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रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ में व्यापक स्तर पर शुरू किए गए मनरेगा कार्यों से ग्रामीण श्रमिक राहत में हैं। लॉक-डाउन के मौजूदा दौर में इसने न केवल उनकी रोजगार की चिंता दूर की है, बल्कि विपरीत परिस्थितियों में परिवार के भरण-पोषण के लिए आर्थिक संबल भी प्रदान किया है। सामुदायिक और व्यक्तिमूलक आजीवन संवर्धन के कार्यों के तहत जल संरक्षण, कृषि, उद्यानिकी और पशुपालन को मजबूत करने विविध परिसंपत्तियों का निर्माण किया जा रहा है। इन कार्यों में अभी सीधे रोजगार के साथ ही मनरेगा के तहत निर्मित हो रही परिसंपत्तियों से भविष्य में जीविकोपार्जन के बेहतर संसाधन मिलेंगे।
बस्तर जिले में भी मनरेगा कार्य जोरों पर है। वहां संचालित विभिन्न कार्यों में अभी 31 हजार 397 श्रमिक काम कर रहे हैं। कार्यस्थलों पर सवेरे पांच बजे से ही श्रमिकों की चहल-पहल शुरू हो जाती है। सुबह पांच से आठ बजे के बीच ये अपने-अपने हिस्से का काम खत्म कर धूप तेज होने के पहले ही घर लौट आते हैं। कोविड-19 से बचाव के लिए मजदूर मुंह ढंकने के लिए मास्क या गमछा का इस्तेमाल कर रहे हैं। परस्पर शारीरिक दूरी बनाए रखने के दिशा-निर्देशों के पालन के साथ ही सभी कार्यस्थलों पर साबुन से हाथ धुलाई की व्यवस्था की गई है।
बस्तर जिले में करीब छह हजार प्रवासी मजदूरों की घर वापसी की संभावना है। इनकी क्वारेंटाइन अवधि पूरी होने के बाद काम की मांग करने वालों को भी तत्काल रोजगार उपलब्ध कराने की तैयारी है। जिनके पास मनरेगा जॉब-कॉर्ड नहीं हैं, उनके नए जॉब-कॉर्ड बनाए जाएंगे। चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में बस्तर जिले में मनरेगा के लिए 94 करोड़ रूपए का लेबर बजट प्रावधानित है। पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में वहां मनरेगा कार्यों में 61 करोड़ रूपए से अधिक की राशि खर्च की गई है।
मनरेगा के तहत गांवों में जल संरक्षण और आजीविका संवर्धन के कार्य प्राथमिकता से स्वीकृत किए जा रहे हैं। सभी विकासखण्डों में निजी डबरी, कुआं, भूमि सुधार, मेढ़ बंधान, तालाब निर्माण, पशु शेड निर्माण, गौठान निर्माण, चारागाह निर्माण, शासकीय भूमि पर वृक्षारोपण, व्यक्तिमूलक फलदार वृक्षारोपण, आंगनबाड़ी भवन निर्माण, हितग्राहियों के लिए बकरी शेड, मुर्गी शेड, महिला समूह के माध्यम से नर्सरी में पौध निर्माण, सिंचाई के लिए नाली निर्माण, गांव से जल निकास के लिए नाली निर्माण, बोल्डर डेम, चेक डेम, गेबियन निर्माण तथा महिला समूह के लिए वर्क-शेड निर्माण जैसे काम कराए जा रहे हैं।
रायपुर / शौर्यपथ / ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए अब इसमें कोई संदेह नहीं कि यह कार्यक्रम भविष्य में शिक्षा का सशक्त माध्यम बनेगा। इस कार्यक्रम ने कोरोना संक्रमण जैसी संकटपूर्ण और लॉकडाउन की स्थिति में विद्यार्थियों को बेहद सहज तरीके से घर बैठे अध्ययन-अध्यापन की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही उनके सर्वांगीण विकास में भी मददगार साबित हुआ है। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को इस पोर्टल के माध्यम से अपनी कला एवं रूचि को संवारने का अवसर मिला है। छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित ऑनलाइन शिक्षा पोर्टल ‘पढ़ई तुहर दुआर’ कार्यक्रम के तहत राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) में संचालित भूगोल, सामाजिक विज्ञान, गणित की ऑनलाइन कक्षाओं में 3242 छात्र छात्राएं सम्मिलित हुए।
कक्षा 10वीं के सामाजिक विज्ञान विषय की ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान एससीईआरटी के संचालक श्री जीतेन्द्र कुमार शुक्ला ने कक्षा से जुड़े छात्र-छात्राओं के साथ ऑनलाइन शिक्षा पोर्टल ‘पढ़ई तुहर दुआर’ कार्यक्रम व ऑनलाइन कक्षा के अनुभव के बारे में चर्चा की। उपस्थित छात्र-छात्राआंे ने इसे एक नया रोचक अनुभव बताया।
आज वैश्विक बीमारी के चलते स्कूली बच्चों की पढ़ाई पर भी अब असर दिखने लगा है, क्योंकि ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का समय निकल चुका है और आने वाले सत्र की तैयारी शुरू नहीं हो पा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों की पढ़ाई की रूकावट को दूर करने के लिए एक ऐतिहासिक पहल की है। यूं तो बहुत से ऑनलाइन शिक्षा के कार्यक्रम अनेक सोशल मीडिया साइट पर उपलब्ध हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के पाठ्यक्रम अनुसार ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध होना एक अभिनव पहल है। जिसके अंतर्गत एक वेब पोर्टल का निर्माण किया गया है। जिसमें बच्चे अपनी कक्षा के विषयों का चयन कर उसका घर बैठे आसानी से अध्ययन कर रहे हैं।
‘पढ़ई तुहर दुआर’ के इस पोर्टल का विधिवत उद्घाटन मुख्यमंत्री बघेल द्वारा विगत माह 7 अप्रैल को किया गया था। आज एक माह बाद ही इसकी सफलता का आंकड़ा 27 करोड़ पेज व्यूव छू चुका है। जिसमें लगभग 20 लाख विद्यार्थी पंजीयन करवाकर एक लाख 70 हजार से अधिक शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस ऑनलाइन शिक्षा का लाभ सरकारी स्कूल और प्राइवेट स्कूल दोनों ही के छात्र ले रहे हैं। ‘पढ़ई तुहर दुआर’ का यह पोर्टल सीजीस्कूलडॉटइन पर उपलब्ध है। छात्र इस साइट के द्वारा अपनी सुविधानुसार मोबाइल लैपटॉप या टैब पर पढ़ाई कर रहे हैं। इस वेब पोर्टल पर ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन आकर्षक तरीके से किया जा रहा है जिसमें छात्र अपनी कक्षा और विषय चयनित कर उस ऑनलाइन कक्षा से जुड़ते हैं और शिक्षकों के साथ परस्पर संवाद भी करते है एक तरह से वास्तविक कक्षा का स्वरूप है।
जिस तरह वास्तविक कक्षाओं में बच्चों को होमवर्क दिया जाता हैं, उसी तरह से इसमें भी होमवर्क दिया जाता है। जिसे बच्चे पीडीएफ फॉर्मेट में अपना होमवर्क पोर्टल पर अपलोड कर लेते हैं और शिक्षक उसे जाँच कर फीडबैक देते है। बिना किसी खर्च के तैयार की गई ये बेबसाइट बच्चों को भी निःशुल्क उपलब्ध हैं।
रायपुर / शौर्यपथ / राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कोविड-19 के बचाव में एनसीसी कैडेट्स द्वारा किए जा रहे सहयोग की सराहना की है। उन्होंने कहा है कि इस समय देश-प्रदेश कोरोना संकट का सामना कर रहा है। इन परिस्थितियों में एनसीसी कैडेट्स द्वारा लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जा रहा है। आम लोगों को सोशल डिस्टेसिंग का पालन कराया जा रहा है। उनके द्वारा यातायात व्यवस्था संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है।
राज्यपाल ने कहा कि एनसीसी युवाओं में राष्ट्रभक्ति का भाव पैदा करता है तथा उन्हें संकटापन्न स्थितियों का सामना करने के लिए प्रशिक्षण भी देता है। ऐसा प्रशिक्षण का ही प्रभाव है कि आज एनसीसी कैडेट्स अंतर्राष्ट्रीय आपदा के समय कंधा से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी कोरोना से लंबी लड़ाई लड़ना है। एनसीसी कैडेट्स अपना स्वयं का ध्यान रखें और आम जनता को कोरोना के प्रति जागरूक करें।
अवधेश टंडन की रिपोर्ट -
मालखरौदा / शौर्यपथ / विदित हो कि मालखरौदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का विवादों से हमेशा नाता रहा है यही कारण है कि आज भी यहां विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है मामला है मालखरोदा उप स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत आने वाले फगुरम प्राथमिक स्वस्थ केंद्र क्या जहा डॉक्टर सेट स्टाफ की मनमानी चरम सीमा पर है यहां के डॉक्टर स्टाफ लगातार नदारद रहते थे जिसकी सूचना मीडिया कर्मियों को मिलने पर लगातार पिछले कई दिनों से इस पर खबर चलाई , मामला था फागूराम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी द्वारा स्वास्थ्य केंद्र को अनाथ छोड़ कर लंच पर जाने का जिस पर हमने लगातार चिरनिंद्रा में सोए उच्चाधिकारियों को जगाने कई खबरों का प्रकाशन किया जिसके भी उच्चाधिकारियों को सांप सूंघ गया था या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों पर कार्रवाई करने हाथ-पैर फूल रहे थे या यूं कहें कि आपको मालखरौदा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि या उनके आकाओं का डर था,कि फगुरम में कार्रवाई से आपकी नौकरी पर खतरा न पड़ जाये। यही वहज ही नजर आता है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रोग्राम के लापरवाह डॉक्टरों को अभयदान देते रहे, मामला जांजगीर सी एम एच ओ के संज्ञान में लाने के बाद उन्होंने ने भी 3 दिन में कार्रवाई करने का भरोसा दिया, पर कोरोना महामारी के इस दौर में साहब गांधी की इतनी किल्लत की टेबल के नीचे कुछ भी आये। और एक दिन अचानक खबर आई कि मालखरौदा बीएमओ ने अपने लावलश्कर के साथ औचक निरीक्षण किया और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी व कर्मचारियों को क्लीन चिट दे दी।
औचिक निरीक्षण, बात कुछ हजम नही होती,ऐसे में सवाल उठता है साहब ?
लगातार मीडिया में खबर प्रकाशन के बाद क्या फगुरम स्वास्थ्य केंद्र से अधिकारी और कर्मचारी क्या गायब रहेंगे जो आप औचिक निरीक्षण पर पहुंचे। क्या यह नही हुआ होगा कि आपके वहा पहुँचने से पहले किसी ने अंदुरूनी सूचना नही दी होगी क्योंकि साहब भी तो डॉक्टर है।
कार्रवाई से बचाने औचक निरीक्षण का ड्रामा क्यों?
इस पूरे मामले में देखा गया है कि अधिकारियों से लेकर मालखरौदा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों तक ने फगुरम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों का काफी समर्थन किया है और यही वजह है कि औचक निरीक्षण कर उन्हें अभयदान दे दिया गया क्या उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को भगवान भरोसे छोड़ कर खांना खाने एक साथ जाने के लिए जवाब तलब नही करना चाहिए था।
जनप्रतिनिधियों के समर्थन पर हौसले है बुलंद
बता दे कि मीडिया में लगातार खबर प्रकाशन के बाद मालखरौदा क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधियों का भी फोन मालखरौदा क्षेत्र के रिपोर्टरों तक पहुंची है और उन्हें फगुरम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की खबर रोकने तक की बात कही गई परंतु साहब सवाल है जनता की जिंदगी का और यही वजह है कि लगातार इस पर खबर प्रकाशन की गई।
विनोद रायसागर की रिपोर्ट ..
मुंगेली / शौर्यपथ / देश में कोरोना संकट के कारण साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है एवं सोशल डिस्टेंस और सुरक्षा की बात पर हर कोई पहल कर रहा है किन्तु इन सबके बीच मुंगेली के नमकीन पदार्थ निर्माता राम तलेजा के लघु उद्योग नमकीन निर्माण फेक्ट्री में जिस तरह से खाने के सामान के निर्माण में अनियमितता और गंदगी बरती जा रही है उससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि व्यापारी को किसी के जान से कोई मतलब नहीं स्वास्थ्य से मतलब नहीं मतलब है तो सिर्फ रूपये कमाने से . रुपया कमाने की ऐसी प्रवित्ति वाले व्यापारी पर जिला प्रशासन ने कार्यवाही तो कर दी किन्तु क्या सिर्फ कार्यवाही ही ऐसे व्यापारी की सजा है जिसे संकट में भी सिर्फ कमाई की चिंता है वो भी आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करके .
मामला है नया बस स्टैंड मुंगेली के नमकीन व्यापारी राम तलेजा के सलौनी नमकीन फैक्टरी मे छापेमारी की कार्रवाई की गई. छापेमारी के दौरान फैक्टरी मे सलौनी निर्माण हेतु उनके कर्मचारी द्वारा बिना मास्क लगाये एवं पैर से मैदा को मिलाया जा रहा था और सलौनी तला जा रहा था . फैक्टरी मे साफ-सफाई का भी अभाव था. सलौनी के पैकिंग मे न ही निर्माण कम्पनी का नाम और न ही निर्माण तिथि, वैधता तिथि और न ही दर का उल्लेख किया गया था. इनके विरूद्ध भी प्रकरण पंजीबद्ध कर वैधानिक कार्रवाई की गयी.
मुंगेली की आम जनता में चर्चा है कि ऐसे व्यापारी का लाइसेंस निरस्त कर देना चाहिए जो संक्रमण के दौर में भी ऐसी लापरवाही बार्ट रहा है . शासन अपने नियम अनुसार कार्यवाही कर रही है पर जनता को उम्मीद है कि शासन इस मामले पर ऐसी कार्यवाही करेगी जो आने वाले समय में मिसाल के रूप में कायम होगी .
कार्यवाही sdm चार्ली ठाकुर , तहसीलदार अमित सिन्हा , जिला खाद्य अधिकारी विमल दुबे एवं निगम अमले के कर्मचारियों की उपस्थिति में हुई .
धमतरी/नगरी शौर्यपथ
धमतरी/नगरी शौर्यपथ*
गुरुवार 14 मई के दिन, ग्राम गोरेगांव निवासी कृष्ण कुमार मण्डावी की कृषि ऋण पुस्तिका गुम हो जाने की शिकायत नगरी थाने में की गई है ।
कृष्ण कुमार मंडावी कृषि संबंधी अवश्यक कार्य से नगरी तहसील कार्यालय पहुंचकर, बाईक में रखा थैला को खोला तो उनकी तीनों ऋण पुस्तिका गायब थी।
नगरी में जिन स्थानों पर गए थे वहाँ खोजबीन करने के पश्चात। नगरी थाना में शिकायत दर्ज कराई*
तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्रों में सोशल डिस्टेंसींग नही रखा जा रहा है ध्यान
धमतरी/नगरी शौर्य पथ
दीपेश निषाद की रिपेर्ट
तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्रों में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखा जा रहा है । मास्क का प्रयोग भी नही कर रहे हैं।
ग्राम पंचायत अमाली के तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्र में बड़ी लापरवाही देखी गई।
अमाली सेंटर में तेंदूपत्ता लेकर आये ग्रामीण न तो सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रख रहे हैं, न ही मास्क का प्रयोग कर रहे हैं ।
हद तो तब हो गई जब केंद्र के प्रबंधक भी इन नियमों की नियमों का पालन नही कर रहें है।
प्रबंधक ने स्वयं मास्क लगाना जरूरी नहीं समझा ।
ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी लोग कोरोना महामारी की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं ।
Covid 19 pandemic के खतरे के प्रति जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है।
