August 02, 2025
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आस्था /शौर्यपथ / आमतौर पर हर कोई साफ-सुथरा रहना और दिखना चाहता है. हालांकि इसके लिए वे रोजना स्नान और पूजा-पाठ भी करते हैं. स्नान को नित्यक्रिया में शामिल किया गया है. यही वजह है कि लोग नियमित तौर पर स्नान और पूजा-पाठ करते हैं. शारीरिक और मानसिक शुद्धता के लिए प्रतिदिन स्नान और पूजन जरूरी माना गया है. वैसे तो अधिकांश लोग रोजाना स्नान करते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो खासतौर पर ठंढ़ में स्नान नहीं करते हैं. ऐसे लोगों के बारे में गरुड़ पुराण में कुछ रहस्यों के बारे में बताया गया है. आइए जानते हैं कि जो लोग रोज नहीं नहाते हैं, उन्हें गरुड़ पुराण के अनुसार कौन सी सजा मिलती है और ऐसे लोग पापी क्यों कहलाते हैं.
नियमित नहाने के ये हैं फायदे
गरुड़ पुराण में भगवान, पक्षीराज गरुड़ को स्नान से जुड़े लाभ के बारे में बताते हुए कहते हैं, ऐसे लोग जो प्रतिदिन स्नान करते हैं उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है. इसके अलावा जो व्यक्ति ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर धर्म और अर्थ का चिंतन करता है उसे लौकिक और परलौकिक फलों की प्राप्ति भी होती है. पुराणों में बताया गया है कि स्नान करने के लिए हमेशा स्वच्छ जल का ही प्रयोग करें और हमेशा प्रात: काल में ही स्नान करें. ऐसे स्नान से पापकर्म भी नष्ट हो जाते हैं.
धार्मिक कार्य से पहले स्नान है जरूरी
रात्रि में सोते समय व्यक्ति के मुख से लार आदि गिरते हैं, जिससे वह अपवित्र हो जाता है. इसलिए सुबह उठकर नियमित क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करें और इसके बाद ही धार्मिक कार्य शुरू करें. यदि आप बिना स्नान के धार्मिक कार्य जैसे कि पूजा-पाठ करते हैं तो इसका कोई फल प्राप्त नहीं होता, उल्टा आप पाप के भोगी बनते हैं. ऐसे व्यक्ति को गरुड़ पुराण के अनुसार पापी माना जाता है. ऐसे व्यक्ति जीवनभर परेशानियों से घिरे रहते हैं.
- गरुड़ पुराण में यह भी कहा गया है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन सुबह स्नान नहीं करते वह जाने-अनजाने में नकारात्मक शक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. क्योंकि जहां अपवित्रता होती है वहां नकारात्मकता का वास होता है. गरुड़ पुराण में अलक्ष्मी और कालकर्णी को अनिष्ट शक्तियां के रूप में बताया गया है.
- धर्म पुराण में अलक्ष्मी को मां लक्ष्मी की बहन कहा जाता है. लेकिन अलक्ष्मी मां लक्ष्मी से बिल्कुल विपरीत हैं. मां लक्ष्मी को धन और अलक्ष्मी को निर्धनता की देवी माना गया है.
- गरुड़ पुराण के अनुसार जो व्यक्ति प्रतिदिन स्नान नहीं करते उनके घर पर अलक्ष्मी का वास होता है और ऐसे घर पर हमेशा धन का अभाव रहता है. वहीं कालकर्णी को विघ्न डालने वाली शक्ति के रूप में जाना जाता है. प्रतिदिन स्नान न करने और अपवित्र लोगों के कार्य में ये बाधा उत्पन्न करती हैं.

      सेहत टिप्स /शौर्यपथ /महिलाओं के जीवन में कुछ अनवांटेड कॉम्प्लिकेशन सामने आ सकती हैं. आज की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल में कई कपल्स को इनफर्टिलिटी की समस्या का सामना करना पड़ता है. सौभाग्य से, लाइफस्टाइल और खान-पान में बदलाव जैसे कुछ प्राकृतिक तरीके हैं, जो महिलाओं में प्रजनन क्षमता  को बढ़ावा दे सकते हैं. गर्भावस्था की तैयारी और प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को हेल्दी वेट बनाए रखने की जरूरत होती है. महिलाओं को प्रजनन के लिए एक सुरक्षित और फायदेमंद सुपरफूड   को चुनना चाहिए. ये सुपरफूड क्या हैं? वे पोषक तत्व बढ़ाने वाले स्टेपल हैं जिन्हें बेहतर स्वास्थ्य के लिए जाना जाता है.
अगर आप गर्भावस्था का प्लान बना रहे हैं, तो पोषण विशेषज्ञ लवनीत बत्रा द्वारा सुझाए गए सुपरफूड्स की एक लिस्ट यहां दी गई है, जो प्रजनन क्षमता को बढ़ाकर गर्भधारण को आसान बना देगी.
महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए सुपरफूड्स
1. अंजीर
पोषण विशेषज्ञ की लिस्ट में पहला सुपरफूड अंजीर है. ये अपने इंसुलिन कम करने वाले गुणों के लिए जाना जाता है, अंजीर पीसीओएस में भी फायदेमंद हो सकता है जो बांझपन में योगदान देता है.
2. अनार
अनार एंटीऑक्सिडेंट और अन्य जरूरी पोषक तत्वों जैसे विटामिन सी, विटामिन के, फोलेट और बहुत कुछ से भरे हुए हैं. अनार में मौजूद फोलेट और जिंक पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. वे आपको फ्री रेडिकल्स से छुटकारा पाने में मदद करते हैं, जो अंडे की कोशिकाओं और शुक्राणु दोनों को नुकसान पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं. फल, सब्जियां, अनाज और नट्स जैसे फूड्स इन फायदेमंद एंटीऑक्सीडेंट से भरे होते हैं.
3. काजू
अध्ययन का हवाला देते हुए लवनीत बत्रा कहती हैं "काजू में बहुत प्रचुर मात्रा में जिंक होता है, जो शरीर को मजबूत बनाने के साथ-साथ प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए भी जरूरी होता है." काजू के अलावा आप अपनी डाइट में दाल, चना, दलिया, दही, टोफू और डार्क चॉकलेट को भी शामिल कर सकते हैं.
4. दालचीनी
दालचीनी का एक संकेत आपकी चाय के स्वाद को बढ़ा सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी डाइट में दालचीनी प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकती है. यह मसाला मेटाबॉलिज्म को बहुत जरूरी किक स्टार्ट देता है और नॉर्मल मेंट्रुअल फ्लो को भी कंट्रोल करता है.
5. A2 गाय का दूध
पोषण विशेषज्ञ लवनीत बत्रा प्रजनन क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ गर्भावस्था के दौरान A2 गाय के दूध की सलाह देते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, "डेयरी में अच्छी मात्रा में सेचुरेटेड फैट होता है, जो प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में जरूरी भूमिका निभाता है." इसके अलावा, इनमें विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन डी, विटामिन के और विटामिन के 2 जैसे वसा में घुलनशील विटामिन भी होते हैं.

सेहत /शौर्यपथ / मखाना एक ऐसा ड्राई फ्रूट्स है जिसे सेहत के लिए बेहद गुणकारी माना जाता है. रोजाना मखाने का सेवन कर शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं. लेकिन सर्दियों के मौसम में मखाना खाना कितना सुरक्षित है ये जानना भी बेहद जरूरी है. क्योंकि मखाने की तासीर ठंडी होती है और ठंड में ठंडी चीजें खाने की मनाही होती है. आपको बता दें कि मखाने में प्रोटीन, कैल्शियम और हेल्दी फैट्स जैसे तमाम तरह के गुण मौजूद होते हैं, जो शरीर को कई लाभ पहुंचाने में मदद कर सकते हैं. मखाना एक लो कैलोरी फूड है, जिसे वजन घटाने के लिए बेस्ट माना जाता है. तो चलिए जानते हैं मखाना खाने से होने वाले फायदे.
मखाना खाते समय इन बातों का रखें खास ख्याल-
1. एलर्जी-
कई लोगों को ठंड में मखाना खाने से एलर्जी की समस्या हो सकती है. अगर आप मखाना खाते हैं और आपको स्किन में खुजली, चकत्ते या अन्य कोई एलर्जी लग रही हैं, तो फौरन इसका सेवन बंद कर दें.
2. दवाओं के साथ न खाएं-
अगर आपको किसी भी तरह की कोई समस्या है और आप दवाएं ले रहे हैं या आपका मेडिकल इलाज चल रहा है, तो आप ऐसे में अपनी डाइट में कुछ भी शामिल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
3. प्रेगनेंसी-
प्रेगनेंसी में कई चीजें खाने की मनाही होती है. क्योंकि इस दौरान मां के साथ-साथ बच्चे की सेहत का भी ख्याल रखना जरूरी है. अगर आप प्रेगनेंट है तो बिना अपने डॉक्टर की सलाह के मखाने का सेवन न करें.
4.  इंसुलिन-
ठंड के मौसम में आप अपने मन के मुताबिक कोई भी चीज डाइट में शामिल न करें. अगर आपको मखाने से एलर्जी है और आप इसका सेवन करते हैं, तो आपको गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या, इंसुलिन बढ़ने जैसी समस्या भी हो सकती है.
5. कब्ज-
सर्दियों के मौसम में कब्ज और पाचन संबंधी समस्या काफी लोगों में देखी जाती है. अगर आप भी उन्हीं में से एक हैं. तो अपनी डाइट का खास ख्याल रखें. क्योंकि कई लोगों को मखाने के सेवन से कब्ज की समस्या हो सकती हैं, जिससे आंतों में सूजन भी आ सकती है.

आस्था /शौर्यपथ /तुलसी की पवित्रता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके बिना भगवान विष्णु को भोग नहीं लगाया जाता है. यही वजह है कि तुलसी के आसपास कुछ चीजों को नहीं रखना चाहिए. मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा पवित्र और साफ-सुथरा रहता है, वहां मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर निवास करती है. यही वजह है कि तुलसी की पूजा में भी खास बातों का ध्यान रखा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी और रविवार को तुलसी में जल नहीं चढ़ाना चाहिए. आइए जानते हैं कि घर में तुलसी के आसपास किन चीजों को नहीं रखना चाहिए.
भूलकर भी झाड़ू पास में न रखें
तुलसी के पौधे के पास भूल से भी झाड़ू को ना रखें. झाड़ू से घर की गंदगी साफ की जाती है. तुलसी के पौधों को बहुत पवित्र माना जाता है. ऐसे में इस पौधे के पास में झाड़ू रखने पर मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं और घर की आर्थिक स्थिति खराब होने लगती है  
तुलसी के पास ना लगाएं कांटेदार पौधे
वास्तु शास्त्र के मुताबिक तुलसी के पौधे के बगल में कांटेदार पौधा कभी नहीं रखना चाहिए. ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है. जिससे घर परिवार के बीच आपस में कलह बढ़ने लगता है. अगर आप भी छाते हैं कि आपके घर में सुख शांति बनी रहे तो कभी भी कोई कांटेदार पौधा तुलसी के बगल में न लगाएं.
तुलसी के पास ना उतारें जूते-चप्पल
तुलसी के पौधे के आसपास जूते-चप्पल रखने का स्टैंड कभी नहीं रखना चाहिए. तुलसी बेहद पवित्र पौधा है, ऐसे में आप जब भी कहीं बाहर से आए तो वहां भूलकर जुटे चप्पल न उतारें. ऐसा करने से घर पर आर्थिक संकट के बादल मंडराने लगते हैं.
तुलसी के पास कूड़ा न रखें
घर में जहां पर तुलसी का पौधा है, उस स्थान को हमेशा साफ-सुथरा रखना चाहिए. तुलसी-पौधे के आसपास गंदगी ना होने दें. रोजाना घर कूड़े करकट को तुलसी से दूर रखना चाहिए. कहा जाता है कि इन बातों का ध्यान रखने पर मां लक्ष्मी का घर में वास होता है.

 सेहत /शौर्यपथ / मोटापा एक ऐसी समस्या है, जो अपने साथ कई तरह की बीमारियां लेकर चलती है. अगर समय रहते इसे कंट्रोल नहीं किया गया तो शरीर में कई तरह के रोग होने लगते हैं. मोटापा को बॉडी मास इंडेक्स   से ध्यान में रखा जाता है. बीएमआई के अलावा भी कई फैक्टर ऐसे होते हैं, जिनसे मोटापे की जांच होती है. सीडीसी के  मुताबिक, एक वयस्क में मोटापे को 30.0 या उससे ज्यादा से मापा जाता है. यह बात भी सच है कि मोटापा  बेहद ही आम होता है. लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से यह आपकी समस्या बनता है लेकिन एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल में बदलाव कर मोटापे पर कंट्रोल भी किया जा सकता है। आइए जानते हैं मोटापे का कारण, इससे होने वाली समस्या और इसे कंट्रोल करने का अचूक उपाय.
मोटापा कैसे बढ़ जाता है? जानें कारण 
प्रेग्नेंसी और PCOS भी वजह: जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है तो उसका वजन बढ़ जाता है. डिलीवरी के बाद बढ़े वजन को कम करना आसान नहीं होता है और यह मोटापे की वजह बनती है. वहीं, महिलाओं के प्रजनन हार्मोंस को पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम असंतुलित कर देती है. इससे भी मोटापा बढ़ जाता है.
ये फैक्टर भी मोटापे के जिम्मेदार: इसके अलावा प्रेडर विली सिंड्रोम जो जन्म से ही किसी बच्चे में पाई जाती है, उससे भी भूख ज्यादा लगती है और मोटापा आता है। वहीं,  कुशिंग सिंड्रोम हाइपोथायरायडिज्म और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी कंडिशन से भी एक्टिविटीज कम होती हैं और वजन बढ़ जाता है.
मोटापे की चपेट में कौन लोग आते हैं?
    आप क्या खाते हैं यह मोटापे की सबसे बड़ी वजह है, जैसे स्कूल, ऑफिस, घर या सोसाइटी में क्या खा रहे हैं. वह कितना हेल्दी है और कितना अनहेल्दी.
    बाहर का खाना खाते हैं तो मोटापा बढ़ना स्वाभाविक है.
    घर के आसपास एक्स्ट्रा एक्टिविटिज जैसे खेलने, वॉक करने या एक्सरसाइज की जगह न होने से.
    डिप्रेशन में रहने से वजन बढ़ जाता है. इमोशनल रेस्ट पाने के लिए खाना खाने वाले भी मोटापे के शिकार होते हैं.
    स्मोकिंग और शराब पीने वालों को मोटापे की समस्या हो सकती है.
    स्टेरॉइड और बर्थ कंट्रोल पिल्स खाने से मोटापा बढ़ सकता है.
मोटापा से हो सकती हैं ये बीमारियां
    टाइप 2 डायबिटीज
    हार्ट से जुड़ी बीमारी
    ब्लड प्रेशर
    ब्रेस्ट, कोलोन, एंडोमेट्रियल कैंसर
    स्ट्रोक
    गॉलब्लैडर की बीमारी
    फैटी लीवर
    हाई कोलेस्ट्रॉल
    स्लीप एपनिया
    सांस लेने से जुड़ी समस्याएं
    आर्थराइटिस
    बांझपन

     सेहत /शौर्यपथ /सर्दियों की दस्तक के साथ ही घुटनों और जोड़ों में दर्द की समस्या भी बढ़ जाती है. सुस्त जीवनशैली और पोषक तत्वों की कमी भी इसका एक कारण हो सकता है. कई बार दर्द इतना ज्यादा होता है कि उठना बैठना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में रोजाना के कामों को करने में भी दिक्कत आती हैं. ऐसे में शरीर में उन पोषक तत्वों की आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत होती है जिससे दर्द पर नियंत्रण किया जा सकता है. आइए जानते हैं कि किन चीजों को खाने से आपको दर्द में राहत मिल सकती है.
 डाइट में शामिल करें ये फूड्स घुटनों े के दर्द से मिलेगा छुटकारा-
1. नट और बीज
ओमेगा 3 फैटी एसिड विभिन्न प्रकार के नट्स और बीजों में भी पाया जा सकता है. अखरोट, बादाम, अलसी, चिया सीड्स या पाइन नट्स अपने आहार में शामिल कर आप दर्द में राहत पा सकते हैं. ये सूजन कम करने में भी मदद कर सकते हैं.
2. ऑलिव ऑयल
सनफ्लावर ऑयल और पीनट ऑयल सूजन को बढ़ा सकते हैं. इसकी जगह आप ऑलिव ऑयल का सेवन करें. ऑलिव ऑयल में अनसैचुरेटेड हेल्दी फैट होता और ये ओमेगा 3 फैटी एसिड का बेहतरीन सोर्स है, जिससे दर्द में राहत मिल सकती है.
3. अदरक
अदरक में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, ये दर्द में आराम पहुंचाता है और सूजन कम करता है. अदरक, शहद और नींबू का काढ़ा बना कर आप नियमित सेवन करें तो ये दर्द में आराम पहुंचा सकता है.
4. पपीता
पपीता में प्रोटीन, कैल्शियम और फॉस्फोरस पाया जाता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है और दर्द में राहत देता है. आप इसका सेवन नियमित रूप से कर दर्द में फर्क महसूस कर सकते हैं.
5. दाल और बीन्स
बीन्स और दाल सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माने जाते हैं. ये प्रोटीन, फाइबर और जरूरी मिनरल्स का बेहतरीन सोर्स हैं. इनमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं. काली बीन्स, दाल, छोले, पिंटो बीन्स और सोयाबीन सभी एंथोसायनिन के बेहतरीन स्रोत हैं, जो सूजन को कम कर सकते हैं.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / दिल्ली और आसपास के अन्य इलाकों में हवा की क्वालिटी गंभीर श्रेणी में आने से लोगों को गले में जलन, छींक और खांसी जैसे लक्षणों का अनुभव हो रहा है. वायु प्रदूषण एक धीमे जहर की तरह है जो आपके स्वास्थ्य को सबसे खतरनाक तरीके से खा जाता है. इससे अस्थमा और सांस की अन्य बीमारियों का खतरा अधिक होता है. यह न केवल आपको जोखिम में डालता है बल्कि फेफड़ों के कार्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है जिससे आपको श्वसन संबंधी सूजन का सामना करना पड़ता है. यह अनुमान लगाया गया है कि वायु प्रदूषण से दुनिया भर में हर साल लगभग 70 लाख लोगों की मौत होती है.
श्वसन रोगों के अलावा वायु प्रदूषण से हृदय संबंधी क्षति, थकान, सिरदर्द, चिंता, आंखों, नाक और गले में जलन और लीवर और खून को भी नुकसान पहुंचता है.
गुड़ में आयरन होता है जो हमारे फेफड़ों की रक्त के माध्यम से ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को बढ़ाता है. विटामिन सी से भरपूर फूड्स, विशेष रूप से नींबू और संतरे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं. ऐसे पूड्स जिनमें ओमेगा फैटी एसिड होता है, मैग्नीशियम भी शरीर को प्रदूषकों से लड़ने में मदद करते हैं. वायु प्रदूषण की बीमारियों से लड़ने में आपकी मदद करने के लिए यहां कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं जो फेफड़ों को मजबूत रखने में मदद करेंगे.
वायु प्रदूषण से बचाव के लिए घरेलू नुस्खे | Home Remedies To Prevent Air Pollution
1) नींबू, अदरक और पुदीना
नींबू सबसे प्राकृतिक क्लींजर के रूप में जाना जाता है और एंटीऑक्सिडेंट के साथ मूत्रवर्धक के रूप में काम करके शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है. सुबह सबसे पहले अदरक और पुदीना के साथ नींबू पानी पीने की सलाह दी जाती है, जो श्वसन तंत्र को बंद करने और फेफड़ों से विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मदद करता है.
2) अंगूर का रस
अंगूर का रस विषाक्त पदार्थों के निर्माण से फेफड़ों को साफ करने में मदद करता है. इस फल की त्वचा में हाई एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो फेफड़ों में सूजन को रोकने में मदद करते हैं. नतीजतन, अस्थमा और यहां तक कि फेफड़ों के कैंसर की गंभीरता में कमी देखी जा सकती है. फेफड़ों को ठीक करने के लिए इस जूस को हफ्ते में एक बार दिन में एक बार सेवन करें.
3) ग्रीन टी
सोने से पहले एक कप गर्म ग्रीन टी आपकी आंत से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है. यह आपके पाचन तंत्र को हेल्दी रखने में मदद करती है और फेफड़ों की स्थिति में सुधार करती है. अदरक, नींबू या शहद के साथ एक कप ग्रीन टी लें.
4) हल्दी अदरक की ड्रिंक
हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, कैंसर-रोधी और एंटी-टॉक्सिसिटी गुण भी होता है. यह अंगों को और नुकसान से बचाने के साथ-साथ शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायता करता है. अदरक बहुत अधिक धुएं के कारण होने वाली मतली को ठीक करने में भी मदद करता है.
5) गाजर का रस
आपके गिलास गाजर के रस में बीटा-कैरोटीन और विटामिन ए, के, सी और बी का हाई लेवल होता है. रस खून की क्षारीयता में सुधार करने में योगदान देता है और फेफड़ों के कैंसर के खतरे को भी कम करता है.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ / सलाद ड्रेसिंग और बेकिंग से लेकर कुछ स्वादिष्ट चिकन और सब्जियां तलने तक खाना पकाने के तेल और घी का उपयोग कई उद्देश्यों के लिए किया जाता है. ऑयल हमारे डिलीशियन डिशेज बनाने के साथ-साथ एक चिकनी बनावट देता है जबकि घी एक अलग स्वाद प्रदान करता है. इसके अलावा ऑयल और घी में फैट होते हैं, जो हमारे शरीर में कुछ कार्यों का सपोर्ट करते हैं. अब, लोग हाल ही में स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक हो गए हैं और इस बात की चिंता बढ़ रही है कि कौन सा तेल स्वास्थ्यवर्धक और हृदय के लिए अच्छा है. हम में से ज्यादातर लोग इस सवाल से हैरान हैं जो अभी भी अनसुलझा है. चिंता न करें, पोषण विशेषज्ञ पूजा मल्होत्रा आपकी कंफ्यूजन को दूर करने के लिए यहां कुछ टिप्स शेयर कर रहे हैं.
ऑलिव ऑयल या देसी घी कौन सा स्वास्थ्यवर्धक है?
अपने लेटेस्ट इंस्टाग्राम रील में पोषण विशेषज्ञ देसी घी और जैतून के तेल के बारे में कुछ जरूरी प्वॉइंट को लिस्टेड करती हैं ताकि हमें दोनों के बीच एक लिस्टेड ऑप्शन बनाने में मदद मिल सके. उनके अनुसार, कैलोरी वैल्यू और फैट की मात्रा के मामले में देसी घी और जैतून का तेल दोनों समान हैं. हालांकि, दोनों की फैटी एसिड संरचना काफी अलग है.
दूसरी ओर, ऑलिव ऑयल अपने मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (एमयूएफए) और ओमेगा 3 सामग्री के कारण अन्य तेलों की तुलना में हेल्दी माना जाता है. इसके अलावा, जैतून का तेल एंटीऑक्सीडेंट भी होता है और इसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं. जैतून का तेल भी हार्ट फ्रेंडली ऑयल के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह प्लांट बेस्ड होता है और इसमें जीरो कोलेस्ट्रॉल होता है. पोषण विशेषज्ञ का सुझाव है कि जैतून का तेल आदर्श रूप से कम तापमान पर खाना पकाने और सलाद में ड्रेसिंग के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
वह इस बात पर भी जोर देती हैं कि सभी ऑयल फैट और कैलोरी से भरपूर होते हैं और इनका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए.

खाना खजाना /शौर्यपथ / डोसा, सांभर और नारियल की चटनी सुनते ही मुंह में पानी आ गया ना? अगर हां तो मतलब आप भी खाने के खूब शौकीन हो. साउथ इंडियन खाना होता ही ऐसा है, जिसको सोचते ही ंमुंह में पानी आना लाजमी  है. ऑयल फ्री, लाइट, स्टीम में बने हुए खाने का स्वाद लाजवाब होता है. आप इस मील को लंच, ब्रेकफास्ट और डिनर किसी भी समय खा सकते हैं. आम तौर पर लोग मसाला डोसा या पनीर डोसा खाना ही पसंद करते हैं. लेकिन आपने कभी गाजर डोसा खाया है, जी हां आप बिल्कुल सही सुन रहे हैं गाजर डोसा. अगर नहीं तो फिर आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़िएगा जरूर क्योंकि आज हम शेयर करने वाले हैं स्पाइसी गाजर डोसा ( Spicy Carrot Dosa Recipe) की रेसिपी.  इसको बनाना भी उतना ही आसान है जैसे बाकी डोसे बनते हैं लेकिन इसमें इसकी फिलिंग के साथ थोड़ा सा बदलाव हुआ है. इस बार पनीर या आलू की जगह आपको इसमें गाजर की फिलिंग देखने को मिलेगी. तो चलिए बिना देर किए जानते हैं इसकी रेसिपी.
डोसा बनाने के लिए सामग्री
    डोसा बैटर
    गाजर
    करी पत्ता
    नारियल
    जीरा
    लाल मिर्च
    राई
    नमक
    तेल
    बटर / घी
डोसे की फिलिंग बनाने की विधि
    इसके लिए आप सबसे पहले 2 गाजर लें उनको अच्छे से धुलकर काट लें.
    अब एक कढ़ाही में तेल गर्म करें.
    इसमें जीरा, राई, 1 लाल मिर्च, करी पत्ता, नारियल और नमक डालकर कुछ देर तक अच्छे से भून लें.
    जब गाजर अच्छे से पक जाएं तो इसको आप एक प्लेट में निकालकर ठंडा होने के लिए रख दें.
    ठंडा होने के बाद इस सारे मिक्सचर को मिक्सी में ग्राइंड करके एक अच्छा पेस्ट तैयार कर लें.
    डोसे की फिलिंग बनकर तैयार है.
डोसा बनाने की विधि
    अब डोसा बनाने के लिए एक तवा लें.
    उसको गर्म होने के लिए रखें और जब वो गर्म हो जाए तो उसमें पानी के छींटे डालकर उसे ठंडा करें और तुरंत ही डोसे के बैटर को डालकर अच्छी तरह से फैलाएं.
    इसके बाद इसके ऊपर बटर लगाएं जब इसका कलर हल्का सा सुनहरा होने लगें, तब इसमें कैरेट की चटनी का पेस्ट लगाकर अच्छे से फैला दें और इसको सुनहरा होने तक पकाएं.
    आपका स्पाइसी कैरेट डोसा बनकर तैयार है.
इसे प्लेट में सर्व करें और इसे सांभर और चटनी के साथ इसका आनंद उठाएं.

  आस्था /शौर्यपथ /हिंदू पंचांग के अनुसार, सफला एकादशी इस साल 19 दिसंबर, सोमवार को पड़ रही है. एकादशी की तिथि श्रीहरि भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन विधि पूर्वक व्रत रखने और नियमों का पालने करने से भगवान की कृपा से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा इस एकादशी के दिन नारायण सहित मां  लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख का आगमन होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुासार, इस बार सफला एकादशी पर कई अति विशेष शुभ योग बन भी बन रहे हैं. ऐसे में जानते हैं कि सफला एकादशी के दिन किन उपायों को करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी.
सफला एकादशी 2022 शुभ योग
पंचांग के अनुसार ग्रहों में युवराज कहे जाने वाले बुध देव 3 दिसंबर 2022 से धनु राशि में विराजमान हैं. हालांकि सूर्य देव आज आनी 16 दिसंबर को धनु राशि में प्रवेश कर गए हैं. ऐसे में यहां सूर्य-बुध के मिलने से बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है. वहीं मकर राशि के स्वामी अपनी स्वराशि में विराजमान रहेंगे और गुरु अपनी ही राशि मीन में मौजूद रहेगें. इस दिन तीन राशियों में कई सालों बाद ऐसी स्थिति बन रही है.
सफला एकादशी 2022 मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 19 दिसंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगी और एकादशी तिथि का समापन 20 दिसंबर 2022 को सुबह 02 बजकर 32 मिनट पर होगा. सफला एकादशी व्रत का पारण के लिए शुभ समय 20 दिसंबर 2022, सुबह 08 बजकर 05 मिनट से  सुबह 09 बजकर 16 मिनट तक रहेगा.
सफला एकादशी उपाय
सफला एकादशी पौष माह के कृष्ण पक्ष में आती है. ये इस साल की आखिरी एकादशी होगी. कहते हैं कि इस दिन घर या घर की छत पर पीला ध्वज जरूर लगाएं. ऐसा करने से घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है. मान्यता है कि इस एकादशी के दिन घर की उत्तर दिशा में गेंदे का फूल लगाना बहुत शुभ होता है, क्योंकि गेंदा विष्णु जी को अति प्रिय है.

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