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दुर्ग। शौर्यपथ। निगम चुनाव का आगाज हो चूका है 15 जनवरी के बाद कभी भी आचार संहिता लगने की संभावना है ऐसे मे दावेदारो की फौज अपने अपने पार्टी के आकाओ की परिक्रमा लगाने लगे है. इस बार महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से हो रहा है ओबीसी महिला आरक्षित होने से कई प्रबल दावेदार अब अप्रत्यक्ष प्रणाली से होने वाले सभापति के लिए प्रयासरत है.
कांग्रेस मे घमासान मचा हुआ है प्रबल दावेदारो मे धीरज बाक़लीवाल, मदन जैन, राजेश यादव का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है. जिसमे से धीरज बाक़लीवाल और मदन जैन वार्ड आरक्षण के कारण नये वार्ड की तलाश मे है वही राजेश यादव का वार्ड सामान्य घोषित होने से उसी वार्ड से चुनाव की तैयारी कर रहे किन्तु इस वार्ड मे मनीष यादव की दावेदारी राजेश यादव से ज्यादा मजबूत नजर आ रही है वही वार्ड की जनता राजेश यादव के निष्क्रियता से दुरी बनाये हुए है.
पिछले 5 साल मे वार्ड मे जल जीवन मिशन जैसी बड़ी योजना का लाभ ना दिला पाने के कारण जनता मे रोष है वही वार्ड की सुरक्षा के लिए कई दर्ज़न सी सी टीवी कभी पूर्ण कार्य नहीं करना आम जनता मे चर्चा का विषय है.
पिछले 5 सालो मे वार्ड मे निष्क्रिय पार्षद का छाप भी लग चूका है जबकि निगम के सभापति और पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदीप चौबे के करीबी माने जाते है बावजूद इसके संगठन मे और पार्टी मे वो लोकप्रियता हांसिल नहीं कर पाए जिसकी उम्मीद कोंग्रेसी कार्यकर्ताओ को थी सिर्फ मंत्री बँगले और सीएम बँगले के करीबी ही बन पाए. वही सभापति कक्ष से वोरा विरोधी गुट का उदय भी कांग्रेस के पतन का कारण बना.
इस बार राजेश यादव अगली बार मनीष यादव की....
पिछले बार के निकाय चुनाव के समय अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर का चयन होना था तब कांग्रेस की सरकार थी और वार्ड.मे कांग्रेस समर्थक निर्दलीय पार्षद मनीष यादव थे वार्ड मे मनीष यादव सक्रिय एवं लोकप्रिय है इसी का परिणाम रहा की दो बार निर्दलीय जीत दर्ज की और 2019 के निकाय चुनाव मे राजेश यादव के लिए सीट छोड़ी और उनके पक्ष मे 15 साल के वनवास के बाद राजनीती मे आये राजेश यादव को जीत दिलाने अहम् भूमिका निभाई ऐसी भी चर्चा है कि अगली बार के निकाय चुनाव में राजेश यादव वार्ड नंबर 6 से चुनाव ना लड़कर मनीष यादव के लिए प्रयास करेंगे परंतु वर्तमान स्थिति में एक बार फिर राजेश यादव वार्ड नंबर 6 से दावेदारी पेश कर रहे हैं वहीं मनीष यादव ने अपनी दावेदारी पेश कर दी मनीष यादव से चर्चा में यह भी जानकारी मिली है कि अगर मनीष यादव को कांग्रेस से टिकट नहीं मिलेगी तो वह निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरेंगे और एक बार फिर आम जनता के लिए कार्य करेंगे ऐसे में देखना यह है कि क्या राजेश यादव अपने राजनीतिक पहुंच का लाभ उठाकर वार्ड नंबर 6 से टिकट लाते हैं और पिछले निकाय चुनाव में हुए समझौते को तोड़ते हुए फिर से कांग्रेस के बैनर तले चुनाव लड़ते हैं राजनीति में पाल-पाल स्थितियां बदलती हैं ऐसे में वार्ड नंबर 6 में सभी की नजर रहेगी की पुराने वादों को सम्मान दिया जाता है या फिर राजनीतिक पहुंच से टिकट प्राप्त किया जाता है.
वैसे भी दुर्ग शहर में कांग्रेस की स्थिति आपसी गुटबाजी के चलते काफी बिगड़ चुकी है प्रदेश में सत्ता जाने का कारण भी आपसी गुटबाजी ही रहा और इसी गुटबाजी का परिणाम था कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार का पतन हो गया अगर यही गुटबाजी वर्तमान समय में भी जारी रही तो कोई बड़ी बात नहीं कि निकाय चुनाव में भी कांग्रेस का सुपड़ा साफ हो जाएगा बरहाल वार्ड नंबर 6 से कौन कांग्रेस का प्रत्याशी होगा इस पर वार्ड वासियो सहित राजनीतिक क्षेत्र में जुड़े लोगों की भी नजर रहेगी.
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग निगम में आरक्षण प्रक्रिया के कारण कई पार्षद ऐसे है जो अन्य वार्ड की तलाश कर रहे है ऐसा ही एक वार्ड है गंजपारा वार्ड जहाँ से निर्वृत्मान पार्षद और एमआईसी प्रभारी रहे ऋषभ जैन का वार्ड न. 35 आरक्षण के बाद महिला ओबीसी में आ गया जिसके कारण अब पूर्व गृह मंत्री के करीबी ऋषभ जैन किसी सुरक्षित वार्ड की तलाश में है किन्तु गत विधान सभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्यशी अरुण वोरा का विरोध इस बार ऋषभ जैन के लिए भी मुश्किलें पैदा कर सकता है . राजनितिक जानकारों का मानना है कि ऋषभ जैन को पिछली बार टिकिट दिलवाने में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू की अहम् भूमिका रही थी किन्तु हाल ही में हुए विधान सभा चुनाव में जिस तरह दुर्ग विधान सभा में भीतरी घात से कांग्रेस प्रत्यशी की बड़ी हार हुई थी वैसी ही हार दुर्ग ग्रामीण से पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस उम्मीदवार ताम्रध्वज साहू की भी हुई थी . इसी भीतरीघात का परिणाम रहा कि कांग्रेस ना केवल कई विधान सभा सीट में पराजित हुई अपितु प्रदेश में सरकार में भी बदलाव हुआ . भीतरीघात का जो जख्म कांग्रेस ने झेला और लोकप्रिय सरकार का पतन हुआ ऐसे में अब ऐसे कांग्रेसियों से संगठन भी दुरी बनाना चाहता है .
दुर्ग में कांग्रेस प्रत्याशी अरुण वोरा के चुनावी समर में कांग्रेस विरोधी कहे या प्रत्यशी विरोधी ऋषभ जैन के नाम की भी चर्चा जोरो पर रही वही एमआईसी प्रभारी रहने के दरमियान सचिवालय से ज्यादा घर में ही अधिकारियों को बुलाने और सक्रियता में कमी के चलते काफी आलोचना का शिकार होना पडा . एक बार फिर चुनावी समर आरम्भ हो चुका है ऐसे में शहर में यह चर्चा का विषय है कि क्या परदेश के वरिष्ठ कद्दावर नेता संगठन के हित में फैसला लेंगे या करीबी होने का लाभ दिलाते हुए ऋषभ जैन को किसी अन्य सामान्य सीट वाले वार्ड से कांग्रेस का प्रत्याशी बनाने में अहम् भूमिका निभाएंगे ?
दुर्ग। शौर्यपथ। विधानसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मदन जैन ने कांग्रेस प्रत्याशी अरुण वोरा के खिलाफ खुलकर कार्य किया था उससे यह लगता था कि अब मदन जैन और अरुण वोरा के रास्ते अलग-अलग हो चुके हैं परंतु लोकसभा में विधानसभा से बड़ी हार के बाद एक बार फिर कांग्रेस में अरुण वोरा की अहमियत बढ़ने लगी और दुर्ग कांग्रेस का केंद्र बिंदु एक बार फिर वोरा निवास बनने लगा अब जल्दी नगरी निकाय चुनाव होने वाले हैं इस नगरी निकाय चुनाव में वार्ड पार्षदों की टिकट देने में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक अरुण वोरा की राय की काफी अहमियत बढ़ गई है ऐसे में विधानसभा चुनाव में अरुण वोरा की हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मदन जैन एक बार फिर वार्ड नंबर 39 में अपने दावेदारी को मजबूत करने में लगे हुए हैं और पोस्टर के जरिए प्रचार प्रसार आरंभ भी कर दिया है खास बात यह है कि कभी अरुण वोरा के फोटो को पोस्ट में जगह न देने वाले मदन जैन अब फिर से अरुण वोरा का फोटो अपने पोस्टर में लगाकर वोरा के साथ होने का दावा कर रहे हैं परंतु जब अरुण वोरा को कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की जरूरत थी तब कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी अरुण वोरा को एक बड़ी हार के साथ चुकाना पड़ा किंतु वर्तमान समय में नगरी निकाय चुनाव में वोरा के समर्थन के बिना कुछ मुमकिन नजर नहीं आ रहा है ऐसे में जिन्होंने वोरा के साथ चुनाव में अपना विरोधी रंग दिखाया था अब फिर पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता अरुण वोरा के समर्थक होने का दावा करते नजर आ रहे हैं अब देखना यह है कि अरुण वोरा क्या अपनी हार और कांग्रेस विरोधी तथ्यों को भुलाकर मदन जैन का पक्ष रखकर उन्हें टिकट दिलाने में अहम्भू भूमिका निभाएंगे या फिर वार्ड नंबर 39 में सक्रिय रूप से कार्य करने वाली शकुन ढीमर को कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में आगे बढ़ाएंगे राजनीति में रंग बदलना पल पल देखा जाता है और ऐसे बदलते हुए रंग में अरुण वोरा क्या मदन जैन के रंग में रंगते हैं या फिर कांग्रेस विरोधी कार्यो का हवाला देकर उनकी टिकट कटवाते हैं।
दुर्ग / शौर्यपथ / निकाय चुनाव का कभी भी आगाज हो सकता है साय सरकार ने भी कह दिया है कि चुनाव जल्द होंगे इन्हें टाला नहीं जाएगा ऐसे में आरक्षण प्रक्रिया पुरी होने के बाद स्थिति भी साफ़ हो गई है किस वार्ड से कौन से वर्ग में टिकिट वितरण करनी है महापौर आरक्षण होने के बाद नारी शक्ति को सत्ता की कमान मिलेगी . कांग्रेस संगठन की बात करे तो दुर्ग में टिकिट वितरण में एक बार फिर पूर्व विधायक एवं वरिष्ठ कांग्रेसी अरुण वोरा की भूमिका अहम् रहेगी . गत विधान सभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी वोरा के खिलाफ कई कांग्रेसियों ने भीतरीघात किया तो कई ने खुलकर पार्टी विरोधी कार्य किया हालांकि यह चर्चा फैलाई गई कि उनका विरोध पार्टी प्रत्याशी के विरुद्ध है किन्तु सत्य यही है कि दुर्ग शहर में कांग्रेस प्रत्याशी की बड़ी हार हुई , प्रदेश से कांग्रेस की छुट्टी हुई अब एक बार फिर कांग्रेस अपने आप को स्थापित करने में लगी है ऐसे में यह चर्चा जोरो पर है कि क्या प्रदेश संगठन दुर्ग में वरिष्ठ नेता अरुण वोरा की राय को दरकिनार कर उन लोगो को भी टिकिट देगी जो बंद कमरे और खुले में कांग्रेस प्रत्याशी के विरोध में कार्य किये है .
पूर्व सभापति कक्ष बना विरोधी गुट का केन्द्र बिंदु ....
सालो के वनवास के बाद सक्रीय राजनीती में कदम रखने वाले राजेश यादव अंतिम क्षणों में निर्दलीय पार्षद सुश्री नीता जैन के मत से सभापति की खुर्सी तक पहुंचे थे परन्तु पांच सालो के कार्यकाल में सभापति के कक्ष से तात्कालिक विधायक के विरोध के स्वर को यही से बल मिलता रहा और यह स्वर धीरे धीरे इतना बुलंद हुआ कि विधान सभा चुनाव में इसका परिणाम कांग्रेस की बड़ी हार रहा . अब एक बार फिर विधान सभा से बड़ी हार लोकसभा में होने के कारण टिकिट वितरण में वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरुण वोरा की भूमिका को अहम् माना जा रहा है अगर संगठन पूर्व की गतिविधियों को गंभीरता से संज्ञान लेता है तो कांग्रेस से राजेश यादव , मदन जैन , ऋषभ जैन , मनदीप भाटिया , बिजेंद्र भारद्वाज राजकुमार नारायणी की टिकिट कटना तय है .
दुर्ग कांग्रेस में एक बार फिर नेतृत्तव की कमान वोरा के हाथ में है संगठन में वर्तमान समय में पांच सालो के कार्यकाल में सभापति के रूप में राजेश यादव ने निगम में अपनी कोई छाप नहीं छोड़ी विधान सभा चुनाव के बाद महापौर एवं विधायक के साथ कार्यक्रमों में ज़रूर नजर आये किन्तु प्रदेश के मुखिया से करीबी होने के बावजूद भी दुर्ग में कांग्रेस संगठन के लिए कोई बड़ा कार्य किया हो कही नजर नहीं आया और पुरे पांच साल विधायक विरोधी गुट की बैठक का केन्द्र बिंदु सभापति कक्ष ही रहा कांग्रेस की गुटीय राजनीती को बढ़ावा यही से मिला जिस पर रोक लगाने में पूर्व सभापति यादव असफल रहे . ऐसे में आने वाले चुनाव में संगठन अपनी पूर्व की गलतियों से सबक लेता है या नहीं आने वाले समय में सामने आएगा कि संगठन पूर्व विधायक के राय को कितना महत्तव देता है . वर्तमान विधायक के एक साल के कार्यकाल में शहर की जनता जिस तरह से विधायक से दूर हो रही है और कमीशनखोरी , अवैध अतिक्रमण , घोटालो के खिलाफ जंग में वर्तमान सरकार असफल हुई उससे कही ना कही कांग्रेस को फायदा हो सकता है किन्तु कांग्रेस मे चाटूकारिता के स्थान को अगर महत्तव दिया तो कोई बड़ी बात नहीं कि इस बार कांग्रेस की निगम में वार्ड पार्षदों की संख्या में भी कमी आ जाएगी . जो कि आने वाले समय में साफ़ हो जाएगा ..
सरकार चयनित शिक्षकों को दूसरे पदों पर समायोजित करे: कांग्रेस
रायपुर/ शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि सरकार बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों के साथ अन्याय कर रही है। भले ही इन शिक्षकों की नौकरी पर संकट तकनीकी रूप से अदालती निर्णय के कारण आया है लेकिन सरकार चाहे तो इस समस्या का तत्काल निराकरण कर सकती है। सरकार के पास शिक्षा विभाग में ही अनेकों ऐसे पद है जहां समान वेतनमान पर इन 2897 शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है। प्रयोगशाला सहायक, उच्च श्रेणी शिक्षकों के रूप में इनकी नियुक्तियां की जा सकती है। वर्तमान शिक्षा विभाग में 70 हजार पद रिक्त है। 33000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया सरकार रोक कर रखी हैं। इन पदों पर इन शिक्षकों को समायोजित किया जा सकता है। सरकार इनके मामले में तत्काल निर्णय लेकर इनका समायोजन करे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि प्रदेश के 2897 सहायक शिक्षक अपनी नौकरी बचाने के लिये आंदोलनरत है, धरने पर बैठे है सरकार है कि इस मामले में कोई निर्णय नहीं ले रही है। बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों की नौकरी बचाने सरकार के पास अनेकों विकल्प है, विभागीय डीएड परीक्षा का आयोजन भी करवा कर नौकरी यथावत बरकरार रख सकती है सरकार लेकिन इस सरकार की नीयत ठीक नहीं है। भाजपा सरकार नौकरी छीनने वाली सरकार है। इन शिक्षकों को सरकार ने भर्ती निकाल कर प्रक्रिया पूरी करने के बाद नियुक्ति दिया था। अब अदालत के निर्णय के बाद गतिरोध आ रहा है तो सरकार इस मामले का समाधान निकाल डीएड प्रशिक्षित शिक्षकों के लिये अलग भर्ती निकाले तथा इन पहले से नियुक्ति पा चुके 2897 शिक्षकों की सेवा आगे सुनिश्चित रखने की व्यवस्था करें। इन शिक्षकों की भर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान ही हुआ था, ऐसा नहीं है भाजपा सरकार बनने के बाद भी तीसरी और चौथी काउंसलिंग 9 फरवरी 2024 तथा 7 मार्च 2024 को हुई थी तथा इनकी नियुक्तियां हुई थी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि इस मामले प्रभावित अधिसंख्यक शिक्षक बस्तर और सरगुजा संभाग के है तथा दूरस्थ क्षेत्रों में पदस्थ है। 2897 में से 70 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते है। यह इन के भविष्य का सवाल है। सरकार इनके मामले में सहानुभूति पूर्वक निर्णय करें।
दुर्ग / शौर्यपथ / नगरीय निकाय चुनाव का आगाज हो चूका है पार्षद आरक्षण के बाद दुर्ग निगम के कई वरिष्ठ पार्षद इस आरक्षण के बाद राजनितिक सफ़र के एक ऐसे रास्ते पर पहुँच गए जो उनके लिए डेड एंड साबित हो सकता है वही कुछ पार्षद महापौर की रेस में शामिल होने के लिए अग्रसर है तो कुछ अन्य वार्डो की तलाश किन्तु वर्तमान स्थिति में अगर देखा जाए तो एक बार फिर राजनीती घमासान दोनों ही दलों में देखने को मिलेगी . कुछ सफल भी होंगे तो कुछ के लिए राजनितिक सफ़र 05 साल या अधिक समय के लिए बंद हो जायेगा . राजनितिक पड़ाव का आखिरी सफ़र कांग्रेस में ज्यादा देखने को मिलेगा भाजपा के पार्षदों को एल्डरमैन के रूप में पुनः सक्रियता निभाने का मौका मील सकता है .
भाजपा के शिवेंद्र परिहार , देव नारायण चंद्राकर , अरुण सिंह , मीना सिंह ओम,प्रकाश सेन ऐसे पार्षद रहे है जिन्होंने अपने वार्ड में लगातार सक्रीय भूमिका निभाई और संगठन में भी अपनी स्थिति मजबूत बनाए हुए है किन्तु आरक्षण की मार से अब नै भूमिका की तलाश में है ऐसे में महापौर के आरक्षण का भी इन्हें इंतज़ार है . प्रदेश में भाजपा की सत्ता होने से इनके लिए एल्डरमैन के रूप में एक मार्ग और खुला हुआ है वही महापौर आरक्षण के बाद बनी स्थिति में ए महापौर दावेदार के रूप में भी सामने आ सकते है . भाजपा के ये चार शिवेंद्र परिहार , देव नारायण चंद्राकर , अरुण सिंह,ओम प्रकाश सेन चेहरे अपने राजनितिक गुरुओ के सहारे इस रेस में शामिल है जो वार्ड में लोकप्रिय भी है इसमें से ओम प्रकाश सेन अपने वार्ड में महिला आरक्षित होने से परिवार के महिला सदस्य के साथ मैदान में उतर सकते है और जीत दर्ज कर सकते है वही देव नारायण चंद्राकर बगल के वार्ड में कुच कर अपना निगम का राजनीती सफ़र जारी करे तो भी कोई आश्चर्य नहीं होगा वही एल्डरमैन के लिए भी मार्ग प्रशस्त है .
वही अगर कांग्रेस की बात कही जाए तो ऋषभ जैन किसी अन्य वार्ड से टिकिट की उम्मीद तो कर सकते है किन्तु विधान सभा चुनाव के बाद बनी स्थिति और आरक्षण की मार से इनका आगे का मार्ग लम्बे समय के लिए विराम की दिशा में संकेत कर रहा है . कुछ ऐसी ही स्थिति मनदीप भाटिया की भी है प्रथम बार निगम चुनाव लड़ कर पार्षद और फिर बाद में एमआई सी सदस्य बने किन्तु आरक्षण की ऐसी हवा चली की आगे का मार्ग वर्तमान परिदृश्य में बंद ही नजर आ रहा है . कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद टाइगर अभि जिन्दा है के संबोधन को सार्थक करते हुए एक बार फिर चुनावी मैदान में उअतारने की तैयारी में है ऐसी भी चर्चा है कि वार्ड 39 से ए चुनावी मैदान में उतर सकते है जहाँ से वर्तमान में पुष्पा गुलाब वर्मा मैदान में है इस बार यह वाद सामान्य होने से और पूर्व में कांग्रेस का वार्ड होने से कांग्रेस इस वार्ड को एक बार फिर अपने खेमे में लाने की कोशिश करेगी वही भाजपा के संभावित प्रत्याशी गुलाब वर्मा से मुकाबला करने में मदन जैन ही उपयुक्त हो सकते है . दुर्ग निगम महापौर धीरज बाकलीवाल का वार्ड ओबीसी महिला होने से अब अपने निवास वार्ड 45 जो कि सामान्य है पर निगाह है किन्तु इस वार्ड में कांग्रेस के लिए प्रत्याशी के रूप में पूर्व विधायक अरुण वोरा की पहली पसंद राजेश शर्मा ही हो सकते है . दुर्ग कांग्रेस में राजेश शर्मा ही एक ऐसे कांग्रेसी है जो कही से भी कांग्रेस के लिए सक्रीय नहीं रहे है सिर्फ वोरा परिवार के करीबी होने से इस परिवार के लिए पूर्व विधायक अरुण वोरा सभी नियमो को दरकिनार कर देते है और अपनी कही बातो से भी मुकर जाते है जैसा कि पिछले कार्यकाल में देखने को मिला वार्ड 45 से पार्षद रहे किन्तु सक्रिय के लिहाज से और हार की संभावना से इमके वार्ड को परिवर्तित कर 46 नंबर से श्रीमती कमला शर्मा को टिकिट मिला जिसके कारण कांग्रेस ने अपने मजबूत कार्यकर्ता लीला पाल को भी खो दिया किन्तु सत्ता की ताकत के आगे सब जायज का किस्सा यहाँ भी चला वही एल्डरमैन के लिए राजेश शर्मा के नाम को नामित कर कई कांग्रेसियों से भी नाराजगी मोल ली जो विधान सभा चुनाव में हार का एक प्रमुख कारण रही और अपने ही वार्ड से प्रत्यशी के रूप में अरुण वोरा की हार हुई अब एक बार फिर वार्ड 45 सामान्य सीट के लिए वर्तमान महापौर बाकलीवाल और राजेश शर्मा किसी एक पर मुहर लगाने में बड़ी भूमिका अरुण वोरा की होगी जो उनके आगे की राजनितिक सफ़र के लिए भी काफी अहम् होगी . वही हमीद खोखर जो अपने वार्ड से लगातार तीन बार विजयी हुए है इस बार महिला आरक्षित होने से चुनाव मैदान से हटने की बात कह रहे है किन्तु राजनीती में कब क्या हो कहना संभव नहीं ऐसे में अंतिम समय में परिवार के किसी को चुनावी मैदान में भी उतार सकते है और यह सीट कांग्रेस के खाते में डाल सकते है जो कि आने वाले समय में स्पष्ट हो जायेगा .
राजनीती एक ऐसा मंच है जहन स्थिति निरंतर बदलती है ऐसे में कयासों का बाजार लगातार इस ठण्ड में गर्मी प्रदान कर्ता रहेगा स्थितिया बदलेंगी और चर्चाये भी दोस्त कब दुश्मन बनेगे , दुश्मन कब दोस्त बनेगे यह कहा नहीं जा सकता क्योकि राजनीती में पद महत्तवपूर्ण होता है दोस्ती दुश्मनी राजनीती में लम्बे समय के लिए नहीं होती .
चुनावी विश्लेषण
शरद पंसारी (संपादक शौर्यपथ दैनिक समाचार )
27 जून को शुरू हुआ जनदर्शन कार्यक्रम अब तक 21 बार स्थगित,जनता अपनी परेशानी किसको बताये? : कांग्रेस
रायपुर/ शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री जनता से मिलते ही नहीं है फिर उन्हें कैसे पता चलेगा कि सरकार के काम से जनता खुश है या नाखुश है? मुख्यमंत्री निवास में 27 जून को शुरू हुआ जनदर्शन कार्यक्रम अब तक 21 बार स्थगित हो चुका है मात्र पांच बार ही जनदर्शन कार्यक्रम हुए हैं लेकिन उसका भी लाभ आम जनता को नहीं मिला है। मुख्यमंत्री निवास जनता जा नहीं सकती है मुख्यमंत्री जहाँ दौरा में जाते हैं वहां प्रशासन जनता को मिलने से रोकते हैं। मुख्यमंत्री से मिलने निवेदन करते संघर्ष करते महिलाओं बुजुर्गों के कई सारे वीडियो सामने आ गए हैं। जिसमें जनता के साथ प्रशासनिक बदसलूकी नजर आयी है। पूरे प्रदेश में आम जनता सरकार के कामकाज को लेकर भारी आक्रोशित है। ये सरकार एक साल में ही अलोकप्रिय हो चुकी है।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि पांच बार हुए जनदर्शन कार्यक्रम में जनता से मिले हजारों आवेदनों का अब तक निराकरण नही हुआ है। सरकारी दफ्तरों में बिना लेन देन काम नही हो रहा है। मंत्री के बंगलो के बाहर भी मंत्रियों के प्रवास का साईन बोर्ड अधिकांश समय लटकते रहता है। जनता अपनी समस्याओं को सुलझाने सिर्फ बंगलो का चक्कर लगाते रहती है लेकिन उनका कोई सुनने वाला ही नही है। ऐसे में जनदर्शन कार्यक्रम सिर्फ धोखा साबित हो रहा है। जनता हर गुरुवार को जनदर्शन कार्यक्रम होने का बेसब्री से इंतजार करती है लेकिन उन्हें जनदर्शन कार्यक्रम स्थगित होने की सूचना मिलती है इससे जनता में मायूसी छा जाती है।
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर निगम के पूर्व एल्डरमैन भाजपा नेता डॉ. प्रतीक उमरे ने कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी से दुर्ग नगर निगम के महापौर पद का आरक्षण छत्तीसगढ़ राज्य कल्याण आयोग द्वारा पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या के संबंध में मान्य किए गए सांख्यिकीय आंकड़े के आधार पर करने का आग्रह किया है।डॉ. प्रतीक उमरे ने कहा की अब प्रदेश में नगरीय निकाय में महापौर का चुनाव अब सीधे मतदाता करेंगे इसलिए आरक्षण की प्रक्रिया पारदर्शी एवं नियमों अनुरूप होना चाहिए जिससे किसी प्रकार के विवाद की स्थिति निर्मित न हो।पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने कहा की नगरीय प्रशासन विभाग ने छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम (संशोधन) अध्यादेश 2024 व छत्तीसगढ़ नगर पालिका (संशोधन) अध्यादेश 2024 की अधिसूचना की प्रति कलेक्टरों,नगर निगम आयुक्तों को भेज दिया है।इसमें संशोधित अधिनियम के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
नगरीय निकाय में हफ्ते भर के भीतर आरक्षण की प्रक्रिया पूर्ण कर लिया जाएगा।इसलिए पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने कलेक्टर से आग्रह किया है कि अन्य पिछड़ा वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने छत्तीसगढ़ राज्य कल्याण आयोग द्वारा पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या के संबंध में मान्य किए गए सांख्यिकीय आंकड़े को आधार बनाया जाना चाहिए।
रायपुर/ शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में नगरीय निकायों में आरक्षण को लेकर जारी अध्यादेश छत्तीसगढ़ की बहुसंख्यक आबादी जो अन्य पिछड़े वर्ग के लोग हैं, उनके साथ अन्याय है। भाजपा से जुड़े लोग विज्ञापन बोर्ड पर ओबीसी को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का दावा कर रहे हैं जो सरासर झूठ है। हक़ीक़त यह है कि आरक्षित सीटों की कुल संख्या ही अधितकम 50 प्रतिशत है, इसमें एससी, एसटी, अल्पसंख्यक और ओबीसी सभी के आरक्षण शामिल हैं। सरकार ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत की है, जहां एससी-एसटी की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा है, वहां पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी मूलतः आरक्षण विरोधी है। छत्तीसगढ़ में जब ये विपक्ष पक्ष में थे, तो राजभवन की आड़ में विधानसभा से सर्वसम्मति से पारित आरक्षण विधेयक लटकाए रखें। आरक्षित वर्गो को उनकी हिस्सेदारी के अनुसार आरक्षण का लाभ देने के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के द्वारा 2 दिसंबर 2022 को सर्वसम्मति से पारित, “छत्तीसगढ़ नवीन आरक्षण विधेयक“ विगत 2 वर्ष से अधिक समय से आज तक राजभवन में लंबित है। भाजपा नेता बताएं कि छत्तीसगढ़ की बहुसंख्यक आबादी के शिक्षा और रोजगार के हितों को प्रभावित करने वाले इस महत्वपूर्ण आरक्षण विधेयक को कब तक राजभवन में लंबित रखा जाएगा? भाजपाई बताएं कि छत्तीसगढ़ के बहुसंख्यक आबादी जो ओबीसी हैं, उनको 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ क्यों नहीं मिलना चाहिए? सामान्य वर्ग के गरीबों को ईडब्ल्यूएस का आरक्षण क्यों बाधित है? अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत आरक्षण के लाभ के साथ अनुसूचित जातियों को उनकी आबादी अनुरूप 13 प्रतिशत आरक्षण क्यों नहीं देना चाहती है भाजपा सरकार?
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा सरकार के द्वारा आरक्षण के प्रावधानों में जो परिवर्तन किया गया वह पिछड़े वर्ग के हितों के खिलाफ़ है। पिछड़े वर्ग के अधिकारों को छीनने का काम भाजपा की सरकार कर रही है, ऐसे असंतुलित प्रावधान के बाद पिछड़े वर्ग के लिए कुछ नहीं बचने वाला है। पिछड़े वर्ग के लोग महापौर और जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए तरस जाएंगे, यह सरकार पिछड़े वर्ग के खिलाफ़ लगातार षडयंत्र कर रही है। साय सरकार के ओबीसी विरोधी षडयंत्रों पर पर्देदारी करने भाजपा नेता, साय को पिछड़े वर्ग को 50 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए धन्यवाद ज्ञापित करने, विज्ञापन लगवा कर झूठे तथ्य प्रसारित करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। यदि केवल अन्य पिछड़े वर्ग को 50 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा तो कुल आरक्षण 96 प्रतिशत हो जाएगा। जबकि भाजपा बार बार कह रही है कि आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत ही रखा जाएगा, अध्यादेश में भी आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फ़ीसदी ही है। छत्तीसगढ़ में आधे से अधिक आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग की है, जिनके साथ यह सरकार धोखा कर रही है, ठग रहे हैं, उनके जायज़ हकों़ पर डकैती की जा रही है।