February 05, 2025
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रायपुर

रायपुर (5473)

     रायपुर / शौर्यपथ / घरेलु हिंसा को रोकने के लिए राजधानी पुलिस की चुप्पी तोड़ो मुहिम कारगर साबित हो रहा है। पुलिस ने यह अभियान महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने और उनकी शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए 29 अप्रैल को शुरू किया था। लॉकडाउन पीरियड में 50 दिन की सोशल डिसटेंसिंग से लोग घरों में रहने की वजह से तनावग्रस्त हो रहे हैं। इसका नतीजा घरेलू हिंसा के रुप में सामने आ रहाहै। घरेलू हिंसा के मामले लॉकडाउन शुरू होने के बाद से अचानक बढ़ गए हैं।

लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा को रोकने के लिए कॉल करने पर पीडि़तों के पास पुलिस की टीम पहुंच रही है। 1जनवरी 2020 से मार्च तक पुलिस के पास घरेलू हिंसा से जुड़े कुल 135 मामले आए थे। लेकिन केवल लॉकडाउन की अवधि 29 अप्रेल से 8 मई तक 10 दिन में 50 से ज्यादा नए प्रकरण पुलिस तक पहुंचे हैं।

     अमृता सोरी, ए एस पी (इन्वेस्टीगेशनयूनिट फॉर क्राइम अगेंस्ट वीमेन –आईयूसीएडब्ल्यू) के नेतृत्व में चल रहे चुप्पी तोड़ अभियान से जुड़ी पुलिस टीम वर्ष2018 से 1500 पेंडिंग शिकायतों में कॉल कर प्रतिदिन 100 महिलाओं से संपर्क कर रही है। पुराने शिकायतों से जुड़ी पीडि़त 550 महिलाओं से संपर्क कर शिकायत दर्ज किए गए हैं और उनकी समस्याओं पर निराकरण के लिए चर्चा कर काउंसिलिंग भी करायी जा रही है।

इसके बाद भी मामला नहीं सुलझने पर पुलिस ने 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर और 2 लोगों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई है। लॉकडाउन की अवधि में पीड़ित महिलाओं का थाना आकर शिकायत कर पाना संभव नहीं था इसलिए इस अभियान के तहत रायपुर पुलिस द्वारा पीड़ित महिलाओं को दूरभाष के माध्यम से संपर्क कर सहायता प्रदान की जा रही  है।

रायपुर पुलिस द्वारा शुरुआत किये गए चुप्पी तोड़ अभियान को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही हैं। इस मुहिम के क्रियान्वयन हेतु अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक,आई.यू.सी.ए.डब्ल्यू. रायपुर के पर्यवेक्षण में दो टीम गठित की गयी है जिसमें महिला थाना एवं महिला सेल प्रभारी द्वारा प्रकरणों का निराकरण किया जायेगा एवं इस अभियान के तहत पीड़ित महिलाओं से संपर्क करने के लिए ग्यारह बिंदुओं का प्रोफार्मा तैयार किया गया था। वहीं शिकायत बताने के लिए जारी नंबर पर टेलीफोन, और वाट्सअप मैसेज के माध्यम से घर बैठे दर्ज करा सकते हैं। यह नम्बर हैं: 0771-4247110, 9479190127 और व्हाट्सअप्प नम्बर है: 9479191250.

घरेलू हिंसा बढऩे को लेकर स्पर्श क्लीनिंक के मनोरोग चिकित्सक डॉ. अविनाश शुक्ला का कहना है इनमें नशे की पूर्ति नहीं होने से चिड़चिड़ापन और आर्थिक तंगी को प्रमुख माना जा रहा है। साथ ही लॉकडाउन के कारण लोग इन दिनों सामान्या से ज्याजदा तनाव में हैं। चाहे व्यापारी हो, श्रमिक हो लॉकडाउन से काम बंद होने से आर्थिक बोझ व कोरोना वायरस को लेकर स्‍वास्‍थ्‍य की चिंता के बीच सोशल डिसटेंसिंग में पुरुष वर्ग द्वारा घरों से बाहर नहीं निकलने से तनाव महसूस कर रहे हैं।  घरों में 24 घंटे रहने से वक्त तो ज्यादा मिल रहा है परिवार के लिए लेकिन पति-पत्नी के बीच रिलेशनशीप में सौहाद्र नहीं है।  छुटियों के बीच दूसरे शहर घूमने जाने का प्लान और बच्चों का स्कू‍ल नहीं होने से दिनभर घर में माहौल उबाऊ होने लगा है। इस वजह से भी पति-पत्नी के बीच विवाद और झगड़े की स्थिति बन रही है।

मनोरोग चिकित्सक डॉ. शुक्ला ने बताया , कोरोना वायरस की वजह से जारी लॉक डाउन की स्थिति ने सभी की दिनचर्चा को बदलकर रख दिया है। ऐसे में घरों में बढ़ते आपसी तनाव यानी घरेलू हिंसा को खत्म करने के लिए पति –पत्नी के बीच बातचीत के तौर तरीकों में कुछ नयापन का एहसास होना चाहिए। एक दूसरे के भावनाओं का आदर करना चाहिए। किसी बात पर ठेस लगने जैसे कठोर भाषा का प्रयोग करने से बचना चाहिए। जो पत्नी को पसंद नहीं ऐसा कार्य बार-बार नहीं करना चाहिए। पत्नी् को बच्चों के सामने नहीं डांटना चाहिए बल्कि उनकी प्रशंसा करना चाहिए। जरुरत पड़े तो आपसी मतभेद को खत्म करने के लिए मैरीज काउंसलर से भी परामर्श लेना चाहिए।

धमतरी शौर्यपथ

आश्रय स्थलों में ठहरे हुए प्रवासी श्रमिकों को अवसाद, चिंता, बेचैनी और घबराहट दूर करने के लिये नियमित रूप से परामर्श प्रदान किया जा रहा है ।इसी के तहत लाभांडी स्थित आश्रय स्थल में रुके लगभग 100 प्रवासी श्रमिकों को चिंता से उबारने के लिये विशेषज्ञों द्वारा परामर्श प्रदान किया गया ।
ज़िले के विभिन्न आश्रय स्थलों में रुके छत्तीसगढ के अलावा अन्य राज्यों के प्रवासी श्रमिकों को ज़िला मानसिक स्वास्थ्य द्वारा गठित दल के माध्यम से परामर्श दिया गया है ।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, रायपुर डॉ मीरा बघेल ने बताया परामर्श के लिए तीन सदसीय दल का गठन किया गया है जोनियमित रुप से प्रवासी श्रमिकों के लियें बने आश्रय स्थलों पर जा कर सेवाएंप्रदानकर रहे है। ज्यादातर श्रमिक घर पहुंचने की चिंता को लेकर अवसाद से ग्रसित है।लॉक डाउन में घर से और परिवार से दूर पर होने वाली बेचैनी और घबराहट महसूस कर रहे है जिसको दूर करने के लिए विषय विशेषज्ञों द्वारा उन्हें सलाह दी जा रही है ।
मनोचिकित्सक डॉ.अविनाश शुक्ला ने बताया साफ-सफाई, सोशल डिस्टेंसिंग और आपसी व्यवहारिक वातावरण बनाने की सलाह दी जाती है| मुख्य रूप से लोगों में परिवार से मिलने के प्रति चिंता ज्यादा है, जिसकी समझाइश देकर और फोन के माध्यम से बात करवाकर उनके तनाव को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
मनोवैज्ञानिक सुश्री ममता गिरी गोस्वामी ने बताया लॉक डाउन के चलते में आश्रय स्थल में रहने वाले काफी प्रवासी श्रामिकों कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है। यह लोग किसी भी तरह अपने-अपने घरों को जाना चाह रहे हैं। उन्हें अपने परिवार की चिंता सता रही है। परामर्श के दौरान देखने में आया है कि अधिकतर यही सोच रहे हैं कि उनकी पीछे परिवार का पालन पोषण कैसे हो रहा होगा । उन्हें खाना मिल रहा है या भूखे हैं। परामर्श में उन्हें समझाया गया कि सरकार उनका ध्यान रख रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
कोविड-19 के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए प्रवासी श्रमिकों का मानसिक तनाव दूर करने के संबंध में 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने जागरूकता कार्यक्रम चलाने का आदेश दिया। न्यायालय के आदेश पर राज्य मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के द्वारा सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन को पत्र लिखकर निर्देश दिया है।
प्रवासियों को तनाव दूर करने के दिए गए सुझाव
कोविड -19 के संबंध में केवल विश्वसनीय माध्यमों से ही जानकारी प्राप्त करें। ऐसे में केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए वेबसाइट व हेल्पलाइन से जानकारी लेना लाभकारी है ।
व्हाट्सएप, फेसबुक या अपने पड़ोसी द्वारा बताई गई जानकारी पर जल्द विश्वास न करें और न ही जल्दी चितित हो।
स्वस्थ रहने के लिए संतुलित आहार लें। पर्याप्त पानी व नींद लेने के साथ प्रतिदिन व्यायाम करें।
घर पर खेलना, कुछ नया कौशल सीखने या सिखाने का अभ्यास करें। प्रतिदिन कुछ देर ध्यान करने के साथ दस मिनट तक सांस लेने व छोड़ने की क्रिया का अभ्यास करें।
प्रियजनों से फोन से बात करें। साथ ही साबुन या हैंडवाश से हाथ धोते हुए शारीरिक दूरी हर हाल में बनाए रखें। सरकार व प्रशासन द्वारा आप की सुरक्षा के लिए जो नियम बनाए जाए उसका पालन करें।

जीवन को जीतना है

डॉ. शैल चन्द्रा की कविता

क्या हुआ जो घरों में बंद हैं।
होगा आगे आनंद ही आनंद है।
अभी इक्कीस दिन सब्र के साथ रहो घर के अंदर।
नहीं तो महाप्रलय का आएगा समंदर।
बाहर घूमने वालों कुछ दिन खा लो दाल -रोटी।
भीड़ लगाने वालों संभलो,
वरना कोरोना नोच लेगी तुम्हारी बोटी -बोटी।
यह वक्त जिंदगी और मौत का छोड़ रही है सवाल।
भीड़ बढ़ाकर मत करो तुम बवाल।
घर में रहकर लगा दो हर द्वार में ताले।
बच जाओगे तुम हो किस्मत वाले।
हर हालत में बाहर न रखना कदम ।
वरना निकल जायेगा तुम्हारा दम।
घर में रहकर कोरोना को हराना है।
मौत को मात देकर जीवन को जीतना है।
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मौत मंडरा रहा है सर पर।
रहो लोगों तुम घर पर।
घर पर रहने से ही बचोगे।
इसी तरह मौत से जंग जीतोगे।
घर पर रहना ही देशभक्ति है।
कोरोना से लड़ने की यही शक्ति है।

धमतरी/नगरी शौर्यपथ

*नगरी के ग्राम गोरेगांव की घटना

लॉकडॉउन की वजह से गांव की गलियों में पसरे सन्नाटे की वजह से जंगली जानवर रिहायशी इलाकों में पहुंच रहे हैं। आज सुबह गोरेगांव निवासी प्रदीप अटल खाम जब अपने घर के पीछे बाड़ी में कटहल तोड़ने गए तो वहां वन्य पशु बारहसिंगा देखकर आश्चर्यचकित हो गए। सूचना लगने पर बारहसिंगा देखने ग्राम वासियों का हुजूम उमड़ पड़ा।
घायल बारहसिंगा की जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को दी गई।
जब तक कि वन विभाग नगरी के अधिकारी घायल बारहसिंह के बचाव के लिए पहुंचते उसके पहले ही ग्रामीणों को देखकर घबराया हुआ बारहसिंह से जंगलों की ओर भाग गया।
ग्रामीणों का कहना है की रियासी इलाके में पहुंचने के बाद कुत्तों के झुंड ने बारहसिंह को घेरा लिया होगा ।जिससे वह घायल हो गया। और प्राण बचाने बाड़ी में आ धुसा।
ग्रामीणों ने ये भी बताया की कुछ लोग इन वन्य प्राणियों के शिकार भी कर रहे हैं । हो सकता है उन्ही शिकारियों के कुत्तें के झुंड ने बारहसिंह को घायल किया होगा।

धमतरी शौर्यपथ ।

हरी सब्जी बेचकर लॉक-डाउन में भी हर महीने कमा रहे
दस हजार रुपए


मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना) ग्रामीणों की जिंदगी कैसे बदल रही है, इसकी मिसाल हैं किसान श्री उत्तम साहू। जिले के कुरूद विकासखंड के ग्राम चर्रा निवासी सीमांत किसान श्री उत्तम पहले मजदूरी करते थे। मनरेगा के तहत खेत में कुएं के निर्माण के बाद अब वे साल भर साग-सब्जियों की खेती करते हैं, जिसे बेचकर उनके जीवन की दशा और दिशा दोनों बदल गई। वे सब्जी बेचकर मौजूदा लॉक-डाउन के प्रतिकूल दौर में भी हर महीने औसतन दस हजार रूपए की शुद्ध आय अर्जित कर रहे हैं। कुएं के निर्माण और सब्जी की खेती शुरू करने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति लगातार मजबूत होती जा रही है।

किसान श्री साहू मनरेगा से अपने खेत में कुआं खुदाई के दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि कुआं निर्माण के समय उनके साथ उनकी पत्नी श्रीमती पुनिया बाई, बेटे महेन्द्र और पुत्रवधु महेश्वरी ने भी काम किया था। उनके परिवार को मजदूरी के रुप में 26 हजार 436 रुपए मिले थे। कुएं के निर्माण में एक लाख 88 हजार रूपए की लागत आई थी। उत्तम साल भर भरे रहने वाले अपने कुएं में एक हॉर्स-पॉवर का पंप लगाकर सब्जियों की खेती कर रहे हैं। उनके खेतों में अभी चेंच भाजी, अमारी भाजी, पटवा भाजी, धनिया पत्ती, गलका, करेला, टमाटर और नींबू का उत्पादन हो रहा है। मौजूदा लॉक-डाउन में बाजार न जाकर वे गलियों में आवाज देकर सुरक्षित ढंग से सब्जियां बेच रहे हैं। इससे हर महीने उन्हें औसतन दस हजार रूपए की आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा से बने कुएँ के कारण आज लॉक-डाउन में भी उनकी रोजी-रोटी पर किसी तरह का फर्क नहीं आया। सब्ज़ियों की रोजाना बिक्री बदस्तूर जारी है।‘

उल्लेखनीय है कि कोविड-19 का संक्रमण रोकने लागू देशव्यापी लॉक-डाउन में मनरेगा के अंतर्गत आजीविका संवर्धन के लिए निर्मित परिसम्पत्तियों ने हितग्राहियों को आर्थिक संबल प्रदान करने के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गतिमान बनाए रखा है। मनरेगा के कार्यों का लाभ व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तर पर मिल रहा है। जॉबकार्डधारियों की निजी भूमि पर डबरी निर्माण, निजी तालाब निर्माण, भूमि सुधार, कूप निर्माण, मुर्गी शेड, बकरी शेड, पशु शेड और मिश्रित फलदार पौधरोपण जैसे आजीविका सृजन और संवर्धन होने से ग्रामीणों के जीवन में तेजी से बदलाव आ रहा है।

मनरेगा से जुड़कर ग्रामीणों को जो आर्थिक संसाधन प्राप्त हुए हैं, उससे वे मौजूदा हालात में काफी राहत महसूस कर रहे हैं। लॉक-डाउन से निपटने गांव-गांव में मनरेगा से ज्यादा से ज्यादा हितग्राहीमूलक कार्य शुरू किए जा रहे हैं। इससे हितग्राहियों को लंबे समय तक फायदा देने वाले संसाधन के साथ ही स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों को सीधे रोजगार मिल रहा है। यह हितग्राही के साथ श्रमिकों को भी आर्थिक संबल दे रहा है।

धमतरी शौर्यपध

विगत कुछ दिनों से लगातार हो रही वर्षा व आंधी तूफान ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है ।ग्रीष्मकालीन धान की फसल के साथ सब्जीयों के फसल का नुकसान किसानो को हो रहा है ।
नगरी के किसान मोहन साहु व कई अन्य सरकार से फसल क्षतिपूर्ति की मांग कर रहे हैं।

धमतरी/नगरी शौर्यपथ

नगर के हृदय स्थल में, स्थित,
श्रृंगी ऋषि हाई स्कूल मैदान के बुरी हाल के जिम्मेवार अधिकारियों पर आखिर कब होगी कार्रवाई ?
खेल मैदान के उद्धार का सपना संजोये नगर के खिलाड़ियों का ख्वाब कब होगा पूरा ?
नगर के होनहार प्रतिभावान खिलाड़ियों को आखिर कब साफ सुथरा खेल मैदान शासन उपलब्ध कराएगी?
खेल मैदान में चारों तरफ फैली गंदगी ,निर्माण सामग्रियों के मलवे, कीचड़, सीवर के गंदे पानी की बदबू, शाम होते ही
शराब खोरी करने वालों के झुंड, मैदान में कभी सब्जी बाजार ,तो कभी सांस्कृतिक आयोजन।

नगर के खेल प्रतिभाओं की आशाओं पर खेल मैदान के रखवाले बरसों से पानी फेर रहे हैं।

धमतरी/नगरी,शौर्यपथ
आज मदर्स डे के अवसर पर नगरी अंचल में चाक कलाकर भानुप्रताप कुंजाम ने मातृशक्ति को सम्मानित करने पेंसिल की नोक व चाक को तराश कर मां के मातृत्व को बखूबी उकेरा है।
इसके पूर्व भी भानुप्रताप कुंजाम ने चाक में सैकड़ो कलाकृति को उभार कर इस कला को एक नई ऊंचाई प्रदान की है ।
आधुनिक मातृ दिवस का ग्राफटन वेस्ट वर्जिनिया में एना जार्विस के द्वारा समस्त माताओं तथा मातृत्व के लिए खास तौर पर पारिवारिक एवं उनके आपसी संबंधों को सम्मान देने आरम्भ किया गया था।

नगरी

नगर पंचायत नगरी में वार्ड नंबर 5 और 6 में किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा नोट को बिखेर दिया गया है। जिसे पूरे मोहल्ले वासी देखने के लिए उमड़ पड़े।गली और नाली में 10 व 20 के नोट फ़टे हुए पड़े हैं।मोहल्ले वालों ने पुलिस को जानकारी दी तत्काल पुलिस मौक़े पर पहुँच गई है।
पुलिस जांच में जुटी है कि आखिर माजरा क्या है?
लोगों को कोरोना संक्रमण का भय है, चूंकि ऐसी घटनाएं शहरों में हो चुकी है इसलिए पूरे वार्ड वासी दहशत में है लोगों को कोरोना का भय है ।फिलहाल स्थल पर मोहल्ले की भीड़ उमड़ पड़ी है वहीं एसडीओपी,थाना प्रभारी अपने स्टाफ के साथ मौके पर मौजूद है और जांच कर रहे हैं।

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