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जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र तीन हफ्तों से ठप, एमसीसी (मिशन क्लीन सिटी) कर्मचारियों के साथ भेदभाव चरम पर
दुर्ग / शौर्यपथ / शहरी सरकार में "सुशासन" के दावों के बीच दुर्ग नगर पालिक निगम में हो रही कार्यवाही ने आमजन से लेकर वर्षों से सेवा दे रहे कर्मचारियों तक को असहज कर दिया है। छोटे-छोटे कारणों का हवाला देकर एमसीसी (मिशन क्लीन सिटी) और प्लेसमेंट कर्मचारियों को एक के बाद एक निकाला जा रहा है। कई कर्मचारियों के स्वास्थ्य संबंधी आवेदन भी गायब कर दिए गए हैं, जिससे प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
भेदभावपूर्ण रवैये से नाराजग़ी बढ़ी
मिशन क्लीन सिटी के तहत कार्यरत एमसीसी कर्मचारियों की तैनाती फील्ड के बजाय ऑफिस कार्यों में की जा रही है, जो न केवल मिशन के उद्देश्य को ठेस पहुँचाता है बल्कि चयन प्रक्रिया में भी भेदभाव को उजागर करता है। इस स्थिति से निगम के महापौर श्रीमती अलका बाघमार , स्वास्थ्य अधिकारी धर्मेश मिश्रा, और स्वास्थ्य प्रभारी नीलेश अग्रवाल सभी अवगत हैं, फिर भी मौन साधे रहना प्रशासनिक निष्क्रियता का प्रतीक बनता जा रहा है।
अतिक्रमण पर चुप्पी और दोहरा रवैया
दुर्ग शहर के चौक-चौराहों पर अतिक्रमण ने बीते कुछ महीनों में विकराल रूप ले लिया है, परन्तु कार्रवाई में भेदभाव स्पष्ट दिख रहा है। राजनीतिक चश्मे से देखी जा रही व्यवस्थाओं ने आमजन में रोष पैदा कर दिया है। जनप्रतिनिधि, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के नाम पर चुनाव जीतकर आए, अब उन्हीं की योजनाओं को बेमानी कर रहे हैं और संगठन की अपेक्षाओं को नजरअंदाज कर रहे हैं।
जनसेवाएं ठप, जनता परेशान
तीन हफ्तों से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जनता को उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इस कार्य से संबंधित शाखा में एक एमसीसी कर्मचारी को ही जिम्मेदारी दे दी गई है, जो सीधे तौर पर विभागीय लापरवाही और शहरी सरकार की विफलता को दर्शाता है।
निष्कषर्: नगर निगम में जारी अनियमितताएं, मनमानी और भेदभाव न केवल कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ रहे हैं, बल्कि शासन-प्रशासन की पकड़ पर भी सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा प्रचारित "सुशासन" की अवधारणा दुर्ग निगम में कागजों तक सिमटती प्रतीत हो रही है।
पाटन / शौर्यपथ / पवित्र श्रावण मास के तीसरे सोमवार को पाटन में 'बोल बम कांवड़ यात्रा समितिÓ द्वारा भव्य कांवड़ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। यह यात्रा 28 जुलाई को पुराना बाजार पाटन से शुरू होकर टोलाघाट तक जाएगी, जिसमें हजारों की संख्या में शिवभक्त भगवा वस्त्र धारण कर 'हर-हर महादेवÓ और 'बोल बमÓ के जयकारों के साथ शामिल होंगे। समिति के संयोजक जितेंद्र वर्मा के नेतृत्व में इस यात्रा को भव्य और दिव्य बनाने के लिए गांव-गांव में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं।
समिति के संयोजक जितेंद्र वर्मा ने बताया कि कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि हमारी आस्था, एकता और शिवभक्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा, "यह यात्रा पाटन की पवित्र परंपरा बन चुकी है। मैं सभी शिवभक्तों से अपील करता हूं कि अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर इस आध्यात्मिक यात्रा को सफल बनाएं। हर हर महादेव की गूंज के साथ हम एक नई ऊर्जा, विश्वास और भक्ति का संचार करेंगे।"
आज ग्राम सेलूद, पतोरा, पाटन और टोलाघाट में बैठकों का आयोजन किया गया, जिसमें यात्रा की रूपरेखा पर विस्तृत चर्चा हुई। पिछले वर्षों की समीक्षा करते हुए इस बार यात्रा में नए उत्साह के साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और भक्तिमय वातावरण निर्माण पर विशेष बल दिया गया है। साथ ही, जल संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित किया गया। टोलाघाट में प्रसिद्ध सांस्कृतिक एवं भक्तिमय गायिका पायल साहू अपनी संगीतमय प्रस्तुति से श्रद्धालुओं को शिवभक्ति में सराबोर करेंगी।
इन बैठकों में नगर पंचायत अध्यक्ष योगेश निक्की भाले, भाजपा पाटन मंडल अध्यक्ष रानी बंछोर, विनोद साहू, दिलीप साहू, खेमलाल साहू, केशव बंछोर, निशा सोनी, रवि सिन्हा, गिरधर वर्मा, सुरेश निषाद, दिव्या कलिहारी साहू, प्रवीण मढ़रिया, राकेश आडिल, भावना निषाद सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक और अन्य सम्मानित शिव भक्त उपस्थित थे। सभी ने मिलकर यात्रा को सफल बनाने का संकल्प लिया।
दुर्ग / शौर्यपथ /
दुर्ग नगर निगम क्षेत्र में इन दिनों 40 करोड़ रुपये के विकास कार्यों को लेकर सियासी श्रेय की जंग छिड़ी हुई है। शहरवासियों को मिली विकास की सौगात पर खुश होने का मौका मिला भी नहीं कि शहर की दो बड़ी राजनीतिक ताकतों—विधायक गजेंद्र यादव और महापौर अलका बाघमार—के समर्थक आपस में ही मोर्चा खोल बैठे हैं। विकास कार्यों के लिए आभार प्रदर्शन की होड़ में सोशल मीडिया रणभूमि बन चुकी है, जहाँ दोनों खेमों के समर्थक एक-दूसरे को श्रेय से वंचित करने की कोशिश में लगे हैं।
नगर निगम क्षेत्र के प्रमुख राजेंद्र प्रसाद चौक से लेकर ग्रीन चौक व आईएमईआई चौक तक फोरलेन सड़क और एक आधुनिक 500 सीटर सेंट्रल लाइब्रेरी का निर्माण प्रस्तावित है। यह कार्य नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा स्वीकृत किए गए हैं और कुल लागत लगभग 40 करोड़ रुपये के करीब बताई जा रही है।
विधायक गजेंद्र यादव के समर्थक इसे उनकी पहल का नतीजा बता रहे हैं। वे पुराने दस्तावेज और प्रस्ताव सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने उक्त परियोजना के लिए शासन को पत्र भेजे थे। वहीं दूसरी ओर, महापौर अलका बाघमार के समर्थक भी पीछे नहीं हैं। वे इसे 'नवगठित शहरी सरकारÓ की उपलब्धि करार दे रहे हैं और सार्वजनिक पोस्टर-बैनर के माध्यम से महापौर को धन्यवाद ज्ञापित कर रहे हैं।
हालांकि, एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि फरवरी 2024 में ही राज्य विधानसभा सत्र के दौरान पूरे प्रदेश में सेंट्रल लाइब्रेरी निर्माण की घोषणा हो चुकी थी, जब प्रदेश में भाजपा सरकार सत्ता में थी, लेकिन नगरीय निकायों में कांग्रेस का नियंत्रण था। ऐसे में सवाल उठता है कि पहले से घोषित योजनाओं को लेकर अब किस प्रयास का आभार व्यक्त किया जा रहा है?
स्थिति को और पेचीदा बना रही है यह बात कि दुर्ग नगर निगम की नई शहरी सरकार को बने मात्र चार महीने हुए हैं और पार्षद पहले ही दो खेमों में बंटे दिखाई देने लगे हैं। भले ही दोनों ही पक्ष सार्वजनिक रूप से मतभेदों को स्वीकार न करें, लेकिन सोशल मीडिया पर चल रही गतिविधियाँ और समर्थकों के बीच जुबानी जंग से शहर के राजनीतिक हालात स्वत: स्पष्ट हो रहे हैं।
जनता के बीच यह चर्चा आम होती जा रही है कि "विकास के कामों से पहले ही यदि श्रेय की लड़ाई इतनी तीव्र है, तो आने वाले समय में प्रशासनिक समन्वय और जनसेवा का क्या होगा?" शहरवासियों ने भारी बहुमत देकर विधानसभा और निगम चुनाव में एकतरफा जनादेश दिया, ताकि शहर का चहुंमुखी विकास हो। परंतु जब एक ही पार्टी के दो निर्वाचित जनप्रतिनिधि अपने-अपने गुट के समर्थकों के साथ सामने आने लगे, तो आम जनमानस यह सोचने को विवश है कि क्या वाकई में विकास प्राथमिकता है या श्रेय लेने की राजनीति?
शहर को चाहिए ठोस विकास, न कि तकरार में उलझी तस्वीर।
आमजन की उम्मीदें अब भी शहरी सरकार और प्रदेश सरकार से जुड़ी हैं—शर्त यही है कि नेतृत्व अपने समर्थकों की होड़ से ऊपर उठकर शहरहित को सर्वोपरि रखे।
भिलाई में बीएसपी कर्मचारी पर तलवार से जानलेवा हमला: दुर्ग पुलिस ने दिखाई त्वरित कार्रवाई, आरोपियों का निकाला जुलूस
भिलाई/शौर्यपथ
छत्तीसगढ़ के औद्योगिक नगरी भिलाई में शुक्रवार रात अपराधियों के दुस्साहस का एक और उदाहरण सामने आया जब बीएसपी कर्मचारी पर खुलेआम तलवार से जानलेवा हमला कर दिया गया। घटना भिलाई नगर थाना क्षेत्र के सेक्टर-5 मार्केट की है, जहां शराब के नशे में धुत दो अपराधियों—लक्की जॉर्ज और यशवंत नायडू—ने बीएसपी कर्मचारी चंद्रकांत वर्मा पर धारदार हथियार से हमला किया।
लक्की जॉर्ज कुख्यात हिस्ट्रीशीटर अमित जोश का जीजा है, जबकि यशवंत उसका करीबी सहयोगी बताया जा रहा है। हमले के पीछे पूरी तरह से गुंडागर्दी और दबंगई की मानसिकता काम कर रही थी।
घटना का क्रम: धमकी से लेकर तलवार तक
शुक्रवार रात लगभग 10:15 बजे चंद्रकांत वर्मा सेक्टर-5 मार्केट में खरीदारी के लिए निकले थे। दुकानें बंद होने के कारण वह एक पान दुकान के पास खड़े थे। उसी समय लक्की और यशवंत नशे की हालत में वहां पहुंचे और दुकान बंद होने पर गाली-गलौज शुरू कर दी।
जब चंद्रकांत वर्मा ने इसका विरोध किया, तो दोनों ने खुद को "भिलाई के गुंडे" बताते हुए धमकी दी—"आज तुझे जान से खत्म कर देंगे।" इसके बाद लक्की जॉर्ज ने तलवार से हमला कर दिया। चंद्रकांत ने किसी तरह खुद को बचाया लेकिन उनके बाएं हाथ की उंगली में गंभीर चोट आई और सिर पर वार के कारण वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
घायल ने साहस दिखाते हुए दी सूचना, पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई
घायल अवस्था में चंद्रकांत वर्मा ने अपने मित्र और थाना प्रभारी को फोन कर सूचना दी। सेक्टर-9 अस्पताल में प्राथमिक उपचार के दौरान ही पुलिस ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी और कुछ ही घंटों में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस का जुलूस: अपराधियों को सार्वजनिक रूप से दी सख्त चेतावनी
भिलाई नगर पुलिस ने घटना को हल्के में न लेते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद थाना परिसर से घटनास्थल तक पैदल ‘अपराधी जुलूस’ निकाला। इस कदम का मकसद स्पष्ट था—अपराधियों को यह संदेश देना कि अब कानून से खिलवाड़ करने वालों को सार्वजनिक बेइज्जती और कड़ी सजा का सामना करना होगा।
यह वही पुलिस तंत्र है जिसने 2024 में भिलाई के ग्लोब चौक पर पुलिस मुठभेड़ में कुख्यात गैंगस्टर अमित जोश को मार गिराया था। उस एनकाउंटर के बाद से भिलाई पुलिस लगातार गुंडा तत्वों के खिलाफ सख्त अभियान चला रही है।
पृष्ठभूमि: कुख्यात बदमाश से जुड़े हैं आरोपी
अमित जोश—जिसके नाम पर भय का साया था—दुर्ग, भिलाई समेत प्रदेश के कई थानों में 35 से अधिक गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे। एनकाउंटर में मारे जाने के बाद भी उसके रिश्तेदार और गुर्गे अपराध की उसी राह पर चल रहे हैं। लक्की जॉर्ज, जो अमित जोश का जीजा है, पुलिस रिकॉर्ड में भी संदिग्ध चरित्र का व्यक्ति बताया जाता रहा है।
पुलिस प्रशासन का कड़ा रुख
भिलाई और दुर्ग पुलिस प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कई गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है। शहर में शांति और कानून का राज बनाए रखने के लिए प्रशासन अब 'अपराध पर शून्य सहिष्णुता' की नीति पर काम कर रहा है।
बिर्रा-/ शौर्यपथ / पुलिस थाना बिर्रा के नवपदस्थ पुलिस निरीक्षक जयकुमार साहू ने पत्रकार टीम को सौजन्य मुलाकात में कहा कि पुलिसिग व्यवस्था दुरुस्त रहेगी साथ ही पुलिस और जनता के बीच संवाद स्थापित करने के लिए हरसंभव प्रयास करने की बात कही आज शाम को प्रेस क्लब बिर्रा ने पुलिस थाना बिर्रा में नवपदस्थ पुलिस निरीक्षक जयकुमार साहू को पुष्प गुच्छ भेंट कर सौजन्य मुलाकात मुलाकात किया तथा पुलिस थाना प्रभारी जयकुमार साहू ने पत्रकार को बताया कि इसके पूर्व डीडीनगर रायपुर नारायणपुर कांकेर दन्तेवाड़ा केशकाल के अलावा भोपालपटनम घोरनक्सली क्षेत्र में अपनी सेवा दी है तथा नक्सली इलाकों में नक्सलियों से लोहा मनवा लिए है। पुलिसिंग व्यवस्था को क्षेत्र में तेजी लाने के लिए के लिए हर समय पुलिस को चौकन्ना होकर कार्य करने के अलावा पुलिस पेट्रोलिंग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा तथा सभी सरकारी संस्था एवं गैर अधर्दशासकीय स्कूल के सभी वाहन चालक की बैठक बुलाई जाएगी तथा चालक का डेस व फिट अनफिट की जानकारी ली जाएगी। वहीं नवपदस्थ पुलिस निरीक्षक जयकुमार साहू के चार्ज के बाद पुलिस व्यवस्था को लेकर जनता में काफी उत्सुकता दिखाई दे रहा है तथा आने वाले समय में गुड़ा बदमाश और अवैध कारोबार करने वाले में डर का माहौल देखने को मिल रहा है। सौजन्य मुलाकात करने वाले में प्रेस क्लब के पदाधिकारी संरक्षक चित्रभानु पाड़ेय अध्यक्ष दुर्गा ड़ड़सेना उपाध्यक्ष जीवन साहू कोषाध्यक्ष संजू साहू सचिव एकांश पटेल हेमन्त जायसवाल के अलावा भारी संख्या में प्रेस क्लब पदाधिकारी उपस्थित थे।
नई दिल्ली, 19 जुलाई 2025
भारत ने आज अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और स्वर्णिम अध्याय लिखा। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से 18 दिन की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर 15 जुलाई को सफलतापूर्वक लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को आज भारत सरकार के मंत्रिमंडल ने सामूहिक रूप से अभिनंदन किया और इस उपलब्धि को "राष्ट्रीय गौरव का क्षण" बताया।
मंत्रिमंडल की बैठक में कहा गया कि ग्रुप कैप्टन शुक्ला की यह उड़ान न केवल भारत की तकनीकी और वैज्ञानिक श्रेष्ठता का प्रतीक है, बल्कि यह अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को भी दर्शाता है।
इस मिशन की शुरुआत 25 जून 2025 को हुई थी, जिसमें शुभांशु शुक्ला मिशन पायलट के रूप में Axiom-4 क्रू के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे। यह पहली बार था जब कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री ISS पर गया। उनका यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से ऐतिहासिक रहा, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का एक निर्णायक मोड़ भी साबित हुआ।
ISS पर रहते हुए उन्होंने Expedition 73 के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर माइक्रोग्रैविटी में मानव मांसपेशियों की पुनर्रचना, शैवाल और सूक्ष्मजीवों की वृद्धि, फसलों की अनुकूलता, और सायनोबैक्टीरिया के व्यवहार जैसे उन्नत वैज्ञानिक प्रयोगों में योगदान दिया। इसके अलावा, अंतरिक्ष में मानव संज्ञानात्मक क्षमताओं पर पड़ने वाले प्रभावों का भी अध्ययन किया गया।
सरकार ने इस उपलब्धि के लिए ISRO, DRDO और वैज्ञानिकों की टीम को भी विशेष बधाई दी, जिनके समर्पण और तकनीकी कौशल ने इस मिशन को संभव बनाया।
मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की भी सराहना की और कहा कि उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण, स्पेस प्रोग्राम में गहरी आस्था और निर्णायक नीतियों ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर किया है।
सरकार ने यह भी रेखांकित किया कि बीते वर्षों में भारत ने कई अंतरिक्ष उपलब्धियाँ हासिल की हैं—
23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग,
आदित्य-L1 मिशन द्वारा सूर्य पर महत्वपूर्ण शोध,
और स्पेस सेक्टर में सुधारों के चलते 300 से अधिक स्टार्टअप्स का उदय।
इन उपलब्धियों ने भारत की स्पेस इकॉनॉमी, रोजगार, और इनोवेशन इकोसिस्टम को नई गति दी है।
ग्रुप कैप्टन शुक्ला की सफलता को मंत्रिमंडल ने युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का प्रतीक बताया। सरकार का मानना है कि इससे बच्चों और युवाओं में वैज्ञानिक सोच का विकास होगा और वे साइंस व टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करियर बनाने को प्रोत्साहित होंगे।
गगनयान मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की योजनाओं को ध्यान में रखते हुए, यह मिशन भारत के लिए भविष्य के बड़े लक्ष्य हासिल करने की ओर एक मजबूत कदम है।
अंत में, मंत्रिमंडल ने इस उपलब्धि को "विकसित भारत 2047" के विजन के लिए एक प्रेरक ऊर्जा बताया और विश्वास जताया कि भारत अंतरिक्ष में विश्व की अग्रणी शक्तियों में एक बनकर उभरेगा।
?️ गौरवशाली भारत, उन्नत अंतरिक्ष विज्ञान
? "ये सिर्फ एक मिशन नहीं, ये भारत की अंतरिक्ष यात्रा का स्वर्णिम मोड़ है" – मंत्रिमंडल
पुण्यश्लोक लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर का संपूर्ण जीवन समाज कल्याण हेतु रहा समर्पित-मुख्यमंत्री साय
रायपुर / शौर्यपथ / पुण्यश्लोक लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर का संपूर्ण जीवन समाज कल्याण हेतु समर्पित रहा। वह इंदौर की न केवल महारानी थीं, बल्कि न्यायप्रिय, धार्मिक एवं निष्पक्ष प्रशासक भी थीं। उन्होंने देशभर में धार्मिक स्थलों एवं मंदिरों के जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण के क्षेत्र में जो कार्य किए, वे आज भी हम सबके लिए प्रेरणादायक हैं। उक्त बातें मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम, रायपुर में विश्व मांगल्य सभा द्वारा आयोजित पुण्यश्लोक लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर की जीवनी पर आधारित नाट्य मंचन समारोह में कही।
श्री साय ने आगे कहा कि हम सभी लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती मना रहे हैं। इस अवसर पर आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में पूरे देश एवं प्रदेश में उनकी स्मृति में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
सुशासन, सनातन और संस्कृति के लिए समर्पित लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जी के जीवन पर आधारित यह नाट्य प्रस्तुति लोगों तक उनके महान कृतित्व को पहुंचाने में सहायक होगी। राजमाता अहिल्याबाई होलकर हमारे गौरवशाली इतिहास की महान प्रेरणापुंज हैं। उनके जीवन चरित्र से वर्तमान एवं भावी पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने रामराज्य की अवधारणा को साकार किया। तीन दशकों तक उन्होंने होलकर राजवंश का नेतृत्व किया। उन्होंने प्रशासन, न्याय और जनकल्याण की अनुकरणीय व्यवस्था प्रदान की। दक्षिण में कांची, उत्तर में बद्रीनाथ, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारका तक, हर स्थान पर उनके पुण्य कार्यों की छाप मिलती है। वे इंदौर की महारानी थीं, परंतु उन्होंने अपने को किसी भौगोलिक सीमा में नहीं बाँधा। देश के विभिन्न हिस्सों में उन्होंने मंदिरों का निर्माण, धर्मशालाओं की स्थापना की और धर्म की पताका सदैव लहराई।
वह सनातन की ध्वजवाहिका रहीं। जब महारानी अहिल्याबाई का नाम आता है तो हाथों में शिवलिंग लिए हुए उनकी तस्वीर सजीव हो उठती है। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना के प्रतीक काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। जब औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट किया, तब यह घटना हिंदू समाज के लिए अत्यंत आघातकारी थी। उस समय माता जीजाबाई ने शिवाजी महाराज से कहा था कि काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण हमारा सर्वोच्च लक्ष्य होना चाहिए। पेशवा माधवराव ने भी अपनी वसीयत में लिखा था कि उनकी इच्छा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर फिर से बने। यह यशस्वी कार्य राजमाता अहिल्याबाई होलकर के कर-कमलों से संपन्न हुआ।
उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कर लाखों आस्थावान हिंदुओं के सपनों को साकार किया। वे हरिद्वार से गंगाजल मंगवाकर उसे कांचीपुरम के शिव मंदिर में अर्पित करवाती थीं। उन्होंने पुरी में धर्मशाला तथा द्वारका में भी धार्मिक निर्माण कार्य करवाए। जिस प्रकार आदि शंकराचार्य जी ने सनातन परंपरा को जोड़ते हुए चार धाम की स्थापना की, उसी परंपरा में राजमाता अहिल्याबाई होलकर जी ने भारत को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस अवसर पर जगदलपुर विधायक श्री किरण देव साय ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। प्रस्तावना विश्व मांगल्य सभा की श्रीमती निकिता ताई द्वारा प्रस्तुत की गई।इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप, प्रदेश अध्यक्ष एवं जगदलपुर विधायक किरण देव साय, अजय जामवाल, पवन साय सहित बड़ी संख्या में विधायकगण, सांसदगण, निगम-मंडल-आयोग के अध्यक्षगण, जनप्रतिनिधिगण एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता शूटर श्री अभिनव बिंद्रा ने की मुलाकात
छत्तीसगढ़ में ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन, स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी और स्पोर्ट्स साइंस डेवलपमेंट के लिए होगा कार्य
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ की खेल प्रतिभाएं अब आकाश को छूएंगी। राज्य के खिलाड़ी प्रारंभिक स्तर से ही आधुनिक तकनीकों के माध्यम से दक्ष बनाए जाएंगे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से आज उनके निवास कार्यालय में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता शूटर अभिनव बिंद्रा ने सौजन्य भेंट की। मुख्यमंत्री साय ने श्री बिंद्रा से छत्तीसगढ़ में ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन, स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी एवं स्पोर्ट्स साइंस डेवलपमेंट के विषय में विस्तारपूर्वक चर्चा की।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने श्री बिंद्रा का पुष्पगुच्छ एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर आत्मीय स्वागत किया। उन्होंने श्री बिंद्रा से छत्तीसगढ़ में खेल गतिविधियों के विकास एवं खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने संबंधी योजनाओं पर गहन चर्चा की।
मुख्यमंत्री साय ने चर्चा के दौरान कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ की खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने हेतु पूर्णतः प्रतिबद्ध है। प्रदेश के युवाओं में खेलों के प्रति स्वाभाविक रुचि एवं नैसर्गिक प्रतिभा है, विशेषकर आदिवासी अंचलों के युवाओं में अत्यधिक संभावनाएं हैं। इस परिप्रेक्ष्य में श्री बिंद्रा ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि वे छत्तीसगढ़ में ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन, स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी और स्पोर्ट्स साइंस कार्यक्रम प्रारंभ करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि राज्य की खेल प्रतिभाओं को निखारने में ये प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।
चर्चा के दौरान श्री बिंद्रा ने बताया कि वे अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों में खिलाड़ियों को आगे लाने के लिए विविध कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि फाउंडेशन द्वारा खेलहित में संचालित ये कार्यक्रम निःशुल्क होते हैं, जिससे खिलाड़ियों को प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त हो रहा है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में भी फाउंडेशन के माध्यम से ऐसे कार्यक्रम प्रारंभ किए जाने के सम्बन्ध में चर्चा की।
श्री बिंद्रा ने जानकारी दी कि ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन कार्यक्रम के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों में ओलंपिक मूल्यों का विकास किया जाएगा। उन्हें उत्कृष्टता, सम्मान और मैत्री जैसे मूल्यों को अपनाने हेतु प्रेरित किया जाएगा, जिससे प्रारंभिक अवस्था से ही खेल प्रतिभाओं का संवर्धन संभव हो सकेगा।
मुख्यमंत्री साय को श्री बिंद्रा ने अवगत कराया कि स्पोर्ट्स इंजरी खिलाड़ियों के लिए एक बड़ी चुनौती है। स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी कार्यक्रम के अंतर्गत खिलाड़ियों को निःशुल्क सर्जरी, पुनर्वास एवं उपचार उपरांत देखभाल की संपूर्ण सुविधा प्रदान की जाएगी, ताकि वे स्वस्थ होकर पुनः खेल क्षेत्र में सक्रीय हो सकें। इस हेतु फाउंडेशन के साथ देश के 30 उत्कृष्ट चिकित्सकों का नेटवर्क कार्यरत है, जिसका लाभ छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को मिलेगा।
मुख्यमंत्री को श्री बिंद्रा ने बताया कि वर्तमान खेल परिदृश्य पूर्णतः विज्ञान-आधारित हो गया है। अतः वे छत्तीसगढ़ में स्पोर्ट्स साइंस कार्यक्रम प्रारंभ करना चाहते हैं, जिससे आधुनिक एवं वैज्ञानिक पद्धति से खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया जा सके। नवीनतम तकनीकों की सहायता से प्रतिभाओं की पहचान वैज्ञानिक तरीके से की जा सकेगी तथा टेक्नोलॉजी के माध्यम से उनके कौशल को समुचित रूप से विकसित किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को आवश्यक सभी सुविधाएं प्रदान कर रही है। विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों के युवाओं में अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि विशेष पिछड़ी जनजाति कोरवा समुदाय के युवाओं में तीरंदाजी का प्राकृतिक कौशल है। इस प्रतिभा को बढ़ावा देने हेतु रायपुर एवं जशपुर में एनटीपीसी के सहयोग से 60 करोड़ रुपये की लागत से आर्चरी अकादमी की स्थापना की जा रही है। इसी प्रकार बस्तर में आयोजित बस्तर ओलंपिक में 1.65 लाख से अधिक खिलाड़ियों ने भाग लिया। राज्य सरकार द्वारा ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को 3 करोड़ रुपये, रजत पदक विजेता को 2 करोड़ रुपये एवं कांस्य पदक विजेता को 1 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में देने की घोषणा की गई है।
इस अवसर पर खेल मंत्री टंकराम वर्मा, छत्तीसगढ़ युवा आयोग के अध्यक्ष विश्वविजय सिंह तोमर, खेल विभाग के सचिव यशवंत कुमार, संचालक श्रीमती तनुजा सलाम, डॉ. दिगपाल राणावत सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे।
दुर्ग। शोर्यपथ। दुर्ग नगर निगम क्षेत्र में सार्वजनिक भूमि के एक विवादास्पद आवंटन को लेकर एक बार फिर नगर प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता चतुर्भुज राठी द्वारा शपथ-पत्र में कथित रूप से गलत जानकारी देकर एक बहुमूल्य जमीन का आवंटन करवा लेने के मामले में वर्तमान शहरी सरकार की निष्क्रियता राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है।
जानकारी के अनुसार, जब नगर निगम में कांग्रेस की सत्ता थी, तब राम रसोई नामक एक संस्था ने उक्त जमीन के लिए आवेदन किया था। यह संस्था भारतीय जनता पार्टी के नेता चतुर्भुज राठी से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी बताई जा रही है। आरोप है कि संस्था के दस्तावेजों में कई तथ्य छिपाए गए और भूमि आवंटन की प्रक्रिया में कई अनियमितताएं हुईं। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि भूमि का स्थल परिवर्तन परिषद की अंतिम बैठक में चुपचाप कर दिया गया, और फिर 50 पैसे के साधारण कागज पर अनुबंध भी हो गया, जिसकी स्पष्ट जानकारी न तो परिषद को दी गई और न ही शहरी सरकार के दस्तावेज़ों में दर्ज है।
वर्तमान में दुर्ग नगर निगम की बागडोर भाजपा समर्थित महापौर श्रीमती अलका बाघमार के हाथों में है। हालांकि विपक्ष व सामाजिक संगठनों द्वारा कई बार इस मुद्दे को उठाया गया और दस्तावेज़ी प्रमाण भी उपलब्ध कराए गए, फिर भी प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या शहरी सरकार अपने ही पार्टी नेता को बचाने के लिए कार्रवाई से परहेज कर रही है?
महापौर अलका बाघमार ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में शहर में "सुशासन और पारदर्शिता" का वादा किया था, लेकिन राम रसोई संस्था को बस स्टैंड जैसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र में अधूरे दस्तावेजों के आधार पर दी गई जमीन और उस पर बने अनुबंध की जांच न करना, उनकी प्रशासनिक प्रतिबद्धता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं होती, तो इससे एक गंभीर परंपरा स्थापित होगी जिसमें राजनैतिक रसूख के बल पर सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग करना सामान्य होता जाएगा।
दूसरी ओर, दुर्ग बस स्टैंड की बदहाल स्थिति नगर निगम की प्राथमिकता को लेकर भी सवाल खड़े कर रही है। व्यस्ततम बस स्टैंड पर अतिक्रमण, गंदगी और अव्यवस्था को लेकर जनता में रोष है, परंतु नगर प्रशासन की दृष्टि भाजपा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सुरक्षा में अधिक केंद्रित नजर आ रही है।
भाजपा संगठन के लिए यह मामला विचारणीय है। वही पार्टी जो वर्षों तक भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन करती रही, आज जब उसका प्रतिनिधि महापौर पद पर है, तब उसके नेतृत्व में नियमों की अनदेखी और गलत दस्तावेजों के आधार पर सार्वजनिक भूमि का आवंटन जैसे मामलों पर आंखें मूंद लेना, उसके सिद्धांतों को कमजोर करता है।
अब यह देखना होगा कि भाजपा समर्थित नगर निगम की पहली महिला महापौर श्रीमती अलका बाघमार क्या इस संवेदनशील मामले में निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई की पहल करेंगी, या फिर यह मामला भी अन्य राजनीतिक मामलों की तरह समय के गर्त में दब जाएगा।
जनता की निगाहें अब इस पर टिकी हैं कि सुशासन और पारदर्शिता की बातें केवल भाषणों तक सीमित रहेंगी या व्यवहार में उतरेंगी।
दुर्ग/रायपुर, 18 जुलाई 2025।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा भूचाल उस वक्त आया जब ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इकलौते पुत्र चैतन्य बघेल को ₹2100 करोड़ शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया।
यह गिरफ्तारी उनके जन्मदिन के दिन हुई, जिससे राजनीतिक हलकों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जबरदस्त आक्रोश देखा गया। शुक्रवार की सुबह से ही कांग्रेस समर्थकों का उनके निवास पर आना-जाना लगा हुआ था, लेकिन दोपहर में ईडी की कार्रवाई ने पूरे माहौल को तनावपूर्ण बना दिया।
? क्या है पूरा मामला?
ईडी ने चैतन्य बघेल को PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत गिरफ्तार किया।
उन पर आरोप है कि वह राज्य में हुए शराब घोटाले से अर्जित काली कमाई के प्रमुख लाभार्थी (Beneficiary) हैं।
सूत्रों के अनुसार ईडी ने जांच में ऐसे कई वित्तीय लेन-देन और दस्तावेज बरामद किए हैं जो उनकी संलिप्तता की पुष्टि करते हैं।
? ED की कार्रवाई की मुख्य बातें:
चैतन्य बघेल के भिलाई स्थित आवास में तड़के छापेमारी की गई।
लगभग 5 घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तारी के समय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध करते हुए ईडी की गाड़ी को घेर लिया, मौके पर पुलिस बल तैनात करना पड़ा।
?️ भूपेश बघेल का बयान:
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा—
> "यह गिरफ्तारी मेरे बेटे की नहीं, मेरी आवाज की गिरफ्तारी है। अडाणी कोयला प्रोजेक्ट के खिलाफ बोलने की यह सज़ा दी जा रही है। यह केंद्र सरकार की ईडी राजनीति है।"
? राजनीतिक असर:
कांग्रेस ने इस गिरफ्तारी को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है और विधानसभा सत्र में विरोध दर्ज किया है।
राज्यभर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
> ? "बेटे का जन्मदिन और सत्ता की साजिश? भूपेश बघेल के बेटे की गिरफ्तारी ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में मचाया भूचाल। जानिए पूरा सच!"
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