June 30, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

 मिशन अमृत 2.0 से मिलेगी हर घर शुद्ध पेयजल की सुविधा
कोंडागांव /शौर्यपथ /कोंडागांव नगर के नागरिकों को जल्द ही कोसारटेडा बांध से मिलने वाला शुद्ध और सुरक्षित पेयजल नल के माध्यम से सीधे उनके घरों तक पहुंचेगा। भारत सरकार की मिशन अमृत 2.0 योजना के तहत कोंडागांव में 102 करोड़ रुपये की लागत से जल प्रदाय योजना तेज़ी से आकार ले रही है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का 33 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है और आगामी डेढ़ से दो वर्षों के भीतर इसे पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
इस योजना के तहत कोसारटेडा बांध, जो कि नगर से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित है, से जल लाकर उसे 9 एमएलडी क्षमता के आधुनिक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में शुद्ध किया जाएगा। इसके पश्चात यह जल नगर में मौजूद पांच मौजूदा पानी टंकियों और निर्माणाधीन दो नई ओवरहेड टंकियों के माध्यम से नागरिकों तक पहुंचाया जाएगा।
बांधापारा और फॉरेस्ट कॉलोनी में बन रही हैं नई टंकियां
शहर में दो नई पानी टंकियों का निर्माण भी जोरों पर है। इनमें से एक बांधापारा में 555 किलोलीटर और दूसरी फॉरेस्ट कॉलोनी के पास 810 किलोलीटर की क्षमता वाली है। इन टंकियों के माध्यम से कोंडागांव की लगभग 40 हजार की जनसंख्या में से 9 हजार घरों को प्रत्यक्ष रूप से पेयजल आपूर्ति से जोड़ा जाएगा।
व्यापक नेटवर्क से हर घर पहुंचेगा जल
पेयजल की निर्बाध आपूर्ति के लिए 24 किलोमीटर लंबी रॉ-वॉटर पाइपलाइन और लगभग 11 किलोमीटर की क्लियर-वॉटर पाइपलाइन बिछाई जाएगी। इसके साथ ही 143 किलोमीटर लंबी वितरण पाइपलाइन (डिस्ट्रिब्यूशन लाइन) से प्रत्येक घर को नल कनेक्शन से जोड़ा जाएगा।
इस योजना की सबसे खास बात यह है कि निर्माण एजेंसी योजना के निर्माण के बाद पांच वर्षों तक संचालन और संधारण (ओएंडएम) की भी जिम्मेदारी निभाएगी, जिससे नागरिकों को सतत और गुणवत्ता युक्त जल सेवा उपलब्ध रहेगी।
बेहतर जीवन की दिशा में एक कदम
कोंडागांव में मिशन अमृत 2.0 के तहत संचालित यह परियोजना केवल बुनियादी ढांचे के विकास का ही नहीं, बल्कि नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का भी प्रतीक है। स्वच्छ पेयजल स्वास्थ्य, स्वच्छता और समग्र जीवन गुणवत्ता के लिए अत्यंत आवश्यक है, और यह परियोजना इन सभी पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी।
यह पहल छत्तीसगढ़ सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है कि किस तरह दूरस्थ और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी बुनियादी नागरिक सुविधाएं सुलभ कराई जा रही हैं। मिशन अमृत 2.0 के माध्यम से राज्य में शहरी विकास की नई इबारत लिखी जा रही है।

रायपुर/शौर्यपथ /राज्यपाल रमेन डेका से आज यहां राजभवन में छत्तीसगढ़ अग्रवाल संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक अग्रवाल एवं अन्य पदाधिकारियों ने भेंट कर अपनी मांग के संबंध में अनुरोध पत्र सौंपा।
इस अवसर पर श्री सियाराम अग्रवाल, श्री महेंद्र सक्सेरिया, श्री जयदेव सिंद्यल, श्री संजय अग्रवाल, श्री श्लोक अग्रवाल एवं श्री नंद किशोर उपस्थित थे।

रायपुर/शौर्यपथ /राज्यपाल की सुरक्षा में तैनात निरीक्षक श्री नीलकिशोर अवस्थी के उप पुलिस अधीक्षक के पद पर पदोन्नत होने पर आज राजभवन में स्टार सेरेमनी का आयोजन किया गया। राज्यपाल श्री रमेन डेका ने उनके कंधे पर उप पुलिस अधीक्षक का रैंक लगाया। श्री डेका ने उन्हें बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव डॉ. सी. आर. प्रसन्ना, परिसहाय स्क्वा. लीडर श्री निशांत कुमार, मुख्य सुरक्षा अधिकारी श्री प्रशांत कतलम एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

जगदलपुर , शौर्यपथ। प्रदेश की पुलिस व्यवस्था को और अधिक जनसुलभ, पारदर्शी और संवादात्मक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा के निर्देश के पश्चात अब राज्य की पुलिस कार्यप्रणाली में प्रयुक्त होने वाले कठिन, पारंपरिक एवं आम नागरिकों की समझ से बाहर उर्दू-फारसी शब्दों को हटाकर उनकी जगह पर सहज और प्रचलित हिंदी शब्दों का उपयोग किया जाएगा।

 

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आम नागरिक जब किसी शिकायत, अपराध सूचना अथवा अन्य कार्य से थाने जाता है, तो वह अक्सर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर या अन्य दस्तावेजों की भाषा को लेकर असमंजस में रहता है। अन्य भासाओ के शब्द आम लोगों के लिए अनजाने होते हैं, जिससे वे न तो अपनी बात ठीक से समझा पाते हैं और न ही पूरी प्रक्रिया को ठीक से समझ पाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस का उद्देश्य नागरिकों की सहायता और सुरक्षा है, तो उसकी भाषा भी ऐसी होनी चाहिए जो नागरिकों की समझ में आए और उनके विश्वास को बढ़ाए।

 

उपमुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पुलिस महानिदेशक द्वारा सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को एक आधिकारिक पत्र जारी किया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि पुलिस की व्यवहारिक कार्यवाहियों में प्रयुक्त कठिन, पारंपरिक शब्दों को सरल और स्पष्ट हिंदी में बदला जाए। इसके लिए एक शब्द सूची भी तैयार की गई है, जिसमें पुराने कठिन शब्दों के स्थान पर उपयोग किए जाने योग्य सरल विकल्प सुझाए गए हैं।

 

इस पत्र में यह भी निर्देशित किया गया है कि सभी अधीनस्थ अधिकारियों को इस विषय में अवगत कराया जाए तथा यह सुनिश्चित किया जाए कि यह आदेश केवल औपचारिकता भर न रहे, बल्कि इसका वास्तविक कार्यान्वयन प्रदेश की प्रत्येक पुलिस चौकी, थाने और कार्यालय में दिखे। 

 

छत्तीसगढ़ पुलिस अब केवल कानून का पालन कराने वाली संस्था न होकर जनसंवाद का माध्यम भी बनेगी। भाषा के इस सरलीकरण से शिकायतकर्ता को अपनी बात स्पष्ट रूप से कहने, सुनने और समझने में सुविधा होगी। एफआईआर जैसी प्रक्रिया, जो अब तक केवल अधिवक्ताओं या पुलिस कर्मियों की समझ में आती थी, वह अब आम नागरिक के लिए भी बोधगम्य हो सकेगी।

 

1 अदम तामील-सूचित न होना

2 इन्द्राज -टंकन

3 खयानत-हड़पना

4 गोश्वारा-नक्शा

5 दीगर-दूसरा

6 नकबजनी -सेंध

7 माल मशरूका लूटी-चोरी गई सम्पत्ति

8 मुचलका-व्यक्तिगत बंध पत्र

9 रोजनामचा-सामान्य दैनिकी

10 शिनाख्त-पहचान

11 शहादत-साक्ष्य

12 शुमार-गणना

13 सजायाफ्ता- दण्ड प्राप्त

14 सरगना -मुखिया

15 सुराग -खोज

16 साजिश -षडयंत्र

17 अदालत दिवानी -सिविल न्यायालय

19 फौजदारी अदालत- दांडिक न्यायालय

20 इकरार नामा -प्रतिज्ञापन

21 बनाम विक्रय -पत्रक

22 इस्तिफा -त्याग-पत्र

23 कत्ल-हत्या

24 कयास -अनुमान

25 खसरा क्षेत्र- पंजी

26 खतौनी -पंजी

27 गुजारिश -निवेदन

28 जब्त -कब्जे में लेना

29 जमानतदार -प्रतिभूति दाता

30 जमानत -प्रतिभूति

31 जरायम- अपराध

32 जबरन -बलपूर्वक

33 जरायम पेशा -अपराधजीवी

34 जायदादे मशरूका -कुर्क हुई सम्पत्ति

35 दाखिलखारिज- नामांतरण

36 सूद -ब्याज

37 हुजूर -श्रीमान/महोदय

38 हुलिया -शारीरिक लक्षण

39 हर्जाना क्षति-प्रतिपूर्ति

40 हलफनामा-शपथ-पत्र

41 दफा- धारा

42 फरियादी -शिकायतकर्ता

43 मुत्तजर्रर -चोट

44 इत्तिलानामा- सूचना पत्र

45 कलमबंद करना -न्यायालय के समक्ष कथन 

46 गैरहाजिरी -अनुपस्थिति

47 चस्पा- चिपकाना

48 चश्मदीद- प्रत्यक्षदर्शी

49 जलसाजी- कूटरचना

50 जिला बदर -निर्वासन

51 जामतलाशी -वस्त्रों की तलाशी

52 वारदात- घटना

53 साकिन- पता

54 जायतैनाती- नियुक्ति स्थान

55 हाजा स्थान-परिसर

56 मातहत -अधीनस्थ

57 जेल हिरासत -कब्जे में लेना

58 फौती -मृत्यु सूचना

59 इस्तगासा- छावा

60 मालफड -जुआ का माल मौके पर बरामद होना

61 अर्दली -हलकारा

62 किल्लत मुलाजमान- कर्मगण की कमी

63 तामील कुनन्दा- सूचना करने वाला

64 इमदाद -मदद

65 नजूल -राज भूमि

66 फरार -भागा हुआ

67 फिसदी- प्रतिशत

68 फेहरिस्त -सूची

69 फौत- मृत्यु

70 बयान- कथन

71 बेदखली-निष्कासन

72 मातहत- अधीन

73 मार्फत- द्वारा

74 मियाद -अवधी

75 रकबा-क्षेत्रफल

76 कास्तकार- कृषक

77 नाजिर -व्यवस्थापक

78 अमीन राजस्व -कनिष्ठ अधिकारी

79 राजीनामा -समझौता पत्र

80 वारदात -घटना

81 संगीन -गंम्भीर

82 विरासत -उत्तराधिकार

83 वसियत- हस्तांन्तरण लेख

84 वसूली -उगाही

85 शिनाख्त- पहचान

86 सबूत साक्ष्य-प्रमाण

87 दस्तावेज- अभिलेख

88 कयास -अनुमान

89 सजा -दण्ड

90 सनद -प्रमाण पत्र

91 सुलहनामा-समझौता पत्र

92 अदम चौक- पुलिस असंज्ञेय हस्ताक्षेप, अगोग्य अपराध की सूचना

93 कैदखाना- बंदीगृह

94 तफतीश/तहकीकात -अनुसंधान/जाँच/विवेचना

95 आमद/रवाना/रवानगी-आगमन, प्रस्थान

96 कायमी-पंजीयन

97 तेहरीर- लिखित या लेखीय विवरण

98 इरादतन- साशय

99 खारिज/खारिजी/रद्द निरस्त/निरस्तीकरण

100 खून आलुदा रक्त-रंजित/रक्त से सना हुआ

101 गवाह/गवाहन- साक्षी/साक्षीगण

102 गिरफ्तार/हिरासत -अभिरक्षा

103 तहत् -अंतर्गत

104 जख्त, जख्मी, मजरूब -चोट/घाव घायल/आहत

105 दस्तयाब -खोज लेना/बरामत

106 मौका ए वारदात-घटना स्थल

107 परवाना- परिपत्र/अधिपत्र

108 फैसला- निर्णय

109 हमराह -साथ में

रायपुर//शौर्यपथ / भाजपा सरकार के इशारे पर, प्रवर्तन निदेशालय ईडी द्वारा जिला मुख्यालय सुकमा स्थित राजीव भवन को अटैच किये जाने के खिलाफ कांग्रेस ने प्रदेश के सभी जिलों में भाजपा सरकार एवं प्रवर्तन निदेशालय ईडी का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया। ईडी भारतीय जनता पार्टी के एजेंट की भांति काम कर रही है। भाजपा राज्य में विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए ईडी का दुरुपयोग कर रही है। ईडी के अधिकारी भी अपने शासकीय कर्मचारी होने की मर्यादा को भूलकर भाजपा कार्यकर्ता की भांति काम कर रही है। कांग्रेस इसका विरोध करती है तथा ईडी के कार्यप्रणाली के विरोध में पूरे प्रदेश में ईडी का पुतला दहन किया गया।
आज रायपुर, बिलासपुर, बस्तर, बलौदाबाजार, गरियाबंद, महासमुंद, धमतरी, दुर्ग शहर, दुर्ग ग्रामीण, भिलाई, बेमेतरा, राजनांदगांव शहर, राजनांदगांव ग्रामीण, कवर्धा, जगदलपुर शहर, सुकमा, नारायणपुर, कोण्डगांव, बीजापुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, मुंगेली, कोरबा शहर, कोरबा ग्रामीण, जांजगीर चांपा, रायगढ़ शहर, रायगढ़ ग्रामीण, जशपुर, सरगुजा, बलरामपुर, कोरिया में ईडी का पुतला फूंका गया।

 देर रात आकस्मिक निरीक्षण कर रेत एवं गिट्टी से भरे 8 वाहन के जप्ती की कार्रवाई की गई
राजनांदगांव/शौर्यपथ /कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे के निर्देशानुसार जिले में अवैध रेत परिवहन एवं उत्खनन पर राजस्व एवं खनिज विभाग द्वारा संयुक्त कार्रवाई की गई। देर रात आकस्मिक निरीक्षण कर रेत एवं गिट्टी से भरे 8 वाहन के जप्ती की कार्रवाई की गई। जिसमें से 5 वाहन में रेत एवं 3 में गिट्टी थी। जिले में रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन पर आगे भी निरंतर कार्रवाई जारी रहेगी। भर्रेगांव से रेती से भरे 4 वाहन हाईवा सीजी-08 एएन-3492, सीजी 08 एएल- 3164, सीजी-08 एएम-4503, सीजी-07 सीआर-1931 की जप्ती की कार्रवाई की गई। इसी तरह सीजी-08 एवाई 9034 में रेत तथा सीजी-08 बीड़ी 8700, सीजी-08 एजी 6811, सीजी-08 बीएल 5015 में गिट्टी का अवैध परिवहन किया जा रहा था। एसडीएम श्री खेमलाल वर्मा एवं खनिज अधिकारी श्री प्रवीण चंद्राकर की टीम ने यह कार्रवाई की। इसी तरह डोंगरगढ़ विकासखंड में भी अवैध रेत परिवहन करते हुए 2 हाईवा जप्त किया गया है। एसडीएम डोंगरगढ़ श्री मनोज मरकाम, एसडीएम डोंगरगांव श्रीकांत कोर्राम द्वारा भी अनुविभागों में रेत के अवैध परिवहन एवं उत्खनन पर लगातार कार्रवाई की जा रही है।

दुर्ग/शौर्यपथ / भारतीय स्वायत्तशासी कर्मचारी महासंघ सम्बद्ध भारतीय मजदूर संघ का  राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक अधिवेशन के द्वितीय दिवस दुर्ग लोक सभा के सांसद विजय बधेल ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ता संगठन के लिए समर्पित तथा देश की उन्नति के लिए निष्ठावान होते है. इस अधिवेशन के माध्यम से जानकारी में आया है कि छत्तीसगढ़ में चुँगी क्षतिपूर्ति की  राशि 34 रूपया प्रति व्यक्ति कि मान से निकायो को भुगतान हो रहा जबकि मध्यप्रदेश में यह राशि 109 रूपया है. इस भिन्नता को समाप्त कर प्रदेश के निकाय को आर्थिक रूप से मजबूत करना चाहिए। विधायक ललित  चन्द्राकर ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ता अपने शासकीय दायित्व के साथ कर्मचारी हित में भी मजबूती के साथ कार्य करते है. उन्होने आगे कहा कि चुँगी क्षतिपूर्ति की भिन्नता की जानकारी मुख्यमंत्री के समक्ष रख कर समानता का प्रयास किया जाऐगा. अधिवेशन में उपस्थित दुर्ग निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल ने अधिवेशन की बधाई प्रेषित किया।
अधिवेशन के अन्तिम सत्र में  प्रदेश के नवीन कार्यसमिति के लिए संरक्षक विष्णु चन्द्राकर, अध्यक्ष शरद दुबे, कार्यकारी अध्यक्ष अनिल वाचपेयी, महामंत्री अनिल सिंह,संगठन मंत्री अमरनाथ दुबे, संयुक्तमंत्री कृष्णा देशमुख, कोषाध्यक्ष उपाध्यक्ष रामवृक्ष यादव,  गोपाल सिन्हा, राम अवतार साहू, अरूण मिश्रा, अरूण सूर्यवंशी,सिद्धार्थ मिश्रा, मंत्री रीता चतुर्वेदी, दुर्गेश गुप्ता, हसीब खान, रामलाल विश्वकर्मा, अनिता कश्यप, उदय राज सिंह भोसले, के साथ ही कार्यकारिणी की धोषणा किया गया।
अधिवेशन में दुर्ग निगम अध्यक्ष संजय मिश्रा,अनिल सिंह,दुर्गेश गुप्ता,रामबिहारी शर्मा, चन्द्रपाल हरमुख, नलनीश मिश्रा, नवीन साहू, लोकेश बया, संतोष पाण्डेय, शालनी गुरव, विवेक रंगनाथ, विजेंद्र परिहार, गिरधर वर्मा, वामन राव, रेखा कुर्र, यशवंत साहू, शशिकान्त यादव, ओंकार यादव, रोहित बंजारे, ईश्वर वर्मा, शशिकांत यादव,राजू बक्शी,सत्यनारायण शर्मा,नंदकुमार कुशवाहा, जय प्रकाश दुबे, हरेन्द्र ठाकुर सहित सौकडो संख्या में भारतीय मजदूर संघ से देश एवं प्रदेश पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

छत्तीसगढ़ में आवागमन होगा और सुगम:बस्तर अंचल को मिला बड़ा तोहफा
डबल इंजन सरकार में तेजी से हो रहा बस्तर का विकास: कोंडागांव जिले में 307.96 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा 11.38 किमी लंबा 4-लेन केशकाल बाईपास
रायपुर /शौर्यपथ /मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी  द्वारा 307.96 करोड़ रुपए की लागत से पेव्ड शोल्डर मानक के साथ 4 लेन में केशकाल बाईपास निर्माण की स्वीकृति प्रदान करने पर प्रदेशवासियों विशेषकर बस्तर अंचल की जनता की ओर से हार्दिक आभार प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि यह बाईपास केशकाल घाट खंड में यातायात बाधाओं को दूर कर सुगम, सुरक्षित व निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करेगा।
 मुख्यमंत्री  साय ने कहा कि डबल इंजन सरकार में तेजी से बस्तर अंचल का विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्वीकृति केंद्र और राज्य  सरकार की समन्वित विकास नीति का परिणाम है, जो बस्तर जैसे जनजातीय अंचल को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक और ठोस कदम है। इस ऐतिहासिक स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री  साय ने प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी की दूरदृष्टि और पहल के लिए आभार जताते हुए इसे बस्तर के विकास के लिए निर्णायक कदम बताया है।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री  नितिन गडकरी ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-43 (नया NH-30) पर केशकाल घाट खंड को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए 307.96 करोड़ रुपए की लागत से 11.380 किलोमीटर लंबा 4-लेन बाईपास निर्माण अपग्रेड की स्वीकृति दी गई है। यह बाईपास पेव्ड शोल्डर मानक के अनुरूप होगा और इसके बनने से बस्तर अंचल में कनेक्टिविटी को नया आयाम मिलेगा। यह परियोजना विशेष रूप से केशकाल घाट के कठिन भौगोलिक खंड को पार करने में सहूलियत प्रदान करेगी।
बाईपास के निर्माण से न केवल वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा, बल्कि वाहन चालकों को तेज, सुगम और निर्बाध यात्रा का अनुभव भी मिलेगा।
बाईपास निर्माण से शहरी क्षेत्रों में यातायात का दबाव कम होगा, जिससे स्थानीय नागरिकों को जाम और दुर्घटना की समस्या से राहत मिलेगी। इसके साथ ही प्रदूषण के स्तर में भी गिरावट आएगी, जिससे पर्यावरणीय संतुलन को भी बढ़ावा मिलेगा।

कोई भी स्कूल अब शिक्षक विहीन नही
एकल शिक्षकीय स्कूलों में 80 फीसद की गिरावट
10,372 स्कूलों का एकीकरण, शिक्षकों का व्यापक युक्तियुक्तकरण
छात्रों को मिलेगी बेहतर शैक्षणिक सुविधा
रायपुर/शौर्यपथ / राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की एक व्यापक और सार्थक पहल की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के अनुरूप मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में यह दूरगामी सुधार, वास्तव में राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने और लंबे समय से चली आ रही शैक्षिक विसंगतियों के समाधान का कारगर प्रयास है।
युक्तियुक्तकरण से पहले, छत्तीसगढ़ राज्य के ग्रामीण अंचल की शालाओं में शिक्षकों की कमी, नगरीय इलाकों और उसके समीप की शालाओं में जरूरत से ज्यादा शिक्षकों की पदस्थपना के कारण शिक्षा प्रभावित हो रही थी और इसका असर बच्चों के परीक्षा परिणाम पर भी पड़ रहा था।
राज्य के लगभग 212 प्राथमिक शालाएं और 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं पूरी तरह से शिक्षक विहीन थीं, जबकि 6,872 प्राथमिक शालाएं और 255 पूर्व माध्यमिक शालाएं केवल एक शिक्षक के साथ संचालित हो रही थीं। इसके अतिरिक्त 211 शालाएं ऐसी थीं जहाँ छात्र संख्या शून्य थी, लेकिन शिक्षक पदस्थ थे। इसके अलावा, 166 शालाओं को समायोजित किया गया, इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की 133 शालाएं शामिल थीं, जिनकी दर्ज संख्या 10 से कम थी और दूरी 1 किमी से कम थी, तथा शहरी क्षेत्रों की 33 शालाएं थीं, जिनकी दर्ज संख्या 30 से कम थी और दूरी 500 मीटर से कम थी।
इन चुनौतियों के बावजूद, छत्तीसगढ़ का छात्र-अध्यापक अनुपात (पीटीआर) राष्ट्रीय औसत से उल्लेखनीय रूप से बेहतर था, प्राथमिक शालाओं के लिए पीटीआर-20 था, जबकि राष्ट्रीय औसत 29 है और पूर्व माध्यमिक शालाओं के लिए पीटीआर-18 था, जबकि राष्ट्रीय औसत 38 है। हालांकि, वितरण असमान था। राज्य में लगभग 17,000 प्राथमिक शालाएं और लगभग 4,479 पूर्व माध्यमिक शालाएं थीं, जिनका पीटीआर-20 से कम था। अकेले शहरी क्षेत्रों में 527 ऐसे विद्यालय थे, जिनका पीटीआर-10 से कम था, जिनमें 15 या उससे अधिक शिक्षकों वाली 08 प्राथमिक शालाएं, 10-15 शिक्षकों वाली 61 शालाएं और 6-9 शिक्षकों वाली 749 प्राथमिक शालाएं थीं, ये आंकड़े बेहतर संसाधन आवंटन की जरूरत को दर्शाते हैं।
इस पहल का मुख्य बिंदु एक ही परिसर में संचालित लगभग 10 हजार 372 शालाओं का एकीकरण था, जिनमें प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल शामिल थे। इस विलय से कई लाभ मिलने की उम्मीद है, जिनमें शाला त्यागी छात्रों की संख्या में कमी और छात्रों को बार-बार स्थानांतरण प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता का समाप्त होना शामिल है। यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने, छोटी कक्षाओं के छात्रों को बड़ी कक्षाओं के छात्रों का सहयोग प्राप्त होने, और कंप्यूटर, विज्ञान प्रयोगशाला, खेल-कूद तथा सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से शैक्षणिक समझ और अभिरुचि में वृद्धि के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास में भी सहायक होगा। इस दृष्टिकोण से प्रशासनिक व्यवस्था भी सुदृढ़ होगी।
विद्यालयों के समायोजन के साथ-साथ, जिला, संभाग और राज्य स्तर पर काउंसलिंग के माध्यम से एक महत्वपूर्ण शिक्षक युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया भी की गई। इस प्रक्रिया के तहत जिला स्तर पर लगभग 13 हजार 793 शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया गया। संभाग स्तर पर 863 का और राज्य स्तर पर 105 शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया गया।
युक्तियुक्तकरण अभियान के प्रारंभिक परिणाम अत्यधिक आशाजनक हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शिक्षा विभाग का कहना है कि कोई भी विद्यालय बंद नहीं किया जा रहा है और कोई भी शिक्षक पद समाप्त नहीं हो रहा है। इसके बजाय ध्यान बेहतर अधोसंरचना वाले विद्यालयों का संचालन सुनिश्चित करने पर है।
युक्तियुक्तकरण के पश्चात राज्य में शिक्षक विहीन विद्यालयों की संख्या शून्य हो गई है। एकल शिक्षकीय शालाओं की संख्या में प्रभावशाली 80 प्रतिशत की कमी आई है अब लगभग 1,200 शालाएं एकल शिक्षकीय हैं। एक ही परिसर में स्थित 10,372 विद्यलायों का एकीकरण और 166 ग्रामीण एवं शहरी विद्यालयों का समायोजन पूरा हो चुका है। इससे लगभग 89 प्रतिशत विद्यार्थियों को बार-बार प्रवेश प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी। छात्रों को अतिरिक्त शिक्षक उपलब्ध होंगे और विद्यालय की समय सारिणी एवं अन्य गतिविधियों में अधिक एकरूपता रहेगी। इस पहल का उद्देश्य उपचारात्मक शिक्षण द्वारा छात्रों की समझ को बेहतर बनाना भी है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करके, छत्तीसगढ़ न केवल वर्तमान कमियों को दूर कर रहा है, बल्कि एक ऐसे भविष्य के लिए एक मजबूत नींव रख रहा है। जहाँ प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्राप्त होगी, जिससे समग्र विकास और शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलेगा। युक्तियुक्तकरण का यह कदम एक अधिक कुशल, न्यायसंगत और प्रभावी शैक्षिक वातावरण बनाने के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

मुख्यमंत्री के हाथों 31 मेधावी श्रमिक बच्चों को मिली 2-2 लाख की प्रोत्साहन राशि
मुख्यमंत्री ने 38 हजार श्रमिकों के खातों में ऑनलाइन अंतरित किए 19.71 करोड़ की सहायता राशि
रायपुर /शौर्यपथ /"हम श्रमिक परिवारों के सशक्तिकरण और उत्थान के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं। आपका स्नेह और सहयोग ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है और हम सब मिलकर एक विकसित, समृद्ध और सशक्त छत्तीसगढ़ के संकल्प को साकार करेंगे।" मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर के न्यू सर्किट हाउस में आयोजित मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना के तहत कक्षा दसवीं और बारहवीं के टॉप 10 में स्थान पाने वाले पंजीकृत श्रमिकों के 31 मेधावी बच्चों को दो-दो लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि का वितरण कर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में पंजीकृत राज्य के 38 हजार 200 निर्माण श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं के तहत 19.71 करोड़ रूपए से ज्यादा की सहायता राशि सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की।
          मुख्यमंत्री ने 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में उत्कृष्ट परिणाम हासिल करने वाले श्रमवीरों के मेधावी बच्चों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारी सरकार श्रमिक परिवारों की आवश्यकताओं को भली-भांति समझती है और उनके समग्र कल्याण के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि आज श्रमिक परिवार का बच्चा विदेश जाकर पढ़ना चाहे तो उसके लिए भी 50 लाख रुपए तक की सहायता का प्रावधान श्रम विभाग द्वारा किया गया है। श्री साय ने कहा कि हम नवाचार के साथ कदमताल करते हुए ऐसी नीतियां बना रहे हैं, जिनसे प्रदेश के युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार मिले। प्रदेश की आकर्षक उद्योग नीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि अब तक 5 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश प्रस्ताव राज्य सरकार को प्राप्त हो चुके हैं, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
श्री साय ने श्रम मंत्रालय में केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि श्रमिकों से मेरा विशेष लगाव है और श्रमिकों के हित में कार्य करना हमेशा संतुष्टि देता है।
         मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रथम कार्यकाल में दो वर्षों तक श्रम मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली थी और उनके नेतृत्व में श्रम राज्यमंत्री के रूप में श्रमिकों के पेंशन सुधार की दिशा में हमने कई ऐतिहासिक कदम उठाए और न्यूनतम पेंशन की राशि सुनिश्चित की। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री श्रमिकों को लेकर संवेदनशील है और उनके निर्देश पर ही श्रमिकों के प्रोविडेंट फंड (PF) में वर्षों से पड़ी लगभग 27 हजार करोड़ रुपए की अन्क्लेम्ड राशि का उपयोग उनके हित में करने का बड़ा निर्णय भी इस दौरान हमने लिया था। राज्यमंत्री के रूप में यूनिवर्सल पीएफ नंबर की शुरुआत हमारी सरकार ने की, जिससे श्रमिकों द्वारा बार-बार पीएफ राशि क्लेम करने की समस्या दूर हुई।
          मुख्यमंत्री ने इस मौके पर सभी से आग्रह करते हुए कहा कि श्रम विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी अन्य ज़रूरतमंदों तक अवश्य पहुंचाएं, ताकि अधिक से अधिक श्रमिक इनका लाभ उठा सकें। उन्होंने श्रमिकों के लिए गर्म और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के साथ ही प्रदेश में संचालित अन्य कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी साझा की।
          उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगन ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश चहुंमुखी विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि इन डेढ़ वर्षों में "मोदी की गारंटी" के तहत सभी वादों को पूरा किया गया है। उन्होंने कहा कि आज विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत 38 हजार 2 सौ श्रमिकों को 19.71 करोड़ रुपये एवं प्रवीण्य सूची में चयनित 31 विद्यार्थियों को 62 लाख रुपये की राशि प्रदान की जा रही है। श्री देवांगन ने बताया कि शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना के तहत 17 जिलों के 46 केन्द्रों में श्रमिकों को 5 रुपये में भरपेट भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है और भविष्य में इसे सभी उद्योग प्रधान जिलों में लागू किया जाएगा। इसके साथ ही श्रमिकों के बच्चों के लिए निःशुल्क कोचिंग सुविधा प्रारंभ करने की जानकारी भी दी।
श्रम मंत्री ने कहा कि नई उद्योग नीति के तहत उद्योगों की स्थापना के लिए नियमों को सरल बनाया गया है , जिससे निवेश बढ़ा है एवं युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं।
        छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अध्यक्ष डॉ. राम प्रताप सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संकल्प के साथ प्रदेश विकास की नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है। मण्डल के माध्यम से प्रदेश में 31 जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिनमें नोनी सशक्तिकरण, महतारी जतन, श्रमिक सियान सहायता जैसी योजनाएं शामिल हैं। उन्होंने बताया कि मण्डल प्रदेश के 29.47 लाख पंजीकृत श्रमिकों और उनके परिजनों को स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक सहायता उपलब्ध करा रहा है। श्रमिक अपना पंजीकरण श्रमेव जयते ऐप, लोक सेवा केन्द्र या श्रम कार्यालय में करवा सकते हैं।
नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना ने बदली मजदूर परिवार के बच्चों की ज़िंदगी
      कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के सामने मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना से लाभान्वित बच्चों ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए आभार व्यक्त किया। सभी बच्चों ने कहा कि वे मजदूर और गरीब परिवारों से हैं, लेकिन इस योजना ने उन्हें पढ़ाई का अवसर दिया। यह योजना श्रमिक परिवारों के सपनों को नई उड़ान दे रही है।
सूरजपुर जिले के भैयाथान के हीरा सिंह ने बताया कि आईआईआईटी से बी टेक की पढ़ाई पूरी कर अब जूनियर डेटा साइंस डेवलपर बन चुके हैं। इस योजना से उन्हें 4.10 लाख रुपए की सहायता मिली, जिससे उनकी पढ़ाई पूरी हो पाई थी।
इसी तरह बी.टेक अंतिम वर्ष के छात्र अमलेंद्र पैंकरा ने बताया कि उनका परिवार मजदूरी कर जीवन यापन करता है और इस योजना की मदद से कॉलेज की फीस भर पा रहे हैं।
एक अन्य छात्र दीपक पैंकरा ने सूरजपुर के छोटे से गांव से आईआईआईटी, रायपुर में एडमिशन तक के अपने संघर्ष भरे सफर को साझा किया। दीपक ने बताया कि योजना के माध्यम से अपने बीटेक की पढ़ाई की फीस भर रहे हैं और योजना से उन्हें लगभग 4 लाख रुपए की सहायता प्राप्त हो चुकी है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने सभी श्रमवीरों के बच्चों को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
 योजनाओं और उनके लाभार्थियों की संख्या और राशि का विवरण इस प्रकार है
मिनीमाता महतारी जतन योजना अंतर्गत 1,915 श्रमिकों को 3.83 करोड़ रूपए, मुख्यमंत्री सायकल सहायता योजना अंतर्गत 279 श्रमिकों को 10.33 लाख रूपए, मुख्यमंत्री श्रमिक औजार सहायता योजना अंतर्गत 6,319 श्रमिकों को 2.19 करोड रूपए, मुख्यमंत्री सिलाई मशीन सहायता योजना अंतर्गत 12 श्रमिकों को 94 हजार 800 रूपए, मुख्यमंत्री नौनिहाल छात्रवृत्ति योजना अंतर्गत 4,825 श्रमिकों को 96.17 लाख रूपए, मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना अंतर्गत 155 श्रमिक परिवार को 37.63 लाख रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक दीर्घायु सहायता योजना अंतर्गत 2 श्रमिकों को 40 हजार रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण मजदूर सुरक्षा उपकरण सहायता योजना अंतर्गत 4,939 श्रमिकों को 74.08 लाख रूपए, निर्माण श्रमिकों के बच्चे हेतु उत्कृष्ट खेल प्रोत्साहन योजना अंतर्गत 1 श्रमिक को 50 हजार रूपए, दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना अंतर्गत 7 श्रमिकों को 7 लाख रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना अंतर्गत 264 श्रमिकों को 2.64 करोड रूपए़, मुख्यमंत्री नोनी सशक्तिकरण सहायता योजना अंतर्गत 2,486 श्रमिकों को 4.97 करोड़ रूपए, मुख्यमंत्री श्रमिक सियान सहायता योजना अंतर्गत 372 श्रमिकों को 74.40 लाख रूपए, निर्माण श्रमिकों के बच्चों हेतु निशुल्क गणवेश एवं पुस्तक कॉपी हेतु सहायता राशि योजना अंतर्गत 15,066 श्रमिकों को 2.00 करोड़ रूपए, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना अंतर्गत 25 श्रमिकों को 25 लाख रूपए प्रदाय किए गए। यह पहल राज्य के निर्माण श्रमिकों और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने और उनके जीवन स्तर में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
        इस अवसर पर श्रम विभाग की संयुक्त सचिव डॉ. फरिहा आलम,  प्रभारी श्रम आयुक्त श्री एस एल जांगड़े सहित श्रम विभाग के अधिकारी कर्मचारी और श्रमिक परिवारजन मौजूद रहे।

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