April 25, 2025
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जनता की खुशहाली और राज्य के विकास को लेकर रखा सरकार का विजन
’उपयोगी निर्माण-जन हितैषी अधोसंरचनाएं और आपकी अपेक्षाएं’ विषय पर की चर्चा
राज्य के बहुमूल्य संसाधनों का उपयोग करके छत्तीसगढ़ के लोग भी समृद्ध और खुशहाल बने
सड़क, बिजली और सिंचाई संसाधनों के नेटवर्क को पूरा करने पर जोर
गौठान बन रहे हैं बहुआयामी सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र
स्कूल शिक्षा में गुणात्मक सुधार का रोडमैप तैयार
स्थानीय संसाधनों में वेल्यू एडिशन से संबंधित पाठ्यक्रम उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रारंभ करने की पहल
युवाओं में उद्यमिता के विकास के साथ रोजगार सृजन के प्रयास
छत्तीसगढ़ की नई जल संसाधन विकास नीति तैयार
चंदूलाल चन्द्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय को अधिग्रहित करने का फैसला
कांकेर, महासमुन्द और कोरबा जिले में खुलेंगे नए मेडिकल कॉलेज

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज प्रसारित अपनी मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 15वीं कड़ी में ’उपयोगी निर्माण-जन हितैषी अधोसंरचनाएं और आपकी अपेक्षाएं’ विषय पर प्रदेश की जनता की खुशहाली और विकास को लेकर राज्य सरकार के विजन पर अपने विचार विस्तार से रखे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के बहुमूल्य संसाधनों का उपयोग करके छत्तीसगढ़ के लोग भी समृद्ध और खुशहाल बने। अधोसंरचना विकास के कार्यों में सड़क, बिजली और सिंचाई संसाधनों के नेटवर्क को पूरा करने पर जोर दिया गया है, ताकि अधोसंरचना विकास के कार्यांे का पूरा लाभ प्रदेश की जनता को मिल सके। गांव-गांव में महिला स्व सहायता समूह तथा प्रतिभावान युवाओं के नवाचार से प्रदेश में समृद्धि और खुशहाली का नए रास्ते बनाने की शुरूआत हो चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव-गांव में ऐसी अधोसंरचनाएं तैयार की जा रही हैं। जिनका लाभ बड़े पैमाने पर लोगों को मिलता है। नरवा, गरवा, घुरवा, बारी प्रोजेक्ट की शुरूआत छत्तीसगढ़ की इन चार चिनहारी को बचाने के लिए की गयी। गौठान बहुआयामी सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र बन रहें हैं। गांवों में बाड़ी की पुरानी परम्परा को वापस लाया जा रहा है। राज्य की सिंचाई क्षमता दोगुनी करने के लिए प्रदेश की नई जल संसाधन नीति तैयार करने का काम पूरा हो चुका है। वर्मी कम्पोस्ट से जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। राज्य सरकार ने स्कूल शिक्षा में गुणात्मक सुधार का रोडमैप बनाया है। इसी तरह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, कृषि शिक्षा और इंजीनियरिंग कॉलेजों में ऐसे पाठ्यक्रम प्रारंभ करने पर जोर दिया गया है, जिससे स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडिशन से उत्पादन का रास्ता बने। युवाओं में उद्यमिता का विकास हो और उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर मिलंे। पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय विकास को गति देने और रोजगार के नए अवसर सृजित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
लोकवाणी में आम जनता से राज्य सरकार की योजनाओं पर मिलता है फीडबैक
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में श्रोताओं का अभिवादन करते हुए छत्तीसगढ़ी में कहा-सब्बो झन ला मोर जय जोहार, नमस्कार, जय सियाराम। लोकवाणी मं आके मोला अब्बड़ खुसी लागथे, काबर कि हमन सरकार मं बइठके जउन निरनय लेथन, वो बात ल आप सब झन कइसे समझथव, अऊ योजना मन ल कइसे अपनाथव, ऐखर बारे मं मोला सब जानकारी लोकवाणी ले हो जाथे। आप मन ले गोठ-बात करके हमर आत्मविश्वास घलो बाढ़थे, अऊ काम करेके नवा रद्दा घलो मिलथे। तेखर बर जम्मो ‘लोकवाणी’ सुनइया मन ल, गाड़ा-गाड़ा सुभकामना अऊ धन्यवाद।
श्रोताओं ने कहा ‘नरवा, गरवा, घुरवा और बारी’ प्रोजेक्ट से गांवों में मिली अधोसंरचना को दिशा
लोकवाणी के लिए रिकार्ड कराए गए अपने संदेश में बेमता के भूपेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि नई सरकार बनने के बाद किसानों को काफी राहत मिली। महासमुंद जिले की बम्हनी ग्राम पंचायत की रूक्मणी पाल ने बताया कि उनके जय मां सरस्वती महिला स्व-सहायता समूह ने गोबर से 200 क्विंटल खाद बनाई, जिससे 1 लाख 77 हजार रुपए आय हुई। आरंग के नंद कुमार ने कहा कि ‘नरवा, गरवा, घुरवा और बारी’ प्रोजेक्ट से अधोसंरचना विकास की एक दिशा दिखी है।
जल संरक्षण और संवर्धन के लिए 30 हजार नरवा चिन्हांकित
मुख्यमंत्री ने श्रोताओं से रू-ब-रू होते हुए कहा कि निश्चित तौर पर ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ हमारा ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसकी शुरुआत हमने छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी को बचाने के लिए किया था। नरवा के काम में पंचायत और ग्रामीण विकास, जल संसाधन विकास विभाग, वन विभाग आदि की मदद ली जा रही है। लगभग 30 हजार नरवा चिन्हांकित किए गए हैं और लगभग 5 हजार नरवा विकास का काम काफी आगे बढ़ चुका है। गरवा को लोग सिर्फ गाय, दूध और पशुधन विकास तक ही समझते थे, हमने गरवा के माध्यम से गौठान की योजना बनाई। इस तरह लगभग 10 हजार गौठानों के निर्माण की मंजूरी दे चुके हैं, जिनमें से 5 हजार से ज्यादा गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है। अब गौठान की पहचान एक ऐसी अधोसंरचना के रूप में हो चुकी है, जो सिर्फ गायों को रोकने की जगह ही नहीं है बल्कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर खरीदी केन्द्र, महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट बनाने और बेचने का केन्द्र, गोबर से अन्य कलात्मक वस्तुएं बनाने का केन्द्र भी विकसित हुआ है। एक तरह से गौठान बहुआयामी सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र बन रहे हैं। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि हमारे गांव-घर की बाड़ियों में उपजाई जाने वाली सब्जी-भाजी- फल कुपोषण मुक्ति का सहारा बन रहे हैं।
आगामी 5 वर्षों में राज्य की सिंचाई क्षमता दोगुनी करने का लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी नरवा योजना प्रदेश में भू-जल की रिचार्जिंग का बहुत बड़ा साधन बन रही है। हमारे प्रयासों को भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी सराहा गया है। बिलासपुर और सूरजपुर जिले की परियोजनाओं को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। हमने पुरानी जल संसाधन परियोजनाओं की कमियों को दूर किया ताकि वास्तविक सिंचाई का रकबा बढे़, इसके अलावा भी बड़ी-बड़ी नई योजनाएं हाथ में ली हैं। बोधघाट के अलावा शेखरपुर बांध, ढांडपानी बांध, रेहर अटेम जैसी 15 परियोजनाओं पर ध्यान दिया जा रहा था। हमारा लक्ष्य है कि आगामी 5 साल में प्रदेश में ऐसी जल अधोसंरचनाओं का विकास हो जाए, जिससे राज्य की सिंचाई क्षमता दोगुनी हो जाए। मैं यह खुशखबरी भी साझा करना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ की नई जल संसाधन विकास नीति तैयार करने का काम पूरा हो चुका है। जल्दी ही प्रदेश को नई जल संसाधन नीति के रूप में अधोसंरचना विकास की नई सौगात मिलेगी।
ग्रामीणों ने धान खरीदी केन्द्रों में चबूतरा निर्माण को बताया उपयोगी
लोकवाणी में ग्राम डबराखुर्द के श्री राजेश कुमार कनौजिया ने बताया कि ग्रामीण सेवा सहकारी समिति झाल खम्हरिया में और ग्राम कोसरंगी के श्री सोम प्रकाश साहू ने बताया कि धान खरीदी केन्द्रों में चबूतरा बनने से हमारा धान खराब नहीं होता है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया।
गौठानों में 61 हजार वर्मी कम्पोस्ट टंकी और करीब 5 हजार चारागाहों का निर्माण
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में कहा कि आप लोगों ने इस बदलाव को महसूस किया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। हम महात्मा गांधी नरेगा के साथ विभिन्न योजनाओं के अभिसरण से गांव-गांव में ऐसी अधोसंरचनाओं का विकास कर रहे हैं, जिसमें बहुत बड़े पैमाने पर लोगों को लाभ मिलता है। इस तरह एक ओर जहां हमने हजारों गौठानों के निर्माण की व्यवस्था की, वहीं गौठानों में लगभग 61 हजार वर्मी कम्पोस्ट टंकी बनवा चुके हैं। करीब 5 हजार चारागाह बनाए हैं। भवनविहीन आंगनबाड़ियों के लिए भवन बना रहे हैं। नवगठित ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन बना रहे हैं। उसी प्रकार धान उपार्जन केन्द्रों में 8 हजार चबूतरे बनवाए गए हैं, जिसका जिक्र आप लोगों ने किया, इससे धान को सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है। गांवों में ऐसी अधोसंरचनाओं की बहुत जरूरत है, जिससे हमारे ग्रामीण भाई-बहन और बच्चे गांवों में एक नई तरह की व्यवस्था महसूस कर सकें। वे देख सकें कि सरकार का काम खाली शहरी अधोसंरचना का विकास ही नहीं है, गांव वालों की जरूरतें पूरी करने के लिए भी बहुत से काम करना जरुरी है। मुझे खुशी है कि हमने सही समय में गांव वालों की जरूरतों की पहचान कर ली है और उसके अनुरूप निर्माण के निर्णय ले रहे हैं।
इंग्लिश मीडियम स्कूलों में कमजोर वर्ग के बच्चों को मिलेगी अच्छी शिक्षा
लोकवाणी में कोरबा के श्री कुश शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ‘उपयोगी निर्माण और जनहितैषी अधोसंरचना’ के मामले में ऐसा विकास कर रही है, जो आम लोगों से सीधा जुड़ा है। राज्य सरकार के इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू करने के फैसले से आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए शिक्षा सुलभ हो पाएगी, इसके लिए मुख्यमंत्री जी धन्यवाद के पात्र हैं।
राज्य सरकार ने तैयार किया स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता सुधार का रोडमैप
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में कहा कि हमने स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता सुधार का एक रोडमैप बनाया है, जिसके अनुसार विभिन्न शालाओं में बहुत से कार्य किए जा रहे हैं, जिनसे बच्चों के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास हो, जिससे वे आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर ही नहीं बल्कि शोधकर्ता, खिलाड़ी, प्रबंधक या अपनी रुचि के अनुसार कोई भी कैरियर अपना सकें। उन्होंने कहा कि महंगे और सजावटी विकास से किसी का भला नहीं होता, वास्तव में यह देखना चाहिए कि निर्माण की गुणवत्ता कैसी है और उससे सेवा की गुणवत्ता में कैसे सुधार होगा। ‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय योजना’ का विचार ही इसलिए आया कि सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के सामने सम्मानपूर्वक खड़ा किया जाए। ताकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब और मध्यमवर्गीय बच्चे उन सुविधाओं से वंचित न हों, जो उनके भविष्य निर्माण के लिए जरूरी हैं। इसलिए सरकारी क्षेत्र में हम इंग्लिश मीडियम स्कूल के माध्यम से वह सुविधाएं ला रहे हैं।
युवाओं में बढ़ा कृषि शिक्षा की ओर रुझान
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति प्रो. एस. के. पाटिल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कृषि तथा उद्यानिकी को बढ़ावा मिलने से और 31 महाविद्यालयों का वृहद नेटवर्क खड़ा होने से युवाओं में कृषि शिक्षा की ओर रुझान बढ़ा है। उन्होंने मुख्यमंत्री को इसके लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि अपने युवाओं में कौशल विकास हेतु विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं की कंपनियां स्थापित करने का अभिनव विचार दिया है। इसके माध्यम से युवा, कृषि को एक व्यवसाय के रूप में लेने आगे आ रहे हैं। रायगढ़ के किरण मौर्य ने कहा कि रायगढ़ जिले में स्वर्गीय नन्दकुमार पटेल यूनिवर्सिटी शुरू होने से हम छात्र-छात्राओं को शिक्षा संबंधी कार्यों के लिये बिलासपुर नहीं जाना पड़ेगा।
विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं में उद्यमिता विकास के कार्य की नई शुरूआत
मुख्यमंत्री बघेल ने इस संबंध में कहा कि मैं किसान परिवार से हूं। मैं किसान हूं, इसे गौरव का विषय मानता हूं, लेकिन एक लम्बे दौर में हमारे युवाओं के मन में यह बात बैठ गई है कि खेती-किसानी के बारे में चर्चा करना या उसमें अपना कैरियर ढूंढना कोई बहुत अच्छी बात नहीं है। खेती-किसानी को लेकर युवाओं के मन में सम्मान का भाव नहीं होने की एक बड़ी वजह थी कि खेती और उच्च शिक्षा के बीच की कड़ी ही मिसिंग थी। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भ्रमण के दौरान मेरे मन में यह बात आई थी कि विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं में उद्यमिता विकास को लेकर कोई संरचनागत, संस्थागत काम होना चाहिए, जिसमें निरंतरता हो और युवाओं को कृषि से संबंधित रोजगार के नए अवसरों की जानकारी हो, उन्हें मार्गदर्शन व सहयोग मिले। छत्तीसगढ़ में यह शुरुआत एक सुखद संकेत है। इसलिए हमने यह तय किया कि उतने ही इंजीनियरिंग कॉलेजों को महत्व मिले जितने में गुणवत्ता से शिक्षा दी जा सके और उसमें भी ऐसे पाठ्यक्रम होने चाहिए जो स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडीशन से उत्पादन का रास्ता बनाएं। यह तो विडम्बना ही थी कि हमारे कृषि प्रधान राज्य में इंजीनियरिंग कॉलेजों की भरमार हुई लेकिन कृषि शिक्षा के कॉलेज समुचित संख्या में नहीं खोले गए, इसलिए हमने एग्रीकल्चर के साथ उद्यानिकी-वानिकी, डेयरी टेक्नोलॉजी, फूड प्रोसेसिंग, मछली पालन जैसे विषयों के लिए विश्वविद्यालय, महाविद्यालय और पॉलीटेक्निक खोलने पर जोर दिया है।
चंदूलाल चन्द्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय को अधिग्रहित करने का फैसला
कांकेर, महासमुन्द और कोरबा जिले में खुलेंगे नए मेडिकल कॉलेज
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोकवाणी में कहा कि कोविड के दौरान हमने महसूस किया कि प्रदेश में और अधिक मेडिकल कॉलेजों की जरूरत है। दुर्ग जिलेे का चंदूलाल चन्द्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय निजी क्षेत्र में चलना मुश्किल हो रहा था, उसे हमने अधिग्रहित करने का फैसला लिया ताकि सरकारी चिकित्सा शिक्षा अधोसंरचना को बढ़ाया जा सके। तीन जिलों कांकेर, महासमुन्द और कोरबा में हम नए मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं, इस तरह उच्च शिक्षा की अधोसंरचना में जो अभाव थे, उसे पूरा करने और प्रदेश के युवाओं को बेहतर भविष्य बनाने में मदद करने का हमारा प्रयास है।
राज्य सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए जशपुर के मदन तिर्की ने कहा कि जशपुर के बालाछापर सरना में एथनिक रिसॉर्ट और कवर्धा में सरोधा दादर रिसॉर्ट बनने से आदिवासी पिछड़े अंचल में पर्यटन विकास के अवसर पैदा हो रहे हैं। रायपुर की प्रार्थना तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार उपयोगी निर्माण और जनहितैषी अधोसंरचना के मामले में हमारी अपेक्षाओं पर खरे उतर रही है। क्योंकि हमारा भी मानना है कि कोई निर्माण या इंफ्रास्ट्रक्चर ऐसा हो जो लोगों से जुड़ा हो, निर्माण कार्य केवल शो के लिए नहीं होना चाहिए। पिछले 2 सालोें में यह बदलाव देखने को मिल रहा है कि लोगों की भागीदारी एवं उनकी उपयोगिता को ध्यान दिया जा रहा है।
पर्यटन विकास से मिलेगी स्थानीय विकास को गति
मुख्यमंत्री ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यो के संबंध में लोकवाणी में कहा कि प्रदेश में एक दौर ऐसा आया था, जब पर्यटन को कुछ प्रचलित केन्द्रों में ही समेटकर रखने और मॉल कल्चर में ढालने के प्रयास हो रहे थे। दुनिया में अपनी प्राचीन धरोहरों को सहेजने और प्राकृतिक सुन्दरता के स्थानों में अधोसंरचना के विकास के प्रयासों को सराहा जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं हो रहा था, इसलिए हमने पर्यटन विकास की संभावनाओं को बहुत बड़े फलक में आकार देने का प्रयास किया है। इस क्रम में जशपुर जिले के सरना-बालाछापर तथा कोइनार-कुनकुरी में, बिलासपुर जिले के कुरदर में, कोण्डागांव जिले के धनकुल में, कांकेर जिले के नथिया नवागांव में एथनिक रिसॉर्ट, सरगुजा जिले के महेशपुर में साइट एमेनिटी का विकास किया जा रहा है। सिरपुर को ऐतिहासिक बौद्ध पर्यटन स्थल के रूप में विश्व के मानचित्र में स्थान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। वाटर टूरिज्म तथा एडवंेचर टूरिज्म के लिए कोरबा जिले के सतरेंगा, धमतरी जिले के मेडम सिल्ली डेम जिसका नामकरण हमने बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव के नाम पर किया है तथा रविशंकर डेम गंगरेल, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के मलानिया जलाशय, कांकेर जिले के दुधावा जलाशय, महासमुन्द जिले के कोडार डेम, बिलासपुर जिले में संजय गांधी जलाशय खुंटाघाट-रतनपुर में अधोसंरचना का विकास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राम वनगमन पथ में आने वाले 75 स्थानों का चयन अधोसंरचना विकास के लिए किया गया है, जिसके प्रथम चरण में 9 स्थानों जैसे सीतामढ़ी हरचौका, रामगढ़, शिवरीनारायण, तुरतुरिया, चंदखुरी, राजिम, सिहावा सप्तऋषि आश्रम, जगदलपुर तथा रामाराम में समुचित अधोसंरचना के विकास का काम शुरू किया गया है। दामाखेड़ा में कबीर सागर के विकास का काम हाथ में लिया गया है। सूरजपुर की पहाड़ी में स्थित बागेश्वरी मंदिर और कुदरगढ़ में रोप वे सहित समुचित अधोसंरचना का विकास किया जा रहा है। रायपुर का बूढ़ातालाब एक ओर जहां आदिवासी समाज के पूज्य बूढ़ादेव की याद दिलाता है, वहीं स्वामी विवेकानंद के रायपुर प्रवास की स्मृति भी ताजा करता है। इस तरह हमने आम जनता के लिए किफायती और स्वस्थ मनोरंजन स्थलों के विकास को प्राथमिकता दी है, जो हमारे प्रदेश की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विशेषताओं से मेल खाते हैं। मुझे विश्वास है कि पर्यटन विकास को लेकर हमारी सोच का लाभ बड़े पैमाने पर मिलेगा, इससे स्थानीय विकास में बहुत गति मिलेगी तथा नए रोजगार के अवसर भी बनेंगे।
राज्य सरकार की अधोसंरचना विकास की नई सोच पर अपने विचार रखते हुए रायपुर के श्री नवीन अग्रवाल ने कहा कि ये सुनकर बहुत अच्छा लगता है कि बस्तर के दंतेवाड़ा जैसे सुदूर इलाके में सरकार के सहयोग से रेडीमेड कपड़ों की इंडस्ट्री खुली है और डेनेक्स ब्रांड लांच हुआ है। उन्होंने सड़क, बिजली और कनेक्टीविटी को लेकर मुख्यमंत्री का विजन जानना चाहा। कोरबा जिले की गेवरा की गीत तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ की ‘नवा चिन्हारी सस्ता बिजली जम्मो दुआरी’। आपने हम सबको देश में सबसे सस्ती बिजली, वह भी आधी कीमत पर उपलब्ध कराई है।
मुख्यमंत्री ने इन श्रोताओं जिज्ञासा के संबंध में कहा कि मुझे यह सुनकर अच्छा लगा कि दंतेवाड़ा के ब्रांड डेनेक्स की धमक राजधानी रायपुर में ठीक ढंग से सुनी गई। मैं आपकी बात से सहमत हूं कि छत्तीसगढ़ कंज्यूमर नहीं बल्कि उत्पादक राज्य है। आपको याद होगा कि मैंने बिजली के बारे में कहा था कि हमें सिर्फ उत्पादक राज्य नहीं बने रहना है, बल्कि उपभोक्ता राज्य भी बनना है। मैं नहीं चाहता कि हमारे राज्य के बहुमूल्य संसाधनों का उपयोग करके देश और दुनिया के दूसरे हिस्से के लोग तो समृद्ध और खुशहाल हो जाएं लेकिन छत्तीसगढ़ के लोग हमेशा संघर्ष ही करते रहें।
मेरा मानना है कि बांध बनें तोे नहर-नालियों का निर्माण उसके साथ जुड़ा होना चाहिए। बिजली का उत्पादन ठीक से हो तो उसे कारखानों, अस्पतालों, घरों, दफ्तरों, खेतों में पहुंचाने के लिए पूरा नेटवर्क बनें। सड़कों का नेटवर्क पुल-पुलियों के बिना अधूरा है। लोगों से जुड़े सरकारी काम-काज के लिए भवन बनंे तो वहां पहुंचने के लिए सड़कें भी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता तो निर्माण पर लगी मोटी रकम बरबाद हो जाती है। दुर्भाग्य से पिछले डेढ़-दो दशक में छत्तीसगढ़ को ऐसी ही परिस्थितियों से दो-चार होना पड़ा था। इसलिए हम चंद महंगी और सजावटी सड़कों-भवनों की बात नहीं करना चाहते। बल्कि नेटवर्क कम्पलीट करने के बारे में बात करते हैं। अधोसंरचना विकास को लेकर मेरी यही सीधी और स्पष्ट सोच है।
जवाहर सेतु योजना में बनाए जा रहे है 200 बड़े पुल-पुलिया
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने ‘जवाहर सेतु योजना’ लाई जो सड़कों को पुल-पुलियों से जोड़ने की योजना है। दो साल में हमने लगभग 200 बड़े पुल-पुलिया बनाने का काम हाथ में लिया और उसे पूरा कर रहे हैं।
‘मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना’: सरकारी दफ्तरों को जोड़ने बन रहीं 2200 सड़कें
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हमने ‘मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना’ लाई, जिसके तहत लगभग 2200 ऐसी सड़कें बना रहे हैं, जो सरकारी दफ्तरों को जोड़ती हैं। बिजली में भी हमने ऐसा ही किया। जहां किसी प्राकृतिक आपदा या दुर्घटना से ब्लैक आउट हो जाता था, उन अंचलों में बिजली के ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन का नेटवर्क पूरा किया, जिससे वहां दोहरी-तिहरी ओर से आपूर्ति की व्यवस्था हो जाए। बस्तर इसका एक बड़ा उदाहरण है। इसके साथ पूरे राज्य में बिजली उप केन्द्रों, पारेषण व वितरण लाइनों का जाल बिछा रहे हैं, जिसके कारण बसाहटों में विद्युतीकरण का नया कीर्तिमान बना है और बिजली बिल हाफ करने का वादा निभाना भी संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि इस तरह हमने राज्य की अधोसंरचना को संतुलित और विस्तृत करने पर जोर दिया ताकि यह विश्वसनीय बने।
नई उद्योग नीति स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडीशन के आधार पर
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडीशन के आधार पर ही हमने नई उद्योग नीति बनाई। प्रदेश में राजस्व प्रशासन को सरल बनाया। हमारी इस कार्यप्रणाली और विश्वसनीयता के कारण खनिज, कृषि- उपज, वनोपज जैसे अन्य संसाधनों के बारे में निवेशकों की समझ बढ़ी। यही वजह है कि जब दुनिया में आर्थिक तंगी का शोर था तब हमारे छत्तीसगढ़ के बाजारों में जोर था। हमारी जमीनी सोच और वास्तविकता के धरातल पर रहकर, सही कदम उठाने की नीतियों से ही छत्तीसगढ़ दुनिया का पसंदीदा निवेश स्थल बन रहा है। मुझे विश्वास है कि इसी रास्ते पर चलते हुए अनेक नए ब्रांड छत्तीसगढ़ की धरती से ही उपजेंगे। गांव-गांव में महिला स्व-सहायता समूह तथा प्रतिभावान युवाओं के नवाचार से एक नया रास्ता बनना शुरू हो चुका है।
लोकवाणी में बस्तर जिले के मनीष मूलचन्दानी ने बस्तर जैसे दूरस्थ अंचल में राज्य सरकार की पहल से वायुयान सेवा प्रारंभ होने को सुखद बताया। इसी तरह बस्तर के श्री रेणुकांत जोशी ने जगलदपुर के महारानी अस्पताल को सर्वसुविधायुक्त और निजी अस्पताल के जैसा बनाने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया।
बस्तर से देश की सर्वाधिक वनोपज खरीदी
मुख्यमंत्री ने इस संबंध में कहा कि बस्तर से ऐसी खबरें सुनने के लिए बरसों से हमारे कान तरस रहे थे। मेरा मानना है कि नीति आयोग देश के 115 आकांक्षी जिलों की डेल्टा रैंकिंग में बीजापुर को पहला स्थान देता है। अलग-अलग मापदण्डों में जब कोण्डागांव, नारायणपुर, सुकमा जैसे जिले, देश में अव्वल आते हैं तो इसके पीछे किसी अधोसंरचना का योगदान होता है। जब लॉकडाउन के दौरान बस्तर से देश की सर्वाधिक वनोपज खरीदी होती है या पूरे प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का नया कीर्तिमान बनता है तो भी एक अधोसंरचना ही काम करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने मानव विकास की जिस अधोसंरचना के निर्माण का सपना देखा है, उसकी हमारे प्रदेश के ग्रामीणों, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग, कमजोर और मध्यम वर्ग, माताओं, बहनों, बच्चों, जवानों की आंखों में दिखने लगी है और इसी चमक के रास्ते से पूरा प्रदेश, एक नई तरह की जगमगाहट पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को भविष्य में उत्पादक राज्य भी बनना है और उपभोक्ता राज्य भी यही है हमारा ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़।’

सेहत /शौर्यपथ /सर्दी के मौसम में मटर आसानी से और सस्ते मिलते हैं। इसके खाने के कई फायदे हैं। कई तरह की बीमारियों से बचाव के लिए मटर का सेवन करना बहुत आवश्यक है। इसमें पाया जाने वाला प्रोटीन उच्च गुणवत्ता का होता है। इनमें विटामिन K , विटामिन A , विटामिन C , तथा फोलेट प्रचुर मात्रा में होते हैं। खनिज के रूप में मटर में मैंगनीज ,फास्फोरस ,पोटेशियम ,आयरन , मैग्नीशियम , कॉपर , जिंक आदि पोषक तत्व भी होते हैं।

मटर के फायदे
-मटर में विटामिन के भरपूर मात्रा में होता है जिससे हड्डियां मजबूत होती है। यह ऑस्टियोपोरोसिस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है।
-कुछ दिनों तक चेहरे पर मटर के आटे का उबटन मलते रहने से झांई और धब्बे समाप्त हो जाते हैं।
-मटर में मौजूद गुण वजन को नियंत्रित करते हैं। मटर में लो कैलोरी और लो फैट होता है। मटर में हाई फाइबर होता है जो वजन को बढ़ने से रोकता है।
-मटर शरीर में मौजूद आयरन, जिंक, मैगनीज और तांबा शरीर को बीमारियों से बचाता है। मटर में एंटीऑक्सीडेंट होता है। जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है ताकि शरीर बीमारियों से मुक्त रह सके।
-ताजा हरे मटर के दानों को पीसकर जले हुए स्थान पर लगाने से जलन बंद हो जाती है।
-मटर में ऐसे स्वादस्य् ज वर्धक गुण होते है जो शरीर में कोलेस्ट्रॉ ल बढ़ने नहीं देते। मटर में शरीर से ट्राइग्लिसराइड्स के स्त्र को कम करने का गुण होता है और इसके सेवन से ब्लड में कोलेस्ट्रॉ ल संतुलित होता है। शरीर से कई बीमारियां भी इसके खाने से कम होती है।
-पेट के कैंसर में मटर एक कारगर औषधि है। मटर में मौजूद कोलेस्ट्रोल कैंसर से लड़ने में मददगार होता है। साथ ही हरे मटर का प्रतिदिन सेवन करने से पेट के कैंसर का खतरा कम हो सकता है।
-मटर में एंटी-ऑक्सीडेंट, फ्लैवानॉइड्स, फाइटोन्यूटिंस, कैरोटिन पाए जाते हैं, जो शरीर को यंग और एनर्जी से भरपूर रखते हैं।
-मटर में मौजूद फॉलिक एसिड जो पेट में भ्रूण की समस्याओं को दूर करता है साथ ही गर्भवती महिला को पर्याप्त पोषण देता है। गर्भवती महिलाओं को अपने खाने में मटर को जरूर शामिल करना चाहिए।
-मटर के गुणों में एक गुण यह भी है कि इसके सेवन से हार्ट की बीमरियां कम होती है। इसमें एंटीइनफ्लैमेट्टरी कम्पाउंड होते है और एंटीऑक्सी डेंट भी भरपूर मात्रा में होता है। इन दोनों ही कम्पाटउंड के कॉम्बीैनेशन से दिल की बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है।

खाना खजाना /शौर्यपथ /आपने कई बार लोगों को यह कहते सुना होगा कि पुरुषों के दिल का रास्ता उनके पेट से होकर गुजरता है। अगर वैलेंटाइन के इस खास मौके पर आप भी अपने पार्टनर को स्नैक में कुछ टेस्टी खिलाने का मन बना बैठीं हैं तो ट्राई करें धनिया पुदीना चिकन टिक्का रेसिपी। यह एक स्वादिष्ट स्नैक रेसिपी है, जिसे आप हर वीकेंड ट्राई कर सकते हैं।
धनिया पुदीना चिकन टिक्का-
सामग्री
-चिकन- 250 ग्राम
-नींबू का रस- 2 चम्मच
-चाट मसाला- स्वादानुसार
-तेल- आवश्यकतानुसार
मैरीनेट करने के लिए-
-धनिया पत्ती- 5 टहनी
-पुदीना- 3 टहनी
-गाढ़ा दही- 2 चम्मच
-बारीक कटी मिर्च- 2
-कद्दूकस किया अदरक- 1/2 चम्मच
-लहसुन- 4 कली
-नमक- स्वादानुसार
विधि-
चिकन को अच्छी तरह से साफ करके धो लें। उसे छोटे टुकड़ों में काटकर कांटे की मदद से उसमें छेद करके रख लें। मैरीनेट करने के लिए मसाला बनाने के लिए ग्राइंडर में धनिया, पुदीना, दही, हरी मिर्च, अदरक, लहसुन और नमक डालकर बारीक पेस्ट तैयार कर लें। इसमें चिकन के टुकड़ों को डालकर मिलाएं और एक घंटे के लिए फ्रिज में रख दें।
अब एक ग्रिल पैन को गर्म करें। उसके ऊपर मैरीनेट किए हुए चिकन के टुकड़ों को डालें। चिकन को मुलायम व सुनहरा होने तक मध्यम आंच पर पकाएं। सर्विंग प्लेट में इस चिकन टिक्का को निकालें। चाट मसाला और नीबू का रस ऊपर से डालें और सर्व करें।

सेहत /शौर्यपथ /अनार असल में सुपरफूड है। इसमें मौजूद खास पोषक तत्‍व आपकी इम्‍युनिटी बूस्‍ट कर बदलते मौसम में आपको स्‍वस्‍थ बनाए रखते हैं। खासतौर से इस मौसम में आपको हर रोज अपनी डाइट में अनार को शामिल करना चाहिए। इसके रसीले दानों को आप जूस से लेकर फ्रूट चाट तक में बहुत आराम से इस्‍तेमाल कर सकती हैं। विभिन्‍न शोध भी इस बात का समर्थन करते हैं, बदलते मौसम में होने वाली कई समस्‍याओं का मुकाबला करने में अनार आपकी मदद कर सकता है।
आइए जानते हैं कि इस मौसम में आपको अपनी डाइट में क्‍यों शामिल करना चाहिए अनार
1. यह वायरस और मौसमी फ्लू को दूर रख सकता है
अनार के रस, बीज और यहां तक कि उनके छिलके भी आपके शरीर को रोगजनकों से बचा सकते हैं। अनार का रस विशेष रूप से संक्रमित खाद्य पदार्थों से वायरस के आकर्षण के खिलाफ आपकी रक्षा करता है। साथ ही यह ओरल कैविटी से भी आपका बचाव करता है।
अनार का अर्क विटामिन-सी का एक बड़ा स्रोत है, जो कि आम फ्लू के खिलाफ बेहतरीन सुरक्षा प्रदान करता है।
2. हाई बीपी को कम कर सकता है
अनार के एंटीऑक्सीडेंट गुण हाई ब्लड प्रेशर को सफलतापूर्वक कम करने के लिए पाए गए हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि जो लोग इस समस्या से पीड़ित हैं उन्हें परिणाम देखने के लिए प्रति दिन कम से कम 240 मिलीलीटर अनार के रस का उपभोग करना होगा। इसके अलावा, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि अनार का रस 100% प्राकृतिक है, जिसमें किसी भी प्रकार की शुगर नहीं है।
एक और तरीका है कि अनार पोटैशियम के माध्याम से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है। 100 ग्राम अनार में 236 ग्राम पोटैशियम होता है, जो हमारी हड्डियों के स्वास्थ्य और हमारे दिल के कामकाज को बनाए रखने में मदद करता है।
3. यह पाचन में सुधार कर सकता है
जो लोग क्रोहन की बीमारी से जूझते हैं, वे पेट की समस्याओं से अच्छी तरह परिचित हैं। यह अन्‍य कई समस्‍याओं के साथ ही भूख में कमी और वजन में कमी के लिए भी जिम्‍मेदार हो सकती है।
इसका कारण पेट के भीतर बैक्टीरिया का जमाव है, जो गंभीर सूजन का कारण बनते हैं। एक उपाय जो कई अध्ययनों से उपयोगी पाया गया है वह है अनार का सेवन। अनार का अर्क उन बैक्टीरिया के खिलाफ एक अच्छे रक्षक और हमलावर के रूप में कार्य करता है जो कि सभी दर्द का कारण बनते हैं।
4. याददाश्त मजबूत कर सकता है
यह डॉ. हार्टमैन के अध्ययन का निष्कर्ष था, जिसमें उन्होंने उन रोगियों को अनार की गोलियां दी थीं, जो हृदय की सर्जरी से गुजरने वाले थे। जिसमें पहली गोली सर्जरी से एक सप्ताह पहले और दूसरी 6 सप्ताह बाद दी गई थी। रोगियों ने कहा कि उनकी याददाश्त 100% बरकरार थी और पहले से बेहतर भी थी। वहीं दूसरी ओर, जिन रोगियों को गोलियां नहीं मिलीं, उन्हें सर्जरी के बाद अपेक्षित स्मृति हानि हुई।
डॉ. हार्टमैन और भी आगे बढ़ गए, उन्होंने कहा कि उनके पास कुछ सबूत हैं कि अनार की गोलियां मस्तिष्क में अधिक न्यूरॉन्स बनाने में मदद करती हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि आपको अल्जाइमर का इलाज मिल गया है। इसका सीधा सा मतलब है कि कम उम्र में अनार का सेवन करने से आश्चर्यजनक फायदे हो सकते हैं।
5. डायबिटीज के प्रभाव को संतुलित कर सकता है
डायबिटीज से संबंधित हाई ब्लड शुगर लेवल को, दिन में सिर्फ एक अनार खाने से नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। ये फल ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर सकता है, जो डायबिटीज का मुख्य कारण है।
वे कई प्रकार के खराब कोलेस्ट्रॉल को भी कम करते हैं, जो आपके ब्लड शुगर लेवल को अपेक्षाकृत कम रखने में मदद करता है। हालांकि, मधुमेह के रोगियों को अनार के अपने दैनिक सेवन को लेकर बहुत सावधान रहना चाहिए। चूंकि इसमें चीनी होती है, ऐसी चीज़ों का सेवन बहुत कम मात्रा में करना चाहिए।

शिक्षा /शौर्यपथ /आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़े कई पहलुओं का जिक्र किया है। जिसमें धन, तरक्की, बिजनेस, नौकरी और वैवाहिक जीवन आदि शामिल हैं। चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को सफलता हासिल करने के लिए कुछ चीजों से दूर रहना चाहिए। आचार्य का मानना है कि जो व्यक्ति दूसरों की मदद और समय पर काम को पूरा करता है। वह हमेशा समाज में मान-सम्मान पाता है।
चाणक्य कहते हैं कि धोखा देने वाले व्यक्ति को सम्मान हासिल नहीं होता है। ऐसे व्यक्ति से लोग दूरी बनाकर रखते हैं। इसलिए जीवन में सफलता हासिल करने के लिए धोखा देने की प्रवृत्ति रखने वाले व्यक्ति से हमेशा दूर रहना चाहिए। जानिए किन कामों को करने से नहीं मिलता है सम्मान-
1. धोखा देने वाला व्यक्ति नहीं होता है किसी का मित्र- चाणक्य कहते हैं कि धोखा देने वाला व्यक्ति किसी का प्रिय या मित्र नहीं होता है। अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को धोखा देने वाले व्यक्ति को समाज में सम्मान नहीं मिलता है। एक समय आने पर इनका कोई भी मित्र नहीं रह जाता है।
2. धोखा देने वाले व्यक्ति का भरोसा नहीं होता- चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति दूसरों को धोखा देते हैं, उनका कोई विश्वास नहीं करता है। धोखा देकर सफलता हासिल करने वालों की सफलता अस्थाई होती है। इस स्थिति में व्यक्ति को शर्मिंदा भी होना पड़ता है।
3. लालच के लिए किसी को धोखा- चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को लालच के लिए किसी को धोखा नहीं देना चाहिए। लोभ के लिए धोखा देने वाले व्यक्ति समाज में सम्मान नहीं पाते हैं। ऐसे लोगों का आत्मविश्वास कम होता है।

धर्म संसार / शौर्यपथ / हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को बेहद शुभ माना जाता है। हर मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा आती है और नए माह की शुरुआत होती है। इस साल माघ मास की पूर्णिमा 27 फरवरी 2021 (शनिवार) को है। शास्त्रों में इस दिन दान, स्नान और व्रत का विशेष महत्व होता है। माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता है।
माघ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त-
माघ पूर्णिमा आरंभ- 26 फरवरी 2021 दिन शुक्रवार को शाम 03 बजकर 49 मिनट से।
माघ पूर्णिमा समाप्त- 27 फरवरी 2021 दिन शनिवार दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर।
माघ पूर्णिमा से जुड़ी अहम बातें-
- माघ में कल्पवास की परंपरा है। एक महीने तक हजारों लोग संगम तट पर रहकर व्रत और प्रतिदिन संगम स्नान करते हैं।
- माघ पूर्णिमा की पूर्णिमा पर चंद्रमा मघा नक्षत्र और सिंह राशि में होता है। इसलिए यह माघ मास कहलाता है।
- पुराणों के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु गंगा में निवास करते हैं। इसलिए इस दिन गंगा में स्नान और आचमन को शुभ फलकारी माना गया है।
-कहते हैं कि इस दिन गंगा स्नान करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
-माघ पूर्णिमा के दिन तिल, गर्म वस्त्र और कंबल का दान करने से नरक लोक से मुक्ति मिलने की मान्यता है।
माघ पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए-
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। इसके बाद माघ पूर्णिमा व्रत नियमों का पालन करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। माघ पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ करना चाहिए। गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

धर्म संसार /शौर्यपथ / हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पड़ती है। इस साल महाशिवरात्रि 11 मार्च 2021 (गुरुवार) को है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पू्र्ण होती हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि व्रत नियमों का पालन करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। जानिए महाशिवरात्रि के दौरान किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
महाशिवरात्रि 2021 शुभ मुहूर्त-
निशीथ काल पूजा मुहूर्त :24:06:41 से 24:55:14 तक।
अवधि :0 घंटे 48 मिनट।
महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त :06:36:06 से 15:04:32 तक।
महाशिवरात्रि व्रत नियम-
1. महाशिवरात्रि के दिन चावल, गेहूं आदि से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. इस दिन मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए।
3. महाशिवरात्रि के दिन बेसन, मैदा आदि से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
4. महाशिवरात्रि का व्रत रखने वाले व्रती को दिन में नहीं सोना चाहिए। मान्यता है कि दिन में सोने से व्रत का फल नहीं मिलता है।
5. वाद-विवाद से बचना चाहिए।
6. कटु शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
7. चाय, फल और दूध आदि का सेवन किया जा सकता है।
8. साबुदाने की खिचड़ी का सेवन किया जा सकता है।
महाशिवरात्रि व्रत पूजा विधि-
1. मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि जालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
2. महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है।
3. शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि का पूजा निशील काल में करना उत्तम माना गया है। हालांकि भक्त अपनी सुविधानुसार भी भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत कथा-
शिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। जिनमें से एक के अनुसार, मां पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही कारण है कि महाशिवरात्रि को बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है।
वहीं गरुड़ पुराण में वर्णित एक कथा अनुसार, इस दिन एक निषादराज अपने कुत्ते के साथ शिकार खेलने गया किन्तु उसे कोई शिकार नहीं मिला। वह थककर भूख-प्यास से परेशान हो एक तालाब के किनारे गया, जहां बिल्व वृक्ष के नीचे शिवलिंग था। अपने शरीर को आराम देने के लिए उसने कुछ बिल्व-पत्र तोड़े, जो शिवलिंग पर भी गिर गए। अपने पैरों को साफ करने के लिए उसने उनपर तालाब का जल छिड़का, जिसकी कुछ बून्दें शिवलिंग पर भी जा गिरीं। ऐसा करते समय उसका एक तीर नीचे गिर गया; जिसे उठाने के लिए वह शिव लिंग के सामने नीचे को झुका। इस तरह शिवरात्रि के दिन शिव-पूजन की पूरी प्रक्रिया उसने अनजाने में ही पूरी कर ली। मृत्यु के बाद जब यमदूत उसे लेने आए, तो शिव के गणों ने उसकी रक्षा की और उन्हें भगा दिया। कहा जाता है कि भगवान शिव अनजाने में अपने भक्त को इतना फल देते हैं तो विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों को किसी प्रकार की कमी नहीं रहती है।
महाशिवरात्रि के दिन करें ये काम-
1. महाशिवरात्रि के दिन व्रत या उपवास करना चाहिए।
2. सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़ों को धारण करना चाहिए।
3. शुभ मुहूर्त में मंदिर जाकर महादेव को जल और दूध अर्पित करना चाहिए।
4. महाशिवरात्रि के दिन ओम नम: शिवाय का जाप करना चाहिए।
5. इस दिन व्रती को अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।
महाशिवरात्रि के दिन क्या न करें-
1. महाशिवरात्रि के दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. महाशिवरात्रि के दिन देर रात तक नहीं सोना चाहिए।
3. महाशिवरात्रि के दिन दाल, चावल या गेहूं से बना अन्न नहीं ग्रहण करना चाहिए।
4. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए।
5. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव को अर्पित प्रसाद नहीं खाना चाहिए।

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज यहां उनके निवास कार्यालय में मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित की गई। बैठक में निम्नानुसार महत्वपूर्ण निर्णय लिए गएः-

*1 प्रदेश के सभी स्कूलों में 9वीं से 12वीं तक की कक्षायें तथा विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की कक्षाएं सोेमवार 15 फरवरी से प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही राज्य में कौशल विकास के सभी प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू करने का निर्णय लिया गया। कक्षाओं में कोरोना महामारी के संक्रमण से बचाव के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी सभी निर्देशों का पालन किया जाएगा।
*2- बस्तर संभाग के सभी जिलों में ‘‘बस्तर फाईटर्स‘‘ विशेष बल के गठन का निर्णय लिया गया।
*3- सभी वर्गो के आवासहीनों को आवास उपलब्ध कराने प्रदेश के सभी जिलों में ‘‘राजीव नगर आवास योजना‘‘ का क्रियान्वयन करने का निर्णय लिया गया। जिसके तहत छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल को एक रूपए प्रति वर्गफीट की दर से शासकीय भूमि उपलब्ध करायी जाएगी। इस योजना के तहत राज्य के सभी शहरी, अर्द्धशहरी और बड़े कस्बों में एक लाख आवासीय भवन बनाए जाएंगे।
*4- गोधन न्याय योजना के तहत गोठान समिति एवं स्व सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। जिसके तहत प्रति किलो वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय दर की राशि 10 रूपए में से गोबर (2.5 किलोग्राम) क्रय की लागत राशि 5 रूपए संबंधित गोठान समित को दिया जाएगा। इसी प्रकार प्रसंस्करण और पैकेजिंग पर व्यय राशि 0.65 रूपए संबंधित समूह को दिया जाएगा। वर्मी कम्पोस्ट के विपणन के लिए लैम्पस या पैक्स एवं सहकारी बैंक को कमीशन की राशि क्रमशः 0.45 रूपए और 0.05 रूपए, इस तरह कुल 0.50 रूपए प्रति किलोग्राम दिया जाएगा। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि प्रति किलो वर्मी कम्पोस्ट विक्रय दर से प्राप्त संभावित लाभांश राशि को 85ः15 के अनुपात में स्व सहायता समूह एवं गोठान समितियों को दिया जाएगा।
*5- नवा रायपुर अटल नगर में अच्छे शैक्षणिक संस्थानों के विकास के लिए ऐसे सेक्टर्स, जिनका सेक्टर स्तर पर विस्तृत अभिन्यास तैयार नही किया गया है, में शैक्षणिक प्रयोजन हेतु प्रीमियम दर 3706 प्रति वर्ग मीटर के स्थान पर 2475 प्रति वर्गमीटर करते हुए निविदा के माध्यम से आबंटन करने का निर्णय लिया गया। यह दर 31 मई 2022 तक प्रभावशील रहेगी।
*6- नवा रायपुर अटल नगर में निवेश, रोजगार और बसाहट को प्रोत्साहित करने सेक्टर स्तर पर अधोसंरचना के विकास शुल्क के पुर्ननिर्धारण के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। जिसके तहत प्रीमियम दरों में औसतन 10 से लेकर 21 प्रतिशत तक की कमी की गई है।
*7- नवा रायपुर अटल नगर में निवेश, रोजगार एवं बसाहट को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न परियोजनाओं हेतु रियायती प्रीमियम दर पर भूखण्ड आबंटन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
*8- तेन्दूपत्ता के व्यापार से प्राप्त शुद्ध आय में से 15 प्रतिशत राशि का संग्राहक समितियों को अराष्ट्रीयकृत लघु वनोपजों के व्यापार के साथ-साथ लाख पालन हेतु भी उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। समितियों द्वारा यह कार्य छ.ग. राज्य लघु वनोपज संघ के मार्गदर्शन में किया जाएगा।
*9- लघु वनोपज आधारित प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए राज्य शासन, छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ एवं निजी निवेशकों के मध्य किए जाने वाले एमओयू के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*10- कैम्पा मद से राज्य के वनक्षेत्रों में डी.जी.पी.एस. सर्वे कार्य कराए जाने का निर्णय लिया गया।
*11 बंदी अधिनियम-1900 की धारा 31-क के उप नियम (एक) एवं (दो) में संशोधन के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*12 राज्य के अधीन औद्योगिक संस्थानों को शासन द्वारा जिस स्त्रोत ( शासकीय/नैसर्गिक/स्वनिर्मित आदि) से जल आबंटन/प्रदाय करने की स्वीकृति दी गई है, उसी स्त्रोत हेतु शासन द्वारा समय-समय पर निर्धारित जल दर ही लागू करने का निर्णय लिया गया।
*13 छत्तीसगढ़ में दूरसंचार अवसंरचना के विकास के लिए तार मार्ग के अधिकार (राइट आॅफ वे) की नीति -2021 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*14- सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए आवश्यक शक्कर का क्रय फरवरी 2021 से एक वर्ष के लिए खुली निविदा के माध्यम से किए जाने के निर्णय का अनुमोदन किया गया।
*15 जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन के लिए एकल/समूह में ग्राम की नल जल योजना या रेट्रोफिटिंग कार्यो (ग्राम के अंदर के कार्यो) का एकल/समूह में निविदा के माध्यम से 5 करोड़ तक के वित्तीय अधिकार जिला जल एवं स्वच्छता मिशन को सौंपने का निर्णय लिया गया है। इसी तरह समूह जल प्रदाय योजनाओं के अंतर्गत (ग्राम के बाहर के कार्यो) विभिन्न कार्यो के क्रियान्वयन से संबंधित समस्त अधिकार राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन को सौपा गया है।
*16- श्री शंकराचार्य आश्रम मानव सेवा तथा जनकल्याण हेतु ग्राम बोरियाकला तहसील व जिला रायपुर में आबंटित भूमि की निर्धारित प्रब्याजि एवं भू-भाटक राशि को माफ कर टोकन दर पर आबंटित करने का निर्णय लिया गया।
*17-रायपुर विकास प्राधिकरण को शासकीय भूमि पर निर्मित संपत्तियों को एक रूपए प्रति वर्गफुट की दर से आबंटन करने का निर्णय लिया गया।
*18- छत्तीसगढ़ आबकारी नीति वित्तीय वर्ष 2021-22 के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
*19- छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण पुनर्गठन नियम-2020 में संशोधन के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*20- छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण निधि नियम-2020 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*21- तृतीय अनुपूरक अनुमान वर्ष 2020-2021 का विधानसभा में उपस्थापन बावत छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक, 2021 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*22- बजट अनुमान वर्ष 2021-2022 का विधानसभा में उपस्थापन बावत् छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक, 2021 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
*23- छत्तीसगढ़ पंचम विधानसभा के दशम् सत्र माह फरवरी-मार्च 2021 हेतु माननीया राज्यपाल के अभिभाषण के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।

शौर्यपथ विशेष / प्यार का दिन, प्यार के इजहार का दिन। अपने जज्बातों को शब्दों में बयां करने के लिए इस दिन का हर धड़कते हुए दिल को बेसब्री से इंतजार होता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं, प्यार के परवानों के दिन की, वेलेंटाइन-डे की...। प्यार भरा यह दिन खुशियों का प्रतीक माना जाता है और हर प्यार करने वाले शख्स के लिए अलग ही अहमियत रखता है।
14 फरवरी को मनाया जाने वाला यह दिन विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह से और अलग-अलग विश्वास के साथ मनाया जाता है। पश्चिमी देशों में तो इस दिन की रौनक अपने शबाब पर ही होती है, मगर पूर्वी देशों में भी इस दिन को मनाने का अपना-अपना अंदाज होता है।
जहां चीन में यह दिन 'नाइट्स ऑफ सेवेन्स' प्यार में डूबे दिलों के लिए खास होता है, वहीं जापान व कोरिया में इस पर्व को 'वाइट डे' का नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं, इन देशों में इस दिन से पूरे एक महीने तक लोग अपने प्यार का इजहार करते हैं और एक-दूसरे को तोहफे व फूल देकर अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं।
इस पर्व पर पश्चिमी देशों में पारंपरिक रूप से इस पर्व को मनाने के लिए 'वेलेंटाइन-डे' नाम से प्रेम-पत्रों का आदान प्रदान तो किया जाता है ही, साथ में दिल, क्यूपिड, फूलों आदि प्रेम के चिन्हों को उपहार स्वरूप देकर अपनी भावनाओं को भी इजहार किया जाता है। 19वीं सदीं में अमेरिका ने इस दिन पर अधिकारिक तौर पर अवकाश घोषित कर दिया था।
यू.एस ग्रीटिंग कार्ड के अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में प्रति वर्ष करीब एक बिलियन वेलेंटाइन्स एक-दूसरे को कार्ड भेजते हैं, जो क्रिसमस के बाद दूसरे स्थान सबसे अधिक कार्ड के विक्रय वाला पर्व माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि वेलेंटाइन-डे मूल रूप से संत वेलेंटाइन के नाम पर रखा गया है। परंतु सैंट वेलेंटाइन के विषय में ऐतिहासिक तौर पर विभिन्न मत हैं और कुछ भी सटीक जानकारी नहीं है। 1969 में कैथोलिक चर्च ने कुल ग्यारह सेंट वेलेंटाइन के होने की पुष्टि की और 14 फरवरी को उनके सम्मान में पर्व मनाने की घोषणा की। इनमें सबसे महत्वपूर्ण वेलेंटाइन रोम के सेंट वेलेंटाइन माने जाते हैं।
1260 में संकलित की गई 'ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन' नामक पुस्तक में सेंट वेलेंटाइन का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था। उसके अनुसार विवाह करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि कम होती है। उसने आज्ञा जारी की कि उसका कोई सैनिक या अधिकारी विवाह नहीं करेगा। संत वेलेंटाइन ने इस क्रूर आदेश का विरोध किया।
उन्हीं के आह्वान पर अनेक सैनिकों और अधिकारियों ने विवाह किए। आखिर क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन् 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया। तब से उनकी स्मृति में प्रेम दिवस मनाया जाता है।
कहा जाता है कि सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को नेत्रदान किया व जेकोबस को एक पत्र लिखा, जिसमें अंत में उन्होंने लिखा था 'तुम्हारा वेलेंटाइन'। यह दिन था 14 फरवरी, जिसे बाद में इस संत के नाम से मनाया जाने लगा और वेलेंटाइन-डे के बहाने पूरे विश्व में निःस्वार्थ प्रेम का संदेश फैलाया जाता है।

सेहत /शौर्यपथ / पौराणिक लेख और कई अत्याधुनिक शोधों ने इस बात को प्रमाणित किया है कि सफेद मूसली एक चमत्कारी औषधि है जिसका प्रयोग कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने में किया जाता है। सफेद मूसली के लाभ तो आपने सुने होंगे, लेकिन इसके यह 7 फायदे आप बिल्‍कुल नहीं जानते होंगे, आइए जानें...
* अगर आपको अक्सर बदन दर्द की शि‍कायत बनी रहती है, तो प्रतिदिन सफेद मूसली की जड़ का सेवन फायदेमंद होता है। उच्च रक्तचाप, गठिया रोग में भी यह लाभकारी है।
* पथरी/स्टोन की समस्या में सफेद मूसली को इन्द्रायण की सूखी जड़ के साथ बराबर मात्रा (1-1 ग्राम) में पीसकर, इसे एक गिलास पानी में डालकर खूब मिलाएं और मरीज को प्रतिदिन सुबह पिलाएं। यह उपाय सात दिनों में ही अपना प्रभाव दिखाता है और पथरी गल जाती है।
* शारीरिक शिथिलता को दूर कर ऊर्जा को बढ़ाने में सफेद मूसली बेहद लाभकारी होती है, यही कारण है कि कई तरह की दवाइयों के निर्माण में सफेद मूसली का प्रयोग किया जाता है।
* महिलाओं के लिए मूसली अत्यधिक लाभकारी होती है। यह उम्र के असर को कम कर सुन्दरता बढ़ाने में भी मददगार साबित होती है। इसके अलावा अन्य नारी प्रमुख समस्याओं में भी इसका सेवन फायदेमंद होता है।
* पेशाब में जलन की शिकायत होने पर तो सफेद मूसली की जड़ को पीसकर इलायची के साथ दूध में उबालकर पीना बेहद फायदेमंद होता है। दिन में दो बार इस दूध को पीना लाभदायक होगा।
* सफेद मुसली पुरुषों को शारीरिक तौर पर पुष्ट बनाने के अलावा इनके वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बढाने में मददगार है।
* कई शोध ये भी बताते हैं कि डायबिटीज के बाद होने वाली नपुंसकता की शिकायतों में भी सफेद मूसली सकारात्मक असर दिखाती है।

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