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दुर्ग / शौर्यपथ / कलेक्टर कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी जिलों में राज्य शासन की प्रगतिरत योजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा की। दुर्ग जिले में हेल्थ सेक्टर एवं नगरीय प्रशासन तथा अन्य विभागों में हो रहे नवाचारों की कलेक्टर कांफ्रेंस में प्रशंसा की गई। कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने सामुदायिक फलोद्यानों एवं फलदार पौधों का रकबा बढाने विशेष निर्देश दिए। नगरीय प्रशासन विभाग में मूलत: पट्टा वितरण के कार्यों में दुर्ग जिला प्रशासन की गतिविधि की विशेष रूप से प्रशंसा की गई। मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना एवं मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना में किए गए कार्यों में जिले का काम अच्छा रहा। इन योजनाओं के माध्यम से बडी संख्या में लोगों को स्वास्थ्य लाभ तो हुआ ही, साथ ही बीपी, शुगर, टीबी जैसी बीमारियों के चिन्हांकन में इससे आसानी हुई। इन योजनाओं में 8397 लोगों का बीपी जांच हुआ जिसमें 2584 लोगों को उच्चरक्तचाप की समस्या चिन्हांकित हुई। इसमें शुगर की जांच भी 2689 लोगों की हुई। इसमें 234 लोगों का मधुमेह चिन्हांकित हुआ। इन शिविरों के माध्यम से 58 लोगों का टीबी चिन्हांकित हुआ। कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने कोविड की तैयारियों की भी समीक्षा की और सभी जिलों को बिना लक्षणों वाले मरीजों के लिए अलग से रायपुर के इंडोर स्टेडियम की तरह बड़ा कैंपस रखने के निर्देश दिए। कलेक्टर दुर्ग ने इस संबंध में नगर निगम कमिश्नर दुर्ग को निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड में एसओपी का पालन पूरी तरह हो, यह सुनिश्चित करें। ऐसा किये जाने से कोविड संक्रमण को रोकने की दिशा में सफलता मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाहर से आ रहे लोगों की स्किल मैपिंग करें। बहुत से प्रोजेक्टस एवं उद्योगों में ऐसे हुनरमंदों की जरूरत हैं जिनकी कमी अब तक राज्य में रही थी। स्किल मैंपिंग से यह मिल जाएगा। मुख्यमंत्री ने पौधरोपण एवं स्वसहायता समूहों के आय ब?ाने के विषय पर विशेष फोकस किया। उन्होंने कहा कि फलदार पौधों के रोपण से, मुनगा आदि के रोपण से मिड डे मील में एवं आंगनबाडियों में यह अधिक मात्रा में उपलब्ध होगा। इससे स्वसहायता समूहों को भी काम मिलेगा और कुपोषण को थामने में भी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कुपोषण के संबंध में विशेष कार्य करने सभी कलेक्टर्स को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कुपोषण बउी समस्या है और निरतंर मानिटरिंग और फोकस रखने से यह समस्या दूर होगी। कलेक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने दुर्ग जिले के विषयों की जानकारी दी। कलेक्टर कांफ्रेंस में जिले से आईजी विवेकानंद सिन्हा, सीएफ श्रीमती शालिनी रैना, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय यादव, नगर निगम भिलाई कमिश्नर ऋतुराज रघुवंशी, डीएफओ केआर बढाई, रिसाली कमिश्नर प्रकाश सर्वे, दुर्ग कमिश्नर इंद्रजीत बर्मन, नगर निगम भिलाई चरौदा कमिश्नर कीर्तिमान राठौर उपस्थित थे।
लाइफस्टाइल / शौर्यपथ / स्कीन को सॉफ्ट और ग्लोइंग बनाने के लिए हर दिन हम कुछ-न-कुछ जरूर करते हैं। बात चाहे स्क्रब की हो या फेस पैक की, चेहरे पर निखार लाने के लिए स्कीन केयर रूटीन को फॉलो करना बहुत जरूरी होता है और पार्लर जाने की अपेक्षा घर पर ही कई ब्यूटी ट्रीटमेंट किए जा सकते हैं जिसका त्वचा पर कोई नुकसान भी नहीं होता है। हमारी रसोई में ऐसे ही ब्यूटी स्किट मौजूद हैं जिनके इस्तेमाल से आप दमकती और सॉफ्ट स्कीन पा सकते हैं। अगर आप भी स्किनकेयर उत्पाद पर ज्यादा खर्च किए बिना बेहतर त्वचा की तलाश कर रहे हैं तो नारियल का तेल आपकी खूबसूरती में चार चांद लगा सकता है।
यह जादुई औषधि आपके चेहरे में निखार के साथ-साथ चेहरे पर मौजूद दाग-धब्बों को कम करने में भी उपयोगी है। इसका इस्तेमाल आपको अपनी नाइट केयर रूटीन में करना है। यह तेल कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। इसमें मौजूद गुण आपकी त्वचा को चमकदार बनाने में कारगर है।
नारियल तेल हानिकारक बैक्टीरिया और फंगस से लड़ने का काम करता है। मुंहासे, स्कीन एलर्जी व फंगस से लड़ने के लिए नारियल का तेल बहुत उपयोगी है।
रूखी त्वचा के लिए नारियल का तेल वरदान है। यह त्वचा को हाइड्रेट रखने में मदद करता है।
घावों को ठीक करने में कारगर माना जाता है
नारियल का तेल यह किसी जादुई औषधि से कम नहीं है। यह घावों को भरने का काम करता है। अगर त्वचा पर किसी तरह की चोट लग गई है तो उस पर नारियल का तेल लगाने से राहत मिलती है और कुछ दिनों में ही यह चोट को सुखा देता है।
नाभि में नारियल का तेल डालने से चेहरे पर चमक और होंठों को सॉफ्ट रखने में मदद मिलती है। रात में सोने से पहले इसे नाभि में डालकर सोना लाभकारी है।
रोज रात में चेहरे पर नारियल के तेल की मसाज करने से चेहरे पर मौजूद दाग-धब्बों से छुटकारा मिलता है।
खाना खजाना /शौर्यपथ / सामग्री :पका मीठा खरबूजा, ठंडा दूध, शक्कर, चुटकी भर इलायची पावडर।
विधि :
खरबूजा छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। इन टुकड़ों को मिक्सर में डालकर उसका पल्प बनाइए। चार बड़े चम्मच खरबूजे का पल्प, पाव गिलास दूध और स्वादानुसार शक्कर मिलाकर मिक्सर में दो मिनट तक अच्छी तरह से घुमाइए, ताकि उस पर झाग आ जाए।
अब लाजवाब खरबूजा मिल्क शेक गिलासों में भरकर पेश करें। चाहें तो ऊपर से आइस क्यूब डाल सकते है।
जानिए खरबूजे के फायदे -
1. खरबूजा शरीर में पानी की कमी की पूर्ति करता है साथ ही इसमें मौजूद विटामिन और मिनरल्स आपको ऊर्जावान बना रखने में मदद करते हैं।
2. खरबूजा में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो बढ़ती उम्र को रोकने के साथ-साथ तनाव कम करने में भी मददगार है।
3. खरबूजा में भरपूर मात्रा में फाइबर और पानी और शर्करा की मात्रा कम होती है जो आपका वजन बढ़ने से रोकती है।
4. खरबूजे में मौजूद विटामिन ए आपकी आंखों, त्वचा व बालों के लिए बेहद फायदेमंद होता है।
5. इसके अलावा इसमें बीटा कैरोटीन भी पाया जाता है जो आंखों के लिए बेहद लाभप्रद है।
मनोरंजन / शौर्यपथ / टीवी सितारों की कमाई भले ही बॉलीवुड सितारों जितनी न हो, लेकिन इनका मेहनताना इतना होता है कि इनकी लाइफ में लग्जरी लाइफ जीने में कोई कमी नहीं आती है। कई टीवी स्टार्स के पास दुनिया के बड़े- बड़े ब्रांड्स की कार हैं। इनके भी बॉलीवुड सितारों की तरह बड़े बड़े शौक है. तो चलिए फिर बिना किसी देरी के जानते हैं कि किस टीवी कलाकार के पास कौन सी आलिशान कार है, तो चलिए जानते हैं पार्थ ने कौन सी कार ली है और अन्य बड़े टीवी सितारों के पास कौन सी गाड़ी है।
दीपिका कक्कड़
33 वर्षीय दीपिका कक्कड़ पॉपुलर टीवी शो ‘ससुराल सिमर का’ से फेमस हुई थी। इसके अलावा वे बिग बॉस 12 की विजेता भी रह चुकी है। दीपिका टीवी की दुनिया का फेमस फेस है। दीपिका कक्कड़ फिलहाल कहां हम कहां तुम सीरियल में नजर आ रही हैं। उन्होंने अपने टीवी करियर में बहुत पैसे कमाएं है। उनके पास एक ब्लू बीएमडब्ल्यू कार है। इसके अलावा अपने पति शोएब इब्राहीम के साथ मिलकर उन्होंने BMW X4 भी खरीदी थी। बता दें कि BMW ब्रांड की करें 60 लाख से शुरू होती है।
पार्थ समथान
कसौटी जिंदगी के 29 साल के एक्टर पार्थ समथान के पास मर्सेडीज बेंज है। वाइट कलर की इस लग्जरी कार की तस्वीर उन्होंने इंस्टाग्राम पर फैन्स के साथ शेयर की थी। इस ब्रांड की कारें 40 लाख से 2 करोड़ रुपए तक की आती है।
शिवांगी जोशी
टेलीविजन की मशहूर 25 वर्षीय एक्ट्रेस शिवांगी जोशी ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में नायरा का रोल निभाती हैं। हाल ही में शिवांगी ने खुद के जैगुआर की लेटेस्ट मॉडल कार खरीदी। इस कार की कीमत करीब 1 करोड़ रुपये है।
भारती सिंह
मशहूर कॉमेडियन भारती सिंह के पास ब्लैक रंग की बीएमडब्ल्यू है। इसके अलावा उनके पास Mercedez Benz GL-350 भी है। इसमें कोई शक नहीं कि टीवी पर मौजूदा समय में फीमेल कमीडियन में से भारती सबसे ज्यादा कमाती हैं, ऐसे में खुद के लिए लग्जरी कार खरीदना तो बनता है।
कपिल शर्मा
कॉमेडियन कपिल शर्मा के पास लग्जरी मर्सिडीज कार है जो कि उनकी महंगी चीजों में से एक है। इसकी कीमत 1.19 करोड़ रुपए है। मर्सिडीज के अलावा कपिल के पास Volvo XC भी है। उनकी इस कार की कीमत 90 से 1.3 करोड़ के करीब है। कुछ टाइम पहले ही कपिल ने अपनी न्यू वैनिटी वैन की फोटोज इंस्टाग्राम पर शेयर की थीं। कहा जाता है कि कपिल की वैनिटी वैन इंडस्ट्री की सबसे महंगी वैनिटी वैन में से एक है ये शाहरुख खान की वैनिटी से भी ज्यादा कीमती है। कपिल शर्मा की वैनिटी वैन की कीमत 5.5 करोड़ रुपए है।
सुनील ग्रोवर
कॉमेडियन सुनील ग्रोवर टीवी पर डॉक्टर मशहूर गुलाटी के नाम से फेमस सुनील ग्रोवर अपनी कॉमेडी से हंसाने में हमेशा कामयाब रहे हैं। ये आपको जल्द सलमान खान की फिल्म ‘भारत’ में भी नजर आएंगे। इस एक्टर के पास व्हाइट कलर की बीएमडब्लू 5 सीरीज की कार है। इसकी शुरूआती कीमत 53 लाख से है।
मोनालिसा
37 वर्षीय अंतरा बिस्वास उर्फ़ मोनालिसा को हम ‘नज़र’ सीरियल में देख चुके हैं। इसके अलावा वे ‘बिग बॉस 10’ में भी दिखाई दी थी। मोनालिसा ने भोजपुरी फ़िल्में भी बहुत की है। उनके पास सफेद रंग की ऑडी कार है। इसकी एक तस्वीर भी वे सोशल मीडिया पर साझा कर चुकी है। ऑडी ब्रांड की कारें 50 लाख से लेकर 2 करोड़ तक की आती है।
एक्ट्रेस दिव्यांका
स्टार प्लस का पॉपुलर शो 'ये हैं महोब्बतें' की लीड एक्ट्रेस दिव्यांका भी मर्सेडीज कार की ओनर हैं। उन्होंने इस गाड़ी को 2018 में पति विवेक के साथ मिलकर खरीदा था। उनकी मर्सेडीज भी सफेद रंग की है। दिव्यांका ने 'बनूं मैं तेरी दुल्हन' से टीवी इंडस्ट्री में कदम रखा था हालांकि इसके बाद वो कई सीरीयल में नजर आ चुकी हैं। आपको बता दें, दिव्यांका 2003 में मिस भोपाल का खिताब भी अपने नाम कर चुकी हैं। वहीं विवेक 'ये है आशिकी' और 'एक वीर की अरदास वीरा' जैसे सीरीयल में काम कर चुके हैं। फिल्हाल विवेक 'कयामत की रात' में करिश्मा तन्ना के ओपोजिट बतौर लीड एक्टर का किरदार निभा रहे हैं।
रोनित रॉय
रोनित रॉय उन्हें आपने हर कैरेक्टर में देखा होगा। चाहे निगेटिव हो या एक केयरिंग फादर का किरदार, ये हर रोल में पसंद किए जाते हैं। उनकी काफी फैन फॉलोइंग है। इस एक्टर के पास ऑडी क्यू7 जिसकी कीत 85 लाख है और येलो ऑडी आर8 जिसकी कीमत 2 करोड़ रुपए है ऐसी कारें मौजूद हैं।
चंदन प्रभाकर
चंदन प्रभाकर ‘द कपिल शर्मा’ शो में चंदू चाय वाले के नाम से फेमस चंदन प्रभाकर को भी महंगी गाड़ियों का शौक है। इनके पास बीएंडब्लू 3 सीरीज की कार है जिसकी कीमत 31 लाख रुपए के आस-पास है। शो में सिंपल रोल में नजर आने वाले चंदन का रियल लाइफस्टाइल काफी शानों-शौकत वाला है।
कुशाल टंडन
कुशाल टंडन ‘बेहद’ और ‘एक हजारों में मेरी बहना है’ जैसे सीरियल में नजर आ चुके कुशाल टंडन छोटे पर्दे एक डैशिंग एक्टर में से एक हैं। उनके पास भी महंगी गाड़िया मौजूद हैं। उनकी इस लिस्ट में मर्सिडीज से लेकर ऑडी और बीएमडब्लू जैसी कारें शामिल हैं।
राम कपूर
राम कपूर ‘घर एक मंदिर’ से अपना टीवी सफर शुरू करने वाले राम कपूर ने काफी कम वक्त में घर-घर में अपनी पहचान बना ली। उन्होंने इसी सीरियल में रही अपनी कोस्टार गौतमी से शादी की है। इस एक्टर का भी कार कलेक्शन काफी शानदार है। उनके पास कई महंगी गाड़ियां हैं जिनमें बीएमडब्लू और पोर्श शामिल हैं। पोर्श की शुरूआती कीमत 80 लाख है।
नजरिया /शौर्यपथ /भारत में कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या में हुई बढ़ोतरी बेहद चिंताजनक है। यूरोप के आधा दर्जन विकसित देशों से आगे निकलकर भारत पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। अब प्रतिदिन लगभग 10 हजार रोगी सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के विश्लेषणों व अनुमानों पर विश्वास किया जाए, तो भारत में सामूहिक संक्रमण का दौर शुरू हो चुका है और जून-जुलाई तक इसके विस्तार की आशंका है। हालात 1918 की ‘स्पेनिश फ्लू’ महामारी जैसे पैदा होते जा रहे हैं, तब भारत में 12 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी। ऐसे में, आज भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था पर दुनिया की नजरें टिकने लगी हैं।
वैसे भी दुनिया भर में रोगियों की 27 फीसदी आबादी भारत में रहती है। भारत में करीब 26 हजार अस्पताल हैं, उनकी कमी को लेकर भी बहस शुरू हो गई है। बहरहाल, सर्वोच्च न्यायालय में लंबित एक याचिका पर तीन न्यायाधीशों की यह टिप्पणी भी उल्लेखनीय है कि सरकारी जमीन पर बने अस्पताल क्या कम दरों पर संक्रमित लोगों को सुविधा मुहैया नहीं कराएंगे? देश के एक दर्जन महानगरों में पांच सितारा होटलों की तर्ज पर आलीशान अस्पताल बने हुए हैं, जिनसे देश कीसिर्फ एक प्रतिशत आबादी ही सेवाएं ले पाती है। कई निजी स्वास्थ्य केंद्र सरकार द्वारा जारी नियमों को पलीता लगाते रहते हैं। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत अनेक निजी अस्पतालों की पहुंच से दूर है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी ताजा रिपोर्ट में टिप्पणी की है कि कोरोना भारत के लिए आयुष्मान योजना को आगे बढ़ाने काअच्छा अवसर है। आयुष्मान भारत विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिसमें 50 करोड़ लाभार्थियों को बीमित करने का लक्ष्य है।
मौजूदा संकट में दुर्भाग्यपूर्ण है कि नामी-गिरामी अस्पताल कोरोना टेस्ट के लिए 4,500 रुपये की रकम को लाभकारी नहीं मान रहे। एक सामाजिक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करके स्वास्थ्य संवाओं के राष्ट्रीयकरण की मांग की है, जिसमें उन्होंने छोटे मुल्क क्यूबा का उदाहरण दिया है कि जहां एक भी निजी अस्पताल नहीं है। वहां सबसे बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं। क्यूबा में प्रति 1,000 आबादी पर नौ डॉक्टर हैं। संक्रमण के इस दौर में यह छोटा मुल्क अमेरिका व चीन जैसे शक्तिशाली राष्ट्र समेत 70 राष्ट्रों को चिकित्सीय सेवाएं प्रदान कर रहा है। भारत में यह मांग भी जोर पकड़ती जा रही है कि जन-स्वास्थ्य को केंद्रीय सूची में लाया जाए।
स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में भारत 145वें पायदान पर है। इस कसौटी पर वह बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार व भूटान से भी पीछे है। भारत में बीमारी किसी अभिशाप से कम नहीं। महंगे इलाज के चलते करोड़ों लोग गरीबी में फंसते चले जा रहे हैं। परिवार के किसी एक सदस्य की गंभीर बीमारी पूरे परिवार को कई वर्ष पीछे धकेल देती है। तमाम अध्ययनों का निचोड़ है कि ऐसी गुणवत्तापरक स्वास्थ्य प्रणाली निर्मित की जाए, जो अधिकांश भारतीयों के लिए उपयोगी और सुलभ हो। देश के अस्पतालों में निजी क्षेत्र की बढ़ती हिस्सेदारी लगभग 74 फीसदी हो गई है। लगभग 60 प्रतिशत बिस्तर निजी अस्पतालों में होते हैं। निजी अस्पतालों के हिस्से में लगभग 80 फीसदी डॉक्टर, 70 फीसदी नर्स व स्टाफ हैं। इसका असर गरीबों पर पड़ रहा है। वायरस के इस दौर में निरंतर साबुन से हाथ धोने को बचाव का उत्तम तरीका बताया गया है। एक अध्ययन यह भी है कि भारत में मात्र 43 फीसदी लोग साबुन से हाथ धो पाते हैं।
महामारी के साथ अब महामंदी भी दस्तक दे रही है। एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा से नीचे चली जाएगी। अनुमान के अनुसार, लॉकडाउन के कारण प्रतिदिन 40 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। नव-उदारवाद की नीतियों ने भी समाज के वंचित समूहों को कोई राहत नहीं पहुंचाई है। कई शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इतनी असमानता ब्रिटिश काल में भी नहीं थी। एक वर्ष के दौरान सबसे अमीर एक फीसदी जनसंख्या की संपत्ति में 46 फीसदी की बढ़ोतरी, जबकि सबसे गरीब 50 प्रतिशत जनसंख्या की संपत्ति में मात्र तीन फीसदी की वृद्धि हुई है। साफ है, महामारी और महामंदी से निपटने के लिए 130 करोड़ लोगों को एकजुट करके ही संकट का मुकाबला किया जा सकता है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)के सी त्यागी, वरिष्ठ जद-यू नेता
सम्पादकीय लेख / शौर्यपथ / प्रवासी मजदूरों के बारे में सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला देश के लाखों गरीब कामगारों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। यह एक मुकम्मल फैसला है। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को न सिर्फ 15 दिनों के भीतर तमाम इच्छुक प्रवासी मजदूरों को उनके गांव या मूल स्थान लौटने की सुविधा मुहैया कराने का आदेश दिया है, बल्कि गांव पहुंचने के बाद उनकी आजीविका के उपायों के बारे में भी योजनाएं बनाने को कहा है, ताकि उनके कौशल के मुताबिक उनका समुचित समायोजन हो सके। कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात का भी ख्याल रखा है कि जो मजदूर अपने मूल स्थान पर लौटें, उन्हें वहां प्रखंड व जिला स्तर पर चलने वाली सरकारी योजनाओं का पूरा-पूरा लाभ मिले और वे फाकाकशी का शिकार न बनने पाएं। ये सारे काम कार्यपालिका के हैं और इन्हें बिना न्यायिक हस्तक्षेप के संपन्न हो जाना चाहिए था। पर सुप्रीम कोर्ट को यदि स्वत: संज्ञान लेना पड़ा और उसके दखल की नौबत आई है, तो यह हमारी कार्यपालिका के लिए कतई सुखद बात नहीं है।
बीते 25 मार्च से देश में पूर्ण लॉकडाउन लागू हुआ था, और इसके शुरुआती दो दिनों में ही दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर जो मंजर दिखाई पड़ा, उसको देखते हुए ही केंद्रीय व राज्य प्रशासन को प्रवासी मजदूरों की लाचारी और बेचैनी का अंदाज हो जाना चाहिए था, लेकिन प्रशासन के पास तब सख्ती बरतने के अलावा दूसरी कोई त्वरित योजना नहीं थी। और यह स्थिति तब थी, जब सरकारें अच्छी तरह से जान रही थीं कि देश में करोड़ों-करोड़ कामगार दूसरे प्रदेशों में जाकर अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं, बल्कि उनमें से लाखों की रातें फुटपाथों पर गुजरती हैं। जाहिर है, हजारों की तादाद में लोग अपने मूल निवास की ओर निकलने लगे और प्रशासन उनकी संख्या के आगे बेबस पड़ता गया। आज करीब ढाई महीने बाद आला अदालत ने जब इन मजदूरों के हक में अपना फैसला सुनाया है, तब तक लाखों कामगार सैकड़ों किलोमीटर की पीड़ादायक यात्रा करके या श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से अपने-अपने घर पहुंच चुके हैं।
प्रवासी मजदूरों की इस हालत के बरअक्स हमारे सामने आज जो तथ्य हैं, वे बता रहे हैं कि हम लॉकडाउन का अपेक्षित लक्ष्य नहीं हासिल कर पाए। जिन देशों ने कोरोना की जंग में लॉकडाउन को एक कारगर हथियार के रूप में इस्तेमाल किया, वहां शासन-प्रशासन ने सबसे पहले इससे प्रभावित होने वाली जनता की बुनियादी जरूरतों का संजीदगी से ख्याल रखा। निस्संदेह, हम जैसी विशाल आबादी के लिए यह आसान काम नहीं है, लेकिन हमारा जोखिम भी तो छोटा नहीं है। हम दुनिया के उन शीर्ष देशों में आ गए हैं, जहां वायरस का संक्रमण सबसे ज्यादा है। मौजूदा स्थिति में प्रवासी मजदूरों की दुश्वारियां और न बढ़ें, इस लिहाज से सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप सराहनीय है। अदालत ने उन कामगारों की भी सुध ली है, जो अपने कार्यस्थल पर लौटना चाहते हैं। उनके बगैर आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौट भी नहीं सकतीं। लेकिन उन्हें अब काफी सतर्कता बरतनी पड़ेगी, इसके लिए उनकी कौंसिलिंग जरूरी है। अदालत ने लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वाले श्रमिकों के खिलाफ दायर सभी मुकदमों को खत्म करने का जो आदेश दिया है, उसकी भी सराहना की जानी चाहिए। बेबस लोगों के साथ इंसाफ का यही तकाजा था, और यकीनन इंसानियत का भी।
मेलबॉक्स / शौर्यपथ / जहां एक तरफ केंद्र सरकार देश के नौजवानों को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रही है, तो वहीं कुछ युवा नौकरी जाने के तनाव में आत्महत्या कर रहे हैं। प्रवासी मजदूरों की पीड़ा भी किसी से छिपी नहीं है। एक नए अध्ययन के मुताबिक, करीब ढाई करोड़ नौजवान अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। इनके लिए रोजगार के अवसर जुटाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। फिर भी, बेरोजगार हुए नौजवानों का आत्मविश्वास टूटने न पाए। यदि देश के युवाओं पर ही इस तरह की त्रासदी आएगी, तो देश का भविष्य क्या होगा? इस विपदा की घड़ी में जरूरत है युवाओं को उनकी शक्ति और योग्यता का स्मरण करा सकने वाले जामवंतों की, जो उन्हें आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सही राह दिखा सकें। सरकार युवाओं को इसके लिए प्रेरित करे और उन्हें सही राह दिखाए।
शुभम कुमार प्रजापति
हरिद्वार, उत्तराखंड
एक गुजारिश
दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने इस वर्ष प्रॉपर्टी टैक्स सिर्फ ऑनलाइन जमा करने की बात की है, जबकि इसका सॉफ्टवेयर एकदम निम्न स्तरीय है। कई-कई दिनों तक मोबाइल पर ओटीपी ही नहीं आता, जिसके बिना आगे कोई काम नहीं कर सकते। बैंक के खाते से राशि ज्यादा कटती है, लेकिन निगम के खाते में कम दिखाई देती है। इससे सब परेशान हैं, विशेषकर वरिष्ठ नागरिक। नगर निगम को चाहिए कि जब तक इनका सॉफ्टवेयर ग्राहक के अनुकूल नहीं हो जाता है, तब तक चेक द्वारा ही वह भुगतान स्वीकारे। आखिर बैंक भी तो रोज लाखों चेक ले-दे रहे हैं।
दिलीप सक्सेना, दिल्ली
आत्मनिर्भरता की ओर
लद्दाख में चीन की सेना द्वारा किए गए सीमा-उल्लंघन पर भारतीय आक्रोशित हैं। चीन को सबक सिखाने के लिए उपाय सुझाए जा रहे हैं। उसे आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने की बात हो रही है। कहा जा रहा है कि भारत की जीवन-चर्या का अंग बन चुके चीनी सामानों का बहिष्कार किया जाए। सच भी है कि द्विपक्षीय रिश्तों में भारत निर्यात के मुकाबले चीन से तीन गुना अधिक सामान आयात करता है। जनसंख्या की दृष्टि से सभी के लिए रोटी, कपड़ा और मकान जुटाने के संदर्भ में भी भारत में आत्मनिर्भरता का अभाव जग जाहिर है। यही नहीं, चीन के सामान की तुलना में भारतीय सामान का महंगा होना भी चीनी सामान के व्यापक उपयोग का बड़ा आधार है। मगर भारत में कौशल की कमी नहीं है। यदि भारत अपनी जनसंख्या को नियंत्रित करके इस कौशल का सदुपयोग करे, तो किसी अन्य देश से उसे उपभोक्ता वस्तुओं के आयात की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी और जीवन के लिए उपयोगी तमाम क्षेत्रों में हमारी आत्मनिर्भरता को दुनिया का कोई देश रोक नहीं सकेगा।
सुधाकर आशावादी, ब्रह्मपुरी, मेरठ
पैर पसारती भुखमरी
कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण विश्व स्तर पर भुखमरी का खतरा बढ़ गया है। सीएसई की रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक स्तर पर गरीबी की दर गत 22 वर्षों में पहली बार बढ़ी है। विश्व की 50 फीसदी आबादी लॉकडाउन में है, जिनकी आय या तो बहुत कम है या उनके पास आय के साधन खत्म हो गए हैं। दुनिया के छह करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जाने वाले हैं। भारत में भी 1.20 करोड़ लोग भुखमरी या गरीबी की स्थिति में आ सकते हैं। विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक की मानें, तो दुनिया में हर रात 82.10 करोड़ लोग भूखे पेट सोते हैं। अभी दुनिया के 13़.50 करोड़ लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं। साफ है, यदि सरकारों ने भुखमरी और गरीबी के खात्मे की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया, तो यह स्थिति और भयावह हो जाएगी। इससे बचने के लिए एक समग्र नीति बननी चाहिए।
सत्य प्रकाश
धनसारी छर्रा, अलीगढ़
ओपिनियन /शौर्यपथ /संपूर्ण विश्व में कोरोना की वजह से सामाजिक स्वास्थ्य के लिए आपातकाल व अनिश्चितता का वातावरण बना हुआ है। दुर्भाग्य से विश्व के एक तिहाई से अधिक लोग लॉकडाउन की वजह से घर पर बैठने को मजबूर हैं। त्रासदी का आलम यह है कि अत्याधुनिक अस्पतालों व उत्कृष्ट सामाजिक सुरक्षा वाले विकसित राष्ट्र आज कोविड-19 की पीड़ा से सबसे ज्यादा पीड़ित दिखाई दे रहे हैं। यह एक आकस्मिक व्यवधान के रूप में आया है। चाहे हमारे विद्यार्थी हों, अध्यापक हों या अभिभावक, कोई भी इसके लिए तैयार न था। भौतिक संसाधनों की दृष्टि से और प्रशिक्षित मानव संपदा की दृष्टि से भी हम पूरी तरह से तैयार नहीं थे। आज के कठिन दौर में हमारे लिए नया पाठ्यक्रम बनाने और शिक्षाविदों को प्रौद्योगिकी अपनाने हेतु प्रेरित करना एक बड़ी चुनौती है।
संकट की इस घड़ी में हमारी शिक्षा-व्यवस्था से जुडे़ हरेक शख्स ने जिस समर्पण, धैर्य का परिचय दिया है, वह प्रशंसनीय है। हमारे शिक्षण संस्थान बंद हैं, लेकिन हमारे योद्धा दिन-रात जुटे हैं। अत्यंत कुशल रणनीति का सृजन कर हमारे संस्थान विषम परिस्थितियों में भी जहां निर्बाध रूप से शैक्षणिक गतिविधियां चला रहे हैं, वहीं सबका आत्मविश्वास और मनोबल बनाए रखकर उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में एक नए युग के सूत्रपात के संकेत मिलने लगे हैं।
हाल में ही इस महामारी से बेहतर मुकाबले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे समूचे शैक्षिक जगत में नए उत्साह का संचार होगा। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गुणवत्तापरक और ऑनलाइन शिक्षा नियामक ढांचे का उदारीकरण करके हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी विद्यार्थी शिक्षा के अवसर से वंचित न रहे। देश के सर्वोच्च 100 विश्वविद्यालय ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू कर पाएंगे, जिससे हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में युवाओं को उच्च शिक्षा के बेहतरीन अवसर मिलेंगे। बच्चों में साक्षरता और संख्यात्मकता योग्यता विकसित करने के लिए हम अनेक कदम उठा रहे हैं, इसके लिए शिक्षक क्षमता निर्माण के साथ ही एक मजबूत पाठ्यक्रम संरचना तैयार की जा रही है। आकर्षक शिक्षण सामग्री को ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों ही स्तर पर बेहतर परिणाम के लिए विकसित किया जा रहा है। उच्च गुणवत्ता युक्त ई-कंटेंट और क्यूआर कोड वाली पुस्तकों के माध्यम से विद्यार्थियों को वैश्विक प्रतिस्पद्र्धा के लिए तैयार किया जा सकेगा।
इस विकट संकट से उबरने के लिए हमारे 1,000 विश्वविद्यालय और 45,000 महाविद्यालय व एक करोड़ अध्यापकों का नेटवर्क प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपनी सेवाएं दे रहा है। व्यापक विचार-विमर्श की प्रक्रिया के बाद हमने कई अहम फैसले लिए हैं। कक्षा एक से नौ और 11वीं कक्षा के छात्रों को बिना परीक्षा पदोन्नति देने का निर्णय लिया गया। छात्रों के बीच असमंजस और अस्थिरता दूर करने के लिए हमने छात्रों की सुरक्षा और हित को ध्यान में रखते हुए फैसले लिए हैं। कक्षा 10 और 12 के 83 में से बचे हुए 29 विषयों की परीक्षा जल्द ही होगी। हमें आशा है कि सभी परीक्षाएं तय समय-सीमा के अंदर आयोजित हो जाएंगी और 15 अगस्त तक सभी परीक्षा परिणाम भी आ जाएंगे। हमारा पूरा प्रयास है कि सभी नए शैक्षणिक सत्र जल्दी ही शुरू हों। सभी लक्ष्य समयबद्ध तरीके से छात्रों की सुरक्षा से समझौता किए बिना हासिल किए जाएं, इसके लिए सभी स्तर पर जरूरी व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
जो छात्र अपने परीक्षा केंद्र पर पहुंचने की स्थिति में नहीं हैं, वे अपने जिले के परीक्षा केंद्रों पर ही परीक्षा दे सकेंगे। इसीलिए इंजीनिर्यंरग, मेडिकल इत्यादि प्रतियोगी परीक्षाओं को देरी से कराने का निर्णय लिया गया है। कक्षा एक से 12 तक के लिए एनसीईआरटी का वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर तीन भाषाओं में जारी किया गया है, ताकि छात्रों की पढ़ाई समयबद्ध तरीके से चलती रहे। एक देश एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के तहत शिक्षा को संगठित करते हुए लाखों छात्रों द्वारा ई-दीक्षा, ई-पाठशाला, स्वयं प्रभा, नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी, शोध गंगा और ई-शोध सिंधू का इस्तेमाल ऑनलाइन शिक्षा के रूप में बखूबी किया जा रहा है। यूजीसी द्वारा समुचित बदलाव करते हुए नया शैक्षणिक कैलेंडर भी जारी किया गया है। इसके अतिरिक्त हर एक विश्वविद्यालय में कोविड-19 सेल की स्थापना की जाएगी। विश्वविद्यालयों के टर्मिनल सेमेस्टर के अलावा सभी छात्रों को पिछले सेमेस्टर के आंतरिक मूल्यांकन और प्रदर्शन के आधार पर ग्रेड प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। छात्रों की मांग पर आईआईटी/ आईआईआईटी में ट्यूशन फीस में कोई बढ़ोतरी नहीं करने का निर्णय लिया गया है।
आज देश में ‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत लगभग 45,000 से ज्यादा विदेशी छात्र शिक्षा ले रहे हैं, सरकार उनका भी ध्यान रख रही है। इसके अलावा जिन भारतीय छात्रों ने विदेश में शिक्षा के लिए आवेदन किया था और कोविड-19 के चलते वे नहीं जा पाए, उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए उनके लिए अलग से जेईई की परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया है, ताकि उनके शैक्षणिक वर्ष को बरबाद होने से बचाया जा सके।
हमारी पूरी कोशिश है कि कोरोना महामारी के समय में भी देश में पढ़ने-लिखने का माहौल बना रहे। साहित्य का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। अच्छी किताबें हमारी दोस्त होती हैं, इस सिद्धांत पर ‘माई बुक माई फ्रेंड’ अभियान शुरू किया गया है। और हर्ष की बात है कि बड़ी संख्या में छात्र, शिक्षक, घरेलू महिलाएं, बुजुर्ग व बड़ी शख्सियतें भी इस मुहिम से जुड़ी हैं और लोग किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। आज चारों ओर कोविड-19 के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं, इस विषय की गंभीरता को देखते हुए ही मनोदर्पण पोर्टल बनाया गया है, जो आने वाले दिनों में हमारे सभी छात्रों की मनौवैज्ञानिक समस्याओं का निदान करने में कारगर होगा।
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत निर्माण के वास्ते पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने के लिए और कोविड-19 के कारण शिक्षा के सामने आने वाली तात्कालिक चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें बदलाव की जरूरत है। एक ऐसा बदलाव, जो हमें नए भारत के निर्माण हेतु तैयार कर सके। हमारी गुणवत्तापरक और प्रौद्योगिकी युक्त शिक्षा इस बदलाव को लाने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगी।
(ये लेखक के अपने विचार हैं) रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, मानव संसाधन विकास मंत्री
दुर्ग / शौर्यपथ / कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर परवान एवं कैट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राम मंधान ने प्रदेश के कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे से मुलाकात कर भारत सरकार द्वारा जारी राजपत्र ट्रेड एवं कामर्स (प्रमोशन एवं फेमिनेशन) आर्डिनेस के संबंध में चर्चा कर छत्तीसगढ में कृषि उपज की सीधी बिक्री को राज्य में अनुमति देने हेतु ज्ञापन सौंपा ।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने रविन्द्र चैाबे को बताया कि भारत सरकार द्वारा ट्रेड एवं कामर्स (प्रमोशन एवं फेमिनेशन) के संबंध में एक आर्डिनेस 05.06.2020 को लाया गया है जिसके अंतगर्त कोई भी 'व्यापारीÓ जिनके पास आयकर अधिनियम- 1961 के तहत स्थायी खाता संख्या (पैन नंबर ) है या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित ऐसे अन्य दस्तावेज रखने वालों को किसानों अथवा व्यांपार क्षेत्र में अन्य व्यासपारियों के साथ राज्य एपीएमसी अधिनियम में विनिर्दिष्ट किसी भी अनुसूचित आदिशक्ति किसानी उपज का व्यापार कर सकते हैं।
पारवानी ने कहा कि यह अध्यादेश किसानों के व्यापार से संबंधित है जैसे कि खाद्य पदार्थों, गेहूं, चावल या अन्य मोटे अनाज, दालें, खाद्य तिलहन, तेल, सब्जियां, फल, नट, मसाले, गन्ना और मुर्गी पालन, गोटर्री के उत्पाद सहित अनाज मछली और डेयरी अपने प्राकृतिक या प्रसंस्कृत रूप में मानव उपभोग के लिए अभिप्रेत है, मवेशियों के चारे सहित तेल, केक और अन्य संकेंद्रित, आदिशक्ति कच्चे कपास, कपास के बीज और कच्चे जूट शामिल है। उपर्युक्त ऑर्डिनेंस के द्वारा केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर प्रदेश और देश के किसानों के हित फैसला लेते हुये, पूरे प्रदेश और देश को एक कृषि मंडी का दर्जा देकर किसानों को उनकी कृषि उपज स्थानीय कृषि उपज मंडी क्षेत्र में बेचने की बाध्यता से मुक्ति दी गयी है, 5 जून 2020 की अधिसूचना में किसानों को अपनी कृषि उपज पूरे प्रदेश और देश में कहीं भी व् किसी को भी अपने मनचाहे भाव में बेचने की आजादी दी गयी है, जिससे प्रदेश और देशभर में कृषकों की आय में वृद्धि होगी तथा कृषि उपज आाधारित व्यापार को भी काफी फायदा होंगा।
इस तरह के व्यापार हेतु किसान उत्पादक संगठन, कृषि सहकारी समिति, केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं में पदोन्नत किसानों के समूह स्वचालित रूप से व्यापार क्षेत्र में व्यापार करने के लिए अर्हता प्राप्त करते हैं।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने औद्योगिक इकाईयों के प्रतिनिधियों से कहा है कि वे औद्योगिक इकाईयों में बाहर से आने वाले श्रमिकों की जानकारी तत्काल प्रशासन को दें। यदि उनकी इकाईयों में किसी श्रमिक में संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं तो इसकी भी जानकारी अनिवार्य रूप से दी जाए। उन्होंने उद्योगपतियों से राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होटलों और रिसॉर्टों की स्थापना तथा कृषि और उद्यानिकी फसलों पर आधारित प्रसंस्करण के उद्योग स्थापित करने का आव्हान किया है। मुख्यमंत्री श्री बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय में रायगढ़, जशपुर और सरगुजा जिले से आए विभिन्न औद्योगिक इकाईयों के प्रतिनिधियों से चर्चा कर रहे थे।
उन्होंने इस दौरान इन जिलों में संचालित औद्योगिक गतिविधियों की जानकारी भी ली। प्रतिनिधियों ने राज्य शासन द्वारा कोरोना नियंत्रण रोकथाम के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। साथ ही देश में लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों की सूची में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को दूसरा स्थान मिलने पर उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट कर बधाई और शुभकामनाएं दी।
मुख्यमंत्री ने सभी औद्योगिक प्रतिष्ठानों को अपनी-अपनी इकाईयों में कोरोना संक्रमण से बचाव संबंधी उपायों के प्रभावी अमल के लिए कहा। साथ ही उन्हें प्रतिष्ठानों में बाहर से आने वाले श्रमिकों तथा कर्मियों के ठहरने के लिए उचित प्रबंध तथा सोशल डिस्टेंसिंग और शासन के दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित करने के लिए भी कहा। बैठक में औद्योगिक इकाई के प्रतिनिधियों ने बताया कि कोरोना संकट के दौरान देश में अन्य राज्यों की अपेक्षा एक-डेढ महीने पहले से छत्तीसगढ़ में औद्योगिक इकाईयां प्रारंभ हो गई है।
रायगढ़ में शत-प्रतिशत और सरगुजा में 90 प्रतिशत इकाईयों में काम प्रारंभ हो गया है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस पर खुशी जाहिर की। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि वे अपने-अपने प्रतिष्ठानों में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ स्वच्छता तथा सुरक्षा आदि संबंधी सभी उपायों के अमल पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने औद्योगिक प्रतिष्ठानों में बाहर से मालवाहक वाहनों के आने लोडिंग-अनलोडिंग के समय भी ड्रायवरों तथा श्रमिकों और लोगों के बीच फिजिकल डिस्टेंसिंग आदि का पालन सुनिश्चित करने आवश्यक निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक तथा पर्यटन की दृष्टि से एक समृद्ध राज्य है। यहां पर्यटन के विकास की आपार संभावनाएं हैं। इसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने औद्योगिक प्रतिष्ठानों से पर्यटन के क्षेत्र में भी आगे आने का आव्हान किया। श्री बघेल ने कहा कि राज्य के बस्तर वनांचल सहित रायगढ़ से लेकर जशपुर और सरगुजा संभाग में अनेक पर्यटन स्थल है।
राज्य के पर्यटन स्थलों में पर्यटकों के ठहरने तथा भोजन आदि के बेहतर प्रबंध के लिए होटल और रिसॉर्ट आदि की अधिक से अधिक स्थापना की जाए तो इससे राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य में राम वन गमन पथ को विकसित किया जा रहा हैै। इसके तहत राज्य में प्रथम चरण में राम वन गमन पथ के चिन्हांकित 9 पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की सुविधा के लिए आवश्यक विकास कार्य कराए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने स्थानीय स्तर पर होने वाली कृषि और उद्यानिकी फसलों पर आधारित प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना के लिए पहल करने की सलाह उद्योग क्षेत्र के प्रतिनिधियों को दी। बैठक में विभिन्न औद्योगिक इकाईयों के प्रतिनिधियों ने अपनी विभिन्न समस्याओं और मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री को अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया।
रायपुर / शौर्यपथ / स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा है कि एम्स रायपुर और स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से प्रदेश में कोविड-19 की जांच एवं इलाज का बेहतर प्रबंधन किया जा रहा है। वैश्विक महामारी कोविड-19 से प्रदेश को निजात दिलाने में एम्स पूरी क्षमता से काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रभावितों के इलाज में एम्स का लगातार सहयोग मिल रहा है। इस महामारी के पहले भी गरियाबंद के सुपेबेड़ा के किडनी रोग प्रभावितों की जांच एवं उपचार में भी एम्स ने अच्छा सहयोग प्रदान किया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने विभिन्न प्रचार माध्यमों में प्रकाशित-प्रसारित उस समाचार को भ्रामक बताया है जिसमें कहा गया है कि एम्स द्वारा कोविड-19 की पहचान के लिए सैंपल जांच पर दस दिनों के लिए रोक लगाई गई है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के बेहतर प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव, कोविड-19 संक्रमण-रोकथाम के नोडल अधिकारी और एम्स प्रबंधन के बीच परस्पर समन्वय से व्यवस्थाओं की रोजाना समीक्षा की जा रही है और इसके लगातार सकारात्मक परिणाम देखने मिल रहे हैं। एम्स प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग कोरोना वायरस संक्रमण से संबंधित डॉटा आपस में साझा कर मरीजों की जांच एवं उपचार की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित कर रहे हैं।
मंत्री ने कहा है कि हाल ही में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों की प्रदेश वापसी से कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में एकाएक अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इसके कारण सैंपल जांच की संख्या भी बढ़ी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि एम्स पूरी क्षमता से काम कर जल्दी ही लंबित सैंपलों की जांच पूर्ण कर ज्यादा से ज्यादा नए सैंपलों की जांच शुरू कर देगा। कोविड-19 के प्रबंधन में एम्स का योगदान सराहनीय है। प्रदेश में इसके पीडि़तों के तेजी से स्वस्थ होने का श्रेय एम्स प्रबंधन को है। इलाज के दौरान वहां के कुछ स्टॉफ भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं। इसके बावजूद वे लगातार पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने उम्मीद जताई है कि राज्य शासन और एम्स के सहयोग से हम छत्तीसगढ़ में कोविड-19 पर नियंत्रण पाने में अवश्य ही सफल होंगे।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेेल ने केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को प्रत्र लिखकर राज्यों के दिए दी गई जीएसडीपी के दो प्रतिशत अतिरिक्त उधार सीमा पर पुनर्विचार करते हुए इसे सभी शर्तो से मुक्त रखने का आग्रह किया है।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि वर्तमान समय में राज्य सरकारों द्वारा जनकल्याण के तात्कालिक एवं प्राथमिक दायित्वों को संतोषजनक ढंग से निर्वाह करना ज्यादा महत्वपूर्ण है। राज्यो के आग्रह पर जन कल्याणकारी दायित्वों के निर्वहन के लिए भारत सरकार द्वारा जीएसडीपी का 2 प्रतिशत अतिरिक्त उधार सीमा की अनुमति दी गई है, किन्तु यह सुविधा कई शर्तो और मापदण्डों की पूर्ति पर आधारित होने के कारण संसाधनों की कमी की समस्या यथावत बनी हुई है।
मुख्यमंत्री ने लिखा है कि कोविड-19 महामारी एवं देशव्यापी लॉकडाउन के कारण राज्यों को होने वाली आय में कमी आयी है। कोरोना संकट और लाकडाउन की वजह से उत्पन्न विषम परिस्थिति से निपटने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा जारी आर्थिक पैकेज की घोषणाएं भी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए अपर्याप्त एवं जनसामान्य की जरूरतों को पूरा करने में निष्फल साबित होने के कारण राज्य सरकारों का दायित्व अब और भी बढ़ गया है।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि वर्तमान संकट की इस घड़ी में गरीब परिवारों को नि:शुल्क खाद्यान्न, वेतनभोगियों को नियमित वेतन एवं सभी के लिए समुचित स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था करना राज्यों के लिए प्राथमिकता का विषय है। राज्य की जनता को राहत देने के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों के साथ ही इस दिशा में त्वरित एवं प्रभावी कार्यवाही किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य के 14 जिले वामपंथी गतिविधियों से प्रभावित है। दूरस्थ एवं वनांचल क्षेत्र वाले गांवों में पीओएस मशीन की स्थापना सहित उचित मूल्य की दुकानों का आटोमेशन करना मुश्किल लक्ष्य है। इसी प्रकार कृषि प्रधान राज्य में किसानों को दी जा रही विद्युत सब्सिडी समाप्त कर डीबीटी प्रणाली लागू करने में भी कई तकनीकी बाधाएं हैं। यद्यपि सुधार के ये कार्य काफी महत्वपूर्ण है, फिर भी इन कार्यों के लिए यह समय उचित प्रतीत नहीं होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि वर्तमान समय में राज्य सरकारों द्वारा आपके कुशल मार्गदर्शन में जनकल्याण के तात्कालिक एवं प्राथमिक दायित्वों को संतोषजनक ढंग से निर्वाह करना ज्यादा महत्वपूर्ण है। अत: केन्द्र द्वारा जारी आदेश पर पुनर्विचार करते हुए राज्यों के लिए दी गई 2 प्रतिशत अतिरिक्त उधार की सीमा को सभी शर्तो से मुक्त रखने का कष्ट करें।
दुर्ग / शौर्यपथ / जाको राखों साईयां मार सके न कोय वाली कहावत ऐसी ही नही बनी है। जिसको ईश्वर न चाहे उसको कोई नही मार सकता या कोई व्यक्ति मरना भी चाहे तो वह मर नही सकता। ऐसा ही एक केस आज दुर्ग जिला मे देखने को मिला। आज सुबह शिवनाथ नदी के महमरा एनीकट में तैरती हुई लाश की खबर से सनसनी फैल गई। सूचना पर पहुंची डायल 112 की टीम में शामिल आरक्षक परस साहू और वाहन चालक मनोज देशमुख ने ग्रामीणों की मदद से उस लाश को बाहर निकालाऔर उसके नब्ज को टटोला तो उसकी सांसे चल रही थी। इन्होंने बिना देर किये उस अनजान सी वृद्धा को तत्काल जिला अस्पताल भिजवाया गया। जहां वह अब वह पुरी तरह से स्वस्थ्य हो गई है।
पुलिस ने वृद्धा की पहचान सुुहागा बाई कंडरा, उम्र 70 वर्ष निवासी कंडरापारा दुर्ग के रूप में की है। वृद्धा की माने तो पारिवारिक विवाद के चलते सोमवार को उसने शिवनाथ नदी के महमरा एनीकट में कूदी थी। आखिर विवाद की जड़ क्या थी जिसके लिए सुहागा बाई को नदी में कूदना पड़ा यह तो पता नहीं, लेकिन एक दिन बाद उसके जीवित बचने से यह साबित हो गया कि जाको राखे साईयां मार सके न काय। (डायल 112 की टीम के अस्पताल पहुंचाने पर हुई स्वस्थ्य)