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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
जगदलपुर, शौर्यपथ। स्थानीय प्रियदर्शिनी इंदिरा स्टेडियम के शनिवार को जिला स्तरीय बस्तर पंडुम का रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर जनप्रतिनिधियों एवं समाज प्रमुखों ने कहा कि यह आयोजन बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और संवर्धित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। बस्तर पंडुम के माध्यम से पारंपरिक नृत्य, लोकगीत, हस्तशिल्प और आदिवासी रीति-रिवाजों को मंच प्रदान किया जा रहा है, जिससे स्थानीय संस्कृति को नई पहचान मिल रही है। इस उत्सव में विभिन्न जनजातीय समूह अपनी कला और परंपराओं का प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे न केवल सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ेगी बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उक्त कार्यक्रम में जिले के सभी विकासखंडों के स्थानीय लोक कलाकारों, जनजातीय समुदायों और संस्कृति प्रेमियों का उत्साह देखते ही बना। बस्तर पंडुम न केवल संस्कृति को सहेजने का प्रयास है बल्कि सामाजिक एकता और पारंपरिक मूल्यों को भी सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। इस दौरान हजारों प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़ कर उत्साहपूर्वक भाग लिया।
उल्लेखनीय है कि बस्तर पंडुम 2025 के अन्तर्गत अनेक विधाएं शामिल की गई है। जिसमें जनजातीय नृत्यों के तहत गेड़ी, गौर-माड़िया, ककसाड़, मांदरी, हुलकीपाटा, परब सहित लोक गीत श्रृंखला के तहत जनजातीय गीत- चैतपरब, लेजा, जगारगीत, धनकुल, हुलकी पाटा (रीति-रिवाज, तीज त्यौहार, विवाह पद्धति एवं नामकरण संस्कार आदि) जनजातीय नाट्य श्रेणी में भतरा नाट्य जिन्हें लय एवं ताल, संगीत कला, वाद्य यंत्र, वेषभूषा, मौलिकता, लोकधुन, वाद्ययंत्र, पारंपरिकता, अभिनय, विषय-वस्तु, पटकथा, संवाद, कथानक के मानकों के आधार पर मूल्यांकन किया गया। इसके अलावा जनजातीय वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन के तहत धनकुल, ढोल, चिटकुल, तोड़ी, अकुम, झाब, मांदर, मृदंग, बिरिया ढोल, सारंगी, गुदुम, मोहरी, सुलुङ, मुंडाबाजा, चिकारा शामिल रहे। जिन्हें संयोजन, पारंगता, प्रकार, प्राचीनता के आधार पर अंक दिए गए। जनजातीय वेशभूषा एवं आभूषण का प्रदर्शन विधा में लुरकी, करधन, सुतिया, पैरी, बाहूंटा, बिछिया. ऐंठी, बन्धा, फुली, धमेल, नांगमोरी, खोचनी, मुंदरी, सुर्रा, सुता, पटा, पुतरी, नकबेसर जैसे आभूषण में एकरूपता, आकर्षकता, श्रृंगार, पौराणिकता को महत्व दिया गया। जनजातीय शिल्प एवं चित्रकला का प्रदर्शन विधा के अंतर्गत घड़वा, माटी कला, काष्ठ, ढोकरा, लौह प्रस्तर, गोदना, भित्तीचित्र, शीशल, कौड़ी शिल्प, बांस की कंघी, गीकी (चटाई), घास के दानों की माला प्रदर्शन प्रस्तुतियां हुई। साथ ही जनजातीय पेय पदार्थ एवं व्यंजन का प्रदर्शन- सल्फी, ताड़ी, छिंदरस, लांदा, कोसरा, जोन्धरा एवं मड़िया पेज, चापड़ा चटनी, सुक्सी पुड़गा,मछरी पुड़गा,मछरी झोर, आमट साग, तिखुर, बोबो इत्यादि के बनाने की विधि, स्थानीय मसाले, स्वाद, प्रकार का प्रस्तुतिकरण बस्तर पंडुम 2025 के मुख्य आकर्षण रहे।
*समाज प्रमुखों ने कहा बस्तर पंडुम का आयोजन राज्य सरकार की सराहनीय पहल*
बस्तर पंडुम में सक्रिय सहभागिता निभाने वाले समाज प्रमुखों में बस्तर पंडुम के प्रति खासा उत्साह एवं अलग ही लगाव देखने को मिला। इस दौरान इन समाज प्रमुखों ने बस्तर पंडुम आयोजन को सराहनीय पहल निरूपित करते हुए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और राज्य सरकार के प्रति कृतज्ञता प्रकट किया। इस मौके पर पूर्व विधायक एवं सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष राजाराम तोड़ेम ने बस्तर पंडुम को राज्य सरकार की जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक विविधता को देश-दुनिया में पहुंचाने की अनुपम प्रयास रेखांकित किया। वहीं पूर्व विधायक लछुराम कश्यप ने बस्तर पंडुम को जनजातीय संस्कृति को संरक्षित एवं संवर्धित करने की दिशा में उल्लेखनीय पहल निरूपित करते हुए बस्तर पंडुम में सहभागी बने सभी लोक कलाकारों और सर्व आदिवासी समाज के सदस्यों से इस दिशा में गांव-गांव तक जागरूकता लाने सहित भावी पीढ़ी को जोड़ने का आग्रह किया। जिला पंचायत के उपाध्यक्ष बलदेव मंडावी ने बस्तर पंडुम को जनजातीय समुदाय के भावी पीढ़ी के लिए समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सीखने-समझने का बेहतर मंच बताते हुए कहा कि वर्तमान समय में भावी पीढ़ी अपनी संस्कृति,परम्परा, रीति-रिवाजों से दूर हो रही है। बस्तर पंडुम जैसे आयोजन में सक्रिय सहभागी बनकर भावी पीढ़ी अपना जुड़ाव महसूस करेगी। इस अवसर पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों सहित कलेक्टर हरिस एस, एसपी शलभ सिन्हा, सीईओ जिला पंचायत प्रतीक जैन और जिला प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी एवं सदस्य व गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित साहित्यकार, उपन्यासकार एवं कवि विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार सम्मान की घोषणा पर हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी है। उन्होंने इसे छत्तीसगढ़ के लिए अत्यंत गौरव का क्षण बताया और कहा कि शुक्ल जी ने छत्तीसगढ़ को भारत के साहित्यिक मानचित्र पर गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान किया है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि विनोद कुमार शुक्ल का साहित्य विचारों और संवेदनाओं का अद्वितीय संगम है, जो जनमानस को छूता है। उनकी रचनाओं में गहराई, मौलिकता और मानवीय सरोकारों की झलक मिलती है। उनका रचना संसार छत्तीसगढ़ की माटी की खुशबू को भारत के कोने-कोने में पहुँचाता है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि ज्ञानपीठ जैसे प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित होना न केवल उनके सृजन की पहचान है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक एवं साहित्यिक वैभव की भी मान्यता है। मुख्यमंत्री साय ने उनके दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना की है।
मुख्यमंत्री साय ने भारतीय प्रबंध संस्थान में छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्यों के लिए आयोजित दो दिवसीय पब्लिक लीडरशिप प्रोग्राम का किया शुभारम्भ
नेतृत्व क्षमता को सशक्त बनाने के लिए विधायकों का विशेष प्रशिक्षण
रायपुर / शौर्यपथ / हम सभी के बीच मतभेद हो सकते है लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए और छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्यों में यह बात हमेशा से कायम है। छत्तीसगढ़ का विकास हमारा मूल उद्देश्य है और जनप्रतिनिधि के रूप में हमें प्रदेशवासियों के हित में सदैव समर्पित होकर काम करना है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्यों के लिए भारतीय प्रबंध संस्थान रायपुर में आज आयोजित दो दिवसीय पब्लिक लीडरशिप प्रोग्राम के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही।
सीखने की कोई उम्र नहीं होती, नेतृत्व क्षमता में निरंतर निखार जरूरी
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अपने मन की बात कार्यक्रम में हमेशा सीखते रहने की बात करते है और निश्चित रूप से सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। यहां कई ऐसे विधायक मौजूद है, जिनका जनप्रतिनिधि के रूप में लंबा अनुभव है, लेकिन वे भी इस कार्यक्रम को लेकर बहुत अधिक उत्साहित है। श्री साय ने कहा कि आप सभी सदस्यों की मौजूदगी यह साबित करती है कि छत्तीसगढ़ के विकास को लेकर आप कितने चिंतित भी है और उत्साहित भी है।
श्री साय ने कहा कि जनप्रतिनिधि के रूप में आमजनों से आपका व्यवहार सबसे बड़ी पूंजी है और यह लोगों के मन में आपके और संसदीय व्यवस्था के प्रति विश्वास को अधिक मजबूत करेगा।नवीन समाधानों को साझा करने और विकसित छत्तीसगढ़ 2047 के लक्ष्य को पाने में प्रशिक्षण कार्यक्रम उपयोगी
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह पब्लिक लीडरशिप प्रोग्राम नवीन समाधानों को साझा करने का मजबूत मंच है और विकसित छत्तीसगढ़ 2047 के लक्ष्य को पाने में यह उपयोगी और सार्थक सिद्ध होगा। मुख्यमंत्री श्री साय ने छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सुशासन की संकल्पना को स्थापित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि ई ऑफिस की व्यवस्था से प्रशासनिक दक्षता के साथ-साथ पारदर्शिता भी बढ़ी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हमें प्रदेश को आगे ले जाना है तो सभी प्रकार की चुनौतियों से निपटने के लिए समान रूप से तैयार रहना होगा। उन्होंने सार्वजनिक हित में तकनीक के सदुपयोग पर विशेष जोर दिया।
मुख्यमंत्री साय ने भारतीय प्रबंध संस्थान में पिछले वर्ष आयोजित चिंतन शिविर को भी अत्यधिक उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि चिंतन शिविर में हमने जो कुछ सीखा था, छत्तीसगढ़ के नीति निर्माण में हमने इसका भरपूर उपयोग किया है। विजन डॉक्यूमेंट से लेकर बजट तैयार करने में भी हमें इससे बड़ी मदद मिली। मुख्यमंत्री ने विधानसभा के सभी सदस्यों से दो दिवसीय सत्र का भरपूर लाभ लेने को कहा और प्रबंध संस्थान को सफल आयोजन की शुभकामनाएं दी।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने लीडरशिप प्रोग्राम को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में सभी सदस्य लगभग 1 महीने तक सक्रियता के साथ शामिल रहे और इसके तुरंत बाद इस दो दिवसीय आयोजन में आप सभी की उपस्थिति प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा आप लोग सोच रहे होंगे कि जीतने के बाद हमारा प्रशिक्षण क्यों? जीतने के बाद हमारी जिम्मेदारी और भूमिका बढ़ जाती है, इसलिए हमें लगातार सीखते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें केवल अपने क्षेत्र के लिए नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ की बेहतरी के लिए कार्य करना है।
डॉ. सिंह ने कहा कि हम अपने आसपास के परिवेश और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य के प्रति कितने सजग है, जनप्रतिनिधि के रूप में आपको सफल बनाने में यह तथ्य महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि आपके पास अपने विधानसभा क्षेत्र की छोटी से छोटी जानकारी होनी चाहिए। डॉ. सिंह ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल से जुड़े कई अनुभव साझा किए और जनता से व्यवहार, जुड़ाव और उनका भरोसा जीतने को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।
नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास मंहत ने कहा विधायक बनते ही हम लीडर बन गये, ऐसा सोचना गलत धारण होगी। लीडर बनना एक प्रक्रिया है और हमें यह सीखना होगा। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों से निकलकर जशपुर का एक आदिवासी बेटा आज मुख्यमंत्री बना है, यह हमारे लोकतंत्र की खूबसूरती और ताकत है। हम सभी का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ की उन्नति है और इसी को लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्यगण, नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम, आईआईएम रायपुर के निदेशक राम कुमार, आईआईएम के प्रोफेसर सुमीत गुप्ता, प्रोफेसर संजीव पराशर, प्रोफेसर श्रीमती अर्चना पराशर उपस्थित थे।
जल संचय, जल संरक्षण के लिए सबको समन्वित प्रयास करना जरूरी है : उप मुख्यमंत्री अरुण साव
रायपुर / शौर्यपथ / उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने रायपुर निवास कार्यालय में कहा कि, भारत में रहने वाले सभी एक है। अनेकता में एकता ही भारत की पहचान है। देश विविध संस्कृति और सभ्यता से मिलकर बना है। सभी की अपनी परंपराएं हैं और सब मिलकर ही देश बनता है, इसलिए एक भारत श्रेष्ठ भारत है।
उप मुख्यमंत्री साव ने ग्रीष्मकाल में जल संकट पर कहा कि, समय के साथ जल की कीमत पूरी दुनिया को समझ में आ रहा है। जल है तो कल है, ये केवल नारे नहीं है, यह हकीकत है। उन्होंने कहा कि, लगातार जल स्तर नीचे गिरते जा रहा है। ये सभी के लिए चिंता का विषय है। इससे बचने के लिए सबको समन्वित प्रयास करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि, अच्छी बारिश नहीं होने के कारण गांवों के तालाब नहीं भर रहे, बारिश का पानी धरती पर रुकना बेहद जरूरी है। श्री साव ने कहा कि, गांवों के साथ शहरों में वर्षा जल को संरक्षित करने वॉटर हार्वेस्टिंग कराना चाहिए, ताकि जलस्तर बरकरार रहे, सबको नई सोच के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री साव ने कहा कि, सरकार लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए तत्परता से कार्य कर रही है। सभी विभागों को पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्देश दिए गए है। वहीं सरकार के साथ साथ हर नागरिक को भी इस दिशा में जागरूक होना पड़ेगा। आज जल संचय, जल संरक्षण, जल संवर्धन पर गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है।
श्री साव ने विधायकों के प्रशिक्षण पर कहा कि, यह विधानसभा की ओर से सभी विधायकों के लिए आयोजित किया गया है। इसी तरह पूर्व में मंत्रियों को भी दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया, अब सभी विधायकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। जैसे कि- वे कैसे काम करें, जिससे जन अपेक्षाएं पूरी हो, अच्छे जन प्रतिनिधि कैसे बनें। इन सब विषयों पर अलग-अलग सत्रों में विधायकों को मार्गदर्शन मिलेगा। यह प्रशिक्षण पहली बार के विधायकों के लिए उपयोगी होगा।
धीवर समाज को मिला प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद, सनातन का किया प्रचार प्रसार : उप मुख्यमंत्री अरुण साव
दुर्ग / शौर्यपथ / उप मुख्यमंत्री अरुण साव आज दुर्ग जिले के ग्राम दारगांव में आयोजित छत्तीसगढ़ धीवर समाज के वार्षिक अधिवेशन एवं सम्मान समारोह में शामिल हुए। समारोह में श्री साव ने नगर पंचायत धमधा में धीवर समाज के सामाजिक भवन निर्माण के लिए 25 लाख रुपए देने की घोषणा की है। वहीं सभा को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री साव ने कहा कि, धीवर समाज प्रभु श्रीराम जी के आशीर्वाद से निरंतर आगे बढ़ रहा है। भगवान राम को गंगा पार लगाने का आशीर्वाद मिला है। प्रभु भजन के माध्यम से धीवर समाज ने हमेशा सनातन धर्म का प्रसार किया है। सरकार ने भी कई योजनाएं बनाई है, जिसका लाभ उन्हें मिला है।
उप मुख्यमंत्री साव ने कहा कि, धीवर समाज बहुत ईमानदार और मेहनती एवं प्रतिष्ठित समाज है। अपनी प्रतिष्ठा और मेहनत के दम पर समाज ने प्रदेश में एक अलग स्थान बनाई है। पूरा समाज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। श्री साव ने कहा कि, प्रयागराज महाकुंभ में एक परिवार त्रिवेणी संगम में नाव चलाकर 45 दिन में करोड़ रुपए की कमाई की है। परिवार को भगवान राम के आशीर्वाद होने पर ही ऐसा परिणाम मिला है।
सम्मेलन से सामाजिक कुरीति होती है दूर
सामाजिक सम्मेलन में छोटे पारिवारिक विवाद, मनमुटाव को निपटाने का काम होगा। समाज को एकजुट करने के लिए ये जरूरी काम है। न्यायालय जाने से समय और पैसे की बर्बादी होती है। सामाजिक बैठक से बड़े बड़े विवाद सुलझ जाते हैं। साथ ही सामाजिक कुरीतियों को भी दूर करने चर्चा होती है।
जल संकट की चिंता हम सबको करनी है
सामाजिक सम्मेलन में श्री साव ने जल संकट से बचने के लिए अपील की। उन्होंने कहा कि, जल संकट की समस्या का निदान सबको मिलकर करना है। आज गांवों में कुआं नंदा गया है। तालाब भी समय से पहले सूख रहे हैं। इसकी सबको चिंता करनी है। सबको जागरूक होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि, बरसात के पानी को रोककर रखना है। इसके लिए तालाब पाथ को अच्छे से बनाना है, ताकि पानी बाहर ना जाए और तालाब लबालब भरा रहे।
कार्यक्रम में धीवर समाज के अध्यक्ष सूरज धीवर जी, लाभचंद बाफना जी,अवधेश चंदेल, चंद्रशेखर वर्मा , राधेश्याम चंद्रवंशी, रामेश्वर निषाद , जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सरस्वती बंजारे , जनपद अध्यक्ष जितेंद्र साहू, सतीश साहू , रामलाल धीवर , पवन धीवर, चंद्रविजय , हेमंत धीवर , समाज के सभी परगना के अध्यक्ष, जिला, तहसील, पदाधिकारी उपस्थित रहे।
दुर्ग। शौर्यपथ। विधानसभा चुनाव,लोकसभा चुनाव और नगरी निकाय चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार के बाद आखिरकार प्रदेश संगठन ने जिला संगठन के प्रमुखों की फेरबदल आरंभ कर दी . आल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर छत्तीसगढ़ के 11 जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की है जिसमें बालोद से चंद्रेश हिरवानी , दुर्ग ग्रामीण से राकेश ठाकुर , नारायणपुर से बिसेल नाग कोंडागांव से बुधराम नेताम कोरबा शहर से नाथू लाल यादव कोरबा ग्रामीण से मनोज चौहान बलौदा बाजार से सुमित्रा घृतलहरे सारंगढ़ बिलाईगढ़ से ताराचंद देवांगन , सरगुजा से बालकृष्ण पाठक,बलरामपुर से कृष्ण प्रताप सिंह और बेमेतरा से पूर्व विधायक आशीष छाबड़ा को जिला अध्यक्ष नियुक्त कर कांग्रेस संगठन ने फेरबदल कर कांग्रेस को मजबूत प्रदान करने की दिशा में कदम उठाया।
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जनरल सेक्रेटरी के सी वेणुगोपाल ने सूची जारी करते हुए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से लागू करने पत्र जारी किया .
रायपुर/शौर्यपथ/छत्तीसगढ़ में अग्निवीर भर्ती के परिणाम कल 22 मार्च 2025 को घोषित किए जाएंगे। परीक्षा में सफल अभ्यर्थी किं इस साल भारतीय सेना में अग्निवीर बनकर देश की सेवा करेंगे।
अभ्यर्थी परिणाम देखने के लिए जॉइन इंडियन आर्मी के साइट
https://www.joinindianarmy.nic.in/
का अवलोकन कर सकते हैं। परिणाम सेना भर्ती कार्यालय रायपुर के नोटिस बोर्ड पर भी प्रदर्शित किए जाएंगे।
सभी सफल अभ्यर्थियों को 24 मार्च को सुबह 06:30 बजे सेना भर्ती कार्यालय रायपुर शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय किकेट स्टेडियम, नया रायपुर में प्रारंभिक ब्रीफिंग और डिस्पैच प्रलेखन के लिए उपस्थित होना आवश्यक है। इन सभी सफल अभ्यार्थियों की ट्रेनिंग 01 मई 2025 से अलग-अलग ट्रेनिंग सेंटर में शुरू जाएगी।
किसी भी अन्य जानकारी और समस्या के समाधान के लिए सेना भर्ती कार्यालय रायपुर के टेलिफोन नंबर 0771-2965212,0771-2965214 पर संपर्क किया जा सकता है।
रायपुर /शौर्यपथ /खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले में आज गौ सेवा रत्न अलंकरण महोत्सव का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें राज्यपाल रमेन डेका विशेष रूप से उपस्थित हुए। राज्यपाल ने मनोहर गौशाला में पहुंचकर विधिवत पूजा-अर्चना की और गौ माता की आराधना में भाग लिया। राज्यपाल रमेन डेका ने मंदिर में गौ आरती में हिस्सा लिया और गौ माता की पूजा की। उन्होंने इस अवसर पर गौ सेवा के महत्व पर भी अपने विचार रखे और गौ रक्षा और संवर्धन की दिशा में निरंतर प्रयास करने का आह्वान किया।
पूजा-अर्चना और आरती के पश्चात, राज्यपाल ने गौशाला परिसर का भ्रमण किया और गौवंश की देखरेख और सेवा के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि गौ सेवा न केवल हमारी संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि यह पर्यावरण और ग्रामीण जीवन के संतुलन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस अवसर पर गौशाला प्रबंधन के सदस्य और ग्रामीणजन भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
बड़े भजन रामनामी मेला के लिए दिया विशेष निमंत्रण
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से छत्तीसगढ़ विधानसभा परिसर स्थित समिति कक्ष में अखिल भारतीय रामनामी महासभा के प्रतिनिधि मंडल ने सौजन्य भेंट की। प्रतिनिधिमंडल ने सक्ती जिले के ग्राम जमगहन में 9 अप्रैल को आयोजित होने वाले बड़े भजन रामनामी मेला में मुख्यमंत्री साय को आमंत्रित किया। मुख्यमंत्री ने इस निमंत्रण के लिए महासभा के पदाधिकारियों का आभार व्यक्त किया और उन्हें शुभकामनाएँ दीं।
इस अवसर पर चंद्रपुर विधायक राम कुमार यादव सहित सारंगढ़-बिलाईगढ़, जांजगीर-चांपा, बलौदाबाजार-भाटापारा एवं रायगढ़ जिले के रामनामी संप्रदाय से जुड़े सदस्यगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
रायपुर/शौर्यपथ /वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा 21 मार्च 2025 को विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ विधानसभा के समिति कक्ष में दोपहर एक बजे से आयोजित होगा।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय उपस्थित रहेंगे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता, छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह करेंगे। इसके अलावा, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत, उप मुख्यमंत्री अरूण साव एवं विजय शर्मा, वन मंत्री केदार कश्यप, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, खाद्य मंत्री श्री दयालदास बघेल, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, उद्योग मंत्री श्री लखनलाल देवांगन, स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े और खेल मंत्री टंक राम वर्मा विशिष्ट अतिथि होंगे।
वर्ष 2025 में विश्व वानिकी दिवस की थीम ‘फारेस्ट एण्ड फूड‘ है, जो वनों की खाद्य सुरक्षा, पोषण, और आजीविकोपार्जन में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है। यह कार्यक्रम वनों के महत्व और उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव वन श्रीमती ऋचा शर्मा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव सहित वरिष्ठ वन अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2012 में वनों के महत्व के प्रति जागरूकता में वृद्धि की दृष्टिकोण से दिनांक 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस के रूप में घोषित किया गया है। यह कार्यक्रम वनों के महत्व को समझने और उनके संरक्षण के लिए काम करने के लिए प्रेरित करेगा। इस कार्यक्रम में वनों के महत्व, उनके संरक्षण के तरीके, और वनों के साथ जुड़े लोगों के जीवन में सुधार करने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी। यह कार्यक्रम वनों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उनके संरक्षण के लिए प्रेरित करेगा।
रायपुर/शौर्यपथ /राज्यपाल रमेन डेका ने गत दिवस विश्व योग प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए छत्तीसगढ़ के प्रतिभागियों को 50 हजार रूपए की सहायता राशि प्रदान की है।
ये प्रतिभागी आगामी अप्रैल माह में मलेशिया में आयोजित होने वाली 16वीं विश्व योग प्रतियोगिता में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व करेंगे। छत्तीसगढ़ के प्रतिभागी खिलाड़ी सुश्री साक्षी वर्मा और श्री विभांशु बंजारे और उनके योग प्रशिक्षक नमेश कुमार साहू ने राजभवन में राज्यपाल डेका से मुलाकात की। डेका ने प्रत्येक प्रतिभागी के लिए 25-25 हजार रूपये की अनुदान सहायता राशि स्वीकृत की और उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने के लिए शुभकामनाएं दी।
रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के समूल उन्मूलन की दिशा में निर्णायक अभियान तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। आज सुरक्षाबलों ने बीजापुर-गंगालूर और कांकेर-नारायणपुर में बड़ी कार्रवाई करते हुए 30 नक्सलियों को मार गिराया। इनमें 26 नक्सली बीजापुर-गंगालूर में और 4 नक्सली कांकेर-नारायणपुर में ढेर हुए।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस सफलता को नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए कहा कि सुरक्षाबलों की वीरता और अदम्य साहस को नमन है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई मजबूती से जारी है। यह संघर्ष तब तक नहीं रुकेगा, जब तक प्रदेश पूरी तरह से नक्सलमुक्त नहीं हो जाता।
मुख्यमंत्री साय ने इस ऑपरेशन के दौरान डीआरजी के एक जवान की शहादत को नमन करते हुए कहा कि हमारे वीर जवानों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जाएगा। उन्होंने छत्तीसगढ़ को सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। उनका यह त्याग व्यर्थ नहीं जाएगा।
2026 तक नक्सलवाद का संपूर्ण उन्मूलन – संकल्प की ओर तेज़ी से अग्रसर
मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद के संपूर्ण खात्मे के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि सुरक्षाबलों की यह सफलता इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि प्रधानमंत्री श्री विष्णु देव साय और गृह मंत्री श्री अमित शाह का संकल्प पूरा होगा। प्रदेश का हर नागरिक भयमुक्त जीवन जिएगा। नक्सलवाद की अंतिम घड़ी आ चुकी है।
छत्तीसगढ़ में निर्णायक कार्रवाई का दौर जारी
प्रदेश में सुरक्षाबलों की लगातार सफल कार्रवाइयों से यह स्पष्ट हो चुका है कि नक्सलवाद का अंत अब निकट है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हम केवल नक्सली गतिविधियों को रोकने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि स्थायी शांति और विकास को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। छत्तीसगढ़ के हर नागरिक को सुरक्षित, भयमुक्त और समृद्ध जीवन देना हमारा लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सरकार और सुरक्षाबल मिलकर निर्णायक युद्ध लड़ रहे हैं। यह केवल एक सुरक्षा अभियान नहीं, बल्कि एक नई, शांतिपूर्ण और विकसित छत्तीसगढ़ की आधारशिला रखने की मुहिम है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह निर्णायक युद्ध तब तक जारी रहेगा, जब तक छत्तीसगढ़ पूरी तरह से नक्सलमुक्त नहीं हो जाता। सुरक्षाबलों की यह वीरता प्रदेश को नक्सलवाद के अंधकार से निकालकर स्थायी शांति और विकास के पथ पर ले जाने में मील का पत्थर साबित होगी।
बस्तर पंडुम के माध्यम से पारंपरिक नृत्य, लोकगीत, हस्तशिल्प और आदिवासी रीति-रिवाजों को मिला समुचित मंच
प्रतिभागियों ने बस्तर पंडुम में लिया उत्साहपूर्वक हिस्सा
22 एवं 23 मार्च को होगा दो दिवसीय जिला स्तरीय बस्तर पंडुम
रायपुर /शौर्यपथ / बस्तर जिले के जगदलपुर, बस्तर, तोकापाल, बास्तानार एवं दरभा विकासखण्ड में गुरुवार को ब्लॉक स्तरीय बस्तर पंडुम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अवसर पर जनप्रतिनिधियों एवं समाज प्रमुखों ने कहा कि यह आयोजन बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और संवर्धित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। बस्तर पंडुम के माध्यम से पारंपरिक नृत्य, लोकगीत, हस्तशिल्प और आदिवासी रीति-रिवाजों को मंच प्रदान किया जा रहा है, जिससे स्थानीय संस्कृति को नई पहचान मिल रही है। इस उत्सव में विभिन्न जनजातीय समूह अपनी कला और परंपराओं का प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे न केवल सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ेगी बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। जिले के इन सभी ब्लॉक में आयोजित उक्त कार्यक्रम में स्थानीय लोक कलाकारों, जनजातीय समुदायों और संस्कृति प्रेमियों का उत्साह देखते ही बना। बस्तर पंडुम न केवल संस्कृति को सहेजने का प्रयास है बल्कि सामाजिक एकता और पारंपरिक मूल्यों को भी सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। जिले के इन सभी विकासखंड में बस्तर पंडुम के तहत हजारों प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़ कर उत्साहपूर्वक भाग लिया। जिले में बस्तर पंडुम का जिला स्तरीय कार्यक्रम 22 एवं 23 मार्च को इंदिरा प्रियदर्शिनी स्टेडियम जगदलपुर में आयोजित किया जाएगा, जिसमें ब्लॉक स्तर से चयनित प्रतिभागी शामिल होंगे।
उल्लेखनीय है कि बस्तर पंडुम 2025 के अन्तर्गत अनेक विधाएं शामिल की गई जिसमें जनजातीय नृत्यों के तहत गेड़ी, गौर-माड़िया, ककसाड़, मांदरी, हुलकीपाटा, परब सहित लोक गीत श्रृंखला के तहत जनजातीय गीत- चैतपरब, लेजा, जगारगीत, धनकुल, हुलकी पाटा (रीति-रिवाज, तीज त्यौहार, विवाह पद्धति एवं नामकरण संस्कार आदि) जनजातीय नाट्य श्रेणी में भतरा नाट्य जिन्हें लय एवं ताल, संगीत कला, वाद्य यंत्र, वेषभूषा, मौलिकता, लोकधुन, वाद्ययंत्र, पारंपरिकता, अभिनय, विषय-वस्तु, पटकथा, संवाद, कथानक के मानकों के आधार पर मूल्यांकन किया गया। इसके अलावा जनजातीय वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन के तहत धनकुल, ढोल, चिटकुल, तोड़ी, अकुम, झाब, मांदर, मृदंग, बिरिया ढोल, सारंगी, गुदुम, मोहरी, सुलुङ, मुंडाबाजा, चिकारा शामिल रहे। जिन्हें संयोजन, पारंगता, प्रकार, प्राचीनता के आधार पर अंक दिए गए। जनजातीय वेशभूषा एवं आभूषण प्रदर्शन विधा में लुरकी, करधन, सुतिया, पैरी, बाहूंटा, बिछिया. ऐंठी, बन्धा, फुली, धमेल, नांगमोरी, खोचनी, मुंदरी, सुर्रा, सुता, पटा, पुतरी, नकबेसर जैसे आभूषण में एकरूपता, श्रृंगार, पौराणिकता को महत्व दिया गया। जनजातीय शिल्प एवं चित्रकला का प्रदर्शन विधा के अंतर्गत घड़वा, माटी कला, काष्ठ, ढोकरा, लौह प्रस्तर, गोदना, भित्तीचित्र, शीशल, कौड़ी शिल्प, बांस की कंघी, गीकी (चटाई), घास के दानों की माला प्रदर्शन प्रस्तुतियां हुई। साथ ही जनजातीय पेय पदार्थ एवं व्यंजन का प्रदर्शन- सल्फी, ताड़ी, छिंदरस, लांदा, पेज, कोसरा एवं मड़िया पेज, चापड़ा चटनी, सुक्सी पुड़गा,मछरी पुड़गा,मछरी झोर, आमट साग, तिखुर इत्यादि के बनाने की विधि, स्थानीय मसाले, स्वाद, प्रकार का प्रस्तुतिकरण बस्तर पंडुम 2025 के मुख्य आकर्षण रहे। इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों को प्रोत्साहन स्वरूप पुरस्कार भी प्रदान किया गया। इस मौके पर जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारी-कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।
समाज प्रमुखों ने बस्तर पंडुम आयोजन को सराहा
बस्तर जिले में विकासखण्ड स्तर पर आयोजित बस्तर पंडुम में सक्रिय सहभागिता निभाने वाले समाज प्रमुखों में बस्तर पंडुम के प्रति खासा उत्साह एवं अलग ही लगाव देखने को मिला। इस दौरान इन समाज प्रमुखों ने बस्तर पंडुम आयोजन को सराहनीय पहल निरूपित करते हुए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और राज्य सरकार के प्रति कृतज्ञता प्रकट किया।
इस मौके पर पूर्व विधायक एवं सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष श्री राजाराम तोड़ेम ने बस्तर पंडुम को राज्य सरकार की जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक विविधता को देश-दुनिया में पहुंचाने की अनुपम प्रयास रेखांकित किया। वहीं सर्व आदिवासी समाज के बस्तर जिला अध्यक्ष श्री दशरथ कश्यप ने बस्तर पंडुम को जनजातीय संस्कृति को संरक्षित एवं संवर्धित करने की दिशा में उल्लेखनीय पहल निरूपित करते हुए इसे हर साल आयोजित करने का सुझाव दिया।
सर्व आदिवासी समाज के महिला प्रकोष्ठ की जिला अध्यक्ष चमेली जिराम ने बस्तर पंडुम को जनजातीय समुदाय के भावी पीढ़ी के लिए समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सीखने-समझने का बेहतर मंच बताते हुए कहा कि वर्तमान समय में भावी पीढ़ी अपनी संस्कृति,परम्परा, रीति-रिवाजों से दूर हो रही है। बस्तर पंडुम जैसे आयोजन में सक्रिय सहभागी बनकर भावी पीढ़ी अपना जुड़ाव महसूस करेगी। इस बस्तर पंडुम में जनजातीय पेय पदार्थों के विधा में अपना प्रदर्शन करने पहुंचे नगरनार की अन्नपूर्णा नाग एवं भेजापदर की बुधरी बघेल ने कहा बस्तर पंडुम में जनजातीय संस्कृति की अलग छटा दिख रही है। जिसमें परम्परा, रीति-रिवाज, खान-पान सभी शामिल है। यह हमारी पहचान है और इसे संरक्षित करने के लिए सरकार का प्रयास प्रशंसनीय है।