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नजरिया / शौर्यपथ / कोरोना वैश्विक महामारी ने जिन मुद्दों और समस्याओं की तरफ सरकारों और लोगों का सर्वाधिक ध्यान आकर्षित किया है, उनमें से प्रवासी कामगारों की समस्या सबसे गंभीर है। नेशनल सैंपल सर्वे एवं भारतीय मानव विकास सर्वेक्षण के अनुसार, प्रवासी मजदूरों की अधिकांश जनसंख्या पिछड़े क्षेत्रों, राज्यों, आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों, विशेष तौर पर एसटी, एससी एवं ओबीसी से संबंधित है। उदाहरण के लिए, जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार अंतर-राज्यीय प्रवास की 50 प्रतिशत जनसंख्या उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से संबंधित है। इसमें उत्तर प्रदेश एवं बिहार का हिस्सा 37 प्रतिशत है। प्रवास निम्न आय वाले परिवारों की आजीविका का मुख्य स्रोत बन गया है, इसीलिए प्रतिवर्ष 4.5 प्रतिशत की दर से अंतर-राज्यीय प्रवास में वृद्धि हो रही है।
कोरोना वायरस संकट ने हमारा ध्यान उन समस्याओं की ओर आकर्षित किया है, जिनका सामना इन प्रवासी श्रमिकों को आए दिन करना पड़ता है। क्या अपने ही देश में संविधान प्रदत्त अधिकारों के बावजूद कामगारों को प्रवासी कहना, उनके साथ परायों जैसा व्यवहार करना उचित है? प्रवासी शब्द मात्र ही उन्हें बेघर, मेजबान राज्य पर निर्भर और आत्म स्वाभिमान से वंचित करता है। अब्राहम लिंकन ने कहा था, ‘श्रम पूंजी से पहले और स्वतंत्र है। पूंजी केवल श्रम का फल है और पूंजी कभी भी अस्तित्व में नहीं आ सकती थी, यदि श्रम का अस्तित्व नहीं होता। अत: श्रम पूंजी से श्रेष्ठ है और यह अधिक महत्व का हकदार है।’ श्रम भारत का एक आकर्षण है, लेकिन तब भी श्रमिक को उचित स्थान और अधिकार प्राप्त नहीं हैं। जहां एक ओर, कामगारों की समस्या को मानवीय दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है। काम और श्रम को उचित महत्व व सम्मान देने की जरूरत है। वहीं दूसरी ओर, मजदूरों की समस्याओं के दूरगामी समाधान के लिए सरकारी प्रयासों को और व्यवस्थित करने की जरूरत है। इस प्रयास में कुछ बिंदुओं पर ध्यान दिया जा सकता है। पहला, आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय द्वारा 2015 में पार्थ मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में 18 सदस्यीय कार्यकारी समूह बनाया गया था, जिसने प्रवासी कामगारों की समस्या पर जो सिफारिशें की थीं, उन्हें लागू करने की जरूरत है। दूसरा, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए एक व्यापक नीति बननी चाहिए, ताकि उन्हें काम करने की उचित परिस्थितियां, समय पर मजदूरी, उचित वेतन, अवकाश एवं कार्यस्थल पर सुरक्षा मिले। तीसरा, सभी प्रवासी मजदूरों की कार्यस्थल पर ही खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड स्कीम’ को प्रभावी बनाया जाए, ताकि कोई मजदूर किसी भी राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का लाभ उठा सके।
चौथा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं जन वितरण प्रणाली के अंतर्गत मोटा अनाज, दाल, तेल जैसी जरूरी सामग्रियों को शामिल किया जा सकता है। इससे श्रमिकों को पोषण भी सही मिलेगा। पांचवां, श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा के लिए कार्यस्थल पर ही श्रमिक स्कूल खोले जा सकते हैं, जो दूसरे कार्यस्थलों पर चल रहे ऐसे ही श्रमिक स्कूलों से जुडे़ हों, ताकि जब मजदूर एक जगह से दूसरी जगह जाएं, तो उनके बच्चों की शिक्षा बाधित या प्रभावित न हो। छठा, मनरेगा के अंतर्गत कार्य दिवसों की संख्या 100 से बढ़ाकर 200 की जा सकती है। सातवीं, अत्यधिक गरीब लोगों की न्यूनतम आय सुनिश्चित करने के लिए यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी किसी योजना पर विचार किया जा सकता है। सरकारें सुनिश्चित करें कि उनके पास प्रवासी श्रमिकों का पर्याप्त डाटा रहे, ताकि कोई फैसला लेने में आसानी हो। योजनाओं के जरिए मजदूरों को रजिस्ट्रेशन के लिए प्रेरित करना चाहिए।
हमें प्रवासियों की समस्या को संपूर्णता में देखना होगा। तात्कालिक के साथ-साथ दीर्घकालिक रणनीति बनाने की जरूरत है। शहरों के साथ-साथ गांवों में भी लाभदायक रोजगार सृजित करने होंगे। इसके लिए ग्रामीण विकास पर विशेष ध्यान देना होगा। हम अपनी विशाल आबादी का फायदा तभी उठा सकेंगे, जब हम अपने युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार देंगे। इस दिशा में सामूहिक प्रयासों की जरूरत है, ताकि मेहनतकश समाज को गरिमामय जीवन दिया जा सके।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
सत्यपाल सिंह मीना, राजस्व अधिकारी
सम्पादकीय / शौर्यपथ / यह सचमुच कडे़ इम्तिहान की घड़ी है। प्रकृति जैसे हमारे समूचे धैर्य और संघर्ष-शक्ति को आजमाने पर उतर आई है। एक तरफ, दुनिया कोविड-19 के कहर से हलकान है, तो वहीं दूसरी ओर चक्रवाती तूफान कई देशों के लिए विनाशकारी बनकर आया, और अब लू के थपेड़ों ने धरती के जीवों को झुलसाना शुरू कर दिया है। भारत के कुछ हिस्सों में तो पारा सोमवार को 47 डिग्री के पार चला गया और मौसम विभाग का आकलन है कि इस बार मानसून देरी से केरल पहुंच रहा है यानी सूरज देव का कोपभाजन लंबे समय तक बनना पडे़गा, खासकर उत्तर भारत के लोगों को। चढ़ते पारे के कारण मौसम विभाग ने कल दिल्ली में ‘ऑरेंज अलर्ट’ तक जारी किया था। ऐसी सूचनाएं लोगों को आगाह करती हैं कि वे बेवजह धूप में न निकलें।
जब कोरोना महामारी के कारण देश-दुनिया में पूर्ण लॉकडाउन हुआ, और कारों-कारखानों के पहिए थमे, तब पर्यावरण में कई तरह के सुखद बदलाव दर्ज किए गए थे। शहरों की हवा, नदी-जल के प्रदूषण में कमी के अलावा सुदूर आर्कटिक क्षेत्र में ओजोन छिद्रों के भरने तक की खबरें आईं। लेकिन तब भी मौसम वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों ने किसी तात्कालिक राहत की उम्मीद नहीं बांधी थी, और अब जिस तरह से तापमान नए रिकॉर्ड दर्ज कराता जा रहा है, उसे देखते हुए शासन-प्रशासन के आगे एक और बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है। इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि पिछले एक दशक में 6,000 से भी अधिक लोग लू के शिकार बन चुके हैं। और यह आंकड़ा सिर्फ उन लोगों का है, जिनके नाम सरकारी दस्तावेजों में इस खाते में दर्ज हुए। ऐसे में, शासन-प्रशासन के ऊपर अब दो-दो मोर्चों पर जूझने की जिम्मेदारी होगी। एक तरफ, उन्हें कोविड-19 के संक्रमितों के क्वारंटीन और इलाज की व्यवस्था करनी है, तो वहीं लू के लिहाज से बेहद संवेदनशील लोगों की मदद के लिए भी तत्पर रहना है। चिंता की बात बस यह है कि पिछले दो महीने से भी अधिक समय से अनिवार्य सेवाओं से जुडे़ लोग अनथक अपने कर्तव्य के निर्वाह में जुटे हुए हैं, तापमान के इस तीखे तेवर से उन पर काम का बोझ और बढ़ जाएगा।
देश के कई महानगर पहले ही भारी जल संकट झेल रहे हैं। खासकर गरमी के तीन-चार महीनों में तो उनकी हालत सबसे दयनीय होती है। पिछले साल मुंबई, बेंगलुरु में पानी की किल्लत का आलम यह रहा कि कई बडे़ आयोजन तक टाल देने पडे़ थे। आज जब मुंबई और चेन्नई जैसे महानगर कोरोना महामारी से सर्वाधिक त्रस्त हैं, तब किसी प्रकार का जल संकट उनके लिए परेशानी का एक नया सबब बन सकता है। लोगों की दैनिक जरूरतों के लिए पानी की कमी होगी, जबकि बेहतर सैनेटाइजेशन के लिए उन्हें अधिक पानी की जरूरत होगी। यह ठीक है कि बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय कामगारों के वहां से पलायन के कारण नगर प्रशासन का दबाव कुछ घटा होगा, लेकिन विडंबना यह है कि हमारे नागरिक जीवन की जितनी जमीनी सेवाएं हैं, उनका दारोमदार काफी कुछ बाहर से आए मजदूरों के कंधों पर ही रहा है। इसके लिए किसी बड़े समाजशास्त्रीय अध्ययन की जरूरत भी नहीं। एक बात और। न तो कोरोना शहर-गांव, अमीर-गरीब में कोई फर्क कर रह रहा है और न ही लू के थपेडे़ करेंगे, इसलिए यहां भी एहतियात ही इलाज है।
मेलबॉक्स / शौर्यपथ / भले ही राजनीति में राहुल गांधी कम अनुभवी माने जाते हों और आए दिन अन्य राजनीतिक दल उनके बयान का अनर्थ निकालकर उनका मजाक उड़ाते हों, मगर कोरोना के खतरे को लेकर उनका कहना काफी हद तक सही साबित हुआ है। जब देश में महामारी के मामले बढ़ रहे थे, तभी राहुल गांधी ने प्रतिदिन जांच का दायरा एक लाख किए जाने की बात कही थी, जबकि उस समय चालीस हजार के आसपास जांच हो रही थी। इसके अलावा, उन्होंने मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए व्यवस्था किए जाने का भी सुझाव दिया, लेकिन राजनीतिक दांव-पेच के चलते उनकी दलीलों को अनसुना कर दिया गया। मगर आज सरकार खुद मजदूरों को गंतव्य तक पहुंचाने का काम कर रही है। यह देखकर लगता है कि यदि उनकी बातों पर गौर किया जाता, तो परिस्थितियां आज कुछ और होतीं।
अमृतलाल मारू ‘रवि’
ऐसा हो लोकतंत्र
स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ऐसी सरकार की अपेक्षा होती है, जो सशक्त होकर राष्ट्रहित में कठोर निर्णय ले सके। इसके साथ ही एक मजबूत विपक्ष भी होना चाहिए, जो सत्तारूढ़ दल के अच्छे कार्यों का समर्थन और उसके जन-विरोधी कामों का विरोध करके सरकार की निरंकुशता को रोक सके। लिहाजा अपने देश का यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यहां नेता प्रतिपक्ष का पद इसलिए खाली है, क्योंकि कोई विपक्षी दल इतनी सीटें नहीं जीत सका कि इस पद पर अपने नेता को बैठा सके। इसलिए स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सभी विपक्षी दलों को चाहिए कि वे एकजुट होकर खुद को एक राष्ट्रीय दल के रूप में विकसित करें और देशहित में अपनी पृथक अस्मिता समाप्त करके एक नए युग की शुरुआत करें।
सत्य प्रकाश, लखीमपुर
विद्यार्थियों की दुविधा
कोरोना संकट काल में जहां एक ओर देश भर में डिजिटल शिक्षा का चलन बढ़ा है, तो वहीं दूसरी ओर सरकारी विद्यालयों में पढ़ रहे उन विद्यार्थियों के लिए दुविधा की स्थिति पैदा हो गई है, जिनके पास तकनीकी साधनों का अभाव है। भले ही सरकारी विद्यालयों में भी अब ऑनलाइन शिक्षा शुरू हो गई है, लेकिन यहां ऐसे विद्यार्थी बड़ी संख्या में पढ़ते हैं, जिनके परिजन अभी दो जून की रोटी के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। इसीलिए कुछ विद्यार्थी अपने गांव की ओर लौट चुके हैं। जाहिर है, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले हर बच्चे के पास स्मार्टफोन और नियमित डाटा पैक का होना व्यावहारिक सोच नहीं है। इस कारण वे पढ़ाई से दूर हो रहे हैं, जिससे उनके मानसिक विकास में रुकावट पैदा हो रही है। इससे बच्चे गैर-उत्पादक कामों में भी शामिल हो रहे हैं, जो उन्हें भटकाव और दिशाहीनता की ओर ले जाएगा। इन बच्चों के लिए जल्द से जल्द जरूरी व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए।
शंकर वर्मा, शाहदरा, दिल्ली
एक मुश्किल डगर
कहने और सुनने में स्वदेशी और आत्मनिर्भरता बहुत अच्छे शब्द लगते हैं, मगर इनकी डगर बहुत कठिन है। वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था में तो यह शायद ही संभव है। यह सही है कि स्वदेशी उत्पादों के इस्तेमाल से ही आत्मनिर्भर बना जा सकता है, क्योंकि ये एक-दूसरे के पूरक हैं, लेकिन इसके लिए अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। सर्वप्रथम जनसंख्या नियंत्रण का प्रयास करना होगा। उसके बाद प्राकृतिक संसाधनों के विकास और संरक्षण की व्यवस्था करनी होगी। निजीकरण को भी समाप्त करना होगा। जाहिर है, इसके लिए जरूरी नीयत और नीति का अपने यहां अभाव है। जनवादी नीतियां और ठोस प्रोग्राम न होने से ही सरकार शानदार काम करने वाले सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में बेचने पर आमादा है। ऐसे में, स्वदेशी और आत्मनिर्भरता कतई नहीं आ सकतीं।
वेद मामूरपुर ,नरेला
ओपिनियन / शौर्यपथ / राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ पर खासा जोर दिया था। अब उसका असर दिखने लगा है। खबरों के मुताबिक, कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (सीएमडी) और सेंट्रल पुलिस कैंटीन (सीपीसी) जैसे सरकारी स्टोर्स अपने आपूर्तिकर्ताओं से यह पूछने लगे हैं कि उत्पाद कहां तैयार हुआ और कच्चा माल किन देशों से आया? इससे ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री अपने भाषण से वैश्विक आर्थिक ताकतों की उस जमात में शामिल हो गए हैं, जो वैश्वीकरण की राह छोड़कर संरक्षणवाद की ओर बढ़ने को तैयार है।
19वीं शताब्दी के आखिरी वर्षों से लेकर अब तक वैश्वीकरण के कई दौर आए हैं। पहले चरण का अंत 1929 में हुआ था, जिसमें यूरोपीय और अमेरिकी अर्थव्यवस्थाओं ने उल्लेखनीय रफ्तार पकड़ी और बाकी दुनिया के साथ उनका मेल-जोल बढ़ा। साल 1929 की महामंदी के बाद दुनिया की कई सरकारों ने संरक्षणवादी नीतियां अपनाईं। वैश्वीकरण-मुक्त यह अर्थव्यवस्था 1970 के दशक तक कायम रही। इसके बाद वैश्वीकरण का दूसरा दौर आया। भारत ने भी आजादी के बाद चार दशकों से अधिक समय तक संरक्षणवादी नीतियां अपनाईं। हालांकि, चीन में बाजार सुधार (1978 के बाद) और 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद विश्व अर्थव्यवस्था में रूस की वापसी के साथ ही विश्व की अर्थव्यवस्थाएं फिर से आपस में जुड़ने लगीं।
वैश्वीकरण का जो रूप हम आज देख रहे हैं, उसकी शुरुआत 2008 के आर्थिक संकट के साथ हुई, और बाद में 2018 में शुरू हुई अमेरिका-चीन की कारोबारी जंग से यह खासा प्रभावित हुई। अब कोविड-19 के कारण इस पर नकारात्मक असर पड़ा है। जापान जैसे देशों ने तो चीन में अच्छा कारोबार कर रही अपनी कंपनियों को वापस बुलाने के लिए करीब दो अरब डॉलर के पैकेज का एलान किया है। इकोनॉमिस्ट के मुताबिक, अमेरिका भी इंटेल और ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (टीएसएमसी) जैसे उद्यमों को वापस आने का न्योता दे रहा है। कई अर्थशास्त्री तो यह भी अनुमान लगा रहे हैं कि कोविड-काल के बाद वैश्विक आपूर्ति शृंखला काफी कुछ क्षेत्रीय हो जाएगी।
भारतीय प्रधानमंत्री ने भी अपने भाषण में पीपीई किट और एन-95 मास्क का उदाहरण देकर आत्मनिर्भर भारत बनाने पर जोर दिया, साथ ही आपदा को अवसर में बदलने की बात कही। मगर, आयात के मामले में चीन पर हमारी निर्भरता अभी काफी ज्यादा (लगभग 14 प्रतिशत) है। दवाई उद्योग, मोटर गाड़ी के कल-पुर्जे, बिजली के उपकरण, सौर ऊर्जा उद्योग और खिलौना उद्योग के लिए हमें चीन की अधिक जरूरत पड़ती है। रसायन व उर्वरक मंत्रालय के अनुसार, भारत दवा के लिए जितना कच्चा माल यानी एपीआई दूसरे देशों से मंगवाता है, उसका दो-तिहाई चीन से आता है। इसके अलावा, हम करीब 60 फीसदी चिकित्सा उपकरण चीन से आयात करते हैं। मोबाइल उद्योग में इस्तेमाल होने वाले 88 फीसदी कल-पुर्जे भी चीन जैसे देशों से आते हैं। हालांकि, रत्न और आभूषण, भारी मशीनें, प्लास्टिक, वनस्पति तेल जैसे उत्पादों के लिए हम क्रमश: संयुक्त अरब अमीरात, जापान, दक्षिण कोरिया और मलेशिया पर निर्भर हैं।
जाहिर है, ‘आत्मनिर्भरता’ व ‘वोकल फॉर लोकल’ की राह में कई चुनौतियां हैं। सबसे पहले तो हमें आयातित उत्पादों का देशज विकल्प ढूंढ़ना होगा। यदि आत्मनिर्भरता की ओर हमें बढ़ना है, तो आयातित हर वस्तु का उत्पादन देश को स्वयं करना होगा, फिर चाहे हम उसके कुशल उत्पादन में सक्षम हों या नहीं हों यानी देश उन क्षेत्रों में भी अपने संसाधन खर्च करेगा, जहां उत्पादकता कम हैै। तुलनात्मक लाभ का सिद्धांत कहता है कि यदि अपेक्षाकृत कम लागत में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन करने वाले क्षेत्रों को कम संसाधन मुहैया कराए जाते हैं, तो लाभ की स्थिति खत्म हो सकती है। नेहरू-इंदिरा के दौर में आत्मनिर्भरता पर केंद्रित संरक्षणवाद का हमारा अनुभव सुखद नहीं रहा। उन्हीं नीतियों के कारण विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 1985 तक घटकर 0.45 प्रतिशत रह गई, जो 1950 में 2.2 फीसदी थी। आजादी के बाद के तीन दशकों में जीडीपी विकास दर महज 3.5 प्रतिशत थी। ऐसे में, उन्हीं नीतियों की ओर लौटने से कोरोना-प्रभावित अर्थव्यवस्था और बिगड़ सकती है। इसलिए दवाई, इलेक्ट्रॉनिक या मोटर वाहन से जुड़े जरूरी घटकों का आयात जारी रखना उचित होगा। हमें तब तक वैश्विक आपूर्ति शृंखला का हिस्सा बने रहना चाहिए, जब तक कि ये हमारी उत्पादकता में इजाफा करते हैं। हां, हमें अलग-अलग देशों से आयात करना चाहिए, ताकि किसी एक देश से मुश्किल होने पर आपूर्ति बाधित न हो।
दूसरी चुनौती सीमा और गैर-सीमा शुल्क से जुड़ी है। मीडिया में सरकारी अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि आने वाले समय में सरकार निर्यातकों को अधिक लाभ देकर विभिन्न क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ावा देगी और गैर-सीमा शुल्क लगाकर आयात को हतोत्साहित करेगी। आयात पर सीमा और गैर-सीमा शुल्क जैसी रुकावटें पैदा करने से हालात बिगड़ सकते हैं, क्योंकि अन्य देश भी हम पर ऐसा प्रतिबंध लगा सकते हैं। अमेरिका-भारत का कारोबारी रिश्ता इसका ज्वलंत उदाहरण है। ऐसे में, आयातित उत्पादों पर ऐसी कोई बाधा अन्य देशों में भारतीय उत्पादों को नुकसान पहुंचा सकती है। यह कदम चीन के साथ भी हमारी मुश्किलें बढ़ा सकता है।
तीसरी चुनौती ब्रांड के मोर्चे पर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के वैश्विक ब्रांड पहले स्थानीय ब्रांड थे। मगर भारतीय ब्रांड के वैश्विक होने की राह में मुश्किल यह है कि गुणवत्ता के मामले में दुनिया आज भी हमारे उत्पादों पर भरोसा नहीं करती। इनोवेशन यानी नवाचार के मामले में भी हम अच्छी स्थिति में नहीं हैं। यह कमी तभी पूरी हो सकती है, जब हम विश्व अर्थव्यवस्था के साथ कदम बढ़ाएंगे। भारत सरकार चीन से आपूर्ति शृंखलाओं को अपनी ओर आकर्षित करना चाहती है, खासकर अमेरिकी कंपनियों को। यह आसान नहीं होगा, क्योंकि आर्थिक ताकतें उनकी घर वापसी चाहती हैं। लॉजिस्टिक सेवाओं, ऋण सुविधा और विनियामक माहौल बनाने से जुड़े बुनियादी ढांचे भी हमें बनाने होंगे, तभी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को उत्पादन के लिए आकर्षित किया जा सकेगा और भारतीय ब्रांडों को वैश्विक मंच मिलेगा। जाहिर है, इसके लिए काफी काम किए जाने की जरूरत है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
अनुज शर्मा, असोसिएट प्रोफेसर, बिमटेक
दुर्ग / शौर्यपथ ख़ास / दुर्ग से लगे अंजोरा पशु चिकित्सालय ( कामधेनु विश्वविद्यालय ) में प्रतिनियुक्ति पर आये सहायक अभियंता पर छत्तीसगढ़ सोशल मिडिया के प्रदेश अध्यक्ष गुलशन बघेल ने बड़ा आरोप लगाया और इसकी शिकायत विश्वविद्यालय के कुलपति सहित मंत्रालय में की . बता दे कि सहायक अभियंता जलसंसाधन विभाग रायपुर मूल विभाग के अभियंता महेश कुमार शर्मा की प्रतिनियुक्ति कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा में प्रभारी कार्यपालन अभियंता के तौर पर हुई है . जिस पर आरोप है कि उनके द्वारा करोडो की निविदा में हेरफेर कर अपने पंसन्दीदा ठेकेदार को निविदा दिलाने का आरोप लगा है जिसकी लिखित में शिकायत सोशल मिडिया के प्रदेश अध्यक्ष गुलशन बघेल ने की है . गुलशन बघेल द्वारा की गयी शिकायत पर कुलपति कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा को मय दस्तावेज की गयी .
शौर्यपथ समाचार पत्र द्वारा जब इस विषय में कामधेनु विश्वविद्यालय के कुलपति से जानकारी मांगी गयी तो उनके अनुसार शिकायत प्राप्त हुई है जल्द ही समिति गठित कर जाँच की बात कही गयी हफ्ते भर से ज्यादा समय होने के बाद भी जाँच समिति का गठन नहीं हुआ है . अब जबकि प्रशासनिक फेर बदल के चलते कुलपति के स्थानांतरण होने के बाद मामला कितना आगे टलेगा या नए कुलपति द्वारा जल्द जाँच समिति गठित की जायेगी ये भविष्य के गर्त में है .
वही इस बारे में रजिस्ट्रार कामधेनु विश्वविद्यालय का कहना है कि जल्द ही टीम गठित कर जाँच की जायेगी . शासन के आलस्य पूर्ण रवैये के कारण अपनी मनमानी करने वाले और करोडो की निविदा में पक्षपात करने का आरोप झेल रहे कार्यपालन अभियंता को क्या विश्वविद्यालय प्रबंधन जांच पूरी होने तक भी महत्तवपूर्ण पद में आसीन रखेगा या जांच तक प्रभार किसी अन्य अधिकारी को हस्तांतरित करेगा . बिना ठोस कारणों से निविदा रद्द होने से कई ठेकेदार असमंजस की स्थिति में है और प्रबंधन पर जल्द जाँच कर वस्तुस्थिति को स्पष्ट करने की मांग कर रहे है .
दुर्ग / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ सरकार ने बड़ी प्रशासनिक फेर बदल की . दुर्ग कलेक्टर की जिम्मेदारी के लिए डॉ. भूरे सर्वेश्वर नरेन्द्र, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला मुंगेली को कलेक्टर, जिला दुर्ग के पद पर पदस्थ किया गया है। वही दुर्ग कलेक्टर अंकित आनंद, भा0प्र0से0, कलेक्टर, दुर्ग को प्रबंध संचालक, छ0ग0 राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित (मार्कफेड), रायपुर के पद पर पदस्थ करते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अटल नगर विकास प्राधिकरण, नवा रायपुर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
रायपुर / शौर्यपथ /
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश में अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की नवीन पदस्थापना आदेश जारी किया गया है -
1. श्री अमिताभ जैन, भा0प्र0से0 (1989), अपर मुख्य सचिव, वित्त विभाग एवं अतिरिक्त प्रभार-अपर मुख्य सचिव, लोक निर्माण विभाग को केवल अपर मुख्य सचिव, लोक निर्माण विभाग के अतिरिक्त कार्यभार से मुक्त करते हुए अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन विभाग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। शेष प्रभार यथावत् रहेगा।
2. डाॅ. आलोक शुक्ला, भा0प्र0से0 (1986), प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग एवं अतिरिक्त प्रभार-अध्यक्ष, छ0ग0 माध्यमिक शिक्षा मंडल तथा अध्यक्ष, छ0ग0 व्यावसायिक परीक्षा मंडल को उनके वर्तमान कत्र्तव्यों के साथ-साथ प्रमुख सचिव, कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
3. श्रीमती रेणु पिल्ले, भा0प्र0से0 (1991), अपर मुख्य सचिव, कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग तथा अतिरिक्त कार्यभार-महानिदेशक, छ0ग0 प्रशासन अकादमी, रायपुर को अपर मुख्य सचिव, कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग के कार्यभार से मुक्त करते हुए अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग के पद पर पदस्थ किया गया है। शेष प्रभार यथावत् रहेगा।
श्रीमती रेणु पिल्ले, भा0प्र0से0 (1991), द्वारा अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग का कार्यभार ग्रहण करने के दिनांक से सुश्री निहारिका बारिक, भा0प्र0से0 (1997) केवल सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग के कार्यभार से मुक्त होंगी। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का प्रभार यथावत् रहेगा।
4. श्री मनोज कुमार पिंगुआ, भा0प्र0से0 (1994), प्रमुख सचिव, वाणिज्य एवं उद्योग तथा सार्वजनिक उपक्रम विभाग व अतिरिक्त कार्यभार-प्रमुख सचिव, वन विभाग एवं विशेष कत्र्तव्यस्थ अधिकारी सह निवेश आयुक्त, सीएसआईडीसी, मुख्यालय नई दिल्ली को उनके वर्तमान कत्र्तव्यों के साथ-साथ आवासीय आयुक्त, छत्तीसगढ़ भवन, नई दिल्ली का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
श्री मनोज कुमार पिंगुआ, भा0प्र0से0 (1994), द्वारा आवासीय आयुक्त, छत्तीसगढ़ भवन, नई दिल्ली का अतिरिक्त कार्यभार ग्रहण करने के दिनांक से डाॅ. मनिंदर कौर द्विवेदी, भा0प्र0से0 (1995), केवल आवासीय आयुक्त, छत्तीसगढ़ भवन, नई दिल्ली के अतिरिक्त कार्यभार से मुक्त होंगी। डाॅ. मनिंदर कौर द्विवेदी का शेष प्रभार यथावत् रहेगा।
5. श्री प्रसन्ना आर0, भा0प्र0से0, सचिव, सहकारिता विभाग तथा अति0 प्रभार-सचिव, समाज कल्याण व सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग तथा आयुक्त, निःशक्तजन को उनके वर्तमान कत्र्तव्यों के साथ-साथ सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा सचिव, कौशल विकास विभाग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
श्री प्रसन्ना आर0, भा0प्र0से0, द्वारा सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग का कार्यभार ग्रहण करने के दिनांक से श्री परदेशी सिद्धार्थ कोमल, भा0प्र0से0, सचिव, लोक निर्माण विभाग तथा सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, सचिव, खेल एवं युवा कल्याण विभाग तथा प्रबंध संचालक, छ0ग0 स्टेट रोड डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन, रायपुर केवल सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त कार्यभार से मुक्त होंगे। शेष प्रभार यथावत् रहेगा।
6. श्रीमती अलरमेलमंगई डी0, भा0प्र0से0, सचिव, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग तथा अति0 प्रभार-सचिव, उच्च शिक्षा विभाग तथा संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास को उनके वर्तमान कत्र्तव्यों के साथ-साथ सचिव, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
7. श्री अंबलगन पी0, भा0प्र0से0, सचिव, खनिज साधन विभाग तथा अति0 प्रभार-सचिव, सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति को उनके वर्तमान कत्र्तव्यों के साथ-साथ सचिव, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
8. डाॅ. संजय कुमार अलंग, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला-बिलासपुर को आयुक्त, बिलासपुर संभाग, बिलासपुर के पद पर पदस्थ करते हुए आयुक्त, सरगुजा संभाग, अंबिकापुर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
9. श्री ईमिल लकड़ा, भा0प्र0से0, आयुक्त, सरगुजा संभाग, अंबिकापुर को सचिव, राजस्व मण्डल, बिलासपुर के पद पर पदस्थ करते हुए सचिव, लोक आयोग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
10. श्री सी0आर0 प्रसन्ना, भा0प्र0से0, संचालक, पशु चिकित्सा सेवायें तथा विशेष सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को विशेष सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के पद पर पदस्थ करते हुए आयुक्त, स्वास्थ्य सेवायें तथा प्रबंध संचालक, छ0ग0 मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
11. श्री भूवनेश यादव, भा0प्र0से0, आयुक्त, स्वास्थ्य सेवायें तथा प्रबंध संचालक, छ0ग0 मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन को विशेष सचिव, ग्रामोद्योग विभाग के पद पर पदस्थ किया गया है।
श्री भूवनेश यादव, भा0प्र0से0 द्वारा विशेष सचिव, ग्रामोद्योग विभाग के पद पर कार्यभार ग्रहण करने के दिनांक से श्री हेमंत पहारे, (से.नि.आई.ए.एस. संविदा नियुक्ति), केवल सचिव, ग्रामोद्योग विभाग के कार्यभार से मुक्त होंगे।
12. सुश्री शम्मी आबिदी, भा0प्र0से0, प्रबंध संचालक, छ0ग0 राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित (मार्कफेड), रायपुर को संचालक, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास के पद पर पदस्थ किया गया है।
13. श्रीमती रानू साहू, भा0प्र0से0, कलेक्टर, बालोद को आयुक्त, वाणिज्यिक कर के पद पर पदस्थ किया गया है।
14. श्री महादेव कावरे, भा0प्र0से0, संचालक, कोष, लेखा एवं पेंशन तथा अतिरिक्त प्रभार-संयुक्त सचिव, खनिज साधन विभाग को कलेक्टर, जिला-जशपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
15. श्री अवनीश कुमार शरण, भा0प्र0से0, कलेक्टर, कबीरधाम को संचालक, तकनीकी शिक्षा, रोजगार एवं प्रशिक्षण के पद पर पदस्थ किया गया है।
16. श्री अंकित आनंद, भा0प्र0से0, कलेक्टर, दुर्ग को प्रबंध संचालक, छ0ग0 राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित (मार्कफेड), रायपुर के पद पर पदस्थ करते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अटल नगर विकास प्राधिकरण, नवा रायपुर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
17. श्री नीलम नामदेव एक्का, भा0प्र0से0, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अटल नगर विकास प्राधिकरण, नवा रायपुर को प्रबंध संचालक, छ0ग0राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन संघ मर्यादित, रायपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
श्री नीलम नामदेव एक्का, भा0प्र0से0 द्वारा प्रबंध संचालक, छ0ग0राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन संघ मर्यादित, रायपुर के पद पर कार्यभार ग्रहण करने के दिनांक से श्री हेमंत पहारे, (से.नि.आई.ए.एस. संविदा नियुक्ति), केवल प्रबंध संचालक, छ0ग0राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन संघ मर्यादित, रायपुर के कार्यभार से मुक्त होंगे। शेष प्रभार यथावत् रहेगा।
18. श्री टोपेश्वर वर्मा, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला-दंतेवाड़ा को कलेक्टर, जिला-राजनांदगांव के पद पर पदस्थ किया गया है।
19. श्री नीलकंठ टीकाम, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला-कोण्डागांव को संचालक, कोष, लेखा एवं पेंशन के पद पर पदस्थ किया गया है।
20. श्री डोमन सिंह, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला-कोरिया को कलेक्टर, जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के पद पर पदस्थ किया गया है।
21. श्री हिमशिखर गुप्ता, भा0प्र0से0, पंजीयक, सहकारी संस्थाएं तथा संचालक, प्रशासन अकादमी को उनके वर्तमान कत्र्तव्यों के साथ-साथ रजिस्ट्रार, फम्र्स एवं संस्थाएं का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
22. श्री राजेश सिंह राणा, भा0प्र0से0, संयुक्त सचिव, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग तथा संयुक्त सचिव, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग को सदस्य सचिव, राज्य योजना आयोग के पद पर पदस्थ किया गया है।
23. श्री रणबीर शर्मा, भा0प्र0से0, रजिस्ट्रार फम्र्स एवं संस्थाएं तथा अति0 प्रभार-उप सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग को कलेक्टर, जिला-सूरजपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
24. श्री अभिजीत सिंह, भा0प्र0से0, मिशन संचालक, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को कलेक्टर, जिला-नारायणपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
25. श्री श्याल लाल धावड़े, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला-गरियाबंद को कलेक्टर, जिला बलरामपुर- रामानुजगंज के पद पर पदस्थ किया गया है।
26. श्री संजीव कुमार झा, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला बलरामपुर-रामानुजगंज को कलेक्टर, जिला-सरगुजा के पद पर पदस्थ किया गया है।
27. श्री सारांश मित्तर, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला सरगुजा को कलेक्टर, जिला-बिलासपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
28. श्री यशवंत कुमार, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला रायगढ़ को कलेक्टर, जिला-जांजगीर-चांपा के पद पर पदस्थ किया गया है।
29. श्री कार्तिकेय गोयल, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा को कलेक्टर, जिला महासमुंद के पद पर पदस्थ किया गया है।
30. श्री भूरे सर्वेश्वर नरेन्द्र, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला मुंगेली को कलेक्टर, जिला दुर्ग के पद पर पदस्थ किया गया है।
31. श्री सुनील कुमार जैन, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला महासमुंद को कलेक्टर, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा के पद पर पदस्थ किया गया है।
32. श्री रमेश कुमार शर्मा, भा0प्र0से0, उप सचिव, मुख्य सचिव कार्यालय तथा अति0प्रभार-संचालक, भू-अभिलेख व आयुक्त, वाणिज्यिक कर को कलेक्टर, जिला कबीरधाम के पद पर पदस्थ किया गया है।
33. श्री जनक प्रसाद पाठक, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला जांजगीर-चांपा को संचालक, भू-अभिलेख के पद पर पदस्थ किया गया है।
34. श्री जन्मेजय महोबे, भा0प्र0से0, आयुक्त सह संचालक, महिला एवं बाल विकास विभाग को कलेक्टर, जिला बालोद के पद पर पदस्थ किया गया है।
35. श्री रितेश कुमार अग्रवाल, भा0प्र0से0, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत, बिलासपुर को कलेक्टर, जिला बीजापुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
36. श्री जयप्रकाश मौर्य, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला राजनांदगांव को कलेक्टर, जिला धमतरी के पद पर पदस्थ किया गया है।
37. सुश्री शिखा राजपूत तिवारी, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही को नियत्रंक, नाप-तौल के पद पर पदस्थ किया गया है।
38. श्री दीपक सोनी, भा0प्र0से0, कलेक्टर, सूरजपुर को कलेक्टर, जिला दंतेवाड़ा के पद पर पदस्थ किया गया है।
39. श्री तंबोली अय्याज फकीरभाई, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला-बस्तर को आयुक्त, छ0ग0 गृह निर्माण मंडल के पद पर पदस्थ करते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी, रायपुर विकास प्राधिकरण, रायपुर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
40. श्री भीम सिंह, भा0प्र0से0, आयुक्त, छ0ग0 गृह निर्माण मंडल तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी, रायपुर विकास प्राधिकरण, रायपुर को कलेक्टर, जिला-रायगढ़ के पद पर पदस्थ किया गया है।
41. श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा, भा0प्र0से0, संचालक, तकनीकी शिक्षा, रोजगार एवं प्रशिक्षण तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी, राज्य कौशल विकास अभिकरण को कलेक्टर, जिला-कोण्डागांव के पद पर पदस्थ किया गया है।
42. श्री छत्तर सिंह डेहरे, भा0प्र0से0, अपर आयुक्त, संभागायुक्त कार्यालय, बिलासपुर एवं अतिरिक्त प्रभार-सचिव, राजस्व मंडल, बिलासपुर एवं सचिव, लोक आयोग को कलेक्टर, जिला गरियाबंद के पद पर पदस्थ किया गया है।
43. श्री के0डी0 कुंजाम, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला बीजापुर को संयुक्त सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के पद पर पदस्थ करते हुए संयुक्त सचिव, राजस्व विभाग का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
44. श्री रजत बंसल, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला धमतरी को कलेक्टर, जिला बस्तर के पद पर पदस्थ किया गया है।
45. श्री नीलेश कुमार महादेव क्षीरसागर, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जशपुर को नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन के पद पर पदस्थ करते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी, राज्य कौशल विकास अभिकरण, रायपुर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
46. श्री सत्यनारायण राठौर, भा0प्र0से0, नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन को कलेक्टर, जिला कोरिया के पद पर पदस्थ किया गया है।
47. श्री पदुम सिंह एल्मा, भा0प्र0से0, कलेक्टर, जिला नारायणपुर को कलेक्टर, जिला-मुंगेली के पद पर पदस्थ किया गया है।
48. श्री जगदीश सोनकर, भा0प्र0से0, अपर कलेक्टर, जिला महासमुंद को मुख्य कार्यपालन अधिकारी, छ0ग0 स्टेट वाटरशेड मैनेजमेंट एजेंसी, रायपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
49. श्रीमती दिव्या उमेश मिश्रा, भा0प्र0से0, उप सचिव, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को संचालक, महिला एवं बाल विकास के पद पर पदस्थ किया गया है।
50. श्री अनिल कुमार साहू, भा0व0से0, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक की सेवायें वन विभाग से लेते हुए प्रबंध संचालक, छ.ग. राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड, रायपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
51. श्री माथेश्वरन वी0, भा0व0से0, की सेवायें वन विभाग से लेते हुए संचालक, उद्यानिकी के पद पर पदस्थ करते हुए संचालक, पशु चिकित्सा सेवायें का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
सेहत /शौर्यपथ / गुलाब की ताजी पंखुड़ियों और मिश्री से मिलाकर बनाया जाने वाला गुलकंद स्वाद में तो बेहद स्वादिष्ट होता ही है, स्वास्थ्य के लिए भी कई तरह से फायदेमंद होता है। इन फायदों को जानने के बाद आप आज से ही शुरू कर देंगे गुलकंद का सेवन-
1. गुलकंद शरीर के अंगों को ठंडक प्रदान करता है। शरीर में गर्मी बढ़ जाने पर गुलकंद का सेवन बेहद लाभदायक होता है और गर्मी से पैदा हुईं समस्याओं से निजात दिलाता है।
2. गुलकंद का नियमित सेवन दिमाग के लिए भी बेहद लाभकारी है। बस 1 चम्मच गुलकंद सुबह और शाम के वक्त खाने से न केवल आपके दिमाग को तरावट मिलेगी, दिमाग शांत भी रहेगा और गुस्सा भी नहीं आएगा।
3. कब्ज या अपच की समस्या होने पर यह रामबाण उपाय है। रोजाना गुलकंद का सेवन कब्ज से निजात दिलाएगा और भूख बढ़ाने के साथ ही पाचन तंत्र को भी सुचारु करने में सहायक होगा। गर्भावस्था में यह विशेष लाभकारी और सुरक्षित है।
4. आंखों की रोशनी बढ़ाने और ठंडक प्रदान करने के लिए गुलकंद का उपयोग करना बेहतर तरीका है। यह आंखों में जलन एवं कंजक्टिवाइटिस की समस्या से भी आपको निजात दिलाएगा।
5. मुंह के छालों एवं त्वचा समस्याओं के लिए भी गुलकंद का प्रयोग बेहद फायदेमंद है, वहीं थकान और ऊर्जा में कमी होने पर भी गुलकंद लाभदायक साबित होगा।
लाइफस्टाइल / शौर्यपथ / मई महीने के आखिरी दिनों में सूरज, धरती के बहुत करीब आ जाता है, जिससे भीषण गर्मी पड़ती है। इन दिनों को ही नौतपा कहा जाता है। इस दौरान धूप में बाहर निकलने से बचने के अलावा आपको खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए वरना बीमार होते जरा देर नहीं लगेगी।
आइए, जानते हैं कि नौतपा में कैसा हो आपका खानपान और किन चीजों का करें परहेज -
1/ गर्मियों में आने वाले फलों में पानी की मात्रा काफी होती है, इसलिए इनका सेवन जरूर करें।
2/ तरबूज, खरबूज, खीरा आदि को नियमित रूप से खाने से शरीर में पानी के साथ खनिज-लवणों की भी पूर्ति होती है।
3/ इन दिनों सामान्य खाना जैसे दाल, चावल, सब्जी, रोटी आदि खाना ठीक रहता है। तीखी गर्मी में भूख से थोड़ा कम खाना चाहिए। इससे आपका हाजमा भी ठीक रहेगा और फुर्ती भी बनी रहेगी। इसके साथ तली हुई चीजों को ज्यादा न खाएं, यह आपका हाजमा बिगाड़ सकते हैं।
4/नौतपा की भीषण गर्मी में शरीर का अधिकांश पानी पसीने के रूप में निकल जाता है। इसलिए दिन में कम से कम 4 लीटर पानी जरूर पिएं।
5/ इन दिनों की भीषण गर्मी में नारियल पानी, छाछ और लस्सी पीने से भी जल का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। गर्मी के मौसम में तली और मसालेदार चीजें खाने की इच्छा ज्यादा होती है। लेकिन इस मौसम में इन चीजों से बचा जाना ही बेहतर होता है।
6/ खाने में बहुत ज्यादा नमक भी न लें। नमकीन, मूंगफली, तले हुए पापड़-चिप्स और तेल में तले हुए खाद्य पदार्थ न ही खाएं तो बेहतर होगा।
7/नौतपा की भीषण गर्मी में मछली, चिकन, मांस, समुद्री भोजन और अत्यधिक ग्रेवी वाले व्यंजन भी न ही खाएं तो बेहतर है। वास्तव में इससे व्यक्ति को और अधिक पसीना आता है और पाचन की समस्याएं भी हो जाती हैं।
8/ जंक फूड जैसे बर्गर, पिज्जा आदि भी नौतपा में खाने से बचें।
9/ चाय और कॉफी जैसे पेय पदार्थों से निश्चित रूप से इन दिनों परहेज करना चाहिए। कैफीन और अन्य पेय पदार्थ वास्तव में आपके शरीर में गर्मी बढ़ाने के साथ शरीर का निर्जलीकरण यानि डिहाइड्रेशन पैदा करते हैं।
10/ सॉस भी खाने से बचें, दरअसल सॉस में तकरीबन 350 कैलोरी होती है, जो आपको सुस्त बना सकती है। कुछ सॉस में बहुत ज्यादा नमक और MSG (मोनोसोडियम ग्लूटामेंट) होता है, जो आपके लिए हानिकारक है।
इसके बजाए गर्मी में पौष्टिक और प्राकृतिक भोजन के साथ छाछ, लस्सी, नींबू-पानी, शिकंजी और आम पना जैसे तरल पदार्थों का सेवन करें।
सेहत / शौर्यपथ / मौसम और सेहत से जुड़ी समस्या लोगों को परेशान कर रही है। वक्त है लॉकडाउन का और ऐसे समय में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का दुरुस्त रहना बहुत जरूरी है। यदि आप अपने घर से ही काम कर रहे हैं यानी 'वर्क फ्रॉम होम' हैं तो कुछ बातों का आपको विशेषतौर पर ध्यान रखना चाहिए।
साथ ही अपनी स्कीन केयर रूटीन पर भी ध्यान दें, क्योंकि इस वक्त 'वर्क फ्रॉम होम' होने पर आप लगातार लैपटॉप व डेस्कटॉप के सामने बैठकर काम करते हैं जिससे आंखों पर तो असर पड़ता ही है, साथ ही आपकी स्कीन पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। काम की टेंशन आपकी त्वचा पर भी साफ नजर आ सकती है इसलिए अपनी स्कीन केयर रूटीन पर भी ध्यान दें।
कुछ खास टिप्स को अपनाकर आप शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ रह सकते हैं इसलिए कुछ छोटे-छोटे बदलाव अपनी दिनचर्या में जरूर करें। आइए जानते हैं कुछ सुपर क्वारंटाइन टिप्स...
खुद को स्वस्थ रखने के लिए अब आपको अपनी दिनचर्या में हाथ धोने की आदत को जरूर शामिल करना है इसलिए बार-बार हाथ धोने की आदत डालें। साथ ही साफ-सफाई का पूरा ध्यान दें।
मानसिक रूप से खुद को मजबूत रखने के लिए योग और हल्के-फुल्के व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
'वर्क फ्रॉम होम' हैं तो बीच में ब्रेक जरूर लें और स्ट्रेचिंग करें जिससे कि गर्दन और पीठ में होने वाले दर्द से आप बच पाएं।
अंकुरित अनाज को करें सुबह के नाश्ते में शामिल। दूध वाली चाय पीने की जगह हर्बल टी पीने की आदत डालें।
मानसिक तनाव महसूस कर रहे हैं तो अच्छी किताबें पढ़ें, साथ ही आप म्यूजिक भी सुन सकते हैं।
खुद के लिए समय निकालना जरूर सीखें और Me Time में अपनी स्कीन व अपने बालों की देखभाल करें। जो आपको खुशी दे, वो काम करें जैसे कुकिंग पसंद है तो वो करें। डांस करना पसंद करती हैं या पेंटिंग पसंद है तो वो करें जिससे कि आप खुद को तरोताजा महसूस कर पाएं।
रात में सोने से पहले दूध में बादाम का पेस्ट, शहद और चुटकीभर हल्दी डालें। इसे सोने से पहले पीकर सो जाएं। इससे आपको नींद भी अच्छी आएगी, साथ ही आपकी प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी।
खाने में हल्दी, जीरा, अदरक और लहसुन को जरूर शामिल करें। ये आपको रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं इसलिए इन्हें नजरअंदाज न करें।