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खाना खजाना / शौर्यपथ / हम जब भी किसी रेस्तरां में जाते हैं तो अक्सर चिली पनीर या फिर मंचूरियन को स्टार्टर में ऑर्डर करते हैं। ठीक वैसे ही जब भी हम घर पर कुछ अलग बनाने की कोशिश करते हैं तो उसमें भी पनीर से जुड़े आइटम के बारे में सोचते हैं। हालांकि पनीर के अलावा भी बहुत कुछ है जिस आप घर में स्टार्टर के तौर पर सर्व कर सकती हैं। ऐसे में आप इस बार मशरूम ट्राई करें। सेहत के लिए मशरूम के कई फायदे हैं। ऐसे में आज संडे की शाम परिवार वालों के लिए कुछ स्पेशल और चटपटा सर्व करें। तो चलिए जानते हैं क्रिस्पी चिली मशरूम की रेसिपी।
क्रिस्पी चिली मशरूम बनाने की सामग्री
200 ग्राम मशरूम
2 प्याज
1 शिमला मिर्च
2 कली लहसुन
1 टमाटर
1 चम्मच अदरक
1 चम्मच लाल मिर्च पाउडर
3 चम्मच मैदा
2 चम्मच कॉर्न फ्लोर
आधा चम्मच सोया सॉस
आधा चम्मच सिरका
2 चम्मच रेड चिली सॉस
तेल जरूरत अनुसार
नमक स्वाद अनुसार
कैसे बनाएं क्रिस्पी चिली मशरूम
सबसे पहले मशरूम समेत सब्जियों को काट लें। फिर मीडियम आंच पर एक बर्तन में पानी को गुनागुना गर्म करें। अब इस गुनगुने पानी में मशरूम को कुछ देर भिगो दें। अब मशरूम का पानी अलग कर इसमें कॉर्न फ्लोर, मैदा, नमक मिलाएं। अब एक पैन में तेल गर्म करें और मशरूम डालकर भूनें। अब मशरूम को अलग निकाल कर रख दें और इसी पैन में थोड़ा तेल गर्म करें और अदरक, लहसुन, प्याज, शिमला मिर्च डालकर भूनें। इसमे बताई गई मात्रा में सभी सॉस मिक्स करें। इस ग्रेवी को पकाएं और जब गाढ़ी हो जाए तो इसमें मशरूम एड करें। मिक्स करें और गर्मा-गर्म सर्व करें।
सेहत / शौर्यपथ / 7 अक्टूबर 2021 गुरुवार को अश्विन माह की शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि का पर्व प्रारंभ होने वाला है। इन नौ दिनों में व्रत या उपवास करने का महत्व है। उपवास में कई लोग खिचड़ी, फलाहार आदि उपवास की चीजें खाते हैं। आओ जानते हैं कि 9 दिनों में किस तरह करें उपवास।
1. दिन की शुरुआत गुनगुने पानी, नारियल पानी, नींबू पानी, मिल्क शेक या ग्रीन टी से करें। चाय या दूध कतई नहीं पिएं, तभी आपको व्रत का फायदा होगा।
2. इसके बाद ब्रेकफास्ट में आप फल, ड्राई फ्रूट और किशमिश या मुनक्का का सेवन कर सकते हैं। लेकिन हमारी सलाह है कि हो सके तो आप ब्रेकफास्ट ना लें।
3. लंच के समय साबूदाने या मोरधन की खिचड़ी का सेवन करें जिसमें आलू मिले हों। पेटभर का खिचड़ी ना खाएं। हो सके तो खिचड़ी दही मिलाकर खाएं।
4. लंच के दौरान कुछ लोग राजगिरे, कद्दू या सिंघाड़े का आटे की रोटी बनाकर आलू या भींडी की सब्जी से खाते हैं। पेटभर ना खाएं।
5. लंच के बाद एक गिलास छाछ ले सकते हैं। अगर आपको लो बीपी की समस्या है तो उसमें सेंधा नमक का उपयोग कर सकते हैं।
6. लंच के बाद यदि आपको 4 या 5 बजे के आसपास भूख लगे तो आप दही खा सकते हैं। आप मिल्क शेक या ग्रीन टी भी ले सकते हैं।
7. शाम को स्नैक्स के रूप में आलू की चिप्स का उपयोग कर सकते हैं।
8. यदि आप डिनर में फिर से खिचड़ी खाना पसंद नहीं करते हैं तो डिनर के समय चकूंदर या अनार के रस का सेवन करें यह बहुत ही फायदेमंद रहेगा।
9. सोने से पहले एक गिलास हल्का गुनगुना दूध पीना अच्छा रहेगा। हालांकि यदि आप कुछ नहीं पिएंगे तो बेहतर रहेगा।
नोट : आपको यदि किसी भी प्रकार की शारीरिक समस्या है जैसे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर आदि तो आपको डॉक्टर की सलाह अनुसार ही उपवास करना चाहिए।
आस्था / शौर्यपथ /महालक्ष्मी व्रत पूजा के समय पढ़ें धन की देवी महालक्ष्मी जी की आरती और उनके पौराणिक मंत्र-
महालक्ष्मी व्रत की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निस दिन सेवत हर-विष्णु-धाता ॥ॐ जय...
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ॐ जय...
तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ॐ जय...
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ॐ जय...
जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ॐ जय...
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता ।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ॐ जय...
शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ॐ जय...
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता ॥ॐ जय...
लक्ष्मी मंत्र-
* ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नम:।
* ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अर्ह नम: महालक्ष्म्यै धरणेंद्र पद्मावती सहिते हूं श्री नम:।
* ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।
* ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।
आस्था / शौर्यपथ/ पारिजात के पेड़ को हरसिंगार का पेड़ भी कहा जाता है। इसमें बहुत ही सुंदर और सुगंधित फूल उगते हैं। यह सारे भारत में पैदा होता है। इसे संस्कृत में पारिजात, शेफालिका। हिन्दी में हरसिंगार, परजा, पारिजात। मराठी में पारिजातक। गुजराती में हरशणगार। बंगाली में शेफालिका, शिउली। तेलुगू में पारिजातमु, पगडमल्लै। तमिल में पवलमल्लिकै, मज्जपु। मलयालम में पारिजातकोय, पविझमल्लि। कन्नड़ में पारिजात। उर्दू में गुलजाफरी। इंग्लिश में नाइट जेस्मिन। लैटिन में निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस कहते हैं।
1. पारिजात
का वृक्ष जिसके भी घर के आसपास होता है उसके घर के सभी तरह के वास्तुदोष दूर हो जाते हैं।
2. पारिजात के फूलों को खासतौर पर लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन केवल उन्हीं फूलों को इस्तेमाल किया जाता है, जो अपने आप पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं। जहां यह वृक्ष होता है वहां पर साक्षात लक्ष्मी का वास होता है।
3. पारिजात के फूलों की सुगंध आपके जीवन से तनाव हटाकर खुशियां ही खुशियां भर सकने की ताकत रखते हैं। इसकी सुगंध आपके मस्तिष्क को शांत कर देती है। घर परिवार में खुशी का माहौल बना रहता है और व्यक्ति लंबी आयु प्राप्त करता है।
4. पारिजात के ये अद्भुत फूल सिर्फ रात में ही खिलते हैं और सुबह होते-होते वे सब मुरझा जाते हैं। यह फूल जिसके भी घर-आंगन में खिलते हैं, वहां हमेशा शांति और समृद्धि का निवास होता है।
5. हृदय रोगों के लिए हरसिंगार का प्रयोग बेहद लाभकारी है। इस के 15 से 20 फूलों या इसके रस का सेवन करना हृदय रोग से बचाने का असरकारक उपाय है, लेकिन यह उपाय किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर ही किया जा सकता है। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
पौराणिक महत्व : उत्तर प्रदेश में दुर्लभ प्रजाति के पारिजात के चार वृक्षों में से हजारों साल पुराने वृक्ष दो वन विभाग इटावा के परिसर में हैं जो पर्यटकों को 'देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन' के बारे में बताते हैं। कहते हैं कि पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी जिसे इंद्र ने अपनी वाटिका में रोप दिया था। हरिवंशपुराण में इस वृक्ष और फूलों का विस्तार से वर्णन मिलता है।
पौराणिक मान्यता अनुसार पारिजात के वृक्ष को स्वर्ग से लाकर धरती पर लगाया गया था। नरकासुर के वध के पश्चात एक बार श्रीकृष्ण स्वर्ग गए और वहां इन्द्र ने उन्हें पारिजात का पुष्प भेंट किया। वह पुष्प श्रीकृष्ण ने देवी रुक्मिणी को दे दिया। देवी सत्यभामा को देवलोक से देवमाता अदिति ने चिरयौवन का आशीर्वाद दिया था। तभी नारदजी आए और सत्यभामा को पारिजात पुष्प के बारे में बताया कि उस पुष्प के प्रभाव से देवी रुक्मिणी भी चिरयौवन हो गई हैं। यह जान सत्यभामा क्रोधित हो गईं और श्रीकृष्ण से पारिजात वृक्ष लेने की जिद्द करने लगी।
टिप्स ट्रिक्स / शौर्यपथ /आजकल पहले की तरह लोग मिट्टी के घड़े रखने की बजाय पीने के पानी के लिए अपने घर में आधुनिक फिल्टर, फ्रिज व बोतलों में पानी रखते हैं। वास्तु की बात मानें तो आपको घर में एक मिट्टी का घड़ा या सुराही जरूर रखनी चाहिए जिससे कि आपके घर में खुशहाली आए और आपके सारे संकट दूर हो जाए। यह भी माना जाता है कि मिट्टी का घड़ा अगर घर में हो तो घर से बहुत सारी मुश्किलें अपने आप ही खत्म हो जाती है।
वैसे आपने देखा होगा कि गांव के लोग आज भी पानी भरने के लिए सुराही या फिर मिट्टी के घड़े का ही प्रयोग करते हैं। कहते हैं कि पानी से भरी एक सुराही घर में जरूर रखनी चाहिए और वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पानी से भरी सुराही रखने से धन की कभी कमी नहीं होती।
तो आइए आपको बताते हैं इससे जुड़ी खास बातें ...
- कहते हैं कि अगर आपको किसी वजह से सुराही न मिले तो मिट्टी का छोटा घड़ा रखना भी लाभदायक होता है लेकिन ध्यान रखें कि इसमें हमेशा पानी भरा होना चाहिए।
- हमेशा घर में पानी से भरा हुआ घड़ा रखें
- वास्तु के हिसाब से इसे रखने के लिए उत्तर दिशा का चुनाव करना बेहतर होता है क्योंकि उत्तर दिशा को जल के देवता की दिशा माना जाता है।
- घर में कोई व्यक्ति तनावग्रस्त हैं या मानसिक रूप से परेशान है तो आप उन्हें माटी के घड़े से किसी भी पौधे को पानी देने के लिए कहें, इससे उन्हें लाभ होगा।
- मिट्टी से बनी भगवान की मूर्ति को घर में रखने से भी आपकी धन संबंधी परेशानियां तो दूर होती ही हैं और इसी के साथ ही धन की स्थिरता भी बनी रहती है।
घर में मिट्टी के पानी भरे घड़े के आगे दीपक लगाने से भी आर्थिक कष्ट दूर होते हैं।
घर में मिट्टी की छोटी-छोटी सजावटी मटकियां रखने से रिश्तों में सौंधापन बरकरार रहता है।
खाना खजाना / शौर्यपथ /आपने चिकन, मटन या फिर वेज बिरयानी तो कई बार खाई होगी, लेकिन क्या आपने कभी कटहल बिरयानी ट्राई की है? अगर नहीं, तो आज ही बनाएं कटहल की स्वादिष्ट बिरयानी। यह रेसिपी वेज और नॉनवेज खाने वाले दोनों तरह के लोगों को खूब पसंद आएगी। इस रेसिपी की सबसे खास बात यह है कि आप कटहल बिरयानी को अपने जायके अनुसार मसालों में एक्सपेरिमेंट के साथ भी बना सकते हैं। जैसे इसमें पुदीने का पेस्ट डालकर भी सर्व कर सकते हैं। आइए, जानते हैं कैसे बनाएं कटहल बिरयानी-
कटहल बिरयानी की सामग्री
कटहल
दही
अदरक-लहसुन का पेस्ट
बासमती चावल (4 मिनट के लिए उबलते पानी में पकाए हुए),
गरम मसाला
नमक
लाल मिर्च पाउडर
पानी
घी
भूरा प्याज
एक चुटकी केसर
धनिया पत्ती
पुदीना
जावित्री
इलायची
हरी इलायची
जीरा
साबुत धनिया
लौंग
साबुत लाल
मिर्च
दालचीनी
कटहल बिरयानी बनाने की विधि
सबसे पहले एक कटोरे में कटहल डाल लें। इसके ऊपर अदरक-लहसुन का पेस्ट, नमक, लाल मिर्च पाउडर और दही डालकर मिक्स कर लें। इसे ढककर 3 घंटे के लिए रख दें। अब एक दूसरे बर्तन में घी लें। इसमें मैरिनेटिड कटहल को डालें। इसे हल्की आंच पर पकाना शुरू करें। पकाने के लिए आप हांडी, कुकर या कोई कड़ाही ले सकते हैं। हल्की आंच पर पकाते हुए गरम मसाला भी डालें।अब भीगे चावल डालें और गरम पानी डालें। अब दम के लिए गूंदा हुआ आटा लेकर इसे सील कर दें। हल्की आंच पर 20 मिनट तक पकाएं। जब तक बिरयानी में दम लग रहा है। आप रायता या चटनी तैयार कर लें। तैयार होने के बाद रायते के सर्व करें।
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /दांत जरूर बहुत मजबूत होते हैं। लेकिन ठीक से केयर नहीं करने पर वह भी खराब हो जाते हैं। सड़ने लग जाते हैं, मसूड़ों में समस्या पैदा होने लगती है, दांतों में कैविटी लगना, सड़न पैदा होना, मसूड़ों में से खून आना जैसी समस्या पैदा होने लगती है। दांतों की सफाई रखने के साथ ही दूध और दही का सेवन तो करते ही है लेकिन इसके अलावा भी सुपरफूड्स है
जिससे दांत मजबूत होते हैं। और रोज इसका सेवन करना चाहिए। तो आइए जानते हैं दांतों को मजबूत करने के वाले 4 सुपरफूड्स के बारे में -
1.डार्क चॉकलेट - दरअसल, एक शोध के मुताबिक, डार्क चॉकलेट में पॉलीफेनोल्स तत्व मौजूद होते हैं जो दांतों के बैक्टीरिया को खत्म करने का काम करते हैं। जिससे दांत मजबूत होते
हैं और मसूड़ों में भी आराम मिलता है।
2. सेब -
सेब में मौजूद आयरन शरीर की अन्य कमी को तो दूर करता है साथ ही दांतों को भी मजबूत करता है। सेब खाने से दांतों की सफाई भी होती है। साथ ही दांतों में कैविटी भी नहीं बनती है। सेब में सबसे अधिक मात्रा में मिनरल्स और विटामिन मौजूद होते हैं। यह दांतों के लिए अच्छे होते हैं।
3. नट्स - नट्स सेहत के लिए अच्छे होते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में मिनरल्स होते हैं। मैग्नीशियम, हाई फाइबर, फॉलिक एसिड, विटामिन ई और बी 6 भी प्रचुर मात्रा में होता है।नट्स के रूप में आप काजू, अखरोट, बादाम, मूंगफली का सेवन कर सकते हैं। इसका सेवन करने से दांतों को भी आराम मिलता है।
4. संतरा - इसमें दांतों में जमी कैविटी को खत्म करने वाले स्रोत होते हैं। विटामिन डी से भरपूर संतरा दांतों को स्वस्थ रखने के लिए अच्छा होता है। इसका जूस पीने के बाद आपदांतों को साफ करेंगे तो आपके दांत चमक उठेंगे। दरअसल, संतरे में नेचुरल एसिडिक मौजूद होता है, जिससे दांत स्वस्थ रहते हैं। कई बार दांत खराब होने पर मुंह से बदबू आने
लगती है। ऐसे में दांत की सफाई करना जरूरी है। इसके लिए दिन भर पानी पीते रहे।
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /हमसें से ज्यादातर लोग हर वक्त जवान और फिट दिखना चाहते हैं। जवान और फिट दिखने के लिए बाजार में तरह तरह के प्रोडक्ट हैं, लेकिन इसका सीधी संबंध आपकी लाइफस्टाइल से है। अगर आपकी लाइफ स्टाइल सही है, तो बहुत हद तक उम्र पर आप काबू पा सकते हैं।
मोबाइल स्क्रीन टाइम इस दौर में वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन जॉब्स के कारण लोगों का स्क्रीन टाइम वैसे ही काफी बढ़ गया है। इस पर बचे हुए समय में अगर आपको सोशल मीडिया सर्फ करना और नेटफ्लिक्स, फेसबुक आदि देख्ते हैं। इसमें कटौती करें। स्क्रीन से निकलने वाली किरणें आपकी स्किन को नुकसान पहुंचाती हैं और आपकी आंखों को भी।
एक्सरसाइज फिजिकल एक्टिविटी न करना और ज्यादातर समय बैठे रहने से भी जल्दी एजिंग होती है। इससे मोटापा और बीमारियों का खतरा तो बढ़ता ही है साथ ही रिंकल्स भी जल्दी पड़ते हैं। एक्सरसाइज करने से टॉक्सिन्स बॉडी से रिलीज हो जाते हैं और फ्री रेडिकल्स नहीं बनते
तनाव तनाव उम्र को ज्यादा दिखाने का सबसे बड़ा कारण है। वे लोग जो किसी न किसी बात से अक्सर परेशान रहते हैं जल्दी ही बूढ़े दिखने लगते हैं। स्ट्रेस में होने से हैप्पी हॉरमोन रिलीज नहीं होते और हम समय निगेटिव महसूस होता रहता है। इस अवस्था में आपके द्वारा लिया गया हेल्दी खाना और एक्सरसाइज भी आपको लाभ नहीं पहुंचाते।
डाइट हम जैसा खाना खाते हैं वैसी ही स्किन होती है। अगर खाने में स्वीट्स, कार्ब्स, सोडा और ऑयली खाना खाते रहेंगे तो शरीर पर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा। इसमें गलत-सलत तरह से खाए गए स्नैक्स भी अहम भूमिका निभाते हैं। ज्यादा समय तक जवान रहना है तो जंक फूड और सॉल्टी फूड से तौबा करें।
सेहत / शौर्यपथ /गाय और बकरी के दूध में काफी अंतर होता है। दोनों के भाव से लेकर शरीर को अलग-अलग तरह के लाभ मिलते हैं। इसलिए दोनों दूधा अपनी-अपनी जगह है। बकरी और गाय दोनों का दूध सेहत के लिए बहुत लाभकारी है। प्राक़तिक होने के कारण साइड इफेक्ट का खतरा भी कम होता है। आयुर्वेद की द़ष्टि से बीमारियों को ठीक करने में लाभदायक है। तो आइए जानते हैं दोनों दूध में अंतर और कौन सा सेहत के लिए ज्यादा अच्छा है।
गाय का दूध - गाय के दूध में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन डी मौजूद होता है। इससे हडि्डयां मजबूत होती है। बच्चों के लिए गाय का दूध अच्छा होता है। गाय के एक कप दूध में सिर्फ 160 कैलोरी होती है, जो सेहत के लिहाज से अच्छी है। लेकिन गाय के दूध में मौजूद सैचुरेटेड फैट होने से कोलेस्ट्रोल की संभावना बढ़ जाती है। वहीं देखा जाए तो गाय का दूध 45 से 50 रूपए किलो के भाव से आता है।
गाय के दूध के फायदे
-रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
-हड्डियां मजबूत होती है।
-आंखों के लिए लाभकारी है।
-दिमाग तेज होता है, कार्य क्षमता बढ़ती है।
-बालों को झड़ने से रोके।
बकरी का दूध - बकरी के दूध का सेवन बहुत कम किया जाता है। लेकिन इसके भी फायदे कम नहीं है। बकरी का दूध पोषण से भरपूर है। डेंगू होने पर बकरी के दूध का सेवन किया जाता है। इसमें मौजूद सेलेनियम इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में मदद करता है। इसमें विटामिन बी, फास्फोरस, पोटेशियम प्रमुख रूप से पाया जाता है। इसमें आयरन और कॉपर भी बड़ी मात्रा में पाया जाता है। हालांकि इसका सेवन प्रतिदिन नहीं किया जाता है। वहीं देखा जाए तो बकरी का दूध 35 से 40 रूपए लीटर बिकता है।
बकरी के दूध के फायदे -
- डेंगू में रामबाण का इलाज।
- मेटाबॉलिज्म को बढ़ाएं।
- इम्यून सिस्टम को मजबूत करें।
- मेटाबॉलिज्म बढ़ाएं।
- हड्डियां मजबूत करें।
दोनों में कौन सा दूध ज्यादा बेहतर
देखा जाएं तो दोनों दूध के अलग - अगल फायदे हैं। दोनों में अलग - अलग पोषक तत्व है। वहीं बच्चों के लिए गाय का दूध ज्यादा अच्छा है। इसलिए बकरी की बजाएं गाय का दूध दे सकते हैं।
आस्था / शौर्यपथ /पौराणिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्गलोक से शिवशंकर की जटाओं में पहुंची थी। आओ जानते हैं कि गंगाजल की पवित्रता की 10 महत्वपूर्ण बातें।
1. पुराणों में गंगा को स्वर्ग की नदी माना गया है इसीलिए इसका जल सबसे पवित्र माना जाता है।
2. गंगाजल में स्नान करने से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं। गंगा को पापमोचनी नदी कहा जाता है।
3. गंगा के पवित्र जल में स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है। इसीलिए इसे मोक्षदायिनी नदी भी कहा गया है।
ऐसी आम धारणा है कि मरते समय व्यक्ति को यह जल पिला दिया जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4. शिवजी की जटाओं से निकलने के कारण इसके जल को बहुत ही पवित्र माना जाता है।
5. गंगा ही एकमात्र ऐसी नदी है जिसमें सभी देवी और देवताओं ने स्नान करके इसके जल को पवित्र कर दिया है। हरिद्वार में भगवान विष्णु के चरण कमल इस नदी पर पड़े थे।
6. गंगा ही एक मात्र ऐसी नदी है जहां पर अमृत कुंभ की बूंदें दो जगह गिरी थी। प्रयाग और हरिद्वार। जबकि अन्य क्षिप्रा और गोदावरी में एक ही जगह अमृत बूंदे गिरी। अमृत की बूंदे इस गंगाजल में मिलने से संपूर्ण गंगा नदी का जल और भी ज्यादा पवित्र माना जाता है।
7. गंगा भगवान विष्णु का स्वरूप है। इसका प्रादुर्भाव भगवान के श्रीचरणों से ही हुआ है। तभी तो गंगा (मां) के दर्शनों से आत्मा प्रफुल्लित तथा विकासोन्मुखी होती है।
8. गंगा का जल कभी अशुद्ध नहीं होता और ना ही यह सड़ता है। इसीलिए इस जल को घर में एक तांबे या पीतल के लोटे में भरकर रखा जाता है। कई घरों में से कई सालों से यह जल रखा हुआ है। गंगा नदी दुनिया की एकमात्र नदी है जिसका जल कभी सड़ता नहीं है। नदी के जल में मौजूद बैक्टीरियोफेज नामक जीवाणु गंगाजल में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म जीवों को जीवित नहीं रहने देते अर्थात ये ऐसे जीवाणु हैं, जो गंदगी और बीमारी फैलाने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर देते हैं। इसके कारण ही गंगा का जल नहीं सड़ता है। मतलब यह कि वैसे जीवाणु इसमें जिंदा नहीं रह पाते हैं तो जल को सड़ाते हैं। गंगाजल में कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है।
9. गंगाजल में प्राणवायु की प्रचुरता बनाए रखने की अदभुत क्षमता है। इस कारण पानी से हैजा और पेचिश जैसी बीमारियों का खतरा बहुत ही कम हो जाता है। इस जल को कभी भी किसी भी शुद्ध स्थान से पीया जा सकता है। गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है।
10. गंगा के पानी में गंधक की प्रचुर मात्रा में है, इसलिए यह खराब नहीं होता है। इसके अतिरिक्त कुछ भू-रासायनिक क्रियाएं भी गंगाजल में होती रहती हैं। जिससे इसमें कभी कीड़े पैदा नहीं होते। यही कारण है कि गंगा के पानी को बेहद पवित्र माना जाता है।
मंत्र- नमो भगवते दशपापहराये गंगाये नारायण्ये रेवत्ये शिवाये दक्षाये अमृताये विश्वरुपिण्ये नंदिन्ये ते नमो नम:
आस्था / शौर्यपथ / आप जानते ही हैं कि भारत में सैकड़ों चमत्कारिक और रहस्यमय मंदिर हैं। उनमें से कुछ मंदिरों को आपने देखा भी होगा और कुछ के रहस्य को अभी तक सुलझाया नहीं जा सका है। तो चलिए इस बार हम आपको बताते हैं भारतीय राज्य राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित करणी माता के मंदिर के रहस्य को।
1. कौन थीं करणी माता : बताया जाता है कि मां करणी का जन्म 1387 में एक चारण परिवार में हुआ था और इनका बचपन का नाम रिघुबाई था। इनका विवाह साठिका गांव के किपोजी चारण से हुआ था। वैराग्य होने के बाद माता सांसारिक जीवन को छोड़कर भक्ति और लोगों की सेवा में लग गईं। यह भी कहते हैं कि सांसारिक जीवन छोड़ने के पूर्व उन्होंने अपने पति का विवाह अपनी छोटी बहन गुलाब से करवा दिया था। यह भी कहा जाता है कि माता करीब 151 वर्षों तक जीवित रही थीं। माता ने जिस जगह पर अपना देह त्याग किया, वहीं आज करणी माता का मंदिर बना है। इस मंदिर का निर्माण बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था।
2. इस मंदिर में हैं हजारों चूहे : यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर से 30 किलोमीटर की दूरी पर देशनोक शहर में स्थित है। यहां जाने पर आपको मंदिर प्रांगण और गर्भगृह में हजारों चूहे नजर आएंगे। कहते हैं कि यहां पर लगभग 20 हजार चूहे हैं। इसीलिए इस मंदिर को चूहों वाला मंदिर भी कहा जाता है।
3. रहस्यमय है मंदिर की कहानी : ऐसी मान्यता है कि करणी माता के बहन का पुत्र लक्ष्मण कपिल सरोवर में डूबकर मर गया था। जब माता को यह पता चला तो उन्होंने यमराज से पुत्र को पुन: जीवित करने की प्रार्थना की। यमराज ने विवश होकर उसे चूहे के रूप में पुनर्जीवित कर दिया। कहते हैं कि तभी से यहां पर हजारों चूहे खुलेआम घूमते नजर आते हैं। ये सभी माता के बेटे और वंशज हैं। हालांकि लोकगीतों में इन चूहों की एक अलग कहानी बताई जाती है। इस कहानी के अनुसार एक बार 20 हजार सैनिकों की एक टुकड़ी देशनोक पर हमला करने के लिए आई थी। माता को जब यह पता चला तो देशनोक की रक्षार्थ इन सभी को अपने प्रताप से उन्होंने चूहा बना दिया था।
4. चूहों को मार दिया तो करना होता है प्रायश्चित : यहां चूहों को 'काबा' कहते हैं और इन्हें बाकायदा प्रतिदिन भोजन कराया जाता है और इनकी सुरक्षा की जाती है। यहां इतने चूहे हैं कि आपको पांव घिसटकर चलना पड़ेगा। अगर एक चूहा भी आपके पैरों के नीचे आकर मर गया तो अपशकुन माना जाता है। इस अपशकुन से बचना हो तो यहां पर सोने का चूहा बनवाकर रखना होता है।
5. चूहे देते हैं माता के आशीर्वाद का संकेत : कहा जाता है कि एक चूहा भी आपके पैर के ऊपर से होकर गुजर गया तो समझो कि आप पर देवी की कृपा हो गई और यदि आपने सफेद चूहा देख लिया तो आपकी मनोकामना जरूर पूर्ण होगी।
6. अनूठा है यहां का प्रसाद : आपको जानकार हैरानी होगी कि यहां चूहों का झूठा भोजन बेहद पवित्र माना जाता है। भोजन को वहां प्रसाद के रूप में भी बांटा भी जाता है। कहते हैं कि इस प्रसाद को खाने के बाद अब तक किसी के भी बीमार होने की कोई खबर नहीं मिली है। हालांकि यहां पर शुद्ध प्रसाद भी मिलता है।
7. आरती के समय बिल से बाहर आ जाते हैं सभी चूहे : इन चूहों की एक विशेषता यह भी है कि सुबह 5 बजे मंदिर में होने वाली मंगला आरती और शाम 7 बजे संध्या आरती के समय अपने बिलों से बाहर आ जाते हैं। इस मंदिर से दुर्गंध नहीं आती है और आज तक इन चूहों के कारण अभी तक कोई बीमारी नहीं हुई है।
आस्था / शौर्यपथ /सर्वपितृ अमावस्या पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि होती है। 15 दिन तक पितृ घर में विराजते हैं और हम उनकी सेवा करते हैं फिर उनकी विदाई का समय आता है। इसीलिए इसे 'पितृविसर्जनी अमावस्या', 'महालय समापन' या 'महालय विसर्जन' भी कहते हैं। आओ जानते हैं इस दिन कौनसे महत्वपूर्ण 5 कार्य करना चाहिए।
कहते हैं कि जो पितृ उनकी मृत्यु तिथि पर नहीं आ पाते हैं, आते हैं तो हम उस समय श्राद्ध नहीं कर पाते हैं या जिन्हें हम नहीं जानते हैं, उन भूले-बिसरे पितरों का भी सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध करते हैं। अत: इस दिन श्राद्ध जरूर करना चाहिए।
1. पंचबलि कर्म : इस श्राद्ध में पंचबलि अर्थात गोबलि, श्वानबलि, काकबलि और देवादिबलि कर्म जरूर करें। अर्थात इन सभी के लिए विशेष मंत्र बोलते हुए भोजन सामग्री निकालकर उन्हें ग्रहण कराई जाती है। अंत में चींटियों के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकालने के बाद ही भोजन के लिए थाली अथवा पत्ते पर ब्राह्मण हेतु भोजन परोसा जाए। साथ ही जमई, भांजे, मामा, नाती और कुल खानदान के सभी लोगों को अच्छे से पेटभर भोजन खिलाकर दक्षिणा जरूर दें।
2. तर्पण और पिंडदान : सर्वपितृ अवमावस्या पर तर्पण और पिंडदान का खासा महत्व है। सामान्य विधि के अनुसार पिंडदान में चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं और उन्हें पितरों को अर्पित किया जाता है। पिंडदान के साथ ही जल में काले तिल, जौ, कुशा, सफेद फूल मिलाकर तर्पण किया जाता है। पिंड बनाने के बाद हाथ में कुशा, जौ, काला तिल, अक्षत् व जल लेकर संकल्प करें। इसके बाद इस मंत्र को पढ़े. “ॐ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये।।'
3. भगवान विष्णु सहित इन दिव्य पितरों की करें पूजा : पितृलोक के श्रेष्ठ पितरों को न्यायदात्री समिति का सदस्य माना जाता है। यमराज की गणना भी पितरों में होती है। काव्यवाडनल, सोम, अर्यमा और यम- ये चार इस जमात के मुख्य गण प्रधान हैं। अर्यमा को पितरों का प्रधान माना गया है और यमराज को न्यायाधीश। इन चारों के अलावा प्रत्येक वर्ग की ओर से सुनवाई करने वाले हैं, यथा- अग्निष्व, देवताओं के प्रतिनिधि, सोमसद या सोमपा-साध्यों के प्रतिनिधि तथा बहिर्पद-गंधर्व, राक्षस, किन्नर सुपर्ण, सर्प तथा यक्षों के प्रतिनिधि हैं। इन सबसे गठित जो जमात है, वही पितर हैं। यही मृत्यु के बाद न्याय करती है। भगवान चित्रगुप्तजी के हाथों में कर्म की किताब, कलम, दवात और करवाल हैं। ये कुशल लेखक हैं और इनकी लेखनी से जीवों को उनके कर्मों के अनुसार न्याय मिलता है।
अग्रिष्वात्त, बहिर्पद आज्यप, सोमेप, रश्मिप, उपदूत, आयन्तुन, श्राद्धभुक व नान्दीमुख ये नौ दिव्य पितर बताए गए हैं। आदित्य, वसु, रुद्र तथा दोनों अश्विनी कुमार भी केवल नांदीमुख पितरों को छोड़कर शेष सभी को तृप्त करते हैं।
4. प्रायश्चित कर्म : इस दिन शास्त्रों में मृत्यु के बाद और्ध्वदैहिक संस्कार, पिण्डदान, तर्पण, श्राद्ध, एकादशाह, सपिण्डीकरण, अशौचादि निर्णय, कर्म विपाक आदि के द्वारा पापों के विधान का प्रायश्चित कहा गया है।
5. गीता या गरूढ़ पुराण का पाठ : गरुढ़ पुराण में, मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है। इसीलिए यह पुराण मृतक को सुनाया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन गरुढ़ पुराण के कुछ खास अध्यायों का पाठ करें या गीता का पाठ जरूर करें या घर में ही करवाएं।
खाना खजाना / शौर्यपथ /पितृपक्ष में कई लोग प्याज-लहसुन खाने से परहेज करते हैं। वैसे जरूरी भी नहीं कि अगर सब्जी में प्याज-लहसुन नहीं है तो यह टेस्टी नहीं बनेगी। बिना प्याज-लहसुन के बनी सब्जी में भी सौंधापन आता है। बस आपको पता होना चाहिए खाना बनाने की ट्रिक पता होनी चाहिए। यहां आप सीख सखते हैं बिना प्याज-लहसुन की गोभी-आलू की सब्जी।
सामग्री
फूल गोभी, आलू, , टमाटर, अदरक, नमक, धनिया पाउडर, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला, तेल, हींग और जीरा।
ऐसे बनाएं
फूल गोभी को काटकर अच्छी तरह धो लें। अब आलू भी छीलकर काट लें। दोनों को एक बार फिर पानी की धार में अच्छी तरह धो लें और पानी निकाल दें। कढ़ाई में तेल गरम करें। इसमें आलू और गोभी को पांच मिनट तक तल लें। आलू-गोभी थोड़ा फ्राई हो जाए तो इसे निकाल लें। अब इस पैन में इसमें हींग और जीरा डालें। इसके बाद कद्दूकस किया अदरक डालें। हम प्याज,लहसुन नहीं डाल रहे इसलिए अदरक थोड़ा ज्यादा रख सकते हैं। अब हल्दी, धनिया, मिर्च, गरम मसाला और नमक डालें। मसाले भुन जाएं तो आलू और गोभी को भी डाल लें। सब्जी में मसाले इसके बाद ऊपर से टमाटर डालकर ढंक दें। याद रखें तेल गरम होने के बाद पूरे समय आंच मीडियम ही रखें। सब्जी को ढंककर पकने दें और बीच-बीच में चलाते रहें। सब्जी को बिना पानी के ही पकाएं, अगर आपको लग रहा है कि जल रही है तो बहुत थोड़ा सा पानी डाल सकते हैं। सब्जी में जो पानी मौजूद होता है उनको जब उसी में पकाया जाता है तो बढ़िया स्वाद आता है। गोभी-आलू बन जाए तो उसमें कटा धनिया डालें। अगर आप मटर भी डालना चाहे हैं तो उबली मटर डालें क्योंकि बाकी सब्जियों के साथ इसे गलने में देर लगेगी। सब्जी को पूड़ी या पराठे के साथ खाएं, लाजवाब टेस्ट आएगा।
सेहत / शौर्यपथ /आपके शरीर को आंतरिक रूप से क्षतिग्रस्त और कमजोर कर देता है। इसका सही समय पर उपचार न होने पर यह घातक साबित हो सकता है। जानें ऐसी घरेलू चीजें, जो डेंगू से आपको बचाने में सहायक होंगी...
1 विटामिन सी - खाने में जितना हो सके विटामिन सी से युक्त पदार्थों का सेवन करें। विटामिन-सी आपको स्वस्थ रखने के साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा यह किसी भी प्रकार के संक्रमण को फैलने से भी रोकता है।
2 हल्दी का प्रयोग - किसी भी रूप में खान-पान में हल्की का सेवन करें। सामान्यत: सब्जी या दाल में हल्दी का प्रयोग तो होता ही है, इसके अलावा आप चाहें तो हल्दी वाले दूध का सेवन कर सकते हैं।इसमें मौजूद एंटीबायोटिक तत्व आपके प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत कर बीमारियों से आपकी रक्षा करते हैं।
3 तुलसी और शहद - तुलसी और शहद का प्रयोग करने से भी डेंगू से बचाव किया जा सकता है। इसके लिए तुलसी को पानी में उबालकर, इसमें शहद डालकर पिया जा सकता है।इसके अलावा आप काढ़ा या चाय में तुलसी का प्रयोग कर सकते हैं। इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण बीमारियों से बचाव में सहायक है।
4पपीते के पत्ते - डेंगू के इलाज में पपीते की पत्तियां बेहतर इलाज के रूप में जानी जाती हैं। पपीते के पत्ते का रस निकालकर दिन में दो बार लगभग 2-3 चम्मच की मात्रा में लेने से डेंगू से बचाव किया जा सकता है। इसमें प्रोटीन से भरपूर पपेन नामक एंजाइम पाया जाता है, जो पाचन शक्ति को ठीक करता है इसके अलावा लाल रक्त कणों में भी वृद्धि करता है।
5 अनार - डेंगू बुखार में शरीर में होने वाली रक्त की कमी और कमजोरी को दूर करने के लिए, अनार का सेवन फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद विटामिन ई, सी, ए और फोलिक एसिड और एंटी ऑक्सीडेंट बेहद लाभप्रद साबित होते हैं। यह लाल रक्त कणों के निर्माण में भी महत्वूर्ण भूमिका निभाता है, जो खून की कमी को पूरा करने में सहायक है।
6मेथी - मेथी की हरी पत्तियों का सेवन डेंगू से बचाव में मददगार होते हैं। इसके प्रयोग से शरीर से सभी हानिकारक और विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इसके अलावा शारीरिक दर्द और अनिद्रा की समस्या में भी यह लाभकारी होती है। इसकी सब्जी या इसे पानी में उबालकर प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा मेथीदाने का प्रयोग भी किया जा सकता है।
7 गिलोय - गिलोय हर तरह की बीमारी में अमृत के समान होती है। इसके प्रयोग से लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण होता है और प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है। तुलसी के साथ इसका काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है। इसके अलावा गिलोय का जूस या इसकी गोलियां खाना भी फायदेमंद हो सकता है। दिन में दो से तीन बार किसी भी रूप में गिलोय का प्रयोग करना, डेंगू से बचने के लिए रामबाण उपाय है।
8बकरी का दूध - जी हां, डेंगू बुखार होने पर बकरी के दूध का सेवन बेहद फायदेमंद होता है। इसके लिए बकरी का कच्चा दूध दिन में दो से तीन बार थोड़ी मात्रा में पीने लाभ होता है। इसके अलावा यह खून की कमी को दूर कर, प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है और शरीर व जोड़ों के दर्द में लाभकारी होता है।
9 जवारे का रस - जवारे यानि गेहूं की घास का रस पीने से भी रक्त में प्लेटलेट्स का निर्माण तेजी से होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। प्रतिदिन दो बार इसका प्रयोग करने से डेंगू का खतरा कम होता है।
10 सूप - सामान्य भोजन के अलावा सूप का प्रयोग भी जरूर करें। यह आपके स्वाद को बरकरार रखेगा और भूख न लगने की शिकायत दूर करेगा। इसके अलावा दलिया का प्रयोग करना भी बेहतर होगा, यह आपको उर्जा देने के साथ ही पाचन को दुरूस्त करेगा।
11 हर्बल टी - हर्बल टी का प्रयोग करने से शरीर के हानिकारक तत्व बाहर निकल जाते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है। दिन में दो से तीन बार हर्बल टी का प्रयोग जरूर करें।
सावधानी : इसके अलावा मच्छरों से जितना हो सके बचाव करना डेंगू से बचने का प्रमुख उपाय है। मच्छरों से बचने के लिए हर संभव सावधानी बरतें और पानी का जमाव न होने दें, क्योंकि इसमें मच्छरों के पनपने की संभावना अधिक होती है। डेंगू के लक्षण सामने आने पर या किसी भी प्रकार की अन्य समस्या होने पर दवा लेने से पूर्व डॉक्टरी परामर्श अवश्य लें।