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दुर्ग / शौर्यपथ / दो दिन पूर्व ही राज्य शासन द्वारा 20 जिले के कलेक्टरों के साथ ही दुर्ग जिले के कलेक्टर अंकित आनंद का भी तबादला करते हुए उनको नया रायपुर विकास प्राधिकरण का सीईओं की जिम्मेदारी दी गई थी। वहीं उनकी जगह मुगेली के कलेक्टर पूर्व में डॉक्टर रहे सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे को दुर्ग स्थानांतकरण किया गया था। जिले के नये कलेक्टर सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे ने आज दुर्ग कलेक्टोरेट पहुंचकर पुराने कलेक्टर अंकित आनंद से पदभार ग्रहण किया। डॉ. भूरे वर्ष 2011 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। डॉ. भूरे मूल रूप से महाराष्ट्र से हैं। उन्होंने अपनी एमबीबीएस की डिग्री महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस नाशिक से ली है। पदभार ग्रहण करने के बाद डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे और पुराने दोनो कलेक्टरों में एक घंटा तक गुफ्तगू हुई जिसमें पुराने कलेक्टर अंकित आनंद ने जिले में कोरोना और डेंगू से बचाव के लिए चल रहे कार्यो सहित जिले के अन्य कई मामलों की जानकारी कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे को दी। उसके बाद अंकित आनंद वहां से रवाना हुए। इस दौरान कलेक्टोरेट से सभी अधिकारी और कर्मचारी एकदम भावुक हो गये, इस दौरान अंकित आनंद ने भी कहा कि आपसबका जो मुझे सहयोग मिला है वह हमेश याद रखूंगा।
दुर्ग / शौर्य्पथ / स्थानांतरण के मौके पर जिला प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारियों एवं जिले के अन्य गणमान्य नागरिक संगठन के सदस्यों एवं आम नागरिकों ने कलेक्टर अंकित आनंद को भावभीनी विदाई दी। आज ही जिला पंचायत सीईओ कुंदन कुमार और अपर कलेक्टर गजेंद्र ठाकुर भी रिलीव हुए। इन्हें भी अधिकारी-कर्मचारियों एवं गणमान्य नागरिकों ने भावभीनी विदाई दी। कलेक्टर अंकित आनंद के विदा होने के मौके पर अधिकारी-कर्मचारियों के अतिरिक्त अन्य नागरिक संगठनों के पदाधिकारी भी उपस्थित थे। उन्होंने निवर्तमान कलेक्टर के कार्यकाल की प्रशंसा करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। विभिन्न नागरिक संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि कलेक्टर अंकित आनंद ने बड़े ही परिश्रम और मनोयोग के साथ हम सबकी समस्याएं सुलझाने की दिशा में बड़ा काम किया। हम इसके लिए उनके प्रति आभार प्रदर्शन करने आए हैं। अधिकारी-कर्मचारियों ने भी जिले में उनके योगदान की प्रशंसा की और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। अधिकारी-कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि कोरोना संक्रमण की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का एहतियात बरतने हम सब इक_ा नहीं हो पाए, हममें से हर कोई व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर आभार प्रदर्शन करना चाहता था। अधिवक्ता संघ एवं अन्य संगठनों के पदाधिकारियों ने भी यह बात कही। इन्होंने कहा कि कलेक्टर हमेशा सुलभ होकर मिलते थे और ध्यानपूर्वक समस्याएं सुनकर उनके निदान की दिशा में त्वरित कार्रवाई करते थे। उनका कार्यकाल बहुत अच्छा रहा और हमेशा स्मृति में रहेगा। इसी तरह जिला पंचायत सीईओ कुंदन कुमार को भी भावभीनी विदाई दी गई। विदाई समारोह को संबोधित करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शालिनी यादव ने कहा कि अपने काम के प्रति पूरी तरह निष्ठा का भाव होने से लक्ष्य की प्राप्ति जरूर होती है। जिला पंचायत सीईओ कुंदन कुमार ने अपने कार्यकाल में नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी का कार्य बहुत अच्छी तरह से आगे बढाया। उन्होंने नवाचारी उपायों को ब?ावा दिया जो किसी भी योजना को सफल करने की दिशा में बड़ी भूमिका निभाते हैं। कोविड संक्रमण को थामने की दिशा में मनरेगा के कार्य को आगे बढाना उनका प्रमुख कार्य रहा। वे काफी सजग होकर और पूरे उत्साह के साथ कार्य करते रहे। इससे ग्रामीण विकास को बढावा देने में बड़ी मदद मिली। जिला पंचायत के अधिकारियों-कर्मचारियों ने भी श्री कुमार के योगदान को सराहा। इस मौके पर सीईओ ने जिला पंचायत के सभी पदाधिकारियों एवं अधिकारी-कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप सभी के योगदान की वजह से हम नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाडी, मनरेगा जैसे कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से आगे बढाने में सफल रहे।
भिलाई / शौर्यपथ / माह मई में प्रति शनिवार और रविवार राज्य शासन के आदेश पर पूर्ण लॉकडाउन छूट प्राप्त दुकानों को छोड़कर का लोगों द्वारा पूर्ण पालन करने के पश्चात् सप्ताह के शेष दिनों में बेखौफ होकर बिना मास्क पहने बेवजह घुमना एवं सोशल डिस्टेसिंग के प्रति उदासहीनता व लाकडाउन के नियमों का पालन करने में लोग काफी हद तक लापरवाही बरत रहें है। लॉकडाउन 4 में शासन द्वारा मिली छूट का आम लोगो के साथ साथ व्यावसायिक वर्ग भी पूरा फायदा उठा रहें है। कुछ एक हठधार्मियों के चलते रिसाली क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण को मजाक बनाकर शासन के नियम निर्देषों की खुले आम धज्जियां उड़ा रहें है। बुधवार को रिसाली निगम के उडनदस्ता टीम द्वारा सभी वार्डो का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान आजाद मार्केट रिसाली के इलेक्ट्रीकल व्यवसायी द्वारा बेखोफ होकर रात 8 बजे तक दुकान संचालित करते पाये जाने पर 2000/- रूपये का अर्थदण्ड लगाया गया। वह नियम निर्देशों के पालन करने का सख्त चेतावनी दी गई। टंकी मरोदा एवं स्टेशन मरोदा के क्षेत्रों में युवाओं द्वारा मास्क जेब में रखकर दोपहियों गाड़ी में तीन सवारी घुमते पाये जाने पर गंभीरता से लेते हुए अर्थदण्ड वसूल किया गया एवं प्रदेष में कोरोना संक्रमण बढते प्रकरण की जानकारी व दुष्परिणाम से अवगत कराया गया। टंकी मरोदा स्थित सेलून दुकान का आकस्मिक निरीक्षण कर दुकानदार से डेली उपयोग में लायी जाने वाली वस्तूओं का सघन निरीक्षण कर सैनटाईजेशन का उपयोग करने व तौलिया, ब्लेड व अन्य वस्तुओं की सावधानी पूर्वक उपयोग करने की हिदायत दी गई। टीम द्वारा सभी वार्डो का निरीक्षण कर हठधार्मियों से 2700/- रूपये का जुर्माना वसूला गया। निरीक्षण के दौरान निगम के सहायक अभियंता बी.के. सिंह, सहा. राजस्व अधिकारी हरचरण सिंह अरोरा, राजस्व निरीक्षक अनिल मैश्राम, रमेशर निषाद, पुनित बंजारे, विनोद शुक्ला, आत्मा राम व राजस्व विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी उपस्थित थे।
दुर्ग। शौर्यपथ । जिले के नवनियुक्त कलेक्टर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने आज पदभार ग्रहण किया। उन्होंने निवर्तमान कलेक्टर श्री अंकित आनंद से पदभार गृहण किया। डा. भूरे इससे पूर्व मुंगेली जिले में कलेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। डा. भूरे वर्ष 2011 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। डा. भूरे मूल रूप से महाराष्ट्र से हैं। उन्होंने अपनी एमबीबीएस की डिग्री महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस नाशिक से ली है।
नजरिया / शौर्यपथ /भारत आज एक बडे़ मानवीय और आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। बड़ी संख्या में उन मजदूरों का पलायन हुआ है, जो हमारी अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्र की रीढ़ रहे हैं और ये मजदूर आज खुद को सबसे अधिक घिरा हुआ पा रहे हैं। अर्थव्यवस्था मुश्किल में है और एक आर्थिक पैकेज की घोषणा हुई है। ज्यादातर विश्लेषकों, रेटिंग एजेंसियों और बैंकों ने इस पैकेज का आकार जीडीपी के 0.7 से 1.3 फीसदी के बीच आंका है, जबकि सरकार के अनुसार, यह 10 प्रतिशत है। सरकार ने खुद यह माना है कि 20 लाख करोड़ रुपये के इस पैकेज में रिजर्व बैंक द्वारा नकदी बढ़ाने के लिए दिए गए 8.02 लाख करोड़ शामिल हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के परिणामों पर कोई आश्चर्य नहीं, जिसमें रेपो और रिवर्स रेपो दर घटाने का फैसला हुआ। रिजर्व बैंक द्वारा इन दरों में लगातार कटौती का मकसद बाजार में नकदी उपलब्धता बढ़ाना है। हालांकि उद्योगों और ऋण के खुदरा ग्राहकों को इस रेपो या रिवर्स रेपो रेट कटौती से कोई लाभ नहीं होने वाला, क्योंकि ऋण उपलब्ध नहीं हैं। बैंकिंग नेटवर्क में पहले से ही अच्छी मात्रा में तरलता है, लेकिन बैंकों के बीच जोखिम का विस्तार ऋण प्रवाह बढ़ाने और उद्योगों व आम लोगों तक रेट कटौती का लाभ पहुंचने में बाधा पैदा कर रहा है। आशंका है, इन दरों में कटौती मध्यम एवं निम्न आय वर्ग को प्रभावित करेगी, क्योंकि आने वाले दिनों में इन वर्गों की सावधि जमा पर ब्याज दरों में लगभग 0.5 प्रतिशत की कमी होगी।
ऋण देने में अत्यधिक सावधानी बरतने के लिए अकेले बैंकों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। देश की अर्थव्यवस्था अभूतपूर्व कठिन समय से गुजर रही है और बैंक एनपीए रोकने के लिए अतिरिक्त सतर्कता से काम कर रहे हैं। प्राथमिक मुद्दा तरलता का अभाव नहीं है। असल में, हमारी अर्थव्यवस्था में तरलता की मांग गायब हो गई है। मांग बढ़ाने के लिए कैपिसिटी यूटिलाइजेशन के 68.6 प्रतिशत (अक्तूबर-दिसंबर 2019) को बढ़ाना है। यहीं पर प्रत्येक जन-धन खातों, पीएम किसान खातों, पेंशनर खातों में तत्काल 7,500 रुपये प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण की जरूरत है। इस नकदी हस्तांतरण से ग्रामीण व अद्र्ध-शहरी क्षेत्रों में मांग पैदा होगी, जो भारतीय उद्योग को अपनी शेष 31.4 प्रतिशत क्षमता का उपयोग करने में सक्षम बनाएगी। इसके लिए बैंकों को नकदी समर्थन और बढ़ाना होगा। रिजर्व बैंक ने जो नकदी प्रवाह अभी बढ़ाया है, उससे ऋण लेने में तेजी नहीं आने वाली।
रिजर्व बैंक ने ऋण चुकाने में और तीन महीने की राहत दी है। उसके द्वारा दी गई रियायतों से ऋण लेने वालों को राहत मिल सकती है, लेकिन बैंकों को नहीं, क्योंकि इससे उनके अपने खातों पर दबाव बढ़ जाएगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आत्मनिर्भर होने की दिशा में बैंकों और वित्त संस्थाओं को भगवान भरोसे न रहना पडे़। पिछले कुछ वर्षों में हम पीएमसी और येस बैंक जैसे उदाहरण देख चुके हैं।
देश के लिए एक और चुनौती खाद्य मुद्र्रास्फीति दर में लगातार वृद्धि है। लॉकडाउन की खामियों की वजह से आपूर्ति शृंखला में रुकावट आई है, जिससे अप्रैल 2020 में खाद्य मुद्र्रास्फीति दर बढ़कर 8.6 प्रतिशत हो गई। यदि अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने से पूर्व आपूर्ति शृंखलाओं के बारे में उचित योजना नहीं बनाई गई, तो यह और बढे़गी। यदि खाद्य मुद्र्रास्फीति की दर एक आरामदेह सीमा में वापस नहीं लौटती है, तो हमें उच्च मुद्र्रास्फीति दर व नकारात्मक जीडीपी विकास का सामना करने वाली अर्थव्यवस्था से निपटना पड़ेगा। हालांकि रिजर्व बैंक ने अनुमानित जीडीपी विकास का कोई पुख्ता आंकड़ा नहीं दिया है, पर उसने यह तो बता ही दिया है कि वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी नकारात्मक रहेगी। कुछ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने वित्त वर्ष 2021 के लिए माइनस पांच प्रतिशत की भविष्यवाणी की है।
इसलिए इस कठिन दौर से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका बैंकों को तरलता प्रदान करना नहीं है, बल्कि नई मांग पैदा करने के लिए कम से कम अगले छह महीनों तक बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण करना होगा। यह नए रोजगार पैदा करेगा और खपत या उपभोग भी बढ़ाएगा। इसके बाद ही हमारी जनसांख्यिकीय ताकत हमारे देश के आर्थिक पहिए को गति देगी।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)गौरव वल्लभ, कांग्रेस प्रवक्ता