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दुर्ग। शौर्यपथ। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश में बड़े परिवर्तन कर आने वाले विधानसभा चुनाव में पूरी दमदारी से चुनाव लड़ने का ऐलान तो कर दिया है इसी परिपेक्ष्य में प्रदेश अध्यक्ष ,नेता प्रतिपक्ष एवं जिलों के अध्यक्षों की जिम्मेदारियां नए-नए लोगों को दी गई है कई जिलों में नवनियुक्त अध्यक्ष जोर शोर से कार्य कर रहे हैं वही नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद बिलासपुर के सांसद अरुण साव भी जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को लेकर बड़ी जीत के साथ प्रदेश में सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं .
किंतु अगर देखा जाए तो दुर्ग की राजनीति में राज्यसभा सांसद सरोज पांडे का संगठन में पूरा वर्चस्व है ऐसा नहीं है कि दुर्ग में भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता नहीं है किंतु आपसी गुटबाजी के चलते हैं यह कार्यकर्ता चुनाव के समय भीतरी घात कर ही देते है वरना भाजपा के वो सदस्य जो निर्दलीय मैदान में उतर कर निकाय चुनाव में जीत अर्जित कर चुके है और आज भी भले ही निर्दलीय पार्षद है किन्तु भाजपा के कार्यकर्त्ता के रूप में समर्पित भी है . बता दें कि दुर्ग में आज भी हेमचंद यादव के कट्टर समर्थक भाजपा से जुड़े हैं वही विजय बघेल ,प्रेम प्रकाश पांडे के समर्थकों की संख्या भी काफी तादाद में है किंतु गुटबाजी के चलते हेमचंद गुट के सक्रिय कार्यकर्ता आज गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं ऐसी ही स्थिति विजय बघेल लोकसभा सांसद दुर्ग के समर्थकों की एवं पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पांडे के समर्थकों की भी है देखा जाए तो दुर्ग में आपसी गुटबाजी इतनी चरम सीमा पर है कि प्रेम प्रकाश गुटके समर्थकों को ,स्व. हेमचंद यादव गुट के समर्थकों को ,सांसद विजय बघेल के समर्थकों को भाजपा संगठन ( दुर्ग ) में सक्रीय कार्यकर्ता होने के बावजूद भी उचित मान-सम्मान नहीं मिल पा रहा है
ऐसी चर्चा भी है कि भाजपा की गुटबाजी का पूरा लाभ कांग्रेस को बिना मेहनत के मिल जाता है वहीं कांग्रेस भी कई मामलों में भाजपा का अपरोक्ष रूप से साथ देता आया है चाहे वह जल्परिसर का विद्युत बिल भुगतान का मामला हो , डॉग हाउस की फाइल का मामला हो या फिर गंजपारा एवं नलघर मैं बने नियम विरुद्ध शॉपिंग कंपलेक्स का मामला हो जिसके कारण निगम के करोडो रूपये कई सालो तक फसे रहे एवं शोपिंग काम्प्लेक्स अब संधारण की स्थिति में आ गया है . सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस इन मामलों पर अभी तक हमलावर नहीं हो पाया है जबकि गाहे-बगाहे भाजपा के कार्यकर्ताओं ने आंदोलन कर विधायक एवं महापौर के मुर्दाबाद के नारे तक कई बार लगा चुके हैं किंतु इन सबके बावजूद बड़े बड़े आंदोलन करने और बड़ी भीड़ जमा करने के बाद भी अगर दुर्ग की जमीनी हकीकत देखी जाए तो आज भी आम जनता का झुकाव राज्यसभा सांसद सरोज पांडे के पसंदीदा उम्मीदवार की जगह कांग्रेस उम्मीदवार की तरफ ज्यादा है .
वही यह भी चर्चा है कि दुर्ग की बदहाल स्थिति में कोई सुधार ला सकता है तो वह सांसद सरोज पांडे ही है आम जनता को भाजपा से सुश्री सरोज पाण्डेय तो स्वीकार्य है किंतु उनके द्वारा चुना हुआ प्रत्याशी स्वीकार्य नहीं अब दुर्ग की जनता रबर स्टैंप से त्रस्त हो चुकी है ।
वही दुर्ग भाजपा के नव नियुक्त अध्यक्ष जितेन्द्र वर्मा पद सँभालने के बाद काफी सक्रियता से जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओ को साथ लेकर चल तो रहे है किन्तु जिस तरह से संभागीय बैठक के समय जब कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष , पूर्व मुख्यमंत्री एवं कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे उसी समय दुर्ग के पूर्व पार्षद और भाजपा के सक्रीय कार्यकर्ता साहू कार्यालय के सामने बैठ कर संगठन की कार्य प्रणाली और जमीनी कार्यकर्ताओ की अनदेखी का आरोप लगा रहे थे
अब देखना यह है कि आने वाले विधान सभा चुनाव में भाजपा किसी रबर स्टैंप के स्वरूप को मैदान में उतारती हैं या सक्रिय प्रत्याशी को ....
रायपुर/ शौर्यपथ / गुजरात में सजायाफ्ता बलात्कारियों एवं हत्यारों को रिहा किए जाने पर भाजपा पर कड़ा प्रहार करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि बिलकिस बानो गैंगरेप मामले एवं हत्या के मामले में सजा भोग रहे अपराधियों को रिहा किया जाना मोदी भाजपा के गुजरात मॉडल का ही एक नमूना है। केंद्र में मोदी भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही अपराधियों का हौसला बुलंद हुआ है, आर्थिक अपराधी हो या अन्य प्रकार के अपराधी सुरक्षित देश छोड़कर बाहर चले जा रहे हैं, बलात्कारियों, हत्यारों को महिमामंडित किया जाता है। गुजरात सरकार के इस अमानवीय फैसले से महिलाओं में असुरक्षा की भावना एवं डर पैदा हुआ हैं इस फैसले के खिलाफ देशभर में महिलाओं एवं आम नागरिकों में भारी आक्रोश है। दुर्भाग्य की बात है गुजरात सरकार के इस गलत फैसले के साथ सिर्फ भाजपा और उसके अनुवांशिक संगठन खड़े हुए हैं और निर्णय का स्वागत कर रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि जिस प्रकार से गुजरात की भाजपा सरकार ने जेल में बंद सजायाफ्ता बलात्कारियों और हत्यारों को रिहा किया है और केंद्र की सरकार मौन रहकर उसका समर्थन कर रही है इस बात की पूरी संभावना है जिस राज्य में भाजपा की सरकार है वहां भी अपराधियों बलात्कारियों आर्थिक अपराधियों को भी भाजपा अपने राजनीतिक लाभ के लिए जेल से आजाद कर सकती है और आम जनता के जीवन में डर भय का वातावरण उत्पन्न कर सकती है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भाजपा नेत्रियों एवं भाजपा से जुड़े महिलाओं से पूछा कि बलात्कारियों एवं बच्ची के हत्यारों को छोड़े जाने का वह विरोध क्यों नहीं कर रही है? महिलाओं के साथ हुए अत्याचार पर खामोश क्यों हैं? आखिर भाजपा की महिला नेत्रियों की क्या मजबूरी है ?जो इस घृणित एवं महिलाओं को शर्मसार करने वाली गेरकानुनी निर्णय का मौन रहकर समर्थन कर रही हैं?
मोदी बतायें देश में चलने वाली कौन सी योजनायें रेवड़ी है?
रायपुर/ शौर्यपथ / देश में चल रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का विशेष कर गरीब वर्ग के उत्थान के लिये चलाई जा रही योजनाओं को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रेवड़ी बताया जाना भाजपा और मोदी की सामंती सोच को प्रदर्शित करता है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि देश के वंचित और गरीब वर्ग के लोगों के लिये योजनायें चलाना हर लोकतांत्रिक सरकार का कर्तव्य है। इन योजनाओं से लाभान्वित होना जनता का अधिकार है। यह कोई खैरात नहीं जनता को यह सुविधा कोई राजनेता अपने निजी संसाधनों से नहीं उपलब्ध करवाता यह सुविधा जनता को जनता के द्वारा दिये जाने वाले विभिन्न प्रकार के करों से सरकार देती है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी बतायें कि केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली कौन सी योजना को वे रेवड़ी मानते है? क्या किसानों से समर्थन मूल्य में उपज की खरीदी को भाजपा और मोदी रेवड़ी मानते है? क्या किसानों को सस्ते दर में उर्वरक उपलब्ध करवाने को मोदी रेवड़ी मानते है? देश में 12 करोड़ बच्चों को मिड-डे-मील मिलने को मोदी रेवड़ी मानते है? कोरोना आपदा के दौरान राइट टू फूड सिक्यूरिटी बिल के तहत अनाज उपलब्ध करवाने को मोदी रेवड़ी मानते है? गरीब बच्चों के लिये शिक्षा के अधिकार आर.टी.ई. के तहत मुफ्त शिक्षा योजना को मोदी रेवड़ी मानते है? मनरेगा में गरीबों को 100 दिन काम की गारंटी को मोदी रेवड़ी मानते है? गरीबों को मकान में सब्सिडी देने को मोदी रेवड़ी मानते है? निराश्रित विधवा पेंशन को मोदी रेवड़ी मानते है? देश की जनता जानना चाहती है कौन सी योजना भाजपा और मोदी की निगाह में रेवड़ी है, जिसे बंद करने के पक्षधर मोदी है। गरीबों को मुफ्त इलाज देना भी मोदी रेवड़ी ही मानते है?
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि देश भर के उद्योगपतियों, पूंजीपतियों के (7,27,000) साल लाख सताईस हजार करोड़ के कर्ज को बट्टे खाते में डालने को भी मोदी रेवड़ी मानते है या नहीं? 2019 देश में कार्पोरेट टैक्स में कटौती के कारण केंद्र के खाते में (1,45,000) एक लाख पैतालिस हजार करोड़ का नुकसान हुआ क्या मोदी इस छूट को भी रेवड़ी मानते है अथवा नहीं? चंद पूंजीपतियों के हितों में योजनायें बनाकर हजारों करोड़ का फायदा पहुंचाने को रेवड़ी माना जाये अथवा देश में रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य सुविधा के लिये सरकार के द्वारा बनायी जानी वाली योजना कैसे रेवड़ी हो गयी? भाजपा मोदी की निगाह में सरकारी संसाधनों पर क्या सिर्फ पूंजीपतियों और सत्ताधीशों का अधिकार है? यदि जनहित की योजनायें प्रधानमंत्री की निगाह में रेवड़ी और घाटे का सौदा है तो प्रधानमंत्री सरकार नहीं व्यापार करना चाहते है। आखिर उन्होंने खुद माना था उनके खून में व्यापार है। भाजपा इसका जवाब दें।
रायपुर । शौर्यपथ। छत्तीसगढ़ भाजपा में केंद्रीय नेतृत्व ने बड़ा फेरबदल करते हुए छत्तीसगढ़ भाजपा की कमान बिलासपुर के सांसद अरुण साहू के हाथों में दे दी है अभी तक छत्तीसगढ़ भाजपा की कमान विष्णु देव साय के हाथों में थी बता दें कि अगले साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में भाजपा के पास वर्तमान स्थिति तक चुनावी मैदान में उतरने के लिए मजबूत संगठन होने के बावजूद भी कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आ रहा है वही संगठन में अंदरूनी खींचातानी अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुकी है।
भाजपा का केंद्रीय संगठन आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से संगठन को मजबूत करने में लगा हुआ है राजनीतिक चर्चा यह है कि विष्णु देव साय की निष्क्रियता के चलते केंद्रीय नेतृत्व भी काफी दिनों से प्रदेश अध्यक्ष के बदलाव की तरफ कई बार इशारा कर चुका है आज सुबह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने छत्तीसगढ़ प्रदेश के कमान अरुण साहू को दे दी जारी पत्र के अनुसार यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है बता दें कि अरुण साह वर्तमान में बिलासपुर से सांसद हैं।
रायपुर/ शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि घर-घर तिरंगा अभियान के लिए मोदी सरकार द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन से पैसे काटे जा रहे हैं। रकम बहुत मामूली है लेकिन उनकी इजाज़त और जानकारी के बिना ही पैसे काट लिए जा रहे हैं। दूसरा यह पैसा सबके खाते से निकाल कर कहां जमा हो रहा है और किसे दिया जा रहा है? खादी का झंडा बनाने वालों को कितना दिया जा रहा है और सूरत के व्यापारियों को कितना दिया जा रहा है? कौन एजेंसी है जो कई प्रकार के विभागों के कर्मचारियों की सैलरी से पैसे निकाल कर जमा कर रही है और ख़र्च कर रही है? सरकार को जवाब देना चाहिए। तिरंगा का अभियान है। इतनी नैतिकता और पारदर्शिता तो होनी ही चाहिए।’
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ देश की जनता के लिये भावना और देश प्रेम का विषय है। सरकार को इसके लिये खुद वित्तीय प्रावधान करना चाहिये। यदि केंद्र सरकार के पास फंड की कमी है तो ’कायदे से सरकार को खुलेआम पैसा लेना चाहिए। ऐलान करना चाहिए कि सभी कर्मचारियों से तीस रुपये लिए जाएंगे। या फिर आयकर के साथ बीस रुपये अधिक ले लिए जाते। एक कर्मचारी की सैलरी से तीस रुपया निकाल लिया जाता है, फिर वह अपने लिए स्वयं भी झंडा खरीदता है। तो वह डबल पैसा खर्च कर रहा है। इस अभियान से जिस तरह से सूरत का कपड़ा उद्योग चल पड़ा है वह अच्छा है। लोगों को काम मिल रहा है। लेकिन मामला इतना सरल नहीं है। आने वाले दिनों में गुजरात में चुनाव होने वाले हैं। वहां हज़ारों लाखों लोगों को तीन महीने के लिए अच्छा काम मिला है। क्या तिरंगा अभियान के पीछे गुजरात के ठंडे पड़े कपड़ा उद्योगों में जान डाला गया है ताकि चुनाव के समय लोगों को भ्रम हो कि काम मिलने लगा और कुछ पैसा भी हाथ आ जाए?’
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि तिरंगा को लेकर अभियान हो और लोग दबी ज़ुबान में बातें करें कि पैसा काट लिया, यह अनुचित है। यह राहजनी हुई कि आपने किसी से पैसे छीन लिए। छिनतई है। व्यापारियों से भी सीएसआर और स्वेच्छा के नाम पर यही हुआ है। उनके चुप हो जाने से कोई बात सही नहीं हो जाती। अगर सरकार सार्वजनिक ऐलान करती और अपील करती तो संदेह समाप्त हो जाते। उनसे झंडे बनवाया जा सकता था। इस देश में लाखों सेल्फ हेल्फ ग्रुप हैं। महिलाओं को लगाया जा सकता है लेकिन इस तरह से इसकी प्लानिंग हुई कि ज़्यादातर आर्डर सूरत पहुंचे।’
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि ’भारत के लोग हमेशा से पंद्रह अगस्त के लिए अनगिनत जगहों पर तिरंगा फहराते हैं। हर गली मोहल्ले में झंडा फहराया जाता है। झुग्गी और गलियों में लोग फहराते हैं। सार्वजनिक समारोह होते हैं। लोग खरीदते हैं। सरकार ने अगर अभियान तय किया है तो उसकी पारदर्शिता होनी चाहिए। सरकार के हर घर तिरंगा के ऐलान के पहले ही सूरत के मिलों में तिरंगा का निर्माण औद्योगिक स्तर पर कैसे शुरू हो गया था। सरकार के अभियान की जानकारी उनको कैसे लीक हुई।
पूर्व रमन भाजपा सरकार की गलत नीतियो के चलते दक्षिण बस्तर के चार विकासखंड तक सीमित नक्सलवाद 14 जिलों तक पहुंचा था
रायपुर / शौर्य्पथ / भाजपा के प्रमुख प्रवक्ता एवं विधायक अजय चंद्राकर के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा प्रवक्ता एवं विधायक अजय चंद्राकर को अपने रमन भाजपा शासनकाल को याद करना चाहिए जिस दौरान दक्षिण बस्तर के चार विकासखंड तक सीमित नक्सलवाद भाजपा शासनकाल की लापरवाही के चलते 14 जिलों को प्रभावित कर दिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का गृह जिला कवर्धा भी नक्सलवाद के चपेट में आ गया। उस दौरान प्रदेश के 14 जिलों में नक्सली सप्ताह मनाया जाता था और पूर्व की रमन सरकार आंखें मूंदे बैठे रहती थी। प्रदेश ने देखा है नक्सलवाद को खत्म करने के लिए सलाहकार बन कर आए पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल को रमन भाजपा सरकार ने वेतन लो और मौज करो की सलाह दिया था। इससे स्पष्ट समझ में आता है कि रमन भाजपा की सरकार नक्सलवाद के खात्मे के पक्ष में नहीं थी बल्कि उस दौरान नक्सलवाद और नक्सलियों के सहयोगी फलते फूलते रहे हैं। कई बड़ी नक्सली वारदात हुई जिसमे बड़ी संख्या में आमजनों एवं सुरक्षा में लगे जवानों की शहादत होती थी।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विश्वास, विकास और सुरक्षा की नीति के तहत काम कर रही है। गोलियों का जवाब गोलियों से दिया जा रहा है और नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बुद्धिजीवी वर्ग डॉक्टर, व्यापारी, युवा, जन प्रतिनिधियों से चर्चा कर नक्सलवाद को खत्म करने का मजबूत रणनीति के साथ काम कर रही है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, विकास के लिए काम किया जा रहा है अब नक्सल प्रभावित क्षेत्र की जनता नक्सलियों के खिलाफ सामने आकर लड़ाई लड़ रही है। हमारे सुरक्षा के जवान नक्सलियों से लोहा लेकर उन्हें पीछे धकेल रहे हैंं। सरकार पूरी तरीके से नक्सलवाद को खत्म करने के लिए कमरकस की लड़ाई लड़ रही है जिसका ही परिणाम है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवादी गतिविधियों में 80 प्रतिशत की कमी आई है और अभी केंद्र सरकार ने कोंडागांव जिला को अति संवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्र की सूची से बाहर किया है।
रायपुर/ शौर्यपथ / भाजपा प्रवक्ता और विधायक रंजना साहू के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि तिरंगा को ढाल बनाकर भाजपा मोदी सरकार की नाकामी वादाखिलाफी लडखडाती अर्थव्यवस्था बढ़ती बेरोजगारी और असहनीय महंगाई से जनता का ध्यान भटका नहीं सकती है। देश के हर घर में मोदी की महंगाई का आतंक कहर डाह रहा है। सबका साथ सबका विकास का नारा लगाकर सत्ता में आई मोदी सरकार सब के ऊपर टैक्स लगाकर सभी सामानों पर टैक्स लगाकर अपने दो मित्रों का विकास कर रही है।मोदी सरकार में दो लोग अडानी और अम्बानी को छोड़कर बांकी सब महंगाई डायन और मोदी के गब्बर सिंह टैक्स यानी जीएसटी से हताश और परेशान हैं।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भाजपा प्रवक्ता एवं विधायक रंजना साहू पर तंज कसते हुए पूछा उज्जवला गैस योजना के लगभग 4 करोड़ 81 लाख हितग्राही रसोई गैस की महंगाई के चलते एक बार भी सिलेंडर नही भराये और तीन करोड़ हितग्राही साल में एक बार ही सिलेंडर की रिफलिंग कराये हैं? रंजना जी आप रसोई गैस खरीदती हैं ना ?तो बताइए कांग्रेस शासनकाल में 410रु में मिलने वाला सिलेंडर महंगा था या अब मोदी शासनकाल में मिलने वाला 1125 रुपए का सिलेंडर महंगा है? कांग्रेस शासनकाल में बिना टैक्स के मिलने वाला अनाज चावल दाल गेहूं दूध दही महंगी थी कि मोदी शासनकाल में पांच प्रतिशत जीएसटी के साथ 25 प्रतिशत बढ़े दाम में मिल रहा दूध दही अनाज महंगा है? मनमोहन सरकार के दौरान पेट्रोल में 9.48 रु और डीजल में 3.54रु एक्साइज ड्यूटी लिया जाता था अब मोदी सरकार पेट्रोल में 19 .48 रु और डीजल में15.82रु मे एक्ससाइज ड्यूटी ले रही है इससे में किस सरकार का एक्सरसाइज ड्यूटी कम है?
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार सिर्फ दो लोगों की सरकार है दो लोग बेच रहे हैं दो लोग खरीद रहे हैं और देश की जनता सिर्फ टैक्स भर रही है। मोदी भाजपा और उनके मित्रों के संगठित लूट के शिकार देश के 135 करोड़ जनता हो रही है। नाकाम मोदी के नाकामी को छुपाने के लिए भाजपा अब तिरंगा का सहारा ले रही है देश की जनता को पता है। आजादी के बाद देश ़ जनता हर वर्ष तिरंगा फहराती तिरंगा का सम्मान करती है लेकिन आर एस एस 52 वर्षों तक अपने कार्यालय में तिरंगा नहीं पर आया था तिरंगा का अपमान किया था और आज भाजपा तिरंगा को लेकर सिर्फ राजनीति कर रही है।
घर-घर तिरंगा लगाने के निर्णय लेने के हृदय परिवर्तन वाले फैसले पर प्रधानमंत्री और भाजपा का धन्यवाद
घर पर तिरंगा लेकर आने पर भाजपा कार्यकर्ताओं की आरती उतारी जायेगी
खादी के अलावा अन्य कपड़ों का तिरंगा लगाने का निर्णय स्वदेशी व बुनकरों का अपमान
राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी ने भी खादी के बने झंडे फहराने की अपील की है
रायपुर / शौर्यपथ / आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने हर घर में तिरंगा लगाने की अपील की है. उस अपील पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के द्वारा घर घर जाकर तिरंगा लगाने का निर्णय लिया है. इसके लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव राजेश तिवारी ने कहा है कि इस निर्णय के लिए मैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं भारतीय जनता पार्टी को धन्यवाद देता हूं, भाजपा कार्यकर्ता या आरएसएस के स्वयंसेवक उनके घर तिरंगा झंडा लेकर आयेंगे तो वे उनकी आरती उतार कर स्वागत करेंगे, क्योंकि प्रधानमंत्री जी आरएसएस के स्वयंसेवक रहे है और आरएसएस से निकल कर ही भाजपा बनी है, और आज उनका हृदय परिवर्तन हो गया है. यह वही आरएसएस है जिसने तिरंगे को राष्ट्रध्वज मानने से इंकार किया था.
आरएसएस ने अपने अंग्रेज़ी मुखपत्र (आर्गनाइज़र) के 14 अगस्त, 1947 वाले अंक में राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर तिरंगे के चयन की खुल कर भर्त्सना की थी व कहा था कि तीन का आँकड़ा अपने आप में अशुभ है और एक ऐसा झण्डा जिसमें तीन रंग हों बेहद ख़राब मनोवैज्ञानिक असर डालेगा और देश के लिए नुक़सानदेय होगा. 30 जनवरी 1948 को जब महात्मा गाँधी की हत्या कर दी गयी तो इस तरह की खबरें आई थीं कि आरएसएस के लोग तिरंगे झंडे को पैरों से रौंद रहे थे. यह खबर उन दिनों के अखबारों में खूब छपी थीं.
आजादी के 52 वर्षों तक आरएसएस के कार्यालय में तिरंगा झंडा नहीं फहराता था बल्कि भगवा झंडा फहराया जाता था. पहली बार तिरंगा झंडा 26 जनवरी 2001 को नागपुर के आरएसएस कार्यालय में बाबा मेंढे, रमेश कलम्बे और दिलीप चटवानी ने झंडा फहराने की कोशिश की, जिसके विरोध में उनके विरूद्ध पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. अगस्त 2013 को नागपुर की एक निचली अदालत ने वर्ष 2001 के एक मामले में दोषी तीन आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया था. इन तीनों आरोपियों का जुर्म तथाकथित रूप से सिर्फ इतना था कि वे 26 जनवरी 2001 को नागपुर के रेशमीबाग स्थित आरएसएस मुख्यालय में घुसकर गणतंत्र दिवस पर तिरंगा झंडा फहराने के प्रयास में शामिल थे. 2001 तक आरएसएस ने अपने मुख्यालय में कभी झंडा नहीं फहराया था 2002 से आरएसएस कार्यालय में झंडा फहराना प्रारंभ हुआ क्योंकि देश को पता चल गया था कि वे तिरंगा को राष्ट्रध्वज के रूप में आज तक स्वीकार नहीं कर पाये हैं . जो आज देशभक्त बन रहे हैं यह उनकी असलियत है।
कर्नाटक सरकार में पूर्व मंत्री और मौजूदा भाजपा विधायक ईश्वरप्पा ने दावा किया है कि आरएसएस का भगवा झंडा एक दिन राष्ट्रीय ध्वज बनेगा यह भाजपा का असली चरित्र है, क्या अपने पार्टी के विधायक के ब्यान के लिए प्रधानमंत्री देशवासियों से माफी मांगेंगे. राजेश तिवारी ने केन्द्र सरकार झण्डा संहिता में परिवर्तन कर खादी के अलावा अन्य कपड़ों का तिरंगा झंडा फहराने की अनुमति देने की निंदा की है. खादी हमारी स्वतंत्रता आंदोलन की पहचान रही है, साथ ही आजादी के आंदोलन के समय विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई थी और खादी को अपनाने का अपील देशवासियों से की गई थी, जिससे हमारे देश के बुनकरों को रोजगार मिल सके. प्रधानमंत्री के इस निर्णय से लाखों बुनकरों को झण्डा बनाने का आर्डर मिलता वह अब नही मिल पायेगा. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री श्री मोदी जी से अपील की है कि खादी से बना तिरंगा देश के आत्मबल को दर्शाता है और इससे लाखों लोगों की जीविका जुड़ी है। आज के ऐतिहासिक दिन पर आशा है कि आप खादी से झंडा बनाने वालों की बात सुनेंगे और उनकी मांग पर संवेदनशीलता के साथ निर्णय लेंगे.
रायपुर/ शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भूख से हो रही मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट चिंतित है लेकिन जिनके ऊपर भूख को खत्म करने की जिम्मेदारी है उनकी भूख गरीबों के अनाज से भी जीएसटी वसूल कर अपने खजाने की भूख मिटाने में ज्यादा दिख रही है। केंद्र में बैठी मोदी भाजपा की सरकार को गरीब मजदूर और प्रवासी मजदूरों की चिंता नहीं है। जिस प्रकार से देश में भूख से मौत हो रही है लोग अपनी पेट पर कपड़ा बांधकर, पानी पीकर भूख को मारने के लिए मजबूर हैं। आजादी के 75 साल बाद पहली बार ऐसा हो रहा है कि अनाज पर भी केंद्र में बैठी सरकार जीएसटी वसूल रही है। मोदी सरकार के गलत नीतियों के चलते 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने मजबूर हैं। बेरोजगारी संकट, महंगाई संकट से देश जूझ रहा है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय की चिंता को भी मोदी सरकार दरकिनार कर अनाज को जीएसटी के दायरे में लाकर गरीबों को भूखे मौत मरने के लिए मजबूर कर दिया है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि शपथ ग्रहण के दौरान हैं मोदी ने कहा था कि उनके खून में व्यापार है और वह दिख भी रहा है। मोदी सरकार लाभ अर्जित करने किस हद तक गिर सकता है देश देख रहा है। सरकार का दायित्व होता है बिना लाभ-हानि की जनता का सेवा करना दबे कुचले लोगों को समाज के मुख्यधारा में जोड़ने के लिए प्रयास करना, देश में कोई व्यक्ति भूखा ना रहे और गरीबों के ऊपर किसी प्रकार का टैक्स का अत्याचार ना हो। लेकिन मोदी के प्रधानमंत्री बनने के सरकार के दायित्व बदल गए हैं।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस शासनकाल के दौरान जिस प्रकार देश के गरीबों के भूख मिटाने योजना बनाकर काम किया गया। कभी अनाज पर टैक्स नहीं लिया गया था। अब मोदी भाजपा सरकार दूध, पनीर के साथ आटा, बेसन, दाल, गेहूं पर भी जीएसटी वसूल रही हैं। बुजुर्गों, खिलाड़ियों और छात्रों को जो ट्रेनों में रियायत और सुविधाएं दी जाती थी सारी समाप्त कर मोदी सरकार अपनी खजाने के भूख को मिटा रही है। पेट्रोल, डीजल पर मनमाना टैक्स वसूला जा रहा है। कांग्रेस शासनकाल में मिलने वाला 400 रू. का रसोई गैस सिलेंडर 1153 रुपए लेने में जनता मजबूर है।