August 02, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

मनोरंजन / शौर्यपथ / इरफान खान के निधन के बाद उनके बेटे बाबिल खान के सोशल मीडिया अकाउंट पर सभी की नजरें रहती हैं। वो समय-समय पर दिवंगत अभिनेता से जुड़ीं बातें या तस्वीरें पोस्ट करते रहते हैं हालांकि उन्होंने पिछले काफी समय से इरफान के बारे में कुछ साझा नहीं किया है। इस बारे में एक फैन ने बाबिल से पूछा तो उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई।
फैन के सवाल पर दिया जवाब
इंस्टाग्राम पर एक यूजर ने बाबिल से पूछा कि ‘आप कब इरफान सर से जुड़ा कुछ शेयर करने वाले हैं?’ जवाब में बाबिल ने लिखा कि ‘मुझे शेयर करना पसंद है लेकिन तभी मुझे कई मैसेज मिलते हैं जिसमें कहा जाता है कि हमेशा खुद को प्रमोट करता हूं। इससे मुझे वाकई दुख पहुंचा जबकि मैं उनकी यादों को शेयर करता रहता हूं जो वो अपने फैंस के लिए खाली छोड़कर गए। अब मैं वाकई कन्फ्यूजड हूं कि क्या करना चाहिए।‘ बाबिल ने अपने जवाब को इंस्टा स्टोरी पर शेयर किया है।
अब पिता से जुड़ी यादें नहीं करते पोस्ट
बाबिल ने आगे लिखा कि ‘मैं वाकई ये पता करने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन इससे मुझे दुख होता है जब कोई भी आकर मुझे मैसेज करता हूं कि मैं उनकी यादों का सहारा अपने लिए कर रहा हूं। मैं पहले से ही उनका बेटा हूं। मुझे कुछ भी हासिल करने की जरूरत नहीं है। अब मैं हैरान हूं और थोड़ा आहत हुआ हूं इसलिए मैं तब शेयर करूंगा जब मुझे महसूस होगा।‘ बता दें कि पिछले साल 29 अप्रैल को इरफान खान का निधन हो गया। वो दो साल से न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से जूझ रहे थे। इरफान की आखिरी फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ थी।
जल्द डेब्यू करने वाले हैं बाबिल
बाबिल जल्द ही नेटफ्लिक्स की फिल्म Qala से डेब्यू करने वाले हैं। अनुष्का शर्मा के प्रोडक्शन की इस फिल्म का निर्देशन अन्विता दत्त ने किया है। फिल्म में बुलबुल फेम अभिनेत्री तृप्ति डिमरी भी हैं। पिछले दिनों फिल्म का एक टीजर रिलीज किया गया। अमिताभ बच्चन ने टीजर की तारीफ करते हुए सभी को शुभकामनाएं दी थीं।

सेहत / शौर्यपथ / भोजन में नमक और शक्कर की अधिकता को कम करके आप अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाए रख सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वस्थ वयस्कों को दिए गए दिशानिर्देशों में यह सलाह दी है। पारंपरिक रूप से भारत में यूरोप-अमेरिका के मुकाबले ज्यादा नमक व चीनी का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए हमें और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। वैश्विक निकाय के मुताबिक, ये दोनों खाद्य पदार्थ हमारे श्वसन तंत्र की सेहत के लिए खतरनाक साबित होते हैं।
अनप्रोसेज्ड भोजन को प्राथमिकता-
डब्लूएचओ के मुताबिक, दैनिक भोजन में हमें अनप्रोसेस्ड फूड या ऐसे खाद्य पदार्थ को प्राथमिकता देनी चाहिए जो ताजा पकाया गया हो। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रोसेस्ड फूड केमिकल युक्त होता है और इसे पहले से बनाकर रख दिया जाता है। इस तरह के भोजन का उपयोग लंबे समय तक संरक्षित रखने के बाद किया जाता है। लंबे समय तक खराब होने से बचाए रखने के लिए इनमें ऐसी सामग्री का इस्तेमाल होता है जो केमिकल से भरपूर होती हैं। इस तरह के खाद्य से दिल की बीमारी का खतरा बना रहता है। इतना ही नहीं दिल के मरीजों के कोरोना संक्रमित होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।
ऐसा भोजन करें-
डब्लूएचओ के मुताबिक, अपने भोजन में ताजे फलों व हरी सब्जियों को शामिल करें। जिससे आपके शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व विटामिन, खनिज, फाइबर, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट मिल सकें। शाम के समय हल्की भूख लगने पर कच्ची सब्जियां और ताजे फल खाएं। डिब्बाबंद फल या सब्जियां ऐसे खरीदें, जिनमें नमक और शक्कर ज्यादा न हो।
काढ़ा बीमार न कर दे-
पहली लहर में बहुत से लोग घरेलू नुस्खों और जड़ी बूटियों का बहुत अधिक सेवन करने के कारण बीमार पड़े। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मौसम के हिसाब से किया जाने वाला भोजन ही सबसे पोषणयुक्त होता है और यही हमारी प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाता है इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखें। येल यूनिवर्सिटी की इम्युनोलॉजिस्ट अकिको इवासाकी का कहना है कि कई तरह की जड़ीबूटी व काढ़े का उपयोग लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए करते हैं पर समस्या यह है कि इस तरह के कई दावों का कोई प्रमाणिक आधार नहीं है।
व्रत-रोजा रखते हुए ये सावधानी बरतें-
रमजान का महीना चल रहा है और कई लोग साप्ताहिक व्रत भी रखते हैं। सप्ताह में एक दिन व्रत रखने के बारे में वैज्ञानिक मानते हैं कि इससे पाचन तंत्र को लाभ होता है और शरीर के टॉक्सिक बाहर निकल पाते हैं। पर इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि व्रत वाला भोजन ज्यादा तैलीय न हो क्योंकि इससे आपको व्रत रखने का कोई शारीरिक लाभ नहीं मिलेगा। दूसरी ओर, रोजा रखने वाले लोगों को ध्यान रखना चाहिए कि सहरी व इफ्तार के वक्त उन्हें पोषणयुक्त भोजन ही करना है, ज्यादा पानी वाले फल खाएं ताकि रोजे के दौरान शरीर में पानी की भारी कमी न हो जाए।
खूब पानी पियें-
गर्मी शुरू हो चुकी हैं, ऐसे में अपने शरीर में पानी की मात्रा को घटने न दें। पानी पीने के लिए प्यास लगने का इंतजार न करें क्योंकि प्यास का अहसास तब जाकर होता है जब शरीर में पानी की कमी हो चुकी होती है, वैसी स्थिति न आने दें।
मानसिक सेहत पर भी ध्यान-
पिछले एक साल से जारी हालात से परेशान लोगों को अपनी मानसिक सेहत पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए लोगों को हर वक्त कोरोना के बारे में जानने से बचना चाहिए क्योंकि इससे तनाव बढ़ता है। समाचार देखने का एक समय नियत करें, हर वक्त मरीजों-मौतों के आंकड़े घबराहट पैदा करेंगे। रोज 20 मिनट ध्यान लगाना लाभदायक होगा।

व्रत त्यौहार / शौर्यपथ / नवरात्रि के आठवें दिन यानी महाअष्टमी के दिन दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि माता रानी को दूध से बने व्यंजन सर्वाधिक प्रिय है। यही वजह है कि कुछ लोग नवरात्र के दौरान अष्टमी और नवमी के दिन घर पर खीर जरूर बनाते हैं। यूं तो खीर बनाने के कई तरीके होते हैं। लेकिन आज मां दुर्गा के महागौरी रूप को भोग लगाने के लिए आपको बताते हैं कैसे बनाई जाती है काजू-मखाने की खीर।

काजू मखाने की खीर बनाने के लिए सामग्री :
1 लीटर दूध
1 कप मखाने
1 छोटा चम्मच घी
1 छोटा चम्मच चिरौंजी
10 काजू
10 बादाम
1 चम्मच इलायची पाउडर
¼ कप चीनी

काजू मखाने की खीर बनाने की विधि :
सबसे पहले काजू और बादाम महीन-महीन काटकर अलग रख लें।
मखानों को महीन-महीन काट लें और फिर मिक्सी में दरदरा पीस लें।
अब एक भारी तली के पैन में घी गरम करें और उसमें मखानों को 1 मिनट के लिए भून लें।
अब मखानों में दूध डालकर पहले उबाल के बाद आंच को धीमा कर दें।
दूध को तब तक पकने दें जब तक कि मखाने पूरी तरह से गल जाएं।
5-7 मिनट के गैप में खीर को चलाते रहें ताकि वो तली में लगने ना पाए।
अब कटे हुए मेवे और चीनी को खीर में डालकर अच्छी तरह मिलाएं और 5 मिनट बाद इलायची पाडउर डालकर गैस बंद कर दें।

सेहत / शौर्यपथ / लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह कई आवश्यक कार्य करता है, जिसमें प्रोटीन, कोलेस्ट्रॉल और पित्त के उत्पादन से लेकर विटामिन, खनिज और कार्बोहाइड्रेट का उत्पादन करना भी शामिल हैं।
इसके अलावा यह शराब, दवाओं और अन्य विषाक्त पदार्थों को भी तोड़ता है। स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अपने लिवर को ठीक रखना महत्वपूर्ण है।
हमारा शरीर हर बीमारी से पहले या कोई खराबी आने पर कई संकेतों को दर्शाता है। ऐसे ही, अगर लिवर में कुछ खराबी है, तो इसे पहचानने के कई संकेत हो सकते हैं जैसे -
भूख न लगना
वज़न घटना
कमजोरी
पेट में दर्द और सूजन
थकान
आंखों का पीलापन
ऐसे में अपने लिवर को स्वस्थ रखने के लिए इन फूड्स को अपनाएं:
ऑक्सीडेटिव डैमेज रोके चुकंदर:
चुकंदर का रस लिवर को ऑक्सीडेटिव डैमेज और सूजन से बचाने में मदद करता है और इसके प्राकृतिक डेटोक्स एंजाइमों को बढ़ाता है। चुकंदर का रस नाइट्रेट्स और एंटीऑक्सिडेंट्स का एक स्रोत है, जिसे बीटैलेंस कहा जाता है। यह हृदय स्वास्थ्य में भी वृद्धि करता है।
लिवर स्वस्थ रखे अखरोट:
अखरोट ओमेगा - 3 फैटी एसिड्स में बहुत समृद्ध होते हैं। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन के अनुसार जो लोग फैटी लिवर डिजीज से पीडित हैं, उन्हें ओमेगा - 3 युक्त खाद्य पदार्थ अपने आहार में ज़रूर शामिल करने चाहिए। इसे खाने से लिवर के फंक्शन इम्प्रूव होते हैं।
बेरी और क्रैनबेरी:
ब्लूबेरी और क्रैनबेरी दोनों में एंथोसायनिन, एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो लिवर के लिए बेहद फायदेमंद माने जाते हैं। इसके साथ ही एनसीबीआई के अनुसार 21 दिनों तक इन फलों का सेवन करने से लीवर को नुकसान से बचाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, ब्लूबेरी इम्यून सेल और एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम को बढ़ाने में मदद करते हैं।
हरी-पत्तेदार सब्जियां फैट को कम करें :
हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से लिवर के आस पास फैट जमा नहीं होता है। पालक, ब्रोकोली, स्प्राउट्स और केल जैसी सब्जियां हर अंग से फैट लॉस करने में मदद करती हैं। इसलिए, हरी सब्जियों को अपने आहार में ज़रूर शामिल करें।
इन्फ्लेमेशन दूर करे मछली :
ओमेगा -3 फैटी एसिड में सैल्मन, सार्डिन, ट्यूना और ट्राउट जैसी मछलियां उच्च हैं। ओमेगा -3 फैटी एसिड लिवर वसा के स्तर को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है और सूजन को कम करता है।
लिवर एंजाइम सुधारे चाय और कॉफी :
मॉडरेशन में चाय और कॉफी पीने के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। ये दोनों ही लिवर के एंजाइम को सुधारती हैं, जिससे फैट कम होता है, खाना आसानी से पचता है, और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस में कमी आती है। ये सभी आगे चलकर लिवर में समस्याओं का कारण बनते हैं। इसलिए, ग्रीन टी और ब्लैक कॉफी का सेवन किया जा सकता है।

आस्था /शौर्यपथ /नवरात्र अब अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है। आज मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। आठवें दिन महागौरी की पूजा देवी के मूल भाव को दर्शाता है। देवीभागवत पुराण के अनुसार, मां के नौ रूप और 10 महाविद्याएं सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं लेकिन भगवान शिव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान रहती हैं। इनकी शक्ति अमोघ और सद्य: फलदायिनी है। नवरात्र की अष्टमी तिथि को विशेष महत्व रखती है क्योंकि कई लोग इस दिन कन्या पूजन कर अपना व्रत खोलते हैं। आइए जानते हैं कि मां महागौरी के बारे में विशेष बातेंज्
इस तरह मां का नाम पड़ा महागौरी
देवीभागवत पुराण के अनुसार, देवी पार्वती का जन्म राजा हिमालय के घर हुआ था। देवी पार्वती को मात्र 8 वर्ष की उम्र में अपने पूर्वजन्म की घटनाओं का आभास हो गया है और तब से ही उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या शुरू कर दी थी। अपनी तपस्या के दौरान माता केवल कंदमूल फल और पत्तों का आहार करती थीं। बाद में माता केवल वायु पीकर तप करना आरंभ कर दिया। तपस्या से देवी पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ था इसलिए उनका नाम महागौरी पड़ा। इस दिन दुर्गा सप्तशती के मध्यम चरित्र का पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
कल्याणकारी हैं मां महागौरी
माता की तपस्या की प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे गंगा स्नान करने के लिए कहा। जिस समय मां पार्वती स्नान करने गईं तब देवी का एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुईं, जो कौशिकी कहलाईं और एक स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, जो महागौरी कहलाईं। गौरी रूप में मां अपने हर भक्त का कल्याण करती हैं और उनको समस्याओं से मुक्त करती हैं। जो व्यक्ति किन्हीं कारणों से नौ दिन तक उपवास नहीं रख पाते हैं, उनके लिए नवरात्र में प्रतिपदा और अष्टमी तिथि को व्रत रखने का विधान है। इससे नौ दिन व्रत रखने के समान फल मिलता है।
ऐसा है मां का स्वरूप
देवीभागवत पुराण के अनुसार, महागौरी वर्ण पूर्ण रूप से गौर अर्थात सफेद हैं और इनके वस्त्र व आभूषण भी सफेद रंग के हैं। मां का वाहन वृषभ अर्थात बैल है। मां के दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है
और नीचे वाला हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशुल है। महागौरी के बाएं हाथ के ऊपर वाले हाथ में शिव का प्रतीक डमरू है। डमरू धारण करने के कारण इन्हें शिवा भी कहा जाता है। मां के नीचे वाला हाथ अपने भक्तों को अभय देता हुआ वरमुद्रा में है। माता का यह रूप शांत मुद्रा में ही दृष्टिगत है। इनकी पूजा करने से सभी पापों का नष्ट होता है।
भोग में मां को चढ़ाएं यह चीज
नवरात्र की अष्टमी तिथि को मां को नारियल का भोग लगाने की पंरपरा है। भोग लगाने के बाद नारियल को या तो ब्राह्मण को दे दें अन्यथा प्रशाद रूप में वितरण कर दें। जो भक्त आज के दिन कन्या पूजन करते हैं, वह हलवा-पूड़ी, सब्जी और काले चने का प्रसाद विशेष रूप से बनाया जाता है। महागौरी को गायन और संगती अतिप्रिय है। भक्तों को पूजा करते समय गुलाबी रंग के वस्त्र पहनना चाहिए। गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। एक परिवार को प्रेम के धागों से ही गूथकर रखा जा सकता हैं, इसलिए नवरात्र की अष्टमी को गुलाबी रंग पहनना शुभ माना जाता है।
मां का ध्यान मंत्र
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभू?तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
पूजा करने से होती है सौभाग्य की प्राप्ति
जो भक्त इस दिन कन्या पूजन करते हैं, वह माता को हलवा व चना के प्रसाद का भोग लगाना चाहिए। इस दिन कन्याओं को घर पर बुलाकर उनके पैरों को धुलाकर मंत्र द्वारा पंचोपचार पूजन करना चाहिए। रोली-तिलक लगाकर और कलावा बांधकर सभी कन्याओं को हलाव, पूरी, सब्जी और चने का प्रशाद परोसें। इसके बाद उनसे आशीर्वाद लें और समाथ्र्यनुसार कोई भेंट व दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए। ऐसा करने से भक्त की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मां का यह रूप मोक्षदायी है इसलिए इनकी आराधना करने से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।

दुर्ग / शौर्यपथ / जिला प्रशासन ने लॉक डाउन की तिथि २६ अप्रैल तक बढ़ा दी और साथ ही ज़रूरत के सामानों के लिए स्ट्रीट वेंडर द्वारा सामन विक्रय की बात कही गयी किन्तु कागजो में बना ये नियम जमीनी हकीकत से काफी दूर नजर आ रहा है . स्ट्रीट वेंडर चौक चौराहों में दूकान सजाये बैठे है अधिकतर स्ट्रीट वेंडर सब्जी व फल विक्रय कर रहे है किन्तु अन्य ज़रूरत की सामग्री जैसे राशन के लिए आम जनता आज भी भटकती नजर आ रही है . उपर से स्ट्रीट वेंडर द्वारा विक्रय किये गए सामानों की कीमत आसमान छुती नजर आ रही है . सभी वस्तुए महँगी बिक रही है .
जमीनी हकीकत देखे तो दूकान शटर से बाहर हाँथ ठेले में नजर आ रहा है हर कोई चौक चौराहों में छोटा सा बाजार लगा कर सामान का विक्रय कर रहा है . ये स्ट्रीट वेंडर कौन है और इनका स्वास्थ्य कैसा है क्या इनमे से कोई संक्रमित है अगर ऐसा होता है तो जिला प्रशासन की लॉक डाउन के दौरान कोरोना संक्रमण को काबू पाने की सभी आशाये धूमिल हो जायेंगी . ना ही स्ट्रीट वेंडर की पहचान है और ना ही उनके स्वास्थ्य का कोई परिक्षण का पैमाना ऐसे में अगर शहर में एक बार फिर कोरोना की गति ने रफ़्तार पकड़ लिया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा .
वर्तमान समय में दुर्ग के विधायक और महापौर सिर्फ बड़े बड़े वादे करते नजर आ रहे है पत्र लिख कर कभी निगम प्रशासन की कभी स्वास्थ्य विभाग की तो कभी जिला प्रशासन की शिकायत मंत्री से करने की बात कह रहे है . आम जनता को ऐसा लग रहा है जैसे कि शहर के महापौर और विधायक सत्ता पक्ष के ना होकर विपक्ष के है जो ना तो जिला प्रशासन से ताल मेल बैठा पा रहे है और ना ही जनता के बीच नजर आ रहे है . छोटी छोटी बातो का प्रचार कर पेपर की कटिंग को प्रोफाइल में अपलोड कर अपनी सक्रियता जरुर दिखा रहे है किन्तु ये सक्रियता भी अल्प ज्ञान का प्रतिक ही नजर आ रही है . आज जिला अस्पताल में १७०-१८० बेड है किन्तु विधायक द्वारा १२० बेड होने की बात कही जा रही है तो क्या जिला प्रशासन झूठ बोल रही है या फिर विधायक आम जनता और उच्च मंत्रियो को गलत जानकारी दे रहे है .
आम जनता आज अपने विधायक से और महापौर से ये सवाल कर रही है की इस विपत्ति के समय विधायक ने विधायक निधि से दुर्ग विधान सभा क्षेत्र के लिए क्या योगदान दिया महापौर बाकलीवाल ने निगम क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओ के लिए महापौर निधि से क्या योगदान दिया जिसका जवाब के लिए सभी की निगाहें विधायक और महापौर के ऊपर टिकी है ...

दुर्ग / शौर्यपथ / भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव सोमवार को पं. जवाहर लाल नेहरू अस्पताल सेक्टर 9 का निरीक्षण करने पहुंचे। अस्पताल के सभी वार्डों का बारिकी से निरीक्षण किया और मरीजों का हालचाल भी जाने । साथ ही अस्पताल के डॉक्टरों के साथ करीब 1 घंटे तक बैठक कर अस्पताल की व्यवस्था के संबंध में चर्चा की। साथ ही विधायक देवेंद्र यादव ने अस्पताल प्रबंधन को भरोसा दिलाया कि शासन प्रशासन से पूरा सहयोग मिलेगा। अस्पताल में आने वाले मरीजों को बेहतर से बेहतर इलाज मिल सकें। इसके लिए वे सब मिलकर पूरा प्रयास करेंगे।
सोमवार को विधायक देवेंद्र यादव सेक्टर 9 अस्पताल पहुंचे। सबसे पहले वे अस्पताल के सभी वार्डों का भ्रमण किए और बारिकी से वार्डों का निरीक्षण किए। मरीजों से मिलकर उनका हालचाल जाना और पूछा कि उन्हें अस्पताल में कोई दिक्कत या परेशानी तो नहीं है। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों के साथ विधायक देवेंद्र यादव ने करीब 1 घंटे तक बैठक कर अस्पताल में मरीजों के बेहतर इलाज के संबंध और मेन पावर बढ़ाने जैसे जरूरी विषयाें पर चर्चा की। इसके साथ ही विधायक देवेंद्र यादव ने अस्पताल में ऑक्सीजन बेड की संख्या बढ़ाने और जरूरी इक्यूपमेंट बढ़ाने के विषय पर भी चर्चा किए। चर्चा में यह बात सामने आई की कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने की वजह से सेक्टर 9 अस्पताल में भी मेन पावर की कमी महसूस की जा रही है। इसके लिए भिलाई के नर्सिंग कॉलेज के फाइनल ईयर के स्टूडेंट को जॉब देकर इस समस्या का समाधान निकालने के विषय पर चर्चा की गई। इसके अलावा बीएसपी प्रबंधन सेक्टर 9 होस्पिटल में वेंटिलेटर से लेकर सभी प्रकार की जरूरी सुविधा बढ़ाने पर चर्चा की गई। जिस पर सीईओ ने विधायक के साथ पहले हुई बैठक में सहमति दे चुके हैं। अस्पताल में एक घंटे चली विशेषज्ञ डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन के बैठक में विधायक यादव ने ऑक्सीजन वाले बेड की संख्या बढ़ाने के साथ ही वेंटिलेटर आदि की सुविधा भी बढ़ाने पर जोर दिया है। ताकि यहां आने वाले मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकें। साथ ही टाउनशिप में स्थिति बीएसपी के जितने भी स्वास्थ्य केंद्र हैं। उन्हें भी एनजीओ को देकर डेवलप कर सुविधाएं बढ़ाने की रूप रेखा तैयार की गई । ताकि इन स्वास्थ्य केंद्रों में कोरोना मरीजों की भर्ती कर उनका इलाज किया जा सकें।

रायपुर / शौर्यपथ /  छत्तीसगढ़ कोविड 19 वैक्सीनेशन में पूरे देश में सातवंे स्थान पर है। राज्य में कुल जनसंख्या के 15.17 प्रतिशत लोगों केा मतलब 44 लाख 49 हजार से अधिक को वैक्सीन का पहला डोज दिया जा चुका है। राष्ट्रीय औसत 7.79 प्रतिशत है। केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप, अंडमान निकोबार, लदाख के साथ राज्यों में सिक्किम,त्रिपुरा,हिमाचल प्रदेश केवल छत्तीसगढ़ से आगे हैं। कल 18 अप्रैल तक की स्थिति में यहां 45 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 66 प्रतिशत लोगों को पहली डोज लग चुकी है। इसके अलावा 88 प्रतिशत हेल्थ केयर वर्कर, 91 प्रतिशत फ्रंट लाइन वर्कर को भी वैक्सीन की पहली खुराक दी गई है।

राहत : प्रदेश में पिछले तीन दिनों में करीब 35 हजार कोरोना मरीज स्वस्थ हुए
अस्पतालों और होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे मरीज रोज बड़ी संख्या में हो रहे हैं ठीक
18 अप्रैल को 14 हजार से अधिक मरीज डिस्चार्ज

रायपुर / शौर्यपथ / प्रदेश में रोज बड़ी संख्या में कोरोना मरीज ठीक हो रहे हैं। विगत 18 अप्रैल को एक ही दिन में 14 हजार 075 मरीजों ने कोरोना को मात दी है। पिछले तीन दिनों में प्रदेश भर में 34 हजार 961 लोग कोविड-19 से उबर चुके हैं। प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों, कोविड केयर सेंटरों और होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे 11 हजार 807 मरीज 16 अप्रैल को और 9079 मरीज 17 अप्रैल को डिस्चार्ज किए गए हैं। 18 अप्रैल को रायपुर जिले में 4627, दुर्ग में 3092, महासमुंद में 1284, बिलासपुर में 925, राजनांदगांव में 752 और रायगढ़ में 584 मरीज कोरोना से पूरी तरह ठीक हुए हैं।
पिछले तीन दिनों में स्वस्थ हुए लगभग 35 हजार कोरोना संक्रमितों में से 34 हजार 447 ने होम आइसोलेशन में रहकर अपना इलाज करवाया है। वहीं पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के बाद 514 मरीजों को विभिन्न अस्पतालों और कोविड केयर सेंटरों से डिस्चार्ज किया गया है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण की शुरूआत के बाद से अब तक पॉजिटिव पाए गए पांच लाख 44 हजार 840 मरीजों में से चार लाख दस हजार 913 लोग ठीक हो चुके हैं। इनमें से एक लाख 12 हजार 595 संक्रमितों का कोविड अस्पतालों और कोविड केयर सेंटरों में इलाज किया गया है। वहीं दो लाख 98 हजार 318 मरीजों ने होम आइसोलेशन में उपचार कराकर कोरोना को मात दी है।

तात्कालिक आवश्यकतानुसार कलेक्टर खरीद सकेंगे रेमडेसिविर और जीवन रक्षक दवाईयां
ग्रामीण क्षेत्र में कोविड-19 के लक्षण वाले मरीजों को मितानिनों के माध्यम से वितरित किए जाएंगे आवश्यक दवाईयों के किट: स्वास्थ्य विभाग विशेषज्ञों के माध्यम से तैयार कराएगा दवाईयों का किट
मुख्यमंत्री ने दी बालोद और मुंगेली में आरटीपीसीआर टेस्टिंग लैब की मंजूरी
कोविड मरीजों के घरों में पोस्टर की जगह स्टेंसिल पेंट कर प्रदर्शित की जाएगी सूचना
जिलों में पॉजिटिविटी रेट 5 प्रतिशत से नीचे लाने का किया जाए प्रयास
ग्रामीण क्षेत्रों में क्वॉरेंटाईन सेंटर और आइसोलेशन सेंटर की अलग-अलग की जाए व्यवस्था
रेल्वे स्टेशन, बस स्टैण्ड और अंतर्राज्यीय सीमाओं पर कड़ाई से की जाए टेस्टिंग
मुख्यमंत्री ने राज्य के 11 जिलों में कोरोना की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संवेदनशील पहल करते हुए कलेक्टरों को तात्कालिक आवश्यकतानुसार रेमडेसिविर और अन्य आवश्यक जीवन रक्षक दवाईयों की खरीदी की अनुमति प्रदान कर दी है। उन्होंने बालोद और मुंगेली में आरटीपीसीआर टेस्टिंग लैब की स्थापना की भी स्वीकृति प्रदान की है। मुख्यमंत्री ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल बैठक में प्रदेश के 11 जिलों में कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति और उससे नियंत्रण के उपायों की समीक्षा के दौरान ये स्वीकृतियां प्रदान की। मुख्यमंत्री द्वारा कोरोना की वर्तमान स्थिति के मद्देनजर जिलों की लगातार समीक्षा की जा रही है। इसी कड़ी में आज उन्होंने महासमुंद, गरियाबंद, धमतरी, बालोद, कबीरधाम, मुंगेली, गौरेला-पेंड्रा- मरवाही, सरगुजा, सूरजपुर, कोरिया और बलरामपुर जिले की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री बघेल ने समीक्षा करते हुए कहा कि हमें बिना थके, बिना रूके कोरोना से लड़ाई जीतना है। सबके सहयोग और टीम भावना के साथ व्यवस्थित रूप से काम करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को जल्द से जल्द उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग विशेषज्ञों के माध्यम से आवश्यक दवाईयों का किट तैयार करे और मितानिनों के माध्यम से इस किट के वितरण करने की व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कलेक्टरों ने अपने स्तर पर बेहतर व्यवस्था की है। इसमें सतत निगरानी रखी जाए और कोरोना पर शीघ्रता से नियंत्रण के लिए जिलों में पॉजिटिविटी रेट 5 प्रतिशत से नीचे लाने का हर संभव प्रयास हो। उन्होंने कहा कि कलेक्टर यह भी ध्यान रखें कि लॉकडाउन के दौरान आम जनता को कोई परेशानी न हो तथा अनावश्यक रूप से आवाजाही करने वालों पर सख्ती से रोक लगाई जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यकता के अनुरूप जरूरतमंदों को मनरेगा के माध्यम से रोजगार भी उपलब्ध कराया जाए।
मुख्यमंत्री बघेल ने कलेक्टरों से कहा कि बाहर से आने वाले लोगों की रेल्वे स्टेशनों, बस स्टैण्डों तथा अंतर्राज्यीय सीमाओं के खासकर एंट्री प्वाइंट पर ही कड़ाई से टेस्टिंग सुनिश्चित की जाए ताकि बाहर से आने वाला कोई भी व्यक्ति टेस्टिंग से न छूटे। बाहर से आने वाले लोगों का टेस्टिंग के उपरांत रिपोर्ट के आधार पर क्वॉरंटाईन सेंटर और आइसोलेशन केन्द्र में अलग-अलग रखने की व्यवस्था की जाए। आइसोलेशन वालों की निगरानी भी की जाए। इसके लिए उन्होंने हर ग्राम पंचायतों में क्वॉरंटाईन सेंटर तथा आइसोलेशन सेंटर की व्यवस्था के लिए आवश्यक निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड संक्रमित मरीजों के घरों में पोस्टर की जगह स्टेंसिल पेंट कर सूचना प्रदर्शित की जाए। उन्होंने कहा कि घरों में लगाए जाने वाले पोस्टर अक्सर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। घर में प्रदर्शित की जाने वाली सूचना का संदेश सकारात्मक हो एवं प्रेरणादायी नारों से युक्त हो। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग संदेश का प्रारूप डिजाईन कर उपलब्ध कराए।
मुख्यमंत्री ने बैठक में सभी जिलों में ऑक्सीजन बेड, आईसीयू बेड, वेंटिलेटर वाले बेड की उपलब्धता, ऑक्सीजन की सप्लाई चैन, ऑक्सीजन सिलेंडरों की उपलब्धता और रोटेशन, मेडिकल स्टाफ की उपलब्धता और उनकी भर्ती की प्रगति, रेमडेसिविर और अन्य आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता तथा सीएसआर मद, औद्योगिक क्षेत्र और सामाजिक संगठनों के सहयोग से किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की।
बैठक में स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि होम आइसोलेशन वाले मरीजों का फालोअप किया जा रहा है। कलेक्टर, एसपी, सीएमएचओ, सीईओ और संभव हो तो जनप्रतिनिधि प्रतिदिन 10-10 मरीजों से टेलीफोन पर संपर्क कर उनकी स्थिति की जानकारी लेकर उनके उपचार में सहायता करे।
बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्रीमती रेणु जी. पिल्ले, अपर मुुख्य सचिव सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, श्रम सचिव अंबलगन पी., सम्बंधित संभाग के कमिश्नर, आई.जी., इन सभी 11 जिलों के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक शामिल हुए।

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