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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
सेमीफाइनल में पांच विकेट से दर्ज की अद्भुत जीत, हरमनप्रीत और जेमिमा ने रचा इतिहास
नई दिल्ली। शौर्यपथ। लौह संकल्प, दमदार प्रदर्शन और अटूट जज़्बे ने भारत के तिरंगे को एक बार फिर ऊंचा कर दिया। महिला विश्वकप 2025 के सेमीफाइनल मुकाबले में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। यह जीत सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि भारतीय महिलाओं की शक्ति और आत्मविश्वास का जीवंत प्रतीक बनी।जेमिमा रोड्रिगेज ने अपनी सधी हुई पारी से मुश्किल हालातों में टीम को संभाला, वहीं कप्तान हरमनप्रीत कौर ने आगे बढ़कर नेतृत्व किया और जीत को सुनिश्चित किया।
गेंदबाजों ने disciplined spell डालते हुए ऑस्ट्रेलिया को बड़े स्कोर से रोका और मैदान पर भारत का वर्चस्व स्थापित किया।इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के साथ टीम इंडिया अब विश्व क्रिकेट के शिखर की ओर कदम बढ़ा चुकी है। यह जीत बताती है कि भारतीय बेटियां खेल के हर मैदान में दुनिया को मात देने का जज्बा रखती हैं। पूरा देश इस गौरव के क्षण पर गर्वित है।
प्रमुख — राजनाथ सिंह: “विपक्ष वक्फ बोर्ड को लेकर झूठ बोलता है; संसद में बना कानून कोई नहीं हटा सकता” | अमित शाह: “बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली नहीं” | NDA ने मैथिली को आधिकारिक दर्जा दिलाया — रैलियों में विकास का वादा और परिवारवाद पर हमला
पटना / एजेंसी / बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के समीकरण तेज होते जा रहे हैं और भाजपा ने मोर्चा संभालते हुए केन्द्र के बड़े नेताओं — रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह — को दरभंगा और पटना में रैलियों के लिए उतार दिया है। भाजपा नेताओं ने रैली-सभाओं में विपक्ष पर तीखे प्रहार किए और विकास व सामान्य न्यायकथा पर जोर देते हुए मतदाताओं से समर्थन मांगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दरभंगा के हायाघाट में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्ष लगातार वक्फ बोर्ड को लेकर भ्रम फैला रहा है। उनके शब्दों में, “जो कानून संसद में बना है, वो बना रहेगा। संसद में बना कानून कोई नहीं हटा सकता।” राजनाथ ने यह भी कहा कि भाजपा धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती और अफवाहों से जनता को गुमराह नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने RJD और कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान विकास पर लगी ‘ब्रेक’ की बात कर के NDA की विकास-क्षमता को उभारने की कोशिश की — “अगर विकास को रोकना था तो केवल NDA ही उसे तोड़ सकता है,” उनके शब्द रहे।
रक्षा मंत्री ने पटना में कहा कि पहले ‘ना खाता न बही, जो लालू कहे वही सही’ जैसा नारा चलता था, पर अब वह दौर खत्म हो चुका है। उन्होंने कानून-व्यवस्था और अपराध के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का आश्वासन भी दिया: “अगर एक भी बच्चे का अपहरण हो जाए तो हम उसको उल्टा कर देंगे।”
दो दिन पूर्व तेजस्वी यादव द्वारा कथित तौर पर वक्फ बिल फाड़ने की धमकी के राजनीतिक संकेतों के मद्देनजर राजनाथ के ये बयान खास संदेश दे रहे हैं — भाजपा चाहती है कि वक्फ से जुड़ी किसी भी अफवाह को चुनावी बहस नहीं बनने दिया जाए।
अमित शाह ने दरभंगा के अलीनगर में आयोजित रैली में आरोपों का पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस और RJD परिवारवाद पर आधारित हैं। शाह ने उदाहरण देते हुए कहा कि 25 वर्षीय संगीतकार मैथिली ठाकुर को बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि के भाजपा ने टिकट दिया — और सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस या RJD में ऐसा संभव है। शाह ने निशाना साधते हुए कहा, “सोनिया जी राहुल को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं। लालू जी अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। मैं बताना चाहता हूँ — दिल्ली में नरेंद्र मोदी और बिहार में नीतीश कुमार के रहते अभी कोई वैकेंसी खाली नहीं है।”
शाह ने अपने भाषण में NDA सरकार की उपलब्धियों का भी जिक्र किया — मैथिली भाषा को आधिकारिक दर्जा दिलवाना, संविधान का भाषा में अनुवाद, तथा मिथिला क्षेत्र में देवी सीता के मंदिर निर्माण की पहल — और जो स्थान उन्होंने दौरे पर देखे, उन्हें राम सर्किट से जोड़ने की बात कही।
राजनीतिक समीकरणों पर कटाक्ष के साथ, भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने यह संदेश भी दिया कि गठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे और नेतृत्व स्थिर हैं — मतदाताओं के सामने ‘स्थिरता और विकास’ की डोर रखना पार्टी का उद्देश्य दिखा।
इसी सिलसिले में झारखंड के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने पटना में कहा कि मुसलमान भाजपा को वोट नहीं देते फिर भी केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सबको बिना भेदभाव पहुँचा दिया गया है। मरांडी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के तहत योजनाओं के सार्वभौमिक वितरण की बात कह कर भाजपा की सामाजिक समावेशन छवि को रेखांकित किया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शहाबुद्दीन के गढ़ सीवान में रैली की जहां RJD और शहाबुद्दीन परिवार पर निशाना साधा गया। योगी ने कहा कि RJD प्रत्याशी ‘ओसामा’ के नाम के हिसाब से ही उनके कृत्य हैं और मतदाताओं से NDA उम्मीदवारों को समर्थन देने का आग्रह किया।
शौर्यपथ विस्तृत रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ के लोक पर्व 'करमा' पर आयोजित हो रही प्रतियोगिताओं को लेकर भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत ने विरोध की आवाज बुलंद की है। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा—"हमारी लोकपरंपरा व आस्था का पर्व करमा पूरे समाज को जोड़ने और सद्भाव का संदेश देने के लिए है, यह किसी प्रतिस्पर्धा का हिस्सा नहीं हो सकता। धर्म और आस्था के आयोजन को मंच, पुरस्कार या किसी अन्य प्रतिस्पर्धी स्वरूप में बदलना समाज की भावनाओं को आहत करता है।"
रवि भगत का कहना है कि युवाओं और आयोजकों को चाहिए कि वे करमा जैसे पर्व का सम्मान करें और इसे जोड़ने की परंपरा को बनाए रखें, न कि प्रतिस्पर्धा का माध्यम बनाएं। उन्होंने महोत्सव आयोजकों से गुजारिश की है कि वे इसकी मौलिकता संरक्षित रखें, ताकि अगली पीढ़ी भी यही संस्कृति गर्व से अपना सके।
पूर्व अध्यक्ष ने भविष्य में समाजिक आयोजनों को व्यावसायिक या प्रतिस्पर्धात्मक स्वरूप देने के बजाए, मूल परंपरा व आस्था की भावना को बनाए रखने की जरूरत दोहराई है। सोशल मीडिया पर उनकी इस अपील को समाज के कई युवा और नागरिक भी समर्थन दे रहे हैं।
संवेदनशील टिप्पणी
रवि भगत का बयान छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक मूल्यों और सामाजिक एकता की रक्षा करने वाला है। करमा महोत्सव एक 'आस्था' का पर्व है—प्रतिस्पर्धा या निजी लाभ का विषय नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और संस्कृति के संरक्षण का द्योतक है। ऐसे त्योहारों को मूल स्वरूप में ही आगे बढ़ाना ही हमारी साझा जिम्मेदारी है।
नोट: रवि भगत ने अपने फेसबुक पेज पर इस विषय में वीडियो/पोस्ट द्वारा विस्तृत टिप्पणी की है, जिसे छत्तीसगढ़ के जनमानस से बड़ा समर्थन मिल रहा है।
दुर्ग। शौर्यपथ । दीपावली के पावन पर्व पर ग्राम खोरपा में रंगझाझर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भव्य रूप से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश महामंत्री जितेंद्र वर्मा मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए और उन्होंने दीपावली मिलन समारोह में सभी ग्रामवासियों को शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए भी आयोजन की जानकारी साझा की, जिसमें स्थानीय संस्कृति, सामाजिक एकता और लोक परंपरा को सजीव बनाए रखने के संदेश दिए गए।
रायपुर। शौर्यपथ । मेकाहारा जैसे प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में अब आयुष्मान कार्ड, जन-आयुष योजनाओं के नाम पर मिलने वाली मुफ्त जांचें बंद कर दी गई हैं। MRI के लिए 4000 से 5500 रुपये, जबकि सीटी स्कैन के 2500 से 3500 रुपये तक वसूले जा रहे हैं—यह राशि 10-15% निजी अस्पतालों से भी ज्यादा है। नए सॉफ्टवेयर के नाम पर लॉकिंग दिक्कतें, इनसाइट टेस्ट तक नहीं हो पा रहे।
अस्पताल में सैकड़ों मरीज घंटों लाइन लगाकर हलाकान हैं, कई लौट जाते हैं। पैसों की वसूली होने के बावजूद जांचें नहीं हो रहीं। पहले आयुष्मान कार्डधारी मरीजों को बेफिक्र इलाज-सुविधा मिलती थी, अब वे भी भटक रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल लगातार ऐसे मामलों में चुप्पी साधे हुए हैं। विभागीय खामियों और बढ़ती परेशानी पर न उनका कोई एक्शन, न मुख्यमंत्री या भाजपा संगठन का कोई संज्ञान नज़र आ रहा है। भाजपा महामंत्री पवन साय से नागरिक सवाल पूछ रहे हैं कि क्या प्रदेश के अस्पतालों की दुर्दशा देखकर भी मन नहीं पसीजता? आखिर राज्य में स्वास्थ्य विभाग की ऐसी बदहाली किसके संरक्षण में हो रही है? कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का खेल बेशर्मी से जारी है।
सरकार अगर अब भी जनहितैषी व्यवस्थाएं ठीक नहीं करती, तो विपक्ष और जनता जल्द ही सरकार को इसका सख्त परिणाम दिखा सकते हैं।
तस्वीर बया कर रही हैं कि मेकाहारा अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की लंबी कतारें लगी हैं, महिला-मरीज व्हीलचेयर में हैं और इंतजार का माहौल भयावह है—यह सरकारी व्यवस्था की जमीनी सच्चाई दर्शाता है, जिसमें इलाज से ज्यादा वेटिंग और अव्यवस्था से लोग जूझ रहे हैं।
ऐसे में सुशासन के दावे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था के आगे फीके पड़ रहे हैं—सरकारी अस्पताल तक निजी अस्पतालों से महंगे, सुविधाएं ठप और मरीज पूरी तरह से असहाय।
सागर। शौर्यपथ । जनपद पंचायत सागर कार्यालय में सोमवार को उस समय अफरातफरी मच गई जब सड़ेरी निवासी एक महिला ने कार्यालय परिसर में खड़ी जनपद सदस्य की कार में तोड़फोड़ कर दी। महिला का आरोप है कि पंचायत सदस्य के परिवार ने उसकी पैतृक जमीन पर कब्जा कर रखा है, जिसकी शिकायत वह महीनों से कर रही थी, लेकिन अधिकारियों ने कोई सुनवाई नहीं की।
महिला ने कहा कि उसने कई बार जनपद से लेकर जिला प्रशासन तक आवेदन दिए, मगर कार्रवाई न होने से नाराज होकर उसने यह कदम उठाया। घटना की जानकारी मिलते ही जनपद कार्यालय के कर्मचारी और पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने स्थिति संभालते हुए वाहन का पंचनामा तैयार किया और महिला से पूछताछ शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, विवादित जमीन गांव सड़ेरी में ग्राम पंचायत की सीमा के भीतर स्थित है और इस मामले को पहले भी ग्रामीण सभा में उठाया जा चुका है। जनपद सदस्य के परिजन अपनी ओर से कब्जे के आरोपों से इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि जमीन पर उनका वैध हक है, जिसके दस्तावेज मौजूद हैं।
फिलहाल पुलिस ने महिला के खिलाफ तोड़फोड़ की धाराओं में मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी है। वहीं, प्रशासनिक स्तर पर भी इस विवाद की तहकीकात के आदेश दिए जाने की संभावना जताई जा रही है।
नवा रायपुर में 1 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे भव्य लोकार्पण, रजत जयंती वर्ष में ऐतिहासिक उपहार
रायपुर। शौर्यपथ। नवा रायपुर अटल नगर के सेक्टर-19 स्थित छत्तीसगढ़ विधानसभा का नवनिर्मित भवन अब पूरी तरह तैयार है। संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप ने स्थल निरीक्षण कर अधिकारियों से तैयारियों की विस्तार से समीक्षा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
यह लोकार्पण समारोह 1 नवम्बर को राज्य के रजत जयंती महोत्सव के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा।यह नई विधानसभा सिर्फ एक आधुनिक इमारत नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। 51 एकड़ परिसर में निर्मित यह भवन अत्याधुनिक तकनीकों, आधुनिक सुविधाओं और पेपरलेस संचालन व्यवस्था से सुसज्जित है।
राज्य गठन के 25 वर्षों बाद यह भवन छत्तीसगढ़ को मिला एक ऐतिहासिक उपहार है, जो प्रदेश के विकास, आत्मनिर्भरता और लोकतांत्रिक गौरव की नई पहचान बनेगा।
चरोटी गांव में वारदात के बाद आरोपी सालिक राम पैकरा गिरफ्तार, 19 फर्जी इंस्टाग्राम अकाउंट बनाकर बरगलाता था महिलाओं को
बलौदा बाजार। शौर्यपथ। चरोटी गांव में एक युवती की निर्मम हत्या के मामले में पुलिस ने आरोपी सालिक राम पैकरा (25 वर्ष) को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी और मृतिका के बीच पहले प्रेम संबंध था, लेकिन युवती के अलग हो जाने से आरोपी ने आवेश में आकर चाकू और लकड़ी से हमला कर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद शव को गांव में ही पैरावट में जला दिया गया।साइबर सेल एवं थाना सिटी कोतवाली की संयुक्त टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण कर वारदात की गहन जांच की।
तकनीकी विश्लेषण के बाद आरोपी की पहचान हुई और उसे फरार होने से पहले ही दबोच लिया गया।जांच में पता चला है कि सालिक राम पैकरा एक साइकोपैथ प्रवृत्ति का व्यक्ति है। वह महिलाओं की तरह वस्त्र धारण करता है और महिला संबंधी गतिविधियों में लिप्त रहता है। पुलिस ने यह भी पाया कि उसने इंस्टाग्राम पर 19 फर्जी अकाउंट बनाए थे, जिनमें अलग-अलग महिलाओं की तस्वीरें और नामों का प्रयोग किया गया था।
हत्या का कारण यह था कि आरोपी मृतिका पर दोबारा मिलने और साथ रहने का दबाव बना रहा था, लेकिन युवती के इंकार करने पर उसने इस जघन्य वारदात को अंजाम दिया।पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या, साक्ष्य मिटाने और साइबर अपराध से जुड़ी धाराओं में मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई प्रारंभ कर दी है।
बलौदाबाजार। शौर्यपथ। बलौदाबाजार जिले के सिमगा थाना क्षेत्र में एक पत्नी द्वारा अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या का प्रयास करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। भवानी नगर सिमगा निवासी 26 वर्षीय निशा कुंभकार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि उसका प्रेमी फिलहाल फरार है और उसकी तलाश की जा रही है।जानकारी के अनुसार, 25 अक्टूबर की शाम निशा ने गहरी साजिश के तहत अपने पति उमाशंकर कुंभकार को 200 रुपये देने के बहाने पुराने पुल के पास बुलाया। वहां निशा के प्रेमी ने उमाशंकर पर धारदार हथियार से जानलेवा हमला कर दिया। हमले में गंभीर रूप से घायल उमाशंकर को स्थानीय लोगों की मदद से अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
पुलिस पूछताछ में निशा ने जुर्म कबूल कर लिया है कि उसने शादी पूर्व प्रेम संबंध के चलते पति की हत्या की यह पूरी योजना रची थी। सिमगा पुलिस ने निशा को गिरफ्तार कर लिया है और फरार प्रेमी की पहचान कर, टीमें उसकी गिरफ्तारी के लिए लगी हैं। आरोपी महिला के खिलाफ हत्या का प्रयास (धारा 307 आईपीसी) आदि धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
यह वारदात सिमगा-बेमेतरा क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है और समाज को स्तब्ध कर गई है।यह घटना समाज में रिश्तों के बदलते समीकरणों और अंधविश्वासपूर्ण भावनाओं पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती है। पुलिस की तत्परता से आरोपी पत्नी को गिरफ्तार किया जा सका है, वहीं फरार प्रेमी की तलाश पूरी मुस्तैदी से की जा रही है।
दुर्ग। शौर्यपथ लेख ।
राजनीति केवल सत्ता या पद का प्रतीक नहीं, बल्कि जनसेवा का वह माध्यम है जिसके माध्यम से समाज के प्रत्येक वर्ग तक संवेदना और सहायता पहुँचे — यही लोकतंत्र का वास्तविक स्वरूप है। परंतु दुर्ग जिले की हाल की घटनाएँ बताती हैं कि आज भी राजनीति में संवेदनशीलता और व्यवहारिक जिम्मेदारी के दो बिल्कुल अलग स्वरूप विद्यमान हैं।
दीपावली के अवसर पर मालवीय नगर के एक बालक के साथ हुई दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना ने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया। घटना की जानकारी मिलते ही, जिले से बाहर रहते हुए भी एक जनप्रतिनिधि ने मानवता की मिसाल पेश की — उन्होंने न केवल स्वयं पहल कर बच्चे को सेक्टर-9 अस्पताल के बर्न यूनिट में भर्ती कराया, बल्कि उसके संपूर्ण इलाज का खर्च वहन करने की जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर ली। यह कदम राजनीति से ऊपर उठकर मानवीयता की गूंज बन गया।
वहीं, इसी जिले में एक अन्य जनप्रतिनिधि, जो कि कहीं अधिक प्रभावशाली पद पर आसीन हैं, उनके समक्ष पत्रकारों का एक प्रतिनिधिमंडल पहुँचा। प्रतिनिधिमंडल ने एक पत्रकार के बच्चे के इलाज हेतु मुख्यमंत्री सहायता कोष से सहयोग की विनम्र अपील की। महीनों बीत गए, परंतु किसी प्रकार की पहल नहीं हुई। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि जनप्रतिनिधि का पद भले बड़ा हो, लेकिन यदि संवेदना का भाव अनुपस्थित है तो वह जिम्मेदारी केवल कागजों तक सीमित रह जाती है।
जनप्रतिनिधियों के इन दो विपरीत चेहरों ने जिले की राजनीति को एक गहरा प्रश्न खड़ा कर दिया है — क्या जनसेवा अब व्यक्ति विशेष की मनोदशा पर निर्भर हो गई है? एक ओर जहाँ कोई प्रतिनिधि अपने क्षेत्र से परे जाकर भी मानवता की जिम्मेदारी निभा रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे हैं जो अपने ही क्षेत्र की पीड़ा से अनजान बने बैठे हैं।
यह लेख किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल विशेष पर टिप्पणी नहीं, बल्कि राजनीतिक आचरण और संवेदनशीलता के उस अंतर को रेखांकित करता है जो आज की राजनीति को दो हिस्सों में बाँटता दिख रहा है —
एक पक्ष जो जनसेवा को धर्म मानता है, और दूसरा जो इसे केवल अवसर का माध्यम समझता है।
कहा भी गया है —
"रात में एक दीपक भी यदि जलता है, तो उसकी रोशनी दूर-दूर तक फैलती है।"
इसी प्रकार जब कोई जनप्रतिनिधि सच्चे भाव से कार्य करता है, तो उसकी मानवता पूरे समाज में आशा की किरण जगाती है। पर जब संवेदनहीनता राजनीति में जगह बना लेती है, तो जनता के मन में अविश्वास और निराशा पनपने लगती है।
आज आवश्यकता है कि जनता ऐसे प्रतिनिधियों को पहचानें, जो केवल मंचों पर नहीं बल्कि कठिन समय में भी जनता के साथ खड़े हों। क्योंकि राजनीति का मूल्य पद नहीं, बल्कि आचरण से तय होता है।
राजनांदगांव/शौर्यपथ/ नव पदस्थ पुलिस अधीक्षक सुश्री अंकिता शर्मा (भा.पु.से.) ने आज राजनांदगांव जिले के पुलिस अधीक्षक का पदभार ग्रहण किया। इस अवसर पर एएसपी (ऑप्स) मुकेश ठाकुर, एएसपी राहुल देव शर्मा, तथा सीएसपी श्रीमती वैशाली जैन (भा.पु.से.) सहित अन्य अधिकारियों ने पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया।
नवीन पुलिस कप्तान के आगमन पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर (सलामी) दी गई। इसके पश्चात सभागार में जिले के सभी अधिकारी एवं थाना/चौकी प्रभारियों की बैठक लेकर उन्होंने क्षेत्रवार अपराध स्थिति, अपराधियों के रिकॉर्ड तथा प्रमुख मामलों की जानकारी ली। बैठक में पुलिस अधीक्षक ने जुआ, सट्टा, अवैध शराब, गांजा, चाकूबाजी, गुंडा-बदमाश एवं असामाजिक तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। साथ ही थाना एवं चौकी में आने वाले प्रत्येक नागरिक के साथ संवेदनशील एवं सौम्य व्यवहार रखने की बात कही।
इसके बाद जनसंवाद कक्ष में जिले के सभी इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के पत्रकारों से मुलाकात करते हुए उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से संस्कारधानी राजनांदगांव में बेसिक पुलिसिंग, विजुअल पुलिसिंग और फील्ड पुलिसिंग के माध्यम से अपराध नियंत्रण किया जाएगा। उन्होंने सुगम यातायात और बेहतर पुलिसिंग व्यवस्था का आश्वासन दिया।
आईपीएस अंकिता शर्मा 2018 बैच की अधिकारी हैं। उन्होंने पूर्व में बलौदाबाजार-भाटापारा में प्रशिक्षु आईपीएस, रायपुर में सीएसपी, जगदलपुर में एडिशनल एसपी (नक्सल ऑपरेशन), तथा खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले में ओएसडी के रूप में कार्य किया है। हाल ही में वे जिला सक्ति की पुलिस अधीक्षक के रूप में अपने दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन कर चुकी हैं।
वीआईपी रोड पर मूर्ति अपमान के खिलाफ छत्तीसगढ़ क्रांति सेना और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के नेतृत्व में राजधानी में उग्र आंदोलन, पुलिस ने प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल समेत कई कार्यकर्ताओं को किया गिरफ्तार।
संघर्ष और जनदबाव के आगे प्रशासन को सुबह 5 बजे नई प्रतिमा लगाने को विवश होना पड़ा, लेकिन असली गुनहगार अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर—जनता में गहरा असंतोष।
रायपुर। शौर्यपथ। छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति तोड़े जाने के विरोध में रविवार को छत्तीसगढ़ क्रांति सेना और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के नेतृत्व में रायपुर वीआईपी चौक पर उग्र जनाक्रोश देखने को मिला। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल की अगुवाई में सैकड़ों समर्थकों ने दायर पुलिस कार्रवाई और प्रशासनिक ढिलाई के विरोध में सड़कों पर डट कर प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने आंदोलनकारियों को बलपूर्वक हिरासत में लिया और उनके योगदान के बावजूद कई आवाजों को दबाने का प्रयास किया गया।
भेजी गई पहली तस्वीर घटनास्थल की है,
जिसमें छत्तीसगढ़ महतारी की खंडित प्रतिमा स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है—यह छत्तीसगढ़िया आत्मसम्मान पर चोट का जीवंत प्रमाण है। वहीं, दूसरी तस्वीर प्रमाण है उस एकजुट संघर्ष और जागरूकता की, जिसमें नई प्रतिमा का प्रतिष्ठापन जनता की भागीदारी और संघर्ष के बाद संभव हुआ।पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे छत्तीसगढ़िया अस्मिता का अपमान बताया और प्रदेश सरकार पर तीखा सवाल दागा: "अपराधी आखिर किसके संरक्षण में हैं? अगर जनाक्रोश को नजरअंदाज किया गया तो परिणाम अच्छे नहीं होंगे।"जनता की आंखों के सामने यह पूरा घटनाक्रम छत्तीसगढ़ी स्वाभिमान, जागरूकता और संघर्ष की गवाही देता है।
अब प्रदेशवासियों की यही मांग है—मूर्ति खंडित करने वालों की जल्द गिरफ्तारी हो और छत्तीसगढ़ महतारी की महानता एवं सम्मान अक्षुण्ण रहे।दोनों तस्वीरें—खंडित प्रतिमा और पुनः स्थापित मूर्ति—प्रदेश में हुंकार बनकर उस अस्मिता आंदोलन की व्यापकता को बयां करती हैं।
बस्तर की जनता के मनोअनुकूल निर्णय लेने वाले सभी का है स्वागत-उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा
मोहला / शौर्यपथ / उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने आज अपने निवास कार्यालय में पत्रकारों से विभिन्न विषयों पर चर्चा की। जिसमें उन्होंने बताया कि बस्तर रेंज में आने वाले केशकल डिवीजन (नॉर्थ सब ज़ोनल ब्यूरो) के कुंएमारी एवं किसकोडो एरिया कमेटी से संबंधित 21 सशस्त्र नक्सलियों ने आज हथियार और हिंसा का मार्ग छोड़कर सम्मानपूर्वक पुनर्वास कर मुख्यधारा में जुड़ने का मार्ग चुना है, जो बहुत हर्ष का विषय है। जिनमें डिवीजन कमेटी सेक्रेटरी मुकेश भी शामिल हैं। पुनर्वास करने वाले 21 माओवादी कैडर में 13 महिला कैडर और 08 पुरुष कैडर शामिल हैं। इन माओवादी कैडरों द्वारा 18 हथियारों को समर्पित किया गया है, जिसमें 03 एके-47 रायफल, 04 एसएलआर रायफल, 02 इंसास रायफल, 06 संख्या में .303 रायफल, 02 सिंगल शॉट रायफल और 01 बीजीएल हथियार शामिल हैं।
पुनर्वास करने वालों में 04 डीवीसीएम (डिवीजन वाइस कमेटी मेंबर), 09 एसीएम (एरिया कमेटी मेंबर) और 08 पार्टी सदस्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह एवं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में बनाई गई रणनीति एवं संवेदनशील पुर्नवास नीति का परिणाम है कि हिंसा का मार्ग छोड़कर मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं, पूर्व में 210 माओवादियों ने पुनर्वास का मार्ग चुना था और लगातार आज 21 ने शस्त्र त्यागे हैं। सम्मानपूर्वक शस्त्र त्यागकर पुनर्वास करने वालों का शासन लाल कालीन बिछाकर स्वागत करने को तैयार है, पर इसके साथ जो हिंसा का मार्ग नहीं त्यागते हैं उनके लिए नक्सल ऑपरेशन लगातार जारी रहेंगे। बस्तर के लाल आतंक से मुक्त कराना हमारी प्राथमिकता है। बस्तर की जनता के मनोअनुकूल निर्णय लेने वाले इन सभी का स्वागत है।
उन्होंने कहा कि अब पश्चिम्ब बस्तर एवं उत्तर बस्तर में स्थिति साफ हो रही है और लोगों को लाल आतंक से मुक्ति मिल गयी है दक्षिण बस्तर में लगातार प्रयास किये जा रहे हैं ताकि सभी का सम्मानपूर्वक पुनर्वास करवाया जाए और वे शस्त्र त्यागकर मुख्यधारा में शामिल हों और समाज के निर्माण में लोकतांत्रिक तरीके से अपना योगदान दें।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 'मन की बात' के 127वें संस्करण में भारतीय नस्ल के श्वानों की उपलब्धि का विशेष उल्लेख किए जाने पर हर्ष जताया और कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री मोदी के 'वोकल फ़ॉर लोकल' के लिए एक मिशाल है जो सुरक्षा एजेंसियों द्वारा नक्सल मोर्चे में भारतीय नस्ल के श्वानों को शामिल किया जा रहा है। इन प्रशिक्षण प्राप्त देशी श्वानों ने नक्सल मोर्चे पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, एक देशी श्वान ने 8 किलो के आईईडी विस्फोटकों का पता लगाने का भी कार्य किया है जो सराहनीय है। उन्होंने सुरक्षा बलों के जवानों को जिन्होंने भारतीय नस्ल के श्वानों को प्रशिक्षण देकर दक्ष बनाने का कार्य किया है उन्हें भी शुभकामनाएं दी और कहा कि भारतीय श्वान अधिक विश्वसनीय और भारतीय पर्यावरण के प्रति अनुकूल होते हैं इनके प्रयोग से सुरक्षा बलों को भी सहयोग प्राप्त होगा। इसके साथ ही अम्बिकापुर में प्लास्टिक मुक्त शहर के रूप में बनाये जाने के लिए 'गार्बेज कैफे' के रूप में किए जा रहे अनूठे पहल की सराहना प्राप्त होना छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की सुरक्षा, विकास और पुनर्वास आधारित एकीकृत रणनीति से देश नक्सल-मुक्ति के लक्ष्य की ओर — मार्च 2026 तक नक्सलवाद का सम्पूर्ण उन्मूलन केंद्र का लक्ष्य।
नई दिल्ली,/ shouryapath news /
भारत में वामपंथी उग्रवाद यानी नक्सलवाद के विरुद्ध केंद्र सरकार की सशक्त रणनीति अब निर्णायक परिणाम दे रही है। 2014 से 2024 के बीच नक्सली हिंसा की घटनाओं में 53% की कमी आई है, जबकि नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर केवल 18 रह गई है।
पिछले एक दशक में 576 किले सदृश पुलिस थाने, 336 नए सुरक्षा कैंप, 68 नाइट लैंडिंग हेलीपैड, और सैकड़ों किलोमीटर सड़क व संचार नेटवर्क तैयार हुए हैं — जिससे नक्सल प्रभावित इलाकों में शासन, सुरक्षा और विकास का नया युग शुरू हुआ है।
2014–2024 के बीच नक्सली घटनाएं 16,463 से घटकर 7,744 रह गईं।
मुठभेड़ों में मारे गए सुरक्षा कर्मियों की संख्या 1,851 से घटकर 509 और आम नागरिकों की मौतें 4,766 से घटकर 1,495 हो गईं — यानी क्रमशः 73% और 70% की गिरावट।
केवल वर्ष 2025 में ही 270 नक्सली मारे गए, 680 गिरफ्तार हुए और 1,225 ने आत्मसमर्पण किया। ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ जैसे अभियानों ने बीजापुर, सुकमा और महाराष्ट्र में उग्रवादियों को मुख्यधारा से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
पिछले दस वर्षों में केंद्र ने नक्सली क्षेत्रों में 576 सशक्त पुलिस स्टेशन और 336 सुरक्षा कैंप स्थापित किए।
ड्रोन सर्विलांस, सैटेलाइट इमेजिंग, एआई-बेस्ड डेटा एनालिटिक्स और साइबर ट्रैकिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों से अब सुरक्षा बलों की निगरानी क्षमता कई गुना बढ़ी है।
इससे नक्सली ठिकानों की पहचान, मूवमेंट ट्रैकिंग और सटीक कार्रवाई संभव हुई है।
एनआईए और ईडी ने नक्सलियों की ₹52 करोड़ से अधिक की संपत्ति ज़ब्त की है।
राज्यों ने भी ₹40 करोड़ की अतिरिक्त संपत्ति जब्त कर दी है। इससे शहरी नक्सली तंत्र और उनके सूचना युद्ध की क्षमता को गहरा झटका लगा है।
‘सिक्योरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर योजना’ के तहत पिछले 11 वर्षों में राज्यों को ₹3,331 करोड़ मिले — जो पिछले दशक की तुलना में 155% अधिक है।
‘स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम’ के अंतर्गत ₹991 करोड़ की स्वीकृति, और विकास के लिए ‘स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंस’ से ₹3,769 करोड़ के प्रोजेक्ट्स स्वीकृत हुए हैं।
सड़क संपर्क: 17,589 किमी सड़कों के निर्माण हेतु ₹20,815 करोड़ स्वीकृत; जिनमें से 12,000 किमी सड़कों का कार्य पूरा।
मोबाइल कनेक्टिविटी: ₹6,290 करोड़ से अधिक लागत के 4जी टावर — 8,527 में से 2,602 चालू।
वित्तीय पहुंच: 1,007 बैंक शाखाएं, 937 एटीएम और 37,850 बैंकिंग संवाददाता कार्यरत; 5,899 डाकघर 90 जिलों में सेवा दे रहे हैं।
शिक्षा व कौशल: 46 आईटीआई और 49 कौशल विकास केंद्र संचालित, 48 जिलों में रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण जारी।
स्थानीय सहभागिता: 2018 में गठित बस्तरिया बटालियन में 1,143 रंगरूट — जिनमें 400 स्थानीय युवा, सुरक्षा अभियानों का प्रतीक।
सरकार की “ट्रेस–टारगेट–न्यूट्रलाइज” नीति से प्रमुख नक्सली गढ़ जैसे बुध पहाड़, पारसनाथ, बरमशिया और चक्रबंधा लगभग मुक्त हुए।
2024 में सुरक्षा बलों ने 26 बड़ी मुठभेड़ों में शीर्ष नक्सली कैडरों को ढेर किया —
1 ज़ोनल समिति सदस्य, 5 उप-ज़ोनल, 2 राज्य समिति सदस्य, 31 डिविजनल और 59 एरिया समिति सदस्य मारे गए।
सुरक्षा बल अबूझमाड़ जैसे दुर्गम गढ़ों तक पहुँचने में सफल हुए हैं।
2024–2025 में छत्तीसगढ़ सहित देशभर में 1,574 नक्सलियों ने हथियार छोड़े।
सरकार पुनर्वासित कैडरों को ₹5 लाख (उच्च रैंक), ₹2.5 लाख (मध्यम/निम्न रैंक) और ₹10,000 मासिक वजीफा (36 माह) के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण दे रही है।
इस नीति ने संघर्षरत युवाओं को सम्मानजनक जीवन की नई राह दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नक्सलवाद के विरुद्ध भारत की रणनीति सुरक्षा, विकास और सामाजिक न्याय का त्रिवेणी संगम बन चुकी है।
सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक भारत को पूर्णत: नक्सल-मुक्त बनाना है।
एक दशक की निर्णायक नीति ने उन इलाकों को, जो कभी भय के प्रतीक थे, अब अवसर और प्रगति के केंद्रों में बदल दिया है।
— रिपोर्ट: शौर्यपथ डिजिटल / शरद पंसारी
स्रोत: गृह मंत्रालय, भारत सरकार (प्रशासनिक प्रेस विज्ञप्ति 25 अक्टूबर 2025)
Feb 09, 2021 Rate: 4.00
