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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
दुर्ग / शौर्यपथ /
राजनीती
लोकसभा चुनाव के मतदान की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है . कांग्रेस नेत्रितत्व द्वारा आम जनता के लिए बड़े बड़े वादे किये जा रहे है किन्तु दुर्ग लोकसभा में अभी केन्द्रीय नेत्रित्व के वादों की बयार बहने की अपेक्षा अंतर्कलह खुलकर सामने आ रही है . एक तरफ विधानसभा चुनाव में जिस तरह से दुर्ग कांग्रेस के कई कार्यकर्त्ता खुलकर वोरा का विरोध करते नजर आये वही अब लोकसभा चुनाव में भी यही स्थिति नजर आ रही है . दुर्ग लोकसभा के प्रत्याशी के रूप में केन्द्रीय नेत्रित्व ने भले ही राजेंद्र साहू के नाम की घोषणा की है किन्तु चुनावी जंग कार्यकर्ताओ के बलबूते लड़ा जाता है . किन्तु दुर्ग शहर में जहाँ कांग्रेस हाल ही में संपन्न हुए विधान सभा चुनाव में लगभग ५० हजार मतों से पराजित हुई उसके बाद वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऐसा प्रतीत नहीं होता कि कांग्रेसी कार्यकर्त्ता ५० हजार के बड़े अंतर को पाट पायेंगे . दुर्ग की राजनीती में उठापठक का आलम यह है कि दुर्ग के कांग्रेसी जनप्रतिनिधि दुर्ग निगम पार्षद और एमआईसी मेंबर को कारण बताओ नोटिस जिलाध्यक्ष द्वारा जारी किया जा चुका है और पिछले कई दिनों से यह सोशल मिडिया में वाइरल भी हो रहा है जिसमे दुर्ग जिलाध्यक्ष गया पटेल के लेटर पेड में जारी हुए नोटिस की अब अलग ही कहानी नजर आ रही है .
जिलाध्यक्ष ने इस नोटिस के बारे में जवाब देते हुए कहा कि यह नोटिस उनके द्वारा नहीं किया गया जबकि इस नोटिस को सोशाल मिडिया में हर ग्रुप में देखा गया . कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक वोरा के ख़ास समर्थक प्रकाश गीते सहित कई कांग्रेसियों ने इसे वाइरल किया . इस पर जिलाध्यक्ष की अनिभिज्ञता और लापरवाही साफ़ नजर आ रही है . राष्ट्रिय पार्टी के जिलाध्यक्ष होने के बाद भी इस नोटिस की जिम्मेदारी ना लेना और इसे फर्जी करार देने के बावजूद भी इसके खिलाफ पुलिस प्रशासन में शिकायत ना करना वही इस नोटिस का सोशल मिडिया प्लेट फ़ार्म में भी खंडन ना करना ही जिलाध्यक्ष कीई काबिलियत को दर्शा रहा है वही पिछले चुनाव में बड़ी हार और निष्क्रिय जिलाध्यक्ष होने के बावजूद भी पद में बने रहना ही यह साफ़ इशारा कर्ता है कि कांग्रेस दुर्ग में सिर्फ एक औपचारिकता मात्र ही रह गई है . सालो से ब्लाक अध्यक्ष के रूप में एक ही व्यक्तियों द्वारा पद में जमे रहने के कारण कांग्रेसियों में भी नाराजगी साफ झलक रही .
हाल ही में कांग्रेस के सैकड़ो कार्यकर्ताओ सहित निगम पार्षदों और एमआईसी सदस्य का भाजपा में प्रवेश करना उन कांग्रेसियों के मनोबल को तोड़ रहा जो सालो से कांग्रेस के लिए कार्य कर रहे . वही अब जब लोकसभा चुनाव के मतदान की तिथि करीब आ गई ऐसे में एक बार फिर कांग्रेसियों को झंडा उठाने की जिम्मेदारी तो मिल रही किन्तु अब भी अंतर्कलह साफ़ नजर आ रही . ऐसे में शहर की जनता में भी चर्चा का विषय बनता जा रहा है कि कांग्रेस प्रत्याशी क्या भाजपा प्रत्याशी के पिछले जीत के रिकार्ड को रोक पायेंगे या एक और नया जीत का रिकार्ड सामने आएगा .
दुर्ग / शौर्यपथ / विगत 28 मार्च 2024 को छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई एवं पं. दीन दयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के मध्य एमओयू किया गया। जिसमें सीएसवीटीयू भिलाई के कुलपति डॉ. एम. के. वर्मा एवं आयुष विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ. पी.के. पात्रा उपस्थित रहे। इस अनुबंध का उद्देश्य अनुसंधान एवं अकादमिक गतिविधियों के विकास पर दोनों संस्थानों द्वारा सयुंक्त प्रयास करना है। इस एमओयू के तहत फैकल्टी एवं छात्र दोनों संस्थानों में रिसर्च एक्टिविटी हेतु आवागमन कर शैक्षणिक एवं शोध कार्य कर सकते है। इस अनुबंध का उद्देश्य दोनां संस्थान एक दूसरे के साथ मिलकर शैक्षणिक गुणवत्ता में इम्प्रूवमेंट, नये टेक्नोलॉजी आईडिया फॉर इनोवेशन एवं स्टार्ट-अप सेल की स्थापना कर छात्रों को अध्ययन हेतु प्रोत्साहित करना है। प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना करना एवं एक दूसरे के लिये इनोवेटिव रिसर्च को बढ़ावा देना भी इसका अहम उद्देश्य है, साथ ही अल्पकालिक शैक्षणिक गतिविधि और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना है। दोनां संस्थान संयुक्त रूप से कॉन्फ्रेंस, सेमिनार और कार्यशाला का आयोजन करा सकते है। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के समकुलपति प्रो संजय अग्रवाल, प्रभारी कुलसचिव डॉ. अंकित अरोरा, आयुष विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. राजेश हिशीकर, उपकुलसचिव डॉ. एस.के. चटर्जी एवं सहायक कुलसचिव डॉ. मनीष राठोड़ उपस्थित थे।
राजनांदगांव / शौर्यपथ / कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री संजय अग्रवाल के मार्गदर्शन में आज जिला पंचायत के सभाकक्ष में प्रथम चरण में ईव्हीएम एवं वीवीपैट कमीशनिंग के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया गया। जिला पंचायत सीईओ सुश्री सुरूचि सिंह ने कहा कि लोकसभा सामान्य निर्वाचन 2024 के अंतर्गत 26 अप्रैल को मतदान कार्य किया जाएगा। इसके लिए उपयोग में आने वाली ईव्हीएम एवं वीवीपैट मशीनों का कमीशनिंग के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इनमें बैलेट यूनिट, कन्ट्रोल यूनिट एवं वीवीपैट मशीन का कमीशनिंग किया गया। उन्होंने ईवीएम एवं वीवीपैट कमीशनिंग कार्य में नियुक्त अधिकारियों को पूरी ईमानदारी से कार्य करने कहा। उन्होंने सभी से अच्छी तरह प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए कहा। उन्होंने सभी प्रशिक्षणार्थियों से अगले प्रशिक्षण के लिए फीडबैक लिये।
मास्टर ट्रेनर्स द्वारा ईव्हीएम एवं वीवीपैट मशीनों के तकनीकी पहलुओं से अवगत कराया गया। मास्टर टे्रनर्स ने कहा कि ईव्हीएम एवं वीवीपैट कमिशनिंग कार्य बहुत जिम्मेदारी वाला कार्य है। उन्होंने कमीशनिंग कार्य में लगे अधिकारियों को उन्होंने आवश्यक सुझाव व मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि निर्वाचन कार्य के अबाधित एवं सुचारू रूप से संपादन के लिए कमीशनिंग कार्य का पूर्ण गुणवत्तापूर्वक किया जाना आवश्यक है। उन्होंने अधिकारियों को कमीशनिंग के दौरान उचित ढंग से सिलिंग करने कहा। कमीशनिग का कार्य महत्वपूर्ण और संवेदनशील है। इसे गंभीरतापूर्वक करने की आवश्यकता है। टीम भावना के साथ समय का अनुपालन करते हुए कार्य सुनिश्चत करेंगे। प्रत्येक मशीन के लिए चेक लिस्ट उपलब्ध कराया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि ईव्हीएम एवं वीवीपैट कमीशनिंग में बताया गया कि मॉकपोल के पूर्व ईवीएम और वीवीपैट का संयोजन और मॉकपोल का संचालन, मॉकपोल के पूर्व बीयू, सीयू और वीवीपैट का संयोजन, मतदान प्रारंभ करने के पूर्व ईवीएम तथा वीवीपैट को क्लियर करने के संबंध में जानकारी दी गई। मॉकपोल के पूर्ण होने के उपरांत मतदान प्रारंभ करने के पूर्व कन्ट्रोल यूनिट एवं वीवीपैट को सावधानीपूर्वक सीलबंद करने के संबंध में जानकारी दी गई। इसके साथ ही ईव्हीएम एवं वीवीपैट मशीनों की तकनीकी जानकारी और मतदान प्रक्रियाओं के संबंध में विस्तार से बताया गया। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्री सीएल मारकण्डेय, उप जिला निर्वाचन अधिकारी श्री खेमलाल वर्मा, एसडीएम राजनांदगांव श्री अतुल विश्वकर्मा, मास्टर टे्रनर्स श्री कैलाश शर्मा सहित जिला स्तरीय मास्टर टे्रनर्स एवं विधानसभा स्तरीय मास्टर टे्रनर्स, सेक्टर अधिकारी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
राजनांदगांव / शौर्यपथ / मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्रीमती रीना बाबासाहेब कंगाले ने बताया कि छत्तीसगढ़ लोकसभा निर्वाचन 2024 अंतर्गत भारत निर्वाचन आयोग की ओर से सभी मतदाताओं को निर्वाचक फोटो पहचान पत्र जारी किए गए हैं। आयोग सभी मतदाताओं से अपेक्षा करता है कि वे मतदान स्थल पर अपना मत देने से पहले अपनी पहचान सुनिश्चित करने के लिए आयोग की ओर से जारी निर्वाचक फोटो पहचान पत्र दिखाएंगे।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले ने कहा कि यदि कोई निर्वाचक फोटो पहचान पत्र नहीं दिखा पाता है तो भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उनके लिए 12 वैकल्पिक दस्तावेज भी अनुमत किए गए है। ऐसे निर्वाचक जो अपना निर्वाचक फोटो पहचान पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाते है, उन्हें अपनी पहचान स्थापित करने के लिए निम्नलिखित 12 वैकल्पिक फोटो पहचान दस्तावेजों में से कोई एक प्रस्तुत करना होगा। जिसमें आधार कार्ड, मनरेगा जाब कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज एवं केंद्र सरकार, राज्य सरकार, लोक उपक्रम, पब्लिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को जारी किए गए फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र, बैंकों व डाकघरों द्वारा जारी फोटोयुक्त पासबुक, एनपीआर के अंतर्गत आरजीआई द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड, श्रम मंत्रालय की योजना के अंतर्गत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड एवं सांसदों, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों को जारी किए गए सरकारी पहचान पत्र और भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दिव्यांगजनों को जारी यूनिक डिसएबिलिटी आईडी (यूडीआईडी) कार्ड शामिल है। मतदाता इनमें से कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत कर मतदान कर सकेंगे। प्रवासी निर्वाचकों को जो अपने पासपोर्ट में विवरणों के आधार पर निर्वाचक नामावालियों में पंजीकृत है, मतदान केंद्र में केवल उनके मूल पासपोर्ट (तथा अन्य कोई पहचान दस्तावेज नहीं) के आधार पर ही पहचाना जाएगा।
दुर्ग / शौर्यपथ / नगर पालिक निगम सीमा अंतर्गत शहर के विभिन्न छोटे बड़े नाले एवं नालियों से होकर पुलगांव नाला एवं शंकर नाला से होते हुए शिवनाथ नदी में मिलने वाले गंदा पानी को एनजीटी ( NGT ) के दिशा निर्देश अनुसार नदी में मिलने से पूर्व पानी का उपचार कर पानी का पुनः उपयोग किया जाना है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनने से शहर के घरों से निकलने वाले गंदे पानी को जो नालियों के माध्यम से नाले में चला जाता है. फिर नाले से वही प्रदुषित पानी नदी में मिल जाता है जिससे जनस्वाथ्य पर बुरा असर होता है।नगर निगम दुर्ग द्वारा शिवनाथ नदी के मुहाने पर स्थित इंटेकवेल से लगकर शासकीय भूमि तथा उरला स्थित शासकीय भूमि खसरा नंबर 94 की भूमि को चिन्हांकित कर सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हेतु भूमि मांग की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। इसके लिए दावा आपत्ति का प्रकाशन भी किया गया है, भूमि आबंटन पश्चात् इसका सीमांकन कराया जाएगा। डीपीआर अनुसार इस प्रस्ताव हेतु अमृत मिशन 2.0 योजनांतर्गत 147.93 करोड़ रुपये लागत राशि प्रस्तावित है। पुष्पवाटिका के समीप बनने वाली एसटीपी 24 एमएलडी और उरला में बनने वाली एसटीपी की क्षमता 47 एमएलडी की होगी। नगर निगम आयुक्त लोकेश चंद्राकर ने भवन अधिकारी एवं सहायक अभियंता गिरीश दीवान, स्वास्थ्य अधिकारी जावेद अली व उपअभियंता मोहित मरकाम के साथ शिवनाथ नदी पुलगांव व उरला स्थित ख.नं0 94 जमीन का मौका मुआयना किया है। सहायक अभियंता व भवन अधिकारी गिरीश दीवान ने बताया, कि निगम प्रशासन द्वारा उरला स्थित प्रस्तावित सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को सोलर पैनल के माध्यम से संचालित किया जायेगा, जिससे विद्युत व्यय से मुक्ति मिलेगी तथा अतिरिक्त उत्पादन को ग्रिड के माध्यम से पुलगांव एसटीपी में समयोजित किया जाना जाएगा, जिससे एसटीपी संचालन की विद्युत लागत लगभग नगण्य रहेगी। आपको बता दे कि एसटीपी प्लांट के माध्यम से नालों के गंदे पानी को ट्रीटमेंट प्लान्ट में शुद्धिकरण पश्चात् नदी में, कृषि एवं उधोगो में उपयोग किया जायेगा। चिन्हित स्थल पर निर्माण कार्य हेतु भूमि आबंटन पश्चात निर्माण संबंधी आवश्यक कार्रवाही की जाएगी, निर्माण कार्य होने से नदी का पानी की शुद्धता एवं शहर को मिलने वाला पीने का पानी और भी शुद्ध व गुणवत्ता को बनाये रखने में सुविधा होगी साथ ही कृषि व औद्योगिक क्षेत्र में उपयोग किया जाएगा, जिससे निगम के आय में वृद्धि के साथ एनजीटी ( NGT ) के नियमों का पालन करते हुए शहर के नालों से निकलने वाले गंदे पानी को प्राकृतिक जल स्त्रोत में मिलने से पहले उसका उपचार किया जाना संभव हो जायेगा।
रायपुर/ शौर्यपथ / कांकेर लोकसभा के भाजपा प्रत्याशी भोजराज नाग के द्वारा बालोद जिला के डौंडीलोहारा क्षेत्र में चुनावी सभा के दौरान अपने लोकसभा क्षेत्र में तंत्र-मंत्र और नींबू काट कर गांव की जन-समस्याओं को अंधविश्वास के माध्यम से दूर करने का प्रलोभन मतदाताओं को दिये जाने की शिकायत कांग्रेस ने मुख्य चुनाव आयुक्त से किया।
ज्ञापन में कहा गया है कि वर्तमान समय में सम्पूर्ण भारत में आदर्श आचार संहिता लागू है ऐसे स्थिति में छत्तीसगढ़ के अन्तर्गत कांकेर लोकसभा के भाजपा प्रत्याशी भोजराज नाग के द्वारा बालोद जिला के डौंडीलोहारा क्षेत्र में चुनावी सभा के दौरान अपने लोकसभा क्षेत्र में तंत्र-मंत्र और नींबू काट कर गांव की जन-समस्याओ को दूर करने का प्रलोभन मतदाताओ को दी जा रही है। इस प्रकार भाजपा प्रत्याशी द्वारा आम मतदाताओ को गुमराह कर अंधविश्वास भरी प्रलोभन दे कर मतदाताओं को छल पूर्वक अपनी ओर प्रभावित करने के उद्देश्य से उक्त अनर्गल वायदे कर वक्तव्य दिये है। जिससे की उक्त वायदे से निर्वाचन प्रक्रिया की शुचिता को दूषित होने की संभावनाओं से इंकार नही किया जा सकता है। जिसका विरोध छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी विधि विभाग करती है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की उपस्थिति में चुनावी सभा में इस प्रकार का कृत्य न केवल आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है, बल्कि औषधि और जादुई उपचार आपत्तिजनक विज्ञापन अधिनियम 1954 और आईपीसी के तहत भी अपराध की श्रेणी में आता है। अतः निवेदन है कि उपरोक्त वक्तव्य देने वाले कांकेर लोकसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी भोजराज नाग के विरूद्ध तत्काल कानूनी/समुचित कार्यवाही किये जाने की कृपा की जाये।
ज्ञापन सौंपने वाले में कांग्रेस विधि विभाग प्रदेश अध्यक्ष देवा देवांगन, कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ डॉ. राकेश गुप्ता, प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा, अंकित कुमार मिश्रा, एम. नईम, मनोज कुमार सोनकर उपस्थित थे।
बालोद / शौर्यपथ / कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी इंद्रजीत सिंह चन्द्रवाल ने आज लोकसभा आम निर्वाचन 2024 के अंतर्गत जिले के गुरूर विकासखण्ड के पुरूर, मरकाटोला एवं कंकालीन चेक पोस्ट का आकस्मिक निरीक्षण कर इन चेकपोस्ट में तैनात एफएसटी एवं एसएसटी टीम के कार्यों का अवलोकन किया। इस दौरान कलेक्टर श्री चन्द्रवाल ने चेकपोस्ट में तैनात अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा एफएसटी एवं एसएसटी टीम के अंतर्गत निर्धारित प्रपत्र में प्रतिदिन किए जा रहे रिर्पोटिंग कार्य आदि का अवलोकन किया। इसके अलावा उन्होंने एफएसटी एवं एसएसटी टीम द्वारा किए जा रहे वाहनों के जाँच के कार्य का भी अवलोकन किया। उन्होंने मार्ग से गुजरने वाली प्रत्येक वाहनों का अनिवार्य रूप से जांच करने के निर्देश भी दिए। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी ने ड्यूटी में तैनात सभी अधिकारी एवं कर्मचारियों को पूरे समय चैकन्ना रहकर मुस्तैदी के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करने को कहा। जिससे की जिले में स्वंतत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न हो सके। इसके साथ ही निर्वाचन के दौरान अवैध रूप से नकदी, शराब अथवा अन्य कोई भी सामान जो कि मतदाओं को प्रलोभन के लिए दिया जा सकता है उसकी रोकथाम भी सुनिश्चित की जा सके। श्री चन्द्रवाल ने अधिकारी-कर्मचारियों को पूरी जाँच प्रक्रिया का अनिवार्य रूप से वीडियोग्राफी कराने को कहा। इस दौरान एसडीएम गुरूर श्रीमती पूजा बंसल, तहसीलदार श्री हनुमंत श्याम, नायब तहसीलदार श्री रमेश मंडावी सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
गरीबों को घर जमीन खरीदने से रोकना चाह रही है साय सरकार, वित्त मंत्री ओ पी चौधरी झूठ बोल रहे है,छूट से किसानों के मुआवजे में कोई अंतर नही पड़ेगा
बिलासपुर / शौर्यपथ / जमीनो के भाव से गाइडलाइन दरों में दी जा रही 30% की छूट को समाप्त करना साय सरकार का राज्य की जनता के साथ घोर अन्याय है, शहर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरविंद शुक्ला ने कहा कि साय सरकार गरीबों को घर जमीन खरीदने से रोकना चाह रही है, जनता इस अन्याय का बदला लोकसभा चुनाव में लेगी, भाजपा की रमन सरकार के दौरान भाजपाई सत्ताधीसों के दबाव में जमीनों के गाइडलाइन की दरों में हर साल 10 से 15% तक बढ़ाने की परंपरा बन गई थी ।
जिसके कारण अनेकों जगह बाजार भाव से दुगनी गाईड लाईन की दरें हो गई थी । आम आदमी की इसी परेशानी को देखते हुए तत्कालीन कांग्रेस की भूपेश सरकार ने गाईड लाईन की दरों में 30 प्रतिशत की छूट दिया था और पूरे पांच सालो तक कांग्रेस सरकार ने गाईड लाईन की दरों में एक रुपए की बढ़ोतरी भी नहीं किया था। जिसके कारण आम आदमी ,गरीब और मध्यम वर्ग को मकान ,दुकान, खेत खरीदने में सहूलियत हुई तथा गाईड लाईन की दरें कम होने से आम आदमी को अन्य टैक्सों में भी राहत मिल गाईड लाईन की दर 30% कम होने से राज्य के राजस्व में भी भारी बढ़ोतरी हुई थी ।
पावरनामा और एग्रीमेंट करवा कर संपत्ति खरीदने की परंपरा खत्म हुई तथा लोग रजिस्ट्री करवाने लगे जिससे सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी हुई कृषि के बाद रियल एस्टेट ही ऐसा क्षेत्र है जहां सबसे ज्यादा रोजगार मिलता है ।इस छूट से राज्य के रियल स्टेट क्षेत्र में जबरदस्त उछाल आया था। ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरविंद शुक्ला ने कहा कि वित्त मंत्री गलत बयानी कर रहे हैं कि इस छूट को खत्म करने से किसानों को फायदा होगा
किसानों को मुआवजा गाईड लाईन की रेट पर मिलता है यह मुआवजा शहरी क्षेत्र में दोगुना और ग्रामीण क्षेत्र में चार गुना मिलता है, राज्य में गाईड लाईन का रेट कम नहीं किया गया, उसमें खरीदी बिक्री में छूट दी गई थी। गाईड लाईन के रेट में 30% की छूट रजिस्ट्री के समय मुद्रांक पेपर की गणना में की जाती है। किसान के मुआवजा की गणना मूल गाईड लाईन की दरों के आधार पर ही होगी । अपने सरकार की टैक्सखोरी वाली नीति के बचाव में किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर चलाना बंद करें ।
ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरविंद शुक्ला ने कहा कि जब भी भाजपा की सरकार आती है वह गरीबों को ,छोटे व्यापारियों को परेशान करने वाली नीति बनती है । पहले भी भाजपा की सरकार के समय 5 डिसमिल से कम जमीनों की रजिस्ट्री पर रोग लगा दिया था ताकि गरीबों के प्लॉट ना बिके और भाजपाई भूमाफिया का एकाधिकार चले फिर वही दौर वापस लाने की कोशिश शुरू की जा रही है। गाईड लाईन की दरें छूट बंद होने का नुकसान आम आदमी के साथ जमीन के छोटे मझौले व्यापारियों को भी होगा ।
नई दिल्ली / लोकसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू किन्तु इस उलटी राजनैतिक चर्चा से ज्यादा दो समाचार ही सुर्खिया बटोर रही है पहला राजनैतिक पार्टियों को दिया जाने वाला गोपनीय चंदा जो अब सार्वजानिक हो चुका है वही दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी . दोनों ही मामलो में सत्ताधारी सरकार और भाजपा की छवि काफी धूमिल हुई . सुप्रीम कोर्ट के इलेक्टोरल बॉन्ड के फैसले के बाद अब कई और तथ्य सामने आ रहे है जिसके कारण मोदी सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग पर भी सवालिया निशान लग रहे है . पूर्व में भी कई हजारो करोड़ के घोटालो के व्यक्तियों का भाजपा में प्रवेश और जांच बंद होने के मामले में भले ही भाजपा के नेता लाख सफाई दे लाख न्यायालय की बात करे किन्तु भ्रष्टाचारियो के साथ सत्ता चलाने के कारण आम जनता के उस विश्वास को भी कही ना कही चोट पहुंची जिन्होंने २०१४ में कालाधन , महंगाई , बेरोजगारी , भ्रष्टाचार मुक्त , स्मार्ट सिटी की लम्बी श्रृखला जैसे वादों पर भरोसा कर एक नई सरकार को सत्ता सौपी . इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले पर अब एक नया खुलासा हुआ जो कही ना कही यह भी दर्शा रहा कि किस तरह सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुरक्षित रखने के बाद भी इस गोपनीय चंदे पर कार्य हुआ .
बता दे कि 31 अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर सुनवाई शुरू की और दो नवम्बर को जारी रही जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया.लेकिन उसके बाद सामने आई जानकारियों से ये साफ़ हो गया है कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला सुरक्षित होने के बाद भी सरकार ने नए इलेक्टोरल बॉन्ड छापने का काम जारी रखा.सूचना के अधिकार के ज़रिए मिली जानकारी से पता चलता है कि 8,350 इलेक्टोरल बॉन्ड की आख़िरी खेप साल 2024 में छाप कर उपलब्ध करवाई गई. जो 21 फ़रवरी २०२४ को सप्लाई की गई जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 15 फ़रवरी २०२४ को इस योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था.
साथ ही ये बात भी उजागर हुई है कि इलेक्टोरल बॉन्ड की योजना को चलाने वाले स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने कमीशन के तौर पर सरकार से क़रीब 12 करोड़ रुपये (जीएसटी मिलाकर) की मांग की है जिसमें से सरकार 8.57 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है.साथ ही बॉन्ड्स को नासिक की इंडिया सिक्योरिटी प्रेस में छपवाने के लिए सरकार को 1.93 करोड़ रुपये (जीएसटी मिलाकर) का बिल मिला है जिसमें से 1.90 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.आसान शब्दों में कहें तो एक ऐसी योजना जिसमें गोपनीय तरीक़े से करोड़ों का दान देने वाले किसी भी व्यक्ति या कंपनी से कोई सर्विस चार्ज नहीं लिया गया.
बड़ा सवाल यह है कि जिस योजना को आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक क़रार दिया, उस योजना को चलाने के लिए क़रीब 13.98 करोड़ रुपये का ख़र्चा सरकारी ख़ज़ाने से यानी टैक्सपेयर या टैक्स देने वालों या आसान शब्दों में कहें तो जनता के पैसे से किया गया.
बता दे कि आरटीआई कार्यकर्ता कमोडोर लोकेश बत्रा पारदर्शिता से जुड़े मुद्दों पर काम करते रहे हैं.इलेक्टोरल बॉन्ड मुद्दे पर उन्होंने पिछले कुछ सालों में कई आरटीआई आवेदन किए जिनके जवाबों से मिली जानकारियों को जोड़ कर देखें तो एक साफ़ तस्वीर उभर कर आती है.14 मार्च 2024 को स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने आरटीआई के जवाब में बताया कि किस साल में कितने इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए.
इस जानकारी के मुताबिक़, साल 2018 में सबसे ज़्यादा 6 लाख 4 हज़ार 250 इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए. इनमें से सबसे ज़्यादा बॉन्ड एक हज़ार और 10 हज़ार रुपये मूल्य के थे और सबसे कम बॉन्ड एक करोड़ रुपये मूल्य के थे. वही साल 2019 में 60,000 बॉन्ड छापे गए. इस साल एक हज़ार और 10 हज़ार रुपये का एक भी बॉन्ड नहीं छापा गया. सबसे ज़्यादा बॉन्ड एक लाख रुपये मूल्य के छापे गए.
साल 2022 में 10,000 बॉन्ड छापे गए. ये सभी बॉन्ड एक-एक करोड़ रुपये के थे. अन्य किसी मूल्य का कोई बॉन्ड नहीं छापा गया.वही 8,350 बॉन्ड्स की सबसे हालिया खेप साल 2024 में छापी गई. ये सभी बॉन्ड भी एक-एक करोड़ रुपये मूल्य के थे. अन्य किसी मूल्य का कोई बॉन्ड नहीं छापा गया.
ग़ौरतलब है कि साल 2020, 2021 और 2023 में कोई इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं छापे गए.8,350 बॉन्ड की आख़िरी खेप 27 दिसंबर 2023 के बाद छापी गई इसका पता वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ इकोनॉमिक अफ़ेयर्स (डीईए) के दो आरटीआई के जवाबों से भी चलता है.डीईए ने 27 दिसंबर 2023 को बताया था कि उस तारीख़ तक कुल 6, लाख 74 हज़ार 250 इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए थे.ठीक दो महीने बाद 27 फरवरी 2024 को एक और आरटीआई के जवाब में इस विभाग ने बताया कि उस तारीख़ तक कुल 6 लाख 82 हज़ार 600 इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए.यानि 27 दिसंबर 2023 और 27 फ़रवरी 2024 के बीच 8,350 इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले पर अपना फ़ैसला 2 नवम्बर को ही सुरक्षित कर लिया था.
क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले से थी आश्वस्त ..
आरटीआई कार्यकर्ता कमोडोर लोकेश बत्रा कहते हैं, "इन जानकारियों से ये साफ़ दिखता है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लेकर इतनी ज़्यादा आश्वस्त थी कि उन्होंने और ज़्यादा बॉन्ड छपवाने का काम जारी रखा."स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से आरटीआई के ज़रिये मिली जानकारी के मुताबिक़, आख़िरी खेप में 8,350 बॉन्ड्स छपवाने से पहले ही स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के पास क़रीब 12,013 करोड़ रुपये के ऐसे बॉन्ड उपलब्ध थे, जो बिके नहीं थे. इन बॉन्ड्स में से 9,019 करोड़ के बॉन्ड एक करोड़ रुपये मूल्य के थे.
कमोडोर बत्रा कहते हैं, "इतने ज़्यादा बॉन्ड पहले से ही थे. उसके बावजूद सरकार ने 8,350 करोड़ रुपये के नए बॉन्ड छपवाए. ऐसा लगता है कि 2024 के चुनाव से पहले उन्हें बॉन्ड्स की बम्पर बिक्री की उम्मीद थी."अंजलि भारद्वाज एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो सूचना का अधिकार, पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दों पर काम करती हैं.वो कहती हैं, "जब तक अदालत ने अपना फ़ैसला नहीं सुनाया था तब तक सरकार साफ़तौर पर अपना काम हमेशा की तरह कर रही थी. सरकार ने शायद इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि सर्वोच्च न्यायालय इस योजना को असंवैधानिक घोषित कर सकता है और इसे रद्द कर सकता है."
अंजलि भारद्वाज के मुताबिक़, सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई समाप्त होने के बाद भी सरकार ने और ज़्यादा बॉन्ड छपवाए तो इससे पता चलता है कि शायद सरकार नहीं सोच रही थी कि योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया जाएगा.
आरटीआई में मिली जानकारियों से कुछ और दिलचस्प बातें भी सामने आई हैं:
कुल बिके बॉन्ड्स की कीमत 16,518 करोड़ रुपये थी.जिसमे करीब 95 फ़ीसदी बॉन्ड एक करोड़ रुपये के मूल्य वाले थे.वही 25 करोड़ रुपये की कीमत वाले 219 बॉन्ड ऐसे थे जिन्हें राजनीतिक दलों ने नहीं भुनाया.स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के मुताबिक़ इस 25 करोड़ रुपये की राशि को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में जमा कर दिया गया.एक और चौंकाने वाली बात ये सामने आई है कि जहां 2018 से 2024 के बीच कुल 6,82,600 इलेक्टोरल बॉन्ड छपवाए गए वहीं जो इलेक्टोरल बॉन्ड बिके उनकी संख्या सिर्फ़ 28,030 थी जो कि कुल छापे गए बॉन्ड्स का महज़ 4.1 फ़ीसदी था.
समाचार संकलन बीबीसी समाचार