February 06, 2025
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राजनीति

राजनीति (1076)

 15 साल तक रहे मुख्यमंत्री रमन पर कुछ नहीं किया, ढाई साल में भूपेश सरकार के जन हितैषी सौगातों से भाजपा नेता हो रहे भयभीत  

 

दुर्ग । शौर्य पथ । प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री राजेंद्र साहू ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बयान पर तीखा पलटवार किया है। भाजपा द्वारा 6 माह में 5 मुख्यमंत्री बदलने और कांग्रेस के एक राज्य में ही अटकने संबंधी बयान पर प्रहार करते हुए राजेंद्र ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में नाकाम मुख्यमंत्रियों को बदला गया। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह अब यह बताएं कि साढ़े सात साल के कार्यकाल में हर मामले में नाकाम रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कब बदलेंगे। 

राजेंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में नोटबंदी, जीएसटी से न महंगाई कम हुई न काला धन वापस आया। मोदी न तो वादे के मुताबिक किसानों की आय दोगुना कर पाए न उनका कर्ज माफ कर पाए। दो करोड़ युवाओं को हर साल रोजगार भी नहीं दे पाए। महंगाई चरम पर है। देशवासी त्रस्त हैं। रमन बताएं कि हर मामले में विफल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कब बदल रहे हैं।     

राजेंद्र ने कहा कि वास्तव में रमन सिंह का बयान बेतुका और हास्यास्पद है। रमन सिंह खुद 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह, गुजरात में नरेंद्र मोदी भी लंबे कार्यकाल तक सीएम रहे। कांग्रेस सरकार के ढाई साल के कार्यकाल के बाद ही मुख्यमंत्री बदलने की बात अब रमन सिंह किस मुंह से कर रहे हैं। राजेंद्र ने कहा कि रमन सिंह को कांग्रेस के आंतरिक मामले पर बयानबाजी करने की बजाय पूरे देश में भाजपा के खिसकते जनाधार की ओर ध्यान देना चाहिये। 

प्रदेश कांग्रेस महामंत्री ने आगे कहा कि वास्तव में रमन सिंह समेत अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जनहित के कार्यों से घबरा गए हैं। दूसरी ओर भाजपा शासित राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्री अपने राज्य में जनता के हित में काम नहीं कर रहे थे। जनता की लगातार अनदेखी करने के कारण भाजपा को डर था कि इन मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व में वे चुनाव में हार जाएंगे और जनता भाजपा को करारा सबक सिखाएगी।  

राजेंद्र ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा ने 15 साल के कार्यकाल में किसानों का कर्जा माफ नहीं किया। किसानों को 3 सौ रुपए प्रति एकड़ की दर से बोनस नहीं दिया। आदिवासियों को गाय नहीं दी। भूमिहीन परिवारों को पट्‌टा नहीं दिया। तूंदपत्ता का बोनस नहीं बढ़ाया। आदिवासी किसानों की जमीन का अधिग्रहण कर उद्योगपतियों को दे दिया। 15 साल तक रमन सरकार ने सिर्फ लोगों का शोषण किया है।  

दूसरी ओर छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में आम जनता के हित में कई बड़े फैसले किये हैं। किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 9 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से भुगतान, सिंचाई के लिए पानी टैक्स माफ, किसानों का कर्जा माफ, आदिवासियों की जमीन उद्योगपतियों से वापस दिलाने के काम किये हैं। भूमिहीन मजदूरों को 6 हजार रुपए प्रति वर्ष देने की घोषणा भी की है। हाफ बिजली बिल, स्वामी आत्मामंद इंग्लिश मीडियम स्कूल और स्वास्थ्य विभाग का मजबूत ढांचा तैयार करने जैसे कई क्रांतिकारी कदम उठाए हैं। 

इसी तरह देश में बेरोजगारी दर 7.5 प्रतिशत है, जबकि छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 3.9 प्रतिशत है। भूपेश सरकार ने इंजीनियर, पटवारी, बाबू, शिक्षक, पुलिस भर्ती, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं को नौकरी देने के अनेक फैसले किये, जिसके कारण छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर में काफी गिरावट आई है। 15 साल में कुछ न करने वाले रमन सिंह अब भूपेश सरकार के कार्यों से भयभीत होकर ऊलजलूल बयान दे रहे हैं।  

 

रमन सिंह चुनिंदा आंकड़ों की बाजीगरी कर जनता की आंखों में धूल झोकना बंद करें
एनसीआरबी की रिपोर्ट में टॉप टेन हैं भाजपा शासित राज्य

रायपुर / शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि आज मजदूर, किसान, व्यापारी, गांव वाले सब की बात सुनने वाली सरकार तो यह रमन सिंह को रास नहीं आ रहा है। जंगलराज तो छत्तीसगढ़ में भाजपा की रमन सिंह सरकार के 15 साल चला है। रमन सिंह के शासनकाल में कांग्रेस नेताओं की पूरी पीढ़ी की जीरम में हुई हत्याओं को अभी छत्तीसगढ़ के लोग भूले नहीं हैं। झलियामारी, सारकेगुड़ा, पेद्दागेलुर, सोनकू-बिजलू हत्याकांड भी अभी छत्तीसगढ़ के लोगों को याद है। नसबंदी कांड, गर्भाशय कांड, धान घोटाला, चावल घोटाला, नान घोटाला का काला अध्याय रमन सिंह की की देन है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह एनसीआरबी की रिपोर्ट का अध्ययन किये बिना आदतन झूठे बयान बाजी कर छत्तीसगढ़ को बदनाम कर रहे है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार टॉप टेन में भाजपा शासित राज्य उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, हरियाणा, आसाम और गुजरात है। छत्तीसगढ़ 14 वें नम्बर पर है। उत्तरप्रदेश में 3789 मर्डर, 4210 सामूहिक हत्या, 12913 किडनैपिंग, 2769 रेप, 251 गैंगरेप की घटना हुई है। मध्यप्रदेश में 2101 मर्डर, 1857 सामूहिक हत्या, 7320 किडनैपिंग, 2339 रेप की घटना हुई है। हरियाणा में 1373 रेप, 1143 मर्डर। असम में 1657 रेप, 1132 मर्डर की घटनाएं हुई है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि एनसीआरबी के आंकड़ों पर रमन सिंह के ट्विट को चुने हुये आंकड़ों के बाजीगरी ठहराया है। रमन सिंह चुनिंदा आंकड़ों की बाजीगरी कर जनता की आंखों में धूल झोकना बंद करें। आज छत्तीसगढ़ में किसान खुशहाल है। मजदूरों के लिये राजीव गांधी मजदूर न्याय योजना का आगाज हो चुका है। राजीव गांधी गोधन न्याय योजना से 100 करोड़ से अधिक की राशि पशुपालकों और अंतिम छोर में खड़े मजदूरों को मिल रही है तो यह रमन सिंह से बर्दाश्त नहीं हो रहा है और आज काम करने वाली भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार पर रमन सिंह झूठे निराधार आरोप लगा रहे है। अफवाहों की राजनीति कर रहे है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार आम जनता को सुरक्षा देने में एवं कानूनी सहायता प्रदान करने में देश में अव्वल नंबर पर है। पूर्व के रमन सरकार के दौरान तो रेप पीडि़ताओं की एफआईआर तक दर्ज नहीं होती थी। मर्डर के आरोपी को बचाने भाजपा के नेता पुलिस पर दबाव बनाते थे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के ओएसडी ओपी गुप्ता के ऊपर रेप का आरोप लगाने वाली नाबालिग की एफ आई आर 4 साल तक दर्ज नहीं हुआ था।

रायपुर / शौर्यपथ / कांग्रेस ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का किसान आंदोलन उसके बाकी आंदोलन की भांति फ्लाप हो गया। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि भाजपा ने पांच दिन पांच मुद्दे पर आंदोलन की घोषणा कर कार्यक्रम जारी किया था। जिसके अनुसार 13 और 14 सितंबर को किसानों के मुद्दों पर भाजपा प्रदेश और जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करने वाली थी लेकिन भाजपा न 13 सितंबर को प्रदेश व्यापी आंदोलन कर पायी 14 सितंबर को जिलों में भाजपा किसान के मुद्दे पर प्रदर्शन भी सिर्फ खानापूर्ति था। भाजपा की इन आंदोलन की विफलता से एक बार फिर से साबित हो गया कि छत्तीसगढ़ का किसान भाजपा के बहकावे में कहीं आने वाले एक ओर जहां भाजपा की केन्द्र सरकार किसानों के खिलाफ तीन काले कानून बनाई है।
जिसके विरोध में पिछले 10 माह से किसान सड़कों पर है। मोदी सरकार किसानों की मांग मानने के बजाय किसानों पर लाठियां चलवाती है। छत्तीसगढ़ में किसानों को उनकी उपज कर पूरी कीमत मिल रही है। छत्तीसगढ़ के किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना से प्रति एकड़ 9000 रू. की सहायता मिल रही। राज्य के भूमिहीन किसानों को भी कांग्रेस सरकार 6000 रू. की सहायता दे रही है।
छत्तीसगढ़ के किसान कर्ज मुक्त होने के साथ-साथ अपने मवेशियों के गोबर की भी कीमत पा रहे है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के किसान भाजपा के किसान आंदोलन की नौटंकी को भली भांति समझ रहे है। छत्तीसगढ़ के किसान भाजपा के पन्द्रह सालों के वायदा खिलाफी को भूले नहीं है कैसे भाजपा ने तीनो चुनावों में बोनस का वायदा कर नहीं दिया और न ही 2100 रू. धान की कीमत देने का वायदा कर नहीं दिया था। विपक्ष में आने के बाद भाजपा किसानों की हितैषी बनने का ढोंग रच रही है।

दुर्ग / शौर्यपथ / भिलाई -दुर्ग की भाजपाई राजनीति में गुटबाजी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। शनिवार को आयोजित भिलाई जिला संगठन की बैठक में यह बात फिर से साबित हो गई। प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय की खास मौजूदगी में आयोजित इस जिला स्तरीय बैठक में लोकसभा सांसद विजय बघेल और पूरे दुर्ग जिले से भाजपा के एकलौते विधायक विद्यारतन भसीन नजर नहीं आए। इसे भाजपा की स्थानीय गुटबाजी से जोड़कर राजनीतिक गलियारे में चर्चा सुर्खियों पर है।
भाजपा की स्थानीय गुटबाजी हमेशा से चर्चे में रही है। हाल ही में बस्तर में आयोजित पार्टी के चिंतन शिविर में वरिष्ठ नेताओं की समझाइश के बाद लग रहा था कि अब भिलाई और दुर्ग में चली आ रही गुटबाजी पर विराम लग जाएगा। लेकिन ऐसा होता दिख नही रहा है। शनिवार को हुए भिलाई के सेक्टर - 2 स्थित अयप्पा मंदिर परिसर में आयोजित भिलाई जिला भाजपा की बैठक में प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय के साथ राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुई। बैठक में पूर्व मंत्री श्रीमती रमशीला साहू, पूर्व विधायक सांवला राम डाहरे, भिलाई-चरोदा महापौर श्रीमती चन्द्रकांता मांडले सहित जिला संगठन के सारे पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। लेकिन भिलाई में मौजूद रहने के बावजूद लोकसभा सांसद विजय बघेल, विधायक विद्यारतन भसीन और पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय कहीं नजर नहीं आए और ना ही इन तीनों नेताओं के समर्थकों को बैठक में देखा गया।
गौरतलब रहे कि भाजपा के भिलाई व दुर्ग जिला संगठन में राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय के समर्थकों का वर्चस्व स्थापित है। संगठन में विजय बघेल, प्रेम प्रकाश पाण्डेय और विद्यारतन भसीन के समर्थकों को स्थान नहीं दिया गया है। संगठन के पदाधिकारियों को कभी भी बघेल, पाण्डेय या फिर भसीन के साथ नहीं देखा जाता। यहां तक कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में भी संगठन खेमा इन तीनों नेताओं से दूरी बनाकर चलता रहा है। लेकिन बस्तर चिंतन शिविर के बाद लग रहा था कि वरिष्ठ नेताओं की पार्टी हित में गुटबाजी छोडऩे की सलाह का असर दिखेगा पर भिलाई जिला संगठन की बैठक ने इस बात संभावना को गलत साबित कर दिया है।
निकाय चुनाव में पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
भाजपा की गुटबाजी का नकारात्मक प्रभाव आगामी निकाय चुनाव में पडऩे की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है। अभी भिलाई, रिसाली व चरोदा निगम सहित जामुल पालिका में चुनाव होना है। भाजपा में संगठन के माध्यम से भेजे जाने वाले नाम पर पार्षद प्रत्याशी तय होते हैं। संगठन में सुश्री सरोज पाण्डेय के समर्थकों का वर्चस्व है। लिहाजा पार्षद प्रत्याशी के चयन में बघेल, पाण्डेय और भसीन के समर्थकों को प्राथमिकता मिलने पर संदेह है। दुर्ग निगम और कुम्हारी पालिका के चुनाव में ऐसा हो चुका है। जीतने की क्षमता रहने के बावजूद कुछ लोगों को भाजपा से पार्षद का टिकट इसलिए नहीं मिला क्योंकि वे संगठन खेमा के बजाय लोकसभा सांसद विजय बघेल और पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय से जुड़कर राजनीति कर रहे थे। जो हालात बने हुए हैं उससे ऐसा आने वाले निकाय चुनाव में भी देखने को मिल सकता है। पार्टी का टिकट नहीं मिलने से बागी होकर चुनाव मैदान में उतरने से अधिकृत प्रत्याशी को पराजय का सामना करना पड़ सकता है। पिछले निकाय चुनाव में ऐसा हो चुका है।
यहां पर यह बताना जरुरी है कि भिलाई जिला संगठन के हर गतिविधि में सुश्री सरोज पाण्डेय केन्द्र बिंदु बनती रही है। कल की बैठक में भी यह साफ नजर आया। लेकिन लगभग चार लाख वोट के अंतर से लोकसभा चुनाव जीतने वाले विजय बघेल का बैठक में शामिल नहीं होना कहीं न कहीं भाजपा के आगामी मिशन में नकारात्मक असर डाल सकता है।
हालांकि इस बात का खुलासा नहीं हो पाया कि बघेल, पाण्डेय और भसीन को बैठक में ससम्मान आमंत्रित किया गया था या नहीं। फिर भी उनकी गैरमौजूदगी में हुई जिला स्तरीय बैठक के बाद गुटबाजी को लेकर चर्चा फिर से सरगर्म हो उठी है।

रायपुर/शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता एवं संचार विभाग के सदस्य आर पी सिंह ने आज एक बयान जारी करके भारतीय जनता पार्टी पर यह आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़िया मान सम्मान और स्वाभिमान पर थूकने वाले भाजपाई अब अपना बदनुमा चेहरा धर्मांतरण की आड़ में छुपा रहे हैं। बस्तर के चिंतन शिविर के बाद छत्तीसगढ़ वासियों के प्रति विशेषकर किसानों और ओबीसी वर्ग के खिलाफ जो घृणा सामने निकल कर आई थी उसका मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने कैबिनेट के साथियों के साथ पुरजोर तरीके से विरोध किया था और प्रदेश की जनता ने भी सर्वत्र उसकी निंदा की थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उस कदम से घबराई हुई भाजपा अब अपना बदरंग चेहरा धर्मांतरण की आड़ में छुपाने का असफल प्रयास कर रही है।
दरअसल भारतीय जनता पार्टी के पास छत्तीसगढ़ राज्य में सरकार के खिलाफ कोई मुद्दा ही नहीं मिल रहा है। इसलिए हर राज्य में आजमाई हुई नीति, धर्म आधारित नफरत की आग जानबूझकर इस राज्य में फैलाने का प्रयास भाजपा कर रही है। कुछ समय पहले भाजपा के ही एक नेता ने यह आरोप लगाया था कि रोहिंग्या मुसलमानों को सरगुजा क्षेत्र में बसाया जा रहा है जब प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने इस मामले की जांच शुरू की संबंधित नेता को अपना कथन देने के लिए बुलाया गया तब भाजपा इस मुद्दे से पीछे हट गई क्योंकि आरोप लगाओ और भाग जाओ यह भाजपा की पुरानी फितरत रही है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आर पी सिंह ने पूरी भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देते हुए कहा है कि कल की पत्रकार वार्ता में भाजपा ने दावा किया था कि 200 शिकायतें धर्मांतरण को लेकर विभिन्न थानों में की गई हैं साथ ही साथ 20 एफिडेविट के साथ भी शिकायतें की गई है। अगर भाजपा में जरा सा भी नैतिक साहस है तो वे तमाम शिकायतें पत्रकार मित्रों के साथ सार्वजनिक करें और सरकार को सौंप दें। भूपेश बघेल तत्काल एक निश्चित समय सीमा के भीतर ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करेगी। इन शिकायतों को भाजपा सार्वजनिक करने से आखिर क्यों पीछे हट जाती है? क्यों भाजपा आज तक एक भी प्रमाणिक शिकायत सामने नहीं ला पाई है? मतलब स्पष्ट है नफरत की हिंसा झूठ बोलकर भड़काने का प्रयास किया जा रहा है।
जहां तक दिल्ली से आदेश की बात है तो हमे दिल्ली से आदेश बहुत स्पष्ट है कि नागपुर के इशारे पर अगर राज्य में कोई भी नफरत का वातावरण बनाकर हिंसा या दंगा कराने की कोशिश कोई करेगा तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। यह रमन सिंह का कार्यकाल नहीं है जब सड़क छाप गुंडे थाने में घुसकर किसी के साथ मारपीट भी करते थे और स्वतंत्र घूमते भी रहते थे। छत्तीसगढ़ में कानून का राज्य है और न्याय सभी के लिए है। फिर चाहे वह मुख्यमंत्री के पिता हों, सामान्य व्यक्ति हो या किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता हों। किसी भी संप्रदाय धर्म को निशाना बनाकर नफरत फैलाने की राजनीति इस राज्य में ना ही सरकार बर्दाश्त करेगी और ना ही जनता। यह बात भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को जितनी जल्दी समझ में आ जाए उतना ही बेहतर होगा। प्रभु राम के ननिहाल और माता कौशल्या की नगरी में हिंसा और नफरत के लिए कोई स्थान नहीं है।

रायपुर/ शौर्यपथ / भाजपा द्वारा मोदी के जन्मदिन और सत्ताधीश के रूप में उनके 20 वर्ष को सेवा और समर्पण के रूप में मनाए जाने को कांग्रेस ने दशक का सबसे बड़ा झूठ बताया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के कार्यकाल विवादों और असफलता से भरे रहे है। मोदी के कार्यकाल को सेवा जतन के रूप में मनाना भाजपा का जनता से क्रूर मजाक है। जिस मोदी के राज में भारत में लोग कोरोना से इलाज के अभाव में मर गए। जिन मोदी के राज में जनता ऑक्सीजन और दवाइयों के अभाव में मर गयी। जिन मोदी के राज में मजदूर भूखे प्यासे हजारों किमी पैदल चलने को मजबूर हुए।
जिन मोदी के राज में सैकड़ो लोग अपने घरों को नहीं पहुंच पाए रास्ते में दम तोड़ दिए। जिन मोदी के राज में जनता को अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हुआ, लाशें नदियों में बहा देने को जनता मजबूर हो उन नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस और सत्ता के कार्यकाल को सेवा जतन के रूप में मनाया जाना देश की जनता के जले पर नमक छिड़कने के समान है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में मोदी भारत के सबसे असफल और अकर्मण्य प्रधानमंत्री साबित हुए। जीएसटी, नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद करने के बाद कोरोना की महामारी मोदी और उनकी सरकार ने जनता को उसके हालात पर मरने छोड़ दिया था। मोदी सरकार के द्वारा संकट के समय जिम्मेदारी से भागने की नीति के कारण कोरोना महामारी का मुकाबला भारत एक राष्ट्र के रूप में नही कर पाया, देश की अलग-अलग राज्य सरकारें अपने स्तर पर अपने प्रदेश की जनता को कोरोना महामारी से बचाने जूझती रही लेकिन केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री सिर्फ हवाई बातों में लगे रहे। जब देश की जनता को मोदी सरकार से सेवा जतन की उम्मीद थी तब मोदी और उनकी सरकार ने न दवाइयों पर ध्यान दिया, न इलाज पर और न ही लोगो को राहत पहुंचाने की कोई ठोस कार्य योजना बनाया। मोदी राज में लोग ऑक्सीन और अस्पताल में बेड और दवाइयों के लिए भटकते रहे। ऐसे प्रधानमंत्री के कार्यकाल को सेवा जतन से जोड़ना भद्दा मजाक है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप मोदी का कार्यकाल देश की जनता कभी याद नही करना चाहती। गोधरा के भीषण नर संहार से लेकर बेस्ट बेकरी और गुजरात के दंगे मोदी की तत्कालीन सरकार के ऊपर लगे वह धब्बे है जिसे कभी धोया नही जा सकता। मोदी ऐसे मुख्यमंत्री रहे है जिनका एक मंत्री अदालत द्वारा तड़ीपार घोषित किया गया, दूसरे एक मंत्री को अदालत ने दंगो और कत्ले आम के आरोप में फांसी तक की सजा सुनाई थी बाद में अपील में भले फैसला बदल गया लेकिन इतना गम्भीर आरोप देश के किसी मुख्यमंत्री के सरकार के मंत्रियों पर नही लगा। मोदी का प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल को भारतीय जनता पार्टी को भारत के दुःह स्वप्न के रूप में मनाना चाहिए।

दुर्ग / शौर्यपथ /

जिला कांग्रेस कमेटी दुर्ग ग्रामीण के अध्यक्ष निर्मल कोसरे ने दुर्ग लोकसभा सांसद विजय बघेल के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसान है और इस बात छत्तीसगढ़ की जनता भलीभांति जानती है सांसद को प्रमाण देने की जरूरत नहीं है।
विजय बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ के किसान और स्वाभिमान पर थूकने की बात करने वाली डी पुरंदेश्वरी के बचाव करने से स्पष्ट हो गया है कि उन्हें छत्तीसगढ़ से छत्तीसगढ़ के किसान और छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान से कोई लेना देना नहीं है। छत्तीसगढ़ सरकार हर जाति, धर्म, समुदाय एवं हर वर्ग के लोगों के सम्मान और उनकी भावनाओं की कद्र करती है। मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। मुख्यमंत्री और उनके पिता के मतभेद शुरू से है ये बात दुर्ग एवं छत्तीसगढ़ लोग जानते है।
कोसरे ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसान होने के साथ-साथ छत्तीसगढिय़ा स्वाभिमान के प्रतीक हैं। ऐसे मुख्यमंत्री के ऊपर सवाल उठाने से पहले सांसद को बार-बार सोचना चाहिए। जब देश और प्रदेश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा था उस समय सांसद के द्वारा सांसद निधि छत्तीसगढ़ सरकार को ना देकर केंद्र सरकार को देने का काम किया। जबकि दुर्ग और छत्तीसगढ़ के लोगों ने उनको सांसद बनाया है। यदि दुर्ग सांसद सच्चे मायने में छत्तीसगढ़ के किसानों के हितेषी हैं तो केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए तीन कृषि बिल जो कि किसानों के हित में नहीं है उनका विरोध करके दिखाएं।
राज्यों को रासायनिक खाद उपलब्ध कराना, खाद के दाम तय करना, धान खरीदी के लिए बोरा उपलब्ध कराना यह केंद्र सरकार की जवाबदारी है। जिन दुर्ग सांसद को कभी भी छत्तीसगढ़ के किसानों के हित के लिए संसद में आवाज उठाते नहीं सुना गया, वो किसान हितैषी होने का दिखावा करना बंद करें।उन्होंने कहा भाजपा के छत्तीसगढ़ प्रभारी द्वारा दिए गए बयान से वह कितनी सुसंस्कृत हैं। इसकी झलक छत्तीसगढ़ की जनता ने देख चुकी है। आने वाला 2023-24 के चुनाव में भाजपा को ऐसे अमर्यादित अपमानजनक बयान का भी खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

ऽ मात्र 2 प्रतिशत की वृद्धि से किसानों का भला नहीं होगा
ऽ किसानों पर अभूतपूर्व संकट पर पांच वर्षों में सबसे कम वृद्धि
ऽ फसलों का लागत मूल्य ग़लत ढंग से निकाल कर डेढ़ गुना मूल्य बता रहे हैं
ऽ न्यूनतम वृद्धि के लिये किसानों से माफ़ी मांगे भाजपा की केंद्र सरकार
ऽ महंगाई दर में 5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी
ऽ छत्तीसगढ़ सरकार ने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 5 प्रतिशत बढ़ाया
ऽ पेट्रोल-डीजल के दामों में 30 से 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी

रायपुर/ शौर्यपथ /

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि मोदी सरकार में डीजल महंगा, खाद महंगी, कीटनाशक महंगे, जीवनोपयोगी वस्तुयें महंगी, सब कुछ महंगा हो रहा है सिर्फ किसान की फसल का एमएसपी में कम बेहद कम वृद्धि की है जिसके लिये किसान विरोधी मोदी सरकार जिम्मेदार है। खरीफ में धान में बहुत कम वृद्धि करने के बाद रबी फसलों के एमएसपी में बेहद कम बढ़ोत्तरी कर मोदी सरकार ने किसानों से फिर धोखा किया।
रबी फसलों के समर्थन मूल्य के आंकड़े जारी करते हुये प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में भी किसान गन्ना, गेहूं, चना, मसूर और सरसों की खेती करते है। इन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गयी वृद्धि धान के समर्थन मूल्य में की गयी वृद्धि की ही तरह अपर्याप्त है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि 20 जून, 2018 को नमो ऐप पर किसानों से बातचीत करते हुए खुद मोदी जी ने 'लागत+50 प्रतिशतÓ का आंकलन 'ष्ट2Ó के आधार पर देने का वादा किया था। मोदी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि फसल की लागत मूल्य में किसान के मज़दूरी व परिश्रम + बीज + खाद + मशीन + सिंचाई + ज़मीन का किराया आदि शामिल किया जाएगा। लेकिन लागत का आकलन करते हुए मोदी सरकार ने समर्थन मूल्य तय करते समय इसी फ़ॉर्मूले को दरकिनार कर दिया है।
केंद्र सरकार फसलों की प्रति क्विंटल जो लागत मूल्य निकाली है, अगर इसमें सारे खर्च जोड़ दिए जाएं तो किसी भी सूरत में किसान की फसलों की लागत इससे बहुत अधिक पड़ती है। मोदी जी का किसानों की आय दोगुनी करने का वादा आज सिर्फ जुमला बन गया।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने पूछा है कि खेती की लागत बढ़ रही है तो फसलों के दाम उसी अनुपात में क्यों नहीं बढ़े? लगातार कृषि आदानों खाद कीटनाशक दवा कृषि उपकरणों में जीएसटी लगने से दाम महंगे हो रहे है। डीजल के दामों में 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुयी है। खाद, कीटनाशक दवायें महंगी हो रही है लेकिन इस पर किसान विरोधी मोदी सरकार का कोई ध्यान नहीं है। सिर्फ किसान की फसल ही मात्र ही मोदी सरकार को सस्ती चाहिये। महंगाई दर में 5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी, छत्तीसगढ़ सरकार ने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 5 प्रतिशत बढ़ाया। ऐसी स्थिति में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में सिर्फ 2 प्रतिशत की वृद्धि अन्याय है।

गन्ना - 285 से 290 बढ़त 1.75 प्रतिशत
गेंहु - 1975 से 2015 बढ़त 2 प्रतिशत
सूरजमुखी - 5327 से 5441 बढ़त 2.14 प्रतिशत
जौ - 1600 से 1635 बढ़त 2.18 प्रतिशत
चना - 5100 से 5230 बढ़त 2.55 प्रतिशत
मसूर -5100 से 5500 बढ़त 7.85 प्रतिशत
सरसों - 4650 से 5050 बढ़त 8.6 प्रतिशत

मंत्री विधायकों और स्वयं सीएम भूपेश बघेल के पास दिल्ली जाने समय हैं, शक्ति प्रदर्शन और कुर्सी दौड़ करने समय हैं परंतु सूखे की मार झेल रहे छत्तीसगढ़ के भोले भाले किसानों के लिए समय नहीं हैं- ठाकुर रणजीत सिंह

दुर्ग / शौर्यपथ / भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश प्रक्षिशण प्रमुख रणजीत ठाकुर ने छत्तीसगढ़ में सूखे की स्तिथि को लेकर प्रदेश सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाया हैं । उन्हीने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए, अपनी कुर्सी बचने के लिए किसानों का कंधा इस्तेमाल करती हैं। यह सरकार ऐसी कमरों में बैठ कर किसानों का निर्णय करती हैं और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने आपको किसान हितैषी बताते नहीं थकते। उन्होंने गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में सूखे को लेकर ना अब तक कोई सर्वे हुआ हैं और ना ही अपने आपको किसान हितैषी बताने वाले नेता किसानों के खेत तक पहुंचे हैं फिर भी अपने आपको किसान हितैषी बताते रहें जनता सब समझ चुकी हैं।
रणजीत ठाकुर ने कहा कि सूखे की रिपोर्ट अब तक नहीं आयी इसका सीधा मतलब हैं किसानों को राहत में देर होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की किसानों के प्रति गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि प्रदेशभर से सूखे की रिपोर्ट सोमवार तक आनी थी जिसकी मियाद खत्म हो चुकी हैं और मुख्यमंत्री जी बिना रिपोर्ट के कैबिनेट में निर्णय करते हैं ऐसे निर्णय पर किसान कैसे भरोसा करें। किसान कैसे भरोसा करे कि सुखा से मिलने वाली राहत उस तक पहुंचेगी जबकि सरकार प्रभावित किसानों तक मियाद पूरी होने पर भी नहीं पहुंच पा रही हैं यह दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं बल्कि अपने आपको लगातार किसान हितैषी बताने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चेहरे से पर्दा हटाने वाला और यह साबित करने वाला भी हैं कि मुख्यमंत्री जी राजनीतिक रोटी सेकने अपने आपको किसान हितैषी बताने का काम करते हैं।
रणजीत ठाकुर ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सवाल करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बताना चाहिए कि बिना रिपोर्ट के किसानों तक राहत कैसे पहुंचेगा? मियाद पूरी होने पर भी रिपोर्ट क्यों सामने नहीं आ रही हैं? क्या ढाई ढाई साल के कन्फ्यूजन में कन्फ्यूज कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अधिकारियों ने गंभीरता से लेना बंद कर दिया हैं क्या? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को किसान हितैषी होने का ढोंग बंद कर ऐसी कमरे से बाहर आ कर किसानों की पीड़ा और दर्द समझना चाहिए। बिजली कटौती से परेशान किसानों के हित में कटौती पर तत्काल रोक का निर्णय करना चाहिए। खाद की तय समय पर पर्याप्त आपूर्ति के अभाव से जूझ रहे किसानों की सुध मुख्यमंत्री को लेनी चाहिए। घटिया बीज से अपने फसल की हत्या से आहत किसान का दर्द मुख्यमंत्री बघेल को समझना चाहिए। सूखे की मार झेल रहे किसानो तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों को पहुंचना चाहिए। उन्होंने इस बात के लिए दुःख जाहिर किया कि छत्तीसगढ़ सरकार के तमाम मंत्री विधायकों के पास और स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास दिल्ली जाने समय हैं, शक्ति प्रदर्शन और कुर्सी दौड़ करने समय हैं परंतु सूखे की मार झेल रहे छत्तीसगढ़ के भोले भाले किसानों के लिए समय नहीं हैं

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