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धर्म संसार /शौर्यपथ /भगवान श्रीदेवनारायण की जयंती उन्नीस फरवरी को जयपुर में धूमधाम एवं उल्लास के साथ मनाई जायेगी। भगवान श्री देवनारायण एवं भैरव बाबा मंदिर समिति के अध्यक्ष जयपुर के वरिष्ठ समाज सेवी रवि शंकर धाभाई के अनुसार देवनारायण जयंती का महोत्सव 19 फरवरी को सायं चार बजे विद्याधर नगर के सेक्टर चार में स्थित गुर्जर की ढ़ाणी में भगवान श्रीदेवनारायण एवं भैरव बाबा मंदिर राष्ट्रीय एकता, कौमी एकता एवं साम्प्रदायिक सदभाव दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस मौके धर्म गुरुओं, साधुओं, संतों का मेला लगेगा। उन्होंने बताया कि इस मौके सभी श्रदालु एवं भक्तजनों द्वारा भगवान की वंदना कर भगवान से वैश्विक महामारी कोरोना संकट समय को सम्पूर्ण रूप से खत्म करने की आराधना की जायेगी। इस दौरान देश में अमन चैन, भाईचारा, शांति एवं खुशियां कायम होने और देश प्रगति की राह पर आगे बढने की मंगलकामना की जाएगी।
मंदिर समिति एवं अखिल भारतीय गुर्जर महासंघ की महिला (युवा प्रकोष्ठ) की महासचिव वैष्णवी धाभाई ने बताया कि इस बार भगवान श्री देवनारायण के जन्मदिन को बड़े धूमधाम एवं उल्लास से मनाया जाएगा। इस दौरान गुर्जर समाज के समाज का नाम रोशन करने वाले गणमान्य लोगों का एवं सर्व समाज के विशिष्ट व्यक्तियों का उनकी सहरानीय एवम उल्लेखनीय सेवाओं के लिए इस भव्य आयोजन के दौरान सम्मान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे।
धर्म संसार /शौर्यपथ /हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का विशेष महत्व होता है। यह हर साल होली के आठवें दिन मनाई जाती है। इस साल शीतला अष्टमी 4 अप्रैल है। कृष्ण पक्ष की इस शीतला अष्टमी को बासौड़ा और शीतलाष्टमी के नाम से भी पहचाना जाता है। शीतला अष्टमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। शीतला अष्टमी में बासी भोजन ही माता को चढ़ाया जाता है और प्रसाद के रुप में ग्रहण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन के बाद बासी भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए वो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला माता का स्वरूप अत्यंत शीतल है, जो रोग-दोषों को हरण करने वाली हैं। माता के हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते हैं और वे गधे की सवारी करती हैं।
शीतला अष्टमी शुभ मुहूर्त-
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त - 06:08 AM से 06:41 PM
अवधि - 12 घण्टे 33 मिनट।
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 04, 2021 को 04:12 AM बजे
अष्टमी तिथि समाप्त - अप्रैल 05, 2021 को 02:59 AM बजे ।
शीतला अष्टमी व्रत का महत्व-
माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को कई तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है। शीतला अष्टमी के दिन शीतला मां का पूजन करने से चेचक, खसरा, बड़ी माता, छोटी माता जैसी बीमारियां नहीं होती हैं। अष्टमी ऋतु परिवर्तन का संकेत देती है। यही वजह है कि इस बदलाव से बचने के लिए साफ-सफाई का पूर्ण ध्यान रखना होता है।माना जाता है कि इस अष्टमी के बाद बासी खाना नहीं खाया जाता है।
शीतला अष्टमी की पूजा विधि-
-सबसे पहले शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा लें।
-पूजा की थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रखें।
-दूसरी थाली में आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, होली वाली बड़कुले की माला, सिक्के और मेहंदी रखें।
-दोनों थालियों के साथ में ठंडे पानी का लोटा भी रख दें।
-अब शीतला माता की पूजा करें।
-माता को सभी चीज़े चढ़ाने के बाद खुद और घर से सभी सदस्यों को हल्दी का टीका लगाएं।
-मंदिर में पहले माता को जल चढ़ाकर रोली और हल्दी का टीका करें।
-माता को मेहंदी, मोली और वस्त्र अर्पित करें।
-आटे के दीपक को बिना जलाए माता को अर्पित करें।
-अंत में वापस जल चढ़ाएं और थोड़ा जल बचाकर उसे घर के सभी सदस्यों को आंखों पर लगाने को दें। बाकी बचा हुआ जल घर के हर हिस्से में छिड़क दें।
-इसके बाद होलिका दहन वाली जगह पर भी जाकर पूजा करें। वहां थोड़ा जल और पूजन सामग्री चढ़ाएं।
-घर आने के बाद पानी रखने की जगह पर पूजा करें।
-अगर पूजन सामग्री बच जाए तो गाय या ब्राह्मण को दे दें।
योजनाओं का लाभ मिलने एवं आमदनी बढ़ने से मछुआरों में उत्साह, सामुदायिक बीज उत्पादन एवं मछली पालन मे मिली सफलता,
जांजगीर-चांपा / शौर्यपथ / राज्य सरकार ने सामुदायिक मत्स्य पालन को बढ़ावा देने एवं मछुआ सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मत्स्य पालन विभाग के माध्यम से विभिन्न योजनाए संचालित की जा रही है। शासकीय योजनाओं का लाभ मिलने एवं आमदनी में वृद्धि होने से मछुआ समिति के सदस्यों में अभूतपूर्व उत्साह का माहौल है। जांजगीर-चांपा जिले के जैजैपुर विकासखण्ड के ग्राम भोथिया में मछली पालन करने वाले छोटे व्यवसायी ने नव जागृति मछुआ सहकारी समिति का गठन कर शासन की योजनाओं का लाभ लिया और अपनी आमदनी बढ़ायी। शासकीय तालाबों को 10 वर्षीय पट्टे पर लेकर मत्स्य बीज उत्पादन और मछली पालन कर आत्मनिर्भता की ओर अनवरत आगे बढ़े । आमदनी बढ़ने से समिति के सदस्यों का आत्मविश्वास बढ़ा है। वे अपने व्यवसाय विस्तार के लिए प्रोत्साहित हुए है।
समिति के अध्यक्ष श्री रामकुमार यादव ने बताया कि वे समिति के माध्यम से मछली बीज उत्पादन और मछली पालन का कार्य कर रहें है। समिति में 22 सदस्य है। पंचायत के शासकीय तालाबों को 10 वर्षीय पट्टे पर लेकर मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। वर्तमान मे उनके पास कुल 11.460 हेक्टेयर जलक्षेत्र के 05 तालाब है। विभागीय योजनाओं से वर्ष 2019 मे स्पान संवर्धन योजना के तहत 25 लाख मत्स्य बीज स्पान संवर्धन किया गया। समिति के सदस्यों के आपसी सामंजस्य, काम के प्रति समर्पण एवं मेहनत से लगभग 10 लाख मत्स्य बीज स्टे.फ्राई का उत्पादन किया गया। जिसमे से 2.20 लाख मत्स्य बीज को पट्टे के तालाब मे संचयन किया। शेष 7.80 लाख मत्स्य बीज को निजी मत्स्य पालको को बिक्री की गई। मत्स्य बीज बेचने से उन्हें एक लाख रूपये की आय प्राप्त हुई। पट्टे के तालाब मे सवंर्धित मत्स्य बीज से 40 क्विंटल मछली का उत्पादन हुआ। जिसे बेचने से 4 लाख रूपये प्राप्त हुआ है। इस प्रकार समिति को बहुत कम समय मे ही 05 लाख रूपयें से अधिक की आमदनी हुई ।
समिति के सदस्यों की आमदनी बढ़ने से वे उत्साहित है। वे मछली पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रति अभार व्यक्त किया है। उन्होने कहा कि छोटे मछली व्यवसायिओं को समिति के माध्यम से बडे़ स्तर पर व्यवसाय करने के लिए सरकार की योजना के तहत प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे मछली पालन के लिए इच्छुक युवाओं को प्रोत्साहन मिल रहा है। राज्य सरकार द्वारा किसानी को बढ़ावा देने के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं से प्रेरित होकर कुषि के प्रति आकर्षित हो रहें है।
सेहत /शौर्यपथ / अगर आपको लगता है कि सिर्फ अंडा खाने से ही आपके शरीर में प्रोटीन व अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति होती है, तो यह जानकारी सिर्फ आपके लिए है।
दरअसल अंडा खाने से आप जिस पोषण को प्राप्त करते हैं, अगर आप शाकाहारी है तो वह आपको दूध व विशेष हरी सब्जियों से भी प्राप्त हो सकता है। इतना ही नहीं भारत में उत्पादित सब्जियां, दालें एवं अनाज भी पोषण के हर स्तर पर आपके लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ अंडा खाने पर ही आपको विशेष प्रोटीन और विटामिन की पूर्ति हो सकती है, अन्य खाद्य पदार्थों से नहीं। परंतु अन्य विकल्पों पर अधिक जोर नहीं दिया जाता।
हरी सब्जियां, भाजी, अनाज, जड़ें, कंद-मूल आदि खाद्य पदार्थों का सेवन कर अंडे से भी अधिक जरूरी आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है।
अंडे को कई लोग मांसाहारी मानते हैं तो कुछ लोग ऐसा नहीं मानते। लेकिन अंडे को लेकर आम धारणा यह है कि इससे प्राप्त होने वाले पोषक तत्व आम तौर पर अन्य खाद्य पदार्थों से प्राप्त नहीं किए जा सकते। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।
सवाल यह उठता है कि यह धारणा आई कैसे, और कब शुरू हुआ पोषक तत्व के रूप में अंडे का सेवन।
शौर्यपथ /कर्णफूल यानी ईयररिंग्स-झुमके, कुंडल, गोल, लंबे आदि आकार व डिज़ाइन में पाए जाते हैं। आमतौर पर महिलाएं सोने, चांदी, कुंदन आदि धातु से बने ईयररिंग्स पहनती हैं।
मान्यताओं के अनुसार, कर्णफूल यानी ईयररिंग्स महिला के स्वास्थ्य से सीधा संबंध रखते हैं। ये महिला के चेहरे की ख़ूबसूरती को निखारते हैं। इसके बिना महिला का श्रृंगार अधूरा रहता है।
वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार हमारे कर्णपाली (ईयरलोब) पर बहुत से एक्यूपंक्चर व एक्यूप्रेशर पॉइंट्स होते हैं, जिन पर सही दबाव दिया जाए, तो माहवारी के दिनों में होनेवाले दर्द से राहत मिलती है।
ईयररिंग्स उन्हीं प्रेशर पॉइंट्स पर दबाव डालते हैं। साथ ही ये किडनी और मूत्राशय (ब्लैडर) को भी स्वस्थ बनाए रखते हैं।इनसे एक्यूप्रेशर होता है।
कान की नसें स्त्री की नाभि से लेकर पैर के तलवों के बीच के सभी अंगों को प्रभावित करती हैं। इसलिए कान में छेद कराके उसमें धातु (विशेषकर सोना) धारण करने से स्त्रियों को पीरियड्स से संबंधित समस्याएं नहीं होती हैं। सोने के ईयर रिंग्स से शारीरिक उर्जा और बल का विकास होता है।
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /वजन घटाने के लिए लोग व्यायाम तो जरूरी है ही, लेकिन इसके साथ अगर आप अपनी डाइट का भी ध्यान रखेंगे तो वजन तेजी से कम हो सकता है। अपनी डाइट में ये 5 सुपरफूड्स शामिल कर के आप बहुत जल्द अपना वजन कम कर सकते हैं।
आइए जानते हैं कौन कौन से हैं वे सुपरफूड्स।
सेब
सेब के फायदे तो हम सभी जानते हैं। सेब में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर, मिनरल और विटामिन पाए जाते हैं। जो आपके सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं। सेब वजन कम करने के साथ आपको मोटापे से लड़़ने में भी मदद करता है।
बैरी
बैरीज में एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं ये शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करता है। यह पाचन तंत्र के लिए भी काफी फायदेमंद है। जिससे आसानी से वजन घटाया जा सकता है।
पालक
पालक में विटामिन, मिनरल और कई तरह के लाभदायक फायटोकैमिकल्स पाए जाते हैं। जो हेल्थ को लेकर ज्यादा सतर्क रहते हैं उनके लिए पालक खाना बहुत जरूरी है।
अंडे
अंडे में भरपूर मात्रा में न्यूट्रिएंट पाए जाते हैं वहीं साथ में इसमें कैलोरीज भी कम होती है। ये प्रोटीन से भरपूर होते है जिसको खाने से आपको ताकत भी मिलेगी औऱ ज्यादा भूख भी नहीं लगेगी।
ग्रीन टी
ग्रीन टी सेहत के लिए सबसे अच्छा पेय पदार्थ है। इसे पीने से मोटापा कम होता है, कैंसर से बचाव होता है साथ ही दिमागी भी अच्छे से काम करता है।
धर्म संसार /शौर्यपथ / मां बगलामुखी कानूनी मामलों और मुकदमों में विजय का वरदान देती है...मां बगलामुखी के मंत्र दुर्लभतम हैं। इन मंत्रों के प्रयोग भी अन्य प्रयोग से जरा हटकर होते हैं। पीले वस्त्रों में मां बगलामुखी के ये 4 मंत्र पढ़ेंगे तो दुनिया की कोई शक्ति पराजित नहीं कर सकेगी आइए डालें एक नजर मंत्रों पर....
मां बगलामुखी का विशेष मंत्र
ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:
इस मंत्र से सभी काम्य प्रयोग संपन्न किए जाते हैं।
जैसे...
मधु, शर्करा युक्त तिलों से होम करने पर मनुष्य वश में होते है।
मधु, घृत तथा शर्करा युक्त लवण से होम करने पर आकर्षण होता है।
तेल युक्त नीम के पत्तों से होम करने पर विद्वान बनते हैं।
हरिताल, नमक तथा हल्दी से होम करने पर शत्रुओं का स्तम्भन होता है।
मां बगलामुखी का भयनाशक मंत्र
अगर आप किसी भी व्यक्ति वस्तु परिस्थिति से डरते हैं और अज्ञात डर सदा आप पर हावी रहता है तो देवी के भय नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए…
ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हर:
पीले रंग के वस्त्र और हल्दी की गांठें देवी को अर्पित करें।
पुष्प,अक्षत,धूप दीप से पूजन करें।
रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें।
दक्षिण दिशा की और मुख रखें।
मां बगलामुखी का शत्रु नाशक मंत्र
अगर शत्रुओं नें जीना दूभर कर रखा हो, कोर्ट कचहरी पुलिस के चक्करों से तंग हो गए हों, शत्रु चैन से जीने नहीं दे रहे, प्रतिस्पर्धी आपको परेशान कर रहे हैं तो देवी के शत्रु नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए।
ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु
नारियल काले वस्त्र में लपेट कर बगलामुखी देवी को अर्पित करें
मूर्ति या चित्र के सम्मुख गुगुल की धूनी जलाएं।
रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें।
मंत्र जाप के समय पश्चिम में मुख रखें।
धर्म संसार /शौर्यपथ /हिन्दू धर्म में गाय का महत्व इसलिए नहीं रहा कि प्राचीन काल में भारत एक कृषि प्रधान देश था और आज भी है और गाय को अर्थव्यस्था की रीढ़ माना जाता था। भारत जैसे और भी देश है, जो कृषि प्रधान रहे हैं लेकिन वहां गाय को इतना महत्व नहीं मिला जितना भारत में। दरअसल हिन्दू धर्म में गाय के महत्व के कुछ आध्यात्मिक, धार्मिक और चिकित्सीय कारण भी रहे हैं। आओ जानते हैं गाय से संबंधित 6 व्रत।
1. गोपद्वमव्रतः- सुख, सौभाग्य, संपत्ति, पुत्र, पौत्र, आदि के सुखों को देने वाला है।
2. गोवत्सद्वादशी व्रतः- इस व्रत से समस्त मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं।
3. गोवर्धन पूजाः- इस लोक के समस्त सुखों में वृद्धि के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4. गोत्रि-रात्र व्रतः- पुत्र प्राप्ति, सुख भोग, और गोलोक की प्राप्ति होती है।
5. गोपाअष्टमीः- सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है।
6. पयोव्रतः- पुत्र की प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दम्पत्तियों को संतान प्राप्ति होती है।
हनुमानजी को नारियल चढ़ाने के 2 फायदे
धर्म संसार /शौर्यपथ / हनुमानजी की पूजा अलग-अलग तरीके से की जाती है। लेकिन भक्त को तो किसी भी तरीके से कोई मतलब नहीं और भक्त लाभ की चिंता नहीं करता है। हनुमानजी का नाम ही उसके लिए मंत्र, चालीसा और पूजा है। फिर भी जो कोई भक्त यदि संकट में हो और उसे हनुमानजी को जल्दी प्रसन्न करना हो तो इसके लिए संकट के अनुसार कई तरह की चीजें चढ़ाने के बारे में बताया गया है। यहां जानिए कि नारियल चढ़ाने से हनुमानजी किस तरह प्रसन्न होकर भक्तों की किस तरह से मदद करते हैं।
जैसे कहते हैं कि यदि आपके जीवन में कोई घोर संकट है या ऐसा काम है जिसे करना आपके बस का नहीं है, तो आप अपनी जिम्मेदारी हनुमानजी को सौंप दें। इसके लिए आप मंगलवार के दिन किसी मंदिर में पूजा-पाठ करने के बाद उन्हें पान का बीड़ा अर्पित करें। रसीला बनारसी पान चढ़ाकर मांग लीजिए मनचाहा वरदान। इसी तरह यदि आपको गरीबी सता रही है, अलाबला या तंत्र मंत्र का शक है तो ये कार्य करें।
1. गरीबी से मुक्ति के लिए 1 नारियल पर सिन्दूर लगाएं और मौली यानी लाल धागा बांधें। इसके बाद यह नारियल हनुमानजी को चढ़ाएं। ऐसा कम से कम 11 मंगलवार को करें। निश्चित ही धीरे धीरे आप गरीबी के बंधन से मुक्त हो जाएंगे। हनुमान चालीसा पढ़ते रहें।
2. यदि इसी तरह के एक नारियल को लाल कपड़े में राई के साथ लपेटकर घर के दरवाजे पर बांध दिया जाए, तो घर में किसी भी प्रकार की अला-बला नहीं आती है, जादू-मंतर या तंत्र का असर नहीं होता है और किसी की नजर भी नहीं लगती है। हनुमान चालीसा पढ़ते रहें।
कलिकाल में हनुमानजी की भक्ति ही कही गई है। हनुमानजी की निरंतर भक्ति करने से भूत पिशाच, शनि और ग्रह बाधा, रोग और शोक, कोर्ट-कचहरी-जेल बंधन से मुक्ति, मारण-सम्मोहन-उच्चाटन, घटना-दुर्घटना से बचना, मंगल दोष, कर्ज से मुक्ति, बेरोजगार और तनाव या चिंता से मुक्ति मिल जाती है। विशेष दिन और विशेष समय पर हनुमानजी की पूजा, साधना या आराधना करने से वे तुरंत ही प्रसन्न होते हैं।
1. शनिवार को हनुमानजी का सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। शनिवार को सुंदरकांड या हनुमान चालीसा पाठ करने से शनि भगवान आपको लाभ देने लगेंगे। शनिवार को हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी को आटे के दीपक लगाएं।
2. मंगलवार को हनुमान पूजा, आराधान या हनुमान चालीसा पढ़ने से सभी तरह के संकट दूर होकर मंगल दोष भी मिट जाता है। किसी भी मांगलिक कार्य की सिद्ध के लिए या कर्ज से मुक्ति के लिए मंगलवार को उनकी आराधना करना चाहिए।
3. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन व्रत करने से और इसी दिन हनुमान-पाठ, जप, अनुष्ठान आदि प्रारंभ करने से त्वरित फल प्राप्त होता है।
4. हनुमान जयंती के दिन विशेष आराधना करना चाहिए। पहली चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को और दूसरी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हनुमान जयंती मनाई जाती है। दोनों ही दिन सर्वश्रेष्ठ है।
पहली चैत्र माह की तिथि को विजय अभिनन्दन महोत्सव के रूप में जबकि दूसरी तिथि को जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। पहली तिथि के अनुसार इस दिन हनुमानजी सूर्य को फल समझ कर खाने के लिए दौड़े थे, उसी दिन राहु भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने के लिए आया हुआ था लेकिन हनुमानजी को देखकर सूर्यदेव ने उन्हें दूसरा राहु समझ लिया। इस दिन चैत्र माह की पूर्णिमा थी। जबकि दूसरी तिथि के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को उनका जन्म हुआ हुआ था। अत: इस दिन हनुमान पूजा करने से सभी तरह का संकट टल जाता है और निर्भिकता का जन्म होता है।
5. उपरोक्त के अलावा हनुमानजी की पूजा पूर्णिमा और अमावस्या को भी विशेष रूप से की जाती है। इस दिन की गई पूजा हर तरह के भय, चंद्रदोष, देवदोष, मानसिक अशांति, भूत-पिशाच और सभी तरह की घटना-दुर्घटना से बचाती है।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के विद्यार्थियों के लिए एक बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि नवा रायपुर में राष्ट्रीय स्तर के उच्च स्तरीय स्कूल स्थापित हो, इसके लिए 10 एकड़ भूमि निःशुल्क प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए मुख्य सचिव को शिक्षा विभाग और संबंधित विभागों से परामर्श कर जल्द ही प्रस्ताव मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि राज्य निर्माण के 20 साल बाद भी प्रदेश में ऐसा कोई भी शासकीय अथवा निजी शाला नहीं है जिसकी गणना देश के प्रतिष्ठित शालाओं में हो। मुख्यमंत्री ने इसे देखते हुए निर्देश दिए हैं कि- राज्य के विद्यार्थियों को उच्च स्तरीय शिक्षा का अवसर प्रदान करने तथा राष्ट्रीय स्तर पर राज्य की उपस्थिति दर्ज कराने के लिए यह अत्यावश्यक है कि राज्य में ऐसी शाला की स्थापना की जाए, जिसमें गुणवत्ता युक्त शिक्षा के साथ ही विद्यार्थियों को सर्वांगीण विकास के अवसर भी उपलब्ध हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर के शालाओं की स्थापना से छत्तीसगढ़ के विद्यार्थियों को गुणवत्तापरक शिक्षा मिलेगी, वहीं शिक्षा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति दर्ज हो सकेगी। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर की शाला की स्थापना हेतु नवा रायपुर में 10 एकड़ भूमि निःशुल्क आबंटित की जाएगी। इसके लिए मुख्य सचिव शिक्षा विभाग तथा संबंधित विभागों के परामर्श से कार्य योजना बनाकर मंत्रिपरिषद की आगामी बैठक में अनुमोदन हेतु प्रस्तुत करेंगे।
सेहत /शौर्यपथ /गलत खानपान, पाचन से जुड़ी समस्या के अलावा गर्भावस्था और कुछ अन्य कारणों के चलते उल्टी आने की समस्या होती है। इसके कारण कई बार अन्य शारीरिक तकलीफें भी हो जाती है और मुंह का स्वाद भी खराब हो जाता है।
आइए जानते हैं, उल्टी होने पर अपनाएं कौन से घरेलू समाधान-
1 नीबू के रस में काला नमक और काली मिर्च डालकर पीने से उल्टी आना बंद हो जाती है।
2 पेट में गर्मी बढ़ने के कारण भी उल्टी की समस्या होती है। ऐसे में छाछ में भुना हुआ जीरा और सेंधा नमक डालकर पीने से बहुत जल्दी फायदा होता है।
3नीबू को काटकर उस पर चीनी डालकर चूसने से इस समस्या में बहुत लाभ होता है। इससे चूसने से पेट के भीतर अन्न विकार खत्म हो जाता है और उल्टी आना रूक जाता है।
4गर्भवती स्त्री को सुबह शाम हल्के गुनगुने पानी में नीबू का रस देने पर उल्टी में लाभ होगा।
5 तुलसी के रस को शहद के साथ मिलाकर पीड़ित को देने पर उल्टियां बंद हो जाती है।
6 इसके अलावा नमक और शक्कर के घोल में नीबू डालकर पीने से भी लाभ होता है।
7 चने को भूनकर सत्तू बनाकर खाने से भी उल्टी आना बंद होता है।
8 इसके अलावा गर्भवती स्त्री के पेट पर पानी की गीली पट्टी रखने से भी उल्टियां आना बंद हो जाता है।
धर्म संसार /शौर्यपथ /परमेश्वर के दो रुप है निराकार और साकार। निराकारर रूप में शिव है और साकार रूप में शंकर है। शिव या शंकर दोनों ही ब्रह्म स्वरूप है। शिव का नाम शंकर के साथ जोड़ा जाता है। लोग कहते हैं– शिव, शंकर, भोलेनाथ। इस तरह अनजाने ही कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम बताते हैं। असल में, दोनों की प्रतिमाएं अलग-अलग आकृति की हैं। शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में दिखाया जाता है। कई जगह तो शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाया गया है।
शिव ने सृष्टि की स्थापना, पालना और विलय के लिए क्रमश: ब्रह्मा, विष्णु और महेश नामक तीन सूक्ष्म देवताओं की रचना की। इस तरह शिव ब्रह्मांड के रचयिता हुए और शंकर उनकी एक रचना। भगवान शिव को इसीलिए महादेव भी कहा जाता है। इसके अलावा शिव को 108 दूसरे नामों से भी जाना और पूजा जाता है।
शिव यक्ष के रूप को धारण करते हैं और लंबी-लंबी खूबसूरत जिनकी जटाएं हैं, जिनके हाथ में ‘पिनाक’ धनुष है, जो सत् स्वरूप हैं अर्थात् सनातन हैं, ओमवार स्वरूप दिव्यगुणसम्पन्न उज्जवलस्वरूप होते हुए भी जो दिगम्बर हैं। जो शिव नागराज वासुकि का हार पहिने हुए हैं, अर्धनग्न शरीर पर राख या भभूत मले, जटाधारी, गले में रुद्राक्ष और सर्प लपेटे, तांडव नृत्य करते हैं तथा नंदी जिनके साथ रहता है। उनकी भृकुटि के मध्य में तीसरा नेत्र है। वे सदा शांत और ध्यानमग्न रहते हैं।
कुछ विद्वान मानते हैं कि शिव पुराण अनुसार शिव के माता-पिता सदाशिव और दुर्गा है। ब्रह्म (परमेश्वर) से सदाशिव, सदाशिव से दुर्गा। सदाशिव-दुर्गा से विष्णु, ब्रह्मा, रुद्र और महेश्वर की उत्पत्ति हुई। रुद्र का सदाशिव रूप होने के कारण वे शिव कहलाए।
शिवपुराण के अनुसार एक बार ब्रह्मा और विष्णु दोनों में सर्वोच्चता को लेकर लड़ाई हो गई, तो बीच में कालरूपी एक स्तंभ आकर खड़ा हो गया। तब दोनों ने पूछा- 'प्रभो, सृष्टि आदि 5 कर्तव्यों के लक्षण क्या हैं? यह हम दोनों को बताइए।'
तब ज्योतिर्लिंग रूप काल ने कहा- 'पुत्रो, तुम दोनों ने तपस्या करके मुझसे सृष्टि (जन्म) और स्थिति (पालन) नामक दो कृत्य प्राप्त किए हैं। इसी प्रकार मेरे विभूतिस्वरूप रुद्र और महेश्वर ने दो अन्य उत्तम कृत्य संहार (विनाश) और तिरोभाव (अकृत्य) मुझसे प्राप्त किए हैं, परंतु अनुग्रह (कृपा करना) नामक दूसरा कोई कृत्य पा नहीं सकता। रुद्र और महेश्वर दोनों ही अपने कृत्य को भूले नहीं हैं इसलिए मैंने उनके लिए अपनी समानता प्रदान की है।' सदाशिव कहते हैं- 'ये (रुद्र और महेश) मेरे जैसे ही वाहन रखते हैं, मेरे जैसा ही वेश धरते हैं और मेरे जैसे ही इनके पास हथियार हैं। वे रूप, वेश, वाहन, आसन और कृत्य में मेरे ही समान हैं।'
ब्रह्मा और इंद्र के काल में देवताओं की दैत्यों से प्रतिस्पर्धा चलती रहती थी। ऐसे में जब भी देवताओं पर घोर संकट आता था तो वे सभी देवाधिदेव महादेव के पास जाते थे। दैत्यों, राक्षसों सहित देवताओं ने भी शिव को कई बार चुनौती दी, लेकिन वे सभी परास्त होकर शिव के समक्ष झुक गए इसीलिए शिव हैं देवों के देव महादेव। वे दैत्यों, दानवों और भूतों के भी प्रिय भगवान हैं। भगावान शिव को पूजने वाले देवों के साथ असुर, दानव, राक्षस, पिशाच, गंधर्व, यक्ष आदि सभी हैं। वे रावण को भी वरदान देते हैं और राम को भी।
सेहत /शौर्यपथ /हम सभी, अक्सर हरी सब्जियों के सेवन पर अधिक जोर देते हुए सुनते हैं। हमारे माताओं से लेकर डॉक्टरों तक, हर कोई बताता है कि हरी सब्जियां स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती हैं। लेकिन आपने यह कितनी बार सुना है कि आपको पीले, धूप और खुशी के रंग सहित अन्य रंगीन फूड्स पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है? अपने आहार में पीले खाद्य पदार्थों को शामिल करने से स्वस्थ, उज्जव और चमकती त्वचा से लेकर इम्युनिटी को बूस्ट करने तक कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। यह न सिर्फ आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, बल्कि आपके मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार कर सकता है।
हम यहां आपको बता रहे हैं कि आपको अपनी डाइट में पीले फूड्स को शामिल करने की आवश्यकता क्यों हैं और यह आपके स्वास्थ्य के लिए कैसे फायदेमंद है।
पीले फूड्स कैसे आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है जानिए कैसे
कैरोटीनॉयड में समृद्ध होते हैं पीले फूड
पीले खाद्य पदार्थ कैरोटिनॉयड और बायोफ्लेवोनोइड्स से भरे होते हैं। जो एंटीऑक्सिडेंट के रूप में काम करते हैं और आपको कई बीमारियों से दूर रखते हैं। एंटीऑक्सिडेंट सूजन को कम करते हैं जो कई बीमारियों से जुड़ी है, साथ ही यह फ्री-रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से भी बचाते हैं।
बायोफ्लेवोनॉइड मौजूद होता है
पीले खाद्य पदार्थों में बायोफ्लेवोनॉइड को कभी-कभी विटामिन-पी के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह तत्व शरीर में विटामिन-सी के टूटने को रोकता है और आपकी त्वचा को फिर से भरने के लिए आवश्यक विटामिन-सी प्रदान करता है। यह कोलेजन के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करता है, जो एक महत्वपूर्ण एंटी-एजिंग घटक है।
यहां हैं पीले फूड्स के शारीरिक लाभ
1. कैंसर के जोखिम को करते हैं
सबसे पहले, वे कैरोटीनॉयड और बायोफ्लेवोनॉइड्स से परिपूर्ण होते हैं, जो एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं और कैंसर सहित विभिन्न गंभीर रोगों को आपसे दूर रखते हैं। इसके लिए येलो बेल पेपर विशेष रूप से अच्छी होती हैं।
2. पेट के लिए फायदेमंद है
केले जैसे पीले फल पोटेशियम से भरपूर होते हैं, जो एक स्वस्थ आहार के प्रमुख पोषक तत्वों में से एक है। विशेषतौर पर डंडेलियन को पेट के स्वास्थ्य बनाए रखने, पेट फूलने और लिवर कल्याण को बढ़ावा देने के लिए अपने औषधीय लाभों के लिए जाना जाता है।
3. हड्डियों के साथ ही, दिल को भी स्वस्थ रखते हैं
नींबू और आम जैसे फल विटामिन-सी से भरपूर होते हैं, जो एकमात्र ऐसा विटामिन है जिसका शरीर स्वाभाविक रूप से उत्पादन नहीं करता है। इसलिए इसके लिए बाहरी स्रोत की आवश्यकता होती है। इन खाद्य पदार्थों के नियमित सेवन से हड्डियों और संयुक्त स्वास्थ्य को भी बढ़ाया जाता है। साथ ही वे ब्लडप्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी संतुलित करते हैं। जिससे हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम कम होता है।
पीले फूड्स के अन्य लाभ
पीले खाद्य पदार्थ आपके मानसिक कल्याण के स्तर में तुरंत सुधार सकते हैं, साथ ही यह इंस्टेंट मूड बूस्टर भी बन सकते हैं!
वे त्वचा के स्वास्थ्य, बालों के स्वास्थ्य, हड्डियों के स्वास्थ्य और दंत स्वास्थ्य को भी बढ़ावा दे सकते हैं।
वे शरीर में कोलेजन के उत्पादन को बढ़ावा देते हैं। ये एक महत्वपूर्ण एंटी-एजिंग घटक है, जो कि शरीर के पीएच स्तर को भी संतुलित करता है। इष्टतम सौंदर्य लाभों के लिए, पीले खाद्य पदार्थों का उपयोग त्वचा और बालों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।
आपको अपने आहार में इन पीले फूड्स को शामिल करना चाहिए
कोशिश करें और हर दिन पीले खाद्य पदार्थों के एक हिस्से को अपने आहार में जरूर शामिल करें। पीले फूड्स के ऐसे कई विकल्प मौजूद हैं जिन्हें आप आसानी से अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं, ये बाजार में आसानी से उपल्ब्ध हैं।
1. केला: खाने में आसान और बेहद किफायती है। यह वजन घटाने में मदद करने के साथ ही, कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
2. अनानास: यह पाचन के लिए बहुत अच्छा है और सूजन को कम करता है।
3. येलो बेल पेपर: ये फाइबर, फोलेट, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं।
4. नींबू: नींबू में हाइड्रेटिंग और क्षारीय गुण होते हैं जो गुर्दे की पथरी की समस्या को दूर रखने में मदद करते हैं और चयापचय को बढ़ाते हैं।
5. आम: आम खाना भला किसे पसंद नहीं है? आम नेत्र स्वास्थ्य में सुधार करते हैं, मोतियाबिंद और मैक्युलर डिजनेरेशन को रोकते हैं। आमों में ज़ेक्सैन्थिन का उच्च स्तर उन्हें स्वास्थ्यप्रद फलों में से एक बनाता है।
6. डंडेलियन: यह जड़ी बूटी शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करती है और लीवर के लिए बहुत बढ़िया है।
सेहत /शौर्यपथ / शाम को अगर आपको चाय के साथ स्नैक्स का मन करता है या आप दिन के बीच कुछ चटपटी चीजें खाते रहते हैं, तो आपको एक हेल्दी स्नैक्स की जरुरत है। अंकुरित काले चने न सिर्फ आपकी भूख शांत करेंगे बल्कि इससे आपका वजन भी कंट्रोल रहेगा। अंकुरित चने क्लोरोफिल, विटामिन ए, बी, सी, डी और के, फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैग्नीशियम और मिनरल्स का अच्छा स्रोत होते हैं। साथ ही इसे खाने के लिए किसी प्रकार की कोई खास तैयारी नहीं करती पड़ती। रातभर भिगोकर सुबह एक-दो मुट्ठी खाकर हेल्थ अच्छी हो सकती है।
काले चने खाने के फायदे
-चने में मौजूद फाइबर की मात्रा पाचन के लिए बहुत जरूरी होती है। रातभर भिगोए हुए चने से पानी अलग कर उसमें नमक, अदरक और जीरा मिक्स कर खाने से कब्ज जैसी समस्या से राहत मिलती है। साथ ही जिस पानी में चने को भिगोया गया था, उस पानी को पीने से भी राहत मिलती है। लेकिन कब्ज दूर करने के लिए चने को छिलके सहित ही खाएं।
-रोजाना सुबह काला चना खाने से फिट तो रहते ही है साथ ही जल्द एनर्जी देने में भी सहायक होता है। रातभर भिगोए हुए या अंकुरित चने में हल्का सा नमक, नींबू, अदरक के टुकड़े और काली मिर्च डालकर सुबह नाश्ते में खाएं, बहुत फायदेमंद होता है। आप चने का सत्तू भी खा सकते हैं। यह बहुत ही फायदेमंद होता है। -गर्मियों में चने के सत्तू में नींबू और नमक मिलाकर पीने से शरीर को एनर्जी तो मिलती ही है, साथ ही भूख भी शांत होती है।
-दूषित पानी और खाने से आजकल किडनी और गॉल ब्लैडर में पथरी की समस्या आम हो गई है। हर दूसरे-तीसरे आदमी के साथ स्टोन की समस्या हो रही है। इसके लिए रातभर भिगोए हुए काले चने में थोड़ी सी शहद की मात्रा मिलाकर खाएं। रोजाना इसके सेवन से स्टोन के होने की संभावना काफी कम हो जाती है और अगर स्टोन है तो आसानी से निकल जाता है। इसके अलावा चने के सत्तू और आटे से मिलकर बनी रोटी भी इस समस्या से राहत दिलाती है।
-चना ताकतवर होने के साथ ही शरीर में एक्स्ट्रा ग्लूकोज की मात्रा को कम करता है जो डायबिटीज के मरीजों के लिए कारगर होता है। लेकिन इसका सेवन सुबह-सुबह खालीपेट करना चाहिए। चने का सत्तू डायबिटीज से बचाता है। एक से दो मुट्ठी काले चना का सेवन करने से ब्लड शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित करता है।
-शरीर में आयरन की कमी से होने वाली एनीमिया की समस्या को रोजाना चने खाकर दूर किया जा सकता है। चने में शहद मिलाकर खाने से जल्द असर करता है।
-आयरन से भरपूर चना एनीमिया की समस्या को काफी हद तक कम कर देता है। चने में 27 फीसदी फॉस्फोरस और 28 फीसदी आयरन होता है जो न केवल नए बल्ड सेल्स को बनाता है, बल्कि हीमोग्लोबिन को भी बढ़ाता है।
-हिचकी की समस्या से ज्यादा परेशान हैं, तो चने के पौधे के सूखे पत्तों का धूम्रपान करने से हिचकी आनी बंद हो जाती है। साथ ही चना आंतों-इंटेस्टाइन की बीमारियों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।