December 07, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर 60.25% मतदान; युवाओं और महिलाओं की बड़ी भागीदारी से बढ़ी उम्मीदें, नीतीश-तेजस्वी दोनों खेमे में बढ़ा आत्मविश्वास

पटना / शौर्यपथ /
लोकतंत्र की भूमि बिहार ने गुरुवार को एक बार फिर अपनी राजनीतिक जागरूकता और जनभागीदारी से पूरे देश को संदेश दिया। विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर औसतन 60.25 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया — जो पिछले 25 वर्षों में सर्वाधिक है।
यह आँकड़ा केवल वोटिंग प्रतिशत का नहीं, बल्कि लोकतंत्र के प्रति जनता के विश्वास और युवा मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी का प्रतीक है।

 ऐतिहासिक मतदान, नए बिहार की झलक

शाम पाँच बजे तक प्राप्त आँकड़ों के अनुसार बिहार के ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में उत्साहपूर्ण मतदान देखने को मिला। 1990 के दशक के बाद यह पहला मौका है जब मतदान का प्रतिशत 60 के पार पहुँचा।
2020 के विधानसभा चुनाव में जहाँ 57.29% मतदान हुआ था, वहीं इस बार 3 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।
सबसे अधिक वोटिंग बेगूसराय में 67.32% और समस्तीपुर में 66.65% रही, जबकि पटना जिले में 55.02% मतदान हुआ।
मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और लखीसराय जैसे जिलों में मतदाताओं ने लोकतंत्र के इस पर्व को उत्सव की तरह मनाया।

 सियासत की परीक्षा – 16 मंत्रियों और कई दिग्गजों की किस्मत ईवीएम में बंद

पहले चरण में नीतीश सरकार के 16 मंत्रियों समेत तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, अनंत सिंह, मैथिली ठाकुर, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा जैसे दिग्गज उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई।कुल 1,314 उम्मीदवारों की प्रतिष्ठा दाँव पर है।45,341 मतदान केंद्रों पर शांतिपूर्ण तरीके से मतदान हुआ, जिन पर चार लाख से अधिक मतदानकर्मी और 65,000 से अधिक पोलिंग एजेंट तैनात रहे।

एनडीए का दावा – विकास पर मुहर, महागठबंधन का पलटवार – वोट चोरी का डर

पहले चरण की वोटिंग समाप्त होते ही सियासी दावे भी तेज हो गए।
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि “बिहार के जागरूक मतदाताओं ने नीतीश कुमार के विकास और सुशासन पर मुहर लगा दी है, एनडीए दोबारा सत्ता में आएगा।”
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने दावा किया – “पहले चरण में ही एनडीए 100 सीटें जीत रहा है। ज्यादा वोटिंग का फायदा हमें मिलेगा।”

वहीं, महागठबंधन की ओर से राहुल गांधी ने पूर्णिया की सभा में आरोप लगाया कि “बिहार में लाखों नाम वोटर लिस्ट से काट दिए गए हैं। भाजपा चुनाव चोरी की कोशिश कर रही है, लेकिन युवाओं और जेन-जी को संविधान की रक्षा करनी है।”

 युवा वोटरों की एंट्री – ‘Gen-Z’ बना बिहार चुनाव का गेम चेंजर

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार राज्य के कुल मतदाताओं में 25% हिस्सा 18-29 वर्ष आयु वर्ग के मतदाताओं का है।
हर चौथा वोटर युवा है — यानी भविष्य का बिहार खुद अपने मत से गढ़ रहा है।
बेगूसराय में 25.16%, मधेपुरा में 24.66% और खगड़िया में 24.29% जेन-जी वोटर हैं।

यह नई पीढ़ी जाति या धर्म की राजनीति से परे रोजगार, पारदर्शिता, शिक्षा और इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर वोट डाल रही है।
विश्वविद्यालय परिसरों से लेकर सोशल मीडिया तक, इन युवाओं की सक्रियता ने इस चुनाव को विचार और विज़न की जंग में बदल दिया है।

चुनाव आयोग की सख्त निगरानी – हर बूथ पर CCTV की नजर

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार, निर्वाचन आयुक्त एस.एस. संधू और विवेक जोशी ने दिल्ली स्थित नियंत्रण कक्ष से पूरे बिहार की वोटिंग प्रक्रिया पर नज़र रखी।
राज्य के 45,000 से अधिक मतदान केंद्रों से लाइव फीड मंगवाए जा रहे थे।
इस बार पहली बार सभी बूथों पर CCTV कैमरे लगाए गए, जिससे पारदर्शिता और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित हो सके।

 दूसरा चरण 11 नवंबर को, नतीजे 14 नवंबर को

पहले चरण की शांतिपूर्ण और रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग ने अब दूसरे चरण की जंग को और रोचक बना दिया है।
11 नवंबर को शेष जिलों में मतदान होगा और 14 नवंबर को मतगणना के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को फिर मौका दिया या तेजस्वी यादव को सत्ता की कुर्सी सौंपी।

 “लोकतंत्र की असली जीत जनता की भागीदारी से होती है”

चुनाव विश्लेषकों के मुताबिक, इस बार मतदान दर में वृद्धि का सीधा संबंध युवाओं और महिलाओं की बढ़ती जागरूकता से है।
महिलाओं ने गाँव-गाँव में लंबी कतारों में खड़े होकर मतदान किया, जबकि पहली बार वोट डालने वाले युवाओं ने इसे “अपना पहला राजनीतिक वक्तव्य” बताया।

समापन टिप्पणी:

बिहार का यह पहला चरण सिर्फ राजनीतिक दलों की परीक्षा नहीं, बल्कि लोकतंत्र की परिपक्वता और जनसक्रियता का उत्सव भी है।
25 साल बाद जब मतदान का प्रतिशत 60 के पार पहुँचा, तो यह केवल आँकड़ा नहीं रहा — यह बिहार की जनता की परिपक्व सोच, लोकतंत्र के प्रति आस्था और परिवर्तन की पुकार बन गया।

  दुर्ग । शौर्यपथ । मदन मोहन त्रिपाठी के पुत्र और कृष्णा पब्लिक स्कूल, नेहरू नगर, भिलाई के डायरेक्टर आलोक त्रिपाठी का चेन्नई के रेला अस्पताल में आज सुबह लगभग 4:30 बजे निधन हो गया। उनका पार्थिव शरीर एम्बुलेंस के जरिए नेहरू नगर, भिलाई दुर्ग स्थित उनके गृह निवास लाया जा रहा है। अंतिम संस्कार 7 नवंबर को शुक्रवार दोपहर शिवनाथ नदी स्थित मुक्तिधाम, दुर्ग में किया जाएगा। प्राचार्या श्रीमती सविता त्रिपाठी सहित परिवारजनों एवं स्कूल स्टाफ ने इस दुखद घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें एवं परिवार को यह दुःख सहन करने की शक्ति दें। यह समाचार स्थानीय शिक्षा एवं सामाजिक समुदाय के लिए बड़ा नुकसान है क्योंकि आलोक त्रिपाठी न केवल विद्यालय के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे बल्कि सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय थे। 

शौर्यपथ राशिफल। 6 नवंबर 2025, गुरुवार का दिन सभी राशियों के लिए मिलाजुला फल लेकर आ रहा है, जिसमें कुछ राशियों के लिए यह दिन…

दुर्ग। शौर्यपथ। नगर निगम दुर्ग के अतिक्रमण शाखा में कार्यरत धर्मेंद्र कुमार मनहरे (मंणी) के आकस्मिक निधन की खबर से पूरा निगम परिवार शोक में डूब गया है। धर्मेंद्र कुमार मनहरे अपने सौम्य स्वभाव, मिलनसार व्यक्तित्व और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाने जाते थे।

 

सहकर्मियों के बीच वे हमेशा आदर और स्नेह का भाव बनाए रखते थे। उनकी सादगी, सरलता और ईमानदार कार्यशैली ने उन्हें सभी के बीच एक विशेष पहचान दिलाई थी। उनके निधन से अतिक्रमण शाखा सहित समूचे नगर निगम परिवार में शोक की लहर व्याप्त है।

 

धर्मेंद्र जी अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं।

ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और शोकाकुल परिवार को इस कठिन समय में धैर्य दे।

 

— नगर निगम परिवार, दुर्ग

— शौर्यपथ दैनिक समाचार पत्र परिवार धर्मेंद्र कुमार मनहरे (मंणी) को श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

?️ ओम शांति ?️

कोंडागांव विशेष संवाददाता दीपक वैष्णव की रिपोर्ट
कोंडागांव / शौर्यपथ /

  कोंडागांव जिले की बम्हनी ग्राम पंचायत में एक बड़ा वित्तीय घोटाला उजागर हुआ है। आरोप है कि पंचायत सचिव द्वारा रोकड़ मिलान, बर्तन खरीदी और सिलाई मशीन खरीदी जैसे मदों के नाम पर लाखों रुपये का गबन किया गया।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब मामले की जांच की गई, तो जिला पंचायत स्तर के अधिकारियों ने कथित रूप से एक झूठी जांच रिपोर्ट तैयार कर सचिव को बचाने का प्रयास किया।

  रोकड़ मिलान के नाम पर 11.80 लाख रुपये का आहरण
 सूत्रों के अनुसार, ग्राम पंचायत बम्हनी के सचिव गजेंद्र पोयाम ने वित्तीय वर्ष के दौरान ?11,80,137 रुपये रोकड़ मिलान के नाम पर आहरित किए।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह राशि योजना के खातों से निकाल ली गई, परंतु खर्च का कोई स्पष्ट रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
जांच रिपोर्ट में इसे मात्र "कंप्यूटर ऑपरेटर की त्रुटि" बताया गया — जिससे ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों में आक्रोश है।

  खरीदी में भी गड़बड़ी के संकेत

जिला पंचायत की जांच रिपोर्ट के अनुसार, पंचायत द्वारा सिलाई मशीन और बर्तन क्रय पर ?17,09,950 का भुगतान किया गया था।
परंतु, जांच के दौरान न तो मशीनें मिलीं, न बर्तन।
किसे वितरण किया गया या सामग्री कहाँ गई — इस पर रिपोर्ट मौन है।
ग्रामीणों का कहना है कि यह "कागज़ी खरीदी" का मामला प्रतीत होता है।

  जांच टीम पर उठे सवाल

इस मामले की जांच गजेंद्र कुमार साहू (जिला समन्वयक, जिला पंचायत), नितिन कुमार मिश्रा (कंप्यूटर प्रोग्रामर, मनरेगा), और बी.आर. मोरे (उप संचालक, पंचायत) की टीम द्वारा की गई।
ग्रामीणों का आरोप है कि इन अधिकारियों ने सचिव को बचाने के लिए पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट तैयार की।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि रिपोर्ट में तथ्यों की जांच नहीं की गई, बल्कि पहले से तय निष्कर्ष प्रस्तुत कर दिया गया।
  ग्रामीणों की मांग — "स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए"

गांव के कई निवासियों ने मांग की है कि

"मामले की जांच जिला पंचायत के बजाय किसी स्वतंत्र टीम या सतर्कता विभाग से कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।"
उनका कहना है कि सरकारी योजनाओं के लिए जारी फंड का दुरुपयोग न केवल आर्थिक अपराध है बल्कि ग्रामीण विकास योजनाओं की आत्मा के साथ छल भी है।

  सवाल प्रशासन से
 बम्हनी जैसी छोटी पंचायतों में यदि लाखों रुपये का हेरफेर जांच के बावजूद "त्रुटि" बताकर बंद कर दिया जाए, तो यह पूरे जिला प्रशासन की जवाबदेही पर प्रश्न खड़ा करता है।
पंचायत सचिव और संबंधित अधिकारियों की संपत्ति जांच की मांग भी ग्रामीणों द्वारा की जा रही है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि गबन की राशि का उपयोग कहां हुआ।

 

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक विश्व कप विजय पर राज्य सरकार द्वारा आकांक्षा सत्यवंशी को
10 लाख की सम्मान राशि प्रदान करने की घोषणा
   रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक विश्व कप विजय पर देशवासियों को बधाई और शुभ कामनाएँ देते हुए कहा कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम की यह अभूतपूर्व उपलब्धि हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है, जिसने विश्व पटल पर देश का मान बढ़ाया है।
  मुख्यमंत्री साय ने कहा कि इस गौरवपूर्ण सफलता में छत्तीसगढ़ की बेटी आकांक्षा सत्यवंशी ने फिजियोथैरेपिस्ट एवं स्पोट्र्स साइंस विशेषज्ञ के रूप में खिलाडिय़ों की फिटनेस और रिकवरी में अतुलनीय योगदान देकर न केवल भारतीय टीम को सशक्त बनाया है, बल्कि देश का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर उज्ज्वल किया है।
  मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आकांक्षा सत्यवंशी ने अपने समर्पण, सेवा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह सिद्ध किया है कि छत्तीसगढ़ की बेटियाँ किसी भी क्षेत्र में देश का गौरव बन सकती हैं। उनके उत्कृष्ट योगदान को सम्मानित करते हुए राज्य सरकार द्वारा ?10 लाख की सम्मान राशि प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।
 मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आकांक्षा सत्यवंशी की यह सफलता छत्तीसगढ़ की सभी बेटियों और खिलाडिय़ों के लिए प्रेरणा है। यह उनकी मेहनत, निष्ठा और संकल्प का परिणाम है, जिसने पूरे राज्य को गौरवान्वित किया है।
 उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार खेल के क्षेत्र में नई पीढ़ी को प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है, ताकि छत्तीसगढ़ से और भी ऐसी प्रतिभाएँ निकलें जो देश का नाम विश्व में रोशन करें।

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना की 25वीं वर्षगांठ पर आज नवा रायपुर के सेंध जलाशय के ऊपर भारतीय वायु सेना की प्रतिष्ठित एरोबेटिक "सूर्यकिरण" की टीम ने रोमांचक…


  नई दिल्ली / एजेंसी /
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रथम चरण का मतदान 6 नवंबर को होगा, जिसमें 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर करीब 3 करोड़ 75 लाख मतदाता अपनी भागीदारी से लोकतंत्र की मजबूत पड़ताल करेंगे। यह चुनाव बिहार की राजनीति में निर्णायक मोड़ साबित होने जा रहा है, जहां हर वर्ग की उम्मीदें जुड़ी हैं और राजनीतिक दलों के माथे चिन्हित मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर जटिलता बनी हुई है।
एनडीए गठबंधन ने इस चुनाव में मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने से परहेज किया है, और मुख्यमंत्री पद को चुनाव के बाद गठबंधन के बीच विचार-विमर्श के बाद तय करने का सस्पेंस बरकरार रखा है। इसके पीछे भाजपा और जदयू सहित सहयोगी दलों के मतभेद और गठबंधन की रणनीतिक विवेकशीलता संकेतित होती है। इसके बावजूद नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा और नीतीश कुमार जैसे वरिष्ठ नेता प्रचार में सक्रिय हैं, यह संदेश फैलाने के लिए कि विकास और स्थिरता एनडीए का मूल मंत्र है। भाजपा और जदयू की सीटों का बंटवारा पहले ही तय हो चुका है, और 121 सीटों के लिए एनडीए अपना पूर्ण जोर लगा रही है।
   वहीं, इंडिया गठबंधन ने मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में तेजस्वी यादव को स्पष्ट रूप से घोषित किया है। राजद के युवा नेता तेजस्वी यादव ने अपने दमदार प्रचार अभियान से बिहार के युवाओं और ग्रामीण मतदाताओं के बीच गहरी पकड़ बनाई है। कांग्रेस, सीपीआई तथा अन्य सहयोगी दलों के समर्थन से महागठबंधन ने अपना चेहरा साफ करते हुए चुनावी मैदान पर पैर जमा लिए हैं। तेजस्वी यादव की छवि युवा, सशक्त और बदलाव के लिए तैयार नेतृत्व की है, जो महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हैं।
       तीसरे मोर्चे के रूप में उभर रही जनसुराज पार्टी ने भी इस चुनाव में अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश की है। खास तौर पर युवाओं और नए मतदाताओं के बीच यह पार्टी तेजी से लोकप्रिय हो रही है, जो परंपरागत राजनीति में बदलाव की उम्मीद रखती है। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि जनसुराज पार्टी का उदय दोनों बड़े गठबंधनों को उनकी पुराने वोट बैंक में सेंध लगाने की चुनौती दे रहा है।    
    यह चुनाव एक ऐसे दौर में हो रहा है जहां मतदाता अधिक जागरूक और समझदार बन चुके हैं, और मतदाताओं की भागीदारी इस बात की मिसाल होगी कि किस प्रकार लोकतंत्र की आस्था समूचे समाज को जोड़े रखती है।
संक्षिप्त तथ्य:

प्रथम चरण के 3.75 करोड़ मतदाता न केवल बिहार के भविष्य का फैसला करेंगे, बल्कि देश के लोकतंत्र की ताकत और उसकी बहुलतावादी संस्कृति को भी एक जीता-जागता संदेश देंगे। चुनाव आयोग ने भी स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की है।


 चुनाव आयोग ने कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित किया है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का पहला चरण मतदान लोकतंत्र की जीवंतता और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का सशक्त उदाहरण होगा, जहां मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले हर मतदाता की भूमिका निर्णायक होगी। मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर सस्पेंस तथा दो गठबंधनों का पूर्ण तैयारी में होना इस चुनाव को और भी नाटकीय और महत्वाकांक्षी बनाता है, जिससे बिहार एवं पूरी देश की निगाहें इस महायुद्ध पर टिकी हैं।
यह चुनाव बिहार के जन-जीवन, सामाजिक गतिशीलता और आर्थिक विकास के लिए न केवल एक चुनाव है, बल्कि एक नई उम्मीद और नए भारत का संदेश भी है।

 पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए को 125 सीटें मिली थीं, जिसमें भाजपा ने 74 और जदयू ने 43 सीटें जीतीं। महागठबंधन को 110 सीटों का साथ मिला था, जिसमें राजद के हिस्सेदारी 75 सीटों की थी। इस बार विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दे विकास, रोजगार, महंगाई, जातीय समीकरण और धर्म के साथ-साथ सामाजिक एवं आर्थिक स्थिरता हैं। मतदाता इन विषयों पर गहराई से विचार कर अपने मत का प्रयोग करेंगे।

    रायपुर / शौर्यपथ /
                         छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना (क्करू्रङ्घ) को लेकर एक बार फिर सियासी टकराव तेज हो गया है। राज्योत्सव के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा हितग्राहियों को आवास की चाबी सौंपने की घटना पर कांग्रेस ने तीखा हमला बोला है।
  प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जिन आवासों की चाबी सौंपी है, वे कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में स्वीकृत और निर्मित हुए थे। उन्होंने सवाल उठाया— "भाजपा सरकार बताएं, विधानसभा चुनाव के दौरान वादा किए गए नए 18 लाख आवास आखिर कब बनेंगे?"

कांग्रेस का दावा: भाजपा सरकार के कार्यकाल
में नहीं बनी एक भी नई मंजूरी
   ठाकुर ने कहा कि 1 जनवरी 2024 से अब तक केंद्र सरकार ने एक भी नया आवास स्वीकृत नहीं किया है।कांग्रेस सरकार के दौरान 14,85,142 आवास स्वीकृत हुए थे —
  11,76,142 ग्रामीण आवास, जिनमें से 10,88,492 आवास पूर्ण हो चुके हैं और 87,650 निर्माणाधीन हैं।
3,09,000 शहरी आवास, जिनमें से 2,79,000 से अधिक आवास पूर्ण हैं और बाकी निर्माणाधीन हैं।
  उन्होंने कहा कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव के समय 18 लाख नए आवास देने का वादा किया था, लेकिन 22 महीने में एक भी हितग्राही को निर्माण राशि जारी नहीं की गई, न ही केंद्र से स्वीकृति आई।

जिला-वार आंकड़ों से कांग्रेस का पलटवार
  धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण को लेकर सभी पांचों संभागों में तेजी से काम हुआ था।
कुछ प्रमुख आंकड़े इस प्रकार हैं —
रायपुर संभाग: रायपुर 29,480 स्वीकृत, 994 निर्माणाधीन; बलौदाबाजार 45,373 स्वीकृत, 2,889 निर्माणाधीन; महासमुंद 73,266 स्वीकृत, 3,830 निर्माणाधीन।
सरगुजा संभाग: सरगुजा 65,904 स्वीकृत, 5,195 निर्माणाधीन; जशपुर 61,784 स्वीकृत, 3,852 निर्माणाधीन; बलरामपुर 44,188 स्वीकृत।
बस्तर संभाग: बस्तर 23,063 स्वीकृत, 2,226 निर्माणाधीन; दंतेवाड़ा 11,179 स्वीकृत, 2,004 निर्माणाधीन; कांकेर 29,207 स्वीकृत, 5,027 निर्माणाधीन।
बिलासपुर संभाग: बिलासपुर 59,123 स्वीकृत, 4,824 निर्माणाधीन; कोरबा 64,837 स्वीकृत, 5,106 निर्माणाधीन; रायगढ़ 57,793 स्वीकृत, 2,706 निर्माणाधीन।
दुर्ग संभाग: दुर्ग 23,700 स्वीकृत, 1,289 निर्माणाधीन; बालोद 32,394 स्वीकृत, 2,085 निर्माणाधीन; कबीरधाम 48,657 स्वीकृत, 2,883 निर्माणाधीन।
 ठाकुर ने कहा कि ये सारे आवास कांग्रेस शासनकाल में स्वीकृत हुए, जिनकी चाबी अब भाजपा सरकार हितग्राहियों को सौंप रही है।

"मोदी की गारंटी निकली जुमला"
  कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव में "मोदी की गारंटी – हर गरीब को घर" का नारा देकर जनता से झूठ बोला था।
उन्होंने आरोप लगाया —
"अब जब सरकार बन चुकी है तो गरीबों को आवास देने से भाजपा पीछे हट रही है। आवासहीन जनता को ठगा गया है, मोदी की गारंटी चुनावी जुमला साबित हुई है।"

"गुजरात से आगे निकला था छत्तीसगढ़"
   धनंजय सिंह ठाकुर ने दावा किया कि कांग्रेस सरकार के पांच सालों में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ ने गुजरात सहित कई राज्यों से बेहतर प्रदर्शन किया था।
उन्होंने कहा, "भाजपा ने कांग्रेस पर झूठे आरोप लगाए थे कि हम आवास नहीं बना रहे, जबकि आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस शासनकाल में सबसे ज्यादा घर गरीबों को मिले।"

कांग्रेस की मांग
  प्रदेश कांग्रेस ने मांग की है कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर तत्काल 18 लाख आवासों की नई स्वीकृति दें,लंबित लाभार्थियों को राशि जारी करें,और योजना की प्रगति की मासिक रिपोर्ट सार्वजनिक करें।

राजनांदगांव। शौर्यपथ।
 
   संस्कारधानी राजनांदगांव में आयोजित "लखपति दीदी सम्मेलन" अब सियासी सुर्खियों में आ गया है। उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन के प्रथम आगमन के बहाने लगे भाजपा के होर्डिंग और जिला प्रशासन द्वारा जारी आमंत्रण पत्र ने भाजपा की आंतरिक राजनीति को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
  कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र और भाजपा द्वारा लगाए गए स्वागत बैनर — दोनों में ही राजनांदगांव लोकसभा सांसद संतोष पांडे का नाम और चित्र नदारद है। इस गैरमौजूदगी ने राजनीतिक हलकों में सवालों का तूफान खड़ा कर दिया है।

 चर्चा में 'गायब सांसदÓ
 प्रदेश के प्रमुख आयोजन में लोकसभा सांसद का नाम न होना न सिर्फ राजनीतिक मर्यादाओं पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि भाजपा के भीतर गहराते अंतर्विरोधों को भी उजागर करता है।
स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह "अनदेखी" संयोग नहीं, बल्कि संगठनात्मक स्तर पर जारी 'खींचतानÓ का संकेत है।

  प्रशासनिक आयोजन या राजनीतिक समीकरण?
 आमंत्रण पत्र पर स्पष्ट रूप से "विनीत – जिला प्रशासन, राजनांदगांव" लिखा है, लेकिन मंच और कार्यक्रम में भाजपा के दिग्गज नेताओं की मौजूदगी से यह आयोजन शासकीय कम, राजनीतिक ज्यादा दिखाई दे रहा है।
ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या सांसद की अनुपस्थिति प्रशासनिक निर्णय थी, या फिर पार्टी के भीतर किसी गुटीय रणनीति का हिस्सा?

 शहर में गर्म चर्चाओं का बाजार
 शहर भर में अब चर्चा यही है कि आखिर राजनांदगांव के सांसद संतोष पांडे को इस बड़े कार्यक्रम से दूर क्यों रखा गया? क्या यह भाजपा के स्थानीय नेतृत्व में शक्ति संतुलन का परिणाम है या आगामी चुनावों से पहले नेतृत्व में हो रहे समीकरणों का संकेत?

 भाजपा में 'चित्रÓ से 'चिंतनÓ तक
 राजनीतिक जानकारों का कहना है कि "बैनर से नाम गायब होना" भाजपा की आंतरिक स्थिति का प्रतीक बन गया है।
जहां एक ओर भाजपा शीर्ष नेतृत्व विकास और संगठन की मजबूती की बात करता है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर उपेक्षा और गुटबाज़ी संगठन की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है।
निष्कषर्:
राजनांदगांव का यह "लखपति दीदी सम्मेलन" महिलाओं के सशक्तिकरण से ज्यादा अब भाजपा की आंतरिक राजनीति के प्रदर्शन मंच के रूप में देखा जा रहा है।

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