August 05, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

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    रायपुर/शौर्यपथ / अपने पहले ही जनदर्शन में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अपने संवेदनशील पहल और त्वरित निर्णयों से लोगों के मन में एक नई आशा का संचार कर दिया है। प्रदेश के सभी कोने से लोग मुख्यमंत्री के जनदर्शन में जुटे। जनदर्शन का समय एक बजे तक रखा गया था लेकिन पहले ही जनदर्शन को लेकर लोगों में इतनी उत्सुकता थी कि इस समय तक काफी लोग जुट गये थे। इसमें से कुछ के मन में आशंका थी कि मुख्यमंत्री के शेड्यूल के काफी टाइट होने की वजह से समय न समाप्त हो जाए और मुख्यमंत्री जी न मिल पाएं। यह आशंका निर्मूल साबित हुई।
     विष्णु के सुशासन का अहसास सभी आवेदकों को उस समय हुआ जब मुख्यमंत्री श्री साय ने पूरे धैर्य के साथ लोगों की समस्याओं को सुनकर मौके पर ही इनका निराकरण करने के निर्देश दिये। जब तक आखरी आवेदक कतार में था, मुख्यमंत्री भी अपनी कुर्सी से हिले नहीं, पूरे समय तक तन्मयता से लोगों को सुनते रहे। जनदर्शन में बड़ी संख्या में भीड़ महिलाओं की थी।
    महतारी वंदन योजना की संवेदनशील पहल को साकार कर मुख्यमंत्री ने माताओं-बहनों के जीवन में जो उजाला फैलाया, उससे इनके सपनों में पंख लग गये हैं। एक युवा लड़की आयुषी आई और उसने प्रदेश के मुखिया से कहा कि मुझे यूपीएससी की तैयारी करनी है। मेरे पिता कोविड में नहीं रहे, उनका सपना था कि मैं यूपीएससी करूं और मेरा भी यही सपना है। मुख्यमंत्री ने आयुषी बिटिया को भरोसा दिलाया। जब प्रदेश के मुखिया का आशीर्वाद किसी बिटिया को मिले तो निश्चित ही उसके सपनों को पर लग जाते हैं। मुख्यमंत्री न केवल इनके सपनों को पूरा करने मदद कर रहे हैं अपितु उनका हौसला भी बढ़ा रहे हैं।


    जनदर्शन की खास बात यह है कि मुख्यमंत्री न केवल लोगों के आवेदन पर कार्रवाई सुनिश्चित कर रहे हैं अपितु पूरी संवेदनशीलता से उनकी तकलीफ भी सुन रहे हैं। मुख्यमंत्री की ख्याति प्रदेश में इस बात को लेकर भी है कि केंद्र में राज्य मंत्री रहने के दौरान और अपने लंबे संसदीय जीवन में उन्होंने छत्तीसगढ़ के कई मरीजों का एम्स में इलाज करवाया। इस ख्याति को देखते हुए लोग अपनी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें लेकर भी पहुंचे और मुख्यमंत्री ने इसका समाधान किया। एक दिव्यांग बालक के इलाज के लिए उन्होंने जनदर्शन में ही निर्देश दिए और बच्चे को तत्काल अस्पताल ले जाकर एडमिट कर दिया गया।
    पूरे जनदर्शन के दौरान सबसे दिल छूने वाला पल वो रहा जब मुख्यमंत्री सीधे दिव्यांगजनों के पास पहुंचे। दिव्यांगजनों को किसी तरह की तकलीफ न हो, इस बात का जनदर्शन में खास ध्यान रखा गया था। जिन दिव्यांगजनों के दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनाने में दिक्कत आ रही थी, उनके दिव्यांग प्रमाणपत्र उसी दिन बनाकर दे दिये गये।
    जनदर्शन के तुरंत पश्चात आये सभी आवेदनों के प्रभावी निराकरण के लिए अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया। इसकी मानिटरिंग भी आरंभ कर दी गई है। सुशासन और पारदर्शिता को बढ़ावा देने की सबसे अहम कड़ी जनता से प्रत्यक्ष संवाद है। जनदर्शन के माध्यम से छत्तीसगढ़ में सुशासन को और भी प्रभावी बनाने में ठोस मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के सरल, सहज व्यक्तित्व से प्रभावित हुए लोग
विष्णु के सुशासन में  संवर रहा छत्तीसगढ़
    रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के सुशासन की एक झलक जनदर्शन कार्यक्रम में देखने को मिली। इस महीने की 27 तारीख को हुए पहले जनदर्शन कार्यक्रम में उन्होंने गर्मी और उमस की परवाह किए बिना लगभग 5 घंटे तक लोगों की समस्याएं सुनी।
    मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित हुए जनदर्शन कार्यक्रम में आने वाले लोगों को यह पहली बार एहसास हुआ कि मुख्यमंत्री कितने सहज और सरल है। लोगों  ने यह भी देखा कि वे पूरी गंभीरता और आत्मीय भाव से लोगों से मिल रहे है और लोगों की समस्याओं की निराकरण के लिए पहल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में किसी को ब्रेन सर्जरी और किसी को कैंसर की ईलाज तो किसी को प्रमाण पत्र और ट्रायसाइकिल देने के निर्देश दिए।
    जनदर्शन में एक महिला ने बताया कि उनके पति श्री रमेश शुक्ला कैंसर की बीमारी से पीड़ित हैं। बीमारी की वजह से उन्हें एडवांस ट्रीटमेंट की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने महिला को संबल देते हुए कहा कि हमारी सरकार के लिए स्वास्थ्य सबसे सर्वाेपरि है। आपके पति को सभी संभव सहायता प्रदान की जाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री ने मौके पर ही स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया। मुख्यमंत्री के निर्देश पर श्रीमती शुक्ला ने आभार जताते हुए कहा कि हम लोग जनदर्शन में बहुत उम्मीद लेकर आए थे। आप से मिलकरए मुझे अपने पति के जल्द इलाज और गुणवत्तापूर्ण इलाज का भरोसा मिला है आज मेरे लिए बहुत बड़ा दिन है।


    जनदर्शन कार्यक्रम में धमतरी निवासी श्री अमित सोनी के ब्रेन सर्जरी के लिए मुख्यमंत्री ने डेढ़ लाख रूपए की मंजूरी देने के साथ ही वर्षा चांदवानी के इलाज के लिए 50 हजार रूपए की आर्थिक सहायता स्वीकृत की। इसी प्रकार दिव्यांग बेेमेतरा जिले के बलराम और रोहित कुमार की मुख्यमंत्री ने रोजगार व्यवसाय करने की ललक की सराहना करते हुए उन्हें आईस बॉक्स युक्त ट्रायसाइकिल प्रदान करने के साथ ही उन्हें शुभकामनाएं दी।
    रायपुर की महाविद्यालय की छात्रा आयुषी द्विवेदी ने मुख्यमंत्री को बताया कि मैं आईएएस अधिकारी बनकर देश की सेवा करना चाहती हूं। सपने में आर्थिक स्थिति बाधा है। मेरे पिता चाहते थे कि मैं सिविल सर्वेंट बनूं और इसके लिए उन्होंने मुझे खूब प्रेरित किया। दुर्भाग्य से कोरोना आया और उनका निधन हो गया। अब मेरा दो सपना है। एक तो मेरे पिता का सपना पूरा करना और दूसरा मेरे खुद का सपना पूरा करना। मुख्यमंत्री जी आप अगर मेरी सहायता करें तो मेरी रास्ते की बाधा दूर हो जाएगी। मुख्यमंत्री ने आयुषी की तैयारी के लिए अधिकारियों को आवश्यक सुविधा एवं सहायता दिलाने के निर्देश दिए।

    रायपुर/शौर्यपथ / राजस्व एवं खेल मंत्री श्री टंक राम वर्मा ने आज अपने निवास कार्यालय में ‘तहसीलदार‘ और ‘राजस्व पुस्तक परिपत्र (आर. बी. सी.)‘ पुस्तकों का विमोचन किया। इस अवसर पर जिला पंचायत रायपुर और अपेक्स बैंक के पूर्व अध्यक्ष श्री अशोक बजाज उपस्थित थे। इस अवसर पर पुस्तकों के लेखक श्री के.के. बाजपेयी, पूर्व संयुक्त सचिव एवं श्री उमेश कुमार पटेल, संयुक्त कलेक्टर, रा.प्र.से.-2015 तथा पुस्तकों के प्रकाशक राज लॉ पब्लिकेशन के प्रोपराईटर श्री चंद्र कुमार ठाकुर एवं श्री अविनाश अग्रवाल उपस्थित थे।


    सामान्य प्राशासन विभाग के पूर्व संयुक्त सचिव श्री के.के. बाजपेयी द्वारा लिखित पुस्तक ‘तहसीलदार‘ हमारे राज्य के तहसीलदारों एवं नायब तहसीलदारों को अलग-अलग कानून में प्रदान किए गए शक्तियों एवं अधिरोपित किए गए कर्तव्यों पर प्रकाश डालती है। पुस्तक में कार्यालय में तैयार किए जाने वाले कई दस्तावेजों के स्पष्ट उदाहरण भी शामिल हैं। इससे हमारे राज्य के तहसीलों की कार्यशैली को बेहतर करने में अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आवश्यक सहयोग प्राप्त हो सकेगा। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अवर सचिव श्री उमेश कुमार पटेल की पुस्तक राजस्व पुस्तक परिपत्र (आर.बी.सी.) के द्वितीय संस्करण में अद्यतन विभागीय परिपत्र, संबंधित अधिनियमों, नियमों, अधिसूचनाओं के साथ-साथ विभागीय आदेशों के उदाहरण एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी का भी समावेश किया गया है। विमोचित पुस्तकों के माध्यम से राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के कानून एवं कार्यों के बारे में आम जनता को भी बेहतर जानकारी प्राप्त हो सकेगी।

नारद जयंती पर संस्कृति भवन आडिटोरियम में हुआ आयोजन, मुख्य वक्ता माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति श्री के.जी. सुरेश ने दिया संबोधन, पत्रकारों को किया गया सम्मानित
    रायपुर /शौर्यपथ / पूरा विश्व पैंडेमिक की तरह इंफोडेमिक से भी जूझ रहा है। कई बार डिजिटल मीडिया के माध्यम से त्रुटिपूर्ण सूचनाएं, गलत तथ्यों को लेकर फैलाई जा रही सूचनाएं और तोड़ मरोड़ कर पेश की जाने वाली सूचनाओं से जो भ्रम फैलता है उससे समाज को काफी नुकसान पहुंचता है। यद्यपि डिजिटल मीडिया में रचनात्मकता के लिए बहुत संभावनाएं हैं। इससे उपजी चुनौतियों से निपटने कारगर कदम उठाये जाएं, राष्ट्रीय मीडिया साक्षरता अभियान चलाएं जाएं ताकि फेक न्यूज आदि से निपटा जा सके तो डिजिटल मीडिया हमारे समाज के लिए प्रभावी भूमिका निभा सकती है। यह बात नारद जयंती पर आयोजित देवऋषि नारद पत्रकारिता सम्मान के मौके पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति श्री के.जी. सुरेश ने डिजिटल क्रांति के समय पत्रकारिता विषय पर अपने संबोधन में की। इस मौके पर जनसंपर्क विभाग के आयुक्त श्री मयंक श्रीवास्तव मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
    इस अवसर पर देवर्षि नारद सम्मान से बीएस टीवी के ब्यूरो चीफ डॉ. अवधेश मिश्र, वरिष्ठ छायाकार श्री भूपेश केशरवानी को स्वर्गीय श्री रमेश नैयर सम्मान एवं वरिष्ठ पत्रकार भोलाराम सिन्हा को स्वर्गीय श्री बबनप्रसाद मिश्र सम्मान से पुरस्कृत किया गया।
    श्री सुरेश ने कहा कि जिस तरह वर्ष प्रतिपदा और गुरुपूर्णिमा को आयोजन होते हैं वैसे ही नारद जयंती के दिन भी आयोजन होना चाहिए। जब वर्ष प्रतिपदा कहते हैं तो वैसा ही सात्विक भाव मन में आता है जो न्यू ईयर के विचार में नहीं आता। हमें भारतीय परंपरा के अनुसार नारद जयंती के दिन पत्रकारों के लिए, पत्रकारों हेतु और पत्रकारों द्वारा आयोजन करना चाहिए। उपनिषद में जो निर्भीकता का भाव होता है, वैसा ही भाव देवर्षि नारद हमें सिखाए हैं। पत्रकार की सादगी उनसे सीख सकते हैं। उन्होंने लोककल्याण के लिए सूचना का संचार किया। त्रस्त प्रजा के समाचार देवताओं तक पहुंचाए इसलिए भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि मैं ऋषियों में देवऋषि नारद हूँ।


    डिजिटल मीडिया के सकारात्मक पक्षों के बारे में उन्होंने बताया कि पहले मीडिया सूचनाएं देता था, अब न्यू मीडिया फीडबैक भी देता है। मीडिया का लोकतांत्रिकीकरण हो गया है। इसके कारण डिजिटल मीडिया की ताकत बढ़ी है। सोशल मीडिया अब समाज को प्रभावित कर रहा है, दुनिया भर में कई बड़े आंदोलन खड़ा करने में डिजिटल मीडिया ने भूमिका निभाई। लेकिन डिजिटल मीडिया तभी प्रभावी है जब जमीन पर आंदोलन मजबूत हो। डिजिटल मीडिया के नाम पर कोई भी समाचार और विचार परोसा जा रहा है, लेकिन यह पत्रकारिता नहीं है। इस क्षेत्र में अनेक एक्टिविस्ट उतर आए हैं जबकि पत्रकार को फैक्टिविस्ट होना चाहिए, तथ्यों के आधार पर पत्रकारिता होना चाहिए। इन्हीं कारणों से डिजिटल मीडिया के नाम पर पत्रकारिता की विश्वसनीयता कम हुई है। पत्रकारिता में स्वतंत्रता जरूरी है लेकिन स्वच्छंदता नहीं होनी चाहिए। पत्रकारिता में परीक्षण आवश्यक है लेकिन अधिकांशतः डिजिटल मीडिया में कोई परीक्षण नहीं हो रहा है, गलत प्रसारित हो जाने के बाद उसे हटा लेना आसान है इसलिए उसकी विश्वसनीयता अच्छी नहीं होती। डिजिटल मीडिया की सबसे बड़ी चुनौती विश्वसनीयता है। दूसरी चुनौती फेक समाचारों का है, कहीं का फोटो या वीडियो लेकर कुछ भी समाचार परोसा जा रहा है। सामान्य जनता ऐसे गलत समाचारों पर भी विश्वास करते हैं, इससे समाज गुमराह हो रहा है। ऐसी समाचारों के कारण भारत में पढ़े लिखे लोग भी कोविड का टीका नहीं लगवा रहे थे। यह देश के लिए भी खतरा है। इस फेक न्यूज की पहचान करना जरूरी है। जरूरत है नागरिकों को इस खतरे के प्रति जागरूक करने की है, मीडिया साक्षरता अभियान शुरू करने की आवश्यकता हैं। डिजिटल मीडिया की ताकत का उपयोग करके सकारात्मक और रचनात्मक विषयों को जनता तक पहुंचाने की आवश्यकता है।
    मुख्य अतिथि श्री मयंक श्रीवास्तव ने इस अवसर पर कहा कि नारद ब्रह्मांड के पहले पत्रकार थे, वे रामायण और महाभारत जैसी रचना के प्रेरणास्त्रोत भी थे। भागवत पुराण में देवऋषि नारद के प्रसंग आते हैं, जिससे पता चलता है कि वे कितनी तेजी से सूचनाएं प्रस्तुत करते थे। नारद संवाददाता थे, केवल समस्या नहीं बताते थे बल्कि समस्याओं का समाधान भी देते थे। आयुक्त जनसंपर्क श्री श्रीवास्तव ने बताया कि लोग बहुत जिज्ञासु होते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि संचार के माध्यम उन्हें समग्र तस्वीर से परिचित कराएं। समाज में बहुत कुछ बुरा घट रहा है तो बहुत कुछ अच्छा भी हो रहा है। इस सकारात्मकता से परिचित कराना बहुत जरूरी है, जिससे लोगों के मन में आशावादिता विकसित हो, वे बेहतर समाज के निर्माण में जुट पाएं।
    संबोधन के बाद अतिथियों को स्मृति चिन्ह आयोजन समिति के संयोजक श्री आर. कृष्णा दास ने दिया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती प्रियंका कौशल ने किया और आभार प्रदर्शन श्री आशुतोष मंडावी ने किया।
    कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र के प्रचार प्रमुख श्री कैलाश जी, प्रांत के प्रचार प्रमुख श्री संजय तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार श्री शंकर पांडेय, जनसंपर्क विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, वरिष्ठ पत्रकार और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे

ड्राइविंग लाइसेंस गलत पते के कारण वापस लौटने पर परिवहन कार्यालयों के माध्यम से मिलेंगे
यह सुविधा एक जुलाई से होगी लागू
    रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की विशेष पहल पर आम नागरिकों को एक और नई सुविधा परिवहन विभाग के माध्यम से मिलने जा रही है। ड्राइविंग लाइसेंस और पंजीयन प्रमाण पत्र आवेदक द्वारा दिए गए पते पर नहीं पहुंचने पर आवेदकों को उनके जिले के क्षेत्रीय, अतिरिक्त क्षेत्रीय और जिला परिवहन कार्यालयों के माध्यम से वितरित किए जाएंगे। परिवहन विभाग द्वारा यह सुविधा एक जुलाई से लागू की जा रही है।
मुख्यमंत्री श्री साय के समक्ष यह बात सामने आई कि परिवहन विभाग द्वारा डाक के माध्यम से भेजे गए कई ड्राइविंग लाइसेंस एवं पंजीयन प्रमाण पत्र पता सही नहीं होने के कारण नया रायपुर स्थित परिवहन विभाग के मुख्यालय इन्द्रावती भवन में वापस लौट आते थे। ऐसे आवेदकों को अपने ड्राइविंग लाइसेंस और पंजीयन प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए नवा रायपुर आना पड़ता था। मुख्यमंत्री ने आवेदकों की दिक्कतों को महसूस करते हुए परिवहन विभाग के अधिकारियों को यह निर्देश दिए गए कि किसी वजह से अप्राप्त रहे ड्राइविंग लाईसेंस तथा पंजीयन प्रमाण पत्र संबंधित जिले के क्षेत्रीय, अतिरिक्त क्षेत्रीय, जिला परिवहन कार्यालय के माध्यम से वितरित किए जाए।


परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अस्पष्ट अथवा अपूर्ण पते के कारण नवा रायपुर स्थित परिवहन मुख्यालय लौटने वाले ड्राइविंग लाइसेंस और पंजीयन प्रमाण पत्र लेने के लिए नवा रायपुर आने की जरूरत नहीं होगी। आवेदक संबंधित कार्यालय से वैध दस्तावेज प्रस्तुत कर अपने चालक लाईसेंस अथवा पंजीयन प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकेंगें। इस संबंध में परिवहन विभाग द्वारा सभी अधीनस्थ कार्यालयों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

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