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सेहत टिप्स /शौर्यपथ /शरीर में ब्लड ग्लूकोज, जिसे ब्लड शुगर भी कहा जाता है, के बढ़ जाने पर डायबिटीज की दिक्कत होती है. डायबिटीज होने पर खानपान का खास ख्याल रखा जाता है. खाने में सही फलों, सब्जियों और अन्य चीजों को शामिल ना किया जाए तो ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा बढ़ भी सकता है और कम भी हो जाती है. ऐसे में ब्लड शुगर का सामान्य होना आवश्यक है. अगर आपका ब्लड शुगर लेवल अक्सर बढ़ जाता है तो यहां जिस फल के बारे में बताया जा रहा है आप उसका सेवन कर सकते हैं. यह फल है ड्रैगन फ्रूट. लाल या गुलाबी रंग का दिखने वाला ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) डायबिटीज की डाइट का हिस्सा बनाया जा सकता है.
ब्लड शुगर लेवल कम करने के लिए ड्रैगन फ्रूट
ड्रैगन फ्रूट कैक्टस स्पीशीज का ही प्रकार है और एशियाई देशों जैसे थाइलैंड में बेहद पॉपुलर भी है. इस फल को डायबिटीज के मरीज भी खा सकते हैं. कुछ एनिमल बेस्ड स्टडीज के अनुसार ड्रैगन फ्रूट एंटी-डायबेटिक इफेक्ट पैदा करता है जो मोटापा कम करने में भी असरदार है. इसके अलावा एक स्टडी में प्रीडायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज में भी ड्रैगन फ्रूट का अच्छा असर देखा गया है.
डायबिटीज होने पर कार्डियोवस्कुलर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है जिससे छुटकारा दिलाने में ड्रैगन फ्रूट असरदार है. यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कंट्रोल करने का काम भी करता है. इसके सेवन के लिए आप इसे सादा ही काटकर खा सकते हैं, सलाद बना सकते हैं या फिर इसमें हाई फाइबर की मात्रा देखते हुए इसे डेली डाइट का हिस्सा बना सकते हैं. हालांकि, सेवन की कितनी मात्रा आपकी कंडीशन के हिसाब से सही है इसकी जानकारी आप अपने चिकित्सक से ले सकते हैं.
ये भी हैं फायदे
ड्रैगन फ्रूट सिर्फ डायबिटीज में ही फायदेमंद नहीं है बल्कि यह सेहत पर और भी कई तरीकों से असर दिखाता है. ड्रैगन फ्रूट विटामिन सी से भरपूर होता है जिससे यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाने में असरदार है.
पाचन को बेहतर करने में भी इसका असर देखा जा सकता है. यह गुड बैक्टीरिया को बढ़ाता है और पाचन को आसान बनाता है.
ओमेगा-3 फैटी एसिड्स की अच्छी मात्रा होने के चलते ड्रैगन फ्रूट दिल की सेहत के लिए अच्छा है. यह कार्डियोवस्कुलर रोगों को दूर रखता है.
एंटी-एजिंग फ्रूट के रूप में भी इसका सेवन किया जा सकता है. ड्राई स्किन और एक्ने की दिक्कत भी अंदरूनी रूप से दूर हो जाती है. इसके लिए आप ड्रैगन फ्रूट का जूस बनाकर पी सकते हैं.
एक गिलास दूध के साथ ड्रैगन फ्रूट का पाउडर पीने पर बालों की सेहत भी अच्छी रहती है.
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /ऐसे बहुत से फल हैं जिनके छिलके भी बेहद फायदेमंद साबित होते हैं. इन्हीं फलों में शामिल है संतरा. विटामिन सी से भरपूर संतरा सेहत पर कमाल का असर दिखाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है. वहीं, संतरे के छिलके कुछ कम नहीं हैं. संतरे के छिलकों में फाइबर, विटामिन सी और पोलीफेनोल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इन छिलकों को साफ करके सेवन किया जा सकता है. स्किन पर इनके असर की बात करें तो चेहरा निखारने से लेकर एंटी-एजिंग स्किन केयर में संतरे के छिलकों का इस्तेमाल होता है. जानिए संतरे के छिलके किन-किन दिक्कतों को दूर करने में असरदार साबित होते हैं.
संतरे के छिलकों के फायदे
डायबिटीज में सेवन
संतरे के छिलकों का सेवन डायबिटीज के मरीज भी कर सकते हैं. इन छिलकों में पेक्टिन नामक फाइबर पाया जाता है जो ब्लड शुगर लेवल्स कम करने में मदद करता है.
वजन घटाने के लिए
शरीर का वजन कम करने के लिए भी संतरे के छिलके खाए जा सकते हैं. इन छिलकों को पानी में उबालकर इस पानी को छानकर पिया जाता है. लेकिन, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि ऑर्गेनिक संतरे के छिलकों का ही इस्तेमाल करें जिससे आप कीटनाशक से बचे रहें.
पाचन करे बेहतर
कब्ज, अपच और पेट की गैस दूर करने के लिए संतरे के छिलके खाए जा सकते हैं या इनका पानी पिया जा सकता है. एक कप पानी में संतरे के छिलकों को उबालकर सुबह खाली पेट इस पानी को पीने पर पेट की दिक्कतें दूर होती हैं.
निखरी त्वचा के लिए
त्वचा को संतरे के छिलकों से कई फायदे मिलते हैं. आप संतरे के छिलकों को सुखाकर और पीसकर पाउडर बना सकते हैं. इस पाउडर में शहद मिलाकर फेस मास्क बनाएं. 15 मिनट चेहरा धोने के बाद आपको स्किन चमकदार नजर आएगी. इसके अलावा ब्लैकहेड्स, डार्क स्पोट्स और डेड स्किन सेल्स हटाने में भी संतरे का छिलका कारगर है. दूध के साथ भी संतरे के छिलके के पाउडर को मिलाकर फेस पैक बनाया जा सकता है.
मुंह की सफाई
संतरे के छिलके को पानी में उबालें और इस पानी को कुल्ला करने के लिए इस्तेमाल करें. इससे मुंह की बदबू दूर होती है. इसके अलावा संतरे के छिलके के पाउडर को ब्रश करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / सुगंधित करी पत्ते एंटीमाइक्रोबियल गुणों से भरपूर होते हैं. ये पत्ते बैक्टीरिया को हटाकर बालों को इंफेक्शंस से दूर रखने में भी मददगार हैं. इसके साथ ही करी पत्ते आयरन, कैल्शियम, मैग्नीश्यम, फॉस्फोरस और विटामिन बी और सी के भी अच्छे स्त्रोत हैं जो बालों की देखरेख में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. एक नहीं बल्कि कई तरीकों से करी पत्तों को बालों को बढ़ाने (Hair Growth) और अन्य दिक्कतों को दूर करने में इस्तेमाल किया जा सकता है. यहां जानिए करी पत्ते के बालों पर फायदे और इन्हें फेस मास्क या किसी और तरह से लगाने का सही और असरदार तरीका जिससे आपके बाल स्वस्थ बनें भी और नजर भी आएं.
करी पत्ते के बालों पर फायदे
बढ़ते हैं बाल
बालों की ग्रोथ के लिए करी पत्ता बेहद फायदेमंद साबित होता है. इसे बंद हेयर फॉलिकल्स खुल जाते हैं और स्कैल्प को सांस लेने का मौका मिलता है. हेयर ग्रोथ के लिए करी पत्ते के साथ मेथी और आंवला लें. मुट्ठीभर करी पत्तों में मेथी के पत्ते बराबर मात्रा में मिलाएं और एक आंवला डालकर पीस लें. आप चाहें तो आंवला का पाउडर भी इस्तेमाल कर सकते हैं. आप इसे पीसने के लिए आधा चम्मच पानी मिला सकते हैं. इस मिश्रण को बालों में आधा घंटा लगाए रखने के बाद धो लों.
डैंड्रफ के लिए
एंटीबैक्टीरियल गुणों के चलते करी पत्ते बालों से डैंड्रफ को दूर करने में भी असरदार हैं.करी पत्ता दही के साथ मिलाकर लगाया जा सकता है. इसके लिए मुट्ठीभर करी पत्तों को पीसकर उनमें 2 चम्मच दही मिलाएं और सिर पर 15 से 20 मिनट लगाए रखने के बाद धो लें.
हैयर डैमेज के लिए
अगर आपके बाल बेहद बेजान, रूखे-सूखे और डैमेज्ड नजर आ रहे हों तो करी पत्ते को इस तरह लगाएं. एक कटोरी में नारियल का तेल (Coconut Oil) गर्म करें और कुछ करी पत्ते डालकर पका लें. जब करी पत्ते पककर काले हो जाएं तो गैस बंद करके तेल को ठंडा होने अलग रख दें. नहाने से एक घंटे पहले इस तेल को हल्का गर्म करके सिर की मालिश करे और फिर सिर धोएं.
बालों का झड़ना रोकने के लिए
लगातार झड़ रहे बालों की दिक्कत दूर करने के लिए करी पत्तों को नारियल के तेल के साथ पकाएं. इसमें मेथी के दानें भी डालें. इस तेल से हफ्ते में एक बार सिर की मालिश करें और एक से डेढ़ घंटे बाद बालों को धोएं. आप चाहें तो रातभर भी इसे लगाकर सो सकते हैं.
आस्था /शौर्यपथ /ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अशुभ समय में किए काम का परिणाम कभी शुभ नहीं होता है. पंचक की अवधि में बहुत सारे शुभ काम करने की मनाही होती है. हालांकि पंचक एक महीने में एक बार आता है. ऐसे इस दौरान कभी-कभी अच्छे कार्य भी होते है. हर बार पंचक अलग-अलग तरह के होते है. नवंबर महीने से 29 तारीख यानी आज से अग्नि पंचक शुरू हो रहा है. इस पंचकी समाप्ति 04 दिसंबर 2022 को होगी. आइए जानते हैं कि अग्नि पंचक कब तक रहेगा और इसका महत्व क्या है.
कब से कब तक है अग्नि पंचक
ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार, अग्नि पंचक 29 नवंबर, यानी आज से शुरू हो रहा है. इस अग्नि पंचक का समापन आने वाले 4 दिसंबर, 2022 की रात को होगा. ऐसे में इस दौरान कुछ शुभ कार्य करने से परहेज करें. मान्यता है कि अग्नि पंचक के दौरान कुछ शुभ और मांगलिक कार्य संपन्न नहीं कराए जाते हैं.
क्या होता है पंचक
रोग पंचक - रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहा जाता है. माना जाता है कि इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं. ऐसे में इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए.
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राज पंचक - सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है. ये पंचक शुभ माना जाता है. इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है. राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता है.
अग्नि पंचक - मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक के नाम से जाना जाता है. इन पांच दिनों में कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं. इस पंचक में अग्नि का भय होता है. इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है.
मृत्यु पंचक - शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है. नाम से ही पता चलता है कि अशुभ दिन से शुरू होने वाला ये पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने वाला होता है. इन पांच दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए. इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है.
चोर पंचक - शुक्रवार को शुरू होने वाले पंचक चोर पंचक कहते हैं. ज्योतिष शास्त्र के जानकारों की मानें तो इस पंचक में यात्रा करना अशुभ होता है. चोर पंचक में लेन-देन, व्यापार और सौदे भी नहीं करने चाहिए. मना किए गए कार्य करने से धन हानि हो सकती है.
मनोरंजन /शौर्यपथ /पिछले कुछ समय से कृति सेनन आदिपुरुष के अपने को-स्टार प्रभास की वजह से सुर्खियों में छाई हुई हैं. वजह, सोशल मीडिया से लेकर सुर्खियों तक में दोनों के एक दूसरे को डेट करने के कयास लगाए जा रहे हैं. दोनों की डेटिंग की खबरों को लेकर उस समय माहौल और भी गर्मा गया जब वरुण धवन ने भेड़िया के प्रमोशन के दौरान कुछ ऐसा इशारा किया कि सबको लगा कृति सेनन प्रभास को डेट कर रही हैं. लेकिन अब कृति सेनन ने इंस्टाग्राम स्टोरी के जरिये सारी अफवाहों पर विराम लगा दिया है.
कृति सेनन ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर प्रभास के साथ अफेयर की खबरों पर विराम लगाते हुए लिखा है, 'ना तो यह प्यार है, और ना ही पीआर. हमारा भेड़िया रियलिटी शो पर कुछ ज्यादा ही वाइल्ड हो गया था. उनके मजाक के बाद कुछ लोगों ने अफवाहों का बाजार गर्म कर दिया था. इससे पहले की कुछ पोर्टल मेरी शादी की तारीख बता दें आपकी गलतफहमी दूर किए देती हूं. यह सारी अफवाहें निराधार हैं.' इस तह कृति सेनन ने इन सारी खबरों पर विराम लगा दिया है.
वरुण धवन और कृति सेनन भेड़िया को प्रमोट करने के लिए झलक दिखला जा के सेट पर पहुंचे थे. उस समय करण जौहर ने वरुण धवन से बॉलीवुड की सिंगल वूमन के बारे में पूछा था. उस लिस्ट में वरुण ने कृति का नाम नहीं लिया था. जब इस बारे में करण ने पूछा तो वरुण धवन ने कहा, 'कृति का नाम इसलिए नहीं था क्योंकि कृति का नाम किसी के दिल में है. एक आदमी है जो मुंबई में नहीं है, वो इस वक्त शूटिंग कर रहा है दीपिका पादुकोण के साथ.'
बस फिर क्या था, सब वरुण धवन का इशारा समझ गए. यह इशारा प्रभास की तरफ था. बस इसके बात कयास लगाए जाने लगे. हाल ही में कृति सेनन वरुण धवन के साथ भेड़िया में नजर आई थीं. उनकी आने वाली फिल्म प्रभास के साथ आदिपुरुष है.
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /सस्ता और खाने में आसान, केला हर किसी का पसंदीदा होता है. पोषक तत्वों का एक पावरहाउस, केला आपके हृदय स्वास्थ्य, डायबिटीज, पाचन और वजन घटाने के लिए अच्छा है. एक क्विक एनर्जी बूस्टर, केला एक ऐसा फल है जो आमतौर पर दुनिया भर में उपलब्ध है. यह आपको अपने दिन की शुरुआत करने के लिए तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है, और इसे पेट के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. पेट के लिए ज्यादातर प्राकृतिक घरेलू उपचार में केले का इस्तेमाल किया जाता है. केले के अनगिनत फायदे हैं जिसकी वजह से आपको आज ही अपनी डाइट में मीठे और स्वादिष्ट फल को शामिल करना चाहिए. यहां केला खाने के कमाल के स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताया गया है.
इन शानदार स्वास्थ्य लाभों से भरा है केला
1. उच्च फाइबर सामग्री
केला घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फाइबर से भरपूर होता है. घुलनशील फाइबर में पाचन को धीमा करने और आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराने की प्रवृत्ति होती है.
2. हृदय स्वास्थ्य
हाई फाइबर फूड्स दिल के लिए अच्छे माने जाते हैं. केले जैसे फाइबर से भरपूर फूड्स का सेवन बढ़ाने से हृदय रोग (सीवीडी) और कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) दोनों का खतरा कम हो सकता है.
3. पाचन में आसानी
आयुर्वेद के अनुसार केले का स्वाद मीठा और खट्टा होता है. कहा जाता है कि मीठा स्वाद भारीपन की भावना लाता है लेकिन खट्टा स्वाद अग्नि (पाचन रस) को उत्तेजित करने के लिए जाना जाता है, जिससे पाचन का समर्थन होता है.
4. पोषक तत्वों का पावरहाउस
जब पोषण की बात आती है तो केला भारी होता है. यह आवश्यक विटामिन और खनिजों जैसे पोटेशियम, कैल्शियम, मैंगनीज, मैग्नीशियम, लोहा, फोलेट, नियासिन, राइबोफ्लेविन और बी 6 से भरा हुआ है. ये सभी शरीर के समुचित कार्य और आपको हेल्दी रखने में योगदान करते हैं.
5. पोटेशियम का स्रोत
केले में पोटैशियम की उच्च मात्रा इसे एक सुपर फ्रूट बनाती है. यह खनिज अपने कई स्वास्थ्य लाभ गुणों के लिए जाना जाता है. यह दिल की धड़कन, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है और मस्तिष्क को सतर्क रखता है.
6. ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखता है
केले में पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है, और ये गुण इसे इस स्थिति से गुजरने वालों के लिए एक आदर्श बनाने में योगदान करते हैं, लेकिन सुनिश्चित करें कि आप इसे अपने आहार में शामिल करने से पहले अपने पोषण विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें.
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7. एनीमिया से लड़ने में मदद करता है
केले में आयरन की मात्रा अधिक होने के कारण ये एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए अच्छे होते हैं. एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जहां रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं या हीमोग्लोबिन की संख्या में कमी होती है. इससे थकान, सांस की तकलीफ और पीलापन होता है. लेकिन, जैसा कि हम हमेशा कहते हैं कि संयम की कुंजी है.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /सर्दियों के मौसम में ठंडे पानी से नहाने की हिम्मत किसी को नहीं होती है. इसलिए लोग गरम पानी का इस्तेमाल करते हैं. इससे आप ठंड से तो बच जाते हैं लेकिन कुछ नुकसान हैं जो उठाने पड़ते हैं. इससे त्वचा बहुत ड्राई हो जाती है, वहीं बालों को भी नुकसान पहुंचता है. तो चलिए आपको बताते हैं ठंड के मौसम में बाल का ध्यान कैसे रखा जाए जिससे बालों का टूटना झड़ना रोका रहे.
ठंड में ऐसे रखें बाल का ध्यान
- अगर आप ठंड में हेयर केयर को लेकर परेशान हैं तो आपको बता दें बाल धुलने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें. इससे बाल डैमेज नहीं होंगे.
- अगर बाल आपके बहुत ज्यादा रूखे हैं तो शैंपू के बाद क्रीमी कंडीशनर से बालों में हल्की मालिश करें, फिर दो मिनट के बाद सादे पानी से धो लीजिए. वहीं, सर्दियों में शैम्पू करने के बाद सीरम जरूर लगाएं.
- शैंपू करने के बाद बाल सूखाने के लिए तौलिए से रगड़े नहीं. इससे बाल खराब हो जाते हैं. बल्कि आप अच्छे से बाल में तौलिए को लपेट लीजिए. इससे बाल से पानी अच्छे से सूख जाएंगे.
- बाल की सेहत अच्छी बनी रहे इसके लिए योगा और मेडिटेशन जरूर करें. ब्रीदिंग एक्सरसाइज अच्छी होती है हेयर केयर के लिए. इसके अलावा किसी तरह का तनाव नहीं लें.
- ठंड में भी पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं. इससे बालों में रूसी की समस्या से निजात मिल जाएगी. अगर ठंड में आपके बाल बहुत ज्यादा झड़ रहे हैं तो स्प्राउट्स फ्रूट, सलाद, हरी सब्जियां, साबुत अनाज और दही खाएं.
खाना खजाना /शौर्यपथ /जो लोग बारबेक्यू नेशन विज़िट कर चुके हैं वो जानते हैं कि कैसे कोई अपने आप को सुपर डिलिशियस स्टार्टर क्रिस्पी कॉर्न खाने से खुद को नहीं रोक सकता. अगर आप भी इस स्नैक्स को खाना पसंद करते हैं तो इसे एक बार घर पर इस तरह बनाए. यह डिश घर पर बनाना बहुत आसान है और नीचे दी गई स्टेप- बाय- स्टेप रेसिपी से आप बारबेक्यू नेशन जैसा क्रिस्पी और क्रंची कॉर्न बना पाएंगे. सिर्फ तीन मसाले जैसे लाल मिर्च पाउडर, अमचूर पाउडर और नमक का इस्तेमाल इस डिश को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है. तो चलिए देर न करते हुए बनाते हैं सुपर टेस्टी क्रिस्पी कॉर्न रेसिपी.
क्रिस्पी कॉर्न बनाने के इंग्रेडिएंट्स-
2 कप फ्रोजन स्वीट कॉर्न
1/4 कप मक्की का आटा
2 बड़े चम्मच चावल का आटा
1/2 छोटा चम्मच काली मिर्च पाउडर
नमक आवश्यकता अनुसार
1/2 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर
1/2 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर
1 बड़ा चम्मच नींबू का रस 1 कप वेजिटेबल ऑयल
क्रिस्पी कॉर्न कैसे बनाएं
जमे हुए स्वीट कॉर्न को सबसे पहले पिघलने दें और रूम टेम्प्रेचर पर लाएं.
एक बर्तन में थोड़ा पानी उबाल लें. एक उबाल आने के बाद, पैन में कॉर्न डालें. सिर्फ 2 मिनट के लिए हिलाएं और उबालें. अब एक्सेस पानी निकाल दें और कॉर्न को छलनी में इकट्ठा कर लें.
एक बाउल में स्वीट कॉर्न डालें. चावल का आटा और मक्के का आटा डालें और अच्छी तरह मिलाएं. अब इसमें थोड़ा सा नमक और काली मिर्च पाउडर डालें. मकई को अच्छी तरह से कोट करने के लिए फिर से मिलाएं.
अब कॉर्न को छलनी में डालें और थोड़ा सा हिलाएं ताकि अतिरिक्त मैदा झड़ जाए.
एक कढ़ाई में तेल गरम करें. कोटेड कॉर्न को क्रिस्पी और सुनहरे भूरे रंग तक डीप फ्राई करें.
भुने हुए कॉर्न को एक बाउल में डालें. लाल मिर्च पाउडर, अमचूर, नमक और नींबू का रस डालें. कॉर्न को मसाले में लपेटने के लिए अच्छी तरह टॉस करें. नमक स्वादानुसार मिलाएं.
आपका स्वादिष्ट क्रिस्पी कॉर्न अब सर्व करने के लिए तैयार है.
टिप्स:
आप डिश को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें बारीक कटा हुआ प्याज, शिमला मिर्च और हरा धनिया डाल सकते हैं.
खाना खजाना /टिप्स /अश्वगंधा एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसे सेहत के लिए बेहद गुणकारी माना जाता है. अश्वगंधा में मौजूद पोषक तत्व शरीर को कई लाभ पहुंचाने में मददगार माने जाते हैं. आपको बता दें कि अश्वगंधा की जड़ों को दूध में उबालकर या पानी के साथ सेवन किया जा सकता है. आजकल मार्केट में इसका पाउडर भी आसानी से मिल जाता है. अश्वगंधा के पाउडर का सेवन करने से पेट को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है. इतना ही नहीं अगर आपको नींद न आने की समस्या रहती है, तो भी आप इसका सेवन कर सकते हैं. तो चलिए बिना देर किए जानते हैं
अश्वगंधा से होने वाले फायदे.
1. पेट के लिए-
अगर आप पेट संबंधी समस्याओं से परेशान रहते हैं तो आपके लिए अश्वगंधा लाभकारी हो सकता है. यह मजबूत पाचन और मेटाबॉलिज्म को तेज करने में मदद करता है, जिससे पेट की कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है.
2. मांसपेशियों के लिए-
मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए आप अश्वगंधा पाउडर का सेवन कर सकते हैं. इतना ही नहीं दूध के साथ इसे लेने से शरीर को मजबूत और स्टेमिना को बूस्ट किया जा सकता है.
3. सूजन के लिए-
सर्दियों के मौसम में कई लोगों को शरीर में सूजन की समस्या रहती है. ऐसे में आप अश्वगंधा के पाउडर का सेवन कर शरीर की सूजन को कम कर सकते हैं. इससे जोड़ों के दर्द में भी आराम ममिल सकता है.
4. नींद के लिए-
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नींद बहुत जरूरी है. इतना ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद जरूरी है. अश्वगंधा पाउडर के सेवन से नींद न आने की समस्या को दूर करने के साथ चिंता, तनाव, अवसाद आदि में भी आराम मिल सकता है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /पेट की चर्बी जमा होने के सामान्य कारण वही होते हैं जो वजन बढ़ने के कारण होते हैं, जैसे खराब डाइट, व्यायाम की कमी, आदि इस क्षेत्र में फैट कम करना तुलनात्मक रूप से कठिन होता है. हालांकि पेट की चर्बी को कम करने वाले फूड्स भारी मात्रा में मौजूद हैं, लेकिन लोगों को उनके बारे में जानकारी नहीं होती है. अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने आहार में शामिल करना चाहिए. तेजी से पेट की चर्बी कैसे घटाएं? पेट की चर्बी घटाने के तरीके (Ways To Reduce Belly Fat) बताएं या पेट की चर्बी घटाने का उपाय तमाम तरह के सवाल हैं जो हमारे मन में उठते हैं. पेट के आसपास की चर्बी दो तरह की होती है: विसरल फैट (अंगों को घेरती है) सबक्यूटेनियस फैट (त्वचा के नीचे बैठती है) से ज्यादा हानिकारक होती है. अपने वजन को बनाए रखने और पेट की चर्बी से बचने के लिए सही खाने के बारे में जानना जरूरी है. कुछ फूड्स बेली फैट बर्न कर सकते हैं. इसके अलावा अपने आहार में उन चीजों को शामिल करें जो पेट में वसा को जमा होने से रोकते हैं.
पेट के फैट को कम करने के लिए फूड्स
1) ओट्स
ओट्स को वजन कम करने वाला सुपरफूड माना जाता है क्योंकि ये प्रोटीन से भरपूर और कैलोरी में कम होते हैं. इसलिए अगर आप एक सपाट पेट पाना चाहते हैं, तो अपने आहार में दलिया शामिल करें. ओट्स को पचने में समय लगता है, जिससे आपका शरीर इस प्रक्रिया में कैलोरी बर्न करता है. इतना ही नहीं, ओट्स आपको लंबे समय तक भरा हुआ रखता है, जिससे आप अस्वास्थ्यकर भोजन करने से बचते हैं. ओट्स आपको पूरे दिन ऊर्जा प्रदान करता है और कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है.
2) फलियां
काली बीन्स, किडनी बीन्स और फलियां जैसे दालें प्रोटीन और फाइबर से भरी होती हैं, जो तृप्ति को बढ़ावा देती हैं. ऐसे में कुछ भी अनहेल्दी खाने से बचते हैं और पेट को कम करने में मदद मिलती है.
3) साल्मन
इस फैटी फिश में प्रोटीन, हेल्दी फैट और अन्य जरूरी पोषक तत्व होते हैं. यह आपको लंबे समय तक तृप्त रखता है, अधिक खाने से रोकता है और इस प्रकार आपको अपने वजन घटाने के लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद करता है. इसके अलावा, साल्मन मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होती है. ये सूजन को कम कर सकते हैं, जिसे मोटापे और मेटाबॉलिज्म रोग में भूमिका के लिए जाना जाता है.
4) जौ
जौ एक साबुत अनाज है जो हेल्दी फाइबर और बीटा-ग्लूकन से भरपूर होता है, ये दोनों कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं. इसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी होता है, इसलिए यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है. वजन घटाने और पेट की चर्बी कम करने के लिए जौ का पानी आपकी सुबह के रूटीन में शामिल करने के लिए सबसे अच्छी चीजों में से एक है. यह पेय एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करता है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और आंत को साफ करता है.
5) सेब
सेब एक ऐसा फल है जो पेट की चर्बी को कम करता है. फाइबर से भरपूर वे एक बेहतरीन सुबह या दोपहर के स्नैक्स के लिए अच्छा है, तृप्ति को बढ़ावा देते हैं और आपको पूरे दिन भरा हुआ रखते हैं. उनमें कैलोरी और चीनी में कम होती है, इस प्रकार आपके वजन घटाने के प्रयासों को बढ़ावा देते हैं. साथ ही सेब में मौजूद फ्लेवोनॉयड्स पेट की चर्बी को कम करने में मदद करते हैं.
6) सन का बीज
ये छोटे बीज फाइबर, ओमेगा -3 फैटी एसिड और लिग्नन्स से भरे होते हैं, जो उन्हें पाचन के लिए अच्छा बनाते हैं. वे कब्ज को दूर करने में मदद करते हैं और टाइप 2 डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर के खतरे को कम करते हैं. अपने वजन घटाने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए अलसी का सेवन करें.
7) दही
दही आपके वजन घटाने के आहार में शामिल करने के लिए एक बेहतरीन डेयरी प्रोडक्ट है. ग्रीक योगर्ट विशेष रूप से वेट मैनेजमेंट के लिए जाना जाता है क्योंकि इसमें नियमित दही की तुलना में दोगुना प्रोटीन होता है. ग्रीक योगर्ट में प्रोबायोटिक बैक्टीरिया भी होते हैं जो आंत के कार्य में सुधार कर सकते हैं.
8) नट्स
नट्स हाई फैट वाले फूड्स हैं, लेकिन वे प्रोटीन, फाइबर और पौधों के यौगिकों से भी भरे होते हैं जो हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं. वे एक बेहतरीन स्नैक हैं क्योंकि अध्ययनों से पता चलता है कि नट्स खाने से मेटाबॉलिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और वजन घटाने को बढ़ावा मिलता है.
9) ब्रॉकली
ब्रोकोली, गोभी, फूलगोभी और ब्रसेल्स स्प्राउट्स जैसी कुरकुरी सब्जियां फाइबर से भरी होती हैं, जो आपको भर देती हैं. इन सब्जियों में कुछ प्रोटीन भी होता है. उनके पास कम ऊर्जा घनत्व या कम कैलोरी होती है, जिसका अर्थ है कि वे आपके वजन घटाने के आहार में जोड़ने के लिए एकदम सही हैं.
आस्था/शौर्यपथ /अक्सर धार्मिक कैलेंडरों और तस्वीरों में मां लक्ष्मी को भगवान विष्णु का पैर दबाते हुए दिखाया जाता है. इस बारे में कुछ लोगों के मन में ये संशय बना हुया रहता है कि आखिर मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के पैरों को क्यों दबाती हैं. आखिर इसके पीछे धार्मिक क्या हो सकते हैं. ये तमाम जिज्ञासा किसी के भी मन को विचलित कर सकती है. आइए हम आपको विष्णु पुराण और धार्मिक पुस्तकों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बताते हैं कि आखिर मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के पैर क्यों दबाती हैं. आइए जानते हैं पौराणिक कथा के बारे में.
एक बार नारद जी ने मां लक्ष्मी से पूछा कि वो हमेशा विष्णु जी के पैर क्यों दबाती रहती हैं? लक्ष्मी जी ने जवाब दिया कि चाहे मनुष्य हो या फिर देवी-देवता, ग्रहों के प्रभाव से कोई अछूता नहीं रहता है. महिलाओं के हाथ में देवगुरु बृहस्पति का वास होता है. तो पुरुषों के पैरों में दैत्यगुरु शुक्राचार्य का. ऐसे में जब भी कोई महिला पुरुष के चरण दबाती हैं तो देव और दानव का मिलन होता है और इससे धनलाभ का योग बनता है. यही कारण है कि मैं हमेशा श्रीहरि के चरण दबाती हूं.
पुराणाों के अनुसार, लक्ष्मी जी को भगवान विष्णु ने अपने पुरुषार्थ के बल पर ही अपने वश में रखा था जो हमेशा सभी के कल्याण का भाव रखते हैं. जो लक्ष्मी जी विष्णु जी के पास हैं वो धन और संपत्ति हैं. श्री हरि इनका उचित उपयोग जानते हैं. यही कारण है कि महालक्ष्मी श्री विष्णु के पैरों में उनकी दासी बन कर रहती हैं. इसके अलावा भी इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा है.
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, लक्ष्मी जी की बहन अलक्ष्मी उनसे ईर्ष्या करती थीं. ऐसा इसलिए क्योंकि अलक्ष्मी बिल्कुल भी आकर्षक नहीं थीं. उनकी आंखें भड़कीली, बाल फैले हुए और बड़े-बड़े दांत थे. देवी लक्ष्मी जब भी अपने पति यानी श्री हरि के साथ होती थीं तब अलक्ष्मी हमेशा वहां पहुंच जाती थीं. यह बर्ताव लक्ष्मी जी को बिल्कुल पसंद नहीं आता था. उन्होंने अलक्ष्मी से कहा कि तुम मुझे और मेरे पति को अकेला क्यों नहीं छोड़ देती. तब अलक्ष्मी ने कहा कि उनकी कोई पूजा नहीं करता है. इसलिए जहां भी लक्ष्मी जी जाएंगी वो वहां उनके साथ आएगी.
यह सुन देवी लक्ष्मी क्रोधित हो गईं और अलक्ष्मी को शाप दे दिया. उन्होंने कहा कि मृत्यु के देवता तुम्हारे पति हैं. गंदगी, ईर्ष्या, लालच, आलस, रोष जहां भी होगा तुम वहीं निवास करोगी. ऐसे में मां लक्ष्मी हमेशा ही अपने पति के चरणों की गंदगी दूर करती रहती हैं जिससे अलक्ष्मी कभी भी उनके पास न आ पाए.
कहा जाता है कि सौभाग्य और दुर्भाग्य एक साथ चलते हैं. ऐसे में दुर्भाग्य कई बार आपके जीवन में प्रवेश करने के मौके तलाशता रहता है. अलक्ष्मी भी इसी तरह घर के बाहर बैठकर लक्ष्मी के जाने का इंतजार करती हैं. जहां पर गंदगी मौजूद होती है या लालच और ईर्ष्या होती है वहां पर कलह और कलेश का वातावरण बन जाता है. इससे यह संकेत मिलता है कि घर में अलक्ष्मी का प्रवेश हो चुका है. ऐसे में लोगों को मां लक्ष्मी की पूजा निरंतर करते रहना चाहिए जिससे अलक्ष्मी घर में प्रवेश न कर पाए.
आस्था /शौर्यपथ /सपनों की अजब-गजब दुनिया में कब कौन-सी घटना हो, इसको कोई नहीं समझ सकता. सपनों पर हमारा नियंत्रण नहीं होता, इसलिए हर व्यक्ति को सोने के बाद सपने आते हैं. सपने अच्छे-बुरे कई तरह के होते हैं, जैसे कुछ सपने बेहद भयावह होते हैं तो कुछ अच्छे सपने भी आते हैं. सपने आना आम बात है, परंतु सपने अपने साथ कुछ ना कुछ संकेत लेकर आते हैं, जिसका जिक्र स्वप्न शास्त्र में किया गया है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि सपने में होने वाली घटनाएं शुभ व अशुभ का संकेत देती हैं. तो चलिए जानते हैं उन सपनों के बारे में जो शुभ संकेत देते हैं.
ऐसे सपने देते हैं शुभ संकेत
स्वप्न शास्त्र के अनुसार, अगर सपने में कोई मंदिर दिखाई देता है या फिर मंदिर के पुजारी से प्रसाद में नारियल, मिठाई आदि ग्रहण करते हैं तो यह शुभ माना जाता है. इसका अर्थ होता है कि भगवान शिव की कृपा आप पर होने वाली है. इसी तरह अगर सपने में भगवान शिव का मंदिर दिखाई दे तो इसका मतलब है कि आपको जल्द ही बड़ी खुशखबरी मिलने वाली है. अगर स्वप्न में आम का पेड़ दिखाई पड़ता है तो यह संकेत है कि आपको जीवन में तरक्की मिलने वाली है.
सपने में पहाड़ पर चढ़ना
स्वप्न शास्त्र के अनुसार, सपने में पहाड़ पर चढ़ते हुए स्वयं को देखना भी शुभ होता है. यह इस बात का संकेत है कि भगवान शिवशंकर की कृपा आप पर बरसने वाली है. अगर सपने में गाय का दूध दिखाई देता है तो यह सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. यह आपकी आर्थिक संपन्नता में होने वाली वृद्धि को दर्शाता है.
सपने में गुलाब, तोते को देखना
स्वप्न शास्त्र के अनुसार, अगर सपने में आपको गुलाब का फूल दिखाई देता है, तो आपके लिए शुभ संकेत है. यह आपके जीवन में सकारात्मकता आने और कोई बड़ा काम होने की ओर इशारा करता है. इसी तरह सपने में तोता देखना भी बेहद शुभ माना जाता है. तोता देखने का अर्थ है कि आपको जल्द ही कोई शुभ समाचार मिलने वाला है. आपके बिगड़े काम बन सकते हैं और जीवन में तरक्की प्राप्त कर सकते हैं.
शौर्यपथ /भारत और भारत के लगभग सभी प्रान्तों में राजभाषा हिन्दी और अंग्रेजी की अमिट छाप दिखाई देती है। छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं है। सदियों से इन दोनों भाषाओं ने विशाल बरगद की भांति अपनी शाखाओं को, जड़ों को जनमन के भीतर तक फैला रखा है। ऐसी स्थिति में वर्तमान में छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी भाषा को तीसरे क्रम पर ही हम पाते है।
कार्यालयीन भाषा बनने में बाधक - समाधान
यह सर्वमान्य है कि किसी भी राज्य की कार्यालयीन भाषा वहां के निवासियों की समझ के अनुरूप होना चाहिए। इसीलिए हमारे देश के विभिन्न राज्यों में संचालित कार्यालयों में वहीं की भाषा का उपयोग अधिकांशतः किया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य को बने अभी 22 वर्ष हुए है। बाईस वर्ष के पूर्व इतिहास को देखें तो स्पष्ट होगा कि राज्य को बनने के पूर्व छत्तीसगढ़ी बोली-भाषा को कार्यालयीन भाषा बनाने के लिए बहुत ज्यादा कारगर उपाय नहीं किये गये। नया राज्य बनने के बाद इस दिशा मे राज्य शासन द्वारा सार्थक पहल की गई है, पर निम्नलिखित कठिनाईयां इसमें बाधक हैं:-छत्तीसगढ़ के अधिकांश उच्चाधिकारी एवं अन्य कर्मचारी छत्तीसगढ़ी भाषा से पूरी तरह से वाकिफ नहीं हैं। छत्तीसगढ़ी भाषा में बहुत अधिक विविधता है। अलग-अलग क्षेत्रों में एक ही शब्द को अलग-अलग ढंग से लिखने के कारण भी कठिनाइयां है ।कार्यालयीन कार्य में छत्तीसगढ़ी भाषा को इस्तेमाल करने के लिए समुचित मार्गदर्शक किताबों का अभाव है।अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा में कार्यालयीन कार्य के निष्पादन हेतु सतत् कार्यशाला का आयोजन भी नहीं हो रहा हैं। हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए पूर्व में केन्द्र-राज्य शासन द्वारा स्नातकोत्तर की डिग्री लेने पर प्रोत्साहन स्वरूप इंक्रीमेंट दिया जाता था। ऐसी व्यवस्था छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए नहीं बन पाई हैं।
कार्यालयीन कार्य में छत्तीसगढ़ी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने समाधान के रूप में कारगर कदम उठाने
हेतु सर्वोच्च प्राथमिकता से अधिकारियों-कर्मचारियों को छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रयोग करने की बाध्यता हो।कार्य करने के लिए समुचित मार्गदर्शक किताबें उपलब्ध हो, जो कि छत्तीसगढ़ी के साथ-साथ हिन्दी एवं अंग्रेजी में कैसे लिखना है को सरलतापूर्वक बता सके। उच्चाधिकारियों सहित छोटे कर्मचारियों के लिए छत्तीसगढ़ी में कार्य करने हेतु कार्यशाला का निरन्तर आयोजन हो । छत्तीसगढ़ी भाषा में स्नातक, स्नातकोत्तर की डिग्री लेने पर प्रोत्साहनस्वरूप इंक्रीमेंट देने की पहल होनी चाहिए।सभी विभागों में छत्तीसगढ़ी अनुवादक की भर्ती सहित छत्तीसगढ़ी भाषा विकास समिति का गठन होना चाहिए।किसी भी विभाग/कार्यालय द्वारा सर्वाधिक कार्य-निष्पादन छत्तीसगढ़ी में किया जाता है, उसका वार्षिक मूल्यांकन कर राजभाषा दिवस पर पुरस्कृत किया जाना चाहिए कार्यालय एवं कार्यालय परिसर में छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखित नारें, निर्देश, सूचना पटिटका लगाने की अनिवार्यता होनी चाहिए।
राजभाषा छत्तीसगढ़ी को पाठ्यक्रम में कैसे जोड़ें
राजभाषा छत्तीसगढ़ी को प्राथमिक स्तर से ही जोड़ने की आवश्यकता है। बालपन में ग्राह्य शक्ति बहुत अधिक होती है। साथ ही इस उम्र में ग्राह्य की गई बातें आजीवन स्मृति पटल पर अविस्मरणीय बनी होती है। अतः प्राथमिक स्तर से लेकर विविध मात्रा में महाविद्यालयीन स्तर पर छत्तीसगढ़ी राजभाषा में लिखी कहानियां, कवितायें, गजल, यात्रा, स्मरण, निबंध, साक्षात्कार, नाटक आदि का समावेश होना चाहिये।
प्राथमिक स्तर पर जिस तरह हिन्दी, अंग्रेजी में आवेदन पत्र, पारिवारिक पत्र, विभिन्न विभागों की समस्याओं के निदान हेतु लिखे जाने वाले पत्र आदि लिखना सिखाया जाता है उसी तरह छत्तीसगढ़ी राजभाषा में सिखाने की आवश्यकता है। स्कूल कालेज में वार्षिक समारोह में छत्तीसगढ़ी लोकगीतों नृत्यों, खेलों को अनिवार्य करना चाहिए।
राजभाषा छत्तीसगढ़ी से ऐसे जुड़ेगी जनता
आम जनता तक छत्तीसगढ़ी भाषा को पहुंचाने का सशक्त माध्यम छत्तीसगढ़ में प्रचलित लोकरंग मंच हैं। इसके माध्यम से अनादिकाल से छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति, भाषा, कथा, कहानी, जनउला, हाना प्रचारित होता आ रहा है। हर्ष की बात है कि ऐसे लोकमंच अब आधुनिक साधन के आने पर रेडियों, टेलीविजन, फिल्म, सोशल मीडिया के साथ साथ विविध राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय महोत्सव में भी प्रमुखता से स्थान पाने लगे हैं।
बस स्टेण्ड, रेल्वे स्टेशन में उदघोषणा छत्तीसगढ़ी भाषा में हो रही है,यह आमजनता तक पहुंच का एक सफल उपाय है। ऐसे सार्वजनिक स्थानों में छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्यादा से ज्यादा से उपयोग होना चाहिये।
साहित्य किसी भी भाषा का हो वह भाषा को समृद्ध बनाने और आमजनों को जोड़ने के लिए सबसे बड़ी भूमिका निर्वहन करता है। इसलिए साहित्य को समाज का दर्पण भी कहा जाता हे। छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखना, पढ़ना पहले काफी कठिन प्रतीत होता था, किन्तु अब कहते हुए हर्ष हो रहा है कि छत्तीसगढ़ी साहित्य लेखन में उत्साहजनक गति दिखाई दे रही है। जिससे बड़ी संख्या में कवि गोष्ठी, कहानी पठन, नाटको का मंचन और फिल्मों का निर्माण भी हो रहा है। यद्यपि ऐसे आयोजनों में यदाकदा फूहड़ता का भी प्रदर्शन होता है जिस पर अंकुश लगाने का दायित्व साहित्यकारों-पत्रकारों और प्रबुद्धजनों पर है।
छत्तीसगढ़ी को प्रोत्साहित करने हेतु सम्मान
सम्मान, पुरस्कार किसी भी क्षेत्र में विशेष करने वाले को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से दिया जाता है। यह परंपरा मानव समुदाय में अनादिकाल से प्रचलित है। अतः इसका विशेष महत्व आज भी है। छत्तीसगढ़ी राजभाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने वालों को सम्मान पुरस्कार देते समय पारदर्शिता पर गुणवत्ता पर खास ध्यान रखना चाहिये। मेरे विचार से ऐसे पुरस्कारों को देते समय उचित होगा कि इसे तीन वर्गों में अर्थात युवा वर्ग, पुरूष वर्ग और महिला वर्ग में विभिाजित करके देना चाहिये। जिस तरह युवावर्ग में उम्र का बंधन है उसी तरह पुरूष महिला वर्ग में अधिक आयु के साहित्यकारों को प्राथमिकता देना चाहिये।
युवा पीढ़ी ही करेंगे राजभाषा को समृद्ध
किसी भी समाज, परिवार, देश को आगे बढ़ाने के लिए युवा शक्ति को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। अतः छत्तीसगढ़ी राजभाषा को भी आगे बढ़ाने की दृष्टि से युवा पीढ़ी की जागरूकता अत्यधिक प्रभावी होगी।छत्तीसगढ़ के युवा बोलचाल में, लेखन में कार्यालयीन कार्य में और समाजिक-सांस्कृतिक-धार्मिक कार्यक्रमों में यदि विशुद्ध रूप से छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग करते हैं तो निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ के साथ साथ अन्य प्रांतो से आये युवा वर्ग के लिए यह अनुकरणीय होगा, जिससे छत्तीसगढ़ी राजभाषा की लोकप्रियता और प्रचलन में वृद्धि होगी।
छत्तीसगढ़ी राजभाषा का भविष्य उज्ज्वल है
छत्तीसगढ़ राज्य जब 2000 में बना तो अनेक सवाल जनमानस में उठ खड़े हुए थे। राजभाषा छत्तीसगढ़ी का भविष्य भी उनमें एक था। आज 22 बरस को पूरा करते नवोदित राज अब एक सुदृढ़, समृद्ध राज्य के रूप में पहचान बनाने अग्रसर है। छत्तीसगढ़ की राजभाषा संबंधी सवाल विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जा रहे हैं, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय में छत्तीसगढ़ी में स्नातक, स्नातकोत्तर की उपाधियां दी जा रही है। कला, साहित्य, खान-पान, तीज-त्यौहार,परंपराओं ने व्यवसायिक रूप लेना आरंभ कर दिया है। इसे दृष्टिगत रखते हुए हम कह सकते हैं कि राजभाषा छत्तीसगढ़ी का भविष्य उज्ज्वल है।
खेत-खलिहान, गाॅव गाॅव ले लुगरा धोती ललकारत हे,
छत्तीसगढ़ी माटी म सुआ-कर्मा, ठेठरी-खुरमी महमहावत हे।
विजय मिश्रा ‘अमित’
पूर्व अति महाप्रबंधक (जन)
शौर्यपथ /हिमालय क्षेत्र में अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने कहा है कि भारतीय प्लेट के ऊपर स्थित यूरेशियन प्लेट के नीचे लगातार बड़े पैमाने पर ऊर्जा जमा होना चिंता का विषय है. आने वाले समय में भूकंप की और घटनाओं की प्रबल आशंका है.इस सप्ताहभारत और नेपाल के कुछ हिस्सों में लगे भूकंप के झटकों के कारण नेपाल में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई. बुधवार रात को अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. इस बीच, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हिमालय क्षेत्र में एक भूकंप आने का खतरा मंडरा रहा है बड़े इलाके पर असर डाल सकता है. वैसी स्थिति में जान-माल का नुकसान न्यूनतम करने के लिए पहले से बेहतर तैयारी जरूरी है. आईआईटी कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसरों ने भी भविष्य में एक बड़े भूकंप के आने की आशंका जताई है. उनका कहना है कि धरती के नीचे भारतीय प्लेट व यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव बढ़ रहा है. भूकंप पर शोध करने वाले वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून के वैज्ञानिकों के मुताबिक, हिंदुकुश पर्वत से पूर्वोत्तर भारत तक का हिमालयी क्षेत्र भूकंप के प्रति बेहद संवेदनशील है. उसके खतरों से निपटने के लिए संबंधित राज्यों में कारगर नीतियां नहीं हैं जो बेहद चिंताजनक है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी है कि भूकंप के प्रति संवेदनशील इलाकों में वृद्धि के कारण हिमालय क्षेत्र की जनसांख्यिकी में भी बदलाव आ सकता है. विशेषज्ञों ने हिमालय क्षेत्र में एकत्र हो रही भूगर्भीय ऊर्जा और नए भूस्खलन जोन के मद्देनजर सुरक्षित स्थानों को चिन्हित करने की सलाह दी है. भूकंप की आशंका वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के जियोलॉजिस्ट अजय पॉल ने डीडब्ल्यू को बताया, "भारतीय प्लेट पर यूरेशियन प्लेट के लगातार दबाव के कारण इसके नीचे जमा होने वाली ऊर्जा समय-समय पर भूकंप के रूप में बाहर निकलती रहती है. हिमालय के नीचे ऊर्जा के संचय के कारण भूकंप आना एक सामान्य और निरंतर प्रक्रिया है. लेकिन कभी भी एक बड़े भूकंप की प्रबल आशंका हमेशा बनी हुई है." उनके मुताबिक, भविष्य में आने वाले भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर सात या उससे अधिक हो सकती है. लेकिन फिलहाल यह बताना संभव नहीं है कि वैसा भूकंप कब आएगा. बीते डेढ़ सौ वर्षों के दौरान हिमालयी क्षेत्र में चार बड़े भूकंप दर्ज किए गए हैं. इनमें वर्ष 1897 में शिलांग, 1905 में कांगड़ा, 1934 में बिहार-नेपाल और 1950 में असम में आए भूकंप शामिल हैं. उसके बाद वर्ष 1991 में उत्तरकाशी, 1999 में चमोली और 2015 में नेपाल में भी भयावह भूकंप आया था. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर भूकंप से बचाव की ठोस रणनीति बनाने की स्थिति में जानमाल के नुकसान काफी हद तक कम किया जा सकता है. विशेषज्ञ इस मामले में जापान की मिसाल देते हैं. डा. पॉल का कहना है कि बेहतर तैयारियों के कारण लगातार मध्यम तीव्रता के भूकंप की चपेट में आने के बावजूद वहां जान-माल का ज्यादा नुकसान नहीं होता है. वाडिया इंस्टीट्यूट के एक और वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट नरेश कुमार ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि उत्तराखंड को भूकंप के प्रति संवेदनशीलता के लिहाज से जोन चार और पांच में रखा गया है. संस्थान ने भूकंप और उसके कारण होने वाले भूस्खलन पर केंद्र सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है. उसके पहले जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने भी वर्ष 2013 की आपदा के बाद पैदा हुई स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी. वाडिया संस्थान की रिपोर्ट में भूस्खलन और बादल फटने के कारण आने वाली आपदा से बचने के लिए आबादी को वहां से हटाने की सिफारिश की गई है. आईआईटी कानपुर की टीम ने भी दी चेतावनी आईआईटी, कानपुर के वैज्ञानिकों की एक टीम ने भी अपनी शोध रिपोर्ट में कहा है कि हिमालयन रेंज यानी उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में कभी भी रिक्टर स्केल पर 7.8 से 8.5 की तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है. उनका कहना है कि धरती के नीचे भारतीय प्लेट व यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव बढ़ रहा है. विभाग के प्रो. जावेद एन मलिक ने डीडब्ल्यू को बताया कि उत्तराखंड के रामनगर इलाके में तीव्र भूकंप का खतरा मंडरा रहा है. आने वाले समय में रामनगर इलाके में 7.5 से लेकर 8 रिक्टर स्केल की तीव्रता वाला भूकंप आने की आशंका है. प्रो. जावेद और उनकी टीम पूरे देश में भूकंप के कारण और उसके बाद पैदा होने वाली परिस्थिति का अध्ययन कर रही है. वह बताते हैं, "उत्तराखंड के रामनगर इलाके में वर्ष 1803 में भूकंप आया था. उस दौरान भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.5 रहने का अनुमान है. उसके बाद धरती के नीचे ऊर्जा लगातार एकत्रित हो रही है. इसलिए बड़े पैमाने पर भूकंप आना तय है.” आखिर ऐसा भूकंप कब तक आने का अंदेशा है? प्रोफेसर जावेद कहते हैं, "यह कभी भी आ सकता है. लेकिन पहले से उसकी निश्चित भविष्यवाणी संभव नहीं है. हिमालय अभी पूरी तरह से शांत है. यह तूफान के आने से पहले वाली शांति भी हो सकती है." तमाम वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि भूकंप को रोकना या उसकी पहले से सटीक भविष्यवाणी करना संभव नहीं है. लेकिन संवेदनशील इलाकों में भूकंपरोधी निर्माण को बढ़ावा देकर और स्थानीय लोगों में जागरुकता अभियान चला कर भूकंप की स्थिति में जानमाल के नुकसान को काफी हद तक कम जरूर किया जा सकता है.