November 21, 2024
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

   रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज दंतेवाड़ा में बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की  पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। इस दौरान मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या देवी साय और परिवार के अन्य सदस्य उपस्थित थे। इस अवसर पर विधायक चैतराम अटामी, राज्य महिला आयोग की सदस्य श्रीमती ओजस्वी मण्डावी तथा अन्य जनप्रतिनिधियों सहित मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, कमिश्नर बस्तर डोमन सिंह सहित अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित थे।

    रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के तहत सीआरपीएफ बस्तरिया बटालियन 241 वाहिनी के परिसर में नीम का पौधा रोपा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अनूठा प्रयास है, जिसमें सभी लोग स्वस्फूर्त अपनी भागीदारी दे रहे हैं। श्री साय ने सभी से एक पौधा लगाने और उसकी देखभाल करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पौधरोपण से हम न केवल पर्यावरण को सुरक्षित करते हैं, बल्कि भावी पीढ़ियों को स्वच्छ हवा और स्वस्थ वातावरण का उपहार देते हैं।
    उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री साय बस्तर विकास प्राधिकरण की बैठक के बाद अचानक सीआरपीएफ बस्तरिया बटालियन के कैंप पहुंचे थे। वृक्षारोपण के दौरान सीआरपीएफ बस्तरिया बटालियन के सुरक्षा बल के जवान उपस्थित थे।

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म को छत्तीसगढ़ में टैक्स फ्री करने करने की घोषणा की है। इस फिल्म में 22 साल पहले गुजरात के गोधरा में हुए ट्रेन हादसे की कहानी की सच्चाई को दिखाने की कोशिश की गई है।
  मुख्यमंत्री साय ने कहा है कि ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म इसलिए भी देखी जानी चाहिए क्योंकि अतीत का अध्ययन ही हमें वर्तमान और भविष्य के बारे में बेहतर मार्गदर्शन दे सकता है। उन्होंने कहा है कि यह फिल्म इतिहास के उस भयावह सत्य को उजागर करने का अत्यंत सराहनीय और प्रभावशाली प्रयास है जिसे निहित स्वार्थ के लिए छुपाने का प्रयास किया गया था। यह फिल्म तात्कालिक सिस्टम की उस सच्चाई को उजागर करती है, जो झूठे नरेटिव फैलाकर सत्य को दबाने का निंदित प्रयास करती थी। फिल्म दर्दनाक घटना को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करती है।

बिना किसी अलाटमेंट और अनुमति के निगम आयुक्त के लिए किस अधिकार से तैयार करवा रहे बंगला ?

   दुर्ग / शौर्यपथ / अपने पिछले कार्यकाल में विवादों में रहने वाले निगम दुर्ग के ईई गोस्वामी सेवानिवृत्ति के बचे कुछ महीनो में एक बार फिर विवादों में घिरते नजर आ रहे है . प्रदेश में भाजपा सत्ता के अस्तित्त्व में आने के बाद लगातार विधायक यादव के बंगले में हाजिरी देने वाले शासकीय अधिकारी मोहनपुरी गोस्वामी सेवानिवृत्ति के बचे चंद महीनो के लिए एक बार फिर दुर्ग निगम में ईई के पद में पदस्त हो गए . ईई के रूप में पदस्त होने के बाद निगम के ठेका निविदा प्रक्रिया में जिम्मेदार अधिकारी आर.के. जैन के स्थान पर फिर से हर ठेकेदार के जबान पर ईई गोस्वामी का नाम सामने आने लगा . काफी विवादों और शिकायतों के बाद मामला दुर्ग निगम के सामान्य सभा में भी उठ . भाजपा के वरिष्ठ पार्षद अरुण सिंह ने इस मामले को पुरजोर तरीके से सभा में रखा . पार्षद अरुण सिंह के द्वारा दिए उद्बोधन के दौरान ही विधायक यादव के दामाद के रूप में निगम के सब इंजिनियर करण यादव के नाम की भी चर्चा हुई आखिरकार निविदा निरस्त हुई और नए सिरे से निविदा प्रक्रिया आरम्भ हुई .इस बार आधिकारिक रूप से इस कार्य की जिम्मेदारी विवादित रहने वाले ईई गोस्वामी के पास पहुँच गई . .
   अब एक नए मामले की चर्चा जोरो पर है विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार दुर्ग निगम के नव नियुक्त आयुक्त के लिए निगम के ईई गोस्वामी द्वारा सिविल लाइन के D-9 आवास का संधारण का कार्य ईई गोस्वामी ने बिना किसी निविदा के बिना किसी शासकीय अनुमति के ठेकेदार राजिव झा को दे दिया . इस बारे में जब शौर्यपथ समाचार पत्र ने ठेकदार से चर्चा की तो ठेकेदार राजिव झा का कहना था कि निगम से को दस्तावेज नहीं मिले कार्य के लिए किन्तु बंगले के संधारण और साज सज्जा के लिए निगम के बड़े साहब ईई मोहन पुरी गोस्वामी ने कहा है . बड़ी बात यह है कि आखिरकार ईई मोहनपुरी गोस्वामी किस अधिकारी और किस राजनैतिक संरक्षण के पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन आने वाले बंगले का संधारण कार्य निजी रूप से ठेकेदार को दे सकते है क्या कार्य के बाद भुगतान में कोई बड़ा आर्थिक घोटाला होने वाला था .
पूर्व में भी ऐसा ही कार्य कर चुके है ई गोस्वामी ....
इस तरह का कार्य ई गोस्वामी द्वारा वर्तमान में ही नहीं किया गया पूर्व में भी इस तरह का कार्य हो चुका है . शहर के मुख्य मार्ग जो अब मोतीलाल वोरा मार्ग के रूप में जाना जाता है के सौन्दर्यीकरण के कार्य की अनुमति विभाग को मिल चुकी थी और मार्ग का डिवाईडर टूटने वाला था किन्तु इस डिवाईडर पर भी बिना विभागीय अनुमति के लाखो रुए निगम प्रशासन ने संधारण के नाम खर्च किये उस समय भी ठेकेदार को बिना कार्य निविदा के कार्य करने का निर्देश ईई गोस्वामी द्वारा दिया गया था ऐसे ही कई प्रतीक्षालय विधायक निधि और पार्षद निधि से बन गए जो कुछ महीनो में ही टूट गए और लाखो रूपये के राजस्व का नुक्सान हो गया .
कैसे और किस मद से होगा ठेकेदार को भुगतान , क्या कार्यवाही होगी ईई गोस्वामी पर ...
  ठेकेदार से चर्चा करने पर यह तो स्पष्ट हो गया कि डी -9 बंगले के संधारण का कार्य का निर्देश बिना किसी दस्तावेज के ईई मोहनपुरी गोस्वामी ने दे दिया . वर्तमान समय में ऐसी कोई आपात काल स्थिति भी नहीं थी किन्तु फिर भी निगम के बड़े अधिकारी की बातो पर भरोसा करते हुए ठेकेदार झा द्वारा संधारण में लाखो रूपये खर्च हो गए अब देखना यह है कि शासकीय पद का लाभ उठाते हुए क्या ईई गोस्वामी बिना शासकीय दस्तावेज के अवैधानिक कार्य कर सकते है क्या इस कार्य के लिए ईई गोस्वामी ने नव नियुक्त आयुक्त सुमीत अग्रवाल को भरोसे में लिया था या उन्हें भी अँधेरे में रखा वही विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जिला प्रशासन के बड़े अधिकारियों ने इस कार्य पर आपत्ति उठाई अब देखना यह होगा कि क्या मामले की तह तक जायेंगे आयुक्त सुमीत अग्रवाल या यह मामला फाइलो के बीच दब जाएगा 

  दुर्ग / शौर्यपथ / जिला चिकित्सालय दुर्ग की जीवनदीप समिति कार्यकारिणी सभा की बैठक समिति की अध्यक्ष एवं कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी की अध्यक्षता में 19 नवम्बर 2024 को शाम 4 बजे जिला चिकित्सालय दुर्ग के टेलीमेडिसीन कक्ष में आयोजित की गई है। बैठक की एजेण्डानुसार विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी। समिति से संबंधित अधिकारियों को बैठक में उपस्थिति सुनिश्चित करने कहा गया है।

मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री मोदी और केन्द्रीय वन मंत्री यादव के प्रति जताया आभार

    रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ को बाघों के संरक्षण और संवर्धन के लिए ‘गुरू घासीदास-तमोर पिंगला टायगर रिजर्व‘ के रूप में एक नया टायगर रिजर्व मिल गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस महत्वपूर्ण घोषणा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय वन मंत्री भूपेन्द्र यादव को धन्यवाद दिया है। यह टायगर रिजर्व देश का 56वां टायगर रिजर्व होगा। गुरू घासीदास-तमोर पिंगला टायगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 2829.387 वर्ग किलोमीटर होगा। इनमें आरक्षित वन 1254.586 वर्ग किलोमीटर, संरक्षित वन 1438.451 वर्ग किलोमीटर तथा राजस्व क्षेत्र 136.35 वर्ग किलोमीटर शामिल हैं।
  उल्लेखनीय है कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व को देश के 56वें टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किए जाने की जानकारी राष्ट्र को दी है। उन्होंने कहा कि भारत बाघ संरक्षण में नए मील के पत्थर स्थापित कर रहा है, इसी क्रम में हमने छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास-तमोर पिंगला को 56वें टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया है। गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व 2,829 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।

   
  छत्तीसगढ़ सरकार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की सलाह पर छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, कोरिया, सूरजपुर और बलरामपुर जिलों में गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व को अधिसूचित किया। कुल 2829.38 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस बाघ अभयारण्य में 2049.2 वर्ग किलोमीटर का कोर/ क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट शामिल है, जिसमें गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं, और इसका बफर क्षेत्र 780.15 वर्ग किलोमीटर का है। यह इसे आंध्र प्रदेश के नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और असम के मानस टाइगर रिजर्व के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बनाता है। गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व देश में अधिसूचित होने वाला 56वां टाइगर रिजर्व बन गया है।
  भारत की राष्ट्रीय वन्यजीव योजना में परिकल्पित संरक्षण के लिए परिदृश्य दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, नव अधिसूचित बाघ अभयारण्य मध्य प्रदेश में संजय दुबरी बाघ अभयारण्य से सटा हुआ है, जो लगभग 4500 वर्ग किलोमीटर का परिदृश्य परिसर बनाता है। इसके अलावा, यह अभयारण्य पश्चिम में मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य और पूर्व में झारखंड के पलामू बाघ अभयारण्य से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने अक्टूबर, 2021 में गुरु घासीदास-तमोर पिंगला बाघ अभयारण्य को अधिसूचित करने के लिए अंतिम मंजूरी दी थी।
 छोटा नागपुर पठार और आंशिक रूप से बघेलखंड पठार में स्थित यह बाघ अभयारण्य विविध भूभागों, घने जंगलों, नदियों और झरनों से समृद्ध है, जो समृद्ध जीव विविधता के लिए अनुकूल हैं और इसमें बाघों के लिए महत्वपूर्ण आवास मौजूद हैं।
  भारतीय प्राणी सर्वेक्षण द्वारा गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व से 365 अकशेरुकी और 388 कशेरुकी सहित कुल 753 प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया गया है। अकशेरुकी जीवों का प्रतिनिधित्व ज्यादातर कीट वर्ग द्वारा किया जाता है। कशेरुकी जीवों में पक्षियों की 230 प्रजातियाँ और स्तनधारियों की 55 प्रजातियाँ शामिल हैं, जिनमें दोनों समूहों की कई संकटग्रस्त प्रजातियाँ शामिल हैं।
  इस अधिसूचना के साथ, छत्तीसगढ़ में अब 4 बाघ रिजर्व हो गए हैं, जिससे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से मिल रही तकनीकी और वित्तीय सहायता से इस प्रजाति के संरक्षण को मजबूती मिलेगी।

नरेश देवांगन की ख़ास रिपोर्ट  
जगदलपुर/शौर्यपथ/आदिवासी विकास विभाग के तहत जिले में संचालित आश्रमों एवं छात्रावासों के अधीक्षकों की बैठक जिले के कलेक्टर समय समय पे उपलब्ध सुविधाओं तथा आधारभूत संसाधनों की समीक्षा करते रहते है । जहा आश्रम एवं छात्रावासों में निवासरत बच्चों को बेहतर वातावरण देने तथा परिसरों में आवश्यक सुविधाओं व सुरक्षात्मक उपाय सुनिश्चित करने हेतु हरसंभव प्रयास करने के निर्देश दिए जाते है । साथ ही यह भी कहा जाता है कि इसमें किसी प्रकार की कोताही अथवा लापरवाही किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही अधीक्षकों को बिना अनुमति के छात्रावास नहीं छोड़ने, प्रतिदिन भोजन की गुणवत्ता परखने, बच्चों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराने व सुरक्षा व्यवस्था की मॉनिटरिंग करने के भी सख्त निर्देश दिए गए है । बावजूद इसके भी सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के बालक आश्रम पेदाकुरती के अधीक्षक उच्चधिकारी के निर्देशों का पालन करते नहीं दिख रहे है।
  मिली जानकारी अनुसार अधीक्षक के द्वारा प्रतिदिन भोजन की गुणवत्ता पे ध्यान नहीं दिया जा रहा है और ना ही बच्चों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण करवाया जाता है बच्चों कि माने तो मेनू चार्ट के हिसाब से भोजन नहीं दिया जा रहा है। आश्रम में रखे बच्चों के लिए दवाईयों में कई दवाई एक्सपायर हो चुकी है। बच्चों से पूछने से बताया कि जब भी कोई बच्चा बीमार होता है तो दवाई अधीक्षक के द्वारा इसी डब्बे से निकाल के देते है जबकि डब्बे में रखी  दवाई Chloroquine phosphate tablets EXP. 10/24 है।
  ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अधीक्षक दवाई को देने से पहले उसकी अंतिम तिथि कि जाँच नहीं करते? क्यों एक्सपायर हो चुकी दवाई को रख बच्चों को दिया जा रहा है? एक्सपायर हुई दवाई को खाने से होने वाली नुकसान का भरपाई कौन करेगा? क्यूंकि जानकारों का कहना है कि एक्सपायर हो चुकी दवाओं में बैक्टीरिया के बढ़ने का जोखिम होता है और कम शक्तिशाली एंटीबायोटिक्स संक्रमण का इलाज करने में विफल हो सकते हैं, जिससे अधिक गंभीर बीमारियाँ और एंटीबायोटिक प्रतिरोध हो सकता है। एक बार समाप्ति तिथि बीत जाने के बाद इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि दवा सुरक्षित और प्रभावी होगी।
जबकि जिम्मेदारों के द्वारा समय समय पे आश्रम / छात्रावास कि निरिक्षण करने कि बात भी कही जाती है। जिम्मेदार अगर अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभा रहे है तो इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो रही है ?

   दुर्ग / शौर्यपथ / नगर निगम द्वारा आयोजित शिविर में क 1 के 1571  प्राप्त आवेदनों में से 1377 आवेदकों के आवेदन को अस्वीकृति कर दिया गया है जिसको लेकर महापौर धीरज बाकलीवाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधीश महोदय से मुलाकात की। इस अवसर पर सभापति राजेश यादव,आर एन वर्मा,अलताफ अहमद,एम.आई.सी. सदस्य दीपक साहू,संजय कोहले,जमुना साहू,बृजलाल पटेल, और शिशिरकांत कसार भी उपस्थित रहे।  
  प्रतिनिधिमंडल ने आगामी नगर निगम चुनाव के संदर्भ में सभी वार्डों में लगाए गए शिविरों के माध्यम से मतदाता सूची में नाम जोड़ने और काटने के लिए प्राप्त आवेदनों पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में ऐसे आवेदन निरस्त किए गए हैं, जिससे कई मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। प्रतिनिधिमंडल ने इसे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन बताया और जिलाधीश महोदय से इन मामलों पर तुरंत संज्ञान लेने का अनुरोध किया।  
  महापौर धीरज बाकलीवाल ने कहा कि यह समस्या गंभीर है और यदि समय पर समाधान नहीं किया गया, तो बड़ी संख्या में मतदाता अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। उन्होंने मांग की कि इन आवेदनों की फिर से जांच की जाए और निरस्त किए गए आवेदनों पर उचित कार्रवाई की जाए।  

इस अवसर पर जिलाधीश महोदय ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि सभी आवेदनों पर समयबद्ध तरीके से कार्रवाई की जाएगी और नागरिकों को राहत पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।

सीएम साय ने दिए निर्देश:आदिवासी अँचलों में 77,292 घरों में बिजली पहुंचाने का कार्य प्रगति पर
8,091 किलोमीटर लाइनें, 2217 ट्रांसफॉर्मर, 7950 बसाहटें  

  रायपुर / शौर्यपथ / आदिवासी अँचलों में बिजली से वंचित रह गए घरों में बिजली पहुंचाने के लिए 3 अतिविशिष्ट योजनाओं के माध्यम से 77,292 घरों में बिजली पहुंचाने की कार्ययोजना बनाकर उस पर अमल प्रारंभ कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी द्वारा इस महती कार्ययोजना पर कार्य किया जा रहा है जिसमें से 2 योजनाएं केंद्र सरकार की है तथा 1 योजना छत्तीसगढ़ शासन की है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 426 करोड़ रुपए से अधिक लागत की इन योजनाओं का क्रियान्वयन शीघ्रता से करने के निर्देश दिए है। वहीं छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनीज के अध्यक्ष रोहित यादव ने तीनों योजनाओं की प्रगति की नियमित तौर पर मॉनिटरिंग की व्यवस्था की है।
  प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा-अभियान (पीएम जनमन) के अंतर्गत छत्तीसगढ़ की अति पिछड़ी 7 जनजातियों जिनमें अबुझमाड़िया, बैगा, भारिया, पहाड़ी कोरवा, कमार तथा बिरहोर शामिल हैं, इन 7 जनजातियों के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। ग्रिड से विद्युतीकृत गांवों के 7,077 घरों में बिजली पहुंचाने के लिए 37 करोड़ 60 लाख रुपए की लागत से कार्य किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 1,087 बसाहटों में 363.24 किलोमीटर 11 के.वी. लाइन, 267 नग 25 के.वी.ए. क्षमता के वितरण ट्रांसफॉर्मर तथा 650 किलोमीटर से अधिक निम्नदाब लाइनें बिछाई जा रही है। पीएम जनमन के तहत अभी तक 4,500 घरों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है।
  प्रधानमंत्री जनजाति उन्नत ग्राम अभियान की घोषणा हाल ही में की गई है जिसके अंतर्गत 919 गांवों के 65,711 अविद्युतीकृत घरों में बिजली पहुंचाने के लिए 323 करोड़ 63 लाख रुपए की कार्ययोजना को स्वीकृति मिली है। जिसके अंतर्गत 6,863 बसाहटों में 1889.56 किलोमीटर लाइनें, 25 के.वी.ए. क्षमता के 1950 वितरण ट्रांसफॉर्मर स्थापित किए जाएंगे तथा 5,188 किलोमीटर से अधिक निम्नदाब लाइनें बिछाई जाएंगी।
  आदिवासी बहुल गांवों में बिजली पहुंचाने में सबसे बड़ी समस्या वहां के सघन वन क्षेत्र होते हैं। घने जंगलों में बहुत से क्षेत्र पहुंच विहीन होती हैं। इसके अलावा बस्तर के सघन वन क्षेत्रों में विरासत में मिली नक्सलवाद की समस्या भी है जिसके समाधान की दिशा में राज्य सरकार द्वारा केंद्र की मदद से लगातार प्रयास किया जा रहा है। इस मोर्चे पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के कार्यकाल में बड़ी सफलताएं भी मिल रही हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर सुरक्षाबलों की तैनाती केंद्र तथा राज्य शासन द्वारा की गई है। जिसके लिए सुरक्षा कैम्प बनाए गए है। सुरक्षा कैम्पों के समीप 5 किलोमीटर के दायरे में बहु-आयामी विकास कार्यों को गति देने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा नियद नेल्लानार योजना प्रांरभ की गई है। इस योजना के अंतर्गत 24 सुरक्षा कैम्पों के 5 किलोमीटर के दायरे में 96 गांवों में घरों को रोशन करने की कार्ययोजना बनाकर कार्य प्रारंभ किया गया है। इसमें ग्रिड से विद्युतीकृत 8 गांवों के 105 आवासों तथा ऑफग्रिड विद्युतीकृत 61 गांवों के 4,399 आवासों को ग्रिड से विद्युतीकृत करने की योजना प्रचलन में है। 61 करोड़ रुपए की लागत से इस योजना के अंतर्गत उपकेंद्रों, वितरण लाइनों की स्थापना की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत बीजापुर जिले के यथागुण्डम तथा चिन्तावागु गांवों का विद्युतीकरण किया गया है तथा 60 आवासों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनीज के अध्यक्ष  रोहित यादव के निर्देशानुसार इन तीनों योजनाओं को प्राथमिकता से पूरा किया जाना है। एम.डी. डिस्ट्रीब्यूशन भीमसिंह कंवर द्वारा नियमित तौर पर क्रियान्वयन की समीक्षा की जा रही है।

टेकऑफ़ से पहले हल्बी, पहुंचने पर गोंडी में किया ट्वीट 

    रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में शामिल हुए| यहां उन्होंने बस्तर के विकास एवं विकास योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की एवं जनप्रतिनिधियों से सुझाव भी मांगे| इस दौरन प्राधिकरण की बैठक एवं बस्तर आने को लेकर मुख्यमंत्री श्री साय का बस्तर के प्रति जुड़ाव विशेष रूप से देखने को मिला, मुख्यमंत्री ने बस्तर के लिए टेकऑफ़ से पहले हल्बी और पहुंचने पर गोंडी में ट्वीट किया| इसके बाद एक के बाद एक ट्वीट के जरिए मुख्यमंत्री श्री साय का बस्तर की लोक संस्कृति, यहां के लोगों, उनकी परंपराओं और यहां के मनोरम पर्यटन के प्रति प्रेम दिखा|
  मुख्यमंत्री ने टेकऑफ़ से पहले हल्बी बोली में ट्वीट कर बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में शामिल होने की जानकारी देते हुए इसे क्षेत्र के विकास को नई दिशा देने वाला बताया| बैठक में शामिल होते हुए उन्होंने गोंडी में ट्वीट किया, इस ट्वीट के साथ मुख्यमंत्री स्वयं भी गौर सिंग मुकुट पहनकर मांदर पर थाप देते नजर आए| उन्होंने अपनी फोटो पोस्ट कर लिखा कि – बस्तर आकर मांदर की थाप पर गौर नृत्य का आनंद लिया, बस्तर आकर यहां की संस्कृति का हिस्सा बनना कमाल का अनुभव है| गौरतलब है कि यह पहली बार है जब कोई मुख्यमंत्री बस्तर गये हों और वहां की क्षेत्रीय बोली के जरिए अपनी बात सार्वजानिक रूप से लोगों तक पहुंचाई हो|
  प्राधिकरण की बैठक में शामिल होने चित्रकोट पहुंचने पर मुख्यमंत्री का स्वागत बस्तरिया अंदाज में हुआ, श्री साय स्वयं भी बस्तरिया रंग में रंगे दिखे, उनके स्वागत में बस्तरिया लोक नर्तक दलों ने लोकनृत्यों की प्रस्तुति दी| मुख्यमंत्री ने चित्रकोट जलप्रपात के पास खड़े होकर एक फोटो भी पोस्ट की, जिसके जरिए उन्होंने बस्तर के पर्यटन के प्रति अपनी विशेष रूचि जाहिर की|

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