December 07, 2025
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रायपुर

रायपुर (6278)

राजशेखर नायर/धमतरी इस माह 28 अक्टूबर तक कराया जाएगा स्वच्छता एवं स्वच्छ पेयजल पर जन आंदोलन महिला एवं बाल विकास विभाग की महत्वाकांक्षी योजना पोषण अभियान के तहत आम लोगों में व्यवहार परिवर्तन के लिए जनआंदोलन आई.ई.सी. गतिविधियों का आयोजन प्रत्येक माह किया जाना है। इसके अंतर्गत इस माह 28 अक्टूबर तक स्वच्छता एवं स्वच्छ पेयजल थीम पर आधारित प्रचार-प्रचार से संबंधित गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते चुनौतीपूर्ण स्थिति में स्चछता एवं स्वच्छ पेयजल विषय पर इस माह फोकस करते हुए तिथिवार कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि 24 अक्टूबर को गृहभेंट के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा परामर्श कार्य, सही ढंग से हाथ धोने के तरीके से संबंधित परामर्श वीडियो क्लीपिंग के माध्यम से किया जाएगा। 26 अक्टूबर को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जाएगा। इसी तरह 27 अक्टूबर को शिक्षा विभाग के साथ अभिसरण करते हुए विद्यार्थियों के लिए डिजिटल प्लेटफाॅर्म के माध्यम से पेंटिंग, स्लोगन, चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें डिजिटल माध्यम से निबंध एवं क्विज प्रतियोगिता शामिल है। इसके अंतिम दिन 28 अक्टूबर को स्वच्छता एवं स्वच्छ पेयजल पर वेबीनार सह प्रशिक्षण का आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्वच्छ भारत मिशन, नगरीय प्रशासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सहयोग से प्रचार-प्रसार एवं गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। जिला कार्यक्रम अधिकारी उक्त गतिविधियों के आयोजन के लिए कोविड-19 से संबंधित राज्य शासन के सभी निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए संबंधित विभागों के अधिकारियों को डिजिटल माध्यम से किए जाने तथा इसकी जानकारी पोषण अभियान जन आंदोलन डैशबोर्ड पर अपलोड कर कार्यालय जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग को अवगत कराने के लिए कहा है।

बालोद / शौर्यपथ / कलेक्टर जनमेजय महोबे ने शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी गाॅव योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी के तहत आज डौण्डी विकासखण्ड के ग्राम साल्हे और ग्राम सल्हाईटोला पहुॅचकर गौठानों का आकस्मिक निरीक्षण किया। उन्होंने गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत् गोबर खरीदी, वर्मी खाद निर्माण, चारागाह सहित अन्य गतिविधियों का जायजा लिया। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री लोकेश कुमार चन्द्राकर इस अवसर पर मौजूद थे।
कलेक्टर ने ग्राम साल्हे में वर्मी खाद निर्माण का अवलोकन किया और वर्मी खाद का पैकेजिंग की तैयारी करने के निर्देेश दिए। ग्राम साल्हे में स्वसहायता समूह की सदस्यों ने कलेक्टर को बताया कि लगभग साठ क्विंटल वर्मी खाद तैयार कर लिया गया है और उसका सुरक्षित भण्डारण के लिए जगह सुरक्षित कर लिया गया है। कलेक्टर ने स्वसहायता समूह के कार्यों की सराहना की। कलेक्टर ने वहाॅ चारागाह स्थल का जायजा लिया और आवश्यक निर्देश दिए।
कलेक्टर ने ग्राम सल्हाईटोला के गौठान में भी वर्मी खाद का अवलोकन कर पैकेजिंग की तैयारी करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पैकेजिंग के पश्चात सहकारी समिति को सूचित करें। उन्होंने वहाॅ चारागाह में चारा उत्पादन तथा चारागाह परिसर में सब्जी उत्पादन का भी अवलोकन किया और स्वसहायता समूह की सदस्यों को मछली पालन के लिए भी प्रोत्साहित किया। कलेक्टर ने उद्यान विभाग के अधिकारी को उद्यानिकी फसलों के उत्पादन हेतु समूह के सदस्यों को मार्गदर्शन देने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने गौठानों के वर्मी टंाको में केंचुओं की उपलब्धता की जानकारी ली। उन्होंने स्वसहायता समूह की सदस्यों को लगन और मेहनत से कार्य कर आत्मनिर्भर बनने उनका उत्साहवर्धन किया। इस अवसर पर जनपद पंचायत डौण्डी के सीईओ बी.राज भी उपस्थित थे।

रायपुर / शौर्यपथ / हर वर्ष 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है । इस दिन लोगों को पोलियो के बारे में जागरूक किया जाता है| विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)ने भारत को 27 मार्च वर्ष 2014 को पोलियो मुक्त घोषित किया है। छत्तीसगढ़ में 2002 के बाद कोई पोलियो का केस नहीं मिल है।
देश में पोलियो की रोकथाम बेहद जटिल थी , जो मज़बूत निगरानी प्रणाली, और गहन टीकाकरण अभियान के साथ सामाजिक गतिशीलता प्रयासों से संभव हुआ है। जब तक रोग समाप्त नहीं हो जाता है, भारत को सतर्क रहना होगा । अफगानिस्तान, नाइजीरिया और पाकिस्तान तीन देश हैं, ‘जहां वाइल्ड पोलियो वायरस का संचारण हो रहा है’। वर्ष 1998 के बाद से पोलियो के मामलों में ज्यादा की कमी आयी है। बाल्यावस्था में प्रतिरक्षा के उच्च स्तर को बनाए रखने के लिए समस्त देशों में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के अवसर पर बच्चों को टीकाकरण किया जाता है।
प्रभारी ज़िला टीकाकरण अधिकारी रायपुर डॉ. अनिल कुमार परसाई ने बताया पोलियोमाइलाइटिस (पोलियो) अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग हैजो कि मुख्यत: छोटे बच्चों (पांच वर्ष से कम आयु) को प्रभावित करता है। विषाणु मुख्यत: मल-मौखिक मार्ग या दूषित पानी या आहार के माध्यम से व्यक्ति-से-व्यक्ति में फैलता है यह संक्रामक वायरल रोग आंत में पनपता है, वहां से यह अपना सफर शुरू कर तंत्रिका तंत्र में पहुंच जाता है । पक्षाघात उत्पन्न करता है। शुरूआती लक्षणों में संक्रमित बच्चे को बुख़ार, थकान, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन की अकड़न अंगों में दर्द है। दो सौ संक्रमणों में से एक संक्रमण आमतौर पर पैरों में अपरिवर्तनीय पक्षाघात उत्पन्न करता है। पक्षाघात से पीड़ितों पांच से दस प्रतिशत की मृत्यु हो जाती है, उनकी श्वास की मांसपेशियों ठीक से कार्य नहीं करती हैं।
इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन और लाइव ओरल पोलियोवायरस वैक्सीन के उपयोग ने वर्ष 1988 में वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (जीपीईआई) की स्थापना हुई थी । रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए रोटरी, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), यूनिसेफ, सहित और अन्य देशों की सरकारे भी शामिल हैं ।
पोलियो की खुराक और टीकाकरण शासकीय अस्पतालों में निशुल्क किया जाता है
पोलियो का कोई उपचार नहीं है, लेकिन सुरक्षित एवं प्रभावी टीकाकरण के माध्यम से पोलियो से बचा जा सकता है। टीकाकरण कई बार किया जाता है। टीकाकरण बच्चे के जीवन को सुरक्षित करता है। पोलियो खत्म करने की रणनीति, में संचारण समाप्त न हो जाएं तथा विश्व पोलियो मुक्त न हो जाएं, तब तक हर बच्चे को टीकाकरण के माध्यम से सुरक्षित कर सकते है । संक्रमण को रोकने के लिए दो प्रकार के टीके उपलब्ध होते हैं।ओपीवी (ओरल पोलियो वैक्सीन): यह वैक्सीन संस्थागत प्रसव पर जन्म के समय मौखिक रूप से दी जाती है, फिर प्राथमिक तीन खुराकों को छह, दस और चौदह सप्ताह तथा एक बूस्टर की खुराक सौलह से चौबीस महीने की आयु पर दी जाती है। इंजेक्टबल पोलियो वैक्सीन (आईपीवी): दो आंशिक खुराकें 6 सप्ताह और चौदह सप्ताह की आयु पर दाहिनी बांह के ऊपरी भाग में दी जाती है।

मुख्यमंत्री ने कहा: शहीद महेन्द्र कर्मा की इच्छानुरूप होगा बस्तर का विकास
दंतेवाड़ा के सरपंच संघ के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री से की सौजन्य मुलाकात
देवगुड़ी के संरक्षण और संवर्धन के लिए किए जा रहे प्रयासों के लिए व्यक्त किया आभार


रायपुर / शौर्यपथ / सरपंच संघ की मांग पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर अंचल के विकास और समृद्धि के लिए 4 से 5 बड़े स्टील प्लांट को खोलने की सहमति प्रदान की है ताकि यहां के स्थानीय युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिल सके। दंतेवाड़ा जिले से आए सरपंच संघ के प्रतिनिधि मंडल ने आज राजधानी रायपुर में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से उनके निवास कार्यालय में सौजन्य मुलाकात कर क्षेत्र में उद्योग स्थापित करने के लिए ज्ञापन सौंपा। मुख्यमंत्री ने इस पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि शहीद महेन्द्रकर्मा जी की भी इच्छा थी कि दंतेवाड़ा सहित बस्तर अंचल में बड़े उद्योग लगे। उनकी इच्छानुरूप ही बस्तर का विकास किया जाएगा। सरपंच संघ की मांग पर राज्य सरकार द्वारा इस अंचल में 4 से 5 बडे़ स्टील प्लांट खोलने के लिए आवश्यक पहल की जाएगी।
प्रतिनिधि मण्डल ने मुख्यमंत्री से गीदम विकासखण्ड के घोटपाल-हीरानार में उपलब्ध लगभग 500 एकड़ जमीन में उद्योग लगाने के संबंध में ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि इसके लिए किसानों से जमीन लेने की आवश्यक्ता भी नहीं होगी।
प्रतिनिधि मण्डल ने मुख्यमंत्री से कहा कि बस्तर अंचल से लौह अयस्क बाहर भेजा जाता है। इस अंचल के दंतेवाड़ा, कांकेर, कोण्डागांव सहित अन्य स्थानों में बड़े लगने से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा वहीं इन उद्योगों के लगने से अन्य सहायक उद्योग धंधे भी प्रारंभ होंगे जिनमें बड़ी संख्या में स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि उद्योग लगने से यहां होटल और परिवहन व्यवसाय में भी बढ़ोतरी होगी। इसका फायदा भी स्थानीय लोगों को मिलेगा।
मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान सरपचों ने राज्य सरकार द्वारा आदिवासी समाज की आस्था के अनुरूप वनांचल क्षेत्रों में देवगुड़ी के संरक्षण और संवर्धन के लिए किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की और सरपंच संघ की ओर से मुख्यमंत्री के प्रति आभार भी व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने चर्चा के दौरान गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन की भी जानकारी ली। सरपंचों ने बताया कि कोरोना संकट के समय गोबर विक्रय से मिली राशि ग्रामीणों के काम आयी। गोबर से पैसा मिलने से ग्रामीण खुश हैं। गोठानों में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम भी किया जा रहा है। गांवों में मध्यान्ह भोजन योजना के तहत सूखा राशन वितरण की जानकारी उन्होंने दी।
सरपंच संघ के अध्यक्ष अनिल कर्मा ने बताया कि जिले के सभी ग्राम पंचायतों में गोठान निर्माण का कार्य चल रहा है साथ ही गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गोबर खरीदी एवँ वर्मी कम्पोस्ट बनाने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है । उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत स्तर पर पुराने भवनों का जीर्णोद्धार कर स्थानीय युवाओं को कपड़ा दुकान, नाई की दुकान, पंचर रिपेयरिंग जैसे छोटे-छोटे रोजगार उपलब्ध कराने का भी कार्य किया जा रहा है । इस अवसर पर मोपलनार, बड़े सुरोखी, नांगुल और गोठपाल ग्राम पंचायत के सरपंच भी उपस्थित थे ।

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य में किसानों को खुशहाल और उनकी आय में वृद्धि के लिए समन्वित कृषि प्रणाली को बढ़ावा दिए जाने की कारगर पहल की जा रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्रों के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रुप से राज्य के सभी जिलों में समन्वित कृषि प्रणाली के अंतर्गत विभिन्न जोत वाले किसानों के लिए एक हेक्टेयर, 2 हेक्टेयर एवं 3 हेक्टेयर रकबा का सिंचित एवं असिंचित मॉडल तैयार किया गया है। जिसमें फसल उत्पादन के साथ-साथ कुक्कुट पालन, बकरी पालन, मछली पालन के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर उनकी आय को दोगुने करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। फसल विविधीकरण के अंतर्गत उच्च भूमि में लाख की खेती एवं प्राथमिक प्रसंस्करण हेतु कृषकों को आवश्यक मार्गदर्शन दिया जा रहा है। टपक एवं सामूहिक सिंचाई, सामूहिक विपणन जैसी तकनीकों के माध्यम से सब्जी एवं अन्य उद्यानिकी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ही विभिन्न फसलों के बीज उत्पादन, वर्मी कंपोस्ट खाद का निर्माण, मशरूम उत्पादन, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्हें आजीविका की गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। शासन की विभिन्न योजनाओं जैसे कौशल विकास, जल प्रबंधन कार्य, हरित क्रांति विस्तार, मनरेगा ,आदिवासी उपयोजना और खनिज न्यास निधि के माध्यम से अभिकरण कर प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं आजीविका संवर्धन के उल्लेखनीय कार्य किए जा रहे हैं जिससे ग्रामीण अंचल में खेती-किसानी समृद्ध और किसान खुशहाली की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया, कांकेर, राजनांदगांव, दुर्ग, कोरबा, बिलासपुर से लेकर सुदूर वनांचल के जिलों में भी समन्वित खेती से ग्रामीण अंचल के किसानों के जीवन में खुशहाली का एक नया दौर शुरू हुआ है। कांकेर जिले के लगभग 25 ग्रामो में विभिन्न प्रक्षेत्र परीक्षण, अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन, कृषकों, कृषक महिलाओं, ग्रामीण युवकों को समसामयिक एवं ‘‘आवश्यकता आधारित’’ कौशल दिया जा रहा है। जिले के कृषि एवं संबंधित विभागों के मैदानी स्तर के अधिकारियों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण का आयोजन कर उन्हे नवीन तकनीकी से अवगत कराया जा रहा है। जिले में कृषि की नवीन तकनीक के साथ-साथ किसानों के आय में वृद्धि एवं आजीविका संवर्धन हेतु समन्वित कृषि प्रणाली, पोषण सुरक्षा, फसल विविधीकरण, कृषि यंत्रीकरण, सूक्ष्म सिंचाई पद्धति, उन्नत नस्ल के कुक्कुट कड़कनाथ के प्रजनन एवं उत्पादन का कार्य शुरू किया गया हैं। इसके लिए कृषि विज्ञान केन्द्र में कड़कनाथ कुक्कुट की हैचरी इकाई, ग्रेडेड सिरोही नस्ल की बकरी इकाई, गीर एवं साहिवाह नस्ल की डेयरी इकाई, बटेर पालन इकाई, मत्स्य सह बतख पालन इकाई, वर्मीकम्पोस्ट इकाई, पोषण वाटिका, फलदार पौधे उत्पादन इकाई स्थापित हैं।
कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा वर्ष 2015 में पोषण सुरक्षा एवं आय हेतु आदर्श पोषण वाटिका की अवधारणा स्थापित की गई, जिसमें विभिन्न सब्जियों के उत्पादन का ऐसा क्रम तैयार किया गया जिससे वर्षभर प्रतिदिन ताजी सब्जी उपलब्ध हो सके। इस पोषण वाटिका को सर्वप्रथम 70 आवासीय स्कूलों में विस्तार किया गया तत्पश्चात् सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में विस्तार हुआ। कुक्कुट की कड़कनाथ नस्ल जो कि अद्वितीय गुणों से भरपूर है। इस नस्ल की केन्द्र में कृत्रिम हैचरी स्थापित कर अब तक लगभग 2 लाख नग से अधिक चूजों का उत्पादन किया जा चुका है, जिसका विस्तार कांकेर जिले सहित छत्तीसगढ़ राज्य के 25 अन्य जिले एवं 4 अन्य राज्यों में हुआ है।
जिले में लगभग 80 से अधिक कृषकों के यहां समन्वित कृषि प्रणाली मॉडल विभिन्न परियोजनाओं के अभिसरण से स्थापित किया गया है। फसल विविधीकरण के अंतर्गत उच्चहन भूमि में लाख की खेती एवं प्राथमिक प्रसंस्करण हेतु कृषकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्तमान में 25 से अधिक कृषक सेमियालता में लाख उत्पादन का कार्य कर रहे हैं एव विज्ञान केन्द्र में स्थापित प्रसंस्करण इकाई से लाख का प्राथमिक प्रसंस्करण कर रहे हैं।
कृषि यंत्रीकरण के अंतर्गत धान एवं अन्य फसलों की कतार बोनी एवं प्रसंस्करण को प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है। जिले में किसानों को नीवनतम किस्मों के दलहनी फसलों के बीज उपलब्ध कराने के दलहनी फसलों का बीज प्रक्रिया केन्द्र स्थापित किया गया है, जिसमें कृषक सहभागिता से बीज उत्पादन किया जाता है,जिसका वितरण विभागीय योजनाओं के माध्यम से जिले के किसानों को किया जाता है।

रायपुर / शौर्यपथ / खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 के दौरान समर्थन मूल्य पर धान एवं मक्का बेचने वाले नये किसानों का पंजीयन 31 अक्टूबर तक किया जाएगा। राज्य शासन के निर्देशानुसार धान और मक्का बेचने के लिए पुराने पंजीकृत किसानो को फिर से पंजीयन कराने समिति में आने की आवश्यकता नहीं है। धान और मक्का बेचने के इच्छुक नए किसान 31 अक्टूबर तक पंजीयन के लिए आवेदन कर सकते हैं। धान-मक्का बेचने वाले नए किसान पंजीयन के लिए संबंधित दस्तावेजों के साथ तहसील कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं।
राज्य के जिन किसानों ने खरीफ वर्ष 2019-20 में धान और मक्का बेचने का पंजीयन करा लिया था, उन्हें नए पंजीयन की जरूरत नहीं है। पिछले सीजन में पंजीकृत किसानों की दर्ज भूमि, धान और मक्के के रकबे और खसरे को राजस्व विभाग द्वारा अद्यतन किया किया जा रहा है। खरीफ वर्ष 2020-21 में किसान पंजीयन के लिए पिछले वर्ष 2019-20 में पंजीकृत किसानों का डाटा कैरी-फॉरवर्ड किया गया है। पुराने पंजीकृत किसान अपने पंजीयन में संशोधन कराना चाहते हैं तो समिति मॉड्युल के माध्यम से संशोधन करने की सुविधा दी जा रही है।

भाजपा नेता बताएं कि वे जोगी परिवार को आदिवासी मानते हैं या नहीं
जाति को मुद्दा बनाने के लिए माफ़ी मांगें या बताएं कि फ़ैसला क्यों नहीं किया?

रायपुर / शौर्यपथ / जोगी की जाति के फ़ैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के बयानों पर संसदीय सचिव एवं कांकेर विधायक शिशपाल सोरी ने कहा है कि इन नेताओं के पुराने बयान और नए बयान को सामने रख दिया जाए तो गिरगिट भी रंग बदलना भूल जाएगा। संसदीय सचिव एवं कांकेर विधायक शिशपाल सोरी ने कहा है कि ने कहा है कि जो लोग जाति को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रहे थे वही बाद में जाति को लेकर राजनीतिक लेन-देन का धंधा करने लगे और अब वही लोग जाति प्रमाण पत्र रद्द होने पर आंसू बहा रहे हैं।
मरवाही विधानसभा उपचुनाव में चुनाव अधिकारी के फ़ैसले पर संसदीय सचिव एवं कांकेर विधायक शिशपाल सोरी ने पूछा है कि डॉ रमन सिंह और धरमलाल कौशिक सिर्फ़ यह बता दें कि वे जोगी परिवार को आदिवासी मानते हैं या नहीं. अगर मानते हैं तो 2003 में जोगी की जाति को चुनावी मुद्दा बनाने के लिए माफ़ी मांगें और अगर नहीं मानते तो यह बताएं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद उनकी सरकार ने इस मामले में स्पष्ट फ़ैसला क्यों नहीं किया?
संसदीय सचिव एवं कांकेर विधायक शिशपाल सोरी ने पूछा है कि क्यों ऐसा लग रहा है कि जोगी की जाति को लेकर भाजपा के भीतर ही घमासान मचा हुआ है और वे एकमत नहीं हो पा रहे हैं। एक ओर रमन सिंह और धरम लाल कौशिश हैं तो दूसरी ओर अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद में रहे नंदकुमार साय, पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर, संतराम नेताम और समीरा पैकरा जैसे भाजपा के आदिवासी नेता हैं। भाजपा के इन आदिवासी नेताओं ने हमेशा जोगी के बारे में कहा कि वे आदिवासी नहीं हैं और कभी अपना स्टैंड नहीं बदला जबकि रमन सिंह और धर्म लाल कौशिक लगातार रंग बदल रहे हैं।
संसदीय सचिव एवं कांकेर विधायक शिशपाल सोरी ने कहा है कि रमन सिंह ने मुख्यमंत्री रहते किस तरह स्वर्गीय अजीत जोगी को ब्लैकमेल किया और लेनदेन की राजनीति की यह सबको पता है. उन्होंने कहा है कि हर विधानसभा चुनाव के पहले छानबीन समिति का फैसला आने की सुगबुगाहट उठती थी और सर्व अज्ञात कारणों से छानबीन समिति की रिपोर्ट को दफन कर दिया जाता था।
संसदीय सचिव एवं कांकेर विधायक शिशपाल सोरी ने कहा है कि 13 अक्टूबर 2011 को सर्वोच्च न्यायालय ने बिलासपुर कलेक्टर जिस मामले में शासन का पक्ष रख रहे थे उस मामले में आदेश दिया और सर्वोच्च न्यायालय के इसी आदेश के पालनहार हाई पावर कमेटी का फैसला आया।
संसदीय सचिव एवं कांकेर विधायक शिशपाल सोरी ने पूछा है कि अजीत जोगी के जाति के मामले में राजनीतिक लड़ाई और न्यायिक लड़ाई लड़ने वाले सर्वोच्च न्यायालय में इंटरवीनर बनने वाले बृजमोहन अग्रवाल अजय चंद्राकर शिवरतन शर्मा को भी अब इस जाति मामले में अपना नजरिया साफ करना चाहिए।

ख़ास बात ...
सुपेबेड़ा के डायलिसिस वाले मरीजों को अब नहीं आना पड़ेगा रायपुर
स्वास्थ्य मंत्री की पहल पर सुपेबेड़ा में पेरेटोनियल डायलिसिस के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और रायपुर एम्स का पायलट प्रोजेक्ट

   रायपुर / शौर्यपथ / किडनी रोग से प्रभावित सुपेबेड़ा के लोगों को अब पेरेटोनियल डायलिसिस के लिए जरूरी फ्लूइड (Fluid) लेने रायपुर नहीं आना पड़ेगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की राज्य इकाई ने इसके लिए फ्लूइड अब देवभोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ही उपलब्ध करा दिया है। नियमित पेरेटोनियल डायलिसिस कराने वाले सुपेबेड़ा के एक मरीज को इसके लिए फ्लूइड 17 अक्टूबर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से दिया गया। देवभोग में ही फ्लूइड मिलने से कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच अब मरीजों को डायलिसिस के लिए बार-बार रायपुर नहीं आना पड़ेगा। किडनी के मरीजों में कोरोना संक्रमण घातक होता है। स्थानीय स्तर पर फ्लूइड मिलने से मरीजों और उसके परिजनों के रायपुर आने-जाने में लगने वाले समय, श्रम और धन की बचत होगी।
      स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव की पहल पर सुपेबेड़ा के किडनी प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और एम्स रायपुर द्वारा पेरेटोनियल डायलिसिस के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है।इसके तहत डायलिसिस के लिए एम्स द्वारा मरीज और उनके परिजनों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। देवभोग स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों एवं स्टॉफ को भी किडनी रोग के इलाज के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। ये डायलिसिस वाले मरीजों की नियमित निगरानी कर उनका फालो-अप लेंगे। सुपेबेड़ा में डायलिसिस के लिए जरूरी फ्लूइड की आपूर्ति राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा की जा रही है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि सुपेबेड़ा के मरीजों के पेरेटोनियल डायलिसिस के लिए दो करोड़ 40 लाख रूपए का बजट स्वीकृत किया गया है। इसके अंतर्गत वहां 100 मरीजों के डायलिसिस का प्रबंध किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के परिणाम को देखते हुए जरूरत के अनुसार बजट बढ़ाया जाएगा। घर में किए जाने वाले पेरेटोनियल डायलिसिस के दौरान किसी तरह की समस्या आने पर मरीज को तुरंत उपचार के लिए देवभोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया जा सकता है। गंभीर मरीजों को वहां से रायपुर भी रिफर किया जाएगा।

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के महानिरीक्षक पंजीयन अधीक्षक एवं अधीक्षक मुद्रांक ने बताया है कि हाल ही में विभिन्न पंजीयन कार्यालयों में पंजीयन होने वाले दस्तावेजों की संख्या अधिक होने के कारण अपॉइंटमेंट प्राप्त होने में कठिनाई होने बाबत सूचना प्राप्त हुई है। विगत माह रायपुर पंजीयन कार्यालय में कुछ स्टाफ के कोविड-19 से संक्रमित होने के कारण पंजीयन कार्य बाधित हुआ था तथा नवरात्री के त्यौहार होने के कारण पंजीयन योग्य दस्तावेजों की संख्या अधिक होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई। यह भी पाया जाता है कि कुछ लोगों द्वारा एक ही दस्तावेज के लिए एक से अधिक बार अपॉइंटमेंट प्राप्त कर लिया जाता है। इस कारण से भी आम लोगों को अपॉइंटमेंट प्राप्त करने में असुविधा हुई है। इस समस्या के निराकरण हेतु ई-पंजीयन सिस्टम में सुधार कर ई-पंजीयन अपॉइंटमेंट की नई व्यवस्था की गई है।
ई-पंजीयन की नई व्यवस्था के अनुसार अब विक्रय पत्र मामले में अपॉइंटमेंट केवल प्रतिफल मूल्य के 5 प्रतिशत से अधिक मूल्य के ई-स्टेम्प के आधार पर ही दिया जाएगा। यदि पूर्व से ही किसी पक्षकार द्वारा प्रतिफल राशि के 5 प्रतिशत से कम मूल्य के ई-स्टेम्प के आधार पर अपॉइंटमेंट प्राप्त किया है, उन्हें 24 घंटा का समय देते हुए सूची भेजी जाएगी कि वे सही मूल्य के आधार पर अपॉइंटमेंट प्राप्त करें। यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं तो उनका अपॉइंटमेंट निरस्त करते हुए अन्य लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। यह भी व्यवस्था की गई है कि एक ही दस्तावेजों के लिए एक से अधिक अपॉइंटमेंट नहीं लिया जा सके इसके लिए यह व्यवस्था की गई है कि सिस्टम इस बात के लिए भी जांच करेगा कि लिए जा रहे अपॉइंटमेंट में उपयोग किए गए ई-स्टेम्प के द्वारा पूर्व में भी तो अपॉइंटमेंट तो प्राप्त नहीं किया गया है। यदि उसी ई-स्टेम्प में पहले भी अपॉइंटमेंट लिया जा चुका है, तो उन्हें अपॉइंटमेंट प्रदान नहीं किया जा सकेगा।
यदि अपॉइंटमेंट प्राप्त होने के कारण कोई पक्षकार अपना दस्तावेज पंजीयन हेतु निर्धारित तिथि और समय में प्रस्तुत करने में असफल रहता है, तो उसी दस्तावेज को पंजीयन हेतु अपॉइंटमेंट 15 दिवस पश्चात प्राप्त हो सकेगा। पक्षकार आसानी से अपॉइंटमेंट प्राप्त कर सके इसलिए आगामी 15 दिवस के लिए ऐसी व्यवस्था अपॉइंटमेंट पोर्टल में किया गया है। अपॉइंटमेंट प्राप्त करने के लिए पोर्टल प्रतिदिन सुबह 8 बजे से खुलेगा और यह तब तक जारी रहेगा जब तक आगामी 15 दिवस का अपॉइंटमेंट पूरा बुक न हो जाए।

राजधानी रायपुर में पंजीयन कार्यालय में दस्तावेजों की अधिकता होने के कारण यहां पांचवा उपपंजीयक कार्यालय खोलने की स्वीकृति दी गई है। इस अतिरिक्त पंजीयन कार्यालय में रायपुर एसआर5 के नाम से पंजीयन किया जा सकेगा। पक्षकार इसके लिए आगामी सोमवार 19 अक्टूबर 2020 अपॉइंटमेंट प्राप्त कर सकेंगे। अपॉइंटमेंट प्राप्त होने में किसी प्रकार की कठिनाई होने पर विभागीय हेल्पलाइन नंबर 07714912523,18002332488 में सम्पर्क किया जा सकता है। पंजीयन हेतु पंजीयन कार्यालय में उपस्थित होने वाले सभी पक्षकारों से अनुरोध किया गया है कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए शासन द्वारा जारी गाइन-लाइन का पालन करें। पंजीयन कार्यालय में भौतिक दूरी बनाए रखने, मास्क लगाने, सेनेटाईजर इस्तेमाल करने बाबत दिए गए निर्देशों का पालन आवश्य किया जाए।

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