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ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / चेहरे को स्वस्थ्य और चमकदार बनाए रखने के लिए हम आप कई घरेलू नुस्खे अपनाते हैं जिसमें से एक है देसी घी. इसमें मौजूद पोषक तत्व आपकी त्वचा को नमी पहुंचाते हैं जिससे चेहरे की चमक बनाए रखने में मदद मिलती है. साथ ही घी असमय चेहरे पर नजर आने वाली झुर्रियां और फाइन लाइन को भी रोकने में मदद करती है. वहीं, आप इसमें 1 चुटकी हल्दी मिक्स कर लेते हैं, तो फिर यह झुर्रियों को 1 हफ्ते में कम कर सकती है.
इसके अलावा यह चेहरे पिंपल्स और मुंहासे के दाग-धब्बों को कम करने में मदद कर सकती है. दरअसल, घी में मॉइश्चराइजिंग गुण होते हैं और हल्दी में हीलिंग, ऐसे में दोनों का साथ में मिलना आपकी त्वचा पर जादू की तरह काम कर सकता है.
हां, लेकिन आपकी स्किन बहुत ऑयली है तो फिर यह नुस्खा आपके फेस पर विपरीत असर डाल सकता है.
इस नुस्खे के अलावा और आप अपने चेहरे की झुर्रियों और फाइन को कम करने के लिए क्या कर सकती हैं, निम्न हैं...
आप अपनी बॉडी का हाइड्रेट रखें. पूरे दिन में 8 से 10 गिलास पानी जरूर पिएं.
इसके अलावा आप खट्टे फलों का सेवन करें जिससे आपके शरीर में विटामिन सी की कमी न हो और आपके चेहरे पर कसावट बनी रहे.
विटामिन ई से भरपूर खाद्य पदार्थों का भी सेवन करें, ताकि चेहरे की नमी कम न होने पाए.
वहीं, आप अपने चेहरे को मॉइश्चराइज जरूर करें.
रात में सोने से पहले फेस को मसाज 1 मिनट जरूर दीजिए जिससे आपके चेहरे की थकावट दूर होती है.
इसके अलावा चेहरे की झुर्रियां कम करने का तरीका है, फेशियल एक्सरसाइज, जैसे - मुंह में हवा भरकर गुब्बारा फुलाएं, गहरी सांस लें और छोड़ें, गर्दन को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और फिर नीचे लाएं, माथे पर धीरे-धीरे टैप करें.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है. यह व्रत महीने में दो बार पड़ता है. मान्यता है प्रदोष व्रत में महादेव की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, आरोग्य का वरदान मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. इसके अलावा प्रदोष तिथि पर उपवास करने से विवाह में आ रही बाधा दूर होती है और दांपत्य जीवन में खुशियां बनी रहती हैं. ऐसे में फरवरी महीने का पहला प्रदोष व्रत कब है, पूजा मुहूर्त और पूजा विधि क्या है, आइए जान लेते हैं.
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त 2025 -
पंचांग के अनुसार, फरवरी माह का पहले प्रदोष की तिथि 9 फरवरी दिन रविवार को शाम 7 बजकर 25 मिनट से अगले दिन यानी 10 फरवरी सोमवार को शाम 6 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. आपको बता दें कि प्रदोष व्रत की पूजा रात में की जाती है, ऐसे में प्रदोष व्रत 9 फरवरी 2025 को रखा जाएगा. फरवरी माह का पहला प्रदोष रविवार को पड़ रहा है इसके कारण यह रवि प्रदोष होगा.
रवि प्रदोष व्रत पूजा विधि -
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े धारण करें. इसके बाद शिव जी का ध्यान करते हुए प्रदोष व्रत का संकल्प करें.
- अब आप पूजा घर की अच्छे से सफाई करें. फिर पूजा की चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और देवी पार्वती की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें.
- इसके बाद आप फूल, बेलपत्र, भांग और धतूरा आदि अर्पित करें. वहीं, अगर आप प्रदोष व्रत की पूजा मंदिर में कर रहे हैं तो पुरुष भक्त शिवलिंग पर जनेऊ अर्पित करें और महिला व्रती देवी पार्वती को सिंगार का सामान चढ़ाएं.
- वहीं, भगवान शिव के सिरे पर चंदन से त्रिपुंड बनाएं और घी का दीपक जलाएं. भोग में खीर का भोग लगाएं. अंत में शिव आरती, मंत्र और कथा से पूजा का समापन करें.
प्रदोष व्रत मंत्र -
प्रदोष व्रत पर कुछ शिव मंत्रों का जाप कर लेते हैं, तो उपवास का फल दोगुना मिल सकता है. ...
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
ऊं पषुप्ताय नमः
ॐ नमः शिवाय
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /बसंत पंचमी देवी सरस्वती की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है. यह पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है इस दिन देवी सरस्वती की विधि-विधान से पूजा करने से बुद्धि ज्ञान के साथ ही सौभाग्य, तरक्की व धन धान्य की प्राप्ति होती है. लेकिन इस साल सरस्वती पूजा यानी बसंत पंचमी 2 फरवरी है या 3, इसको लेकर लोग बहुत कंफ्यूज हैं. ऐसे में आज हम आपको यहां पर बसंत पंचमी की सही तारीख, सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और भोग बताने जा रहे हैं...
कब है बसंत पंचमी 2025 -
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरूआत 2 फरवरी को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर होगा. वहीं, इसका समापन 3 फरवरी को सुबह 6 बजकर 52 पर होगा. उदयातिथि पड़ने के कारण बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी.
बसंत पंचमी पर मां सरस्वती पूजा का मुहूर्त -
02 फरवरी को सुबह 7:09 मिनट से लेकर दोपहर 12:35 मिनट तक रहेगा. इस दिन पूजा के लिए सिर्फ 5 घंटे 26 मिनट का समय मिलेगा.
बसंत पंचमी महत्व -
बसंत पंचमी छात्रों और शिक्षार्थियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. इस दिन, स्कूल और कॉलेज में देवी सरस्वती का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. कई ज्योतिषी बसंत पंचमी को अबूझ दिवस के रूप में मानते हैं. यह विश्वास सरस्वती पूजा के महत्व को बढ़ाता है, जिससे पूरा दिन पूजा और अच्छे कामों के लिए शुभ हो जाता है.
बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को लगाएं ये भोग -
बेसन लड्डू, केसर रबड़ी, पीले चावल, बूंदी या बूंदी के लड्डू भोग में लगा सकते हैं. ये सारी चीजें देवी सरस्वती को बहुत प्रिय है.
आस्था /शौर्यपथ / प्रयागराज को धर्म के केंद्र के रूप में देखा जाता है. यहां सालों से लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए संगम में डुबकी लगाने आते हैं. महाकुंभ के दौरान संगम में स्नान करने का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है. माना जाता है कि महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने वालों के सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. संगम में स्नान करने के बाद भी लोग 1-2 दिन प्रयागराज में रुकने का मन बनाते हैं. ऐसे में अगर आप भी प्रयागराज में रुक रहे हैं तो यहां के कुछ प्राचीन मंदिरों के दर्शन करने जा सकते हैं.
प्रयागराज के प्रमुख मंदिर |
सोमेश्वर नाथ मंदिर
प्रयागराज के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है सोमेश्वर नाथ मंदिर. यह शिव मंदिर यमुना तट के अरैल गांव में स्थित है. माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना स्वयं चंद्रमा ने की थी. पौराणिक कथा के अनुसार माता सती के पिता दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को क्रोध में श्राप दे दिया था जिससे चंद्रमा कुरुप हो गए थे. चंद्रमा इस घटना के बाद भगवान शिव के पास पहुंचे. इसके बाद ही भगवान शिव के कहने पर चंद्रमा ने सोमेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना की और यहां रहकर महादेव का पूजन करने लगे. इस पूजा-पाठ से चंद्रमा का क्षय रोग ठीक हो गया था.
श्री बड़े हनुमान मंदिर
प्रयागराज का एक और प्राचीन और प्रमुख मंदिर है श्री बड़े हनुमान मंदिर है. इस मंदिर में हनुमान जी लेटे हुए हैं. लेटे हुए हनुमान जी की मूर्ति की लंबाई लगभग 20 फीट है. इस मंदिर को बांध वाले मंदिर भी कहा जाता है.
नाग वासुकी मंदिर
प्रयागराज के दारागंज में स्थित है नाग वासुकी मंदिर. यह नाग देवता का मंदिर है और नाग वासुकी को नागों का राजा कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान नागराज वासुकी मंदराचल पर्वत को रगड़ने से जख्मी हो गए थे और भगवान विष्णु ने उनसे प्रयागराज जाने के लिए कह दिया था. मान्यतानुसार इस मंदिर में ही नाग वासुकी ने आराम किया था और जब मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आई थीं तो सीधा पाताल लोक चली गई थीं और उनकी धार नाग वासुकी के फन पर आकर गिरी थी. इस पूरे घटनाक्रम के चलते ही इस स्थान को भोगवती तीर्थ भी कहा जाता है.
शंकर मंडपम
प्रयागराज में भगवान शिव का एक और प्रमुख मंदिर है शंकर विमान मंडपम. यह मंदिर त्रिवेणी संगम पर स्थित है. इस मंदिर को शंकराचार्य की स्मृति में बनाया गया है. इस मंदिर की उंचाई लगभग 130 फीट बताई जाती है और यह भव्य मंदिरों की गिनती में आता है.
वेणी मंदिर
प्रयागराज के दारागंज में स्थित है वेणी मंदिर. महाकुंभ में स्नान करने के पश्चात वेणी मंदिर के दर्शन करने भी जाया जा सकता है. इस मंदिर में विष्णु भगवान का श्री वेणी माधव स्वरूप है और उनके साथ ही मां लक्ष्मी यहां विराजमान हैं. माना जाता है कि प्रयागराज की सुरक्षा के लिए ब्रह्माजी ने भगवान विष्णु से उनके बारह स्वरूपों की स्थापना करवाई थी. इसी के बाद से भगवान विष्णु यहां विराजमान हैं. इस मंदिर के दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है.
व्रत त्यौहार/शौर्यपथ/सनातन धर्म में जिस तरह मां लक्ष्मी को धन और वैभव की देवी कहा गया है, उसी प्रकार मां सरस्वती को ज्ञान औऱ बुद्धि की देवी कहा गया है. सरस्वती मां ज्ञान, विवेक और बुद्धि के साथ साथ कला और संगीत की भी आराध्य हैं. इनकी कृपा से व्यक्ति जीवन में बुद्धि और विवेक का भरपूर उपयोग करता है और कला संगीत के जरिए समाज में मान सम्मान प्राप्त करता है. बसंत पंचमी का त्योहार मां सरस्वती को समर्पित है. कहा जाता है कि इसी दिन मां सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी. चलिए जानते हैं कि इस साल बसंत पंचमी का त्योहार कब मनाया जाएगा और साथ ही साथ जानेंगे कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा कैसे करें.
कब है बसंत पंचमी
हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा और अर्चना की जाती है. पिछले कुछ सालों में जिस तरह हर पर्व और त्योहार की तिथि को लेकर संशय खड़ा होता है, उसी प्रकार इस साल भी लोग बसंत पंचमी की डेट को लेकर कंफ्यूज हैं. लोग संशय में हैं कि इस साल यानी 2025 में बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी या 3 फरवरी को. दरअसल इन दोनों ही दिनों में पंचमी है इसलिए ये कंफ्यूजन हो रहा है. माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 2 फरवरी को यानी शनिवार के दिन सुबह 9 .14 मिनट से शुरू हो रही है. पंचमी तिथि का समापन अगले दिन यानी 3 फरवरी, दिन रविवार को सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर हो जाएगा. द्रिक पंचांग में पर्व और त्योहारों का समय देखने के लिए उदया तिथि को देखा जाता है. उदया तिथि को देखा जाए तो बसंत पंचमी का पर्व 2 फरवरी यानी शनिवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन मां सरस्वती की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह सात बजकर नौ मिनट पर शुरू हो रहा है और 12 बजकर 35 मिनट पर खत्म होगा. यानी इस दिन जातक इन साढ़े पांच घंटों में मां सरस्वती की पूजा कर पाएंगे.
बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा का महत्व
कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन ही ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती की रचना की थी. हंस पर सवार होकर जब मां सरस्वती आती हैं तो ज्ञान चक्षु खुल जाते हैं और जातक को विवेक प्राप्त होता है. बसंत पंचमी के दिन ही घर में छोटे बच्चों के लिए अक्षर अभ्यास और विद्या आरंभ का संस्कार किया जाता है. इस दिन छोटे बच्चे पहली बार कलम पकड़कर पढ़ाई लिखाई शुरू करते हैं. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की के साथ साथ कलम, संगीत के वाद्य यंत्रों की भी पूजा की भी मान्यता है. इस दिन स्कूल और कॉलेजों में भी कई तरह के आयोजन होते हैं.
इस तरह करें मां सरस्वती की विधिवत पूजा
माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन घर के सभी सदस्यों को सुबह उठकर घर की साफ सफाई करके, स्नान आदि करके पीले वस्त्र पहनने चाहिए. इसके बाद चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर मां सरस्वती की फोटो या मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए. इसके पश्चात हाथ में गंगाजल लेकर मां की पूजा का संकल्प लें. अब मां को पीले फूल अर्पित करें. मां को चंदन लगाएं और धूप दीप करें. इसके बाद मां को नैवेद्य अर्पित करें. नैवेद्य में आप पीले फल, पीली मिठाई और पीले व्यंजन चढ़ा सकते हैं. इस दिन कई लोग मां सरस्वती को लड्डू और पीले चावल का भोग लगाते हैं. भोग लगाने के बाद मां की आरती करें. इसके बाद मां सरस्वती का गायत्री मंत्र का जाप करें. बच्चों को नई लेखनी से नए कागज पर अक्षर लिखना सिखाएं. इसके बाद प्रसाद वितरित करें.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / बाल जरूरत से ज्यादा पतले होने लगते हैं तो सिर पर बालों से ज्यादा स्कैल्प नजर आने लगती है. दिन पर दिन चोटी पतली होने लगती है तो साथ ही पतले बालों को स्टाइल करना भी बेहद मुश्किल होने लगता है. ऐसे में अगर आप भी हेयर थिनिंग से परेशान हैं और चाहते हैं कि बाल मोटे और घने होने लगें तो यहां दिए घरेलू नुस्खे को आजमाकर देख सकते हैं. नारियल का तेल बालों की मोटाई को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है. जानिए नारियल के तेल में किस तरह मेथी और करी पत्तों को डालकर बालों पर लगाया जाए कि बालों की ग्रोथ भी बढ़े और बाल घने भी होने लगें.
पतले बालों पर लगाएं नारियल तेल, मेथी और करी पत्ते |
नारियल के तेल में फायदेमंद फैटी एसिड्स होते हैं जो बालों को मोटा और घना बनाने में मदद करते हैं. इस तेल में अगर मेथी और करी पत्तों को मिलाकर लगाया जाए तो बालों को घना बनने में मदद मिल सकती है. सबसे पहले कटोरी में नारियल का तेल डालकर आंच पर चढ़ा दें. इसमें गुच्छा भरकर करी पत्ते और एक चम्मच मेथी के दाने डालकर पका लें.
जब तेल अच्छे से पक जाए तो इसे ठंडा होने के लिए अलग रख दें. यह तेल बालों पर जब भी लगाना हो हल्का गर्म करें और फिर इसे सिर की जड़ों से सिरों तक लगाकर मालिश करें और एक से डेढ़ घंटे बाद सिर धोकर साफ कर लें.
मिलते हैं कई पोषक तत्व
मेथी के दानों में निकोटिनिक एसिड और प्रोटीन होता है. इससे बालों को मजबूती मिलती है, बाल पतले नहीं होते हैं, स्कैल्प पर होने वाला फॉलिकल डैमेज कम होता है और बालों की ग्रोथ बेहतर होती है. मेथी के दानों को अगर चाहें तो हेयर मास्क बनाकर भी लगा सकते हैं. हेयर मास्क बनाने के लिए मेथी के दाने रातभर भिगोकर रखें और इन दानों को पीसकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट बालों पर आधे से एक घंटे लगाकर रखने के बाद धोकर हटाया जा सकता है.
करी पत्तों में विटामिन सी, विटामिन बी और कई एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो बालों के लिए फायदेमंद हैं. करी पत्तों से स्कैल्प पर ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. इससे स्कैल्प से लेकर बालों के सिरों तक को फायदा मिल जाता है. करी पत्तों से ना सिर्फ बाल बढ़ते हैं बल्कि बालों पर चमक भी आती है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /सुबह की शुरूआत अक्सर लोग गरम पानी से करते हैं. क्योंकि इससे शरीर में जमी सारी टॉक्सिन्स मल मूत्र के सहारे बाहर आ जाता है. वैसे ही अगर रोज सुबह खाली पेट धनिया पानी का सेवन करते हैं, तो यह आपके शरीर को गुनगुने पानी से कहीं ज्यादा फायदे शरीर को पहुंचा सकता है, जिसके बारे में हम यहां पर विस्तार से बताने वाले हैं...
सुबह खाली पेट धनिया पानी पीने के फायदे
वेट लॉस होता है
अगर आप अपना वजन घटाना चाहते हैं तो फिर आपकी वेट लॉस जर्नी आसान हो सकती है. इससे शरीर में जमी चर्बी धीरे-धीरे गलने लगती है. यह आपकी पाचन क्रिया को बेहतर करता है जिससे गैस, अपच और कब्ज की दिक्कतें दूर होती हैं.
ब्लड शुगर बढ़ाता है
ब्लड शुगर को भी धनिया पानी कंट्रोल करता है. यह विशेष रूप से इंसुलिन लेवल को बढ़ाने का काम करता है. जो लोग मधुमेह रोगी हैं उन्हें तो खासतौर से इस पानी को पीना चाहिए.
हार्ट हेल्थ के लिए है अच्छा
हार्ट हेल्थ के लिए भी धनिया पानी बहुत कारगर होता है. इससे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जा सकता है. यह बैड कोलेस्ट्रोल लेवल को भी घटाने का काम करता है. यह शरीर को फ्री रेडिकल्स से भी बचाने में मदद करता है.
स्किन चमकदार और हेल्दी रखे
धनिया पानी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन सी स्किन को चमकदार और हेल्दी बनाए रखता है. किडनी और लिवर से जुड़ी दिक्कतों को भी दूर करने में धनिया पानी बहुत लाभकारी होता है.
शरीर को संक्रमण से बचाता है
धनिया में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं. यह शरीर को अंदर से हेल्दी रखने में सहायक होते हैं. यह आंखों की सेहत का भी खास ख्याल रखते हैं.
धनिया पानी बनाने का तरीका
1 चम्मच धनिया बीज लीजिए फिर इसे पूरी रात भिगोकर रखें.
सबसे पहले इसे उबाल लीजिए, फिर छान.
इसके बाद पानी को हल्का गुनगुना करते सुबह खाली पेट पी लीजिए.
लाइफस्टाइल /शौर्यपथ / आजकल पैरेंट्स परवरिश को लेकर बेहद सजग हो गए हैं. वे समझ गए हैं कि जो कुछ बच्चों को छोटी उम्र से सिखाया जाए वही उनके साथ उम्रभर तक रहता है. बच्चे को जिंदगी की रेस में सबसे आगे रखने के लिए पैरेंट्स बच्चों को हर गुण सिखाने की कोशिश करते हैं. लेकिन, बच्चों में अच्छी आदतें डालने के लिए हमेशा सीधा रास्ता काम नहीं आता है. कई बार बच्चों को ऐसा लगने लगता है कि आप उनपर अच्छे गुणों को थोप रहे हैं और ऐसे में बच्चे गुड मैनर्स सीखने और समझने के बजाए उनसे भागने लगते हैं. आप यही गलती ना करें और यहां जानें किस तरह बिना थोपे बच्चों में अच्छे गुण डाले जा सकते हैं.
बच्चों पर क्यों नहीं थोपने चाहिए अच्छे गुण
बच्चे प्रेशर महसूस करता है - आप अगर बच्चे पर किसी भी काम या आदत को थोपते हैं तो बच्चा खुद के ऊपर प्रेशर महसूस करने लगता है. ऐसे में वह जितना हो सके आपकी बताई बातों से बचने की कोशिश करता है.
छलावा महसूस होता है - बच्चों को जो गुण सिखाए जा रहे हैं अगर बच्चा उन गुणों को नहीं समझता है या नहीं मानता है तो उसका उन कामों को करना छलावा जैसा लग सकता है. जैसे, अगर बच्चा किसी को सम्मान नहीं देना चाहता, उसकी निंदा करता है लेकिन आपको दिखाने भर के लिए कुछ देर के लिए ही अच्छे बनने की कोशिश करता है तो इससे बच्चे के अच्छे मैनर्स बस छलावा मात्र लग सकते हैं.
बच्चों को तनाव हो सकता है - अगर बच्चे से बार-बार एक चीज करने को कहा जाए या कहा जाए कि 'यह गुण तुम्हारे अंदर होना ही चाहिए' तो हो सकता है इससे बच्चों को तनाव या एंजाइटी होने लगे. इसीलिए कोई भी बात थोपना कभी सही नहीं होता है.
इस तरह खुद आएंगे अच्छे गुण
किसी गुण को बच्चों पर थोपने के बजाए उन्हें समझाने की कोशिश करें कि इस काम को करना क्यों जरूरी है. अगर आप उसे कह रहे हैं कि अपनी वाणी पर संयम रखना जरूरी है तो यह भी बताएं कि ऐसा क्यों करना चाहिए और संयम ना रखने पर क्या नुकसान हो सकते हैं. बच्चे उदाहरण और लॉजिक से ही सीखते हैं, हवा में की गई बातों से नहीं.
बच्चों से आप जो कुछ करने के लिए कह रहे हैं या जिन गुणों को अपनाने के लिए कह रहे हैं उसका उदाहरण खुद पेश करें. आप खुद अगर इस तरह के काम करेंगे और बच्चों के रोल मॉडल बनेंगे तो बच्चे बेहतर तरह से चीजों को समझ पाएंगे.
शौर्यपथ / प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर अखाड़ों का अमृत स्नान बुधवार को दोपहर में शुरू हुआ. तड़के संगम नोज पर भगदड़ मचने की घटना के कारण महाकुंभ का यह दूसरा अमृत स्नान देर से शुरू हुआ है. हालांकि अखाड़ों के साधुओं ने परम्परा के विपरीत कोई खास लाव—लश्कर के बिना संगम पर पहुंचकर स्नान शुरू किया. भगदड़ की वजह से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने अमृत स्नान को सुबह टाल दिया था. यह तय किया गया था कि भीड़ कम होने पर अखाड़ों के संत स्नान करेंगे.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बुधवार को कहा था कि महाकुंभ में भगदड़ को देखते हुए संतों ने मौनी अमावस्या का अमृत स्नान सुबह टाल दिया था, लेकिन भीड़ कम होने पर अखाड़े अमृत स्नान करेंगे.
बुधवार को तड़के संगम नोज पर बैरियर टूटने से भगदड़ मच गई थी, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए और उनका इलाज मेला क्षेत्र में बने अस्पताल में चल रहा है.
इसके पूर्व, सुबह सभी संत महात्माओं के लिए सिंहासन लगा था और नागा सन्यासियों सहित सभी संत महात्मा स्नान के लिए तैयार थे लेकिन भगदड़ की घटना के बारे में सुनकर अखाड़ा परिषद ने जनहित में अमृत स्नान टालने का निर्णय किया था.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगदड़ के बाद अखाड़ों द्वारा मौनी अमावस्या का अमृत स्नान किए जाने के बारे में लखनऊ में कहा, ''अखाड़ा परिषद से जुड़े हुए पदाधिकारियों के साथ मैंने खुद भी बातचीत की है. आचार्य, महामंडलेश्वरों और पूज्य संतों के साथ भी बातचीत हुई है और उन्होंने बड़ी ही विनम्रता के साथ कहा है कि श्रद्धालु जन पहले स्नान करेंगे और फिर जब उनका दबाव कुछ कम होगा और वे सकुशल वहां से निकल जाएंगे तब हम लोग स्नान करने के लिए संगम की तरफ जाएंगे.''
हर 12 वर्ष पर आयोजित होने वाला महाकुंभ संगम नगरी प्रयागराज में पिछली 13 जनवरी को शुरू हुआ था, जो 26 फरवरी तक चलेगा. मेले की मेजबानी कर रही उत्तर प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम में कुल 40 करोड़ तीर्थयात्री आएंगे.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / बसंत पंचमी हिंदू धर्म में पवित्र त्योहार में से एक माना जाता है, जो हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाया जाता है. कहते हैं कि इस दिन मां सरस्वती प्रकट हुई थीं. उन्हें विद्या की देवी कहा जाता हैं. मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने से बुद्धि का विकास होता है और वैभव-ज्ञान की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं जिस घर में सरस्वती मां की पूजा अर्चना की जाती है, वहां पर सफलता, सुख, समृद्धि आती है. ऐसे में बसंत पंचमी पर सरस्वती मां की पूजा करने के साथ ही उन्हें कुछ विशेष चीजों का भोग लगाने का भी महत्व होता है. तो चलिए आपको बताते हैं कि बसंत पंचमी पर आपको किन चीजों का भोग लगाना चाहिए.
बसंत पंचमी 2025 शुभ मुहूर्त और पूजा विधि -
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का शुभारंभ 2 फरवरी को सुबह 9:14 पर होगा. वहीं, इसका समापन 3 फरवरी को सुबह 6:52 पर होगा, ऐसे में 2 फरवरी को ही उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी मनाई जाएगी. इस दिन प्रातः काल में सबसे पहले उठकर स्नान करें, एक साफ चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर सरस्वती मां की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें. इसके बाद कलश रखें, भगवान गणेश और नवग्रह की पूजा कर सरस्वती मां की पूजा अर्चना करें और उन्हें यह नीचे दिए गए भोग जरूर लगाएं.
बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को लगाएं ये भोग -
बेसन के लड्डू -
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को पीले रंग के मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए. ये अति उत्तम माना जाता है. ऐसे में आप उन्हें बसंत पंचमी के दिन बेसन के लड्डू भोग स्वरूप अर्पित कर सकते हैं. कहते हैं बेसन के लड्डू भोग में लगाने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं और करियर के क्षेत्र में सफलता हासिल करने वालों को शुभ फल देती हैं. आप घर पर ही बेसन को घी में भूनकर इसमें चीनी, ड्राई फ्रूट्स डालकर लड्डू तैयार कर सकते हैं.
केसर रबड़ी -
बसंत पंचमी के दिन पूजा की थाली में मां सरस्वती को केसर रबड़ी का रखकर आप भोग लगा सकते हैं. इसे घर में बनाने के लिए आप एक लीटर दूध को अच्छी तरह से उबालकर एक चौथाई तक कर लीजिए, इसमें केसर के धागे डालें, काजू, बादाम, पिस्ता जैसे ड्राई फ्रूट्स डालकर ऊपर से चीनी डालें और मलाईदार केसर रबड़ी बनाएं. कहते हैं सरस्वती मां को रबड़ी का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं और ज्ञान का वरदान देती हैं.
पीले चावल बनाएं -
बसंत पंचमी के दिन आप पीले मीठे चावल का भोग भी मां सरस्वती को लगा सकते हैं. इसके लिए एक कप बासमती चावल को आधा घंटा भिगोकर रखें, फिर इसमें केसर या फिर पीले रंग का फूड कलर डालें. इसे ड्राई फ्रूट्स और चीनी की चाशनी के साथ पकाएं और मां सरस्वती को भोग लगाएं.
बूंदी या बूंदी के लड्डू का भोग -
बसंत पंचमी के मौके पर मां सरस्वती को बूंदी या बूंदी के लड्डू का भोग भी आप लगा सकते हैं. कहते हैं कि बूंदी का भोग लगाने से पढ़ाई में सफलता मिलती है और मनचाहा करियर आपको मिलता है. बूंदी, घर में ही बनाने के लिए बेसन का पतला बैटर तैयार करे. एक करछी की मदद से पतली-पतली बूंदी निकालें और गोल्डन ब्राउन होने तक तलें. इसे चाशनी में भिगोकर कुछ समय के लिए रख लें. इससे आप लड्डू भी बना सकते हैं या ऐसे ही मां सरस्वती को भोग लगा सकते हैं.
शौर्यपथ /क्या आप भी घूमने के शौकीन हैं और हर बार किसी नई जगह की तलाश में रहते हैं, तो हम यहां पर आपको भारत की 5 ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर आपको अपने जीवन में एक बार जरूर घूमकर आना चाहिए. जो लोग प्रकृति प्रेमी हैं उनके लिए तो ये जगहें किसी स्वर्ग से कम नहीं है, तो बिना देर किए आइए जानते हैं.
भारत की 5 जगहें जिसे जरूर घूमना चाहिए
1 - धरती का स्वर्ग कश्मीर
अपने जीवन में एकबार कश्मीर जरूर घूमकर आना चाहिए. इसे 'धरती का स्वर्ग' भी कहा जाता है. आप यहां पर गुलमर्ग,सोनमर्ग,श्रीनगर घूम सकते हैं. ये सारी जगहें बेहद खूबसूरत हैं.
क्या घूमें
डल झील
ट्यूलिप गार्डन
शालीमार बाग
शंकराचार्य मंदिर
निशात बाग
निगीन झील
घूमने का सही समय क्या है - 'कश्मीर' में घूमने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से अक्टूबर तक है.
2- लक्षद्वीप
लक्षद्वीप भी भारत की सबसे खूबसूरत जगह है. अगर आपको बीच पसंद है, तो ये जगह बेस्ट है. यह कपल्स के लिए बेस्ट हनीमून प्लेस हो सकता है.
क्या घूमें
बांगरम द्वीप
कावारत्ती द्वीप
कलपेनी द्वीप
मरीन संग्रहालय
कदमत आयलैंड
घूमने का सही समय - अक्टूबर से मई के बीच है.
पहाड़ों की रानी 'हिमाचल'
हिमाचल को 'पहाड़ों की रानी' के नाम से भी जाना जाता है. यहां के पहाड़ और हरी भरी वादियां देखकर मन प्रफुल्लित हो जाएगा.
कहां घूमें
कसौल
मैक्लोड़गंज
लाहुल-स्पिति
धर्मशाला
शिमला
मनाली
कुल्लु
बीर-बिलिंग
मलाना
कांगड़ा
डलहौजी
खज्जियार
मशोबरा
पालमपुर
किन्नौर
कुफरी
घूमने का सही समय - हिमाचल प्रदेश में घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मई तक का होता है.
4- केरल
मानसून में आप केरल भी घूम सकते हैं. यहां की हरियाली और नजारे आपके दिल में उतर जाएंगे. यहां से फिर आपका जाने का मन नहीं करेगा.
कहां घूमें
अल्लेप्पी
मुन्नार
वायनाड
थेक्कड़ी
श्री पद्मनाभास्वामी मंदिर
घूमने का सही समय - अक्टूबर से फरवरी तक
5- दार्जिलिंग
अगर आपको चाय के बगाने देखने हैं तो फिर आपके लिए दार्जिलिंग बेस्ट साबित हो सकता है. आप यहां पर अप्रैल से जून तक घूम सकते हैं.
कहां घूमें
नाइटेंगल पार्क
घूम रॉक
बतासिया लूप
विक्टोरिया वॉटरफॉल
टाइगर हिल
सेंथल झील दार्जिलिंग
घूमने का सही समय - दार्जिलिंग घूमने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर तक.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / सोने से पहले अपनी नाइट स्किन केयर रूटीन फॉलो करना बहुत जरूरी होता है. क्योंकि रात में त्वचा को 8 घंटे मिलता है जिसमें वो अपने आपको रिपेयर करती है. ऐसे में अगर आप विटामिन ई कैप्सूल को किसी अच्छे इंग्रीडियंट के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाती हैं, तो यह आपकी त्वचा को कई फायदे पहुंचा सकता है. आप इसमें एलोवेरा जैल मिक्स कर लेते हैं, तो फिर इसके फायदे कई गुना बढ़ सकते हैं. इन दोनों को मिक्स करके फेस पर लगाने से स्किन से जुड़ी कई दिक्कतें दूर हो सकती हैं. इसी के बारे में हम आज आर्टिकल में आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं...
त्वचा की नमी बनाए रखता है
विटामिन ई और एलोवेरा जेल दोनों में ही मॉइश्चराइजिंग गुण होते हैं. एलोवेरा जैल त्वचा को गहरी नमी प्रदान करता है और विटामिन ई आपकी त्वचा को हाइड्रेटेड और मुलायम बनाता है.
रिंकल्स को कम करता है
विटामिन ई में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो त्वचा के सेल्स को रिपेयर करने में मदद करते हैं और झुर्रियों को कम करने में सहायक होते हैं.
त्वचा को शांत करता है
एलोवेरा जेल में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा को शांत करते हैं और सूजन को कम करते हैं. विटामिन-ई त्वचा को सूर्य की किरणों से होने वाली डैमेज को रिपेयर करता है और जलन कम करता है.
आंख के काले घेरे को कम करे
आंखों के नीचे पड़े काले घेरे को कम करने के लिए रात को सोने से पहले आंखों के नीचे विटामिन-ई का तेल और एलोवेरा जेल मिक्स करके लगाएं.
काले धब्बे हल्के पड़ सकते हैं
विटामिन ई कैप्सूल के नियमित उपयोग से मुंहासे के काले धब्बे हल्के पड़ सकते हैं. विटामिन ई त्वचा को साफ करता है और दाग-धब्बों को धीरे-धीरे हल्का करने में मदद करता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. यह व्रत कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. वैसे तो हर महीने 2 एकादशी का व्रत रखा आता है, लेकिन ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर पड़ने वाली निर्जला एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है. मान्यता है यह व्रत करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पाप भी धुल जाते हैं. साथ ही, इससे मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. ऐसे में आइए जानते हैं इस साल कब है निर्जला एकादशी, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि.
निर्जला एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त -
ज्येष्ठ माह का शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 06 जून को रात 02 बजकर 15 मिनट पर होगी जिसका समापन अगले दिन यानी 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर होगा. उदयातिथि पड़ने के कारण यह व्रत 6 जून को रखा जाएगा. एकादशी का पारण द्वादशी के दिन यानी 7 जून को किया जाएगा.
निर्जला एकादशी 2025 अन्य शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 2 मिनट से 4 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. वहीं, विजया मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक, जबकि गोधूलि मुहूर्त शाम 07 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक
और निशिता मुहूर्त रात 12 बजे से 07 जून को रात 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा.
निर्जला एकादशी को ऐसे करें पूजा -
सबसे पहले प्रात: काल उठकर भगवान विष्णु का स्मरण कर निर्जला एकादशी के व्रत संकल्प करें.
फिर मंदिर व पूजा घर की अच्छे से सफाई करें पूजा की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं
अब भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को स्थापित करें और विधि-विधान से पूजा करें. भगवान विष्णु के पीले रंग का वस्त्र और फूल चढ़ाएं.
इसके बाद फल, हल्दी, चंदन, अक्षत चढ़ाएं और खीर को भोग लगाएं.
विष्णु चालीसा का पाठ करें.
व्रत करने वालों को भोजन और वस्त्र का दान करना चाहिए.
निर्जला एकादशी के व्रत लाभ -
मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन श्रीहरि की उपासना और व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति की होती है. सच्चे मन से यह व्रत करने से शरीर शुद्ध होता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. इससे व्यक्ति के अंदर आध्यत्मिकता का संचार होता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / बसंत पंचमी का दिन विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है. हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है और विधि-विधान से माता सरस्वती की पूजा की जाती है. माता सरस्वती को विद्या, बुद्धि, ज्ञान और विवेक की देवी माना जाता है. इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ भी चल रहा है और बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान भी किया जाएगा. ऐसे में बसंत पंचमी का दिन और अधिक फलदायी बन गया है. इस वर्ष अद्भुत योग में महाकुंभ का आयोजन किया गया है और यह योग 144 वर्ष साल में एक बार ही बनते हैं. इसी के साथ बसंत पंचमी पर भी 144 वर्ष बाद विशेष शुभ योग बन रहे हैं. आइए जानते हैं कब है बसंत पंचमी और 144 वर्ष बाद बन रहे विशेष योग में क्या करना चाहिए.
बसंत पंचमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
माघ माह में शुक्ल पंचमी तिथि 2 फरवरी, रविवार को सुबह 9 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 3 फरवरी सोमवार को सुबह 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी. देशभर में बसंत पंचमी का त्योहार 2 फरवरी रविवार को मनाया जाएगा.
बसंत पंचमी 2025 शुभ योग
पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पंचमी तिथि पर शनि देव सुबह 8 बजकर 51 मिनट पर पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करेंगे. पंचमी तिथि को शिव योग, सिद्ध साध्य योग और रवि योग भी बन रहे हैं.
बसंत पंचमी के दिन करें अमृत स्नान
इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है और महाकुंभ का आयोजन 12 वर्ष के बाद किया जाता है. हालांकि इस बार महाकुंभ के अवसर पर बन रहे योग पूरे 144 वर्ष के बाद बने हैं. महाकुंभ में अमृत स्नान का बहुत महत्व होता है और बसंत पंचमी के दिन भी अमृत स्नान होगा. बसंत पंचमी को संगम नगरी में गंगा यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने से अमृत स्नान के लाभ के साथ-साथ विद्या की देवी मां सरस्वती की कृपा भी प्राप्त होगी और विद्या, बुद्धि और विवेक बढ़ेगा.
कब करें स्नान
बसंत पंचमी की तिथि 2 फरवरी रविवार को सुबह 9 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 3 फरवरी सोमवार को सुबह 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी. 2 फरवरी को बसंत पंचमी का व्रत रखें और 3 फरवरी को संगम स्नान का लाभ लें. 3 फरवरी को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 33 मिनट से 6 बजकर 21 मिनट तक स्नान का सबसे अच्छा मुहूर्त है. इस समय बन रहे खास योग कई वर्षों बाद ही बनते हैं. इस शुभ मुहूर्त में स्नान से कई गुणा लाभ प्राप्त होगा.
बसंत पंचमी की पूजा का समय
बसंत पंचमी के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा से माता सरस्वती की कृपा प्राप्त की जा सकती है. 2 फरवरी को सुबह 7 बजकर 9 मिनट से शुरू होकर देर रात तक पूजा के लिए शुभ समय है. इसके साथ ही सुबह 9 बजकर 14 मिनट तक शिव योग रहेगा. इस समय पूजा करने से शिक्षा के क्षेत्र में शुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. इसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा. इस दिन सुबह पहले उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र रहेगा और उसके बाद रेवती नक्षत्र लग जाएगा. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा में बच्चों और पढ़ाई कर रहे लोगों को जरूर शामिल होना चाहिए. इससे माता की कृपा प्राप्त होती है और बुद्धि विवेक बढ़ता है. सरस्वती पूजा के दिन बच्चों से पढ़ाई लिखाई से जुड़ी चीजों का दान करवाना भी उत्तम होता है.