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धमतरी शौर्यपथ
भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए बारिश की सटीक भविष्यवाणी बेहद महत्वपूर्ण होती है। वैज्ञानिक तो अपने अनुमानों के आधार पर वर्षा की भविष्यवाणी करते ही हैं, लेकिन ज्योतिष शास्त्र भी मौसम के पल-पल बदलते रंग के बारे में ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर सटीक परिणाम बताता है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के किसान आज भी पशु-पक्षी, कीट-पतंगों और खास प्रकार के पेड़-पौधों का व्यवहार देखकर बारिश का अनुमान लगाते हैं।
*ज्योति शास्त्र में बारिश का अंदाजा लगाने के रोचक तरीकों*
*अच्छी वर्षा का संकेत*
आकाश में सारस का झुंड यदि गोलाकार परावलय बनाकर उड़ता दिखे, तो यह शीघ्र वर्षा का संकेत माना जाता है। भारतीय किसान इन्हें देखकर अपने खेतों मे बीज बोने की तैयारियों में लग जाते हैं।
पेड़ों पर दीमक तेजी से घर बनाने लगें तो इसे अच्छी वर्षा का संकेत माना जाता है।
मोरों का नाचना, मेंढक का टर्राना और उल्लू का चीखना तो पूरे भारत में वर्षा का संकेत माना ही जाता है।
बारिश के मामले में चींटी की गतिविधि देखकर सबसे पहले अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर चींटियां भारी मात्रा में अपने समूह के साथ अंडे लेकर घर बदलती दिखाई दें, तो माना जाता है कि बारिश का मौसम अब शुरू होने ही वाला है।
अगर नीम का पेड़ फूलों से भर जाए, तो इसे बहुत अच्छी बारिश का संकेत माना जाता है।
*इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा, 100% बारिश होगी*
मौसम विभाग मुताबिक इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा। बारिश का दीर्घावधि औसत 100% रहेगा।
इस बार वर्षा ऋतु की शुरूआत 22 जून से होने का अनुमान है।
धमतरी शौर्यपथ
भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए बारिश की सटीक भविष्यवाणी बेहद महत्वपूर्ण होती है। वैज्ञानिक तो अपने अनुमानों के आधार पर वर्षा की भविष्यवाणी करते ही हैं, लेकिन ज्योतिष शास्त्र भी मौसम के पल-पल बदलते रंग के बारे में ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर सटीक परिणाम बताता है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के किसान आज भी पशु-पक्षी, कीट-पतंगों और खास प्रकार के पेड़-पौधों का व्यवहार देखकर बारिश का अनुमान लगाते हैं।
*ज्योति शास्त्र में बारिश का अंदाजा लगाने के रोचक तरीकों*
*अच्छी वर्षा का संकेत*
आकाश में सारस का झुंड यदि गोलाकार परावलय बनाकर उड़ता दिखे, तो यह शीघ्र वर्षा का संकेत माना जाता है। भारतीय किसान इन्हें देखकर अपने खेतों मे बीज बोने की तैयारियों में लग जाते हैं।
पेड़ों पर दीमक तेजी से घर बनाने लगें तो इसे अच्छी वर्षा का संकेत माना जाता है।
मोरों का नाचना, मेंढक का टर्राना और उल्लू का चीखना तो पूरे भारत में वर्षा का संकेत माना ही जाता है।
बारिश के मामले में चींटी की गतिविधि देखकर सबसे पहले अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर चींटियां भारी मात्रा में अपने समूह के साथ अंडे लेकर घर बदलती दिखाई दें, तो माना जाता है कि बारिश का मौसम अब शुरू होने ही वाला है।
अगर नीम का पेड़ फूलों से भर जाए, तो इसे बहुत अच्छी बारिश का संकेत माना जाता है।
*इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा, 100% बारिश होगी*
मौसम विभाग मुताबिक इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा। बारिश का दीर्घावधि औसत 100% रहेगा।
इस बार वर्षा ऋतु की शुरूआत 22 जून से होने का अनुमान है।
राज शेखर नायर
रायपुर शौर्पपथ।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेण्डी ने प्रवासी मजदूरों की वापसी के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को अनुमति नहीं देने के लिए प्रदेश सरकार की आलोचना की है।
विक्रम उसेण्डी ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के प्रति प्रदेश सरकार की यह दुर्भावना हैरत भरी है क्योंकि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुछ दिनों पहले तक न केवल राजनीति की अपितु श्रमिकों की निःशुल्क वापसी के नाम पर केन्द्र सरकार के साथ सौदेबाजी जैसा कृत्य भी किया था।
रायपुर / रायपुर / लाँकडाउन के चलते छत्तीसगढ़ में फंसे पश्चिम बंगाल के लगभग 250 लोगों की सकुशल घर वापसी कराई गई।प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन प्रभारी संगठन महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला शहर अध्यक्ष गिरीश दुबे अरूण भद्रा इम्तियाज हैदर सहित वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में 3 बसो को रायपुर से पश्चिम बंगाल के लिए रवाना किया गया। राजधानी रायपुर के आश्रय स्थल में अब तक मजदूर एवं यात्री रुके हुए थे। बंगाली समाज द्वारा भी इन लोगों की म दद की जा रही थी। इनके भोजन की व्यवस्था शहर जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा कराई गई।छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी एवं पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के समन्वय से इन मजदूरों एवं यात्रियों को भेजा गया। पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के 100 लोग मुशिदाबाद जिला के 50 लोग मेदिनीपुर 50 लोग कोलकाता के 50 लोग शामिल थे।जिन बसों से इन मजदूरों को भेजा गया वापसी में उन्हीं बसों से छत्तीसगढ़ के लोगों को लाया जाएगा।
*टाटीबंध चौक और रेलवे स्टेशन में मज़दूरों से मिलकर जाना उनका हाल
मजदूरों की हर संभव सहायता करने अधिकारियों को निर्देश
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए शनिवार और रविवार को पूर्ण लॉक डाउन का निर्णय लिया गया है। राजधानी रायपुर में कानून व्यवस्था का जायजा लेने गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने आज प्रमुख चौक चौराहों का निरीक्षण किया। उनके साथ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री आरिफ शेख भी मौजूद थे। गृहमंत्री श्री साहू ने टाटीबंध चौक और रेलवे स्टेशन पर दूसरे राज्यों के छत्तीसगढ़ में फंसे मज़दूरों से उनका हाल चाल जाना और उनके किए गए व्यवस्था के बारे में जानाकरी ली। झारखंड और उत्तर प्रदेश के मज़दूरों ने बताया कि यहाँ की व्यवस्था ठीक है। हमारे लिए खाने-पीने आदि की व्यवस्था की गई है। मजदूरों ने बताया कि उन्हें उनके गृह राज्य भेजने की व्यवस्था की जा रही है।
मंत्री साहू ने पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों से कहा कि दूसरे राज्य के मजदूर हमारे मेहमान हैं। उन्होंने ने मजदूरों की हर सम्भव मदद करने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। गृह मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री के मंशा के अनुरूप कोई भी मज़दूर को परेशानी न हो। सभी के लिए उचित व्यवस्था करने का आदेश है विभिन्न विभागों के अधिकारियों को दिया गया है। इसीलिए आज मज़दूरों का हाल चाल जानने आया था। श्री साहू ने और मज़दूरों से बात की और उसके लिए की गई व्यवस्था से संतुष्ट हुवे। गृहमंत्री ने चौक चौराहों में सुरक्षा व्यवस्था में लगे जवानों से भी बात की और उनकी समस्याओं के बारे में भी पूछ की। उन्होंने ड्यूटी में तैनात जवानों का हौसला अफजाई किया।
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ में व्यापक स्तर पर शुरू किए गए मनरेगा कार्यों से ग्रामीण श्रमिक राहत में हैं। लॉक-डाउन के मौजूदा दौर में इसने न केवल उनकी रोजगार की चिंता दूर की है, बल्कि विपरीत परिस्थितियों में परिवार के भरण-पोषण के लिए आर्थिक संबल भी प्रदान किया है। सामुदायिक और व्यक्तिमूलक आजीवन संवर्धन के कार्यों के तहत जल संरक्षण, कृषि, उद्यानिकी और पशुपालन को मजबूत करने विविध परिसंपत्तियों का निर्माण किया जा रहा है। इन कार्यों में अभी सीधे रोजगार के साथ ही मनरेगा के तहत निर्मित हो रही परिसंपत्तियों से भविष्य में जीविकोपार्जन के बेहतर संसाधन मिलेंगे।
बस्तर जिले में भी मनरेगा कार्य जोरों पर है। वहां संचालित विभिन्न कार्यों में अभी 31 हजार 397 श्रमिक काम कर रहे हैं। कार्यस्थलों पर सवेरे पांच बजे से ही श्रमिकों की चहल-पहल शुरू हो जाती है। सुबह पांच से आठ बजे के बीच ये अपने-अपने हिस्से का काम खत्म कर धूप तेज होने के पहले ही घर लौट आते हैं। कोविड-19 से बचाव के लिए मजदूर मुंह ढंकने के लिए मास्क या गमछा का इस्तेमाल कर रहे हैं। परस्पर शारीरिक दूरी बनाए रखने के दिशा-निर्देशों के पालन के साथ ही सभी कार्यस्थलों पर साबुन से हाथ धुलाई की व्यवस्था की गई है।
बस्तर जिले में करीब छह हजार प्रवासी मजदूरों की घर वापसी की संभावना है। इनकी क्वारेंटाइन अवधि पूरी होने के बाद काम की मांग करने वालों को भी तत्काल रोजगार उपलब्ध कराने की तैयारी है। जिनके पास मनरेगा जॉब-कॉर्ड नहीं हैं, उनके नए जॉब-कॉर्ड बनाए जाएंगे। चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में बस्तर जिले में मनरेगा के लिए 94 करोड़ रूपए का लेबर बजट प्रावधानित है। पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में वहां मनरेगा कार्यों में 61 करोड़ रूपए से अधिक की राशि खर्च की गई है।
मनरेगा के तहत गांवों में जल संरक्षण और आजीविका संवर्धन के कार्य प्राथमिकता से स्वीकृत किए जा रहे हैं। सभी विकासखण्डों में निजी डबरी, कुआं, भूमि सुधार, मेढ़ बंधान, तालाब निर्माण, पशु शेड निर्माण, गौठान निर्माण, चारागाह निर्माण, शासकीय भूमि पर वृक्षारोपण, व्यक्तिमूलक फलदार वृक्षारोपण, आंगनबाड़ी भवन निर्माण, हितग्राहियों के लिए बकरी शेड, मुर्गी शेड, महिला समूह के माध्यम से नर्सरी में पौध निर्माण, सिंचाई के लिए नाली निर्माण, गांव से जल निकास के लिए नाली निर्माण, बोल्डर डेम, चेक डेम, गेबियन निर्माण तथा महिला समूह के लिए वर्क-शेड निर्माण जैसे काम कराए जा रहे हैं।
रायपुर / शौर्यपथ / ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए अब इसमें कोई संदेह नहीं कि यह कार्यक्रम भविष्य में शिक्षा का सशक्त माध्यम बनेगा। इस कार्यक्रम ने कोरोना संक्रमण जैसी संकटपूर्ण और लॉकडाउन की स्थिति में विद्यार्थियों को बेहद सहज तरीके से घर बैठे अध्ययन-अध्यापन की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही उनके सर्वांगीण विकास में भी मददगार साबित हुआ है। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को इस पोर्टल के माध्यम से अपनी कला एवं रूचि को संवारने का अवसर मिला है। छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित ऑनलाइन शिक्षा पोर्टल ‘पढ़ई तुहर दुआर’ कार्यक्रम के तहत राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) में संचालित भूगोल, सामाजिक विज्ञान, गणित की ऑनलाइन कक्षाओं में 3242 छात्र छात्राएं सम्मिलित हुए।
कक्षा 10वीं के सामाजिक विज्ञान विषय की ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान एससीईआरटी के संचालक श्री जीतेन्द्र कुमार शुक्ला ने कक्षा से जुड़े छात्र-छात्राओं के साथ ऑनलाइन शिक्षा पोर्टल ‘पढ़ई तुहर दुआर’ कार्यक्रम व ऑनलाइन कक्षा के अनुभव के बारे में चर्चा की। उपस्थित छात्र-छात्राआंे ने इसे एक नया रोचक अनुभव बताया।
आज वैश्विक बीमारी के चलते स्कूली बच्चों की पढ़ाई पर भी अब असर दिखने लगा है, क्योंकि ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का समय निकल चुका है और आने वाले सत्र की तैयारी शुरू नहीं हो पा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों की पढ़ाई की रूकावट को दूर करने के लिए एक ऐतिहासिक पहल की है। यूं तो बहुत से ऑनलाइन शिक्षा के कार्यक्रम अनेक सोशल मीडिया साइट पर उपलब्ध हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के पाठ्यक्रम अनुसार ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध होना एक अभिनव पहल है। जिसके अंतर्गत एक वेब पोर्टल का निर्माण किया गया है। जिसमें बच्चे अपनी कक्षा के विषयों का चयन कर उसका घर बैठे आसानी से अध्ययन कर रहे हैं।
‘पढ़ई तुहर दुआर’ के इस पोर्टल का विधिवत उद्घाटन मुख्यमंत्री बघेल द्वारा विगत माह 7 अप्रैल को किया गया था। आज एक माह बाद ही इसकी सफलता का आंकड़ा 27 करोड़ पेज व्यूव छू चुका है। जिसमें लगभग 20 लाख विद्यार्थी पंजीयन करवाकर एक लाख 70 हजार से अधिक शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस ऑनलाइन शिक्षा का लाभ सरकारी स्कूल और प्राइवेट स्कूल दोनों ही के छात्र ले रहे हैं। ‘पढ़ई तुहर दुआर’ का यह पोर्टल सीजीस्कूलडॉटइन पर उपलब्ध है। छात्र इस साइट के द्वारा अपनी सुविधानुसार मोबाइल लैपटॉप या टैब पर पढ़ाई कर रहे हैं। इस वेब पोर्टल पर ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन आकर्षक तरीके से किया जा रहा है जिसमें छात्र अपनी कक्षा और विषय चयनित कर उस ऑनलाइन कक्षा से जुड़ते हैं और शिक्षकों के साथ परस्पर संवाद भी करते है एक तरह से वास्तविक कक्षा का स्वरूप है।
जिस तरह वास्तविक कक्षाओं में बच्चों को होमवर्क दिया जाता हैं, उसी तरह से इसमें भी होमवर्क दिया जाता है। जिसे बच्चे पीडीएफ फॉर्मेट में अपना होमवर्क पोर्टल पर अपलोड कर लेते हैं और शिक्षक उसे जाँच कर फीडबैक देते है। बिना किसी खर्च के तैयार की गई ये बेबसाइट बच्चों को भी निःशुल्क उपलब्ध हैं।
रायपुर / शौर्यपथ / राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कोविड-19 के बचाव में एनसीसी कैडेट्स द्वारा किए जा रहे सहयोग की सराहना की है। उन्होंने कहा है कि इस समय देश-प्रदेश कोरोना संकट का सामना कर रहा है। इन परिस्थितियों में एनसीसी कैडेट्स द्वारा लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जा रहा है। आम लोगों को सोशल डिस्टेसिंग का पालन कराया जा रहा है। उनके द्वारा यातायात व्यवस्था संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है।
राज्यपाल ने कहा कि एनसीसी युवाओं में राष्ट्रभक्ति का भाव पैदा करता है तथा उन्हें संकटापन्न स्थितियों का सामना करने के लिए प्रशिक्षण भी देता है। ऐसा प्रशिक्षण का ही प्रभाव है कि आज एनसीसी कैडेट्स अंतर्राष्ट्रीय आपदा के समय कंधा से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी कोरोना से लंबी लड़ाई लड़ना है। एनसीसी कैडेट्स अपना स्वयं का ध्यान रखें और आम जनता को कोरोना के प्रति जागरूक करें।