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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
बीजापुर/शौर्यपथ /जिला बीजापुर के स्वास्थ्य विभाग द्वारा कलेक्टर श्री संबित मिश्रा के दिशा निर्देश एवं सीईओ जिला पंचायत श्री हेमंत रमेश नंदनवार के मार्गदर्शन में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.आर. पुजारी के नेतृत्व में डॉ रत्ना ठाकुर, सिविल सर्जन एवं श्री वरुण साहू, जिला कार्यक्रम प्रबंधक के सहयोग से तथा डॉ पी. विजय, जिला नोडल अधिकारी के नेतृत्व में संचालित मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत एक व्यापक और संवेदनशील जागरूकता अभियान का सफलतापूर्वक आयोजन किया जा रहा है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकना, मानसिक रोगों से पीड़ित व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें समय पर परामर्श और चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करना।
इस मानसिक स्वास्थ्य पहल के तहत जिला बीजापुर ने न केवल 443 जिंदगियों को बेहतर बनाया बल्कि उन्हें नई आशा और आत्मविश्वास से भी भर दिया। मानसिक स्वास्थ्य केवल एक चिकित्सा सेवा नहीं है, बल्कि यह हर व्यक्ति की गरिमा और खुशहाल जीवन की कुंजी है, और इस कार्यक्रम ने यही सच्चाई साबित की है।
इस पहल के अंतर्गत विशेषज्ञ डॉक्टरों और समर्पित मानसिक स्वास्थ्य कर्मियों की टीम ने गंभीर अवसाद, चिंता विकार, तनाव और अन्य मानसिक चुनौतियों का सामना कर रहे रोगियों को परामर्श, उपचार और निरंतर समर्थन प्रदान किया जा रहा है। हर रोगी की आंखों में उम्मीद की चमक और चेहरे पर लौटती मुस्कान इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी सफलता है।
कार्यक्रम के दौरान निःशुल्क परामर्श, दवाइयाँ और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान कर यह सुनिश्चित किया गया कि किसी भी व्यक्ति को वित्तीय बाधाओं के कारण सहारा न खोना पड़े। अस्पताल प्रशासन ने विभिन्न जागरूकता अभियानों के माध्यम से यह संदेश फैलाया कि मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शारीरिक स्वास्थ्य।
इस अभियान के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ने मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। उनके योगदान को निम्नलिखित बिंदुओं में विस्तार से प्रस्तुत किया गया हैः-
’समुदाय-आधारित जागरूकता कार्यक्रमः- प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के माध्यम से गाँवों और दूरदराज के क्षेत्रों में जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इन शिविरों में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व, लक्षणों की पहचान, और उपचार के तरीकों पर जानकारी दी जा रही है। ’प्रारंभिक जांच और परामर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में नियुक्त प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों ने प्रारंभिक मानसिक स्वास्थ्य जांच की सुविधा प्रदान की। यह पहल उन रोगियों के लिए लाभकारी रही, जिन्हें समय पर विशेषज्ञों तक पहुँचने का अवसर नहीं मिलता।
’रेफरल प्रणाली का सुदृढ़ीकरणः- गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित रोगियों को उच्च स्तर के चिकित्सा संस्थानों तक रेफर करने की एक प्रभावी प्रणाली विकसित की गई। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ने रेफरल के साथ निरंतर फॉलो-अप सेवाएँ भी सुनिश्चित कीं।
’स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षणः- स्थानीय स्तर पर कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी प्राथमिक सहायता प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया गया। इससे मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा और प्रभावशीलता दोनों बढ़े।
’मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए परामर्शः- इस कार्यक्रम के अंतर्गत मानसिक रूप से विकलांग (मेन्टली डिसेबल्ड) बच्चों के लिए विशेष परामर्श सत्रों का भी आयोजन किया गया। इन सत्रों में विशेषज्ञ मनोवैज्ञानिकों और परामर्शदाताओं ने बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों को भी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी आवश्यक जानकारी और समर्थन प्रदान किया। इससे बच्चों के समग्र विकास में सहायता मिली और परिवारों को उनकी देखभाल के बेहतर तरीके सीखने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि ‘मानसिक स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण विषय है जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। इस अभियान के माध्यम से हमने न केवल मरीजों की सहायता की बल्कि समाज में जागरूकता भी बढ़ाई जा रही है। हम आगे भी ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन निरन्तर करते रहेंगे। इस अभियान के सफल आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर हम एक स्वस्थ और जागरूक समाज का निर्माण कर सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी सहायता के लिए निःशुल्क नेशनल हेल्पलाइन नंबर 14416 पर संपर्क करें। यह हेल्पलाइन अवसाद, मानसिक तनाव, और आत्महत्या रोकथाम पर परामर्श और सहायता प्रदान करती है।
भिलाईनगर/शौर्यपथ / नगर पालिक निगम भिलाई के जोन 05 अंतर्गत सेक्टर 06 नाला सफाई का निरीक्षण करने आयुक्त राजीव कुमार पाण्डेय पहुंचे। सेक्टर 06 स्थित नाला के समीपस्थ बसाहट बीएसपी द्वारा निर्मित निचला क्षेत्र है। निर्मित क्वाटर नाला के समीपस्थ एवं कम उचांई में है, जहां रिटर्निंग वाल की आवश्यकता है। बीएसपी द्वारा निर्मित जर्जर भवनों का अवलोकन कर पत्राचार हेतु जोन आयुक्त कुलदीप गुप्ता को निर्देशित किए। ताकि आने वाले समय में अप्रिय स्थिति निर्मित न हो।
आयुक्त ने जोन 01 अंतर्गत एस.एल.आर.एम. सेंटर में साफ-सफाई का अवलोकन किए एवं स्कूली बच्चों को स्वच्छता के संबंध में जागरूकता हेतु प्रशिक्षण आयोजन के लिए सेंटर प्रमुख को निर्देशित किए। वर्किगं वुमेन हास्टल निर्माण हेतु जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र से डी.आई.सी. शैलेन्द्र सिंह के साथ 2 स्थल राधिका नगर, जुनवानी रोड का अवलोकन किए। अवैध एवं अतिक्रमण निर्माणाधीन 3 मकानों का औचक निरीक्षण किया गया एवं मकान मालिको का दस्तावेज परीक्षण हेतु भवन अधिकारी एवं सहायक राजस्व अधिकारी को निर्देशित किए।
निरीक्षण के दौरान जोन आयुक्त अजय सिंह राजपूत, सहायक राजस्व अधिकारी अजय शुक्ला, कार्यपालन अभियंता अनिल सिंह, सहायक अभियंता पुरूषोत्तम सिन्हा, दीपक देवांगन उपस्थित रहे।
बारिश का मौसम,शहर क्षेत्र के सभी नालियों की नियमित रूप से निगरानी की जाए और सफाई कार्य में कोई लापरवाही न हो:आयुक्त
दुर्ग/शौर्यपथ / नगर निगम आज आयुक्त सुमित अग्रवाल ने अधिकारियों के साथ आपापुरा,गंजपारा क्षेत्र वार्ड में सफाई कार्य का निरीक्षण किया।उन्होंने सफाई कर्मी को निर्देश दिए की नालियों की तल्ले से सफाई कराई गई।
वार्डो का निरीक्षण कर रहे निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल ने साथ चल रहे अधिकारियों को वार्ड की छोटी व टूटी नालियों की मरम्मत के लिये प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिये।कच्ची सड़को में डस्ट डलवाने की बात कही।
नगर निगम आयुक्त ने स्पष्ट किया कि शहर स्वच्छता को प्राथमिकता दी जा रही है और किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे नालियों में कचरा न डालें और नगर निगम के स्वच्छता प्रयासों में सहयोग करें। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि हर वार्ड में नियमित निरीक्षण करते हुए सफाई व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए।
नगर आयुक्त ने नाली साफ कार्य का निरीक्षण किया। उन्होंने सुनिश्चित किया कि सभी नालियों की नियमित रूप से निगरानी की जाए और सफाई कार्य में कोई लापरवाही न हो।इस दौरान कर्मशाला अधीक्षक शोएब अहमद,कुणाल, राहुल सहित अमला मौजूद रहें।आयुक्त श्री अग्रवाल ने आपापुरा गंजपारा सहित अन्य क्षेत्र के नालियों ई तल्ले से सफाई कराई गई।
उन्होंने इस दौरान वार्डवासियों की समस्याएं सुनी। उन्होंने कहा कि नालियों की सफाई के दौरान दिक्कतें और बारिश का पानी निकासी हेतु व्यवस्था बनाने की बात कही।
मुख्य मार्गो से यातायात में बाधित सड़क किनारे पड़े कंडम ( कबाड़ ) गाड़ियों पर कार्रवाही कर जब्त करने अधिकारी को निर्देशित किया।उन्होंने कहा लगातार शहर हर एक वार्डो में नाले-नालियों की युद्धस्तर पर हो रही सफाई,बारिश से पहले जल जमाव की स्थिति से बचने की तैयारी की जा रही है।
- दिव्यांगजनों को नि:शुल्क मोटराईज्ड ट्रायसायकल और सहायक उपकरण का किया वितरण
- विद्यार्थियों को साइन लैंग्वेज का होना चाहिए अच्छा ज्ञान
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के दिए निर्देश
राजनांदगांव /शौर्यपथ /सचिव दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग भारत सरकार श्री राजेश अग्रवाल ने विकासखंड राजनांदगांव के ग्राम ठाकुरटोला में दिव्यांगजन कौशल विकास पुनर्वास और सशक्तिकरण समेकित क्षेत्रीय केंद्र (सीआरसी) राजनांदगांव का निरीक्षण किया और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने दिव्यांगजनों को नि:शुल्क मोटराईज्ड ट्रायसायकल एवं सहायक उपकरण वितरण किया। उन्होंने दिव्यांगजन कौशल विकास पुनर्वास और सशक्तिकरण समेकित क्षेत्रीय केंद्र (सीआरसी) राजनांदगांव परिसर में पौधरोपण किया। इस दौरान निदेशक एनआईईपीआईडी सिकंदराबाद डॉ. बीवी रामकुमार, कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे, संचालक समाज कल्याण विभाग श्रीमती रोकतिमा यादव उपस्थित थे।
सचिव दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग भारत सरकार श्री राजेश अग्रवाल ने सीआरसी सेंटर के डॉक्टर कक्ष, व्हिज्युअल थेरपी कक्ष, फिजियोथेरपी कक्ष, नैदानिक मनोविज्ञान कक्ष, विशेष शिक्षा, ऑडिओलॉजी कक्ष, वाणी एवं भाषा उपचार, सीसीसीजीपी कक्ष, आडिटोरियम, पुस्तकालय, क्लास रूम का निरीक्षण किया। सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने नैदानिक मनोविज्ञान कक्ष में ऑनलाईन पंजी संधारण के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने विशेष शिक्षा कक्ष में 11 वर्षीय बच्चे का यूडीआई के संबंध में जानकारी ली और बच्चे का निरामय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाभान्वित करने के निर्देश दिए। सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने सीआरसी सेंटर में उपस्थित दिव्यांगजनों से बातचीत की और उन्हें नि:शुल्क मोटराईज्ड ट्रायसायकल और सहायक उपकरण वितरण किया। उन्होंने डिसली क्लास रूम का अवलोकन किया। विद्यार्थियों से साइन लैंग्वेज के संबंध में बातचीत की। उन्होंने कहा कि सभी को साइन लैंग्वेज के संबंध में अच्छे से ज्ञान होना चाहिए। साइन लैंग्वेज में विशेष ध्यान देने कहा। उन्होंने कहा कि साइन लैंग्वेज का बहुत अच्छा स्कोप उपलब्ध होता है। साथ ही हिन्दी और अंग्रेजी भाषा का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। जिससे वे साइन लैंग्वेज के माध्यम से बता सके। इसके साथ ही विधि से संबंधित ज्ञान भी होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आपस में भी साईन लैंग्वेज में बात करनी चाहिए, जिससे ज्ञान बढ़ेगा। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने प्राध्यापकों को निर्देश दिए। उन्होंने प्रेक्टीकल अध्ययन-अध्यापन को अधिक से अधिक कराने कहा।
सचिव दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग भारत सरकार श्री राजेश अग्रवाल ने कौशल विकास विभाग के डिप्लोमा इन इंडियन साइन लैंग्वेज इंटरप्रिटेशन के बच्चों से मुलाकात की। उन्होंने बच्चों द्वारा किए गए कौशल कार्य की प्रशंसा की। उन्होंने सीआसी सेंटर में उपचार कराने आए दिव्यांजनों से मुलाकात की। सचिव श्री अग्रवाल ने दिव्यांग श्री आशीष देवदास और श्री रवि से बातचीत कर स्वास्थ्य के संबंध में जानकारी ली। दिव्यांग श्री आशीष ने बताया कि सीआरसी सेंटर में बहुत अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही है। पहले चलने में बहुत समस्या होती थी लेकिन अब नहीं होती है।
सचिव दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग भारत सरकार श्री राजेश अग्रवाल ने सीआरसी सेंटर के उपरी मंजिल के निर्माणाधीन कार्य का निरीक्षण किया। उन्होंने भवन निर्माण के निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप निर्माण कार्य करने निर्माण एजेंसी को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य गुणवत्तापूर्ण होना चाहिए। निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्री सीएल मारकण्डेय, एसडीएम श्री खेमलाल वर्मा, संयुक्त संचालक समाज कल्याण श्री बीएल ठाकुर, निदेशक सीआरसी श्रीमती स्मिता महोबिया सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
- स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2025 के लिए सभी तैयारी सुनिश्चित करने कहा
राजनांदगांव/शौर्यपथ /मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह ने जिला पंचायत सभाकक्ष में वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों सहित अन्य विषयों पर विस्तृत समीक्षा की। बैठक में जिला एवं जनपद पंचायत के अधिकारी वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से जुड़े रहे। जिला पंचायत सीईओ सुश्री सुरूचि सिंह ने बताया कि भारत सरकार के केन्द्रीय निगरानी समिति के अधिकारियों की टीम द्वारा जिले का निरीक्षण किया जाएगा। निरीक्षण के दौरान टीम द्वारा केन्द्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं का निरीक्षण किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को केन्द्रीय योजनाओं से संबंधित जानकारी अद्यतन करने तथा आवश्यक तैयारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्वास्थ्य अमलों द्वारा आयुष्मान वयवंदन योजना अंतर्गत 70 वर्ष एवं 70 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों के आयुष्मान कार्ड बनाए जाने की प्रगति पर संतोष जाहिर किया। सीईओ जिला पंचायत ने विनोबा एप अंतर्गत सौंपे गए कार्यों को समय-सीमा में पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने संस्थागत प्रसव, कुपोषण की रोकथाम, एनिमिया के बचाव के लिए पंजीयन की कार्रवाई शत-प्रतिशत पूरा करने के निर्देश दिए।
जिला पंचायत सीईओ सुश्री सुरूचि सिंह ने स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण अंतर्गत स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2025 की तैयारियों के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने जिले के सभी ग्रामों में प्रत्येक शनिवार को स्वच्छता त्यौहार का आयोजन करने के निर्देश दिए। इस दौरान श्रमदान करते हुए ग्राम की साफ-सफाई, स्वच्छता रैली, दीवार लेखन, शपथ ग्रहण, स्कूल में प्रतियोगिताएं एवं अपशिष्ट प्रबंधन पर कार्यशाला आयोजित करने कहा। इन कार्यक्रमों में ग्राम पंचायत, स्व-सहायता समूह, युवा क्लब, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक, विद्यार्थी और ग्रामीणों को शामिल करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2025 अंतर्गत खुले में शौच मुक्त ग्रामों की स्थिति, अपशिष्ट प्रबंधन, सहभागिता और स्थायी ढांचे जैसे मापदंडों पर गांवों का मूल्यांकन किया जाएगा। साथ ही सिटीजन फीडबैक भी एक अहम बिंदु होगा। जिसके लिए ग्रामीणों को मोबाइल एप के माध्यम से सुझाव देने के लिए प्रेरित करने कहा। गांव-गांव में बैनर, पोस्टर, ऑडियो संदेश, नुक्कड़ नाटक एवं सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रचार एवं जागरूक करने के निर्देश दिए। बैठक में पीएमश्री एवं 15वें वित्त आयोग के अन्तर्गत शालाओं में चल रहे निर्माण कार्यों, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण, एनआरएलएम सहित अन्य विषयों पर विस्तृत समीक्षा की गई।
मुख्यमंत्री साय अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण सेवा संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में हुए शामिल
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज राजधानी रायपुर में आयोजित अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण सेवा संघ (चतुः संप्रदाय), मुंबई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभु श्रीराम के ननिहाल और माता कौशल्या की पावन भूमि छत्तीसगढ़ में वैष्णव ब्राह्मण समाज का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित होना हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि वैष्णव ब्राह्मण समाज का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है। इस समाज की विभूतियों ने छत्तीसगढ़ में दानशीलता की अद्भुत मिसालें स्थापित की हैं। विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण में वैष्णव ब्राह्मण समाज का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले समाज के प्रतिभावान व्यक्तियों को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री साय ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वैष्णव ब्राह्मण समाज ने सनातन धर्म को सशक्त बनाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। यह समाज केवल पुरोहित कर्म से ही नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन में भी सक्रिय रहा है। दानशीलता की महान परंपरा का परिचय देते हुए इस समाज ने कभी राजपाट तक दान कर दिए। राजनांदगांव की वैष्णव ब्राह्मण रियासत इसका अनुपम उदाहरण है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि डेढ़ वर्ष के भीतर हमने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अधिकांश गारंटियों को अमल में लाकर पूर्ण किया है। छत्तीसगढ़, प्रभु श्रीराम का ननिहाल रहा है और उन्होंने अपने वनवास का लंबा समय यहीं व्यतीत किया था। हमारी सरकार ने रामलला दर्शन योजना शुरू की है, जिसके तहत अब तक 22 हजार से अधिक श्रद्धालु अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला के दर्शन कर चुके हैं। मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना को भी पुनः प्रारंभ किया गया है, जिसके अंतर्गत 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिक अपनी आस्था के अनुसार तीर्थ स्थलों का दर्शन कर सकेंगे। दिव्यांगजनों, विधवाओं और परित्यक्ताओं के लिए इस योजना में अधिकतम आयु सीमा नहीं रखी गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2047 तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत का संकल्प लिया गया है। उसी दिशा में हमें विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण में अग्रसर होना है। इस कार्य में वैष्णव ब्राह्मण समाज की सक्रिय भागीदारी अपेक्षित है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि समाज संगठित रहकर निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर होगा।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वैष्णव ब्राह्मण समाज एक दूरदर्शी और कल्पनाशील समाज है। उन्होंने कहा कि राजनांदगांव से विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने इस समाज के ऐतिहासिक योगदान को निकटता से देखा है। उच्च शिक्षा, रेलवे, उद्योग और पेयजल व्यवस्था के विकास में राजनांदगांव के राजपरिवार ने अभूतपूर्व योगदान दिया है। महंत दिग्विजय दास जी ने महाविद्यालय के लिए अपना महल दान किया, रेलवे के लिए विशाल भूमि दी, और बीएनसी कॉटन मिल की स्थापना की, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिला। महंत घासीदास जी ने व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए नि:शुल्क भूमि देने की घोषणा की थी।
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने अपने संबोधन में कहा कि वैष्णव ब्राह्मण समाज सनातन धर्म की ध्वजवाहक है। इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के आयोजन से समाज और अधिक एकजुट होकर आगे बढ़ेगा।
इस अवसर पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण सेवा संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष पी. एल. बैरागी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लाल जे. के. वैष्णव, प्रदेश अध्यक्ष श्री राकेश दास वैष्णव, विजय कुमार दास, राघवेंद्र दास वैष्णव, डॉ. सौरभ निर्वाणी, श्रीमती अंजना देवी वैष्णव, रजनीश वैष्णव सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल की कड़ी निगरानी में परीक्षा आयोजन, नकल प्रकरण में पुलिस द्वारा वैधानिक कार्यवाही जारी
रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल, रायपुर द्वारा आयोजित उप अभियंता (सिविल) एवं उप अभियंता (विद्युत/यांत्रिकी) भर्ती परीक्षा के अंतर्गत परीक्षा केन्द्र क्र. 1309 - शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सरकंडा, बिलासपुर (छ.ग.) में एक गंभीर नकल प्रकरण प्रकाश में आया। कक्ष क्रमांक 07 में परीक्षार्थी रोल नंबर 13091014 - कु. अन्नु सूर्या, पिता - कलेश्वर राम द्वारा संदिग्ध गतिविधियों की सूचना पर त्वरित संज्ञान लेते हुए परीक्षा कक्ष में तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान उक्त परीक्षार्थी के अंतःवस्त्र में हिडन कैमरा व कान से माइक्रो स्पीकर जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण छिपाकर रखे गए पाए गए, जिन्हें तत्काल जब्त किया गया।
परीक्षा केन्द्र परिसर के बाहर नकल में सहायता करने हेतु उपस्थित कु. अनुराधा बाई के पास से वॉकी-टॉकी, टैबलेट, ब्लूटूथ डिवाइस और मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं। यह स्पष्ट रूप से एक संगठित इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नकल करने का प्रयास था।
प्रशासन द्वारा नियमानुसार तत्काल नकल प्रकरण तैयार कर छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) को प्रेषित कर दिया गया है। साथ ही, थाना सरकंडा पुलिस को सूचित कर एफआईआर दर्ज कर वैधानिक कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है। संबंधित व्यक्तियों पर उचित कानूनी कार्यवाही की जा रही है।
व्यावसायिक परीक्षा मंडल एवं जिला प्रशासन द्वारा इस पूरे प्रकरण को अत्यंत गंभीरता से लिया गया है। परीक्षा की निष्पक्षता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु ऐसी घटनाओं पर "जीरो टॉलरेंस नीति" अपनाई गई है। भविष्य में भी किसी भी प्रकार की अनुचित गतिविधियों पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।
रायपुर /शौर्यपथ संवाददाता /
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय शनिवार को राजधानी रायपुर में विभिन्न शासकीय एवं राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होकर दिनभर अत्यंत व्यस्त नजर आयेंगे । उनकी दिनचर्या में शासन, संगठन, और जनप्रतिनिधियों से जुड़े अहम मुद्दों पर संवाद, समीक्षा और निर्णय शामिल रहेगे।
मुख्यमंत्री दोपहर 1:30 बजे अपने सिविल लाइन स्थित निवास से कार्यक्रमों की श्रृंखला के लिए रवाना हुए।
? मुख्यमंत्री की आज की प्रमुख गतिविधियाँ इस प्रकार :
01:40 PM – होटल बेबीलोन इंटरनेशनल, जीई रोड, रायपुर पहुंचकर राष्ट्रीय कार्यसमिति बैठक - छत्तीसगढ़ क्षेत्र का शुभारंभ एवं संबोधन
02:30 PM – कार्यसमिति बैठक में भागीदारी जारी
02:40 PM – होटल से प्रस्थान कर सिविल लाइन स्थित निवास आगमन
06:30 PM – नवीन मुख्यमंत्री निवास, अटल नगर रायपुर पहुंचना
07:00 PM – विधायक दल की बैठक
09:00 PM – आराम और आतिथ्य
09:30 PM – नवीन मुख्यमंत्री निवास से प्रस्थान कर सिविल लाइन निवास आगमन
10:00 PM – रात्रि विश्राम
?️ राजनीतिक और प्रशासनिक महत्व:
राष्ट्रीय कार्यसमिति बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विकास कार्यों, संगठन की मजबूती, और जनकल्याण की दिशा में उठाए जा रहे कदमों के विषय में चर्चा । वहीं विधायक दल की बैठक में आगामी रणनीतियों और जमीनी कार्यों पर चर्चा की संभावना ।
मुख्यमंत्री साय के आज के कार्यक्रमों से यह संदेश स्पष्ट जाता है कि उनकी सरकार और संगठन दोनों स्तरों पर गति, संवाद और संकल्प के साथ कार्य कर रहे हैं।
शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रस्तावित युतियुक्तिकरण योजना (School Rationalization Policy) एक ऐसी पहल है, जो आने वाले समय में प्रदेश के शैक्षणिक नक्शे पर दूरगामी बदलाव लाने जा रही है। वर्तमान में भले ही यह योजना कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों के लिए विरोध का विषय बनी हो, परंतु इसके मूल में निहित उद्देश्य और लाभों पर गौर किया जाए तो यह स्पष्ट होता है कि यह योजना शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता, दक्षता और समावेशिता की ओर एक सशक्त कदम है।
⚖️ क्या है युतियुक्तिकरण योजना?
युतियुक्तिकरण योजना का मूल उद्देश्य ऐसे शासकीय विद्यालयों का एकीकरण करना है, जहां छात्र संख्या अत्यंत कम है—30-40 या 50 के आसपास। इस प्रक्रिया के अंतर्गत आसपास के ऐसे स्कूलों को एक केंद्रीकृत विद्यालय में विलय किया जाएगा, जहां उचित भवन, पर्याप्त शिक्षक, प्रशासनिक स्टाफ, क्लर्क और संसाधन उपलब्ध होंगे। इसके माध्यम से न केवल बच्चों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण मिलेगा, बल्कि शासन के खर्चों का भी समुचित उपयोग सुनिश्चित होगा।
? वर्तमान व्यवस्था की गंभीर चुनौतियां
छत्तीसगढ़ के सुदूर ग्रामीण अंचलों और कस्बों में आज भी अनेक शासकीय विद्यालय ऐसे हैं, जो नाममात्र की छात्र संख्या के साथ संचालित हो रहे हैं। इन स्कूलों में मात्र एक शिक्षक के भरोसे स्कूल की पूरी व्यवस्था चलाना किसी संवैधानिक शिक्षा अधिकार की आत्मा के साथ न्याय नहीं है। इतना ही नहीं, स्टाफ की कमी, भवनों की मरम्मत, प्रशासनिक अभिलेखों के रख-रखाव जैसी अनिवार्य व्यवस्थाएं शासन पर प्रति विद्यालय लाखों रुपये का व्यय लाद रही हैं।
?? कम छात्र संख्या = कम प्रतिस्पर्धा, सीमित मानसिक विकास
कम छात्रों की कक्षा में प्रतिस्पर्धा का वातावरण नहीं पनपता, जो बच्चों के समग्र मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न करता है। आज जब देश NEP-2020 के तहत 21वीं सदी की प्रतिस्पर्धात्मक शिक्षा व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, तब बच्चों को सीमित संसाधनों में शिक्षित करना उन्हें पीछे छोड़ने जैसा होगा।
? एकीकृत विद्यालय – गुणवत्ता की नई परिभाषा
युतियुक्तिकरण के तहत अगर 5 विद्यालयों के छोटे बच्चों को मिलाकर एक उच्चतर, सुव्यवस्थित स्कूल में समाहित किया जाए, तो—
अनुभवी शिक्षक उपलब्ध होंगे
विज्ञान, गणित, कला, खेल आदि विषयों में विशेषज्ञता होगी
छात्र आपसी प्रतियोगिता के माध्यम से अधिक प्रगति करेंगे
शासन द्वारा प्रति विद्यार्थी बजट प्रभावी तरीके से गुणवत्ता पर निवेश किया जा सकेगा
डिजिटल व स्मार्ट क्लास जैसे नवाचार संभव होंगे
? ग्रामीण और शहरी संतुलन की ओर एक पहल
आज शहरी स्कूलों में छात्र संख्या अधिक व संसाधन अपेक्षाकृत बेहतर हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल संसाधनों और शिक्षकों की कमी से जूझते हैं। युतियुक्तिकरण इस असंतुलन को पुनर्संतुलित कर सकता है। जिस प्रकार से समृद्ध निजी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को लेकर प्रतिस्पर्धा होती है, उसी प्रकार सरकारी स्कूल भी आने वाले वर्षों में नवाचार, प्रतिस्पर्धा और उत्कृष्टता के मानदंड स्थापित कर सकेंगे।
? विपक्ष का विरोध और शासन की दूरदृष्टि
विपक्षी दलों का यह तर्क कि ‘स्कूल बंद किए जा रहे हैं’ या ‘शिक्षा को पीछे ले जाया जा रहा है’, एक आंशिक और सतही दृष्टिकोण है। यदि 5 विद्यालयों के 40-50 छात्रों को एक उच्चतर स्कूल में लाया जाए, तो कुल लगभग 300 छात्रों के लिए एक बेहतर संस्थान विकसित किया जा सकता है। इसमें किसी प्रकार की शिक्षा की कटौती नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और प्रासंगिकता को बढ़ावा देना ही प्रमुख उद्देश्य है।
? यूटी युक्तिकरण : शिक्षा के माध्यम से समृद्ध समाज की ओर
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की यह योजना न केवल प्रशासनिक कुशलता का परिचायक है, बल्कि एक दूरदर्शी शैक्षणिक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करती है। शिक्षा ही समाज, प्रदेश और राष्ट्र की सबसे बड़ी पूंजी है। यदि शिक्षा सशक्त होगी तो प्रदेश की आने वाली पीढ़ी रोज़गार, नवाचार और राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाएगी।
? निष्कर्ष : सुनहरे भविष्य की नींव
युतियुक्तिकरण योजना को केवल संख्या या भवन के घटाव के रूप में नहीं, बल्कि गुणवत्ता, प्रतिस्पर्धा और मानसिक विकास की नींव के रूप में देखा जाना चाहिए। यह योजना छत्तीसगढ़ को शिक्षित, सक्षम और प्रतिस्पर्धी राज्य बनाने की दिशा में उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है। आने वाले वर्षों में जब शासकीय विद्यालय भी निजी स्कूलों को टक्कर देने लगें, तब यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह विरोध नहीं, बल्कि एक भविष्यगामी क्रांति का प्रारंभ था।
? लेखक : शरद पंसारी
संपादक – शौर्यपथ दैनिक समाचार
शौर्यपथ संवाददाता/रायपुर/
रायपुर नगर निगम क्षेत्र के प्रमुख स्थलों में से एक पचपेड़ी नाका का नाम बदलने की अधिसूचना जारी होते ही पूरे शहर में राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उबाल देखने को मिला। जहां एक ओर नगर निगम की ओर से नाम परिवर्तन की प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय संगठनों, राजनीतिक दलों और आम नागरिकों ने कड़ा विरोध जताया।
नगर निगम की अधिसूचना ने मचाई हलचल
नगर निगम रायपुर ने बीते दिनों एक अधिसूचना जारी कर पचपेड़ी नाका का नाम बदलने के प्रस्ताव पर आपत्तियाँ और सुझाव आमंत्रित किए थे। इस अधिसूचना ने स्थानीय समाज और संगठनों को चौंका दिया, क्योंकि पचपेड़ी नाका रायपुर की ऐतिहासिक सांस्कृतिक पहचान का केंद्र रहा है।
विरोध में उतरीं ये संस्थाएँ और संगठन:
छत्तीसगढ़ जोहार पार्टी: इस संगठन ने सबसे पहले खुलकर विरोध किया। उनका कहना था कि यह कदम “आदिवासी सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ़ है।” पार्टी ने महापौर को ज्ञापन सौंपते हुए नाम परिवर्तन को "सांस्कृतिक आक्रोश" से जोड़ा। छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज, प्रबुद्ध नागरिक मंच, संस्कृति बचाओ मोर्चा, लोक साहित्य समिति जैसे कई संगठनों ने भी प्रेस कांफ्रेंस कर विरोध जताया।
सोशल मीडिया पर विरोध:
ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #SavePachpediNaka ट्रेंड करता रहा। युवाओं और छात्रों ने भी इस पर वीडियो बनाकर विरोध जताया।
महापौर मीनल चौबे का पलटवार बयान
स्थिति बिगड़ती देख रायपुर नगर निगम की महापौर मीनल चौबे ने मीडिया में स्पष्ट कहा: “पचपेड़ी नाका का नाम बदलने का कोई निर्णय निगम स्तर पर नहीं लिया गया है। यह मात्र एक विभागीय प्रक्रिया थी।”हालाँकि, विरोध करने वाले संगठनों का कहना है कि यदि अधिसूचना जारी हुई थी, तो महापौर की जानकारी में कैसे नहीं थी? वे इसे राजनीतिक दबाव में लिया गया यू-टर्न मानते हैं।
समर्थन करने वालों की भी मौजूदगी
इस बीच कुछ संगठनों और व्यक्तियों ने नाम परिवर्तन का समर्थन भी किया.इनका मानना था कि पचपेड़ी नाका का नाम किसी महान व्यक्ति या आधुनिक प्रतीक पर आधारित होना चाहिए। रायपुर शहर में कई पुराने स्थानों के नाम बदले गए हैं — यह आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा है।हालांकि इस पक्ष को बहुमत का समर्थन नहीं मिल पाया।
पचपेड़ी नाका: सिर्फ एक चौराहा नहीं, पहचान का प्रतीक
पचपेड़ी नाका, रायपुर का एक ऐतिहासिक द्वार है जहाँ से ग्रामीण और शहरी क्षेत्र का जुड़ाव होता है। यह न केवल ट्रैफिक हब है, बल्कि आदिवासी संस्कृति, धार्मिक मेलों, व्यापार और स्थानीय बोली के आदान-प्रदान का केंद्र रहा है।
फिलहाल, नगर निगम ने नाम परिवर्तन प्रक्रिया को रोक दिया है। जन सुनवाई या प्रस्ताव की समीक्षा के लिए कोई नई तिथि घोषित नहीं की गई है। विरोध करने वाले संगठनों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजने की चेतावनी दी है, यदि भविष्य में इस तरह की प्रक्रिया फिर से शुरू की गई।
निष्कर्ष:पचपेड़ी नाका नाम बदलने का विवाद केवल नाम परिवर्तन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्थानीय अस्मिता, सांस्कृतिक विरासत और राजनीतिक पारदर्शिता के बड़े सवाल खड़े करता है। रायपुर के नागरिकों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी किसी भी प्रक्रिया में उनकी भागीदारी और सहमति आवश्यक है।
रायपुर/शौर्यपथ समाचार।
नवागढ़ से रायपुर लौटते समय आरंग विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं पूज्य संत परंपरा के अग्रणी धर्मगुरु गुरु खुशवंत साहेब जी के काफिले पर अज्ञात असामाजिक तत्वों द्वारा पथराव किया गया। यह घटना न केवल एक जनप्रतिनिधि पर हमला है, बल्कि छत्तीसगढ़ की शांति, सामाजिक समरसता और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सीधा प्रहार है।
घटना के दौरान काफिले के मुख्य वाहन के सामने की विंडशील्ड पर भारी क्षति हुई, जिससे वाहन चालक और साथ बैठे लोग भयभीत हो उठे। हालांकि, गनीमत रही कि कोई गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ। पुलिस मौके पर पहुंच चुकी है और सुरक्षा को लेकर आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
समर्थकों ने जताई गहरी निंदा
गुरु साहेब के समर्थकों और श्रद्धालुओं ने इस कायराना हमले की तीव्र निंदा की है। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं बल्कि धर्म, परंपरा और लोकतंत्र पर संगठित हमला है। उन्होंने मांग की है कि इस घटना के दोषियों की जल्द से जल्द पहचान कर उनके विरुद्ध कठोरतम कानूनी कार्रवाई की जाए।
राजनीतिक विद्वेष या योजनाबद्ध अशांति?
घटना की पृष्ठभूमि में कुछ लोग इसे राजनीतिक विद्वेष और वैचारिक असहिष्णुता से प्रेरित मान रहे हैं। यह चिंता का विषय है कि ऐसे तत्व समाज को बांटने और धार्मिक सद्भाव को भंग करने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रशासन की भूमिका अहम
घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने स्थिति को संभाला और घटनास्थल की जांच शुरू कर दी है। आरंग क्षेत्र के लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि जनप्रतिनिधियों एवं संतजनों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।
? यह हमला केवल एक वाहन पर नहीं था — यह हमारे लोकतंत्र की अस्मिता, हमारे संतों की गरिमा और सामाजिक सौहार्द्र पर हमला है।
छत्तीसगढ़ ने शिक्षा के क्षेत्र में हासिल किया नया मुकाम:नई शिक्षा नीति से बदली तस्वीर, छत्तीसगढ़ में स्थानीय भाषाओं में मिल रही शिक्षा
मुख्यमंत्री ने पीएसवाय उत्कृष्टता सम्मान समारोह में प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को किया सम्मानित
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज राजधानी रायपुर स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित पीएसवाय उत्कृष्टता सम्मान समारोह में विभिन्न विधाओं के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले स्कूलों को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने सभी सम्मानित शिक्षकों, विद्यार्थियों और संस्थाओं को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र सेवा का मार्ग है। शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है, और यही किसी भी राष्ट्र की प्रगति की नींव होती है। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र में सफलता का मूल आधार शिक्षा ही है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ अब अपने रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर चुका है और बीते वर्षों में राज्य ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। जहां पहले प्रदेश में केवल एक मेडिकल कॉलेज था, आज वहां 15 से अधिक मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं। साथ ही, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम और एम्स जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थान भी राज्य में कार्यरत हैं। गांव-गांव में स्कूल खोले गए हैं, और बच्चों की आवश्यकताओं के अनुरूप महाविद्यालयों की स्थापना की गई है।
उन्होंने कहा कि हमारे समय में कई गांवों के बच्चों के लिए केवल एक स्कूल होता था। मुझे याद है कि मैंने पांचवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा दूसरे गांव में दी थी, क्योंकि हमारे गांव में परीक्षा केंद्र नहीं था। आज छत्तीसगढ़ में छात्रों के लिए असीम अवसर मौजूद हैं और प्रत्येक बच्चे को इन अवसरों का लाभ उठाकर अपने लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की दिशा में निरंतर अग्रसर है, और इसी संकल्प को लेकर हम विकसित छत्तीसगढ़ की दिशा में भी तेज़ गति से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में देश ने वैश्विक स्तर पर सम्मान प्राप्त किया है और भारत पुनः विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है।
श्री साय ने कहा कि राज्य सरकार नई शिक्षा नीति को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में देश में लागू की गई नई शिक्षा नीति के तहत छत्तीसगढ़ में शिक्षा अब स्थानीय भाषाओं में भी उपलब्ध हो रही है। बस्तर जैसे क्षेत्रों में अब स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई करवाई जा रही है, और प्रदेश में मेडिकल की शिक्षा भी हिंदी में दी जा रही है।
रायपुर सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल ने संस्था द्वारा सम्मानित प्रतिभावान छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प में इन बच्चों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने में हमारे युवाओं का योगदान निर्णायक सिद्ध होगा।
विधायक श्री धरमलाल कौशिक ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि संस्था का उद्देश्य न केवल प्रतिभाशाली छात्रों को सम्मानित करना है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही प्रतिभाओं को भी एक मंच प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को विभिन्न भाषाओं में पारंगत बनाने की दिशा में ठोस कार्य प्रारंभ हो चुका है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे सकारात्मक परिवर्तनों की भी सराहना की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने विभिन्न विधाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को भी सम्मानित किया। इस दौरान वरिष्ठ चित्रकार श्री राज सैनी ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को एक विशेष उपहार के रूप में उनके प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ की पेंटिंग भेंट की।
कार्यक्रम में पीएसवाय के प्रेसिडेंट डॉ. एस.के. मिश्रा, सलाहकार श्री महेंद्र गुप्ता, सीईओ श्रीमती शुभ्रा शुक्ला, सहित अनेक प्रबुद्धजन, शिक्षाविद्, गणमान्य अतिथि, एवं स्कूली छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
रायपुर, 11 जुलाई 2025 / शौर्यपथ संवाददाता
राजधानी रायपुर में न्यूज़18 मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित भव्य ‘राइजिंग छत्तीसगढ़’ कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राज्य की विकास गाथा और भविष्य की दिशा को लेकर दूरदर्शी रोडमैप प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता ने जिस ऐतिहासिक विश्वास के साथ उन्हें सत्ता सौंपी है, उस पर वे समर्पित जनसेवक की तरह कार्य कर रहे हैं, और हर वर्ग के कल्याण को केंद्र में रखते हुए योजनाओं को ज़मीनी स्तर तक पहुँचाया जा रहा है।
18 लाख प्रधानमंत्री आवासों की स्वीकृति उनकी सरकार की पहली कैबिनेट में दी गई, जिससे आज हज़ारों परिवारों को गृहप्रवेश का सौभाग्य मिल रहा है।
किसानों के लिए ₹3100 प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी प्रारंभ की गई है, जिसमें पिछली सरकार की दो वर्षों की बकाया राशि का भी भुगतान किया जा रहा है।
महतारी वंदन योजना के अंतर्गत प्रदेश की 70 लाख महिलाओं को प्रतिमाह ₹1000 की आर्थिक सहायता दी जा रही है।
चरण पादुका वितरण, तेंदूपत्ता संग्राहकों को बोनस, और तीर्थदर्शन योजना जैसे कदम जनजातीय समाज को सशक्त बनाने की दिशा में निर्णायक सिद्ध हो रहे हैं।
1460 ग्राम पंचायतों में अटल डिजिटल केंद्र स्थापित हो चुके हैं, जिससे ग्रामीण जनता को बैंकिंग, सरकारी सेवाओं और डिजिटल सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। जल्द ही यह सुविधा सभी पंचायतों तक विस्तारित होगी।
रेडी टू ईट खाद्य निर्माण का कार्य फिर से महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपा गया, जिससे आत्मनिर्भरता को नया बल मिला है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित 31 मार्च 2026 की समयसीमा के अनुसार छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त राज्य बनाने का संकल्प लेकर उनकी सरकार गांवों में नियद नेल्लार योजना के अंतर्गत तेज़ी से विकास कार्य कर रही है।
"नक्सल प्रभावित इलाकों में हम शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, इंटरनेट जैसी सुविधाएं पहुंचा रहे हैं — यही असली जवाब है नक्सलवाद को,"
– मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
?️ कॉन्क्लेव: संवाद और दृष्टिकोण का प्रभावशाली मंच
‘राइजिंग छत्तीसगढ़’ कॉन्क्लेव में छत्तीसगढ़ की संभावनाओं, उपलब्धियों और आने वाले कल को लेकर अनेक विचारोत्तेजक सत्र आयोजित किए गए।
यह मंच शासन, सशक्तिकरण, नवाचार और जन भागीदारी के अद्भुत समन्वय का प्रतीक बना।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, कृषि मंत्री डॉ. रामविचार नेताम, राज्य के वरिष्ठ अधिकारी, बुद्धिजीवी, पत्रकार और समाजसेवी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
"हमारे विकास मॉडल में अंतिम व्यक्ति की भागीदारी और लाभ को प्राथमिकता है। छत्तीसगढ़ सिर्फ योजनाओं से नहीं, जनता के विश्वास से आगे बढ़ रहा है। यही 'राइजिंग छत्तीसगढ़' है।"