April 19, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

रायपुर /शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के अति सुदूर गांव तिमेनार में मुख्यमंत्री मजरा-टोला विद्युतीकरण योजना के तहत आजादी के 77 वर्षों बाद पहली बार बिजली पहुंची। यह ऐतिहासिक उपलब्धि माओवादी आतंक के अंधकार को चीरकर विकास, अमन और शांति के नए सबेरे की ओर कदम बढ़ाने का प्रतीक है।
तिमेनार में अब भय की जगह उजाला और आतंक की जगह उम्मीद ने ले ली है। गांव के 53 घरों में शत-प्रतिशत विद्युतीकरण पूरा कर लिया गया है, जिससे पूरे गांव में हर्ष और उल्लास का माहौल है।
विकास की रोशनी से दूर हो रहा भय और असुरक्षा
भैरमगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत बेचापाल के आश्रित गांव तिमेनार के निवासियों ने पीढ़ियों तक बिजली की रोशनी नहीं देखी थी। अब, जब शासन-प्रशासन ने इन दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंच बनाकर जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना शुरू किया है, तो ग्रामीणों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का सपना साकार हो रहा है।
ग्रामीणों की जुबानी – "अब डर नहीं लगता, खुशियों का उजियारा छाया है!"
गांव के निवासी मशराम, पंडरु कुंजाम, मंगली और प्रमिला वेको ने बताया कि गांव में पहली बार बिजली पहुंची है, अब रात के अंधेरे से डर नहीं लगता। जंगली जानवरों, सांप-बिच्छू के भय से भी मुक्ति मिली है। बच्चों की पढ़ाई लिखाई आसान हो गई है, और अब हम भी विकास की दौड़ में शामिल हो रहे हैं।"
ग्रामीणों का कहना है कि अब न केवल आतंक और भय का माहौल समाप्त हो रहा है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता भी सुधर रही है।
मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता – "हर गांव में विकास की किरण पहुंचेगी"
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की सरकार प्रदेश के हर मजरा-टोला को विद्युतीकरण से जोड़ने और नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास की धारा प्रवाहित करने के लिए संकल्पबद्ध है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि जहां कल तक नक्सली आतंक का साया था, वहां आज विकास की किरणें फैल रही हैं। यह परिवर्तन ही असली जीत है । तिमेनार में हुआ विद्युतीकरण बस्तर के दूरस्थ अंचलों में सुशासन और विकास के नए युग की शुरुआत का संकेत है। अब यह क्षेत्र माओवाद के डर से मुक्त होकर समृद्धि और उजाले की ओर अग्रसर हो रहा है।
गांवों में हो रहा बुनियादी सुविधाओं का विस्तार
तिमेनार में विद्युतीकरण के साथ-साथ सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार भी हो रहा है।
तिमेनार अब सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि बस्तर के बदलाव की जीवंत मिसाल बन गया है। जहाँ कभी अंधकार और आतंक का बोलबाला था, वहीं अब बिजली की रोशनी, बच्चों की मुस्कान और विकास की रफ्तार है। यह परिवर्तन केवल एक योजना की सफलता नहीं, बल्कि राज्य सरकार की प्रतिबद्धता, प्रशासन की सक्रियता और जनता के विश्वास का प्रतिफल है। तिमेनार में सुशासन से हो रहे बदलाव की यह यात्रा बताती है कि जब इरादे मजबूत हों और नीति जन-केंद्रित हो, तो कोई भी दुर्गमता विकास के रास्ते में बाधा नहीं बन सकती।

दुर्ग। शौर्यपथ। दुर्ग शहर में ऐसी कई संस्थाएं हैं जो गरीबों को मुक्त भोजन मुहैया कराती है कई संस्थाएं कम शुल्क में भोजन उपलब्ध कराती है तो कई छोटे-छोटे होटल…

जगदलपुर, शौर्यपथ। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा एवं आदिम जाति विकास मंत्री रामविचार नेताम ने आज दंतेवाड़ा पहुंचकर बस्तर पंडुम 2025 – बस्तर का उत्सव के संभाग स्तरीय कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया। यह भव्य आयोजन 1 से 3 अप्रैल 2025 तक आयोजित किया जाएगा, जिसमें बस्तर संभाग के जनजातीय कलाकार अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन करेंगे। निरीक्षण के दौरान उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने आयोजन स्थल की व्यवस्थाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा, प्रतिभागी दलों की सुविधाओं तथा सुरक्षा व्यवस्था की बारीकी से जांच की। उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने कहा कि बस्तर पंडुम 2025' बस्तर की जनजातीय कला और संस्कृति को पहचान दिलाने का एक ऐतिहासिक अवसर है।

      उन्होंने इस उत्सव के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि राज्य सरकार बस्तर की जनजातीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस आयोजन से जनजातीय कलाकारों और शिल्पकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने का सशक्त मंच मिलेगा। इस अवसर पर जिला प्रशासन के अधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे। बस्तर पंडुम 2025 में जनजातीय नृत्य, लोकगीत, नाट्य, वाद्ययंत्र, वेशभूषा, गोदना, पारंपरिक व्यंजन और रीति-रिवाजों का भव्य प्रदर्शन किया जाएगा।

जगदलपुर, शौर्यपथ । उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा आज बीजापुर पहुँचकर गंगालूर क्षेत्रान्तर्गत अंडरी के जंगलों में पुलिस और माओवादियों के साथ हुए मुठभेड़ में शामिल सुरक्षा बलों के जांबाज जवानों से बीजापुर जिले के रक्षित केंद्र में मुलाकात की और उनके साहसिक और सफल ऑपरेशन की सराहना कर उनका हौसला बढ़ाया।      

     उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा ने कहा कि सुरक्षा बलों के जवानों की भुजाओं की ताकत के बदौलत आज मैं सड़क मार्ग से बीजपुर आया हु। इसके पूर्व कोई भी गृहमंत्री सड़क मार्ग से बीजापुर नही आये।गौरतलब है कि 20 मार्च को हुए इस मुठभेड़ में 14 महिला माओवादी सहित कुल 26 वर्दीधारी माओवादियों के शव बरामद । शिनाख्त माओवादियों में डिवीसीएम, एसीएम, पीपीसीएम और पीएलजीए सदस्य शामिल थे। इस मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में एके 47, एसएलआर, इंसास रायफल, 303 रायफल, रॉकेट लॉचंर, बीजीएल लांचर हथियार समेत विस्फोटक पदार्थ, दवाईया, माओवादी वर्दी, साहित्य एवं अन्य दैनिक उपयोग की सामग्री बरामद हुआ। बस्तर रेंज में तैनात डीआरजी, एसटीएफ, बस्तर फाइटर, कोबरा, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी सीएएफ और अन्य समस्त सुरक्षा बल सदस्यों द्वारा मजबूत मनोबल एवं स्पष्ट लक्ष्य के साथ बस्तर क्षेत्र की शांति, सुरक्षा व विकास हेतु समर्पित होकर कार्य किया जा रहा है। वर्ष 2025 में बस्तर संभाग अंतर्गत सुरक्षा बलों द्वारा प्रभावी रूप से प्रतिबंधित एवं गैर कानूनी सीपीआई माओवादी संगठन के विरूद्ध माओवादी विरोधी अभियान संचालित किये जाने के परिणाम स्वरूप विगत 80 दिनों में कुल 97 हार्डकोर माओवादियों के शव बरामद किये गये l जिसमें जिला- बीजापुर में विगत 80 दिनों में 82 माओवादियों का शव बरामद हुआ है ।

    उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस अवसर पर सभी जवानों को बधाई देते हुए कहा कि मैं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की ओर सभी जवानों के लिए शुभकामना संदेश लेकर आया हूँ, आपके अदभूत पराक्रम और शौर्य से बस्तर में सुख-शांति फिर से लौटेगी। इस अभियान से आपने देश और दुनिया की सोच बदली है।भीषण मुठभेड़ में हमारे एक जांबाज जवान शहीद हुए उसको मैं श्रद्धांजलि देता हूं। बस्तर शांति का टापू रहा है, परन्तु कुछ दिग्भ्रमित लोगों के कारण यह की शांति भंग हुई है। हमारे सुरक्षा बल और पुलिस के जवान ऐसे लोगों को नेस्तनाबूद करके ही रहेंगे। यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा ऑपरेशन रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति के सकारात्मक परिणाम मिले है। 

इस अवसर पर बस्तर आईजी सुंदरराज पी,डीआईजी कमलोचन कश्यप, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक सहित अन्य पुलिस बल के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

जगदलपुर, शौर्यपथ । बीजापुर जिले के सबसे सुदूर क्षेत्र तेलंगाना के सीमा से लगे पामेड़ सहित पालागुड़ा, मारूड़बाका, भैरमगढ़ के 28 आत्मसमर्पित नक्सलियों को कौशल विकास के तहत राजमिस्त्री एवं अन्य प्रशिक्षण प्रदाय कराया जा रहा है। विगत तीन माह से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे आत्मसमर्पित नक्सलियों ने उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा का स्वागत भारत माता की जय घोष करते हुए किया।

      इस अवसर पर आत्मसमर्पित नक्सलियों ने उपमुख्यमंत्री से सीधा संवाद करते हुए अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जिसमें रामलू भंडारी, अर्जुन मड़काम, सोमारू माड़वी, सुखराम हेमला सहित अन्य साथियों ने छत्तीसगढ़ सरकार के पुनर्वास नीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि पहले के नक्सल संगठन का जीवन एक भटका हुआ और गुमराह से भरा जीवन था। उस खोखली विचारधारा को त्याग कर समाज के मुख्यधारा से जुड़कर बहुत ही बेहतर जीवन मिला लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की जानकारी के अभाव में हम रास्ता भटक गए थे किन्तु शासन के पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण कर एक बेहतर जीवन जी रहे हैं। आज शासन-प्रशासन द्वारा हमें कौशल विकास के तहत प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिससे हम आत्मनिर्भर बनकर समाज के मुख्यधारा में शामिल हो सके।

      उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने उनके अनुभवों को गंभीरतापूर्वक सुना और आाधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, बैंक खाता सहित सभी प्रकार आवश्यक दस्तावेज पुनर्वास केन्द्र में ही बनवाकर केन्द्र और राज्य शासन के समस्त योजनाओं का समुचित लाभ दिलाने। वहीं पुनर्वास केन्द्र में उनके दैनिक दिनचर्या से अवगत होकर प्रार्थना, पूजा-अर्चना को शामिल कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने आवश्यक पहल करने, एक्सपोजर विजिट कराकर बाहरी दुनिया का भ्रमण कराने रायपुर, जगदलपुर जैसे शहर ले जाने के निर्देश दिए। ज्यादातर लोग पढ़ाई नहीं किए है उनको साक्षर बनाने के लिए आवश्यक पहल करते हुए दिनचर्या में शामिल कर खेलकूद, मनोरंजन, देशभक्ति फिल्में दिखाने सहित उनको नियमित आमदनी के स्त्रोत हासिल हो सके उस दिशा विशेष प्रयास करने के निर्देश कलेक्टर एवं सीईओ जिला पंचायत को दिए। राज मिस्त्री के कार्य सीखने पर कुछ लोगों ने उत्साहित होकर कहा कि प्रशिक्षण के उपरांत सिविल कार्य करेंगे ताकि व्यवसाय एवं आमदनी का स्त्रोत मिल सके।

      उप मुख्यमंत्री से मिलकर सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों में उत्साह देखने को मिला। इस अवसर पर बस्तर कमिश्नर डोमन सिंह, आईजी पी सुंदरराज, डीआईजी कमलोचन कश्यप, कलेक्टर संबित मिश्रा, डीएफओ रंगानाथा रामाकृष्णा वाय, सीईओ जिला पंचायत हेमंत रमेश नंदनवार, उप निदेशक इन्द्रावती टाईगर रिजर्व संदीप बल्गा सहित वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

जगदलपुर / शौर्यपथ । बीजापुर जिले के सबसे सुदूर क्षेत्र तेलंगाना के सीमा से लगे पामेड़ सहित पालागुड़ा, मारूड़बाका, भैरमगढ़ के 28 आत्मसमर्पित नक्सलियों को कौशल विकास के तहत राजमिस्त्री एवं अन्य प्रशिक्षण प्रदाय कराया जा रहा है। विगत तीन माह से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे आत्मसमर्पित नक्सलियों ने उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा का स्वागत भारत माता की जय घोष करते हुए किया।

      इस अवसर पर आत्मसमर्पित नक्सलियों ने उपमुख्यमंत्री से सीधा संवाद करते हुए अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जिसमें रामलू भंडारी, अर्जुन मड़काम, सोमारू माड़वी, सुखराम हेमला सहित अन्य साथियों ने छत्तीसगढ़ सरकार के पुनर्वास नीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि पहले के नक्सल संगठन का जीवन एक भटका हुआ और गुमराह से भरा जीवन था। उस खोखली विचारधारा को त्याग कर समाज के मुख्यधारा से जुड़कर बहुत ही बेहतर जीवन मिला लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की जानकारी के अभाव में हम रास्ता भटक गए थे किन्तु शासन के पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण कर एक बेहतर जीवन जी रहे हैं। आज शासन-प्रशासन द्वारा हमें कौशल विकास के तहत प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिससे हम आत्मनिर्भर बनकर समाज के मुख्यधारा में शामिल हो सके।

      उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने उनके अनुभवों को गंभीरतापूर्वक सुना और आाधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, बैंक खाता सहित सभी प्रकार आवश्यक दस्तावेज पुनर्वास केन्द्र में ही बनवाकर केन्द्र और राज्य शासन के समस्त योजनाओं का समुचित लाभ दिलाने। वहीं पुनर्वास केन्द्र में उनके दैनिक दिनचर्या से अवगत होकर प्रार्थना, पूजा-अर्चना को शामिल कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने आवश्यक पहल करने, एक्सपोजर विजिट कराकर बाहरी दुनिया का भ्रमण कराने रायपुर, जगदलपुर जैसे शहर ले जाने के निर्देश दिए। ज्यादातर लोग पढ़ाई नहीं किए है उनको साक्षर बनाने के लिए आवश्यक पहल करते हुए दिनचर्या में शामिल कर खेलकूद, मनोरंजन, देशभक्ति फिल्में दिखाने सहित उनको नियमित आमदनी के स्त्रोत हासिल हो सके उस दिशा विशेष प्रयास करने के निर्देश कलेक्टर एवं सीईओ जिला पंचायत को दिए। राज मिस्त्री के कार्य सीखने पर कुछ लोगों ने उत्साहित होकर कहा कि प्रशिक्षण के उपरांत सिविल कार्य करेंगे ताकि व्यवसाय एवं आमदनी का स्त्रोत मिल सके।

      उप मुख्यमंत्री से मिलकर सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों में उत्साह देखने को मिला। इस अवसर पर बस्तर कमिश्नर डोमन सिंह, आईजी पी सुंदरराज, डीआईजी कमलोचन कश्यप, कलेक्टर संबित मिश्रा, डीएफओ रंगानाथा रामाकृष्णा वाय, सीईओ जिला पंचायत हेमंत रमेश नंदनवार, उप निदेशक इन्द्रावती टाईगर रिजर्व संदीप बल्गा सहित वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

शौर्यपथ / जगदलपुर। बीजापुर जिले के सबसे सुदूर क्षेत्र तेलंगाना के सीमा से लगे पामेड़ सहित पालागुड़ा, मारूड़बाका, भैरमगढ़ के 28 आत्मसमर्पित नक्सलियों को कौशल विकास के तहत राजमिस्त्री एवं अन्य प्रशिक्षण प्रदाय कराया जा रहा है। विगत तीन माह से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे आत्मसमर्पित नक्सलियों ने उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा का स्वागत भारत माता की जय घोष करते हुए किया।

      इस अवसर पर आत्मसमर्पित नक्सलियों ने उपमुख्यमंत्री से सीधा संवाद करते हुए अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जिसमें रामलू भंडारी, अर्जुन मड़काम, सोमारू माड़वी, सुखराम हेमला सहित अन्य साथियों ने छत्तीसगढ़ सरकार के पुनर्वास नीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि पहले के नक्सल संगठन का जीवन एक भटका हुआ और गुमराह से भरा जीवन था। उस खोखली विचारधारा को त्याग कर समाज के मुख्यधारा से जुड़कर बहुत ही बेहतर जीवन मिला लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की जानकारी के अभाव में हम रास्ता भटक गए थे किन्तु शासन के पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण कर एक बेहतर जीवन जी रहे हैं। आज शासन-प्रशासन द्वारा हमें कौशल विकास के तहत प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिससे हम आत्मनिर्भर बनकर समाज के मुख्यधारा में शामिल हो सके।

      उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने उनके अनुभवों को गंभीरतापूर्वक सुना और आाधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, बैंक खाता सहित सभी प्रकार आवश्यक दस्तावेज पुनर्वास केन्द्र में ही बनवाकर केन्द्र और राज्य शासन के समस्त योजनाओं का समुचित लाभ दिलाने। वहीं पुनर्वास केन्द्र में उनके दैनिक दिनचर्या से अवगत होकर प्रार्थना, पूजा-अर्चना को शामिल कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने आवश्यक पहल करने, एक्सपोजर विजिट कराकर बाहरी दुनिया का भ्रमण कराने रायपुर, जगदलपुर जैसे शहर ले जाने के निर्देश दिए। ज्यादातर लोग पढ़ाई नहीं किए है उनको साक्षर बनाने के लिए आवश्यक पहल करते हुए दिनचर्या में शामिल कर खेलकूद, मनोरंजन, देशभक्ति फिल्में दिखाने सहित उनको नियमित आमदनी के स्त्रोत हासिल हो सके उस दिशा विशेष प्रयास करने के निर्देश कलेक्टर एवं सीईओ जिला पंचायत को दिए। राज मिस्त्री के कार्य सीखने पर कुछ लोगों ने उत्साहित होकर कहा कि प्रशिक्षण के उपरांत सिविल कार्य करेंगे ताकि व्यवसाय एवं आमदनी का स्त्रोत मिल सके।

      उप मुख्यमंत्री से मिलकर सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों में उत्साह देखने को मिला। इस अवसर पर बस्तर कमिश्नर डोमन सिंह, आईजी पी सुंदरराज, डीआईजी कमलोचन कश्यप, कलेक्टर संबित मिश्रा, डीएफओ रंगानाथा रामाकृष्णा वाय, सीईओ जिला पंचायत हेमंत रमेश नंदनवार, उप निदेशक इन्द्रावती टाईगर रिजर्व संदीप बल्गा सहित वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

जगदलपुर, शौर्यपथ । छत्तीसगढ़ शासन के उपमुख्यमंत्री तथा गृहमंत्री विजय शर्मा बस्तर पंडुम के बीजापुर जिला स्तरीय आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि बस्तर की संस्कृति पूरी दुनिया में सबसे महान है जिसे संजोए रखने संरक्षित एवं संवर्धित करने का ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पहल से पूरे देश -दुनिया में बस्तर की संस्कृति को अलग पहचान मिल रही है। बस्तर पण्डुम का ब्लॉक एवं जिला स्तरीय प्रतियोगिता के बाद 01 अप्रैल से 03 अप्रैल तक संभाग स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन दंतेवाड़ा में होगा जिससे प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित केन्द्रीय मंत्रीगण एवं देश-विदेश के लोग हमारी सभ्यता, संस्कृति और पांरपरिक विधाओं को देखने आएंगे ऐतिहासिक और भव्य आयोजन होगा जिसमें बीजापुर के समस्त जनता को आमंत्रित करते हुए अधिक से अधिक संख्या में आने की अपील की।

वहीं बीजापुर जैसे खूबसूरत और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण जिले में लाल आतंक को जड़ से मिटाने अमन चैन और शांति का वातावरण निर्मित करने के लिए कहा कि समूचे बस्तर को लाल आतंक से मुक्त होना चाहिए इस लाल आतंक ने किसी को कुछ नहीं दिया, अभी हर जिले के हर पंचायत से युवाओं को रायपुर घुमाने ले जाया गया। हर एक पंचायत के युवाओं से खड़े होकर बात करता हूं। मुझे आश्चर्य होता है और दुख है इस बात का कि बीजापुर के अंदरूनी क्षेत्र के बच्चे 25 वर्ष के हो गए हैं लेकिन कभी टीव्ही नहीं देखे हैं कोई जगदलपुर नहीं पहुंचा है कोई रायपुर नहीं पहंुचा है स्कूल, अस्पताल, आंगनबाड़ी, सड़क, बिजली, मोबाईल टावर यह बुनियादि चीजें है इसे गांव-गांव तक पहुंचाना चाहिए कोई इसे क्यो रोक कर रखेगा।

नक्सली जिनके खुद के बच्चे विदेश में पढ़ते हैं गांव में छोटा सा स्कूल नहीं बनाने देते जिसके गांव के बच्चे पढ़ सके। सारे गांव के उन्नति और विकास को रोक कर रखा है और इस बात का विश्वास रखे कि माननीय केन्द्रीय गृहमंत्री का स्पष्ट कहना है कि मार्च 2026 तक नक्सलियों का समापन पूरे देश में होकर रहेगा।

जो भी पंचायत अपने पंचायत के भटके हुए जो भी लोग होंगे विभिन्न कारणों से संघटनों से जुड़े हुए उनका काम करते हैं। ऐसे सारे लोगो का कोई प्रकरण नही बनेगा और ग्राम पंचायत में प्रस्ताव करते है कि उनका गांव माओवाद और लाल आतंक से मुक्त हुआ तो उस पंचायत को तत्काल एक करोड़ का निर्माण कार्य की स्वीकृति दी जाएगी। उस पंचायत में विद्युत, मोबाईल नेटवर्क तुरंत उपलब्ध कराया जाएगा। पुलिस की बड़ी कार्यवाही चल रही है और उस पूरी कार्यवाही के बीच में सरकार की तरफ से सरकार एक गोली नही चलाना चाहती मुख्यधारा में आ जाएं मुख्यधारा में आने पर सभी सुविधाएं मिलेगी अगर किसी ने आतंक का रास्ता नहीं छोड़ा तो कठोर कार्यवाही की जाएगी। देशद्रोह को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जगदलपुर, शौर्यपथ। स्थानीय प्रियदर्शिनी इंदिरा स्टेडियम के शनिवार को जिला स्तरीय बस्तर पंडुम का रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर जनप्रतिनिधियों एवं समाज प्रमुखों ने कहा कि यह आयोजन बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और संवर्धित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। बस्तर पंडुम के माध्यम से पारंपरिक नृत्य, लोकगीत, हस्तशिल्प और आदिवासी रीति-रिवाजों को मंच प्रदान किया जा रहा है, जिससे स्थानीय संस्कृति को नई पहचान मिल रही है। इस उत्सव में विभिन्न जनजातीय समूह अपनी कला और परंपराओं का प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे न केवल सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ेगी बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उक्त कार्यक्रम में जिले के सभी विकासखंडों के स्थानीय लोक कलाकारों, जनजातीय समुदायों और संस्कृति प्रेमियों का उत्साह देखते ही बना। बस्तर पंडुम न केवल संस्कृति को सहेजने का प्रयास है बल्कि सामाजिक एकता और पारंपरिक मूल्यों को भी सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। इस दौरान हजारों प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़ कर उत्साहपूर्वक भाग लिया।      

        उल्लेखनीय है कि बस्तर पंडुम 2025 के अन्तर्गत अनेक विधाएं शामिल की गई है। जिसमें जनजातीय नृत्यों के तहत गेड़ी, गौर-माड़िया, ककसाड़, मांदरी, हुलकीपाटा, परब सहित लोक गीत श्रृंखला के तहत जनजातीय गीत- चैतपरब, लेजा, जगारगीत, धनकुल, हुलकी पाटा (रीति-रिवाज, तीज त्यौहार, विवाह पद्धति एवं नामकरण संस्कार आदि) जनजातीय नाट्य श्रेणी में भतरा नाट्य जिन्हें लय एवं ताल, संगीत कला, वाद्य यंत्र, वेषभूषा, मौलिकता, लोकधुन, वाद्ययंत्र, पारंपरिकता, अभिनय, विषय-वस्तु, पटकथा, संवाद, कथानक के मानकों के आधार पर मूल्यांकन किया गया। इसके अलावा जनजातीय वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन के तहत धनकुल, ढोल, चिटकुल, तोड़ी, अकुम, झाब, मांदर, मृदंग, बिरिया ढोल, सारंगी, गुदुम, मोहरी, सुलुङ, मुंडाबाजा, चिकारा शामिल रहे। जिन्हें संयोजन, पारंगता, प्रकार, प्राचीनता के आधार पर अंक दिए गए। जनजातीय वेशभूषा एवं आभूषण का प्रदर्शन विधा में लुरकी, करधन, सुतिया, पैरी, बाहूंटा, बिछिया. ऐंठी, बन्धा, फुली, धमेल, नांगमोरी, खोचनी, मुंदरी, सुर्रा, सुता, पटा, पुतरी, नकबेसर जैसे आभूषण में एकरूपता, आकर्षकता, श्रृंगार, पौराणिकता को महत्व दिया गया। जनजातीय शिल्प एवं चित्रकला का प्रदर्शन विधा के अंतर्गत घड़वा, माटी कला, काष्ठ, ढोकरा, लौह प्रस्तर, गोदना, भित्तीचित्र, शीशल, कौड़ी शिल्प, बांस की कंघी, गीकी (चटाई), घास के दानों की माला प्रदर्शन प्रस्तुतियां हुई। साथ ही जनजातीय पेय पदार्थ एवं व्यंजन का प्रदर्शन- सल्फी, ताड़ी, छिंदरस, लांदा, कोसरा, जोन्धरा एवं मड़िया पेज, चापड़ा चटनी, सुक्सी पुड़गा,मछरी पुड़गा,मछरी झोर, आमट साग, तिखुर, बोबो इत्यादि के बनाने की विधि, स्थानीय मसाले, स्वाद, प्रकार का प्रस्तुतिकरण बस्तर पंडुम 2025 के मुख्य आकर्षण रहे। 

*समाज प्रमुखों ने कहा बस्तर पंडुम का आयोजन राज्य सरकार की सराहनीय पहल*  

      बस्तर पंडुम में सक्रिय सहभागिता निभाने वाले समाज प्रमुखों में बस्तर पंडुम के प्रति खासा उत्साह एवं अलग ही लगाव देखने को मिला। इस दौरान इन समाज प्रमुखों ने बस्तर पंडुम आयोजन को सराहनीय पहल निरूपित करते हुए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और राज्य सरकार के प्रति कृतज्ञता प्रकट किया। इस मौके पर पूर्व विधायक एवं सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष राजाराम तोड़ेम ने बस्तर पंडुम को राज्य सरकार की जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक विविधता को देश-दुनिया में पहुंचाने की अनुपम प्रयास रेखांकित किया। वहीं पूर्व विधायक लछुराम कश्यप ने बस्तर पंडुम को जनजातीय संस्कृति को संरक्षित एवं संवर्धित करने की दिशा में उल्लेखनीय पहल निरूपित करते हुए बस्तर पंडुम में सहभागी बने सभी लोक कलाकारों और सर्व आदिवासी समाज के सदस्यों से इस दिशा में गांव-गांव तक जागरूकता लाने सहित भावी पीढ़ी को जोड़ने का आग्रह किया। जिला पंचायत के उपाध्यक्ष बलदेव मंडावी ने बस्तर पंडुम को जनजातीय समुदाय के भावी पीढ़ी के लिए समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सीखने-समझने का बेहतर मंच बताते हुए कहा कि वर्तमान समय में भावी पीढ़ी अपनी संस्कृति,परम्परा, रीति-रिवाजों से दूर हो रही है। बस्तर पंडुम जैसे आयोजन में सक्रिय सहभागी बनकर भावी पीढ़ी अपना जुड़ाव महसूस करेगी। इस अवसर पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों सहित कलेक्टर हरिस एस, एसपी शलभ सिन्हा, सीईओ जिला पंचायत प्रतीक जैन और जिला प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी एवं सदस्य व गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित साहित्यकार, उपन्यासकार एवं कवि विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार सम्मान की घोषणा पर  हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी है। उन्होंने इसे छत्तीसगढ़ के लिए अत्यंत गौरव का क्षण बताया और कहा कि शुक्ल जी ने  छत्तीसगढ़ को भारत के साहित्यिक मानचित्र पर गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान किया है।
  मुख्यमंत्री साय ने कहा कि विनोद कुमार शुक्ल का साहित्य  विचारों और संवेदनाओं का अद्वितीय संगम है, जो जनमानस को छूता है। उनकी रचनाओं में गहराई, मौलिकता और मानवीय सरोकारों की झलक मिलती है। उनका रचना संसार छत्तीसगढ़ की माटी की खुशबू को भारत के कोने-कोने में पहुँचाता है।
   मुख्यमंत्री साय ने कहा कि ज्ञानपीठ जैसे प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित होना न केवल उनके सृजन की पहचान है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक एवं साहित्यिक वैभव की भी मान्यता है। मुख्यमंत्री  साय ने उनके दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना की है।

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