March 27, 2025
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   सेहत टिप्स /शौर्यपथ /हेल्दी रहने के लिए लोग अपनी डाइट में ऐसे फूड प्रोडक्ट्स को शामिल करते हैं, जो उनके हेल्थ को बेहतर बनाते हैं. हमारे खानपान का सीधा असर सेहत पर पड़ता है, खासकर सुबह के समय हम जो भी खाते या पीते हैं, वह हमारे बॉडी पर इम्पैक्ट डालता है. यही कारण है कि अक्सर सुबह  उठकर पानी पीने की सलाह दी जाती है. हम बात कर रहे हैं धनिया की. धनिया अपनी खुशबू और टेस्ट के कारण हर सब्जी का जायका बढ़ा देता है. इसे हम दो तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं. पहला, हरे धनिया की पत्तियों की हम चटनी बना सकते हैं. इससे हमारे खाने का टेस्ट बढ़ जाता है. दूसरा, धनिया के बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं. धनिया के बीज मसाले के रूप में हम खाने में डालते हैं, दोनों ही तरह से धनिया खाने से इसका हेल्थ को अच्छा फायदा मिलता है. पानी में धनिया के बीजों को उबालकर पीने से ये हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद है. धनिया एक ऐसा मसाला है जो न केवल खाने का टेस्ट बढ़ाता है, बल्कि हेल्थ के लिए भी इसे वरदान माना जाता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. इसकी तासीर ठंडी होती है जिससे शरीर को ठंडक मिलती है.
मोटापा रखे दूर
    डॉक्टर के अनुसार, धनिया का पानी मोटापे की समस्या को कम करने में कारगर है.
    ये न केवल थायरॉइड, लीवर और किडनी से जुड़ी प्रॉब्लम में फायदेमंद होता है, बल्कि शरीर के भारीपन को दूर करने और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में भी सहायक है.
    यह स्किन से जुड़ी समस्याओं को सुधारने और क्रोनिक बीमारियों के इलाज में भी काम आता है.
कैसे तैयार करें पानी
    डॉक्टर के अनुसार, धनिया का पानी तैयार करना बेहद आसान है.
    इसके लिए एक चम्मच धनिया के बीज लें और उन्हें दो कप पानी में डाल दें.
    लगभग 5 मिनट तक इसे उबालें.
    इसके बाद पानी को ठंडा होने दें
    फिर इसे रोज सुबह खाली पेट पिएं.
    यह पानी एंटी एजिंग क्वालिटी से भरपूर होता है.
    ये बढ़ती उम्र के असर को कम करता है.
    इसका पानी एक नेचुरल डिटॉक्स ड्रिंक की तरह काम करता है.
    ये शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर हेल्थ ठीक रखता है.
धनिया से मिलने वाले फायदे
    रोजाना धनिए का पानी पीने से आपकी इम्यूनिटी बेहतर होती है.
    इसके रेगुलर यूज से बॉडी को विटामिन ए, सी और K मिलता है.
    इसके अलावा आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स मिलते हैं.
    इम्यूनिटी को मजबूत करने में ये कारगर हैं.
    इससे शरीर को इन्फेक्शन से लड़ने की ताकत मिलती है.
    ये आपको कई बीमारियों से बचाने में मदद करता है.
एजिंग से बचाव
    विटामिन-सी और बीटा-कैरोटीन से भरपूर धनिया का पानी फ्री-रेडिकल्स से मुकाबला करने में मदद करता है.
    यह सेल्स को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाकर समय से पहले उम्र बढ़ने की प्रोसेस को धीमा करता है.
एंटी-इंफ्लेमेटरी क्वालिटी
    धनिया में मौजूद सिनेओल और लिनोलिक एसिड जैसे एंटी-इंफ्लेमेटरी कंपाउंड डाइजेस्टिव सिस्टम की सूजन को कम करने में मदद करते हैं.
    इसके रेगुलर यूज से शरीर में इंफ्लेमेशन की प्रॉब्लम को कंट्रोल किया जा सकता है, जिससे पूरी हेल्थ ठीक रहती है.
स्किन को बनाए हेल्दी
    धनिया का पानी न केवल हेल्थ के लिए, बल्कि स्किन के लिए भी फायदेमंद होता है.
    इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं.
    ये सूजन को कम करते हैं और कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ाकर स्किन को हेल्दी और चमकदार बनाए रखते हैं.

ज्यादा धनिया से हो सकता है नुकसानदायक
    हालांकि, धनिया हेल्थ के लिए फायदेमंद है, लेकिन किसी भी चीज का अधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है.
    धनिये का उपयोग एक हिसाब से करना ही सही रहता है.
    कुछ लोगों को धनिये की खुशबू से एलर्जी हो सकती है, जिसे ‘पोलन फूड सिंड्रोम' कहा जाता है.
    ऐसे लोगों को इसे अपनी डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

आस्था /शौर्यपथ /भारत के उत्तराखंड में स्थित है केदारनाथ मंदिर जहां भगवान शिव की पूजा की जाती है. इसे बाबा केदारनाथ धाम  कहा जाता है. इस मंदिर की विशेष धार्मिक मान्यता है और अनेक लोग इस मंदिर में बाबा केदारनाथ के दर्शन करने आते हैं. केदारनाथ धाम में स्थापित ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. केदारनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल में भारी बर्फबारी के दौरान बंद कर दिए जाते हैं. ऐसे में ग्रीष्म ऋतु आते ही बाबा केदारनाथ धाम के कपाट एक बार फिर खुलने जा रहे हैं. महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर मंदिर के कपाट खुलने की घोषणा कर दी गई. केदारनाथ धाम के कपाट आने वाली 2 मई, शुक्रवार के दिन खुलेंगे. ऐसे में यहां जानिए केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के क्या नियम हैं और किस तरह भक्त केदारनाथ यात्रा की तैयारियां कर सकते हैं.
किस तरह खोले जाते हैं केदारनाथ धाम के कपाट
केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का दिन तय किया जा चुका है. इसके पश्चात नियमानुसार कपाट खोले जाएंगे. कपाट खुलने से पूर्व 27 अप्रैल के दिन ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में भैरव पूजा का आयोजन किया जाएगा. इसके बाद बाबा केदार की डोली केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी. इसके बाद बाबा केदार की डोली को 28 अप्रैल गुप्तकाशी ले जाया जाएगा, यहां से 29 अप्रैल को फाटा और 30 अप्रैल को बाबा केदार की डोली गौरीकुंड पहुंचेगी. बाबा केदार की डोली 1 मई के दिन केदारनाथ पहुंच जाएगी और फिर अगले दिन 2 मई को सुबह 7 बजे केदारनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे.
जब केदारनाथ धाम के द्वार खोले जाते हैं तो इस दौरान पूरा मंदिर प्रांगण में बाबा केदारनाथ का जयकारा लगाया जाता है और ठोल नगाड़ों की आवाज गूंजती है. इसके बाद भक्त बाबा केदारनाथ के दर्शन कर सकते हैं. कपाट खुल जाने के बाद भक्त बाबा केदारनाथ की विधिवत पूजा करते हैं. यह पूजा शैव लिंगायत विधि से की जाती है.
केदारनाथ यात्रा के लिए भक्त इस तरह करें तैयारी
    केदारनाथ यात्रा  पर जाना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना अनिवार्य है. यात्रा पर जाने का अच्छा समय मई से जून और सितंबर से अक्टूबर के बीच माना जाता है.
    मौसम के अनुसार ही कपड़े लेकर जाएं. अलग-अलग दिन पर अलग मौसम हो सकता है. इसीलिए मौसम में बदलाव को ध्यान में रखकर ही कपड़े लेकर जाना सही रहेगा.
    पैकिंग करते समय जरूरत की चीजें ध्यान से रखें. दवाइयां रखना ना भूलें. अगर किसी को कोई मेडिकल कंडीशन है तो उसे भी ध्यान में रखें. फर्स्ट एड का सामान भी लेकर जाएं.
    यात्रा पर निकलने से पहले सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स को ध्यान से रखें. साथ ही अपनी आईडी वगैरह रख लें.
    पहनने के लिए सही जूते लेकर जाएं, स्टाइलिश सैंडल्स या बूट्स चढ़ाई और लंबी यात्रा के लिए सही नहीं होते हैं.
    पर्सनल हाइजीन की चीजें भी साथ लेकर चलें. यह ना सोचें कि आप लास्ट मिनट पर कुछ खरीद लेंगे.
    अपने साथ फ्लैशलाइट और हेडलैंप वगेरह लेकर जाएं.
    ऑनलाइन पेमेंट पर पूरी तरह निर्भर होकर ना जाएं और अपने साथ कैश लेकर चलें.

आस्था /शौर्यपथ /हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. इसे शिव की महान रात्रि भी कहा जाता है. मान्यतानुसार महाशिवरात्रि के दिन ही महादेव और मां पार्वती का विवाह हुआ था. ऐसे में हर साल फाल्गुन माह में महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है और महादेव और मां पार्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस साल 26 फरवरी, बुधवार के दिन महाशिवरात्रि का व्रत रखा जा रहा है. माना जाता है कि शिवरात्रि पर व्रत रखने और पूजा करने पर अच्छे वर की प्राप्ति होती है. इस व्रत को करने पर वैवाहिक जीवन भी सुखमय बन सकता है. इसके साथ ही, पुरुष भी इस व्रत को अच्छे जीवनसाथी की चाह में और भगवान शिव की कृपा पाने के लिए रखते हैं. अगर आप भी महाशिवरात्रि का व्रत रख रहे हैं तो यहां दिए भगवान शिव के मंत्रों (Shiv Mantra) का जाप कर सकते हैं और महादेव की इस आरती से पूजा का समापन कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
- नमो नीलकण्ठाय
- ॐ पार्वतीपतये नमः
- ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय ।
- ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा ।
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
- ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
- ॐ नमः शिवाय
- ऊर्ध्व भू फट्
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्!
- ॐ नमः श्वभ्यः श्वपतिभ्यश्च वो नमो नमो भवाय च रुद्राय च नमः|
शर्वाय च पशुपतये च नमो नीलग्रीवाय च शितिकण्ठाय च ||
- ॐ नमः पार्याय चावार्याय च नमः प्रतरणाय चोत्तरणाय च |
नमस्तीर्थ्याय च कूल्याय च नमः शष्प्याय च फेन्याय च ||
- ॐ नमः कपर्दिने च व्युप्त केशाय च नमः सहस्त्राक्षाय च शतधन्वने च |
नमो गिरिशयाय च शिपिविष्टाय च नमो मेढुष्टमाय चेषुमते च ||
ॐ नमः आराधे चात्रिराय च नमः शीघ्रयाय च शीभ्याय च |
नमः ऊर्म्याय चावस्वन्याय च नमो नादेयाय च द्वीप्याय च ||
महाशिवरात्रि पर करें भगवान शिव की यह आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

सेहत टिप्स /शौर्यपथ /बड़े-बुजुर्ग ही नहीं बल्कि जवान और तंदरुस्त लोग भी आजकल जोड़ों के दर्द से परेशान रहने लगे हैं. जोड़ों का दर्द (Joint Pain) सिर्फ उम्र बढ़ने के कारण ही नहीं होता बल्कि इसकी वजह शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों और विटामिन की कमी भी हो सकती है. विटामिन डी ऐसा ही एक विटामिन है जिसकी कमी जोड़ों के दर्द (Joint Pain) का कारण बनती है. विटामिन डी हड्डियों की सेहत दुरुस्त रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस विटामिन के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दर्द को दूर रखते हैं. लेकिन, शरीर में विटामिन डी की कमी होने लगे तो जोड़ों से जुड़ी दिक्कतें होने लगती हैं. ऐसे में यहां जानिए विटामिन डी की कमी के और कौन-कौनसे लक्षण होते हैं, इस कमी को कैसे पूरा किया जा सकता है और किस तरह जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है.
जोड़ों का दर्द और विटामिन डी की कमी |
विटामिन डी की कमी होने पर जोड़ों में दर्द होता है. ऐसे में विटामिन डी की कमी को पूरा करना जरूरी है. सूरज की किरणें विटामिन डी की मुख्य स्त्रोत होती हैं और इसीलिए इसे सनशाइन विटामिन भी कहते हैं. विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए रोजाना 10 से 15 मिनट धूप सेंक सकते हैं.
खानपान में विटामिन डी से भरपूर फूड्स को भी शामिल किया जा सकता है. दूध, दही, मशरूम, विटामिन डी फॉर्टिफाइड फूड्स और मछली वगैरह विटामिन डी के स्त्रोतों में शामिल हैं. इनके सेवन से विटामिन डी की कमी को पूरा किया जा सकता है.  
जोड़ों का दर्द दूर करने के घरेलू उपाय
    अगर आप जोड़ों के दर्द से परेशान हैं तो अदरक की चाय का सेवन कर सकते हैं. अदरक को पानी में उबालकर इस चाय को तैयार किया जाता है. बिना दूध वाली यह चाय एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है और जोड़ों का दर्द दूर करने में असरदार है.
    हल्दी का लेप लगाने पर भी जोड़ों के दर्द से छुटकारा मिलता है. इसके अलावा हल्दी वाला दूध पीने पर दर्द कम होता है.
    सरसों के तेल से घुटनों की मालिश की जा सकती है. सरसों के तेल (Mustard Oil) का असर बढ़ाने के लिए इसमें लहसुन को पकाया जा सकता है. इसके अलावा, तेल में हल्दी डालकर भी जोड़ों की मालिश कर सकते हैं.
    खानपान में एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर चीजें शामिल करने पर भी असर दिख सकता है.
    विटामिन डी की कमी से होने वाले जोड़ों के दर्द में इस विटामिन से भरपूर फूड्स को खाने पर तेजी से फायदा नजर आता है.
विटामिन डी की कमी के लक्षण
    शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर कई तरह के लक्षण  नजर आने लगते हैं. जोड़ों में दर्द के अलावा मसल्स में दर्द और कमजोरी महसूस होना भी विटामिन डी की कमी के लक्षणों में शामिल है.
    इस विटामिन की कमी से शरीर में हर समय थकान महसूस होती है. उठने-बैठने का भी मन नहीं करता है.
    श्वसन संबंधी दिक्कतें भी इस विटामिन की कमी से नजर आती हैं.
    विटामिन डी की कमी मानसिक तौर पर भी व्यक्ति को प्रभावित करती है. इस विटामिन की कमी से अवसाद हो सकता है.
    कभी भी गुस्सा आ जाना या कभी भी उदास होना यानी मूड स्विंग्स भी विटामिन डी की कमी का लक्षण हो सकता है.

टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / हम दिनभर कई अनहेल्दी चीजें खाते हैं जिससे हमारे दांतों का रंग पीला पड़ जाता है या मटमैला नजर आने लगता है. जब दांतों पर दाग नजर आने लगते हैं तो ये कई बार हमें असहज महसूस कराता है. किसी के सामने बोलने या हंसने में भी शर्म आती है. कुछ फूड प्रोडक्ट्स दांतों पर दाग बढ़ाने का कारण बनते हैं, जबकि कुछ ऐसे भी हैं जो दांतों की सफेदी और चमक बनाए रखने में मदद करते हैं. ऐसे में अगर आप भी पीले दांतों से परेशान हैं तो यहां जानिए किस तरह दांतों का पीलापन दूर करने में खानपान की ही कुछ चीजें बेहद असरदार साबित होती हैं. इन फूड्स को खाने पर दांतों को चमकदार बनने में मदद मिलती है. साथ ही यहां ऐसे कुछ घरेलू उपाय दिए जा रहे हैं जो आपके काम आएंगे.  
पीले दांत साफ करने वाले फूड्स |
सेब
    सबसे पहले बात करते हैं सेब की. सेब में नेचुरल एसिडिक एलिमेंट होते हैं.
    यह मुंह में लार के प्रोडक्शन को बढ़ाता है.
    यह लार एसिड को न्यूट्रल करने में मदद करता है.
    इससे दांतों की सफाई हो जाती है.
नट्स से ला सकते हैं चमक
    बादाम स्लाइवा प्रोडक्शन को बढ़ाता है.
    इससे शरीर खुद सक्षम हो जाता है जिससे मुंह में हमेशा स्लाइवा भरा रहता है.
अनानास से साफ होंगे दांत
    एक स्टडी के अनुसार अनानास में ब्रोमेलेन एंजाइम पाया जाता है.
    यह दांतों की सतह से दाग को हटाने में मदद करता है.
    इसके आलवा मसूड़ो में सूजन को भी खत्म करता है.
सिट्रस फ्रूट्स
    खट्टे-मीठे फल भी दांतों में चमक लाते हैं.
    संतरा, नींबू, कीवी आदि फलों में स्लाइवा प्रोडक्शन को बढ़ाने की क्षमता होती है.
    इससे दांत साफ होते हैं.
गाजर से बढ़ सकती है चमक
    गाजर  नेचुरल टूथब्रश है.
    यह दांतों में छुपे बैक्टीरिया को हटाता है.
    गाजर दांतों के बीच में घुसे फूड के बचे हिस्से को साफ करता है.
    इसलिए गाजर दांतों को क्लीन करने का बहुत अच्छा स्त्रोत है.
स्ट्रॉबेरी
    स्ट्रॉबेरी एसिडिक नेचर की होती है.
    इसमें मेलिक एसिड होता है.
    यह दांतों में लगे दाग को हटा देता है.
    इससे दांतों में लगे दाग साफ हो जाते हैं.
ये घरेलू उपाय भी आ सकते हैं काम
    बेकिंग सोडा और नींबू: दांतों में चमक लाने के लिए थोड़ा सा बेकिंग सोडा (Baking Soda) और नींबू का रस मिलाकर पेस्ट बनाएं और हल्के हाथों से ब्रश करें. इसे आप सप्ताह में 1 से 2 बार कर सकते हैं. इस उपाय से भी दांतों में चमक आ सकती है.
    स्ट्रॉबेरी और नमक: स्ट्रॉबेरी को मैश करके उसमें थोड़ा नमक मिलाकर दांतों पर रगड़ें. इससे आपके दांतों में चमक आएगी.
    नारियल तेल: 10 से 15 मिनट तक मुंह में नारियल तेल  घुमाएं, फिर कुल्ला करें. इससे भी दांत चमक उठेंगे.
    सही तरीके से ब्रश करें: सुबह और रात को सोने से पहले रोज दो बार ब्रश करें. फ्लोराइड मिला हुआ टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें.
    माउथवॉश और फ्लॉसिंग - फ्लॉसिंग करने से दांतों के बीच जमा गंदगी और पीलापन कम होता है. एंटी-बैक्टीरियल माउथवॉश का इस्तेमाल करें. आपको दांतों में फर्क नजर आएगा.
    इन चीजों से बचें - सोया सॉस से दांतों में दाग लग सकते हैं. अधिक मीठा और कोल्ड ड्रिंक्स से दांत जल्दी खराब होते हैं.

  सेहत टिप्स /शौर्यपथ /खानपान में अक्सर ही सूखे मेवे शामिल किए जाते हैं. इन मेवों को स्नैक्स की तरह खा लिया जाता है. लेकिन, कुछ सूखे मेवे ऐसे हैं जिन्हें भिगोकर खाने पर शरीर को फायदे मिलते हैं. किशमिश भी इन्हीं ड्राई फ्रूट्स में शामिल है. किशमिश पोषक तत्वों और एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है. इसके सेवन से शरीर को एक नहीं बल्कि कई फायदे मिलते हैं. रातभर 4 से 5 किशमिश को पानी में भिगोकर अगली सुबह ये किशमिश के दाने खाए जा सकते हैं. यहां जानिए ऐसे कौनसे लोग हैं जिनके लिए किशमिश का सेवन बेहद फायदेमंद होता है. ये लोग किशमिश खाते हैं तो शरीर पर कमाल का असर दिख सकता है.
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भीगी किशमिश खाने के फायदे |
जिनके शरीर में टॉक्सिंस हों
    शरीर में टॉक्सिंस होने पर स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें होने लगती हैं.
    टॉक्सिंस से शरीर में गंदगी होती है जिसका असर शरीर पर अंदरूनी और बाहरी दोनों रूपों में नजर आता है.
    ऐसे में किशमिश बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करती है.
कमजोर इम्यूनिटी होने पर
    शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी अगर कमजोर हो तो व्यक्ति जल्दी-जल्दी रोगों का शिकार हो सकता है.
    ऐसे में मौसमी दिक्कतें जैसे खांसी और जुकाम भी व्यक्ति को जल्दी जकड़ते हैं.
    भीगी किशमिश खाने पर विटामिन सी और बी कॉम्लेक्स मिलते हैं जिससे इम्यूनिटी मजबूत होती है और शरीर इंफेक्शंस से बेहतर तरह से लड़ पाता है.

व्रत/त्यौहार /शौर्यपथ  देवों के देव कहे जाने वाले भोले भंडारी यानी महादेव शिव सनातन धर्म के सर्वमान्य देव कहे जाते हैं. हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को देशभर में महाशिवरात्रि  का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव शंकर और मां पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा से भगवान शिव और मां पार्वती के लिए व्रत  करते हैं और पूजा  पाठ करते हैं. इस दिन देश भर में मंदिरो में खूब सजावट होती है और भंडारे कराए जाते हैं. महाशिवरात्रि के दिन अविवाहित लोग भी व्रत करते हैं और मनचाहे वर की कामना करते हुए भगवान शिव की पूजा करते हैं.  महाशिवरात्रि के त्यौहार के दिन भगवान शिव की कृपा पाने के लिए श्रद्धालु पूरे दिन का उपवास करते हैं. कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के उपवास के कुछ खास नियम हैं जिनका पालन  करना चाहिए. चलिए जानते हैं कि महाशिवरात्रि के उपवास के नियम क्या हैं. साथ ही जानेंगे कि इस उपवास में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए.
कब है महाशिवरात्रि
हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का पर्व आता है. इस साल यानी 2025 की बात करें तो चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी के दिन सुबह 11 बजकर आठ मिनट पर आरंभ हो रही है और अगले दिन यानी 27 फरवरी को सुबह आठ बजकर 54 मिनट पर इसका समापन होगा. चूंकि भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी के दिन मनाया जाएगा.
महाशिवरात्रि पूजा का महत्व
कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के पूजन और शिवलिंग के अभिषेक से घर परिवार में शांति बनी रहती है. इस दिन शिवलिंग का अभिषेक करने वाले भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन जल के साथ साथ तिल, शहद, दूध, दही, घी आदि से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है. इस दिन शिवलिंग पर अक्षत, गेहूं, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित करके भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करते हैं और मनोकामना मांगते हैं. इस दिन चारों प्रहर में शिवलिंग का अभिषेक किए जाने की परंपरा है. शिवलिंग का अभिषेक करते वक्त भक्त अगर ओम नमः:शिवाय मंत्र का जाप करें, तो महादेव प्रसन्न होकर सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
महाशिवरात्रि पर करें इन चीजों का सेवन
महाशिवरात्रि की पूजा की तरह उपवास भी काफी खास माना जाता है. महाशिवरात्रि पर निर्जला और फलाहारी व्रत किया जाता है. जो लोग इस दिन निर्जला व्रत करते हैं, वो पूरे दिन अन्न और जल का सेवन नहीं करते हैं. वहीं फलाहारी व्रत की बात करें तो इस व्रत में भक्त कुछ चीजों का सेवन कर सकते हैं. फलाहारी व्रत के दौरान सिंघाड़े के आटे का हलवा और पकोड़े खा सकते हैं. इस दिन कुट्टू के आटे का सेवन किया जा सकता है. इसके अलावा फलों का सेवन भी मान्य है. फलाहारी व्रत के दौरान भक्त सेंधा नमक के साथ आलू खा सकते हैं. सूखे मेवे का सेवन भी किया जा सकता है. इसके अलावा दूध और दूध से बने पदार्थ भी खाए जा सकते हैं.
महाशिवरात्रि के दिन इन चीजों का सेवन है निषिद्ध
महाशिवरात्रि के व्रत के दौरान कुछ खास चीजों को खाने की मनाही की जाती है. इस दिन मांस, मछली और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन तामसिक कहे जाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे प्याज, लहसुन आदि, क्योंकि ये मानसिक एकाग्रता को भंग करते हैं. महाशिवरात्रि के व्रत में अन्न और सामान्य नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन गेहूं, चावल आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए.

आस्था /शौर्यपथ / वैदिक ज्योतिष में शनिदेव को कलियुग का न्यायाधीश कहा गया है जो कर्मफल के आधार पर फल देते हैं. शनिदेव जातक को उसके कर्म के लिहाज से फल देते हैं. मान्यता है कि शनिदेव की कृपा हो जाए तो जातक रंक से राजा बन जाता है और अगर शनिदेव  की तीखी दृष्टि पड़ जाए तो राजा को भी रंक बनते देर नहीं लगती है. धीमी गति से चलने वाले शनि समय-समय पर अपनी चाल बदलते रहते हैं. इस साल होली से कुछ समय पहले शनि कुंभ राशि  में अस्त होने वाले हैं. शनि का कुंभ राशि में अस्त होना कुछ राशियों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है. इस साल 28 फरवरी, शुक्रवार के दिन शनि अस्त हो जाएंगे. चलिए जानते हैं कि शनि किस दिन कुंभ राशि में अस्त होंगे और इसका किन-किन राशियों पर अच्छा असर पड़ेगा.
शनि अस्त के प्रभाव |
मेष राशि
शनि मेष राशि के ग्यारहवें भाव में अस्त होने जा रहे हैं. इस राशि के जातकों के लिए शनि का अस्त काफी शुभ साबित होने जा रहा है. इस दौरान मेष राशि के जातकों को हर काम में सफलता मिलेगी. लंबे वक्त से रुके हुए कई जरूरी काम पूरे हो सकते हैं. आर्थिक लाभ होगा और जातक बचत करने में भी कामयाब होगा. करियर की बात करें तो इस दौरान नौकरी और व्यवसाय में लाभ होगा. करियर में जातक को भाग्य का जमकर साथ मिलेगा. मेष राशि के जातक इस दौरान खूब यात्राएं करेंगे. हालांकि जीवनसाथी के साथ कुछ अनबन हो सकती है. रिश्तों के मसले पर सोच संभलकर बात करनी होगी.
कर्क राशि  
शनि कर्क राशि के आठवें भाव में अस्त होंगे. ऐसे में शनि  का अस्त होना इस राशि के जातकों के लिए शुभ समाचार लेकर आने वाला है. इन जातकों को जीवन के हर क्षेत्र में सक्सेस मिलेगी. पैतृक संपत्ति का लाभ मिलेगा और कहीं से अचानक धन लाभ भी हो सकता है. इस दौरान दांपत्य और पारिवारिक जीवन में प्रेम और स्नेह बढ़ेगा और अच्छा समय बीतेगा. नौकरी और व्यापार में सब कुछ सामान्य बना रहेगा. इस दौरान व्यापार के क्षेत्र में किए गए काम और बदलाव आगे जाकर आपके लिए कामयाबी का कारण बन सकते हैं. धन की बचत कर पाएंगे और आस-पास सकारात्मक माहौल बना रहेगा.
धनु राशि
शनि धनु राशि के तीसरे भाव में अस्त होने जा रहे हैं और इस लिहाज से ये दिन धनु राशि के जातकों के लिए शुभ साबित होने जा रहे हैं. नौकरी और व्यापार में सफलता मिलेगी. आप जो भी काम करेंगे, उसमें प्रशंसा पाएंगे. परिवार में अच्छा माहौल रहेगा और भाई-बहनों के साथ अच्छा समय बिताने का मौका मिलेगा. नौकरी करने वालों को बोनस या इंसेंटिव का भी तोहफा मिल सकता है. नौकरी में आपके काम की तारीफ की जाएगी और आगे जाकर इसका फायदा मिलेगा. बिजनेस के क्षेत्र में आपके द्वारा किए गए प्रयास फलीभूत होंगे. इस दौरान कामकाज के चलते लंबी दूरी का सफर करना पड़ सकता है. आय में इजाफा होगा और धन की अच्छी खासी बचत करने में भी कामयाब होंगे. इस दौरान सेहत भी चकाचक रहेगी और दिल आत्मविश्वास से भरपूर बना रहेगा.

   व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /महाशिवरात्रि पर पूजा करते समय भगवान शिव को कई तरह की फूल माला, फूल और बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं. यह भी माना जाता है कि भोलेनाथ भक्तों के हर तरह के भोग और भेंट को स्वीकार करते हैं. इसलिए भोले बाबा के भक्त भी अक्सर बिना सोचे-समझे भगवान को कई तरह के फूल अर्पित कर देते हैं. परंतु सभी भक्तों को एक और मान्यता के बारे में जान लेना चाहिए. एक ऐसा भी फूल है जिसे शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित माना जाता है. इस फूल का नाम है केतकी का फूल. इस फूल को भगवान शिव पर क्यों अर्पित नहीं किया जाता है इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा बहुत प्रचलित है. अगर आप भी महाशिवरात्रि पर शिव पूजन के लिए जाने वाले हैं तो इस कथा को जरूर जान लीजिए ताकि आप भी शिवलिंग पर केतकी के फूल  अर्पित करने की गलती न करें.
केतकी के फूल से जुड़ी पौराणिक कथा
पं. राहुल दीक्षित के अनुसार, केतकी के फूल और भगवान शिव की यह कथा त्रेतायुग से जुड़ी हुई है जिसका वर्णन शिव पुराण में भी मिलता है. कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा के बीच खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए तर्क होने लगे. बात जब थोड़ी ज्यादा बढ़ गई तब भगवान शिव उनके सामने एक अग्निस्तंभ यानी कि ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए. भगवान शिव ऐसे विशाल दिव्य स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे कि उसका कोई आदि था न ही उसका कोई अंत ही दिखाई दे रहा था. भगवान शिव ने विष्णु और ब्रह्मा से कहा कि जो कोई भी इस ज्योतिर्लिंग का आदि या अंत खोजकर आएगा, वही श्रेष्ठ माना जाएगा.
आदि और अंत की शुरू हुई खोज
उस आदि और अंत को खोजने के लिए भगवान विष्णु  ने वराह रूप धारण किया वो पृथ्वी के गर्भ में जाकर ज्योतिर्लिंग का आदि खोजने लगे, जबकि भगवान ब्रह्मा हंस के रूप में आकाश की ओर उड़ चले ताकि वो उसके अंत तक पहुंच सकें. विष्णु जी ने बहुत प्रयास किया लेकिन उन्हें शिवलिंग का आदि यानी कि स्टार्टिंग प्वाइंट नहीं मिला. उन्होंने शिवजी के सामने सच्चाई बताई और हार मान ली. ब्रह्मा जी आकाश में ऊपर और ऊपर तक उड़ते रहे, लेकिन उन्हें भी शिवलिंग का अंत यानी कि एंड प्वाइंट नहीं मिला. पर विष्णुजी की तरह ब्रह्माजी ने हार नहीं मानी बल्कि उन्होंने केतकी के फूल के साथ मिलकर नई कहानी बनाई.
केतकी के फूल की झूठी गवाही
 पौराणिक कथा के अनुसार बताया कि ब्रह्माजी को ज्योतिर्लिंग का अंत तो नहीं मिला लेकिन एक केतकी का फूल मिल गया. केतकी के फूल से ब्रह्माजी ने ज्योतिर्लिंग के अंत के बारे में पूछा. केतकी के फूल को भी इसकी कोई जानकारी नहीं थी. लेकिन, ब्रह्माजी ने उस फूल को झूठी गवाही देने को कहा. ब्रह्माजी ने कहा कि उन्होंने ज्योतिर्लिंग का अंत ढूंढ लिया है जिसका साक्षी केतकी का फूल भी है. भगवान शिव तो स्वयं सारा सच जानते थे. उन्हें केतकी की इस झूठी गवाही पर गुस्सा आ गया और उन्होंने यह श्राप दिया कि उनके पूजन में कभी केतकी के फूल का उपयोग नहीं होगा. अलग-अलग कथाओं में ये भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने ब्रह्माजी को भी क्रोध में आकर श्राप दिया. कुछ कथाओं में कहा जाता है कि भगवान शिव ने क्रोधित होकर ब्रह्माजी का शीष काट दिया जिसके बाद से वो पंच मुख से चार मुख वाले हो गए.

  व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /पौराणिक कथाओं के अनुसार, शबरी माता ने श्रीराम को अपने झूठे बेर खिलाए थे. इस कथा को मां शबरी के प्रेम और ममता के प्रतीक के रूप में सुनाया जाता है. उन्हीं शबरी माता के लिए हर साल शबरी जयंती का व्रत रखा जाता है. मान्यतानुसार शबरी जयंती पर शबरी माता और श्रीराम की पूरे मनोभाव से पूजा की जाए तो भक्तों पर श्रीराम की कृपादृष्टि पड़ती है और जीवन में खुशहाली आती है. मान्यतानुसार, शबरी माता ने जब श्रीराम को बेर खिलाए थे तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. ऐसे में यहां जानिए किस दिन मनाई जाएगी शबरी जयंती और किस तरह संपन्न की जा सकती है शबरी माता और श्रीराम की पूजा.
शबरी जयंती कब है |
   पंचांग के अनुसार, शबरी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर मनाई जाती है. इस तिथि की शुरुआत इस साल 19 फरवरी की सुबह 7 बजकर 32 मिनट पर होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 20 फरवरी की सुबह 9 बजकर 58 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार शबरी जयंती 20 फरवरी, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी. इसी दिन शबरी जयंती का व्रत  भी रखा जाता है.

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