April 25, 2024
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  व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हर माह की त्रयोदशी तिथि भगवान शिव की पूजा का दिन होता है. इस दिन भक्त प्रदोष व्रत  रखकर विधि विधान से भगवान शिव   व माता पार्वती की पूजा करते हैं. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 21 अप्रैल को है और इस दिन रविवार होने के कारण यह रवि प्रदोष व्रत  है. शिव पुराण के अनुसार प्रदोष का व्रत रखने से आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है.  इस बार 21 अप्रैल को रवि प्रदोष व्रत के दिन शिववास योग समेत कई खास योग बन रहे हैं. रवि प्रदोष व्रत को भगवान शिव की पूजा अत्यंत फलदाई होगी. आइए जानते हैं 21 अप्रैल को रवि प्रदोष व्रत के दिन बनने वाले हैं कौन-कौन से खास योग.
मुहूर्त
चैत्र माह की त्रयोदशी तिथि 20 अप्रैल को रात 10 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर 22 अप्रैल को रात 1 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी. प्रदोष व्रत 21 अप्रैल को रखा जाएगा और संध्या के समय प्रदोष काल में 6 बजकर 51 मिनट से लेकर 9 बजकर 2 मिनट तक शिव पूजा का मुहूर्त है.
बन रहे हैं शुभ योग
रवि प्रदोष व्रत के दिन पूरे दिन सर्वार्थ सिद्ध योग है. इस दिन संध्या 5 बजकर 8 मिनट से अगले दिन सुबह 5 बजकर 48 मिनट तक रवि योग है. इसी समय अमृत सिद्ध योग भी रहेगा. इस दिन सुबह 11 बजकर 54 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त बन रहा है. इसके साथ ही सुबह 11 बजकर 57 मिनट तक कौलव करण योग है. इस दिन शिववास और तैतिल करण योग भी है. इस दिन भगवान शिव अपने वाहन नंदी पर विराजमान रहेंगे इसलिए शिव पूजा अत्यंत फलदाई होगी.
प्रदोष व्रत का महत्व
शिव पुराण के अनुसार प्रदोष का व्रत रखने का महत्व बताया गया है. भक्तों के प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और इससे आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / खरबूजा गर्मियों का फल है जिसका स्वाद मीठा-पानी जैसा होता है. इस फल में कई अन्य पोषक तत्वों के साथ-साथ पानी की मात्रा भी अधिक होती है, जो डिहाइड्रेशन से बचाने में भी मदद कर सकता है. खरबूजे को मीठा तरबूज भी कहा जाता है. यह एक ताज़गी देने वाला फल है. आपको बता दें कि इसका फल ही नहीं बीज भी बहुत हेल्दी होते हैं, जिससे बहुत से लोग अनजान हैं. आज इस आर्टिकल में हम आपको उन्हीं बेनेफिट्स के बारे में बताने वाले हैं.
खरबूजे के बीज फायदे -
- खरबूजे में पोटेशियम होता है, जो इसे आपके ब्लड प्रेशर  के लिए फायदेमंद बनाता है. खरबूजे में उच्च फाइबर और पानी की मात्रा रक्तचाप को नियंत्रित करने में योगदान करती है.
- खरबूजे में मौजूद पानी और फाइबर की मात्रा आपके पाचन तंत्र  के लिए अच्छी होती है. यह कब्ज को रोकने में भी आपकी मदद कर सकता है. खरबूजा खाने से मल त्याग आसान होता है.
- खरबूजा आपकी त्वचा के लिए अच्छा होता है, एंटीऑक्सीडेंट की उच्च मात्रा त्वचा को चमकदार  बानने में मदद कर सकती है और कोलेजन से भी भरपूर होता है. इसे अपने आहार में शामिल करना अच्छा है.
- खरबूजे को अपने आहार में शामिल करने से आपको कई प्रकार के पोषक तत्व मिल सकते हैं. गर्मियों के इस फल में बहुत कम कैलोरी होती है और यह फाइबर, विटामिन ए, फोलेट, पोटेशियम, प्रोटीन और विटामिन सी से भरपूर होता है.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / प्रोटीन एक जरूरी पोषण तत्व है जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है. यह हमारे शरीर के मसल्स, बाल, नाखून, त्वचा और अंगों की निर्माण और रखरखाव में बड़ी भूमिका निभाता है. हर किसी को अपने रूटीन में प्रोटीन को शामिल करना चाहिए, खासकर वे लोग जो व्यायाम या शारीरिक काम करते हैं, लेकिन, ज्यादातर लोग हाई प्रोटीन से भरपूर डाइट का पता नहीं कर पाते हैं. यहां हम कुछ ऐसे आसानी से उपलब्ध चीजों के बारे में बता रहे हैं जो प्रोटीन के सबसे अच्छे स्रोत हैं.
प्रोटीन के आसानी से उपलब्ध स्रोत |
1. अंडे: अंडे प्रोटीन का एक बेहतरीन स्रोत हैं. अंडे में सबसे ज्यादा प्रोटीन होता है और उनके खाने से आपके शरीर को जरूरी आमिनो एसिड मिलते हैं.
2. दाल: दाल भी बेहतरीन प्रोटीन स्रोत होती हैं, खासकर मूंग दाल, चना और उरद दाल. इनमें फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स भी प्रचुर मात्रा में होते हैं.
3. दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स: दूध और उससे बने प्रोडक्ट्स जैसे कि पनीर, दही और पानी भी प्रोटीन के बेहतरीन स्रोत होते हैं.
4. मछली: संतुलित तरीके से खाई गई मछली भी अच्छा प्रोटीन स्रोत होती है. यह ओमेगा-3 फैटी एसिड्स का भी अच्छा स्रोत है जो हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद होती है.
5. सोया: सोया भी हाई प्रोटीन का स्रोत है. खासकर उन लोगों के लिए जो शाकाहारी होते हैं. सोया को कई तरीकों से खाया जा सकता है.
इन चीजों को अपनी डाइट में शामिल करके आप अपने शरीर को प्रोटीन की जरूरत को पूरा कर सकते हैं. ध्यान रहे कि आपकी डाइट में संतुलित मात्रा में प्रोटीन होना चाहिए और साथ ही अन्य पोषक तत्वों का भी समावेश होना चाहिए.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / हाई यूरिक एसिड एक ऐसी समस्या है जिसमें अपनी डाइट का खास ख्याल रखना पड़ता है, क्योंकि हमारे खानपान की वजह से भी ये समस्या बढ़ जाती है. अगर आपको यूरिक एसिड की समस्या है, तो आपने शायद यह सुना होगा कि कुछ मसाले इस समस्या को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं. जीरा एक प्राचीन भारतीय मसाला है जिसे व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन इसके स्वास्थ्य लाभ भी हैं जो कि ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं. जीरा को कई घरेलू उपायों में दवाई के रूप में भी उपयोग किया जाता है, खासतौर से डायबिटीज और यूरिक एसिड जैसी बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए जीरे के फायदे गिनाए जाते हैं.
डायबिटीज में जीरे के फायदे:
डायबिटीज में इंसुलिन की कमी होती है जो कार्बोहाइड्रेट को शरीर में एनर्जी में बदलने में समर्थ नहीं होती है. इससे ब्लड शुगर लेवल जाता है. जीरा डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभकारी हो सकता है क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है.
यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में जीरे के फायदे |
यूरिक एसिड एक प्रकार की प्राकृतिक यौगिक है जो हमारे शरीर में पुरानी प्रोटीन अवशेषों के अलग होने पर बनता है. यह ज्यादा मात्रा में होने पर यह कई समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि गठिया और यूरिक एसिड लेवल की बढ़ोतरी. जीरा में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और अन्य पौष्टिक तत्वों की वजह से यह यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में सहायक हो सकता है.
जीरा का उपयोग कैसे करें:
जीरा का ताजा सेवन: एक छोटी सी मात्रा में ताजा जीरा खाने से शरीर को पोषक तत्व मिलते हैं और यूरिक एसिड को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है.
जीरा का पानी: एक कप गर्म पानी में थोड़ा सा जीरा मिलाकर पीने से यूरिक एसिड लेवल को कम किया जा सकता है.
जीरा का तेल: जीरा का तेल भी उपयोगी हो सकता है. इसे खाने में या खाने के बाद उपयोग किया जा सकता है.
सावधानियां:
जीरा का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें, खासकर अगर आप किसी भी मेडिकल कंडिशन में हैं.
ज्यादा मात्रा में जीरा का सेवन न करें.
जीरा एक सस्ता और सामान्य मसाला है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अनेक लाभ प्रदान कर सकता है, लेकिन यह बेस्वाद नहीं है, बल्कि इसका उपयोग खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जा सकता है.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / आज के समय में जहां अमूमन लोग मोटापे की वजह से परेशान हैं तो, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने दुबलेपन को लेकर के परेशान रहते हैं. दुबलापन न सिर्फ उनकी पर्सनैलिटी को खराब करता है. बल्कि कई लोग इसका मजाक भी उड़ाते हैं. हद से ज्यादा दुबलापन आपको बीमार भी बना सकता है. कई बार लोगों की डाइट अच्छी होती है फिर भी उनपर फैट चढ़ता ही नही है. वहीं कई बार लाख कोशिशों के बाद भी सेहत पर कोई सुधार नहीं दिखता है. ऐसे में आपके काम आ सकता है एक जबरदस्त घरेलू नुस्खा. आपके किचन में मौजूद एक ड्राई फ्रूट आपका वेट गेन करने में आपकी मदद कर सकता है. हम बात कर रहे हैं किशमिश की. बता दें कि ये छोटी सी किशमिश कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है जो वजन बढ़ाने में आपकी मदद कर सकती है.
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश हुई एक रिसर्च में भी इस बात की पुष्टि की गई है कि किशमिश अन्य स्वास्थ्य लाभों के साथ वजन बढ़ाने में भी आपकी मदद कर सकती है. 100 ग्राम किशमिश में लगभग 299 कैलोरी होती है. ऐसे में अगर आप वेट गेन करना चाहते हैं, तो किशमिश का सेवन कर सकते हैं. किशमिश में डाइटरी फाइबप, पोटैशियम, मैग्नीशियम, विटामिन सी, विटामिन ई पाया जाता है. इसके अलावा भी इसमें ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो वजन बढ़ाने में आपकी मदद कर सकते हैं.
वजन बढ़ाने के लिए किशमिश का सेवन कैसे करें
अगर आप तेजी से वजन बढ़ाना चाहते हैं तो हर रोज 10-12 किशमिश को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं. आप रात को सोने से पहले 10-12 किशमिश को पानी में भिगोकर रख दें. अगले दिन सुबह उठकर खाली पेट इस किशमिश का सेवन करें. इसके अलावा आप इसे शेक, स्मूदी या पिर हलवा, खीर में डालकर भी इसको खा सकते हैं.

ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /आज के समय में हर कोई चाहता है कि वो हमेशा यंग नजर आए. उम्र बढ़ने के साथ चेहरे पर दिखने वाले लक्षण जैसे लूज स्किन, झुर्रियां नजर आने लगती हैं. इसी के साथ बढ़ती उम्र के लक्षण आपके पूरे शरीर में सबसे पहले चेहरे पर नजर आते हैं. इनको कम करने के लिए कई तरह की स्किन ट्रीटमेंट्स की मदद लेते हैं. महंगे स्किन केयर प्रोडक्ट्स का भी इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटते हैं लेकिन इनका रिजल्ट हमेशा वैसा नहीं मिलता है जैसा चाहिए होता है. वहीं इन सब में मौजूद केमिकल्स स्किन को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं. ऐसे में बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने के लिए आप घरेलू नुस्खों की मदद ले सकते हैं.
क्या आपको पता है कि बढ़ती उम्र को रोकने और आपको जवान बनाए रखने में आपके किचन में मौजूद एक मसाला आपकी मदद कर सकता है. दरअसल हम बात कर रहे हैं दालचीनी की. ये न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने में मदद करती है. बल्कि ये आपकी स्किन के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है. एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होती है जो हमारी स्किन के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. हालांकि इसका सेवन बुढ़ापा आने से रोक नहीं सकता है लेकिन लंबे समय तक जवान बनाए रखने में मदद कर सकता है.
शरीर में कुछ हानिकारक फ्री रेडिकल्स पाए जाते हैं जो आपको तेजी से बूढ़ा बना सकते हैं. ऐसे में दालचीनी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं जिससे आपकी स्किन लंबे समय तक जवान और टाइट बनी रह सकती है.
दालचीनी का पानी बनाने का तरीका
    एक पैन लें और उसमें एक कप पानी डाल कर इसे उबाल लें.
    अब इसमें एक दालचीनी का टुकड़ा डालें और इसे 5-10 मिनट तक उबलने दें. इसके बाद इस पानी को छानकर निकाल लें.
    आप इसमें शहद या नींबू का रस मिला सकते हैं.
    आप इस पानी का सेवन सुबह खाली पेट या फिर रात को सोने से पहले कर सकते हैं.

  व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / इस साल शुक्रवार 19 अप्रैल, 2024 शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी मनाई जाएगी. इसे फलदा एकादशी भी कहते हैं. इस दिन लक्ष्मी पति भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से जगपालक भगवान श्रीहरि विष्णु  प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकमानाएं पूर्ण होती हैं. मान्यता है कि कामदा एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. कहते हैं इस व्रत का प्रताप 100 यज्ञों के समान है. कहा गया है कि कामदा एकादशी पर विधि-विधान से अगर पूजा कर कथा सुनी जाए तो पुण्य की प्राप्ति होती है और जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं. यहां पढ़िए कामदा एकादशी की व्रत कथा.
कामदा एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को कामदा एकादशी की व्रत की कथा सुनाई थी. रघुकुल के राजा और भगवान राम के पूर्वज राजा दिलीप ने भी कामदा एकादशी की कथा  को अपने गुरु वशिष्ठ से सुना था. प्राचीनकाल में पुंडरीक नाम का एक राजा था. वह हर वक्त भोग-विलास में डूबा रहता. उसके ही राज्य में एक पति-पत्नी रहते थे जिनका नाम ललित और ललिता था. दोनों में प्रगाढ़ प्रेम था. एक दिन राजा की सभा में ललित संगीत सुना रहा था कि तभी उसका ध्यान अपनी पत्नी की ओर चला गया और उसका स्वर बिगड़ गया. यह देख राजा पुंडरीक का क्रोध सातवें आसमान पर पहुंच गया.
राजा इतना क्रोधित हुआ कि उसने क्रोध में आकर ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया. राजा के श्राप से ललित मांस खाने वाला राक्षस बन गया. अपने पति का हाल देख ललिता का दुख चरम पर पहुंच गया. पति को ठीक करने वह हर किसी के पास गई और इसका उपाय पूछा. आखिरकार थक-हारकर वह विंध्याचल पर्वत पर श्रृंगी ऋषि के आश्रम पहुंची और ऋषि से अपने पति का सारा हाल सुनाया. ऋषि ने ललिता को कामदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी.
ऋषि ने कामदा एकादशी का व्रत का प्रताप बताया और ललिता से इस व्रत  को करने को कहा. ललिता ने ऋषि के बताए अनुसार शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए विधि-विधान से पूजा अर्चना की. अगले दिन द्वादशी को पारण कर व्रत को पूरा किया. भगवान विष्णु की कृपा से उसके पति को फिर से मनुष्य योनि मिली और राक्षस योनि से मुक्त हो गया. इस तरह दोनों का जीवन हर तरह के कष्ट से मिट गया. फिर श्रीहरि का भजन-कीर्तन करते दोनों मोक्ष को प्राप्त हुए.

व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / भारत में कई छोटे-बड़े त्योहार मनाए जाते हैं. इन त्योहारों में गणेश चतुर्थी भी शामिल है तो गुरु नानक जयंती और क्रिस्मस भी. साल के शुरूआती चार महीने लगभग निकल चुके हैं और आने वाले 8 महीनों में कई त्योहार और व्रत पड़ेंगे. यहां जानिए कौनसे हैं ये त्योहार और किन-किन तारीखों पर ये व्रत रखे जाने हैं. साथ थी, साल में कब-कब प्रदोष व्रत रखा जाएगा और कौनसी एकादशी  किस दिन है जानिए यहां.
साल 2024 में अप्रैल से लेकर दिसंबर तक के त्योहार |

17 अप्रैल - राम नवमी
21 अप्रैल - महावीर जयंती
8 मई - रबिंद्रनाथ जयंती
23 मई - बुद्ध पूर्णिमा
17 जून - बकरीदय- ईद-उल-अधा
7 जुलाई - रथ यात्रा
17 जुलाई - मुहर्रम
15 अगस्त - स्वतंत्रता दिवस
15 अगस्त - पारसी नया साल
19 अगस्त - रक्षाबंधन
26 अगस्त - जन्माष्टमी
7 सितंबर - गणेश चतुर्थी
15 सितंबर - ओणम
16 सितंबर - मिलाद-उन-नबी
2 अक्टूबर - गांधी जयंती
3 अक्टूबर - शारदीय नवरात्रि का पहला दिन
10 अक्टूबर - महा सप्तमी
11 अक्टूबर - महानवमी
12 अक्टूबर - दशहरा
17 अक्टूबर - महाऋषि वाल्मीकि जयंती
20 अक्टूबर - करवाचौथ
31 अक्टूबर - नरक चतुर्दशी
31 अक्टूबर - छोटी दीपावली
1 नवंबर - बड़ी दीवाली
2 नवंबर - गोवर्धन पूजा
3 नवंबर - भाई दूज
7 नवंबर - छठ पूजा
15 नवंबर - गुरु नानक जयंती
24 नवंबर - गुरु तेग बहादुर शहीद दिवस
25 दिसंबर - क्रिस्मस
अन्य व्रत
4 मई - वरुथनी एकादशी
5 मई - प्रदोष व्रत
6 मई - मासिक शिवरात्रि
8 मई - वैशाख अमावस्या
10 मई - अक्षय तृतीया
11 मई - विनायक चतुर्थी
14 मई - गंगा सप्तमी
17 मई - सीता नवमी
19 मई - मोहिनी एकादशी
26 मई - सकंष्टी चतुर्थी
2 जून - अपरा एकादशी
4 जून - मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत
6 जून - ज्येष्ठ अमावस्या
16 जून - गंगा दशहरा
18 जून - निर्जला एकादशई
19 जून - प्रदोष व्रत
2 जुलाई - योगिनी एकादशी
3 जुलाई - प्रदोष व्रत
4 जुलाई - मासिक शिवरात्रि
5 जुलाई - अमावस्या
19 जुलाई - प्रदोष व्रत
31 जुलाई - कामिका एकादशी

1 अगस्त - प्रदोष व्रत
6 अगस्त - मंगला गौरी व्रत
7 अगस्त - हरियाली तीज
9 अगस्त - नाग पंचमी
17 अगस्त - प्रदोष व्रत
22 अगस्त - कजरी तीज
29 अगस्त - अजा एकादशी
31 अगस्त - प्रदोष व्रत
2 अक्टूबर - अमावस्या
13 अक्टूबर - पापंकुशा एकादशी
15 अक्टूबर - भौम प्रदोष व्रत
17 अक्टूबर - शरद पूर्णिमा
28 अक्टूबर - एकादशी
13 नवंबर - तुलसी विवाह
15 नवंबर - देव दीवाली
26 नवंबर - उत्पन्ना एकादशी
28 नवंबर - प्रदोष व्रत
1 दिसंबर - मार्गशीर्ष अमावस्या
15 दिसंबर - धनु संक्रांति
26 दिसंबर - सफला एकादशी
28 दिसंबर - प्रदोष व्रत

आस्था /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में किसी भी तरह की पूजा में देवी देवताओं को भोग  चढ़ाने का बहुत महत्व है, जिसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. भोग अर्पित करने से ही पूजा पूर्ण होती है.  पूजा छोटी हो या फिर बड़ा अनुष्ठान धूप दीप के बाद भगवान को भोग प्रसाद  जरूर अर्पित किया जाता है.  हिंदू धर्म में भगवान को भोग लगाना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. पूजा के बाद प्रसाद लोगों में बांट दिया जाता है, लेकिन कुछ लोग ऐसा नहीं करते. कई लोग अक्सर भगवान को भोग लगाने के बाद मंदिर में भगवान के सामने प्रसाद छोड़ देते हैं. ऐसा करना सही या गलत आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे.
 भगवान को भोग अर्पित करने के नियम
 ज्योतिषाचार्य के मुताबिक भगवान को भोग लगाते वक्त कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
    भगवान को भोग सोने, चांदी, लकड़ी तांबे या फिर मिट्टी के पात्र में रखकर ही चढ़ाना चाहिए. स्टील के बर्तन  भोग के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
     भगवान को चढ़ाया हुआ भोग बाद में प्रसाद स्वरूप बांटा जाता है. इस भोग को लगाने के तुरंत बाद उठा लेना चाहिए.
     ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक देवता के सामने कई घंटे तक रखा हुआ प्रसाद नकारात्मक ऊर्जा के संपर्क में आने से अशुद्ध हो जाता है. यही वजह है कि भगवान को भोग लगाने के बाद इसे तुरंत उठा लेना चाहिए.
     ऐसा कहा गया है कि ज्यादा देर तक प्रसाद भगवान के सामने रखे रहने से विश्वकसेन, चण्डेश्वर और चांडाली नमक शक्तियों के संपर्क में आ जाता है, जो प्रसाद को अशुद्ध कर देते हैं.

 लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /खराब लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से कब्ज की समस्या होना बहुत आम बात हो गया है. यह एक ऐसी समस्या है जिससे आज के समय में अमूमन लोग जूझ रहे हैं. कब्ज की वजह से ना सिर्फ आपका पूरा दिन खराब होता है बल्कि इसका असर आपके मूड पर भी पड़ता है. इतना ही नहीं अगर इस समस्या को इग्नोर किया जाए तो आगे चलकर यह कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है. कब्ज से छुटकारा पाने के लिए कई लोग कई तरह की दवाइयों और चूरन का सेवन करते हैं, लेकिन उनका असर कुछ समय के लिए ही हो पाता है. हालांकि कुछ घरेलू नुस्खों की मदद से इस समस्या को दूर किया जा सकता है. आज हम आपको एक ऐसा ही देसी नुस्खा बताएंगे जो कब्ज की समस्या को जड़ से खत्म करने में आपकी मदद कर सकता है.
ईसबगोल  
कब्ज को दूर करने के लिए आपको अपनी डाइट में फाइबर युक्त चीजों का सेवन करना चाहिए. यह पेट को साफ करने में मदद कर सकता है. ऐसे में ईसबगोल का सेवन आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. इसमें घुलनशील फाइबर होता है जो पेट को साफ करने में मदद करता है. इसमें पाए जाने वाले तत्व आंतों में जमा गंदगी को भी बाहर निकालने में मदद करते हैं. अगर आप  रेगुलर इसका सेवन करेंगे तो आपको कब्ज, गैस और अपच जैसी समस्याओं से आराम मिल सकता है.
कब्ज में कैसे करें ईसबगोल का सेवन
कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए आप रात को सोने से पहले इसका सेवन कर सकते हैं. इसके लिए आप गुनगुने पानी, दूध या फिर दही के साथ एक चम्मच ईसबगोल मिलाकर इसको खा लें. रोज रात को इसका सेवन कब्ज से छुटकारा दिलाने में फायदेमंद साबित हो सकता है.

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