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संवेदनशील मुख्यमंत्री करते हैं जनदर्शन में लोगों की समस्याओं का त्वरित निराकरण
रायपुर । शौर्यपथ । रायपुर में मुख्यमंत्री निवास का जनदर्शन गुरुवार आम दिनों जैसा नहीं होता। इस दिन सीएम निवास लोगों की उम्मीदों को पूर्ण करने और समस्याओं के त्वरित निराकरण सुनिश्चित करने वाला ओपन हाउस बन जाता है। दुःख और तकलीफों से भरी ज़िंदगी में जनदर्शन लोगों के लिए एक नई आशा की किरण है। जनदर्शन के दिन मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय लोगों की समस्याओं को सिर्फ सुनते ही नहीं, बल्कि दिल से महसूस करते हैं। यहां आने वाले लोग न सिर्फ राहत की उम्मीद लेकर आते हैं, बल्कि अपने जीवन में बदलाव की नई किरण और अपनी परेशानियों का समाधान लेकर वापस जाते हैं।
मुख्यमंत्री जनदर्शन का हर गुरुवार उन कहानियों का मंच बनता है, जहां तकलीफ और संघर्ष को पीछे छोड़कर लोग नई आशा के साथ नई शुरुआत का स्वागत करते हैं। मुख्यमंत्री श्री साय के संवेदनशील और त्वरित फैसलों से सीएम हाउस पहुँचे लोगों के चेहरों पर अमुल्य मुस्कान और समस्याओं के समाधान मिलने की संतुष्टि होती है। हर मुलाकात, हर समाधान एक ऐसा पल होता है, जहां मुख्यमंत्री हर एक के परिवार के मुखिया बन जाते हैं।
जनदर्शन मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और जनता के बीच भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है। जनदर्शन के दौरान दूरस्थ स्थानों से आए कोई न कोई विवेक, कोई राजू, कोई उषा मुख्यमंत्री से अपनी समस्याएं साझा करते हैं, और बदले में समाधान और अपनापन लेकर लौटते हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं रायपुर के भनपुरी में रहने वाले विवेक शर्मा, जिन्होंने दुर्घटना में अपना पैर खो दिया था। इस हादसे के बाद विवेक का जीवन जैसे ठहर गया था। चलने-फिरने में असमर्थ होने के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही थी, और अपने परिवार की जिम्मेदारी भी पूरी नहीं कर पा रहे थे। आज मुख्यमंत्री निवास से बाहर निकलते वक्त उनके हाथ में केवल वॉकर नहीं था, बल्कि उनके चेहरे पर फिर से मुस्कान लौट आई थी। वॉकर मिलने से उनकी जिंदगी में फिर से उम्मीद जगी और उनका खोया हुआ आत्म-गौरव फिर से वापस आ गया। उन्होंने मुख्यमंत्री को दिल से धन्यवाद दिया और कहा, "अब मुझे चलने में कोई परेशानी नहीं होगी, हमारे मुखिया ने मुझे सिर्फ चलने का सहारा नहीं दिया बल्कि जीने की राह दिखा दी।" यह वॉकर विवेक के लिए सिर्फ एक सहारा नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत थी।
बीजापुर के राजूराम वाचम की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। पोलियो की वजह से चलने में तकलीफ झेलने वाले राजूराम को हर दिन 11 किलोमीटर का सफर तय कर आईटीआई पहुंचना पड़ता था। उनकी इस समस्या का हल भी जनदर्शन में मिला। मुख्यमंत्री से मिली मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल ने न सिर्फ उनकी तकलीफें कम कीं, बल्कि उन्हें फिर से अपनी पढ़ाई जारी रखने की हिम्मत दी। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय अपने प्रत्येक जनदर्शन में यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को मदद मिले और कोई भी व्यक्ति उनकी चौखट से मायूस न लौटे। यही जनदर्शन की असली सफलता है।
रायपुर की उषा ठाकुर, जो ओरल कैंसर से पीड़ित हैं, उनके लिए भी जनदर्शन एक नई उम्मीद लेकर आया। इलाज के लिए 1 लाख रुपए की आर्थिक सहायता पाकर उषा की आंखों में आंसू थे, लेकिन ये आंसू राहत और आभार के थे। उन्हें सिर्फ मदद नहीं मिली, बल्कि उन्होंने यह विश्वास भी पाया कि उनका जीवन मायने रखता है।
इसी तरह, जशपुर से आई दृष्टिबाधित कुमारी रूपवर्षा ने पढ़ाई में आ रही दिक्कतों के लिए ऑर्बिट रीडर यंत्र की जरूरत जाहिर की। मुख्यमंत्री ने उनकी इस मांग को ध्यान से सुना और मदद का आश्वासन देकर उनके भविष्य को संवारने की ओर एक कदम बढ़ाया।
जनदर्शन में न केवल शारीरिक कठिनाइयों से जूझ रहे लोगों को सहारा मिलता है, बल्कि प्रतिभाशाली व्यक्तियों की कला और हुनर को भी नई उड़ान मिलती है। विवेक भोंसले, जो बचपन से ही दिव्यांग हैं, रायपुर के राजा तालाब के निवासी हैं। महज 8 साल की उम्र से ढोलक पर अपनी महारत हासिल करने वाले विवेक को संगीत के प्रति गहरी रुचि है, लेकिन वाद्य यंत्रों की कमी उनके सपनों के बीच आ गई थी।जनदर्शन में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय से मिलकर उन्होंने वाद्य यंत्र खरीदने के लिए सहायता की मांग की। मुख्यमंत्री ने बिना देर किए 15,000 रुपये की सहायता राशि का चेक सौंपा, जिससे विवेक का हौसला बढ़ने के साथ ही अब उसके लिए संगीत का सफर आसान होगा।
जनदर्शन सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, यह संवेदनशीलता, अपनेपन, दुलार, ख्याल और उम्मीद की तस्वीर है। यह एक ऐसे जननेता की कहानी है जो न केवल लोगों की बातें सुनते हैं, बल्कि उनकी समस्याओं को अपना मानकर उनका हल भी ढूंढते हैं। हर बार जनदर्शन में पहुँचे लोग न सिर्फ अपनी परेशानियों का समाधान लेकर लौटते हैं, बल्कि अपने मुखिया के प्रति अटूट विश्वास और एक बेहतर कल की नई उम्मीदों को भी संजोते हैं।
जशपुर के श्रीमती फुलजेन्सिया एक्का और श्रीमती कुसुम सहित हितग्राहियों का जाना कुशलक्षेम
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ‘आज मोर आवास-मोर अधिकार‘ कार्यक्रम के पश्चात प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों के साथ बैठकर भोजन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री साय ने साथ में बैठकर भोजन कर रही जशपुर जिले के कुनकुरी निवासी श्रीमती फुलजेन्सिया एक्का और फरसाबहार की श्रीमती कुसुम से चर्चा करते हुए उनका एवं उनके परिवार का कुशलक्षेम जाना। मुख्यमंत्री के साथ भोजन करने वालों में जशपुर के श्री राम, कबीरधाम के दौलतराम व लालाराम, बस्तर के लाहेन्द्र सिंह और श्रीमती सोनामणि, मुंगेली के महेश और समारू साहू, कांकेर की श्रीमती पूर्णिमा पटेल, बलौदाबाजार की श्रीमती हेमिन ध्रुव, रायपुर की श्रीमती रामबती पुरैना और जट्टासिंग शामिल थे।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन, खाद्य मंत्री दयालदास बघेल, रायपुर लोकसभा सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विधायक द्वय गुरु खुशवंत साहेब और अनुज शर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज राजधानी रायपुर के सरदार बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम में आयोजित 'मोर आवास मोर अधिकार' कार्यक्रम में अपने प्रशासनिक और राजनीतिक जीवन का एक भावुक और अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। मोर आवास मोर अधिकार कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने जनसेवा की नई मिसाल कायम करते हुए हितग्राहियों के पांव पखारकर उनका आशीर्वाद लिया।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसके माध्यम से जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को यह संदेश भी दिया है की वे स्वयं को आम जनता से ऊपर न समझकर स्वयं को जनता का सेवक समझें और मानवीय दृष्टिकोण से आदर के साथ आमजन की समस्याओं को सहृदयतापूर्वक सुनकर उनका त्वरित निराकरण सुनिश्चित करें। मुख्यमंत्री साय के द्वारा हितग्राहियों के पांव पखार कर आशीर्वाद लेना छत्तीसगढ़ में जनप्रतिनिधियों और आम जनता के बीच विश्वास और सेवा का प्रतीक बन गया है।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मंशानुरूप जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के हो रहे विस्तार का लाभ पड़ोसी राज्य झारखंड को भी मिल रहा है। जशपुर जिला मुख्यालय से लगभग 26 किलोमीटर दूर जशपुर विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत लोदाम झारखंड बॉर्डर के समीप है। यहां पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लोदाम में झारखंड के आसपास के गावों के लोग अपना इलाज कराने आते हैं। इसके साथ ही उनका आयुष्मान कार्ड भी यहां पर बन रहा है।
लोदाम सीएचसी की बीपीएम के अनुसार झारखंड के मांझा टोली सहित अन्य ग्राम पंचायतों के लोग यहां की बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण इलाज के लिए आते हैं। पिछले 4 महीनों में यहां झारखंड के 27 निवासियों की सामान्य प्रसव सफलतापूर्वक कराई गई है। इसके अलावा 10 से अधिक टाइफाइड के मरीजों की जांच और उपचार किया गया है। इसके अलावा अन्य बीमारियों के इलाज के लिए भी लोग यहां आते हैं। लोदाम सीएचसी में एक्सरे, ब्लड टेस्ट, सामान्य प्रसव, आयुष्मान कार्ड जैसी सेवाओं सहित अन्य बीमारियों के इलाज की भी सुविधा है।
मुख्यमंत्री साय के निर्देश पर जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है। इसी के तहत जशपुर जिले में 18 एबीबीएस और 7 विशेषज्ञ चिकित्सकों को नियुक्ति की जा चुकी है। इसके अलावा नवीन स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना के साथ ही मेडिकल उपकरणों की खरीदी और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति की जा रही है।
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / ज्यादातर माता-पिता बच्चे कें घंटो फोन चलाने की आदत से बहुत परेशान हैं. आजकल बच्चे किताबों में मन लगाने और आउटडोर गेम खेलने की बजाय टीवी और फोन पर वीडियो देखने में लगा रहे हैं. जिससे उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा असर पड़ रहा है. कई माता-पिता अभी भी अपने बच्चों के लिए स्क्रीन समय की सही मात्रा और समय के बारे में निश्चित नहीं हैं. ऐसे में बच्चों को फोन किस उम्र में दिया जाए और स्क्रीन टाइम कितने देर होनी चाहिए, इसके लिए यहां पर कुछ सलाह दी गई है, जो आपके लिए मददगार हो सकती है.
कितने देर बच्चा कर सकता है फोन यूज
आपको बता दें कि 6 साल तक के बच्चे को 1 से 2 घंटे इससे ज्यादा स्क्रीन पर समय नहीं बिताना चाहिए. वहीं, 18 महीने के बच्चों को तो इससे बिल्कुल दूर रखें. फोन या टीवी स्क्रीन का एक्सेस यूज बच्चे की मेंटल हेल्थ, स्लीपिंग साइकिल और फिजिकल एक्टिविटी पर बुरा असर डाल सकती है.
ज्यादा फोन यूज करने के नुकसान
एक अध्ययन के अनुसार, बच्चे ज्यादा फोन का इस्तेमाल करते हैं, तो ब्रेन डेवलपमेंट पर बुरा असर पड़ता है, आंख की रोशनी कमजोर होती है, बॉडी का पॉशचर खराब होता है और फोकस करने में भी दिक्कत हो सकती है. साथ ही इससे बच्चा सोशल इंट्रैक्शन से दूर हो जाता है और क्रिएटिविटी कम होने लगती है.
स्क्रीन टाइम कम करने के फायदे
इसलिए बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करना जरूरी है क्योंकि इससे बच्चे की पढ़ने में रुचि बढ़ेगी, बच्चा बाहर खेलने जाएगा और परिवार के साथ समय बिताएगा. इससे आपके और बच्चे के बीच बॉन्ड अच्छी होगी.
कैसे घटाएं स्क्रीन टाइम
बच्चे को आप स्क्रीन से दूर रखने के लिए टाइमटेबल बना सकते हैं, जैसे- डिनर, ब्रेकफास्ट और लंच के समय फोन बिल्कुल इस्तेमाल न करने दें. इसके अलावा होमवर्क करने के बाद ही फोन मिलेगा यह सुनिश्चित करें. इन तरीकों को अपनाकर आप अपने बच्चे की स्क्रीन टाइम घटा सकते हैं और उनका बेहतर भविष्य दे सकते हैं.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /शरीर को सही तरह से काम करने के लिए अलग-अलग विटामिन की जरूरत होती है. किसी भी एक विटामिन की कमी होने पर शरीर पर अलग-अलग तरह के प्रभाव नजर आने लगते हैं. यहां भी ऐसे ही एक विटामिन का जिक्र किया जा रहा है जिसकी शरीर में कमी हो जाने पर हर समय थकान महसूस होती है और एनर्जेटिक महसूस नहीं होता सो अलग. यह विटामिन है विटामिन बी12. शरीर में विटामिन बी12 की कमी होने पर अलग-अलग तरह के लक्षण नजर आने लगते हैं. यहां जानिए विटामिन बी12 की कमी को कैसे पहचानें और किस तरह इस कमी को पूरा किया जा सकता है.
विटामिन बी12 की कमी के लक्षण |
विटामिन बी12 की शरीर को अलग-अलग तरह से जरूरत होती है. विटामिन बी12 की रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन में जरूरत होती है. शरीर को DNA और जेनेटिक मटीरियल बनाने में भी मदद मिलती है. विटामिन बी12 की कमी होने पर हर समय थका हुआ और कमजोर महसूस होने लगता है.
भूख में कमी होना भी विटामिन बी12 की कमी के कारण हो सकता है. इस विटामिन की कमी से शरीर का वजन लगातार कम होता नजर आ सकता है.
उल्टी आने जैसा या जी मितलाना महसूस हो सकता है. इस विटामिन की कमी को इन दोनों ही लक्षणों से पहचाना जा सकता है.
बहुत से लोगों की त्वचा विटामिन बी12 की कमी के कारण पीली पड़ती नजर आने लगती है. इससे स्किन पर पीले चकत्ते भी दिख सकते हैं.
विटामिन बी12 की कमी होने पर बहुत से लोगों के हाथ-पैरों में झनझनाहट (Sensation) महसूस होने लगती है. इसके अलावा, देखने में दिक्कत होना और हाथ-पैरों का सुन्न पड़ना भी इस विटामिन की कमी से हो सकता है.
विटामिन बी12 की कमी पूरी करना
शरीर में विटामिन बी12 की कमी के लक्षण नजर आने लगें तो इस कमी को पूरा करने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखा जा सकता है. विटामिन बी12 खासतौर से एनिमल प्रोडक्ट्स में मिलता है. अंडे, मछली, दूध और दूध से बनी चीजों से शरीर को विटामिन बी12 की अच्छी मात्रा मिल सकती है.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / बाजार में यूं तो कई तरह के तेल मिलते हैं, लेकिन इन तेलों में कृत्रिम रंग, सुगंध और केमिकल्स होते हैं जो बालों को फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे में अगर आप अपने झड़ते बालों से परेशान हैं और बाल बढ़ाने चाहते हैं तो घर पर ही तेल बनाकर बालों पर लगा सकते हैं. ये प्राकृतिक तेल बालों की ग्रोथ बेहतर करते हैं और इनसे बालों का झड़ना रुकता है सो अलग. करी पत्ते, मेथी और गुड़हल के फूल से 3 तरह के हेयर ग्रोथ ऑयल बनाकर बालों पर लगाए जा सकते हैं. इन तेलों को बनाना बेहद आसान भी है और बाल बढ़ाने में असरदार भी.
बाल बढ़ाने के लिए घर पर बना तेल |
करी पत्ते का तेल
बालों के लिए करी पत्ते कई तरह से फायदेमंद होते हैं. करी पत्ते प्रोटीन से भरपूर होते हैं और इनमें बीटा कैरोटीन की अच्छी मात्रा होती है जो बालों का झड़ना रोकने में मददगार है. करी पत्ते एंटी-ऑक्सीडेंट्स के भी अच्छे स्त्रोत होते हैं जिनसे बालों को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स का सफाया हो जाता है. इस तेल को बनाने के लिए आपको नारियल तेल और करी पत्ते की जरूरत होगी. सबसे पहले एक कटोरी में नारियल का तेल लें और उसमें मुट्ठीभर करी पत्ते डाल लें. जब करी पत्ते चटकने लगें और पककर काले हो जाएं तो आंच बंद करके तेल अलग रख दें. इस तेल को बालों पर लगाने से हेयर ग्रोथ तो होती ही है, साथ ही समय से पहले बालों के सफेद होने की दिक्कत से भी छुटकारा मिल जाता है.
गुड़हल का तेल
गुड़हल विटामिन सी, फ्लेवेनॉइड्स और अमीनो एसिड्स समेत फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट्स का अच्छा स्त्रोत होता है. गुड़हल के गुण स्कैल्प को मॉइश्चराइज करते हैं और बालों का झड़ना रोककर बालों को बढ़ाने में असर दिखाते हैं. गुड़हल का तेल बनाने के लिए आपको एक कप नारियल का तेल, तकरीबन 10 गुड़हल के फूल और इतने ही गुड़हल के पत्ते लेने होंगे. सबसे पहले गुड़हल के फूलों और पत्तों को साफ करके पीस लें. इसके बाद नारियल के तेल को गर्म करें और उसमें गुड़हल का पेस्ट डाल दें. कुछ देर पकाने के बाद इस तेल को ठंडा करने के लिए अलग रख दें. बालों पर शैंपू करने से आधे घंटे पहले इस तेल से सिर की मालिश करें. बाल अंदरूनी रूप से बढ़ने लगते हैं.
मेथी का तेल
मेथी के पीले दाने बालों को बढ़ाने में कमाल का असर दिखाते हैं. मेथी के दानों में एंटी-फंगल गुण होते हैं, एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं और यह तेल बाल बढ़ाने के साथ ही बालों से डैंड्रफ जैसी दिक्कतें भी दूर रखता है. मेथी का तेल बनाने के लिए नारियल तेल या फिर ऑलिव ऑयल को आंच पर चढ़ाएं और गर्म कर लें. इस तेल में मेथी के दाने डालकर पका लें. कुछ देर तेल को पकाने के बाद आंच बंद कर दें. यह तेल बालों पर हफ्ते में 2 से 3 बार लगाया जा सकता है.
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / दीमक लकड़ी के बने सामान व फर्नीचर को खराब करने का मुख्य कारण होते हैं. नमी और सीलन के कारण फर्नीचर और घर के अन्य हिस्सों पर दीमक लगना आम समस्या है. दीमक लगने की समस्या बारिश के दिनों में काफी बढ़ जाती है. इसके कारण महंगे फर्नीचर, दरवाजों और लकड़ी के सामानों को दीमक लग जाती हे जो उन्हें अंदर खोखला कर देते हैं. इससे छुटकारा पाने के लिए कई तरह के उपाय अपनाए जाते हैं. इनमें कुछ घरेलू उपाय भी शामिल हैं जो दीमक से फर्नीचर को बचाने में कारगर साबित हो सकते हैं. यहां ऐसे ही कुछ घरेलू उपाय दिए गए हैं जो दीमक का खात्मा करने में कारगर होते हैं.
दीमक से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय |
नींबू और सिरका
अपने फर्नीचर और खिड़की दरवाजों को दीमक से बचाने के लिए सफेद सिरका और नींबू की मदद ली जा सकती है. इसके लिए आधा कप सिरका में 2 नींबू का रस निचोड़ कर मिश्रण बना लें. इस मिश्रण को स्प्रे बोतल में भरकर उन जगहों पर स्प्रे करें जहां दीमक और उनके अंडे मौजूद रहने की संभावना हो. कुछ ही समय में दीमक के घर नष्ट हो जाएंगे.
बोरिक एसिड
बोरिक एसिड का उपयोग भी दीमक हटाने के लिए किया जा सकता है. एक कप पानी में 2-3 चम्मच बोरिक एसिड मिलाकर स्प्रे बोतल में डालें और इसे फर्नीचर, दरवाजों, खिड़कियों सहित घर के उन सभी हिस्सों में स्प्रे करें जहां दीमक लगने का खतरा हो. कुछ समय नियमित स्प्रे करने के बाद दीमक का नामोंनिशान मिट जाएगा.
नीम लहसुन का स्प्रे
दीमक से छुटकारा पाने के लिए नीम और लहसुन स्प्रे का भी उपयोग किया जा सकता है. इस उपाय के लिए लहसुन की कुछ कलियों को छीलकर कूट लें. नीम की कुछ पत्तियों से पेस्ट बना लें. लहसुन के पेस्ट को 2 कप पानी में डालकर उबालें. उबले हुए पानी में नीम की पत्तियों का पेस्ट मिला दें और स्प्रे बोतल में भर लें. अब इस मिश्रण को नियमित रूप से ऐसी जगहों पर छिड़कें जहां दीमक लगने का खतरा हो. कुछ ही समय में दीमक गायब होने लगेंगे.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरू होकर अमावस्या तक पितृ पक्ष रहता है. इस समय पितरों के लिए तर्पण, दान, पिंडदान, श्राद्ध कर्म करने के साथ-साथ तुलसी से जुड़े नियमों का पालन करना भी जरूरी होता है. माना जाता है इस समय पितृ पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने परिजनों के द्वारा किए गए श्राद्ध कर्म से तृप्त होते हैं. पितृ पक्ष के दौरान पितरों के लिए दान पुण्य और तर्पण किया जाता है. इन उपायों से पितृ दोषों से भी मक्ति मिलती है. इस वर्ष 17 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है. पितृ पक्ष के दौरान तुलसी (Tulsi ) की पूजा के साथ-साथ कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है. आइए जानते हैं मान्यतानुसार पितृ पक्ष के दौरान तुलसी से जुड़े किन नियमों का पालन करना जरूरी है.
पितृ पक्ष के दौरान तुलसी से जुड़े नियम |
तुलसी की पूजा
पितृपक्ष के दौरान तुलसी की पूजा जरूर करनी चाहिए. इस समय तुलसी की पूजा नहीं करने से पितर नाराज हो सकते हैं. हालांकि, तुलसी की पूजा करने वाले व्यक्ति को श्राद्ध से जुड़े कार्यों से दूर रहना चाहिए.
तुलसी को छूना वर्जित
पितृपक्ष के दौरान तुलसी को छूना वर्जित माना जाता है. हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को पवित्र माना जाता है. इसलिए उसे स्पर्श करने के लिए साफ-सफाई और पवित्रता का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है.
लसी की पत्तियां तोड़ना
पितृपक्ष के दौरान भूलकर भी तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए. इस समय तुलसी को छूना और पत्तियां तोड़ना वर्जित माना जाता है. पत्तियों को तोड़ने से पितरों के नाराज होने का भय रहता है. पितरों के नाराज होने से जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं.
पितृपक्ष में तुलसी उपाय
पितृपक्ष के दौरान नियमित रूप से तुलसी की पूजा करनी चाहिए. इस समय तुलसी की माला धारण करना भी शुभ माना जाता है. तुलसी के पौधे की देखभाल से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके साथ ही इस समय तुलसी की पूजा करने वाले व्यक्ति को श्राद्ध से जुड़े कार्यों से दूर रहना चाहिए. घर के ऐसे व्यक्ति को तुलसी की पूजा करनी चाहिए जो श्राद्ध से जुड़े कार्य में भाग नहीं ले रहा हो.
लाइफस्टाइल/शौर्यपथ / खराब लाइफस्टाइल और खानपान की खराब आदतें असंतुलित हार्मोन्स का कारण बन रही हैं. हार्मोनल का बैलेंस बिगड़ने से कई बार महिलाओं में पीरियड्स के दौरान गंभीर दर्द, अनियमित पीरियड्स, शरीर के अलग-अलग हिस्सों में अनचाहे बाल, कील-मुंहासे, पीसीओएस, थायराइड, बालों का झड़ना जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो जाती हैं. यह आगे चलकर परेशानी का सबब बनने लगती हैं. हमारे शरीर में अलग-अलग अंगों को एक्टिव रखने के लिए अलग-अलग हार्मोन की जरूरत होती है. कई बार शरीर में हार्मोनल ग्लैंड्स सही तरीके से काम करना बंद कर देती है.
ऐसे में डायबिटीज, थायराइड सहित कई अन्य तरह की बीमारियां शरीर में दस्तक देना शुरू कर देती हैं. हालांकि Hormonal Imbalance होने पर इसके शुरुआती संकेत मिलने लगते हैं, जिसके आधार पर अलर्ट हो जाना जरूरी है. अगर आपके शरीर में भी हार्मोन्स का लेवल बिगड़ गया है तो डॉक्टर के बताए इन बातों पर गौर करें.
डॉक्टर के अनुसार शरीर में ये हार्मोन्स बेहद जरूरी हैं
कुछ ऐसे हार्मोन्स हैं जो हमारे शरीर में बहुत सारे काम करते हैं. इनमें थायरॉइड हार्मोन पिट्यूटरी ग्रंथि के हार्मोन, एड्रेनालाईन हार्मोन, ग्रोथ हार्मोन, टेस्टोस्टेरोन हार्मोन, फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन शामिल हैं.
थायरॉइड हार्मोन महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए बहुत जरूरी है. थायरॉइड हार्मोन को थायरॉइड ग्रंथि तैयार करती है और यह ग्रंथि गले के पास होती है. इस ग्रंथि में t3 और t4 हार्मोन तैयार होते हैं. यह दोनों मिलकर थायरॉइड हार्मोन बनाते हैं. डॉक्टर बताते हैं कि ग्रोथ हार्मोन शरीर के विकास के लिए बेहद जरूरी हैं.
हार्मोनल चेंजेज के यह संकेत
हार्मोन बदलने के कुछ संकेत मिलते हैं. जैसे वजन बढ़ना, सुस्ती आना, पेट साफ ना होना, कोई काम में उत्साह न रहना, महिलाओं में मेंस्ट्रूअल साइकिल अनियमित हो जाना है. इससे प्रेगनेंसी में भी दिक्कत आती है. इसके अलावा हीमोग्लोबिन की मात्रा घट जाती है और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है.
जब हाइपोथॉयराडिज्म का लेवल बढ़ जाए तो बुखार आता है, दिल की धड़कन तेज हो जाती है, हाथ कांपने लगते हैं, तलवे में पसीना आने लगता है, लूज मोशन होने लगते हैं. महिलाओं को मेंस्ट्रूअल साइकिल अनियमित हो जाता है और नींद नहीं आती. डॉक्टर के अनुसार हाइपोथॉयराडिज्म में थायरोक्सिन के रूप में थायरॉइड हार्मोन का सप्लीमेंट लेना पड़ता है या फिर कुछ दवाइयां खानी पड़ती हैं.
हार्मोन्स का बैलेंस गड़बड़ होने पर क्या करें
अगर आप डॉक्टर के पास जाने से बचना चाहते हैं तो हेल्दी डाइट लें. ऐसी डाइट लें जिसमें सारे पोषक तत्व मौजूद हों. पर्याप्त नींद लें, अपनी लाइफ स्टाइल सही रखें. अपना वजन कंट्रोल में रखें, रोज थोड़ा एक्सरसाइज करें.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /दशहरा यानी विजयदशमी का दिन असत्य पर सत्य की जीत और पाप पर पुण्य की जीत के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्री राम ने रावण को मार कर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया था. विजयदशमी के दिन ही मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस पर विजय प्राप्त की थी. विजयदशमी के दिन शमी और अपराजिता की भी पूजा की जाती है. दशहरा के त्योहार को वर्षा ऋतु के अंत और शरद ऋतु के प्रारंभ का भी सूचक माना जाता है. इस दिन मां दुर्गा की मूर्ति और कलश विसर्जन किया जाता है, साथ ही रावण के पुतले का भी दहन होता है. विजयदशमी वाले दिन नीलकंठ नामक पक्षी का दर्शन करना बहुत ही शुभ माना जाता है. दशहरा के दिन भगवान श्री राम, मां दुर्गा और गणपति बप्पा के साथ ही हनुमान जी की भी पूजा करना बहुत ही शुभ माना गया है.
कब है दशहरा का त्योहार
दशमी तिथि 12 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर शुरू होकर 13 अक्टूबर 2024 को सुबह 09 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा. शास्त्रों के अनुसार विजयदशमी या दशहरा पर श्रवण नक्षत्र का होना बहुत कल्याणकारी और शुभ
माना जाता है. साल 2024 में श्रवण नक्षत्र 12 अक्टूबर को सुबह 5:00 बजकर 25 मिनट से प्रारंभ होकर 13 अक्टूबर को सुबह 4:27 बजे समाप्त हो रहा है.
विजयदशमी पूजा का शुभ मुहूर्त कब है?
विजयदशमी के दिन पूजा का मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 2 मिनट से दोपहर 2 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. इसकी कुल अवधि लगभग 46 मिनट तक रहेगी.
बंगाल में दुर्गा पूजा का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. बंगाल में दशहरा का पर्व इस साल 13 अक्टूबर 2024 यानी रविवार को मनाया जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:16 से शुरू होकर दोपहर 3:35 बजे तक रहेगा. यानी पूजा करने की कुल अवधि लगभग 2 घंटे 19 मिनट तक है.
विजयदशमी को शक्ति और साहस का प्रतीक माना गया है. भगवान राम की रावण के साथ लड़ाई में उनकी शक्ति और साहस का प्रदर्शन हुआ था. दशहरा पापों का नाश का प्रतीक है. भगवान राम की रावण पर विजय से यह साबित होता है कि पापों का नाश होता है और सत्य जीतता है.
रायपुर / शौर्यपथ / सरगुजा जिले के पहाड़ी कोरवा बाहुल्य ग्राम रामनगर की श्रीमती संगीता पहाड़ी कोरवा कहती हैं कि हमारे मुख्यमंत्री श्री विष्णु भईया हर महीने एक हजार रूपये हमारे बैंक खाते में भेजते हैं। महतारी वंदन योजना के तहत मिले पैसों से काफी मदद हो जाती है। इन रुपयों को घर के छोटे-मोटे खर्चे, बच्चों के पढ़ाई-लिखाई के समान खरीदने में खर्च करते हैं।
इसी तरह ग्राम रामनगर (बरपारा) निवासी श्रीमती गुलाबी भी महतारी वंदन योजना की हितग्राही हैं। वे कहती हैं कि महतारी वंदन योजना के अंतर्गत हर महीना एक हजार रुपए की राशि सीधे खाते में मिल जाती हैं। इस पैसे से घरेलू खर्चे में काफी मदद हो जाती है और हाथ में पैसा हो तो आत्मविश्वास रहता है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने 2 सितंबर को महतारी वंदन योजना के सातवीं किस्त की राशि के रूप में 01-01 हजार रुपए डीबीटी के माध्यम से महिलाओं के खाते में अंतरित किये। सरगुजा जिले में 7वीं किश्त में जिले की 2 लाख 32 हजार 840 महिलाओं के खाते में 21 करोड़ 48 लाख रुपए अंतरित किए गए हैं। प्रदेश में महिलाओ के आर्थिक स्वावलंबन तथा उनके स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर मे सतत सुधार तथा परिवार मे उनकी निर्णायक भूमिका सुदृढ़ करने हेतु महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से “महतारी वंदन योजना” लागू किए जाने का निर्णय लिया गया। जिसके अंतर्गत राज्य की विवाहित, विधवा परित्यक्ता और तलाकशुदा जिनकी उम्र 21 वर्ष से अधिक हो ऐसी महिलाओं को प्रतिमाह 1000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बटन दबाकर प्रथम किश्त की राशि जारी की थी। योजना के तहत पहले चरण में राज्य के करीब 70 लाख से अधिक महिलाओं को लाभार्थी के तौर पर चुना गया है, जिनके बैंक खाते में योजना की 7वीं किश्त ट्रांसफर कर दी गई हैं।
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत साल में 24 बार पड़ता है. हर एकादशी व्रत का अपना महत्व है. पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं. इसे श्राद्ध एकादशी भी कहते हैं. हिंदू धर्म में इसकी महत्ता काफी ज्यादा है. इन दिन पूजा करने से कई तरह के कष्ट मिट जाते हैं. आइए जानते हैं इस बार इंदिरा एकादशी कब पड़ रही है, इसका महत्व क्या है और पूजा कैसे की जा सकती है.
कब है इंदिरा एकादशी |
पुराणों में बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण ने खुद धर्मराज युधिष्ठिर को इस व्रत का महत्व बताया था. माना जाता है कि इस व्रत को करने से यमलोक से मुक्ति मिल जाती है. इससे पितरों का उद्धार होता है और हर तरह के पाप मिट जाते हैं. इंदिरा एकादशी का व्रत शनिवार, 28 सितंबर, शनिवार को पड़ रहा है. द्रिक पंचांग के अनुसार, एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 36 मिनट से लेकर सुबह 05 बजकर 24 मिनट तक है.
अभिजीत मुहूर्त 28 सितंबर की सुबह 11 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक होगा. इस दिन राहुकाल का समय सुबह 09 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.
एकादशी तिथि का समय
27 सितंबर की दोपहर 01 बजकर 20 मिनट से एकादशी की तिथि की शुरुआत हो जाएगी, जो 28 सितंबर 2024 की दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी. व्रत पारण का समय 29 सितंबर को सुबह 06 बजकर 12 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 35 मिनट तक होगा.
एकादशी व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं
शास्त्रों के मुताबिक, एकादशी का व्रत पानी पीकर या निराहार रख सकते हैं. फलाहार व्रत रखने वाले केवल फल खा सकते हैं, जबकि जलाहार व्रत में सिर्फ जल पीकर ही रहा जाता है. इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
नौकरी के साथ ही पहाड़ी कोरवा सागर की सज गई नई उम्मीदें
पहले रोजी-मजदूरी करता था, अब शिक्षक के रूप में निभा रहे जिम्मेदारी
रायपुर / शौर्यपथ / पहाड़ी कोरबा सागर कुछ माह पहले तक एक मजदूर था। हाथ में कुछ काम नहीं होने की वजह से वह गाँव में एक ठेकेदार के पास जाकर ईंट ढोने का काम किया करता था। इससे उन्हें जी भर के परिश्रम करनी पड़ती थी और पैसे भी कम मिलते थे। घर में माता-पिता की जिम्मेदारी उठाने और अपना खर्च निकालने के लिए सागर को यह काम हर हाल में तब भी करना पड़ता था जब कभी उसे शारीरिक थकावट महसूस होती थी। वह चाहकर भी ऐसी नौकरी नहीं कर पा रहा था, जिससे उसका ईंट ढोने के कार्य से पीछा छूटे।
विशेष पिछड़ी जनजाति के पहाड़ी कोरवा सागर के लिए रोजी-रोटी की व्यवस्था एक बड़ी चुनौती बन गई थी, क्योंकि उनके हाथों को हर दिन काम मिल जाए यह भी जरूरी नहीं था। इसी बीच मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा जब जिले के विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के योग्य बेरोजगार युवकों को नौकरी देने की शुरुआत की गई तो पहाड़ी कोरवा सागर ने भी अपना आवेदन जमा किया। पहाड़ी कोरवा सागर के दस्तावेजों की जाँच के पश्चात उसका चयन कर लिया गया। विषम परिस्थितियों में रहकर गरीबी के बीच मजदूरी करने वाला पहाड़ी कोरवा सागर के हाथ से अब कोई ईंट नहीं उठता बल्कि इन्हीं परिश्रमी हाथों को चाक और किताबों का साथ मिल गया है। पहाड़ी कोरवा सागर अब प्राथमिक शाला के विद्यार्थियों को शिक्षा देकर आगे बढ़ने का संदेश दे रहा है।
कोरबा ब्लॉक के ग्राम चीतापाली में पदस्थ पहाड़ी कोरवा सागर ने बहुत संघर्षों से बारहवीं पास किया। इस बीच कोई काम नहीं होने की वजह से वह अपने पिता की तरह मजदूरी का काम करने लगा। जंगल से निकलकर पहले पढ़ाई फिर मजदूरी करना और घर का खर्च उठाना यह सब उसके संघर्षमय जीवन की कहानी थी। सागर ने बताया कि पिताजी सहित उनके परिवार के अधिकांश सदस्य बहुत गरीब है और उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वह बारहवीं तक की पढ़ाई कर पायेगा। सागर ने बताया कि 2022 में 12वीं पास करने के बाद उन्हें मजदूरी करनी पड़ती थी। इस बीच ट्रैक्टर में ईंट उठाकर डालने और उसे ढो कर उतारने का काम करना पड़ता था। इस बीच शरीर में दर्द होने के बाद भी काम करना पड़ता था। सागर ने बताया कि उन्हें यकीन नहीं होता कि वह शिक्षक बन गया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा हम पहाड़ी कोरवाओं को नौकरी देकर बहुत बड़ा उपकार किया गया है। उन्होंने बताया कि नौकरी लगने से घर-परिवार से लेकर रिश्तेदारों और समाज में खुशी का वातावरण है। पहाड़ी कोरवा सागर का कहना है कि अब उसकी पूरी दिनचर्या बदल गयी है। स्कूल में पढ़ाने के साथ ही बहुत कुछ सीखने को भी मिल रहा है जो आने वाले समय में अपने बच्चों को सिखाने के काम आएंगे। स्कूल में टाइम के अनुसार उन्हें पढ़ाना होता है। इस कार्य से उसे बहुत खुशी महसूस हो रही है। वह कहता है कि नौकरी भले ही उन्हें डीएमएफ से मानदेय आधार पर मिली है लेकिन यह उसकी खुशियों की वह सीढ़ी है जिससे आने वाले कल का नया भविष्य तैयार हो पायेगा और आर्थिक स्थिति भी मजबूत बन पाएगी।