May 09, 2025
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रायपुर

रायपुर (5851)

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की वर्चुअल बैठक आज परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर की अध्यक्षता में उनके निवास कार्यालय में आयोजित की गई। मंत्री मो. अकबर ने परिषद द्वारा परिवहन, स्वास्थ्य विभाग, स्कूल शिक्षा, पुलिस, नगरीय प्रशासन, पर्यटन विभाग सहित अन्य निर्धारित एजेण्डों की समीक्षा करते हुए सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने तथा यातायात जागरूकता को बढ़ावा देने के साथ परिवहन व्यवस्था को और बेहतर बनाने की दिशा में प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए। बैठक में प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू , विधायक कुलदीप जुनेजा , शिशुपाल सिंह सोरी सहित परिषद के प्रतिनिधिगण वीडियो कान्फं्रेंिसग के माध्यम से जुड़े। इस दौरान गृहमंत्री साहू सहित विधायकों एवं सदस्यों के सुझावों पर आवश्यक कार्यवाही के निर्देश संबंधित अधिकारियों को मंत्री मो अकबर ने दिए।
सडक़ बनाते समय अनावश्यक मोड़ न बनाए
सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में गृहमंत्री साहू के सुझाव पर मो. अकबर ने सड़क निर्माण के दौरान सड़कों में अनावश्यक मोड़ नही रखने, सड़क सीधी बनाते हुए प्रभावितों को मुआवजा देने के निर्देश दिए ताकि मोड़ की वजह से सड़कों पर दुर्घटनाओं की संभावना कम हो। उन्होंने नगरीय निकाय, नगर पंचायत अंतर्गत सड़कों में बंद स्ट्रीट लाइटों की निरन्तर जांच कर बंद लाइटों को चालू कर पर्याप्त रोशनी रखने, वाहनों की तेज गति को नियंत्रित करने स्पीड गवर्नर लगाने की दिशा में कार्यवाही करने, नशापान और सड़क पर स्टंट करके वाहन चलाने वालों के विरुद्ध सख्ती से कार्यवाही करने, चौक के पूर्व चारों ओर की सड़कों में नियमानुसार ब्रेकर बनाने और मुख्य मार्ग से आकर जुडऩे वाली ग्रामीण या अन्य उपनगरीय सड़कों को जंक्शन वाले स्थान पर दुर्घटनाओं को रोकने तथा व्यवस्थित रखने के निर्देश भी दिए। गृहमंत्री के सुझाव पर परिवहन मंत्री ने कण्डम वाहनों के परिचालन पर रोक तथा आवश्यक कार्यवाही की बात कहीं। उन्होंने सड़क किनारे वाहनों के पार्किंग, गैरेज में सुधार हेतु आने वाले वाहनों की बेतरतीब पार्किंग, यात्री वाहनों में क्षमता से अधिक यात्रियों को बिठाए जाने पर कड़ी कार्यवाही के सुझाव पर उचित कार्यवाही करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए।
मंत्री मो. अकबर ने यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध ई-चालान की कार्यवाही को सही बताते हुए विधायक श्री बोरा द्वारा उच्च गुणवत्ता के सीसीटीवी लगाने, मुख्य मार्गों पर होर्डिंग हटाने और विधायक सोरी के सुझाव सड़क पर पशुओं से दुर्घटना, दुकानों के सामने नो पार्किंग में वाहन पार्किंग से होने वाली समस्या, विधायक जुनेजा के सुझाव पर भी उचित कार्यवाही के निर्देश दिए।
जिला स्तरीय बैठक अनिवार्य रूप से कराए
परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर ने जिला स्तरीय सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक अनिवार्य रूप से समय पर कराने के निर्देश दिए। बैठक में परिवहन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने मंत्री को विभागीय गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी। अध्यक्ष, अतर्विभागीय लीड एजेंसी सड़क सुरक्षा एवं संयुक्त परिवहन आयुक्त श्री संजय शर्मा ने परिषद की बैठक में विभागवार एजेण्डा की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि पूर्व बैठक में दिए गए निर्देशों का पालन होने के साथ ही अनेक महत्वपूर्ण विभागीय पहल भी की गई है। दुर्घटनाओं पर रोक लगाने की दिशा में प्रभावी कदम उठाए गए हैं। ब्लैक स्पॉट की पहचान व सुधार, ओवर लोडिंग वाहनों पर कार्यवाही, स्कूल बसों की जांच एवं कार्यवाही, नाबालिग विद्यार्थियों को वाहन चलाने से रोकने के प्रयास, पाठय पुस्तकों के माध्यम से विद्यार्थियों में यातायात के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के अलावा अन्य जरूरी कदम उठाए गए हैं जिससे वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में जनवरी से अगस्त तक सड़क दुर्घटनाओं में 24.85 प्रतिशत तथा मृत्यु में 20.77 प्रतिशत की कमी आई है।
चेक पोस्ट से जुड़ी समस्याओं का किया जाएगा निराकरण
परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के जिला परिवहन अधिकारियों, चेक पोस्ट प्रभारियों और परिवहन उडनदस्ता प्रभारियों के कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान प्रभारियों द्वारा शासकीय वाहन, वाहन चालक, भवन, बिजली, कर्मचारी आदि से वन टू वन चर्चा और उनकी समस्याएं जानने के बाद परिवहन मंत्री ने यथासंभव निराकरण करने की बात कही। उन्होंने कहा कि चेकपोस्ट पर निरन्तर कार्यवाही करे, आने वाले दिनों में इसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे। परिवहन आयुक्त डॉ कमलप्रीत सिंह ने कहा कि चेकपोस्ट पर जिनकी डयूटी लगी है वे निर्धारित ड्रेस में ही रहेंगे। अंबिकापुर, कोरबा, दुर्ग और बिलासपुर जिला प्रभारियों को कार्यवाही बढ़ाने के निर्देश देते हुए कार्यवाही से प्राप्त राशि को शासन के खाते में 24 घण्टे के भीतर चालान के माध्यम से अनिवार्य रूप से जमा करने के निर्देश दिए। परिवहन आयुक्त ने ओवर लोडिंग की कार्यवाही में प्रगति लाने, सड़क सुरक्षा की दृष्टिकोण से यातायात का उलंघन करने वाले वाहन चालकों का लाइसेंस निलंबित करने के अनुरोध पर समय रहते कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए।

// मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद की बैठक सम्पन्न
// राज्य सरकार कृषि कार्यो को मनरेगा से जोडऩे, शहरी मनरेगा, मनरेगा की मजदूरी दर बढ़ाने के संबंध में केन्द्र को भेजेगी प्रस्ताव
// छत्तीसगढ़ में इस वर्ष मनरेगा में 15 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजन का लक्ष्य
// मनरेगा से दी गई 706 नये ग्राम पंचायतों और 672 आंगनबाड़ी भवनों की स्वीकृति
// ज्यादा मवेशी वाले गांवों में गोबर गैस प्लांट को दिया जाएगा प्रोत्साहन

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौठानों में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए मनरेगा से वर्मी टांका निर्माण के कार्यो को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृति प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि गौठान समितियों से वर्मी टांका निर्माण के लिए जितनी मांग आती है, उन्हें तत्काल स्वीकृति प्रदान की जाए। मुख्यमंत्री ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित छत्तीसगढ़ ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद की बैठक में यह निर्देश दिए। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्यों की विस्तृत समीक्षा की गई।
मुख्यमंत्री निवास पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव उपस्थित थे। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, वनमंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि सभी धान खरीदी केन्द्रों में चबूतरों के निर्माण और चबूतरों पर शेड निर्माण के कार्यो को भी प्राथमिकता देते हुए शीघ्रता से पूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य के हर धान संग्रहण केन्द्र में एक शेड का निर्माण अवश्य हो। बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में 4649 चबूतरों के निर्माण के लिए स्वीकृति दी गई है। जिनमें से 4630 चबूतरों का निर्माण हो चुका है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस वर्ष मनरेगा से राज्य में 5500 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति देने के लिए आवश्यक निर्देश दिए।
उन्होंने बताया कि राज्य में वर्तमान में लगभग 4500 गौठानों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। ऐसे गौठानों में जहां स्व-सहायता समूह आर्थिक गतिविधियों में सक्रिय हैं, वहां आजीविका केन्द्र के निर्माण की स्वीकृति प्राथमिकता के आधार पर देने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कृषि कार्य को मनरेगा से जोडऩे, शहरी मनरेगा, मनरेगा की मजदूरी दर बढ़ाने, मनरेगा में 200 दिनों का रोजगार देने के प्रावधान के संबंध में प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजने का महत्वपूर्ण निर्णय भी लिया गया।
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि मनरेगा के तहत नर्सरी, कुंआ और डबरी निर्माण तथा नहर लाईनिंग के कराये गए कार्यो से लोगों को मिलने वाले लाभ के बारे में सर्वे कराया जाना चाहिए। इसी तरह जिले की उपयोगी डायवर्सन सिंचाई योजनाओं की नहर लाईनिंग का कार्य पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कराया जाए, जिससे क्षेत्र के किसानों को सिंचाई सुविधाओं का भरपूर लाभ मिल सके। श्री बघेल ने यह भी कहा कि जिन क्षेत्रों में पानी में हैवीमेटल्स, आरसेनिक, फ्लोराइड, आयरन की शिकायत है, वहां गांव वालों को सतही जल का उपयोग पेयजल के लिए करने हेतु जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि खेतों में डबरी और कूपों का निर्माण कराया जाना चाहिए, जिससे पानी की रिचार्जिंग हो सके और जरूरत के समय फसलों की सिंचाई में इसका उपयोग किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने वन अधिकार पट्टे प्राप्त हितग्राहियों को जमीन पर फलदार वृक्ष लगाने, बड़े वृक्षों के बीच हल्दी, अदरक, तीखूर जैसी फसलों के लिए प्रोत्साहित किया जाए। मनरेगा से भूमि विकास और जमीन को घेरने के कार्य कराए जाएं। कृषि विभाग के माध्यम से हितग्राहियों की जमीन पर ट्यूबवेल खनन कराकर क्रेडा के माध्यम से सोलर पंप स्थापित किए जाएं, जिससे फसलों के लिए सिंचाई की सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए वन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया जाए।
बैठक में जानकारी दी गई कि 100 दिन का रोजगार देने में छत्तीसगढ़ का देश में तीसरा स्थान है। प्रदेश में इस वर्ष अब तक 84 हजार 455 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार दिया गया। मनरेगा में इस वर्ष रिकार्ड 26 लाख 5 हजार परिवारों को रोजगार दिया गया। प्रदेश में मनरेगा के तहत 39.79 लाख जॉब कार्ड धारी हैं। इस वर्ष छत्तीसगढ़ लौटे प्रवासी मजदूरों के क्वारेंटाइन के दौरान लगभग 2.37 लाख जॉब कार्ड बनाए गए। इस वर्ष 13 करोड़ 50 लाख मानव दिवस रोजगार के लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 9 करोड़ 52 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजित किया गया। इसमें महिलाओं की 50 प्रतिशत की सक्रिय भागीदारी रही। बैठक में बताया गया कि केन्द्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार के प्रस्ताव पर 15 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजन के लक्ष्य को मंजूरी दी है। मनरेगा के तहत 2155 करोड़ रूपए की मजदूरी का भुगतान किया गया है। मनरेगा के कार्यो में दिव्यांगों की भागीदारी बढ़ी है। नरवा विकास योजना में चिन्हांकित 1406 नरवा में 66 हजार से अधिक भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण प्रगति पर है। श्री बघेल ने कहा कि ऐसे नाले जिनका एक हिस्सा वन क्षेत्र से गुजरता है, उसका सम्पूर्ण डीपीआर वन विभाग द्वारा तैयार किया जाए।
बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि वर्ष 2017 में मनरेगा के तहत निर्मित परिसम्पत्तियों की जियोटेगिंग में छत्तीसगढ़ देश में पहले स्थान पर है। इसी तरह वन अधिकार पत्र प्राप्त हितग्राहियों को लाभान्वित करने और ग्राम पंचायतों के विकास के लिए जीआईएस केन्द्रित योजना तैयार करने में छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर है। प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और कृषि तथा उससे जुड़े कार्यो में मनरेगा योजना से खर्च के मामले में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर है। मनरेगा से 706 नये ग्राम पंचायत भवन और 672 आंगनबाड़ी केन्द्रों को मंजूरी दी गई है।
बैठक में मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल, अपर मुख्य सचिव अमिताभ जैन और सुब्रत साहू, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, खाद्य विभाग के सचिव डॉ कमलप्रीत सिंह, आदिमजाति कल्याण विभाग के सचिव डी. डी. सिंह, मनरेगा आयुक्त मोहम्मद अब्दुल कैसर हक शामिल हुए। विभिन्न जिलों से छत्तीसगढ़ ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद के सदस्य और अधिकारी इस बैठक में वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े।

लॉकडाउन में एक अप्रैल से अब तक कैम्पा में किया गया 42.44 लाख मानव दिवस रोजगार का सृजन
आवर्ती चराई योजना में स्वीकृत किए जाए मनरेगा से कार्य: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल
हाथी को मानव का मित्र बनाने की हो पहल
वनों में सितम्बर और अक्टूबर माह में प्राथमिकता से किया जाए हरे चारे की कटाई का कार्य: लोगों को मिलेगा रोजगार

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज यहां उनके निवास कार्यालय में कैम्पा शासी निकाय की प्रथम बैठक आयोजित की गई। श्री बघेल ने बैठक में कैम्पा मद से कराये गए कार्यो की विस्तृत समीक्षा की। बैठक में बताया गया कि वर्ष 2019-20 में कैम्पा के वार्षिक कार्ययोजना के तहत 429 करोड़ 21 लाख रूपए की राशि खर्च कर विभिन्न रोजगार मूलक कार्यो के जरिए 89.73 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजित किया गया। वर्ष 2020-21 में कोरोना संकट काल के दौरान एक अप्रैल से अब तक 219 करोड़ 63 लाख रूपए की राशि व्यय कर 42.44 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजन किया गया। मुख्यमंत्री ने वनांचल में लोगों को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए आवर्ती चराई योजना और वन अधिकार अधिनियम के तहत मनरेगा में अधिक से अधिक कार्य स्वीकृत करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 4400 गौठानों का निर्माण पूरा हो गया है, जहां बड़ी संख्या में मवेशी डे-केयर में रखे जा रहे हैं। यहां बड़ी मात्रा में चारे की आवश्यकता होगी। इसे ध्यान में रखते हुए अभी सितम्बर और अक्टूबर माह में वन प्रबंधन समितियों द्वारा हरे चारे की कटाई का कार्य कराये जाए, जिससे लोगों को रोजगार भी मिले और गौठानों में चारे की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। इस अवसर पर वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे काफी मात्रा में हरा और पौष्टिक चारा इक्कठा हो सकता है। उन्होंने कहा कि सभी वन मंडलों में कुछ केन्द्रों में हरा चारा के गठ्ठर बना कर भंडारित किया जाए और इन केन्द्रों की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध करायी जाए, जिससे गौठान समितियां और निजी क्षेत्र के पशुपालक अपनी आवश्यकता अनुसार चारा निर्धारित दर पर क्रय कर सकें। मुख्यमंत्री बघेल ने हरे चारे के विक्रय की दर भी निर्धारित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कई गौठानों में बड़ी मात्रा में गोबर एकत्र हो गया है। इससे वर्मी कम्पोस्ट के साथ-साथ गोबर के कण्डे और गौकाष्ठ जैसे उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री बघेल ने बैठक के दौरान नरवा योजना के अंतर्गत भू-जल संरक्षण एवं संवर्धन के कार्यो की समीक्षा की। बैठक में बताया गया कि वर्ष 2019-20 की कार्ययोजना में नरवा विकास योजना के अंतर्गत 12 लाख 55 हजार 128 स्वीकृत संरचनाओं में से अब तक 8 लाख 49 हजार से अधिक संरचनाओं का विकास हो चुका है, इनमें चेक डैम, स्टॉप डैम, चेकडैम, एनिकट, डाइक वाल आदि शामिल है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कैम्पा मद के अंतर्गत वनांचलों में बड़े-बड़े तालाबों के निर्माण कार्य को भी प्राथमिकता से शामिल करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने वन्य प्राणियों के रहवास सुधार के अंतर्गत चारागाह विकास, फलदार वृक्षारोपण तथा वन क्षेत्रों में जल संरचनाओं के विकास पर विशेष जोर दिया। इस दौरान राजकीय पशु वन भैंसा, राजकीय पक्षी बस्तर मैना, बारहसिंगा, लकड़बग्गा, सोनकुत्ता, गिद्ध आदि के संरक्षण तथा संवर्धन के संबंध में चर्चा की गई। राज्य में शेरों की संख्या में वृद्धि और पक्षियों के भी रहवास सुधार के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाने के संबंध में चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि हाथी-मानव द्वन्द की स्थिति को रोकने के लिए हाथी को मानव का मित्र बनाने की पहल की जाए। उन्होंने कहा कि राज्य में हाथी के रहवास क्षेत्रों में पर्याप्त भोजन तथा पानी आदि की व्यवस्था का प्रबंध हो, जिससे हाथी-मानव द्वन्द में आसानी से नियंत्रण पाया जा सके। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने हाथी-मानव द्वन्द में नियंत्रण पाने के लिए जन-जागरूकता लाने सहित बेहतर कार्य योजना बनाने के संबंध में वन विभाग को विशेष जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार केरल में लगभग 6000 हाथी हैं, वहां यदा-कदा ही हाथी-मानव द्वन्द की स्थिति निर्मित होती है। हाथियों को मानव का मित्र बनाने की दिशा में आवश्यक पहल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हाथी एक बहुत ही शांत, समझदार तथा सामाजिक प्राणी होता है, इसके स्वभाव को समझकर तथा जन-जागरूकता से हाथी-मानव द्वन्द को कम किया जा सकता है।
बैठक में अरपा नदी पुनरूद्धार योजना पर प्रस्तुतिकरण दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अरपा नदी के उद्गम पेण्ड्रा से शिवनाथ नदी में मिलने तक के मार्ग में नरवा ट्रीटमेंट का कार्य कार्ययोजना के अनुसार सुनिश्चित किया जाए, जिससे अरपा में प्राकृतिक रूप से सालभर जल का प्रवाह बना रहे। श्री बघेल ने यह भी कहा कि वन विभाग, राजस्व विभाग परस्पर समन्वय से भू-जल संवर्धन और संरक्षण का कार्य प्राथमिकता से करें। इस अवसर पर मुख्य सचिव आर.पी.मंडल, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, कैम्पा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी व्ही. श्रीनिवास राव उपस्थित थे। अपर मुख्य सचिव अमिताभ जैन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती एम.गीता वीडियो कॉन्फ्रंेसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।

रायपुर / शौर्यपथ / एक तरफ पूरी दुनिया में विभिन्न तरह की बीमारियों से लाखों लोगों की जानें जाती है तो दूसरी तरफ लाखों लोग ऐसे भी हैं जो खुद ही अपनी जान के दुश्मन बन आत्महत्या तक कर लेते हैं। आत्महत्या, बहुत ही डरावना शब्द है। एक ऐसा शब्द जो आंखों के सामने मौत का भयावह मंजर खड़ा कर देता है। ऐसा करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक हर 40 सेकेंड में एक जिंदगी खत्म हो रही है। स्पर्श क्लीनिक रायपुर के मनोरोग चिकित्सक डॉ. अविनाश शुक्ला कहते हैं, मेंटल इलनेस का इलाज पूरी तरह संभव है। इससे आत्महत्याओं को रोका जा सकता है। बहुत से लोग काउंसलिंग और इलाज कराने के बाद सफल हैं यानी अच्छी जिंदगी जी रहे हैं। अलग-अलग तरह के कारणों से लोगों के मन में आत्महत्या का ख्याल आता है। लोग आत्महत्या से बचें इसलिए परिजनों को ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है। प्राइवेसी बनाए रखने के लिए उनके नाम बदल दिए गए हैं।

डॉ. शुक्ला ने बताया राजधानी के पुरानी बस्ती निवासी राजेश कुमार (परिवर्तित नाम) 4 माह पहले स्पर्श क्लिनिक रायपुर में परामर्श के लिए आये थे। परामर्श का कारण कुछ दिन पूर्व आत्महत्या का प्रयास था। काउंसिलिंग से पता चला राजेश पिछले कुछ सालों से शराब का सेवन आदी बन गया था। और एक साल से यह मात्रा काफी बढ़ गयी थी। उनकी कमाई का लगभग आधे से ज्यादा पैसा शराब पर खर्चा हो जाता था।

``डॉक्टर ने मेरी काउंसलिंग की। उसके बाद से मैंने खुद को खत्म करने का ख्याल मन से निकाल दिया है,’’ राजेश कहते हैं। राजेश ने बताया कोरोना महामारी के दौरान लॉडकाडन के दिनों में उनका ऑटो मेकेनिक का व्यवसाय बंद हो गया और शराब भी मिलना बंद हो गया। शादी के बाद दो बच्चें परिवार चलाने की चिंता की वजह से वह परेशान रहने लगा। शुरुवात में उन्हें नींद नहीं आना, भूख न लगना और शारीर में छटपटाहट, बेचैनी जैसी समस्या रही और कुछ दिन बाद घर वालों ने देखा कि वह उदास रहने लगा। परिवार के सदस्यों से पत्नी व बच्चों से भी बात कम करने लगा और किसी भी कार्य में रूचि नहीं थी। पड़ोस के लोगों से सलाह ले कर परिवार वालों ने झाड़ फूक करवाने ले गए पर कोई भी फायदा नहीं मिला। समस्या धीरे-धीरे बढ़ते रही और परेशान हो कर राजेश ने आत्महत्या का प्रयास किया।

``मुझे इस हाल देखकर मम्मी-पापा दुखी हुए। मम्मी-पापा और दोस्त ही मुझे स्पर्श क्लिनिक मनोचिकित्सक के पास ले गए। डॉक्टर ने कई सेशन में मेरी काउंसलिंग की और दवाई खाने को भी कहा। इस सबसे मेरा कॉन्फिडेंस वापस आने लगा। राजेश को शराब की आदत के साथ-साथ डिप्रेशन भी था,’’ ।

पिछले 4 माह से राजेश नियमित रूप से स्पर्श क्लिनिक इलाज के लिए आ रहे है। राजेश बताते है कि आत्महत्या का प्रयास उनके जीवन का सब से गलत निर्णय था। उन्होंने अपनी समस्या का समाधान खोजने के बजाय उनको अनदेखा किया । शराब पर खर्चा इतना ज्यादा हो जाता था कि बचत कुछ नहीं था। लॉडाउन के समय आर्थिक परेशानी बढ़ गयी और मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करना भी मुश्किल पड़ रहा था।

इससे परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठाया लेकिन अब समझ आ गया कि हार व नाराशा नहीं उम्मीदों की रोशनी से सही रास्ता मिलने से मंजील मिलती है। तनाव में आकर उन्होंने गलत रास्ता चुन लिया था । पिछले 4 माह से वह शराब से दूर है और उपचार के बाद उदासी भी गायब हो गई। पहले से अब काम भी बेहतर कर पाते है और अब बचत पर भी ध्यान देने लगा। शराब का सेवन बंद करने के बाद पारिवारिक झगडे़ भी नहीं होते और बच्चों से भी रिश्ता बेहतर हुआ है ।

राजेश सभी लोगों को संदेश देना चाहते है ताकि ऐसे लोगों को आत्महत्या जैसा कदम उठाने से बचाया जा सके। किसी को भी जीवन में होने वाले समस्याओं से भागना नहीं चाहिए बल्कि उनको शांत मन से समाधान खोजने कि ज़रूरत है। यह सभी के लिए ज़रूरी है कि शराब और अन्य नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले दुष्प्रभाव से अवगत रहे और इनका उपयोग ना करें। ऐसे ही मानसिक रोगों से भी डरने कि ज़रूरत नहीं। अगर उन्हें स्पर्श क्लिनिक के मुफ्त परामर्श और उपचार के बारे में पता होता तो शायद समस्या इतनी ना बढती। राजेश कहते है कि बिना किसी डर और संकोच के लोगों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के लिए सरकार द्वारा संचालित स्पर्श क्लिनिक में संपर्क करना चाहिए ।

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को अपने निवास कार्यालय से वीडियों कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से गोधन न्याय योजना के तहत प्रदेश के 76 हजार 803 गोबर विक्रेताओं को तृतीय किस्त 6 करोड़ 27 लाख रूपए का भुगतान किया। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना गरीबों, पशुपालकों में काफी लोकप्रिय हो रही है, योजना से सभी को लाभ मिल रहा है।
मुख्यमंत्री बघेल ने इस दौरान रायपुर जिले के तिल्दा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कोहका और दुर्ग जिले के पाटन विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम सिकोला के गौठान समिति के सदस्यों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत उनका उत्साहवर्धन किया। गौठान के सदस्यों ने मुख्यमंत्री श्री बघेल को बताया कि वर्तमान में गांव में 43 पंजीकृत पशुपालक हैं, पशुपालकों ने 209 क्विंटल गोबर का विक्रय किया है और उन्हें 4 लाख 18 हजार रूपए की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हुई है। सदस्यों ने यह भी बताया कि वे गौठान में 80 मवेशियों के लिए चारा-पानी की व्यवस्था करते हैं। उन्होंने बताया कि समिति के माध्यम से लगभग 4 एकड़ में नेपियर घास का उत्पादन किया जा रहा हैं। इसके अलावा साग-सब्जी की भी खेती कर अतिरिक्त आमदनी अर्जित की जा रही हैं। गौठान में मछली पालन भी कर रहे है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समिति के सदस्यों को और स्व-सहायता समूह की महिलाओं को गौ-माता की अच्छी सेवा करने और अधिक मेहनत कर आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित किया। मुख्यमंत्री श्री बघेल को सिकोला गौठान समिति के सदस्यों ने बताया कि उनके गौठान में वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम शुरू हो गया है। अब तक दो हजार किलोग्राम से अधिक कम्पोस्ट खाद की विक्रय कर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त की गई है।
मुख्यमंत्री ने गौठान समिति के चरवाहा बुदरू राम से भी बात की। उन्होंने बताया कि वे रोजाना लगभग 45 से 50 किलोग्राम गोबर एकत्र कर लेते है। इससे उन्हे लगभग सौ रूपए की आमदनी हो रही है। सदस्यों ने बताया कि गौठान के आस-पास अन्य जमीनों पर सब्जी-भाजी के उत्पादन के साथ-साथ मुर्गी पालन के लिए शेड भी तैयार किया गया है। जल्द ही मुर्गी पालन शुरू हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि गौ-संवर्धन एवं संरक्षण के लिए शुरू की गई गोधन न्याय योजना आप लोगों की मेहनत से ही सफल हो पाएगा। उन्होंने कहा कि अच्छे से मेहनत कर अतिरिक्त आमदनी कमाने की दिशा में काम करते रहें साथ ही अन्य ग्रामीणों को भी इस दिशा में काम करने प्रेरित करें।
इस अवसर पर कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिय़ा, संसदीय सविच श्रीमती रश्मि आशीष सिंह, राज्य महिला आयोग की अघ्यक्ष श्रीमती किरणमयी नायक, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, अपर मुख्य सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, सचिव डॉ. एम.गीता, सचिव आर. प्रसन्ना, नीलेश क्षीरसागर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महानदी भवन मंत्रालय एवं विभागाध्यक्ष कार्यालय इन्द्रावती भवन में शासकीय काम-काज सुचारू रूप से संचालित होते रहे, इसके लिए उन्होंने कोरोना संक्रमण के रोकथाम के सुरक्षा उपायों को दोनों भवनों में प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सभी कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों से चर्चा कर आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने निर्देश मुख्य सचिव आर.पी. मंडल को दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि कोरोना संक्रमण के चलते अधिकारियों-कर्मचारियों को अपने दायित्वों के निर्वहन में किसी भी तरह की परेशानी न हो इसका उपाए किया जाए। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में मुख्य सचिव को सभी कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों से कार्यालयों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के उपायों के बारे में चर्चा कर सुरक्षा उपायों को कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिए हैं।

रायपुर / शौर्यपथ / 4 सितंबर को विश्व यौन स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व यौन स्वास्थ्य दिवस दुनिया भर में यौन स्वास्थ्य के बारे में अधिक से अधिक सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। यौन स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से देखने के लिए कामुकता और यौन संबंधों के लिए सकारात्मक और सम्मानजनक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 महामारी की वजह से विश्व यौन स्वास्थ्य दिवस -2020 का थीम " कोविड-19 के समय में यौन आनंद " विषय पर आधारित रखा है।
विभिन्न यौन गतिविधियों से संबंधित सामान्य लोगों के बीच में मिथक व जागरुकता के अभाव में हमेशा यौन स्वास्थ्य में गिरावट एक खतरनाक संकेत है। मनोचिकित्सक डॉ. सुचीता गोयल का कहना है समाज में यौन स्वास्थ्य के प्रति गलत धारणाओं की वजह से लोग मानसिक रुप से तनाव से जुझते रहते हैं। तनावग्रस्त लोगों में अवसाद अधिक होने पर वे आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं। डॉ. गोयल कहती हैं, यौन संबधित किसी भी तरह के मानसिक विकार उत्पन्न होने पर मनोचिकित्सक से सलाह लेने की बहुत जरुरत होती है। कोविड-19 से बचाव के लिए शारीरिक दूरी बनाए रखने को लेकर सावधानी बरतनी जरुरी है। क्योंकि ष्टह्रङ्कढ्ढष्ठ-19 एक श्वसन संबंधी रोग है, इसलिए लार के साथ सीधा हमारा संपर्क होता है।
मनोरोग चिकित्सक डॉ. गोयल का कहना है पुरुष ज्यादा समय घर से बाहर नौकरी सहित व्यवसाय के संबंध में कई लोगों के संपर्क में आते हैं। ऐसे में जब वापस घर आते हैं तो अपने पाटर्नर से यौन संबंध बनाने के लिए मास्क व कंडोम का उपयोग कर सावधानियां बनाए रख सकते हैं। कोरोना वायरस सांसों के जरिये मुख से संक्रमण फैला सकता है। अपने साथी के साथ कोविड-19 के बारे में बात करें, पिछले 10 दिनों में बुखार, खांसी के लक्षण होने जैसे जोखिम का आकलन करें। घर के बाहर किसी के साथ भी सेक्स सहित निकट संपर्क को कम करना चाहिए।
मनोरोग चिकित्सक डॉ. गोयल बताती हैं, यौन रोगों में धातु सिंड्रोम भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृतियों में पाई जाने वाली एक सामान्य स्थिति है। इसमें पुरुष रोगी थकान, कमजोरी, चिंता, भूख न लगना, अपराध बोध और यौन रोग के अस्पष्ट मनोदैहिक लक्षणों का प्रदर्शित करते हैं, जिसके कारण रोगी को रात के उत्सर्जन में वीर्य की हानि होती है। हालांकि वीर्य के नुकसान का कोई सबूत नहीं है। उन्होंने बताया इरेक्टाइल डिसफंक्शन (22-62त्न) और समय से पहले स्खलन (22-44त्न) सबसे आम तौर पर जुड़े मनोवैज्ञानिक रोग थे; जबकि अवसाद सिंड्रोम (40-42त्न), चिंता न्युरोसिस (21-38त्न), सोमाटोफ़ॉर्म / हाइपोकॉन्ड्रिआसिस (32-40त्न) धातु सिंड्रोम वाले रोगियों में सबसे अधिक मनोरोग संबंधी विकार है। धातु सिंड्रोम के प्रबंधन में यौन शिक्षा, विश्राम चिकित्सा और दवाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा इस तरह की शाररिक व मानसिक अवस्था के मिथकों से निपटने के लिए मानसिक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए ।
छत्तीसगढ राज्य एड्स कंट्रोल प्रोग्राम के अतिरक्त परियोजना संचालक डॉ.एस के बिंझवार ने बताया, कोविड-19 के समय सुरक्षित यौन संबंध बनाने के लिए सावधानियां जरुरी है। इससे यौन जनित रोगों व कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है। यौन संबंध बनाने के दौरान कंडोम और मास्क का उपयोग जरुरी है। कंडोम के उपयोग से एचआईवी एड्स जैसे यौन जनित रोगों के संक्रमण का खतरा नहीं होता है। उन्होंने कहा कोविड-19 सांस से संबंधित रोग है जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है. संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ जैसे लार, छींकने और खांसने से निकलने वाली बूंदों से कोरोना संक्रमण फैलता है। इसलिए सेक्स के दौरान अतिरिक्त सावधानियां बरतनी जरूरी हो जाती है।

रायपुर / शौर्यपथ / भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा में पी.पी.पी मॉडल से ईथेनाल प्लांट शीघ्र स्थापित किया जाएगा। सहकारी क्षेत्र में स्थित शक्कर कारखाना में पी.पी.पी मॉडल से ईथेनाल प्लांट की स्थापना का यह पहला उदाहरण होगा, जिससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर उत्पन्न होगे तथा आर्थिक समृद्धि का आधार मजबूत होगा । ईथेनाल प्लांट स्थापना से गन्ना किसानों तथा शक्कर कारखानों को वित्तीय लाभ होगा।
मुख्य सचिव आर.पी. मंडल की अध्यक्षता में भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना मर्यादित कवर्धा में पी.पी.पी मॉडल से ईथेनॉल प्लांट की स्थापना हेतु अंतिम अनुमोदन के लिए पी.पी.पी.ए.सी. समिति की बैठक आज महानदी भवन, मंत्रालय में आयोजित की गई।बैठक मे सचिव सहकारिता तथा पंजीयक सहकारी संस्थाएं द्वारा ईथेनॉल प्लांट की स्थापना के संबंध में जानकारियां समिति के समक्ष प्रस्तुत की गई। बैठक में भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना में ईथेनॉल प्लांट की स्थापना हेतु वित्तीय निविदा आमंत्रित करने तथा निवेशक के साथ अनुबंध करने के प्रारूप का अनुमोदन करते हुये समिति द्वारा ईथेनॉल प्लांट की स्थापना हेतु अनुशंसा की गयी। अनुशंसा के उपरांत भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाने में ईथेनॉल प्लांट की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो गया है । तकनीकी निविदा में सफल निविदाकारों से ई-प्राक्योरमेंट पोर्टल के माध्यम से वित्तीय निविदा आमंत्रित की जायेगी ।
बैठक में अपर मुख्य सचिव वित्त विभाग अमिताभ जैन, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, विधि एवं विधायी कार्य विभाग के प्रमुख सचिव नरेश कुमार चंद्रवंशी, सहकारिता विभाग के सचिव प्रसन्ना आर, पंजीयक सहकारी संस्थाएं हिमशिखर गुप्ता सहित सहकारिता विभाग के अधिकारी उपस्थित थे ।

रायपुर / शौर्यपथ / राज्य शासन की मंशा के अनुरूप ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्रकुमार की पहल पर काष्ठ शिल्प वनवासियों के रोजगार का आधार बना है। मंत्री गुरु रूद्रकुमार ने कहा कि अबूझमाड़ में निवास करने वाले वनवासी परिवार के लोगों को रोजगारमूलक काष्ठ शिल्प के कार्य से जोड़ा गया है।
छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड जगदलपुर जिला बस्तर के महाप्रबंधक ने बताया कि जिले के जनजाति समुदाय अबुझमाड़िया, मोरिया, हल्बा एवं गोंड़ जनजाति समुदाय काष्ठ द्वारा विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों का निर्माण किया जाता रहा है, जिसमें देवी-देवताओं, मानव-कलाकृति एवं जनजाति संस्कृति का चित्रण करते हैं। उन्होंने बताया कि विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) नई दिल्ली से स्वीकृत इंटीग्रेटेड डिजाइन एंड टेक्निकल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के अंतर्गत हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा 15 जुलाई से जनवरी 2021 तक प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित की जा रही है। 15 जुलाई से काष्ठ शिल्प में 40 आदिवासी शिल्पियों के लिए अति उन्नत डिजाइन वर्कशॉप प्रारंभ किया गया है।
इसी कड़ी में 15 जुलाई से 26 जुलाई तक गुणवत्ता युक्त होनहार शिल्पियों का 10 दिवसीय सर्वे किया गया है, 27 जुलाई से 12 अगस्त 2020 तक 15 दिवसीय मार्केटिंग सर्वे और प्रोटोटाइप डिजाइन डेवलपमेंट का कार्य किया गया। इसी प्रकार 15 अगस्त से 14 सितंबर तक एक माह प्रारंभिक मार्केटिंग और प्रशिक्षण देकर सामग्रियों का उत्पादन किया जाना है और 15 सितंबर से 14 अक्टूबर तक प्रशिक्षण और उत्पादन कार्य किया जाएगा। 15 अक्टूबर से 14 नवंबर तक प्रशिक्षण के साथ-साथ बल्क में उत्पादन का कार्य किया जाना है। दिसंबर 2020 से जनवरी 2021 तक 2 माह तक विक्रय-सह-प्रदर्शनी आयोजित कर शिल्पकारों द्वारा उत्पादित सामग्रियों को बाजार उपलब्ध कराया जाएगा। प्रशिक्षण देने के लिए एक डिजाइनर भी नियुक्त किया गया है। सभी शिल्पकारों को इस प्रशिक्षण के दौरान 9000 रुपए प्रति शिल्पी प्रति माह छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी।

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