March 27, 2025
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खाना खजाना /शौर्यपथ / बच्चों के टिफिन में ऐसा क्या दें जिसे वो पूरा खत्म कर लें और मजे से खाएं. ये टेंशन हर उस मां को होती है जो अपने बच्चे को स्कूल भेजते समय उनका टिफिन पैक करती है. अक्सर ये टेंशन होती है कि बच्चों को ऐसा क्या दिया जाए जो हेल्दी होने के साथ टेस्टी भी हो. बता दें कि आज हम आपको एक ऐसी ही पौष्टकता सेभरपूर रेसिपी बताएंगे जिसे आप अपने बच्चों को अलग-अलग फिलिंग्स के साथ बनाकर दे सकते हैं. हम आपको बताएंगे टेस्टी रैप बनाने की रेसिपी.
आलू चना रैप बनाने की रेसिपी
सामग्री
    आलू
    प्याज
    चने
    धनिया के पत्ते
    मटर
    टॉर्टिलाज
    ऑलिव ऑयल
    जीरा
    हल्दी
    गरम मसाला
    शहद
    ऑयल स्प्रे
    काले तेल
आलू रैप रेसिपी
आलू चना रैप बनाने के लिए सबसे पहले अवन को 180°C पर गरम कर के इसमें बेकिंग पेपर लगाकर ट्रे को रख दें. अब उबले हुए आलू को अच्छे से मैश कर के कुछ देर के लिए रख दें. अब एक पैन में ऑलिव ऑयल को गर्म करें इसमें कटा हुआ प्याज डालकर नर्म होने तक पकाएं. इसके बाद इसमें 1  चम्मच जीरा, आधा चम्मच हल्दी और दो चम्मच गरम मसाला डालकर अच्छे से मिक्स कर दीजिए. मसालों के साथ प्याज को मिलाकर कुछ देर तक भून लीजिए. अब मैश्ड आलू को प्याज के साथ मिला लें. इसमें 3 बड़े चम्मच पानी को डालने के साथ ही इसमें चने, शहद, मटर के दाने, हरा धनिया डालकर अच्छी तरह से मिला लें. अब इस मिक्सचर को टॉर्टिला रैप पर अच्छे से फिल करें. इन टॉर्टिला को अवन ट्रे पर रखें और तेल लगाकर 10 मिनट तक बेक कर लें. हरा धनिया के साथ गार्निश कर के टिफिन में पैक कर दें. आपके बच्चे इसे बहुत ही मजे से खाएंगे.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ /देसी घी को अगर भारतीय किचन की जान कहा जाए तो ऐसा कहना शायद गलत नहीं होगा. अपने पोषक तत्वों से भरपूर होने के ही साथ ये खाने का स्वाद भी बढ़ाता है. स्वाद और सेहत से भरपूर देसी घी का तड़का किसी भी सब्जी या दाल में एक अलग स्वाद जोड़ता है. इसके साथ ही देसी घी में बने पराठे, पूरी और देसी घी लगी रोटी का भी अपना एक अलग स्वाद होता है. अब जब हम सभी जानते हैं कि देसी घी हमारे खाने में कितना खास है. इस वजह से कई लोग इसे अपने घर में स्टोर कर के रखते हैं. इसका ढेर सारा स्टॉक जमा कर लेते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा करना सही भी है या नही. क्या देसी घी भी कभी एक्सपायर हो सकता है? अगर आपके मन में भी कुछ ऐसे ही सवाल हैं तो आइए इस कंफ्यूजन को दूर करते हैं.
क्या देसी घी भी कभी एक्सपायर होता है?  
क्या आपके मन में भी कभी ये सवाल आया है कि देसी घी भी कभी एक्सपायर या खराब हो सकता है. तो इसका जवाब है हां, जिस तरह से बाकी चीजें खराब होती हैं ठीक उसी तरह से देसी घी भी खराब हो सकता है. बाजार से लाए गए देसी घी में एक्सपायरी डेट लिखी होती है. वो टाइम ही इसे यूज करने का सही समय होता है. वहीं जो देसी घी आप घर पर बनाते हैं वो भी खराब होता है. जब देसी घी की महक बदलने लगे और स्वाद बदलने लगे तो समझ जाएं कि वो खराब हो गया है.
कैसे करें स्टोर
बता दें कि अगर आप देसी घी को सही तरीके से स्टोर करते हैं तो वो 3 साल तक भी खराब नहीं होता है. इसके लिए आपको देसी घी को एयर टाइट कंटेनर में स्टोर करके रखना चाहिए. इसमें हवा ना पहुंचने से ये लंबे समय तक खराब होने से बचा रहता है. इसके साथ ही कोशिश करें कि देसी घी को हमेशा कांच के कंटेनर में ही स्टोर कर के रखें. इसके अलावा आप देसी घी को फ्रिज में स्टोर कर के भी रख सकते हैं.
आप चीजों को लंबे समय तक और सही तरीके से स्टोर कर के रख सकते हैं. लेकिन फायदा उसी में है जब आप चीजों को कम मात्रा में बनाएं और समय रहते उनका इस्तेमाल कर लें.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / आंवला जूस सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है. इसमें विटामिन C, एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर, और कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. आंवले के जूस का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. अगर आप एक महीने तक नियमित रूप से आंवला जूस का सेवन करते हैं तो इससे आपको कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं. आइए जानते हैं 1 महीने तक अगर आप लगातार आंवला जूस का सेवन करते हैं तो आपको क्या लाभ मिलेगा.
1. स्ट्रांग इम्यूनिटी
आंवले में विटामिन C की उच्च मात्रा होती है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर शरीर को संक्रमण से लड़ने में सहायक है. रोजाना आंवला जूस पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
2. बेहतर डाइजेशन
आंवला जूस का सेवन पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है. यह कब्ज, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याओं को दूर करता है और आंतों की सफाई करता है.
3. ग्लोइंग स्किन
आंवला जूस पीने से त्वचा में चमक आती है और दाग-धब्बे कम होते हैं. यह एक नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट है, जो स्किन को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है, जिससे स्किन लंबे समय तक जवां दिखती है.
4. वेट लॉस
आंवला जूस मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे कैलोरी बर्न करने में मदद मिलती है. एक महीने तक आंवला जूस का सेवन वजन घटाने में मदद कर सकता है.
5. बालों के लिए फायदेमंद
आंवला जूस में मौजूद पोषक तत्व बालों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं, बालों के झड़ने की समस्या कम करते हैं और बालों को घना, चमकदार बनाते हैं.
कैसे करें सेवन:
    आंवला जूस को सुबह खाली पेट पीना फायदेमंद माना जाता है.
    अगर जूस का स्वाद कड़वा या तीखा लगता है, तो इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर पी सकते हैं.
    ध्यान रखें कि इसका अधिक मात्रा में सेवन न करें, क्योंकि इससे पेट में जलन या एसिडिटी हो सकती है.
    नियमित रूप से आंवला जूस का सेवन सेहत के लिए लाभकारी है. यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है, त्वचा को निखारता है, और कई गंभीर बीमारियों से भी बचाने में सहायक है.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह की अमावस्या पर दिवाली मनाई जाती है. दिवाली दीपों का पर्व है जिसमें रोशनी से हर गली-मोहल्ले जगमगाते नजर आते हैं. दिवाली की रात मां लक्ष्मी  और भगवान गणेश का पूरे मनोभाव से पूजन किया जाता है. इस साल 31 अक्टूबर के दिन दिवाली मनाई जा रही है. माना जाता है कि लक्ष्मी-गणेश की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है सो अलग. इस दिन घर में मां लक्ष्मी के कदमों की छापलगाने की भी विशेषता होती है. ऐसे में जानिए किस तरह दिवाली पर फर्श पर मां लक्ष्मी के कदमों की छाप लगाई जाए जिससे घर-परिवार को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो.
मां लक्ष्मी के कदमों की छाप कहां लगाएं
माना जाता है कि दिवाली पर मां लक्ष्मी के कदम घर पर लगाने से मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है. मां लक्ष्मी घर आती हैं तो अपने साथ सुख-समृद्धि और खुशहाली भी लाती हैं. घर में धन-वैभव आने लगता है और आर्थिक दिक्कतें दूर रहती हैं. मां लक्ष्मी के कदमों की छाप आमतौर पर बाजार से खरीदकर लाई जाती है.
मां लक्ष्मी के कदम घर के मंदिर की ओर जाते हुए लगाने चाहिए. इस तरह कदम लगाना बेहद शुभ माना जाता है. मंदिर की ओर जाते हुए मां लक्ष्मी के कदम लगाना इस ओर संकेत करता है कि माता घर में प्रवेश कर रही हैं और घर के मंदिर में विराजमान होने आ रही हैं. मां लक्ष्मी घर के मंदिर में रहती हैं तो घर-परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं जिससे घर में बरकत आती है.
घर पर मां लक्ष्मी के जो कदम लगाए जा रहे हैं वो लाल, गुलाबी, पीले या हरे रंग के हो सकते हैं. रंग-बिरंगे कदम लगाना भी शुभ माना जाता है.
कहां नहीं लगाने चाहिए मां लक्ष्मी के कदम
बहुत से लोग मां लक्ष्मी के कदमों को सजावट की तरह इस्तेमाल करते हैं. सजावट करने के लिए ज्यादातर लोग घर के मुख्यद्वार पर मां लक्ष्मी के कदमों की छाप लगा देते हैं परंतु इसे सही नहीं माना जाता है. मां लक्ष्मी के कदमों को मुख्य द्वार पर लगाने से जाने-अनजाने लोग कदमों पर पैर रख सकते हैं. इसे मां लक्ष्मी का अपमान माना जाता है और इससे मां लक्ष्मी क्रोधित हो सकती हैं. वहीं, बाथरूम या कूड़ेदान के पास भी मां लक्ष्मी के कदम नहीं लगाने चाहिए.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / 5 दिनों तक चलने वाले दीपावली के त्योहार की शुरुआत धनतेरस के साथ होती है. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना करने के साथ ही मां लक्ष्मी  को प्रसन्न करने के लिए लोग घर में कोई नई चीज खरीद कर लाते हैं. इस दिन सोना , चांदी  या पीतल खरीदने का महत्व होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो लोग पहले से ही करोड़पति हैं वो लोग धनतेरस पर अपने घर ऐसी कौन सी चीज लाते हैं जिससे मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती है और साल भर उन पर पैसों की बरसात होती है. तो चलिए हम आपको बताते हैं सोना चांदी के अलावा करोड़पति लोग अपने घर में धनतेरस के दिन ऐसा क्या लाते हैं जिसे आप भी खरीद सकते हैं.
एक छोटी सी चम्मच धनतेरस पर ले आएं घर
धनतेरस पर अधिकतर लोग सोने चांदी के आभूषण सिक्के या अन्य चीजें खरीदते हैं. लेकिन करोड़पति लोग अमीर होने के बावजूद भी धनतेरस पर एक छोटी सी चम्मच जरूर खरीदते हैं. हालांकि, इस चम्मच का इस्तेमाल खाने में नहीं किया जाता है, बल्कि इस चम्मच को तिजोरी में रखना बहुत उत्तम माना जाता है. कहते हैं ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती हैं और साल भर धन की कमी घर में नहीं होती है और तो और धन में बढ़ोतरी होती है. आप अपनी सुविधा अनुसार चांदी, पीतल या स्टील का चम्मच भी खरीद कर ला सकते हैं और धनतेरस पर इसकी पूजा करने के बाद इसे तिजोरी में रखें.
कब मनाया जाएगा धनतेरस का त्योहार
दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से ही होती है और धनतेरस का त्योहार इस बार 29 अक्टूबर 2024 के दिन मनाया जाएगा.  इस दिन घरों में मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के साथ ही भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है, साथ ही कुबेर देव को भी पूजा जाता है. आप अपने घर में एक चौमुखी आटे का दीपक जरूर जलाएं और धनिया के बीज, कौड़ी, चम्मच और एक झाड़ू अवश्य खरीद कर लाएं. कहते हैं धनतेरस के दिन ये चीजें खरीदने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और हमेशा अपने भक्तों पर धन की वर्षा करती हैं.

ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /बालों की देखरेख करने के लिए सिर पर तेल लगाया जाता है. लेकिन, अगर सही तेल और सही तरह से तेल ना लगाया जाए तो बालों पर कुछ खासा असर नहीं पड़ता है. ऐसे में यहां उस तेल का जिक्र किया जा रहा है जिसे उसके आयुर्वेदिक गुणों के लिए जाना जाता है. इस तेल को दादी-नानी भी अपने समय में खूब इस्तेमाल किया करती थीं और आज भी बालों की इसी से चंपी करती हैं. हम बात कर रहे हैं सरसों के तेल की. सरसों का तेल एक नहीं बल्कि कई गुणों से भरपूर होता है और बालों को कई फायदे देता है. यहां जानिए बालों पर सरसों का तेल लगाने का सही तरीका क्या है जिससे बालों की ग्रोथ बेहतर होती है और बाल लंबे होने लगते हैं.
बाल बढ़ाने के लिए सरसों का तेल | Mustard Oil For Hair Growth
सरसों के तेल में फैटी एसिड्स, विटामिन, खनिज, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड्स पाए जाते हैं जो बालों की सेहत बनाए रखते हैं. सरसों के तेल से बालों को मिलने वाला विटामिन ई एक पावरफुल एंटी-ऑक्सीडेंट्स है जो हेयर फॉलिकल्स को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाता है. इस तेल में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पौटेशियम होते हैं जो ऑवरओल हेयर हेल्थ को बनाए रखते हैं.
आमतौर पर लोग सरसों के तेल को जस का तस ही बालों पर लगा लेते हैं जबकि इस तेल को गुनगुना गर्म करके बालों पर लगाया जाए तो बाल ज्यादा तेजी से बढ़ सकते हैं. सरसों का तेल हल्का गर्म करें और बालों की जड़ों से लेकर सिरों तक लगा लें. इस तेल से बालों की चंपी करें और एक से डेढ़ घंटे इसे बालों में लगाकर रखने के बाद धोकर हटा लें. बालों को बढ़ने (Hair Growth) में मदद मिलेगी, बाल घने होंगे, बालों का टेक्सचर बेहतर होने लगेगा और बालों का झड़ना कम होने में भी मदद मिलेगी.
सरसों के तेल से बालों के लिए हेयर मास्क भी बनाया जा सकता है. हेयर मास्क (Hair Mask) बनाने के लिए दही में सरसों का तेल मिलाकर बालों पर लगाएं. इसे सिर पर आधे से एक घंटे तक लगाकर रखने के बाद धोकर हटा लें. सिर की सतह पर जमा डैंड्रफ भी निकल जाता है. हफ्ते में एक बार बालों पर इस हेयर मास्क को लगाकर देख सकते हैं.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ /यह पूरा महीना ही त्योहारों से भरा हुआ है. त्योहारों के सीजन में घर में मिठाईयां भी खूब आती हैं. लेकिन, जाने-अनजाने लोग घर में नकली मिठाईयां या कहें मिलावटी मिठाईयां ले आते हैं. मिलावट वाली मिठाई  सेहत को एक नहीं बल्कि कई तरह से नुकसान पहुंचा सकती है. इस नकली मिठाई को खाना कई बार जानलेवा भी साबित हो जाता है. ऐसे में नकली और असली या कहें असली और मिलावटी मिठाई में फर्क करना आना चाहिए. यहां जानिए वो कौनसे आसान तरीके हैं जिनसे मिठाई में की गई मिलावट को पहचाना जा सकता है.
असली और नकली मिठाई कैसे पहचानें |
खरीदने से पहले खाकर देखें
अगर मिठाई में मिलावट की जाती है तो उसका स्वाद बदल जाता है. मिठाई को खाकर देखने पर ही उसके स्वाद से समझ आ जाता है कि मिठाई मिलावटी है या नहीं. अगर आपको मिठाई का स्वाद  जरा भी अलग या खराब लग रहा है तो दुकानदार की बातों में आकर मिठाई ना खरीदें.
रंग से करें पहचान
मिठाईयों का अपना एक अलग रंग होता है जो उन्हें केसर या इलायची वगैरह डालकर दिया जाता है. लेकिन, नकली मिठाइयों को उनका रंग केमिकल वाले रंग डालकर दिया जाता है. ऐसे में मिठाइयों का रंग अगर प्राकृतिक ना दिखे तो हो सकता है कि मिठाई में मिलावट की गई है.
खुशबू अलग होती है
असली मिठाई में मेवों की भीनी-भीनी खुशबू होती है लेकिन नकली मिठाई में यह खुशबू नहीं होती और कोई खुशबू होती भी हो तो वो अजीब सी लगती है. ऐसे में मिठाई को खरीदने से पहले एकबार सूंघकर देख लेना चाहिए.
मिठाई का टेक्सचर चेक करें
असली मिठाई का टेक्सचर सोफ्ट, हल्की नमी वाला और कंसिस्टेंट होता है. इसके बिल्कुल उलट नकली मिठाई का टेक्सचर चिपचिपा, सख्त और अनइवन होता है यानी एक समान नहीं होता है.
फॉइल की करें जांच
नकली और असली मिठाई में एक फर्क यह भी है कि असली मिठाई पर चांदी का वर्क लगा होता है जबकि नकली मिठाई पर बहुत से दुकानदार फॉइल का वर्क लगाते हैं. इसकी जांच करने के लिए चम्मच से इस फॉइल को रगड़कर देखें. असली वर्क होगा तो चमचमाता हुआ नजर आएगा जबकि नकली फॉइल चमचमाता नहीं दिखेगा और जस का तस रहेगा.

ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ/स्किन को जवां बनाए रखना आखिर कौन नहीं चाहता. सभी चाहते हैं कि उनकी स्किन ना सिर्फ बेदाग बने बल्कि उसकी कसावट भी सालोंसाल जस की तस बनी रहे. लेकिन, उम्र बढ़ने के अलावा भी ऐसे कई कारण हैं जो त्वचा को वक्त से पहले बूढ़ा बना देते हैं. स्किन केयर की बुरी आदतों से लेकर केमिकल वाले प्रोडक्ट्स भी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं. वहीं, धूप में जरूरत से ज्यादा रहना और प्रदूषण के हानिकारक तत्व भी एजिंग प्रोसेस की प्रक्रिया को बढ़ा सकते हैं. ऐसे में खानपान में एंटी-एजिंग फूड्स  को शामिल करके त्वचा को अंदरूनी रूप से जवां बनाया जा सकता है. यहां जानिए कौनसी हैं ये खाने-पीने की चीजें जो झुर्रियों  और फाइन लाइंस को कम करने में असर दिखाती हैं.
झुर्रियां कम करने वाले फूड्स | Foods That Reduce Wrinkles
बेरीज
स्ट्रॉबेरीज, ब्लैकबेरीज और ब्लूबेरीज वगैरह स्किन की सेहत के लिए बेहद अच्छी होती हैं. इन बेरीज में ना सिर्फ विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है बल्कि इसे त्वचा को एंटी-ऑक्सीडेंट्स भी मिलते हैं. एंटी-ऑक्सीडेंट्स त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स को दूर करने में असरदार साबित होते हैं.
अखरोट
अखरोट ऐसा सूखा मेवा है जो त्वचा के एंटी-ऑक्सीडेंट्स और हेल्दी ओमेगा-3 फैटी एसिड्स देता है. अखरोट खाने पर स्किन इंफ्लेमेशन से भी बचती है. इससे एजिंग की प्रक्रिया कम होने लगती है. स्किन हेल्थ के अलावा अखरोट गट हेल्थ को भी बेहतर बनाए रखता है.
अंगूर
अंगूर में एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कोलाजन को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं. इससे स्किन की कसावट बनी रहती है और त्वचा लंबे समय तक चमकदार और निखरी हुई नजर आती है.
पालक
विटामिन ए, सी और ई के साथ ही पालक  में आयरन भी पाया जाता है. इसके अलावा एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर यह हरी पत्तेदार सब्जी एंटी-एजिंग डाइट में शामिल करने के लिए परफेक्ट है. इससे स्किन डैमेज होने से बचती है और सेहतमंद बनी रहती है.
टमाटर
लाइकोपीन से भरपूर टमाटर एंटी-एजिंग डाइट का हिस्सा बनाने के लिए परफेक्ट होते हैं. टमाटर  खाने पर स्किन सूरज की हानिकारक किरणों से बचती है, इससे प्रीमेच्योर एजिंग की दिक्कत कम होती है और स्किन पर झुर्रियां कम नजर आती हैं. इसीलिए त्वचा जवां बनाए रखने के लिए टमाटर का सेवन किया जा सकता है.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं. जीवन में सुख समृद्धि और परिजनों की लंबी उम्र के लिए कुछ व्रतों का विशेष महत्व है. संतान की मंगल कामना के लिए रखे जाने वाले व्रतों में अहोई अष्टमी Ahoi का व्रत प्रमुख है. कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रतरखा जाता है. इस व्रत में महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं और तारे के निकलने पर अहोई माता की पूजा के बाद पारण करती हैं. आइए जानते हैं कि अहोई अष्टमी के उपवास के दौरान पानी पीना चाहिए या नहीं
अहोई अष्टमी व्रत
कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाने वाला व्रत अहोई अष्टमी निर्जला रखा जाता है. इसमें सूर्योदय के बाद से तारे के निकलने तक निर्जला उपवास रखने का नियम है. हालांकि जिन लोगों के लिए निर्जला व्रत रखना संभव नहीं है वे फलाहार व्रत भी कर सकते हैं.
अहोई अष्टमी के दिन दूध का स्पर्श वर्जित
अहोई अष्टमी के दिन के दिन व्रत रखने वालों को दूध और दूध से बनी चीजें स्पर्श नहीं करने का नियम है. इसलिए इस दिन दूध या दूध से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.
अहोई अष्टमी को पूजा का मुहूर्त
इस बार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी 24 अक्टूबर को सुबह 1 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 25 अक्टूबर की सुबह 1 बजकर 41 मिनट तक है. अहोई अष्टमी की पूजा 24 अकटूबर गुरुवार को शाम5 बजकर 41 मिनट से 6 बजकर 58 मिनट तक है. इस दिन तारों के दर्शन का समय शाम 6 बजकर 58 मिनट पर है. अहोई अष्टमी को चंद्रोदय का समय रात 11 बजकर 54 मिनट पर है.  
अहोई अष्टमी व्रत के नियम
-अहोई अष्टमी के व्रत में हर तरह फल, अन्न या मिठाई के सेवन की मनाही होती है.
- शाम को अहोई माता की पूजा अर्चना करने लिए अहोई माता की तस्वीर की स्थापना करनी चाहिए.
- पूजा में अहोई माता को आठ पूड़ी, आठ मालपुआ या गुलगुले और चावल का भोग लगाएं. अहोई अष्टमी व्रत की कथा का पाठ करें.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / 2024 में दिवाली का त्योहार मनाने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. ये त्योहार हर साल पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस बार लोगों में भ्रम है कि बड़ी दिवाली  कब मनाई जाएगी. कई लोगों का मानना है कि दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी तो कुछ लोग एक नवंबर को दिवाली की तारीख बता रहे हैं. ऐसे में हर कोई कंफ्यूज है कि आखिर दिवाली की असली तारीख क्या है. तो अगर आपके मन में भी सही तारीख को लेकर कशमकश है तो यहां जानिए कब है दिवाली. आपको बता दें की पंचांग के अनुसार, दिवाली का मुख्य पर्व 31 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाना चाहिए.
धनतेरस कब है:
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है. इस साल धनतेरस 29 अक्टूबर को होगा. इस दिन सोने-चांदी के आभूषण और नए बर्तन खरीदने की परंपरा है. भगवान धन्वंतरि की जयंती के रूप में मनाए जाने वाले इस दिन माता लक्ष्मी और गणेशजी की पूजा की जाती है.
छोटी दिवाली कब है:
छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी. पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन हनुमानजी की जयंती भी होती है. इस दिन दक्षिण दिशा में यम देवता के नाम का दीया जलाने की परंपरा है.
बड़ी दिवाली कब है:
इस साल मुख्य दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी. अमावस्या की तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3:52 बजे से शुरू होगी और 1 नवंबर को शाम 6:16 बजे तक रहेगी. यानि अमावस की रात 31 अक्तूबर के हिस्से आ रही है. यही वजह है कि दीवाली इसी रात को मानना उचित होगा. इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है, जहां लोग घर में लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं, ताकि सुख-समृद्धि और धन की वर्षा हो सके. साथ ही, काली पूजन भी किया जाएगा, जिसमें काली माता के प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त की जाती है. रात में निशीथ काल पूजा का आयोजन होगा, जो विशेष रूप से दिवाली के शुभ अवसर पर अत्यंत महत्वपूर्ण है. लोग घरों में दीप जलाकर, पटाखे फोड़कर और मिठाइयों का आदान-प्रदान करके दिवाली की खुशियों का जश्न मनाते हैं. इस दिन परिवार और मित्रों के साथ मिलकर दीयों की रौशनी में दीपावली की महिमा को बढ़ाने की परंपरा है.
गोवर्धन पूजा और अन्नकूट:
दिवाली के अगले दिन, 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा की जाएगी. इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और अन्नकूट का भोग लगाया जाता है.
भाई दूज कब है:
भाई दूज, दिवाली का अंतिम दिन, 3 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक करती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं.इस साल दिवाली के इन त्योहारों को लेकर लोगों में उत्साह और तैयारी का माहौल है, लेकिन सही तिथि को लेकर असमंजस बना हुआ है.

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