August 02, 2025
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     सेहत /शौर्यपथ /नारियल पानी हो या फिर नारियल का तेल, हमारी सेहत के लिए इतना फायदेमंद है जितना आप सोच भी नहीं सकते. क्या आपने कभी उन तरीकों के बारे में सोचता है जिसमें नारियल के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है. ये एक मल्टी ऑयल है जिसे गई हेल्थ बेनिफिट्स के लिए कई पीढ़ियों से इस्तेमाल किया जाता रहा है. आज हम आपको बताते हैं नारियल तेल के फायदों के बारे में, जिसमें डायबिटीज कंट्रोल करने से लेकर बालों को स्ट्रांग बनाने तक कई फायदे शामिल हैं.
नारियल तेल से होने वाले फायदे
1. ऑयल पुलिंग
ऑयल पुलिंग एक प्राचीन आयुर्वेदिक तरीका है जहां आप लगभग 20 मिनट के लिए अपने मुंह में तेल घुमाते हैं और फिर इसे थूक देते हैं. ओरल बैक्टीरिया को हटाने से मसूड़ों में और उसके आसपास तरह तरह के रोगों की रोकथाम में मदद मिलती है. स्वस्थ मसूड़ों के लिए हफ्ते में तीन बार नारियल के तेल से ऑयल पुलिंग करना चाहिए.
2. नेचुरल मॉइश्चराइजर
नारियल के तेल का इस्तेमाल डेड सेल्स के इलाज के साथ-साथ स्किन में ग्लो लाने के लिए भी किया जाता है. क्योंकि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है, इसलिए इसका उपयोग सोरायसिस, डर्मेटाइटिस, एक्जिमा और त्वचा की जलन जैसी स्किन रिलेटेड प्रॉब्लम्स के इलाज के लिए किया जा सकता है.
3. बालों को बनाता है स्ट्रांग
नारियल का तेल बालों की ग्रोथ के लिए बेहद फायदेमंद है और बालों में चमक लाने में मदद करता है. नारियल के तेल से पांच मिनट तक सिर की मालिश करने से न केवल शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, बल्कि खोए हुए पोषक तत्वों की पूर्ति में भी मदद मिल सकती है. नियमित रूप से नारियल के तेल से मालिश करके आप यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके बाल डैंड्रफ फ्री हों.
4. जोड़ो के दर्द में आराम
आयुर्वेद में पित्त वृद्धि के कारण गठिया के दर्द को कम करने के लिए नारियल तेल का इस्‍तेमाल किया जाता है.  यह हड्डियों में कैल्शियम और मैग्नीशियम को एब्जॉर्ब  करने की क्षमता में सुधार कर सकता है.
5. डायबिटीज करें कंट्रोल
नारियल का तेल ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है और इंसुलिन में सुधार करता है.  यह ब्लड ग्लूकोज के प्रभावी उपयोग को भी बढ़ावा देता है, इस प्रकार डायबिटीज का इलाज और रोकथाम कर सकता है.

  टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /शादियों का सीजन शुरू हो चुका है और दुल्हनें महीनेभर पहले से खुद को संवारने में लग जाती है. चाहे तब वह चमकदार स्किन पाना ही क्यों न हो वह हर एक चीज करती हैं जो उन्हें अपनी शादी में सबसे अलग दिखाए. जबकि कपड़े और आभूषण एक जरूरी भूमिका निभाते हैं, लेकिन आपको भीतर से अच्छा महसूस करने के लिए काम करना होगा. परफेक्ट दिखने के लिए पिछले कुछ महीनों में तनाव नर्वस करने वाला हो सकता है. दुल्हनें फिट रहने के लिए अतिरिक्त मेहनत करती हैं. इस दबाव में कई दुल्हनें वजन कम करने के लिए फैड डाइट का सहारा लेती हैं या कम खाती हैं. हालांकि, आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि आप तब तक अच्छे नहीं दिख सकते और अच्छा महसूस नहीं कर सकते जब तक कि आपके शरीर को ठीक से पोषण न मिले और पर्याप्त व्यायाम न हो. तो, यहां चमकती त्वचा पाने के लिए कुछ डाइट टिप्स बताए गए हैं.
ग्लोइंग स्किन के लिए डाइट टिप्स
1) अधिक बार और छोटे-छोटे भोजन करें
यह सबसे अधिक प्रचलित डाइट टिप्स में से एक है. छोटे भागों में बार-बार खाएं क्योंकि इससे तनाव के कारण होने वाली लो ब्लड शुगर को कम करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, वेट मैनेजमेंट के लिए यह एक अच्छी रणनीति है. अपने आहार में फलों और सब्जियों की कम से कम 5-8 सर्विंग शामिल करें.
2) डिटॉक्स के लिए सब्जियों के जूस को शामिल करें
टमाटर, पालक, पुदीना और धनिया से बनी सब्जियों का कम से कम 2 गिलास जूस पीने की सलाह देते हैं. यह आपके शरीर को डिटॉक्सिफाई करने और शरीर की अतिरिक्त गंध को खत्म करने में मदद करता है.
3) अधिक प्रोटीन लें
अपने आहार में कम से कम 40-45 ग्राम प्रोटीन शामिल करें जैसे मछली, अंडे का सफेद भाग और डेयरी प्रोडक्ट्स या अन्य प्रोटीन से भरपूर शाकाहारी विकल्प. प्रोटीन हमारे शरीर में सभी कोशिकाओं को बनाता है और पर्याप्त कार्य करने के लिए जरूरी है.
4) पर्याप्त कैल्शियम
दुल्हन शादी की तैयारियों में काफी व्यस्त होती है. इसलिए, अपने कैल्शियम सेवन में वृद्धि करें जो आपको पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करता है.
5) संतरे का जूस पिएं
ताजा निचोड़ा हुआ संतरे का रस ओह-ताजा महसूस करता है. यह आपकी त्वचा और बालों के लिए बहुत अच्छा है और आपके शरीर को आसानी से पचने वाले पोषक तत्व भी प्रदान करता है. हालांकि, इसे पीते समय सावधानी बरतें और केवल तभी जब आप वजन की समस्या से जूझ रहे हों. संतरे का रस विटामिन सी का एक उत्तम स्रोत है, जो अच्छी त्वचा के लिए बहुत अच्छा है.
6) समग्र स्वास्थ्य के लिए प्रोसेस्ड फूड्स को ना कहें
मैदे से बने रिफाइंड फूड्स से दूर रहें. इसलिए अपनी पसंदीदा रुमाली रोटी, नान, नूडल्स और पास्ता को दूर रखें क्योंकि ये शरीर में पानी बनाए रख सकते हैं. यह, बदले में आपको हर समय फूला हुआ महसूस कराता है.
7) पानी का सेवन बनाए रखें
पानी का सेवन शरीर के लिए जरूरी है. अपने पानी का सेवन दिन में कम से कम 2-3 लीटर तक बढ़ाएं. यह न केवल आपके हाइड्रेशन लेवल को बढ़ाएगा बल्कि विषाक्त पदार्थों को भी बाहर निकालेगा.
8) परफेक्ट स्किन के लिए लो फैट डाइट
अगर आपके पास मुंहासे वाली त्वचा है, तो अपने भोजन में 4-5 चम्मच (प्रति दिन) से अधिक तेल के साथ कम वसा वाले फूड्स का सेवन करें.

आस्था /शौर्यपथ / कहा जाता है कि जब सृष्टि का आरम्भ हुआ तब श्री हरि विष्णु ही थे. उन्होंने ही सृष्टि के विस्तार के लिए अपनी नाभि से कमल पर ब्रह्मा जी का अवतरण किया था. ब्रह्मा जी ने संसार को बनाया तो भगवान विष्णु इस संसार का पालन करते हैं. वैदिक शास्त्रों के अनुसार सभी देवता पूजनीय हैं लेकिन भगवान विष्णु का नाम 'श्री' शब्द के साथ ही लिया जाता है. यही नहीं उनके अवतारों के नाम के साथ भी श्री   शब्द लगाया जाता है. इसका कारण शास्त्रों में भी दिया गया है.
शास्त्रों में मिलता है उल्लेख

हिन्दू धर्म में अनेक देवी देवताओं को पूजा जाता है. वेदों, पुराणों उनकी ऋचाओं में सभी देवी-देवताओं और उनके कार्य, चमत्कार, उदभव का विस्तार से उल्लेख मिलता है. जिसमें भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों के बारे में भी अंकित है. लेकिन इतने सारे शास्त्र, पुराण पढ़ने के बाद हमने कभी ये नहीं सोचा कि भगवान विष्णु के नाम के आगे ही 'श्री' शब्द का प्रयोग किया गया है. यही नहीं उनके अवतारों के नाम के आगे भी 'श्री' लगाया जाता है. जैसे श्रीहरि, श्री राम, श्री कृष्ण आदि. मन में प्रश्न उठता है की ऐसा क्यों? तो हम बता दें कि ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि महालक्ष्मी उनके साथ रहती हैं.

ये है 'श्री' का अर्थ

यूं तो 'श्री' शब्द सम्मान के लिए बोला जाता है.अपने से बड़े या फिर कोई गणमान्य के लिए श्री शब्द लगया जाता है लेकिन ये हैरानी की बात है कि देवताओं में इसका प्रयोग केवल भगवान विष्णु के नाम के आगे ही किया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि श्रीहरि विष्णु के नाम के आगे लगने वाले 'श्री' का अर्थ 'महालक्ष्मी' है. महालक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी भी हैं और महालक्ष्मी के कई नामों में से एक उनका नाम 'श्री' भी है. ये सभी जानते है कि महालक्ष्मी 'ऐश्वर्य प्रदान करती हैं. दोनों को एक रूप पूजने और सम्मान देने के कारण ही हम भगवान विष्णु के नाम के आगे श्री लगाते हैं.

अवतारों के नाम में भी लगता है श्री

भगवान विष्णु के नाम के आगे ही नहीं उनके अवतार राम और कृष्ण के नाम में भी 'श्री' शब्द का प्रयोग किया जाता है. कारण ये है कि जब जब श्री विष्णु जी ने अवतार लिया माता लक्ष्मी भी उनके साथ इस धरती पर आईं. श्री राम के साथ सीता माता तो भगवान कृष्ण के साथ उनकी पत्नी रुक्मिणी को भी लक्ष्मी जी का ही अवतार बताया गया है. इसलिए उन्हें एकाकार करते हुए 'श्री राम' और 'श्री कृष्ण'  बोला जाता है.

आस्था /शौर्यपथ / कहा जाता है कि जब सृष्टि का आरम्भ हुआ तब श्री हरि विष्णु ही थे. उन्होंने ही सृष्टि के विस्तार के लिए अपनी नाभि से कमल पर ब्रह्मा जी का अवतरण किया था. ब्रह्मा जी ने संसार को बनाया तो भगवान विष्णु इस संसार का पालन करते हैं. वैदिक शास्त्रों के अनुसार सभी देवता पूजनीय हैं लेकिन भगवान विष्णु का नाम 'श्री' शब्द के साथ ही लिया जाता है. यही नहीं उनके अवतारों के नाम के साथ भी श्री   शब्द लगाया जाता है. इसका कारण शास्त्रों में भी दिया गया है.
शास्त्रों में मिलता है उल्लेख
हिन्दू धर्म में अनेक देवी देवताओं को पूजा जाता है. वेदों, पुराणों उनकी ऋचाओं में सभी देवी-देवताओं और उनके कार्य, चमत्कार, उदभव का विस्तार से उल्लेख मिलता है. जिसमें भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों के बारे में भी अंकित है. लेकिन इतने सारे शास्त्र, पुराण पढ़ने के बाद हमने कभी ये नहीं सोचा कि भगवान विष्णु के नाम के आगे ही 'श्री' शब्द का प्रयोग किया गया है. यही नहीं उनके अवतारों के नाम के आगे भी 'श्री' लगाया जाता है. जैसे श्रीहरि, श्री राम, श्री कृष्ण आदि. मन में प्रश्न उठता है की ऐसा क्यों? तो हम बता दें कि ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि महालक्ष्मी उनके साथ रहती हैं.
ये है 'श्री' का अर्थ
यूं तो 'श्री' शब्द सम्मान के लिए बोला जाता है.अपने से बड़े या फिर कोई गणमान्य के लिए श्री शब्द लगया जाता है लेकिन ये हैरानी की बात है कि देवताओं में इसका प्रयोग केवल भगवान विष्णु के नाम के आगे ही किया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि श्रीहरि विष्णु के नाम के आगे लगने वाले 'श्री' का अर्थ 'महालक्ष्मी' है. महालक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी भी हैं और महालक्ष्मी के कई नामों में से एक उनका नाम 'श्री' भी है. ये सभी जानते है कि महालक्ष्मी 'ऐश्वर्य प्रदान करती हैं. दोनों को एक रूप पूजने और सम्मान देने के कारण ही हम भगवान विष्णु के नाम के आगे श्री लगाते हैं.
अवतारों के नाम में भी लगता है श्री
भगवान विष्णु के नाम के आगे ही नहीं उनके अवतार राम और कृष्ण के नाम में भी 'श्री' शब्द का प्रयोग किया जाता है. कारण ये है कि जब जब श्री विष्णु जी ने अवतार लिया माता लक्ष्मी भी उनके साथ इस धरती पर आईं. श्री राम के साथ सीता माता तो भगवान कृष्ण के साथ उनकी पत्नी रुक्मिणी को भी लक्ष्मी जी का ही अवतार बताया गया है. इसलिए उन्हें एकाकार करते हुए 'श्री राम' और 'श्री कृष्ण'  बोला जाता है.

ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /आप हाइपरपिगमेंटेशन को हल्के में नहीं ले सकते, क्योंकि अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो ये आपकी त्वचा को खराब कर सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एसेंशियल ऑयल के साथ हाइपर-पिग्मेंटेशन को मैनेज किया जा सकता है? कई लोग चेहरे पर दाग धब्बों और झाइयों से छुटकारा पाने के उपाय करना चाहते हैं लेकिन सही उपचार न मिलने की वजह से वे दुखी हैं. पिंगमेंटेशन के लिए घरेलू नुस्खे (Home Remedies For Pigmentation) काफी मददगार हो सकते हैं. अगर आप सोच रहे हैं कि चेहरे से दाग धब्बों को कैसे हटाएं? तो यहां कुछ तेल हैं जिनका इस्तेमाल आप क्लियर और कोमल त्वचा पाने के लिए कर सकते हैं.
हाइपरपिग्मेंटेशन क्या है?
हाइपरपिग्मेंटेशन पुरुषों और महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली दूसरी सबसे आम त्वचा समस्या है. यह त्वचा को काला कर देता है और गहरे रंग के धब्बों के रूप में दिखाई देता है. पिंगमेंटेशन का मुख्य कारण मेलेनिन है, लेकिन यह असुरक्षित धूप के संपर्क, आनुवंशिकता, हार्मोनल परिवर्तन, उम्र, त्वचा पर चोट, मुंहासे, गर्भावस्था, दवाओं, कीमोथेरेपी या त्वचा की सूजन की सूजन भी हो सकता है. यह आमतौर पर चेहरे पर होता है लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है. इन्हें आमतौर पर झाइयां, दाग धब्बे, मेलास्मा आदि के रूप में भी जाना जाता है.
दाग धब्बों से छुटकारा पाने के लिए एसेंशियल ऑयल
1) नीरोली या मीठे संतरे का तेल
नीरोली या मीठे संतरे का तेल जैसे साइट्रस बेस्ड ऑयल हाइपर-पिग्मेंटेशन को हल्का करने में मदद कर सकते हैं क्योंकि वे विटामिन सी अवशोषण में सहायता करते हैं. विटामिन सी का अवशोषण जरूरी है क्योंकि इसका त्वचा पर बहुत प्रभाव पड़ता है. यह विटामिन झुर्रियां, काले घेरे, उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करने, सूरज की क्षति से बचाने और सूरज की किरणों से रंजकता को बदतर बनाने में मदद कर सकता है.
2) चंदन का तेल
चंदन के एसेंशियल ऑयल में सुखदायक और पौष्टिक प्रभाव होता है जो चेहरे के मुंहासों के निशान को ठीक करने और मिटाने में मदद करता है. यह एक एंटीसेप्टिक के रूप में भी काम करता है जो त्वचा की समस्याओं से लड़ता है. इसके साथ ही इसमें एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो इसे आपके हाइपर-पिग्मेंटेशन की समस्याओं के लिए एक आइडियल बनाता है.
3) जेरेनियम तेल
जेरेनियम तेल पिगमेंटेशन को कम करने में सहायक होता है, जो मुंहासों के निशान के कारण होता है. यह एक प्राकृतिक कसैला और जीवाणुरोधी भी है ये सूजन को शांत करता है, जिससे आपकी त्वचा की बनावट में सुधार होता है. इसके अलावा, यह आपको फ्री रेडिकल्स से लड़ने और निशान और हाइपरपिग्मेंटेशन को कम करने में भी मदद करेगा.
4) गाजर के बीज का तेल
गाजर के बीज का तेल भी पिगमेंटेशन को कम करने में प्रभावी पाया जाता है और त्वचा को हल्का करने में मदद करता है. गाजर के बीज का तेल बीटा कैरोटीन से भरपूर होता है, जो त्वचा को यूवी किरणों से होने वाले नुकसान से बचाता है और अक्सर इसे सनस्क्रीन में एक घटक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. आपकी त्वचा को सूरज की क्षति से बचाना जरूरी है.
5) नींबू का तेल
नींबू का तेल एक और एसेंशियल ऑयल है जो पिगमेंटेशन के धब्बे को ठीक करने में मदद कर सकता है. त्वचा पर काले धब्बे और पैच को हल्का करने के लिए यह एक बेहतरीन ऑयल है. नींबू का तेल त्वचा की रंगत को हल्का करने में मदद करता है और इसमें विटामिन सी होता है जो मेलेनिन बनाने वाली त्वचा कोशिकाओं को कम करता है.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ /सर्दियों के मौसम में कब्ज की समस्या एक आम समस्या में से एक है. हर 4 में से दो लोगों को हर दिन इससे दो-चार होना पड़ता है. दरअसल पाचन की समस्या कई कारणों से हो सकती है. जैसे मसालेदार खाना, कम पानी पीना, ज्यादा मात्रा में खाना लेना आदि पेट में कब्ज की समस्या के मुख्य कारण में से एक हैं. रात के समय हैवी खाने से खाना सही से पच नहीं पाता जिसके चलते भी कब्ज की समस्या से जूझना पड़ सकता है. कई लोगों में तो ये समस्या इतनी बढ़ जाती है कि उन्हें दवाओं का सहारा लेना पड़ता है. लेकिन अगर आप दवाओं के बगैर भी कब्ज से राहत पाना चाहते हैं तो आप अपनी डाइट में इन फूड्स को शामिल कर सकते हैं.
कब्ज से राहत दिलाने में मददगार हैं ये फूड्स
1. मेथी के बीज-
मेथी के बीज सेहत के लिए काफी गुणकारी माने जाते हैं. अगर आप कब्ज की समस्या से राहत पाना चाहते हैं, तो आपनी डाइट में इन्हें शामिल कर सकते हैं. बस आपको रात में 1 चम्मच मेथी के बीज को पानी में भिगोकर रखना है, फिर सुबह खाली पेट इनका सेवन कर लेना है.
2. आंवला-
आंवले के जूस को रोजाना सुबह सेवन करने से शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं. कब्ज की समस्या से परेशान हैं तो आप आंवले को जूस और पाउडर दोनों ही रूपों में सेवन कर सकते हैं.
3. किशमिश-
किशमिश एक ऐसा ड्राई फ्रूट्स है जिसे स्वाद और सेहत से भरपूर माना जाता है. किशमिश को कई व्यंजन में गार्निशिंग के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. अगर आप कब्ज की समस्या से परेशान हैं तो भीगी हुई किशमिश का रोजाना सेवन कर सकते हैं.
4. खजूर-
खजूर फाइबर का अच्छा सोर्स माना जाता है. फाइबर पाचन को बेहतर रखने में मददगार है. अगर आप कब्ज की समस्या से दूर रहना चाहते हैं, तो अपनी डाइट में रोज 2 खजूर को शामिल करें.
डायबिटीज को कंट्रोल करने में मददगार हैं ये भारतीय फूड्स, आज से ही डाइट में करें शामिल
डायबिटीज रोगियों के लिए हेल्दी डाइट बहुत जरूरी मानी जाती है. बैलेंस और हेल्दी डाइट से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है. आज देश ही नहीं दुनिया भर में डायबिटीज के रोगी दिनों दिन बढ़ रहे हैं. और इसका एक सबसे बड़ा कारण है अनहेल्दी डाइट और खराब लाइफस्टाइल. डायबिटीज मरीजों को अपनी डाइट में हेल्दी कार्ब, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर फूड्स को शामिल करना चाहिए. शुगर (Blood Sugar Levels) के मरीजों को मीठी चीजों से बचकर रहना चाहिए. दरअसल कई चीजें ऐसी हैं जिन्हें डायबिटीज में खाना माना होता है और कई चीजें ऐसी हैं जिन्हें डायबिटीज के मरीज डाइट में शामिल कर सकते हैं. तो चलिए जानते हैं ऐसे ही भारतीय फूड्स के बारे में जिनकी मदद से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है.
डायबिटीज को कंट्रोल करने में मददगार हैं ये फूड्स-
1. सीड्स-
सूरजमुखी के बीज, तिल के बीज, अलसी और कद्दू के बीज में पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड और हेल्दी फैट पाया जाता है. अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो अपनी डाइट में इन बीजों को शामिल कर सकते हैं.
2. राजमा-
राजमा को प्रोटीन का अच्छा सोर्स माना जाता है. प्रोटीन डायबिटीज के मरीजों के लिए अच्छा माना जाता है. आप अपनी डाइट में राजमा को शामिल कर ब्लड शुगर को कंट्रोल में रख सकते हैं.
3. चिकन-
अगर आप नॉनवेजिटेरियन हैं तो आप प्रोटीन के लिए कई चीजों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं. जिनमें से चिकन को प्रोटीन का अच्छा सोर्स माना जाता है. प्रोटीन ब्लड शुगर को कंट्रोल रखने में मददगार है.
4. शकरकंद-
शकरकंद में प्रोटीन, विटामिन, खनिज, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं. डायबिटीज के मरीजों के लिए शकरकंद का सेवन फायदेमंद माना जाता है. आलू की जगह शकरकंद बेस्ट ऑप्शन हो सकता है. 

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / किशमिश को सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है. कई लोग इसे भीगा खाना पसंद करते हैं तो कुछ लोग सूखा. किशमिश को आप किसी भी रूप में खाएं ये सेहत के लिए फायदेमंद है. आपको बता दें कि किशमिश में कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, कई तरह के विटामिंस, कॉपर, प्रोटीन, पोटैशियम पाए जाते हैं, जो शरीर को कई लाभ पहुंचाने में मदद कर सकते हैं. किशमिश का सेवन खासतौर पर महिलाओं के लिए फायदेमंद माना जाता है. रोजाना किशमिश के सेवन से आयरन की कमी को दूर करने में मदद मिल सकती है. तो चलिए बिना देर किए जानते हैं किशमिश से होने वाले फायदे.
1. आयरन-
महिलाएं दिन भर घर और ऑफिश के काम में इतना मशगुल हो जाती हैं कि उन्हें अपनी सेहत का ही ख्याल नहीं रहता है. जिसके चलते उनके शरीर में कई तरह के पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और उन्हीं में से एक है आयरन. खून की कमी को दूर करने के लिए महिलाएं अपनी डाइट में किशमिश को शामिल कर सकती हैं.
2. कब्ज-
पाचन संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो आप अपनी डाइट में किशमिश को शामिल कर सकती हैं. किशमिश में फाइबर अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो कब्ज और पाचन से राहत दिलाने में मददगार है.
3. आंखों-
किशमिश में विटामिन ए, बीटा कैरोटिन, एंटी-ऑक्सीडेंट जैसे गुण पाए जाते हैं, जो आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. महिलाएं अपनी डाइट में किशमिश को शामिल कर आंखों को हेल्दी रख सकती हैं.
4. दिमाग-
किशमिश सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि, बच्चों के लिए भी फायदेमंद है. रोजाना बच्चों को इनका सेवन कराने से उनकी मेमोरी को बूस्ट करने में मदद मिल सकती है.
5. स्किन-
एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर किशमिश फ्री रेडिकल से होने वाले नुकसान से बचाने में मददगार है. रोजाना किशमिश के सेवन से स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग बनाने में मदद मिल सकती है.

     रसोई टिप्स /शौर्यपथ / ठंड का मौसम आते ही हम सब साग के लिए क्रेव करने लगते है. क्योंकि इस मौसम में कई विंटर स्पेशल साग न केवल हमारे स्वाद में एक्स्ट्रा जिंग एड करते हैं बल्कि, सेहत से भी भरपूर माने जाते हैं. इस मौसम मेथी, बथुआ, पालक, सरसों आदि के साग चारों तरफ आपको देखने को मिलेंगे. लेकिन आज हम सरसों के साग को खाने से होने वाले फायदे के बारे में बात कर रहे हैं. सरसों का साग खासतौर पर पंजाब का एक ट्रेडिशनल फूड है. सरसों का साग और मक्के की रोटी आज सिर्फ पंजाब ही नहीं बल्कि, पूरे देश भर में पसंद की जाती है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि सरसों का साग खाने से शरीर को कई तरह के लाभ मिल सकते हैं. सरसों के साग में विटामिन, मिनरल, फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम और पोटैशियम पाया जाता है. जो शरीर को कई लाभ पहुंचाने में मदद कर सकते हैं.
सरसों का साग खाने के फायदे
1. दिल के लिए-
दिल के मरीजों के लिए फायदेमंद है सरसों का साग. सरसों के साग के सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम किया जा सकता है. इससे कार्डियोवास्कुलर रोगों के खतरे से बचा जा सकता है.
2. आंखों के लिए-
सरसों के साग में विटामिन ए अच्छी मात्रा में होता है, जो आंखों की मांसपेशियों को किसी भी तरह की क्षति से बचाने में मदद कर सकता है. सरसों के साग को डाइट में शामिल कर आंखों को हेल्दी रख सकते हैं.
3. हड्डियों के लिए-
सर्दियों के मौसम में हड्डियों की समस्या काफी देखी जाती है. अगर आप भी कमजोर हड्डियों की समस्या से परेशान हैं, तो सरसों के साग को डाइट में शामिल कर सकते हैं. सरसों के साग में कैल्शियम और पोटैशियम अच्छी मात्रा में होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बना सकते हैं.
4. तनाव के लिए-
अगर आप तनाव की समस्या को दूर रखना चाहते हैं, तो सरसों के साग को डाइट में शामिल कर सकते हैं. सरसों के साग में मौजद फ्री रेडिकल, एंटी-ऑक्सीडेंट तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं.
सरसो का साग रेसिपी
सरसो के साग की इस मुंह-पानी वाली रेसिपी को आप अपने सर्दियों के मेन्यू में जरूर शामिल करें. बथुआ, पालक और सरसो को एक साथ मिलाकर बनने वाली यह रेसिपी बनाने में बहुत ही आसान और झटपट तैयार हो जाती है. साग पर देसी घी डालकर इसे मक्की की रोटी के साथ सर्व करें.
सरसो का साग की सामग्री
    1 1/2 किलो सरसों के पत्ते
    250 ग्राम पालक
    250 ग्राम बथुआ साग
    50 ग्राम मकई का आटा
    4 हरी मिर्च, कटी हुई
    20 लहसुन कलियां
    3 बड़ा प्याज
    2 इंच अदरक
    1 टी स्पून हल्दी
    1 कप पानी
    टेबल स्पून 4
सरसो का साग बनाने की वि​धि
1.सबसे पहले, साग को साफ करके काट लें और धो लें.
2.अब एक प्रेशर कुकर या पैन में मकई के आटे को छोड़कर सारी सामग्री डालकर इसे उबाल 6-7 मिनट के लिए इसे ढककर पकाएं.
3.अगर आप इसे बनाने के लिए कड़ाही का इस्तेमाल कर रहे है, तो इसे ढक दें और साग पूरी तरह पकने तक पकने दें. कभी-कभार बीच में चलाएं.
4.अब एक ब्लेंडर में साग के साथ मकई के आटा डालकर इसे ब्लेंड कर लें.
5.एक दूसरे पैन में, पका हुआ साग डालें और एक अच्छा 25-30 मिनट के लिए फिर से पकाएं.
तड़का बनाने के लिए:
1.एक छोटे पैन में घी गर्म करें.
2.इसमें कटी हुई प्याज डाले और लाइट ब्राउन होने तक फ्राई करें.
3.इसमें पका हुआ साग डालें. इसे पकने दें और बीच में चलाते भी र​हे.
4.गरमागरम सरसों का साग कटी हुई प्याज, साबुत हरी मिर्च, मक्खन या देसी घी डालकर मक्की की रोटी के साथ सर्व करें.

आस्था /शौर्यपथ / मां लक्ष्मी की पूजा यूं तो आप हफ्ते के हर दिन कर सकते हैं, लेकिन शुक्रवार को देवी की खास पूजा होती है. इस दिन महिलाएं वैभव लक्ष्मी का व्रत भी रखती हैं और विधिवत पूजा कर मां को प्रसन्न करने का प्रयास करती हैं. शुक्रवार के दिन अगर आप व्रत नहीं रख रहे तो भी पूजन की कुछ खास विधि के साथ आप माता लक्ष्मी की कृपा पा सकते हैं. देवी लक्ष्मी   की पूजा से जुड़ी कुछ मान्यताएं हैं, जिनके बारे में आज हम यहां बता रहे हैं.
अष्ट लक्ष्मी का करें ध्यान
माता लक्ष्मी की पूजा खासकर शाम के वक्त होती है. शुक्रवार की शाम आप हाथ-पैर धोकर साफ कपड़े पहनकर अष्ट लक्ष्मी की पूजा करें. अष्ट लक्ष्मी की तस्वीर पर गुलाब का फूल चढ़ाएं, फिर धूप-दीप दिखाएं. इसके बाद ‘ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नम: स्वाहा' का जाप करें. माना जाता है कि इस तरह पूजा करने से माता सभी इच्छाएं पूरी करती हैं.
लक्ष्मी-नारायण की करें पूजा
भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी के स्वामी यानी उनके पति हैं, ऐसे में माता लक्ष्मी को प्रसन्न करना है तो विष्णु भगवान की पूजा भी करनी चाहिए. शाम के वक्त मां लक्ष्मी के साथ ही आप विष्णु भगवान की भी पूजा करें. माना जाता है कि गहरे गुलाबी रंग के कपड़े में श्री यंत्र और मां अष्ट लक्ष्मी की तस्वीर स्थापित कर इस दिन पूजा करने से घर में संपन्नता आती है.
अष्टगंध चढ़ाएं
शुक्रवार की शाम मां अष्ट लक्ष्मी के साथ ही श्री यंत्र को अष्टगंध का तिलक लगाना चाहिए. इसके साथ ही देवी की आरती करें. माना जाता है कि ऐसा करने से मन को शांति मिलती है, घर में धन-धान्य आता है. माना जाता है कि शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से हर तरह से सुख बना रहता है.

  शौर्यपथ /भारत में उत्तर प्रदेश का एक शहर वाराणसी जो की काशी विश्वनाथ धाम के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। भगवान शिव को समर्पित यह शहर हिंदू तीर्थयात्रियों की आस्था का प्रतीक है।
लोगों की मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव स्वयं निवास करते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आइये जानते हैं वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम के बारे में 15 रोचक तथ्य जो सिर्फ आस्था ही नहीं हकीकत भी हैं  
काशी विश्वनाथ मंदिर नामका अर्थ !
काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान विश्वनाथ या विश्वेश्वर यानि शिव के नाम से रखा गया हैं जिसका अर्थ है ‘ब्रह्मांड का शासक’ इसलिए मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है।
भगवान शिव को समर्पित मंदिर !
मंदिर हिंदुओं के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक के रूप में प्रतिष्ठित है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव वास्तव में यहां कुछ समय के लिए रुके थे।
भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी है काशी !
उत्तरकाशी को प्राचीन काशी माना जाता है। जिसे ‘वाराणसी’ भी कहा जाता है। यह काशी भी शिव के त्रिशूल की नोक पर बसी हुई है। भगवान भोलेनाथ की 12 ज्योतिर्लिंग में से एक काशी विश्वनाथ विराजमान हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण !
अभिलेखों के अनुसार, जानकारों की माने तो काशी विश्वनाथ मंदिर को अकबर के नौ रत्नों में से एक राजा टोडरमल ने सन 1585 में बनवाया था, लेकिन 1669 में औरंगजेब ने इस मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद बनवाई।
जानकारों की माने तो इस मंदिर का निर्माण से पहले इसका पुनर्स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने अपने हाथों से किया था। इसके पश्चात इस मंदिर को मुगल बादशाह औरंगजेब ने नष्ट कर दिया और उसी स्थान पर मस्जिद बनवा दिया था जो आज भी विद्यमान है।
ऐसा कहा जाता है कि जब मंदिर को नष्ट करने की औरंगजेब की योजना की खबर पहुंची, तो शिव की मूर्ति को विनाश से बचाने के लिए एक कुएं में छिपा दिया गया था। कुआँ, जिसे “ज्ञान का कुआँ” कहा जाता है, अभी भी वहाँ मस्जिद और मंदिर के बीच खड़ा है।
प्राचीन काल का शिवलिंग आज भी ज्ञानवापी में ही स्थित है।
काशी में विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का मामला न्यायालय में है – अधिक जानने के लिए कृपया यहां क्लिक करें ; काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद
वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा सन् 1780 (अनुमानित) में करवाया गया था, बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने 1853 में 1000 किलोग्राम शुद्ध सोने से मंदिर के कलश कों गडवाया। शिखर पर स्वर्ण कलश होने के कारण इसे कई जानकार स्वर्ण मंदिर भी कहते हैं।
मुक्ति का एकमात्र धाम !
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो हिस्सों में बंटा हुआ है। दाहिने भाग में शक्ति के रूप में मां दुर्गा विराजमान हैं, तो दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप रूप में विराजमान हैं। यही कारण है कि काशी को मुक्ति का एकमात्र धाम कहा जाता है।
काशी विश्वनाथ लाइव दर्शन
इस दिव्य मंदिर में हर साल 70 लाख से अधिक श्रद्धालु आते हैं।
मंदिर में जब मूर्तियों का श्रृंगार होता है तब सारी मूर्तियां पश्चिम मुखी होती हैं। इस ज्योतिर्लिंग में शिव और शक्ति दोनों साथ ही विराजते हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर के ऊपर एक सोने का छत्र लगा हुआ है। ऐसा मान्यता है कि इस छत्र के दर्शन से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, और घर में सुख समृद्धि आती है।
दिन भर गुरु रूप में भोलेनाथ काशी में भ्रमण करते हैं। रात नौ बजे जब बाबा का श्रृंगार और आरती की जाती है तो वह राज वेश में होते हैं। यही कारण है कि शिव को राजराजेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।

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