
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
खाना खजाना /शौर्यपथ /आलू और दाल की कचौड़ियां लगभग हर घर में बनती हैं। पनीर की कौचड़ी कम लोग बनाते हैं। हालांकि एक बार आप पनीर की कचौड़ियां खाकर देखेंगे तो इनका स्वाद जुबान पर चढ़ जाएगा। पनीर प्रोटीन से भरपूर होता है। लोग पनीर की डिश के तौर पर मटर पनीर, पनीर दो प्याजा, पालक पनीर वगैरह बनाते हैं। यहां तक कि लोग पनीर के पराठे भी काफी पसंद करते हैं। यहां आप पनीर की कचौड़ी की रेसिपी सीख सकते हैं।
सामग्री
पनीर, हरा धनिया, प्याज, नमक, लाल मिर्च पाउडर, हरी मिर्च, जीरा, अदरक, आटा, रिफाइंड।
विधि
पनीर को सबसे पहले मैश कर लें। अब कढ़ाई में थोड़ा सा तेल या घी डालें। अब इसमें जीरा डालें। इसके बाद कद्दूकस किया अदरक, बरीक कटा प्याज और कटी हरी मिर्च डालें। इसमें लाल मिर्च, नमक भी मिला लें। जब प्याज हल्का भुन जाए तो इसमें पनीर मिला लें। पनीर को ज्यादा देर तक गैस पर नहीं रखना बस एक-दो पार चलाकर निकाल लें। अब इसमे कटा हरा धनिया मिलाएं। कचौड़ी का आटा गूंधें। ध्यान रखें आटा गूंधते वक्त इसमें नमक और मोयन के लिए घी या रिफाइंड मिला लें। अब छोटी सी लोई लेकर बेलें। इसमें पनीर का तैयार किया हुआ मसाला भरें। अब गैस पर कढ़ाई चढ़ाएं। जब रिफाइंड गरम हो जाए तो इसमें मध्यम आंच पर कचौड़ियां तल लें। आपकी कचौड़ियां तैयार हैं। इन्हें रायते, टमाटर की मीठी चटनी और लहसुन के अचार के साथ खाएं, बेहद टेस्टी लगेगी। इन कचौड़ियों को आप चाय के साथ भी खा सकते हैं या टिफिन के लिए भी अच्छा ऑप्शन है।
टिप्स ट्रिक्स / शौर्यपथ /किसी भी रिश्ते में सबसे ज्यादा माइने रखती है खुशी। ऐसे में जब आपके फोन पर आपके बॉयफ्रेंड का कॉल आता है तब आपको एक अलग खुशी महसूस होती है, जिसे आप किसी को शब्दों में जाहिर नहीं कर सकते हैं। वो एक इकलौता फोन कॉल आपके पूरे दिन को बना देता है। अगर आपके साथ भी ऐसा है तो आप इस बात को समझ गए होंगे की आपका पार्टनर आपके लिए बिल्कुल सही है। कोई भी रिश्ता महंगे गिफ्ट देकर नहीं चलता, रिश्ते में सबसे ज्यादा जरूरी है इमोशनल स्पोर्ट जो आपको एक दूसरे से मिलना चाहिए।बिन इस स्पोर्ट के लंबे समय तक रिश्ते का चलना ना मुमकिन है। ऐसे में अगर आपके पार्टनर में ये तीन आदते हैं तो आप समझ सकते हैं कि आपका पार्टनर आपके लिए राइट चॉइस है।
1) जब हम अपनी सक्सेस के लिए खुश हो रहे होते हैं, या अपनी खुशी को सेलिब्रेट कर रहे होते हैं तो बहुत लोग हमारे साथ खड़े हो जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होंगे जो वास्तव में हमारे साथ तब होंगे जब हम जीवन में कुछ खास नहीं कर रहे होंगे, ऐसे समय पर आपके पार्टनर का होना जरूरी है। हालांकि वह कुछ कर नहीं सकते हैं लेकिन फिर भी हमेशा आपके साथ खड़े रहते हैं और आपका हौसला बढ़ाते रहते हैं। अगर आपका पार्टनर भी आपके साथ हमेशा खड़ा रहता है और आपकी परवाह करता है, तो वह आपके लिए ही हैं।
2) कोई भी परफेक्ट नहीं होता, कई बार ऐसा समय हो सकता है कि जब आप अकेले होते हैं क्योंकि आपके जीवनसाथी को खुद के लिए कुछ समय चाहिए होता है, लेकिन जो आपके लिए उनके प्यार को साबित करता है। जीवन में उतार-चढ़ाव एक रिश्ते का एक हिस्सा है, ऐसे में अगर हर गलती के बाद आपका पार्टनर अगर लौट कर आपके पास आता है तो वह आप अपने पार्टनर पर विशवास कर सकते हैं।
3) समय, ये एक बेहद गंभीर टॉपिक है। चाहें वह एक लाइन का मैसेज हो या केवल आप से बात करने के लिए 10 सेकंड का फोन कॉल हो, आपका जीवन साथी आपके लिए समय निकालना कभी नहीं भूलेगा। इसका मतलब जरूरी नहीं की बार-बार कॉल करें, सिर्फ छोटा सा इशारा काफी होता है।
खेल /शौर्यपथ / टीम इंडिया ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या ने 16 अक्टूबर 2016 को धर्मशाला में न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच से भारत के लिए अपना वनडे डेब्यू किया था। हार्दिक को उस समय भारत के पहले वर्ल्ड कप विजेता कप्तान कपिल देव से अपनी पहली वनडे कैप मिली थी। पांड्या ने उस मैच में गेंद से कमाल का प्रदर्शन करते हुए सात ओवर में 31 रन देकर तीन विकेट चटकाए थे और भारत ने कीवी टीम को 190 रन पर आउट कर दिया था। हार्दिक ने अब पूर्व वर्ल्ड कप विजेता कप्तान कपिल देव को लेकर कई खुलासे किए हैं। उन्होंने कहा कि कपिल देव ने उनके अबतक के करियर के दौरान उनका काफी साथ दिया। ऑलराउंडर हार्दिक की तुलना कई बार कपिल देव से की जाती है। उन्होंने कहा कि डेब्यू मैच के दौरान कपिल देव ने उन्हें कैप देते हुए अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कहा था।
ईएसपीएनक्रिकन्फो को दिए एक इंटरव्यू में हार्दिक ने कहा, 'वो कैप हासिल करना काफी खास रहा था क्योंकि कपिल देव ने मुझे कैप देने के बाद कहा था- मैंने जो किया है आप उससे बेहतर करना। आप जरूर सफल होंगे। कड़ी मेहनत करते रहिए। जब मेरी सर्जरी हुई थी तो उन्होंने मुझे फोन करके कहा था कि बेटा हल्दी का दूध पीना, सब ठीक हो जाएगा। अपना ध्यान रखना।'
भारतीय ऑलराउंडर ने आगे कहा, ' मैंने उन्हें लोगों से मेरे बारे में बात करते और कहते सुना है, 'वह मुझसे बेहतर है।' मैं नहीं हूं।' लेकिन अगर उनके जैसा कोई व्यक्ति अगर मेरे बारे में ऐसा कह रहा है तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मुझे काफी गर्व होता है कि भारत का अबतक का सबसे अच्छा ऑलराउंडर मेरे बारे में ऐसा कह रहा है।'
हार्दिक पांड्या उस भारतीय टीम का हिस्सा हैं जो विराट कोहली की अगुवाई में टी20 विश्व कप में भाग ले रही है। भारतीय क्रिकेट टीम को टी-20 वर्ल्ड कप में अपना पहला मुकाबला 24 अक्टूबर को पाकिस्तान के खिलाफ खेलना है। भारत ने अपने मुख्य मुकाबलों से पूर्व पहले वार्म-अप मैच में सोमवार को इंग्लैंड को सात विकेट से करारी शिकस्त दी। टी-20 वर्ल्ड कप में हार्दिक गेंदबाजी करेंगे या नहीं इस पर काफी सवाल पूछे जा रहे हैं।
सेहत / शौर्यपथ / केला एक ऐसा फल है जिसे हर कोई खाना पसंद करता है। इसके कुछ फायदे तो ऐसे हैं जो आपको निश्चित रूप से नहीं पता होंगे ....जरूर पढ़ें इसे...
प्रतिदिन दो केले खाने से सभी प्रकार के विटामिनों की पूर्ति हो जाती है।
सुबह दो केले खाकर गुनगुना दूध पिएं, केला रोज खाने वाला व्यक्ति सदा स्वस्थ रहता है, चित्तीदार या धब्बेदार, पतले छिलके वाला केला खाना अधिक लाभदायक होता है।
भोजन के बाद यदि दो केले रोज खाए जाएं तो ये भोजन भी पचाते हैं और बल बढ़ाते हैं, इससे पाचन शक्ति ठीक होती है।
एक गिलास दूध में एक चम्मच घी, एक चुटकी पिसी इलायची मिला लें, एक टुकड़ा केला खाएं और साथ ही एक घूंट दूध पिएं। इस प्रकार दो केले नित्य खाने से शरीर सुडौल, मोटा होता है।
केले से बल, वीर्य तथा शुक्राणु (स्पर्म) की वृद्धि होती है।
दिमागी ताकत तथा कामशक्ति बढ़ती है, स्त्रियों का प्रदर रोग ठीक होता है।
केला तथा दमा : एक पका केला छिलके सहित सेंकें। इसके बाद इसका छिलका हटा दें व केले के टुकड़े कर लें। इस पर 15 काली मिर्च पीसकर बुरक दें व गरम-गरम ही दमा रोगी को खिलाएं, दमा के दौरे में लाभ होगा।
खांसी : एक पके केले में आठ साबुत काली मिर्च भर दें, वापस छिलका लगाकर खुले स्थान पर रख दें। शौच जाने के पूर्व प्रातः काली मिर्च निकालकर खा जाएं, फिर ऊपर से केला भी खा जाएं। इस प्रकार कुछ दिन करने से हर तरह की खांसी ठीक हो जाती है।
सेहत / शौर्यपथ / मूंगफली स्वादिष्ट और सेहतमंद गुणों से भरपूर होने के साथ-साथ कई स्वास्थवर्द्धक फायदे भी देती है। अधिकतर लोग इसे पसंद करते हैं। मूंगफली में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो शारीरिक विकास के लिए बहुत जरूरी है। वहीं भीगी हुई मूंगफली के पौष्टिक लाभ आपको हैरानी में डाल देंगे।
आइए जानते हैं भीगी हुई मूंगफली के बेहतरीन फायदों के बारे में-
1. आजकल कई बुजुर्ग लोगों को भूलने की बीमारी की समस्या होना आम बात हो गई हैं। अगर बातें भूल जाते हैं यानी कि आप याददाश्त कमजोर है तो भीगी हुई मूंगफली का सेवन जरूर करें। यह आपकी याददाश्त को तेज करती है।
2. ऐसे कई लोग हैं, जो पेट की समस्या से परेशान रहते हैं, जैसे पेट फूलना, एसिडिटी, पाचन की परेशानी आदि। ऐसी पेट संबंधी तमाम परेशानियों से निजात दिलाती है भीगी हुई मूंगफली। इसे आप रोज रात में 1 मुट्ठी भिगोकर रखें और सुबह उठकर इसका सेवन करें।
3. कुछ लोग कमर और जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं। यदि आप भी उनमें से ही एक हैं, तो आपके लिए भीगी हुई मूंगफली का सेवन करना इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है। बस, आपको करना यह है कि भीगी हुई मूंगफली को थोड़े गुड़ के साथ इसे खाना है।
4. मूंगफली ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बनाने में कारगर है। यह शरीर में गर्माहट लाती है जिससे ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है, वहीं दिल भी स्वस्थ रहता है जिससे दिल की बीमारियों का खतरा भी कम हो जा जाता है।
5. अगर आप खांसी से परेशान हैं, तो आपको आराम दिला सकती है भीगी हुई मूंगफली। इसका सेवन आप नियमित रूप से करें, धीरे-धीरे खांसी की समस्या से राहत मिलेगी।
6. भीगी हुई मूंगफली के सेवन से आप खुद को एक्टिव महसूस करते हैं। यह आपको एनर्जी से भर देती है। इसके नियमित सेवन से शारीरिक ऊर्जा बनी रहती है।
आस्था / शौर्यपथ / सुंदर सलोने चंद्रमा को देवताओं के समान ही पूजनीय माना गया है। चंद्रमा के जन्म की कहानी पुराणों में अलग-अलग मिलती है। ज्योतिष और वेदों में चंद्र को मन का कारक कहा गया है। वैदिक साहित्य में सोम का स्थान भी प्रमुख देवताओं में मिलता है। अग्नि, इंद्र, सूर्य आदि देवों के समान ही सोम की स्तुति के मंत्रों की भी रचना ऋषियों द्वारा की गई है।
पुराणों के अनुसार चंद्र की उत्पत्ति
मत्स्य एवं अग्नि पुराण के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि रचने का विचार किया तो सबसे पहले अपने मानसिक संकल्प से मानस पुत्रों की रचना की। उनमें से एक मानस पुत्र ऋषि अत्रि का विवाह ऋषि कर्दम की कन्या अनुसुइया से हुआ जिससे दुर्वासा, दत्तात्रेय व सोम तीन पुत्र हुए। सोम चंद्र का ही एक नाम है।
पद्म पुराण में चंद्र के जन्म का अन्य वृतांत दिया गया है। ब्रह्मा ने अपने मानस पुत्र अत्रि को सृष्टि का विस्तार करने की आज्ञा दी। महर्षि अत्रि ने अनुत्तर नाम का तप आरंभ किया। तप काल में एक दिन महर्षि के नेत्रों से जल की कुछ बूंदें टपक पड़ी जो बहुत प्रकाशमय थीं। दिशाओं ने स्त्री रूप में
आकर पुत्र प्राप्ति की कामना से उन बूंदों को ग्रहण कर लिया जो उनके उदर में गर्भ रूप में स्थित हो गया। परंतु उस प्रकाशमान गर्भ को दिशाएं धारण न रख सकीं और त्याग दिया।
उस त्यागे हुए गर्भ को ब्रह्मा ने पुरुष रूप दिया जो चंद्रमा के नाम से प्रख्यात हुए। देवताओं, ऋषियों व गंधर्वों आदि ने उनकी स्तुति की। उनके ही तेज से पृथ्वी पर दिव्य औषधियां उत्पन्न हुई। ब्रह्मा जी ने चंद्र को नक्षत्र, वनस्पतियों, ब्राह्मण व तप का स्वामी नियुक्त किया।
स्कंद पुराण के अनुसार जब देवों तथा दैत्यों ने क्षीर सागर का मंथन किया था तो उस में से चौदह रत्न निकले थे। चंद्रमा उन्हीं चौदह रत्नों में से एक है जिसे लोक कल्याण हेतु, उसी मंथन से प्राप्त कालकूट विष को पी जाने वाले भगवान शंकर ने अपने मस्तक पर धारण कर लिया। पर ग्रह के रूप में चंद्र की उपस्थिति मंथन से पूर्व भी सिद्ध होती है।
स्कंद पुराण के ही माहेश्वर खंड में गर्गाचार्य ने समुद्र मंथन का मुहूर्त निकालते हुए देवों को कहा कि इस समय सभी ग्रह अनुकूल हैं। चंद्रमा से गुरु का शुभ योग है। तुम्हारे कार्य की सिद्धि के लिए चंद्र बल उत्तम है। यह गोमंत मुहूर्त तुम्हें विजय देने वाला है। अतः यह संभव है कि चंद्रमा के विभिन्न अंशों का जन्म विभिन्न कालों में हुआ हो। चंद्र का विवाह दक्ष प्रजापति की नक्षत्र रूपी 27 कन्याओं से हुआ जिनसे अनेक प्रतिभाशाली पुत्र हुए। इन्हीं
27 नक्षत्रों के भोग से एक चंद्र मास पूर्ण होता है।
धर्म संसार / शौर्यपथ /शरद पूर्णिमा की रात में की गई पूजन और आराधना से साल भर के लिए लक्ष्मी और कुबेर की कृपा प्राप्ति होती है। इसके अलावा मनोबल में वृद्धि, स्मरण शक्ति व खूबसूरती में वृद्धि होती है। मां लक्ष्मी इस दिन विशेष प्रसन्न होती हैं क्योंकि मान्यतानुसार इस दिन समुद्र मंथन से वे अवतरित हुई थीं...इस दिन उनसे मनचाहा वरदान पाना आसान होता है। अत: शरद पूनम पर मां लक्ष्मी की आराधना अवश्य करें।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
शरद पूर्णिमा की रात में सिर्फ इस मंत्र को पढ़ लीजिए.. मिलेगा इतना कुछ जो आपने सोचा भी नहीं होगा
शरद-पूर्णिमा की रात इस मंत्र से मिलता है सौभाग्य का आशीष
भागवत महापुराण में कहा गया है कि आप चाहते हैं आपका भाग्य, सौभाग्य बन जाए तो शरद पूनम पर चमकीले, श्वेत और सुंदर चंद्र देव को इस मंत्र से पूजें। चांदी के बर्तन में दूध और मिश्री का भोग लगाकर इस मंत्र का रात भर जप करें।
शरद पूर्णिमा की रात इस मंत्र से पाएं सौभाग्य का आशीर्वाद
"पुत्र पौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम् प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे।"
धर्म संसार / शौर्यपथ /हिंदू धर्म में करवा चौथ सुहागन स्त्रियों के लिए काफी खास होता है। इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस साल करवा चौथ व्रत 24 अक्टूबर, रविवार को है। इस दिन व्रती महिलाएं रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत पारण करती हैं। इस साल करवा चौथ पर शुभ संयोग बनने से इसका महत्व और बढ़ रहा है।
करवा चौथ पर बन रहा ये शुभ संयोग-
करवा चौथ पर चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में उदित होगा। धार्मिक दृष्टि से यह नक्षत्र बेहद शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा हैं और माना जाता है कि चंद्र दर्शन से मनोकामना पूर्ण होती है।
करवा चौथ 2021 यानी 24 अक्टूबर को चांद निकलने का समय रात 08 बजकर 07 मिनट है। कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि 24 अक्टूबर, रविवार को सुबह 03 बजकर 01 मिनट पर प्रारंभ होगी और 25 अक्टूबर की सुबह 05 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगी। पूजा की कुल अवधि 1 घंटा 17 मिनट है।
व्रती महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान-
1. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के दौरान काला पहनने की मनाही होती है। यह अशुभता का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि मंगलसूत्र के काले दाने के अलावा इस दिन किसी काले रंग का प्रयोग न करें।
2. मान्यता है कि सुहागिनों को सफेद वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। सफेद रंग सौम्यता और शांति का प्रतीक माना जाता है। लेकिन सुहाग के लिए रखे जाने वाले करवा चौथ व्रत में सफेद रंग की मनाही होती है।
3. करवा चौथ के दिन सुहागिन स्त्रियों को भूरा रंग पहनने से बचना चाहिए। मान्यता है कि यह रंग राहु और केतु का प्रतिनिधित्व करता है।
इन रंगों के वस्त्र धारण करना माना जाता है शुभ-
करवा चौथ के दिन सुहागिनों को लाल, गुलाबी, पीला, हरा और महरून रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पहली बार करवा चौथ व्रत रखने वाली स्त्रियों को लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। इतना ही नहीं पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं अगर शादी का जोड़ा पहनती हैं तो, इसे और उत्तम माना जाता है।
व्रत त्यौहार / शौर्यपथ / त्योहारों का सीजन शुरू हो गया है, अभी नवरात्रि के बाद दशहरा मनाया गया और अब करवाचौथ की तैयारियां भी जोर पकड़ रही हैं। कार्तिक महीने की शुरूआत होने के चौथे दिन करवाचौथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत की शुरूआत सूर्योदय से होती है और चांद के दिखने पर खत्म हो जाती है। इस बीच महिलाएं न तो कुछ खाती हैं और न ही कुछ पीती हैं। साथ ही इस दिन की शुरूआत में महिलाएं सरगी खाती हैं। इस सास अपनी बहु को सुर्योदय से पहले खाने के लिए देती है। सुबह इसे खाने का उद्देश्य यही है कि पूरे दिन बिना खाना-पानी के एनर्जी बनी रहे। अब इसका इतना महत्तव है तो ये जरूरी हो जाता है कि आप अपनी सरगी की थाली में कुछ जरूरी चीजों को शामिल करें। जानते हैं, क्या हैं सरगी की थाली में शामिल किये जाने वाले फूड आइटम।
1) फैनी
पंजाबी परिवार में ये ट्रडिशनल डिश है, जो कैल्शियम से भरपूर होती है। साथ ही ये एनर्जी का भी अच्छा सोर्स है। इस बनाने के लिए गाढ़े दूध में भूनी हुई फैनी मिलाएं। फिर इसमें शक्कर और रोस्टेड मेवा को मिलाए, अच्छे से हो मिनट के लिए पकाएं। फैनी बनकर तैयार है।
2) फल
आप अपनी सरगी की थाली में फलों को भी शामिल कर सकती हैं। वैसे तो फल बहुत जल्दी पच जाते हैं लेकिन कम समय में ज्यादा पोषण और एनर्जी के लिए ये जरूरी हैं।
3) आलू पराठा
गेंहू के आटे में थोड़ा सा तेल लगाकर नरम आटा गूंथ कर आलू पराठा तैयार हो जाता है। इसके लिए उबले आलू को मसले और फिर इसमें थोड़ा नमक, काली मिर्च पाउडर और दूसरे मसाले मिलाएं। इस मसाले को बेले हुए आटे में भरें । मध्यम आंच पर गर्म तवे पर अच्छे से सेकें। आप इसमें मक्खन भी एड कर सकते हैं।
4) मेवा के लड्डू
आप सरगी की थाली में लड्डू भी शामिल कर सकते हैं। इसमें बादाम, काजू, किशमिश, पिस्ता और खजूर जैसे सूखे मेवा को दरदरा पीसें। फिर घी, शक्कर और नारियल पाउडर डालें। फिर इसे लड्डू की शेप दें।
5) मठरी
मैदा और नमक से बनी मठरी सुबह के स्नैक के लिए अच्छी है। मैदा में घी, नमक, बेकिंग पाउडर मिला कर गुनगुने पानी से आटा लगाएं। फिर आटे की छोटी-छोटी लोइयां लें और बेल लिजिए। यह एक डीप फ्राइड स्नैक है। जिसे आप चाय के साथ खा सकते हैं।
6) फिरनी
ये भी एक पारंपरिक डिश है। जिसे दूध में चावल का आटा डालकर तैयार किया जाता है और धीमी आंच पर पकाएं। फिर इसमें शक्कर और सूखे मेवा मिलाएं और मिट्टी के बर्तन में परोसें।
शौर्यपथ / कॉफी चाहने वालों के लिए एक कप कॉफी चाहें वे ज्यादा मीठी, डिकैफिनेटेड या कोल्ड हो, सुस्त महसूस किए बिना आपको पूरे दिन के लिए सेट कर देती है। कॉफी की ज्यादा मात्रा सेहत के लिए हानीकारक भी हो सकती है। लेकिन जब कोई सही लिमिट में पीता है तो यह किसी दवाई से कम नहीं होती है। यह अल्जाइमर, डिमेंशिया और पार्किंसंस बीमारी को कम कर सकता है। साथ ही हार्मोन एपिनेफ्रीन को बढ़ाने में मदद करता है। हालांकि क्या आपने कभी सोचा है कि क्या होगा जब आप कॉफी को वहां बैठ कर एंजॉय करें, जहां से वह आई है। तो चलिए जानते हैं भारत में कॉफी लवर्स के लिए देखने लायक जगह।
1) कूर्ग, कर्नाटक
यह कई कॉफी बागानों का घर है, जो अरेबिका और रोबस्टा का उत्पादन करते हैं। अगर आप बेरी लेने के लिए जाना चाहते हैं तो नवंबर का महीना बेहतरीन है। आप यहां पर शहद भी ट्राई कर सकते हैं।
2) चिकमगलूर, कर्नाटक
कुर्द से कुछ घंटों की दूरी पर यहां ब्रिटिश राज के दौरान भारत में पहली बार कॉफी की शुरूआत हुई थी। चिकमगलूर भारत के उच्पादन में सबसे बड़े कॉन्ट्रीब्यूटर में से एक हैं।
3) यरकौड, तनमिल नाडू
इस जगह को दक्षिण भारत का गहना कहा जाता है क्योंकि यहां कई कॉफी के बागान हैं।इतना ही नहीं यह एमएसपी कॉफी का भी घर है, जो अब तक का पहला भारतीय स्वामित्व कॉफी बागान है।
4) वायनाड, केरल
ये भी भारत के कॉफी जगहों में से एक है। जहां आप कॉफी के हरे भरे बागानों का लुफ्त उठा सकते हैं।
5) अराकू, आंध्र प्रदेश
यहां हजारों आदिवासी कॉफी की खेती का हिस्सा हैं। अगर आप अराकू में हैं तो स्थानीय लोगों द्वारा उगाई जाने वाली जैविक कॉफी के एक ब्रांड अराकू एमराल्ड की एक अद्भुत कॉफी का स्वाद जरूर चखें।
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / इन दिनों हर कोई अपने झड़ते बालों के कारण परेशान है। घने, काले और शाइनी बाल हमेशा हर किसी का ध्यान आपकी ओर खींचने में मदद करते हैं। ऐसे में हर कोई इन्हें घना दिखाने के लिए तरह-तरह के शैम्पू और कंडीशनर का इस्तेमाल कर रहा है। पतले बालों के कारण किसी भी हेयरस्टाइल को बनाना बेहद मुश्किल हो जाता है। अगर आप भी अपने पतले बालों से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आप भी कुछ घरेलू नुस्खों को अपना सकते हैं। लेकिन सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि आखिर बाल इतना क्यों झड़ रहे हैं। इसे पीछे कई सारे कारण हो सकते हैं। लेकिन उनमें से कुछ है तनाव, प्रदूषण, केमिकल आदि। बालों में वॉल्यूम लाने के लिए आप कई तरह के होममेड मास्क अपलाई कर सकते हैं।
1) एलोवेरा हेयर मास्क
एलोवेरा में एक्टिव मिनरल्स होते हैं, जो बालों को मजबूत बनाने में मदद करत हैं। साथ ही इसमें फैटी एसिड और एमिनों एसिड के साथ विटामिन ए, बी 12, सी और ई की भरपूर मात्रा होती हैइसे बनाने के लिए फ्रेश एलोवेरा पत्तियों में से जेल निकाल लें। फिर इसमें नारियल का दूध मिलाएं, अच्छे से मिक्स करें और अपने बालों पर लगाएं। इसे बालों में जड़ से सिरे तक लगाएं। कम से कम 30 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें फिर बालों को नॉर्मल पानी और माइल्डशैम्पू की मदद से साफ करें। ऐसा हफ्ते में 3 बार तीन हफ्ते तक कर सकते हैं।
2) आंवला हेयर मास्क
आंवला में विटामिन, मिनरल, अमीनो एसिड और फाइटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो पूरे स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाते हैं। इसे बनाने के लिए 2 कप गर्म पानी में आंवला पाउडर मिलाएं। 10 मिनट के लिए इसे छोड़ दें फिर उंगलियों की मदद से स्कैल्प पर लगाएं। इसे आधे घंटे तक लगा रहने दें। फिर नॉर्मल पानी और माइल्ड शैम्पू से धो लें। इसे हफ्ते में दो बार करें।
टिप्स ट्रिक्स / शौर्यपथ /ठंड हो या गर्मी, घरों में फ्रिज का सही तरह से काम करना बेहद जरूरी है। समय-समय पर हम फ्रिज का ध्यान रखते रहते हैं, लेकिन उसे लंबे समय तक ठीक रखना बेहद जरूरी होता है क्योंकि आजकल फ्रिज काफी महंगे आते हैं, ऐसे में अगर वह जल्दी खराब हो जाएंगे तो यह सही नहीं है। किसी भी फ्रिज के जल्दी खराब होने के पीछे कई सारे कारण हो सकते हैं। जैसे कंप्रेशर का खराब होना, वायरिंग में परेशानी आदि। लेकिन इसके अलावा भी कुछ आदतों के कारण फ्रिज जल्दी खराब हो जाता है। जानते हैं उन गलतियों के बारे में जिनकी वजह से फ्रिज जल्दी खराब हो जाता है।
1) कई बार फ्रिज में सामान गिर जाता है ऐसे में अगर वह अच्छे से साफ न हो तो इस गंदगी के कारण फंगस तक लग जाती है। ये फंगस फ्रिज के कई हिस्सों में लग सकती है। जो फ्रिज में रखे सामान के साथ फ्रिज के कई हिस्सों जैसे फ्रिज के दरवाजे, शेल्फ के किनारों और अंदर के पार्ट्स को खराब कर सकती है। फ्रिज को लंबे समय तक चलाने के लिए इसे रोजाना साफ करना चाहिए और हफ्ते में एक बार डीप क्लीनिंग करनी चाहिए।
2) फ्रिज में हर चीज को स्टोर किया जाता है। हम कई बार फ्रिज में सामान को ठीक से स्टोर करने के तरीकों को देखते रहते हैं लेकिन फिर भी सामान को ठीक तरह से स्टोर नहीं कर पाते हैं। ऐसे में कई लोगों के फ्रिज जरूरत से ज्यादा भरे रहते हैं जो फ्रिज के खराब होने का ये सामान्य कारण हो सकते हैं। फ्रिज में उतना ही सामान जिससे सामान आसानी से उठाया जा सके। फ्रिज के सभी हिस्सों का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन इसे ज्यादा भरने से बचें।
3) किसी भी पार्टी के बाद सामान बचना लाजमी है और ऐसे में हर कोई इस सामान को कंटेनर में स्टोर करके फ्रिज में रखता है। लेकिन खाना स्टोर करने से पहले खाने के टेंपरेचर को चेक करना जरूरी है। ऐसे में अगर खाना गर्म हो तो फ्रिज में न रखें ये जल्द खराब हो सकता है।
4) कई बार फ्रिज को ज्यादा भरने के कारण फ्रिज का दरवाजा बंद ही नहीं होता है। ये दिखने में बंद लग सकता है लेकिन कई बार इसका दरवाजा ठीक से बंद न होने की वजह से फ्रिज के जल्दी खराब होने के चांस बढ़ जाते हैं। दरवाजा ठीक से बंद है या नहीं इसे चेक करने के लिए लगाने के बाद हल्का सा खींच कर देखें अगर आपकी पावर लग रही है तो समझ जाएं की ये अच्छे से बंद है।
खाना खजाना / शौर्यपथ / बारिश का मौसम हो और लंच या डिनर पर गर्मा-गर्म मटन सर्व किया जा रहा हो तो भूख और मौसम का मजा दोनों बढ़ जाते हैं। मुंह में पानी भर देने वाली ऐसी ही एक मटन रेसिपी का नाम है अवधी गोश्त कोरमा। यह एक स्वादिष्ट अवधी डिश से जुड़ी मटन रेसिपी है जिसे पारंपरिक लखनवी दम स्टाइल से बनाया जाता है। यह श्रीनगर की फेमस रेसिपी है। जिसे आप चावल या परांठे के साथ भी सर्व कर सकते हैं। तो आइए देर किस बात की जानते हैं कैसे बनाया जाता है अवधी गोश्त कोरमा।
अवधी गोश्त कोरमा बनाने के लिए सामग्री-
-1 किलो मटन
-2 टेबल स्पून रिफाइंड तेल
-3-4 हरी इलाइची
-1 टी स्पून साबुत दालचीनी
-2 बड़ी इलाइची
-2-3 तेजपत्ता
-1 टी स्पून हल्दी पाउडर
-1/4 कप पानी
-1 टी स्पून अदरक-लहसुन का पेस्ट
-1 टी स्पून धनिया पाउडर
-1 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर
-1 टी स्पून लहसुन (कुटा हुआ)
-1 टी स्पून प्याज तला हुआ
-3 टेबल स्पून दही
-2 टी स्पून गुलाब जल
-2 टी स्पून गरम मसाला
-1/2 टी स्पून जायफल
-धनिया पाउडर1/2 टी स्पून
-केसर soaked
-स्वादानुसार नमक
-कुछ बूंदें इत्र
-(गूंथा हुआ) आटा
-गार्निशिंग के लिए हरा धनिया
-गार्निशिंग के लिए अदरक, जूलियन
अवधी गोश्त कोरमा बनाने की विधि-
अवधी गोश्त कोरमा बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में तेल गर्म करके उसमें हरी इलाइची, दालचीनी, लौंग, बड़ी इलाइची और तेजपत्ता डालें। जब ये सभी चीजें हल्की फ्राई हो जाएं तो इसमें मीट, नमक और हल्दी डालकर अच्छे से मिलाएं। अब इसमें पानी डालकर पैन को ढककर अच्छे से पकाएं। जब पानी उबलने लगे तो इसमें अदरक-लहसुन का पेस्ट, धनिया पाउडर, लाल मिर्च, गार्लिक पेस्ट और प्याज का पेस्ट डालकर अच्छे से मिलाएं।
इसके बाद इसमें गुलाब जल, गरम मसाला, जायफल और दालचीनी पाउडर और केसर डालकर ढककर 2 से 3 मिनट के लिए पकाएं। इसके बाद मीट को एक भारी तले के पैन में डालकर इसकी ग्रेवी को छान लें। इसमें कुछ बूंदे इत्र की डालें और पैन को ढक दें। इस पर आटा लगाकर ढक्कन को अच्छे से सील करके धीमी आंच पर पकाएं। अवधी गोश्त तैयार होने पर इसे अदरक और हरा धनिए डालकर अच्छे से गार्निश करके सर्व करें।
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर
जन्म- 19 अक्टूबर 1910
लाहौर- पंजाब, ब्रिटिश भारत
मृत्यु- अगस्त 21, 1995 (उम्र 84)
शिकागो- संयुक्त राज्य
राष्ट्रीयता- ब्रिटिश भारत,
भारत- (१९४७-१९५३)
संयुक्त राज्य- (१९५३-१९९५)
क्षेत्र- खगोलशास्त्र
संस्थान- शिकागो विश्वविद्यालय
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
शिक्षा- ट्रिनिटी कालिज, कैम्ब्रिज
प्रेसिडेंसी कालिज, मद्रास
डॉक्टरी सलाहकार राल्फ एच फाउलर
डॉक्टरी शिष्य डोनाल्ड एड्वार्ड ऑस्टरब्रॉक, यावुज़ नुतको
प्रसिद्धि चंद्रशेखर सीमा
उल्लेखनीय सम्मान नोबल पुरस्कार, भौतिकी (1983)
कॉप्ले पदक (१९८४)
नेशनल मेडल ऑफ साइंस 1967)
पद्म विभूषण 1968
डॉ सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर का जन्म 19 अक्टूबर 1910 को लाहौर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था।[2] उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा मद्रास में हुई। 18 वर्ष की आयु में चंद्रशेखर का पहला शोध पत्र `इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स' में प्रकाशित हुआ।
मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक की उपाधि लेने तक उनके कई शोध पत्र प्रकाशित हो चुके थे। उनमें से एक `प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी' में प्रकाशित हुआ था, जो इतनी कम उम्र वाले व्यक्ति के लिए गौरव की बात।
24 वर्ष की अल्पायु में सन् 1934 में ही उन्होंने तारे के गिरने और लुप्त होने की अपनी वैज्ञानिक जिज्ञासा सुलझा ली थी। कुछ ही समय बाद यानी 11 जनवरी 1935 को लंदन की रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की एक बैठक में उन्होंने अपना मौलिक शोध पत्र भी प्रस्तुत कर दिया था कि सफेद बौने तारे यानी व्हाइट ड्वार्फ तारे एक निश्चित द्रव्यमान यानी डेफिनेट मास प्राप्त करने के बाद अपने भार में और वृद्धि नहीं कर सकते। अंतत वे ब्लैक होल बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि जिन तारों का द्रव्यमान आज सूर्य से 1.4 गुना होगा, वे अंतत सिकुड़ कर बहुत भारी हो जाएंगे। ऑक्सफोर्ड में उनके गुरु सर आर्थर एडिंगटन ने उनके इस शोध को प्रथम दृष्टि में स्वीकार नहीं किया और उनकी खिल्ली उड़ाई। पर वे हार मानने वाले नहीं थे। वे पुन शोध साधना में जुट गए और आखिरकार, इस दिशा में विश्व भर में किए जा रहे शोधों के फलस्वरूप उनकी खोज के ठीक पचास साल बाद 1983 में उनके सिद्धांत को मान्यता मिली। परिणामत भौतिकी के क्षेत्र में वर्ष 1983 का नोबेल पुरस्कार उन्हें तथा डॉ॰ विलियम फाऊलर को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया।
27 वर्ष की आयु में ही चंद्रशेखर की खगोल भौतिकीविद के रूप में अच्छी धाक जम चुकी थी। उनकी खोजों से न्यूट्रॉन तारे और ब्लैक होल के अस्तित्व की धारणा कायम हुई जिसे समकालीन खगोल विज्ञान की रीढ़ प्रस्थापना माना जाता है।
खगोल भौतिकी के क्षेत्र में डॉ॰ चंद्रशेखर, चंद्रशेखर सीमा यानी चंद्रशेखर लिमिट के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं। चंद्रशेखर ने पूर्णत गणितीय गणनाओं और समीकरणों के आधार पर `चंद्रशेखर सीमा' का विवेचन किया था और सभी खगोल वैज्ञानिकों ने पाया कि सभी श्वेत वामन तारों का द्रव्यमान चंद्रशेखर द्वारा निर्धारित सीमा में ही सीमित रहता है।
सन् 1935 के आरंभ में ही उन्होंने ब्लैक होल के बनने पर भी अपने मत प्रकट किए थे, लेकिन कुछ खगोल वैज्ञानिक उनके मत स्वीकारने को तैयार नहीं थे
यद्यपि अपनी खोजों के लिये डॉ॰ चंद्रशेखर को भारत में सम्मान तो बहुत मिला, पर 1930 में अपने अध्ययन के लिये भारत छोड़ने के बाद वे बाहर के ही होकर रह गए और लगनपूर्वक अपने अनुसंधान कार्य में जुट गए। चंद्रशेखर ने खगोल विज्ञान के क्षेत्र में तारों के वायुमंडल को समझने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया और यह भी बताया कि एक आकाश गंगा में तारों में पदार्थ और गति का वितरण कैसे होता है। रोटेटिंग प्लूइड मास तथा आकाश के नीलेपन पर किया गया उनका शोध कार्य भी प्रसिद्ध है।
।अपने अंतिम साक्षात्कार में उन्होंने कहा था, यद्यपि मैं नास्तिक हिंदू हूं पर तार्किक दृष्टि से जब देखता हूं, तो यह पाता हूं कि मानव की सबसे बड़ी और अद्भुत खोज ईश्वर है।
अनेक पुरस्कारों और पदकों से सम्मानित डॉ॰ चंद्रा का जीवन उपलब्धियों से भरपूर रहा। वे लगभग 20 वर्ष तक एस्ट्रोफिजिकल जर्नल के संपादक भी रहे। डॉ॰ चंद्रा नोबेल पुरस्कार प्राप्त प्रथम भारतीय तथा एशियाई वैज्ञानिक सुप्रसिद्ध सर चंद्रशेखर वेंकट रामन के भतीजे थे। सन् 1969 में जब उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने उन्हें पुरस्कार देते हुए कहा था, यह बड़े दुख की बात है कि हम चंद्रशेखर को अपने देश में नहीं रख सके। पर मैं आज भी नहीं कह सकती कि यदि वे भारत में रहते तो इतना बड़ा काम कर पाते।
डॉ॰ चंद्रा सेवानिवृत्त होने के बाद भी जीवन-पर्यंत अपने अनुसंधान कार्य में जुटे रहे। बीसवीं सदी के विश्व-विख्यात वैज्ञानिक तथा महान खगोल वैज्ञानिक डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् चंद्रशेखर का 22 अगस्त 1995 को 84 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से शिकागो में निधन हो गया। इस घटना से खगोल जगत ने एक युगांतकारी खगोल वैज्ञानिक खो दिया। यूं तो डॉ॰ चंद्रशेखर ने काफी लंबा तथा पर्याप्त जीवन जिया पर उनकी मृत्यु से भारत को अवश्य धक्का लगा है क्योंकि आज जब हमारे देश में `जायंट मीटर वेव रेडियो टेलिस्कोप' की स्थापना हो चुकी है, तब इस क्षेत्र में नवीनतम खोजें करने वाला वह वैज्ञानिक चल बसा जिसका उद्देश्य था- भारत में भी अमेरिका जैसी संस्था `सेटी' (पृथ्वीतर नक्षत्र लोक में बौद्धिक जीवों की खोज) का गठन। आज जब डॉ॰ चंद्रा हमारे बीच नहीं हैं, उनकी विलक्षण उपलब्धियों की धरोहर हमारे पास है जो भावी पीढ़ियों के खगोल वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।