December 07, 2025
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ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /ऐसे अनेक लोग हैं जो बालों के झड़ने की दिक्कत से परेशान रहते हैं. बाल एकबार झड़ना शुरू होते हैं तो रुकने का नाम नहीं लेते. फिर बालों पर महंगे से महंगा तेल लगाया जाए या ट्रीटमेंट्स लिए जाएं, बालों का झड़ना कम नहीं होता. ऐसे में नेचुरल चीजों को आजमाकर देखा जा सकता है. घर की एक नहीं बल्कि ऐसी कई चीजें हैं जो बालों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं. यहां भी ऐसी ही 3 चीजों का जिक्र किया जा रहा है जिन्हें नारियल तेल  के साथ मिलाकर बालों पर लगाया जाए तो बालों का झड़ना कम होता है, बालों को बढ़ने में मदद मिलती है, बाल मोटे होते हैं, बालों की लंबाई बढ़ती है और बाल घने नजर आने लगते हैं. यहां जानिए कौनसी हैं ये चीजें और किस तरह इन्हें बालों पर लगाया जा सकता है.
बाल बढ़ाने के घरेलू उपाय | Home Remedies For Thick Hair
प्याज का रस और नारियल का तेल
प्याज में मौजूद सल्फर और एंटी-ऑक्सीडेंट्स बालों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होते हैं. यह बालों को जड़ों से पोषण देते हैं जिससे बालों का झड़ना कम होता है. एक कटोरी में नारियल का तेल लें और इसमें 2 प्याज का रस मिलाकर आंच पर रखें. जब यह तेल पक जाए तो इसे आंच से उतारकर अलग रख लें. ठंडा होने के बाद इस तेल को शीशी में भरें. तैयार प्याज का तेल  बालों की जड़ों से सिरों पर लगाकर मालिश करें और एक घंटा लगाए रखने के बाद धोकर हटा लें. बालों को बढ़ने में मदद मिलती है.
करी पत्ते और नारियल का तेल
प्रोटीन और एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर करी पत्ते  बालों को बढ़ाने के साथ-साथ बालों का झड़ना रोकते हैं और इन पत्तों को सिर पर लगाने से वक्त से पहले बाल सफेद नहीं होते हैं. एक कटोरी नारियल के तेल में मुट्ठीभर करी पत्ते डालें और पकाएं. जब पत्ते पककर काले हो जाएं तो आंच बंद कर दें. इस तैयार तेल से बालों की मालिश की जा सकती है.
आंवला और नारियल का तेल
आंवला विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट्स का अच्छा स्त्रोत होता है. वहीं, नारियल के तेल से फैटी एसिड्स, विटामिन ए और विटामिन के मिलता है. नारियल के तेल में कच्चा या फिर सूखा हुआ आंवला  डालकर पकाएं. जब यह तेल पक जाए तो ठंडा होने रख दें. इस तेल से सिर की मालिश करने पर हेयर फॉलिकल्स को फायदा मिलता है, हेयर ग्रोथ बेहतर होती है, बालों को मजबूती मिलती है और बालों का झड़ना रुकता है सो अलग.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / करवाचौथ का पावन पर्व हर महिला के लिए बहुत खास होता है, इस दिन वह अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती है. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले सरगी  की जाती है. इसके बाद व्रत का संकल्प और बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त कर पति की लंबी उम्र के लिए व्रत किया जाता है. पूरे दिन व्रत रखने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर छलनी से पति का चेहरा देखा जाता है. उसके बाद व्रत का पारण किया जाता है. लेकिन, अगर आपको करवाचौथ की सरगी खाने के समय के बारे में नहीं पता है तो यहां जानिए किस वक्त खाई जा सकती है सरगी.
करवा चौथ 2024 सरगी का समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवाचौथ मनाया जाता है. इस बार करवाचौथ 20 अक्टूबर को सुबह 6:40 पर शुरू होगा और अगले दिन 21 अक्टूबर को सुबह 4:16 पर खत्म हो जाएगा. ऐसे में करवाचौथ का व्रत  20 अक्टूबर को ही रखा जाएगा और सरगी का शुभ मुहूर्त सूर्योदय से 2 घंटे पहले होता है. करवाचौथ पर सूर्योदय का समय 6:25 होगा. ऐसे में 2 घंटे पहले 4:25 से 5:00 बजे तक महिलाएं सरगी खा सकती हैं. वहीं, पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5:46 से लेकर 7:02 तक रहेगा और चंद्रोदय का समय 7:54 के आसपास रहेगा.
सरगी का है विशेष महत्व
अक्सर लोगों को लगता है कि सुबह के समय सरगी खाना मतलब अपना पेट भरना है, ताकि दिन भर हम एनर्जी से भरपूर रहें और हमें थकावट नहीं हो. जबकि, सरगी की विशेष मान्यता होती है. दरअसल घर की बड़ी महिलाएं या सास व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाओं को सेहत से भरपूर कुछ चीजें सरगी के लिए देती हैं जिन्हें व्रत करने से पहले वे खाती हैं. इस सरगी में बहू के लिए फल, मिठाई, ड्राई फ्रूट्स, खीर, मट्ठी जैसी कई चीजें होती हैं. जिन महिलाओं की सास नहीं होती वे अपनी जेठानी या घर की किसी बड़ी महिला से भी सरगी ले सकती हैं और उन्हें भी भेंट स्वरूप कुछ दे सकती हैं.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है. इस दिन माएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए व्रत करती हैं और अहोई माता की पूजा करती हैं. करवाचौथ के चार दिन बाद पड़ने वाला अहोई अष्टमी के व्रत का पारण तारों को देखकर किया जाता है. चलिए जानते हैं कि इस साल अहोई अष्टमी का व्रत किस दिन पड़ रहा है और इसका महत्व और पूजा का शुभ समय क्या है.
कब है अहोई अष्टमी |
इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा. कार्तिक माह की कृष्ण अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर 2024 को सुबह 01:18 मिनट पर शुरु हो रही है. अष्टमी की तिथि अगले दिन यानी 25 अक्तूबर को सुबह 1 बजकर 58 मिनट पर समाप्त हो रही है. इस तरह अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा. अहोई अष्टमी की पूजा  का शुभ समय सायंकाल को 5 बजकर 42 मिनट से 6 बजकर 59 मिनट तक रहेगा. इस तरह महिलाओं के पास पूजा के लिए 1 घंटा 17 मिनट का समय रहेगा. इस दिन तारों को देखकर व्रत खोला जाता है, इसलिए तारों को देखने का समय 6 बजकर 6 मिनट से आरंभ हो रहा है. कुछ महिलाएं इस दिन चंद्रमा के दर्शन करके भी व्रत का पारण करती हैं.
अहोई अष्टमी का महत्व |
अहोई अष्टमी का व्रत संतान की सुख-समृद्धि का परिचायक है. अहोई माता को संतान की रक्षा करने वाली माता के रूप में इस दिन पूजा जाता है. दीपावली से आठ दिन पहले इस दिन माएं अपने बच्चों की सलामती के लिए कठोर उपवास करती हैं. इस दिन अहोई अष्टमी की पूजा की जाती है और कथा सुनी जाती है. अहोई की पूजा में दीवार पर आठ कोष्टक वाली अहोई माता की तस्वीर बनाई जाती है. उनके पास साही और उसके बच्चों की तस्वीर बनाई जाती है. इसके बाद महिलाएं कलश में जल भरकर और हाथ में चावल लेकर अहोई मां की कथा सुनती हैं. इसके बाद अहोई माता को दूध और चावल का भोग लगाया जाता है.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. अक्टूबर के महीने में आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश  का पूजन होता है. माना जाता है कि जो भक्त भगवान गणेश की पूरे मनोभाव से पूजा-आराधना करते हैं उन्हें लंबी उम्र और अच्छी सेहत का वरदान मिलता है. मान्यतानुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र देव का भी पूजन किया जाता है. जानिए इस महीने कब रखा जाएगा संकष्टी चतुर्थी का व्रत और किस मुहूर्त में पूजा की जा सकती है संपन्न.
संकष्टी चतुर्थी कब है |
इस साल संकष्टी चतुर्थी की तिथि 20 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 21 अक्टूबर की सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर हो जाएगा. उदया तिथि के अनुसार, 21 अक्टूबर के दिन ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 7 बजकर 54 मिनट बताया जा रहा है.
संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद भगवान गणेश का जलाभिषेक करते हैं. फिर भगवान गणेश को पुष्प चढ़ाए जाते हैं और पीला चंदन लगाते हैं. भोग में तिल के लड्डू और मोदक को गणपति बप्पा के समक्ष अर्पित करते हैं. पूजा में वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी की कथा पढ़ी जाती है, भगवान गणेश के मंत्र और आरती के बाद पूजा का समापन होता है. शाम के समय चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत को संपन्न माना जाता है.
भगवान गणेश के मंत्र
गणेश गायत्री मंत्र
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
गणेश मंत्र
ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥
शुभ लाभ गणेश मंत्र
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /

  करवाचौथ ऐसा दिन है जब महिलाएं सौलह श्रृंगार करती हैं और इसी चलते एक रात पहले हाथों पर मेहंदी लगाई जाती है. कहते हैं मेहंदी जितनी गहरी रचती है पति अपनी पत्नी से प्यार भी उतना ही करते हैं. लेकिन, कई बार काम की व्यसतता के कारण समय से मेहंदी नहीं लगाई जाती या फिर मेहंदी अच्छी नहीं होती जिससे हाथों पर गाढ़ी महरून दिखने के बजाय मेहंदी संतरी नजर आने लगती है. ऐसे में भला रिस्क क्यों लेना. करवाचौथ की मेहंदी लगाने वाली हैं तो पहले ही जान लें कुछ ऐसे हैक्स जिनसे मेहंदी बेहद गाढ़ी रचती है. गाढ़ी मेहंदी रचे हाथ खूबसूरती में चार-चांद लगा देते हैं.
मेहंदी गाढ़ी करने के टिप्स |
चीनी और नींबू का पानी
यह दादी-नानी के समय से चला आ रहा नुस्खा है जिसे औरतें मेहंदी को गाढ़ा करने के लिए आजमाती हैं. आपको करना बस इतना है कि थोड़े पानी में नींबू का रस और हल्की सी चीनी (Sugar) मिलाकर घोल बना लेना है. इस घोल को मेहंदी सूख जाने के बाद रूई की मदद से मेहंदी पर लगाएं. इसके बाद जब मेहंदी खुद ही छूटकर निकलने लगेगी तो आप देख सकेंगी कि मेहंदी बेहद गाढ़ी रची है. अगर नींबू ना हो तो सिर्फ चीनी के रस को भी मेहंदी पर लगा सकते हैं.
लौंग की भाप
मेहंदी वाले हाथों पर लौंग की भाप लगाने से भी मेहंदी का रंग गहरा रचता है. इसके लिए तवा लें और कुछ लौंग  उसके ऊपर डालें. जब लौंग पकने लगेगी तो उससे भाप उठने लगेगी. इस भाप के ऊपर अपने मेहंदी लगे हाथों को रखें. मेहंदी सूखने के बाद भाप लगाएं. इससे मेहंदी का रंग गहरा रचता है.
सरसों का तेल
अगर मेहंदी हटाने के बाद उसका रंग पीला या संतरी नजर आए तो सरसों का तेल (Mustard Oil) लगाया जा सकता है. हाथों पर अच्छे से सरसों के तेल को मलें. इसके बाद कुछ घंटों तक हाथों को पानी से दूर रखें. हाथों पर गहरा रंग चढ़ता नजर आने लगता है. सरसों के तेल के अलावा नारियल के तेल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. आप चाहे तो मेहंदी के लिए अलग से आने वाले तेल को भी लगा सकती हैं.

खाना खजाना /शौर्यपथ /चाट का नाम लेते ही मुंह में पानी आ जाता है. छोटे से लेकर बड़े सभी को चाट खाना पसंद है. भारत में आपको चाट की कई वैराइटी मिल जाएंगी. अगर आपने उत्तर भारत की यात्रा की यह तो आपको जरूर मालूम होगा कि यहां आप कई तरह की चाट रेसिपीज का लुत्फ उठा सकते हैं. समोसा चाट, पापड़ी चाट और पालक पत्ता चाट तक. स्ट्रीट से लेकर रेस्टोरेंट तक में भी आपको ये चाट के आइटम मिल जाएंगे. चाट एक ऐसी डिश है जो डिनर पार्टी से लेकर शादी के अलावा त्योहारों के सेलिब्रेशन तक में खूब पसंद की जाती है. अगर आप भी प्रोटीन से भरपूर चाट की तलाश कर रहे हैं तो आप इस छोले टिक्की चाट को ट्राई कर सकते हैं. तो चलिए बिना किसी देरी के रेसिपी पर चलते हैं.
     सर्दियों के मौसम में चाट खाने का मजा ही अलग होता है. चाट एक पॉपुलर रेसिपी है. आलू टिक्की का स्वाद तो आपने कई बार चखा होगा, मगर पंजाब में मिलने वाली यह छोले टिक्की का स्वाद क्या आपने चखा है. इस चाट रेसिपी में दही या मीठी चटनी की जगह टिक्की को छोले के साथ सर्व किया जाता है.
कैसे बनाएं छोले टिक्की |
छोले टिक्की चाट बनाने के लिए काबुली चने को पूरी रात भिगोए. फिर प्रेशर कुकर में छोले लें, इसमें बड़ी इलाइची, छोटी इलाइची, दालचीनी, हल्दी और नमक डालकर 3 से 4 सीटी आने तक पकाएं. एक पैन में देसी घी गरम करें, इसमें जीरा, हींग, दालचीनी और साबुत धनिया डालकर चटकने दें. इसमें कश्मीरी लाल मिर्च, हल्दी, धनिया पाउडर, छोले मसाला और जीरा पाउडर डालकर कुछ देर पकाएं. तैयार मसाले को उबले हुए छोले में डालकर मिक्स करके पकाएं. इसमें अनारदाना, आमचूर पाउडर डालकर मिला लें. टिक्की बनाने के लिए उबले हुए आलू लें, उसमें कॉर्नफलोर या अरारोट डालें. आप चाहे तो इसमें ब्रेड भी शामिल कर सकते हैं, इससे मिश्रण को अच्छी बाइंडिंग मिलती है. बारीक कटी हुई मिर्च, जीरा पाउडर, कालीमिर्च पाउडर और स्वादानुसार नमक डालकर ​अच्छी तरह मिला लें. तैयार मिश्रण से गोलाकार की टिक्की बना लें और एक पैन में घी गरम करके इन्हें शैलों फ्राई करें. चाट को असेंबल करने के लिए एक प्लेट में टिक्की लगाएं छोले डालें, इस पर हरी चटनी, इमली की चटनी, प्याज, सेव और अनार के दाने डालकर सर्व करें.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / वैसे तो इंटरनेट पर ढेरों वेट लॉस रेसिपी, होम रेमेडी और नुस्खे उपलब्ध हैं जिन्हे फॉलो करके वजन घटाया जा सकता है. उनमें से एक नुस्खा है अदरक और नींबू पानी. जो आपके वजन घटाने में काफी हद तक मदद कर सकता है. दरअसल नींबू के छिलके में एंटीऑक्सीडेंट होता है, विशेष रूप से फ्लेवोनोइड्स जो चयापचय को गति दे सकते हैं और फैट बर्न को बढ़ावा दे सकते हैं. वहीं, अदरक अपने सूजनरोधी गुणों के लिए जाना जाता है, जो पाचन में सहायता करता है और तृप्ति की भावना को बढ़ा सकता है.
कैसे बनाएं नींबू और अदरक पानी
पहला तरीका
अदरक को कद्दूकस कर लें या बारीक काट लें और इसे नींबू के छिलके के साथ पानी में उबाल लीजिए. फिर इसका सेवन करें. इस मिश्रण को तैयार करने का दूसरा तरीका है नींबू के छिलकों और अदरक के टुकड़ों को सुखाकर पीसकर एक एयरटाइट डिब्बे में रखना है. इसके बाद पानी गरम करके 1 चम्मच पाउडर मिक्स करके सुबह पीना है.
दूसरा तरीका
इस ड्रिंक को पीने के और भी फायदे हैं. इससे शरीर अच्छे से डिटॉक्सिफाई होती है. यह पेट से जुड़ी दिक्कतों को कम करता है. नींबू के एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं. आप सुबह में इसको पीते हैं, तो आपको लाभ दोगुने मिल सकते हैं.

 सेहत टिप्स /शौर्यपथ /यूरिक एसिड  का लेवल बढ़ने से जोड़ों में दर्द की परेशानी शुरू हो जाती है. समय रहते इसे कंट्रोल नहीं करने से असर किडनी पर भी पड़ सकता है. यूरिक एसिड से संबंधित समस्या का सीधा संबंध खानपान की आदतों से होता है. आम तौर पर पालक हर घर में बनने वाली सब्जी है और लोगों को काफी पसंद भी होती है. यह ऐसी हरी सब्जी है, जिसे पूरे देश में चाव से खाया जाता है. पालक सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है. पालक में भरपूर मात्रा में विटामिन ए और आयरन होता है. सेहतमंद होने के बावजूद कुछ लोगों के लिए पालक नुकसान का कारण हो सकती है. बॉडी में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ जाने पर पालक से परेशानी हो सकती है. आइए जानते हैं यूरिड एसिड की समस्या मे पालक  खाने के असर के बारे में विशेषज्ञों की क्या राय है…
इस चीज से समस्या
विशेषज्ञों के अनुसार पालक में भरपूर मात्रा में विटामिन ए, आयरन के साथ-साथ में पोटशियम और फाइबर के अलावा प्यूरिन भी होता है. प्यूरिन से यूरिक एसिड लेवल बढ़ने का खतरा रहता है.
ज्यादा फाइबर
पालक में फाइबर की मात्रा काफी होती है. डाइट में बहुत ज्यादा फाइबर होने से कब्ज, गैस, पेट में दर्द और ब्लोटिंग की परेशानी हो सकती है. ऐसे में पालक को डाइट में सीमित मात्रा में ही शामिल करना चाहिए.
ठीक से साफ करना जरूरी
पालक की पत्तियों पर मिट्टी जमी रहती है. बनाने से पहले पालक को ठीक से साफ करना जरूरी है. मिट्‌टी के बॉडी में जाने से स्टोन की समस्या होने का खतरा होता है. इससे किडनी पर दबाव बढ़ने लगता है जिससे डैमेज होने का खतरा बढ़ सकता है.
किन्हें नहीं खाना चाहिए पालक
विशेषज्ञों के अनुसार जो लोग ब्लड को पतला करने की दवा ले रहे हों और जिन्हें यूरिक एसिड की समस्या हो, उन्हें पालक खाने से बचना चाहिए. ऐसे लोगों को पालक से फायदा के बजाए नुकसान हो सकता है.

रायपुर / शौर्यपथ / महिला आत्म निर्भर हो तो समाज आत्म निर्भर होता है . महिला सशक्तिकरण की दिशा मे साय सरकार लगातार प्रयास क्र रही और सफल हो रही . महिलाओं के उत्थान के लिए साय सरकार द्वारा कई तरह की योजनाओं को जमीनी स्तर पर लाया गया ताकि महिलाए आत्मनिर्भर हो और एक सभी समाज का निर्माण हो . छत्तीसगढ़ का गठन २४ साल पहले देश के तात्कालिक प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी के कार्यकाल में हुआ था और आज २४ साल बाद साय सरकार इसे सँवारने की दिशा में महत्तवपूर्ण कदम उठा रही है . जिसके कई उधाहरण आज देखने को मिल जाते है . ऐसा ही एक उदहारण है जो अन्य महिलाओं को प्रेरणा दे रहा है .
   अन्नू साहू के पति बीमार थे और काम नहीं कर पा रहे थे, वहीं अन्नू की घरेलू कामगार के रूप में होने वाली आय उनके परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त नहीं थी। जब उनके घर में निराशा का माहौल छाया हुआ था, तब अन्नू ने यह तय किया कि उन्हें किसी अन्य पेशे की ओर रुख करना होगा।  अन्नू छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की गलियों में अपनी ई-रिक्शा चलाती हैं, लोग उन्हें ध्यान से देखते हैं। हल्की ठंडी हवा और सड़कों के शोर के बीच अन्नू आत्मविश्वास से आगे बढ़ती हैं और पीछे मुड़कर नहीं देखतीं।
  अन्नू ने बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद घरेलू कामगार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन इस काम में पर्याप्त आय नहीं मिल पा रही थी। राजनांदगांव की बस्तियों में, जहां अन्नू रहती थीं, साथी मजदूर अक्सर अपने अनुभव साझा करते थे। अन्नू ध्यान से सुनतीं, अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार के तरीके जानने के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं।
 अन्नू के जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने श्रम विभाग की दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना के बारे में सुना। यह योजना महिलाओं को ई-रिक्शा खरीदने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके उन्हें आर्थिक स्वावलंबन का अवसर देती है। अन्नू ने इस अवसर को दोनों हाथों से थाम लिया। ज़िला श्रम अधिकारी की मदद से अन्नू ने जल्दी से आवेदन प्रक्रिया पूरी की, आवश्यक दस्तावेज़ जमा किए और अपना आवेदन प्रस्तुत किया। जब उनका आवेदन स्वीकृत हुआ, तो अन्नू ने पहली बार सफलता और आर्थिक स्वतंत्रता का स्वाद चखा।
  ई-रिक्शा ड्राइवर के रूप में काम करके अन्नू ने अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक साहसिक कदम उठाया। जल्द ही उनकी आय नियमित हो गई, और अब वह हर महीने 20 से 25 हजार रुपये कमा रही है। जो उनकी पिछली आय से लगभग चार गुना थी। उन्होंने अपने बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर एक मिसाल कायम की। इससे परिवार की आर्थिक स्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ और औसत पारिवारिक आय 40 से 45 हजार रुपये प्रति माह तक पहुंच गई।
  अन्नू की यात्रा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के महत्व को उजागर करती है। जब इन्हें लचीले और उत्तरदायी तरीके से डिज़ाइन किया जाता है, तो ये योजनाएँ हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सामने आने वाले विविध जोखिमों का समाधान कर सकती हैं, स्थायी आजीविका में मदद कर सकती हैं। अन्नू की कहानी इस बात की गवाही है कि लक्षित हस्तक्षेप कैसे व्यक्तियों को उनके जीवन को बदलने और उनके परिवारों के लिए एक उज्जवल भविष्य सुरक्षित करने में सक्षम बना सकते हैं।

जशपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सार्थक पहल से जिला प्रशासन के  तहत नव गुरुकुल शिक्षण संस्थान में आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य न केवल शिक्षा का स्तर बढ़ाना है, बल्कि छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें व्यावसायिक कौशल से जोडऩा  है, ताकि वे अपने भविष्य को सशक्त बना सकें।
   यह कार्यक्रम प्रदेश में जशपुर के साथ-साथ रायपुर और दंतेवाड़ा जिला में भी संचालित हैं।  जिला प्रशासन द्वारा छात्रों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है।  छात्राओं को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, फायनेंस, बिजनेस, शिक्षा, और ग्राफिक्स डिज़ाइनिंग जैसे विविध क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा, भाषा ज्ञान और व्यक्तित्व विकास पर अतिरिक्त कक्षाएँ भी आयोजित की जाती हैं, जिससे छात्राओं का समग्र विकास हो सके।
   छात्राओं को नि:शुल्क आवास, प्रशिक्षण, और भोजन की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। प्रशिक्षण के दौरान लैपटॉप/कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा भी नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती है, जिससे उन्हें अध्ययन और प्रोजेक्ट्स पर काम करने में मदद मिलती है।
  वर्तमान में, इस कार्यक्रम के तहत जिले की 16 प्रतिभाशाली छात्राएँ विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त कर अन्य राज्यों की प्रमुख कंपनियों में सफलतापूर्वक प्लेसमेंट के लिए चयनित हुई हैं। ये छात्राएँ अब अच्छी आय अर्जित कर रही हैं, जो उनके प्रयासों का जीवंत प्रमाण है। यहाँ पर 150 छात्राओं के लिए  प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है, जिसमें वर्तमान में 60 से अधिक छात्राएं अध्ययनरत हैं।
  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का यह दृष्टिकोण केवल छात्राओं के जीवन में बदलाव लाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में भी एक सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में प्रेरणा देता है। उनकी सोच ने ना केवल छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि उन्हें अपने सपनों को साकार करने का अवसर भी प्रदान किया है।
छात्राओं के अनुभव:
  कुमारी प्रतिभा थापा (20), जशपुर नगर की निवासी बताती हैं कि "मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, जिससे मुझे पढ़ाई छोडऩी पड़ी। जब मैंने नव गुरुकुल के बारे में सुना, तो मैंने यहाँ फॉर्म भरा और प्रशिक्षण लेने आई। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इतने महंगे कोर्स की पढ़ाई मुझे नि:शुल्क मिलेगी। मैंने बिजनेस में 16 महीने का प्रशिक्षण लिया और आज एक निजी कंपनी में क्लाउड सपोर्ट इंजीनियर के पद पर कार्यरत हूँ।"
  कुमारी नेहा चौहान (20), जो जशपुर नगर की हैं, ने बताया, "मेरे पिता एक किसान हैं। जिससे हमारी आमदनी उतनी अच्छी नहीं है कि जिससे मैं बाहर जाकर पढ़ाई कर सकूं। लेकिन इस संस्थान से मुझे बहुत लाभ हुआ है। यहाँ मुझे बिजनेस कोर्स के साथ-साथ भाषा ज्ञान भी मिला, जो मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मैंने 13 महीने प्रशिक्षण लिया है।"
 कुमारी साक्षी सिंह, डुगडुगीया, कुनकुरी की निवासी बताती हैं कि "जब मुझे यहाँ के बारे में पता चला तो फॉर्म भरकर प्रशिक्षण ली। मैंने यहाँ 15 महीने का प्रशिक्षण लिया। आज मुझे बारु साहेब यूनिवर्सिटी, हिमाचल प्रदेश में डेटा एनालिटिक्स एसोसिएट का जॉब मिला है। यह मेरे लिए एक बड़ा अवसर है, क्योंकि मैं पहली बार अपने घर से निकली हूँ। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।"
  लाभार्थी छात्राओं ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रति आभार व्यक्त किया है। इस पहल ने न केवल उनके जीवन को बदला है, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस तरह की योजनाएँ निश्चित रूप से आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी।

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