही हैं.
विडंबना है कि कोविड-19 की महामारी के समय पहले से ही मुसीबतों के बोझ तले दबे गरीब मजदूरों व श्रमिकों को राहत देने की बजाए भाजपा की राज्य सरकारें कोरोना की आड़ में उन्हें उनके ही अधिकारों से वंचित कर रही हैं।
केवल गंभीर रोगियों को ही भेजा जाए सेंदरी, कोरोनावायरस की हो जिले में ही जांच; स्वास्थ्य सचिव
शौर्यपथ
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने सभी जिलों से मानसिक रोगियों को राज्य मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय, सेंदरी न भेजने की सलाह दी है।
स्वास्थ्य सचिवे सुश्री निहारिका बारीक़ सिंह द्वारा जारी एक आदेश में बताया गया है जिलों में संचालित शासकीय एवं स्वयंसेवी संस्थानों द्वारा घुमंतु व्यक्तियों को राज्य मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय, सेंदरी (बिलासपुर) में भर्ती के लिए भेजा जा रहा है।
``वर्तमान में कोविद -19 की परिस्थिति को देखते हुए राज्य के समस्त सिविल सर्जन एवं अस्पताल अधीक्षक, जिला अस्पताल में अधीन मनोरोग चिकित्सक अथवा वीकेएन प्रशिक्षण प्राप्त चिकित्सा अधिकारी के द्वारा घुमंतु व्यक्तियों की मानसिक जांच एवं कोरोना वायरस टेस्ट जांच कराये जाने के पश्चात सामान्य दशा हो तो उन्हें जिले में संचालित स्वयं सेवी संस्थानों में रखा जाए। जिनकी मानसिक अवस्था ठीक नहीं है, उन्हें राज्य मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय, सेंदरी रिफ़र किया जाए,’’ आदेश में स्वास्थ्य सचिव ने कहा है।
राज्य मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय, सेंदरी के अधीक्षक, डॉ बी आर नंदा का कहना है सभी मानसिक रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है। केवल उन्ही रोगियों को जो हिंसक होते हैं या खुद को क्षति पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं भर्ती करवाया जाता है, बाक़ी रोगियों का उपचार उनके घर पर,शेल्टर होम्स में या फिर स्वयं सेवी संस्थानों में रह कर ही हो सकता है ।
डॉ नंदा ने कहा अस्पताल में विडियो द्वारा परामर्श और टेली मेडिसिन की सुविधा भी दी जा रही है जिसका लाभ सभी उठा सकते हैं। डॉ मल्लिकार्जुन राव, मनोरोग विशेषज्ञ, सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक दूरभाष नंबर: 8354066436 पर उपलब्ध रहते हैं। उन्होंने कहा घुमंतु व्यक्तियों को बिना कोविद-19 टेस्ट के सेंदरी भेजना, अस्पताल में भर्ती रोगियों के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है।
पिछले दिनों में देखा गया लगभग सभी जिलों से घुमंतु व्यक्तियों को सेंदरी रेफर किया जा रहा है हालांकि इनका उपचार उनके गृह जिले में ही हो सकता था । प्रदेश के सभी जिलों में कम से कम एक मेडिकल ऑफिसर को बेंगलुरु-स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (NIMHANS) द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। इसके अलावा कुछ जिलों में मनोरोग विशेषज्ञ उपलब्ध है और हर मेडिकल कॉलेज में मनोरोग वार्ड और मनोरोगियों के उपचार की व्यवस्था भी है।
सेंदरी के चिकित्सालय में इस समय लगभग 150 गंभीर मानसिक रोगी भर्ती हैं और इनको कोविद-19 से भी बचाना अस्पताल प्रबंधन की ही ज़िम्मेदारी है।
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ राव के अनुसार पिछले दिनों में अस्पताल आने वाले रोगियों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है।
सोशल डिस्टेंसिंग व अन्य सुरक्षात्मक उपायों के साथ मिल रही मदिरा
धमतरी शौर्यपथ
भारत सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुक्रम में राज्य शासन द्वारा राष्ट्रीय विपदा कोरोना वायरस (COVID-19) के फैलाव को नियंत्रित करने एवं बचाव के दृष्टिगत सोशल डिस्टेंसिंग, फिजिकल डिस्टेंसिंग एवं अन्य सुरक्षात्मक उपाय अपनाते हुए मदिरा दुकानों को 04 मई से संचालित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के उद्देश्य से जिले की सभी 26 (17 देशी एवं 09 विदेशी) मदिरा दुकानें सुबह 8.00 बजे से शाम 4.00 बजे तक संचालित की जा रही हैं। कम्प्लीट लाॅकडाउन के तहत मई महीने में हर शनिवार तथा रविवार को मदिरा दुकानों में काउंटर बिक्री को बंद रखी गई है।
जिला आबकारी अधिकारी श्री मोहित जायसवाल ने बताया कि लाॅकडाउन के दौरान दुकानों में होने वाली भीड़ में कमी लाने के उद्देश्य से विक्रय सीमा में वृद्धि करते हुए देशी/विदेशी मदिरा की 4 बोतल तथा बियर की 6 बोतल निर्धारित की गई है। वहीं मदिरा दुकानों में नियुक्त कर्मचारियों के द्वारा अनिवार्य रूप से मास्क तथा सैनिटाइजर का उपयोग किया जा रहा है। सभी कर्मचारियों के द्वारा भारत सरकार की आरोग्य सेतु मोबाइल एप इंस्टाल किया गया है। दुकान परिसर में प्रवेश करने वाले ग्राहकों को अनिवार्य रूप से मास्क धारण तथा सैनिटाइजेशन सुनिश्चित करने लगातार समझाइश दी जा रही है। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार भीड़ नियंत्रण करने के लिए दुकानों में मजबूत बेरिकेटिंग तथा चूना मार्क किया जाकर ग्राहकों के बीच छह फीट की दूरी (02 गज की दूरी) सुनिश्चित की जा रही है। वायरस के संक्रमण से बचाव हेतु दुकान परिसर में मदिरापान को पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री रजत बंसल के निर्देशानुसार राजस्व, पुलिस तथा आबकारी विभाग की संयुक्त टीम द्वारा सतत् निगरानी रखी जा रही है।
मदिरा दुकानों में भीड़ को नियंत्रित करने हेतु सोशल एवं फिजिकल डिस्टेंसिंग के पालन के दृष्टिगत डिलीवरी बाॅय के माध्यम से मदिरा प्रदाय की व्यवस्था जिले में प्रारंभ कर दी गयी है। मदिरा बुकिंग का वेबसाइट एड्रेस http://csmcl.in है, जिसमें जाकर डाउनलोड एप बटन पर क्लिक कर अथवा गूगल प्ले स्टोर में CSMCL APP सर्च कर उसे एंड्राॅएड मोबाइल में इंस्टाल किया जा सकता है तथा मोबाइल के माध्यम से भी बुकिंग की जा सकती है। ग्राहक को अपना मोबाइल नम्बर, आधार कार्ड तथा पूर्ण पता दर्ज कर पंजीयन करना होगा। पंजीयन ओ.टी.पी. के माध्यम से कन्फर्म होगा। पंजीयन उपरांत ग्राहक को लाॅगिन करने के पश्चात अपने जिले के निकट की एक विदेशी दुकान, एक देशी दुकान तथा एक प्रीमियम दुकान को लिंक करने की सुविधा प्रदान की गई है। ग्राहक की सुविधा के लिए जिले की सभी मदिरा दुकानों को गूगल मैप पर देखने की सुविधा भी प्रदान की गई है, जिससे ग्राहक के द्वारा आसानी से अपनी निकट की दुकान का चयन कर लिंक किया जा सकता है। ग्राहक को संबंधित मदिरा दुकान में उपलब्ध मदिरा की सूची एवं उसका मूल्य प्रदर्शित किया गया है जिसमें से अपनी पसंद की मदिरा को अपनी आवश्यकता अनुसार क्रय कर सकता है। ग्राहक एक मदिरा दुकान से एक बार में 5000 एम.एल. तक मदिरा डोर डिलीवरी के माध्यम से प्राप्त कर सकता है। ग्राहक के द्वारा बुक की गई मदिरा सुपरवाइजर के द्वारा पैक किए जाने पर ग्राहक को स्वतः ओ.टी.पी. प्राप्त हो जाएगी। डिलीवरी बाॅय के द्वारा आॅर्डर की गई मदिरा प्रदान किए जाने पर उन्हें मदिरा का मूल्य तथा डिलीवरी चार्ज 120 रूपए का भुगतान करना होगा। भुगतान पश्चात् डिलीवरी पूर्ण करने के लिए ग्राहक को ओ.टी.पी. डिलीवरी बाॅय को प्रदान करना होगा। डिलीवरी बाॅय द्वारा आधार कार्ड चेक कर मदिरा की डिलीवरी की जा रही है। आबकारी अधिकारी ने बताया कि जिले में अब तक 400 से अधिक डोर डिलीवरी की सुविधा प्रदाय की जा चुकी है।
पिटपास न रॉयल्टी धड़ल्ले से हो रही रेत की सप्लाई
धमतरी/नगरी शौर्यपथ
लॉक डाउन के दौरान मिली आंशिक छूट का फायदा खनिज माफिया खुल कर उठा रहे हैं और अवैध रूप से पूरी नदी पर ही कब्जा कर रेत का उत्खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है।नगरी विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम रतावा व पोड़ागांव के मध्य में बालका नदी है जहां पर सुबह से शाम तक ट्रेक्टरों की लाइन लगी रहती है जो इस नदी का सीना चीर कर अवैध रूप से रेत का उत्खनन कर ऊंचे दामों में क्षेत्र में सप्लाय कर रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बालका नदी का दोहन इसी क्षेत्र के ग्राम पोड़ागांव व रतावा के कुछ लोगों के द्वारा धड़ल्ले से किया जा रहा है।अन्य गांव के या जरूरतमन्दों को यहां नो एंट्री है किंतु कुछ लोगों ने इस नदी पर अपना आधिपत्य जमा लिया है और प्रतिदिन सैकड़ो ट्रिप रेत का दोहन कर ऊंचे दामो पर नगरी से लेकर पूरे सिहावा क्षेत्र में सप्लाय किया जाता है। इस अवैध उत्खनन में न तो पीट पास की जरूरत है और न ही किसी को रॉयल्टी देने की ।उल्टे चिन्हाकित ट्रेक्टरों का ही प्रवेश है।प्रतिदिन इस नदी से निकल कर सरपट दौड़ने वाले ट्रेक्टरों से दुर्व्हटना का खतरा मंडराता है वह अलग,ग्रामीणों ने खनिज विभाग व नगरी एसडीएम से इस पर तत्काल कार्यवाही करने की मांग की है।
इस संबंध में एसडीएम नगरी से चर्चा करने पर उन्होंने जांच कर कार्यवाही करने की बात कही है।