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शौर्यपथ / दशहरा कल यानी 15 अक्टूबर, शुक्रवार को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की दशमी को दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। दशहरा का त्योहार असत्य पर सत्य की जीत के यह पर्व भगवान राम का बुराई यानी रावण पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस भगवान राम ने रावण का अंत किया था। इस दिन लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को दशहरा या विजयदशमी की बधाई देते हैं। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे चुनिंदा मैसेज जिनसे आप अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, बड़ों को दशहरा की शुभकामनाएं दे सकते हैं।
आयो मिलकर दशहरा बनाएं
अपने अंहकार रूपी रावण को जलाएं
हैप्पी दशहरा
आपकी जीवन में हो खुशियों का बसेरा
तहे दिल से कह रहा हूं हैप्पी दशहरा 2021
आपके जीवन में कभी-भी कोई गम ना आए
आपको दशहरा की ढेरों सारी शुभ कामनाएं
दशहरा की खूब सारी शुभकामनाएं आपको
सत्य स्थापित करके, इस देश से बुराई को मिटाना होगा
आतंकी रावण का दहन करने आज फिर राम को आना होगा
आपको पूरे परिवार सहित दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं
दशहरा का पर्व है अच्छाई का प्रतीक
बुराई की राह पर चलकर हार है निश्चित
इस संदेश को करो अपने जीवन में शामिल
दशहरा पर्व की शुभकामनाएं
इस दशहरे हर मनुष्य बस एक नेक काम करें
अंतर्मन में पनप रही हर बुराई का सर्वनाश करें
इसी कामना के साथ आपको दशहरे की शुभकामनाएं
खाना खजाना / शौर्यपथ / मीठा पसंद करने वाले लोगों के मुंह में गुलाब जामुन का नाम सुनते ही पानी आ जाता है। अगर आप भी गुलाब जामुन खाने के शौकीन हैं तो अब घर बैठे ही जब मन करें इसका मजा ले सकते हैं वो भी बिना किसी झंझट के साथ। जी हां, आज जो गुलाब जामुन की रेसिपी आपके साथ शेयर कर रहे हैं उसे बनाना बेहद आसान है और स्वाद बिल्कुल हलवाई वाले गुलाब जामुन का आता है। इस स्वीट को बनाने में अधिक समय भी नहीं लगता है और इसे किसी पार्टी या त्यौहार के दिनों में पूजा-पाठ में भी शामिल कर सकती हैं। तो बिना देर किए जानते हैं कैसे बनाए जाते हैं ये टेस्टी गुलाब जामुन।
गुलाब जामुन बनाने के लिए सामग्री-
-मिल्क पाउडर-1 कप
- मैदा-3 चम्मच
- इलायची पाउडर-1/2 चम्मच
- दूध-1/2 कप
- चीनी-1/2 कप
- घी-2 चम्मच
- ड्राई फ्रूट्स-1/2 कप (ऑप्शनल)
गुलाब जामुन बनाने का तरीका-
गुलाब जामुन बनाने के लिए सबसे पहले एक कढ़ाही में घी गर्म करके उसमें दूध डालें। इसके बाद इसमें मिल्क पाउडर डालकर अच्छे से मिक्स कर लें ताकि इसमें कोई गांठ ना रह जाए। इसके बाद जब दूध गाढ़ा हो जाए तो गैस बंद कर दीजिए। अब इस मिश्रण में मैदा और इलायची पाउडर डालकर अच्छे से मसलकर चिकना करके गुलाब जामुन के आकार में गोल गोल बॉल्स बना लीजिए।
अब गुलाब जामुन को एक पैन में घी गर्म करके ब्राउन होने तक अच्छे से तलकर एक अलग बर्तन में निकाल लें। इधर एक कढ़ाही में पानी और चीनी डालकर उससे चाश्नी तैयार करके इसमें गुलाब जामुन को डालकर निकाल लें। आपके टेस्टी गुलाब जामुन बनकर तैयार हैं।
ब्यूटी टिप्स / शौर्यपथ /स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए हम कितने ही प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि इन प्रॉडक्ट्स के इस्तेमाल करने तक तो स्किन पर थोड़ा निखार दिखाई देता है, लेकिन फिर इनका इस्तेमाल बंद करते ही आपकी स्किन डल दिखने लगती है। ऐसे में स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए आपको फेशियल या ब्यूटी प्रॉडक्ट्स के अलावा भी कुछ चीजों को डाइट में शामिल कर सकते हैं, जिन्हें खाने से निखार बढ़ता है।
टमाटर
टमाटर का इस्तेमाल सिर्फ सब्जी या सलाद में ही नहीं होता बल्कि इसे स्किन केयर में भी यूज किया जाता है। टमाटर से ग्लो पाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप इसे अपनी डाइट में शामिल करें। टमाटर कैल्शियम, विटामिन K और लाइकोपीन का स्रोत है। टमाटर में एंटी-ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो स्किन से फाइन लाइन हटाने का काम करते हैं। आपको रोजाना टमाटर का जूस पीना चाहिए।
संतरा
संतरे को विटामिन सी, विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेट से भरपूर माना जाता है। स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए संतरे का जूस भी बहुत फायदेमंद है। संंतरा खाने से चेहरे पर निखार आता है। स्किन की काफी प्रॉब्लम्स को ठीक करने में भी संतरा कारगर है।
अंडा
अंडे में प्रोटीन, आयरन, विटामिन ए, बी 6, बी 12, फोलेट, एमिनो एसिड, फास्फोरस और सेलेनियम एसेंशियल अनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स (लिनोलिक, ओलिक एसिड), पाए जाते हैं। स्किन को हील करने में प्रोटीन भी बेहद जरूरी है इसलिए आपको खाने में अंडे भी शामिल करना चाहिए।
चुकंदर
चुकंदर खाने से स्किन नेचुरल ग्लोइंग बनती है, इसलिए चुकंदर को खाने में शामिल करना चाहिए। इसमें विटामिन सी, बी -1, बी -2, बी-6 और बी -12 पाया जाता है। इसमें आयरन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। चुकंदर खाने से शरीर में खून की कमी नहीं होती।
/शौर्यपथ/
जन्म से ही हर इंसान के अंदर कुछ ऐसी रचनात्मक क्षमताएं होती हैं जो उसे बाकी लोगों की तुलना में अलग बनाती हैं। काबीलियत किसी भी तरह की हो सकती है।
: एक लेटेस्ट अध्ययन की मानें तो कुछ ध्यान यानी मेडीटेशन तकनीकें आपकी रचनात्मक सोच को बढ़ावा दे सकती हैं, भले ही आपने पहले कभी ध्यान (meditate) न किया हो।
जन्म से ही हर इंसान के अंदर कुछ ऐसी रचनात्मक क्षमताएं होती हैं जो उसे बाकी लोगों की तुलना में अलग बनाती हैं। काबीलियत किसी भी तरह की हो सकती है। कई बार ऐसा होता है कि हम खुद अपने अंदर छिपी अलग-अलग प्रतिभाओं को समझ नहीं पाते। क्या आप जानते हैं कि थोड़ी सी कोशिश से आप अपने अंदर छिपी इस प्रतिभा को और बढ़ा सकती हैं।
एक अध्ययन के अनुसार यह बात सामने आई है कि जो लोग रोज़ाना ध्यान करते हैं या अपने दिमाग़ को शांत करने के लिए मेडिटेशन का सहारा लेते हैं वे अन्य लोगों से ज्यादा रचनात्मक होते हैं। यानी यह कहना ग़लत नहीं है कि ध्यान कने से आपकी रचनात्मक क्षमता कई गुणा बढ़ जाती है। खासकर वे लोग जो अपने
नोबेल पुरस्कार आमतौर पर भौतिकी, रसायन विज्ञान, शरीर विज्ञान/ चिकित्सा, शांति, साहित्य और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति/ व्यक्तियों के अमूल्य योगदान के लिए दिए जाते हैं.
नोबेल पुरुस्कार2021: दुनिया-भर में सबसे सम्मानीय ये नोबेल पुरस्कार आमतौर पर भौतिकी, रसायन विज्ञान, शरीर विज्ञान/ चिकित्सा, शांति, साहित्य और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति/ व्यक्तियों के अमूल्य योगदान के लिए दिए जाते हैं. नोबेल पुरस्कार की स्थापना वर्ष, 1895 में सर अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में की गई थी. यह पुरस्कार मुख्यतः शोध क्षेत्र (रिसर्च फील्ड) के लोगों को दिया जाता है. अब यहां हम नोबेल पुरस्कार के बारे में नवीनतम नोबेल पुरस्कार विजेताओं की वर्ष, 2021 की लिस्ट प्रस्तुत कर रहे हैं जिसकी हाल ही में घोषणा की गई है.
नोबेल पुरस्कार 2021 के विजेताओं की लिस्ट
शोध क्षेत्र/ रिसर्च फील्ड |
नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम |
शरीर क्रिया विज्ञान या चिकित्सा |
डेविड जूलियस और अर्देम पटापाउटियन |
भौतिक विज्ञान |
स्यूकुरो मानेबे, क्लॉस हैसलमैन और जियोर्जियो पेरिसिक |
रसायन शास्त्र |
बेंजामिन लिस्ट और डेविड डब्ल्यू.सी. मैकमिलन |
साहित्य |
अब्दुल रज़ाक गुर्नाह – तंज़ानिया के नॉवेलिस्ट |
शांति |
मारिया रेस्सा और दमित्री मुराटॉव |
आर्थिक विज्ञान |
डेविड कार्ड, जोशुआ एन्ग्रिस्ट और गुईडो इम्बेंस |
गीता में कृष्ण कहते हैं कि, दुनिया का सबसे बुरा अपराध अनिश्चित होना है।.
जग्गी वासुदेव सदगुरु
जब दर्द, दुख या क्रोध होता है, तब आपको अपने भीतर देखने की जरुरत हैं ना की बाहर देखने की।
जग्गी वासुदेव सदगुरु
यदि आपको लगता है कि आप बड़े हैं, तो आप छोटे हो जाते हैं। यदि आप जानते हैं कि आप कुछ भी नहीं हैं, तो आप अनंत हो जाते हैं। यह एक इंसान होने की सुंदरता है।
जग्गी वासुदेव सदगुरु
दिमाग एक शक्तिशाली साधन है। आपका हर विचार, हर भावना अपने शरीर को पूर्ण रूप से प्रभावित करती हैं।
जग्गी वासुदेव सदगुरु
अविश्वसनीय चीजें तभी की जा सकती हैं जब हम उन्हें करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।.
जग्गी वासुदेव सदगुरु
कुंठा, निराशा, और अवसाद का मतलब है कि आप अपने खिलाफ काम कर रहे हैं।
जग्गी वासुदेव सदगुरु
यदि आपकी सारी ऊर्जा एक दिशा में केंद्रित हैं, तो ज्ञान बहुत दूर नहीं है। आखिरकार, जो आप खोज रहे हैं वह पहले से ही आपके भीतर है।
जग्गी वासुदेव सदगुरु
यदि आप ध्यान की स्थिति में हैं तो ऋणात्मक ऊर्जा आपको छू नहीं सकती है।
जग्गी वासुदेव सदगुरु
जीवन में कुछ भी समस्या नहीं है – सबकुछ एक संभावना है।
शौर्यपथ /राजस्थान के ख्वाजा की नगरी अजमेर में इस्लामिक कलेंडर के रवीउल अव्वल माह को ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की महाना छठी आज दरगाह परिसर में शानौ शौकत, उत्साह और अकीदत के साथ मनाई गई। कोरोना से मिली सरकारी छूट के बाद दरगाह शरीफ में अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ पड़ी। दरगाह शरीफ के आहता-ए-नूर में सुबह नौ बजे कुरान शरीफ की तिलावत के साथ छठी का कार्यक्रम शुरू हुआ। खुद्दाम-ए-ख्वाजा ने शिजराख्वानी, नात एवं मनकबत पेश किए। फातहा के बाद सलातों सलाम के साथ ही दुआ में हजारों हाथ गरीब नवाज की ओर उठ गए और सभी ने देश में अमनो अमान, भाईचारे, खुशहाली व संभावित महामारी से निजात की दुआ की। छठी के मौके पर एक घंटे के कार्यक्रम में दरगाह शरीफ खचाखच भरी नजर आई और दरगाह बाजार में भी जायरीनों की भीड़ बनी रही। 19 अक्टूबर को पैगम्बर मोहम्मद साहब का जन्मदिन जश्ने ईदमिलादुन्नबी (बारावफात) धार्मिक परंपरा के अनुसार मनाया जाएगा। इस मौके पर पूरी दरगाह को रोशनी से सजाने का फैसला लिया गया है।
ब्यूटी टिप्स / शौर्यपथ /एड़ियां जिसके सहारे हम चलते हैं, खड़ें होते हैं, घूमते हैं, या एक लाइन में कहें तो वह शरीर का अभिन्न अंग है जिसके बिना काम करना मुश्किल है। लेकिन अक्सर देखा होगा कई लोगों की एड़ियां फट जाती है, उसमें तिराट बन जाती है। जिस वजह से अन्य लोगों के सामने उसे छुपाने की कोशिश करते हैं। क्योंकि फटी एड़ियां किसी को भी अच्छी नहीं लगती है। तो आइए जानते हैं कैसे आप अपनी एड़ियों को फटने से बचा सकते हैं। लेकिन इससे पहले जानते हैं बेमौसम भी आपकी एड़ी क्यों फट जाती है?
एड़ी फटने का कारण
अक्सर गलत खानपान से भी आपकी एड़ियां फट सकती है। इसी के साथ विटामिन ई, कैल्शियम और आयरन की कमी के कारण भी आपकी एड़ी फट सकती है। इसलिए अपने आहार और दिनचर्या में कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन ई युक्त चीजों का सेवन करें।
एड़ियों को इन 10 तरीकों से बनाएं कोमल
1.बोरोप्लस - जी हां, यह एक कोस्मेटिक क्रीम है लेकिन रात को पैरों को अच्छे से धोलें और इसके बाद हल्के हाथों से एड़ी पर इसे लगाकर सो जाएं। कुछ ही दिनों में आपकी एड़ी ठीक हो जाएगी। साथ घर में भी स्लिपर का इस्तेमाल करें। जिससे आपकी एड़ी फटने से बचें।
2.जैतून तेल का इस्तेमाल - तेल से स्किन मुलायम होती है। आप हफ्ते में 3 बार रात का सोेने से पहले जैतून के तेल से हल्के हाथों से मालिश करें और लगाकर सो जाएं। इससे आपकी एड़ी की स्किन एकदम मुलायम हो जाएगी।
3.नमक के पानी से साफ करें - जी हां, एड़ी पर हम बहुत सारी क्रीम जरूर लगा लेते हैं लेकिन उसकी सफाई करना भूल जाते हैं। हफ्ते में कम से कम 2 बार अपनी एड़ी को अच्छे से रगड़कर साफ करें। गुनगुने पानी में नमक डालकर पैरों को कुछ देर के डूबों दें। इसके बाद कुछ ब्रश या पत्थर से हल्के हाथों से रगड़ें। आप देखेंगे की किस तरह से एड़ियों पर जमा मेल निकल रहा है। अच्छे से मेल निकालकर उसे साफ कर लें। इसके बाद नारियल तेल लगा लें। आपकी एड़ियां एकदम साफ और मुलायम हो जाएगी।
4.नींबू मलाई - डस्ट से अक्सर एड़िया बहुत जल्दी फट जाती है। ऐसे में आप रात को सोने से पहले पैरों को अच्छे से धो लें। इसके बाद नींबू मलाई लगाकर सो जाएं। ऐसा रोज करें। कुछ ही दिनों में आराम मिल जाएगा।
5.चावल का आटा - चावल का आटा स्क्रब का काम करता है। एक कटोरी में 3 चम्मच चावल का आटा, 1 चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस अच्छे से मिक्स कर के लगा लें। अगर आपकी एड़ियां बहुत अधिक फट रही है तो आप 15 मिनट पहले गर्म पानी में अपने पैरों को रखें। इसके बाद स्क्रब लगाएं।
6.जौ का अटा और जोजोबा तेल - इन दोनों को अपने अनुसार मिक्स करें और गाढ़ा पैक बनाकर लगा लें।लगाकर आधा घंटे के लिए छोड़ दें। फिर ठंडे पानी से धो लें। कुछ ही दिन में आराम मिल जाएगा।
7.ग्लिसरिन और गुलाबजल - इन दोनों को उपयोग करनेे से आपको बहुत जल्दी एड़ियों में राहत मिलेगी। जी हां, आप इसे एक शीशी में भी बनाकर रख सकते हैं। एक शीशी में आधा गुलाबजल और आधा ग्लिसरिन मिक्स करें, उसमें थोड़ा सा नींबू डाल लें। रात को पैर धोकर इसे लगा लें।
खाना खजाना / शौर्यपथ/क्या आपको भी लगता है कि खिचड़ी सिर्फ रोगियों का खाना है, तो यह आपकी बहुत बड़ी गलतफहमी है...। अलग-अलग सामग्री के साथ बनने वाली स्वादिष्ट खिचड़ी आपको सेहत के बेहतरीन फायदे भी देती है। जानिए इस पौष्टिक आहार खिचड़ी के 5 फायदे और 3 व्यंजन विधियां...
नमकीन खिचड़ी
सामग्री :
एक कटोरी सादे चावल, पाव कटोरी मूंग मोगर, 1 बड़ा चम्मच घी, थोड़ी सी हल्दी, 2-3 हरी मिर्च बारीक कटी, मीठा नीम पत्ती 4-5, नमक स्वादानुसार।
विधि :
सर्व प्रथम चावल व मूंग मोगर को साफ करके 3-4 पानी से अच्छी तरह धोकर बनाने के आधे घंटे पूर्व तैयार कर लें। अब प्रेशर कुकर में दाल-चावल और आवश्यकतानुसार पानी डालें तथा नमक डालकर कुकर को बंद करके दो सिटी ले लें।
कुकर ठंडा होने के पश्चात एक कटोरी में घी गरम करके जीरे का बघार लगाकर ऊपर से कटी हरी मिर्च और मीठा नीम डालकर तैयार खिचड़ी में बघार डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें। अब इस तैयार खिचड़ी को खुद भी खाएं और घर आए मेहमानों को भी खिलाएं।
दही खिचड़ी
सामग्री :
1 कप पके हुए चावल, 2 कप दही, 2 चम्मच तेल, एक चौथाई कप दूध, कटा हुआ हरा धनिया, 1 से 2 हरी मिर्च, 1 चम्मच चने की दाल, 1 चम्मच उड़द की दाल, 1 चम्मच राई, डेढ़ चम्मच किसा हुआ अदरक, 2 चम्मच सूखा नारियल, आधा चम्मच नमक।
विधि :
तेल गरम करें और उसमें राई डालें। जब राई तड़कने लगे तो उसमें चने और उड़द की दाल डाल दें। एक मिनट बाद उसमें अदरक, धनिया और हरी मिर्च डालें और एक मिनट तक हिलाते रहें। अब इसे गैस से उतार लें और इसमें चावल, नमक और नारियल मिलाएं। इस मिश्रण को दही और दूध में मिलाकर परोसें।
वेजिटेबल खिचड़ी
सामग्री :
एक कटोरी चावल, आधा कटोरी मूंग की छिलके वाली दाल, एक आलू, 2 हरी मिर्च, एक शिमला मिर्च (बारीक कटी), पाव कटोरी मटर, हींग-जीरा-राई व हल्दी छौंक के लिए, 1 अदरक का टुकड़ा, आधा चम्मच, काली मिर्च व लौंग पावडर, घी, नमक व मिर्च स्वादानुसार।
विधि :
सर्वप्रथम दाल व चावल को अलग-अलग कुछ देर पानी में भिगो दें। अदरक को पीस लें। अब कुकर में घी गरम करके राई-जीरा, हींग, हल्दी व किसा अदरक डालकर भूनें। फिर सारी कटी सब्जी डाल कर मिलाएं। अब दाल-चावल डालकर कुछ देर भूनें। अब 3 कटोरी पानी व नमक-मिर्च डालकर कुकर बंद कर दें। एक सीटी लेने के पश्चात गैस बंद कर दें। परोसते समय काली मिर्च पावडर बुरकें। हरा धनिया डालें और गरगा-गरम स्वादिष्ट वेजिटेबल खिचड़ी नींबू के साथ परोसें।
कई सामग्रियों को मिलाकर बनने वाली स्वादिष्ट खिचड़ी आपकरे सेहत के बेहतरीन फायदे भी देती है। पढ़ें इसके 5 फायदे-
1. दाल, चावल, सब्जियों और मसालों से तैयार की गई खिचड़ी काफी स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर होती है, जो शरीर को ऊर्जा और पोषण देती है। इसके माध्यम से एक साथ सभी पोषक तत्व प्राप्त किए जा सकते हैं।
2. पाचन क्षमता कमजोर होने पर भी यह आहार आसानी से पच जाता है और पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है, इसलिए बीमारी में मरीजों को इसे खिलाया जाता है, क्यों उस वक्त पाचन शक्ति कमजोर होती है।
3. महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान अक्सर कब्ज या अपच की स्थिति बनती है, ऐसे में खिचड़ी खाना फायदेमंद होता है और आरामदायक भी। इसे खाने के बाद पेट में अतिरिक्त भारीपन नहीं लगता और जल्दी पाचन भी हो जाता है।
4. जब खाना बनाने का समय और मूड न हो, ऐसे में खिचड़ी एक आसान तरीका है, जो जल्दी बन जाती है और स्वादिष्ट भी होती है। इसमें आप विभिन्न दाल, मूंगफली और अन्य सामग्री के साथ बनाकर नयापन भी ला सकते हैं।
5. घी, दही, नींबू या अचार के साथ अलग-अलग फायदे भी देती है, जैसे घी डालकर खाने से शक्ति भी मिलती है और प्राकृतिक चिकनाई भी, दही के साथ यह कई गुना फायदेमंद होती है और नींबू से विटामिन सी के साथ अन्य फायदे देती है।
सेहत / शौर्यपथ / आज की दिनचर्या को देखते हुए पेट की समस्या आम हो गई है। कभी बदहजमी तो कभी पेट फूलने जैसी समस्या लोगों को परेशान करते रहती है। और वैसे भी कहा जाता है कि अगर आपका पेट स्वस्थ है तो आप हमेशा सेहतमंद रहेंगे। चूंकि अधिकतर परेशानी आपके पेट के खराब होने पर ही होती है और जब भी हमारा पेट खराब हो तो हल्का-फुल्का खाने की सलाह दी जाती है।
अब जब लाइट खाने की बात निकली है तो क्या आपने कभी दही-चावल के बारे में सुना है? क्या आप जानते हैं कि इन्हें साथ खाने पर आपको कई सेहत लाभ हो सकते हैं? अगर आप इसके फायदे से अनजान हैं तो इस लेख को जरूर पढ़ लीजिए, क्योंकि दही और चावल आपकी सेहत लाभ के साथ-साथ आपकी स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद है। तो आइए जानते हैं इसके बेहतर लाभ।
जानिए दही-चावल खाने के सेहत पर और क्या-क्या लाभ होते हैं?
* आप चाहते हैं कि वजन न बढ़े तो चावल जब पक जाए तो उसका मांड जरूर निकाल दें। अब इस चावल में दही मिलाकर खाएं। इसमें आप थोड़ा-सा नमक और मिर्च पाउडर भी मिला सकते हैं। इस तरह से आप लगातार दही और चावल खाएंगे तो 1 से 2 महीने में वजन कम होने लगेगा।
* चावल मैग्नीशियम और पोटैशियम का एक अच्छा स्रोत है, जो पेटदर्द को कम करने में मदद करता है।
* दही और चावल पेट में ठंडक बनाए रखने में मदद करता है। इसका सेवन गर्मियों में जरूर करना चाहिए।
* दही-चावल खाने से पाचन मजबूत होता है।
* दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स प्रतिरक्षा या इम्युनिटी में सुधार करने में मदद करता है और शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है। इसलिए आप जितना अपने खाने में चावल और दही को शामिल करेंगे, आपको कई शारीरिक लाभ होंगे।
* दही-चावल खाने से पेट साफ रहता है और कब्ज की समस्या से भी राहत मिलती है।
आस्था / शौर्यपथ /वैसे तीर्थराज तो प्रयाग है लेकिन संपूर्ण भारत में महाकाल की नगरी उज्जैन को सब तीर्थों में श्रेष्ठ माना जाता है जिसके कई कारण है। पहला यह कि यहां जितने प्रमुख और महत्वपूर्ण स्थान है उतने किसी तीर्थ क्षेत्र में नहीं। आओ जानते हैं उन्हीं में से 10 प्रमुख कारणों को।
श्मशान, ऊषर, क्षेत्र, पीठं तु वनमेव च,
पंचैकत्र न लभ्यते महाकाल पुरदृते। (अवन्तिका क्षेत्र माहात्म्य 1-42)
यहां पर श्मशान, ऊषर, क्षेत्र, पीठ एवं वन- ये 5 विशेष संयोग एक ही स्थल पर उपलब्ध हैं। यह संयोग उज्जैन की महिमा को और भी अधिक गरिमामय बनाता है।
1. ज्योतिर्लिंग : उज्जैन स्थित महाकाल बाबा का ज्योतिर्लिंग सभी ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख है क्यों पुराणों में लिखा है कि आकाशे तारकं लिंगं, पाताले हाटकेश्वरम्। मृत्युलोके च महाकालौ: लिंगत्रय नमोस्तुते।।
अर्थात:- आकाश में तारकलिंग है पाताल में हाटकेश्वरलिंग है तथा मृत्युलोक में महाकाल ज्योतिर्लिंग स्थित है। सभी 12 ज्योतिर्लिंगों को नस्कार। मतलब यह कि इस धरती पर एकमात्र महाकाल ज्योतिर्लिंग ही है जिन्हें कालों के काल महाकाल कहा जाता है। महाकाल मंदिर के सबसे उपरी तल पर नागचंद्रेश्वर का मंदिर है। भगवान नागचन्द्रेश्वर के दर्शन वर्ष में केवल 1 ही बार, अर्थात नागपंचमी पर होते हैं। पूरे भारतवर्ष में यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जहां ताजी चिताभस्म से प्रात: 4 बजे भस्म आरती होती है। इस मंदिर से ही प्राचीनकाल में संपूर्ण विश्व के मानक समय का निर्धारण होता था। इसलिए भी इन्हें कालों के काल महाकाल कहा जाता है। उज्जैन के आकाश से ही काल्पनिक कर्क रेखा गुजरती है।
2. शक्तिपीठ : उज्जैन में दो शक्तिपीठ माने गए हैं पहला हरसिद्धि माता और दूसरा गढ़कालिका माता का शक्तिपीठ। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि उज्जैन में शिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर मां भगवती सती के ओष्ठ गिरे थे। कहते हैं कि हरसिद्धि का मंदिर वहां स्थित है जहां सती के शरीर का अंश अर्थात हाथ की कोहनी आकर गिर गई थी। अत: इस स्थल को भी शक्तिपीठ के अंतर्गत माना जाता है। इस देवी मंदिर का पुराणों में भी वर्णन मिलता है।
3. काल भैरव : उज्जैन में भैरवगढ़ में साक्षात भैवरनाथ विराजमान है। यहां भैरवनाथ की मूर्ति मदिरापान करती है। ऐसा मंदिर विश्व में कोई दूसरा नहीं। कालभैरव का यह मंदिर लगभग छह हजार साल पुराना माना जाता है।
4. सिद्धों की तपोभूमि : उज्जैन कई सिद्धों और भगवानों की तपोभूमि रहा है। यहां पर गढ़कालिका क्षेत्र में गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ (मछंदरनाथ) का सिद्ध समाधि स्थल है तो दूसरी ओर जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी ने भी उज्जैन में विहार किया था। भरथरी गुफा में विक्रमादित्य के भाई राजा भर्तृहरि ने तपस्या की थी। गुफा राजा भर्तृहरि के भतीजे गोपीचन्द की है। इस तरह उज्जैन में ऐसे कई स्थल है जहां पर ऋषियों ने तप किया था। एक श्रुतिकथा के अनुसार उज्जयिनी में अत्रि ऋषि ने तीन हज़ार साल तक घोर तपस्या की थी। अत: यह संपूर्ण नगरी ही तपोभूमि है।
5. मोक्षदायिनी क्षिपा नदी तट पर कुंभ का आयोजन : मोक्षदायिनी शिप्रा के तट पर स्थित पौराणिक काल के कई सिद्ध क्षेत्र हैं। कुंभ के चार स्थानों में से एक क्षिप्रा नदी ही वह स्थान है जहां अमृत कलश से एक बूंद अमृत छलक कर हां गिरा था। यही कारण है कि यहां कुंभ का आयोजन होता है। यहां के कुंभ मेरे को सिंहस्थ कहा जाता है।
इस नदी की महिमा का वर्णन वेद, पुराण और साहित्य में विस्तार से मिलता है।
6. पांच पवित्र बरगदों में से एक : उज्जैन में सिद्धवट को चार प्रमुख प्राचीन और पवित्र वटों में से एक माना जाता है। अक्षयवट, वंशीवट, गयावट और सिद्धवट का प्रमुखता से वर्णन मिलता है। प्रयाग (इलाहाबाद) में अक्षयवट, मथुरा-वृंदावन में वंशीवट, गया में गयावट जिसे बौधवट भी कहा जाता है और यहां उज्जैन में पवित्र सिद्धवट हैं। नासिक के पंचववटी क्षेत्र में सीता माता की गुफा के पास पांच प्राचीन वृक्ष है जिन्हें पंचवट के नाम से जाना जाता है। सिद्धवट को शक्तिभेद तीर्थ के नाम से जाना जाता है। तीर्थदीपिका में पांच वटवृक्षों का वर्णिन मिलता है। स्कंद पुराण अनुसार पार्वती माता द्वारा लगाए गए इस वट की शिव के रूप में पूजा होती है। इसी जगह पर पिंडदान तर्पण आदि किया जाता हैं। गया के बाद यह पिंडदान का प्रमुख क्षेत्र भी है।
7. श्रीराम, हनुमान और कृष्ण से जुड़े स्थल : पुराणों के अनुसार महाकाल मंदिर और गढ़कालिका की गाथा हनुमानजी से जुड़ी है। श्रुतिकथा के अनुसार रुद्रसागर नामक स्थान पर प्रभु श्रीराम के चरण पड़े थे। रामघाट की कथा भी इसी से जुड़ी है। तीसरा यह कि यहां अंकपात क्षेत्र में स्थित इस आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा और बलरामजी ने अपने गुरु श्री सांदीपनि ऋषि के सान्निध्य में रहकर गुरुकुल परंपरानुसार विद्याध्ययन कर 14 विद्याएं तथा 64 कलाएं सीखी थीं। यहां श्रीकृष्ण 64 दिन रहे थे और यहां के वन क्षेत्रों से लकड़ियां एकत्रित करने जाते थे। शिक्षा पूर्ण करने के बाद वे अपने गुरु के पुत्र की खोज में चले गए थे और बाद में पुन: गुरु के पुत्र को लेकर उज्जैन पधारे थे।
8. श्री मंगलनाथ मंदिर : मत्स्य पुराण में मंगल ग्रह को भूमि-पुत्र कहा गया है। पौराणिक मान्यता भी यही है कि मंगल ग्रह की जन्मभूमि भी यहीं है। मंगल ग्रह की शांति, शिव कृपा, ऋणमुक्ति तथा धन प्राप्ति हेतु श्री मंगलनाथजी की प्राय: उपासना की जाती है। यहां पर भात-पूजा तथा रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व है। ज्योतिष एवं खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से यह स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है।
9. नगरकोट की रानी : नगरकोट की रानी प्राचीन उज्जयिनी के दक्षिण-पश्चिम कोने की सुरक्षा देवी है। राजा विक्रमादित्य और राजा भर्तृहरि की अनेक कथाएं इस स्थान से जुड़ी हुई हैं। यह स्थान नाथ संप्रदाय की परंपरा से जुड़ा है। यह स्थान नगर के प्राचीन कच्चे परकोटे पर स्थित है इसलिए इसे नगरकोट की रानी कहा कहा जाता है।
10. चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य की नगरी : भारत में चक्रवर्ती सम्राट उसे कहा जाता है जिसका की संपूर्ण भारत ही नहीं विश्व के अन्य कई क्षेत्रों में राज रहा हो। विक्रम वेताल और सिंहासन बत्तीसी की कहानियां महान सम्राट विक्रमादित्य से ही जुड़ी हुई है। विक्रम संवत अनुसार विक्रमादित्य आज (2020) से 2291 वर्ष पूर्व हुए थे। कलि काल के 3000 वर्ष बीत जाने पर 101 ईसा पूर्व सम्राट विक्रमादित्य का जन्म हुआ। उन्होंने 100 वर्ष तक राज किया। -(गीता प्रेस, गोरखपुर भविष्यपुराण, पृष्ठ 245)।
यहां पर विक्रमादित्य के बाद किसी भी राजा को राज करने के अधिकार तभी प्राप्त होता है जबकि वह राजा विक्रमादित्य की तरह पराक्रमी और न्यायप्रिय हो। कुछ लोग मानते हैं कि यही कारण था कि राजा भोज को अपनी राजधानी धार और भोपाल में बनाना पड़ी थी। कहते हैं कि अवंतिका अर्थात उज्जैन के एक ही राजा है और वह है महाकाल बाबा। कोई भी राजा यहां रात नहीं रुक सकता। उनके रुकने के लिए उज्जैन से बाहर एक अलग स्थान नियुक्त है। किवदंति है कि जो भी राजा यहां रात रुकता है और यदि वह सत्यवादी नहीं है तो उसके जीवन में संकट प्रारंभ हो जाते हैं।
आस्था / शौर्यपथ /उज्जैन को सभी तीर्थों में प्रमुख और स्वर्ग से भी बढ़कर माना जाता है, क्योंकि यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल ज्योतिर्लिंग, 108 शक्तिपीठों में से दो गढ़ कालिका और माता हरसिद्धि का मंदिर हैं। यहां पर श्मशान, ऊषर, क्षेत्र, पीठ एवं वन- ये 5 विशेष संयोग एक ही स्थल पर उपलब्ध हैं। यह संयोग उज्जैन की महिमा को और भी अधिक गरिमामय बनाता है। इस नगर की रक्षा करने वाली माता को नगरकोट की रानी कहते हैं।
1. नगर का अर्थ शहर और कोट का अर्थ होता है नगर की परिधि में बनी दीवार। इसीलिए यहां की माता को नगरकोट की रक्षक रानी माता कहा जाता है।
2. नगरकोट की रानी प्राचीन उज्जयिनी के दक्षिण-पश्चिम कोने की सुरक्षा देवी है। राजा विक्रमादित्य और राजा भर्तृहरि की अनेक कथाएं इस स्थान से जुड़ी हुई हैं। यह स्थान नाथ संप्रदाय की परंपरा से जुड़ा है। यह स्थान नगर के प्राचीन कच्चे परकोटे पर स्थित है इसलिए इसे नगरकोट की रानी कहा कहा जाता है।
3. हालांकि यह यह मंदिर उज्जैन शहर की उत्तर पूर्व दिशा में स्थित है। इस मंदिर में एक जलकुंड है जो कि परमारकालीन माना जाता है। मंदिर में एक अन्य गुप्त कालीन मंदिर भी है जो कि शिवपुत्र कार्तिकेय का है।
4. ऐसी मान्यता है कि उज्जैन में नवरात्रि में अन्य माता मंदिर के दर्शन नगरकोट की रानी माता के बगैर अधूरे माने जाते हैं। वैसे तो इस मंदिर में हर दिन या विशेष अवसरों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्रि में यहां सुबह से लेकर रात तक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। सुबह और शाम के समय भव्य आरती होती है तो नगाड़ों, घंटियों की गूंज से वातावरण आच्छादित हो उठता है।
5. उज्जैन अवंतिखंड की नवमातृकाओं में सातवीं कोटरी देवी के नाम से प्रसिद्ध है नगरकोट की रानी माता। स्कंद पुराण के अवंतिका क्षेत्र महात्म्य में वर्णित चैबीस देवियों में से नगरकोट माता मंदिर भी है। गोरधन सागर के पास स्थित मंदिर में माता की मूर्ति भव्य और मनोहारी है।
6. उज्जैन नगर का अति प्राचीन मंदिर है चौबीस खंबा माता का मंदिर। यहां पर महालय और महामाया दोनों माता की दो देवियों की प्रतिमा द्वारा पर विराजमान हैं। सम्राट विक्रमादित्य नगरकोट की रानी के साथ ही इन देवियों की आराधना किया करते थे। यहां नगर रक्षा के लिए चौबीस खबे लगे हुए हैं इसीलिए इसे चौबीस खंबा कहते हैं। यह महाकाल के पास स्थित है। शहर में लगभग 40 देवियों और भौरवों को भोग लगाया जाता है। यहां के कलेक्टर अष्टमी पर सभी को शराब चढ़ाते हैं।
सहस्र पद विस्तीर्ण महाकाल वनं शुभम।
द्वार माहघर्रत्नार्द्य खचितं सौभ्यदिग्भवम्।।
इस श्लोक से विदित होता है कि एक हजार पैर विस्तार वाला महाकाल-वन है जिसका द्वार बेशकीमती रत्नों से जड़ित रत्नों से जड़ित उत्तर दिशा को है। इसके अनुसार उत्तर दिशा की ओर यही प्रवेश-द्वार है।
सेहत / शौर्यपथ /मधुमेह, मोटापा और बढ़ती उम्र संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मौजूदा दवाओं का उपयोग संभावित रूप से कोरोना के इलाज के लिए किया जा सकता है। यह दावा भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) भोपाल ने अपने एक अध्ययन में किया है।
टीम ने हाल ही में कोविड-19, उम्र बढ़ने और मधुमेह के बीच जैव-आणविक संबंधों की समीक्षा प्रकाशित की है। समीक्षा को 'मॉलिक्यूलर एंड सेल्युलर बायोकेमिस्ट्री' पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
आईआईएसईआर भोपाल के इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर फॉर एंटरप्रेन्योरशिप (आईआईसीई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमजद हुसैन ने कहा कि जब लगभग दो साल से कोरोना महामारी दुनिया को प्रभावित किए हुए है, हम धीरे-धीरे वायरस और उसके काम करने के तरीके को समझने लगे हैं।
कोरोना संक्रमण के अल्पकालिक और दीर्घकालिक परिणामों पर बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियों और मधुमेह के प्रभावों पर दुनिया भर में अध्ययन किए जा रहे हैं। समीक्षा से पता चलता है कि मधुमेह, बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियां और कोरोना की स्थितियां ऑक्सीडेटिव तनाव से जुड़ी हैं।
साथ ही प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में कमी और उनसे उत्पन्न होने वाली जटिलताओं से हृदय संबंधी विकार, नेत्र रोग, तंत्रिका रोग और गुर्दे की समस्याओं जैसी कई अन्य बीमारियों की शुरुआत होती है। हुसैन ने कहा कि हमारे पास रैपामाइसिन जैसी कुछ मौजूदा संभावित दवाओं के भी सबूत हैं, जिन्हें इन बीमारियों से जुड़े सामान्य जैव रासायनिक मार्गों के कारण कोरोना उपचार के लिए इनके इस्तेमाल की संभावना खोजी जा सकती है।
ऐसा ही एक और उदाहरण एक दवा मेटफॉर्मिन है जिसे आमतौर पर रक्त शर्करा नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है। वैज्ञानिकों ने यह दिखाने के लिए कम्प्यूटेशनल अध्ययन भी किया है कि कोशिका झिल्ली में मौजूद लिपिड कोरोना वायरस संक्रामकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रमुख शोधकर्ता ने कहा कि संभावित यौगिकों के मौजूदा पूल से प्रभावी चिकित्सा विज्ञान का चयन करने की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि एक नई दवा की खोज और इसकी मंजूरी में अधिक समय लगता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि करक्यूमिन और रेस्वेराट्रोल जैसे प्राकृतिक यौगिकों और मौजूदा दवाओं जैसे मेटफॉर्मिन और रैपामाइसी में कोरोना और पोस्ट-कोरोना वायरस सिंड्रोम के उपचार के लिए बड़े पैमाने पर परीक्षण किए जाने की क्षमता है।
शौर्यपथ /मध्य प्रदेश में घूमने के लिए बहुत सारी जगहे हैं। ऐसे में यहां के एक शहर जबलपुर से आपको जरूर प्यार हो जाएगा क्योंकि यहां घूमने के लिए बेहद खूबसूरत, इतिहास और आश्चर्जनक नजारे हैं। आप यहां अपनी फैमिली, दोस्तों और पार्टनर के साथ घूमने जा सकते हैं। आइए, जानते हैं यहां घूमने की कुछ बेहतरीन जगहों के बारे में-
1) भेड़ाघाट की संगमरमरी चट्टान
सबसे ज्यादा घूमी जाने वाली जगहों में से एक है ये प्लेस। जब सूरज की रोशनी सफेद और मटमैल संगमरमर की चट्टानों पर पड़ती है, तो नदी में बनने वाला इसका प्रतिबिंब बेहद खूबसूरत लगता है।
2) हनुमान ताल
जबलपुर में छोटे बड़े झील मिलाकर कुल 50 से ज्यादा झील हैं। इन्ही झीलों में से एक है हनुमान झील। प्राकृतिक खूबसूरती और आकर्षक नजारे देखने के लिए आप इस झील पर जा सकते हैं। ये ताल धार्मिक स्थल के लिए भी जाना जाता है।
3) धुआंधार वॉटरफॉल
15 मीटर की हाइट से गिरने वाले इस खूबसूरत वॉटरफॉल ट्यूरिस्टों के लिए बेहद आकर्षक जगह है। ऊंचाई से गिरने वाला ये पानी जब नीचे गिरता है तो चारों तरफ कुहासा और धुआं सा बन जाता है। यही वजह है कि धुआंधार वॉटरफॉल के नाम से जाना जाता है।
4) बैलेंसिंग रॉक्स
यह जगह अक्सप पर्यटकों को हैरान कर देती है। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि हजारों साल पहले यहां ज्वालामुखी फटते थे, इसी ज्वालामुखी के फटने से इस बैलेंसिंग रॉक्स का निर्माण हुआ है।
5) मदन महन किला
प्राकृतिक नजारों के लिए ये जगह बेहद खूबसूरत है। शहर से दूर पहाड़ी की चोटी पर बना यह किला संस्कृति के लिए जाना जाता है।