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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर में आयोजित “छत्तीसगढ़ 25 साल बेमिसाल” कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने राज्य की 25 वर्ष की स्वर्णिम विकास यात्रा पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि छत्तीसगढ़ की प्रगति में प्रत्येक नागरिक की अहम भूमिका रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेशवासियों के सपनों को साकार करने के लिए राज्य सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने बस्तर सहित पूरे प्रदेश में विकास में बाधक नक्सलवाद के उन्मूलन के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं। सुरक्षा कैंप स्थापित किए जाने से सुदूर और दुर्गम क्षेत्रों में भी विकास की पहुंच सुनिश्चित हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में किए जा रहे प्रयासों से नक्सलवाद अब समाप्ति की ओर है और बस्तर अपने मूल स्वरूप में भयमुक्त होकर प्रदेश के विकास में बेहतर भागीदारी देगा। श्री साय ने कहा कि बस्तर ओलम्पिक और बस्तर पंडुम जैसे आयोजनों के माध्यम से बस्तर की संस्कृति और प्रतिभा को दुनिया ने देखा है। बस्तर में शांति, समृद्धि और खुशहाली के नए युग का आरंभ हो चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के प्रति हमारी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति पूरी दृढ़ता से लागू है। पूर्व में जो अनियमितताएं और भ्रष्टाचार हुए, उस पर कड़ा प्रहार किया गया है, जिसका परिणाम भी सभी देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने भूखमरी जैसे अभिशाप को दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाए थे, जिसके तहत गरीब परिवारों को अनाज उपलब्ध कराया गया। साथ ही, जरूरतमंद परिवारों को आज आवास उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के सुशासन के सपनों को साकार करने की दिशा में सरकार निरंतर कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की लगभग सभी गारंटियों को पूरा कर दिया गया है। तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए महत्वपूर्ण ‘चरण पादुका योजना’ को भी पुनः प्रारंभ किया गया है।
मुख्यमंत्री ने नई उद्योग नीति के आकर्षक प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रदेश में निवेश लगातार बढ़ रहा है। अब तक राज्य सरकार को पौने आठ लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं, जिससे आने वाले वर्षों में रोजगार और औद्योगिक विकास को नई गति मिलेगी।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विकास में योगदान देने वाले विभिन्न संस्थानों और व्यक्तियों को सम्मानित भी किया। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री पंकज झा, मुख्यमंत्री के प्रेस अधिकारी श्री अलोक सिंह सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (PSC) परीक्षा-2024 में सफलता प्राप्त करने वाले सभी प्रतिभागियों को हार्दिक शुभकामनाएँ दी हैं। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि युवा शक्ति की कड़ी मेहनत, अनुशासन, निरंतर तैयारी और समर्पित प्रयासों का परिणाम है। मुख्यमंत्री ने सभी चयनित अभ्यर्थियों को प्रदेश की सेवा में एक नई शुरुआत के लिए बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की युवा पीढ़ी ने हमेशा उत्कृष्टता, साहस और लगन का परिचय दिया है। इस परीक्षा में सफल हुए सभी प्रतिभागियों ने अपने धैर्य और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता से यह सिद्ध किया है कि प्रदेश की नई पीढ़ी प्रशासनिक सेवाओं में एक सशक्त स्थान बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि निरंतर मेहनत और दृढ़ निश्चय से प्राप्त यह सफलता न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गर्व का विषय है।
मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि ये नवचयनित अधिकारी सुशासन, पारदर्शिता और संवेदनशील प्रशासन की नई ऊँचाइयों को स्थापित करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रशासनिक व्यवस्था को जनोन्मुखी, जवाबदेह और प्रभावी बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है, और इन नई नियुक्तियों से शासन-प्रशासन में नई ऊर्जा का संचार होगा। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि सभी युवा अधिकारी छत्तीसगढ़ के समग्र विकास, सामाजिक न्याय, गरीबी उन्मूलन, महिला-शिक्षा सशक्तिकरण और ग्रामीण उन्नति जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देंगे।
मुख्यमंत्री श्री साय ने यह भी कहा कि इन सफल प्रतिभागियों की उपलब्धि प्रदेश के लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। उन्होंने कहा कि यह सफलता संदेश देती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति, परिश्रम और अनुशासन के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे निरंतर सीखते रहें, स्वयं को बेहतर बनाते रहें और जनता की सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता बनाएं।
मुख्यमंत्री ने सभी सफल अभ्यर्थियों को उज्ज्वल, सुखद एवं सफल जीवन की मंगलकामनाएँ देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार उनके साथ है और हर स्तर पर एक संवेदनशील, पारदर्शी और सक्षम प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करने में उनका सहयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
रायपुर/ शौर्यपथ /
खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा धान उपार्जन को सुगम और पारदर्शी बनाने के लिए शुरू किया गया तुंहर टोकन मोबाइल ऐप किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। धान खरीदी तिहार के बीच इस डिजिटल नवाचार ने उपार्जन केंद्रों में लगने वाली भीड़, समय की बर्बादी और पारंपरिक जटिलताओं को काफी हद तक कम कर दिया है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देशानुसार प्रदेशभर में लागू की गई इस व्यवस्था से किसान अब अपने मोबाइल से कुछ ही मिनटों में धान विक्रय हेतु टोकन निकाल पा रहे हैं और निर्धारित समय पर आसानी से केंद्र पहुंचकर धान बेच रहे हैं।
शुक्रवार को 52 किसानों ने मोबाइल से काटा टोकन
अम्बिकापुर जिले के उपार्जन केंद्रों में शुक्रवार को 52 किसानों ने तुंहर टोकन ऐप का उपयोग कर घर बैठे धान का टोकन काटा। बढ़ती लोकप्रियता यह दर्शाती है कि डिजिटल सुविधा ने किसानों का विश्वास तेजी से जीता है।
अम्बिकापुर विकासखंड के आदिमजाति सेवा सहकारी समिति मेड्राकला में पहुंचने वाले ग्राम भिट्ठीकला के कृषक श्री श्याम राजवाड़े और श्री मिलन राम ने बताया कि मोबाइल ऐप से टोकन काटने के बाद केंद्र में किसी तरह की परेशानी नहीं हुई।
श्री श्याम राजवाड़े ने कहा कि उन्होंने 26 क्विंटल धान का टोकन कुछ ही मिनटों में घर बैठे निकाल लिया। पूर्व में केंद्र में जाकर टोकन लेने में समय और श्रम दोनों लगते थे, पर अब आते ही बारदाना मिला और धान की तौल भी तत्काल हो गई। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा 3100 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य देने के निर्णय की सराहना की।
इसी तरह किसान श्री मिलन राम ने बताया कि उन्होंने 62 क्विंटल धान का टोकन मोबाइल ऐप से काटा। बार-बार केंद्र नहीं आना पड़ा और पहुंचते ही बारदाना व तौल की प्रक्रिया बिना किसी बाधा पूरी हुई। उन्होंने कहा कि इस बार की खरीदी व्यवस्था पूरी तरह किसान-मित्र साबित हो रही है।
डिजिटल नवाचार से बढ़ी पारदर्शिता और सुविधा
तुंहर टोकन ऐप के जरिए किसानों को अब लंबी लाइनों से मुक्ति,समय और श्रम की बचत,टोकन प्रक्रिया में पारदर्शिता,भीड़-भाड़ और अव्यवस्था में कमी
जैसे सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। किसानों की संतुष्टि यह साबित करती है कि राज्य सरकार की यह डिजिटल पहल सफल रही है और धान विक्रय को अधिक सरल, तेज और भरोसेमंद बनाकर किसानों को बड़ी राहत दी है।
रायपुर / शौर्यपथ / प्रदेशभर की तरह धमतरी जिले में भी खरीफ उपार्जन वर्ष 2025-26 की शुरुआत 15 नवंबर से सुचारू रूप से हो चुकी है। खरीदी केंद्रों में जहाँ किसानों के चेहरों पर संतोष और प्रसन्नता दिखाई दे रही है, वहीं गांवों में श्रमिक परिवारों के बीच भी खुशी का माहौल है। धान खरीदी से जुड़े कार्यों ने ग्रामीण श्रमिकों, विशेषकर महिलाओं के लिए रोजगार एवं अतिरिक्त आय के अवसर बढ़ा दिए हैं, जिससे गांवों की अर्थव्यवस्था में नई जान आई है।
संबलपुर गांव के खरीदी केंद्र में काम कर रहीं ईश्वरी यादव और विद्या मरकाम जैसी महिलाएँ इस बदलाव का सशक्त उदाहरण हैं। धान के कट्टों की सिलाई और भराई में व्यस्त ये महिलाएँ बताती हैं कि खरीफ सीजन उनके लिए उम्मीद और आत्मनिर्भरता का समय बन गया है। गांव की 5-6 महिलाएँ मिलकर प्रतिदिन 400 से 500 कट्टे तैयार करती हैं, जिससे प्रत्येक महिला को सीजन के दौरान लगभग 20 से 22 हजार रुपये की आय हो जाती है। यह राशि उनके परिवार की जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण सहारा साबित होती है।
इन महिलाओं का कहना है कि पहले उन्हें मजदूरी के लिए गांव से बाहर जाना पड़ता था, लेकिन अब धान खरीदी केंद्रों में मिल रहा स्थानीय कार्य उन्हें सुरक्षित, सुविधाजनक और सम्मानजनक रोजगार उपलब्ध करा रहा है। भुगतान समय पर होता है और कार्य के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे उनमें आर्थिक आत्मनिर्भरता के साथ आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
धान खरीदी प्रक्रिया किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ हमालों, परिवहनकर्ताओं, तौलदारों, डेटा-एंट्री ऑपरेटरों और सहायक कर्मचारियों के लिए भी व्यापक रोजगार सृजित करती है। सुगम व्यवस्था और पारदर्शी प्रक्रिया ने इस सीजन को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बना दिया है।
सरकार द्वारा समय पर समर्थन मूल्य भुगतान, सुरक्षित भंडारण व्यवस्था और खरीदी केंद्रों में बेहतर प्रबंधन ने ग्रामीण जनता के भरोसे को और मजबूत किया है। खरीफ उपार्जन 2025-26 न केवल कृषि उत्पादन का महत्वपूर्ण चरण है, बल्कि यह महिलाओं को रोजगार से जोड़कर, गांवों को सशक्त बनाने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देने वाला प्रेरक माध्यम भी बनकर उभरा है।
रायपुर / शौर्यपथ / वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप के निर्देश पर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित कोपरा जलाशय को राज्य सरकार ने प्रस्तावित रामसर स्थल घोषित करने की दिशा में बड़ी पहल की है। प्राकृतिक और मानव निर्मित विशेषताओं से युक्त यह जलाशय पूरे क्षेत्र के लिए जलसंसाधन, सिंचाई और जैव विविधता का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।
कोपरा जलाशय के रामसर स्थल बनने से क्षेत्र को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलेगी पहचान
वन मंत्री श्री कश्यप ने उम्मीद जताई है कि कोपरा जलाशय के रामसर स्थल बनने से क्षेत्र को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। गौरतलब है कि कोपरा जलाशय मुख्य रूप से वर्षा जल और आसपास के छोटे नालों से भरता है। यह जलाशय स्थानीय ग्रामीणों की जल आवश्यकताओं को पूरा करता है और किसानों के लिए सिंचाई का प्रमुख स्रोत है। जलाशय के आसपास की भूमि अत्यंत उपजाऊ मानी जाती है, जिससे क्षेत्र के कई गाँवों और छोटे कस्बों की कृषि पूरी तरह इस जलाशय पर निर्भर है।
जैव विविधता अत्यधिक समृद्ध मानी जाती है यहाँ की
इसके अलावा यह क्षेत्र वर्षभर विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों, जलचर जीवों और वनस्पतियों का सुरक्षित आवास बना रहता है। खासकर प्रवासी पक्षियों की बड़ी संख्या यहाँ हर वर्ष दर्ज की जाती है। जलाशय में मछलियाँ, जलीय पौधे, उभयचर, सरीसृप और अनेक प्रकार के कीट-पतंगे बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं, जिससे इसकी जैव विविधता अत्यधिक समृद्ध मानी जाती है।
दुर्लभ पक्षियों के संरक्षण के लिए उपयुक्त स्थल
राज्य वेटलैंड प्राधिकरण के अनुसार कोपरा जलाशय रिवर टर्न, कॉमन पोचार्ड और इजिप्शियन वल्चर जैसे दुर्लभ व महत्वपूर्ण पक्षियों के संरक्षण के लिए अत्यंत उपयुक्त स्थान है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह जलाशय रामसर मानदंड संख्या 02, 03 और 05 की पूर्णता करता है, जो इसे एक उत्कृष्ट वेटलैंड इकोसिस्टम का उदाहरण साबित करता है।
स्वीकृति मिलने पर पर्यटन संबंधी महत्व और बढ़ जाएगा
इसी महत्व को देखते हुए राज्य सरकार ने इसे रामसर स्थल घोषित करने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा है। यदि इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिलती है, तो कोपरा जलाशय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षण मिलेगा और इसका वैज्ञानिक, पर्यावरणीय तथा पर्यटन संबंधी महत्व और बढ़ जाएगा।
ग्रामीण आजीविका के विकास को मजबूत करने की तैयारी
सरकारी योजनाओं के तहत इस क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, जैव विविधता संवर्धन तथा ग्रामीण आजीविका विकास से जुड़ी गतिविधियों को और मजबूत करने की तैयारी है, ताकि स्थानीय आबादी और प्राकृतिक संसाधनों के बीच संतुलन बनाए रखा जा सके।
रायपुर, / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की जनहितकारी सोच एवं मंशानुरूप परिवहन मंत्री श्री केदार कश्यप के निर्देश पर मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के भरतपुर ब्लॉक में ग्रामीण बस सेवा के तहत नई बसों का शुभारंभ किया गया।
ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर और सुरक्षित परिवहन व्यवस्था उपलब्ध है कराना
उल्लेखनीय है कि परिवहन मंत्री श्री केदार कश्यप के मार्गदर्शन में ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर, सुगम और सुरक्षित परिवहन व्यवस्था उपलब्ध कराने का लक्ष्य लगातार साकार हो रहा है। उनकी प्राथमिकता हमेशा से अंतिम व्यक्ति तक शासकीय सुविधाएं पहुँचाना रही है। ग्रामीण बस सेवा इसी संकल्प का प्रभावी उदाहरण है, जिसने गांवों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में नई ऊर्जा प्रदान की है।
विद्यार्थियों, महिलाओं और आमजनों को बड़ी सुविधा
नई बस सेवा शुरू होने से भरतपुर एवं आसपास के गांवों के विद्यार्थियों, महिलाओं, मजदूरों तथा आम लोगों को अब नियमित और सुरक्षित परिवहन सुविधा मिल सकेगी। अब विद्यार्थियों को स्कूल-कॉलेज पहुँचने में आसानी होगी, महिलाएं बिना परेशानी अस्पताल, बाज़ार और आवश्यक कामों के लिए अपने गंतव्य तक सुगमता से यात्रा कर सकेंगी, वहीं मजदूर वर्ग को रोजगार स्थलों तक पहुंचने में समय और सुविधा दोनों मिलेंगी।
इस अवसर पर सभी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उपस्थिति में बसों को हरी झंडी दिखाकर उनके निर्धारित मार्गों पर रवाना किया गया। बसों के प्रस्थान के साथ ही ग्रामीणों में उत्साह और प्रसन्नता का माहौल रहा। लोगों ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सेवा उनकी वास्तविक जरूरतों को पूरा करती है।
ग्रामीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल
यह बस सेवा केवल परिवहन व्यवस्था का विस्तार नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, गांव और शहर के बीच संपर्क बढ़ेगा तथा विकास की गति और तेज होगी। मुख्यमंत्री श्री साय की प्रतिबद्धता और प्रशासनिक टीम के समन्वित प्रयासों का परिणाम है कि ग्रामीण क्षेत्र अब सुविधाओं और विकास के नए मानक स्थापित कर रहे हैं। इस अवसर पर जनपद अध्यक्ष माया प्रताप सिंह, उपाध्यक्ष हीरालाल मौर्य, जनपद सदस्य सुखलाल मरावी, नगर पंचायत अध्यक्ष कौशल पटेल, उपाध्यक्ष निलेश मिश्रा, जनपद सीईओ, परिवहन अधिकारी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित रहे।
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड आदिवासी क्षेत्रों के युवाओं को कौशल विकास से जोड़कर जैव-विविधता संरक्षण को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसी उद्देश्य से बोर्ड ने वन मंत्री श्री केदार कश्यप की पहल पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से हरित कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किया है। यह विशेष प्रशिक्षण इसलिए तैयार किया गया है ताकि जंगलों में रहने वाले युवाओं को जैव विविधता संरक्षण से जुड़ी जानकारी, व्यवहारिक प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर मिल सकें।
आदिवासी युवाओं को कौशल और रोजगार उपलब्ध कराने जैव विविधता संरक्षण बन रहा है सशक्त माध्यम
वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की सरकार का यह प्रयास आदिवासी युवाओं को कौशल, ज्ञान और रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ जैव विविधता संरक्षण को भी सशक्त बना रहा है।
गौरतलब है कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को आजीविका के नए अवसर प्रदान करना, पर्यावरण मित्र करियर की ओर प्रेरित करना तथा उन्हें स्थानीय संसाधनों के संरक्षण में सक्षम बनाना है। प्रशिक्षण में युवाओं को राष्ट्रीय उद्यान गाइड, पर्यटक गाइड, प्राकृतिक इतिहास प्रदर्शक, वन संसाधन सहायक, पारंपरिक वन संरक्षण तकनीकों, और वन आधारित आजीविका से जुड़े विभिन्न कौशल सिखाए गए।
105 युवाओं ने प्रथम चरण में दिया गया प्रशिक्षण
इसी कड़ी में राज्य के जांजगीर, कटघोरा, कोरबा, जगदलपुर, बीजापुर, सुकमा आदि कई जिले से कुल 105 युवाओं ने प्रथम चरण में भाग लिया। प्रशिक्षण 10 से 30 दिनों तक चला और इसमें युवाओं को बिना किसी शुल्क के फील्ड भ्रमण, जैव विविधता पहचान, पारिस्थितिक संवेदनशीलता, वन संपदा का संरक्षण, औषधीय पौधों की पहचान और दस्तावेजीकरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों का ज्ञान दिया गया। विशेष रूप से आकांक्षी सुकमा जिले के 65 युवाओं ने जंगलों में पाए जाने वाले 153 प्रजातियों के पौधों और 47 पक्षी प्रजातियों की पहचान की। वन विभाग के विशेषज्ञों ने उन्हें हर्बेरियम बनाने, जैव-विविधता सर्वे तथा उपकरणों के उपयोग का भी प्रशिक्षण दिया।
युवाओं को वैज्ञानिक तरीके से परंपरागत ज्ञान का संरक्षण सिखाया जाता है
इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण भाग यह भी है कि युवाओं को वैज्ञानिक तरीके से परंपरागत ज्ञान का संरक्षण करना सिखाया जा रहा है। इससे स्थानीय समुदायों में जैव-विविधता के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में ग्रामीणों की भागीदारी भी मजबूत हो रही है।
दुर्लभ पौधों और जीवों की कर पा रहे हैं पहचान
इस प्रशिक्षण का मुख्य प्रभाव यह रहा कि अब युवा अपने क्षेत्र में पाए जाने वाले दुर्लभ पौधों और जीवों की पहचान कर पा रहे हैं। कई प्रशिक्षण प्राप्त युवा ईको-गाइड, नेचर गाइड, बैचलर सर्वे टीम और ईको-टूरिज्म गतिविधियों से जुड़ कर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं।
रायपुर / शौर्यपथ / वन मंत्री श्री केदार कश्यप के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ राज्य आद्रभूमि प्राधिकरण द्वारा राज्य में वेटलैंड संरक्षण के लिए “वेटलैंड मित्र” बनाने का अभियान शुरू किया गया है। वेटलैंड मित्र स्थानीय आद्रभूमियों के संरक्षण में समुदाय की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
पंजीकृत वेटलैंड मित्रों को वेटलैंड संरक्षण की मिलेगी जानकारी
वेटलैंड मित्र बनने के लिए इच्छुक व्यक्ति QR कोड स्कैन करके निर्धारित फॉर्म में आवश्यक जानकारी भरकर अपने निकटतम आद्रभूमि क्षेत्र से जुड़ सकते हैं। पंजीकृत वेटलैंड मित्रों को वेटलैंड संरक्षण से संबंधित जानकारी, प्रशिक्षण एवं जन-जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर मिलेगा। साथ ही वे वेटलैंड क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों की पहचान, अवैध गतिविधियों की सूचना देने तथा स्थानीय समुदाय तक आवश्यक जानकारी पहुँचाने में सहयोग करेंगे।
500 से अधिक वेटलैंड मित्र पंजीकृत
उल्लेखनीय है कि इस अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि पूरे राज्य में अब तक 500 से अधिक वेटलैंड मित्र पंजीकृत किए जा चुके हैं। यह संख्या न केवल जन-जागरूकता के बढ़ते स्तर को दर्शाती है, बल्कि आद्रभूमि संरक्षण के प्रति नागरिकों की जिम्मेदारी की भावना को भी मजबूत करती है। वेटलैंड मित्र स्थानीय स्तर पर आद्रभूमि के स्वास्थ्य, संरक्षण गतिविधियों में भागीदारी तथा वैज्ञानिक जानकारी के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। कोरबा जिले में लगभग 200 वेटलैंड मित्र अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय रूप से संरक्षण कार्यों में सहयोग कर रहे हैं।
वेटलैंड मित्र आम जनता के बीच एक प्रभावी सेतु का कर रहे हैं कार्य
राज्य में जागरूक और समर्पित वेटलैंड मित्रों का मजबूत नेटवर्क विकसित किया गया है, जो विभाग और आम जनता के बीच एक प्रभावी सेतु का कार्य कर रहा है। इनके सहयोग से आद्रभूमि के जैव-विविधता मूल्य, पारिस्थितिक महत्व और सतत उपयोग की अवधारणाओं का व्यापक प्रसार हो रहा है।
छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक संपदा की हो रही है रक्षा
वेटलैंड मित्र अभियान ने समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा देते हुए राज्य की दीर्घकालिक संरक्षण योजनाओं को मजबूत आधार प्रदान किया है। यह पहल न केवल छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक संपदा की रक्षा कर रही है, बल्कि जनता और प्रशासन को वेटलैंड संरक्षण से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
20 नवंबर को डोंगरगढ़ के खुर्सीपार केन्द्र में 820 क्विंटल धान पकड़ाया
राजनांदगांव / शौर्यपथ / राज्य में किसानों से समर्थन मूल्य पर जारी धान खरीदी में गड़बड़ी की रोकथाम के लिए सभी जिलों में निगरानी और जांच-पड़ताल का सघन अभियान प्रशासन द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस अभियान के तहत राजनांदगांव जिले में अब तक 1804 क्विंटल धान जब्त किया जा चुका है, जिसका कुल मूल्य 55 लाख 92 हजार 400 रूपए है। कलेक्टर राजनांदगांव ने कोचियों और बिचौलियों से जब्त किए गए धान एवं वाहन को धान खरीदी की अवधि के बाद मुक्त करने के निर्देश दिए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आज 20 नवंबर को डोंगरगढ़ अनुविभाग अंतर्गत संचालित विशेष अभियान के तहत 820 क्विंटल (2050 कट्टा) धान जब्त किया गया, जिसमें उपार्जन केन्द्र खुर्सीपार में ग्राम सेमरा के बिचौलिया द्वारा लाया गया ग्रीष्म कालीन मिलावटी धान 339 क्विंटल (949 कट्टा) धान भी शामिल है। खुर्सीपार उपार्जन केन्द्र में धान जब्ती की कार्रवाई अनुविभागीय अधिकारी राजस्व डोंगरगढ़ द्वारा की गई।
राजनांदगांव जिले में धान के अवैध परिवहन एवं समर्थन मूल्य पर विक्रय के प्रयास के मामले में अब तक 55 लाख 94 हजार 400 रूपए मूल्य का 1804 क्विंटल धान तथा दो वाहन जब्त किए जा चुके हैं। जिले में 1500 छोटे एवं बड़े मंडी लाइसेंस धारियों को सूचीबद्ध किया गया है। एसडीएम, तहसीलदार, खाद्य अधिकारी एवं मंडी अधिकारी के नेतृत्व में संयुक्त टीम जगह-जगह दबिश देकर धान के अवैध भण्डार के मामले की जांच एवं जब्ती की कार्रवाई कर रही है। राजनांदगांव जिले के तीन अंतर्राज्यीय चेकपोस्ट बोरतलाव, पाटेकोहरा एवं कल्लूबंजारी में प्रशासन द्वारा तैनात अधिकारियों की संयुक्त टीम चौबीसों घंटा निगरानी रख रही है।
कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा को संघ ने हड़ताल स्थगन का सौंपा पत्र, 21 नवंबर लौटेंगे काम पर
रायपुर, 20 नवंबर / शौर्यपथ / कबीरधाम जिले में बीते 3 नवंबर से चल रही जिला सहकारी संघ की अनिश्चितकालीन हड़ताल स्थगित हो गई है। संघ के पदाधिकारियों ने कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा से मुलाकात कर हड़ताल स्थगन का पत्र सौंपा। जिला सहकारी संघ की ओर से कहा गया कि शासन द्वारा 15 नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ कर दी गई है। किसानों के हित को देखते हुए जिला सहकारी संघ के समस्त कर्मचारी अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल को स्थगित करते हैं और 21 नवंबर, शुक्रवार से अपने कार्य पर लौट जाएंगे। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्री ईश्वरी साहू, संयुक्त कलेक्टर श्री आर बी देवांगन, उप पंजीयक सहकारिता श्री जी एस शर्मा, खाद्य अधिकारी श्री सचिन मरकाम, डीएमओ श्री अभिषेक मिश्रा, सीसीबी नोडल श्री आर पी मिश्रा सहित अन्य अधिकारी व जिला सहकारी संघ के सदस्य उपस्थित रहे।
राष्ट्रपति ने जनजातीय संस्कृति व शिल्प को दर्शाते स्टॉलों का अवलोकन किया
पारंपरिक अखरा एवं देवगुड़ी के मॉडल में देवताओं की आराधना भी की
कलिंदर राम ने राष्ट्रपति को पैरी और गमछा किया भेंट
रायपुर / शौर्यपथ / राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जनजातीय गौरव दिवस 2025 के उपलक्ष्य में सरगुजा जिले में 20 नवम्बर को पीजी कॉलेज ग्राउण्ड में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं। कार्यक्रम में राज्यपाल श्री रमेन डेका, मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, राज्यमंत्री जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार श्री दुर्गा दास उईके, राज्यमंत्री आवास एवं शहरी मंत्रालय भारत सरकार श्री तोखन साहू, आदिम जाति विकास विभाग कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग मंत्री श्री रामविचार नेताम, प्रभारी मंत्री जिला सरगुजा एवं वित्त वाणिज्यिक कर विभाग मंत्री श्री ओमप्रकाश चौधरी, पर्यटन संस्कृति एवं धर्मस्व विभाग मंत्री श्री राजेश अग्रवाल, वन एवं जलवायु परिवर्तन परिवहन सहकारिता एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री केदार कश्यप, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण चिकित्सा शिक्षा पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास 20 सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल, महिला एवं बाल विकास समाज कल्याण विभाग मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, सरगुजा सांसद श्री चिंतामणी महाराज, उत्तर रायपुर विधायक श्री पुरंदर मिश्रा, जगदलपुर विधायक श्री किरण सिंह देव, महापौर अम्बिकापुर श्रीमती मंजुषा भगत भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम स्थल में जनजातीय संस्कृति, लोक कला एवं शिल्प, आभूषण एवं वस्त्र, पूजा-पाठ, संस्कार, व्यंजन, वाद्ययंत्रों, जड़ी-बूटियों आदि को प्रदर्शित करने हेतु प्रदर्शनियां लगाई गई। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने प्रदर्शनियों का अवलोकन किया।
पारम्परिक अखरा स्थल एवं जनजातियों के धार्मिक आस्था के केंद्र देवगुड़ी में देवताओं की आराधना की
कार्यक्रम में सांकेतिक रूप से बनाए गए जनजातियों के पारंपरिक अखरा स्थल एवं जनजाति निवासरत ग्रामों के प्रमुख धार्मिक आस्था के केन्द्र देवगुड़ी के मॉडल का अवलोकन कर यहां देवताओं की आराधना की।
अखरा छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा अंचल में निवासरत जनजातियों का सांस्कृतिक स्थल है, जो गाँवों के मध्य या चौराहे में स्थित होते हैं, जहाँ छायादार पेड़ों के झुण्ड भी होते हैं। ग्रामीणजन विभिन्न लोक पर्वों जैसे करमा, महादेव बायर, तीजा आठे, जीवतिया, सोहराई, दसई, फगवा के अवसरों में महिला एवं पुरूष सामुहिक रूप से इकट्ठा होकर लोकगीत गाकर पारम्परिक वाद्ययंत्रों की थाप में लोकनृत्य करके उत्साह मनाते हैं। प्रदर्शनी में जनजातीय समुदाय के लोगों ने पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शन किया। जनजाति निवासरत ग्रामों के प्रमुख धार्मिक आस्था के केन्द्र देवगुड़ी को राज्य में क्षेत्रवार विभिन्न नामों जैसे देवाला देववल्ला, मन्दर, शीतला, सरना आदि नामों से भी जानते हैं। देवगुड़ी में ग्रामीण देवी-देवता जैसे बुढ़ादेव, बुढ़ीदाई, शीतला, सरनादेव, डीहवारीन, महादेव आदि विराजमान होते हैं। जनजातीय विभिन्न लोकपर्वों के अवसरों में सामूहिक रूप से इकट्ठा होकर ग्रामीण बैगा की अगुवाई में पूजा-पाठ कर ग्राम की सुख, शांति, समृद्धि हेतु कामना करते हैं।
मिट्टी, लकड़ी से बने आवास मॉडल का किया अवलोकन
कार्यक्रम स्थल में छत्तीसगढ़ में निवासरत जनजातियों के पारंपरिक आवास का मॉडल बनाया गया था। राष्ट्रपति ने आवास मॉडल का भी अवलोकन किया। जनजातियों का आवास मिट्टी, लकड़ी से निर्मित होते हैं, जिसमें एक या दो कमरे व मुख्य कमरे के सामने की ओर परछी (बराम्दा) बने होते हैं। घर के छप्पर में ढालनुमा खपरैल लगे होते हैं। एक कमरे को रसोई कक्ष के रूप में उपयोग करते हैं, जिसमें रसोई उपकरण व घरेलू सामान रखते हैं, दूसरे कक्ष को शयन कक्ष के रूप में उपयोग करते हैं। परछी (बराम्दा) में अन्य घरेलू सामान जैसे ढ़ेकी, मूसल, सील-बट्टा, जांता आदि उपकरण होते हैं।
जनजातियों द्वारा विभिन्न लोकपर्वों एवं आयोजनों में पहने जाने वाले आभूषणों की लगी प्रदर्शनी, कलिंदर राम ने राष्ट्रपति को पैरी और गमछा किया भेंट
इस दौरान राज्य के पारंपरिक आभूषणों की प्रदर्शनी लगाई गई। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने प्रदर्शनी का अवलोकन कर आभूषणों के संबंध में जानकारी ली। श्री कलिंदर राम ने राष्ट्रपति को पैरी और गमछा भेंट किया, जिसे राष्ट्रपति ने आत्मीयता के साथ स्वीकार किया। श्री कलिंदर राम ने राष्ट्रपति को बताया कि पारम्परिक आभूषण गिलट, तांबे, चांदी, सोना आदि धातु से निर्मित हैं, जिसे विभिन्न लोकपर्वों के अवसर में धारण करते हैं। इस दौरान गले में पहने जाने वाले हसुली, बांह में बहुटा, कलाई में ऐंठी, गले में रूपया वाला चंदवा, कमर में कमरबंध, पैर में पैरी एवं पैर की अंगुलियों में बिछिया, कान में ठोठा तथा नाक में पहने जाने वाले छुछिया (फूली) का प्रदर्शन किया गया।
वाद्ययंत्रों की लगी प्रदर्शनी
प्रदर्शनी में जनजातियों द्वारा लोकपर्वों में मनोरंजन के लिए बजाए जाने वाले वाद्ययंत्रों का प्रदर्शन किया गया। राष्ट्रपति ने इन वाद्ययंत्रों को देखा। राज्य में निवासरत जनजातियां उत्साह के लिए तत, अवनद्ध, घन और सुषिर वाद्ययंत्रों का वादन करते हैं, जिनकी मधुर ध्वनियाँ उत्सव के अवसर में देखते ही बनते हैं। कई ऐसे वाद्ययंत्र है, जिनकी आवाजें मीलों दूर तक गुंजती है और लोगों को स्वतः नृत्य करने हेतु प्रेरित करती है। सरगुजा व बस्तर अंचल में तो कई महिनों तक निरंतर वाद्ययंत्र की आवाजें सुनाई पड़ती है। इन वाद्ययंत्रों के कारण ही जनजातियों के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत आज भी जीवंत है। सरगुजा अंचल के जनजातियों द्वारा विभिन्न लोकपर्वां में वादन किया जाने वाले वाद्ययंत्र मांदर, ढोल, झांझ, मजीरा, तम्बूरा, सरंगी, खंजरी, बांसुरी, चौरासी, एवं पैजन आदि का प्रदर्शन किया गया है।
जनजातीय समुदायों द्वारा इलाज में इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियां की गई प्रदर्शित
कार्यक्रम स्थल में आयोजित प्रदर्शनी में राज्य में निवासरत जनजातियों द्वारा शारीरिक विकार के उपचार हेतु प्रयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियां प्रदर्शित की गई। प्रदर्शनी में अष्वगंधा, कुलंजन, मुलेठी, सफेद मूसली, गिलोय, लाल झीमटी, अर्जून छाल, पिसीया, भुईचम्पा, गोखरू, कुटज की छाल, गुडमान की पत्ति, विरैता, रोहिने की छाल, बालमखिरा, हर्रा एवं बेहड़ा बड़ी ईमली की बीज, हड़सिंगार, अकरकरा, चिरईगोड़ी, शिलाजीत एवं बलराज आदि रखे गए हैं। वनांचल, पहाड़ी, घाटी, तराई में निवास करती हैं। इनके निवास क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के औषधियाँ पेड़-पौधे कन्दमूल बेल, आदि पाए जाते हैं। जनजाति समाज के लोग शारीरिक विकार होने पर इन्हीं जंगली-जडी बूटियों से अपना उपचार कराते हैं। जनजाति समाज के वैद्य, बैगा, गुनिया, हथजोड़ वंशानुगत रूप से लोगों का उपचार करते हैं।
पारम्परिक व्यंजन एवं कंदमूल
तीज-त्यौहारों, अन्य अवसरों में जनजातीय समुदायों द्वारा बनाए जाने वाले व्यंजनों की प्रदर्शनी लगाई गई। यहां विभिन्न प्रकार के रोटी, चटनी, कोहरी (बरी), लड्डू आदि रखे गए हैं। जनजातीय महिलाएं प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं से व्यंजन तैयार करते हैं तथा जंगलों से विभिन्न प्रकार के कंदमूल, फल-फूल आदि एकत्र कर खाद्य के रूप में उपयोग करते हैं। इस दौरान कांदा-पीठारू कांदा, डांग कांदा, नकवा (चूरका) कांदा, सखईन कांदा आदि प्रदर्शित किए गए हैं।
पण्डो जनजाति के बसन्त पण्डो से मिलकर जाना कुशलक्षेम, शॉल भेंट कर किया सम्मान
रायपुर / शौर्यपथ / राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जनजातीय गौरव दिवस 2025 के उपलक्ष्य में सरगुजा जिले में 20 नवम्बर को पीजी कॉलेज ग्राउण्ड में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं। कार्यक्रम में राज्यपाल श्री रमेन डेका, मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, राज्यमंत्री जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार श्री दुर्गा दास उईके, राज्यमंत्री आवास एवं शहरी मंत्रालय भारत सरकार श्री तोखन साहू, आदिम जाति विकास विभाग कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग मंत्री श्री रामविचार नेताम, प्रभारी मंत्री जिला सरगुजा एवं वित्त वाणिज्यिक कर विभाग मंत्री श्री ओमप्रकाश चौधरी, पर्यटन संस्कृति एवं धर्मस्व विभाग मंत्री श्री राजेश अग्रवाल, वन एवं जलवायु परिवर्तन परिवहन सहकारिता एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री केदार कश्यप, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण चिकित्सा शिक्षा पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास 20 सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल, महिला एवं बाल विकास समाज कल्याण विभाग मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, सरगुजा सांसद श्री चिंतामणी महाराज, उत्तर रायपुर विधायक श्री पुरंदर मिश्रा, जगदलपुर विधायक श्री किरण सिंह देव, महापौर अम्बिकापुर श्रीमती मंजुषा भगत भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने जनजातीय समाज प्रमुखों, पीवीटीजी समुदाय के समाज प्रमुखों, जनजातीय समाज के उत्थान में विशेष योगदान देने वालों, जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम में सेनानियों के परिजनों से भेंट की। श्रीमती मुर्मू ने इन सभी के साथ समूह फोटो खिंचवाई।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले जनजातीय जननायकों एवं सेनानियों के परिजनों का सम्मान किया। राष्ट्रपति ने सोनाखान क्रांति के जननायक शहीद वीर नारायण सिंह एवं शहीद वीर नारायण सिंह के सेनापति, परलकोट क्रांति के जननायक शहीद गेंदसिंह, झण्डा सत्याग्रह के जननायक श्री सुकदेव पातर, भूमकाल क्रांति के जननायक श्री बन्टु धुरवा, जंगल सत्याग्रह के जननायक शहीद रामधीन गोड़, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री राजनाथ भगत एवं श्री माझी राम गोंड़ के परिजनों से भेंट की।
राष्ट्रपति ने बिरहोर जनजाति के श्री राजेश बिरहोर, अबुझमाड़िया जनजाति के श्री रामजी ध्रुव, बैगा जनजाति के श्री एतवारी राम मछिया एवं पहाड़ी कोरवा जनजाति के श्री जोगीराम से सौजन्य भेंट की और हाल-चाल पूछा। राष्ट्रपति ने इसी तरह उरांव जनजाति के श्री मंगल उरांव, नगेशिया जनजाति के श्री धनराम नागेश, खैरवार जनजाति के श्री वीर सिंह खैरवार, कंवर जनजाति के श्री संजय सिंह, नागवंशी जनजाति के श्री लक्कू राम नागवंशी, मुरिया जनजाति के श्री धनीराम शोरी, गोंड़ जनजाति के श्री मोहन सिंह, पंण्डो जनजाति के श्री विनोद कुमार पंण्डो एवं चेरवा जनजाति के श्री डी.एन. चेरवा से भी भेंट की।
पण्डो जनजाति के बसन्त पण्डो से मिलकर जाना कुशलक्षेम, शॉल भेंट कर किया सम्मान
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु कार्यक्रम के दौरान पण्डो जनजाति के बसन्त पण्डो से मिलीं। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने उनका कुशल क्षेम जाना और उन्हें शॉल भेंट की। बसन्त पण्डो ने राष्ट्रपति को बताया कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद जब वर्ष 1952 में अंबिकापुर आए थे, तब वे 08 वर्ष के थे। राष्ट्रपति ने बसन्त पण्डो को गोद लिया और उनका नामकरण किया था। बसंत पण्डो को गोद लेने के बाद, पण्डो जनजाति को ’राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र’ कहलाने का दर्जा प्राप्त हुआ। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने बसन्त पण्डो को कहा कि आप मेरे भी पुत्र की तरह हैं।
रायपुर / शौर्यपथ / प्रधानमंत्री आवास योजना ने देशभर के लाखों जरूरतमंद परिवारों को सम्मानजनक और सुरक्षित आवास का अधिकार देकर उनके जीवन में नई उम्मीद जगाई है। इसी कड़ी में अबूझमाड़ के सुदूर वनांचल क्षेत्र ओरछा में भी यह योजना बदलाव की नई कहानी लिख रही है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत ओरछा एवं ब्लॉक समन्वयक के मार्गदर्शन में आवास निर्माण कार्य समयबद्ध तरीके से पूरे किए जा रहे हैं।
पीएम जनमन आवास योजना विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के लिए शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है। इसका लक्ष्य तीन वर्षों के भीतर लाभार्थियों को सुरक्षित घर, स्वच्छ पेयजल, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं से जोड़ना है। दूरस्थ क्षेत्रों में रहने के कारण जो पीवीटीजी परिवार सरकारी योजनाओं से वंचित रह गए थे, इस योजना के माध्यम से उन्हें स्थायी घर के साथ-साथ मनरेगा के तहत रोजगार और आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं।
इसी योजना ने विकासखण्ड ओरछा के ग्राम कोहकामेटा की निवासी मोड्डे बाई, पति मसिया के जीवन में भी बड़ा बदलाव लाया है। मोड्डे बाई पहले अपने परिवार के साथ एक कच्चे और जर्जर घर में रहती थीं। हर मौसम की मार उनके जीवन को और कठिन बना देती थी। परिवार का भरण-पोषण मजदूरी से करने वाली मोड्डे बाई के लिए पक्का मकान बनवाना मात्र एक सपना बनकर रह गया था।
जब उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी मिली, तो उन्होंने आवेदन किया। सर्वेक्षण के उपरांत उनके खाते में मकान निर्माण हेतु 2 लाख रुपये स्वीकृत किए गए। अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए मोड्डे बाई ने स्वयं भी निर्माण कार्य में हाथ बंटाया। आज उनका परिवार पक्के, सुरक्षित और सुखद घर में रह रहा है।
भावुक होते हुए मोड्डे बाई ने कहा कि यह सिर्फ एक मकान नहीं, मेरे सपनों और आत्मसम्मान की दीवार है। इस मकान ने मुझे वह सम्मान दिया है, जो मुझे जीवन में कभी नहीं मिला। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह योजना उनके परिवार के लिए वरदान साबित हुई है।
Feb 09, 2021 Rate: 4.00
